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Fantasy Aryamani:- A Pure Alfa Between Two World's

nain11ster

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nain11ster

Prime
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Apasyu :wtfrol: 99.99% logo ne yah Bilkul bhi yah expect nhi kiya hoga or Unme se Mai bhi ek hu :hi: mind blowing superb awesome kya twist dale ho bhai jbtk apasyu ka naam nhi samne aa gya mujhe Bilkul bhi ummid nhi thi ki usse aise is kahani me mulakat hogi...
Arya or apasyu ki fight top notch or uske baad jo 110 ki speed se bhagaye Ho 2 mahine, padh kr anand aa gya bhai :applause: :applause:

Apasyu ke sath baki sabko apna family bna liya arya ne apne blood bond se, sabka dard bhi kheech liya sath hi jo pida thi vo bhi khatm kr di...
Vo bahu vala paragraph bhi sandar tha bhai...
Aapko ek baar fir se sailut karne ka man kr rha hai dil se bhaya :bow: ye dono update itne behtreen the ki meri Bolti band ho rhi hai Taareef ke sabd kam pad rhe hai...

Yha pr apasyu mere samne hota to Mai uske dono gaal kheekhta pakad kar, mere ko isqe risk se jyada cute laga idhar ka apasyu bhaya Vo innocence ke sath bolna uska...

Nishant ka ek baar fir yha masti bhara camiyo Jabardast lga, Chalo ek kaam yha ka Ho gya ki vo patthar ki jankari ho gyi unko, arya ne unke pasand ke anusar subject ka Sara gyan de diya Vahi apasyu ko un puri 400 kitabo ka gyan bhi de diya jo usne arjit kiya tha...

Arya ko guru ji ne apne dimag me upasthit jitna gyan tha sab Jabarjasti de diya or Uspr Amy bahu ka computer ki bhasa me kahna ki software upload kr diya hai ab Ise khud install kro, kafi gajab ka tha...

:applause: :applause: :applause:
Hahahaha kya joshila comment hai main bhi nishabd ho gaya hun ki kya reply dun... Bus moment ban raha tha aur samay bhi upyukt tha isliye introduce kar diya Apasyu ko... Aur aapke reaction dekh kar laga ki jitna ummid kiya tha reader khush honge us se kahin jyada khush hai ikka dukka exceptional case to har jagah hota hai... :D

Thanks for your joshila comment...
 

Sk.

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भाग:–72






अपस्यु और उसकी टीम जा चुकी थी। उनके जाने के साथ ही घर की चहल–पहल भी चली गयी। अलबेली, इवान और ओजल रोज सुबह से स्कूल में व्यस्त हो जाते। स्कूल खत्म करके तीनों वहीं से सीधा ड्राइविंग स्कूल और ड्राइविंग स्कूल से शाम को घर। टीन वुल्फ के लिये फिर भी काम मिल गया था, लेकिन आर्यमणि और रूही का ज्यादातर वक़्त खाली ही गुजरता। लगभग महीना दिन बीतने को आया, दिन में टीवी देखते हुये रूही कहने लगी…. "पड़े–पड़े कबतक दूसरो का पैसा खर्च करेंगे। 3 महीने में हम 30 हजार डॉलर फूंक चुके है।"


आर्यमणि:- क्या करे, कोई शॉप खोल लूं इधर।


रूही:- आइडिया बुरा नहीं है, हम मसालेदार इंडियन डिशेज बनायेंगे।


आर्यमणि:- और क्या होगा उस मसालेदार डिश में, भेजा फ्राई, कबाब, चिकन, मटन।


रूही:- तुम्हे नॉन भेज से इतनी एलर्जी क्यों है। इंसान भी तो खाते है।


आर्यमणि:– और तुम क्या हो जानवर..


रूही:– वही तो, नॉन वेज खाने के समय तुम हमे जानवर काउंट करते हो और सभी चीजों में विशेष इंसान। आम इंसानों की तरह ही यहां भी हमे काउंट किया जाना चाहिए।


आर्यमणि:- हां आम इंसान खाते है लेकिन तुम लोग विशेष इंसान हो। वॉयलेंटली खाओगे, जो तुम्हारे स्वभाव को बदलेगा। यूं समझ लो एक तरह का ज़हर है जो एग्रेसिव बनायेगा।


रूही:- मानती हूं, तो क्या हफ्ते 10 दिन में एक दिन तो पका लेने दो। उन तीन मासूमों का भी तो ख्याल करो।


आर्यमणि:- अच्छा ठीक है आज रात पका लेना।


रूही:- जे बात। थनकू सो मच।


आर्यमणि:- आज रात, रात्रि चरते है। देखते है यहां की नाइट लाइफ।


रूही:- आइडिया बुरा नहीं है, इन तीनों का क्या?


आर्यमणि:- तीनों के सोने के बाद चलेंगे।


आज शाम चारो की अच्छी दावत हुई। चारो ही शाम से खाना शुरू किये। रात सोने से पहले तक डाकर ले लेकर खाये और मस्त चकाचक नींद मारकर सो गये। रात को लगभग 11 बजे आर्यमणि और रूही पैदल सड़कों पर घूमने निकले।


रूही:- आर्य तुम किस सवाल का जवाब ढूंढते हुये नागपुर पहुंचे थे।


आर्यमणि:- था एक बकवास सवाल, जिसने जिंदगी बदल डाली।


रूही:- हाहाहाहा… हां वरना अभी तक तो सर नागपुर में पुरा रंग जमा चुके होते।


आर्यमणि:- कहना क्या चाहती हो.. ???


रूही:- हम यहां लाइफ जीने आये थे। हर मुश्किल और हर सवालों से दूर एकांत की एक जिंदगी, लेकिन जब यहां आकार जीने की कोशिश कर रही हूं तो जीना इतना मुश्किल क्यों लग रहा है?


आर्यमणि:- क्योंकि जब हमारे पास करने को कुछ नहीं होता तो ऐसे ही बकवास बातें दिमाग में आती है।…. जिंदगी में इतनी तन्हाई क्यों है? क्यों लोग आज कल स्वार्थी हो रहे है? मेरे जीने का मकसद क्या? कभी-कभी लगता है मेरे साथ ही ऐसा क्यों होता है?


फटाक, एक जोरदार पंच और आर्यमणि की नाक टूट गयी। वो अपने नाक पर रुमाल लगाकर कुछ बोलने ही वाला होता है कि सड़क पर चल रही एक बेकाबू कार पलट जाती है, जो लगभग 20 फिट घिस्टाते हुए एक पोल से जा टकराती है। दोनो दौड़कर वहां पहुंचे और कार में फसे व्यक्ति को निकालने की कोशिश करने लगे। वो आदमी सीट बेल्ट लगाये अंदर फसा था। गाड़ी पलटने के कारण पेट्रोल सड़क पर बह रहा था। रूही को लगा कोई भी सिगरेट पीता आदमी इधर से गुजरा तब तो अपने साथ-साथ पूरे कार को भी फ्राय कर देगा। रूही जबतक मिट्टी वगैरह डालकर वहां बचाव कर रही थी, आर्यमणि उसका सीट बेल्ट खोलते… "रूही इसका पाऊं तो बोनट में फसा हुआ है, तुम एम्बुलेंस को कॉल करो।"..


रूही एम्बुलेंस को कॉल करने लगी, तभी आर्यमणि को मेहसूस हुआ उस आदमी की धड़कन गायब हो रही है। अपना हाथ लगाकर उसने हील करना शुरू किया। जैसे ही हीलिंग शुरू हुई, आर्यमणि किसी तरह खुद को शांत रखने की कोशिश करने लगा। हील करते हुये आर्यमणि को काफी पीड़ा हो रही थी। वह आदमी कार एक्सीडेंट से नही मरता तो भी उसके शरीर में फैल रहा जहर उसे मार देता। आर्यमणि की हीलिंग जैसे ही खत्म हुई, वहां पुलिस और एम्बुलेंस भी आ पहुंची।


उन दोनों का एड्रेस और बयान दर्ज करके पुलिस वाले ने दोनों को जाने के लिए बोल दिया। दोनो वहां से निकले…. "क्या हुआ, उसके खून की खुशबू से परेशान हो।"


रूही:- हां, आर्य बहुत ही अलग खिंचाव होता है ताज़ा कटे खून में, ऊपर से इंसान का हो तो पता नहीं दिमाग में क्या होने लगता है। तुम्हे कभी ऐसा फील नहीं हुआ क्या?


