• If you are trying to reset your account password then don't forget to check spam folder in your mailbox. Also Mark it as "not spam" or you won't be able to click on the link.

Fantasy Aryamani:- A Pure Alfa Between Two World's

nain11ster

Prime
23,612
80,684
259
Last edited:

ASR

I don't just read books, wanna to climb & live in
Divine
569
3,788
123
nain11ster 🐺 🐺 🐺 🐺 🐺🐺 🐺 🐺 🐺 🐺 🐺 🐺 🐺 🐺 🐺 🐺 🐺 🐺 🐺 🐺 🐺 🐺 🐺 🐺
ये विगत अंकों मे एक नई दुनिया में ले जाकर मित्र बहुत ही चतुराई से फसाना बना दिया है..
अद्भुत क्षमता का उपयोग किया जाता है आपके द्वारा
आप अपनी असीमित परिकल्पनाओ को इतनी सहजता से पिरो पिरो कर प्रस्तुत करते हैं कि हम सब अविस्मरणीय लोक मे चले जाते हैं 😚 😴 😴 😴 😴 😴 😴 😴 😴 😴 😴
💗 😍 💗 👑 💐
Sab कुछ स्वप्न में ही महसूस करने जैसा है...
कई महान समाकलन समीक्षको की समीकरण युक्त समीक्षा प्रतिक्रियाएं पाने से तो इतना ग्यान वर्धन होता है कि लगता है साथ साथ एक और कई कहानियाँ चल रही हो...
💗 😍
अगले अंकों के इंतजार में
💗
 

Zoro x

🌹🌹
1,689
5,420
143
भाग:–109


“द... द... दे... देखो आर्यमणि... नहीईईईईईई…. आआआआआआआआआ... मुझे माफ कर दो... नहीईईईईईई.… आआआआआआआआआ.. छोड़ दो मुझेएएएएएए”…. आखिरी उस चीख के साथ जादूगर की आवाज शांत हो गयी। उसका फरफरता शरीर जमीन पर था और जादूगर का धड़कता हृदय आर्यमणि के हाथ में। जादूगर गिड़गिड़ाता रहा लेकिन आर्यमणि अपने दोनो पंजे के नाखून को, बड़े प्यार से उसके सीने में घुसाकर जादूगर का सीना फाड़ दिया और उसके धड़कते हृदय को मुट्ठी में दबोचकर निकाल लिया।

अल्फा पैक में जैसे जोश आ गया था। आर्यमणि के कारनामे को देख सभी हूटिंग कर रहे थे। वहीं निशांत तुरंत जादूगर को सोफे पर रखा और शिवम् विलय मंत्र अभियोजन को पूर्ण कर दिया। देखते ही देखते जादूगर का पार्थिव शरीर कण में बदलकर हवा में समा गया।

कुछ देर बाद सभी लिविंग रूम में थे। अब भी सबके आंखों के सामने वही दृश्य था, कैसे आर्यमणि ने जादूगर के हृदय को सीने से बाहर निकाल लिया। सभी उसी बात की चर्चा कर रहे थे। रूही सबके लिये खाने का इंतजाम करने के बाद सबके बीच बैठते.… "हां सभी मिलकर आर्य के वीरता के चर्चे करो, लेकिन ये कोई न पूछना की कब आर्य ने जादूगर के शरीर को उन एलियन के साइंस लैब से लाने का फैसला कर लिया? और कब इन्होंने संन्यासी शिवम् और देवर जी से भी संपर्क कर लिया?"

निशांत:– हाय भाभी, क्या प्यार से देवर जी बोली हो। थांकू थांकू...

रूही:– जाइए देवर जी आप बात को घुमाएं नही... अल्फा पैक ये धोका है या नही...

अलबेली:– जादूगर मर गया। अब उसके शरीर का क्या अंतिम संस्कार करोगी। मतलब जो तुम्हारे काम की बात नही हो, वो भी तुमसे पूछकर क्यों नही किया गया? जैसे दादा तुम्हे पूरी योजना बता देते और तुम जादूगर का शरीर लेने उन एलियन के साइंस लैब में पहुंच जाती...

रूही, छोटा सा मुंह बनाती... "पर हम तो पैक है ना... हमारे सामने ही प्लान बना लेते तो क्या चला जाता?”

आर्यमणि, रूही को अपने बाहों में भींचते... “ओ बावड़ी, मैने कोई प्लान नही बनाया। बेकार में अपना मन छोटा कर रही हो। वो तो निशांत और संन्यासी शिवम् ने पूरी योजना बनाई थी।”

रूही:– पर ये लोग तो हमारे सामने ही आये थे। फिर इतना प्लान कब कर लिया और इन्हे साइंस लैब के बारे में कैसे पता।

संन्यासी शिवम्:– तुम्हे हर बात का विवरण लिये बिना चैन नहीं आयेगा। साइंस लैब का पता तो अनंत कीर्ति की पुस्तक से चल गया। एलियन के पास कितने वर्षों से यह किताब थी, ऐसा हो ही नही सकता था कि वो लोग इस पुस्तक को साइंस लैब न ले गये हो। बस एलियन के ठिकाने का नाम बताओ और हम किताब के जरिए पता कर लेंगे।

रूही:– कैसे?

शिवम्:– आर्य ने जादूगर के शरीर का स्मरण कर उसपर अलर्ट मांगा था। किताब ने साइंस लैब का लोकेशन बता दिया। फिर निशांत ने अपनी योजना बताई की विलय मंत्र से कैसे इस जादूगर को कैद करेंगे और नतीजा सामने है। और ये पूरी योजना यहां पहुंचने के बाद अपने आप ही बनती चली गयी। यूं किसी टेबल पर बैठकर कभी कोई चर्चा नहीं हुई।

आर्यमणि:– इसे ही तो टीम वर्क कहते है।

निशांत:– टीम वर्क को मारो गोली और ये बताओ की तुम दोनो शादी कब कर रहे। अरे यार आर्य तू जल्दी शादी कर ले, तभी तो मैं भी भाभी के किसी हॉट बहन पर लाइन मार सकता हूं।

रूही:– उसके लिये शादी की क्या जरूरत...

ओजल:– दीदी खबरदार...

रूही:– चुपकर मेमनी... देवर जी मिल लिये मेरी बहन से... जाओ लपक लो...

निशांत:– क्या बात है.. बहन तो घर में ही है... वो भी बिलकुल मेरे कल्पनाओं वाली लड़की... क्यों ओजल क्या ख्याल है?

ओजल:– देखिए मेरे होने वाले जीजू के चड्डी–बड्डी, मुझसे दूर ही रहिए वरना मैं आपको चूहा बना दूंगी...

निशांत:– मेंमनी का लवर चूहा... अच्छा कॉम्बो है। ठीक है भाभी फिर आज से ओजल हमारे साथ रहने वाली है।

रूही:–मांझे…

ओजल:– अभी तो खुद ही कही न लपक लो... तो निशांत ने मुझे लपक लिया...

रूही:– इतनी जल्दी लपका भी गयी... लेकिन कैसे?

अलबेली, रूही के कान में.… "अंदरूनी जिश्मानी आग"..

रूही, अलबेली को ठोकती... "छी, छी.. क्या बकवास कर रही है। सुनो जी मेरे होने वाले, ये क्या हो रहा है?"

ओजल:– मैं संन्यासी बनने की सोच रही हूं।इसलिए अपनी स्वेक्छा से संन्यासी शिवम् जी के साथ जाना चाहती हूं। हां लेकिन पहले आप सबकी मर्जी होगी तब...

आर्यमणि:– ये कब हो गया? मैं यहां क्या चर्चा करने बैठा था और हो क्या रहा है। तुम कोई संन्यासी नही बनोगी... हमारे साथ ही रहो... तुम्हे क्या सीखना है वो बता दो, मैं यहीं इंतजाम कर दूंगा...

ओजल:– इन्ही संन्यासियों के वजह से हमारा परिवार नागपुर में सुरक्षित है। कोई दूसरा रखवाला आपके घर निःस्वार्थ भावना से काम करे तो अच्छा, लेकिन वही रखवाला आपके घर का कोई सदस्य बनना चाहे तो आपका प्यार रोड़ा बन जाता है। फिर आप संस्यासी न बनने की 100 वजह बताने लगोगे...

आर्यमणि:– लेकिन ओजल संन्यासी बनना वाकई काफी कठिन कार्य है।

संन्यासी शिवम्:– पर कह किसने दिया की ओजल एक सन्यासी बनेगी। ओजल क्या होगी यह उसकी मेहनत और आचार्य जी तय करेंगे। हां ओजल के चुनाव का भी ख्याल रखा जायेगा लेकिन अभी के लिये इतना ही की कंचनजंघा में बसे गांव के लिये कुछ शिष्य चाहिए और ओजल भी उनमें से एक होगी। अब कहिए गुरुदेव..

आर्यमणि:– मैं क्या कहूं, शायद ओजल को दूर जाते नही देख सकता। इस मामले में मैं अकेला कुछ नही कह सकता, यहां परिवार में और भी सदस्य है।

रूही:– हां बिलकुल सही कहा आर्य ने। ओजल कहीं नहीं जाएगी, और इसके अलावा मैं कुछ नही सुनना चाहती।

अलबेली:– ए पगलू… पैक में एक लड़का ले आऊंगी, या तुझे इतना अखड़ता है तो मैं इवान को राखी बांध दूंगी, लेकिन तू कहीं नहीं जायेगी।

ओजल:– इतना कुछ होने के बाद तू राखी कैसे बांध सकती है। मंगलसूत्र बंधेगा वो भी तेरे गले में...

अलबेली:– हां तो बिना तेरे वो कभी नहीं बंधने वाला...

ओजल, इवान से:– तू भी कुछ बोल ले, या बाद में झगड़ा करेगा...

इवान ओजल का हाथ थामते.… "तू कौन सा गायब होने वाली है। शिक्षा लेने जा रही है, छुट्टियों में मिलती रहेगी। अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद फिर से हमारे साथ रहेगी और कुछ दिन बाद हम तुम्हारी शादी करवा देंगे। यही तो जिंदगी है।

ओजल अपने भाई के गले लगती... "हां सच कहा तूने सिवाय शादी की बात के। इतनी जल्दी मुझसे पिंड नही छुड़ा सकते।”

रूही:– मतलब मेरे बात का कोई मोल नहीं, यही ना..

आर्यमणि:– तुम कुछ ज्यादा ही भावुक हो रही हो।

अलबेली:– मुझे कुछ अच्छा नहीं लग रहा। हमारा पैक ही परिवार है और ओजल अपने परिवार को छोड़कर जा रही।

आर्यमणि:– हम्मम!! ठीक है जब ऐसी बात है तो ओजल कहीं नहीं जायेगी।

ओजल:– पर मैं तो...

आर्यमणि:– मुझे अपनी बात पूरी कर लेने दो। ओजल कहीं नहीं जायेगी बस शर्त ये है कि मेरे एक सवाल का जवाब दे दो... क्या हमारे जो बच्चे होंगे उन्हे पढ़ने के लिये हम बाहर नहीं भेजेंगे? क्या मैं अपने मां–पापा से दूर हूं तो हमारे बीच का प्यार और भरोसा समाप्त हो गया?

रूही:– अब ऐसे सवाल दगोगे तो क्या जवाब दूं। ठीक है ओजल तू चली जा, लेकिन बीच–बीच में बात करती रहना और जब भी छुट्टी मिले घर आ जाना...

अलबेली नम आंखों से गले लगती... "मैं तो इतनी समझदार नही लेकिन तूने जो सोचा होगा वह अच्छा ही होगा। जा छोड़ी जी ले अपनी जिंदगी..."

ओजल:– ओ पागल अभी नही जा रही। ऐसे कैसे एक्शन को छोड़कर चली जाऊंगी। पहले पलक आंटी से मुलाकात तो हो जाये।

निशांत:– उस से मुलाकात करने तो मैं भी आया हूं।

संन्यासी शिवम्:– और अपने एक संन्यासी की जान के बदले उन परग्रही वाशी को सजा देने मैं आया हूं। तो बताए गुरुदेव क्या योजना है?

"शिवम् सर आप अकेले मियामी के लिये निकलेंगे। वहां छोटे गुरु (अपस्यु) से मिलकर कुछ लोगों की डिटेल लेंगे। जाहिर सी बात है ये एलियन अपनी पहचान छिपाए होंगे। उन छिपे एलियन को बिल से कैसे बाहर निकालना है वो मैं बाद में बताता हूं। ठीक एक हफ्ते बाद हम सब भी मियामी पहुंचेंगे। जबतक हम पहुंचे तबतक आप उनकी पूरी जानकारी निकाल कर रखेंगे। ओजल, इवान और आपकी (संन्यासी शिवम्) एक टीम होगी। मैं, रूही, अलबेली और निशांत एक टीम में होंगे।"

"तो योजना ये है कि सुकेश के घर से चुराए दुर्लभ पत्थरों में से एक पत्थर को आप (संन्यासी शिवम्) मियामी के काला बाजार में बेचने जायेंगे। पत्थर के ऊपर का मंत्र हटते ही आपको उन एलियन को नही ढूंढना है, बल्कि वो एलियन आपको खुद ढूंढते हुये पहुंचेंगे। आपको बस कुछ दिन तक उन्हे अपने पीछे घुमाना है और पूरी जानकारी जुटानी है। वो परग्रही (एलियन) है और आप पृथ्वी वाशी, इसलिए ये ध्यान रखिएगा की आपके सिद्ध किये मंत्र उनपर काम नही आयेगा।”

"रूही और मैं रणभूमि की योजना बनायेंगे। निशांत और शिवम सर एलियन को पूर्ण रूप से ट्रैप करने की योजना बनायेंगे। और तुम तीनो अति उत्साहित टीनेजर्स, इन एलियन के फोन, लैपटॉप सब हैक करके इनकी पूरे सिस्टम में घूसोगे। इनके सिस्टम में घुसकर हैक करना है और जिस दिन इनके साथ आमने–सामने की द्वंद होगी, उस दिन इन एलियन के कम्युनिकेशन सिस्टम को पूरी तरह से ब्लॉक करोगे। यहां इनके साथ क्या घटना हो गयी इनके पुरखों की आत्मा तक को पता नही चलना चाहिए।"

संन्यासी शिवम्:– हम्मम!!! सुनने में तो काफी कारगर योजना है, मुझे इस से बेहतर योजना नही सूझ रहा। किसी के पास इस से बेहतर योजना।

सबने एक साथ हाथ खड़े कर दिये। हर किसी को आर्यमणि की योजना पूर्ण रूप से कारगर दिखाई दे रही थी। सभी जब आर्यमणि की योजना पर सहमत हो गये फिर आर्यमणि ने आगे बोलना शुरू किया... "एक बार इनके सिस्टम में घुस गये, फिर किसी की भी जानकारी छिपी नही रहेगी। इसलिए तुम तीनो (ओजल, इवान, अलबेली) की भूमिका खास होने वाली है, समझ गये न"

अलबेली:– वो सब तो समझ गये बॉस, लेकिन एक्शन के वक्त लड़ाई के मैदान में मेरी पोजिशन क्या होगी?

आर्यमणि:– ये अभी इतना जरूरी है क्या?

अलबेली:– नही, जरूरी तो नहीं है लेकिन जब हींग से लेकर जीरा तक डिस्कस हो ही गया है तो ये क्यों छूटा रहे...

आर्यमणि:– बकवास बंद और अभी जो काम दिया है उसे तुम तीनो मिलकर कैसे करोगे, उसपर डिस्कशन शुरू कर दो। रणभूमि में भी हम टीम की तरह ही उतरेंगे... एक ताकतवर टीम... और कोई मुझे बतायेगा की हमारी टीम ताकतवर कैसे होगी?

अलबेली:– गुरु, खोजी, संन्यासी और 4 खतरनाक विशेष प्राणी, हो गयी हमारी टीम ताकतवर...

आर्यमणि:– और कोई...

रूही:– हम ताकतवर इसलिए भी होंगे क्योंकि हमें उनके बारे में पता होगा, लेकिन उन्हें हमारे विषय में भनक भी नही होगी...

आर्यमणि:– और कोई कुछ...

सबने लगभग मिलता जुलता ही जवाब दिया। सबसे आखरी में संन्यासी शिवम् बोले.… "दुनिया में सबसे ताकतवर सूचना होती है। यदि किसी के बारे में हर बात पता हो तो आप उसे बड़ी आसानी से फसा सकते है। सूचना के बिना किया गया हर काम तुक्के जैसा होता है। दिन अच्छा हुआ तो आपके अनुकूल परिणाम आयेगा और यदि दिन खराब हुआ तो नतीजा विपक्ष के हक में निकलेगा। इसलिए दुनिया में सबसे ताकतवर सूचना होता है। सूचना एक ऐसा हथियार है जो हर दुनिया, हर प्राणी और हर प्रीस्तिथि में एक समान महत्व रखती है और सूचना ही सबसे महत्वपूर्ण हथियार है।"

आर्यमणि:– आप कहीं दिमाग तो नही पढ़ते। बिलकुल सही कहा शिवम् सर ने। अब तक क्या होते आया था... वो एलियन खुद को पीछे रखकर इंसानों से केवल सूचना निकलवाते थे। एक बार उनको दुश्मन की पूरी जानकारी हो गयी, फिर पूरा खेल रचते थे। आज तक उन्हे कोई पहचान नहीं पाया इसलिए किसी की नजर में नही। एक बार उन्हे ये एहसास करवा दो की... "तुम्हारी पूरी खबर हम रखते है।" फिर देखो कैसे थर–थर कांपते है और बेवकूफी में कितनी गलतियां करते है।

रूही:– हम्मम समझ गयी। लेकिन पूरे योजना में अनंत कीर्ति की पुस्तक कहां है?

आर्यमणि:– अनंत कीर्ति की पुस्तक इस योजना का हिस्सा नही है। जब हमें सामने दुश्मन दिख रहा है, तो किताब पर क्यों आश्रित होना। हम खुद से पता लगाएंगे ताकि किताब भी अपडेट होता रहे। अब कोई सवाल जवाब नही, योजना का अगला भाग बताने दो।

"हम सबसे पहले मियामी के खोजी पर हमला बोलेंगे उसके बाद सीधा पहुंचेंगे अर्जेंटीना। अर्जेंटीना के 5 शहरों में भी अपनी तलाश जारी होगी, वहां के किसी एक शहर में बिलकुल इसी योजना को फॉलो करेंगे।"

रूही:– लेकिन मियामी से अर्जेंटीना क्यों जाना है? यूएसए में पहले से इनकी 4 और टुकड़ी है, उन्हे निशाना क्यों नही बनायेंगे?

आर्यमणि:– वो इसलिए क्योंकि उन्हें ये नही लगना चाहिए की केवल यूएसए आये शिकारी मर रहे है। ऐसे में उन्हें लगेगा की उनका टारगेट यूएसए में कहीं है। एक शहर यूएसए का तो एक शहर अर्जेंटीना।

रूही:– अच्छा और अर्जेंटीना के एक शहर के बाद फिर से एक शहर यूएसए का। ऐसे ही करके हम 2 महीनो तक शिकार करेंगे।

आर्यमणि:– ऐसा करोगी तो उन्हे पता चल जायेगा की उनके पीछे कौन है। उन्हे पैटर्न पता होगा की हर बार कोई पत्थर बेचने आता है। एक बार यूएसए में कहीं दिखता है तो एक बार अर्जेंटीना में। तीसरी बार किसी को ट्रैप करने जाओगे तो खुद ट्रैप हो जाओगे।

रूही:– हॉलीवुड का सिनेमा देखकर दिमाग वाले हो गये हो जानू। तो फिर आगे क्या...

