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Fantasy Aryamani:- A Pure Alfa Between Two World's

nain11ster

Prime
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Nain भाई, लास्ट के दो अप्डेट्स पढ़ कर तो बस यही लगा कि गिफ्ट और पैसों की बरसात हो रही है।
खैरियत है कि कहानी है, वरना हार्ट फैल ही करवा दोगे आप तो।
 

nitya.ji

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भाग:–12




मैनेजर ने लाख मिन्नतें किए। जब बात न बनी तो पुलिस बुलाने अथवा सारा सामान छोड़कर जाने तक की बात भी कह डाली, लेकिन आर्यमणि शायद बड़े से फाइट के बाद थोड़े मस्ती के मूड में था और लगातार मैनेजर को चिढ़ाते हुए एक ही रट लगाए था.… "वह मैनेजर की एक कही बात न मानेगा। जो भी बात होगी अब तो मॉल के मालिक से ही बात होगी"…


मैनेजर:- सर मै हूं ना मुझसे कहिए। एमडी सर बहुत व्यस्त रहते है, उनसे बात नहीं हो पाएगी।


काफी देर बहस हुई, अंत में जब बात नहीं बनी तब मैनेजर मजबूरन मालिक के चेंबर के ओर चल दिया। लेकिन बाहर खड़े एक पुराने मुलाजिम ने मैनेजर को साफ मना करते हुए कहने लगा… "भूमि बहन आयी है रे, जाओ बाद में आना"..


"ना अक्ल है ना सकल, बस पूरे बदन में एक ही चीज है, तेरा पेट शामलाल"… आर्यमणि ने जैसे ही ये बात कही, शामलाल सर ऊपर करके सोचने लग गया… "ये मैंने कहीं तो सुना है रे बाबा, पन किधर को सुना, याद नहीं आ रहा।"..


शामलाल अपने सोच में ही था तभी मैनेजर हड़बड़ी में दरवाजे तक आया, शामलाल उसे रोकते… "कहां जा रहा है।"..


मैनेजर:- बेवकूफ हो क्या, वो लड़का अंदर चला गया और तुम उपर सीलिंग देख रहे हो।


शामलाल:- तू सूट बुट और टाई लगाकर खुद को बड़ा समझदार मानस समझे आहे। जा अंदर जा…


मैनेजर तेजी से अंदर घुसते… "सॉरी सर मै इन्हे बहुत देर से समझा रहा था कि पेमेंट का जो भी इश्यू है मुझसे कह दे, लेकीन ये लड़का आपसे मिलने की जिद पकड़े हुआ था।"


तेजस:- हम्मम ! ठीक है प्रोडक्ट डिटेल दो, क्या क्या पर्चेज किया है..


मैनेजर ने अपने हाथ का बिल तेजस को दे दिया… 2 मीटर वाले बिल की लंबाई देखकर… "बस इतना छोटा बिल है। ये एलइडी 56 इंच वाला.. ये क्या है। स्टन गन, इसका क्या होगा।"


मैनेजर:- जाने दीजिए ना सर वो करंट छोड़ने वाली गन है। ज्यादा नुकसान नहीं करती है और मै तो कहता हूं सर को 56 क्या उससे भी बड़ा साइज का टीवी लेले।


तेजस:- आईफोन और आईपैड दोनो…


भूमि:- दादा बिल की डिटेल देखकर बच्चे को परेशान ना करो। पेमेंट करना है तो करो, वरना बहुत दुकान है शहर में।


तेजस भूमि के ओर मुड़ते… "मतलब मुफ्त का लेना हो तो दादा के मॉल याद आता है और पैसे से कहीं और जाकर खरीदोगे।"


आर्यमणि, भूमि के कान में कुछ कहा, तभी तेजस… "क्या कहा इसने तुझसे"..


भूमि:- कह रहा है लैपटॉप भुल गया लेना।


तेजस:- गुरुदेव और कुछ तो नहीं रह गया..


आर्यमणि, तेजस के पास पहुंचकर उसे गले लगाते…. "थैंक्स दादा। आप बहुत स्वीट हो।"..