आर्यमणि:- हां पहली बार चित्रा का खून देखकर। तुम्हारे जितना तो नहीं, लेकिन थोड़ा सा खिंचाव था। दरअसल सरदार की गली में हमेशा कटे मांस और खून के गंध पर ही तुम और अलबेली पली बढ़ी हो। उन लोगों ने तुम्हे काबू करने के बदले उन्हें नोचना सिखाया था इसलिए इतना आकर्षण हैं। वैसे ये अच्छा आइडिया है, ब्लड के आकर्षण को काबू करना, कंट्रोल का अच्छा एक्सरसाइज होगा।


अगली सुबह, चारो को खड़ा करके एक बड़ा सा माउंटेन एश का सर्किल बाना दिया गया। आर्यमणि ने एक बकड़े में थोड़ा सा सुराख करके उनके नजदीक रखा और खून की गंध पर काबू पाने की ट्रेनिंग शुरू कर दी। आकर्षण ऐसा था कि उसे पाने के लिए तीनों टीन वुल्फ माउंटेन एश के सर्किल से बाहर आने की जद्दो–जहद करते रहे, और अपनी सारी ऊर्जा उसी में गवा बैठे। माउंटेन एश के सर्किल को हाथ लगाना ही एक सदमे जैसा अनुभव था, और तीनो ने तो काफी ज्यादा जोर लगा दिया था।


ओजल, इवान और अलबेली तीनों को जब सर्किल से बाहर निकाला गया, बेसुध होकर वहीं हॉल में ही लेट गये। जानवर के खून के प्रति रूही का आकर्षण उतना नहीं था, इसलिए वो शांत बस सबके साथ खड़ी रही… रूही उनकी हालत को देखकर आगे बढ़ी हील करने… "नहीं ये हील नहीं होंगे। छोड़ दो ये खुद से रिकवर हो जायेंगे शाम तक।"


रूही:- माउंटेन एश का प्रभाव हम पर इतना क्यों है।


आर्यमणि:- ये एक प्रकार का पौधा है जो हिमालय के ऊंची चोटियों पर पाया जाता है, ग्रीन हाउस बनाकर शिकारी भी इसकी खेती करते है। कहा जाता है यह एक बैरियर है, जो एक दुनिया को दूसरे दुनिया में बांध देता है।


रूही:- तो क्या हम इस बैरियर को पार नहीं कर पायेंगे।


आर्यमणि:- ना तो तुम पूर्ण इस दुनिया की होकर रहना चाहती हो, ना तो तुम पूर्ण उस दुनिया की। इसलिए तुम ये बैरियर पार नहीं कर सकती।


रूही:- लेकिन ओजल और इवान का इंसानी पक्ष ज्यादा मजबूत है, फिर वो क्यों नहीं इस बैरियर से बाहर निकल पाये?


आर्यमणि:- तुम्हे पता है एक अल्फा हिलर इस बैरियर को बहुत आसानी पार कर ली थी और फिर….


रूही:- क्या हुआ क्या सोचने लग गये?


आर्यमणि:- तुम्हे पता है पलक की कोई भी इमोशंस तुम्हे मेहसूस क्यों नहीं हुये?


रूही:- क्यों?


आर्यमणि:- क्योंकि वो सब भी एक सुपरनेचुरल है, जिन्हे इंसानी दुनिया में रहने के लिए ट्रेंड किया गया है। इसका मतलब ये हुआ कि वो जो सरदार खान कह रहा था उनका मालिक अपेक्स सुपरनेचुरल है वो वाकई में सही कह रहा था। प्रहरी में कुछ लोग सुपरनेचुरल होते है, तो कुछ लोग आम इंसान।


रूही:- अब एक माउंटेन एश की बात पर इतनी समीक्षा क्यों?


आर्यमणि:- "सरदार खान की लगभग 400 साल पुरानी याद में एक जगह वर्णित है, नालंदा विश्वविद्यालय। वहां से 10 किलोमीटर पश्चिम में वो गया था, किसी आचार्य से मिलने। मुझे अच्छे से याद है उसके पीछे 8-10 साये थे। यानी कुछ लोग थोड़े दूरी पर खड़े थे जिसकी परछाई सरदार खान के पास तक आ रही थी, और सरदार खान रह-रह कर उस परछाई को देख रहा था। जबकि आचार्य सरदार से नजरे मिलाकर बात कर रहे थे।"

"उसके बाद सरदार खान के कुछ दिनों की यादें नहीं थी। लेकिन एक साल बाद की याद में सरदार खान वहीं आचार्य के पास था और उसके पीछे कुछ शिष्य खड़े थे। इस बार भी आचार्य सरदार खान को ही देख रहे थे, लेकिन वो रह रहकर आचार्य के पीछे खड़े लड़को को देख रहा था।"

"अगर दोनो घटना में कुछ सामान्य था, वो था आचार्य के कुटिया के पास की वो रेखा और दोनो ही दिन में कुछ लोगो का होना। जहां पहली मुलाकात में कुछ लोग सरदार खान के बहुत पीछे खड़े थे और सरदार खान खींची लाइन के बाहर खड़ा होकर आचार्य से बात रहा था… "कुछ शिष्य आपकी सेवा में आना चाहते है।" वहीं दूसरी चर्चा में कुछ शिष्य आचार्य के पीछे खड़े थे और सरदार खान ने कहा था…. "आप है तो सब संभव है आचार्य।" और सबसे बड़ी बात एक शिष्य जब आचार्य की खींची रेखा को पार कर रहा था, सरदार खान के चेहरे के भाव कुछ पल के लिए बदल गये थे।"


रूही:- इसका मतलब तुम कहना चाह रहे हो की वो जो 8-10 लोग थे वो सुपरनेचुरल थे, जिन्हे अचार्य ने माउंटेन ऐश की खींची रेखा से निकलना सिखाया।


आर्यमणि:- हां, 100 फीसदी सुनिश्चित, क्योंकि परिवार के अंदर जो भसर मची है, सिर्फ इसी एक पॉइंट की वजह से। ये जो खुद को एपेक्स सुपरनेचुरल मानते है, उन्हे बस अपने जैसों से प्यार होता है। जैसे की मेरे मौसा के घर में, भूमि दीदी इंसान के रूप में पैदा हुई, इसलिए वो अलग है और उसके लिये इमोशन भी अलग है जबकि तेजस उन्ही जैसा सुपरनेचुरल है, इसलिए तेजस के लिये अलग इमोशन..


रूही:– ये तो बड़ी खबर है। तो क्या इनके सुपरनेचुरल होने के कारण ही हम उनके इमोशन को नही पढ़ सकते..


आर्यमणि:– जहीर सी बात है, इसी एक पहचान के कारण मुझे भी पता चला था की मेरे मौसा–मौसी और तेजस परिवार में एक जैसे है और बाकी सब अलग।


रूही:– किस प्रकार के सुपरनेचुरल है ये लोग, जो खुद को शर्वश्रेठ की श्रेणी में मानते है।


आर्यमणि, जोर से चिल्लाते... "मैं जान गया, मैं जान गया की ये लोग किस प्रकार के सुपरनेचुरल है। ये पृथ्वी पर पाये जाने वाले एक भी सुपरनेचुरल में से नही है। बल्कि... बल्कि ये लोग किसी दूसरे ग्रह के निवासी है। इनके पास जो पृथ्वी से लेकर अन्य ग्रह के मानव प्रजाति के क्लासिफिकेशन का संग्रह है, इस से यही लगता है की इन्होंने कई ग्रहों का भ्रमण भी किया है, और वहां बसने वालों का पूर्ण अवलोकन किया है। हां लेकिन उस पुस्तक में इन्होंने अपना कहीं क्लासिफिकेशन नही लिखा है।"


रूही:– साले हरामि एलियन.. आर्य ये किस प्रकार के एलियन हो सकते है। और इनके पास कैसी ताकत हो सकती है?


आर्यमणि:– अनोखे पत्थर का प्रयोग जानते है। हवा को कंट्रोल कर सकते है। और क्या खास है वो पूरा पता नही। अपने समुदाय को छोड़कर बाकियों के लिये कोई इमोशन नही। साधुओं से इन्हे खतरा लगता है। खासकर सात्विक आश्रम से और ये लोग किसी वेयरवॉल्फ के झुंड का शिकर भी हो सकते थे। इसलिए वेयरवोल्फ को अपने नियंत्रण में रखते हैं और सात्विक आश्रम को तो कभी खड़ा ही नहीं होने दिया। न जाने कितने साधुओं को मारा होगा इन्होंने..


रूही:– बॉस इतनी गहरी समीक्षा। चलो एक बात तो मान सकती हूं कि सिद्ध पुरुष से उन्हे खतरा है। लेकिन वेयरवॉल्फ... नागपुर के जंगलों में उन एलियन ने तुम्हारा क्या हाल किया था, वो भूल गये क्या?


आर्यमणि:– मैं कुछ नहीं भूलता। सुनो अब ऐसा तो है नही की जिन शक्तियों के साथ ये लोग पहुंचे थे, उन्ही शक्तियों पर आज तक टिके रहे। इनके पास ऐसे पत्थर है जो दूसरों की शक्तियों को अपने अंदर निहित कर सकते है। मैं अभी बता तो नही सकता की उनके पत्थर किस प्रकार की शक्तियों का अधिग्रहण कर लेते है, लेकिन इतना जरूर बता सकता हूं कि वेयरवोल्फ के झुंड ने सीक्रेट प्रहरी का शिकर किया था, इसलिए वेयरवोल्फ के बहुत सी शक्तियों को इन लोगों ने चुरा लिया। इनका दिमाग तब चक्कर खा गया होगा जब वेयरवोल्फ के बारे में इतनी गहराई से जानने और उन्हें अपने नियंत्रण में रखने के बावजूद तुम्हारी मां ने सकडों वर्ष बाद एलियन का शिकर कर लिया था।


रूही:– क्या मेरी मां ने.. ये कैसे कह सकते हो...


