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Fantasy Aryamani:- A Pure Alfa Between Two World's

nain11ster

Prime
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CFL7897

Be lazy
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Kya hi dhamakedar entry ki hai boss..

To pathakon ko jis baat ki ummid thi Vahi hua Barf ke Samundar se nikal kar Aane Wale heem Manav hi nikale jinko Bigfoot bhi Kahate Hain..

Aryamani and pack aur Vampire ko Bandi Banakar Apne Rajya Mein Lekar Jana Bhi Ek Tarah Se aryamani Ka hi anuman tha.............

vahan ki Jail fully Hitech hai vahan Ke nivasi Bhi fhuli hightake hi rahte hain..

Arya Mani ko vahan ki ek kaidi se Pata Chala Ki inke pass koi natural shaktiyan Nahin Hai yah Bhi Ek Aam Insan Ki Tarah Hain bus Inka Kad bada hai aur Inki Technology bhi human se Kafi viksit hai...

Yahan Aakar Arya Mani ko ek chij ka fayda hua Agar usko Khudai karne ka lagatar mauka Mila to vah ajibogarib Patron ko Taras sakta tha Apne shaktiyon Ko badhane ke liye...

Last mein aryamani aur uske pack ka jo Mukabala hota hai jailer ke sath Jo ki usne Kai Logon ki shaktiyon ko abjar kar chuka tha including vampir, boot foot Aur Bhi Kai Tarah Ki shaktiyon ko samete Hue tha...uska natiza aarya ke paksh me jata hua dik raha hai...

Ek Jailar ko hi mar dena usi ke jail me ek tarah se big crime hai....aur aarya waha se nikalane k raste me ye bada mil ka pather sabit hoga ..kudh ko nirdosh sabit karne me waha ke kanoon ki nazar me.

Aage dekhate hai kya hota hai....

Shandar update bhai..
 

Hellohoney

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Badhiya sare update bhai kya bavasir le ke aaye he aap kamal kardiya .
 
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सच मे, एक दंत कथा ही लग रहा है।
बर्फ से भरे भूभाग के अंदर एक और ही लोक , आधुनिक प्रौद्योगिकी से युक्त खुबसूरत शहर , बहुत बड़ी आबादी , उड़न तश्तरी , वहां के लोकल विशालकाय हिम- मानव ।
यहां सड़क के मध्य लहलहाते हुए फसल एवं क्रिस्टल की ऊंची ऊंची पर्वत श्रृखंला सबकुछ मन को मोहित कर देने वाला था।
लेकिन यहां के लोगों का चरित्र भी पृथ्वी से कोई भिन्न नही है। एक बार लगा था , प्रकृति के ये प्राणी कम से कम धरती के इंसान से तो बिल्कुल ही अलग होंगे लेकिन यहां भी सबकुछ वैसा ही है जैसा इस धरा पर। झूठ, फरेब , अहंकार और ताकत का मद।

इस पाताल लोक के लोगों का नाम हिन्दुस्तान के दक्षिण क्षेत्र से कुछ कुछ मिलता जुलता है। जैसे कि दक्षिण के लोगों मे उनके नाम के साथ उनके पिता , कास्ट और उनके जन्म स्थान के नाम का भी जिक्र हुआ करता है।

जेलर कोको साहब भी काफी पहुंची हुई चीज थे। 19 वेम्पायर की शक्ति को उस तरह अपने शरीर मे प्रवेश करा लिया जैसे रामायण काल मे सम्राट बाली करा लेते थे।
अगर हीलिंग की शक्ति आर्य और उसके पैक मे नही होती तो बहुत मुश्किल काम था इस हिम - मानव से पार पाना।

कोको साहब की देखकर लगता नही है कि आर्य के लिए आगे का रास्ता कोई आसान होने वाला है ! इन का सरदार तो और भी पावरफुल होगा !

बहुत ही बेहतरीन और जबरदस्त अपडेट नैन भाई।
आउटस्टैंडिंग और जगमग जगमग।
 

andyking302

Well-Known Member
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भाग:–139


बर्फीली हवाओं को चिड़कर जब वे प्रत्यक्ष रूप से सामने आये, हर किसी का कलेजा बूफर के समान तेज–तेज धम–धम करने लगा। फिर चाहे वह आर्यमणि खुद भी क्यों न हो जिसे अंदेशा था कि उसका सामना किनसे होने वाला है, लेकिन फिर भी उन्हें सामने देखकर धड़कने बढ़ी जरूर थी।

15 फिट ऊंचा 4 फिट चौड़ा विशालकाय शरीर। हाथों में जब 1 फिट चौड़ा और 5 फिट लंबा तलवार लिये दौड़ते हुये सामने आया, ऐसा लगा विशाल मौत सबकी ओर दौड़ रही थी। ये हिम–मानव की प्रजाति थी, जिन्हे हिमालय के सुदूर क्षेत्र से लेकर बिग–फूट के नाम से अमेरिका में भी देखे जाने के दावे किये जाते थे, किंतु आज तक कोई प्रत्यक्ष प्रमाण नहीं मिला था।

आर्यमणि और पूरा अल्फा पैक तुरंत ही अपने घुटनों पर आकर सर झुका लिये। उनके ओर दौड़ रहा हिम–मानव तलवार लहराता हुआ करीब पहुंचा और अपने सम्मान में झुके निहत्थे लोगों को देखकर रुक गया। आर्यमणि के ही देखा–देखी नयोबि और उसके लोग भी घुटनों पर आकर सर झुका लिये।

