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Fantasy Aryamani:- A Pure Alfa Between Two World's

nain11ster

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सब फाडू जा रहा है

आगे बहुत कुछ देखने को मिलेगा
 

Tiger 786

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भाग:–139


बर्फीली हवाओं को चिड़कर जब वे प्रत्यक्ष रूप से सामने आये, हर किसी का कलेजा बूफर के समान तेज–तेज धम–धम करने लगा। फिर चाहे वह आर्यमणि खुद भी क्यों न हो जिसे अंदेशा था कि उसका सामना किनसे होने वाला है, लेकिन फिर भी उन्हें सामने देखकर धड़कने बढ़ी जरूर थी।

15 फिट ऊंचा 4 फिट चौड़ा विशालकाय शरीर। हाथों में जब 1 फिट चौड़ा और 5 फिट लंबा तलवार लिये दौड़ते हुये सामने आया, ऐसा लगा विशाल मौत सबकी ओर दौड़ रही थी। ये हिम–मानव की प्रजाति थी, जिन्हे हिमालय के सुदूर क्षेत्र से लेकर बिग–फूट के नाम से अमेरिका में भी देखे जाने के दावे किये जाते थे, किंतु आज तक कोई प्रत्यक्ष प्रमाण नहीं मिला था।

आर्यमणि और पूरा अल्फा पैक तुरंत ही अपने घुटनों पर आकर सर झुका लिये। उनके ओर दौड़ रहा हिम–मानव तलवार लहराता हुआ करीब पहुंचा और अपने सम्मान में झुके निहत्थे लोगों को देखकर रुक गया। आर्यमणि के ही देखा–देखी नयोबि और उसके लोग भी घुटनों पर आकर सर झुका लिये।

हां लेकिन कुछ लोग इतने डरे हुये थे कि चिल्लाते हुये भागे और भागने के क्रम में अंधाधुन फायरिंग भी करते हुये भागे। हिम–मानव को गुस्सा आ गया और वो एक छलांग लगाकर उनके सामने। डर ने ऐसा घेरा की वो वेमपायर यह तक भूल गये की वो क्या कर सकते थे। बेबस और असहाय की तरह सामने खड़े मृत्यु को देख रहे थे।

आर्यमणि को जब एहसास हुआ की कुछ लोगों की जान खतरे में है। फिर बिना वक्त गवाए आर्यमणि अपना सर ऊपर किया और सामने खड़े हिम–मानव के आंखों से आंखें मिला, तेज दहाड़ लगाया। दहाड़ इतनी तेज और लंबी थी कि जिसने भी सुना स्थूल पड़ गया। आर्यमणि के दहाड़ निकलने भर की देरी थी, फिर तो पूरा अल्फा पैक ही दहाड़ निकाल रहा था।

अल्फा पैक की दहाड़ सुनकर हिम–मानव घूरती नजरों से अल्फा पैक को देखे। मुख से निकला... “ऐसा क्या?” और अगले ही पल चारो ओर से एक सुर में ऐसा भयानक चिल्लाने की आवाज आयी, कि आर्यमणि तक हैरान। जब तक कुछ समझ में आता हर कोई मेहसूस कर रहा था कि वह किसी गड्ढे में गिर रहा है। सबकी आंखें बंद हो गयी। और जब आंखें खुली तब आंखों के आगे अद्भुत दृश्य था। ऐसा लग रहा था नीचे गिरने के कारण मृत्यु हो गयी और जब आंख खुली तो स्वप्न नगरी में थे।

चारो ओर चकाचक बड़ी–बड़ी हीरे समान चमचमाती इमारतें। शहर भी ऐसा बना था मानो फुरसत से बैठकर प्लान करके बनाया गया हो। ना कोई इमारत सड़क पर इंच भर भी आगे और न ही कोई इमारत दूसरे इमारत से एक भी इंच छोटा या बड़ा। जितनी आधुनिकता उतनी ही हरियाली थी। पेड़ भी इस कदर श्रेणी क्रम में लगे थे कि देखने वाले हैरान हो जाये।

सड़क इतनी चौड़ी थी कि एक किनारे से चार एरोप्लेन एक साथ उड़ान भर सकते थे। वहीं बीच का हिस्सा जो डिवाइडर का काम करता था वह किसी एक किनारे के मुकाबले 2 गुना बड़ा था, जिसमें खाने वाली फसलें, जैसे धान, गेंहू, मक्का, बाजरा इत्यादि की खेती की जा रही थी।

खुद की हालत पर जब गौर किये तब पता चला की सभी लोगों को बहुत ही ऊंचे टावर की छत पर रखा गया था। ये टावर भी कमाल की इंजीनियरिंग का बेहद खूबसूरत नजारा था। 15 फिट मोटे टावर की लंबाई लगभग 1200 फिट थी, जिसके ऊपरी सिरे पर 500 मीटर की रेडियस का खुला छत था। उस छत पर आर्यमणि, नयोबि और उनके साथी ही नही बल्कि 200 से 300 और भी लोग थे। बस फर्क सिर्फ इतना था कि ये लोग बौने थे, और वो लोग 15 फिट के हैकल शरीर वाले।

आर्यमणि:– ये हम आसमान से गिड़कर किस प्रकार के खजूर पर लटक गये।

रूही:– मुझे नही पता। हम जहां कहीं भी है, है ये कमाल की जगह। कोई विशेष टिप्पणी, कर्नल नयोबि।

नयोबि:– क्या तुम इन जैसे प्रजाति से पहले भी मिल चुके हो?