आर्यमणि:– "इसमें कैसे वाली तो कोई बात ही नही है। शुरू से उन एलियन के लिये वेयरवोल्फ एक दुश्मन रहा था। एक तो वेयरवोल्फ के खुद की शक्तियां उसके ऊपर इनके झुंड की ताकत, इसके सामने ये एलियन घुटने टेकने पर मजबूर हो जाते होंगे। बाद में इन लोगों ने वेयरवोल्फ पर रिसर्च किया और बहुत से पावर को चोरी कर लिये। इंसानों के मुकाबले वेयरवोल्फ काफी ताकतवर और अकर्मक होते है। इन्हे करप्ट करना काफी आसान होता है, इसलिए इन लोगों ने प्रहरी संस्था में अपनी घुसपैठ बनाई होगी। या नहीं तो पूरे प्रहरी को ही समाप्त करने के बाद पूरे प्रहरी समाज को अपने अनुरूप ढाल दिया होगा।"

"सकड़ों वर्षों बाद अमेजन के जंगलों फेहरीन के झुंड से प्रहरी का सामना हो गया था। संभवतः वह सीक्रेट प्रहरी का झुंड था और पहली बार किसी ट्रू अल्फा से भिड़ रहे थे। फेहरीन नागपुर लायी गयी, तब सरदार खान ने पहली मुलाकात में ही कहा था, "एक को मारने में अपने पूरे पैक को दाव पर लगा दी।"… लेकिन फेहरीन ने जो जवाब दिया वह सरदार खान के मस्तिष्क से गायब था। सीधे दूसरे सवाल परपहुंच गया.… "कैसे बचकर निकल गयी थी तू उस घेरे (माउंटेन ऐश) से।"… और तुम्हारी मां ने कहा था… "तुम्हारी आत्मा तक काली है सरदार।"…

"फेहरीन की एक और बात रह-रह कर याद आती है जब वो सरदार से कह रही थी… "तुम सिर्फ अपने दहाड़ के कारण मुझसे बेहतर हो, और मैंने हमेशा अपने जंगल को बचाया है इसलिए किसी को मरता नहीं देख सकती, और ना ही तुम्हारे नियंत्रण को मै अपने ऊपर से हटा पाती हूं, यही मेरी विवस्ता है।"


रूही:- मेरी आई बेस्ट थी, लेकिन प्रहरी ने उनके साथ बहुत बुरा किया। खैर भावनाएं अपनी जगह लेकिन मुझे ये समझा सकते हो की उन्हे मारने के बदला उन एलियन ने आई को सरदार खान की नरक में क्यों ले आये?


आर्यमणि:- फेहरीन एक ट्रू अल्फा हीलर थी। जिसने सैकड़ों वर्षों बाद उन एलियन को धूल चटाया था। शायद फेहरीन के पावर को चोरी करने के इरादे से नागपुर लेकर आये होंगे। लेकिन ऐसा हो न सका। एलियन को शायद पता न था कि ट्रू अल्फा की पावर चुरायी नही जा सकती। यह काम न तो उनके पत्थरों से हो सका और न ही ये काम सरदार खान कर सकता था। तुम्हे पता है ओजल और इवान को क्यों ये एलियन पैदा होने के साथ ही मार देना चाहते थे...


रूही:– क्यों?


आर्यमणि:– क्योंकि वह नही चाहते थे कि वेयरवोल्फ के साथ उनका कोई हाइब्रिड बच्चा हो। लेकिन सुकेश भारद्वाज से यह गलती हो चुकी थी। अब किस परिस्थिति में यह गलती हुई, ये तो सुकेश, मीनाक्षी, उज्जवल या अक्षरा ही बता सकते है, लेकिन उन्हें भी अंदाजा न होगा की जिस स्त्री को इतने सारे लोग नोच रहे, उनमें से फेहरीन के कोख में सुकेश का ही बच्चा ठहर जायेगा। बच्चा जब पैदा हुआ होगा तब उन एलियन को भी जानकारी हुई होगी। या फिर सरदार खान समझ गया होगा और उसी ने एलियन को बताया हो.. कुछ पक्का नही कह सकते। लेकिन सुकेश को खबर मिल चुकी थी। एक तो वेयरवोल्फ पुराना दुश्मन। उसमे भी एक ट्रू अल्फा का बच्चा उन एलियन के अनुवांशिक गुण वाला। ये हाइब्रिड उनके लिये सर दर्द देने वाला था।

भाग:–72






अपस्यु और उसकी टीम जा चुकी थी। उनके जाने के साथ ही घर की चहल–पहल भी चली गयी। अलबेली, इवान और ओजल रोज सुबह से स्कूल में व्यस्त हो जाते। स्कूल खत्म करके तीनों वहीं से सीधा ड्राइविंग स्कूल और ड्राइविंग स्कूल से शाम को घर। टीन वुल्फ के लिये फिर भी काम मिल गया था, लेकिन आर्यमणि और रूही का ज्यादातर वक़्त खाली ही गुजरता। लगभग महीना दिन बीतने को आया, दिन में टीवी देखते हुये रूही कहने लगी…. "पड़े–पड़े कबतक दूसरो का पैसा खर्च करेंगे। 3 महीने में हम 30 हजार डॉलर फूंक चुके है।"


आर्यमणि:- क्या करे, कोई शॉप खोल लूं इधर।


रूही:- आइडिया बुरा नहीं है, हम मसालेदार इंडियन डिशेज बनायेंगे।


आर्यमणि:- और क्या होगा उस मसालेदार डिश में, भेजा फ्राई, कबाब, चिकन, मटन।


रूही:- तुम्हे नॉन भेज से इतनी एलर्जी क्यों है। इंसान भी तो खाते है।


आर्यमणि:– और तुम क्या हो जानवर..


रूही:– वही तो, नॉन वेज खाने के समय तुम हमे जानवर काउंट करते हो और सभी चीजों में विशेष इंसान। आम इंसानों की तरह ही यहां भी हमे काउंट किया जाना चाहिए।


आर्यमणि:- हां आम इंसान खाते है लेकिन तुम लोग विशेष इंसान हो। वॉयलेंटली खाओगे, जो तुम्हारे स्वभाव को बदलेगा। यूं समझ लो एक तरह का ज़हर है जो एग्रेसिव बनायेगा।


रूही:- मानती हूं, तो क्या हफ्ते 10 दिन में एक दिन तो पका लेने दो। उन तीन मासूमों का भी तो ख्याल करो।


आर्यमणि:- अच्छा ठीक है आज रात पका लेना।


रूही:- जे बात। थनकू सो मच।


आर्यमणि:- आज रात, रात्रि चरते है। देखते है यहां की नाइट लाइफ।


रूही:- आइडिया बुरा नहीं है, इन तीनों का क्या?


आर्यमणि:- तीनों के सोने के बाद चलेंगे।


आज शाम चारो की अच्छी दावत हुई। चारो ही शाम से खाना शुरू किये। रात सोने से पहले तक डाकर ले लेकर खाये और मस्त चकाचक नींद मारकर सो गये। रात को लगभग 11 बजे आर्यमणि और रूही पैदल सड़कों पर घूमने निकले।


रूही:- आर्य तुम किस सवाल का जवाब ढूंढते हुये नागपुर पहुंचे थे।


आर्यमणि:- था एक बकवास सवाल, जिसने जिंदगी बदल डाली।


रूही:- हाहाहाहा… हां वरना अभी तक तो सर नागपुर में पुरा रंग जमा चुके होते।


आर्यमणि:- कहना क्या चाहती हो.. ???


रूही:- हम यहां लाइफ जीने आये थे। हर मुश्किल और हर सवालों से दूर एकांत की एक जिंदगी, लेकिन जब यहां आकार जीने की कोशिश कर रही हूं तो जीना इतना मुश्किल क्यों लग रहा है?


आर्यमणि:- क्योंकि जब हमारे पास करने को कुछ नहीं होता तो ऐसे ही बकवास बातें दिमाग में आती है।…. जिंदगी में इतनी तन्हाई क्यों है? क्यों लोग आज कल स्वार्थी हो रहे है? मेरे जीने का मकसद क्या? कभी-कभी लगता है मेरे साथ ही ऐसा क्यों होता है?


फटाक, एक जोरदार पंच और आर्यमणि की नाक टूट गयी। वो अपने नाक पर रुमाल लगाकर कुछ बोलने ही वाला होता है कि सड़क पर चल रही एक बेकाबू कार पलट जाती है, जो लगभग 20 फिट घिस्टाते हुए एक पोल से जा टकराती है। दोनो दौड़कर वहां पहुंचे और कार में फसे व्यक्ति को निकालने की कोशिश करने लगे। वो आदमी सीट बेल्ट लगाये अंदर फसा था। गाड़ी पलटने के कारण पेट्रोल सड़क पर बह रहा था। रूही को लगा कोई भी सिगरेट पीता आदमी इधर से गुजरा तब तो अपने साथ-साथ पूरे कार को भी फ्राय कर देगा। रूही जबतक मिट्टी वगैरह डालकर वहां बचाव कर रही थी, आर्यमणि उसका सीट बेल्ट खोलते… "रूही इसका पाऊं तो बोनट में फसा हुआ है, तुम एम्बुलेंस को कॉल करो।"..


रूही एम्बुलेंस को कॉल करने लगी, तभी आर्यमणि को मेहसूस हुआ उस आदमी की धड़कन गायब हो रही है। अपना हाथ लगाकर उसने हील करना शुरू किया। जैसे ही हीलिंग शुरू हुई, आर्यमणि किसी तरह खुद को शांत रखने की कोशिश करने लगा। हील करते हुये आर्यमणि को काफी पीड़ा हो रही थी। वह आदमी कार एक्सीडेंट से नही मरता तो भी उसके शरीर में फैल रहा जहर उसे मार देता। आर्यमणि की हीलिंग जैसे ही खत्म हुई, वहां पुलिस और एम्बुलेंस भी आ पहुंची।


उन दोनों का एड्रेस और बयान दर्ज करके पुलिस वाले ने दोनों को जाने के लिए बोल दिया। दोनो वहां से निकले…. "क्या हुआ, उसके खून की खुशबू से परेशान हो।"


रूही:- हां, आर्य बहुत ही अलग खिंचाव होता है ताज़ा कटे खून में, ऊपर से इंसान का हो तो पता नहीं दिमाग में क्या होने लगता है। तुम्हे कभी ऐसा फील नहीं हुआ क्या?