हां लेकिन कुछ लोग इतने डरे हुये थे कि चिल्लाते हुये भागे और भागने के क्रम में अंधाधुन फायरिंग भी करते हुये भागे। हिम–मानव को गुस्सा आ गया और वो एक छलांग लगाकर उनके सामने। डर ने ऐसा घेरा की वो वेमपायर यह तक भूल गये की वो क्या कर सकते थे। बेबस और असहाय की तरह सामने खड़े मृत्यु को देख रहे थे।

आर्यमणि को जब एहसास हुआ की कुछ लोगों की जान खतरे में है। फिर बिना वक्त गवाए आर्यमणि अपना सर ऊपर किया और सामने खड़े हिम–मानव के आंखों से आंखें मिला, तेज दहाड़ लगाया। दहाड़ इतनी तेज और लंबी थी कि जिसने भी सुना स्थूल पड़ गया। आर्यमणि के दहाड़ निकलने भर की देरी थी, फिर तो पूरा अल्फा पैक ही दहाड़ निकाल रहा था।

अल्फा पैक की दहाड़ सुनकर हिम–मानव घूरती नजरों से अल्फा पैक को देखे। मुख से निकला... “ऐसा क्या?” और अगले ही पल चारो ओर से एक सुर में ऐसा भयानक चिल्लाने की आवाज आयी, कि आर्यमणि तक हैरान। जब तक कुछ समझ में आता हर कोई मेहसूस कर रहा था कि वह किसी गड्ढे में गिर रहा है। सबकी आंखें बंद हो गयी। और जब आंखें खुली तब आंखों के आगे अद्भुत दृश्य था। ऐसा लग रहा था नीचे गिरने के कारण मृत्यु हो गयी और जब आंख खुली तो स्वप्न नगरी में थे।

चारो ओर चकाचक बड़ी–बड़ी हीरे समान चमचमाती इमारतें। शहर भी ऐसा बना था मानो फुरसत से बैठकर प्लान करके बनाया गया हो। ना कोई इमारत सड़क पर इंच भर भी आगे और न ही कोई इमारत दूसरे इमारत से एक भी इंच छोटा या बड़ा। जितनी आधुनिकता उतनी ही हरियाली थी। पेड़ भी इस कदर श्रेणी क्रम में लगे थे कि देखने वाले हैरान हो जाये।

सड़क इतनी चौड़ी थी कि एक किनारे से चार एरोप्लेन एक साथ उड़ान भर सकते थे। वहीं बीच का हिस्सा जो डिवाइडर का काम करता था वह किसी एक किनारे के मुकाबले 2 गुना बड़ा था, जिसमें खाने वाली फसलें, जैसे धान, गेंहू, मक्का, बाजरा इत्यादि की खेती की जा रही थी।

खुद की हालत पर जब गौर किये तब पता चला की सभी लोगों को बहुत ही ऊंचे टावर की छत पर रखा गया था। ये टावर भी कमाल की इंजीनियरिंग का बेहद खूबसूरत नजारा था। 15 फिट मोटे टावर की लंबाई लगभग 1200 फिट थी, जिसके ऊपरी सिरे पर 500 मीटर की रेडियस का खुला छत था। उस छत पर आर्यमणि, नयोबि और उनके साथी ही नही बल्कि 200 से 300 और भी लोग थे। बस फर्क सिर्फ इतना था कि ये लोग बौने थे, और वो लोग 15 फिट के हैकल शरीर वाले।

आर्यमणि:– ये हम आसमान से गिड़कर किस प्रकार के खजूर पर लटक गये।

रूही:– मुझे नही पता। हम जहां कहीं भी है, है ये कमाल की जगह। कोई विशेष टिप्पणी, कर्नल नयोबि।

नयोबि:– क्या तुम इन जैसे प्रजाति से पहले भी मिल चुके हो?

आर्यमणि:– नही बस मुझे अंदाजा हो गया था कि बर्फ की सतह के नीचे जीवन बसता है। ऐसे जलवायु में कौन रह सकते हैं, उसका भी अंदाजा था। जिसे अमेरिका में बिग–फूट और भारत में हिम–मानव कहते है, वही समुदाय। मैं भी पहली बार ही मिल रहा हूं।

“ज्यादा मच–मच नही करने का बौनो। वरना अदालत के फैसले से पहले कहीं हम न फैसला कर ले।”.... वहां मौजूद हिम–मानव की भिड़ से एक हिम–मानव बोला..

आर्यमणि:– अदालत... मतलब...

हिम–मानव:– अबे घोंचू अदालत मतलब अदालत जहां अपराधियों को सजा सुनाई जाती है।

रूही:– अपराधी??? तो क्या हम किसी प्रकार की जेल में है...

हिम–मानव:– हां ये टावर ट्रायल एरिया है। तुम सब रोलफेल देश की राजधानी पीक सिटी में हो। अब ज्यादा सवाल–जवाब नही वरना अपना मगज गरम हो जायेगा।

रूही:– वैसे यहां तुम लोगों का नाम भी है या एक दूसरे को पुकारने का कोई अलग तरीका है?

हिम–मानव:– ए सटकेली, बिना नाम के कैसे किसी को पुकारेंगे... हम सबका नाम है। मेरा नाम हिम–भोसला–गज्जक–जूनियर–8 है।

रूही:– इतना बड़े नाम से बुलाते हैं तुम्हे... हिम–भोसला–गज्जक–जूनियर–8..