आर्यमणि:– नही बस मुझे अंदाजा हो गया था कि बर्फ की सतह के नीचे जीवन बसता है। ऐसे जलवायु में कौन रह सकते हैं, उसका भी अंदाजा था। जिसे अमेरिका में बिग–फूट और भारत में हिम–मानव कहते है, वही समुदाय। मैं भी पहली बार ही मिल रहा हूं।

“ज्यादा मच–मच नही करने का बौनो। वरना अदालत के फैसले से पहले कहीं हम न फैसला कर ले।”.... वहां मौजूद हिम–मानव की भिड़ से एक हिम–मानव बोला..

आर्यमणि:– अदालत... मतलब...

हिम–मानव:– अबे घोंचू अदालत मतलब अदालत जहां अपराधियों को सजा सुनाई जाती है।

रूही:– अपराधी??? तो क्या हम किसी प्रकार की जेल में है...

हिम–मानव:– हां ये टावर ट्रायल एरिया है। तुम सब रोलफेल देश की राजधानी पीक सिटी में हो। अब ज्यादा सवाल–जवाब नही वरना अपना मगज गरम हो जायेगा।

रूही:– वैसे यहां तुम लोगों का नाम भी है या एक दूसरे को पुकारने का कोई अलग तरीका है?

हिम–मानव:– ए सटकेली, बिना नाम के कैसे किसी को पुकारेंगे... हम सबका नाम है। मेरा नाम हिम–भोसला–गज्जक–जूनियर–8 है।

रूही:– इतना बड़े नाम से बुलाते हैं तुम्हे... हिम–भोसला–गज्जक–जूनियर–8..

भोसला:– अरे नही रे, पूरा नाम था वो। बुलाते तो भोसला के नाम से ही है। हिम का मतलब है हमारे पूर्वज हिमालय की नगरी से थे। गज्जक अपने पूज्य पिताजी का नाम है और अपन उनकी आठवें नंबर की संतान है इसलिए जूनियर–8.. लो मामू लोग की टोली भी आ गयी, चलो अपन चलता है। जेल में मुलाकात होगी...

पुलिस की 8–10 उड़न तस्तरी वैन टावर के ऊपर लग गया। जिस किसी कैदी को उठाना होता, उसके ऊपर ट्रैप वेब किरणे पड़ती और वह खींचकर सीधा पुलिस की उड़न तस्तरी वैन में। अल्फा पैक और नयोबि की टीम को छोड़कर बाकी सबको उठा ले गये।

नयोबि:– बहुत खतरनाक लोग है आर्यमणि। और इनकी सभ्यता काफी विकसित मालूम पड़ती है।

आर्यमणि:– अब पता चला गायब लोग कहां गये।

नयोबि:– हां खुद को लापता करवाकर पता लगा ही लिया। ये बताओ इनकी अदालत में क्या फैसला ले सकते है?

आर्यमणि:– ठीक वैसा ही फैसला लेंगे जैसे यूएसए की जमीन पर किसी दूसरे देश के निवासी जबरदस्ती जमीन पर कब्जा करते पकड़े गये हो।

नयोबि:– यूएसए के नागरिक जबरदस्ती कब्जा करते पाये जाये, तो उसे नही छोड़ते। विदेशी तो बहुत दूर की बात कर दिये। घुसपैठियों के लिये तो कानून और दोगुना शख्त हो जाता है।

आर्यमणि:– बस फिर हमारा भी यहां वही हाल होना है। अल्फा पैक यहां से निकलने का कोई रास्ता समझ में आ रहा है?

रूही:– ऊपर आसमान नही है। वुल्फ आई से देखो तो पता चलेगा की सर के ऊपर किसी प्रकार के किरणों का घेरा है, जो आसमान जैसा दिखता है। यहां के प्रत्येक घर हीरे की भांति चमकते पत्थर से बने हैं, इसलिए दिन जैसा माहौल लग रहा है। इनका पूरा देश सतह से 10 किलोमीटर नीचे बसा हुआ होगा।

अलबेली:– कमाल की टेक्नोलॉजी है। किसी एक पॉइंट से ये लोग सूर्य की रौशनी को इकट्ठा करते होंगे और वहीं से पूरे देश में सूर्य की रौशनी फैला रहे है। जितने भी चमकते पत्थर है, उनका तापमान ग्रीन हाउस के तापमान को मैच कर रहा है।

इवान:– यदि हमें यहां से बाहर निकलना है तो इन हिम–मानव के साथ कुछ बेहतर टेक्नोलॉजी का सौदा करना होगा। वरना हमे यहां से कभी बाहर नही जाने देंगे...

नयोबि:– हां लेकिन बड़ा सवाल ये है कि 6 महादेश में बसने वाले देश सतह पर है। उनकी छिपी हुई दुनिया नहीं। हमने तो इनकी छिपी दुनिया देख लिया, कुछ भी कर लो ये हमे यहां से नही जाने देंगे। ये ठीक बिलकुल वैसा ही है जैसे किसी ने मिलिट्री के सीक्रेट वेपन को देख लिया हो। अब वह इंसान अच्छा हो या बुरा, फर्क नही पड़ता। समझ ही सकते हो उसके साथ क्या होगा।

रूही:– हां बस थोड़ा सा अंतर है। हम अल्फा पैक है। बस अपना मुंह बंद रखना और तमाशा देखो।

काफी लंबी बातें हुई। हिम–मानव की छिपी नगरी आंखों के सामने थी और उनकी विकसित सभ्यता को सब देख रहे थे। अलग तरह के टावर में इतनी देर तक कैद रहे की अब तो इन सबकी बातें भी समाप्त हो चुकी थी। भले ही ये लोग वेयरवोल्फ या वेमपायर थे, लेकिन सबको भूख तो लगती ही थी।

