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Fantasy Aryamani:- A Pure Alfa Between Two World's

nain11ster

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andyking302

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भाग:–67







पहले इन लोगों ने कैलिफोर्निया के विद्वानों से ज्ञान लिया था, उसके बाद अमेरिका भ्रमण पर निकले थे। करीब महीना दिन में सारा ज्ञान समेटकर कैलिफोर्निया अपने स्थाई निवास पर पहुंचे। सभी एक साथ हॉल में बैठकर पंचायत लगाये।


रूही:– यहां आ गये। सीखना था अंग्रेजी उसके साथ–साथ न जाने क्या–क्या नही हमने सिख लिया। या यूं कह लें की गलत तरीके से सिख लिया। अब आगे क्या?


आर्यमणि:- ज्ञान लेना गलत नही था लेकिन उसे हमने अर्जित गलत तरीके से किया। कोई बात नही जो भी ज्ञान है उसका प्रसार करके हम अपनी गलती को ठीक करने की कोशिश करेंगे। अब आगे यही करना है।


ओजल:– सही कहा भैया। और जबतक यहां मज़ा आ रहा है रहेंगे, मज़ा खत्म तो पैकअप करके कहीं और।


अलबेली:- मै थक गई हूं, मै ऊपर वाला कमरा ले लेती हूं।


इवान और ओजल भी उसके पीछे निकल गये सोने। रूही और आर्यमणि दोनो बैठे हुये थे… "कहां से कहां आ गये ना बॉस। जिंदगी भी कितनी अजीब है।"..


आर्यमणि:- तुम तो इंजीनियरिंग फोर्थ ईयर में थी ना। मेरी वजह से तुम्हारा तो पुरा कैरियर खत्म हो गया।


रूही:- या नए कैरियर की शुरुआत। इन तीनों का कुछ सोचा है?


आर्यमणि:- कुछ दिन यहां के माहौल में ढलने देते है। स्कूल का पता किया था, इनको ग्रेड 11 में एडमिशन करवाने का सोच रहा हूं।


रूही:- और टेस्ट जो होगा उसका क्या?


आर्यमणि:- ज्ञान की घुट्टी दी है ना। 11th ग्रेड के टेस्ट तो क्या उन्हे डॉक्टर की डिग्री लेने में कोई परेशानी नही होगी।


रूही:- हां ये भी सही है। वैसे पिछले कुछ महीनों से बहुत भागदौड़ हो गई, मै भी चलती हूं आराम करने।


आर्यमणि:- हम्मम ठीक है जाओ।


आर्यमणि कुछ देर वहीं बैठा रहा, अपने फोन को देखते। सोचते–सोचते कब उसकी आंख लग गयी पता ही नहीं चला। सुबह अलबेली और इवान के झगड़े से उसकी नींद खुली… "क्या हुआ दोनो के बीच लड़ाई किस बात की हो रही है?"..


अलबेली:- टीवी देखने को लेकर, और किस बात पर।


आर्यमणि:- अब टीवी देखने में झगड़ा कैसा?


अलबेली:- बॉस ये ना पता नहीं कौन-कौन सी मूवी सुबह-सुबह लगा दिया। शर्म नाम की चीज है कि नहीं पूछो इससे।


इवान:- बॉस वो मुझे थोड़े ना पता था कि यहां पुरा ओपन ही दिखा देते है। 5 सेकंड के लिये आया और गया उसपर ये झगड़ा करने बैठ गई।


आर्यमणि:- समय क्या हुआ है।


इवान:- 4.30 बज रहे है।


आर्यमणि:- ठीक है इवान सबको जगाकर ले आओ, जबतक मै अलबेली से ट्रेनिंग शुरू करता हूं।


"अलबेली याद है ना क्या करना है, दिमाग में कुछ भी अंधेरा नहीं होने देना है और पुरा ध्यान अपने दिमाग पर। अपने धड़कन और गुस्से पर पूरा काबू। समझ गयी।"..


अलबेली ने हां में अपना सर हिलाया और आर्यमणि को अपने तैयार होने का इशारा की। आर्यमणि ने पूरा चाकू उसके पेट में घुसा दिया। दर्द से वो बिलबिला गयी और अगले ही पल उसने अपना शेप शिफ्ट कर लिया।


शेप शिफ्ट करते ही वो तेजी के साथ अपने क्ला आर्यमणि पर चलाने लगी। आर्यमणि बिना कोई परेशानी के अपने हाथो से उसे रोकता रहा। वो गुस्से में ये भी नहीं देख पायी की उसका जख्म कबका भर चुका है। हमला करते-करते उसे अचानक ख्याल आया और अपनी जगह खड़े होकर अपनी तेज श्वांस को काबू करती, लंबी श्वांस अंदर खींचने लगी और फिर धीमी श्वांस बाहर।


कुछ पल के बाद… "सॉरी दादा, वो मै खुद पर काबू नहीं रख पायी।"..


आर्यमणि:- कुछ भी हो पहले से बेहतर है। पहले 5 मिनट में होश आता था आज 2 मिनट में आया है।


लगभग 2 घंटे सबकी ट्रेनिंग चली और सबसे आखरी में आर्यमणि की। जिसमें पहले चारो ने मिलकर उसपर लगातार हमले किये। कोई शेप शिफ्ट नहीं। फिर इलेक्ट्रिक चेयर और बाद में अन्य तरह की ट्रेनिंग। इसके बाद सबसे आखरी में शुरू हो गया इनके योगा का अभ्यास।


ट्रेनिंग खत्म होने के बाद सबने फिर एक नींद मार ली और सुबह के 9 बजे सब नाश्ते पर मिले। नाश्ते के वक़्त सबकी एक ही राय थी, भेज खाने में बिल्कुल मज़ा नहीं आता। आर्यमणि सबके ओर हंसते हुए देखता और प्यार से कहता… "खाना शरीर की जरूरत है, तुम लोग प्रीडेटर नहीं इंसान हो।"..


आज आर्यमणि ने तीनों टीन वुल्फ को पूरा शहर घूमने भेज दिया और खुद रूही को लेकर पहले ड्राइविंग स्कूल पहुंचा। पैसे फेके और लाइसेंस के लिये अप्लाई कर दिया। वहां से निकलकर दोनो बैंक पहुंचे जहां 5 खाते खुलवाने और सभी खाते में लगभग 2 मिलियन अमाउंट जमा करने की बात जैसे ही कहे, बैंक वाले तो दामाद की तरह ट्रीट करने लगे और सारी पेपर फॉर्मेलिटी तुरंत हो गयी।


आर्यमणि और रूही वहां से निकलकर टीन वुल्फ के स्कूल एडमिशन की प्रक्रिया समझने स्कूल पहुंच गये और उसके बाद वापस घर। घर आकर रूही ने एक बार तीनों को कॉल लगाया और उनके हाल चाल लेकर आर्यमणि के पास आकर बैठ गई।… "अपने लोगो के बीच ना होने से कितना खाली-खाली लग रहा है ना।"..


आर्यमणि:- खाली क्यों लगेगा, ये कहो की काम नहीं है उल्लू। वैसे बात क्या है आज बहुत सेक्सी दिख रही..


रूही:- ओह हो मै सेक्सी दिख रही हूं, या ये क्यों नहीं कहते कि कुछ-कुछ हो रहा है।


आर्यमणि:- एक हॉट लड़की जब पास में हो तो मूड अपने आप ही बन जाता है।


रूही:- सोच लो ये हॉट लड़की उम्र भर तुम्हारे साथ रहने वाली है और एक बात बता दूं मिस्टर आर्यमणि कुलकर्णी, मुझे तुमसे बिल्कुल प्यार नहीं। मुझे जानते हो कैसा लड़के की ख्वाहिश है..


आर्यमणि:- कैसे लड़के की..


रूही:- कोई मुझे छेड़े ना तो वो खुद उससे कभी नहीं जीत सकता हो, लेकिन फिर भी मेरे लिए भिड़कर मार खा जाये। ऐसा लड़का जिसकी अपने मां बाप से फटती हो, लेकिन जब मेरा मैटर हो तो चेहरे पर शिकन दिल में डर रहे, फिर भी हिम्मत जुटा कर अपने पिता से कह सके, मुझे रूही से प्यार है। बेसिकली बिल्कुल इनोसेंट जो मुझसे प्यार करे।


आर्यमणि:- तो यहां रहने से थोड़े ना मिलेगा ऐसा लड़का। चलो वापस भारत।


रूही, आर्यमणि को किस्स करती… "मेरी किस्मत में होगा तो मुझे मिल ही जाएगा। तब तुम मेरी तरफ देखना भी नहीं। लेकिन अभी तो कुछ तन की इक्छाएँ है, उसे तो पूरी कर लूं।"..


आर्यमणि, हड़बड़ा कर उठ गया। रूही हैरानी से आर्यमणि को देखती... "क्या हुआ बॉस, ऐसे उठकर क्यों जा रहे।"


आर्यमणि:– तुम भी आओ...


दोनो बेसमेंट में पहुंच गये। आर्यमणि अपने सोने के भंडार को देखते... "इसके बारे में तो भूल ही गये।"


रूही:– हां ये अमेरिका है और हमारी मस्त मौलों की टोली। कहीं कोई सरकारी विभाग वाले यहां पहुंच गये फिर परेशानी हो जायेगी।


आर्यमणि:– हां लेकिन इतने सोने का करे क्या? 5000 किलो सोना है।


रूही:– कोई कारगर उपाय नहीं मिल रहा है। यहां की जैसी प्रशासन व्यवस्था है, बिना बिल के कुछ भी बेचे तो चोरी का माल ही माना जायेगा। इसे तो किसी चोर बाजार ही ठिकाने लगाना होगा।


आर्यमणि:– ज्वेलरी शॉप डाल ली जाये तो। पैसे इतने ही पड़े–पड़े सर जायेंगे और गोल्ड इतना है कि कहीं बिक न पायेगा।


रूही:– बात तो सही कह रहे हो, लेकिन हम यहां टूरिस्ट वीजा पर है। 6 महीने के लिये घर लीज पर लिया है। यहां धंधा शुरू करना तो दूर की बात है, लंबे समय तक रहने के लिये पहले जुगाड करना होगा।


आर्यमणि:– सबसे आसान और बेस्ट तरीका क्या है।


रूही:– यहां के किसी निवासी से शादी कर के ग्रीन कार्ड बनवा लो। लेकिन फिर उन तीनो का क्या...


आर्यमणि:– हम इतना डिस्कस क्यों कर रहे है। वो मॉल का मैनेजर है न निकोल, उसके पास चलते हैं। वैसे भी उसका क्रिसमस का महीना तो हमने ही रौशन किया है न।


रूही:– एक काम करते है, दोनो के लिये बढ़िया सा गिफ्ट लेते है। 1 बॉटल सैंपियन कि और कुछ मंहगे खिलौने उनके बच्चे के लिये।


आर्यमणि:– हां चलो ये भी सही है...


दोनो बाजार निकले वहां से महंगा लेडीज पर्स, मंहगी वॉच, बच्चों के लिये लेटेस्ट विडियो गेम, और एक जो गोद में था उसके लिये खूबसूरत सा पालना। सारा गिफ्ट पैक करके आर्यमणि और रूही निकोल के घर रात के करीब 9 बजे पहुंचे। बेल बजी और दरवाजे पर उसकी बीवी। बड़ा ही भद्दा सा मुंह बनाते, बिलकुल रफ आवाज में पूछी... "क्या काम है।"…


शायद यहां के लोगों को पहचान पूछने की जरूरत न पड़ती। सीधा काम पूछो और दरवाजे से चलता करो। आर्यमणि और रूही उसकी बात सुनकर बिना कुछ बोले ही वहां से निकलने लगे। वह औरत गुस्से में चिल्लाती... "बेल बजाकर परेशान करते हो। शक्ल से ही चोर नजर आ रहे। रूको मैं अभी तुम्हारी कंप्लेन करती हूं।"..


आर्यमणि:– मुझे निकोल से काम था लेकिन तुम्हारा व्यवहार देखकर अब मैं जा रहा। अपने हब्बी से कहना वही आदमी आया था जिसने उसके कहने पर 30 हजार यूएसडी के समान लिये। लेकिन अब मुझे उसके यहां का व्यवहार पसंद नही आया।


वह औरत दरवाजे से ही माफी मांगती दौड़ी लेकिन आर्यमणि रुका नही और वहां से टैक्सी लेकर अपने घर लौट आया। घर लौटकर वह हाल में बैठा ही था कि पीछे से घर की बेल बजी। आर्यमणि ने दरवाजा खोला तो सामने निकोल और उसकी बीवी खड़े थे। आर्यमणि भी उतने ही रफ लहजे में.… "क्या काम है।"…


वह औरत अपने दोनो हाथ जोड़ती.… "कुछ लड़के पहले ही परेशान कर के गये थे इसलिए मैं थोड़ी उखड़ी थी। प्लीज हमे माफ कर दीजिये।"..


आर्यमणि पूरा दरवाजा खोलते... "अंदर आओ"…


निकोल:– सर प्लीज बात दिल पर मत लीजिये, मैं अपनी बीवी की गलती के लिये शर्मिंदा हूं।


आर्यमणि:– क्यों हमारे शक्ल पर तो चोर लिखा है न... तुम्हारी बीवी ने तो हमे चोर बना दिया। न तो तुम्हारी माफी चाहिए और न ही तुम्हारे स्टोर का एक भी समान।


आर्यमणि की बात सुनकर स्टोर मैनेजर निकोल का चेहरा बिल्कुल उतर गया। एक तो दिसंबर का फेस्टिव महीना ऊपर से जॉब जाने का डर। निकोल का चेहरा देख उसकी बीवी का चेहरा भी आत्मग्लानी से भर आया... "वापस करने दो इसे समान, मैं खरीद लूंगी। बल्कि आपके पहचान का कोई कार डीलर हो तो वो भी बता दीजिए"…


रूही की आवाज सुनकर निकोल का भारी मन जैसे खिल गया हो.… "क्या मैम"..


आर्यमणि:– उसका नाम रूही है और मेरा...


निकोल:– और आपका आर्यमणि। यदि आप मजाक कर रहे थे वाकई आपने मेरे श्वांस अटका दी थी। और यदि मजाक नही कर रहे तो समझिए श्वान्स अब भी अटकी है।


आर्यमणि, अपने हाथ से उन्हे गिफ्ट देते... "आपकी पत्नी ने हमारा दिल दुखाया इसलिए हमने भी वही किया। अब बात बराबर, और ये गिफ्ट जो आपके लिये लेकर आये थे।"..


गिफ्ट देखकर तो दोनो मियां–बीवी का चेहरा खिल गया। ऊपर से उनके बच्चों तक के लिये गिफ्ट। दोनो पूरा खुश हो गये। रूही, निकोल की बीवी के साथ गिफ्ट का समान कार में रखवा रही थी और निकोल, आर्यमणि के साथ था।


निकोल:– बताइए सर क्या मदद कर सकता हूं।


आर्यमणि:– यदि मैं यहां के किसी लोकल रेजिडेंस से शादी कर लूं तो मुझे ग्रीन कार्ड मिल जायेगी...


निकोल:– थोड़ी परेशानी होगी, लेकिन हां मिल जायेगी..


आर्यमणि:– मेरे साथ तीन टीनएजर रहते है, फिर उनका क्या?


निकोल:– तीनों प्रवासी है और क्या आप पर डिपेंडेंट है..


आर्यमणि:– हां...


निकोल:– आपको मेयर से मिलना चाहिए। आप पसंद आ गये तो आपके ग्रीन कार्ड से लेकर उन टीनएजर के एडोप्टेशन का भी बंदोबस्त हो जायेगा।


आर्यमणि:– और क्या मेयर मुझसे मिलेंगे...


निकोल:– हां बिलकुल मिलेंगे.... शॉपिंग मॉल उन्ही का तो है। कहिए तो मैं अपॉइंटमेंट ले लूं।


आर्यमणि:– रहने दो, हमारी बात नही बनी तो तुम्हारी नौकरी चली जायेगी।


निकोल:– मुझे यकीन है बात बन जायेगी। मैं अपॉइंटमेंट फिक्स करके टेक्स्ट करता हूं।


2 दिन बाद मेयर से मीटिंग फिक्स हो गयी। आर्यमणि और रूही उससे मिले। कुछ बातें हुई। 50 हजार यूएसडी उसके इलेक्शन फंड में गया। 10 हजार डॉलर में एक लड़का और एक लड़की ने दोनो से शादी कर ली। मैरिज काउंसलर ने आकर विजिट मारी। सारे पेपर पुख्ता किये। उसके बाद वो दोनो अपने–अपने 10 हजार यूएसडी लेकर अपने घर। अब बस एक बार तलाक के वक्त मुलाकात करनी थी, जिसका पेपर पहले ही साइन करवा कर रख लिया गया था।


आर्यमणि मिठाई लेकर मेयर के पास पहुंचा और अपने आगे की योजना उसने बतायी की कैसे वह कैलिफोर्निया के पास जो गोल्ड माइन्स है उसके जरिये सोने का बड़ा डिस्ट्रीब्यूटर बनना चाहता है। हालांकि पहले तो मनसा ज्वेलरी शॉप की ही थी लेकिन थोड़े से सर्वे के बाद यह विकल्प ज्यादा बेहतर लगा।


मेयर:– हां लेकिन सोना ही क्यों? उसमे तो पहले से बहुत लोग घुसे है।


आर्यमणि:– हां लेकिन आप तो नही है न इस धंधे में..


मेयर:– न तो मैं इस धंधे में हूं और न ही कोई मदद कर सकता हूं। इसमें मेरा कोई रोल ही नही है। सब फेडरल (सेंट्रल) गवर्मेंट देखती है।


आर्यमणि:– हां तो एक गोल्ड ब्रिक फैक्ट्री हम भी डाल लेंगे। इसमें बुराई क्या है। प्रॉफिट का 10% आपके पार्टी फंड में। बाकी आप अपना पैसा लगाना चाहे तो वो भी लगा सकते है।


मेयर:– कितने का इन्वेस्टमेंट प्लान है?


आर्यमणि:– 150–200 मिलियन डॉलर। आते ही 2 मिलियन खर्च हो गये है। कुछ तो रिकवर करूंगा।


मेयर:– मुझे प्रॉफिट का 30% चाहिए.. वो भी अनऑफिशियली..


आर्यमणि:– मुझे मंजूर है लेकिन 50 मैट्रिक टन बिकने के बाद ये डील शुरू होगी।


मेयर:– और 50 मेट्रिक टन का प्रॉफिट...


आर्यमणि:– उसमे हम दोनो में से किसी का प्रॉफिट नही होगा। आप अनाउंस करेंगे की पहले 50 मेट्रिक टन तक हम धंधा जीरो परसेंट पर करेंगे। ये आपके इलेक्शन कैंपेन में काम आयेगा और हम कुछ कस्टमर भी बना लेंगे...


मेयर:– गोल्ड का रेट फेडरल यूनिट तय करती है उसमे कम या ज्यादा नही कर सकते। हां लेकिन तुम 20 मेट्रिक टन का प्रॉफिट कैलिफोर्निया के नाम अनाउंस कर दो और 30 मैट्रिक टन का प्रॉफिट सीधा फेडरल यूनिट के नाम, फिर तो तुम हीरो हुये।


आर्यमणि:– ऐसी बात है क्या? फिर तो अभी से कर दिया।


मेयर:– बधाई हो। सही धंधा अच्छा चुना है। हां लेकिन कुछ और धंधा करते तो मैं भी तुम्हारे साथ अपना पैसा लगाता।


आर्यमणि:– और अब..