आर्यमणि:– हमे कैसे काम करना है वो सबको पता है। 2 देश के अलग–अलग शहर चुनने के बाद, हम रैंडम प्लान बनायेंगे। बेचने का समान अलग होगा लेकिन पता करने का तरीका वही। उम्मीद है सारी बातें साफ होगी।

सभी ने हां में सर हिला दिया। संन्यासी शिवम्, निशांत के साथ उसी वक्त अंतर्ध्यान (टेलीपोर्ट) हो गये। वो अपने काम में लग चुके थे। तीनो टीन वोल्फ वापस अपने गेम पर फोकस करने लगे और शाम के वक्त ढेर सारे उपकरणों के साथ खेलते। वहीं आर्यमणि और रूहि के जिम्मे रणभूमि थी, जो सभी सूचना मिलने के बाद उसकी नीति तय होती। इसलिए ये दोनो हनीमून पीरियड पर चल रहे थे। सुबह खुशनुमा और रातें रंगीन होती। जज्बात उमड़कर सामने आ रहे थे जिसे दिखाने में दोनो जरा भी कसर नही छोड़ रहे थे।
बहुत ही शानदार लाजवाब अपडेट भाई
मजा आ गया
 
  • Like
Reactions: Tiger 786 and ASR

Zoro x

🌹🌹
1,689
5,420
143
भाग:–110


आर्यमणि और रूहि के जिम्मे रणभूमि थी, जो सभी सूचना मिलने के बाद उसकी नीति तय होती। इसलिए ये दोनो हनीमून पीरियड पर चल रहे थे। सुबह खुशनुमा और रातें रंगीन होती। जज्बात उमड़कर सामने आ रहे थे जिसे दिखाने में दोनो जरा भी कसर नही छोड़ रहे थे।

दोनो बाहों में बाहें डालकर, हसीन वादियों का लुफ्त उठा रहे थे। दोनो एक विशाल वृक्ष के नीचे चादर बिछा कर बैठ गये। आर्यमणि, रूही के गोद में अपना सर डाले लेटा हुआ था। रूही उसके चेहरे पर प्यार से हाथ फेर रही थी... “आर्य... आर्य”

“हां रूही कहो ना”.....

“आर्य, जिंदगी में इतनी सारी खुशियां देने का शुक्रिया। मैने तो ऐसी जिंदगी की कभी कल्पना भी नहीं की थी।”

“कल्पना तो मैंने भी नही किया था कि कभी मेरा प्यार भी सफल होगा। मेरी जिंदगी में आने का शुक्रिया”

“आर्य... क्या है ये... मेरे न होने से भी तुम्हारी जिंदगी मजे में ही कट रही थी। चित्रा, निशांत, भूमि दीदी और तुम्हारे मम्मी–पापा सब तो थे ही”

“हां पर उन सब में तुम नही थी न। एक लड़की (मैत्री) से लगाव था, वह मेरी वजह से मर गयी। टूटे दिल पर तभी उस ओशुन ने धोखे का जख्म दे डाला। मुझे तो लगने लगा था कि सच्चा प्यार मेरे नसीब में ही नही।”

रूही, अपनी आंखे दिखाती... “जब प्यार नही था तब भी मजे करने में कोई कमी नही छोड़े। रिचा, पलक और मैं.. एक वक्त पर 3 लड़कियों के साथ थे।”

“अच्छे माहोल में कैसे आग लगाना है, वो कोई तुमसे सीखे। इतने ताने क्यों दे रही हो? तुमसे इजहार के बाद किसी के साथ हूं क्या?”

“मुझे क्या पता यहां किस–किस को घुमा रहे?

आर्यमणि, रूही की गोद से उठकर सीधा बैठते.… “तुम कहना क्या चाहती हो?”

“तुम आंखें सिकोड़कर ऐसे गुस्से में क्यों बात करने लगे? मैं तो बस पूछ रही थी... हिहिहिहि..."

रूही आर्यमणि को चिढ़ाकर हंस रही थी और आर्यमणि जला–भुना सा चेहरा बनाया रूही को घूर रहा था। बीतते हर पल के साथ रूही की हंसी और बढ़ रही थी और आर्यमणि... वो तो अंदर से चिढ़कर फुंफकार रहा था। तभी रूही, आर्यमणि के गाल पर अपनी उंगलियां फेरती... "ओ ले ले.. लगता है जानू नाराज हो गये।".. आर्यमणि, रूही की इस हरकत पर केवल "हूह".. की फुफकार निकाला और चेहरा दूसरी ओर घुमा लिया।

रूही को सूझी शरारत और उसने अपने कपड़े को कंधे से नीचे सरकाकर ब्रा खोल ली। आर्यमणि अब भी दूसरे ओर मुंह फेरे था। तभी पैंट के ऊपर से ही रूही ने आर्यमणि के लिंग को स्पर्श करती... "अजी एक झलक इस जवानी को भी देख लीजिए, जो सुखी जा रही।"..

आर्यमणि की आंखों में चमक आ गया। जब वह वापस रूही को देखा फिर तो जैसे भेड़िया भूखा और प्यासा हो गया था। सीधा रूही पर बिलकुल टूट ही पड़ा। रूही भी अपना जोश दिखाती क्ला के एक ही वार से पैंट और अंडरवेयर के चिथरे बनाकर हवा में उड़ा दी। आर्यमणि पागलों की तरह रूही के होंठ को चूमते हुये उसके दोनो सुडोल स्तनों को मिज रहा था। वहीं रूही आर्यमणि को चूमती हुई उसके लिंग को मुट्ठी के दबोचकर उसे बड़े जोश से आगे पीछे हिला रही थी।

कुछ देर के वासना में लिप्त जोशीले चुम्बन के बाद रूही धक्के देकर आर्यमणि को जमीन पर ही लिटा दी। आर्यमणि अपने दोनो बांह फैलाए जमीन पर लेटा था और तभी रूही अपना चेहरा नीचे कर लिंग को मुंह में लेकर चूसने लगी। आर्यमणि का लिंग तो जैसे फूलकर शख्त लोहा बन गया हो। जोश ऐसा की आज कब दोनो ने अपना शेप शिफ्ट किया पता ही नही चला।

रूही लगातार लिंग को चूसती रही और आर्यमणि मजे के सागर में गोते लगाता रहा। कुछ देर में ही आर्यमणि अपने अंदर तूफान सा महसूस करने लगा। मुंह में पड़ा लिंग अब योनि में घुसने को तड़प गया। आर्यमणि झटका से उठा और रूही को भी खड़ा कर दिया। नीचे तो रूही के भी तूफान मचा था। आगे समझाना नही पड़ा की करना क्या है। तुरंत रूही भी पेड़ को पकड़कर अपनी कमर नीचे झुका ली और दोनो टांगों को पूरा फैला दिया।

आर्यमणि भी रूही के पीछे आया और अपने लिंग को उसके योनि पर घुसाते हुए एक ही झटके में पूरा लिंग योनि में उतार दिया... "ईशशशशश्श जान निकाल दी”.. रूही की दर्द में लिप्त मादक आवाज निकल गयी। प्रतिक्रिया में आर्यमणि अपने हाथ आगे बढ़ाकर घोड़ी के लगाम की तरह रूही के दोनो मनमोहक स्तनों को अपने मुट्ठी में दबोचकर तेज–तेज झटके मारने लगा। झटका इतना तेज था की विशाल पेड़ पूरा हील रहा था और आर्यमणि बिना किसी बात की परवाह किये हुचाहुच धक्के मार रहा था।

रूही की मादक सिसकारियां पूरे जंगल में सुनाई दे रही थी। काम–लीला पूरे मगन के साथ अपने चरम पर पहुंचा और दोनो एक साथ चंघारते हुये शांत हो गये। दोनो हांफते हुये कुछ देर तक पेड़ से टीके रहे। कुछ देर बाद रूही आर्यमणि को अपने ऊपर से हटाई और अपने कपड़ों को दुरुस्त करने लगी। आर्यमणि उसे कपड़े पहनते देख... "और मेरे कपड़ों का क्या जो तुमने फाड़ दिये?"

रूही एक नजर आर्यमणि को देखी। सहवास के बाद झूलते लिंग को देखकर वह शर्मा गयी। ताबड़तोड़ दौड़ लगाकर गयी और आर्यमणि के पैंट लेकर आयी। एक बार फिर से नजर आर्यमणि के पाऊं के बीच में गयी और शर्माकर अपनी नजरों को नीचे करती पैंट को आर्यमणि के ओर बढ़ा दी। आर्यमणि रूही के हाथ को पकड़कर खींचते.... “पहले तो मेरे हथियार देखकर कभी नजरे नही फेरी, आज बात क्या है?”

रूही:– बस मुझे शर्म सी आ गयी। वैसे भी आज से पहले कभी भी मैंने उन्हें खुले में ऐसे झूलते नही देखा न। अजीब सा लग रहा है..

आर्यमणि, रूही को अपने बाहों में भींचते... “अच्छा और क्या अजीब है।”

“पूरा संसार ही अब अजीब लग रहा है आर्य। ऐसा लगता है सब मिलकर मुझे छेड़ रहे हैं।”

“और सब मिलकर किस प्रकार से तुम्हे छेड़ रहे?”

“ऑफफ्फ ओ आर्य, आज कल कितने सवाल पूछने लगे हो। चलो भी, मुझे बच्चों के लिये खाना भी बनाना है। सभी स्कूल से पहुंचते ही होंगे”...

आर्यमणि, रूही के होंठ पर प्यारा सा चुम्बन लेते.... “चलो फिर चला जाये।”

दोनो एक दूसरे का हाथ थामे, एक दूसरे के आंखों में झांकते प्यार से मुस्कुराते हुये चले। दोनो घर तो पहुंचे लेकिन शाम की पार्टी का निमंत्रण भी ठीक उसके पीछे पहुंचा। दरअसल आज फाइनल मैच था और होम टीम अर्थात स्कूल की टीम दोनो ही मुकाबले, लड़के तथा लड़कियों के मुकाबले में जीत का परचम लहरा चुकी थी। टीन वुल्फ के पार्टी का दौड़ तो मैच के जीत के साथ ही शुरू हो गया था, आर्यमणि और रूही को शाम की ऑफिशियल पार्टी में शामिल होने का निमंत्रण आया।

स्कूल प्रबंधन खुश। प्रिंसिपल खुश। मैच देखने पहुंचे दर्शक खुश। वहीं कोच और खिलाड़ी... उनकी आंखों से तो आंसू रुक ही नही रहे थे। सभी लोग ओजल, इवान और अलबेली को कंधे पर उठाए हूटिंग कर रहे थे। हूटिंग करते हुये खिलाड़ी जब मैदान से वापस लौट रहे थे तभी सामने बर्कले का स्थानीय वुल्फ लूकस और उसका बड़ा सा गैंग उनके रास्ते में खड़ा। लूकस और उसकी गैंग को देखकर सभी शांत हो गये।

इस से पहले की अलबेली और इवान आगे आकर कुछ कहते ओजल सबसे आगे खड़े होकर सबको हाथ दिखाती.... “क्या लूकस हमारा रास्ता रोक खड़े हो”..

लूकस:– सोचा पहली जीत की बधाई दे दूं।

ओजल:– तुम्हारी बधाई ले ली। अब रास्ता छोड़ोगे या फिर से हमे आपस मे कोई दोस्ताना मैच खेलना होगा।

लूकस:– दोस्ताना मैच तो नही खेलना बस अपने सहपाठियों से रिश्ते सुधारने हैं। क्या हम भी जीत की जश्न में सम्मिलित हो सकते है?

ओजल पीछे मुड़कर पूरे टीम को देखती.... “तो क्या कहती है टीम, इसे एक मौका दे दिया जाए”...

ओजल की बात सुनकर सब सोच में पड़ गये। वहीं इवान, लूकस को घूरते हुये धीमे से कहा... “इसे साथ आने कह रही”

ओजल, इवान का हाथ थामकर उसे शांत रहने का इशारा करती.... “अरे यार इतना भी क्या सोचना, खुशी का माहोल है, इसे भी साथ ले लेते हैं। अब तक हमसे लड़ता आया था आज कोई लफ़ड़ा हुआ तो हमारे लिये लड़ेगा। क्यों लूकस सही कहा न मैने”...

लूकस:– हां बिलकुल.... मेरे रहते हमारे जश्न के माहोल को बिगाड़ने की हिम्मत भला कौन करेगा...

पूरी भिड़ एक साथ.... “तो फिर ठीक है इसे भी साथ ले लो”...

अब तो स्कूल की भीड़ और भी बड़ी हो गई। सभी हूटिंग करते सबसे पहले स्कूल की कैंटीन ही पहुंचे, जहां खिलाड़ियों के लिये तरह–तरह के पकवान बनाए गये थे। वहां से सब खा–पीकर सीधा एक खिलाड़ी के घर पहुंचे और हाई–स्कूल पार्टी का लुफ्त उठाने लगे।

नशे का सारा साजो सामान उपलब्ध था। थोड़ी बहुत छींटाकसी और ढेर सारा मनोरंजन। इसी मनोरंजन के बीच दो नादान परिंदे अपनी नैनो का नशा एक दूसरे में डाल रहे थे। अलबेली और इवान दोनो एक दूसरे को देखकर मुस्कुरा रहे थे। धीरे–धीरे नजरें जैसे इशारा कर रही हो फिर तो पूरी भिड़ में जैसे यही दोनो अकेले हो। होंठ कब होंठ से जुड़ गये पता ही नही चला।

होंठ से होंठ ऐसे जुड़े थे कि दोनो के रोम–रोम में मस्ती का प्रसार हो गया। उत्तेजना पाऊं के अंगूठे से लेकर सर तक फैल चुकी थी और तन बदन से चिंगारियां उठने लगी थी। अलबेली अपना चेहरा पीछे करती.... “इवान यहां कुछ ज्यादा ही भिड़ है।”

इवान, अलबेली का हाथ थामते.... “चलते है फिर कहीं पूर्ण शांत इलाके में जहां सिर्फ तुम्हारी मादक आवाज की गूंज हो।”

अलबेली आंख मारती..... “हां ऐसे ही मिलन की प्यास है इवान... आज कोई रहम मत करना।”

दोनो हाथ में हाथ डाले दौड़ लगा चुके थे। जंगल के जिस हिस्से में रुकने का सोच रहे थे वहां आस–पास कोई न कोई मिल ही रहा था।... “बेंचों आज सभी जंगल में ही मंगल करने निकले है।”

“हिहिहिहिही... झुंझलाते हुये कितने प्यारे लगते हो। सब्र करो मुन्ना... तुम्हारे मुन्ने द्वारा मेरी मुन्नी को रोंदने के लिये पूरी रात पड़ी है। इतना चिढ़ो मत।”

“हां सही कह रही हो। जंगल के और अंदर चलते है।”...

अलबेली और इवान दोनो तेज दौड़ लगाते जंगल के दक्षिणी इलाके में अंदर घुस रहे थे। पीछे उत्तर–पूर्व का इलाका तो लूकस के पैक था इसलिए ये लोग उस ओर जा नही रहे थे और पश्चिम दिशा से तो चले ही थे, जहां विभिन्न हिस्सों में पहले से लड़के–लड़की की मौजूदगी थी।

दोनो दक्षिणी दिशा चलते हुये काफी अंदर घुस आये। कानो में पानी के गिरने की आवाज आ रही थी। घने जंगल के बीच झरने की आवाज सुनकर दोनो ही आकर्षित हो गये। अलबेली, इवान का हाथ छुड़ाकर तेजी से आगे भागी। भागते हुये ही उसने अपने कंधे से अपने कपड़े को सरकाया और नीचे जमीन पर उन्हे पीछे छोड़ती आगे बढ़ गयी। दौड़ते हुये ही ब्रा भी खुल चुकी थी और किनारे पर पहुंचने के साथ ही एक छोटे से विराम में उसकी पैंटी नीचे की धूल चाट रही थी और अलबेली छपाक से पानी में।

इवान भी ठीक पीछे ही था। आंखों के सामने चल रहे इतने कामुक नजारे को देखकर भला वो क्यों पीछे रहता। लेकिन जो देखने का सुख अलबेली ने इवान को दिया था, वही वो अलबेली को देना चाह रहा था। इवान अपनी जगह पर खड़ा हो गया। अलबेली पानी में छलांग लगाने के साथ ही पीछे मुड़ गयी। पानी में भींगा बदन क्या कामुक लग रहा था। इवान तो जैसे मदहोश ही हो गया।

फिर तो उस से भी रुका न गया। वह भी अलबेली की तरह ही कपड़े निकलते हुये दौड़ा। इवान की इस दिलकश अदा पर अलबेली हूटिंग करती हुई सीटियां बजाने लगी। और इवान भी लंबी छलांग लगाते सीधा पानी में। फिर तो दोनो से बर्दास्त होना मुश्किल। एक दूसरे को आलिंगन में भरकर बेहतशा चूमने लगे। मुंह पूरा खोलकर एक दूसरे की जीभ को चूसते हुये कामुक चुम्बन का मजा ले रहे थे। अलबेली सीधा लिंग को मुट्ठी में दबोचकर इवान को चूमे जा रही थी वहीं इवान अपनी उंगलियों को अलबेली के योनि पर बड़ी तेजी से फिरा रहा था। अलबेली इतनी कामुक हो चली थी की उसकी योनि लगातार मिलन के प्यास में जैसे आंसू बहा रही हो।

अलबेली, इवान को धक्का देकर पीछे की और किनारे आकर घास पर पाऊं फैलाकर लेट गयी। लेटने के साथ ही अपने होंठ को दातों तले दबाते इवान को बुलाने लगी। खुला निमंत्रण और पूर्ण जोश। इवान भी पूरी जोश के साथ पहुंचा। अलबेली के दोनो पाऊं के बीच आकर इवान ने खुद को पोजिशन किया और अलबेली की योनि पर लिंग को घिसने लगा।

अलबेली इतनी उत्तेजित थी कि गरम लिंग के योनि पर स्पर्श मात्र से वह बौखला गयी। लिंग अंदर क्यों नही घुसा इस बेकरारी ने ऐसा मजबूर किया की अलबेली अपने हाथ से लिंग को पकड़ी और कमर का तेज झटका देकर पूरी लिंग को अंदर समा ली। खुद ही कमर की तेज–तेज झटकती..... “आह्ह्ह... इवान... पूरे जोश से झटके मारो... उफ्फ ये उत्तेजना कहीं मेरी जान न ले ले।"...

केवल अलबेली के दिमाग में हवस नही चढ़ी थी बल्कि इवान भी उतने ही जोश में था। इवान ने अपने होंठ अलबेली के होंठ से लगाया। पूरे जोश भरा चुम्बन लेते अपने दोनो हाथ से अलबेली के दोनो कराड़े और विकसित हो रहे स्तन को दबोचते हुये, तूफानी झटके मारने लगा। दोनो ही पूरे जोश से एक दूसरे के साथ सहवास कर रहे थे। झटका मारते–मारते अचानक ही इवान अलबेली के ऊपर से हट गया। अलबेली हांफती हुई इवान को घूरने लगी.... “ऐसे अचानक उठ क्यों गये”..

“पोजिशन बदलने का मेरा मन हो गया”...

“कौन सी पोजिशन में मेरी मारोगे जल्दी बताओ, पर दूर न रहो”...

“एनिमल स्टाइल... दूसरे शब्दों में कहें तो डॉगी स्टाइल”...

अलबेली अपने घुटनों के बल होकर अपने पाऊं को थोड़ा खोलती.... “मुझे मतलब पता है, बस तुम कुत्ते की तरह नही भेड़िए की तरह सेक्स करना। अब आओ भी... जल्दी से मेरी आग को शांत करो”.....