आर्यमणि:- हां पहली बार चित्रा का खून देखकर। तुम्हारे जितना तो नहीं, लेकिन थोड़ा सा खिंचाव था। दरअसल सरदार की गली में हमेशा कटे मांस और खून के गंध पर ही तुम और अलबेली पली बढ़ी हो। उन लोगों ने तुम्हे काबू करने के बदले उन्हें नोचना सिखाया था इसलिए इतना आकर्षण हैं। वैसे ये अच्छा आइडिया है, ब्लड के आकर्षण को काबू करना, कंट्रोल का अच्छा एक्सरसाइज होगा।


अगली सुबह, चारो को खड़ा करके एक बड़ा सा माउंटेन एश का सर्किल बाना दिया गया। आर्यमणि ने एक बकड़े में थोड़ा सा सुराख करके उनके नजदीक रखा और खून की गंध पर काबू पाने की ट्रेनिंग शुरू कर दी। आकर्षण ऐसा था कि उसे पाने के लिए तीनों टीन वुल्फ माउंटेन एश के सर्किल से बाहर आने की जद्दो–जहद करते रहे, और अपनी सारी ऊर्जा उसी में गवा बैठे। माउंटेन एश के सर्किल को हाथ लगाना ही एक सदमे जैसा अनुभव था, और तीनो ने तो काफी ज्यादा जोर लगा दिया था।


ओजल, इवान और अलबेली तीनों को जब सर्किल से बाहर निकाला गया, बेसुध होकर वहीं हॉल में ही लेट गये। जानवर के खून के प्रति रूही का आकर्षण उतना नहीं था, इसलिए वो शांत बस सबके साथ खड़ी रही… रूही उनकी हालत को देखकर आगे बढ़ी हील करने… "नहीं ये हील नहीं होंगे। छोड़ दो ये खुद से रिकवर हो जायेंगे शाम तक।"


रूही:- माउंटेन एश का प्रभाव हम पर इतना क्यों है।


आर्यमणि:- ये एक प्रकार का पौधा है जो हिमालय के ऊंची चोटियों पर पाया जाता है, ग्रीन हाउस बनाकर शिकारी भी इसकी खेती करते है। कहा जाता है यह एक बैरियर है, जो एक दुनिया को दूसरे दुनिया में बांध देता है।


रूही:- तो क्या हम इस बैरियर को पार नहीं कर पायेंगे।


आर्यमणि:- ना तो तुम पूर्ण इस दुनिया की होकर रहना चाहती हो, ना तो तुम पूर्ण उस दुनिया की। इसलिए तुम ये बैरियर पार नहीं कर सकती।


रूही:- लेकिन ओजल और इवान का इंसानी पक्ष ज्यादा मजबूत है, फिर वो क्यों नहीं इस बैरियर से बाहर निकल पाये?


आर्यमणि:- तुम्हे पता है एक अल्फा हिलर इस बैरियर को बहुत आसानी पार कर ली थी और फिर….


रूही:- क्या हुआ क्या सोचने लग गये?


आर्यमणि:- तुम्हे पता है पलक की कोई भी इमोशंस तुम्हे मेहसूस क्यों नहीं हुये?


रूही:- क्यों?


आर्यमणि:- क्योंकि वो सब भी एक सुपरनेचुरल है, जिन्हे इंसानी दुनिया में रहने के लिए ट्रेंड किया गया है। इसका मतलब ये हुआ कि वो जो सरदार खान कह रहा था उनका मालिक अपेक्स सुपरनेचुरल है वो वाकई में सही कह रहा था। प्रहरी में कुछ लोग सुपरनेचुरल होते है, तो कुछ लोग आम इंसान।


रूही:- अब एक माउंटेन एश की बात पर इतनी समीक्षा क्यों?


आर्यमणि:- "सरदार खान की लगभग 400 साल पुरानी याद में एक जगह वर्णित है, नालंदा विश्वविद्यालय। वहां से 10 किलोमीटर पश्चिम में वो गया था, किसी आचार्य से मिलने। मुझे अच्छे से याद है उसके पीछे 8-10 साये थे। यानी कुछ लोग थोड़े दूरी पर खड़े थे जिसकी परछाई सरदार खान के पास तक आ रही थी, और सरदार खान रह-रह कर उस परछाई को देख रहा था। जबकि आचार्य सरदार से नजरे मिलाकर बात कर रहे थे।"

"उसके बाद सरदार खान के कुछ दिनों की यादें नहीं थी। लेकिन एक साल बाद की याद में सरदार खान वहीं आचार्य के पास था और उसके पीछे कुछ शिष्य खड़े थे। इस बार भी आचार्य सरदार खान को ही देख रहे थे, लेकिन वो रह रहकर आचार्य के पीछे खड़े लड़को को देख रहा था।"

"अगर दोनो घटना में कुछ सामान्य था, वो था आचार्य के कुटिया के पास की वो रेखा और दोनो ही दिन में कुछ लोगो का होना। जहां पहली मुलाकात में कुछ लोग सरदार खान के बहुत पीछे खड़े थे और सरदार खान खींची लाइन के बाहर खड़ा होकर आचार्य से बात रहा था… "कुछ शिष्य आपकी सेवा में आना चाहते है।" वहीं दूसरी चर्चा में कुछ शिष्य आचार्य के पीछे खड़े थे और सरदार खान ने कहा था…. "आप है तो सब संभव है आचार्य।" और सबसे बड़ी बात एक शिष्य जब आचार्य की खींची रेखा को पार कर रहा था, सरदार खान के चेहरे के भाव कुछ पल के लिए बदल गये थे।"


रूही:- इसका मतलब तुम कहना चाह रहे हो की वो जो 8-10 लोग थे वो सुपरनेचुरल थे, जिन्हे अचार्य ने माउंटेन ऐश की खींची रेखा से निकलना सिखाया।


आर्यमणि:- हां, 100 फीसदी सुनिश्चित, क्योंकि परिवार के अंदर जो भसर मची है, सिर्फ इसी एक पॉइंट की वजह से। ये जो खुद को एपेक्स सुपरनेचुरल मानते है, उन्हे बस अपने जैसों से प्यार होता है। जैसे की मेरे मौसा के घर में, भूमि दीदी इंसान के रूप में पैदा हुई, इसलिए वो अलग है और उसके लिये इमोशन भी अलग है जबकि तेजस उन्ही जैसा सुपरनेचुरल है, इसलिए तेजस के लिये अलग इमोशन..


रूही:– ये तो बड़ी खबर है। तो क्या इनके सुपरनेचुरल होने के कारण ही हम उनके इमोशन को नही पढ़ सकते..


आर्यमणि:– जहीर सी बात है, इसी एक पहचान के कारण मुझे भी पता चला था की मेरे मौसा–मौसी और तेजस परिवार में एक जैसे है और बाकी सब अलग।


रूही:– किस प्रकार के सुपरनेचुरल है ये लोग, जो खुद को शर्वश्रेठ की श्रेणी में मानते है।


आर्यमणि, जोर से चिल्लाते... "मैं जान गया, मैं जान गया की ये लोग किस प्रकार के सुपरनेचुरल है। ये पृथ्वी पर पाये जाने वाले एक भी सुपरनेचुरल में से नही है। बल्कि... बल्कि ये लोग किसी दूसरे ग्रह के निवासी है। इनके पास जो पृथ्वी से लेकर अन्य ग्रह के मानव प्रजाति के क्लासिफिकेशन का संग्रह है, इस से यही लगता है की इन्होंने कई ग्रहों का भ्रमण भी किया है, और वहां बसने वालों का पूर्ण अवलोकन किया है। हां लेकिन उस पुस्तक में इन्होंने अपना कहीं क्लासिफिकेशन नही लिखा है।"


रूही:– साले हरामि एलियन.. आर्य ये किस प्रकार के एलियन हो सकते है। और इनके पास कैसी ताकत हो सकती है?


आर्यमणि:– अनोखे पत्थर का प्रयोग जानते है। हवा को कंट्रोल कर सकते है। और क्या खास है वो पूरा पता नही। अपने समुदाय को छोड़कर बाकियों के लिये कोई इमोशन नही। साधुओं से इन्हे खतरा लगता है। खासकर सात्विक आश्रम से और ये लोग किसी वेयरवॉल्फ के झुंड का शिकर भी हो सकते थे। इसलिए वेयरवोल्फ को अपने नियंत्रण में रखते हैं और सात्विक आश्रम को तो कभी खड़ा ही नहीं होने दिया। न जाने कितने साधुओं को मारा होगा इन्होंने..


रूही:– बॉस इतनी गहरी समीक्षा। चलो एक बात तो मान सकती हूं कि सिद्ध पुरुष से उन्हे खतरा है। लेकिन वेयरवॉल्फ... नागपुर के जंगलों में उन एलियन ने तुम्हारा क्या हाल किया था, वो भूल गये क्या?