अल्फा पैक भूखे रहने के सिवा कुछ कर नही सकते थे, जबकि नयोबि और उसके 18 पंटर एक गोल घेरा बना लिये। भिड़ से किसी 2 वेमपायर ने खून के 2 पाउच निकाल लिये और सभी मिल बांटकर उसे पी गये। खून की गंध जैसे ही अल्फा पैक के नाक तक पहुंची, अजीब सा घृणित मुंह बनाकर वेमपायर के झुंड को देखने लगे।

नयोबि जैसे ही मुड़ा.... “अरे तुम्हे तो भूल ही गये। तुम्हे भी थोड़ा खून चखना है क्या? भूख और प्यार मिट जायेगी।”

आर्यमणि:– नही तुम ही पियो.. हम ठीक है।

नयोबि:– क्या हुआ, इतना शर्मा क्यों रहे? हमें तो लगा की खून की खुशबू सूंघकर जानवर को बेकाबू होते देखेंगे...

नयोबि अपनी बात कहकर हंसने लगा। नयोबि के साथ–साथ उसके सभी वेमपायर साथी भी हंसने लगे। आर्यमणि अल्फा पैक को नजरों से ही समझा गया... “बिलकुल शांत और एक भी शब्द जवाब मत देना।”

अल्फा पैक बेज्जती बर्दास्त कर अपनी जगह बैठ गये। आज तो पहले दिन का भूख था। धीरे–धीरे कई और दिन बीते। उस टावर पर बिना भोजन–पानी के 30 दिन बीत चुके थे। अल्फा पैक पिछले 30 दिनो से बिना अन्न और जल का एक भी कतरा लिये, भूखे प्यासे बैठे थे। शरीर बिलकुल सुख गया था। आंखों की पुतलियां धंस गयी थी। नयोबि और उसके लोग हर दिन 4 बार तो उनका मजाक उड़ाते ही।

३१वें दिन वेमपायर के पास का खून भी समाप्त हो चुका था। किसी तरह एक दिन तो भूखे–प्यास से काट लिये, लेकिन ३२वें दिन हर वेमपायर भूख से पागल हो उठे थे। नयोबि किसी तरह उन्हे नियंत्रित कर तो रहा था लेकिन सच्चाई यही थी कि अपने लोगों की तरह वह भी अल्फा पैक को भोजन के रूप में देख रहा था।

जैसे–जैसे ३२वा दिन चढ़ता गया, सभी वेमपायर भूख और प्यास से पागल हो उठे। आखिरकार रात में वही हुआ जो भूखे जानवर अपने शिकार के साथ करते थे, भोजन के लिये हमला। अल्फा पैक पर हमला हो चुका था। आर्यमणि ने अभी केवल बचाव के संकेत दिये थे इसलिए उनपर हमला कर रहे वेमपायर को केवल खुद से दूर रख रहे थे।

रूही:– आर्य ये लोग ऐसे मानने वाले नही। क्या कहते हो...

आर्यमणि तेज दहाड़ के साथ अपने मुक्के का एक जोरदार प्रहार करते... “सबको अधमरा कर दो।”...

अल्फा पैक तेज दहाड़ के साथ शेप शिफ्ट कर चुके थे। वेमपायर अपने शरीर में कई तरह के बदलाव तो कर चुके थे, लेकिन भूख और प्यास में उनका वास्तविक प्रकृति ही उभरकर बाहर आ रहा था। वेमपायर ने जो भी कृत्रिम प्रारूप को अपने अंदर समा रखा था, वह सब भूल चुके थे। केवल वेयरवोल्फ की तरह शेप नही शिफ्ट किये थे बाकी क्ला और फेंग उनके भी निकल आये थे।

वेमपायर भूख प्यास से बिलबिलाते हुये अपने शिकार को झपटने आगे बढ़ते और अल्फा पैक का पावर पंच खाकर दूर कर्राह रहे होते। फिर अल्फा पैक ने कोई रहम नहीं दिखाया। जो भी उनके नजदीक पहुंचते उन्हे इतना तेज जोरदार मुक्का लगता की अंग भंग हो जाता। हां लेकिन भूख प्यास ने सबको अंधा नही किया था। नयोबि अपने कुछ साथियों के साथ एक फॉर्मेशन बनाया और अपने शरीर के आर्मर को ऑन कर दिया।

ठीक उस रात की तरह आज भी वेमपायर का शरीर किसी मैटेलिक शरीर के समान दिख रहा था, जो भट्टी से निकले धातु की समान लाल था। नयोबि का इशारा हुआ और सभी वेमपायर के हाथ से दूधिया रौशनी निकलने लगी। आर्यमणि तो इस रौशनी पर पहले ही प्रयोग कर चुका था। अल्फा पैक भी जानती थी कि इनसे कैसे निपटा जाये। लिहाजा सभी वुल्फ ने अपने पंजे आगे कर लिये और उस रौशनी को हवा का कोई टॉक्सिक मानते हुये खुद में ही समाने लगे।

देखते ही देखते वेमपायर की वो कृत्रिम रौशनी अल्फा पैक को बांधने के बदले खुद उसी के अंदर समाने लगी। काफी देर तक यह तमाशा चलता रहा। अंत में जब वेमपायर ने अपने हथियार को लगातार विफल होते हुये देखा, तब एक बार फिर अपना आपा खो बैठे। भूखे वेमपायर कतार तोड़कर अपने शिकार पर सीधा हमला करने निकल गये।