मेयर:– अब तो तुम मेरे खास दोस्त हो। परमिशन से लेकर लैंड और फैक्ट्री सेटअप सब मेरी कंपनी को टेंडर दे दो। 1 महीने में काम पूरा हो जायेगा।


आर्यमणि:– ठीक है पेपर भिजवा देना, मैं साइन कर दूंगा।


मेयर:– "ओह हां एक बात मैं बताना भूल ही गया। इस से पहले की तुम पेपर साइन करो मैं एक बात साफ कर दूं, मैं गोल्ड का धंधा सिर्फ इसलिए नहीं करता क्योंकि वह धंधा मेरा बाप करता है। यदि मैंने उसके धंधे में हाथ डाला फिर मैं और मेरा करियर दोनो नही रहेगा। एक तो वैसे ही बाहर से आये हो ऊपर से बड़े लोगों का धंधा कर रहे। कहीं कोई परेशानी होगी तो मैं बीच में नही आऊंगा उल्टा उन परेशान करने वालों में से मैं भी एक रहूंगा।"

"अपनी सारी टर्म्स डिस्कस हो चुकी है। रिस्क मैंने तुम्हे बता दिया। इसके बाद तुम आगे अपना सोच कर करना। यदि गोल्ड का बिजनेस नही करना तो हम कुछ और धंधे के बारे में डिस्कस कर सकते हैं जिसमे कोई रिस्क नहीं होगा।"


आर्यमणि:– वो धंधा ही क्या जो रिस्क लेकर न किया जाये। आप तो गोल्ड डिस्ट्रीब्यूशन का सारा प्रक्रिया कर के, गोल्ड ब्रिक फैक्ट्री की परमिशन ले लो।


मेयर हंसते हुये हाथ मिलाते... "लगता है कुछ बड़ा करने के इरादे से यहां पहुंचे हो।"..


आर्यमणि:– वो कारनामे ही क्या जो बड़ा ना हो। चलता हूं।
शानदार जबरदस्त भाई लाजवाब update bhai jann superree duperrere update
 

andyking302

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भाग:–68







धीरे धीरे करके एक छोटा सा आशियाना तैयार हो गया। सुबह ट्रेनिंग और तीनों टीन वूल्फ के झगड़ो की आवाज गूंजती। ड्राइविंग स्कूल में तीनों का एडमिशन भी हो गया और वहां के संचालक द्वार क्लीन चिट यानी की ड्राइविंग लाइसेंस मिलने पर तीनों के लिये अपनी-अपनी गाडियां।


इसी बीच इन तीनों के एडमिशन का भी टेस्ट हुआ। टेस्ट रिजल्ट देखकर प्रिंसिपल बोलने लगे, तीनों को हम ग्रेड 12th का टेस्ट लेंगे, इसके बाद बताएंगे। 12th ग्रेड का टेस्ट होने से पहले तीनों को हिदायत मिल गयी की पेपर के 3 सवाल छोड़ दे। फाइनली टेस्ट हुआ रिजल्ट आया और तीनों का 12th ग्रेड में एडमिशन। आर्यमणि के जेब से 3000 डॉलर निकल गये। 20 दिन बाद आकर क्लास शुरू करने को कह दिया गया। बाहर निकलकर पांचों हंसते हुए विलियम बाबा की जय कर रहे थे। लगभग एक रूटीन कि लाइफ, जिसमें सुबह की मजबूत ट्रेनिंग, उसके बाद कोई काम नहीं जिसे जहां जाना है जाओ घूमना है घूमो, फिर शाम को ओजल, इवान और अलबेली की ड्राइविंग स्कूल।


स्कूल का पहला दिन। अलबेली और ओजल ने जैसा सोचा था ठीक वैसा ही स्कूल कैंपस था। लड़के–लड़कियां घास पर लेटे बातें कर रहे है। कुछ लड़के सपोर्ट टीम के कपड़ों में घूम रहे थे। कैंपस में कई लव बर्डस भी घूम रहे थे, तो कुछ पढ़ाकू टाइप भी थे। ओजल और अलबेली को हंसी तब आ गयी जब कुछ लड़कियां अपने पैंटी का प्रदर्शन करती, केवल अपने पिछवाड़े को ढकने जितना छोटा मिनी–स्कर्ट पहन कर ग्रुप में फुदक रही थी। चीयर गिर्ल्स…


इवान की इन सब पर कोई प्रतिक्रिया नहीं थी, वो बस दोनो के साथ था। 3 टीन वुल्फ जिनकी देह दशा बिल्कुल अलग। लंबी कद-काठी के साथ-साथ शरीर की आकर्षक संरचना। चेहरे की बनावट और आकर्षण ऐसा की नजर भर देखने पर मजबूर कर दे। तीनों गये प्रिंसिपल ऑफिस और वहां से अपने-अपने क्लास का पता करके क्लास में। कुछ क्लास तीनों के साथ में थे, और 1–2 क्लास अलग–अलग। बीच में बहुत सारे खाली परियड्स।


वो कहते है ना सब कुछ फिल्मी हो जाये तो बात ही क्या थी फिर। लड़के और लड़कियों के ग्रुप द्वारा तंग करना, टांग खिंचना और कमेंट पास करने जैसा कुछ नहीं था। यहां के स्टूडेंट्स जो भी करते आपस के ग्रुप में ही करते और अपनी ही दुनिया में मस्त रहते, कौन आया कौन गया उनसे कोई मतलब नहीं। सब कुछ जैसे सामान्य रूप से चल रहा था। तीनों टीन वुल्फ को उनका काम मिल चुका था। एक आर्यमणि और रूही थे जिनके काम की कोई खबर नहीं थी। मेयर बात तो बड़ी–बड़ी कर रहा था, लेकिन एक महीना से ऊपर हो गया, न तो गोल्ड ब्रिक फैक्ट्री की परमिशन मिली थी और ना ही उसके फैक्ट्री का कोई काम आगे बढ़ा था। ऊपर से बेसमेंट में रखा सोना किसी सर दर्द से कम नहीं था।


रूही:– बॉस ये मेयर कहीं सिर्फ ग्रीन कार्ड दिलाने का 50 हजार यूएस डॉलर तो न ले लिया।


आर्यमणि:– 50 कहां कुल 70 हजार यूएसडी खर्च हुये हैं रूही।


रूही:– मैं जरा इस मेयर के घर की सिक्योरिटी ब्रिज को समझती हूं। आज रात विजिट मारते हैं।


आर्यमणि:– हम्मम… अच्छा प्लान है।


देर रात का वक्त मेयर अपने बेडरूम में सोया था। सुरक्षा के लिहाज से अति–सुरक्षित घर। आर्यमणि और रूही सभी सुरक्षा प्रणाली को भेदकर दबे पाऊं दोनो (आर्यमणि और रूही) मेयर के बेडरूम में पहुंच चुके थे। मेयर मस्त किसी खूबसूरत महिला के साथ सो रहा था। रूही ने उसे इंजेक्शन लगाया और आर्यमणि ने उसके गर्दन में पंजा। 5 मिनट के बाद दोनो सड़क पर थे।


रूही:– क्या हुआ बॉस, ऐसा क्या देख लिया जो मुस्कुराए जा रहे।


आर्यमणि:– मेयर की बीवी और बच्चे बाहर गये है। मेयर यहां मस्त अपने स्टाफ के साथ सोया था।


रूही, भद्दा सा मुंह बनाते... "मर्द हो न इसलिए दूसरे मर्द की चीटिंग पर ऐसे मुस्कुरा रहे हो"


आर्यमणि:– गलत समझ रही हो। मैं तो ये सोच रहा था की यदि मेयर की बीवी को इस बार का पता चल जाये तो..


रूही:– उसे कैसे पता चलेगा..


आर्यमणि, अपना फोन दिखाते... "शायद पता चल भी चुका हो।"


रूही, हंसती हुई... "बॉस शरारती आप भी कम नही। मियां बीवी के झगड़े में बेचारे बच्चे पीस जायेंगे।"


आर्यमणि:– वो तो वैसे भी पीसने वाले थे। मेयर अपनी बीवी को मरवाना चाहता है।


रूही:– क्या?


आर्यमणि:– हां सही सुना तुमने। मेयर एक बड़े झोल में फसा हुआ है। देश के एक नामचीन नेता से गलत डील कर लिया। उसे तकरीबन 50 मिलियन चुकाने है और उसकी बीवी उसे एक रुपया नही दे रही।


रूही:– उसका इतना बड़ा बिजनेस है, फिर अपनी बीवी से पैसे क्यों मांगेगा...


आर्यमणि:– क्योंकि पूरा बिजनेस इसकी बीवी का है। अपने बीवी के वजह से ही वह मेयर भी बना है। करप्शन से कुछ पैसे तो जोड़े है लेकिन 50 मिलियन से बहुत दूर है। पहले ये पूरे पैसे मुझसे ही लेता लेकिन गोल्ड डिस्ट्रीब्यूशन का लाइसेंस ये बनवा नही पाया। फेडरल में अर्जी डाली तो थी इसने, लेकिन अगले ही दिन इसके बाप लोग पहुंच गये और फॉर्म इसके मुंह पर मारकर इतना ही कहा कि… "ये धंधा उनका है। अगली बार फॉर्म के जगह बॉम्ब फोड़कर जायेगा।"


मेयर ने उसे मेरे साथ बहुत भिड़ाने की कोशिश किया लेकिन उसने एक ही बात कही.… "यदि ऐसा था तो तू उसे गोली मारकर फोन करता, न की इसका फॉर्म तेरे ऑफिस से आता। मैं उसे बिलकुल नहीं जानता लेकिन इतना जानता हूं कि तू मर गया तो वो क्या कोई दूसरा भी इस धंधे को शुरू करने का सोचकर जब तुझ जैसे के साथ मिले तो उसका काम न हो।"… अब उस बेचारे ने मेरा काम किया नही, इसलिए मुझसे 50 मिलियन कैसे निकलवाता।


रूही:– हलवा है क्या जो हम 50 मिलियन दे देते..


आर्यमणि:– बड़े आराम से। इधर हम प्रोजेक्ट के लिये अपना सफेद पैसा दिखाते उधर कोर्ट में तलाक की अर्जी लगती। कोर्ट जुर्माने में हमारी आधी संपत्ति हमारे पेपर वाले जीवन साथी को दे देती। वहीं से ये मेयर अपना पैसा रिकवर करने वाला था।


रूही:– साला बईमान, अच्छा किया बॉस... ठूकने दो चुतीये को। लेकिन बॉस अपने तो 50 हजार यूएसडी गये न।


आर्यमणि:– ऐसे कैसे चले गये... उसके दिमाग से बैंक डिटेल निकाल लिया हूं। 4 मिलियन यूएसडी का मामला है और तुम जानती हो की बिना फसे कैसे पैसे ट्रांसफर करने है।


रूही:– कैसे करना है मतलब... हम दोनो तो साथ में ही होंगे न...


आर्यमणि:– नही.. मैं वेगस जाऊंगा और तुम तीनो को लेकर यूएसए के बाहर किसी रिमोट लोकेशन से मेयर के पैसे उड़ाओगी।


रूही, आंखें फाड़कर आर्यमणि को घूरती.… "बॉस वेगास.. जिस्म और जूए का शौक कबसे"…


आर्यमणि:– ए पागल सोने की डील करने जा रहा हूं। मेयर के उस बाप से मिलने जिसने मेरा डिस्ट्रीब्यूशन प्लांट लगने नही दिया।


रूही:– हम्मम !! ठीक है वीकेंड पर निकलते है। और कोई काम...


आर्यमणि:– अभी घर पर आराम से चलते है। आज एक नजर अपने इन्वेस्टमेंट पर भी मार लेते है।


दोनो देर रात घर पहुंचे। तीनों टीन वुल्फ मस्त नींद में सोये हुये थे। आर्यमणि और रूही लैपटॉप लेकर बैठे और अपने शेयर मार्केट के पैसों पर नजर देने लगे। दोनो अपने पैसे का ग्राफ ऊपर बढ़ता देख खुशी से एक दूसरे को गले लगाते.… "वूहू.. बॉस कुल मिलाकर हम 20% से ग्रो कर गये।"


आर्यमणि:– एक साथ सारे पैसे निकाल लो..


रूही:– लेकिन क्यों बॉस... मात्र २ कंपनी ही तो लॉस में है। बाकी सभी तो अच्छे ग्रोथ में है।


आर्यमणि:– 16 दिसंबर है आज... 9 दिन है अभी क्रिसमस में। अब वक्त है कंपनी बदलने का। रिटेल मार्केट में अभी काफी उछाल देखने मिलेगा, इसलिए सारा पैसा वहां लगा दो। 24 नवंबर को हम सारा पैसा निकाल लेंगे। जहां तक मेरी कैलकुलेशन कहती है, हम अगले 7–8 दिन में 30% और प्रॉफिट बनायेंगे।


रूही:– मैं क्या सोच रही थी 120 मिलियन यूएसडी को यहीं लगे रहने देते हैं। 24 दिसंबर तक 10 से 15% तक का प्रॉफिट यहां से आ जायेगा। हम 150 मिलियन और मार्केट में इन्वेस्ट कर देते है।


आर्यमणि:– हां ये ज्यादा बेहतर विकल्प है। वैसे "अस्त्र लिमिटेड" के शेयर मार्केट में आये या नही..


रूही:– अभी नही...


आर्यमणि:– नजर बनाये रखना क्योंकि उसके एक भी शेयर किसी दूसरे को नहीं लेने दे सकते।


रूही:– ऐसा क्या खास है आपकी कंपनी में...


आर्यमणि:– तुम नही जानती... अगर आज 1 रुपया से उसका शेयर शुरू होगा तो 5 साल बाद उसका शेयर अपने पीक पर होगा जो अनुमानित 10 हजार होगा। यानी एक शेर की कीमत अपने पहले दिन से 10000 गुणा ज्यादा की कीमत। इतना प्रॉफिट हमे किसी और में नही मिलने वाला। ऊपर से एक साथ हम इतने पैसे लगायेंगे की अपनी कम्पनी की तरक्की में और चार चांद लग जायेगा।


रूही:– ठीक है बॉस उसे सेंसेक्स पर रजिस्टर तो हो जाने दो पहले...


आर्यमणि:– हां ठीक है... चलो गुड नाईट..


दोनो सोने चल दिये। वीकेंड पर काम निपटाना था इसलिए सभी शुक्रवार की रात ही निकले। एक ओर रूही टीन वुल्फ के साथ कनाडा में नियाग्रा फॉल और टोरंटो देखने निकली, वहीं आर्यमणि लास वेगास निकला। अल्फा पैक संडे तक कनाडा में मजे करके लौट आती जबकि आर्यमणि गया और काम खत्म करके लौटा।



अल्फा पैक कनाडा टूर पर

वुल्फ कभी अकेला नहीं रहता, उनका शिकार हो जाता है। हर वुल्फ पैक की तरह अल्फा पैक भी भली भांति ये बात समझती थी, इसलिए 2 की टीम में ये लोग निकले थे। रूही और ओजल एक साथ थी, क्योंकि अलबेली का बड़बोलापन देखकर रूही ने ओजल को एडॉप्ट किया था, वहीं इवान और अलबेली आर्यमणि के हिस्से में थे।


टोरंटो लैंड करने के बाद रूही अपना काम करने एकांत की ऐसी जगह ढूंढने लगी जहां उसे कोई ढूंढ न पाये। इधर इवान और अलबेली दोनो टोरंटो शहर घूमने निकल गये। हां लेकिन सभी 2 किलोमीटर के दायरे में ही थे ताकि आराम से एक दूसरे को संदेश दे सके। शहर का माहौल और क्रिसमस का ऐसा समय था कि चारो ओर कपल ही कपल घूम रहे थे। हर उम्र के कपल दिख रहे थे जिनकी मस्ती दोनो के मन में जिज्ञासा पैदा कर रही थी। इवान से रहा न गया और वो अलबेली को हसरत भरी नजरों से देखते.… "क्या तू मेरी गर्लफ्रंड बनेगी"..


अलबेली:– क्या बात है, आखिर तूने पूछ ही लिया। कमर में हाथ डालकर चल ना। यहां आकर मुझे भी बड़ी इच्छा हो रही थी कि अपने ब्वॉयफ्रेंड के साथ घूमती। बड़ी संकोच में थी कि तुझसे पूछूं कैसे?


इवान, अलबेली के कमर में हाथ डालकर उसे जोड़ से खींच लिया। अलबेली झटका खा कर इवान से बिलकुल चिपक गयी। दोनो एक दूसरे के में चिपके बदन को अनुभव कर रहे थे। दोनो की नजरें एक दूसरे से टकराने लगी। तन बदन में झुर–झुरी सी पैदा हो रही थी। दोनो एक दूसरे को देखते हुये मचल गये।


अलबेली अपनी नजर हटाकर सामने देखती... "अब ऐसे खड़े–खड़े देखता रहेगा या अपनी गर्लफ्रेंड को घुमायेगा भी। इवान जैसे चीड़ निद्रा से जाग रहा हो। गुमसुम सा हां–हूं में जवाब दिया और अलबेली को खुद से चिपकाये घूमने लगा। एक तो दोनो टीनएजर ऊपर से पहली बार किसी के बदन से एक कपल की तरह चिपके थे। ये उमंग और उन्माद ही अजीब था। बदन में सुरुसुरी मादक एहसास जैसे फैल रही हो।


दोनो शाम तक एक दूसरे के साथ घूमते रहे। हल्का अंधेरा था और चारो ओर जगमग रौशनी जलने लगी। दोनो एक दूसरे के बदन से चिपके रौशनी को देखने में खो से गये। तभी इवान, अलबेली को कमर के नीचे से पकड़कर ऊपर उठा लिया और गोल–गोल घुमाने लगा। अलबेली भी खिलखिला कर हंसती हुई अपने दोनो बांह फैलाकर हसने लगी। अलबेली की खिली हंसी जैसे उसके कान में मिश्री घोल रही थी। इवान गोल घुमाना बंद करके अलबेली को धीरे–धीरे नीचे उतरने लगा।


बदन से बदन को स्पर्श करते जब अलबेली धीमे–धीमे नीचे आ रही थी तब दोनो के मन में न जाने कितनी ही अद्भुत तरंगे एक साथ जन्म ले रही थी। जब अलबेली के वक्ष, इवान के सीने से टकराते धीमे से नीचे हुये दोनो के अंदर से आह्ह्ह् निकल गयी। दोनो एक इंच के फासले से एक दूसरे से नजरें मिला रहे थे। इवान के अंदर से जैसे अरमान जागे हो और वह तेजी से अलबेली के होंठ को अपने होटों से स्पर्श करता सीधा हो गया। अलबेली के की आंखें बड़ी और चेहरे पर हल्की हंसी फैल गयी। कुछ देर तक अलबेली भी मौन खड़ी होकर देखती रही और फिर.…


अलबेली अपनी एडियां ऊंची करती इवान के गले में हाथ डाल दी और होंठ से होंठ लगाकर चुम्बन देने लगी। इवान भी अलबेली को बाहों में भरकर उतने ही कसीस के साथ चुम्बन देने लगा। दोनो अपने पहले चुम्बन से इतने उत्तेजित हो गये की उनका क्ला बाहर निकल आया। क्ला जैसे ही बाहर आया अलबेली का क्ला इवान के गर्दन में घुसा और इवान का क्ला अलबेली के कमर के ऊपर। दोनो झटके के साथ अलग हुये और एक दूसरे को देखकर हंसने लगे।


इवान:– मैं बता नही सकता मैं कैसा महसूस कर रहा हूं। आज से पहले कभी इतना जिंदा होने का एहसास मुझे कभी नही हुआ।


अलबेली:– हिहिहिहिही.. मैं तो बता नही सकती अंदर से कैसा महसूस हो रहा है। साला ये क्ला बीच में आ गया वरना होंठ छोड़ने की मेरी इच्छा ही नहीं हो रही थी।


इवान:– भैया सही कहते थे हमे पहले नियंत्रण सीखना चाहिए।


अलबेली छोटा सा मुंह बनाते... "अब क्या चुम्मा का नियंत्रण सीखने तू भैया के पास जायेगा।


इवान:– तेरी तो... मसखरी करती है...


