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Fantasy Aryamani:- A Pure Alfa Between Two World's

nain11ster

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I love Fantasy and Sci-fiction story.
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भाग:–24







जया, मीनाक्षी के ओर देखने लगी। मीनाक्षी एक ग्लास पानी पीते… "अक्षरा तुम्हारा भाई मनीष वुल्फबेन खाकर मरा था।"..


(वुल्फबेन एक प्रकार का हर्ब होता है जो आम इंसान में कोई असर नहीं करता लेकिन ये किसी किसी वेयरवुल्फ के सीने में पहुंच जाए तो उसकी मौत निश्चित है)


जैसे ही यह बात सामने आयी। हर किसी के पाऊं तले से जमीन खिसक चुकी थी। लगभग यहां पर हर किसी को पता था कि वुल्फबेन क्या होता है, कुछ को छोड़कर। और जिन्हे नहीं पता था, उसे शामलाल वहां से ले गया।


माहौल में बड़बड़ाना शुरू हो गया। हर किसी के चेहरे पर हजारों सवाल थे, जया सबको हाथ दिखती… "हमारी बातें सुनते रहिए सबको जवाब मिल जायेगा। किसी को घोर आश्चर्य में पड़ने की जरूरत नहीं है।"..


अक्षरा:- नही ऐसा कभी नहीं हो सकता। ये जया की एक घटिया सी चाल है, जिसे इसने कल रात तैयार किया होगा। दीदी (मीनाक्षी भारद्वाज) आप तो कहती थी जया ने आपको कुछ नहीं बताया? आपको इस विषय में कुछ पता ही नही। फिर मेरे भाई के लिए ऐसा कैसे कह सकती है?


मीनाक्षी, सारे जरूरी दस्तावेज और अक्षरा के भाई के हाथों लिखी एक खत अक्षरा के हाथ में देती.…. "हां मै अब भी यही कहती हूं, मुझे तुम्हारे भाई के बारे में कुछ पता नहीं, बल्कि शुरू से सब कुछ पता है। यहां तक कि पूरी कहानी मेरी और केशव की लिखी हुई है। शादी के 1 दिन पूर्व मुझे मनीष मिला था। उसने बताया कि एक भटके हुए अल्फा पैक को झांसे में लेने के लिए मनीष ने उसके बीटा पर जाल फेका। मामला ये था कि वो बीटा जानती थी, मनीष एक शिकारी है।"

"मनीष, गया था उस बीटा को फसाने और खुद उसके बिछाये जाल में जाकर फंस गया। विदिशा के पास जब उसके पैक को खत्म किया जा रहा था, तब उसके अल्फा का पूरा पंजा मनीष के पेट में घुस गया। 2 हफ्ते बाद शादी थी और वो चाहकर भी किसी को बता नहीं पा रहा था। फिर मनीष ने अपने दोस्त केशव से ये बात बताई। लेकिन चूंकि केशव समुदाय से बाहर निकाला हुआ परिवार से था, इसलिए तुम लोगों को उसकी मौजूदगी खटकती रही।"

"केशव को जब ये मामला समझ में आया तब उसी ने मनीष को सुझाव दिया… "किसी तरह जया को घर से भागने के लिए राजी कर लिया जाय और उसे शादी से ठीक पहले भगा देना था। मनीष शादी टूटने का सोक सह नहीं पाया, इसलिए घर छोड़कर चला गया, ऐसा अफवाह उड़ा देना था।"

"जबकि मनीष घर छोड़ने के बाद वर्धराज कुलकर्णी यानी के केशव के बाबा के पास सिक्किम जाता। ताकि जब वो पूर्ण वेयरवुल्फ में विकसित हो जाता तब सिक्किम के जंगलों में वह निवास करता। यहां मनीष को लोपचे का पैक भी मिल जाता और सिक्किम में रहने के वजह से कभी-कभी उसका पूरा परिवार यहां आकर मिल भी लेता।"

"ये बात जब मुझे पता चली तो मुझे भी झटका सा लगा था। मनीष जैसे शिकारी के साथ ऐसा हादसा होना, मेरा दिल बैठ गया। बहुत रोया था वो मेरे पास। बस एक ही रट लगाए था, लोगों को जब पता चलेगा कि मनीष एक वेयरवुल्फ है, तो लोगो हसेंगे उसके परिवार पर।"

"जानते हो किसी लड़की को ऐसे शादी के लिए राजी करना कितना मुश्किल होता है, जिसमें उसे जिंदगी भर की जिल्लत झेलनी पड़े। आप दूसरों को कहने से पहले ये बात 10 बार सोचोगे। लेकिन मैंने तो अपनी प्यारी बहन को ही सजा दे दिया। मेरी जया भी कमाल की है.… मुझसे चहकती हुई कही थी, "दीदी, खानदान की पहली भगोड़ी शादी मुबारक हो।"

"अब शायद सबको समझ में आ गया होगा की क्यों मै आर्य के लिए इतनी पागल हूं। क्यों मै अपने बच्चो को और मै खुद छुट्टियों में आर्य पास रहती थी। ताकि कम से कम आर्य को ये कभी मेहसूस ना हो कि मेरी मां ने भागकर शादी की तो उसके परिवार से कोई मिलने नहीं आते। हां वो अलग बात है कि आर्य का इतिहास ही निराला है। महान सोधकर्ता और उतने ही सुलझे हुए एक महान ज्ञानी प्रहरी, वार्धराज का पोता है वो। उसके बाबा भी एक विद्वान व्यक्ति है तभी तो आईएएस है और मां एक खतरनाक ज्ञानी शिकारी जिसकी उतराधिकारी भूमि की हुंकार पूरा महाराष्ट्र सुनता है।"