इवान लपक कर आया और एक पूरे पंजे से इतनी जोर चूतड पर थाप मारा की आवाज चारो ओर गूंज गयी.... "आउच, जंगली... अब इतने ही जोड़ से अपना हथियार भी डाल दो”.... “हां, हां, क्यों नही मेरी चुलबुली... ये लो”..

“नही, अरे, वहां नही... ओ माआआआ, बेंचों, बेरहम... गलत छेद में अपना लन्ड डाल दिया रे... आआआआआ, इवान बहुत तेज दर्द हो रहा.... निकाल वहां से”....

“तुमने ही तो कहा था आज रहम मत करना... तो ये लो”.... अपनी बात कहकर इवान लंबे–लंबे धक्के मारने लगा। कमसिन सी लड़की जो कुछ दिन पहले ही खुली थी, इवान ने जोश–जोश में अपना लिंग उसके गुदा मार्ग में घुसा चुका था। शुरवाती धक्के इतने दर्द भरे थे कि पहले चिल्लाना मुंह से निकला और उसके बाद में “वूऊऊऊऊऊऊऊ” का तेज वुल्फ साउंड।

अलबेली जितना तेज चिल्ला रही थी इवान जोश में उतना ही तेज धक्के मार रहा था। बेरहम इतना की अलबेली रोती रही पर उसे कोई फर्क नहीं पड़ा। कुछ देर के सहवास के बाद फिर अलबेली भी सामान्य होने लगी। अब पीछे से चल रहे ताबड़तोड़ संभोग का वो भी आनंद ले रही थी। मादक सिसकारी चारो ओर गूंज रही थी।

“आआह्ह्ह, मजा आ गया लेकिन मेरी जान मेरे घुटने छिल जायेंगे, अब तो लिटा दो”...

इवान भी इस पोजीशन में शायद थक चुका था और अलबेली के कमसिन बदन को अपने नीचे लिटाकर रौंदने का मन कर रहा हो। बिना वक्त गवाए इवान ने उसे पलटा और दोनो टांग फैलाकर अपने लिंग को सरसराते हुये पूरा अंदर घुसेड़ दिया। अलबेली भी “आआह्हह” की मादक सिसकारी लेते अपने पीठ को थोड़ा ऊपर की और इवान के गर्दन में अपने बांह डालकर, उसे अपने ऊपर लिटाती उसके होंठ चूमने लगी। होंटों के रसपान मधुर थे और नीचे धक्कों की रफत्तार अनियंत्रित। इतने जोरदार धक्कों से दोनो का रोम–रोम गनगना गया। फिर वो अंतिम पड़ाव भी आया जब पहले अलबेली अपने स्खलन पर इतना तेज चिल्लाई की पूरा माहोल उसके मादक चरम सुख का गवाह बन गया। उसके ठीक अगले पल इवान का भी वही हाल था।

वह जितनी संजीदा थी, उतनी ही जिंदादिल। जितनी शांत थी, उतनी ही उद्दंड। वह जितनी समझदार थी उतनी ही भावुक। वह अजब थी, वह गजब थी। अल्फा पैक की ओजल शायद अपने आप में सम्पूर्ण थी। आज मध्य रात्रि की बेला वह लेटी थी। काम उत्तेजना में लिप्त सारे वस्त्रों को त्याग कर बस लंबी–लंबी सिसकारियां ले रही थी। निर्वस्त्र हुये कई लड़के सांप की भांति ओजल से लिपटे थे। जीवन के पहला संभोग का अनुभव इतना रोमांचक था की वह बस सिसकारियां लेती खुद को निढल छोड़ चुकी थी। उसके गुप्तांगों और बदन पर रेंग रहे हाथ, लिंग इत्यादि–इत्यादि उसे अत्यधिक मजा दे रहे थे।
बहुत ही शानदार लाजवाब अपडेट भाई
 
  • Like
Reactions: Tiger 786 and ASR

Zoro x

🌹🌹
1,689
5,420
143
भाग:–111






वह जितनी संजीदा थी, उतनी ही जिंदादिल। जितनी शांत थी, उतनी ही उद्दंड। वह जितनी समझदार थी उतनी ही भावुक। वह अजब थी, वह गजब थी। अल्फा पैक की ओजल शायद अपने आप में सम्पूर्ण थी। आज मध्य रात्रि की बेला वह लेटी थी। काम उत्तेजना में लिप्त सारे वस्त्रों को त्याग कर बस लंबी–लंबी सिसकारियां ले रही थी। निर्वस्त्र हुये कई लड़के सांप की भांति ओजल से लिपटे थे। जीवन के पहला संभोग का अनुभव इतना रोमांचक था कि वह बस सिसकारियां लेती खुद को निढल छोड़ चुकी थी। उसके गुप्तांगों और बदन पर रेंग रहे हाथ, लिंग इत्यादि–इत्यादि उसे अत्यधिक मजा दे रहे थे।


खोये अति–कामुक क्षण में पहली बार जब किसी के लिंग का एहसास अपने योनि पर हुआ, तब ओजल की कामुक तांद्रा थोड़ी भंग हुई। योनि से कामुक स्त्राव तो हो रहा था, किंतु किसी लड़के के द्वारा उसके योनि पर लिंग को घिसे जाने की क्रिया ने ओजल को थोड़ा होश में लाया। ठीक उसी वक्त ओजल के कानो में अलबेली के उस वुल्फ कॉलिंग साउंड की आवाज आयी, जब इवान ने बेरहम होकर उसके गुदा मार्ग में अपना लिंग घुसा दिया था।


ओजल के चमचमाते नव यौवन, आकर्षक बदन पर बाएं हाथ की बांह में एक खूबसूरत बाजूबंद लगा था। अंग्रेजी में जिसे आर्मबैंड भी कहते है। हल्का नीला रंग का खूबसूरत नगीना किसी वुडन आर्ट वाली मेटल से जुड़ी थी, जो ओजल के कमसिन बदन को एक आकर्षक लुक दे रही थी।



दरअसल वह बाजूबंद जादूगर की दंश थी जिसका नाम कल्पवृक्ष दंश था। उसे मंत्रों से समेटकर ओजल ने अपना बाजूबंद बनाया था।


योनि पर घिसते लिंग का एहसास और ठीक उसी वक्त कानो में पड़े अलबेली की वुल्फ साउंड ने ओजल को कामुक चेतना से लौटने में मदद किया। हां, लेकिन कामुक उत्तेजना इतनी हावी थी कि इतनी सी चेतना वापस लौटना काफी नही था, स्थूल पड़े शरीर में हलचल तक लाने के लिये। न चाहते हुये भी ओजल किसी तरह कल्पवृक्ष दंश के नगीने को हाथ लगाई और वह अगले ही पल अलग दुनिया में थी। कल्पवृक्ष दंश की दुनिया में....


ओजल:– दोस्त क्या मैं सच में इतनी कामुक हो चुकी थी...


कल्पवृक्ष दंश:– इस बात का पता तुम्हे लगाना होगा। लेकिन अभी परिस्थिति थोड़ी गंभीर है। तुम सामान्य लड़कों के साथ निर्वस्त्र हो और मैं बहुत ज्यादा देर तक तुम्हे भेड़िया बनने से रोक नही सकता।


ओजल:– दोस्त एक मंत्र बताओ जिससे कुछ वक्त के लिये ये पूरा माहोल ही फ्रिज हो जाये।


कल्पवृक्ष दंश:– हर जादू की एक कीमत होती है। इसे संतुलन कहते है। एक निश्चित माहोल को पूरा शांत करना बड़ा जादू है, यदि सही कीमत नही दे पायी तो अन्य जादूगर की तरह तुम्हारी आत्मा भी विकृत हो जायेगी।


ओजल:– अपना रक्त अर्पण करूं तो क्या ये कीमत सही होगी...


कल्पवृक्ष दंश:– हां लेकिन थोड़ा नही बल्कि रक्त की पूरी धार चाहिए...


ओजल:– धन्यवाद दोस्त... अब तुम मंत्र बताओ....


ओजल मंत्र सीखते ही आंखें खोल दी। किसी तरह अपनी कलाई नगीने तक लाकर, ओजल ने अपनी कलाई की नब्ज काट ली। तुरंत ही खून की पिचकारी ओजल के नब्ज से बहने लगी और अगले ही पल वहां के चारो ओर का माहोल फ्रीज हो चुका था। ओजल तुरंत ही अपने क्ला को बाएं किनारे से गर्दन में घुसाई और दिमाग में चल रहे उत्तेजना के जहर को समेटने लगी। कुछ ही पल में ओजल पूर्णतः अपने होश में थी।


तुरंत ही ओजल ने उस जगह का पूरा मुआयना किया। कुछ लड़के वीडियो बना रहे थे, उनके वीडियो को डिलीट की और अपने कपड़े समेटकर वहां से बाहर निकली। ओजल अब तक उसी घर में थी जहां हाई–स्कूल की पार्टी शुरू हुई थी। घर पूरा खाली था सिवाय उन कुछ लड़कों के, जो ओजल के साथ सामूहिक संभोग करने वाले थे। ओजल उस घर से कुछ दूर हुई और सर पर हाथ रखकर तेज वुल्फ साउंड निकाली।


अल्फा पैक के मुखिया आर्यमणि और रूही बीते कुछ दिनों से एक दूसरे में खोए थे। आज दिन की जोरदार प्यार भरी मिलन के बाद दोनो शाम तक सोते रहे। और जब जागे तब दोनो तैयार होने भागे। हाई–स्कूल प्रबंधन ने जीत की खुशी में एक पार्टी का आयोजन किया था, जिसमे इन दोनो को खास आमंत्रण दिया गया था। शाम के 8 बजे दोनो स्कूल ऑडिटोरियम में थे, जहां आर्यमणि और रूही की मुलाकात तीनो टीन वुल्फ के दोस्तों तथा लूकस के पूरे ग्रुप से हो गयी। हां लेकिन उस चकाचक महफिल में कहीं भी ओजल, इवान और अलबेली नजर नहीं आ रहे थे। दोनो ने पता लगाने की कोशिश भी किये, किंतु किसी को भी तीनो के बारे में ठीक से पता नही था।


तभी मंच पर स्कूल के कोच खड़े हो गये और फुटबॉल में मिली इस जीत का सेहरा तीनो टीन वुल्फ के अभिभावक यानी की आर्यमणि और रूही के सर बांधते कहने लगे.... “इन दोनो ने अपने तीन बच्चे ओजल, इवान और अलबेली को प्रशिक्षित किया और उन तीनो ने हमारी टीम को। हमारी टीम किसी अंतरराष्ट्रीय टीम की तरह खेल रही थी। जिसे खेलते देख मुझे भी विश्वास न हुआ की यह बर्कले की वही टीम है, जिनमे जितने का जज्बा तो दूर, हम जीत भी सकते है, ऐसी सोच तक न थी। लेकिन अलग तरह के कमाल के प्रशिक्षण ने न सिर्फ हमें जीत दिलवाई, बल्कि हमारे प्रतिद्वंदी कहीं दूर–दूर तक टिके भी नही। मैं ओजल के अभिभाव को मंच पर बुलाना चाहूंगा। अपने हाथों से सैंपेन खोलकर आज के जीत की जश्न की शुरवात करे।”


दोनो चारो ओर अपनी नजर दौड़ाते मंच पर पहुंचे। मुस्कुराकर जितने वालों को बधाई दिये और संपैन की बॉटल को खोल दिया। बॉटल खुलते ही सबके हाथ में एक–एक जाम और जाम को लहराकर सभी एक साथ टोस्ट करते उसे गले से नीचे उतार दिया। रूही भी जाम की एक चुस्की लेते आर्यमणि को आंख मारती... “बिलकुल कातिल लग रहे हो जान। आज तो तुम्हे देखकर बेकाबू हो रही हूं।”


आर्यमणि:– बेकाबू तो तुम मुझे कर रही हो। अब भी तुम्हारा नंगा चमचमाता बदन ही मुझे नजर आ रहा। आह!! कितनी नमकीन दिख रही...


रूही:– यहां कुछ ज्यादा भीड़ तो नही...


आर्यमणि, रूही के होटों को पूरे जोश से चबाते.... “शायद अभी हमे किसी और माहोल की जरूरत है।”


दोनो ऑडिटोरियम के बाहर निकले और एकांत कोपचे में पहुंचे। रूही, आर्यमणि को दीवार से चिपकाकर नीचे बैठ गयी और उसके पैंट के बटन को खोलकर लिंग बाहर निकाल ली। लिंग बाहर निकलने के बाद रूही आगे कुछ करती उस से पहले ही आर्यमणि के क्ला गर्दन के किनारे से घुस चुके थे। थोड़ी देर में रूही के अंदर से टॉक्सिक को निकालने के बाद आर्यमणि ने क्ला अपने गर्दन में घुसाया। थोड़ा वक्त लगा लेकिन दोनो सामान्य हुये....


“आर्य अभी हुआ क्या था?”


“हमे किसी प्रकार का जहर दिया गया था।”


“किस प्रकार का जहर?”


“मुझे भी पूरा पता नही लेकिन उसके शुरवती नतीजों के कारण ही हम दोनो काफी एक्सिटमेंट फील कर रहे थे। हो सकता था कि यह जहर हमारी एक्साइटमेंट इतना बढ़ा देता की हम शेप शिफ्ट कर जाते”...


“हमसे बदला लेने के लिये ये काम लूकस ने ही किया होगा।”


“क्या नेरमिन (बर्कले की स्थानीय वुल्फ पैक की फर्स्ट अल्फा और रूही की मासी) भी इसमें सामिल है, या बिना उसकी जानकारी के लूकस ने ये सब किया होगा?”


“ये तो लूकस की यादों से ही पता चलेगा। ले आओ उसे”...


रूही बिना वक्त गवाए वापस ऑडिटोरियम पहुंची और लूकस को इशारे से अपने पास बुलाई... लूकस उसके करीब पहुंचते.... “क्या हो गया? मुझे क्यों याद कर रही”...


रूही:– मेरा पार्टनर किसी और लड़की के साथ चला गया। उस कमीने को तो मैं बाद में देखती हूं, अभी फिलहाल मुझे तुम्हारी जरूरत है। या शायद तुम भी कम पड़ जाओ। अपने कुछ साथियों को भी साथ ले लो। ग्रुप सेक्स का मजा करेंगे...


लूकस:– हा हा हा हा हा... तुम जैसे अल्फा को हम बीटा का गैंग हाथ लगाये। तुम अकेले ही हम सबको कच्चा चबाकर डकार तक न लो।


रूही:– देखो मेरे बदन में आग लगी है। यदि मेरी बात नही भी माने तो भी परिणाम वही होगा। बात मान लो... तुम्हे मै अपने संरक्षण में रखूंगी और अल्फा भी बना दूंगी।


लूकस:– हम्म्!! प्रस्ताव अच्छा है लेकिन तुम्हारा काम निकलने के बात हमे धोका तो नही दोगी?


रूही:– चुतिये धोखा भी दिया तो भी मुझ जैसे अल्फा के साथ बिस्तर गरम करने का मौका दे रही, ये क्या कम बड़ी उपलब्धि है। जल्दी फैसला करो। हां है तो साथ चलो वरना मैं कहीं से भी अपनी आग बुझाने के बाद सीधा खून की प्यास बुझाने ही निकलूंगी...


लूकस:– नाना, तुम कहीं और से आग मत बुझाओ और न ही हमसे अपनी खून की प्यास। हम साथ चलते हैं।


छोटे से वार्तालाप के बाद लूकस अपने 8 साथियों के साथ रूही के पीछे तेजी से चला। सभी स्कूल के किसी सुनसान कोने में पहुंचे। सभी एक साथ रूही के ओर बढ़े ही थे कि सब के सब जड़ों की रेशों में जकड़े गये।


रूही:– क्यों बेटा चौंक गये?


लूकस:– द....द...दे... देखो रूही... हमे जाने दो...


पीछे से आर्यमणि की आवाज आयी..... “तुम्हे जाने तो देंगे लेकिन उस से पहले ये बताओ की कौन सा जहर सैंपैन में मिलाया था, जिसकी खुशबू से ही हम अलग दुनिया में पहुंच गये। और जब उसका एक घूंट पिया फिर तो काबू ही न रहा”...


आर्यमणि ने अपना सवाल पूरा किया ही था कि एक्सडीसीउसके अगले पल ही लूकस और उसके साथियों के सर के चिथरे उड़ गये। ऐसा लगा जैसे उनके सर में किसी ने बॉम्ब लगा दिया हो। छोटे–छोटे मांस के टुकड़े और खून के धब्बे उन दोनो के पूरे शरीर पर लगे थे...


आर्यमणि:– निकलो यहां से पहले...


रूही:– ये हो क्या रहा है? किसने चिथरे उड़ाए, मुझे तो किसी के आस पास होने की गंध भी नही आयी?


आर्यमणि:– कोई हमारे साथ खेल रहा..


रूही:– मुझे तीनो (अलबेली, इवान और ओजल) की चिंता हो रही है। जान वुल्फ कॉलिंग साउंड दो...


रूही की बात पर आर्यमणि वुल्फ कॉलिंग साउंड देता, उस से पहले ही अलबेली की वुल्फ कॉलिंग साउंड दोनो को सुनाई देने लगी। यह उस वक्त का वुल्फ कॉलिंग साउंड थी जब इवान बेरहम हुआ था। दोनो से ही दौड़ रहे थे। वुल्फ कॉलिंग साउंड सुनकर दोनो आवाज की दिशा में दौड़ने लगे। कुछ ही देर में दोनो जंगल के अंदर थे और दोनो को अलबेली और इवान की गंध मिल चुकी थी।


रूही:– ए जी, अपने साथ–साथ इवान और अलबेली की भी शादी करवा दो...


आर्यमणि:– हां मुझे भी ऐसा ही लग रहा। चलो पहले दोनो के पास चलते हैं। फिर उन्हे साथ लेकर ओजल को ढूंढेंगे...


रूही:– हां चलो जल्दी...


दोनो जंगल के दक्षिण दिशा में बड़ी तेजी से बढ़ रहे थे, तभी उन दोनो के कान में ओजल की आवाज सुनाई पड़ी। काफी दर्द और गुस्से से भरी आवाज थी। आर्यमणि और रूही ने अपने बढ़ते कदम को रोका और पीछे ओजल के आवाज की दिशा में दौड़े। कुछ की पल में दोनो ओजल के पास थे। ओजल बेजान की तरह पेड़ से टिक कर बैठी थी। उसके हाथ जमीन को छू रहे थे, जिनसे खून की धारा बह रही थी।


रूही पूरी व्याकुलता से ओजल को अपने बाजुओं में समा ली। उसके सर पर हाथ फेरती एहसास करवाने लगी की सब ठीक है, और वह सुरक्षित है। वहीं आर्यमणि ओजल की कलाई को थामकर उसके रक्त प्रवाह को रोकने लगा। कुछ देर बाद जब ओजल कुछ सामान्य हुई, फिर वह सुबकती हुई आप बीती बताने लगी। वह कैसे इतने लड़कों के सामने निर्वस्त्र हो सकती थी, यह ख्याल उसे बार–बार पीड़ा दे रहा था।


रूही ने उसे पूरी घटना बताई। पूरी बात 4 बार समझा चुकी थी कि उसके साथ यह घटना क्यों हुई... लेकिन ओजल के मन से वह ख्याल जा ही नहीं रहा था। किसी भयानक सपने की तरह आंखों के सामने आ जाता।


“ओजल मैं मानता हूं कि तुम्हारे लिये एक भयावाह मंजर था। लेकिन बेटा अभी हताश होने का वक्त नहीं है, क्योंकि हमें नही पता की इवान और अलबेली कहां है और किस हालात में है?”..... आर्यमणि ने जब मौके की गंभीरता को समझाया तब कहीं जाकर ओजल अपनी आंसू पोछती उनके पीछे चल दी।


तीनो ही जंगल की दक्षिणी दिशा में काफी तेज दौड़ रहे थे। तीनो को गंध तो मिल रही थी लेकिन वुल्फ साउंड का कोई भी जवाब नही आ रहा था। आर्यमणि को शंका हुआ की कुछ गड़बड़ है। हाथ के इशारे से रुकने कहा... “शायद कोई हमारा इंतजार कर रहा। गंध ताजा है पर दोनो में से कोई जवाब नही दे रहा। एक काम करो तुम दोनो वुल्फ साउंड देते आगे बढ़ो। मेरा अंदाज यदि सही है तो जाल बिछ चुका होगा”


ओजल:– कैसा जाल...