इवान अपनी बात कहने के साथ ही अलबेली पर झपटा लेकिन अलबेली भी उतनी ही तेज, झटक कर किनारे हुई और ठेंगा दिखाते.… "जा जा.. भैया से ही नियंत्रण सिख कर आ।"…


अलबेली आगे और इवान पीछे.. दोनो हंसते हुये भाग रहे थे। भागते हुये दोनो किसी अंधेरी सी जगह में पहुंच गये। अलबेली आगे दौड़ रही थी और अचानक से झटका खा कर पीछे गिरी। अलबेली की बेइंतहां दर्द भरी चीख निकल गयी। इवान और तेज दौड़ते अलबेली को संभाला। ऐसा लगा जैसे वह तेज करेंट का झटका खायी हो। उसके मुंह से झाग निकल रहा था। इवान अपने शर्ट से अलबेली का मुंह पोंछते इधर–उधर देखने लगा। उसके आंखों से आंसू बह रहे थे और इवान लगातार अलबेली को जगाने की कोशिश करने लगा।


तभी वहां इवान को कुछ लोग दिखने लगे। हाथों में बंदूक, बड़ी सी कुल्हाड़ी और तरह–तरह के हथियार लिये... "बच्चे किस जंगल से भागकर हमारे इलाके में आये हो"… कुछ शिकारी इवान की नजरो के सामने थे, और बेहोश पड़ी अलबेली, इवान की गोद में। इवान की आंखों में अंगार और दिमाग में खून दौड़ने लगा। अलबेली को नीचे रखते तेजी से दौड़ लगाया और वह भी झटका खा कर अलबेली के पास ही बेहोश हो गया।


एक शिकारी:– करेंट हटाओ और दोनो को साफ कर दो।


उसकी बात सुनकर जैसे ही किसी एक शिकारी ने अपना पहला कदम आगे बढ़ाया, अचानक ही कोई उसके पास से तेज गुजरा और उसे अपने साथ लेकर गायब। यह इतना तेजी में हुआ की केवल उस शिकारी की चीख ही सुनाई दी। दूसरे शिकारी चारो ओर देखने लगे। इतने में फिर एक तेज दौड़ और झपट्टा मारकर एक और शिकारी को भी ले गये।


शिकारी:– सब लोग फैल जाओ, यहां और भी मेहमान आये हुये हैं।


शिकारी अपना हथियार लेकर चारो ओर फैल गये। २ शिकारियों ने अलबेली और इवान को माउंटेन एश के गोले में फसाकर वहां से चल दिये। २ शिकारी जिनको झपट्टा मारकर सबके बीच से उड़ा के गये, वह कभी दाएं से चिल्लाता तो कभी बाएं से। आवाज कभी पास से आती तो कभी बहुत दूर से। सभी शिकारी अपना बैक अप बुलाने लगे। इसके पूर्व रूही और ओजल इसी लोकेशन पर कुछ घंटे पहले पहुंचे थे। उन्हे मेयर का बैंक अकाउंट एक्सेस करना था और इस लोकेशन से अच्छी जगह कहीं और नहीं थी, क्योंकि इसके आस पास आधे किलोमीटर के इलाके में कोई कैमरा नही लगा था।


रूही यहां पहुंची और सीधा 4 मिलियन बेनामी खाते में ट्रांसफर करने के बाद लैपटॉप को वहीं कही छिपा दी। रूही जब अपना काम कर रही थी तब ओजल चारो ओर का मुआयना करने लगी। वह समझ गयी की किसके इलाके में है। रूही को धीमे से ठूस्की देती हुई कहने लगी.… "निकलो यहां से, शिकारी का इलाका है।"


रूही को जैसे ही पता चला वह झटपट वहां से हटी। रूही और ओजल ने दोनो (इवान और अलबेली) को सचेत करने कई बार पुकारा भी लेकिन दोनों में से किसी का जवाब ही नहीं आया। हां घूमते–घूमते दोनो एक बार नजर जरूर आये लेकिन इवान और अलबेली को देखकर दोनो (रूही और ओजल) समझ चुके थे कि क्यों उनकी पुकार पर कोई जवाब नही आया।
Fabulous excellent outstanding performance update bhai jann superree
 

Froog

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यह कौन इतना खतरनाक बन्दा आ गया है जिसने आर्यमणी को चकर घिन्नी बना दिया कौन है यह दोस्त या दुश्मन
शानदार अपडेट
 

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Lazy villain
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Thankooo sooo much death King bro.... Abhi thoda slog time hai... Par yahan ka kuch waqt kaat lijiye... Fir kahani apne pace me najar aayegi... Lekin filhal usme abhi 15-20 update ka margin ho shayad... Uske baad fir top gear me honge jisme break shayad hi lagaya tha maine...

Khair itne badhiya vishleshan ke liye shukriya... Kabhi kabhi mai stabdh rah jata hun aur sochta hun ki kya main itna shandar review likh paunga... aap hi nahi balki SANJU ( V. R. ) Anubhavp14 Xabhi Naina 11 ster fan Lib am Leon (naya naam yad na koi phyco reader ho, Zoro x, Anky@123 many of people... Forgive me if I miss anyone name...

Baharhaal main to iss race me bhi nahi... Mere review to kuch alag hi hote hain aur comedy ke siwa kuch na hota hai usme :D..

Once again thanks a lot aur aise hi comment se thread ko raushan rakhe
Are Maine review hi nhi Diya iss story par abhi Tak iska malal hai mujhe ,lekin duty, padhai aur bacha hua time gf ko dene ke baad mere pass khudke liye time nhi mil pa rha hai।।।kitna siyappa machana tha idhar lekin Kya Kare😒😒।।।hay hay re majboori ye story aur usse duri mujhe pal pal tadpaye।।। Ab to kabhi kabhi tagata hai mujhe ki Mai silent reader ho gaya hu😒😒😒😒।।।
 

andyking302

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भाग:–69







अलबेली और इवान को फुर्सत से घूमने छोड़ दिया गया और ये दोनो भी अपना घूमने लगे। अभी कुछ देर पहले अलबेली और इवान का जब क्ला बाहर आया तब वह शिकारियों की नजरों में आ गये। आते भी क्यों न शिकारी के इलाके में ही रोमांस कर रहे थे। बिजली का तेज झटका लगते ही अलबेली, रूही को आवाज लगा चुकी थी। रूही ने जैसे ही वह आवाज सुनी फिर तो सब कुछ छोड़कर आवाज के पास पहुंची। रूही और ओजल ने दो शिकारी को गायब कर दिया। बौखलाए शिकारी चारो ओर फैल चुके थे।


इधर थोड़ी देर के बाद इवान और अलबेली को भी होश आ चुका था और शिकारियों की भनभनाहट सुनकर दोनो समझ चुके थे कि उनकी मदद आ चुकी है। इवान ने अलबेली की कलाई थाम ली और उसे हील करने लगा। अलबेली को जैसे राहत की श्वांस मिली हो। कुछ देर हील होने के बाद उसे जब होश आया तब वह इवान की हालत को अच्छे से समझ पायी। अलबेली बावरी की तरह इवान के पूरे मुंह को पोंछती, उसकी कलाई थामी और उसका दर्द लेने लगी। दोनो एक दूसरे की कलाई थाम, एक दूसरे का दर्द, एक दूसरे के आंखों में झांकते हुये ले रहे थे।… "ओ टोरंटो के लैला मजनू, मुझे सुन रहे हो।"…


अलबेली और इवान दोनो एक साथ.… "हां सुन रहे है।"..


ओजल:– वहां की पोजिशन बताओ..


इवान:– हमारे सामने माउंटेन एश का घेरा है। आस–पास भ्रमित करने वाली गंध है। शायद शिकारियों ने जाल फैलाया है।


अलबेली:– कुल 6 लोग यहां है। मैं उन सबकी भावना मेहसूस कर सकती हूं। उनकी धड़कन सुन सकती हूं। सभी हम पर ही निशाना लगाये है।


रूही:– अभी मजा चखाते है। ओजल शिकारियों को ही माउंटेन ऐश की लाइन पर फेंक दे। चल जल्दी कर...


रूही और अलबेली जो अपने साथ एक–एक शिकारी को लिये घूम रही थी। बड़ी ही तेजी के साथ वहां से गुजरी और दोनो शिकारी को दूर से ही माउंटेन ऐश की लाइन पर फेंक दी। जैसे ही २ शिकारी अलबेली और इवान के पास गिरे, माउंटेन ऐश की लाइन तहस नहस हो गयी।


जैसे ही 2 शिकारी वहां गिरे घात लगाये सारे शिकारी चौकन्ना और फिर तो अंधाधुन फायरिंग शुरू हो गयी। अंधेरे में शिकारियों को लगा वेयरवोल्फ ने माउंटेन ऐश की लाइन तोड़ने के लिये कुछ फेंका है। फ्रैक्शन सेकंड में ही अलबेली और इवान सारे खतरे को भांप चुके थे। उसने अपने साथ दोनो शिकारी को उठाया और वहां से भाग कर खुद को सुरक्षित किया। दोनो शिकारी कर्राहते हुये इवान और अलबेली को ही देख रहे थे।


इवान ने अलबेली को इशारा किया और दोनो शिकारियों का दर्द खींचने लगे.… "क्या देख रहे हो शिकारी। हमारी दुश्मनी तो चलती रहेगी लेकिन इस दुश्मनी में किसी की जान चली गयी तो बहुत बुरा होगा। रूही दीदी, ओजल क्या हम निकले। यहां सब साफ है।"..


रूही:– हां निकलो... हम भी इनके इलाके के बॉर्डर पर ही है।


इधर रूही ने हामी भरी और पूरा अल्फा पैक वहां से निकल गया। शिकारियों की नजरों में आने के बाद रूही वहां रुकना ठीक नही समझी इसलिए सबके साथ रविवार तक पूरा एंजॉय करने कनाडा के दूसरे शहर चली आयी।



आर्यमणि.. लॉस वेगस के सफर पर


शुक्रवार की रात आर्यमणि वेगस के लिये निकला। रात के करीब 9.30 बजे वह वेगस पहुंचा। एक बड़े से कैसिनो में घुसकर वहां वेटर को 100 डॉलर थमाते... "पार्केंसन कहां मिलेगा"..


वेटर, इशारा करते.… कोने से आखरी गेट के पीछे लेकिन वहां तुम जा नही सकते...


आर्यमणि वेटर को बिना जवाब दिये उधर चला गया। गेट के रास्ते पर खड़े अत्याधुनिक हथियार लिये बैल जैसे पहलवान गार्ड उसका रास्ता रोकते... "क्लब उधर है। यहां नही आ सकते।"


आर्यमणि:– पार्केंसन से कहो कैलिफोर्निया में गोल्ड ब्रिक की फैक्ट्री डालने वाला आर्यमणि आया है।


गार्ड ने आर्यमणि को वहीं खड़े रहने कहा और एक गार्ड अंदर घुसा। कुछ मिनट बाद वह दरवाजा खोलकर आर्यमणि को अंदर बुलाया... आर्यमणि जैसे ही अंदर गया दरवाजा बंद। एक बड़ा सा हॉल जिसके कोने–कोने पर सूट बूट में बॉडीगार्ड खड़े थे। दरवाजे के ठीक सामने एक बड़ा सा डेस्क था जिसके पीछे लगे एक आलीशान कुर्सी पर बैठकर पार्केंसन सिगार पी रहा था। सामने कुछ लोग बैठे थे जो आर्यमणि के अंदर आते ही बाहर चले गये।


पार्केंसन ने आर्यमणि को हाथ के इशारे से बुलाया। जैसे ही आर्यमणि उसके डेस्क के पास पहुंचा 2 लोगों ने उसे धर दबोचा और उसके चेहरे के बाएं हिस्से को डेस्क से चिपकाकर कनपट्टी पर बंदूक तान दिये। आर्यमणि बिना हिले–डुले आराम से डेस्क पर चेहरा टिकाये था। पार्केंसन, आर्यमणि के गाल पर थपथपाते... "बड़ी हिम्मत है तुझमें। मेयर ने तेरे बारे में बताया। मैने सोचा तू बच्चा है, धंधा करने की चाहत थी इसलिए तूने एक अच्छा धंधा चुन लिया, कोई बुराई नही थी इसमें। बस गलती मेयर से हुई जो तुझे अच्छे से समझाया नही। मुझे लगा मेयर को समझा दिया है तो वो तुझे समझा देगा लेकिन लगता नही की तू ठीक से समझा है। तुम सब जरा अच्छे से इसे समझाओ"


जैसे ही पार्केंसन ने मारने का ऑर्डर दिया 2 लोग हवा में उड़ते हुये जाकर दीवार से टकरा गये। आर्यमणि को गन प्वाइंट पर लिये दोनो गार्ड हवा में उड़ रहे थे। आर्यमणि ने दोनो को अपने एक–एक हाथ से दबोचकर ऐसे फेका जैसे 2 हल्के सब्जी के झोले को पीछे हवा में फेंकते है। आर्यमणि का यह एक्शन देखकर दूसरे बॉडीगार्ड हरकत में आ गये... इसी बीच आर्यमणि अपनी भारी आवाज से सबको पहचान करवाते.… "लगता है मैने ठीक से अपना परिचय नही करवाया वरना इतनी परेशानी नही होती। मुझे लगता है कुछ देर बैठकर बात करने के बाद हम किसी नतीजे पर पहुंच सकते हैं।"


आर्यमणि जबतक अपनी भारी आवाज में बात कर रहा था, पार्केंसन के बॉडीगार्ड उसे घेर चुके थे। पार्केंसन सबको रिलैक्स करते आर्यमणि को बैठने का इशारा किया... "देखो लड़के जब बात से काम हो जाये तो हम भी हथियार बीच में नही लाते। मुझे बताओ तुम इतनी दूर क्यों आये हो?"


आर्यमणि:– मुझे ब्रिक फैक्ट्री लगाने या सोने का डिस्ट्रीब्यूटर बनने में कोई दिलचस्पी नहीं..


पार्केंसन:– इंट्रेस्टिंग... आगे बताओ..


आर्यमणि:– मेरे पास कुछ गोल्ड है, और मैं किसी भी माफिया या नेता को उसमें एक जरा हिस्सा नही देना चाहता। जैसे तुम्हे अपने धंधे से प्यार है और किसी दूसरे को हिस्सा नही देना चाहते, ठीक वैसे ही।


पार्केंसन:– ओह तो ये बात है। अपने गोल्ड में से किसी को हिस्सा नही देना इसलिए तुमने गोल्ड डिस्ट्रीब्यूटर बनने का सोचा। लेकिन डिस्ट्रीब्यूटर ही क्यों.. क्या बहुत ज्यादा गोल्ड है?


आर्यमणि:– तुम्हारे सोच से भी ज्यादा...


पार्केंसन:– हम्मम... बताओ कैसे मदद करूं?


आर्यमणि:– कोई बीच का रास्ता निकालते है। मेरा काम निकलने तक ही मुझे गोल्ड से जुड़े कामों ने इंटरेस्ट है। और तुम तो जानते ही होगे की ब्लैक से व्हाइट करने में कितना मेहनत लगता है।


पार्केंसन:– बीच का रास्ता... ठीक है यदि 1 मेट्रिक टन तक गोल्ड हुआ तो तुम्हारे गोल्ड डिस्ट्रीब्यूशन प्राइस से 20% नीचे लूंगा। यदि 10 मेट्रिक टन तक हुआ तो 30% नीचे के प्राइस में। उस से ज्यादा है तो 10 मेट्रिक टन इस साल और फिर अगले साल...


आर्यमणि:– डील को लॉक करते है।


पार्केंसन:– कितना माल है..


आर्यमणि:– 5 मैट्रिक टन..


पार्केंसन, अपने एक आदमी को बुलाया सब कैलकुलेशन करने के बाद... "145 मिलियन (उस वक्त मजूदा रेट के हिसाब से) होते है। मेरा 30% काट कर तुम्हारे 101.5 मिलियन। माल कहां है उसकी लोकेशन बताओ। चेक करवाकर लोड होने के बाद पैसे ट्रांसफर कर देता हूं।"


आर्यमणि:– इतना सारा माल पीछे में कोई देखने गया। कहीं कोई चोरी हो गयी तो?


पार्केंसन:– उसकी चिंता तुम मत करो... तुम्हे चिंता इस बात की होनी चाहिए की कहीं तुम गलत हुये तो...


आर्यमणि उसकी बात सुनकर मुस्कुराने लगा। आर्यमणि अपने घर का सभी सिक्योरिटी ब्रिज हटाया। पार्केंसन के कुछ लोग बेसमेंट में घुसे। उन्होंने कुछ रिम उठाकर पहले सोने की गुणवत्ता चेक किया, फिर कुछ रिम का वजन लिया। सब कुछ सुनिश्चित होने के बाद जैसे ही अनलोगों ने कैलिफोर्निया से संदेश भेजा, वैसे ही यहां आर्यमणि के दिये अकाउंट में पैसे ट्रांसफर हो गये।


आर्यमणि जिज्ञासावश पार्केंसन से पूछ ही लिया.… "न कोई बारगेन, न ही पूछे की माल कहां से आया। न ही डील में कोई गलत मनसा। मुझे तो लगा था यहां मुझे बहुत टाइम लगने वाला है।"…


पार्केंसन:– "हाहहा... तुम्हारे सवाल में ही जवाब है। ज्यादा से ज्यादा मैं पूरा बैमानी कर लेता। तुम्हे मारने की कोशिश करता... इस से क्या हो जाता... इन सब में मेरे 1 घंटे लगते। तुम्हारे घर से माल चोरी करने और फिर उसे पुलिस से बचाने में दिमाग खपाना पड़ता सो अलग। 4–5 घंटे की माथापच्ची के बाद मैं 145 मिलियन कमा लेता। पर अभी..."

"आधे घंटे में एक नौजवान दोस्त बना लिया। 43.5 मिलियन की कमाई कर लिया और सबसे जरूरी चीज। अगली बार हम 5 मिनिट में फोन पर डील करेंगे और 10 मिलियन ही कमाई मानो उस डील से होगा। तो सोच लो बचे साढ़े 3 घंटे में मैं तुमसे कितना कमा लूंगा। फिगर 100 मिलियन से कहीं ज्यादा होगा।"


आर्यमणि:– बिजनेस में कमाल का डेडीकेशन है।


पार्केंसन उसे 8–10 कार्ड थमाते... "10 मिलियन + के प्रॉफिट का जो भी डील हो, सीधा मुझे कॉल करना वरना इन सब कार्ड में से किसी भी पार्क को फोन करके डील सेट कर लेना।


आर्यमणि:– ये आपके सभी स्टाफ का नाम पार्क ही है।


पार्केंसन:– हां... मैं भी एक पार्क ही हूं। किसी भी नंबर के पार्क (जैसे की पार्क–1, पार्क–2) को पुकारो, उसके गैर हाजरी में कोई न कोई आ ही जाता है। काम में काफी सहूलियत होती है। पार्क–2 आर्यमणि का ड्रिंक आज मेरी तरफ से। इसके होस्ट तुम हुये हमारे मेहमान को किसी बात की शिकायत नही होनी चाहिए।


आर्यमणि ने पार्केंसन को शुक्रिया कहा और वहां से सीधा एयरपोर्ट चला आया। रात 12.30 की फ्लाइट थी और आर्यमणि 2 बजे तक कैलिफोर्निया एयरपोर्ट के बाहर टैक्सी में था। घर लौटने के क्रम में उसके टैक्सी का टायर पंक्चर हो गया। टैक्सी वाले ने माफी मांग लिया और आगे कुछ और व्यवस्था देख लेने कह दिया।


घर पास में ही था आर्यमणि पद यात्रा करते हुये निकला। कुछ दूर आगे बढ़ा होगा की स्ट्रीट लाइट बुझने लगी। देखते ही देखते पूरी सड़क पर अंधेरा पसर गया। आर्यमणि को खतरे का आभास तो हो रहा था लेकिन आस पास किसी के होने के संकेत नही मिल रहे थे। आर्यमणि समझ चुका था की खतरा उसके पीछे पहुंच गयी है। वह तेज दौड़ लगाया और सीधा अपने कॉटेज के पीछे वाले जंगल में रुका।


जंगल में जब वह पहुंचा उसके कुछ देर बाद ही पत्तों की खर–खराहट की आवाज आने लगी। आर्यमणि किसी की मौजूदगी को मेहसूस तो नही कर सकता था लेकिन जिस प्रकार से पाऊं के नीचे पत्ते मसल रहे थे, उसे लग गया की कोई तो है।


आर्यमणि:– प्रहरी का नया तिलिस्मी योद्धा... अकेले ही मुझसे लड़ने चला आया।


तभी आर्यमणि के सामने एक टीनएजर लड़का खड़ा हो गया। आर्यमणि उसे बड़े ध्यान से देखते... "तुम तो अभी काफी छोटे हो, प्रहरी ने तुम्हे अकेले ही भेज दिया"..