"जिस उम्र में सबके बच्चे अक्षर पहचानने की कोशिश मे लगे रहते, अपने दादा के गोद में बैठकर आर्य कथाएं सुनता था और उसके दादा उसकी परीक्षा लेने के लिए जब एक कथा को दूसरी बार कहते, तो अपने दादा से तोतली और टूटी फूटी आवाज मे कहता था, "ये कथा तो सुन चुका हूं।"

"यहां मौजुद सभी लोगो से मेरा बच्चा आर्य बहुत ही समझदार और आज के युग का अपवाद बच्चा है। बहुत इज्जत करता है वो सबकी। गुस्से में भी पूरा संतुलन बनाए रखता है। पूरे होश में रहकर फैसला लेता है। मेरे बच्चे की इक्छा थी कि उसके पिता को उसका पैतृक जगह पर खुशी से आने का मौका मिले। उसके मां को मायके मिले, इसलिए सबको ये बात बता रही हूं। वरना मनीष के लिए हम ये बात किसी को नहीं बताते। अंत तक लोग एक ही बात जानते कि जया अपने प्रेमी के साथ भाग गई और मनीष ने आत्महत्या चुना।"


मीनाक्षी ने जब राज से पर्दा उठाया तब पुरा परिवार ही मानो जया के क़दमों में गिर गया था। हर कोई पछता रहा था। कोई छुपके तो कोई खुलकर अपनी ग़लती की माफी मांग रहा था। कहने और बोलने के लिए किसी के पास कोई शब्द ही नहीं थे। भूमि और तेजस दोनो कुछ ज्यादा ही भावुक हो गए। जया के गाल चूमते हुए कहने लगे… "आप पर फक्र जैसा मेहसूस हो रहा है। जी करता है लिपट कर रोते रहे।"


मीनाक्षी, जया के कान में फिर से वही बहू वाली बात दोहराने लगी। तब जया ने भी कान में धीमे से कह दिया, "जाने दो दीदी फिर कभी बात कर लेंगे। दोनो बहन अभी इस विषय पर बात कर ही रही थी कि राजदीप कहने लगा… "काकी, अगर जया आंटी को बुरा ना लगे तो मै अपने परिवार के ओर से प्रस्ताव रखना चाहूंगा।"..


मीनाक्षी:- अब ये मत कह देना की तू अक्षरा को मेंटल हॉस्पिटल भेज रहा है।


मीनाक्षी की बात सुनकर सभी लोग हसने लगे… "अरे नहीं काकी, मै तो ये कह रहा था कि मुझे पलक के लिए आर्य दे दो। और ये बात अभी-अभी मेरे दिमाग में नहीं आया, बल्कि कई सालो से भूमि दीदी के दिमाग में थी। मुझे भी उन्होंने कुछ दिन पहले ही बताया। मुझे तब भी आर्य पसंद था और अब तो पलक के लिए उससे बेहतर कोई लड़का मुझे नजर ही नहीं आ रहा।"..


मीनाक्षी:- क्यों उज्जवल बाबू देख रहे हो जमाना। खुद की शादी हुई नहीं, उससे छोटी नम्रता की शादी हुई नहीं और सबसे छोटी का लगन की बात कर रहा है।


भूमि:- हुई कैसे नहीं है। लगभग हो ही गई समझो। वो तो चाकू वाला कांड हो गया, वरना 2 दिन पहले मुक्ता का रिश्ता राजदीप से और माणिक का रिश्ता नम्रता से तय हो जाना था। चाकू वाले कांड के बाद मुझे यकीन था कि अब दोनों परिवार के बीच क मामला सैटल हो ही जाना है। इसलिए महानुभावों, जिसका नंबर जैसे आए उसका फाइनल करते चलो ना रे बाबा।"

"छोटे हैं सबसे तो सबसे आखिरी मे शादी करेंगे, तबतक हक से प्रेमी जोड़े की तरह उड़ते फिरेंगे। हमे भी कोई फ़िक्र ना रहेगी की किसके साथ दोनो घूम रहे। सहमत हो तो हां कहो, वरना मै अपने बच्चे को कह दुं, जा बेटा जबतक मै तेरे लिए को लड़की ना देख लेती, तबतक गर्लफ्रेंड-ब्वॉयफ्रेंड खेल ले। उधर से कोई पसंद आयी तो ठीक वरना किसी से तय कर दूंगी रिश्ता।


जया:- मतलब सबके शादी की मिडीएटर तू ही है।


भूमि:- मासी मै अपने बच्चे के लिए ये रिश्ता फाइनल करती हूं।


जया:- बच्चा तो ठीक है, लेकिन ये जयदेव कहां है, दादी तो बन गए नानी कब बनूंगी, उसपर भी बात कर ले।


भूमि:- खामोश बिल्कुल जया कुलकर्णी। अभी मेरा मुद्दा किनारे रखो। हद है ये आर्य कहां है उसे बुलाओ और सामने बिठाओ… मासी, आई, देख लो अपनी बहू को। पीछे की बात ना है सामने ही बता दो कैसी लगी...


मीनाक्षी:- हम दोनों को तो सीढ़ियों पर ही पसंद आ गई थी। बाकी अभी जमाना वो नहीं है। आर्य और पलक को सामने बिठाओ और उनसे भी पूछ लो।


पीछे से वैदेही आर्य को लेकर नीचे आ गई। उसे ठीक पलक के सामने बिठाया गया। आर्य को देखकर अक्षरा… "मेरे पास एक और चाकू है। पेट के दूसरे हिस्से में जगह है तो घोपा लो।"


आर्य:- सॉरी आंटी।


भूमि:- लड़की तेरे सामने है, ठीक से देख ले और बता कैसी लगी। बाद में ये ना कहना कि पूरे परिवार ने घेर कर फसाया है। पलक तुम भी देख लो। और हां जो भी हो दोनो क्लियर बता देना। किसी को चाहते हो कोई दिल में पहले से बसा है.. फला, बला, टला कुछ भी...