आर्यमणि:– मैं कुछ नहीं भूलता। सुनो अब ऐसा तो है नही की जिन शक्तियों के साथ ये लोग पहुंचे थे, उन्ही शक्तियों पर आज तक टिके रहे। इनके पास ऐसे पत्थर है जो दूसरों की शक्तियों को अपने अंदर निहित कर सकते है। मैं अभी बता तो नही सकता की उनके पत्थर किस प्रकार की शक्तियों का अधिग्रहण कर लेते है, लेकिन इतना जरूर बता सकता हूं कि वेयरवोल्फ के झुंड ने सीक्रेट प्रहरी का शिकर किया था, इसलिए वेयरवोल्फ के बहुत सी शक्तियों को इन लोगों ने चुरा लिया। इनका दिमाग तब चक्कर खा गया होगा जब वेयरवोल्फ के बारे में इतनी गहराई से जानने और उन्हें अपने नियंत्रण में रखने के बावजूद तुम्हारी मां ने सकडों वर्ष बाद एलियन का शिकर कर लिया था।


रूही:– क्या मेरी मां ने.. ये कैसे कह सकते हो...


आर्यमणि:– "इसमें कैसे वाली तो कोई बात ही नही है। शुरू से उन एलियन के लिये वेयरवोल्फ एक दुश्मन रहा था। एक तो वेयरवोल्फ के खुद की शक्तियां उसके ऊपर इनके झुंड की ताकत, इसके सामने ये एलियन घुटने टेकने पर मजबूर हो जाते होंगे। बाद में इन लोगों ने वेयरवोल्फ पर रिसर्च किया और बहुत से पावर को चोरी कर लिये। इंसानों के मुकाबले वेयरवोल्फ काफी ताकतवर और अकर्मक होते है। इन्हे करप्ट करना काफी आसान होता है, इसलिए इन लोगों ने प्रहरी संस्था में अपनी घुसपैठ बनाई होगी। या नहीं तो पूरे प्रहरी को ही समाप्त करने के बाद पूरे प्रहरी समाज को अपने अनुरूप ढाल दिया होगा।"

"सकड़ों वर्षों बाद अमेजन के जंगलों फेहरीन के झुंड से प्रहरी का सामना हो गया था। संभवतः वह सीक्रेट प्रहरी का झुंड था और पहली बार किसी ट्रू अल्फा से भिड़ रहे थे। फेहरीन नागपुर लायी गयी, तब सरदार खान ने पहली मुलाकात में ही कहा था, "एक को मारने में अपने पूरे पैक को दाव पर लगा दी।"… लेकिन फेहरीन ने जो जवाब दिया वह सरदार खान के मस्तिष्क से गायब था। सीधे दूसरे सवाल परपहुंच गया.… "कैसे बचकर निकल गयी थी तू उस घेरे (माउंटेन ऐश) से।"… और तुम्हारी मां ने कहा था… "तुम्हारी आत्मा तक काली है सरदार।"…

"फेहरीन की एक और बात रह-रह कर याद आती है जब वो सरदार से कह रही थी… "तुम सिर्फ अपने दहाड़ के कारण मुझसे बेहतर हो, और मैंने हमेशा अपने जंगल को बचाया है इसलिए किसी को मरता नहीं देख सकती, और ना ही तुम्हारे नियंत्रण को मै अपने ऊपर से हटा पाती हूं, यही मेरी विवस्ता है।"


रूही:- मेरी आई बेस्ट थी, लेकिन प्रहरी ने उनके साथ बहुत बुरा किया। खैर भावनाएं अपनी जगह लेकिन मुझे ये समझा सकते हो की उन्हे मारने के बदला उन एलियन ने आई को सरदार खान की नरक में क्यों ले आये?


आर्यमणि:- फेहरीन एक ट्रू अल्फा हीलर थी। जिसने सैकड़ों वर्षों बाद उन एलियन को धूल चटाया था। शायद फेहरीन के पावर को चोरी करने के इरादे से नागपुर लेकर आये होंगे। लेकिन ऐसा हो न सका। एलियन को शायद पता न था कि ट्रू अल्फा की पावर चुरायी नही जा सकती। यह काम न तो उनके पत्थरों से हो सका और न ही ये काम सरदार खान कर सकता था। तुम्हे पता है ओजल और इवान को क्यों ये एलियन पैदा होने के साथ ही मार देना चाहते थे...


रूही:– क्यों?


आर्यमणि:– क्योंकि वह नही चाहते थे कि वेयरवोल्फ के साथ उनका कोई हाइब्रिड बच्चा हो। लेकिन सुकेश भारद्वाज से यह गलती हो चुकी थी। अब किस परिस्थिति में यह गलती हुई, ये तो सुकेश, मीनाक्षी, उज्जवल या अक्षरा ही बता सकते है, लेकिन उन्हें भी अंदाजा न होगा की जिस स्त्री को इतने सारे लोग नोच रहे, उनमें से फेहरीन के कोख में सुकेश का ही बच्चा ठहर जायेगा। बच्चा जब पैदा हुआ होगा तब उन एलियन को भी जानकारी हुई होगी। या फिर सरदार खान समझ गया होगा और उसी ने एलियन को बताया हो.. कुछ पक्का नही कह सकते। लेकिन सुकेश को खबर मिल चुकी थी। एक तो वेयरवोल्फ पुराना दुश्मन। उसमे भी एक ट्रू अल्फा का बच्चा उन एलियन के अनुवांशिक गुण वाला। ये हाइब्रिड उनके लिये सर दर्द देने वाला था।
प्रणाम मित्र
क्या अब इस कहानी मे वेंपायर का भी आगमन होगा 🤔
 

Lib am

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भाग:–72






अपस्यु और उसकी टीम जा चुकी थी। उनके जाने के साथ ही घर की चहल–पहल भी चली गयी। अलबेली, इवान और ओजल रोज सुबह से स्कूल में व्यस्त हो जाते। स्कूल खत्म करके तीनों वहीं से सीधा ड्राइविंग स्कूल और ड्राइविंग स्कूल से शाम को घर। टीन वुल्फ के लिये फिर भी काम मिल गया था, लेकिन आर्यमणि और रूही का ज्यादातर वक़्त खाली ही गुजरता। लगभग महीना दिन बीतने को आया, दिन में टीवी देखते हुये रूही कहने लगी…. "पड़े–पड़े कबतक दूसरो का पैसा खर्च करेंगे। 3 महीने में हम 30 हजार डॉलर फूंक चुके है।"


आर्यमणि:- क्या करे, कोई शॉप खोल लूं इधर।


रूही:- आइडिया बुरा नहीं है, हम मसालेदार इंडियन डिशेज बनायेंगे।


आर्यमणि:- और क्या होगा उस मसालेदार डिश में, भेजा फ्राई, कबाब, चिकन, मटन।


रूही:- तुम्हे नॉन भेज से इतनी एलर्जी क्यों है। इंसान भी तो खाते है।


आर्यमणि:– और तुम क्या हो जानवर..


रूही:– वही तो, नॉन वेज खाने के समय तुम हमे जानवर काउंट करते हो और सभी चीजों में विशेष इंसान। आम इंसानों की तरह ही यहां भी हमे काउंट किया जाना चाहिए।


आर्यमणि:- हां आम इंसान खाते है लेकिन तुम लोग विशेष इंसान हो। वॉयलेंटली खाओगे, जो तुम्हारे स्वभाव को बदलेगा। यूं समझ लो एक तरह का ज़हर है जो एग्रेसिव बनायेगा।


रूही:- मानती हूं, तो क्या हफ्ते 10 दिन में एक दिन तो पका लेने दो। उन तीन मासूमों का भी तो ख्याल करो।


आर्यमणि:- अच्छा ठीक है आज रात पका लेना।


रूही:- जे बात। थनकू सो मच।


आर्यमणि:- आज रात, रात्रि चरते है। देखते है यहां की नाइट लाइफ।


रूही:- आइडिया बुरा नहीं है, इन तीनों का क्या?


आर्यमणि:- तीनों के सोने के बाद चलेंगे।


आज शाम चारो की अच्छी दावत हुई। चारो ही शाम से खाना शुरू किये। रात सोने से पहले तक डाकर ले लेकर खाये और मस्त चकाचक नींद मारकर सो गये। रात को लगभग 11 बजे आर्यमणि और रूही पैदल सड़कों पर घूमने निकले।


रूही:- आर्य तुम किस सवाल का जवाब ढूंढते हुये नागपुर पहुंचे थे।


आर्यमणि:- था एक बकवास सवाल, जिसने जिंदगी बदल डाली।


रूही:- हाहाहाहा… हां वरना अभी तक तो सर नागपुर में पुरा रंग जमा चुके होते।


आर्यमणि:- कहना क्या चाहती हो.. ???


रूही:- हम यहां लाइफ जीने आये थे। हर मुश्किल और हर सवालों से दूर एकांत की एक जिंदगी, लेकिन जब यहां आकार जीने की कोशिश कर रही हूं तो जीना इतना मुश्किल क्यों लग रहा है?


आर्यमणि:- क्योंकि जब हमारे पास करने को कुछ नहीं होता तो ऐसे ही बकवास बातें दिमाग में आती है।…. जिंदगी में इतनी तन्हाई क्यों है? क्यों लोग आज कल स्वार्थी हो रहे है? मेरे जीने का मकसद क्या? कभी-कभी लगता है मेरे साथ ही ऐसा क्यों होता है?


फटाक, एक जोरदार पंच और आर्यमणि की नाक टूट गयी। वो अपने नाक पर रुमाल लगाकर कुछ बोलने ही वाला होता है कि सड़क पर चल रही एक बेकाबू कार पलट जाती है, जो लगभग 20 फिट घिस्टाते हुए एक पोल से जा टकराती है। दोनो दौड़कर वहां पहुंचे और कार में फसे व्यक्ति को निकालने की कोशिश करने लगे। वो आदमी सीट बेल्ट लगाये अंदर फसा था। गाड़ी पलटने के कारण पेट्रोल सड़क पर बह रहा था। रूही को लगा कोई भी सिगरेट पीता आदमी इधर से गुजरा तब तो अपने साथ-साथ पूरे कार को भी फ्राय कर देगा। रूही जबतक मिट्टी वगैरह डालकर वहां बचाव कर रही थी, आर्यमणि उसका सीट बेल्ट खोलते… "रूही इसका पाऊं तो बोनट में फसा हुआ है, तुम एम्बुलेंस को कॉल करो।"..