लड़का:– हां ऐसा ही समझो। अब वहीं खड़े रहकर टाइम पास करोगे या लड़ना भी है...


आर्यमणि अपने जूते निकलकर, अपने अंगूठे को ही हल्का जमीन में धसा दिया। देखते ही देखते जमीन से जड़ों के रेशे निकलने लगे जो उस लड़के के पाऊं से लिपट गये। वह लड़का अपनी जगह से हिल भी नहीं सकता था। आर्यमणि उसे फिर एक बार चेतावनी देते... "लड़के अपनी पहचान बताओ। आखिर कौन सी प्रजाति के हो तुम लोग, जो खुद को अपेक्स सुपरनैचुरल कहते हो।"


लड़का, आर्यमणि की बात का कोई जवाब न देकर अपने कमर में लटके कई खंजरों में से एक खंजर को निकाला और काफी तेजी से आर्यमणि के ओर फेंका। आर्यमणि सामने से खतरे को आते देख बिजली की गति से खतरे के सामने से हटा। लेकिन जब आर्यमणि खड़ा हुआ, उसके कंधे से खून की धार बह रही थी। आर्यमणि काफी आश्चर्य में पड़ गया। आंख मूंदकर वह समझने की कोशिश करने लगा की अभी हुआ क्या? आर्यमणि के दिमाग में जैसे सब कुछ स्लो मोशन में चल रहा हो।


तभी उसे झटका सा लगा हो जैसे। उस लड़के ने एक खंजर के पीछे दूसरा खंजर इस तेजी से फेंका की उसके खतरा भांपने की सेंस तक धोखा खा गयी। और क्या सटीक गणना था। खतरा भांप कर बिजली की तरह हटने के क्रम में ही उसे दूसरा खंजर लग गया। आर्यमणि अपने कंधे से खंजर को निकालते... "ये खंजर मुझे मार नही सकती, लेकिन तू आज जरूर मारेगा।"


आर्यमणि अपनी बात कहते हुये तेज दौड़ लगा दिया। वह जब दौड़ रहा था, आस–पास के पत्ते किसी बवंडर में फंस कर उड़ने वाले पत्तों को तरह कई फिट ऊपर उठे। अपनी तेज दहाड़ के साथ आर्यमणि 10 फिट ऊंचा छलांग लगा चुका था और उसका मुक्का उस लड़के के सीने को फाड़कर बाहर निकलने के लिये तैयार। लेकिन ना जाने आज सीक्रेट प्रहरी के किस हथियार से पाला पड़ा था। आर्यमणि 10 फिट ऊंचा छलांग लगाकर अपने मुक्के से उसके सीने को निशाना बनाये था, लेकिन ऐसा लगा जैसे आर्यमणि ने किसी स्प्रिंग पर हमला किया हो। झट से उस लड़के ने अपने शरीर को आर्यमणि के हमले की जगह से ठीक पीछे किया, जबकि पाऊं उसके अपनी जगह पर जमे थे।


आर्यमणि ने शॉट मिस किया और वह हवा में ही उस लड़के से आगे बढ़ गया। वह लड़का भी आर्यमणि को जैसे कोई फुटबॉल समझ लिया हो... एक लात उठाया और पूरे स्टाइल से पेट पर ऐसे जमाया की आर्यमणि की 2 पसलियां टूट गयी और वह खुद काफी दूर एक पेड़ से जाकर टकराया। हमला इतना तेज और घातक था की आर्यमणि के आंखों के आगे अंधेरा छाने लगा।


आर्यमणि इतनी बुरी तरह टूटा था कि उसकी खुद की हीलिंग क्षमता ने जवाब दे दिया था। हाथ लगाकर जब वह खुद को हील करने लगा तब हाथों की नब्जों ने जैसे दर्द खींचने से मना कर दिया हो। वह लड़का अब भी अपनी जगह खड़ा था। आर्यमणि काफी धीमे ही सही लेकिन खुद को हील होता मेहसूस कर रहा था। जब थोड़ा होश आया तब यह भी ख्याल आया की वह लड़का तो जड़ों की रेशों से निकल चुका है।


आर्यमणि खुद में थोड़ा हिम्मत भरते, अपने क्ला को पसलियों के बीच घुसाया और 2 नाखूनों के बीच टूटी पसली को पकड़कर उसे सीधा करते उन पसलियों को हील करने की कोशिश किया। आर्यमणि के खुद की थोड़ी हीलिंग और उंगलियों से जी तोड़ हील करने का जज्बे ने आर्यमणि को राहत दिलवाया और उसकी पसली हील हो गयी l एक पसली हील होने के बाद दूसरी और फिर खुद को हील करना...


काफी वक्त लगा खुद को पूरा हील करने में लेकिन आर्यमणि पूर्ण रूप से तैयार था। इस बीच वह लड़का बिना कोई प्रतिक्रिया दिये अपनी जगह खड़ा रहा। आर्यमणि तेजी से उसके करीब पहुंचा और अपनी गति का प्रयोग करके, उस पर क्ला से हमला करने लगा। आर्यमणि हमला तो कर रहा था, किंतु पहले ही पंच से उसे पता चल गया की वह हवा में ही मरता रह जायेगा। क्या गजब की उसके बचने की क्षमता थी। किसी भीं गति और कितना ही नजदीक से आर्यमणि हमला करे, वह लड़का किसी स्प्रिंग की तरह लचीलापन दिखाते, किसी भी दिशा में झुक जाता और उतने ही तेजी से अपना मुक्का चला चुका होता।


नजारा अकल्पनीय था। आर्यमणि जितना तेज हो सकता था उतना तेज हमला करता और वह लड़का उस से भी तेज बचते हुये जवाबी हमला करता। तेजी के साथ लगातार पड़ते मुक्कों की आवाज चारो ओर गूंज रही थी। एक तो दम से मारा गया मुक्का उसमे भी बिजली की रफ्तार। आर्यमणि के जिस अंग पर मुक्का लगता वह हिस्सा 4 इंच तक धंस जाता। कुछ ही पल में आर्यमणि का पूरा बदन सूज चुका था। हांफते और बदहाली में वह पीछे हटा और खड़ा होकर अपने दर्द से उबरने की कोशिश करने लगा। शरीर में इतनी क्षति हुई थी कि अब वह हाथों से हील नही हो पा रहा था। आंख की रौशनी बिलकुल धुंधली हो गयी थी और दिमाग अब गहरी निद्रा में जाने के लिये तड़प रहा था। फिर भी आर्यमणि खुद को संभाले अपने नए दुश्मन को समझने की कोशिश कर रहा था, जो अपनी जगह से एक कदम भी इधर–उधर नही हुआ था।
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Ab ye nya दुश्मन कोण agya hey ab
 

Battu

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भाग:–69







अलबेली और इवान को फुर्सत से घूमने छोड़ दिया गया और ये दोनो भी अपना घूमने लगे। अभी कुछ देर पहले अलबेली और इवान का जब क्ला बाहर आया तब वह शिकारियों की नजरों में आ गये। आते भी क्यों न शिकारी के इलाके में ही रोमांस कर रहे थे। बिजली का तेज झटका लगते ही अलबेली, रूही को आवाज लगा चुकी थी। रूही ने जैसे ही वह आवाज सुनी फिर तो सब कुछ छोड़कर आवाज के पास पहुंची। रूही और ओजल ने दो शिकारी को गायब कर दिया। बौखलाए शिकारी चारो ओर फैल चुके थे।


इधर थोड़ी देर के बाद इवान और अलबेली को भी होश आ चुका था और शिकारियों की भनभनाहट सुनकर दोनो समझ चुके थे कि उनकी मदद आ चुकी है। इवान ने अलबेली की कलाई थाम ली और उसे हील करने लगा। अलबेली को जैसे राहत की श्वांस मिली हो। कुछ देर हील होने के बाद उसे जब होश आया तब वह इवान की हालत को अच्छे से समझ पायी। अलबेली बावरी की तरह इवान के पूरे मुंह को पोंछती, उसकी कलाई थामी और उसका दर्द लेने लगी। दोनो एक दूसरे की कलाई थाम, एक दूसरे का दर्द, एक दूसरे के आंखों में झांकते हुये ले रहे थे।… "ओ टोरंटो के लैला मजनू, मुझे सुन रहे हो।"…


अलबेली और इवान दोनो एक साथ.… "हां सुन रहे है।"..


ओजल:– वहां की पोजिशन बताओ..


इवान:– हमारे सामने माउंटेन एश का घेरा है। आस–पास भ्रमित करने वाली गंध है। शायद शिकारियों ने जाल फैलाया है।


अलबेली:– कुल 6 लोग यहां है। मैं उन सबकी भावना मेहसूस कर सकती हूं। उनकी धड़कन सुन सकती हूं। सभी हम पर ही निशाना लगाये है।


रूही:– अभी मजा चखाते है। ओजल शिकारियों को ही माउंटेन ऐश की लाइन पर फेंक दे। चल जल्दी कर...


रूही और अलबेली जो अपने साथ एक–एक शिकारी को लिये घूम रही थी। बड़ी ही तेजी के साथ वहां से गुजरी और दोनो शिकारी को दूर से ही माउंटेन ऐश की लाइन पर फेंक दी। जैसे ही २ शिकारी अलबेली और इवान के पास गिरे, माउंटेन ऐश की लाइन तहस नहस हो गयी।


जैसे ही 2 शिकारी वहां गिरे घात लगाये सारे शिकारी चौकन्ना और फिर तो अंधाधुन फायरिंग शुरू हो गयी। अंधेरे में शिकारियों को लगा वेयरवोल्फ ने माउंटेन ऐश की लाइन तोड़ने के लिये कुछ फेंका है। फ्रैक्शन सेकंड में ही अलबेली और इवान सारे खतरे को भांप चुके थे। उसने अपने साथ दोनो शिकारी को उठाया और वहां से भाग कर खुद को सुरक्षित किया। दोनो शिकारी कर्राहते हुये इवान और अलबेली को ही देख रहे थे।


इवान ने अलबेली को इशारा किया और दोनो शिकारियों का दर्द खींचने लगे.… "क्या देख रहे हो शिकारी। हमारी दुश्मनी तो चलती रहेगी लेकिन इस दुश्मनी में किसी की जान चली गयी तो बहुत बुरा होगा। रूही दीदी, ओजल क्या हम निकले। यहां सब साफ है।"..


रूही:– हां निकलो... हम भी इनके इलाके के बॉर्डर पर ही है।


इधर रूही ने हामी भरी और पूरा अल्फा पैक वहां से निकल गया। शिकारियों की नजरों में आने के बाद रूही वहां रुकना ठीक नही समझी इसलिए सबके साथ रविवार तक पूरा एंजॉय करने कनाडा के दूसरे शहर चली आयी।



आर्यमणि.. लॉस वेगस के सफर पर


शुक्रवार की रात आर्यमणि वेगस के लिये निकला। रात के करीब 9.30 बजे वह वेगस पहुंचा। एक बड़े से कैसिनो में घुसकर वहां वेटर को 100 डॉलर थमाते... "पार्केंसन कहां मिलेगा"..


वेटर, इशारा करते.… कोने से आखरी गेट के पीछे लेकिन वहां तुम जा नही सकते...


आर्यमणि वेटर को बिना जवाब दिये उधर चला गया। गेट के रास्ते पर खड़े अत्याधुनिक हथियार लिये बैल जैसे पहलवान गार्ड उसका रास्ता रोकते... "क्लब उधर है। यहां नही आ सकते।"


आर्यमणि:– पार्केंसन से कहो कैलिफोर्निया में गोल्ड ब्रिक की फैक्ट्री डालने वाला आर्यमणि आया है।


गार्ड ने आर्यमणि को वहीं खड़े रहने कहा और एक गार्ड अंदर घुसा। कुछ मिनट बाद वह दरवाजा खोलकर आर्यमणि को अंदर बुलाया... आर्यमणि जैसे ही अंदर गया दरवाजा बंद। एक बड़ा सा हॉल जिसके कोने–कोने पर सूट बूट में बॉडीगार्ड खड़े थे। दरवाजे के ठीक सामने एक बड़ा सा डेस्क था जिसके पीछे लगे एक आलीशान कुर्सी पर बैठकर पार्केंसन सिगार पी रहा था। सामने कुछ लोग बैठे थे जो आर्यमणि के अंदर आते ही बाहर चले गये।


पार्केंसन ने आर्यमणि को हाथ के इशारे से बुलाया। जैसे ही आर्यमणि उसके डेस्क के पास पहुंचा 2 लोगों ने उसे धर दबोचा और उसके चेहरे के बाएं हिस्से को डेस्क से चिपकाकर कनपट्टी पर बंदूक तान दिये। आर्यमणि बिना हिले–डुले आराम से डेस्क पर चेहरा टिकाये था। पार्केंसन, आर्यमणि के गाल पर थपथपाते... "बड़ी हिम्मत है तुझमें। मेयर ने तेरे बारे में बताया। मैने सोचा तू बच्चा है, धंधा करने की चाहत थी इसलिए तूने एक अच्छा धंधा चुन लिया, कोई बुराई नही थी इसमें। बस गलती मेयर से हुई जो तुझे अच्छे से समझाया नही। मुझे लगा मेयर को समझा दिया है तो वो तुझे समझा देगा लेकिन लगता नही की तू ठीक से समझा है। तुम सब जरा अच्छे से इसे समझाओ"


जैसे ही पार्केंसन ने मारने का ऑर्डर दिया 2 लोग हवा में उड़ते हुये जाकर दीवार से टकरा गये। आर्यमणि को गन प्वाइंट पर लिये दोनो गार्ड हवा में उड़ रहे थे। आर्यमणि ने दोनो को अपने एक–एक हाथ से दबोचकर ऐसे फेका जैसे 2 हल्के सब्जी के झोले को पीछे हवा में फेंकते है। आर्यमणि का यह एक्शन देखकर दूसरे बॉडीगार्ड हरकत में आ गये... इसी बीच आर्यमणि अपनी भारी आवाज से सबको पहचान करवाते.… "लगता है मैने ठीक से अपना परिचय नही करवाया वरना इतनी परेशानी नही होती। मुझे लगता है कुछ देर बैठकर बात करने के बाद हम किसी नतीजे पर पहुंच सकते हैं।"


आर्यमणि जबतक अपनी भारी आवाज में बात कर रहा था, पार्केंसन के बॉडीगार्ड उसे घेर चुके थे। पार्केंसन सबको रिलैक्स करते आर्यमणि को बैठने का इशारा किया... "देखो लड़के जब बात से काम हो जाये तो हम भी हथियार बीच में नही लाते। मुझे बताओ तुम इतनी दूर क्यों आये हो?"


आर्यमणि:– मुझे ब्रिक फैक्ट्री लगाने या सोने का डिस्ट्रीब्यूटर बनने में कोई दिलचस्पी नहीं..


पार्केंसन:– इंट्रेस्टिंग... आगे बताओ..


आर्यमणि:– मेरे पास कुछ गोल्ड है, और मैं किसी भी माफिया या नेता को उसमें एक जरा हिस्सा नही देना चाहता। जैसे तुम्हे अपने धंधे से प्यार है और किसी दूसरे को हिस्सा नही देना चाहते, ठीक वैसे ही।


पार्केंसन:– ओह तो ये बात है। अपने गोल्ड में से किसी को हिस्सा नही देना इसलिए तुमने गोल्ड डिस्ट्रीब्यूटर बनने का सोचा। लेकिन डिस्ट्रीब्यूटर ही क्यों.. क्या बहुत ज्यादा गोल्ड है?


आर्यमणि:– तुम्हारे सोच से भी ज्यादा...


पार्केंसन:– हम्मम... बताओ कैसे मदद करूं?


आर्यमणि:– कोई बीच का रास्ता निकालते है। मेरा काम निकलने तक ही मुझे गोल्ड से जुड़े कामों ने इंटरेस्ट है। और तुम तो जानते ही होगे की ब्लैक से व्हाइट करने में कितना मेहनत लगता है।


पार्केंसन:– बीच का रास्ता... ठीक है यदि 1 मेट्रिक टन तक गोल्ड हुआ तो तुम्हारे गोल्ड डिस्ट्रीब्यूशन प्राइस से 20% नीचे लूंगा। यदि 10 मेट्रिक टन तक हुआ तो 30% नीचे के प्राइस में। उस से ज्यादा है तो 10 मेट्रिक टन इस साल और फिर अगले साल...


आर्यमणि:– डील को लॉक करते है।


पार्केंसन:– कितना माल है..


आर्यमणि:– 5 मैट्रिक टन..


पार्केंसन, अपने एक आदमी को बुलाया सब कैलकुलेशन करने के बाद... "145 मिलियन (उस वक्त मजूदा रेट के हिसाब से) होते है। मेरा 30% काट कर तुम्हारे 101.5 मिलियन। माल कहां है उसकी लोकेशन बताओ। चेक करवाकर लोड होने के बाद पैसे ट्रांसफर कर देता हूं।"


आर्यमणि:– इतना सारा माल पीछे में कोई देखने गया। कहीं कोई चोरी हो गयी तो?


पार्केंसन:– उसकी चिंता तुम मत करो... तुम्हे चिंता इस बात की होनी चाहिए की कहीं तुम गलत हुये तो...


आर्यमणि उसकी बात सुनकर मुस्कुराने लगा। आर्यमणि अपने घर का सभी सिक्योरिटी ब्रिज हटाया। पार्केंसन के कुछ लोग बेसमेंट में घुसे। उन्होंने कुछ रिम उठाकर पहले सोने की गुणवत्ता चेक किया, फिर कुछ रिम का वजन लिया। सब कुछ सुनिश्चित होने के बाद जैसे ही अनलोगों ने कैलिफोर्निया से संदेश भेजा, वैसे ही यहां आर्यमणि के दिये अकाउंट में पैसे ट्रांसफर हो गये।


आर्यमणि जिज्ञासावश पार्केंसन से पूछ ही लिया.… "न कोई बारगेन, न ही पूछे की माल कहां से आया। न ही डील में कोई गलत मनसा। मुझे तो लगा था यहां मुझे बहुत टाइम लगने वाला है।"…


पार्केंसन:– "हाहहा... तुम्हारे सवाल में ही जवाब है। ज्यादा से ज्यादा मैं पूरा बैमानी कर लेता। तुम्हे मारने की कोशिश करता... इस से क्या हो जाता... इन सब में मेरे 1 घंटे लगते। तुम्हारे घर से माल चोरी करने और फिर उसे पुलिस से बचाने में दिमाग खपाना पड़ता सो अलग। 4–5 घंटे की माथापच्ची के बाद मैं 145 मिलियन कमा लेता। पर अभी..."