आर्य, पलक को एक नजर देखते… "मुझे पलक पसंद है।"


पलक:- मुझे भी आर्य पसंद है लेकिन अभी मै लगन नहीं करूंगी।


भूमि:- पढ़ाई पूरी होने के बाद ठीक रहेगा।


पलक:- हम्मम !


भूमि:- तो ठीक है, राजदीप और नम्रता की शादी के बाद अच्छा सा दिन देखकर दोनो की सगाई कर देंगे और पढ़ाई के बाद दोनो की शादी। बाकी लेन–देन।की बात आप सब फाइनल कर लो।


मीनाक्षी:- मेरा बेटा अभी से बीएमडब्लू बाइक पर चढ़ता है इसलिए उसे एक बीएमडब्लू कार तो चाहिए ही।


भूमि:- ठीक है दिया..


जया:- लेकिन तू क्यों देगी..


भूमि:- मेरी बहन है, एक बहन नम्रता को उतराधिकारी घोषित की हूं, तो दूसरी को उसके बराबर का कुछ तो दूंगी ना। इसलिए जल्दी-जल्दी डिमांड बताओ, इसके शादी कि सारी डिमांड मेरे ओर से।


राजदीप:- दीदी सब तुम ही कर दोगी तो फिर हम क्या करेंगे?


भूमि:- तू दूल्हे की जूते चोरी करना।


पूरे परिवार में हंसी-खुशी का माहौल सा बन गया। इतने बड़े खुशी के मौके पर सभी लोग गाड़ियों में भर के "अदसा मंदिर" के ओर निकल गए। पूरा परिवार साथ था केवल आर्यमणि को छोड़कर। वो रुकने का बहाना करके घर में ही लेटा रहा। एक सत्य ये भी था कि चाकू लगने के 2 घंटे तक आर्यमणि ने घाव को भरने नहीं दिया था। लेकिन जैसे ही वो हॉस्पिटल से बाहर आया, उसके कुछ पल बाद ही आर्यमणि का घाव भर चुका था।


हर रोज वो ड्रेसिंग से पहले खुद के पेट में चाकू घोपकर घाव को 2 दिन पुराना बनाता ताकि किसी को भी किसी बात का शक ना हो। पूरे परिवार के घर से निकलते ही, आर्यमणि अपने काम में लग गया। वैधायण और उसके कई अनुयायि के सोध की वो किताब, एक अनंत कीर्ति की किताब, जिसमे कई राज छिपे थे।


नियामतः ये किताब भारद्वाज परिवार की मिल्कियत नहीं थी और खबरों की माने तो वो किताब इस वक़्त आर्यमणि के मौसा सुकेश भारद्वाज के पास रखी हुई थी। आर्यमणि पहले से ही अपनी मासी और मौसा के कमरे में था, और पिछले 3 दिनों से हर चीज को बारीकी से परख रहा था।


ऊपर के जिस कमरे में आर्यमणि था उसे भ्रमित तरीके से बनाया गया था। आर्यमणि जिस बड़े से कमरे में था, उस इकलौते कमरे की लंबाई लगभग 22 फिट थी, जबकि उसके बाएं ओर से लगे 6 कमरे थे, जिनकी लंबाई 14 फिट की थी। पीछे का 8 फिट का हिस्सा शायद कोई गुप्त कमरा था जिसका पता आर्यमणि पिछले 2 दिन से लगा रहा था।


गुप्त कमरा था इसलिए वहां जबरदस्ती नहीं जाया जा सकता था क्योंकि सुरक्षा के पुरा इंतजाम होगे और एक छोटी सी भुल मंजिल के करीब दिखती चीजों को मंजिल से दूर ले जाती। आर्यमणि बड़े ही इत्मीनान से रास्ता ढूंढ रहा था तभी उसके मोबाइल की रिंग बजी…. "हां पलक"..


पलक:- वो इन लोगों ने कहा कि मै तुमसे..


आर्य, अपना पूरा ध्यान दरवाजा खोलने में लगाते हुए… "हां पलक।"..


पलक:- इन लोगों ने मुझसे कहा कि मै तुमसे पूछ लूं, दवा लिए की नहीं..


आर्य:- सुनो पलक तुम इतना "इन लोगों में और उन लोगों में" मत पड़ो, जब इक्छा हो तब फोन कर लिया करो।..


"इनको–उनको, इनको–उनको, इनको–उनको… ओह माय गॉड ये गुप्त कमरे का दरवाजा इंडायेक्ट भी तो हो सकता है।"… पलक का दूसरों को नाम लेकर आर्यमणि फोन करना, 3 दिन से फंसे एक गुत्थी के ओर इशारा कर गया... आर्यमणि संभावनाओं पर विचार करते...


"अगर मै यहां कोई सुरक्षित कमरा बना रहा होता तो कैसे बनाता। 6 लगातार कमरे के पीछे है वो गुप्त कमरा। मुझे अगर इन-डायरेक्ट रास्ता देना होता तो कहां से देता। ऐसी जगह जहां सबका आना जाना हो, जहां सब कुछ नजर के सामने हो।"..