तेजस:- हां मस्का पॉलिश। अच्छा सुन आर्य कल सुबह ही घर चले आना। सुनो कदम, ये अपने छोटे दादा है इनका सारा बिल मेरे अकाउंट पर डाल देना। और सुनो ये अब यहीं रहने वाला है तो अपने या अपनी गर्लफ्रेंड के लिए 20000 तक का शॉपिंग करे तो बिल मेरे अकाउंट पर डाल देना, 20000 से ज्यादा का हो तो इसे कहना एक बार मुझसे बात कर लेने। इसके अलावा रेस्त्रां में दोस्तों के साथ छोटी बड़ी जो भी पार्टी हो उसका भी बिल मेरे अकाउंट पर। खुश है ना तू आर्य।


आर्यमणि:- थैंक्स दादा।


तेजस:- बेटा अब तू जाकर और भी कुछ देख ले, भूमि आयी है तो कुछ बातें डिस्कस कर लूं। अगर तू इजाजत दे तो।


आर्यमणि जाते हुए… "दीदी बस 5 मिनट लेना। मै नीचे बिल काउंटर पर ही हूं।"..


जैसे ही आर्यमणि निकला… "ये मुझसे बात क्यों नहीं करता, तुझसे तो हर बात बताता है।"


भूमि:- आर्य आपसे बात तो करता है दादा। वैसे आपको मुझसे कुछ बात करनी थी ना।


तेजस:- मीटिंग की बात तो घर पर करता हूं, लेकिन राजदीप के बारे में कुछ खबर लगी कि नहीं।


भूमि:- जब से पोस्टिंग हुई है अच्छा काम कर रहा है। मै तो बहुत खुश हूं।


तेजस:- ज्वाइन करने के कुछ दिन बाद ही एमएलए कृपाशंकर से मिला था। राजदीप ने तब एमएलए के पास वैधायान भारद्वाज का नाम इस्तमाल किया था, अपने काले कमाई के परिचय में।


भूमि:- दादा आप बहुत जल्दी परेशान हो जाते हो। वैधायन भारद्वाज का नाम लेकर राजदीप ने उस कृपाशंकर की अकड़ बस निकाली होगी। वरना वो अपना काम अच्छे से जनता है। वो कभी भी ऐसा नहीं करेगा।


तेजस:- हम्मम !!! मै मिलूंगा राजदीप से तो खुलकर बताएगा नहीं, तू मिलकर बात कर लेना और कह देना कि कोई अकड़ दिखाए तो पहले 2 चप्पल मारे बाद में बात करे, बाकी मै सब देख लूंगा।


भूमि:- ठीक है दादा, अब मै जा रही हूं। आई–बाबा को बोलना कल आर्य के साथ आऊंगी। आज हम दोनों शॉपिंग पर निकले है।


तेजस:- चल मै भी चलता हूं।


भूमि:- सोचना भी मत, साफ कह दिया है सिर्फ वो मेरे साथ शॉपिंग करेगा।


तेजस:- हां जनता हूं.. तेरा चमचा है वो।


भूमि:- मेरा बच्चा है वो, चमचा नहीं। जा रही हूं अब मै।


भूमि कैश काउंटर पर पहुंची। सारा सामान कार में और दोनो वहां से चल दिए बाइक खरीदने। भूमि ने कार को आर्यमणि के बोले पते पर लगाई और जब नजर उठा कर देखी तो बीएमडब्लू बाइक शो रूम।


भूमि:- मेरे भाई मैंने आज तक एक भी बीएमडब्लू कार नहीं ली, और तू बाइक बोलकर कार के शोरूम ले आया।


आर्यमणि:- दीदी कार से उतरकर देखो ना, ये बाइक का ही शोरूम है।


भूमि:- हां दिख गया। बेटा तू बीएमडब्लू ही लेगा क्या?


आर्यमणि अपनी आंखें दिखाते… "चलो भी टाइम पास कर रही हो।"..