"आधे घंटे में एक नौजवान दोस्त बना लिया। 43.5 मिलियन की कमाई कर लिया और सबसे जरूरी चीज। अगली बार हम 5 मिनिट में फोन पर डील करेंगे और 10 मिलियन ही कमाई मानो उस डील से होगा। तो सोच लो बचे साढ़े 3 घंटे में मैं तुमसे कितना कमा लूंगा। फिगर 100 मिलियन से कहीं ज्यादा होगा।"


आर्यमणि:– बिजनेस में कमाल का डेडीकेशन है।


पार्केंसन उसे 8–10 कार्ड थमाते... "10 मिलियन + के प्रॉफिट का जो भी डील हो, सीधा मुझे कॉल करना वरना इन सब कार्ड में से किसी भी पार्क को फोन करके डील सेट कर लेना।


आर्यमणि:– ये आपके सभी स्टाफ का नाम पार्क ही है।


पार्केंसन:– हां... मैं भी एक पार्क ही हूं। किसी भी नंबर के पार्क (जैसे की पार्क–1, पार्क–2) को पुकारो, उसके गैर हाजरी में कोई न कोई आ ही जाता है। काम में काफी सहूलियत होती है। पार्क–2 आर्यमणि का ड्रिंक आज मेरी तरफ से। इसके होस्ट तुम हुये हमारे मेहमान को किसी बात की शिकायत नही होनी चाहिए।


आर्यमणि ने पार्केंसन को शुक्रिया कहा और वहां से सीधा एयरपोर्ट चला आया। रात 12.30 की फ्लाइट थी और आर्यमणि 2 बजे तक कैलिफोर्निया एयरपोर्ट के बाहर टैक्सी में था। घर लौटने के क्रम में उसके टैक्सी का टायर पंक्चर हो गया। टैक्सी वाले ने माफी मांग लिया और आगे कुछ और व्यवस्था देख लेने कह दिया।


घर पास में ही था आर्यमणि पद यात्रा करते हुये निकला। कुछ दूर आगे बढ़ा होगा की स्ट्रीट लाइट बुझने लगी। देखते ही देखते पूरी सड़क पर अंधेरा पसर गया। आर्यमणि को खतरे का आभास तो हो रहा था लेकिन आस पास किसी के होने के संकेत नही मिल रहे थे। आर्यमणि समझ चुका था की खतरा उसके पीछे पहुंच गयी है। वह तेज दौड़ लगाया और सीधा अपने कॉटेज के पीछे वाले जंगल में रुका।


जंगल में जब वह पहुंचा उसके कुछ देर बाद ही पत्तों की खर–खराहट की आवाज आने लगी। आर्यमणि किसी की मौजूदगी को मेहसूस तो नही कर सकता था लेकिन जिस प्रकार से पाऊं के नीचे पत्ते मसल रहे थे, उसे लग गया की कोई तो है।


आर्यमणि:– प्रहरी का नया तिलिस्मी योद्धा... अकेले ही मुझसे लड़ने चला आया।


तभी आर्यमणि के सामने एक टीनएजर लड़का खड़ा हो गया। आर्यमणि उसे बड़े ध्यान से देखते... "तुम तो अभी काफी छोटे हो, प्रहरी ने तुम्हे अकेले ही भेज दिया"..


लड़का:– हां ऐसा ही समझो। अब वहीं खड़े रहकर टाइम पास करोगे या लड़ना भी है...


आर्यमणि अपने जूते निकलकर, अपने अंगूठे को ही हल्का जमीन में धसा दिया। देखते ही देखते जमीन से जड़ों के रेशे निकलने लगे जो उस लड़के के पाऊं से लिपट गये। वह लड़का अपनी जगह से हिल भी नहीं सकता था। आर्यमणि उसे फिर एक बार चेतावनी देते... "लड़के अपनी पहचान बताओ। आखिर कौन सी प्रजाति के हो तुम लोग, जो खुद को अपेक्स सुपरनैचुरल कहते हो।"


लड़का, आर्यमणि की बात का कोई जवाब न देकर अपने कमर में लटके कई खंजरों में से एक खंजर को निकाला और काफी तेजी से आर्यमणि के ओर फेंका। आर्यमणि सामने से खतरे को आते देख बिजली की गति से खतरे के सामने से हटा। लेकिन जब आर्यमणि खड़ा हुआ, उसके कंधे से खून की धार बह रही थी। आर्यमणि काफी आश्चर्य में पड़ गया। आंख मूंदकर वह समझने की कोशिश करने लगा की अभी हुआ क्या? आर्यमणि के दिमाग में जैसे सब कुछ स्लो मोशन में चल रहा हो।


तभी उसे झटका सा लगा हो जैसे। उस लड़के ने एक खंजर के पीछे दूसरा खंजर इस तेजी से फेंका की उसके खतरा भांपने की सेंस तक धोखा खा गयी। और क्या सटीक गणना था। खतरा भांप कर बिजली की तरह हटने के क्रम में ही उसे दूसरा खंजर लग गया। आर्यमणि अपने कंधे से खंजर को निकालते... "ये खंजर मुझे मार नही सकती, लेकिन तू आज जरूर मारेगा।"


आर्यमणि अपनी बात कहते हुये तेज दौड़ लगा दिया। वह जब दौड़ रहा था, आस–पास के पत्ते किसी बवंडर में फंस कर उड़ने वाले पत्तों को तरह कई फिट ऊपर उठे। अपनी तेज दहाड़ के साथ आर्यमणि 10 फिट ऊंचा छलांग लगा चुका था और उसका मुक्का उस लड़के के सीने को फाड़कर बाहर निकलने के लिये तैयार। लेकिन ना जाने आज सीक्रेट प्रहरी के किस हथियार से पाला पड़ा था। आर्यमणि 10 फिट ऊंचा छलांग लगाकर अपने मुक्के से उसके सीने को निशाना बनाये था, लेकिन ऐसा लगा जैसे आर्यमणि ने किसी स्प्रिंग पर हमला किया हो। झट से उस लड़के ने अपने शरीर को आर्यमणि के हमले की जगह से ठीक पीछे किया, जबकि पाऊं उसके अपनी जगह पर जमे थे।


आर्यमणि ने शॉट मिस किया और वह हवा में ही उस लड़के से आगे बढ़ गया। वह लड़का भी आर्यमणि को जैसे कोई फुटबॉल समझ लिया हो... एक लात उठाया और पूरे स्टाइल से पेट पर ऐसे जमाया की आर्यमणि की 2 पसलियां टूट गयी और वह खुद काफी दूर एक पेड़ से जाकर टकराया। हमला इतना तेज और घातक था की आर्यमणि के आंखों के आगे अंधेरा छाने लगा।


आर्यमणि इतनी बुरी तरह टूटा था कि उसकी खुद की हीलिंग क्षमता ने जवाब दे दिया था। हाथ लगाकर जब वह खुद को हील करने लगा तब हाथों की नब्जों ने जैसे दर्द खींचने से मना कर दिया हो। वह लड़का अब भी अपनी जगह खड़ा था। आर्यमणि काफी धीमे ही सही लेकिन खुद को हील होता मेहसूस कर रहा था। जब थोड़ा होश आया तब यह भी ख्याल आया की वह लड़का तो जड़ों की रेशों से निकल चुका है।


आर्यमणि खुद में थोड़ा हिम्मत भरते, अपने क्ला को पसलियों के बीच घुसाया और 2 नाखूनों के बीच टूटी पसली को पकड़कर उसे सीधा करते उन पसलियों को हील करने की कोशिश किया। आर्यमणि के खुद की थोड़ी हीलिंग और उंगलियों से जी तोड़ हील करने का जज्बे ने आर्यमणि को राहत दिलवाया और उसकी पसली हील हो गयी l एक पसली हील होने के बाद दूसरी और फिर खुद को हील करना...


काफी वक्त लगा खुद को पूरा हील करने में लेकिन आर्यमणि पूर्ण रूप से तैयार था। इस बीच वह लड़का बिना कोई प्रतिक्रिया दिये अपनी जगह खड़ा रहा। आर्यमणि तेजी से उसके करीब पहुंचा और अपनी गति का प्रयोग करके, उस पर क्ला से हमला करने लगा। आर्यमणि हमला तो कर रहा था, किंतु पहले ही पंच से उसे पता चल गया की वह हवा में ही मरता रह जायेगा। क्या गजब की उसके बचने की क्षमता थी। किसी भीं गति और कितना ही नजदीक से आर्यमणि हमला करे, वह लड़का किसी स्प्रिंग की तरह लचीलापन दिखाते, किसी भी दिशा में झुक जाता और उतने ही तेजी से अपना मुक्का चला चुका होता।


नजारा अकल्पनीय था। आर्यमणि जितना तेज हो सकता था उतना तेज हमला करता और वह लड़का उस से भी तेज बचते हुये जवाबी हमला करता। तेजी के साथ लगातार पड़ते मुक्कों की आवाज चारो ओर गूंज रही थी। एक तो दम से मारा गया मुक्का उसमे भी बिजली की रफ्तार। आर्यमणि के जिस अंग पर मुक्का लगता वह हिस्सा 4 इंच तक धंस जाता। कुछ ही पल में आर्यमणि का पूरा बदन सूज चुका था। हांफते और बदहाली में वह पीछे हटा और खड़ा होकर अपने दर्द से उबरने की कोशिश करने लगा। शरीर में इतनी क्षति हुई थी कि अब वह हाथों से हील नही हो पा रहा था। आंख की रौशनी बिलकुल धुंधली हो गयी थी और दिमाग अब गहरी निद्रा में जाने के लिये तड़प रहा था। फिर भी आर्यमणि खुद को संभाले अपने नए दुश्मन को समझने की कोशिश कर रहा था, जो अपनी जगह से एक कदम भी इधर–उधर नही हुआ था।
वाह भाई क्या गज़ब के अप्डेट्स दिए है। एक तरफ रुही एंड टीम ने अपना काम खत्म कर शिकारियों को पटखनी दे कर बिना हिंसा करे जगह को छोड़ आगे बढ़ चले है, दूसरी तरफ हमारे कहानी के नायक श्री श्री 1008 बाबा आर्यमणि ने अपनी डील बहुत आराम से कम्पलीट करके घर का रुख किया जहां उन्हें अपनी वास्तविक स्तिथि का ज्ञान एक बच्चे से पिट कर हो रहा है। जहाँ आर्यमणि ने थर्ड लाइन प्रहरी के 8 बंदों को आराम से निपटा दिया था उसकी तुलना में यह उसे नाको चने चबाने पढ़ रहे है। अपेक्स सुपरनेचुरल क्या बला होती है यह आज हमारे बाबा आर्यमणि को समझ मे आ रहा है। यहाँ आर्यमणि एक दम बेबस बच्चा बना हुआ है और उसके शरीर का एक एक पुर्जा हिला हुआ है तो आगे वो बड़े बड़े खतरों से कैसे लड़ेगा यह उसको अब सोचना पड़ेगा और उसके लिए इसे तैयारी भी करनी पड़ेगी जिसमे मेरे खयाल से बाबा शिवम सेही उसको कुछ सहायता मिल सकती है। वैसे अगले अपडेट में देखना बनता है कि इस बवाल से आर्यमणि कैसे निपटेगा।
 

arish8299

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भाग:–69







अलबेली और इवान को फुर्सत से घूमने छोड़ दिया गया और ये दोनो भी अपना घूमने लगे। अभी कुछ देर पहले अलबेली और इवान का जब क्ला बाहर आया तब वह शिकारियों की नजरों में आ गये। आते भी क्यों न शिकारी के इलाके में ही रोमांस कर रहे थे। बिजली का तेज झटका लगते ही अलबेली, रूही को आवाज लगा चुकी थी। रूही ने जैसे ही वह आवाज सुनी फिर तो सब कुछ छोड़कर आवाज के पास पहुंची। रूही और ओजल ने दो शिकारी को गायब कर दिया। बौखलाए शिकारी चारो ओर फैल चुके थे।


इधर थोड़ी देर के बाद इवान और अलबेली को भी होश आ चुका था और शिकारियों की भनभनाहट सुनकर दोनो समझ चुके थे कि उनकी मदद आ चुकी है। इवान ने अलबेली की कलाई थाम ली और उसे हील करने लगा। अलबेली को जैसे राहत की श्वांस मिली हो। कुछ देर हील होने के बाद उसे जब होश आया तब वह इवान की हालत को अच्छे से समझ पायी। अलबेली बावरी की तरह इवान के पूरे मुंह को पोंछती, उसकी कलाई थामी और उसका दर्द लेने लगी। दोनो एक दूसरे की कलाई थाम, एक दूसरे का दर्द, एक दूसरे के आंखों में झांकते हुये ले रहे थे।… "ओ टोरंटो के लैला मजनू, मुझे सुन रहे हो।"…


अलबेली और इवान दोनो एक साथ.… "हां सुन रहे है।"..


ओजल:– वहां की पोजिशन बताओ..


इवान:– हमारे सामने माउंटेन एश का घेरा है। आस–पास भ्रमित करने वाली गंध है। शायद शिकारियों ने जाल फैलाया है।


अलबेली:– कुल 6 लोग यहां है। मैं उन सबकी भावना मेहसूस कर सकती हूं। उनकी धड़कन सुन सकती हूं। सभी हम पर ही निशाना लगाये है।


रूही:– अभी मजा चखाते है। ओजल शिकारियों को ही माउंटेन ऐश की लाइन पर फेंक दे। चल जल्दी कर...


रूही और अलबेली जो अपने साथ एक–एक शिकारी को लिये घूम रही थी। बड़ी ही तेजी के साथ वहां से गुजरी और दोनो शिकारी को दूर से ही माउंटेन ऐश की लाइन पर फेंक दी। जैसे ही २ शिकारी अलबेली और इवान के पास गिरे, माउंटेन ऐश की लाइन तहस नहस हो गयी।


जैसे ही 2 शिकारी वहां गिरे घात लगाये सारे शिकारी चौकन्ना और फिर तो अंधाधुन फायरिंग शुरू हो गयी। अंधेरे में शिकारियों को लगा वेयरवोल्फ ने माउंटेन ऐश की लाइन तोड़ने के लिये कुछ फेंका है। फ्रैक्शन सेकंड में ही अलबेली और इवान सारे खतरे को भांप चुके थे। उसने अपने साथ दोनो शिकारी को उठाया और वहां से भाग कर खुद को सुरक्षित किया। दोनो शिकारी कर्राहते हुये इवान और अलबेली को ही देख रहे थे।


इवान ने अलबेली को इशारा किया और दोनो शिकारियों का दर्द खींचने लगे.… "क्या देख रहे हो शिकारी। हमारी दुश्मनी तो चलती रहेगी लेकिन इस दुश्मनी में किसी की जान चली गयी तो बहुत बुरा होगा। रूही दीदी, ओजल क्या हम निकले। यहां सब साफ है।"..


रूही:– हां निकलो... हम भी इनके इलाके के बॉर्डर पर ही है।


इधर रूही ने हामी भरी और पूरा अल्फा पैक वहां से निकल गया। शिकारियों की नजरों में आने के बाद रूही वहां रुकना ठीक नही समझी इसलिए सबके साथ रविवार तक पूरा एंजॉय करने कनाडा के दूसरे शहर चली आयी।



आर्यमणि.. लॉस वेगस के सफर पर


शुक्रवार की रात आर्यमणि वेगस के लिये निकला। रात के करीब 9.30 बजे वह वेगस पहुंचा। एक बड़े से कैसिनो में घुसकर वहां वेटर को 100 डॉलर थमाते... "पार्केंसन कहां मिलेगा"..


वेटर, इशारा करते.… कोने से आखरी गेट के पीछे लेकिन वहां तुम जा नही सकते...


आर्यमणि वेटर को बिना जवाब दिये उधर चला गया। गेट के रास्ते पर खड़े अत्याधुनिक हथियार लिये बैल जैसे पहलवान गार्ड उसका रास्ता रोकते... "क्लब उधर है। यहां नही आ सकते।"


आर्यमणि:– पार्केंसन से कहो कैलिफोर्निया में गोल्ड ब्रिक की फैक्ट्री डालने वाला आर्यमणि आया है।


गार्ड ने आर्यमणि को वहीं खड़े रहने कहा और एक गार्ड अंदर घुसा। कुछ मिनट बाद वह दरवाजा खोलकर आर्यमणि को अंदर बुलाया... आर्यमणि जैसे ही अंदर गया दरवाजा बंद। एक बड़ा सा हॉल जिसके कोने–कोने पर सूट बूट में बॉडीगार्ड खड़े थे। दरवाजे के ठीक सामने एक बड़ा सा डेस्क था जिसके पीछे लगे एक आलीशान कुर्सी पर बैठकर पार्केंसन सिगार पी रहा था। सामने कुछ लोग बैठे थे जो आर्यमणि के अंदर आते ही बाहर चले गये।


पार्केंसन ने आर्यमणि को हाथ के इशारे से बुलाया। जैसे ही आर्यमणि उसके डेस्क के पास पहुंचा 2 लोगों ने उसे धर दबोचा और उसके चेहरे के बाएं हिस्से को डेस्क से चिपकाकर कनपट्टी पर बंदूक तान दिये। आर्यमणि बिना हिले–डुले आराम से डेस्क पर चेहरा टिकाये था। पार्केंसन, आर्यमणि के गाल पर थपथपाते... "बड़ी हिम्मत है तुझमें। मेयर ने तेरे बारे में बताया। मैने सोचा तू बच्चा है, धंधा करने की चाहत थी इसलिए तूने एक अच्छा धंधा चुन लिया, कोई बुराई नही थी इसमें। बस गलती मेयर से हुई जो तुझे अच्छे से समझाया नही। मुझे लगा मेयर को समझा दिया है तो वो तुझे समझा देगा लेकिन लगता नही की तू ठीक से समझा है। तुम सब जरा अच्छे से इसे समझाओ"


जैसे ही पार्केंसन ने मारने का ऑर्डर दिया 2 लोग हवा में उड़ते हुये जाकर दीवार से टकरा गये। आर्यमणि को गन प्वाइंट पर लिये दोनो गार्ड हवा में उड़ रहे थे। आर्यमणि ने दोनो को अपने एक–एक हाथ से दबोचकर ऐसे फेका जैसे 2 हल्के सब्जी के झोले को पीछे हवा में फेंकते है। आर्यमणि का यह एक्शन देखकर दूसरे बॉडीगार्ड हरकत में आ गये... इसी बीच आर्यमणि अपनी भारी आवाज से सबको पहचान करवाते.… "लगता है मैने ठीक से अपना परिचय नही करवाया वरना इतनी परेशानी नही होती। मुझे लगता है कुछ देर बैठकर बात करने के बाद हम किसी नतीजे पर पहुंच सकते हैं।"


आर्यमणि जबतक अपनी भारी आवाज में बात कर रहा था, पार्केंसन के बॉडीगार्ड उसे घेर चुके थे। पार्केंसन सबको रिलैक्स करते आर्यमणि को बैठने का इशारा किया... "देखो लड़के जब बात से काम हो जाये तो हम भी हथियार बीच में नही लाते। मुझे बताओ तुम इतनी दूर क्यों आये हो?"


आर्यमणि:– मुझे ब्रिक फैक्ट्री लगाने या सोने का डिस्ट्रीब्यूटर बनने में कोई दिलचस्पी नहीं..


पार्केंसन:– इंट्रेस्टिंग... आगे बताओ..


आर्यमणि:– मेरे पास कुछ गोल्ड है, और मैं किसी भी माफिया या नेता को उसमें एक जरा हिस्सा नही देना चाहता। जैसे तुम्हे अपने धंधे से प्यार है और किसी दूसरे को हिस्सा नही देना चाहते, ठीक वैसे ही।


पार्केंसन:– ओह तो ये बात है। अपने गोल्ड में से किसी को हिस्सा नही देना इसलिए तुमने गोल्ड डिस्ट्रीब्यूटर बनने का सोचा। लेकिन डिस्ट्रीब्यूटर ही क्यों.. क्या बहुत ज्यादा गोल्ड है?