3–4 वेमपायर हवा में छलांग लगा चुके थे। ठीक उसी वक्त अलबेली और इवान भी हवा में के छलांग लगाकर वेमपायर से ऊंचा गये और हवा में ही इतने तेज और जोरदार लात से प्रहार किया की सभी वेमपायर फुटबॉल की तरह उछलकर काफी दूर जाकर गिड़े। इधर आर्यमणि और रूही के बीच नजरों का संपर्क हुआ। रूही, आर्यमणि के इशारों की भाषा को समझती आर्यमणि के साथ तेज दौड़ लगा दी। दोनो ही इतना तेज दौरे की सामने खड़े वेमपायर को उनके कंधे का तेज धक्का लगा और सभी वेमपायर एक साथ हवा में थे।

19 घायल वेमपायर दर्द से कर्राह रहे थे। अल्फा पैक रात भर उन्हे कर्राहते छोड़ अपनी नींद में मस्त हो गये। सुबह उठकर सभी बेहोश घायलों का उपचार किया और वापस से अपनी जगह बैठ गये। उपचार के बाद भी वेमपायर बेहोश पड़े रहे। दिन चढ़ते–चढ़ते भूख से बिलबिला कर सभी वेमपायर उठे और पिछले दिन की मार को भूलकर एक बार फिर अल्फा पैक को मारने के लिये दौड़े। होना क्या था... अल्फा पैक का मुक्का और लात बरसा। मेटलिक कवच के पीछे छिपे शरीर को भी इन लोगों ने अपने लात और घुसे के प्रहार से घायल कर दिया।

लगभग 10 दिनो तक यही खेल चलता रहा। हर दिन वेमपायर पहले से ज्यादा आक्रमक होते और अल्फा पैक के पास उनके लिये हर दिन एक जैसा उपचार होता। हां वो अलग बात थी कि एक महीने तक अल्फा पैक यातनाएं झेलने के बाद, हर रात जब अंधेरा घना होता तब नीचे शहर में लगे बहुत सारे पेड़–पौधों की जड़ें अल्फा पैक से कनेक्ट हो जाती और पूरे दिन का वो पोषण एक वक्त में ही समेट लिया करते थे।

डेढ़ महीने अजीब से कैद में बीते होंगे, जहां रोज शाम को अल्फा पैक वेमपायर को घायल कर दिया करते थे और सुबह उन्हे हील करते थे। चूंकि वेमपायर पूरी तरह से खून के पोषण पर जीते थे, इसलिए अल्फा पैक उनकी भूख तो नही मिटा पाते थे किंतु उनके अक्रमता को जरूर मिटा देते थे।
Comedy or fight ek saath aap hi likh sakte ho,bohot badiya update nainu bhai🙏🙏🙏🙏
भाग:–140


डेढ़ महीने बाद पुलिस की एक बड़ी सी उड़न तस्तरी वैन के लेजर वेब किरणों में सभी कैद थे। सभी लोग पोर्ट होकर सीधा वैन की सलाखों के पीछे गये। सलाखों के ऊपर एक बड़ा सा बोर्ड भी टंगा था.... “सलाखों से 1 फिट की दूरी बनाए रखे।”...

वेमपायर पिछले 15 दिनो से भूखे थे इसलिए इतनी हिम्मत बची नही थी कि उठ भी पाते। अल्फा पैक को वैसे भी कहीं भागना नहीं था इसलिए चुपचाप उनके साथ चले जा रहे थे। वैन कई जगहों से होते हुये उन्हे कहीं ले जाकर सीधा ड्राप कर दिया। एक बार फिर सब के सब नीचे गिड़ रहे थे। आंख जब खुली तब सभी लोग किसी अंडरग्राउंड जेल में थे। सर के ऊपर लगभग 800 मीटर की ऊंचाई पर छत था, जो खुलता और बंद होता था।

जैसे ही वो लोग जेल में गिरे लेजर किरणों के वेब में जकर लिये गये और उन्हे ले जाकर कॉफिन से कुछ ही बड़े सेल में पटक दिया गया। हर सेल में एक छोटा बेड, बेड के ऊपर कुछ किताबे, दीवार पर छोटा सा टीवी और कोने में एक छोटा सा कमोड था। जैसे ही आर्यमणि अपने सेल में पहुंचा टीवी पर एक बड़ा सा चेहरा आने लगा.... “मेरा नाम डीवी–कोको–मारुयान–जूनियर–1 है। तुम मुझे कोको कह सकते हो। मैं इस जेल का वार्डन हूं और तुम सब यहां मेरी देख–रेख में हो। 3–3 घंटे की शिफ्ट में तुम लोग माइनिंग करोगे। 1 घंटे का आध्यात्मिक सेशन होगा। 4 घंटे तुम लोग वॉकिंग एरिया में अपने रिस्क पर घूम सकते हो और बाकी के वक्त तुम अपने सेल में रहोगे।”..