भोसला:– अरे नही रे, पूरा नाम था वो। बुलाते तो भोसला के नाम से ही है। हिम का मतलब है हमारे पूर्वज हिमालय की नगरी से थे। गज्जक अपने पूज्य पिताजी का नाम है और अपन उनकी आठवें नंबर की संतान है इसलिए जूनियर–8.. लो मामू लोग की टोली भी आ गयी, चलो अपन चलता है। जेल में मुलाकात होगी...

पुलिस की 8–10 उड़न तस्तरी वैन टावर के ऊपर लग गया। जिस किसी कैदी को उठाना होता, उसके ऊपर ट्रैप वेब किरणे पड़ती और वह खींचकर सीधा पुलिस की उड़न तस्तरी वैन में। अल्फा पैक और नयोबि की टीम को छोड़कर बाकी सबको उठा ले गये।

नयोबि:– बहुत खतरनाक लोग है आर्यमणि। और इनकी सभ्यता काफी विकसित मालूम पड़ती है।

आर्यमणि:– अब पता चला गायब लोग कहां गये।

नयोबि:– हां खुद को लापता करवाकर पता लगा ही लिया। ये बताओ इनकी अदालत में क्या फैसला ले सकते है?

आर्यमणि:– ठीक वैसा ही फैसला लेंगे जैसे यूएसए की जमीन पर किसी दूसरे देश के निवासी जबरदस्ती जमीन पर कब्जा करते पकड़े गये हो।

नयोबि:– यूएसए के नागरिक जबरदस्ती कब्जा करते पाये जाये, तो उसे नही छोड़ते। विदेशी तो बहुत दूर की बात कर दिये। घुसपैठियों के लिये तो कानून और दोगुना शख्त हो जाता है।

आर्यमणि:– बस फिर हमारा भी यहां वही हाल होना है। अल्फा पैक यहां से निकलने का कोई रास्ता समझ में आ रहा है?

रूही:– ऊपर आसमान नही है। वुल्फ आई से देखो तो पता चलेगा की सर के ऊपर किसी प्रकार के किरणों का घेरा है, जो आसमान जैसा दिखता है। यहां के प्रत्येक घर हीरे की भांति चमकते पत्थर से बने हैं, इसलिए दिन जैसा माहौल लग रहा है। इनका पूरा देश सतह से 10 किलोमीटर नीचे बसा हुआ होगा।

अलबेली:– कमाल की टेक्नोलॉजी है। किसी एक पॉइंट से ये लोग सूर्य की रौशनी को इकट्ठा करते होंगे और वहीं से पूरे देश में सूर्य की रौशनी फैला रहे है। जितने भी चमकते पत्थर है, उनका तापमान ग्रीन हाउस के तापमान को मैच कर रहा है।

इवान:– यदि हमें यहां से बाहर निकलना है तो इन हिम–मानव के साथ कुछ बेहतर टेक्नोलॉजी का सौदा करना होगा। वरना हमे यहां से कभी बाहर नही जाने देंगे...

नयोबि:– हां लेकिन बड़ा सवाल ये है कि 6 महादेश में बसने वाले देश सतह पर है। उनकी छिपी हुई दुनिया नहीं। हमने तो इनकी छिपी दुनिया देख लिया, कुछ भी कर लो ये हमे यहां से नही जाने देंगे। ये ठीक बिलकुल वैसा ही है जैसे किसी ने मिलिट्री के सीक्रेट वेपन को देख लिया हो। अब वह इंसान अच्छा हो या बुरा, फर्क नही पड़ता। समझ ही सकते हो उसके साथ क्या होगा।

रूही:– हां बस थोड़ा सा अंतर है। हम अल्फा पैक है। बस अपना मुंह बंद रखना और तमाशा देखो।

काफी लंबी बातें हुई। हिम–मानव की छिपी नगरी आंखों के सामने थी और उनकी विकसित सभ्यता को सब देख रहे थे। अलग तरह के टावर में इतनी देर तक कैद रहे की अब तो इन सबकी बातें भी समाप्त हो चुकी थी। भले ही ये लोग वेयरवोल्फ या वेमपायर थे, लेकिन सबको भूख तो लगती ही थी।

अल्फा पैक भूखे रहने के सिवा कुछ कर नही सकते थे, जबकि नयोबि और उसके 18 पंटर एक गोल घेरा बना लिये। भिड़ से किसी 2 वेमपायर ने खून के 2 पाउच निकाल लिये और सभी मिल बांटकर उसे पी गये। खून की गंध जैसे ही अल्फा पैक के नाक तक पहुंची, अजीब सा घृणित मुंह बनाकर वेमपायर के झुंड को देखने लगे।

नयोबि जैसे ही मुड़ा.... “अरे तुम्हे तो भूल ही गये। तुम्हे भी थोड़ा खून चखना है क्या? भूख और प्यार मिट जायेगी।”

आर्यमणि:– नही तुम ही पियो.. हम ठीक है।

नयोबि:– क्या हुआ, इतना शर्मा क्यों रहे? हमें तो लगा की खून की खुशबू सूंघकर जानवर को बेकाबू होते देखेंगे...