रूही एम्बुलेंस को कॉल करने लगी, तभी आर्यमणि को मेहसूस हुआ उस आदमी की धड़कन गायब हो रही है। अपना हाथ लगाकर उसने हील करना शुरू किया। जैसे ही हीलिंग शुरू हुई, आर्यमणि किसी तरह खुद को शांत रखने की कोशिश करने लगा। हील करते हुये आर्यमणि को काफी पीड़ा हो रही थी। वह आदमी कार एक्सीडेंट से नही मरता तो भी उसके शरीर में फैल रहा जहर उसे मार देता। आर्यमणि की हीलिंग जैसे ही खत्म हुई, वहां पुलिस और एम्बुलेंस भी आ पहुंची।


उन दोनों का एड्रेस और बयान दर्ज करके पुलिस वाले ने दोनों को जाने के लिए बोल दिया। दोनो वहां से निकले…. "क्या हुआ, उसके खून की खुशबू से परेशान हो।"


रूही:- हां, आर्य बहुत ही अलग खिंचाव होता है ताज़ा कटे खून में, ऊपर से इंसान का हो तो पता नहीं दिमाग में क्या होने लगता है। तुम्हे कभी ऐसा फील नहीं हुआ क्या?


आर्यमणि:- हां पहली बार चित्रा का खून देखकर। तुम्हारे जितना तो नहीं, लेकिन थोड़ा सा खिंचाव था। दरअसल सरदार की गली में हमेशा कटे मांस और खून के गंध पर ही तुम और अलबेली पली बढ़ी हो। उन लोगों ने तुम्हे काबू करने के बदले उन्हें नोचना सिखाया था इसलिए इतना आकर्षण हैं। वैसे ये अच्छा आइडिया है, ब्लड के आकर्षण को काबू करना, कंट्रोल का अच्छा एक्सरसाइज होगा।


अगली सुबह, चारो को खड़ा करके एक बड़ा सा माउंटेन एश का सर्किल बाना दिया गया। आर्यमणि ने एक बकड़े में थोड़ा सा सुराख करके उनके नजदीक रखा और खून की गंध पर काबू पाने की ट्रेनिंग शुरू कर दी। आकर्षण ऐसा था कि उसे पाने के लिए तीनों टीन वुल्फ माउंटेन एश के सर्किल से बाहर आने की जद्दो–जहद करते रहे, और अपनी सारी ऊर्जा उसी में गवा बैठे। माउंटेन एश के सर्किल को हाथ लगाना ही एक सदमे जैसा अनुभव था, और तीनो ने तो काफी ज्यादा जोर लगा दिया था।


ओजल, इवान और अलबेली तीनों को जब सर्किल से बाहर निकाला गया, बेसुध होकर वहीं हॉल में ही लेट गये। जानवर के खून के प्रति रूही का आकर्षण उतना नहीं था, इसलिए वो शांत बस सबके साथ खड़ी रही… रूही उनकी हालत को देखकर आगे बढ़ी हील करने… "नहीं ये हील नहीं होंगे। छोड़ दो ये खुद से रिकवर हो जायेंगे शाम तक।"


रूही:- माउंटेन एश का प्रभाव हम पर इतना क्यों है।


आर्यमणि:- ये एक प्रकार का पौधा है जो हिमालय के ऊंची चोटियों पर पाया जाता है, ग्रीन हाउस बनाकर शिकारी भी इसकी खेती करते है। कहा जाता है यह एक बैरियर है, जो एक दुनिया को दूसरे दुनिया में बांध देता है।


रूही:- तो क्या हम इस बैरियर को पार नहीं कर पायेंगे।


आर्यमणि:- ना तो तुम पूर्ण इस दुनिया की होकर रहना चाहती हो, ना तो तुम पूर्ण उस दुनिया की। इसलिए तुम ये बैरियर पार नहीं कर सकती।


रूही:- लेकिन ओजल और इवान का इंसानी पक्ष ज्यादा मजबूत है, फिर वो क्यों नहीं इस बैरियर से बाहर निकल पाये?


आर्यमणि:- तुम्हे पता है एक अल्फा हिलर इस बैरियर को बहुत आसानी पार कर ली थी और फिर….


रूही:- क्या हुआ क्या सोचने लग गये?


आर्यमणि:- तुम्हे पता है पलक की कोई भी इमोशंस तुम्हे मेहसूस क्यों नहीं हुये?


रूही:- क्यों?


आर्यमणि:- क्योंकि वो सब भी एक सुपरनेचुरल है, जिन्हे इंसानी दुनिया में रहने के लिए ट्रेंड किया गया है। इसका मतलब ये हुआ कि वो जो सरदार खान कह रहा था उनका मालिक अपेक्स सुपरनेचुरल है वो वाकई में सही कह रहा था। प्रहरी में कुछ लोग सुपरनेचुरल होते है, तो कुछ लोग आम इंसान।


रूही:- अब एक माउंटेन एश की बात पर इतनी समीक्षा क्यों?


आर्यमणि:- "सरदार खान की लगभग 400 साल पुरानी याद में एक जगह वर्णित है, नालंदा विश्वविद्यालय। वहां से 10 किलोमीटर पश्चिम में वो गया था, किसी आचार्य से मिलने। मुझे अच्छे से याद है उसके पीछे 8-10 साये थे। यानी कुछ लोग थोड़े दूरी पर खड़े थे जिसकी परछाई सरदार खान के पास तक आ रही थी, और सरदार खान रह-रह कर उस परछाई को देख रहा था। जबकि आचार्य सरदार से नजरे मिलाकर बात कर रहे थे।"

"उसके बाद सरदार खान के कुछ दिनों की यादें नहीं थी। लेकिन एक साल बाद की याद में सरदार खान वहीं आचार्य के पास था और उसके पीछे कुछ शिष्य खड़े थे। इस बार भी आचार्य सरदार खान को ही देख रहे थे, लेकिन वो रह रहकर आचार्य के पीछे खड़े लड़को को देख रहा था।"

"अगर दोनो घटना में कुछ सामान्य था, वो था आचार्य के कुटिया के पास की वो रेखा और दोनो ही दिन में कुछ लोगो का होना। जहां पहली मुलाकात में कुछ लोग सरदार खान के बहुत पीछे खड़े थे और सरदार खान खींची लाइन के बाहर खड़ा होकर आचार्य से बात रहा था… "कुछ शिष्य आपकी सेवा में आना चाहते है।" वहीं दूसरी चर्चा में कुछ शिष्य आचार्य के पीछे खड़े थे और सरदार खान ने कहा था…. "आप है तो सब संभव है आचार्य।" और सबसे बड़ी बात एक शिष्य जब आचार्य की खींची रेखा को पार कर रहा था, सरदार खान के चेहरे के भाव कुछ पल के लिए बदल गये थे।"


रूही:- इसका मतलब तुम कहना चाह रहे हो की वो जो 8-10 लोग थे वो सुपरनेचुरल थे, जिन्हे अचार्य ने माउंटेन ऐश की खींची रेखा से निकलना सिखाया।


आर्यमणि:- हां, 100 फीसदी सुनिश्चित, क्योंकि परिवार के अंदर जो भसर मची है, सिर्फ इसी एक पॉइंट की वजह से। ये जो खुद को एपेक्स सुपरनेचुरल मानते है, उन्हे बस अपने जैसों से प्यार होता है। जैसे की मेरे मौसा के घर में, भूमि दीदी इंसान के रूप में पैदा हुई, इसलिए वो अलग है और उसके लिये इमोशन भी अलग है जबकि तेजस उन्ही जैसा सुपरनेचुरल है, इसलिए तेजस के लिये अलग इमोशन..


रूही:– ये तो बड़ी खबर है। तो क्या इनके सुपरनेचुरल होने के कारण ही हम उनके इमोशन को नही पढ़ सकते..


आर्यमणि:– जहीर सी बात है, इसी एक पहचान के कारण मुझे भी पता चला था की मेरे मौसा–मौसी और तेजस परिवार में एक जैसे है और बाकी सब अलग।


रूही:– किस प्रकार के सुपरनेचुरल है ये लोग, जो खुद को शर्वश्रेठ की श्रेणी में मानते है।


आर्यमणि, जोर से चिल्लाते... "मैं जान गया, मैं जान गया की ये लोग किस प्रकार के सुपरनेचुरल है। ये पृथ्वी पर पाये जाने वाले एक भी सुपरनेचुरल में से नही है। बल्कि... बल्कि ये लोग किसी दूसरे ग्रह के निवासी है। इनके पास जो पृथ्वी से लेकर अन्य ग्रह के मानव प्रजाति के क्लासिफिकेशन का संग्रह है, इस से यही लगता है की इन्होंने कई ग्रहों का भ्रमण भी किया है, और वहां बसने वालों का पूर्ण अवलोकन किया है। हां लेकिन उस पुस्तक में इन्होंने अपना कहीं क्लासिफिकेशन नही लिखा है।"


रूही:– साले हरामि एलियन.. आर्य ये किस प्रकार के एलियन हो सकते है। और इनके पास कैसी ताकत हो सकती है?