आर्यमणि:– तुम्हारे सोच से भी ज्यादा...


पार्केंसन:– हम्मम... बताओ कैसे मदद करूं?


आर्यमणि:– कोई बीच का रास्ता निकालते है। मेरा काम निकलने तक ही मुझे गोल्ड से जुड़े कामों ने इंटरेस्ट है। और तुम तो जानते ही होगे की ब्लैक से व्हाइट करने में कितना मेहनत लगता है।


पार्केंसन:– बीच का रास्ता... ठीक है यदि 1 मेट्रिक टन तक गोल्ड हुआ तो तुम्हारे गोल्ड डिस्ट्रीब्यूशन प्राइस से 20% नीचे लूंगा। यदि 10 मेट्रिक टन तक हुआ तो 30% नीचे के प्राइस में। उस से ज्यादा है तो 10 मेट्रिक टन इस साल और फिर अगले साल...


आर्यमणि:– डील को लॉक करते है।


पार्केंसन:– कितना माल है..


आर्यमणि:– 5 मैट्रिक टन..


पार्केंसन, अपने एक आदमी को बुलाया सब कैलकुलेशन करने के बाद... "145 मिलियन (उस वक्त मजूदा रेट के हिसाब से) होते है। मेरा 30% काट कर तुम्हारे 101.5 मिलियन। माल कहां है उसकी लोकेशन बताओ। चेक करवाकर लोड होने के बाद पैसे ट्रांसफर कर देता हूं।"


आर्यमणि:– इतना सारा माल पीछे में कोई देखने गया। कहीं कोई चोरी हो गयी तो?


पार्केंसन:– उसकी चिंता तुम मत करो... तुम्हे चिंता इस बात की होनी चाहिए की कहीं तुम गलत हुये तो...


आर्यमणि उसकी बात सुनकर मुस्कुराने लगा। आर्यमणि अपने घर का सभी सिक्योरिटी ब्रिज हटाया। पार्केंसन के कुछ लोग बेसमेंट में घुसे। उन्होंने कुछ रिम उठाकर पहले सोने की गुणवत्ता चेक किया, फिर कुछ रिम का वजन लिया। सब कुछ सुनिश्चित होने के बाद जैसे ही अनलोगों ने कैलिफोर्निया से संदेश भेजा, वैसे ही यहां आर्यमणि के दिये अकाउंट में पैसे ट्रांसफर हो गये।


आर्यमणि जिज्ञासावश पार्केंसन से पूछ ही लिया.… "न कोई बारगेन, न ही पूछे की माल कहां से आया। न ही डील में कोई गलत मनसा। मुझे तो लगा था यहां मुझे बहुत टाइम लगने वाला है।"…


पार्केंसन:– "हाहहा... तुम्हारे सवाल में ही जवाब है। ज्यादा से ज्यादा मैं पूरा बैमानी कर लेता। तुम्हे मारने की कोशिश करता... इस से क्या हो जाता... इन सब में मेरे 1 घंटे लगते। तुम्हारे घर से माल चोरी करने और फिर उसे पुलिस से बचाने में दिमाग खपाना पड़ता सो अलग। 4–5 घंटे की माथापच्ची के बाद मैं 145 मिलियन कमा लेता। पर अभी..."

"आधे घंटे में एक नौजवान दोस्त बना लिया। 43.5 मिलियन की कमाई कर लिया और सबसे जरूरी चीज। अगली बार हम 5 मिनिट में फोन पर डील करेंगे और 10 मिलियन ही कमाई मानो उस डील से होगा। तो सोच लो बचे साढ़े 3 घंटे में मैं तुमसे कितना कमा लूंगा। फिगर 100 मिलियन से कहीं ज्यादा होगा।"


आर्यमणि:– बिजनेस में कमाल का डेडीकेशन है।


पार्केंसन उसे 8–10 कार्ड थमाते... "10 मिलियन + के प्रॉफिट का जो भी डील हो, सीधा मुझे कॉल करना वरना इन सब कार्ड में से किसी भी पार्क को फोन करके डील सेट कर लेना।


आर्यमणि:– ये आपके सभी स्टाफ का नाम पार्क ही है।


पार्केंसन:– हां... मैं भी एक पार्क ही हूं। किसी भी नंबर के पार्क (जैसे की पार्क–1, पार्क–2) को पुकारो, उसके गैर हाजरी में कोई न कोई आ ही जाता है। काम में काफी सहूलियत होती है। पार्क–2 आर्यमणि का ड्रिंक आज मेरी तरफ से। इसके होस्ट तुम हुये हमारे मेहमान को किसी बात की शिकायत नही होनी चाहिए।


आर्यमणि ने पार्केंसन को शुक्रिया कहा और वहां से सीधा एयरपोर्ट चला आया। रात 12.30 की फ्लाइट थी और आर्यमणि 2 बजे तक कैलिफोर्निया एयरपोर्ट के बाहर टैक्सी में था। घर लौटने के क्रम में उसके टैक्सी का टायर पंक्चर हो गया। टैक्सी वाले ने माफी मांग लिया और आगे कुछ और व्यवस्था देख लेने कह दिया।


घर पास में ही था आर्यमणि पद यात्रा करते हुये निकला। कुछ दूर आगे बढ़ा होगा की स्ट्रीट लाइट बुझने लगी। देखते ही देखते पूरी सड़क पर अंधेरा पसर गया। आर्यमणि को खतरे का आभास तो हो रहा था लेकिन आस पास किसी के होने के संकेत नही मिल रहे थे। आर्यमणि समझ चुका था की खतरा उसके पीछे पहुंच गयी है। वह तेज दौड़ लगाया और सीधा अपने कॉटेज के पीछे वाले जंगल में रुका।


जंगल में जब वह पहुंचा उसके कुछ देर बाद ही पत्तों की खर–खराहट की आवाज आने लगी। आर्यमणि किसी की मौजूदगी को मेहसूस तो नही कर सकता था लेकिन जिस प्रकार से पाऊं के नीचे पत्ते मसल रहे थे, उसे लग गया की कोई तो है।


आर्यमणि:– प्रहरी का नया तिलिस्मी योद्धा... अकेले ही मुझसे लड़ने चला आया।


तभी आर्यमणि के सामने एक टीनएजर लड़का खड़ा हो गया। आर्यमणि उसे बड़े ध्यान से देखते... "तुम तो अभी काफी छोटे हो, प्रहरी ने तुम्हे अकेले ही भेज दिया"..


लड़का:– हां ऐसा ही समझो। अब वहीं खड़े रहकर टाइम पास करोगे या लड़ना भी है...


आर्यमणि अपने जूते निकलकर, अपने अंगूठे को ही हल्का जमीन में धसा दिया। देखते ही देखते जमीन से जड़ों के रेशे निकलने लगे जो उस लड़के के पाऊं से लिपट गये। वह लड़का अपनी जगह से हिल भी नहीं सकता था। आर्यमणि उसे फिर एक बार चेतावनी देते... "लड़के अपनी पहचान बताओ। आखिर कौन सी प्रजाति के हो तुम लोग, जो खुद को अपेक्स सुपरनैचुरल कहते हो।"


लड़का, आर्यमणि की बात का कोई जवाब न देकर अपने कमर में लटके कई खंजरों में से एक खंजर को निकाला और काफी तेजी से आर्यमणि के ओर फेंका। आर्यमणि सामने से खतरे को आते देख बिजली की गति से खतरे के सामने से हटा। लेकिन जब आर्यमणि खड़ा हुआ, उसके कंधे से खून की धार बह रही थी। आर्यमणि काफी आश्चर्य में पड़ गया। आंख मूंदकर वह समझने की कोशिश करने लगा की अभी हुआ क्या? आर्यमणि के दिमाग में जैसे सब कुछ स्लो मोशन में चल रहा हो।


तभी उसे झटका सा लगा हो जैसे। उस लड़के ने एक खंजर के पीछे दूसरा खंजर इस तेजी से फेंका की उसके खतरा भांपने की सेंस तक धोखा खा गयी। और क्या सटीक गणना था। खतरा भांप कर बिजली की तरह हटने के क्रम में ही उसे दूसरा खंजर लग गया। आर्यमणि अपने कंधे से खंजर को निकालते... "ये खंजर मुझे मार नही सकती, लेकिन तू आज जरूर मारेगा।"


आर्यमणि अपनी बात कहते हुये तेज दौड़ लगा दिया। वह जब दौड़ रहा था, आस–पास के पत्ते किसी बवंडर में फंस कर उड़ने वाले पत्तों को तरह कई फिट ऊपर उठे। अपनी तेज दहाड़ के साथ आर्यमणि 10 फिट ऊंचा छलांग लगा चुका था और उसका मुक्का उस लड़के के सीने को फाड़कर बाहर निकलने के लिये तैयार। लेकिन ना जाने आज सीक्रेट प्रहरी के किस हथियार से पाला पड़ा था। आर्यमणि 10 फिट ऊंचा छलांग लगाकर अपने मुक्के से उसके सीने को निशाना बनाये था, लेकिन ऐसा लगा जैसे आर्यमणि ने किसी स्प्रिंग पर हमला किया हो। झट से उस लड़के ने अपने शरीर को आर्यमणि के हमले की जगह से ठीक पीछे किया, जबकि पाऊं उसके अपनी जगह पर जमे थे।


आर्यमणि ने शॉट मिस किया और वह हवा में ही उस लड़के से आगे बढ़ गया। वह लड़का भी आर्यमणि को जैसे कोई फुटबॉल समझ लिया हो... एक लात उठाया और पूरे स्टाइल से पेट पर ऐसे जमाया की आर्यमणि की 2 पसलियां टूट गयी और वह खुद काफी दूर एक पेड़ से जाकर टकराया। हमला इतना तेज और घातक था की आर्यमणि के आंखों के आगे अंधेरा छाने लगा।


आर्यमणि इतनी बुरी तरह टूटा था कि उसकी खुद की हीलिंग क्षमता ने जवाब दे दिया था। हाथ लगाकर जब वह खुद को हील करने लगा तब हाथों की नब्जों ने जैसे दर्द खींचने से मना कर दिया हो। वह लड़का अब भी अपनी जगह खड़ा था। आर्यमणि काफी धीमे ही सही लेकिन खुद को हील होता मेहसूस कर रहा था। जब थोड़ा होश आया तब यह भी ख्याल आया की वह लड़का तो जड़ों की रेशों से निकल चुका है।


आर्यमणि खुद में थोड़ा हिम्मत भरते, अपने क्ला को पसलियों के बीच घुसाया और 2 नाखूनों के बीच टूटी पसली को पकड़कर उसे सीधा करते उन पसलियों को हील करने की कोशिश किया। आर्यमणि के खुद की थोड़ी हीलिंग और उंगलियों से जी तोड़ हील करने का जज्बे ने आर्यमणि को राहत दिलवाया और उसकी पसली हील हो गयी l एक पसली हील होने के बाद दूसरी और फिर खुद को हील करना...


काफी वक्त लगा खुद को पूरा हील करने में लेकिन आर्यमणि पूर्ण रूप से तैयार था। इस बीच वह लड़का बिना कोई प्रतिक्रिया दिये अपनी जगह खड़ा रहा। आर्यमणि तेजी से उसके करीब पहुंचा और अपनी गति का प्रयोग करके, उस पर क्ला से हमला करने लगा। आर्यमणि हमला तो कर रहा था, किंतु पहले ही पंच से उसे पता चल गया की वह हवा में ही मरता रह जायेगा। क्या गजब की उसके बचने की क्षमता थी। किसी भीं गति और कितना ही नजदीक से आर्यमणि हमला करे, वह लड़का किसी स्प्रिंग की तरह लचीलापन दिखाते, किसी भी दिशा में झुक जाता और उतने ही तेजी से अपना मुक्का चला चुका होता।


नजारा अकल्पनीय था। आर्यमणि जितना तेज हो सकता था उतना तेज हमला करता और वह लड़का उस से भी तेज बचते हुये जवाबी हमला करता। तेजी के साथ लगातार पड़ते मुक्कों की आवाज चारो ओर गूंज रही थी। एक तो दम से मारा गया मुक्का उसमे भी बिजली की रफ्तार। आर्यमणि के जिस अंग पर मुक्का लगता वह हिस्सा 4 इंच तक धंस जाता। कुछ ही पल में आर्यमणि का पूरा बदन सूज चुका था। हांफते और बदहाली में वह पीछे हटा और खड़ा होकर अपने दर्द से उबरने की कोशिश करने लगा। शरीर में इतनी क्षति हुई थी कि अब वह हाथों से हील नही हो पा रहा था। आंख की रौशनी बिलकुल धुंधली हो गयी थी और दिमाग अब गहरी निद्रा में जाने के लिये तड़प रहा था। फिर भी आर्यमणि खुद को संभाले अपने नए दुश्मन को समझने की कोशिश कर रहा था, जो अपनी जगह से एक कदम भी इधर–उधर नही हुआ था।
Wah kafi taktwar dusmaan hai ye to
 

Lib am

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भाग:–69







अलबेली और इवान को फुर्सत से घूमने छोड़ दिया गया और ये दोनो भी अपना घूमने लगे। अभी कुछ देर पहले अलबेली और इवान का जब क्ला बाहर आया तब वह शिकारियों की नजरों में आ गये। आते भी क्यों न शिकारी के इलाके में ही रोमांस कर रहे थे। बिजली का तेज झटका लगते ही अलबेली, रूही को आवाज लगा चुकी थी। रूही ने जैसे ही वह आवाज सुनी फिर तो सब कुछ छोड़कर आवाज के पास पहुंची। रूही और ओजल ने दो शिकारी को गायब कर दिया। बौखलाए शिकारी चारो ओर फैल चुके थे।


इधर थोड़ी देर के बाद इवान और अलबेली को भी होश आ चुका था और शिकारियों की भनभनाहट सुनकर दोनो समझ चुके थे कि उनकी मदद आ चुकी है। इवान ने अलबेली की कलाई थाम ली और उसे हील करने लगा। अलबेली को जैसे राहत की श्वांस मिली हो। कुछ देर हील होने के बाद उसे जब होश आया तब वह इवान की हालत को अच्छे से समझ पायी। अलबेली बावरी की तरह इवान के पूरे मुंह को पोंछती, उसकी कलाई थामी और उसका दर्द लेने लगी। दोनो एक दूसरे की कलाई थाम, एक दूसरे का दर्द, एक दूसरे के आंखों में झांकते हुये ले रहे थे।… "ओ टोरंटो के लैला मजनू, मुझे सुन रहे हो।"…


अलबेली और इवान दोनो एक साथ.… "हां सुन रहे है।"..


ओजल:– वहां की पोजिशन बताओ..


इवान:– हमारे सामने माउंटेन एश का घेरा है। आस–पास भ्रमित करने वाली गंध है। शायद शिकारियों ने जाल फैलाया है।


अलबेली:– कुल 6 लोग यहां है। मैं उन सबकी भावना मेहसूस कर सकती हूं। उनकी धड़कन सुन सकती हूं। सभी हम पर ही निशाना लगाये है।


रूही:– अभी मजा चखाते है। ओजल शिकारियों को ही माउंटेन ऐश की लाइन पर फेंक दे। चल जल्दी कर...


रूही और अलबेली जो अपने साथ एक–एक शिकारी को लिये घूम रही थी। बड़ी ही तेजी के साथ वहां से गुजरी और दोनो शिकारी को दूर से ही माउंटेन ऐश की लाइन पर फेंक दी। जैसे ही २ शिकारी अलबेली और इवान के पास गिरे, माउंटेन ऐश की लाइन तहस नहस हो गयी।


जैसे ही 2 शिकारी वहां गिरे घात लगाये सारे शिकारी चौकन्ना और फिर तो अंधाधुन फायरिंग शुरू हो गयी। अंधेरे में शिकारियों को लगा वेयरवोल्फ ने माउंटेन ऐश की लाइन तोड़ने के लिये कुछ फेंका है। फ्रैक्शन सेकंड में ही अलबेली और इवान सारे खतरे को भांप चुके थे। उसने अपने साथ दोनो शिकारी को उठाया और वहां से भाग कर खुद को सुरक्षित किया। दोनो शिकारी कर्राहते हुये इवान और अलबेली को ही देख रहे थे।


इवान ने अलबेली को इशारा किया और दोनो शिकारियों का दर्द खींचने लगे.… "क्या देख रहे हो शिकारी। हमारी दुश्मनी तो चलती रहेगी लेकिन इस दुश्मनी में किसी की जान चली गयी तो बहुत बुरा होगा। रूही दीदी, ओजल क्या हम निकले। यहां सब साफ है।"..


रूही:– हां निकलो... हम भी इनके इलाके के बॉर्डर पर ही है।


इधर रूही ने हामी भरी और पूरा अल्फा पैक वहां से निकल गया। शिकारियों की नजरों में आने के बाद रूही वहां रुकना ठीक नही समझी इसलिए सबके साथ रविवार तक पूरा एंजॉय करने कनाडा के दूसरे शहर चली आयी।



आर्यमणि.. लॉस वेगस के सफर पर


शुक्रवार की रात आर्यमणि वेगस के लिये निकला। रात के करीब 9.30 बजे वह वेगस पहुंचा। एक बड़े से कैसिनो में घुसकर वहां वेटर को 100 डॉलर थमाते... "पार्केंसन कहां मिलेगा"..


वेटर, इशारा करते.… कोने से आखरी गेट के पीछे लेकिन वहां तुम जा नही सकते...


आर्यमणि वेटर को बिना जवाब दिये उधर चला गया। गेट के रास्ते पर खड़े अत्याधुनिक हथियार लिये बैल जैसे पहलवान गार्ड उसका रास्ता रोकते... "क्लब उधर है। यहां नही आ सकते।"


आर्यमणि:– पार्केंसन से कहो कैलिफोर्निया में गोल्ड ब्रिक की फैक्ट्री डालने वाला आर्यमणि आया है।


गार्ड ने आर्यमणि को वहीं खड़े रहने कहा और एक गार्ड अंदर घुसा। कुछ मिनट बाद वह दरवाजा खोलकर आर्यमणि को अंदर बुलाया... आर्यमणि जैसे ही अंदर गया दरवाजा बंद। एक बड़ा सा हॉल जिसके कोने–कोने पर सूट बूट में बॉडीगार्ड खड़े थे। दरवाजे के ठीक सामने एक बड़ा सा डेस्क था जिसके पीछे लगे एक आलीशान कुर्सी पर बैठकर पार्केंसन सिगार पी रहा था। सामने कुछ लोग बैठे थे जो आर्यमणि के अंदर आते ही बाहर चले गये।


पार्केंसन ने आर्यमणि को हाथ के इशारे से बुलाया। जैसे ही आर्यमणि उसके डेस्क के पास पहुंचा 2 लोगों ने उसे धर दबोचा और उसके चेहरे के बाएं हिस्से को डेस्क से चिपकाकर कनपट्टी पर बंदूक तान दिये। आर्यमणि बिना हिले–डुले आराम से डेस्क पर चेहरा टिकाये था। पार्केंसन, आर्यमणि के गाल पर थपथपाते... "बड़ी हिम्मत है तुझमें। मेयर ने तेरे बारे में बताया। मैने सोचा तू बच्चा है, धंधा करने की चाहत थी इसलिए तूने एक अच्छा धंधा चुन लिया, कोई बुराई नही थी इसमें। बस गलती मेयर से हुई जो तुझे अच्छे से समझाया नही। मुझे लगा मेयर को समझा दिया है तो वो तुझे समझा देगा लेकिन लगता नही की तू ठीक से समझा है। तुम सब जरा अच्छे से इसे समझाओ"


जैसे ही पार्केंसन ने मारने का ऑर्डर दिया 2 लोग हवा में उड़ते हुये जाकर दीवार से टकरा गये। आर्यमणि को गन प्वाइंट पर लिये दोनो गार्ड हवा में उड़ रहे थे। आर्यमणि ने दोनो को अपने एक–एक हाथ से दबोचकर ऐसे फेका जैसे 2 हल्के सब्जी के झोले को पीछे हवा में फेंकते है। आर्यमणि का यह एक्शन देखकर दूसरे बॉडीगार्ड हरकत में आ गये... इसी बीच आर्यमणि अपनी भारी आवाज से सबको पहचान करवाते.… "लगता है मैने ठीक से अपना परिचय नही करवाया वरना इतनी परेशानी नही होती। मुझे लगता है कुछ देर बैठकर बात करने के बाद हम किसी नतीजे पर पहुंच सकते हैं।"


आर्यमणि जबतक अपनी भारी आवाज में बात कर रहा था, पार्केंसन के बॉडीगार्ड उसे घेर चुके थे। पार्केंसन सबको रिलैक्स करते आर्यमणि को बैठने का इशारा किया... "देखो लड़के जब बात से काम हो जाये तो हम भी हथियार बीच में नही लाते। मुझे बताओ तुम इतनी दूर क्यों आये हो?"