आर्यमणि अपने मन में सोचते हुए खुश होने लगा।… "आर्य क्या तुम मुझे सुन रहे हो।" उस ओर से पलक कहने लगी।… "हेय पलक, मैंने दावा ले ली है। और हां लव यू बाय"… आर्यमणि फोन रखकर नीचे हॉल में पहुंचा और चारो ओर का जायजा लेने लगा। ना फ्लोर में कुछ अजीब ना दीवाल में कुछ अजीब, तो फिर गुप्त कमरे का रास्ता होगा कहां से। आर्यमणि की आखें लाल हो गई, दृष्टि बिल्कुल फोकस और चारो ओर का जायजा ले रहा था। दीवार के मध्य में जहां टीवी लगीं हुई थी, वहां ठीक नीचे 3–4 स्विच और शॉकैट लगा हुआ था। वहां वो इकलौता ऐसा बोर्ड था जो हॉल में लगे बाकी बोर्ड से कुछ अलग दिख रहा था।


आर्यमणि वहां पहुंचकर नीचे बोर्ड पर अपना लात मारा और सभी स्विच एक साथ ऑन कर दिया। जैसे ही स्विच ऑन हुआ कुछ हल्की सी आवाज हुई।… "कमाल का सिविल इंजीनियरिंग है मौसा जी, स्विच कहीं है और दरवाजा कहीं और।" लेकिन इससे पहल की आर्यमणि उस गुप्त दरवाजे तक पहुंच पता, शांताराम के साथ कुछ हथियारबंद लोग अंदर हॉल में प्रवेश कर चुके थे।
 
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भाग:–24







जया, मीनाक्षी के ओर देखने लगी। मीनाक्षी एक ग्लास पानी पीते… "अक्षरा तुम्हारा भाई मनीष वुल्फबेन खाकर मरा था।"..


(वुल्फबेन एक प्रकार का हर्ब होता है जो आम इंसान में कोई असर नहीं करता लेकिन ये किसी किसी वेयरवुल्फ के सीने में पहुंच जाए तो उसकी मौत निश्चित है)


जैसे ही यह बात सामने आयी। हर किसी के पाऊं तले से जमीन खिसक चुकी थी। लगभग यहां पर हर किसी को पता था कि वुल्फबेन क्या होता है, कुछ को छोड़कर। और जिन्हे नहीं पता था, उसे शामलाल वहां से ले गया।


माहौल में बड़बड़ाना शुरू हो गया। हर किसी के चेहरे पर हजारों सवाल थे, जया सबको हाथ दिखती… "हमारी बातें सुनते रहिए सबको जवाब मिल जायेगा। किसी को घोर आश्चर्य में पड़ने की जरूरत नहीं है।"..


अक्षरा:- नही ऐसा कभी नहीं हो सकता। ये जया की एक घटिया सी चाल है, जिसे इसने कल रात तैयार किया होगा। दीदी (मीनाक्षी भारद्वाज) आप तो कहती थी जया ने आपको कुछ नहीं बताया? आपको इस विषय में कुछ पता ही नही। फिर मेरे भाई के लिए ऐसा कैसे कह सकती है?


मीनाक्षी, सारे जरूरी दस्तावेज और अक्षरा के भाई के हाथों लिखी एक खत अक्षरा के हाथ में देती.…. "हां मै अब भी यही कहती हूं, मुझे तुम्हारे भाई के बारे में कुछ पता नहीं, बल्कि शुरू से सब कुछ पता है। यहां तक कि पूरी कहानी मेरी और केशव की लिखी हुई है। शादी के 1 दिन पूर्व मुझे मनीष मिला था। उसने बताया कि एक भटके हुए अल्फा पैक को झांसे में लेने के लिए मनीष ने उसके बीटा पर जाल फेका। मामला ये था कि वो बीटा जानती थी, मनीष एक शिकारी है।"

"मनीष, गया था उस बीटा को फसाने और खुद उसके बिछाये जाल में जाकर फंस गया। विदिशा के पास जब उसके पैक को खत्म किया जा रहा था, तब उसके अल्फा का पूरा पंजा मनीष के पेट में घुस गया। 2 हफ्ते बाद शादी थी और वो चाहकर भी किसी को बता नहीं पा रहा था। फिर मनीष ने अपने दोस्त केशव से ये बात बताई। लेकिन चूंकि केशव समुदाय से बाहर निकाला हुआ परिवार से था, इसलिए तुम लोगों को उसकी मौजूदगी खटकती रही।"

"केशव को जब ये मामला समझ में आया तब उसी ने मनीष को सुझाव दिया… "किसी तरह जया को घर से भागने के लिए राजी कर लिया जाय और उसे शादी से ठीक पहले भगा देना था। मनीष शादी टूटने का सोक सह नहीं पाया, इसलिए घर छोड़कर चला गया, ऐसा अफवाह उड़ा देना था।"

"जबकि मनीष घर छोड़ने के बाद वर्धराज कुलकर्णी यानी के केशव के बाबा के पास सिक्किम जाता। ताकि जब वो पूर्ण वेयरवुल्फ में विकसित हो जाता तब सिक्किम के जंगलों में वह निवास करता। यहां मनीष को लोपचे का पैक भी मिल जाता और सिक्किम में रहने के वजह से कभी-कभी उसका पूरा परिवार यहां आकर मिल भी लेता।"

"ये बात जब मुझे पता चली तो मुझे भी झटका सा लगा था। मनीष जैसे शिकारी के साथ ऐसा हादसा होना, मेरा दिल बैठ गया। बहुत रोया था वो मेरे पास। बस एक ही रट लगाए था, लोगों को जब पता चलेगा कि मनीष एक वेयरवुल्फ है, तो लोगो हसेंगे उसके परिवार पर।"

"जानते हो किसी लड़की को ऐसे शादी के लिए राजी करना कितना मुश्किल होता है, जिसमें उसे जिंदगी भर की जिल्लत झेलनी पड़े। आप दूसरों को कहने से पहले ये बात 10 बार सोचोगे। लेकिन मैंने तो अपनी प्यारी बहन को ही सजा दे दिया। मेरी जया भी कमाल की है.… मुझसे चहकती हुई कही थी, "दीदी, खानदान की पहली भगोड़ी शादी मुबारक हो।"