रूही:– पैक को फसाने का जाल। जब हम उनके करीब होंगे तब हमें अलबेली और इवान की चीख सुनाई देगी। खुद पर काबू रखना क्योंकि वह चीख तुम्हे एहसास करवाएगा की दोनो के लिये जल्द कुछ न किये तो दोनो मरे जायेंगे...


ओजल:– क्या ??????


आर्यमणि:– इतना चौकों नही। और जैसा रूही ने कहा, पूरे धैर्य से काम लेना....


पूरी बात समझाने के बाद तीनो अलग हो गये। आर्यमणि पीछे रह गया और दोनो चिल्लाती हुई दौड़ने लगी। तकरीबन आधा किलोमीटर आगे जाने के बाद कानो में मृत्यु समान भय पैदा करने वाली आवाज आनी शुरू हो गयी। रूही ने अपने कदमों को धीमा किया, जबकि सारी बातें समझाने के बाद भी ओजल अपना आपा खो चुकी थी। और जितनी तेजी से वह आवाज के ओर बढ़ी थी, उतनी ही तेज उसकी चीख भी निकल गयी। उसके पाऊं लोहे के एक ट्रेपर में फसे थे, जिसमे हाथी के पाऊं तक फंस जाये तो वह विकलांग हो जाता है।


इसके पूर्व जब इवान और अलबेली अपने सहवास की प्रक्रिया पूरी कर दोनो हाथ फैलाकर जमीन पर ही लेट गये। शरीर के अंदर मधुर नशा सा छा रहा था और बदन मानो बेजान से पड़ गये थे। ऐसा आनंद आज से पहले कभी जीवन में उन्होंने मेहसूस नही किया था। तभी न जाने कहां से उग्र भीड़ वहां पहुंची और अपने लात से पागलों की तरह अलबेली और इवान के चेहरे पर मारने लगे।


दोनो के अंदर नशा इतना था कि अपने हाथ पाऊं तक नही हिला पा रहे थे। बस खुद के ऊपर लात चलते हुये मेहसूस कर रहे थे। दोनो की आंखें तब फैल गयी जब कुछ लोगों ने उन्हें ऊपर उठाया। दोनो ही समझने की कोशिश में जुट गये की उनका सामना किनसे हुआ है।


जो लोग उनके बदन को पकड़े हुये थे उनके हाथ इतने ठंडे थे मानो बर्फ ने उन्हे पकड़ रखा हो। चेहरे भी ठीक वैसे शरद बर्फ की तरह नजर आ रहे थे, जिनपर कोई भावना नहीं। चेहरे तो सामान्य इंसान जैसा था, लेकिन जब वह अपना मुंह फाड़े तब अंदर के दांत की बनावट ठीक किसी मांसहारी जानवर के समान थे। जैसे किसी शेर का जबड़ा हो जिसमें 4 नुकीले दांत बाहर निकले।
शानदार लाजवाब अपडेट भाई
 
  • Like
Reactions: Tiger 786

Zoro x

🌹🌹
1,689
5,420
143
भाग:–112






जो लोग उनके बदन को पकड़े हुये थे उनके हाथ इतने ठंडे थे मानो बर्फ ने उन्हे पकड़ रखा हो। चेहरे भी ठीक वैसे शरद बर्फ की तरह नजर आ रहे थे, जिनपर कोई भावना नहीं। चेहरे तो सामान्य इंसान जैसा था, लेकिन जब वह अपना मुंह फाड़े तब अंदर के दांत की बनावट ठीक किसी मांसहारी जानवर के समान थे। जैसे किसी शेर का जबड़ा हो जिसमें 4 नुकीले दांत बाहर निकले।


इवान बेसुध सी आवाज में.... “कौन हो तुमलोग”


भिड़ में से कोई एक..... “ये सवाल तब करना चाहिए था, जब हमारे लोगों के खून और अंदरूनी अंगों से तुम अपने जैसे भेड़ियों के लिये नशे का समान बनाते थे। आज तो हर मौत का हिसाब होगा”


उनकी बातें इवान और अलबेली के लिये जैसे कोई पहेली थी। इसके आगे न तो उग्र लोगों ने दोनो को कुछ बोलने दिया और न ही खुद कुछ बोले। केवल सबका बड़ा सा जबड़ा खुला और दोनो के शरीर से रक्त की आखरी बूंद तक चूस लिये। इवान और अलबेली के शरीर में मानो कोई जान ही नहीं बची। पूरा खून निचोड़ने के बाद दोनो को पेड़ से बांधकर लटका दिया गया। दोनो के मुंह को अच्छे से पैक कर दिया गया और धारदार हथियार से पूरे बदन को काट दिया। अब नब्ज में रक्त का प्रवाह हो तब तो दोनो हील करे। बस असीम दर्द की अनुभूति हो रही थी और चिल्ला भी नही रहे थे।


कुछ देर बाद जब उन प्राणियों के कानो में अलबेली और इवान के पैक के अन्य सदस्य की आवाज पहुंची.... “सब तैयार हो जाओ, इनके पैक के लोग पहुंच चुके है।”


इनके जाल में सबसे पहले ओजल ही फसी। ट्रैपर में जब उसके पाऊं फसे, ओजल को ऐसा लगा जैसे उसका एक पाऊं ही नीचे से कट गया हो। दर्द भरी चीख उसके मुख से निकल गयी और आंखों के सामने दर्द से छटपटाते अलबेली और इवान थे। ओजल के वहां फंसते ही उस भीड़ का एक हिस्सा ओजल पर टूट पड़ा। शरीर के कई हिस्सों पर फेंग घुसे थे और सभी उसका रक्त पीने लगे।


रूही जो धीमा हो चुकी थी। अपने आंखों के आगे जब यह नजारा देखी, उसने तुरंत ही क्ला को जमीन में घुसा दिया। जमीन से सर–सर–सर की आवाज आने लगी। देखते ही देखते पूरी भिड़ जड़ों के रेशों में लिपट गयी। रूही ने जैसे ही अपना काम समाप्त किया, अगले ही पल पूरे उग्र रूप से हमला करने उन तक पहुंची। उसके क्ला सबके सीना चीरकर दिल बाहर निकलने को आतुर थे।


लेकिन ये दुश्मन नया था और यह कोई भीड़ नही थी, बल्कि सिपाहियों का दल था। सब के सब प्रशिक्षित और दुश्मन से निपटने में निपुण। जबतक रूही उनके पास पहुंचती हर सिपाही के हाथ चमकने लगे। मानो सबने अपने हाथों पर मेटल का कुछ चढ़ाया हो। धीरे–धीरे उनका पूरा शरीर चमकने लगा। अब तो ऐसा लग रहा था जैसे पूरे बदन पर मेटल चढ़ाया हो। स्टील के भांति चमकता वह मेटल चंद पल में ही भट्टी के आग में झुलसे लाल रंग का हो गया। हर कोई विस्फोट की आवाज के साथ जड़ों के गिरफ्त से छूटा।


जैसे ही सभी कैद से छूटे सबने मात्र अपने हथेली को रूही के ओर पॉइंट किया। उनके हाथ से दूधिया रौशनी निकली और उस रौशनी के पड़ते ही रूही अपनी जगह पर जम गयी।.... “यकीन नही होता एक वुल्फ इतना प्रशिक्षित भी हो सकता है। लेकिन जंगलियों हमारे किसी लोग का शिकर करने से पहले तुम्हे ये पता कर लेना चाहिए था कि हम तुम्हारा शिकार कितनी आसानी से कर सकते है। वो दिन गये जब हमे वेयरवोल्फ से छिपकर रहना पड़ता था।”


भिड़ को किनारे कर एक युवती सामने आयी और अपनी बात समाप्त कर उसने कुछ इशारा किया। जैसे ही उसने इशारा किया चार लोग अपने हाथों में चेन–सॉ (ऑटोमेटिक मशीन वाली आड़ी) लेकर आये। इरादे शायद चारो (रूही, ओजल, इवान और अलबेली) को बीचों बीच काटने का ही था।


रूही:– तुम हो कौन? और हमने तुम्हारा क्या बिगाड़ा है?

युवती की अट्टहास भरी हंसी उन वादियों में गूंजती..... “क्या वाकई मे तुम हमे नही जानते? बिना जाने ही हमारे इलाके में घुसते हो और हमारे लोगों को मारकर उनके रक्त और अंदरूनी अंगों से नशे का समान बना लेते हो। कितने भोले हो तुमलोग। चलो मैं तुम्हे खुद से मिलवाती हूं। मेरा नाम राजकुमारी कैरोलिन है और मैं बर्कले में बसे अपने लोगों की मौत का हिसाब करने आयी हूं। बिना वक्त गवाए सबको काट डालो।”


इधर कैरोलिन ने सबको मारने के आदेश दिये और चेन–सॉ के घन, घन, घन की आवाज चारो ओर गूंजने लगी। ठीक उसी वक्त एक बार फिर जमीन से सरसराहट की आहट हुई। कैरोलिन की अट्टहस से परिपूर्ण हंसी वहां चारो ओर गूंजने लगी..... “क्या वाकई... क्या तुम अपने इन टटपूंजिए खेल से अपनी मौत को टाल सकते हो छिपे भेड़िए?”


“कुछ गलतफहमी है, हम आपस में बात करके सुलझा सकते है। बात नही बनी तो तुम हमे मार देना। बस थोड़े से वक्त की बात की है।”...... आर्यमणि धीरे–धीरे चलते हुये उनके सामने पहुंचा। एक झलक अपने पैक को देखा और उनके दर्द को मेहसूस कर, खून का घूंट पीते चेहरे पर बिना कोई भावना लाये कैरोलिन को देखने लगा....


कैरोलिन बिलकुल चींखती हुये.... “मेरे २०० से ज्यादा लोगों को सिर्फ इसलिए मार दिये क्योंकि तुम्हे नशे का समान बनाना था और मैं तुमसे बात–चित करूं। अब तो जो भी बात होगी वो तुम सबको काटने के बाद होगी। लड़कों जल्दी से काम खत्म करो।”


आर्यमणि समझ चुका था कि वह किसी के गहरी साजिश का शिकर हो चुका है। कोई था जो खुद को बचाने के लिये उन्हे फसा गया। शायद कैरोलिन बर्कले में नही रहती थी और साजिशकर्ता को उसके आने की खबर हो चुकी होगी। उसे यह भी पता था कि कैरोलिन और उसके लगभग 50 सिपाही क्या कर सकते थे। मामला अभी तो बातचीत से नही हल होना था इसलिए आर्यमणि सबको वहां से निकालने का ही फैसला किया।


आर्यमणि की एक ही इशारों पर उसका पूरा पैक जड़ों के मोटे रेशों के बीच सुरक्षित था। हां लेकिन स्वांस आर्यमणि की भी अटक गयी थी, क्योंकि वो लोग आड़ी चला चुके थे। ठीक उसी वक्त आर्यमणि ने सबको जड़ों के बीच सुरक्षित किया और बिना वक्त गवाए उन्हे अपने खींच लिया।


इधर कैरोलिन ने जब अपने शिकार को भागते देखा तभी उसने अपने कुछ लोगों को इशारा कर दिया। सबके हाथ आर्यमणि के ओर और दूधिया रोशनी उनके हाथों से निकलने लगी। आर्यमणि तो पहले भी यह देख चुका था। जैसे ही दूधिया रोशनी हुई। ठीक उसी वक्त जमीन से 10 फिट ऊंचा झार निकल आया जो आर्यमणि को पूरा ढक चुका था।


आर्यमणि के ठीक पीछे उसका पैक पहुंच चुका था। रूही घायल पड़े तीनो टीन वुल्फ को जड़ों के बीच से निकाली और हील करने लगी.... “रूही जल्दी करो, हमे यहां से निकलना है।”


रूही भी हां में सर हिलाती अपने काम को और तेजी से करने लगी। इवान और अलबेली लगभग हील हो चुके थे, बस थोड़ी कसर बाकी थी। और ठीक उसी वक्त दर्द भरी कर्राहट आर्यमणि के मुख से निकली। एक विस्फोट के साथ आर्यमणि को कवर किया हुआ जड़ों का रेशा फट गया और उसके अगले ही पल जलता हुआ लाल मेटल वाला हाथ आर्यमणि के कंधे पर था।


आर्यमणि की चींख सुनते ही जैसे अल्फा पैक का दिमाग सुन्न पड़ गया हो। सभी जैसे अपनी जगह स्थिर हो गये थे, और इधर कैरोलिन ने एक हाथ जब आर्यमणि के कंधे पर रखा तो न सिर्फ आर्यमणि ने अपने कंधे पर 1200⁰ से ऊपर का तापमान मेहसूस किया, बल्कि उसके शरीर में 440 वोल्ट के बिजली के झटके भी लगने शुरू हो गये थे।


आर्यमणि कुछ सोचता उस से पहले ही कैरोलिन ने अपना दूसरा हाथ आर्यमणि के सिर पर रख दिया। बालों के जलने की बदबू चारो ओर थी। और सर पर इतने ज्यादा तापमान वो भी बिजली के झटके के साथ जब पड़ा आर्यमणि तो जैसे कोमा में ही चला गया था। रूही आवक थी। इवान और अलबेली हील तो हुये थे, लेकिन शरीर के अंदर का जहर पूर्ण रूप से निकला नही था, जिसके परिणामस्वरूप दोनो के हालत में तेजी से गिरावट देखने मिली।


बची ओजल जिसका पाऊं अब भी फसा था लेकिन अब वह दर्द में बिल्कुल नही थी। बल्कि आर्यमणि की चीख निकलते सुन पागल हो चुकी थी। उसने कल्पवृक्ष दंश निकाला। हाथों के इशारे तो मात्र हुये और वह ट्रेपर कई टुकड़ों में बंट गया। ठीक उसके अगले ही पल ओजल मात्र अपने एक पाऊं के जोर पर बिना कोई दौर लगाए ऊंची और लंबी छलांग लगा चुकी थी। छलांग लगाकर वह ठीक कैरोलिन के सर के ऊपर थी। कैरोलिन ने अपना एक हाथ तुरंत अपने सर के ऊपर किया और दूधिया रोशनी में ओजल को फसाने की कोशिश करने लगी।


कैरोलिन के साथ उसके कई सिपाही भी थे। उन्होंने भी अपने हाथ हवा में कर रखे थे। उनके हाथ से भी दूधिया रौशनी निकल रही थी। लेकिन ओजल अपने हाथ के दंश को किसी कुल्हाड़ी की तरह दोनो हाथों से थामी थी। दूधिया रौशनी में वह जमी नही बल्कि दंश में लगा नागमणि उस दूधिया रोशनी को चीर रहा था। और जब ओजल ने अपने पाऊं जमीन पर रखे, तब कैरोलिन के सभी साथी एक साथ चिल्लाते हुए दौड़ चुके थे। और कैरोलिन... उसे ओजल सर से लेकर कमर तक, दो भागो में चीरकर जमीन पर बिछा चुकी थी।


कैरोलिन के साथी राजकुमारी–राजकुमारी चिल्लाते हुये जबतक उसके नजदीक पहुंचते तब तक तो वह बेजान जमीन पर पड़ी थी। सभी सिपाहियों ने मरी पड़ी राजकुमारी को एक बार देखा और उसके अगले ही पल पागलों की तरह चिल्लाते हुये अल्फा पैक पर टूट पड़े। उनके मेटलिक हाथ का एक घुसा खाकर सभी कई फिट पीछे गये और उसके अगले ही पल दूधिया रोशनी में वो कैद होकर उनके पास खींचे चले आये।


यह ठीक उसी प्रकार था जैसे बचपन में प्लास्टिक की पिद्दी सी बॉल में पतले रबर की रस्सी बंधा खिलौना हम खरीदते थे। हाथ के एक झटके से वो काफी दूर जाते और जीतनी तेजी से दूर जा रहे थे, उस से भी कहीं ज्यादा तेज वापस आ रहे थे। दूधिया रौशनी रबर थी जिसके सिरे से पूरे अल्फा पैक को बांधकर उन्हे हेवी मैटेलिक पंच का मजा दे रहे थे, जिस से 1200⁰ का तापमान और 440 वोल्ट के बिजली का झटका लग रहा था।


पूरे अल्फा पैक की हालत पस्त हो चुकी थी। शरीर के जिस अंग पर उनका पंच पड़ रहा था, काम करना बंद कर देता। जब तक वो लोग अपने उस अंग को हील करते, तब तक 2 और अंग विकलांग हो चुके होते। सबके मुंह से खून और पानी सब निकल चुका था। मात्र 5 बार ही तो आगे पीछे हुये थे, और ऐसा लग रहा था, बस एक बार और खींचकर घुसा मारा गया तो प्राण नही बचेंगे।


लड़ाई अब विषम मोड़ ले चुकी थी। पांचवा मुक्का पड़ने के बाद जहां पूरा अल्फा पैक अचेत हो चला था वहीं आर्यमणि को जब मेहसूस हुआ की उसके पैक की अब जान जाने वाली है, उसके शरीर में असीम ऊर्जा का प्रवाह होने लगा। फिर तो एक सेकंड के 1000वे हिस्से में सोच के 1000 घोड़े दौड़ चुके थे और इस से पहले की दूधिया रौशनी एक बार फिर पूरे अल्फा पैक को खींचती आर्यमणि ने अपने पंजे खोलकर उस दूधिया रौशनी को कोई टॉक्सिक मानकर सोखने लगा।


उम्मीद तो थी की यह टॉक्सिक रौशनी हथेली में पूरी समा जाये लेकिन ऐसा हो न सका। दूधिया रौशनी सबके शरीर से डायवर्ट होकर आर्यमणि के हथेली से तो कनेक्ट हो gayi किंतु वो मात्र एक कनेक्शन था। जैसे आर्यमणि के विपक्षी ने उस दूधिया रौशनी को अपने हाथ से बांध रखा था ठीक वैसा ही। एक साथ सभी लोगों के दूधिया रौशनी आर्यमणि कर हथेली में कनेक्ट थे। 50 बनाम एक अकेला आर्यमणि। उधर से 50 लोग खींचने वाले और उधर से अकेला आर्यमणि।


परिवार की जान खतरे में और सामने दिख रहा खतरा। फिर तो आर्यमणि अपने बाहुबल का प्रदर्शन करते उन सभी सिपाहियों को उल्टा एक साथ खींच लिया। सभी 50 सिपाही को खींचने के साथ ही जब उसने घुसा बरसाना शुरू किया.... फिर तो जमीन पर एक के बाद एक धम्म–धम्म गिरने की आवाज आनी शुरू हो गयी। अब तक तो उन लोगों ने अपना मेटलिक मुक्का से अल्फा पैक का परिचय करवाया था किंतु जब आर्यमणि ने अपने प्योर अल्फा के मुक्के से परिचय करवाया, सभी 50 सिपाही के अंग भंग हो चुके थे।