आर्यमणि:– अनोखे पत्थर का प्रयोग जानते है। हवा को कंट्रोल कर सकते है। और क्या खास है वो पूरा पता नही। अपने समुदाय को छोड़कर बाकियों के लिये कोई इमोशन नही। साधुओं से इन्हे खतरा लगता है। खासकर सात्विक आश्रम से और ये लोग किसी वेयरवॉल्फ के झुंड का शिकर भी हो सकते थे। इसलिए वेयरवोल्फ को अपने नियंत्रण में रखते हैं और सात्विक आश्रम को तो कभी खड़ा ही नहीं होने दिया। न जाने कितने साधुओं को मारा होगा इन्होंने..


रूही:– बॉस इतनी गहरी समीक्षा। चलो एक बात तो मान सकती हूं कि सिद्ध पुरुष से उन्हे खतरा है। लेकिन वेयरवॉल्फ... नागपुर के जंगलों में उन एलियन ने तुम्हारा क्या हाल किया था, वो भूल गये क्या?


आर्यमणि:– मैं कुछ नहीं भूलता। सुनो अब ऐसा तो है नही की जिन शक्तियों के साथ ये लोग पहुंचे थे, उन्ही शक्तियों पर आज तक टिके रहे। इनके पास ऐसे पत्थर है जो दूसरों की शक्तियों को अपने अंदर निहित कर सकते है। मैं अभी बता तो नही सकता की उनके पत्थर किस प्रकार की शक्तियों का अधिग्रहण कर लेते है, लेकिन इतना जरूर बता सकता हूं कि वेयरवोल्फ के झुंड ने सीक्रेट प्रहरी का शिकर किया था, इसलिए वेयरवोल्फ के बहुत सी शक्तियों को इन लोगों ने चुरा लिया। इनका दिमाग तब चक्कर खा गया होगा जब वेयरवोल्फ के बारे में इतनी गहराई से जानने और उन्हें अपने नियंत्रण में रखने के बावजूद तुम्हारी मां ने सकडों वर्ष बाद एलियन का शिकर कर लिया था।


रूही:– क्या मेरी मां ने.. ये कैसे कह सकते हो...


आर्यमणि:– "इसमें कैसे वाली तो कोई बात ही नही है। शुरू से उन एलियन के लिये वेयरवोल्फ एक दुश्मन रहा था। एक तो वेयरवोल्फ के खुद की शक्तियां उसके ऊपर इनके झुंड की ताकत, इसके सामने ये एलियन घुटने टेकने पर मजबूर हो जाते होंगे। बाद में इन लोगों ने वेयरवोल्फ पर रिसर्च किया और बहुत से पावर को चोरी कर लिये। इंसानों के मुकाबले वेयरवोल्फ काफी ताकतवर और अकर्मक होते है। इन्हे करप्ट करना काफी आसान होता है, इसलिए इन लोगों ने प्रहरी संस्था में अपनी घुसपैठ बनाई होगी। या नहीं तो पूरे प्रहरी को ही समाप्त करने के बाद पूरे प्रहरी समाज को अपने अनुरूप ढाल दिया होगा।"

"सकड़ों वर्षों बाद अमेजन के जंगलों फेहरीन के झुंड से प्रहरी का सामना हो गया था। संभवतः वह सीक्रेट प्रहरी का झुंड था और पहली बार किसी ट्रू अल्फा से भिड़ रहे थे। फेहरीन नागपुर लायी गयी, तब सरदार खान ने पहली मुलाकात में ही कहा था, "एक को मारने में अपने पूरे पैक को दाव पर लगा दी।"… लेकिन फेहरीन ने जो जवाब दिया वह सरदार खान के मस्तिष्क से गायब था। सीधे दूसरे सवाल परपहुंच गया.… "कैसे बचकर निकल गयी थी तू उस घेरे (माउंटेन ऐश) से।"… और तुम्हारी मां ने कहा था… "तुम्हारी आत्मा तक काली है सरदार।"…

"फेहरीन की एक और बात रह-रह कर याद आती है जब वो सरदार से कह रही थी… "तुम सिर्फ अपने दहाड़ के कारण मुझसे बेहतर हो, और मैंने हमेशा अपने जंगल को बचाया है इसलिए किसी को मरता नहीं देख सकती, और ना ही तुम्हारे नियंत्रण को मै अपने ऊपर से हटा पाती हूं, यही मेरी विवस्ता है।"


रूही:- मेरी आई बेस्ट थी, लेकिन प्रहरी ने उनके साथ बहुत बुरा किया। खैर भावनाएं अपनी जगह लेकिन मुझे ये समझा सकते हो की उन्हे मारने के बदला उन एलियन ने आई को सरदार खान की नरक में क्यों ले आये?


आर्यमणि:- फेहरीन एक ट्रू अल्फा हीलर थी। जिसने सैकड़ों वर्षों बाद उन एलियन को धूल चटाया था। शायद फेहरीन के पावर को चोरी करने के इरादे से नागपुर लेकर आये होंगे। लेकिन ऐसा हो न सका। एलियन को शायद पता न था कि ट्रू अल्फा की पावर चुरायी नही जा सकती। यह काम न तो उनके पत्थरों से हो सका और न ही ये काम सरदार खान कर सकता था। तुम्हे पता है ओजल और इवान को क्यों ये एलियन पैदा होने के साथ ही मार देना चाहते थे...


रूही:– क्यों?


आर्यमणि:– क्योंकि वह नही चाहते थे कि वेयरवोल्फ के साथ उनका कोई हाइब्रिड बच्चा हो। लेकिन सुकेश भारद्वाज से यह गलती हो चुकी थी। अब किस परिस्थिति में यह गलती हुई, ये तो सुकेश, मीनाक्षी, उज्जवल या अक्षरा ही बता सकते है, लेकिन उन्हें भी अंदाजा न होगा की जिस स्त्री को इतने सारे लोग नोच रहे, उनमें से फेहरीन के कोख में सुकेश का ही बच्चा ठहर जायेगा। बच्चा जब पैदा हुआ होगा तब उन एलियन को भी जानकारी हुई होगी। या फिर सरदार खान समझ गया होगा और उसी ने एलियन को बताया हो.. कुछ पक्का नही कह सकते। लेकिन सुकेश को खबर मिल चुकी थी। एक तो वेयरवोल्फ पुराना दुश्मन। उसमे भी एक ट्रू अल्फा का बच्चा उन एलियन के अनुवांशिक गुण वाला। ये हाइब्रिड उनके लिये सर दर्द देने वाला था।
ये साले सुपरनैचुरल पक्का अस्तक या सुप्रमारिच की गंदी नस्ल का परिणाम है तभी ये सब पत्थरो के बारे में जानते है। क्योंकि ये लोग भी इंसान और गंदी नस्ल के मिक्सड ब्रीड है तो इनके बच्चे भी दोनो तरह के होते है या तो इंसान या फिर सुपरनैचुरल। ठीक वैसे ही जैसे मीनाक्षी सुपरनैचुरल निकली मगर जया नही। और यही बात अब भूमि के बच्चे साथ भी लागू होगी।

यही कारण है कि ये लोग शादियां भी अपने सीक्रेट प्रहरी समूह में करते है ताकि इनका वंश आगे चलता रहे। पलक और आर्य की शादी ये लोग इसीलिए नही होने देते क्योंकि वेरवॉल्फ इनका एक बड़ा खतरा है और अगर कोई बच्चा सुपरनैचुरल और वेरवॉल्फ दोनो का मिक्सड ब्रीड हुआ तो इसके सीक्रेट प्रहरी संस्था का अंत निश्चित है। मगर उन्हें नही पता की उनके दो काल पैदा हो चुके है और ओजल और इवान दोनो ही एक मुख्य भूमिका निभाएंगे उस युद्ध में। शानदार अपडेट nain11ster भाई।
 

nain11ster

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Haa Bhai ye to hai...ye nain sir ka apsyu prem kuchh jyada hi hai....are guruji ho to aashram me raho, bhajan kirtan Karo , jyan bato...ye ladai jhagada kyo karta hai ....aur ye piddu sa sabko maarta hi phirata hai....waise iss story me bhi aa gaya hai kya apsyu....agar aa gaya to beda gark ho Tera apasyu....
Areee ho gaya kabhi kabhi prem chhati fadkar jagta hai ... Warna har kirdar ke liye naya part ka patkatha banega kahan se
 

B2.

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भाग:–73





आर्यमणि:– एक तो वेयरवोल्फ पुराना दुश्मन। उसमे भी एक ट्रू अल्फा का बच्चा उन एलियन के अनुवांशिक गुण वाला। ये हाइब्रिड उनके लिये सर दर्द देने वाला था।


रूही:– इसका मतलब ओजल और इवान उन एलियन के लिये काल है।


आर्यमणि:– तुम्हारी यादें मिटा दूं या मुंह बंद रखोगी, ये बताओ?


रूही:– लेकिन बॉस, उन दोनो को भी तो सच्चाई पता होनी चाहिए न...


आर्यमणि:– अभी नही... वक्त के साथ उन्हे अपने अनुवांशिक गुण को ट्रिगर करने दो। अभी बता दिये तो हो सकता है उन्हे यकीन हो जाये की वो एलियन से भीड़ सकते है और नागपुर लौट जाये। क्या तुम ऐसा चाहती हो? क्या तुम उन दोनो की जान खतरे में देखना चाहती हो?