"अब शायद सबको समझ में आ गया होगा की क्यों मै आर्य के लिए इतनी पागल हूं। क्यों मै अपने बच्चो को और मै खुद छुट्टियों में आर्य पास रहती थी। ताकि कम से कम आर्य को ये कभी मेहसूस ना हो कि मेरी मां ने भागकर शादी की तो उसके परिवार से कोई मिलने नहीं आते। हां वो अलग बात है कि आर्य का इतिहास ही निराला है। महान सोधकर्ता और उतने ही सुलझे हुए एक महान ज्ञानी प्रहरी, वार्धराज का पोता है वो। उसके बाबा भी एक विद्वान व्यक्ति है तभी तो आईएएस है और मां एक खतरनाक ज्ञानी शिकारी जिसकी उतराधिकारी भूमि की हुंकार पूरा महाराष्ट्र सुनता है।"

"जिस उम्र में सबके बच्चे अक्षर पहचानने की कोशिश मे लगे रहते, अपने दादा के गोद में बैठकर आर्य कथाएं सुनता था और उसके दादा उसकी परीक्षा लेने के लिए जब एक कथा को दूसरी बार कहते, तो अपने दादा से तोतली और टूटी फूटी आवाज मे कहता था, "ये कथा तो सुन चुका हूं।"

"यहां मौजुद सभी लोगो से मेरा बच्चा आर्य बहुत ही समझदार और आज के युग का अपवाद बच्चा है। बहुत इज्जत करता है वो सबकी। गुस्से में भी पूरा संतुलन बनाए रखता है। पूरे होश में रहकर फैसला लेता है। मेरे बच्चे की इक्छा थी कि उसके पिता को उसका पैतृक जगह पर खुशी से आने का मौका मिले। उसके मां को मायके मिले, इसलिए सबको ये बात बता रही हूं। वरना मनीष के लिए हम ये बात किसी को नहीं बताते। अंत तक लोग एक ही बात जानते कि जया अपने प्रेमी के साथ भाग गई और मनीष ने आत्महत्या चुना।"


मीनाक्षी ने जब राज से पर्दा उठाया तब पुरा परिवार ही मानो जया के क़दमों में गिर गया था। हर कोई पछता रहा था। कोई छुपके तो कोई खुलकर अपनी ग़लती की माफी मांग रहा था। कहने और बोलने के लिए किसी के पास कोई शब्द ही नहीं थे। भूमि और तेजस दोनो कुछ ज्यादा ही भावुक हो गए। जया के गाल चूमते हुए कहने लगे… "आप पर फक्र जैसा मेहसूस हो रहा है। जी करता है लिपट कर रोते रहे।"


मीनाक्षी, जया के कान में फिर से वही बहू वाली बात दोहराने लगी। तब जया ने भी कान में धीमे से कह दिया, "जाने दो दीदी फिर कभी बात कर लेंगे। दोनो बहन अभी इस विषय पर बात कर ही रही थी कि राजदीप कहने लगा… "काकी, अगर जया आंटी को बुरा ना लगे तो मै अपने परिवार के ओर से प्रस्ताव रखना चाहूंगा।"..


मीनाक्षी:- अब ये मत कह देना की तू अक्षरा को मेंटल हॉस्पिटल भेज रहा है।


मीनाक्षी की बात सुनकर सभी लोग हसने लगे… "अरे नहीं काकी, मै तो ये कह रहा था कि मुझे पलक के लिए आर्य दे दो। और ये बात अभी-अभी मेरे दिमाग में नहीं आया, बल्कि कई सालो से भूमि दीदी के दिमाग में थी। मुझे भी उन्होंने कुछ दिन पहले ही बताया। मुझे तब भी आर्य पसंद था और अब तो पलक के लिए उससे बेहतर कोई लड़का मुझे नजर ही नहीं आ रहा।"..


मीनाक्षी:- क्यों उज्जवल बाबू देख रहे हो जमाना। खुद की शादी हुई नहीं, उससे छोटी नम्रता की शादी हुई नहीं और सबसे छोटी का लगन की बात कर रहा है।


भूमि:- हुई कैसे नहीं है। लगभग हो ही गई समझो। वो तो चाकू वाला कांड हो गया, वरना 2 दिन पहले मुक्ता का रिश्ता राजदीप से और माणिक का रिश्ता नम्रता से तय हो जाना था। चाकू वाले कांड के बाद मुझे यकीन था कि अब दोनों परिवार के बीच क मामला सैटल हो ही जाना है। इसलिए महानुभावों, जिसका नंबर जैसे आए उसका फाइनल करते चलो ना रे बाबा।"

"छोटे हैं सबसे तो सबसे आखिरी मे शादी करेंगे, तबतक हक से प्रेमी जोड़े की तरह उड़ते फिरेंगे। हमे भी कोई फ़िक्र ना रहेगी की किसके साथ दोनो घूम रहे। सहमत हो तो हां कहो, वरना मै अपने बच्चे को कह दुं, जा बेटा जबतक मै तेरे लिए को लड़की ना देख लेती, तबतक गर्लफ्रेंड-ब्वॉयफ्रेंड खेल ले। उधर से कोई पसंद आयी तो ठीक वरना किसी से तय कर दूंगी रिश्ता।


जया:- मतलब सबके शादी की मिडीएटर तू ही है।


भूमि:- मासी मै अपने बच्चे के लिए ये रिश्ता फाइनल करती हूं।


जया:- बच्चा तो ठीक है, लेकिन ये जयदेव कहां है, दादी तो बन गए नानी कब बनूंगी, उसपर भी बात कर ले।


भूमि:- खामोश बिल्कुल जया कुलकर्णी। अभी मेरा मुद्दा किनारे रखो। हद है ये आर्य कहां है उसे बुलाओ और सामने बिठाओ… मासी, आई, देख लो अपनी बहू को। पीछे की बात ना है सामने ही बता दो कैसी लगी...