आर्यमणि:– मुझे ब्रिक फैक्ट्री लगाने या सोने का डिस्ट्रीब्यूटर बनने में कोई दिलचस्पी नहीं..


पार्केंसन:– इंट्रेस्टिंग... आगे बताओ..


आर्यमणि:– मेरे पास कुछ गोल्ड है, और मैं किसी भी माफिया या नेता को उसमें एक जरा हिस्सा नही देना चाहता। जैसे तुम्हे अपने धंधे से प्यार है और किसी दूसरे को हिस्सा नही देना चाहते, ठीक वैसे ही।


पार्केंसन:– ओह तो ये बात है। अपने गोल्ड में से किसी को हिस्सा नही देना इसलिए तुमने गोल्ड डिस्ट्रीब्यूटर बनने का सोचा। लेकिन डिस्ट्रीब्यूटर ही क्यों.. क्या बहुत ज्यादा गोल्ड है?


आर्यमणि:– तुम्हारे सोच से भी ज्यादा...


पार्केंसन:– हम्मम... बताओ कैसे मदद करूं?


आर्यमणि:– कोई बीच का रास्ता निकालते है। मेरा काम निकलने तक ही मुझे गोल्ड से जुड़े कामों ने इंटरेस्ट है। और तुम तो जानते ही होगे की ब्लैक से व्हाइट करने में कितना मेहनत लगता है।


पार्केंसन:– बीच का रास्ता... ठीक है यदि 1 मेट्रिक टन तक गोल्ड हुआ तो तुम्हारे गोल्ड डिस्ट्रीब्यूशन प्राइस से 20% नीचे लूंगा। यदि 10 मेट्रिक टन तक हुआ तो 30% नीचे के प्राइस में। उस से ज्यादा है तो 10 मेट्रिक टन इस साल और फिर अगले साल...


आर्यमणि:– डील को लॉक करते है।


पार्केंसन:– कितना माल है..


आर्यमणि:– 5 मैट्रिक टन..


पार्केंसन, अपने एक आदमी को बुलाया सब कैलकुलेशन करने के बाद... "145 मिलियन (उस वक्त मजूदा रेट के हिसाब से) होते है। मेरा 30% काट कर तुम्हारे 101.5 मिलियन। माल कहां है उसकी लोकेशन बताओ। चेक करवाकर लोड होने के बाद पैसे ट्रांसफर कर देता हूं।"


आर्यमणि:– इतना सारा माल पीछे में कोई देखने गया। कहीं कोई चोरी हो गयी तो?


पार्केंसन:– उसकी चिंता तुम मत करो... तुम्हे चिंता इस बात की होनी चाहिए की कहीं तुम गलत हुये तो...


आर्यमणि उसकी बात सुनकर मुस्कुराने लगा। आर्यमणि अपने घर का सभी सिक्योरिटी ब्रिज हटाया। पार्केंसन के कुछ लोग बेसमेंट में घुसे। उन्होंने कुछ रिम उठाकर पहले सोने की गुणवत्ता चेक किया, फिर कुछ रिम का वजन लिया। सब कुछ सुनिश्चित होने के बाद जैसे ही अनलोगों ने कैलिफोर्निया से संदेश भेजा, वैसे ही यहां आर्यमणि के दिये अकाउंट में पैसे ट्रांसफर हो गये।


आर्यमणि जिज्ञासावश पार्केंसन से पूछ ही लिया.… "न कोई बारगेन, न ही पूछे की माल कहां से आया। न ही डील में कोई गलत मनसा। मुझे तो लगा था यहां मुझे बहुत टाइम लगने वाला है।"…


पार्केंसन:– "हाहहा... तुम्हारे सवाल में ही जवाब है। ज्यादा से ज्यादा मैं पूरा बैमानी कर लेता। तुम्हे मारने की कोशिश करता... इस से क्या हो जाता... इन सब में मेरे 1 घंटे लगते। तुम्हारे घर से माल चोरी करने और फिर उसे पुलिस से बचाने में दिमाग खपाना पड़ता सो अलग। 4–5 घंटे की माथापच्ची के बाद मैं 145 मिलियन कमा लेता। पर अभी..."

"आधे घंटे में एक नौजवान दोस्त बना लिया। 43.5 मिलियन की कमाई कर लिया और सबसे जरूरी चीज। अगली बार हम 5 मिनिट में फोन पर डील करेंगे और 10 मिलियन ही कमाई मानो उस डील से होगा। तो सोच लो बचे साढ़े 3 घंटे में मैं तुमसे कितना कमा लूंगा। फिगर 100 मिलियन से कहीं ज्यादा होगा।"


आर्यमणि:– बिजनेस में कमाल का डेडीकेशन है।


पार्केंसन उसे 8–10 कार्ड थमाते... "10 मिलियन + के प्रॉफिट का जो भी डील हो, सीधा मुझे कॉल करना वरना इन सब कार्ड में से किसी भी पार्क को फोन करके डील सेट कर लेना।


आर्यमणि:– ये आपके सभी स्टाफ का नाम पार्क ही है।


पार्केंसन:– हां... मैं भी एक पार्क ही हूं। किसी भी नंबर के पार्क (जैसे की पार्क–1, पार्क–2) को पुकारो, उसके गैर हाजरी में कोई न कोई आ ही जाता है। काम में काफी सहूलियत होती है। पार्क–2 आर्यमणि का ड्रिंक आज मेरी तरफ से। इसके होस्ट तुम हुये हमारे मेहमान को किसी बात की शिकायत नही होनी चाहिए।


आर्यमणि ने पार्केंसन को शुक्रिया कहा और वहां से सीधा एयरपोर्ट चला आया। रात 12.30 की फ्लाइट थी और आर्यमणि 2 बजे तक कैलिफोर्निया एयरपोर्ट के बाहर टैक्सी में था। घर लौटने के क्रम में उसके टैक्सी का टायर पंक्चर हो गया। टैक्सी वाले ने माफी मांग लिया और आगे कुछ और व्यवस्था देख लेने कह दिया।


घर पास में ही था आर्यमणि पद यात्रा करते हुये निकला। कुछ दूर आगे बढ़ा होगा की स्ट्रीट लाइट बुझने लगी। देखते ही देखते पूरी सड़क पर अंधेरा पसर गया। आर्यमणि को खतरे का आभास तो हो रहा था लेकिन आस पास किसी के होने के संकेत नही मिल रहे थे। आर्यमणि समझ चुका था की खतरा उसके पीछे पहुंच गयी है। वह तेज दौड़ लगाया और सीधा अपने कॉटेज के पीछे वाले जंगल में रुका।


जंगल में जब वह पहुंचा उसके कुछ देर बाद ही पत्तों की खर–खराहट की आवाज आने लगी। आर्यमणि किसी की मौजूदगी को मेहसूस तो नही कर सकता था लेकिन जिस प्रकार से पाऊं के नीचे पत्ते मसल रहे थे, उसे लग गया की कोई तो है।


आर्यमणि:– प्रहरी का नया तिलिस्मी योद्धा... अकेले ही मुझसे लड़ने चला आया।


तभी आर्यमणि के सामने एक टीनएजर लड़का खड़ा हो गया। आर्यमणि उसे बड़े ध्यान से देखते... "तुम तो अभी काफी छोटे हो, प्रहरी ने तुम्हे अकेले ही भेज दिया"..


लड़का:– हां ऐसा ही समझो। अब वहीं खड़े रहकर टाइम पास करोगे या लड़ना भी है...


आर्यमणि अपने जूते निकलकर, अपने अंगूठे को ही हल्का जमीन में धसा दिया। देखते ही देखते जमीन से जड़ों के रेशे निकलने लगे जो उस लड़के के पाऊं से लिपट गये। वह लड़का अपनी जगह से हिल भी नहीं सकता था। आर्यमणि उसे फिर एक बार चेतावनी देते... "लड़के अपनी पहचान बताओ। आखिर कौन सी प्रजाति के हो तुम लोग, जो खुद को अपेक्स सुपरनैचुरल कहते हो।"


लड़का, आर्यमणि की बात का कोई जवाब न देकर अपने कमर में लटके कई खंजरों में से एक खंजर को निकाला और काफी तेजी से आर्यमणि के ओर फेंका। आर्यमणि सामने से खतरे को आते देख बिजली की गति से खतरे के सामने से हटा। लेकिन जब आर्यमणि खड़ा हुआ, उसके कंधे से खून की धार बह रही थी। आर्यमणि काफी आश्चर्य में पड़ गया। आंख मूंदकर वह समझने की कोशिश करने लगा की अभी हुआ क्या? आर्यमणि के दिमाग में जैसे सब कुछ स्लो मोशन में चल रहा हो।


तभी उसे झटका सा लगा हो जैसे। उस लड़के ने एक खंजर के पीछे दूसरा खंजर इस तेजी से फेंका की उसके खतरा भांपने की सेंस तक धोखा खा गयी। और क्या सटीक गणना था। खतरा भांप कर बिजली की तरह हटने के क्रम में ही उसे दूसरा खंजर लग गया। आर्यमणि अपने कंधे से खंजर को निकालते... "ये खंजर मुझे मार नही सकती, लेकिन तू आज जरूर मारेगा।"


आर्यमणि अपनी बात कहते हुये तेज दौड़ लगा दिया। वह जब दौड़ रहा था, आस–पास के पत्ते किसी बवंडर में फंस कर उड़ने वाले पत्तों को तरह कई फिट ऊपर उठे। अपनी तेज दहाड़ के साथ आर्यमणि 10 फिट ऊंचा छलांग लगा चुका था और उसका मुक्का उस लड़के के सीने को फाड़कर बाहर निकलने के लिये तैयार। लेकिन ना जाने आज सीक्रेट प्रहरी के किस हथियार से पाला पड़ा था। आर्यमणि 10 फिट ऊंचा छलांग लगाकर अपने मुक्के से उसके सीने को निशाना बनाये था, लेकिन ऐसा लगा जैसे आर्यमणि ने किसी स्प्रिंग पर हमला किया हो। झट से उस लड़के ने अपने शरीर को आर्यमणि के हमले की जगह से ठीक पीछे किया, जबकि पाऊं उसके अपनी जगह पर जमे थे।


आर्यमणि ने शॉट मिस किया और वह हवा में ही उस लड़के से आगे बढ़ गया। वह लड़का भी आर्यमणि को जैसे कोई फुटबॉल समझ लिया हो... एक लात उठाया और पूरे स्टाइल से पेट पर ऐसे जमाया की आर्यमणि की 2 पसलियां टूट गयी और वह खुद काफी दूर एक पेड़ से जाकर टकराया। हमला इतना तेज और घातक था की आर्यमणि के आंखों के आगे अंधेरा छाने लगा।


आर्यमणि इतनी बुरी तरह टूटा था कि उसकी खुद की हीलिंग क्षमता ने जवाब दे दिया था। हाथ लगाकर जब वह खुद को हील करने लगा तब हाथों की नब्जों ने जैसे दर्द खींचने से मना कर दिया हो। वह लड़का अब भी अपनी जगह खड़ा था। आर्यमणि काफी धीमे ही सही लेकिन खुद को हील होता मेहसूस कर रहा था। जब थोड़ा होश आया तब यह भी ख्याल आया की वह लड़का तो जड़ों की रेशों से निकल चुका है।


आर्यमणि खुद में थोड़ा हिम्मत भरते, अपने क्ला को पसलियों के बीच घुसाया और 2 नाखूनों के बीच टूटी पसली को पकड़कर उसे सीधा करते उन पसलियों को हील करने की कोशिश किया। आर्यमणि के खुद की थोड़ी हीलिंग और उंगलियों से जी तोड़ हील करने का जज्बे ने आर्यमणि को राहत दिलवाया और उसकी पसली हील हो गयी l एक पसली हील होने के बाद दूसरी और फिर खुद को हील करना...


काफी वक्त लगा खुद को पूरा हील करने में लेकिन आर्यमणि पूर्ण रूप से तैयार था। इस बीच वह लड़का बिना कोई प्रतिक्रिया दिये अपनी जगह खड़ा रहा। आर्यमणि तेजी से उसके करीब पहुंचा और अपनी गति का प्रयोग करके, उस पर क्ला से हमला करने लगा। आर्यमणि हमला तो कर रहा था, किंतु पहले ही पंच से उसे पता चल गया की वह हवा में ही मरता रह जायेगा। क्या गजब की उसके बचने की क्षमता थी। किसी भीं गति और कितना ही नजदीक से आर्यमणि हमला करे, वह लड़का किसी स्प्रिंग की तरह लचीलापन दिखाते, किसी भी दिशा में झुक जाता और उतने ही तेजी से अपना मुक्का चला चुका होता।


नजारा अकल्पनीय था। आर्यमणि जितना तेज हो सकता था उतना तेज हमला करता और वह लड़का उस से भी तेज बचते हुये जवाबी हमला करता। तेजी के साथ लगातार पड़ते मुक्कों की आवाज चारो ओर गूंज रही थी। एक तो दम से मारा गया मुक्का उसमे भी बिजली की रफ्तार। आर्यमणि के जिस अंग पर मुक्का लगता वह हिस्सा 4 इंच तक धंस जाता। कुछ ही पल में आर्यमणि का पूरा बदन सूज चुका था। हांफते और बदहाली में वह पीछे हटा और खड़ा होकर अपने दर्द से उबरने की कोशिश करने लगा। शरीर में इतनी क्षति हुई थी कि अब वह हाथों से हील नही हो पा रहा था। आंख की रौशनी बिलकुल धुंधली हो गयी थी और दिमाग अब गहरी निद्रा में जाने के लिये तड़प रहा था। फिर भी आर्यमणि खुद को संभाले अपने नए दुश्मन को समझने की कोशिश कर रहा था, जो अपनी जगह से एक कदम भी इधर–उधर नही हुआ था।

भाग:–68







धीरे धीरे करके एक छोटा सा आशियाना तैयार हो गया। सुबह ट्रेनिंग और तीनों टीन वूल्फ के झगड़ो की आवाज गूंजती। ड्राइविंग स्कूल में तीनों का एडमिशन भी हो गया और वहां के संचालक द्वार क्लीन चिट यानी की ड्राइविंग लाइसेंस मिलने पर तीनों के लिये अपनी-अपनी गाडियां।


इसी बीच इन तीनों के एडमिशन का भी टेस्ट हुआ। टेस्ट रिजल्ट देखकर प्रिंसिपल बोलने लगे, तीनों को हम ग्रेड 12th का टेस्ट लेंगे, इसके बाद बताएंगे। 12th ग्रेड का टेस्ट होने से पहले तीनों को हिदायत मिल गयी की पेपर के 3 सवाल छोड़ दे। फाइनली टेस्ट हुआ रिजल्ट आया और तीनों का 12th ग्रेड में एडमिशन। आर्यमणि के जेब से 3000 डॉलर निकल गये। 20 दिन बाद आकर क्लास शुरू करने को कह दिया गया। बाहर निकलकर पांचों हंसते हुए विलियम बाबा की जय कर रहे थे। लगभग एक रूटीन कि लाइफ, जिसमें सुबह की मजबूत ट्रेनिंग, उसके बाद कोई काम नहीं जिसे जहां जाना है जाओ घूमना है घूमो, फिर शाम को ओजल, इवान और अलबेली की ड्राइविंग स्कूल।


स्कूल का पहला दिन। अलबेली और ओजल ने जैसा सोचा था ठीक वैसा ही स्कूल कैंपस था। लड़के–लड़कियां घास पर लेटे बातें कर रहे है। कुछ लड़के सपोर्ट टीम के कपड़ों में घूम रहे थे। कैंपस में कई लव बर्डस भी घूम रहे थे, तो कुछ पढ़ाकू टाइप भी थे। ओजल और अलबेली को हंसी तब आ गयी जब कुछ लड़कियां अपने पैंटी का प्रदर्शन करती, केवल अपने पिछवाड़े को ढकने जितना छोटा मिनी–स्कर्ट पहन कर ग्रुप में फुदक रही थी। चीयर गिर्ल्स…


इवान की इन सब पर कोई प्रतिक्रिया नहीं थी, वो बस दोनो के साथ था। 3 टीन वुल्फ जिनकी देह दशा बिल्कुल अलग। लंबी कद-काठी के साथ-साथ शरीर की आकर्षक संरचना। चेहरे की बनावट और आकर्षण ऐसा की नजर भर देखने पर मजबूर कर दे। तीनों गये प्रिंसिपल ऑफिस और वहां से अपने-अपने क्लास का पता करके क्लास में। कुछ क्लास तीनों के साथ में थे, और 1–2 क्लास अलग–अलग। बीच में बहुत सारे खाली परियड्स।


वो कहते है ना सब कुछ फिल्मी हो जाये तो बात ही क्या थी फिर। लड़के और लड़कियों के ग्रुप द्वारा तंग करना, टांग खिंचना और कमेंट पास करने जैसा कुछ नहीं था। यहां के स्टूडेंट्स जो भी करते आपस के ग्रुप में ही करते और अपनी ही दुनिया में मस्त रहते, कौन आया कौन गया उनसे कोई मतलब नहीं। सब कुछ जैसे सामान्य रूप से चल रहा था। तीनों टीन वुल्फ को उनका काम मिल चुका था। एक आर्यमणि और रूही थे जिनके काम की कोई खबर नहीं थी। मेयर बात तो बड़ी–बड़ी कर रहा था, लेकिन एक महीना से ऊपर हो गया, न तो गोल्ड ब्रिक फैक्ट्री की परमिशन मिली थी और ना ही उसके फैक्ट्री का कोई काम आगे बढ़ा था। ऊपर से बेसमेंट में रखा सोना किसी सर दर्द से कम नहीं था।


रूही:– बॉस ये मेयर कहीं सिर्फ ग्रीन कार्ड दिलाने का 50 हजार यूएस डॉलर तो न ले लिया।


आर्यमणि:– 50 कहां कुल 70 हजार यूएसडी खर्च हुये हैं रूही।


रूही:– मैं जरा इस मेयर के घर की सिक्योरिटी ब्रिज को समझती हूं। आज रात विजिट मारते हैं।


आर्यमणि:– हम्मम… अच्छा प्लान है।


देर रात का वक्त मेयर अपने बेडरूम में सोया था। सुरक्षा के लिहाज से अति–सुरक्षित घर। आर्यमणि और रूही सभी सुरक्षा प्रणाली को भेदकर दबे पाऊं दोनो (आर्यमणि और रूही) मेयर के बेडरूम में पहुंच चुके थे। मेयर मस्त किसी खूबसूरत महिला के साथ सो रहा था। रूही ने उसे इंजेक्शन लगाया और आर्यमणि ने उसके गर्दन में पंजा। 5 मिनट के बाद दोनो सड़क पर थे।


रूही:– क्या हुआ बॉस, ऐसा क्या देख लिया जो मुस्कुराए जा रहे।


आर्यमणि:– मेयर की बीवी और बच्चे बाहर गये है। मेयर यहां मस्त अपने स्टाफ के साथ सोया था।


रूही, भद्दा सा मुंह बनाते... "मर्द हो न इसलिए दूसरे मर्द की चीटिंग पर ऐसे मुस्कुरा रहे हो"


आर्यमणि:– गलत समझ रही हो। मैं तो ये सोच रहा था की यदि मेयर की बीवी को इस बार का पता चल जाये तो..