नयोबि अपनी बात कहकर हंसने लगा। नयोबि के साथ–साथ उसके सभी वेमपायर साथी भी हंसने लगे। आर्यमणि अल्फा पैक को नजरों से ही समझा गया... “बिलकुल शांत और एक भी शब्द जवाब मत देना।”

अल्फा पैक बेज्जती बर्दास्त कर अपनी जगह बैठ गये। आज तो पहले दिन का भूख था। धीरे–धीरे कई और दिन बीते। उस टावर पर बिना भोजन–पानी के 30 दिन बीत चुके थे। अल्फा पैक पिछले 30 दिनो से बिना अन्न और जल का एक भी कतरा लिये, भूखे प्यासे बैठे थे। शरीर बिलकुल सुख गया था। आंखों की पुतलियां धंस गयी थी। नयोबि और उसके लोग हर दिन 4 बार तो उनका मजाक उड़ाते ही।

३१वें दिन वेमपायर के पास का खून भी समाप्त हो चुका था। किसी तरह एक दिन तो भूखे–प्यास से काट लिये, लेकिन ३२वें दिन हर वेमपायर भूख से पागल हो उठे थे। नयोबि किसी तरह उन्हे नियंत्रित कर तो रहा था लेकिन सच्चाई यही थी कि अपने लोगों की तरह वह भी अल्फा पैक को भोजन के रूप में देख रहा था।

जैसे–जैसे ३२वा दिन चढ़ता गया, सभी वेमपायर भूख और प्यास से पागल हो उठे। आखिरकार रात में वही हुआ जो भूखे जानवर अपने शिकार के साथ करते थे, भोजन के लिये हमला। अल्फा पैक पर हमला हो चुका था। आर्यमणि ने अभी केवल बचाव के संकेत दिये थे इसलिए उनपर हमला कर रहे वेमपायर को केवल खुद से दूर रख रहे थे।

रूही:– आर्य ये लोग ऐसे मानने वाले नही। क्या कहते हो...

आर्यमणि तेज दहाड़ के साथ अपने मुक्के का एक जोरदार प्रहार करते... “सबको अधमरा कर दो।”...

अल्फा पैक तेज दहाड़ के साथ शेप शिफ्ट कर चुके थे। वेमपायर अपने शरीर में कई तरह के बदलाव तो कर चुके थे, लेकिन भूख और प्यास में उनका वास्तविक प्रकृति ही उभरकर बाहर आ रहा था। वेमपायर ने जो भी कृत्रिम प्रारूप को अपने अंदर समा रखा था, वह सब भूल चुके थे। केवल वेयरवोल्फ की तरह शेप नही शिफ्ट किये थे बाकी क्ला और फेंग उनके भी निकल आये थे।

वेमपायर भूख प्यास से बिलबिलाते हुये अपने शिकार को झपटने आगे बढ़ते और अल्फा पैक का पावर पंच खाकर दूर कर्राह रहे होते। फिर अल्फा पैक ने कोई रहम नहीं दिखाया। जो भी उनके नजदीक पहुंचते उन्हे इतना तेज जोरदार मुक्का लगता की अंग भंग हो जाता। हां लेकिन भूख प्यास ने सबको अंधा नही किया था। नयोबि अपने कुछ साथियों के साथ एक फॉर्मेशन बनाया और अपने शरीर के आर्मर को ऑन कर दिया।

ठीक उस रात की तरह आज भी वेमपायर का शरीर किसी मैटेलिक शरीर के समान दिख रहा था, जो भट्टी से निकले धातु की समान लाल था। नयोबि का इशारा हुआ और सभी वेमपायर के हाथ से दूधिया रौशनी निकलने लगी। आर्यमणि तो इस रौशनी पर पहले ही प्रयोग कर चुका था। अल्फा पैक भी जानती थी कि इनसे कैसे निपटा जाये। लिहाजा सभी वुल्फ ने अपने पंजे आगे कर लिये और उस रौशनी को हवा का कोई टॉक्सिक मानते हुये खुद में ही समाने लगे।

देखते ही देखते वेमपायर की वो कृत्रिम रौशनी अल्फा पैक को बांधने के बदले खुद उसी के अंदर समाने लगी। काफी देर तक यह तमाशा चलता रहा। अंत में जब वेमपायर ने अपने हथियार को लगातार विफल होते हुये देखा, तब एक बार फिर अपना आपा खो बैठे। भूखे वेमपायर कतार तोड़कर अपने शिकार पर सीधा हमला करने निकल गये।

3–4 वेमपायर हवा में छलांग लगा चुके थे। ठीक उसी वक्त अलबेली और इवान भी हवा में के छलांग लगाकर वेमपायर से ऊंचा गये और हवा में ही इतने तेज और जोरदार लात से प्रहार किया की सभी वेमपायर फुटबॉल की तरह उछलकर काफी दूर जाकर गिड़े। इधर आर्यमणि और रूही के बीच नजरों का संपर्क हुआ। रूही, आर्यमणि के इशारों की भाषा को समझती आर्यमणि के साथ तेज दौड़ लगा दी। दोनो ही इतना तेज दौरे की सामने खड़े वेमपायर को उनके कंधे का तेज धक्का लगा और सभी वेमपायर एक साथ हवा में थे।

19 घायल वेमपायर दर्द से कर्राह रहे थे। अल्फा पैक रात भर उन्हे कर्राहते छोड़ अपनी नींद में मस्त हो गये। सुबह उठकर सभी बेहोश घायलों का उपचार किया और वापस से अपनी जगह बैठ गये। उपचार के बाद भी वेमपायर बेहोश पड़े रहे। दिन चढ़ते–चढ़ते भूख से बिलबिला कर सभी वेमपायर उठे और पिछले दिन की मार को भूलकर एक बार फिर अल्फा पैक को मारने के लिये दौड़े। होना क्या था... अल्फा पैक का मुक्का और लात बरसा। मेटलिक कवच के पीछे छिपे शरीर को भी इन लोगों ने अपने लात और घुसे के प्रहार से घायल कर दिया।