रौशनी का वार फेल होते ही सिपाहियों ने अपने पूरे बदन को हो जैसे लाल कर लिया हो। 1200⁰ तापमान पर जलता हुआ मेटल और उसमे से निकलती करंट का प्रवाह। हां लेकिन आर्यमणि को तो बस पहला हमला ही चौंका सकता था, दूसरी बार वह मौका कहां देता। आर्यमणि की एक तेज दहाड़ के साथ ही सभी वुल्फ सहम कर एक कोना पकड़ लिये। युद्ध भूमि पर बिलकुल मध्य में खड़ा आर्यमणि और सामने अपने आग और बिजली वाला शरीर लिये 50 सिपाही। सभी दौड़ लगाते हुये आर्यमणि पर हमला बोल दिये।


आर्यमणि अपने हथेली में सारा टॉक्सिक पहले ही समेट चुका था। बाहुबल की तो कमी थी नही। फिर तो देखने वाला नजारा था। आर्यमणि के पड़े हर मुक्के से विस्फोट जैसी आवाज और चिंगारियां निकल रही थी। एक सेकंड में वह 10 मुक्के चला रहा था। उसका मुक्का खाकर सिपाही 200–250 फिट पीछे गिरते। शरीर के जिस हिस्से पर आर्यमणि का मुक्का लगता वहां का मेटलिक भाग ऐसे पिघल जाता जैसे गरम तवे पर बटर पिघलता हो। और मुक्का सीधा जाकर उनके शरीर से टकरा रहा था और शरीर के जिस अंग से आर्यमणि का मुक्का टकराता वह अंग फिर काम करने लायक नही बचता।


वहां पर केवल और केवल विस्फोट की आवाज आ रही थी। कर्राहते लोग जमीन पर बिछ रहे थे जिनके संख्या हर सेकंड में बढ़ती ही जा रही थी। तबियत से एक पूरे मिनट में ही 50 अत्याधुनिक टेक्नोलॉजी से लैश नए किस्म के प्राणियों को आर्यमणि जमीन पर बिछा चुका था। फिर आराम से आर्यमणि उन सबके करीब पहुंचते..... “यदि हमारी बात सुने होते तो शायद ये नौबत नही आती। खैर, हम किसी को मारना नही चाहते। लेकिन हमारे हाथों से यदि कोई मारा है, तो उसकी सिर्फ वजह इतनी रही होगी की वो या तो हमें जान से मारने आये थे या हमरे परिवार को जान से मारने की कोशिश कर रहे थे। उम्मीद है फिर कभी अपनी मुलाकात न हो, वरना आज मैं बात करना भी चाह रहा था लेकिन अगली बार बात नही करूंगा।”


आर्यमणि अपनी बात कहकर एक बार अपनी पैक के ओर देखा। उधर से सब ठीक है वाला जैसे ही इशारा हुआ, उसके अगले पल ही सभी सिपाही जड़ों में लिपटे थे और आर्यमणि सबको एक साथ हील करके वहां से निकल गया। जब तक वो लोग जड़ों की रेशों में विस्फोट करके बाहर निकले, तब तक वहां से अल्फा पैक गायब हो चुकी थी। पांचों अपने घर के लिविंग हॉल में बैठे आज शाम की हुई घटना पर सोच रहे थे....


आर्यमणि:– अभी जो हुआ उसपर इतना सोचो मत। किसी ने हमे बुरी तरह से फसाया था। और लगता है हम फंस भी चुके। उस राजकुमारी की मौत के साथ ही अपने नई दुश्मनी का अध्याय शुरू हो गया...


रूही:– दुश्मनी तो तभी शुरू हो गयी थी जब उस पागल राजकुमारी ने बात न करके सीधा मारने के लिये आगे बढ़ गयी। कोई उधर से मरता या इधर से, दुश्मनी होनी तो सुनिश्चित हो गयी थी। शायद यह दुश्मनी अपनी नियति में थी।


इवान:– हां सही कही दीदी। लेकिन वो थे क्या?


आर्यमणि:– ये लोग जो भी थे, अपने मूल रूप में नही थे। उनके शरीर पर मेटल का कवर चढ़ा था। लोहे को पिघलाकर पानी बनाने वाले तापमान में एडैप्टिव थे। और उनके हाथों से निकलती वह दूधिया रौशनी, पता नही किस कण से वो रौशनी बने थे। यह जो भी था अपने प्रजाति को काफी ज्यादा अपग्रेड कर चुका है।


इवान:– मतलब...


आर्यमणि:– मतलब इन्होंने खुद पर ही लगातार प्रयोग करके खुद को अपग्रेड किया है। विज्ञान पर पकड़ इनकी लाजवाब है, और इनका दिमाग किसी मृत इंसान के दिमाग जैसा है, जिनसे कोई भी याद चुराई नही जा सकती।


अलबेली:– वो सब तो सही है लेकिन आगे क्या?


रूही:– आगे तेरी और इवान की शादी भी उसी दिन होगी जिस दिन हमारी शादी होगी।


अलबेली:– हां ठीक है समझ गयी। मैं कब शादी से इंकार कर रही और इवान की भी हां है। इस चेप्टर को यहीं क्लोज कर दे...


ओजल:– आखिर उन लोगों के खून और अंदरूनी अंग से किस प्रकार का नशा पदार्थ बनता था, जो मात्र संपर्क में आते ही पागल हम सब पागल हो गये थे?


आर्यमणि:– इसका जवाब तो केवल बॉब ही दे सकता है। लेकिन अभी जवाब लेने का वक्त बिलकुल भी नहीं। हमारे नए दुश्मन को हमसे दुश्मनी करनी है, तो उन्हे भी हमारे पीछे आना होगा। हम तो अपने शेड्यूल से आगे बढ़ेंगे। और कोई बताएगा वो क्या है?


रूही:– हां क्यों नही। हम सबके बचपन और जवानी को जिसने एक भयावाह याद बना दिया, उन एलियन का शिकर करना है। कल हम सब मियामी जायेंगे...


तीनो टीन वुल्फ एक साथ.... “वूहू.. वूहू.. अपना एक्शन टाइम वो भी लगातार 2 महीनो तक।”


आर्यमणि:– तो फिर बस तैयार हो जाओ और दिखा दो उन्हे की छिपकर शिकार करना किसे कहते हैं।


बीते रात का खौफनाक नशा और किसी साजिश के तहत उत्पन्न हुई दुश्मनी को पीछे छोड़कर आर्यमणि अपने पैक के साथ मियामी उड़ान भर चुका था। योजना के हिसाब से इवान और ओजल संन्यासी शिवम् और निशांत के पास चले गये। वहीं आर्यमणि, रूहि और अलबेली एक साथ काम करते।
बहुत ही शानदार लाजवाब एक्शन अपडेट भाई
 
  • Like
Reactions: Tiger 786

Zoro x

🌹🌹
1,689
5,420
143
भाग:–113





बीते रात का खौफनाक नशा और किसी साजिश के तहत उत्पन्न हुई दुश्मनी को पीछे छोड़कर आर्यमणि अपने पैक के साथ मियामी उड़ान भर चुका था। योजना के हिसाब से इवान और ओजल संन्यासी शिवम् और निशांत के पास चले गये। वहीं आर्यमणि, रूहि और अलबेली एक साथ काम करते।


संन्यासी शिवम् और निशांत पहले से मियामी में थे। छोटे गुरु अर्थात अपस्यु को मदद से हर एलियन शिकारी की पहचान हो चुकी थी। कुल 30 शिकारियों की टीम थी, जिसमे 8 इंसान और 22 एलियन थे। ये 30 शिकारी 3 टुकड़ियों में बंटे थे। 8 इंसान शिकारी की एक अलग टुकड़ी और 11 की टुकड़ियों में एलियन शिकारी बंटे थे। जबसे उन शिकारियों को चोरी के माल से एक पत्थर के बिकने की खबर मिली थी तबसे वो बिनबिनाये घूम रहे थे।


आते ही आर्यमणि ने एक छोटी सी मीटिंग रखी जहां संन्यासी शिवम् और निशांत ने सारी अहम जानकारियां साझा कर दिये। पूरी जानकारी समेटने के बाद आर्यमणि अगले कदम का खुलासा करते..... “निशांत तुम सीधा उन 8 इंसानी शिकारी से टकरा जाओगे। उनमें से जिन 2 लोगों को तुम जानते हो, उनसे कुछ बातें करोगे और आगे बढ़ जाओगे। निशांत जैसे ही वहां से जायेगा, वो शिकारी आपस में कुछ बात–चित करेंगे। उनकी पूरी बातचीत को कान लगाकर सुनने का काम अलबेली का होगा।”

“यदि मेरा अंदाजा सही है तो वो लोग निशांत को देखकर बहुत सी बातों को लिंक करेंगे.. जैसे की निशांत यहां है और चोरी के माल का पत्थर भी। या फिर निशांत यहां है तो आर्यमणि भी यहां हो सकता है। उनकी जो भी समीक्षा होगी लेकिन वो लोग निशांत को देखने के बाद रुकेंगे नही, सीधा अपने आला अधिकारियों से संपर्क करेंगे। और उनके संपर्क करने से पहले ही ओजल और इवान तुम दोनो उनके सारे कम्युनिकेशन सिस्टम को हैक करोगे। पहले उनके सिस्टम में घुसेंगे उसके बाद आगे की प्लानिंग बनेगी। सब लोग समझ गये।”


अलबेली:– हां हम लोग समझ गये। लेकिन इस योजना में आर्यमणि और रूही कहां है?


रूही:– हम पीछे रहकर सबको बैक अप देंगे। और कोई सवाल...


ओजल:– हां एक ही, जो शायद अलबेली सीधा न पूछ पायी...


आर्यमणि:– क्या?


ओजल:– कल कहीं आप दोनो अकेले एक्शन करने का तो नही सोच रहे...


आर्यमणि:– सारा काम योजनाबद्ध तरीके से ही होगा। और जैसा मैंने कहा, कल मैं और रूही तुम सबको बैकअप देंगे। हां उस बैकअप के दौरान किसी से लड़ना पड़ जाये तो कह नही सकते...


निशांत:– तू और तेरी बातें... हमेशा ही संदेहस्पद रही है। अब तो तुम्हारी अनकही बातों को तुम्हारी टीम भी समझने लगी है।


रूही:– इसी को तो परिवार कहते हैं। सबको उनका काम मिल गया है इसलिए सभी जाकर अपने–अपने कामों की तैयारी करे....


रात भर सबने अपने काम को पुख्ता किया और सुबह देर तक सोते रहे। दोपहर को जब सबकी आंख खुली, उन्हे आर्यमणि का छोटा सा संदेश मिला.... “हम दोनो (आर्यमणि और रूही) बैकअप प्लान करनें फील्ड में जा रहे है, तुम लोग प्लानिंग के हिसाब से आगे बढ़ो”.... आर्यमणि के इस संदेश को पढ़कर सभी सोच में पड़ गये की आखिर इन दोनो की असली योजना क्या है? और इधर ये दोनो..


रात भर चैन की नींद लेने के बाद आर्यमणि और रूही सुबह–सुबह ही निकल गये। दोनो सीधा अपस्यु के घर पहुंचे, जहां अपस्यु तो नही था, लेकिन उसने आर्यमणि के कहे अनुसार सभी सामानों का प्रबंध कर दिया था। लेदर की स्ट्रेचेबल आउटफिट, थर्मल वायर, एसिड बुलेट, स्टन–गण, हुल्यूसिनेशन पाउडर, धारदार खंजर, इत्यादि–इत्यादि समान थे।


रूही:– जान सबको अकेले छोड़ हम यहां क्या कर रहे हैं?


आर्यमणि:– उन्हे बैकअप देने की प्लानिंग...


रूही:– कैसे?


आर्यमणि:– एलियन की दोनो टुकड़ी को शाम होने से पहले साफ कर करना... न रहेगा बांस, न बजेगी बांसुरी...


रूही चौंकती हुई.... "मांझे"


आर्यमणि:– जेंव्हा धोका निर्माण करतात ते हयात नसतील, तेव्हा कोणताही धोका उरणार नाही। (जब खतरा पैदा करने वाले जिंदा नहीं रहेंगे तो कोई खतरा नहीं बचेगा)। तुला काय समजले (तुम क्या समझी)


रूही:– हाव सब समझ गयी।


आर्यमणि, रूही को कमर से पकड़कर खींचा और उसे चूमते.... “तो फिर चले मेरी जान आज शिकार पर”...


रूही:– हां क्यों नही....


दोनो ने शिकारियों वाली सूट पहना। चुस्त पैन्ट, चुस्त जैकेट... जांघ के दोनो किनारे खंजर लटक रहे। कमर के ऊपर दोनो किनारे से खंजर लटक रहे। आर्यमणि की पीठ पर स्टन–रॉड था, जो एक बार में 1200 वोल्ट वाले झटके देता था। रूही के पास एसिड बुलेट से भरी एक गन थी और उसके बैरल कमर में बेल्ट की तरह लगे थे। दोनो पूरी तरह से तैयार होने के बाद ऊपर एक लंबा ओवरकोट डाल लिये।


“चले जान शिकार पर”...

“हां क्यों नही”...


दोनो के बीच एक छोटा सा संवाद हुआ, उसके बाद दोनो के कदम उस ओर बढ़ गये जहां ये एलियन ठहरे थे। किसी सुनसान छोटे से बीच पर एक कॉटेज अनलोगों ने रेंट किया था। थोड़ी ही देर में दोनो उस कॉटेज के सामने थे। दोनो कॉटेज के सामने तो थे, लेकिन अब ऐसा जरूरी तो था नहीं की सभी 22 शिकारी कॉटेज के अंदर सो रहे हो। कॉटेज के बाहर बीच की रेत पर कुछ शिकारी आग पर मांस को भून रहे थे। जले मांस की अजीब सी बु चारो ओर से आ रही थी।


ओवरकोट पहने 2 लोगों को अपने दरवाजे पर देख बाहर बैठे शिकारियों के झुंड में एक चिल्लाकर पूछने लगा.... “कौन हो तुम दोनो”...


आर्यमणि और रूही दोनो उनके ओर मुड़े और सर पर से अपना हुड हटाते.... “मुझे नही लगता की परिचय की कोई आवश्यकता है।”


“शौर्य... शौर्य”... बाहर खड़े एलियन में से किसी ने चिल्लाया। आवाज सुनकर पहले एक एलियन निकला, जिसका नाम शौर्य था और उसके चिल्लाने पर बाकी के सभी एलियन बाहर खड़े थे।


शौर्य:– तुम्हे मारने के लिये जर्मनी में सभी इकट्ठा हो रहे। तुम यहां मेरे हाथों मरने चले आये।


रूही:– हूं... हूं... हमे मारोगे... और वो भला कैसे...


शौर्य:– न ना, तुझे नही... तेरा इतिहास पता है। तुझे जिंदा रखेंगे और नंगी ही तू हमारी गलियों में घुमा करेगी, किसी २ कौड़ी के छीनाल की तरह... मरेगा तो ये... कुलकर्णी का आखरी चिराग...


उस शौर्य की पूरी बातों के दौरान रूही आर्यमणि का हाथ थामे रही। उसे शांत रहने का इशारा करती रही। और जब उस शौर्य की बातें समाप्त हुई.... “चल ठीक है फिर तू आर्य को मारकर मुझे नंगा करके दिखा बे छक्के”


शौर्य:– क्या बोली तू?


आर्यमणि के ठीक सामने बस 10 कदम पर वह एलियन शौर्य खड़ा था। आर्यमणि का बस एक छलांग और पलक झपकने से पहले ही आर्यमणि ने शौर्य को अपनी गति और जोरदार मुक्के का ऐसा मजा दिया की वह कई फिट पीछे जाकर सीधा कॉटेज की दीवार से टकरा गया। अपनी पसली पकड़कर वह खड़ा हुआ और उसके आंखों से इशारे मात्र से 12 एलियन उन्हे घेरे खड़े थे...


शौर्य चिंखा... “मार डालो”... उसके लोग भी तैयार अपने हाथ हवा में किये और अगले ही पल हवा जैसे मौत का परिचायक थी। ऐसा बवंडर उठा की देख पाना मुश्किल। उस बवंडर के ठीक मध्य में थे आर्यमणि और रूही। और बवंडर के बीच से मौत का समान निकलना शुरू हो गया। तीर और भाले की बरसात शुरू हो चुकी थी।


हां लेकिन वो वक्त और था जब आर्यमणि या रूही ऐसे हमलों से चौंक जाते। जबसे अल्फा पैक सफर पर निकला था, बस खुद को हर हमले से बचने के लिए प्रशिक्षित कर रहे थे। आर्यमणि ने मात्र अपनी आवाज को दिशा दी और पूरा बवंडर, उसमे से निकली हर वस्तु, उल्टा उन्ही के ओर दुगनी रफ्तार से हमला कर चुकी थी, जो आर्यमणि पर हमला कर रहे थे।


घेरकर बवंडर उठानेवाले 12 एलियन बीच पर बिछ चुके थे। किसी के शरीर में भला घुसा तो किसी के शरीर में तीर। जैसे ही 12 लोगों की जगह खाली हुई, उसके अगले ही पल 6 एलियन ने दोनो को घेर लिया। रूही भी पूरे जोश से हुंकार भरती.... “अपने घायल साथियों की दुर्दशा नही देखे जो हमे फिर से घेर लिया”.... उन 6 में से किसी ने कुछ नहीं बोला, बस जवाब में अपने हाथ ऊपर कर लिये। उनके हाथ ऊपर होते ही जैसे ही स्पार्क हुआ, आर्यमणि का दिल ही बैठ गया।


गति और बुद्धि का परिचय देते हुये आर्यमणि ने झटके के साथ रूही को गिराया और उसके पूरे चेहरे को अपने पीठ से पूरा ढक दिया। चेहरे को ढकने के साथ ही उसके क्ला जमीन में थे और उतनी ही तेजी से जड़ों के रेशे जमीन से निकलकर आर्यमणि और रूही को कवर कर लिया।


उधर 6 लोग हाथ उठाए थे। उनके हाथों से स्पार्क हुआ और अगले ही पल तेज करेंट उनकी उंगलियों से निकल रहा था। चूंकि लेदर आउटफिट किसी भी प्रकार के करेंट और आग के निश्चित तापमान को रोकने में सक्षम थे, इसलिए शरीर के किसी भी अंग पर करेंट लगने का डर नही था, सिवाय सर के। दोनो ने ही इस शिकारी आउटफिट के स्पेशल डिजाइन हेलमेट को ऐसे अनदेखा किया जैसे वह किसी काम की ही नही थी।


बस एक ही अच्छी बात थी, सही वक्त पर सही फैसला और उस सही फैसले पर वक्त रहते काम करना। वोल्फ के लिये करेंट मानो किसी जानलेवा खतरे से कम नही। आर्यमणि का शरीर तो फिर भी करेंट को झेल जाता पर रूही का बचना मुश्किल था। जड़ों के रेशों की दीवार पर लगातार बिजली के झटकों की आवाज आ रही थी। अंदर रूही, आर्यमणि को हिलाती.... “बेबी तुम ठीक हो। आर्य... आर्य”


आर्यमणि, अपना सर पकड़कर बैठते.... “रात में अचानक इनका हमला होता, फिर तो बहुत मुश्किल हो जाती। अच्छा हुआ जो हम सबको साथ नही लाये, वरना तब भी समस्या हो जाती”...