आर्यमणि:– मेरे कुछ सवाल है।

जैसे ही आर्यमणि बोला उसके अगले ही पल पूरे सेल के अंदर से घुसे निकले और धमाधाम आर्यमणि को पीट दिया। टीवी पर फिर एक बार वार्डन कोको की आवाज गूंजी.... “और हां यहां तुम्हे चुप रहना का पूरा अधिकार है। जेल के किसी भी अधिकारी से किसी भी प्रकार की बात करने की कोशिश को नियम का उलंघन माना जायेगा और ऐसी सूरत में सजा के तौर पर आपको 8–8 घंटे की शिफ्ट में माइनिंग करनी होगी। पहली बार था इसलिए तुम्हे छोड़ रहा हूं बौने।”

स्क्रीन की आकाशवाणी बंद हो गयी और आर्यमणि खुद से ही बात करते..... “किस मनहूश घड़ी में मैने इनसे मिलने का सोचा।”.... कुछ ही पल में बीते उन एक महीने की कहानी याद आ गयी जब अल्फा पैक अंटार्टिका निर्माण क्षेत्र में पहुंचा था। कुछ दिन की जांच पड़ताल के बाद आर्यमणि ने यही नतीजा निकाला कि... “जमीन के नीचे कोई छिपी दुनिया है और वहां हो सकता है एक विलुप्त प्रजाति, जिसे देखने के दावे आधुनिक वक्त में भी होते रहे है किंतु किसी के पास कोई प्रमाण नहीं।”

पूरा अल्फा पैक ही फिर हिम–मानव और उसकी छिपी दुनिया को देखने के लिये इच्छुक हो गया। कुछ दिन और समय बिताकर कुछ और तथ्य बटोरे गये। पता यह चला की जितने भी टीम अब तक गायब हुई थी, वह निर्माण करने के लिये कुछ न कुछ खुदाई जरूर किये थे। जब तक वहां निर्माण कार्य की शुरवात नही हुई किसी भी प्रकार का हमला नही हुआ था।

तकरीबन महीना दिन तक सारे तथ्यों को ध्यान में रखकर अल्फा पैक ने अंततः हिम–मानवों से मिलने की योजना बना लिया। योजना के अंतर्गत ही चारो ने बर्फ की मोटी सतह पर विस्फोट किया था। हां लेकिन पूर्वानुमान सबका ही पूरी तरह गलत हो गया। अल्फा पैक को लगता था कि हिम–मानव खोह और कंदराओं में छिपकर रहने वाले समुदाय है जो किसी भी सूरत में अपने अस्तित्व को जाहिर नही होने देते।

बाकी सारे तथ्यों का आकलन तो लगभग सही था सिवाय एक के... “हिम–मानव खोह और कंदराओं में रहने वाले लोग है जो आधुनिक सभ्यता से कोसों दूर है।”...हालांकि जब पहली मुलाकात हुई थी और हाथों में ये बड़े–बड़े तलवार लेकर हिम–मानव को हमला करते देखे, फिर कुछ वक्त के लिये आर्यमणि को अपनी थ्योरी पर यकीन हुआ। किंतु यह यकीन ज्यादा देर नहीं टीका। कुछ ही वक्त में पता चल गया की हिम–मानव का समुदाय कितना विकसित है।

पहले तो अजीब से कैद में लगभग डेढ़ महीने बिताये, जहां शायद अल्फा पैक और वेमपायर को परखा गया था। आर्यमणि ने यह भी सह लिया। उसे यकीन था कि जब वह कानूनी प्रक्रिया के लिये अदालत पहुंचेगा तब हिम–मानव समुदाय गंभीरता से उसकी बात सुनेगा। किंतु सारे अरमान मिट्टी में मिल गये क्योंकि बिना किसी सुनवाई के ही सजा हो गयी।

जेल के पहले दिन किसी से कोई काम नही करवाया गया। शाम के 5 बजे सबके सेल खुल गये और हॉल में 4 घंटे घूमने की खुली छूट भी मिली। जिस फ्लोर पर आर्यमणि और बाकियों का सेल था, वहां सभी बौने ही थे। मतलब इंसान थे। अंडाकार बने फ्लोर पर मिलों दूर जहां तक नजर जाये केवल और केवल इंसान ही थे। सभी अपने सेल से एक बार बाहर आये, नीचे हॉल को देखा और वापस अपने सेल में चले गये।

आर्यमणि के ठीक बाजू वाला जो इंसान था, वह उन्ही में से एक था जो पिछले साल अंटार्टिका सर्वे के लिये आया और रहश्मयि तरीके से गायब हो गया था। आर्यमणि अपने दिमाग पर थोड़ा जोड़ डालते.... “ओय सुनो पेड्रो रफ्ता।”.. आर्यमणि 3–4 बार चिल्लाया, कोई सुनवाई नही। आश्चर्य तो यह भी था कि जितने इंसान बाहर निकले थे वो सब एक बार नीचे हॉल को देखने के बाद वापस अपने सेल में घुस चुके थे। सिवाय अल्फा पैक और वेमपायर के, जो पूरा मामला समझना चाह रहे थे। आर्यमणि के आगे जितने भी सेल थी, वहां अल्फा पैक और वेमपायर को रखा गया था।

रूही, आर्यमणि की आवाज सुनकर उसके ओर आयी लेकिन आर्यमणि आंखों के इशारे से उसे चुपचाप हॉल में जाने कहा और खुद उस पेड्रो रफ्ता के सेल के सामने खड़ा हो गया। आर्यमणि जैसे ही खड़ा हुआ बिजली के वेब ने आर्यमणि को जकड़ लिया और सेल के किनारे से कई सारे मुक्के निकालकर आर्यमणि पर धमाधम हमला कर दिया। आर्यमणि मुक्के खाते.... “हेल्लो पेड्रो मैं आर्यमणि हूं। वहीं निर्माण करने आया था जहां से तुम गायब हुये थे।”...

पेड्रो, आर्यमणि को इशारों में समझाया की वह कुछ बोल नहीं सकता। आर्यमणि उसकी मजबूरी समझते.... “देखो मैं नही जानता की तुम किस मजबूरी से नीचे हॉल में नही जा रहे। लेकिन विश्वास मानो, यदि हॉल में अपनी मर्जी से घूमना रिस्क है तो आज ये रिस्क दूसरे उठाएंगे। यदि इस जेल से बाहर निकलना चाहते हो तो नीचे हॉल तक चलो।”...