भूमि, चली अंदर… "आर्य मुझे आज पता चला कि बीएमडब्लू की बाइक भी आती है। वो लाल वाली मस्त है.. वही ले। (भूमि बीएमडब्ल्यू S1000XR मॉडल पसंद करती हुई कहने लगी)


आर्यमणि, हंसते हुए भूमि को गले लगा लिया… "चलो यहां से, मै तो बस छेड़ रहा था।"


भूमि:- मुझे यही बाइक राइड करनी है, ड्राइवर गाड़ी लेकर तुम घर जाओ। हां तू कुछ बोल रहा था आर्य।


आर्यमणि:- दीदी मुझे ये बाइक नहीं चाहिए। कहा तो आपको छेड़ रहा था मै।


भूमि:- मतलब यहां सीन क्रिएट करोगे तुम।


अर्यामानी:- सॉरी, ठीक है वही बाइक लेते है, अब खुश।


भूमि:- तू पागल है क्या? मै क्या इतने पैसे लाद कर ले जाऊंगी। वैसे भी तू तो मेरा लाडला है। तेरे लिए 20 लाख क्या 20 करोड़ की बाइक खरीद सकती हूं। बाकी बातें बाद में होगी चल अब मुझे बाइक पर घुमा।


2 मिनट में बाइक पसंद 10 मिनट में बाइक सड़क पर और दोनो हवा से बातें करते हुए पहले एमएलए कृपा शंकर के पास पहुंचे, जहां आर्यमणि ने एडमिशन के कुछ पेपर पर साइन किया, उसके बाद दोनो घर पहुंच गए। आर्यमणि अपनी बाइक खड़ी करके जैसे ही जाने लगा, भूमि उसे रोकती हुई अंदर का गराज खोल दी।


अंदर का नजारा देखकर आर्यमणि का मुंह खुला का खुला ही रह गया… "दीदी ये तो कार का शानदार कलेक्शन है। और झूठी यहां तो बीएमडब्ल्यू की कार भी है।".. कुल 21 कार थी उस गराज में। एक से बढ़कर एक लग्जरियस कार, स्पोर्ट्स कार, 5 तो एसयूवी जितने बड़े शानदार लुक की मिनी ट्रक खड़ी थी।"


भूमि:- ये ले गराज की चाभी। तेरे लेफ्ट में बोर्ड पर सभी कार की चाभी है, उसके नीचे मॉडल लिखा है, आगे समझाने कि जरूरत ना है। और हां, बस एक गलती कभी ना करना, किसी और मॉडल पर कोई दूसरी चाभी मत चिपका देना। वैसे तेरी बाइक देखकर अब लगता है मुझे बाइक कलेक्शन भी कर ही लेना चाहिए।


आर्यमणि:- थैंक्स दीदी।


दोनो गराज से निकलकर घर के अंदर पहुंचे। दिन में जिन 2 सदस्य से मुलाकात नहीं हो पाई थी, भूमि के पति जयदेव और उसकी बहन रिचा से, दोनो हॉल में ही बैठे थे। सभी खाने के टेबल पर जमा हुए और बातो का सिलसिला शुरू हो गया।


शनिवार की शुबह थी, भूमि आर्यमणि के साथ अपने पैतृक मकान पहुंची, जहां उसकी माता मीनाक्षी भारद्वाज और पिता उज्जवल भारद्वाज रहते थे। उनके साथ भूमि का बड़ा भाई तेजस अपनी बीवी वैदेही और 2 बच्चों मयंक और शैली भारद्वाज के साथ रहते थे।


भूमि के साथ जैसे ही आर्यमणि घर में घुसा, स्वागत के लिए उसकी मासी दरवाजे पर ही खड़ी थी। आर्यमणि के अंदर आते ही, वो उसको साथ लेकर जाकर सोफे पर बिठाई… "शांताराम जल्दी से ले आओ मेरे बच्चे का गिफ्ट। क्यों रे पहले मासी या पहले दीदी जो सीधा भूमि के ससुराल पहुंच गया। ऊपर से तूने वहीं रहने का फैसला भी कर लिया, वो भी बिना मुझसे पूछे। जया ने तुझे परिवार के बारे में नहीं बताया था क्या? बहन के ससुरल रहने से इज्जत कम हो जाती है।"


भूमि:- आई सुन लो इस बात पर झगड़ा हो जाएगा। आर्य के कान भरना बंद करो।


मीनाक्षी:- मेरी बात बुरी लग रही है तो चली जा। मेरा बच्चा मेरे पास रहेगा न की तेरे पास।