रूही:– हेलमेट नहीं छोड़ना चाहिए था। ओओ आर्य... जल्दी कुछ सोचो वरना हमे ये लोग भून डालेंगे।


जड़ों के रेशे में ये लोग सुरक्षित तो थे लेकिन बचे 4 एलियन जो हमले में शामिल नही थे, वो भी हमला करना शुरू कर चुके थे और उनके हथेली से आग का भयानक बवंडर उठ रहा था, जो जड़ों के रेशों को जला चुकी थी। बाहरी दीवार पर आग लग चुकी थी और जल्द ही आग के बवंडर के बीच दोनो फसने वाले थे।


आर्यमणि:– तो ठीक है हम अपना हमला शुरु करते है। सबको जड़ों में लपेटो....


आर्यमणि ने अपने ओर से हमला करने का मन बना लिया और अगले ही पल दोनो के क्ला भूमि में थे। बस एक पल पहले जो पूरी आजादी से हमला कर रहे थे, अगले ही पल सभी जड़ों के रेशे के बीच जमे थे। जैसे ही हमला बंद हुआ जड़ों के रेशों को फाड़कर दोनो खड़े हो गये। बड़े आराम से चलते हुये दोनो एक–एक एलियन के पास खड़े हो गये। दोनो एलियन के मुंह पर से जड़ों के रेशे हटाते.... “आखरी समय में कुछ कहना है”


एलियन:– पहले मारकर तो दिखाओ। जब मरने लगूंगा तब अपने आखरी वक्त में कुछ शब्द भी कहूंगा। अभी तो इतना ही कहूंगा... मां चुदाओ...


आर्यमणि का छोटा सा इशारा और दोनो ने अपने हाथ में खंजर ले लिया। खंजर को बड़े आराम से उनके सीने पर रखकर दवाब बनाया। दर्द से दोनो एलियन छटपटा गये। मुंह से दर्द भरी चीख निकलने लगी और सीने से खून की धार। खंजर पूरा घोपने के बाद आहिस्ता से उसे नीचे लेकर आये। जैसे ही खंजर एक इंच नीचे आया आर्यमणि और रूही दोनो ही चौंक गये।


खंजर जैसे–जैसे नीचे आ रहा था, ऊपर के कट आंखों के सामने ही भर गये। ऊपर से एक इंच नीचे आते–आते पूरा का पूरा खंजर ही शरीर के अंदर जैसे गल गया हो। घोर आश्चर्य था और दोनो (आर्यमणि और रूही) को उन एलियन की बातों का मतलब भी समझ में आ रहा था। जो दर्द की चीख खंजर घुसाते वक्त थी, वह हर सेकंड के साथ कम होते गया और महज 5 सेकंड में उनकी चीख हंसी में बदल गयी और खंजर गलकर शरीर के अंदर गायब हो गया।


फिर तो स्टन–रॉड का हाई वोल्टेज करेंट भी दिया गया और एसिड बुलेट भी मारे गये। अगले 5 मिनिट तक दोनो किसी को मारने के जितने भी परंपरागत तरीके थे, सब आजमा लिये, किंतु किसी भी तरीके से दोनो मरे नही। हां लेकिन उन्हें मारने के चक्कर में यह भूल गये की वहां २० और एलियन है। जो चार एलियन सबसे आखरी में लड़े, उन्ही मे से एक इनका मुखिया शौर्य भी था, वह चारो जड़ों की रेशों से छूट चुके थे।


जैसे ही आर्यमणि को आभाष हुआ की कुछ लोग उसके पीछे खड़े हैं, वह तुरंत मुड़ गया। शौर्य उसे देख हंसते हुये कहने लगा..... “निकल गयी सारी हेंकड़ी। अब मैं तुझे दिखाता हूं कि मारते कैसे है?


आर्यमणि:– चलो ठीक है दिखाओ मारते कैसे हैं। केवल मुझे ही मारना है ना, क्योंकि तुमने रूही के बारे में कुछ और योजना बताई थी।


रूही, गुस्से में अपनी आंखें लाल करती... “क्या बोला तुमने”...


आर्यमणि:– वही जो तुमने सुना। अब कुछ भी हो जाये तुम बीच में नही आओगी। बस आराम से देखो...


रूही:– लेकिन आर्य...


रूही ने इतना ही बोला था कि रूही को अपने अल्फा के गुस्से भरी नजरों का सामना करना पड़ गया और वह अपनी नजरें नीची करती बस हां में अपना सर हिला दी। उधर वो चारो चार कोनों पर फैलकर... “अबे तेरी लैला अब रण्डी बनेगी। जल्दी आ वरना पहले तेरी आंखों के सामने उसे ही नंगा करेंगे बाद में तुझे मारेंगे।”....


“वैसे भी तो पहले ये सरदार खान के गली की रण्डी ही थी। एक बार तो मैंने भी इसे पेला था। क्या मस्त माल है।”...


आर्यमणि दोबारा रूही के ओर देखा। वह अब भी अपनी नजरें नीची की हुई थी। उसके आंखों से आंसू बह रहे थे। आर्यमणि अपने मन में कहा.... “बस मेरी जान तुम घबराना मत, और मुझे देखती रहना। अब मैं चलूं”


रूही भी अपने मन के संवादों से..... “बॉस सबके प्राण निकाल लो तभी अब चैन मिलेगा”..


आर्यमणि:– बस तुम हौसला रखो... और ध्यान देना...


आर्यमणि अपनी बात समाप्त कर उन चारों के मध्य में पहुंच गया। शौर्य अपने लोगों की समझाते... “थर्ड लाइन सुपीरियर शिकारी के वार को ये उल्टा हम पर इस्तमाल कर सकता है, इसलिए सेकंड लाइन और अपना वार करो इसपर”


आर्यमणि:– क्या 2 मिनट का वक्त मिलेगा... कुछ मन की शंका है उसे दूर कर लूं...


शौर्य:– हां पूछो...


आर्यमणि:– थर्ड लाइन शिकारी यानी...


एक एलियन बीच में ही टोकते... “2 कौड़ी के नामुराद इंसान, सुपीरियर क्या तेरा बाप लगाएगा”...


आर्यमणि:– माफ करना... थर्ड लाइन सुपीरियर शिकारी यानी वो जो हवा का बवंडर उठाते है और उनसे तीर–भला निकालते।


शौर्य:– हां...


आर्यमणि:– सेकंड लाइन वो जो हाथ से करेंट निकाल सकते है, और थर्ड लाइन की तरह हमला कर सकते है।


शौर्य:– बिलकुल नहीं... फर्स्ट लाइन सुपीरियर शिकारी ही केवल ऐसा कर सकते है। हम फर्स्ट लाइन ही इसलिए कहलाते है क्योंकि हमारे अंदर थर्ड और सेकंड लाइन सुपीरियर शिकारी वाली सभी ऊर्जा होती है।


आर्यमणि:– अच्छा... और वो जो तुम्हारे नेता लोग है, जैसे उज्जवल, सुकेश, अक्षरा.. ये सब भी फर्स्ट लाइन सुपीरियर शिकारी है क्या?


कोई एक एलियन.... “बस बहुत हुआ शौर्य। अब क्या बात ही करते रहोगे?”


शौर्य:– मरने से पहले ये कीड़ा अपनी कुछ शंका मिटा रहा है, तो मिटा लेने दो ना। वैसे भी ये हमे एलियन तो कह ही रहा। अब पृथ्वी पर हम जैसे इनके बाप कितने सक्षम है, मरने से पहले जानना चाहता है, जानने दो... पूछ बेटा पूछ...


आर्यमणि:– नही वही पूछ रहा था, तुम लोगों के जो नेता हैं, क्या वो भी फर्स्ट लाइन सुपीरियर शिकारी थे पहले। बाद में लोकप्रियता के हिसाब से नेता बने...


शौर्य:– नही मुन्ना वो जन्म से ही हमारे नेता होते है, क्योंकि वह हमसे ऊपर होते है। वो प्रथम श्रेणी के एपेक्स सुपरनेचुरल (एलियन) है। अपनी लोकप्रियता से केवल एक ही सुपीरियर शिकारी ने मुकाम हासिल किया था वो है पलक। जिसे सब सेकंड लाइन सुपीरियर शिकारी समझ रहे रहे थे, वह 25 फर्स्ट लाइन सुपीरियर शिकारी से लड़ी और बिना खून का एक कतरा गिराए जीत हासिल की। उसकी जैसी लोकप्रियता किसी ने भी हासिल नही किया। तुझे तो गर्व होना चाहिए बे कीड़े, झूठा ही सही पर किसी वक्त वो तेरी गर्लफ्रेंड थी।


आर्यमणि:– तब तो नही हुआ, लेकिन अब थोड़ा–थोड़ा हो रहा है। तो क्या ये जो तुमसे ऊपर के श्रेणी के लोग है, उनमें तुम जैसी ही शक्तियां होती है।


शौर्य:– उन्हे कभी अपनी पावर इस्तमाल ही नही करनी पड़ती। कभी इमरजेंसी में पावर इस्तमाल करना भी हुआ तो पहले थर्ड लाइन सुपीरियर शिकारी का पावर इस्तमाल करते है। वैसे कभी–कभी लगता है पलक इकलौती सही नेता है, बाकी सारे चुतिये बैठे है। बताओ तुझ जैसे चुतिये के लिये जर्मनी में 1000 से ऊपर शिकारी इकट्ठा हो रहे है। तेरी और कोई शंका है बे कीड़े...


आर्यमणि:– कोई शंका नहीं है, लेकिन एक बात पूछनी थी, क्या तुम लोगों में से किसी ने भक्त प्रह्लाद, हृणकस्याप और उसकी बहन होलिका के बारे में सुना है क्या?


शौर्य:– वो कौन है बे...


आर्यमणि:– आज जान जाओगे। चलो मेरी शंका दूर हो गयी अब तुम लोग शुरू हो जाओ...


आर्यमणि ने जैसे ही उन्हें शुरू होने कहा चारो शिकारी चार दिशा में खड़े हो गये और उनके मध्य में आर्यमणि खड़ा था। सबके हाथ हवा में और अगले ही पल उनके हाथों से बिजली और आग दोनो निकलने लगे। पूरा शरीर तो सुरक्षित था सिवाय सर के। पूरा हमला सर पर हुआ और नतीजा.... आर्यमणि के पूरे चेहरे पर आग लगी थी। आग की लपटें सर से एक फिट ऊपर तक उठ रही थी, जिसमे से बिजली की चिंगारी फूट रही थी।
बहुत ही शानदार लाजवाब अपडेट भाई
प्रशंसा के लिए कोई शब्द ही नहीं मिल रहें हैं भाई
 
  • Like
Reactions: Tiger 786

Zoro x

🌹🌹
1,689
5,420
143
भाग:–114





आर्यमणि ने जैसे ही उन्हें शुरू होने कहा चारो शिकारी चार दिशा में खड़े हो गये और उनके मध्य में आर्यमणि खड़ा था। सबके हाथ हवा में और अगले ही पल उनके हाथों से बिजली और आग दोनो निकलने लगे। पूरा शरीर तो सुरक्षित था सिवाय सर के। पूरा हमला सर पर हुआ और नतीजा.... आर्यमणि के पूरे चेहरे पर आग लगी थी। आग की लपटें सर से एक फिट ऊपर तक उठ रही थी, जिसमे से बिजली की चिंगारी फूट रही थी।


आर्यमणि का सर धू–धू–धू करके जल रहा था। एक मिनट तक आर्यमणि अपनी जगह से हिला तक नही। आर्यमणि के चेहरे की चमरी जलकर ऐसे गली की वह नीचे चुने लगा। बाल जलकर हवा हो गया। ऊपर से आर्यमणि का सर भट्टी में जले लोहे के समान दिखने लगा। उन चार एलियन को अपनी आंखों पर यकीन न हुआ की आर्यमणि खड़ा कैसे है? किंतु प्रकृति के रहस्य को अभी उन एलियन ने जाना ही कितना था? अभी तो आगे और भी हैरतंगेज घटनाओं को वह देखने वाले थे।


जैसे उन एलियन ने आर्यमणि को पहली बार अपने समुदाय की विस्तृत जानकारी दी थी, ठीक उसी प्रकार आर्यमणि अपना शेप शिफ्ट करके उन्हे प्योर अल्फा से परिचय करवा गया। एलियन बहुत ज्यादा इस नए प्रकार के वेयरवोल्फ के बारे में सोचते, उस से पहले ही वहां जलजला आ चुका था। मौत को भी भयभीत कर दे ऐसी दहाड़। दहाड़ जिसका असर पीछे के रिहायशी इलाकों पर तो नही हुआ, किंतु आगे सैकड़ों मिलों दूर समुद्र तक भयभीत हो उठा।


तेज दहाड़ आर्यमणि के मुख से निकली और वहां का सारा माहोल थर्रा गया। भूमि में जैसे भूकंप समान कंपन हो गयी थी। सागर का पानी ज्वार भाटा बनकर इतने ऊपर उछला की अपने तेज बहाव में वह कॉटेज तक को बहा ले गया। सभी हाथ जो बिजली और आग उगल रहे थे, तेज बहाव में कहां बह गये पता ही नही चला। लेकिन एक गुस्साया भेड़िया अपने शिकार को कैसे छोड़ दे। आज तो क्ला जमीन में भी नही घुसा और जड़ों के रेशों ने चारो एलियन को बांधकर उसके सामने ला खड़ा किया।


जैसा उनकी किस्मत में एक ही वक्त पर कई आश्चर्यचकित घटनाओं को देखना लिखा था। चारो जड़ों में लिपटे ठीक आर्यमणि के सामने थे। आश्चर्य से पड़े नजारा था। जहां आर्यमणि खड़ा था, वहां कुछ दूर तक पानी का नामो निशान नही था। उस जगह के चारो ओर जैसे पानी की ऊंची और बड़ी–बड़ी दीवार बनी थी। एलियन कभी यह करिश्मा देख रहे थे, तो कभी आंखों के सामने खड़े आर्यमणि को। वह अब भी वैसा ही जल रहा था जैसे उन एलियन ने जलाया था। उल्टा आर्यमणि के सर से अग्नि की उफान पहले से और भी ज्यादा जोरों पर थी।


“!!श्री हरि!! के सरण में एक अबोध बालक थे, भक्त प्रह्लाद। और तुम सब सोच भी नही सकते, उस अमर जीवन को जो भक्त प्रह्लाद के पिता हृणकश्यप ने प्राप्त किया था। कहानी पढ़े होते तो पता चलता की कैसे भगवान !!श्रीमन नारायण!! ने नरसिम्हा अवतार लेकर उसे मारा था। तुम्हे जानकर हैरानी होगी की मेरा जन्म और भगवान नरसिम्हा में बहुत बड़ा कनेक्शन है। शायद इसलिए क्योंकि तुम जैसों की लीला मेरे ही हाथों ही समाप्त होनी है।”

“और हां उसी हृणकस्यप की एक बहन थी होलिका। होलिका ने जब वर मांगा था, तब वरदान में अग्नि ही मांग ली। अग्नि पर काबू तो उसने मांग लिया, लेकिन भूल गयी की अग्नि से वो भी नही बच पाये जो इसे काबू में रखना चाहते थे। तू देखेगा... तू देखेगा... तू देखेगा... कैसे अग्नि उन्हे भी नही छोड़ती जो सोचते है उन्होंने अग्नि पर काबू पा लिया.. तो ये देख”...

“आआआ... आआआ... आआआआ.... आआआआ... आआआआआ”..


आर्यमणि जब बोल रहा था तब महज वह इतिहास में वर्णित एक अमर शासक की कहानी नही बता रहा था, बल्कि उसके हर शब्द आने वाले भीषण मौत का एहसास करवा रहा था। उसके हर शब्द कलेजे में जैसे मौत का भय पैदा करवा रहा था। और जब आखरी में उसने अपनी दहाड़ती आवाज के साथ उन्हे मौत के नजारे दिखाने की बात कहा, उसके बाद तो वहां चारो ओर लंबी और गहरी मौत की चीख गूंजती रही। फिर तो उन एलियन के बदन की फास्ट हीलिंग जैसे अभिशाप बन गये हो। वह दर्द भरी खौफनाक चीख अगले 1 घंटे तक गूंजती रही और वो चारो एलियन बस जल्द से जल्द खुद के मृत्यु की कामना करने लगे।


1 घंटे के दर्दनाक धीमी मौत देने के बाद आर्यमणि रूही के ओर शान से देखते.... “क्या मेरी जान को इनकी निकलती चीख सुनकर कुछ सुकून मिला?”


रूही:– उम्ममह... जान जितने इन्होने अपने शब्दों के जख्म दिये थे, उनका हिसाब हो गया।


आर्यमणि:– पूरे सुकून में हो क्या?


रूही:– नही जान अभी तो ये 18 नामुराद और जिंदा है, जिनके शब्द और हंसी मेरे सीने में किसी तीर की तरह चुभ रहे....


आर्यमणि:– हां तो उन्हे तुम अपने हाथों से जिंदा चिता पर लिटा दो।


रूही:– बस इसी के लिये रुकी थी आर्य। सबको मारना है या कुछ पूछने के लिये एक को जिंदा रखना है। वैसे वो दोनो एलियन जिनका मुंह पहले खोले थे, उनमें से एक जिसने तब कुछ नही बोला, वह कुछ ज्यादा फरफरा रहा, जरा उसे भी सुन ले.... बोल बे क्या बोलना है...


रूही ने जैसे ही मुंह पर से बंधन हटाई, वह एलियन गिड़गिड़ाते.... “मुझे ऐसे नही मरना। हमे मारने का आसान तरीका बता देता हूं..


रूही:– ठीक है बताओ...


वह एलियन:– तुम अपने फेंग (जबड़े के कोने पर निकले बड़े–बड़े दांत) से जैसे ही मुझे नोचोगी, मेरा बॉडी मोडिफिकेशन होगा और मैं भी एक वेयरवोल्फ बन जाऊंगा। इसके बाद तुम जैसे चाहो वैसे मार देना।


रूही:– तुम सेकंड लाइन चुतिया हो या थर्ड लाइन।


वह एलियन:– सेकंड लाइन...


रूही:– तुम्हे इनका मुखिया होना चाहिए था। तुम्हे समझ में आ गया हम यहां इनफॉर्मेशन बटोर रहे...


वह एलियन:– मतलब...


रूही:– मतलब ये तेरा चुतिया मुखिया शौर्य जो न समझ पाया, वो तू समझ गया। और हमारे इंट्रेस्ट को देखते हुये तूने भी ऐसा प्रस्ताव दिया, जिसमे हम फंस जाये।


वह एलियन:– क्या कहना चाह रही हो?


रूही:– यही की तेरे अंदर मात्र हीलिंग कैपिसिटी ही नही है, बल्कि शरीर के अंदर कई सारे एसिड दौड़ते हैं। जहां तक मैं समझ पा रही और सरदार खान की बस्ती में जिस हिसाब से तुम एलियन चूतियो का आना जाना था, तुम लोगों ने वेयरवोल्फ ब्लड से अपने शरीर पर कुछ घटिया तरीके का एक्सपेरिमेंट किया है। मैं फेंग तेरे शरीर में घुसाऊंगी और हो सकता है तेरा शरीर मुझे ही पूरा चूस डाले और सूखा छुहारा अवशेष बनकर मैं जमीन पर गिरी मिलूं।


आर्यमणि:– कितनी बातें कर रही हो। काम खत्म करो..