आर्यमणि को लगातार मुक्के पड़ते रहे। वह फिर भी पेड्रो से बात करता रहा। अपना प्रस्ताव रखने के बाद आर्यमणि कुछ देर और वहां खड़ा होकर मुक्का खाता रहा, लेकिन पेड्रो बाहर आने की हिम्मत नही जुटा पाया। अंत में आर्यमणि उस से एक बार नजर मिलाया और जैसे ही वहां से आगे बढ़ने लगा, पेड्रो भी अपने सेल से निकला और चुपचाप आर्यमणि के आगे बढ़ गया।

दोनो जब सीढ़ियों पर थे तब पेड्रो अपना मुंह खोला.... “संभवतः तुम लोग आज ही इस जेल में आये होगे और नीचे तुम्हारे साथी होंगे।”...

पेड्रो हॉल के उस हिस्से को दिखा रहा था जहां हिम–मानव की भिड़ लगी हुई थी और उस भिड़ के बीच न तो अल्फा पैक और न ही बेमपायर कहीं नजर आ रहे थे। आर्यमणि उस ओर देखते..... “पुराने कैदी, हम नए कैदियों की रैगिंग ले रहे है क्या?”..

पेड्रो:– हां खतरनाक तरीके की रैगिंग जो तब तक झेलनी होगी जब तक हम यहां की जेल में है। यहां से निकलने के बाद किसी बिग–फूट (हिम–मानव का अमेरिकन नाम) के घर पर जिल्लत भरी नौकरी करनी होगी।

आर्यमणि:– अच्छा तुम अदालत गये थे क्या?

पेड्रो:– नही... एक बड़े से टावर पर 4 दिन भूखे–प्यासे रखने के बाद सीधा इस जेल में पटक दिया। यहां महीने दिन की सजा काटने के बाद कोर्ट का ऑर्डर डाकिया लेकर आया था, जिसमे मुझे 5 साल की कैद मिली और उसके बाद सीधा एक पते पर जाना होगा जिसके घर में मुझे नौकर का काम मिला है। वहां साफ लिखा था जेल से निकलने के बाद हम पूरे देश में आजादी से रह सकते हैं, बस अपने जैसे बौने इंसान पैदा नही कर सकते।

आर्यमणि:– हम्मम... और नीचे हॉल की क्या कहानी है?

पेड्रो:– जब तक मुंह बंद रखोगे तब तक बेज्जत करते रहेंगे। यदि कहीं मुंह खुल गया तो बेज्जत करने के साथ–साथ मारते भी है। इनका मारना तब तक नही रुकता जब तक मरने की नौबत नही आ जाती।

दोनो बात करते हुये हॉल के विभिन्न हिस्सों से गुजर रहे थे। जहां से भी गुजरे हिम–मानव उन्हे घूर रहे थे। आर्यमणि भिड़ के बीच से रास्ता बनाते पेड्रो के साथ कुर्सी पर बैठा। बैठने के बाद पेड्रो से एक मिनट की इजाजत लेते..... “रूही इतनी भीड़ क्यों है।”...

“ये लो इन बौनों का मुखिया आ गया। तेरी ये छमिया रूही सबसे पहले स्ट्रिप डांस करेगी। उसके बाद जितनी भी लड़कियां हैं वो एक–एक करके सामने आयेगी। तू इन सबके कपड़े बटोरेगा।”.... भिड़ से एक हिम–मानव बोला और बाकी सब हंसने लगे।

आर्यमणि:– अल्फा पैक मुझे पेड्रो के साथ इत्मीनान से बात करनी है, आसपास की भिड़ खाली करो....

“ए चुतिये तू क्या बोला?”.... कोई हिम–मानव बोला। इधर उसकी आवाज बंद हुई उधर इवान ने हिम मानव के पाऊं पर ऐसा लात जमाया की उसके हाथी समान मोटे पाऊं के हड्डियां टूटने की आवाज सबको सुनाई दी। दर्द बिलबिलाते जैसे ही वह नीचे बैठा, अलबेली अपने दोनो पंजे से उसके थुलथुला पेट के मांस को जकड़ ली और पूरी ताकत से अपने सर के ऊपर उठाकर दूर फेकती.... “मेरे बॉस ने कहा तुम चूतियो को दूर फेकना है।”

“मारो... मारो... मारो... मारो इन बौनों को।”..... भिड़ चिल्लाई... अल्फा पैक दहाड़े और फिर जो ही लात और घुसे की बारिश हुई। साइज में इतने बड़े थे की रूही, अलबेली और इवान उनके लात–हाथ के नीचे से निकलकर लात और घुसे बरसा रहे थे। जहां कहीं भी उनका लात और घुसा पड़ता अंग भंग हो जाता। दर्द से बिलबिलाने की आवाज चारो ओर से आने लगी।

उनका दर्द से बिलबिलाना सुनकर दूसरे फ्लोर के सारे इंसानी कैदी अपने सेल से बाहर आ गये और वहां का नजारा देखकर तेजी से हॉल के ओर दौड़ लगा दिये। हॉल के चारो ओर सिटियां बजने लगी। लोगों की हूटिंग होने लगी। वैसे यहां हिम–मानव कैदियों की कमी नही थी लेकिन अल्फा पैक अपने चैरिटी में कोई कसर नहीं छोड़ रहे थे।

आर्यमणि अपने पास निर्जीव समान बैठे सभी वेमपायर को देखते...... “नयोबि तुम्हे और तुम्हारी टीम को क्या हो गया?”...