लगभग 10 दिनो तक यही खेल चलता रहा। हर दिन वेमपायर पहले से ज्यादा आक्रमक होते और अल्फा पैक के पास उनके लिये हर दिन एक जैसा उपचार होता। हां वो अलग बात थी कि एक महीने तक अल्फा पैक यातनाएं झेलने के बाद, हर रात जब अंधेरा घना होता तब नीचे शहर में लगे बहुत सारे पेड़–पौधों की जड़ें अल्फा पैक से कनेक्ट हो जाती और पूरे दिन का वो पोषण एक वक्त में ही समेट लिया करते थे।

डेढ़ महीने अजीब से कैद में बीते होंगे, जहां रोज शाम को अल्फा पैक वेमपायर को घायल कर दिया करते थे और सुबह उन्हे हील करते थे। चूंकि वेमपायर पूरी तरह से खून के पोषण पर जीते थे, इसलिए अल्फा पैक उनकी भूख तो नही मिटा पाते थे किंतु उनके अक्रमता को जरूर मिटा देते थे।
शानदार जबरदस्त भाई लाजवाब update bhai jann superree duperrere update

Ye kaise kaise prani leke arhe ho bade bhai meyne to kuch alg hi socha tha...

Aur ye kaisa shahar banaya hey ye him logo née Ekdam काच mafik ekdam cahkachk...

Aur ye inki bhi adalat hoti hey kya 🤔

Enpar lagta hey desh mey ghuskhori ka mukdama chalega Aur ismey kya hota hey yebhi ab dekhnan padega..

Aur vamp Kab sudhrenge slaa 1 mahine tak khun ka stock leke the lekin uske bad sala unko talf hi LG gyi hey ur ye Alfa pack ko hi khana banane ka sochrele hey...

Ye to inki full dhulai krele hey our subhe thik kar rahe hey meko lagta hey asech chalta hey ga...
 

Xabhi

"Injoy Everything In Limits"
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भाग:–139


बर्फीली हवाओं को चिड़कर जब वे प्रत्यक्ष रूप से सामने आये, हर किसी का कलेजा बूफर के समान तेज–तेज धम–धम करने लगा। फिर चाहे वह आर्यमणि खुद भी क्यों न हो जिसे अंदेशा था कि उसका सामना किनसे होने वाला है, लेकिन फिर भी उन्हें सामने देखकर धड़कने बढ़ी जरूर थी।

15 फिट ऊंचा 4 फिट चौड़ा विशालकाय शरीर। हाथों में जब 1 फिट चौड़ा और 5 फिट लंबा तलवार लिये दौड़ते हुये सामने आया, ऐसा लगा विशाल मौत सबकी ओर दौड़ रही थी। ये हिम–मानव की प्रजाति थी, जिन्हे हिमालय के सुदूर क्षेत्र से लेकर बिग–फूट के नाम से अमेरिका में भी देखे जाने के दावे किये जाते थे, किंतु आज तक कोई प्रत्यक्ष प्रमाण नहीं मिला था।

आर्यमणि और पूरा अल्फा पैक तुरंत ही अपने घुटनों पर आकर सर झुका लिये। उनके ओर दौड़ रहा हिम–मानव तलवार लहराता हुआ करीब पहुंचा और अपने सम्मान में झुके निहत्थे लोगों को देखकर रुक गया। आर्यमणि के ही देखा–देखी नयोबि और उसके लोग भी घुटनों पर आकर सर झुका लिये।

हां लेकिन कुछ लोग इतने डरे हुये थे कि चिल्लाते हुये भागे और भागने के क्रम में अंधाधुन फायरिंग भी करते हुये भागे। हिम–मानव को गुस्सा आ गया और वो एक छलांग लगाकर उनके सामने। डर ने ऐसा घेरा की वो वेमपायर यह तक भूल गये की वो क्या कर सकते थे। बेबस और असहाय की तरह सामने खड़े मृत्यु को देख रहे थे।

आर्यमणि को जब एहसास हुआ की कुछ लोगों की जान खतरे में है। फिर बिना वक्त गवाए आर्यमणि अपना सर ऊपर किया और सामने खड़े हिम–मानव के आंखों से आंखें मिला, तेज दहाड़ लगाया। दहाड़ इतनी तेज और लंबी थी कि जिसने भी सुना स्थूल पड़ गया। आर्यमणि के दहाड़ निकलने भर की देरी थी, फिर तो पूरा अल्फा पैक ही दहाड़ निकाल रहा था।

अल्फा पैक की दहाड़ सुनकर हिम–मानव घूरती नजरों से अल्फा पैक को देखे। मुख से निकला... “ऐसा क्या?” और अगले ही पल चारो ओर से एक सुर में ऐसा भयानक चिल्लाने की आवाज आयी, कि आर्यमणि तक हैरान। जब तक कुछ समझ में आता हर कोई मेहसूस कर रहा था कि वह किसी गड्ढे में गिर रहा है। सबकी आंखें बंद हो गयी। और जब आंखें खुली तब आंखों के आगे अद्भुत दृश्य था। ऐसा लग रहा था नीचे गिरने के कारण मृत्यु हो गयी और जब आंख खुली तो स्वप्न नगरी में थे।