भूमि:- ठीक है रख लो, सुबह-सुबह मेरा दिमाग मत खाओ। बाबा काम काज से रिटायरमेंट लिए हो या परिवार से भी। आकर आई को चुप करवाओ वरना झगड़ा हो जायेगा।


मीनाक्षी:- वो क्या बोलेंगे, घर की मुखिया मै हूं। यहां वही होगा जो मै चाहूंगी।


तेजस:- क्या है आई, ऐसे कौन बात करता है। भूमि तू बैठ ना। तू भी तो जबरदस्ती आई के बात पर ध्यान देती है।


भूमि:- कब से कह रही हूं जाकर किसी अच्छे डॉक्टर से इनका इलाज करवाओ, लेकिन कोई मेरी सुने तब ना।


भूमि के पिता उज्जवल, अपने कमरे से बाहर निकलते…. "मीनाक्षी बस भी करो। भूमि से गुस्सा हो तुम, हम सब जान रहे है। वो भी जानती है। एक ही बात के लिए कब तक नाराज़ रहोगी।


मीनाक्षी:- जबतक वो पाऊं पकड़कर ये नहीं कह देती की मुझसे गलती हो गई। मै गलत थी। मेरा ना आना गलत था। मेरा मुंह लगाना गलत था। अब से जो बोलोगी वो होगा।


भूमि:- जब मै गलत हूं ही नहीं तो माफी किस बात की। आर्य का मन था इसलिए चली भी आयी, वरना इतने ड्रामे मुझे पसंद नहीं।


आर्यमणि:- मासी मै वापस गंगटोक जा रहा हूं कल। अगले साल एडमिशन लूंगा।


मीनाक्षी:- क्यों ?


आर्यमणि:- क्योंकि अब मै अपने पापा की तरह आईएएस बनूंगा।


मीनाक्षी:- चमचा कहीं का। भूमि के यहां रहता तो इंजिनियरिंग तेरी अच्छे से होती, मेरे पास आते ही तुझे आईएएस बनने का ख्याल आ गया। सही है बेटा। आजा, तू क्यों मुंह फुलाए है, मुझे तो पता ही था ये यहां नहीं रुकेगा।


भूमि:- हां और आपको बिना मेरे से झगड़ा किए खाना नहीं पचेगा।


मीनाक्षी:- तू ही तो मेरा मनोरंजन है, वरना घर में पड़े-पड़े बोर हो जाती हूं।


भूमि:- तो अपनी बहू से झगड़ा किया करो ना। मेरा खून जला कर कौन सा सुख पा लोगी।


मीनाक्षी:- बहुत कोशिश की झगड़ा करने कि। अभी मै अपनी बहू को बोलूं पाऊं पकड़ कर माफी मांग तो पूछेगी भी नहीं क्यों कह रही हूं ऐसा। वो तो 100 लोगों के भिड़ में भी ऐसा कर लेगी। वो मेरी बहू नहीं मेरी दोस्त है।


भूमि:- लो शुरू हो गया इनका बहू पुराण। कहां है दिख तो नहीं रही।


मीनाक्षी:- उसके पापा की तबीयत कल रात अचानक ही खराब हो गई। इसलिए कल रात ही बच्चो के साथ वो निकल गई।


भूमि:- हरिवंश काका को क्या हुआ, किसी ने मुझे बताया क्यों नहीं?


मीनाक्षी:- मैंने ही मना किया तेजस को। उसने बताया कि कल तुम दोनो शॉपिंग पर निकले हो। वैसे भी तू खुद को काम में इतना मसरूफ कर चुकी है, हमे लगा इसी बहाने कुछ तो काम से ध्यान हटे।


भूमि:- आई काम से ध्यान हटना अलग बात है, अपने लोगो की जरूरत को देखना दूसरी बात है। आप लोगो को भी वहां जाना चाहिए था, वो भी नहीं गए।


तेजस:- वैदेही ने कहा है कुछ जरूरत होगी तो सूचना दे देगी, अब तू इतना मत सोच।


"तुम लोग की पंचायत में आर्य को तो सब भुल ही गए। शांताराम दे मुझे"… मीनाक्षी शांताराम के हाथ से एक डिब्बा ली उसे खोलकर एक शानदार घड़ी आर्य के हांथ पर बांध दी। "हां अब अच्छा लग रहा है।"…