नयोबि:– हम किस मुंह से माफी मांगे। तुम हम पर भरी थे। तुम सब भी भूखे थे। मांस फाड़कर उन्हे कच्चा चबा जाना तुम्हारा नेचर है। बावजूद इसके हमें जिंदा छोड़ दिये।

आर्यमणि:– सुनो नयोबि, पहली बात तो ये की अल्फा पैक वेजिटेरियन है। दूसरी बात हम तुम्हारे खून की प्यास को समझ सकते थे। अल्फा पैक जानती थी कि तुम जो खून पी रहे उसे तुम अपने लैब में कृत्रिम तरीके से बनाते हो। न की किसी इंसान या जानवर का खून पीते हो। इसलिए चिल मारो और जाकर अल्फा पैक की मदद करो यार। तोड़ो सालों को, और तोड़ने में कोई रहम मत करना... तब तक मैं अपने मेहमान पेड्रो से कुछ बात कर लूं। हां पेड्रो आगे कोई जानकारी...

पेड्रो:– बस इतना ही की ये लोग हमें किसी भी सूरत में अपनी दुनिया से बाहर नही जाने देंगे।

आर्यमणि:– ऐसे कैसे यहां से जाने नही देंगे, वो तुम मुझ पर छोड़ दो। तुम तो बस यहां की जानकारी साझा करो...

पेड्रो:– “हम लोग जहां है वह हीरो की खान है। यहां पर नायब किस्म के हीरे पाये जाते है, जिनका इस्तमाल ये लोग बड़े–बड़े बिल्डिंग बनाने में करते हैं। यूं समझ लो पूरे अंटार्टिका महाद्वीप ही इनका पूरा देश है। इनके पूरे देश में केवल गोमेद नदी के तट से लगे हिस्से से सूरज की रौशनी आती है, और वही रौशनी फिर इन हीरे के जरिए पूरे देश में फैलता है। यूं समझ लो की इन लोगों के पास सूर्य ऊर्जा को फैलाने का कृत्रिम टेक्नोलॉजी है।”

“पूरे देश को 5 हिस्से में बांट दिया गया है। मध्य हिस्सा को पीक राज्य कहते है। क्षेत्रफल में सबसे बड़ा और रोलफेल देश की राजधानी।मध्य भाग के अलावा चार और भाग है, जो ईस्ट, वेस्ट, नॉर्थ और साउथ में बटे है। ईस्ट राज्य को वॉल ईस्ट राज्य पुकारते है। वेस्ट राज्य को डुडम राज्य, नॉर्थ को हिमगिरि और साउथ को ब्रुजानो। यहां कुल 78 करोड़ बिग–फूट आबादी बसती है। यहां एक लाख इंसानी आबादी भी है, लेकिन वो सब अंटार्टिका में रिसर्च करने आये टीम के बंधक है, जिन्हे फिर कभी अपने प्रांत का मुंह देखना नसीब नही होगा।”

“बात यदि बिग–फूट की करे तो बस ये लोग इंसानों के मुकाबले बड़े साइज के है बाकी है ये भी इंसान ही और तकनीक रूप से काफी उन्नत। वैसे बाहुबल और सुरक्षा के लिहाज से भी रोलफेल देश काफी उन्नत है। क्राइम यहां काफी कम है इसलिए पूरे देश में मात्र 26 जेल है, जिसमे सबसे बड़ा जेल यही है। मेरे पास जितनी जानकारी थी वह मैने साझा कर दिया।”

आर्यमणि उसे हैरानी से देखते.... “भाई तू भी मेरी तरह टावर से सीधा जेल आ गया फिर इतनी जानकारी कहां से जुटा लिया।”..

पेड्रो:– मैं सीआईए का एक इन्वेस्टिगेटिंग ऑफिसर हूं। मेरी एजेंसी मुझे जानकारी जुटाने के ही पैसे देती है। दरसल साल में 60 दिन बिग–फूट कैदी जेल से बाहर जाते है। उन 60 दिनो में बहुत से पुराने इंसानी कैदीयों से मुलाकात हुई। उनमें से कुछ तो तीसरी या चौथी बार सजा काट रहे थे... बस उन्ही लोगों से सारी जानकारी जुटाई है...

आर्यमणि:– कमाल ही कर दिया। अब जरा बैठ जाओ, और खेल का आनंद लो...

आर्यमणि पेड्रो को छोड़ा और रण में कूदा। अल्फा पैक पहले से ही कइयों की चीख निकाल चुके थे। लेकिन वो कई हिम–मानव इकट्ठा भिड़ के मुकाबले चंद ही थे। आर्यमणि अपनी तेज दहाड़ से सबका ध्यान अपनी ओर खींचा और उसके बाद तो बड़े–बड़े साइज के वजनी मानव ताश के पत्तों की तरह पहले हवा में उड़े और फिर नीचे जमीन पर बिछ गये।

आर्यमणि उनके मुकाबले साइज में इतना छोटा था की मात्र उनके कमर तक आ रहा था। लेकिन दौड़ते हुये रास्ते में आने वाले हर हिम–मानव को अपने कंधे से इतना तेज धक्का मरता की वह हवा में ऊपर उड़ जाते और कर्राहते हुये नीचे लैंड करते। अगले चार घंटे तक यही खेल चलता रहा। और जब हॉल में घूमने का समय समाप्त हुआ तब लगभग 40 हजार हिम–मानव घायल कर्राह रहे थे। वहां की हालत किसी उजड़े स्थान से कम न था।