रूही:– उसे कैसे पता चलेगा..


आर्यमणि, अपना फोन दिखाते... "शायद पता चल भी चुका हो।"


रूही, हंसती हुई... "बॉस शरारती आप भी कम नही। मियां बीवी के झगड़े में बेचारे बच्चे पीस जायेंगे।"


आर्यमणि:– वो तो वैसे भी पीसने वाले थे। मेयर अपनी बीवी को मरवाना चाहता है।


रूही:– क्या?


आर्यमणि:– हां सही सुना तुमने। मेयर एक बड़े झोल में फसा हुआ है। देश के एक नामचीन नेता से गलत डील कर लिया। उसे तकरीबन 50 मिलियन चुकाने है और उसकी बीवी उसे एक रुपया नही दे रही।


रूही:– उसका इतना बड़ा बिजनेस है, फिर अपनी बीवी से पैसे क्यों मांगेगा...


आर्यमणि:– क्योंकि पूरा बिजनेस इसकी बीवी का है। अपने बीवी के वजह से ही वह मेयर भी बना है। करप्शन से कुछ पैसे तो जोड़े है लेकिन 50 मिलियन से बहुत दूर है। पहले ये पूरे पैसे मुझसे ही लेता लेकिन गोल्ड डिस्ट्रीब्यूशन का लाइसेंस ये बनवा नही पाया। फेडरल में अर्जी डाली तो थी इसने, लेकिन अगले ही दिन इसके बाप लोग पहुंच गये और फॉर्म इसके मुंह पर मारकर इतना ही कहा कि… "ये धंधा उनका है। अगली बार फॉर्म के जगह बॉम्ब फोड़कर जायेगा।"


मेयर ने उसे मेरे साथ बहुत भिड़ाने की कोशिश किया लेकिन उसने एक ही बात कही.… "यदि ऐसा था तो तू उसे गोली मारकर फोन करता, न की इसका फॉर्म तेरे ऑफिस से आता। मैं उसे बिलकुल नहीं जानता लेकिन इतना जानता हूं कि तू मर गया तो वो क्या कोई दूसरा भी इस धंधे को शुरू करने का सोचकर जब तुझ जैसे के साथ मिले तो उसका काम न हो।"… अब उस बेचारे ने मेरा काम किया नही, इसलिए मुझसे 50 मिलियन कैसे निकलवाता।


रूही:– हलवा है क्या जो हम 50 मिलियन दे देते..


आर्यमणि:– बड़े आराम से। इधर हम प्रोजेक्ट के लिये अपना सफेद पैसा दिखाते उधर कोर्ट में तलाक की अर्जी लगती। कोर्ट जुर्माने में हमारी आधी संपत्ति हमारे पेपर वाले जीवन साथी को दे देती। वहीं से ये मेयर अपना पैसा रिकवर करने वाला था।


रूही:– साला बईमान, अच्छा किया बॉस... ठूकने दो चुतीये को। लेकिन बॉस अपने तो 50 हजार यूएसडी गये न।


आर्यमणि:– ऐसे कैसे चले गये... उसके दिमाग से बैंक डिटेल निकाल लिया हूं। 4 मिलियन यूएसडी का मामला है और तुम जानती हो की बिना फसे कैसे पैसे ट्रांसफर करने है।


रूही:– कैसे करना है मतलब... हम दोनो तो साथ में ही होंगे न...


आर्यमणि:– नही.. मैं वेगस जाऊंगा और तुम तीनो को लेकर यूएसए के बाहर किसी रिमोट लोकेशन से मेयर के पैसे उड़ाओगी।


रूही, आंखें फाड़कर आर्यमणि को घूरती.… "बॉस वेगास.. जिस्म और जूए का शौक कबसे"…


आर्यमणि:– ए पागल सोने की डील करने जा रहा हूं। मेयर के उस बाप से मिलने जिसने मेरा डिस्ट्रीब्यूशन प्लांट लगने नही दिया।


रूही:– हम्मम !! ठीक है वीकेंड पर निकलते है। और कोई काम...


आर्यमणि:– अभी घर पर आराम से चलते है। आज एक नजर अपने इन्वेस्टमेंट पर भी मार लेते है।


दोनो देर रात घर पहुंचे। तीनों टीन वुल्फ मस्त नींद में सोये हुये थे। आर्यमणि और रूही लैपटॉप लेकर बैठे और अपने शेयर मार्केट के पैसों पर नजर देने लगे। दोनो अपने पैसे का ग्राफ ऊपर बढ़ता देख खुशी से एक दूसरे को गले लगाते.… "वूहू.. बॉस कुल मिलाकर हम 20% से ग्रो कर गये।"


आर्यमणि:– एक साथ सारे पैसे निकाल लो..


रूही:– लेकिन क्यों बॉस... मात्र २ कंपनी ही तो लॉस में है। बाकी सभी तो अच्छे ग्रोथ में है।


आर्यमणि:– 16 दिसंबर है आज... 9 दिन है अभी क्रिसमस में। अब वक्त है कंपनी बदलने का। रिटेल मार्केट में अभी काफी उछाल देखने मिलेगा, इसलिए सारा पैसा वहां लगा दो। 24 नवंबर को हम सारा पैसा निकाल लेंगे। जहां तक मेरी कैलकुलेशन कहती है, हम अगले 7–8 दिन में 30% और प्रॉफिट बनायेंगे।


रूही:– मैं क्या सोच रही थी 120 मिलियन यूएसडी को यहीं लगे रहने देते हैं। 24 दिसंबर तक 10 से 15% तक का प्रॉफिट यहां से आ जायेगा। हम 150 मिलियन और मार्केट में इन्वेस्ट कर देते है।


आर्यमणि:– हां ये ज्यादा बेहतर विकल्प है। वैसे "अस्त्र लिमिटेड" के शेयर मार्केट में आये या नही..


रूही:– अभी नही...


आर्यमणि:– नजर बनाये रखना क्योंकि उसके एक भी शेयर किसी दूसरे को नहीं लेने दे सकते।


रूही:– ऐसा क्या खास है आपकी कंपनी में...


आर्यमणि:– तुम नही जानती... अगर आज 1 रुपया से उसका शेयर शुरू होगा तो 5 साल बाद उसका शेयर अपने पीक पर होगा जो अनुमानित 10 हजार होगा। यानी एक शेर की कीमत अपने पहले दिन से 10000 गुणा ज्यादा की कीमत। इतना प्रॉफिट हमे किसी और में नही मिलने वाला। ऊपर से एक साथ हम इतने पैसे लगायेंगे की अपनी कम्पनी की तरक्की में और चार चांद लग जायेगा।


रूही:– ठीक है बॉस उसे सेंसेक्स पर रजिस्टर तो हो जाने दो पहले...


आर्यमणि:– हां ठीक है... चलो गुड नाईट..


दोनो सोने चल दिये। वीकेंड पर काम निपटाना था इसलिए सभी शुक्रवार की रात ही निकले। एक ओर रूही टीन वुल्फ के साथ कनाडा में नियाग्रा फॉल और टोरंटो देखने निकली, वहीं आर्यमणि लास वेगास निकला। अल्फा पैक संडे तक कनाडा में मजे करके लौट आती जबकि आर्यमणि गया और काम खत्म करके लौटा।



अल्फा पैक कनाडा टूर पर

वुल्फ कभी अकेला नहीं रहता, उनका शिकार हो जाता है। हर वुल्फ पैक की तरह अल्फा पैक भी भली भांति ये बात समझती थी, इसलिए 2 की टीम में ये लोग निकले थे। रूही और ओजल एक साथ थी, क्योंकि अलबेली का बड़बोलापन देखकर रूही ने ओजल को एडॉप्ट किया था, वहीं इवान और अलबेली आर्यमणि के हिस्से में थे।


टोरंटो लैंड करने के बाद रूही अपना काम करने एकांत की ऐसी जगह ढूंढने लगी जहां उसे कोई ढूंढ न पाये। इधर इवान और अलबेली दोनो टोरंटो शहर घूमने निकल गये। हां लेकिन सभी 2 किलोमीटर के दायरे में ही थे ताकि आराम से एक दूसरे को संदेश दे सके। शहर का माहौल और क्रिसमस का ऐसा समय था कि चारो ओर कपल ही कपल घूम रहे थे। हर उम्र के कपल दिख रहे थे जिनकी मस्ती दोनो के मन में जिज्ञासा पैदा कर रही थी। इवान से रहा न गया और वो अलबेली को हसरत भरी नजरों से देखते.… "क्या तू मेरी गर्लफ्रंड बनेगी"..


अलबेली:– क्या बात है, आखिर तूने पूछ ही लिया। कमर में हाथ डालकर चल ना। यहां आकर मुझे भी बड़ी इच्छा हो रही थी कि अपने ब्वॉयफ्रेंड के साथ घूमती। बड़ी संकोच में थी कि तुझसे पूछूं कैसे?


इवान, अलबेली के कमर में हाथ डालकर उसे जोड़ से खींच लिया। अलबेली झटका खा कर इवान से बिलकुल चिपक गयी। दोनो एक दूसरे के में चिपके बदन को अनुभव कर रहे थे। दोनो की नजरें एक दूसरे से टकराने लगी। तन बदन में झुर–झुरी सी पैदा हो रही थी। दोनो एक दूसरे को देखते हुये मचल गये।


अलबेली अपनी नजर हटाकर सामने देखती... "अब ऐसे खड़े–खड़े देखता रहेगा या अपनी गर्लफ्रेंड को घुमायेगा भी। इवान जैसे चीड़ निद्रा से जाग रहा हो। गुमसुम सा हां–हूं में जवाब दिया और अलबेली को खुद से चिपकाये घूमने लगा। एक तो दोनो टीनएजर ऊपर से पहली बार किसी के बदन से एक कपल की तरह चिपके थे। ये उमंग और उन्माद ही अजीब था। बदन में सुरुसुरी मादक एहसास जैसे फैल रही हो।


दोनो शाम तक एक दूसरे के साथ घूमते रहे। हल्का अंधेरा था और चारो ओर जगमग रौशनी जलने लगी। दोनो एक दूसरे के बदन से चिपके रौशनी को देखने में खो से गये। तभी इवान, अलबेली को कमर के नीचे से पकड़कर ऊपर उठा लिया और गोल–गोल घुमाने लगा। अलबेली भी खिलखिला कर हंसती हुई अपने दोनो बांह फैलाकर हसने लगी। अलबेली की खिली हंसी जैसे उसके कान में मिश्री घोल रही थी। इवान गोल घुमाना बंद करके अलबेली को धीरे–धीरे नीचे उतरने लगा।


बदन से बदन को स्पर्श करते जब अलबेली धीमे–धीमे नीचे आ रही थी तब दोनो के मन में न जाने कितनी ही अद्भुत तरंगे एक साथ जन्म ले रही थी। जब अलबेली के वक्ष, इवान के सीने से टकराते धीमे से नीचे हुये दोनो के अंदर से आह्ह्ह् निकल गयी। दोनो एक इंच के फासले से एक दूसरे से नजरें मिला रहे थे। इवान के अंदर से जैसे अरमान जागे हो और वह तेजी से अलबेली के होंठ को अपने होटों से स्पर्श करता सीधा हो गया। अलबेली के की आंखें बड़ी और चेहरे पर हल्की हंसी फैल गयी। कुछ देर तक अलबेली भी मौन खड़ी होकर देखती रही और फिर.…


अलबेली अपनी एडियां ऊंची करती इवान के गले में हाथ डाल दी और होंठ से होंठ लगाकर चुम्बन देने लगी। इवान भी अलबेली को बाहों में भरकर उतने ही कसीस के साथ चुम्बन देने लगा। दोनो अपने पहले चुम्बन से इतने उत्तेजित हो गये की उनका क्ला बाहर निकल आया। क्ला जैसे ही बाहर आया अलबेली का क्ला इवान के गर्दन में घुसा और इवान का क्ला अलबेली के कमर के ऊपर। दोनो झटके के साथ अलग हुये और एक दूसरे को देखकर हंसने लगे।


इवान:– मैं बता नही सकता मैं कैसा महसूस कर रहा हूं। आज से पहले कभी इतना जिंदा होने का एहसास मुझे कभी नही हुआ।


अलबेली:– हिहिहिहिही.. मैं तो बता नही सकती अंदर से कैसा महसूस हो रहा है। साला ये क्ला बीच में आ गया वरना होंठ छोड़ने की मेरी इच्छा ही नहीं हो रही थी।


इवान:– भैया सही कहते थे हमे पहले नियंत्रण सीखना चाहिए।


अलबेली छोटा सा मुंह बनाते... "अब क्या चुम्मा का नियंत्रण सीखने तू भैया के पास जायेगा।


इवान:– तेरी तो... मसखरी करती है...


इवान अपनी बात कहने के साथ ही अलबेली पर झपटा लेकिन अलबेली भी उतनी ही तेज, झटक कर किनारे हुई और ठेंगा दिखाते.… "जा जा.. भैया से ही नियंत्रण सिख कर आ।"…


अलबेली आगे और इवान पीछे.. दोनो हंसते हुये भाग रहे थे। भागते हुये दोनो किसी अंधेरी सी जगह में पहुंच गये। अलबेली आगे दौड़ रही थी और अचानक से झटका खा कर पीछे गिरी। अलबेली की बेइंतहां दर्द भरी चीख निकल गयी। इवान और तेज दौड़ते अलबेली को संभाला। ऐसा लगा जैसे वह तेज करेंट का झटका खायी हो। उसके मुंह से झाग निकल रहा था। इवान अपने शर्ट से अलबेली का मुंह पोंछते इधर–उधर देखने लगा। उसके आंखों से आंसू बह रहे थे और इवान लगातार अलबेली को जगाने की कोशिश करने लगा।


तभी वहां इवान को कुछ लोग दिखने लगे। हाथों में बंदूक, बड़ी सी कुल्हाड़ी और तरह–तरह के हथियार लिये... "बच्चे किस जंगल से भागकर हमारे इलाके में आये हो"… कुछ शिकारी इवान की नजरो के सामने थे, और बेहोश पड़ी अलबेली, इवान की गोद में। इवान की आंखों में अंगार और दिमाग में खून दौड़ने लगा। अलबेली को नीचे रखते तेजी से दौड़ लगाया और वह भी झटका खा कर अलबेली के पास ही बेहोश हो गया।


एक शिकारी:– करेंट हटाओ और दोनो को साफ कर दो।


उसकी बात सुनकर जैसे ही किसी एक शिकारी ने अपना पहला कदम आगे बढ़ाया, अचानक ही कोई उसके पास से तेज गुजरा और उसे अपने साथ लेकर गायब। यह इतना तेजी में हुआ की केवल उस शिकारी की चीख ही सुनाई दी। दूसरे शिकारी चारो ओर देखने लगे। इतने में फिर एक तेज दौड़ और झपट्टा मारकर एक और शिकारी को भी ले गये।


शिकारी:– सब लोग फैल जाओ, यहां और भी मेहमान आये हुये हैं।


शिकारी अपना हथियार लेकर चारो ओर फैल गये। २ शिकारियों ने अलबेली और इवान को माउंटेन एश के गोले में फसाकर वहां से चल दिये। २ शिकारी जिनको झपट्टा मारकर सबके बीच से उड़ा के गये, वह कभी दाएं से चिल्लाता तो कभी बाएं से। आवाज कभी पास से आती तो कभी बहुत दूर से। सभी शिकारी अपना बैक अप बुलाने लगे। इसके पूर्व रूही और ओजल इसी लोकेशन पर कुछ घंटे पहले पहुंचे थे। उन्हे मेयर का बैंक अकाउंट एक्सेस करना था और इस लोकेशन से अच्छी जगह कहीं और नहीं थी, क्योंकि इसके आस पास आधे किलोमीटर के इलाके में कोई कैमरा नही लगा था।


रूही यहां पहुंची और सीधा 4 मिलियन बेनामी खाते में ट्रांसफर करने के बाद लैपटॉप को वहीं कही छिपा दी। रूही जब अपना काम कर रही थी तब ओजल चारो ओर का मुआयना करने लगी। वह समझ गयी की किसके इलाके में है। रूही को धीमे से ठूस्की देती हुई कहने लगी.… "निकलो यहां से, शिकारी का इलाका है।"


रूही को जैसे ही पता चला वह झटपट वहां से हटी। रूही और ओजल ने दोनो (इवान और अलबेली) को सचेत करने कई बार पुकारा भी लेकिन दोनों में से किसी का जवाब ही नहीं आया। हां घूमते–घूमते दोनो एक बार नजर जरूर आये लेकिन इवान और अलबेली को देखकर दोनो (रूही और ओजल) समझ चुके थे कि क्यों उनकी पुकार पर कोई जवाब नही आया।
मेयर ने गलत आदमी से पंगा लिया था, उसको लगा की पैसे वाला लड़का है, कानूनी दांव पेंचो में फंसा कर पैसे ऐंठ लेगा मगर उसको ये नही पता था की ये लड़का उसके बाप से भी बड़े लोगो से पैसे लूट कर यहां आया है। अब मेयर को उसकी बीवी से कोई नही बचा पायेगा।

जिस बात का डर आर्य को हमेशा रहता था वो आज सच हो गया। अलबेली और इवान के बचपने ने आज दोनो को और उनको बचाने के चक्कर में रूही और ओजल को भी खतरे में डाल दिया मगर आर्य की सीख की वजह से सभी ने शिकारियों को मारने के बजाए उनको ठीक किया और उनको पैन से रिलीफ भी दिया।

आर्य की खुद की गलती अब उसको और उसके पैक को भरी पड़ने वाली है, अमेरिका जैसे देश में ऐसे ओपन डीलिंग करने का सीधा मतलब था कि आ बैल मुझे मार और अब बैल आ गया है।

जब मॉल में आर्य ने अपने नाम से शॉपिंग की होगी तभी उसकी ट्रैकिंग शुरू हो गई होगी और नतीजा सामने, मौत का फरिश्ता उसको मौत देने आ गया और अभी तक लड़ाई से ये लग भी रहा है कि आज आर्य पर कोई और भारी पड़ने वाला है। अब अगर आर्य ने सुकेश के घर से मिली किताबो को पढ़ा होगा तो उसको इस प्राणी की प्रजाति और उससे लड़ने का तरीका सूझ गया होगा वर्ना अब इस कहानी में आर्य के पुनर्जन्म का इंतजार करना पड़ेगा।

एक और बात ये है कि आर्य जानबूझ कर अभी तक अपने प्योर अल्फा रूप में नही आया है क्यों की अभी उसको भी नही पता की वो इस लड़के से जीत भी पाएगा या नहीं और अगर नही जीत पाया और सबको आर्य के प्योर अल्फा होने की खबर लग गई तो वो कमीनें सीक्रेट प्रहरी आर्य का काउंटर अटैक ढूंढ लेंगे जो की आर्य नही चाहता तो जब तक वो पूरी तरह श्योर नही हो जाता कि वो इस जीव का काम तमाम कर सकता है वो अपने वुल्फ रूप में नही आयेगा जो की एक डिसएडवांटेज होगीबारी के लिए क्यों की उसकी हीलिंग और काउंटर अटैक इंसानी रूप में बहुत ही धीमे है। शानदार अपडेट
 
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