मीनाक्षी:- हम दोनों को तो सीढ़ियों पर ही पसंद आ गई थी। बाकी अभी जमाना वो नहीं है। आर्य और पलक को सामने बिठाओ और उनसे भी पूछ लो।


पीछे से वैदेही आर्य को लेकर नीचे आ गई। उसे ठीक पलक के सामने बिठाया गया। आर्य को देखकर अक्षरा… "मेरे पास एक और चाकू है। पेट के दूसरे हिस्से में जगह है तो घोपा लो।"


आर्य:- सॉरी आंटी।


भूमि:- लड़की तेरे सामने है, ठीक से देख ले और बता कैसी लगी। बाद में ये ना कहना कि पूरे परिवार ने घेर कर फसाया है। पलक तुम भी देख लो। और हां जो भी हो दोनो क्लियर बता देना। किसी को चाहते हो कोई दिल में पहले से बसा है.. फला, बला, टला कुछ भी...


आर्य, पलक को एक नजर देखते… "मुझे पलक पसंद है।"


पलक:- मुझे भी आर्य पसंद है लेकिन अभी मै लगन नहीं करूंगी।


भूमि:- पढ़ाई पूरी होने के बाद ठीक रहेगा।


पलक:- हम्मम !


भूमि:- तो ठीक है, राजदीप और नम्रता की शादी के बाद अच्छा सा दिन देखकर दोनो की सगाई कर देंगे और पढ़ाई के बाद दोनो की शादी। बाकी लेन–देन।की बात आप सब फाइनल कर लो।


मीनाक्षी:- मेरा बेटा अभी से बीएमडब्लू बाइक पर चढ़ता है इसलिए उसे एक बीएमडब्लू कार तो चाहिए ही।


भूमि:- ठीक है दिया..


जया:- लेकिन तू क्यों देगी..


भूमि:- मेरी बहन है, एक बहन नम्रता को उतराधिकारी घोषित की हूं, तो दूसरी को उसके बराबर का कुछ तो दूंगी ना। इसलिए जल्दी-जल्दी डिमांड बताओ, इसके शादी कि सारी डिमांड मेरे ओर से।


राजदीप:- दीदी सब तुम ही कर दोगी तो फिर हम क्या करेंगे?


भूमि:- तू दूल्हे की जूते चोरी करना।


पूरे परिवार में हंसी-खुशी का माहौल सा बन गया। इतने बड़े खुशी के मौके पर सभी लोग गाड़ियों में भर के "अदसा मंदिर" के ओर निकल गए। पूरा परिवार साथ था केवल आर्यमणि को छोड़कर। वो रुकने का बहाना करके घर में ही लेटा रहा। एक सत्य ये भी था कि चाकू लगने के 2 घंटे तक आर्यमणि ने घाव को भरने नहीं दिया था। लेकिन जैसे ही वो हॉस्पिटल से बाहर आया, उसके कुछ पल बाद ही आर्यमणि का घाव भर चुका था।


हर रोज वो ड्रेसिंग से पहले खुद के पेट में चाकू घोपकर घाव को 2 दिन पुराना बनाता ताकि किसी को भी किसी बात का शक ना हो। पूरे परिवार के घर से निकलते ही, आर्यमणि अपने काम में लग गया। वैधायण और उसके कई अनुयायि के सोध की वो किताब, एक अनंत कीर्ति की किताब, जिसमे कई राज छिपे थे।


नियामतः ये किताब भारद्वाज परिवार की मिल्कियत नहीं थी और खबरों की माने तो वो किताब इस वक़्त आर्यमणि के मौसा सुकेश भारद्वाज के पास रखी हुई थी। आर्यमणि पहले से ही अपनी मासी और मौसा के कमरे में था, और पिछले 3 दिनों से हर चीज को बारीकी से परख रहा था।


ऊपर के जिस कमरे में आर्यमणि था उसे भ्रमित तरीके से बनाया गया था। आर्यमणि जिस बड़े से कमरे में था, उस इकलौते कमरे की लंबाई लगभग 22 फिट थी, जबकि उसके बाएं ओर से लगे 6 कमरे थे, जिनकी लंबाई 14 फिट की थी। पीछे का 8 फिट का हिस्सा शायद कोई गुप्त कमरा था जिसका पता आर्यमणि पिछले 2 दिन से लगा रहा था।


गुप्त कमरा था इसलिए वहां जबरदस्ती नहीं जाया जा सकता था क्योंकि सुरक्षा के पुरा इंतजाम होगे और एक छोटी सी भुल मंजिल के करीब दिखती चीजों को मंजिल से दूर ले जाती। आर्यमणि बड़े ही इत्मीनान से रास्ता ढूंढ रहा था तभी उसके मोबाइल की रिंग बजी…. "हां पलक"..


पलक:- वो इन लोगों ने कहा कि मै तुमसे..


आर्य, अपना पूरा ध्यान दरवाजा खोलने में लगाते हुए… "हां पलक।"..


पलक:- इन लोगों ने मुझसे कहा कि मै तुमसे पूछ लूं, दवा लिए की नहीं..


आर्य:- सुनो पलक तुम इतना "इन लोगों में और उन लोगों में" मत पड़ो, जब इक्छा हो तब फोन कर लिया करो।..


"इनको–उनको, इनको–उनको, इनको–उनको… ओह माय गॉड ये गुप्त कमरे का दरवाजा इंडायेक्ट भी तो हो सकता है।"… पलक का दूसरों को नाम लेकर आर्यमणि फोन करना, 3 दिन से फंसे एक गुत्थी के ओर इशारा कर गया... आर्यमणि संभावनाओं पर विचार करते...


"अगर मै यहां कोई सुरक्षित कमरा बना रहा होता तो कैसे बनाता। 6 लगातार कमरे के पीछे है वो गुप्त कमरा। मुझे अगर इन-डायरेक्ट रास्ता देना होता तो कहां से देता। ऐसी जगह जहां सबका आना जाना हो, जहां सब कुछ नजर के सामने हो।"..


