एक आम घटना को कैसे कम्पलिकेटेड बनाया जा सकता है वो नैन भाई से कोई सिखे !
इस अध्याय में सब कुछ सामान्य ही था लेकिन समझने के लिए मुझे दो बार पढ़ना पड़ा ।
इस अध्याय के अनुसार मुझे यही लगा कि जया और केशव में कभी प्रेम था ही नहीं । शादी के मंडप से जया का भागना मनीष से मशविरे के बाद लिया गया था । कारण मनीष का एक्सिडेंटल वेयरवोल्फ बनना । लेकिन फिर भी यह राज ही रह गया कि मनीष गंगटोक न जाकर मृत्यु को कैसे प्राप्त हो गया ।
शायद केशव जी ने अपने फ्रेंड मनीष के लिए ऐसा कदम उठाया था । जया जी के साथ उनका विवाह परिस्थितिवश हुआ था ।
हुबहू ऐसा ही तो आर्य मणि के साथ भी हुआ था । एक बार फिर से वही कहानी सामने दिख रही है । पलक के साथ उसका विवाह मुझे दूर की कौड़ी ही लग रहा है ।
सुकेश भारद्वाज का घर , घर नहीं एक तिलिस्म लग रहा है । एक खुफिया तहखाना भी बना हुआ है जिसकी खबर चुनिंदा लोगों को छोड़कर शायद ही किसी को हो ।
वैधायण की बुक्स भी काफी रहस्यमय किताब प्रतीत हो रहा है और वो भी सुकेश जी के संरक्षण में ही है ।
देखते हैं इस विलक्षण किताब की क्या विलक्षणता है !
शामलाल साहब एक आम सर्वेंट नहीं बल्कि सिपहसालार लग रहे हैं भारद्वाज फेमिली की ।
बहुत ही खूबसूरत अपडेट नैन भाई ।
आउटस्टैंडिंग एंड अमेजिंग एंड ब्रिलिएंट ।