चारो ओर चकाचक बड़ी–बड़ी हीरे समान चमचमाती इमारतें। शहर भी ऐसा बना था मानो फुरसत से बैठकर प्लान करके बनाया गया हो। ना कोई इमारत सड़क पर इंच भर भी आगे और न ही कोई इमारत दूसरे इमारत से एक भी इंच छोटा या बड़ा। जितनी आधुनिकता उतनी ही हरियाली थी। पेड़ भी इस कदर श्रेणी क्रम में लगे थे कि देखने वाले हैरान हो जाये।

सड़क इतनी चौड़ी थी कि एक किनारे से चार एरोप्लेन एक साथ उड़ान भर सकते थे। वहीं बीच का हिस्सा जो डिवाइडर का काम करता था वह किसी एक किनारे के मुकाबले 2 गुना बड़ा था, जिसमें खाने वाली फसलें, जैसे धान, गेंहू, मक्का, बाजरा इत्यादि की खेती की जा रही थी।

खुद की हालत पर जब गौर किये तब पता चला की सभी लोगों को बहुत ही ऊंचे टावर की छत पर रखा गया था। ये टावर भी कमाल की इंजीनियरिंग का बेहद खूबसूरत नजारा था। 15 फिट मोटे टावर की लंबाई लगभग 1200 फिट थी, जिसके ऊपरी सिरे पर 500 मीटर की रेडियस का खुला छत था। उस छत पर आर्यमणि, नयोबि और उनके साथी ही नही बल्कि 200 से 300 और भी लोग थे। बस फर्क सिर्फ इतना था कि ये लोग बौने थे, और वो लोग 15 फिट के हैकल शरीर वाले।

आर्यमणि:– ये हम आसमान से गिड़कर किस प्रकार के खजूर पर लटक गये।

रूही:– मुझे नही पता। हम जहां कहीं भी है, है ये कमाल की जगह। कोई विशेष टिप्पणी, कर्नल नयोबि।

नयोबि:– क्या तुम इन जैसे प्रजाति से पहले भी मिल चुके हो?

आर्यमणि:– नही बस मुझे अंदाजा हो गया था कि बर्फ की सतह के नीचे जीवन बसता है। ऐसे जलवायु में कौन रह सकते हैं, उसका भी अंदाजा था। जिसे अमेरिका में बिग–फूट और भारत में हिम–मानव कहते है, वही समुदाय। मैं भी पहली बार ही मिल रहा हूं।

“ज्यादा मच–मच नही करने का बौनो। वरना अदालत के फैसले से पहले कहीं हम न फैसला कर ले।”.... वहां मौजूद हिम–मानव की भिड़ से एक हिम–मानव बोला..

आर्यमणि:– अदालत... मतलब...

हिम–मानव:– अबे घोंचू अदालत मतलब अदालत जहां अपराधियों को सजा सुनाई जाती है।

रूही:– अपराधी??? तो क्या हम किसी प्रकार की जेल में है...

हिम–मानव:– हां ये टावर ट्रायल एरिया है। तुम सब रोलफेल देश की राजधानी पीक सिटी में हो। अब ज्यादा सवाल–जवाब नही वरना अपना मगज गरम हो जायेगा।

रूही:– वैसे यहां तुम लोगों का नाम भी है या एक दूसरे को पुकारने का कोई अलग तरीका है?

हिम–मानव:– ए सटकेली, बिना नाम के कैसे किसी को पुकारेंगे... हम सबका नाम है। मेरा नाम हिम–भोसला–गज्जक–जूनियर–8 है।

रूही:– इतना बड़े नाम से बुलाते हैं तुम्हे... हिम–भोसला–गज्जक–जूनियर–8..

भोसला:– अरे नही रे, पूरा नाम था वो। बुलाते तो भोसला के नाम से ही है। हिम का मतलब है हमारे पूर्वज हिमालय की नगरी से थे। गज्जक अपने पूज्य पिताजी का नाम है और अपन उनकी आठवें नंबर की संतान है इसलिए जूनियर–8.. लो मामू लोग की टोली भी आ गयी, चलो अपन चलता है। जेल में मुलाकात होगी...

पुलिस की 8–10 उड़न तस्तरी वैन टावर के ऊपर लग गया। जिस किसी कैदी को उठाना होता, उसके ऊपर ट्रैप वेब किरणे पड़ती और वह खींचकर सीधा पुलिस की उड़न तस्तरी वैन में। अल्फा पैक और नयोबि की टीम को छोड़कर बाकी सबको उठा ले गये।

नयोबि:– बहुत खतरनाक लोग है आर्यमणि। और इनकी सभ्यता काफी विकसित मालूम पड़ती है।

आर्यमणि:– अब पता चला गायब लोग कहां गये।

नयोबि:– हां खुद को लापता करवाकर पता लगा ही लिया। ये बताओ इनकी अदालत में क्या फैसला ले सकते है?

आर्यमणि:– ठीक वैसा ही फैसला लेंगे जैसे यूएसए की जमीन पर किसी दूसरे देश के निवासी जबरदस्ती जमीन पर कब्जा करते पकड़े गये हो।

नयोबि:– यूएसए के नागरिक जबरदस्ती कब्जा करते पाये जाये, तो उसे नही छोड़ते। विदेशी तो बहुत दूर की बात कर दिये। घुसपैठियों के लिये तो कानून और दोगुना शख्त हो जाता है।

आर्यमणि:– बस फिर हमारा भी यहां वही हाल होना है। अल्फा पैक यहां से निकलने का कोई रास्ता समझ में आ रहा है?