रूही, उस एलियन को कैद से छोड़ती.... “मेरे साथ आओ”... दोनो आर्यमणि के पास पहुंचे। रूही उसे वहीं बैठने बोलकर आर्य के चेहरे को देखने लगी.... “घोस्ट राइडर के जॉनी केज दिख रहे हो। दर्द नही हो रहा क्या? पूरा चेहरा कबसे झुलसा रखा है।”


आर्यमणि:– तो जल्दी काम खत्म करो ना।


“अभी करती हूं बॉस”... रूही अपने हाथ पर चढ़ा दस्ताना नीचे उतार दी। हथेली के ऊपर टॉक्सिक दौड़ने लगा। हथेली जैसे ही आग के संपर्क में आया, पूरा हथेली में आग पकड़ लिया। आर्यमणि की तरह रूही की हथेली से भी आग की लपटें उठ रही थी। दोनो ने अपने दूसरे हथेली से कमांड दिया और जमीन से जड़ बाहर निकलने लगी। जड़ों के ऊपर आधे फिट के मोटे और नुकीले कांटे निकले हुये थे। देखते ही देखते बचे हुए हर एलियन के शरीर में कम से कम २०० कांटे घुस चुके थे। उन सबका शरीर हवा में कांटों के ऊपर बिछा था। दर्द की लंबी और गहरी चीख एलियन के मुख से निकलने लगी।


कांटे की मृत्यु सैल्या पर लिटाने के बाद दोनो ने उसी हथेली से एक और कमांड दिया। कांटेदार जड़ के ऊपर गहरे नीले रंग के जहर को फैलते साफ देखा जा सकता था, जो तेजी से आगे बढ़ते हुये उन कांटों के ऊपर फैल गया जो एलियन के शरीर के अंदर घुसे थे। गला जितना फाड़कर चीख सकते थे, वह तो पहले से ही चीख रहे थे। जहर शरीर के अंदर घुसने के बाद उनके चीख में कोई इजाफा तो नही हो सकता था। किंतु जब उनके शरीर में जहर फैला तब बढ़ते बेइंतहा दर्द की पुकार साफ सुनी जा सकती थी। दर्द से चिंखते और बिलबिलाते एलियन गिड़गिड़ा रहे थे लेकिन आज कुदरत बेरहम थी।


और सबसे आखरी में जहर फैले उन जड़ों पर दोनो ने अपना आग वाला हथेली रख दिया। धू करके आग जली और तुरंत ही पूरी आग जड़ों की रेशों से होते हुये शरीर के अंदर घुसे कांटों तक पहुंच गयी। आग उन सभी एलियन के शरीर के अंदर पहुंच चुकी थी। उन एलियन के शरीर में जिस प्रकार की भी क्षमता थी, लेकिन लकड़ी को गलाने की क्षमता उनके अंदर नही थी। उनके शरीर के अंदर जो भी टॉक्सिक बहते हो, लेकिन लकड़ी और माटी में पाये जाने वाले टॉक्सिक का जवाब उनके पास नही था। और सबसे आखरी में पहुंचा अग्नि जिसे किसी भी विधि से शांत नही किया जा सकता था।


एलियन के शरीर के अंदर हीलिंग और जलिंग मतलब हील होना और जलने का खेल शुरू हो चुका था। तकरीबन डेढ़–दो घंटे बाद आग जंग जीत चुकी थी। धीमी वो मौत इतनी भयवह थी कि मरने से पहले सभी एलियन की मूत लगातार निकल रही थी। और वही हाल उस बचे एलियन का भी था जो अकेला बचा था।


जैसे ही दोनो का काम खत्म हुआ, आर्यमणि ने उस बचे एलियन को अपने पंजे में दबोचा और तेज दौड़ लगा दिया। उसके पीछे रूही भी दौड़ी। पानी का जमाव अब भी 10 फिट से ऊपर का था और आर्यमणि पानी को बीच से चीरकर दो भागों में विभाजित कर, तेजी से भागा। तीनो उस जगह से जब काफी दूर आ गये तब रूही, आर्यमणि के हाथ से उस एलियन को दूर झटक दी और आर्यमणि का चेहरा दोनो हाथ से थामकर उसे देखने लगी।


आर्यमणि:– ऐसे व्याकुलता से क्या देख रही हो..


रूही:– मेरी श्वास अटकी थी। पूरा चेहरा पर आग लगवा लिये...


आर्यमणि, रूही के आंसू पोंछते..... “पगली तुमने भी तो अपनी हथेली में आग लगा ली थी। पर हथेली जली क्या?


रूही:– वही तो मैं भी पूछना चाहती हूं, कौन सा मंत्र फूंक दिये जो हथेली जली नही?


आर्यमणि:– धिक्कार है तुम्हारे 3 साले के इंजीनियरिंग की पढ़ाई पर जो बेसिक साइंस नही समझ सकी...


एक झन्नाटेदार घुसा और आर्यमणि की नाक टूट गयी.... “ताने मारोगे तो मैं ऐसे ही तुम्हारा नाक तोड़ दूंगी। अब बताओ”...


आर्यमणि:– टॉक्सिक जो है वो किसी तेल की तरह काम कर रहा था। पहले तेल जलता है उसके बाद उसके नीचे का तल...


रूही, आर्यमणि को गुस्से से घूरती.... “चलो कागज के ऊपर तेल डालकर यह एक्सपेरिमेंट करके दिखाओ”..


आर्यमणि:– अच्छा मैने जो ताना मारा उसका बदला ले रही हो। तुम्हारा दिमाग तो यही कह रहा होगा, किसी तरह नीचा दिखा दो। तो मेरी बुलबुल कागज को मोम की मोटी परत के नीचे होने की कल्पना करो और सोचकर बताओ की आग लगाने के साथ ही कागज राख हो जायेगा...


रूही:– हां ठीक है समझ गयी। ज्यादा ज्ञान बाद में देना, पहले इकलौते जिंदे एलियन से कुछ पूछ लें...


आर्यमणि:– नेकी और पूछ पूछ... क्यों भाई एपेक्स सुपरनैचुरल..... मेरी जान को कहां नंगा घुमाओगे...


एलियन:– मैं पूरे मामले में चुप ही था... केवल आखरी में बोला था... वो भी अपनी जान बचाने के लिये...


रूही:– हां ये सही कह रहा है आर्य... लेकिन पूछो इस से, हमने इसे जिंदा छोड़ दिया तो ये हमारे लिये क्या कर सकता है?


एलियन:– मेरा नाम जुल है। सेकंड लाइन सुपीरियर शिकारी का कमांडर इन चीफ... आप दोनो के बहुत काम आ सकता हूं।


आर्यमणि:– कैसे?


जुल:– पूरी जानकारी... आपके खिलाफ होने वाले हर एक्शन से लेकर हमारे समुदाय की पूरी जानकारी...


आर्यमणि:– जानकारी... हम्म्म... तो चलो पहले यही बता दो की तुम एलियन पृथ्वी से इतना मोह क्यों है?


जुल:– पूरा इतिहास नही पता लेकिन हमारे यहां होने की वजह है इंसान। हम आपस में संभोग करके नए संतान की उत्पत्ति नही कर सकते, इसलिए हम पृथ्वी पर बसे नर और मादा की जरूरत पड़ती है।


आर्यमणि:– इंट्रेस्टिंग.... तो क्या एक एलियन और इंसान के मिलन से जन्म लिया बच्चा एलियन ही होता है?


जुल:– नही... कुछ इंसान होते है तो कुछ एलियन...


आर्यमणि:– हम्मम !!! दोनो की पहचान कैसे होती है। क्या यह पहचान पैदा होते वक्त हो जाती है, या थोड़ा बड़ा होने के बाद।


जुल:– नही पैदा होने के वक्त ही पहचान हो जाती है। इंसानी शिशु में जन्म के वक्त लगभग ३०० हड्डियां होती है, जबकि हमारे शिशु 10३ हड्डियों के साथ जन्म लेते है। बाद में हमारी हड्डियां बढ़कर 206 हो जाती है जबकि इंसानों में घटकर 206 हड्डियां होती है।


आर्यमणि:– ये जो तुम हमारे–हमारे कर रहे हो, ये हमारे ग्रुप है कौन और इसकी उत्पत्ति कहां हुई थी।


जुल:– हमे नायजो कहते है। हमारे होम प्लैनेट विषपर है। वहां से हम हुर्रियंट, शिल्फर, गुरियन और पृथ्वी पर फैले। पृथ्वी वाशी ब्रह्मांड में हो रहे हलचल को जानते तक नहीं, जबकि सकड़ों प्लेनेट एक दूसरे के यहां ऐसे सफर करते है जैसे पृथ्वी पर एक देश से दूसरे देश जाते हो। वैसे हमारे यहां के स्टेशन में यह पूरी सूचना रहती है कि चुपके से कौन एलियन विमान पृथ्वी पर उतरा और वो कहां है। विश्वास मानो नयजो की जितनी जानकारी आपके पास आ चुकी है, उतनी किसी प्लेनेट वालों के पास नही।


रूही:– हम्मम... वाकई काफी रोचक जानकारी है जुल। एक बात बताओ विषपर प्लेनेट से यहां आकर तुम लोग बसे ही क्यों?


जुल:– नए संतान उत्पत्ति के लिये। ज्यादा तो नही पता लेकिन आज भी शुद्ध रूप से नायजो नर और मादा के मिलन से बच्चे पैदा नहीं होते। होते भी है तो वह इतने कमजोर होते है कि जन्म के 2 मिनिट तक भी जिंदा नही रह पाते। जबसे हाइब्रिड आबादी फैली है, तब कहीं जाकर इस समस्या का समाधान हुआ है।


आर्यमणि:– तुम्हे नही लगता की तुम्हारे इस जवाब में एक बहुत बड़ा लेकिन है?


जुल:– हां मैं समझता हूं आप क्या पूछना चाहते हो। हमारे समस्या का जब समाधान हो चुका था, उसके बाद भी नायजो ने पृथ्वी क्यों नही छोड़ा? इसका जवाब थोड़ा विचित्र और बहुत ही ज्यादा घिनौना होने वाला है। विषपर से जिन 4 प्लेनेट पर हमारी आबादी हाइब्रिड के लिये पहुंचे, उनमें से मात्र पृथ्वी ही ऐसा था जिसपर इंसानों के मिलन से नए नायजो की उत्पत्ति हुई। वह नए तो थे ही, साथ में क्षमताओं में पहले से कहीं ज्यादा विकसित भी थे। यहां के हाइब्रिड को फिर बाकी सारे प्लेनेट पर बसाया गया। उनसे संतान उत्पत्ति तो हुई लेकिन जितने क्षमतावान बच्चे इंसानों के मिलन से होते थे, उतने हाइब्रिड नायजो और शुद्ध नायजो के मिलन से नही होते, इसलिए ये लोग पृथ्वी नही छोड़ रहे।


आर्यमणि:– विचित्र वजह का पता चल गया। अब घिनौना वजह भी बता दो...


जुल:– ये लोग इंसानी मांस के भक्षक है। खासकर शिशुओं के। इनके मिलन से जो इंसानी बच्चे पैदा होते है, उनमें से ज्यादातर को ये लोग पकाकर खा जाते है। चाहत ऐसी की विषपर और हुर्रीयेंट प्लेनेट तक से लोग इसे खाने पृथ्वी चले आते है। शुरवात में जब नयजो समुदाय पृथ्वी पर बसे और यह घिनौना काम शुरू किया था, तब यहां के आश्रम वालों को यह बात पता चल गयी थी। उन्होंने सबका पृथ्वी पर रहना मुश्किल कर दिया था। फिर बाद में तिक्रम लगाकर हमारे समुदाय के लोगों ने उस आश्रम को ही खत्म कर दिया। आप जिनके पास रहते थे, उनका गला पकड़ोगे तो पूरा इतिहास भी पता चल जायेगा।


आर्यमणि:– कितना घिनौना चेहरा है इन नायजो वालों का। तुम्हे कभी लगा नही की तुम्हे डूब मरना चाहिए...


जुल:– इसमें मैं भी पक्ष रख सकता हूं, लेकिन जाने दो, पक्ष रखने से घटियापन में कोई कमी तो नहीं आयेगी। उम्मीद है पूरी जानकारी मिल गयी होगी।


आर्यमणि:– अभी कहां... अभी तो पहले तुम मुझे अपनी उम्र बताओ। उसके बाद ये बताओ की उज्जवल–अक्षरा, शुकेश–मीनाक्षी ये लोग आपस में शादी किये है और इनके कुछ बच्चे एलियन और कुछ इंसान कैसे?


जुल:– “हां ये दोनो नायजो ही है। वो भी शुद्ध नायजो, जिनकी उम्र 500 साल से भी ज्यादा होगी। मैं पक्का नही जानता लेकिन जो होता है वो बता देता हूं। अभी की जो अक्षरा है, उसी सूरत की एक स्त्री रही होगी। जब उस स्त्री के गर्भ से सभी बच्चों ने जन्म ले लिया होगा, तब उज्जवल की माशूका ने उस इंसानी अक्षरा का शक्ल लिया और उसको मार दिया होगा। 8 साल बाद ये उज्जवल–अक्षरा या शुकेश–मीनाक्षी मारे जायेंगे। फिर ये सभी किसी और नाम और चेहरे से जाने जायेंगे। हां लेकिन होंगे ये सभी किसी न किसी प्रहरी के घर में ही।”

“वैसे दूसरा ये भी हो सकता है कि उज्जवल और अक्षरा नाम से ये दोनो शुरू से कपल थे। हां बस किसी बच्चे का बाप उज्जवल न होगा तो किसी बच्चे की मां अक्षरा।”


आर्यमणि:– बहुत झोल है, इसे इत्मीनान से समझूंगा। खैर, तुमने अपनी उम्र नही बताई रे..


जुल:– मेरी उम्र 27 वर्ष है।


आर्यमणि:– यकीन करना मुश्किल है, लेकिन फिर भी मान लेते है। चलो नायज़ो की जानकारी तो मिली। अब तुम ये बताओ की मैं कैसे मान लूं की तुम मेरे खिलाफ होने वाले गतिविधि की सूचना मुझ तक पहुंचाओगे? मुझे चीट नही करोगे?


जुल:– न तो मैं बताकर आपको यकीन दिला सकता और न ही आप सुनकर यकीन करने वाले हो। मैं तो बस बता रहा था कि मैं क्या कर सकता हूं। आप भी बता दो मुझे मार रहे या हमारे बीच सौदा तय हो गया।


आर्यमणि:– हम्मम... ठीक हैं जुल, तो सौदा तय हुआ... मैं तुम्हे जाने दे रहा हूं, बाकी आगे अब देखते है, तुम अपनी जुबान पर कितने खड़े उतरते हो। रूही कॉन्टैक्ट डिटेल लो और आज शाम के बैकअप प्लान में इसे अपने साथ रखना। इनके कम्युनिकेशन सिस्टम में घुसने में ये मदद करेगा। साथ ही ये 27 साल का लड़का, वो 500 साल पुराने एलियन का राज पूरा परिवार सुनेगे। क्यों पलक के अंदर क्ला डालने पर मेरे क्ला उसके शरीर में गलना नही शुरू किये इसे भी जानेंगे। और सबसे अहम की जो एलियन दूसरों का रूप लेते है उनकी पहचान कैसे होगी, इन सब पर चर्चा करेंगे।


रूही:– कॉन्टैक्ट डिटेल क्या लेना शाम हो ही गयी है, इसे भी साथ लिये चलते है। अब चलो यहां से, बच्चों के मैसेज पर मैसेज आ रहे हैं।


आर्यमणि:– क्या कह रहे है...


“तुम्हारा तूफान उठाओ कार्यक्रम टीवी पर आ चुका है। आपदा प्रबंधन वाले पता लगाने में जुटे है कि भीषण पानी के बीच आखिर इतनी झुलसी लाश कैसे सुरक्षित बच गयी, जिसे छूने मात्र पर वह भरभरा कर गिर गया? यह समाचार मिलते ही बच्चों ने पता लगा लिया की यह कैसे हुआ और अब वो लोग मैसेज पर मैसेज भेज रहे।”


“लगता है एक्शन में न सामिल करने की वजह से दिल टूट गया होगा। पता ना अब कितना भड़के होंगे। चलो जल्दी”...
बहुत ही शानदार लाजवाब अपडेट नैन भाई प
 
  • Like
Reactions: Tiger 786

Zoro x

🌹🌹
1,689
5,420
143
भाग:–115


“तुम्हारा तूफान उठाओ कार्यक्रम टीवी पर आ चुका है। आपदा प्रबंधन वाले पता लगाने में जुटे है कि भीषण पानी के बीच आखिर इतनी झुलसी लाश कैसे सुरक्षित बच गयी, जिसे छूने मात्र पर वह भरभरा कर गिर गया। यह समाचार मिलते ही बच्चों ने पता लगा लिया की यह कैसे हुआ और अब वो लोग मैसेज पर मैसेज भेज रहे।”

“लगता है एक्शन में न सामिल करने की वजह से दिल टूट गया होगा। पता ना अब कितना भड़के होंगे। चलो जल्दी”...

तीनो घूम फिर कर फिर से कॉटेज से कुछ दूर पहुंचे। अमेरिकन आपदा प्रबंधन के साथ–साथ कई सारे डिपार्टमेंट की गाड़ी वहां लगी हुई थी। वो लोग समुद्र में उठे तूफान की जांच तथा जान–माल की हानी को देख रहे थे। कॉटेज से काफी दूर आर्यमणि ने कार को पार्क किया था, लेकिन समुद्री तूफान ने तो कार को भी नही बक्शा। आस–पास बाढ़ की परिस्थिति उत्पन्न हो चुकी थी। कई मकानों में पानी घुसा था, लेकिन किसी भी इंसान को किसी तरह का नुकसान नही हुआ था।

थोड़ी सी मेहनत के बाद कार शुरू हुई और जैसे ही उस क्षेत्र को पार किये, रूही, आर्यमणि के सर पर ऐसा मारी की उसका सर स्टेयरिंग से जोरदार टकराया।

आर्यमणि, रूही पर गुर्राते.... “तुम्हे नही लगता की तुम्हारा हाथ आजकल काफी ज्यादा चलने लगा है।”

रूही:– अपनी बॉसगिड़ी कहीं और झाड़ना। एक पल के लिये भी ये ख्याल आया की तुम्हारी हरकत से किसी की जान जा सकती थी?

आर्यमणि:– हां पानी का जमावड़ा देखकर मुझे भी अफसोस हुआ। मुझे इस तूफान और समुद्री ज्वार भाटा पर काम करना होगा। ताकि पूर्ण नियंत्रण में नपा–तुला और सुनिश्चित परिणाम मिले।

रूही:– अच्छी बात है। हम कुछ दिन मियामी में ही ट्रेनिंग करेंगे और आगे की योजना में कुछ बदलाव लाने होंगे।

आर्यमणि:– जी बॉस समझ गया। वैसे बात क्या है, आज तुम भी कुछ ज्यादा ही बॉसगिड़ी दिखा रही।

रूही:– ऐसी कोई बात नही है आर्य। तुम्हारी होने वाली पत्नी हूं न, इसलिए तुम्हारा आधा बोझ खुद पर ले रही।

आर्यमणि:– मतलब..

रूही:– जब तुम्हारे सर पर आग लगी तब दिमाग में एक ही ख्याल आया, यदि हर योजना में रिस्क को मैं भी कैलकुलेट करूं तो शायद हम कई तरह के रिस्क पर बात कर सकते है। बस उसके बाद से ही मैने अपना एक कदम आगे बढ़ा दिया। अब सवाल–जवाब बंद, क्योंकि ये बच्चे मैसेज कर–कर के परेशान कर रहे। लो एक और मैसेज...

आर्यमणि:– क्या लिखा है?