जैसे ही समय समाप्त होने की घोषणा हुई। सभी कैदी अपने–अपने सेल में चले गये। सिवाय घायल हिम–मानव और अल्फा पैक के। आर्यमणि अपने पैक को एक नजर देखते..... “जड़ों के बीच से सबको हील करो ताकि इनकी ये फालतू लेजर वाली बेब हमें कहीं भी पोर्ट न कर सके।”

आर्यमणि का हुक्म और अगले ही पल पूरे अल्फा पैक जड़ों में ढंके थे। लगभग 4 किलोमीटर लंबा जेल का वह पूरा हिस्सा था जिसमे चारो ओर जड़ें फैल गयी और फैलने के बाद हर घायल को जकड़ लिया। जैसे–जैसे घायल हील होते जा रहे थे उनके ऊपर से जड़ें हटती जा रही थी। वो लोग जैसे ही खड़े होते सीधा भागकर अपने सेल में पहुंचते।

लगभग एक घंटे तक सबको हील करने के बाद अल्फा पैक भी अपने सेल में थे। अगले दिन सुबह के ठीक 6 बजे सबके सेल खुल गये। एक बार फिर तकनीकी गुणवत्ता का परिचय देते हुये सभी कैदियों को लाइट द्वारा पोर्ट करके सीधा माइनिंग एरिया में भेज दिया गया।

प्रचुर मात्रा में धातु और खनिज के भंडार थे। किंतु वहां न तो किसी भी प्रकार के खनिज और न ही धातु की खुदाई करनी थी। बल्कि माइनिंग एरिया के किसी एक पॉइंट पर पटक दिया गया था। वहां से करीब 8 किलोमीटर का रास्ता तय करने के बाद जहां पहुंचे वहां का नजारा देखकर आंखें चौंधिया गयी। बड़े–बड़े क्रिस्टलनुमा पहाड़ खड़े थे। उन पहाड़ों को ही तोड़कर जमा करना था। अल्फा पैक बड़ी ही तेजी के साथ खुदाई कर रहे थे। चारो अन्य मजदूरों के मुकाबले 10 गुणा ज्यादा तेज गति से काम कर रहे थे।

काम करते हुये 3 घंटे पूरे हो गये लेकिन ये चारो अभी और काम करना चाह रहे थे इसलिए वापस गये ही नही। शिफ्ट जब बदल रही थी इसी बीच सबसे नजरें चुराकर आर्यमणि खुदाई के दौरान चुराये हुये अलग तरह के दिख रहे क्रिस्टल के बड़े टुकड़े को अपने पास से निकाला और पलक जिस हिसाब से सिखाई थी, बिलकुल उसी हिसाब से 2 जोड़ी पत्थर तराशकर सबके एमुलेट में डाल दिया।

रूही:– ये किस प्रकार का पत्थर है, आर्य।

आर्यमणि:– मुझे नही पता की यह किस प्रकार का पत्थर है, लेकिन जिस प्रकार का भी है, है यह दुर्लभ पत्थर। सबके एमुलेट में 2 जोड़ी पत्थर डाल दिया हूं। चलो देखा जाये इन पत्थरों के प्रयोग से क्या नया देखने मिलता है?

आर्यमणि ने जैसे ही शक्ति परीक्षण के लिये कहा अल्फा पैक के सभी सदस्य तैयार हो गये। हर कोई अपने एम्यूलेट को हाथ लगाकर मंत्र पढ़ा और फोकस केवल नये पत्थर ही थे।मंत्र पढ़ने के बाद हर किसी ने सभी विधि कोशिश कर लिया लेकिन कोई भी जान न सके की उन पत्थरों में ऐसा क्या खास था। किसी भी प्रकार की नई चीज उभरकर सामने नही आयी।

खैर वक्त कम था इसलिए बचे हुये लगभग 150 तराशे पत्थर को सबने अपने–अपने एम्यूलेट में छिपाया और काम पर लग गये। अल्फा पैक अपना दूसरा शिफ्ट भी शुरू कर चुके थे। बिना रुके लगातार काम करते रहे और 6 घंटे की ड्यूटी बजाने के बाद लगभग 1 बजे अपने सेल में थे।

रोज की तरह ही शाम को 5 बजे सबके सेल खुले। आज भी कल जैसा ही नजारा था। सभी इंसान बाहर आये एक बार हॉल के देखा और वापस अपने सेल मे। केवल वह सीआईए ऑफिसर पेड्रो ही था जो अल्फा पैक और वेमपायर के साथ नीचे हॉल तक जाने की हम्मत जुटा सका। आज जितने भी हिम–मानव थे इनसे दूरियां बनाकर ही चल रहे थे।
Aarya or uska pack asman se tapke khzoor pe atke jaisa hi hai,par yeh log yaha se kuch Naya jaroor leke jayenge jo aage inke kaam aayega

Awesome update
 

nain11ster

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Sala nind bhi nhi ati sahi se jb tk update na pdh lo
Update aa raha hai.... Abhi to kaam khatm karke Ghar lauta hun.... Upar se is baar contest me short story bhi daalne ki soch Raha... So ab to raaten lambi hogi...
 

nain11ster

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Wah nain bhai gajab ke update hai dono. Arya and pack to him manav ke state me bhi dabang bne hue hai. Path to me kya khas rha hai aage ummid hai janne ko mil jayega. Mast update aur sath hi ummid es bat ki bhi ki itne dino ki ksr puri kr denge ap.
Haan arya kuch jyada hi Danang bana fir raha hai.... Waise him–manav bhi to manav hi hai bus size me double.... Patthar ki kahani iss update me aayegi... Baki aage aap khud dekh lijiye...
 
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