फिर हाथ में एक बॉक्स देती हुई कहने लगी… "इसमें एटीएम और क्रेडिट कार्ड है। किसी से पैसे मांगने नहीं, और इस कंजूस भूमि से बिल्कुल नहीं। और हां मै अपने बेटे को दे रही इसलिए खर्च करने में कोई भी झिझक मत रखना। समझ गया।".. आर्य हां में अपना सर हिला दिया।


शनिवार से लेकर रविवार तक आर्यमणि अपनी मासी के यहां ही रुका। पूरे नागपुर की सैर इन्हीं 2 दिनों में हो गया। सोमवार की सुबह कॉलेज का पहला दिन। बड़े ही खुशी के साथ आर्यमणि कॉलेज जाने के लिए तैयार हो रहा था।
Awesome update nain sir

Aapke too young too old story ke bich me rokne ka jo bhi dukh tha wo is story ko read karne ke bad ab utna feel nahi ho raha hai.
story ke abhi tak ke sare update maine kal night me hi read kiye aur kya shaandar story likhi hai aapne
aapki har story ko padhkar aisa lagta hai ki bas aur koi story hai hi nahi aur bs ye story chalti hi rahe
jab aapne love story based stories likhi hai to lagta hai ki aap love stories ko behtar tarike se explain kar pate hai but jab aapki fantasy based story padhti hu to uska to level hi kuch aur hi hota hai aur shayad yahi ek ache writer ki nishani hoti hai ki wo jis bhi tarah ki story likhe use hi best bana deta hai

Ab aate hai aapki is story par jisme aapki story ki shuruwat hui do dosto se jo gangtonk me rahte hai dono hi pariwarik taur par sampann pariwar se belong karte hai lekin done ko hi khatro se khelna pasand hai aur inki yahi bat inhe khas banati hai.
Story me jaha aryamani ek samajhdar insan hai wahi uska dost nishant thoda dilfaink kism ka banda hai.
Aryamani ki pahle ek love story rah chuki hai jisse wo bichad gaya aur jab uski body ko jangal me ek ghar ke backyard me dekha tb use pata chala ki asal me wo ek warewolf thi. uski maut ke gam me aryamani warewolfs ke ek jhundh me jakar fas gaya jaha uski ache se li gayi:winkiss: uske bad story ke agle part main story ke dusre kirdaro ko bhi dikhaya aapne jisme pramukh taur par prahri sanstha hai jiska kam insano ko supernetural powers se bachane ka hai

Ab dekhna ye hai ki ab kyoki arya bhi ek warewolf hai aur prahri sanstha se jude log uske hi pariwar ke log hai to wo log arya ke warewolf hone ki bat ko kaise pacha pate hai.
Sath hi sath ye bhi abhi to rahasya hi bana hua hai ki arya kaise un warewolfs ke jhund se bachkar nikal paya? ye kuch sawal hai jinke abhi jawab milne baki hai.

Ek aur bat sir mera personally aisa manna hai ki story ki pace thodi jyada hai aur mujhe lagta hai aapko ise thoda slow karna chahiye baki aap mujhse behtar jante hai.

Overall story ka plot bahut hi shaandar hai aur ummed rahegi ki ye bhi aapki dusri stories ki tarah hi super duper hit rahegi.
 

nitya.ji

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Thanks alot nitya ji... Lekin abhi tak iss kahani ke upar ek bhi comment na aaye... Me waiting :D
Aapki shikayat dur kar di hu sir abhi story par comment kari hu to agar kuch galat likha ho to maaf karna sir kyoki likhne ki jyada aadat nahi hai sir to kuch bhi galat ho to ignore kijiyega
 
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Monty cool

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नैन भाई मस्त स्टोरी है वैसे मैं ये वेम्पायर और भेडियो की कहानी में ज्यादा इंट्रेस्टेड नहीं हु लेकिन आप की लिखी हर स्टोरी सबसे अलग होती है इसीलिए मै हाजरी लगाने पहुंच गया बस स्टोरी को नियमित रूप से लिखते रहिये हम हमेसा आप के साथ बने रहेंगे
 
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