रूही:– ऊपर आसमान नही है। वुल्फ आई से देखो तो पता चलेगा की सर के ऊपर किसी प्रकार के किरणों का घेरा है, जो आसमान जैसा दिखता है। यहां के प्रत्येक घर हीरे की भांति चमकते पत्थर से बने हैं, इसलिए दिन जैसा माहौल लग रहा है। इनका पूरा देश सतह से 10 किलोमीटर नीचे बसा हुआ होगा।

अलबेली:– कमाल की टेक्नोलॉजी है। किसी एक पॉइंट से ये लोग सूर्य की रौशनी को इकट्ठा करते होंगे और वहीं से पूरे देश में सूर्य की रौशनी फैला रहे है। जितने भी चमकते पत्थर है, उनका तापमान ग्रीन हाउस के तापमान को मैच कर रहा है।

इवान:– यदि हमें यहां से बाहर निकलना है तो इन हिम–मानव के साथ कुछ बेहतर टेक्नोलॉजी का सौदा करना होगा। वरना हमे यहां से कभी बाहर नही जाने देंगे...

नयोबि:– हां लेकिन बड़ा सवाल ये है कि 6 महादेश में बसने वाले देश सतह पर है। उनकी छिपी हुई दुनिया नहीं। हमने तो इनकी छिपी दुनिया देख लिया, कुछ भी कर लो ये हमे यहां से नही जाने देंगे। ये ठीक बिलकुल वैसा ही है जैसे किसी ने मिलिट्री के सीक्रेट वेपन को देख लिया हो। अब वह इंसान अच्छा हो या बुरा, फर्क नही पड़ता। समझ ही सकते हो उसके साथ क्या होगा।

रूही:– हां बस थोड़ा सा अंतर है। हम अल्फा पैक है। बस अपना मुंह बंद रखना और तमाशा देखो।

काफी लंबी बातें हुई। हिम–मानव की छिपी नगरी आंखों के सामने थी और उनकी विकसित सभ्यता को सब देख रहे थे। अलग तरह के टावर में इतनी देर तक कैद रहे की अब तो इन सबकी बातें भी समाप्त हो चुकी थी। भले ही ये लोग वेयरवोल्फ या वेमपायर थे, लेकिन सबको भूख तो लगती ही थी।

अल्फा पैक भूखे रहने के सिवा कुछ कर नही सकते थे, जबकि नयोबि और उसके 18 पंटर एक गोल घेरा बना लिये। भिड़ से किसी 2 वेमपायर ने खून के 2 पाउच निकाल लिये और सभी मिल बांटकर उसे पी गये। खून की गंध जैसे ही अल्फा पैक के नाक तक पहुंची, अजीब सा घृणित मुंह बनाकर वेमपायर के झुंड को देखने लगे।

नयोबि जैसे ही मुड़ा.... “अरे तुम्हे तो भूल ही गये। तुम्हे भी थोड़ा खून चखना है क्या? भूख और प्यार मिट जायेगी।”

आर्यमणि:– नही तुम ही पियो.. हम ठीक है।

नयोबि:– क्या हुआ, इतना शर्मा क्यों रहे? हमें तो लगा की खून की खुशबू सूंघकर जानवर को बेकाबू होते देखेंगे...

नयोबि अपनी बात कहकर हंसने लगा। नयोबि के साथ–साथ उसके सभी वेमपायर साथी भी हंसने लगे। आर्यमणि अल्फा पैक को नजरों से ही समझा गया... “बिलकुल शांत और एक भी शब्द जवाब मत देना।”

अल्फा पैक बेज्जती बर्दास्त कर अपनी जगह बैठ गये। आज तो पहले दिन का भूख था। धीरे–धीरे कई और दिन बीते। उस टावर पर बिना भोजन–पानी के 30 दिन बीत चुके थे। अल्फा पैक पिछले 30 दिनो से बिना अन्न और जल का एक भी कतरा लिये, भूखे प्यासे बैठे थे। शरीर बिलकुल सुख गया था। आंखों की पुतलियां धंस गयी थी। नयोबि और उसके लोग हर दिन 4 बार तो उनका मजाक उड़ाते ही।

३१वें दिन वेमपायर के पास का खून भी समाप्त हो चुका था। किसी तरह एक दिन तो भूखे–प्यास से काट लिये, लेकिन ३२वें दिन हर वेमपायर भूख से पागल हो उठे थे। नयोबि किसी तरह उन्हे नियंत्रित कर तो रहा था लेकिन सच्चाई यही थी कि अपने लोगों की तरह वह भी अल्फा पैक को भोजन के रूप में देख रहा था।

जैसे–जैसे ३२वा दिन चढ़ता गया, सभी वेमपायर भूख और प्यास से पागल हो उठे। आखिरकार रात में वही हुआ जो भूखे जानवर अपने शिकार के साथ करते थे, भोजन के लिये हमला। अल्फा पैक पर हमला हो चुका था। आर्यमणि ने अभी केवल बचाव के संकेत दिये थे इसलिए उनपर हमला कर रहे वेमपायर को केवल खुद से दूर रख रहे थे।

रूही:– आर्य ये लोग ऐसे मानने वाले नही। क्या कहते हो...

आर्यमणि तेज दहाड़ के साथ अपने मुक्के का एक जोरदार प्रहार करते... “सबको अधमरा कर दो।”...