आर्यमणि अपने मन में सोचते हुए खुश होने लगा।… "आर्य क्या तुम मुझे सुन रहे हो।" उस ओर से पलक कहने लगी।… "हेय पलक, मैंने दावा ले ली है। और हां लव यू बाय"… आर्यमणि फोन रखकर नीचे हॉल में पहुंचा और चारो ओर का जायजा लेने लगा। ना फ्लोर में कुछ अजीब ना दीवाल में कुछ अजीब, तो फिर गुप्त कमरे का रास्ता होगा कहां से। आर्यमणि की आखें लाल हो गई, दृष्टि बिल्कुल फोकस और चारो ओर का जायजा ले रहा था। दीवार के मध्य में जहां टीवी लगीं हुई थी, वहां ठीक नीचे 3–4 स्विच और शॉकैट लगा हुआ था। वहां वो इकलौता ऐसा बोर्ड था जो हॉल में लगे बाकी बोर्ड से कुछ अलग दिख रहा था।


आर्यमणि वहां पहुंचकर नीचे बोर्ड पर अपना लात मारा और सभी स्विच एक साथ ऑन कर दिया। जैसे ही स्विच ऑन हुआ कुछ हल्की सी आवाज हुई।… "कमाल का सिविल इंजीनियरिंग है मौसा जी, स्विच कहीं है और दरवाजा कहीं और।" लेकिन इससे पहल की आर्यमणि उस गुप्त दरवाजे तक पहुंच पता, शांताराम के साथ कुछ हथियारबंद लोग अंदर हॉल में प्रवेश कर चुके थे।
awesome update sir

kya tarike se aapne do pariwaro ko milaya hai sir. akshara ke bhai ke sath jo hua bura hua lekin isme kahi se bhi jaya ya minakshi ki koi galti nahi thi balki ye to khud akshara ke bhai ka faisla tha jo ki kafi had tak sahi bhi tha par ek suspense to sir aapnne yaha bhi chod hi diya ki jb sari planning ho gayi thi ki jaya ke bhagne ke bad manish sikkim chala jayega to fir use vaha jane se pahle wolfben kisne diya ya fir usne sach me aatmhatya hi ki thi...

ek aur bat manish ke sath jo bhi hua ho to arya ke sath bhi wohi raha hai to jb sbko arya ke wolf hone ki bat pata chalegi tb unka expression kya hoga ye janne ki ab jyada jaldi rahegi dekhte hai nain sir kb tak isse parda uthate hai....

iss update me aap ne do pariwaro ko to milaya hi but jaisa arya ki soch thi ab poori family hi uski aur palak ki shadi karwana chahti hai aur iss love story ko arrange marriage ka roop bhi de diya gaya hai...

aryamani ab anant kirti kitab ke piche hai jisme chipe raj arya janna chahta hai but wo raj akhir hai kya? ye to aage hi pta chalega but usse pahle jaisa ki nain sir ki aadat hai yaha bhi unhone suspense akhir chod hi diya ki ye shyamlal jo minakshi ke pariwar ka wafadar hai ye kis mansa se ghar me hathiyar band logo ko liye ghusa hai kya uski koi galat mansa hai ya wo sirf us anantkirti kitab ki safety ke liye hi aisa kiya hai.
ab ye to aane wale update me hi pata chalega to sir agle update ka besabri se intzar hai...
 

nain11ster

Prime
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To ye tha panga nain11ster bhai.
Lakin ye batayiye kya manish abhi bhi wolf ki life ji raha hai ya wo such me sucide karke upar nikal chuka hai. Aur yaha to ek sath tin riste bhi pakke ho gaye hai. Aur bhumi ne apna promise bhi pura karwa diya ki wo kud arya ke muh se bulwayegi ha. Aur ye anant kirti Dr. Strang ke movie wala kirab yaha kya kar rahi hai. Chlo iska bhi part suru ho gaya. Aur ab kya hoga ab to sub yaha aa gaye hai. Lakin mujhe to lagta hai arya badi aasani se abki tahla dega ki galti se ye sub ho gaya hai usase aur ya wo kahega is switch me aisa kya hai mai to tv dekhne aaya tha. Jo bhi ho dekhte hai aage aur kya hota hai.
Manish mar chuka hai... Aur baki to sab jai-jai hi raha .. anant kirti vastavik me ek hindi ke shabd hai... Jinka anuvad dubbed me kiya gaya tha aur main ye type karte kab so gaya pata bhi na chala... Aacharya ye bhi raha ki kab maine ye reply post kiya mujhe khud yad nahi :D
 
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एक आम घटना को कैसे कम्पलिकेटेड बनाया जा सकता है वो नैन भाई से कोई सिखे !
इस अध्याय में सब कुछ सामान्य ही था लेकिन समझने के लिए मुझे दो बार पढ़ना पड़ा ।
इस अध्याय के अनुसार मुझे यही लगा कि जया और केशव में कभी प्रेम था ही नहीं । शादी के मंडप से जया का भागना मनीष से मशविरे के बाद लिया गया था । कारण मनीष का एक्सिडेंटल वेयरवोल्फ बनना । लेकिन फिर भी यह राज ही रह गया कि मनीष गंगटोक न जाकर मृत्यु को कैसे प्राप्त हो गया ।
शायद केशव जी ने अपने फ्रेंड मनीष के लिए ऐसा कदम उठाया था । जया जी के साथ उनका विवाह परिस्थितिवश हुआ था ।

हुबहू ऐसा ही तो आर्य मणि के साथ भी हुआ था । एक बार फिर से वही कहानी सामने दिख रही है । पलक के साथ उसका विवाह मुझे दूर की कौड़ी ही लग रहा है ।