रूही:– अगले १० मिनट में नही पहुंचे तो हम लोग उस जगह पहुंच जायेंगे जहां कांड हुआ है।

आर्यमणि:– हम तो अब 5 मिनट की दूरी पर है। चलो जल्दी से पहुंचा जाये।

5 मिनट में ही दोनो पहुंचे। घर के अंदर का माहोल थोड़ा गरम था। सभी लोग एक ही जगह मौजूद थे। दोनो के पहुंचते ही जो ही बरसे। अलबेली, इवान और ओजल तीनो एक सुर में कहते ही रह गये.... “जब एक्शन के वक्त साथ ले ही नही जाना, तो इतनी ट्रेनिंग करवाने का क्या फायदा।”... गुस्सा थे, रूठे थे, और दोनो (आर्यमणि और रूही) के किसी भी बात का कोई असर ही नही हो रहा था।

जबतक आर्यमणि और रूही ने यह कहा नही की अर्जेंटीना में केवल वही तीनो मिशन को लीड करेंगे, तब तक तीनो का गुस्सा शांत ही नही हुआ। और जब तीनो का गुस्सा शांत हुआ तब उनकी नजर घर आये एक नए मेहमान पर गयी, जिसे आर्यमणि और रूही लेकर पहुंचे थे।

अलबेली:– वैसे साथ में ये कौन है?

रूही:– ये जुल है। एक प्रहरी एलियन.....

जैसे ही रूही ने “एक प्रहरी एलियन” कहा, ठीक उसी वक्त कान फाड़ दहाड़ गूंज गयी। निशांत और संन्यासी शिवम् ने तो अपने कान बंद कर लिये।..... “दीदी इसके सामने से हटो। इसे फाड़कर मैं एलियन को मारने की प्रैक्टिस शुरू करूंगी”... ओजल चिंखती हुई कहने लगी।

ओजल के समर्थन में इवान और अलबेली भी खड़े हो गये। माहोल अब पहले से भी ज्यादा गरम था। आर्यमणि ने इशारा किया और रूही जुल के सामने से हट गयी।.... “हम्मम... तो ठीक है, तुम तीनो मिलकर इसे मार सकते हो तो मार दो।”

आगे फिर कौन बात करता है। तीनो के क्ला बाहर आ चुके थे। तीनो ही अपना शेप शिफ्ट कर चुके थे। जुल को अपने क्ला से फाड़ने के लिये तीनो एक बार में ही कूद गये। कूद तो गये लेकिन जब तीनो हवा में थे, तभी जुल ने बिजली का झटका दे दिया। बिजली का झटका खाकर अलबेली बेसुध नीचे गिरी जा रही थी। किंतु आज ओजल और इवान पर इस बिजली का कोई असर ही नही हुआ।

अलबेली के जमीन पर गिरने से पहले ही आर्यमणि उसे अपने हाथों में ले चुका था। चेहरे पर आये उसके बाल को हटा, प्यार से अलबेली के सर पर हाथ फेरकर हील करते हुये.... “तुम ठीक हो अलबेली”.... अलबेली सुकून से अपना सर आर्यमणि के सीने से लगाती.... “अच्छा लग रहा है दादा। सॉरी दादा आप यहां थे तब भी मैं गुस्से में आ गयी।” उधर इवान और ओजल जैसे ही जुल के सामने खड़े हुये, रूही उन्हे रोकती.... “बस बहुत हुआ। तुम दोनो शांत हो जाओ”...

रूही उन्हे शांत होने क्या कही, दोनो ही रूही को आंख गुर्राते तेज दहाड़े और अपने पंजे को जुल के सीने तक लेकर गये ही थे कि रूही ने वुल्फ कंट्रोल की वह दहाड़ निकाली, जिसे सुन ओजल और इवान सुन्न पड़ गये। दोनो अपना सर पकड़कर बैठते.... “हमे क्यों कंट्रोल कर रही हो। ये मेरे आई के कातिल है। हमे तहखाने पर जीने के लिये इन्होंने ही मजबूर किया था।”

रूही:– दोनो एक दम शांत हो जाओ। वो मेरी भी आई थी।

ओजल:– हां तो तुम इनके साथियों को मारकर अपना दिल हल्का कर आयी हो। मुझे इसे मारना है।

रूही:– ठीक है जाओ...

जैसे ही रूही ने अपना कंट्रोल हटाया वैसे ही ओजल और इवान जुल पर झपट पड़े। आश्चर्य तो तब हो गया जब दोनो अपना पंजा तो जुल पर चलाते, लेकिन वह जुल को न लगकर खाली वार हवा में हो रहा था। दोनो को समझते देर न लगी की यह करस्तानी किसकी है। दोनो तेज गुर्राते हुये निशांत को देखने लगे... “अपना भ्रम जाल हटाओ निशांत”

निशांत:– शिवम् भैया दोनो को शांत तो करो...

जैसे ही ओजल के कान तक यह बात पहुंची ओजल अपनी कलाई की नब्ज को दंश के मणि से काटकर माहोल को फ्रिज करने वाला जादुई मंत्र जोड़ से पढ़ने लगी। अगले ही पल वहां का पूरा माहोल ही फ्रिज हो चुका था। बस जागते हुये वहां 3 लोग ही थे.... ओजल, संन्यासी शिवम् और निशांत...

ओजल:– तुम दोनो जमे क्यों नही...

निशांत:–तुम मंत्रों को बिना सिद्ध किये हुये बलि के माध्यम से खेल रही हो और हमने सारे मंत्र सिद्ध किये है। तुम्हे क्या लगता है तुम्हारा जादू हम पर असर करेगा?

“तुम्हारा तरीका गलत है।” कहते हुये संन्यासी शिवम् ने वहां जल का छिड़काव किया और पूरा माहोल फिर से जीवंत हो गया। बहस का लंबा दौड़ चला। ओजल और इवान का मन जब शांत हुआ, तब अपने किये पर पछताने लगे। लेकिन अभी हुई घटनाओं में ओजल और इवान के हाव–भाव देखते संन्यासी शिवम्...

“गुरुदेव, दोनो का प्रशिक्षण तो आपने किया, लेकिन दोनो में बहुत ज्यादा विलक्षण दिख रहा है। दोनो ही शक्तियों के अधीन होकर शक्ति को खुद पर हावी हो जाने दे रहे है, जबकि आपको इन्हे शक्ति को अपने अधीन कर उस पर काबू रखना सीखाना चाहिए था।”

आर्यमणि:– माफ करना मुझे। आज इनके वजह से मैं वाकई ही शर्मिंदा हूं... आप ओजल और इवान दोनो को अपने साथ लेते जाएं...

इवान:– नही बॉस ऐसा मत कहो... आज ही हमने बस आपा खोया था। वो भी पहली बार जब एलियन को अपने सामने देखा तो काबू न रख पाया..... दिमाग मे बस मां का कातिल ही घूम रहा था।

आर्यमणि:– कुछ इंसान वेयरवोल्फ का शिकर करते है, इसका मतलब जो भी इंसान दिखे उसे मार दो....

कुछ वक्त तक आर्यमणि दोनो को देखता रहा और दोनो अपनी नजरे नीची कर आंख चुराते रहे। कुछ पल की खामोशी के बाद..... “सीधा किसी को भी मारने के नतीजे पर पहुंचना। पैक में से कोई रोके तो उन्हे घूरना और बाली प्रथा से जादू करना.... ऐसा तो मैंने नही सिखाया था।”

जुल:– क्या मुझे कुछ कहने की अनुमति है।

आर्यमणि:– हां बोलो...

जुल:– आप सब में से कभी किसी ने खुद में मेहसूस किया है, या किसी ऐसी घटना को सुना है कि... यदि शक्तियां पास में हो और उसे नियंत्रित करना नही सिख पाये, तो वह शक्तियां दिमाग पर ऐसे हावी हो जाती है कि फिर उस मनुष्य के विलक्षण की गणना भी नही कर सकते। वह अपने आप में एक बॉम्ब की तरह होते है, जो कहां और किस पर फट जाये किसी को भी पता नहीं होता।

संन्यासी शिवम्:– हां मैं इस से भली भांति परिचित हूं। ऐसे मनुष्य जो शक्तियों के साथ जन्म ले, किंतु उन्हे कभी भी न तो अपनी शक्तियों का ज्ञान हो और न ही प्रशिक्षण मिला हो, वह अपनी मृत्यु अपने साथ लिये घूमते है। ये बात हमारे गुरुदेव आर्यमणि भी भली भांति जानते है। वह स्वयं भी इस दौड़ से गुजर चुके थे, जब वो वुल्फ में तब्दील नही हो पा रहे थे। गुरुदेव आपको कुछ कहना है?

आर्यमणि:– हम्मम!!! मैं ये बात क्यों नही समझ पाया। मुझे एहसास था कि शुकेश के अनुवांशिक गुण ओजल और इवान में है। मुझे लगा जब खुद से ये लोग अपनी शक्ति दिखाएंगे, तब उनके प्रशिक्षण के बारे में सोचूंगा लेकिन यहां तो कुछ और ही परिणाम सामने आ गया। दोषी मैं ही हूं।

ओजल:– बॉस आप ऐसे दुखी न हो। दोषी कोई भी नही। हमे अब उपाय पर काम करना है। लेकिन अभी पहले हमे अपने योजना पर ध्यान देना चाहिए। एलियन का कम्युनिकेशन सिस्टम में हमे घुसना है।

रूही:– ओजल सही कह रही है आर्य... हम आज का काम पूरा खत्म करने के बाद ओजल और इवान के बारे में आराम से सोचेंगे।

आर्यमणि, संन्यासी शिवम् के ओर देखने लगा। संन्यासी शिवम मुस्कुराते... “यहां मुझसे भी गलती हुई है। बिना कारण जाने मैं गलत नतीजे पर पहुंचा था। अंदर के अनियंत्रित शक्ति के साथ भी दोनो इतने संयम में थे, यह सिर्फ आपके ही प्रशिक्षण का नतीजा है गुरुदेव। ओजल सही कह रही है, हमे पहले अपने योजना अनुसार आगे बढ़ना चाहिए।”

सहमति होते ही सभी लोगों ने जाल बिछा दिया। करना यह था कि सभी इंसानी शिकारी को उनके किराये के घर से बाहर बुलाना था। जब वो लोग बाहर आते तब निशांत उस से टकरा जाता। वो लोग बाहर जब तक निशांत के विषय कुछ भी राय बनाकर वापस घर में अपने आला अधिकारियों से संपर्क करने जाते, इस बीच ओजल और इवान, संन्यासी शिवम् के साथ टेलीपोर्ट होकर सीधा उनके घर में होते और उनके कम्युनिकेशन सिस्टम को हैक कर लेते।

उन इंसानी शिकारी के घर के बाहर जाल तो बिछ चुका था, लेकिन कोई भी सदस्य बाहर नही निकला था। अलबेली जब ध्यान लगाकर उनके घर के अंदर हो रही बातों को सुनी तब पता चला की 4 शिकारी जयदेव से बात कर रहे थे और बचे 4 शिकारी कॉटेज के पास छानबीन के लिये गये थे।

अलबेली ने जैसे ही पूरा ब्योरा दिया, आर्यमणि... “ठीक है ये ऐसे तो बाहर नही आयेंगे। मैं उन्हे बाहर बुलाने की कोशिश करता हूं, और तुम अलबेली कान लगाकर रखो। देखो क्या बातचीत हो रही।

आर्यमणि अपनी बात समाप्त कर “वूऊऊऊ, वूऊऊऊ, वूऊऊऊ, वूऊऊऊ, वूऊऊऊ” करके भेड़ियों वाला दहाड़ लगाया। पीछे से अल्फा पैक ने भी एक साथ सुर मिला दिये। अंदर उन चार शिकारियों की जयदेव से बात चल रही थी। इसी बीच वुल्फ कॉलिंग साउंड सुनकर जयदेव के भी कान खड़े हो गये.... “ये तो पूरा एक वुल्फ पैक लगता है। जाकर देखो कौन है और कॉटेज की घटना में कहीं इनका हाथ तो नही।”

जयदेव के आदेश मिलते ही सभी शिकारी अपने घर से बाहर निकले। इधर अलबेली सबको अलर्ट भेज चुकी थी। सब काफी दूर जाकर फैल गये। शिकारियों के बाहर निकलते ही योजना अनुसार संन्यासी शिवम् के साथ ओजल और इवान अंतर्ध्यान होकर सीधा उस जगह पहुंचे जहां से उस घर का करंट सप्लाई था। पूरे घर के करेंट सप्लाई को जैसे ही बंद किया गया, अंदर पूरा अंधेरा।

इवान:– नाइट विजन सीसी टीवी कैमरा लगा है। हमे सीधा इनके काम करने वाली जगह तक लेकर चलिए शिवम् सर।

शिवम्:– वहां भी तो सीसी टीवी कैमरा कवर कर रहा होगा। मुंह ढक लो। हम लोग चोर बनकर घुसेंगे। घर की सारी चीजें गायब कर देंगे। इसी दौरान तुम उनके सिस्टम को हैक भी कर लेना।

ओजल:– अच्छा आइडिया है...

तीनो किसी चोर की तरह ही सामने से घुसे। तीनो पूरे घर में तूफान मचाए थे। घर में जितनी भी उठाने वाली चीजें थी वो सब एक साथ गायब कर चुके थे। वुल्फ कॉलिंग साउंड सुनकर सभी शिकारी हड़बड़ी में निकले थे, और उनका मोबाइल भी घर में ही रह गया था, वह भी गायब।

तीनो अपना काम खत्म करके वहां से सीधा गायब। ओजल और इवान ने मिलकर तुरंत लैपटॉप से काम की चीजों का डेटा बैकअप लिया और सारा सामान किसी चोर को बेचकर निकल गये। वहीं जब वह शिकारी आवाज की दिशा में आगे बढ़ते, घर से कुछ दूर आगे निकले, तभी उनसे निशांत टकरा गया।

निशांत को देखकर वो सभी थोड़े हैरान हुये और निशांत अपने पहचान के एक शिकारी को टोकते.... “अरे जितेंद्र, क्या बात है, इतने बड़े देश में हम टकरा गये? कहीं मेरा पीछा तो नही कर रहे?”

जितेंद्र:– ठीक यही सवाल तो मेरे मन में भी चल रहा है। कहीं तुम तो मेरा पीछा नहीं कर रहे?

निशांत:– तुम क्या हॉट बिकनी गर्ल हो जो मैं तुम्हारा पीछा करूंगा।

जितेंद्र:– तो तुम यहां क्या कर रहे?

निशांत:– मियामी के जन्नत का मजा ले रहे है। और तुम???

जितेंद्र:– कोई चुतिया, प्रहरी का कीमती सामान चोरी कर यहां बेचने की कोशिश कर रहा था, उसी को ढूंढने आये है। तुम यहां हो, चोर यहां है, तो क्या तुम्हारा दोस्त आर्यमणि भी यहां है?

निशांत:– क्या बकवास कर रहे हो बे... ज्यादा होशियार हो गये हो तो बताओ, सारी होशियारी तुम्हारी गांड़ में घुसेड़ दूंगा। मदरचोद कुछ भी कह रहा...

जितेंद्र गुस्से से आगे बढ़ा ही था कि उसके साथी रोकते हुये.... “तुम जाओ निशांत। आज एक लड़की इसका चुटिया काट गयी इसलिए पागल बना है।”

“तो दिमाग ठिकाने लाओ इसके। ज्यादा बोलेगा तो गांड़ में सरिया डालकर मुंह से निकाल दूंगा।”... निशांत चलते–चलते अपनी बात कहा और चलता बना... उसके जाते ही वह जितेंद्र.... “तूने रोक क्यों लिया?”

एक शिकारी:– चोरी का माल मियामी में बिकने के लिये आना, कॉटेज की घटना, वुल्फ पैक की दहाड़, और उसके बाद इसका (निशांत) मिलना। यह मात्र एक संयोग नही हो सकता। इसका दोस्त आर्यमणि जो वुल्फ का पैक बनाकर भागा था, वो यहीं है। और उसने न सिर्फ अनंत कीर्ति की किताब को चुराया था, बल्कि स्वामी के द्वारा चोरी किया हुआ सारा माल यही आर्यमणि लेकर उड़ा था। मदरचोद अकेला लड़का पूरे प्रहरी को पानी पिला दिया।

जितेंद्र:– बात में दम तो है। वर्धराज का पोता ही अलौकिक पत्थर से निकलने वाले संकेत को बंद कर सकता है, यह हमने पहले क्यों नहीं सोचा।

(सुकेश के घर से चोरी के समान में मिला पत्थर जो अपने पीछे निशानी छोड़ता था, जिस संकेत के जरिए प्रहरी वाले अपने पत्थर का पता लगा सकते थे। उसे अपस्यु और आचार्य जी ने निष्क्रिय किया था।)

दूसरा शिकारी:– इसका मतलब ये हुआ कि पिछले 7–8 दिन से ये लोग हम पर नजर रखे थे, और आज मौका मिलते ही हमारे 22 लोगों को जिंदा जला दिया। साले ने कौन सा मंत्र पढ़ा होगा जो समुद्र में तूफान उठा दिया?

(इन प्रहरी शिकारियों को एलियन के विषय में जरा भी ज्ञान नही था। उन्हे मारे गये सभी शिकारी अपनी तरह इंसान ही लगते थे)

तीसरा शिकारी:– जो 22 लोगों को मार सकता है वह हम 4 को क्यों नही मारा? हमे उनके विषय में नही पता था, लेकिन वो अपनी योजना अनुसार ही हमें यहां तक लेकर आये होंगे। जब उन्हे हमे मारना नही था, फिर योजनाबद्ध तरीके से हमे यहां तक लेकर क्यों आया?

जितेंद्र:– कहीं ये हमारे घर में तो नही घुसे?

एक शिकारी:– घर में क्या करने घुसेंगे...

जितेंद्र:– हां वहां तेरी बीवी भी तो नही जो ये डर रहता की उसे पेल देंगे। मदरचोद जब उन्हे हमे मारना नही था तो एक ही कारण बनता है ना, उन्हे हमसे कुछ चाहिए।

दूसरा शिकारी:– उन्होंने यहां न तो हमे मारा और न ही घेरकर कोई पूछताछ किया। मतलब साफ है, हमारे घर में घुसपैठ हुई है। सब घर चलो।

प्रहरी के खोजी शिकारी। अब तक कंटेनर के लोकेशन के हिसाब से छानबीन कर रहे थे। आज एक छोटा सा सुराग हाथ लगा और चोरी के समान की गुत्थी सुलझा चुके थे। अलबेली कान लगाकर सब सुन रही थी। खोजी शिकारियों की समीक्षा सुन वह दंग रह गयी। वहीं जब ये लोग अपने घर के पास पहुंचे और घर की बिजली गुल देखे, तभी पूरी समीक्षा पर आपरूपी सत्यापन का मोहर लग गया।
बहुत ही शानदार लाजवाब अपडेट भाई
 
  • Like
Reactions: Tiger 786 and ASR

Zoro x

🌹🌹
1,689
5,420
143
No. Female Snake khati hai.
4 months ki pregnancy aur fir approx 250 eggs. Aise me wo bahut kamjor aur durbal ho jati hai. Esliye apni bhukh mitane aur energy gain karne ke liye khud ke paida kiye hue ande kha jati hai.

वैसे सांप को चक्षुश्रवा भी कहा जाता है। सांप के कान नही होता। वो अपने आंख से सुनता है।
मैं आपकी बात से सहमत हूं भाई
अजगर या उससे उपर वाली मादा प्रजनन के लिए प्रोटीन की कमी को पूरा करने के लिए नर को हीं निगल जाती हैं



नर नयीं प्रजाति के लिए अपना बलिदान कर देता हैं
ताकि नयें वंश को जन्म देने वाली भुख से ना मरें
 
Top