अल्फा पैक तेज दहाड़ के साथ शेप शिफ्ट कर चुके थे। वेमपायर अपने शरीर में कई तरह के बदलाव तो कर चुके थे, लेकिन भूख और प्यास में उनका वास्तविक प्रकृति ही उभरकर बाहर आ रहा था। वेमपायर ने जो भी कृत्रिम प्रारूप को अपने अंदर समा रखा था, वह सब भूल चुके थे। केवल वेयरवोल्फ की तरह शेप नही शिफ्ट किये थे बाकी क्ला और फेंग उनके भी निकल आये थे।

वेमपायर भूख प्यास से बिलबिलाते हुये अपने शिकार को झपटने आगे बढ़ते और अल्फा पैक का पावर पंच खाकर दूर कर्राह रहे होते। फिर अल्फा पैक ने कोई रहम नहीं दिखाया। जो भी उनके नजदीक पहुंचते उन्हे इतना तेज जोरदार मुक्का लगता की अंग भंग हो जाता। हां लेकिन भूख प्यास ने सबको अंधा नही किया था। नयोबि अपने कुछ साथियों के साथ एक फॉर्मेशन बनाया और अपने शरीर के आर्मर को ऑन कर दिया।

ठीक उस रात की तरह आज भी वेमपायर का शरीर किसी मैटेलिक शरीर के समान दिख रहा था, जो भट्टी से निकले धातु की समान लाल था। नयोबि का इशारा हुआ और सभी वेमपायर के हाथ से दूधिया रौशनी निकलने लगी। आर्यमणि तो इस रौशनी पर पहले ही प्रयोग कर चुका था। अल्फा पैक भी जानती थी कि इनसे कैसे निपटा जाये। लिहाजा सभी वुल्फ ने अपने पंजे आगे कर लिये और उस रौशनी को हवा का कोई टॉक्सिक मानते हुये खुद में ही समाने लगे।

देखते ही देखते वेमपायर की वो कृत्रिम रौशनी अल्फा पैक को बांधने के बदले खुद उसी के अंदर समाने लगी। काफी देर तक यह तमाशा चलता रहा। अंत में जब वेमपायर ने अपने हथियार को लगातार विफल होते हुये देखा, तब एक बार फिर अपना आपा खो बैठे। भूखे वेमपायर कतार तोड़कर अपने शिकार पर सीधा हमला करने निकल गये।

3–4 वेमपायर हवा में छलांग लगा चुके थे। ठीक उसी वक्त अलबेली और इवान भी हवा में के छलांग लगाकर वेमपायर से ऊंचा गये और हवा में ही इतने तेज और जोरदार लात से प्रहार किया की सभी वेमपायर फुटबॉल की तरह उछलकर काफी दूर जाकर गिड़े। इधर आर्यमणि और रूही के बीच नजरों का संपर्क हुआ। रूही, आर्यमणि के इशारों की भाषा को समझती आर्यमणि के साथ तेज दौड़ लगा दी। दोनो ही इतना तेज दौरे की सामने खड़े वेमपायर को उनके कंधे का तेज धक्का लगा और सभी वेमपायर एक साथ हवा में थे।

19 घायल वेमपायर दर्द से कर्राह रहे थे। अल्फा पैक रात भर उन्हे कर्राहते छोड़ अपनी नींद में मस्त हो गये। सुबह उठकर सभी बेहोश घायलों का उपचार किया और वापस से अपनी जगह बैठ गये। उपचार के बाद भी वेमपायर बेहोश पड़े रहे। दिन चढ़ते–चढ़ते भूख से बिलबिला कर सभी वेमपायर उठे और पिछले दिन की मार को भूलकर एक बार फिर अल्फा पैक को मारने के लिये दौड़े। होना क्या था... अल्फा पैक का मुक्का और लात बरसा। मेटलिक कवच के पीछे छिपे शरीर को भी इन लोगों ने अपने लात और घुसे के प्रहार से घायल कर दिया।

लगभग 10 दिनो तक यही खेल चलता रहा। हर दिन वेमपायर पहले से ज्यादा आक्रमक होते और अल्फा पैक के पास उनके लिये हर दिन एक जैसा उपचार होता। हां वो अलग बात थी कि एक महीने तक अल्फा पैक यातनाएं झेलने के बाद, हर रात जब अंधेरा घना होता तब नीचे शहर में लगे बहुत सारे पेड़–पौधों की जड़ें अल्फा पैक से कनेक्ट हो जाती और पूरे दिन का वो पोषण एक वक्त में ही समेट लिया करते थे।

डेढ़ महीने अजीब से कैद में बीते होंगे, जहां रोज शाम को अल्फा पैक वेमपायर को घायल कर दिया करते थे और सुबह उन्हे हील करते थे। चूंकि वेमपायर पूरी तरह से खून के पोषण पर जीते थे, इसलिए अल्फा पैक उनकी भूख तो नही मिटा पाते थे किंतु उनके अक्रमता को जरूर मिटा देते थे।
Alfa pack or vampair ko him-manav ne apne sath le gyi apni city me, vha baki ke gayab kiye gye log bhi the...

Ye vampire akhirkar apni Asli vyavhar me aa hi gye, Pahle jbtk khoon ki thailiyo thi Tbtk thode sant rhe or Alfa pack ki bejjati karte rhe, lekin jb khoon khatm ho gya to sare vamp Alfa team ko hi khane ke liye bhagne lage...

Alfa team ne apne liye energy dhundh li hai pedho ke jariye or vo raat ke andhere me hasil bhi kr le rhe hai pr in vamp ko Acchi tarah se tod dete hai taki raat chain se so sake...

Yha arya and team in vamp ke sarir ko acche se nirikshan kar sakte hai, unki takat or kamjori acche se samajh sakte hai, is khali Samay me...

Superb update bhai sandar jabarjast lajvab
 
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