सुकेश भारद्वाज का घर , घर नहीं एक तिलिस्म लग रहा है । एक खुफिया तहखाना भी बना हुआ है जिसकी खबर चुनिंदा लोगों को छोड़कर शायद ही किसी को हो ।
वैधायण की बुक्स भी काफी रहस्यमय किताब प्रतीत हो रहा है और वो भी सुकेश जी के संरक्षण में ही है ।
देखते हैं इस विलक्षण किताब की क्या विलक्षणता है !
शामलाल साहब एक आम सर्वेंट नहीं बल्कि सिपहसालार लग रहे हैं भारद्वाज फेमिली की ।

बहुत ही खूबसूरत अपडेट नैन भाई ।
आउटस्टैंडिंग एंड अमेजिंग एंड ब्रिलिएंट ।
 

Chutiyadr

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कहानी के प्रमुख पात्र



आर्यमणि का परिवार..
दादा:- वर्धराज कुलकर्णी
पिता:- केशव कुलकर्णी (डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट) इसके पैतृक पक्ष से कोई भी नहीं।
माता:- जया कुलकर्णी (हाउस वाइफ)

(केशव और जया की लव मैरिज हुई थी)

जया कुलकर्णी की बड़ी बहन और आर्यमणि की मासी:- मीनाक्षी भारद्वाज (हाउस वाइफ)
मौसा:- सुकेश भारद्वाज (काम काज से रिटायर्ड अरबपति)
मौसेरा भाई:- तेजस भारद्वाज (अरबपति)
मौसेरे भाई की पत्नी और आर्य की भाभी:- वैदेही भारद्वाज (एक्टिव सोशल वर्कर)
तेजस और वैदेही का एक बेटा:- मयंक भारद्वाज
उनकी बेटी:- शैली भारद्वाज
मौसेरी बहन:- भूमि देसाई (अरबपति और वर्किंग वूमेन)
मौसेरी बहन का पति और जीजा:- जयदेव देसाई (अरबपति और वर्किंग वूमेन)
जयदेव पवार की बहन:- रिचा देसाई
जयदेव पावर का पिता, और भूमि का ससुर:– विश्वा देसाई

ननिहाल के परिवार के सबसे छोटे सदस्य और मामा:- अरुण जोशी (अरबपति बिजनेसमैन) निवास.. मुंबई
मामी:- प्रीति जोशी (पति के साथ बिजनेस देखती है)
ममेरा भाई:- वंश जोशी (बीबीए, सेकंड ईयर स्टूडेंट)
ममेरी बहन:- निर जोशी (12th स्टूडेंट)

आर्यमणि के प्रारंभिक जीवन के लोग..


आर्यमणि के बचपन के 2 दोस्त..

निशांत और चित्रा:- जुड़वा भाई बहन..
पिता:- राकेश नाईक (पुलिस कमिश्नर, और पुस्तैनी पैसे वाले करोड़पति)
माता:- निलांजना (हाउस वाइफ)

(दोनो की मुलाकात एक फंक्शन में हुई थी, नजरे मिली और राकेश, निलंजना के घर पर शादी का प्रस्ताव भेजा। एक ही समूह से जुड़े होने के कारन इनके मुखिया ने खुशी खुशी दोनो की शादी के लिए मंजूरी दे दी)

मैत्री लोलचे ( आर्यमणि के बचपन का पहला प्यार, एक सुपर नेचुरल)


सुपर नेचुरल कैरेक्टर..

ईडन एक फर्स्ट अल्फा 8 अल्फा पैक के साथ जर्मनी के वुल्फ हाउस में रहती है। जहां आर्यमणि का पहला प्यार मैत्री लोपचे का पैक भी रहता था।

ओशुन (व्हाइट फॉक्स और एक अल्फा की शक्ति से थोड़ी कम शक्तियां).. अपने जैसे इकलौती और ईडन के साथ पैक में रहने वाली।


वैधयन भारद्वाज… लगभग 500 वर्ष पूर्व का नाम एक मजबूत साख जिसके साथ कई लोग जुड़े थे। शुरवात में विशुद्ध ब्राह्मण का एक समूह, जो मिलकर काम करना शुरू किया। ये समूह काफी संगठित और क्षमता वाले थे जिन्होंने गुप्त रूप से प्रशाशनिक सेवा में अपना योगदान दिया और महाराष्ट्र के सबसे अमीर समूह बन गए। तत्काल समय में भी यह समूह एक जुट होकर रहते है और इनकी साख इतनी गहरी है कि कोई भी इनसे उलझता नहीं।

तत्काल समय कि बात करे तो वैधयान वंश के 2 चचेरे भाई बिल्कुल खड़े है, और बाकी अन्य लोग गुमनामी के अंधेरों में चले गए।

दोनो चचेरे भाई में बड़ा भाई था सुकेश भारद्वाज यानी कि आर्यमणि का मौसा। भारद्वाज कुल का एक खड़ा चिराग..

शुकेश से छोटा है उसका चचेरा भाई:- उज्जवल भारद्वाज (रिटायर हेड मास्टर और अरबों की पुरखों की संपत्ति)
उसकी पत्नी:- अक्षरा भारद्वाज
बड़ा लड़का:- कमल भारद्वाज (सॉफ्टवेर इंजिनियर, यूएसए में सैटल)
कमल की पत्नी:- मिली भारद्वाज (सॉफ्टवेर इंजिनियर, यूएस में सैटल)
दूसरा लड़का:- राजदीप भारद्वाज… (नागपुर एसपी)
राजदीप के बाद पहली छोटी बहन… नम्रता (पोस्ट ग्रेजुएट, और पीएचडी करना चाहती है।)
दूसरी छोटी बहन::- पलक भारद्वाज ( इंजिनियरिंग स्टूडेंट)

कुछ और जरूरी पत्र हैं जिनके नाम अभी नही दिख रहे... कहानी के साथ आगे बढ़ते हुए उनका नाम भी अपडेट करता रहूंगा.…
Aapki story ke naam bhi bahut achche aur authentic lagte hai..
Ab inhi naamo ko apni stories me copy past karna hai :lol1:
 
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