रूही:- नही बॉस, बिलकुल नहीं... अभी हमारे बीच कोई बात ही नही हुई.. और न ही हमे पता है कि ये सीक्रेट प्रहरी क्या है। बॉस लेकिन उनका क्लासिफिकेशन भी हमे चाहिए... जैसे उनके पास पूरे ब्रह्मांड के मानव प्रजाति का है।


आर्यमणि:- छोड़ो इस बात को। कल से तुम सब की नई ट्रेनिंग। माउंटेन ऐश को पार करने की ट्रेनिंग शुरू होगी। तुम लोगों के ट्रू अल्फा बनने की ट्रेनिंग... राइट बेबी।


रूही:- हिहीहिहिही… येस डार्लिंग…


लगभग एक हफ्ते बाद सुबह के 10 बज रहे होंगे। तीनों स्कूल चले गये थे, एक कार घर के सामने आकर खड़ी हुई और घर का बेल बजने लगा… रूही जब दरवाजा खोली तो सामने वही व्यक्ति था जिसका कुछ दिन पहले ऐक्सिडेंट हुआ था और साथ में उसके एक खूबसूरत सी लेडी, दोनो इजाज़त मांगकर अंदर दाखिल हुये। रूही उसे बिठाकर ठंडा या गरम के बारे में पूछने लगी। वह आदमी रूही को अपना परिचय देते… "हेल्लो मेरा नाम माईक नॉर्मे है और ये है मेरी पत्नी लिली नोर्मे"..


रूही:- कैसे है अभी, स्वास्थ्य..


लिली, रूही का हाथ थामती… "मै माईक से बहुत प्यार करती हूं, यदि इसे कुछ हो जाता तो मै भी शायद जी नहीं पाती।"..


रूही:- हां लेकिन ऐसा हुआ तो नहीं ना। वैसे भी मैने तो केवल एम्बुलेंस को कॉल किया था।


माईक:- हां लेकिन हॉस्पिटल भी मेरा इलाज नहीं कर सकता था, क्योंकि मुझे पॉयजन दिया गया था। और मै जानता हूं कि आपके बॉयफ्रेंड ने मेरे साथ क्या किया?


रूही:- माफ कीजिएगा एक मिनट इंतजार करेंगे, मैं बस अभी आयी..


माईक:- हां हां क्यों नहीं?


रूही तेजी से आर्यमणि के कमरे में घुसी। आर्यमणि कान में हेड फोन डाले गाने सुन रहा था। रूही उसका हेड फोन निकलती… "मिस्टर बॉयफ्रेंड आपको भले ना सुनाई दे लेकिन सुंघाई तो दे रहा है ना कि घर में लोग आये है।"..


आर्यमणि:- हां, एक तो वही ऐक्सिडेंट वाला आदमी है…


रूही:- हां.… और वो कह रहा है, हमारे बारे में जानता है।


आर्यमणि बाहर आया.. दोनो से एक छोटे से परिचय के बाद… "आप कुछ कह रहे थे हमारे बारे में।"


माईक:- कुछ नहीं कह रहा था, बस इतना कहूंगा की मेरा एक एनिमल क्लीनिक है, अगर आप वहां काम करने आएंगे तो मुझे बहुत हेल्प होगी। बदले में मै आपको पे भी करूंगा और वटनेरियन की डिग्री भी दूंगा।


रूही:- हम्मम ठीक है... हम आपको सोचकर जवाब देंगे।


उन दोनों के जाते ही…. "तुम्हे पक्का यकीन है ना उसने यही कहा था कि वो जनता है हम कौन है।"..


रूही:- मेरे माथे पर तो लिखा है ना कि मै झूठी हूं।


आर्यमणि:- नहीं वहां तो लिखा है मै सेक्सी हूं। यदि किसी को यकीन ना होता हो तो नजरे नीचे के ओर बढ़ाते चले जाइये।


रूही:- क्या मस्त जोक मारा है। वेरी फनी, अब कुछ सोचोगे इनका। या फिर ये शहर छोड़ दे।


आर्यमणि:- नहीं पहले चलकर देखते है कि चक्कर क्या है।


थोड़ी देर बाद दोनो एक बड़े एनिमल क्लीनिक के एंट्रेंस पर थे। आर्यमणि गार्ड से बातें कर रहा था और रूही की नजर पास में ही परे एक कैक्टस पर गई जो लगभग मर रही थी। रूही आराम से नीचे बैठी, बड़े प्यार से उसने कैक्टस को देखा और इधर-उधर देखकर वो पेड़ को हील करना शुरू कर दी। जब वो खड़ी हो रही थी, कैक्टस को हरा होते मेहसूस कर रही थी और अंदर से खुश हो गयी।


इतने में ही वो डॉक्टर बाहर निकल कर आया और दोनो को अपने साथ अंदर लेकर गया। बीमार पड़े जानवर जो आवाज़ निकाल रहे थे एक दम से शांत होकर दोनो को ही घूरने लगे। वो डॉक्टर इन दोनों को देखकर मुस्कुराया और अपने साथ अंदर लेकर गया।


"मुझे यकीन था कि तुम दोनों आओगे। मैंने आज तक केवल 2 वुल्फ से ही मिला हूं जो जहर तक को हील कर सकते थे, लेकिन वो भी इतना अच्छा हील कर पाते या नहीं, पता नहीं।"… डॉक्टर दोनो को बैठने का इशारा करते हुए अपनी बात कहा।


आर्यमणि:- डॉक्टर हमने पहचान जाहिर करने के लिये तुम्हारी जान नहीं बचाई, बस इतना ही कहने आये थे। हमे मजबूर ना करो कि हम लोगो की जान बचाने से पहले 10 बार सोचने लगे।


डॉक्टर:- मैंने सीसी टीवी बंद कर दिया है, तुम चाहो तो अपने क्लॉ घूसाकर देख सकते हो, मै तुम्हारे राज जाहिर कर सकता हूं, या हम साथ मिलकर काम कर सकते है। मै दुनिया भर में घूमकर तरह-तरह के जानवरो का इलाज कर चुका हूं। मेरे सफर के दौरान मै तिब्बत गया था और वहां से 3 साल बाद लौटा हूं। लौटकर जैसे ही अपने शहर आया, मैंने जानवरो के इलाज के लिये मेडिसिन और हर्ब्स दोनो का इस्तमाल शुरू कर दिया। इसके परिणाम काफी रोचक थे और जैसा की तुम बाहर देख सकते हो, यहां बीमार जानवरो की लाइन लगी हुई है।


आर्यमणि:- हां लेकिन तुम्हारा तो धंधा पहले से चकाचक है, फिर हम क्या काम आ सकते है?


डॉक्टर:- जो काम मै 1 घंटे में कर सकता हूं, वो काम तुम 1 मिनट में कर सकते हो।


रूही:- और तुम यहां माल छापोगे ।


डॉक्टर:- कहीं भी अपने पालतू जानवर का इलाज करवायेंगे तो माल तो देंगे ही, तो यहां क्यों नहीं। कुछ अच्छा करने के लिए भी बहुत पैसा चाहिए।


रूही:- ऐसा क्या अच्छा करने की सोच रहे हो जो तुम्हे इतना माल चाहिए डॉक्टर?


डॉक्टर:- तुम्हारे जैसे ही 2 लोग है, मैक्सिको के खतरनाक नारकोटिक्स गैंग के इलाके में फसे। उन दोनों को छोड़ने के लिये 10 मिलियन यूएसडी का सेटलमेंट मांग रहे है।


आर्यमणि:- 2 वुल्फ को एक गैंग पकड़ कर रखी है, मज़ाक तो नहीं कर रहे।


डॉक्टर:- बड़ी शातिर गैंग है। शिकारी और वुल्फ की गैंग जो ड्रग्स की खेती करती है और वहां से लगभग पूरे अमेरिका और यूरोप में सप्लाई करती है। बहुत से वुल्फ वहां मर्जी से काम करते है, तो बहुत से वुल्फ से जबरन काम करवाया जाता है।


आर्यमणि:- लगता है उन दोनों वुल्फ से तुम्हे अच्छी इनकम होती थी।


डॉक्टर:- अच्छी नहीं बहुत अच्छी। मै 2 साल में उन दोनों के जरिए 20 मिलियन कमा सकता हूं, उनके लिये पैसों की चिंता नहीं है। लेकिन क्या करूं इस वक़्त पैसे नहीं है मेरे पास। हॉफ मिलियन कैश है और सारी प्रॉपर्टी को गिरवी भी रख दूं तो 1 मिलियन से ज्यादा नहीं मिलेगा।


रूही:- तो 1 मिलियन यूएसडी में हमसे डील कर लो। पता बताओ हम तुम्हारा काम कर देंगे। वैसे भी बहुत दिन हो गए एक्शन किये।


डॉक्टर:- दोनो पागल हो गये हो क्या? वहां गये तो या तो मारे जाओगे या उन्हीं के गुलाम बनकर रह जाओगे।


रूही:- 1 मिलियन जब पेमेंट कर दोगे तब बात करेंगे, यकीन हो तो डील करना, वरना रहने दो।


डॉक्टर:- हम्मम ! तुमने मेरी जान बचाई है, इसलिए 1 मिलियन कोई बड़ी बात नहीं, यदि डूब भी जाते है तो गम नहीं।


आर्यमणि:- पैसे जब तैयार हो तो चले आना। और हां वीकेंड पर आना, साथ ट्रिप का मज़ा लेंगे।


डॉक्टर:- ठीक है मै पैसे अरेंज करके मिलता हूं।


उधर स्कूल में… अलबेली और इवान अपने एक्स्ट्रा क्लास में म्यूज़िक लिये हुए थे और दोनो को ही म्यूज़िक से काफी रुचि सा हो गया था। एक बैंड के साथ लगभग रोज प्रैक्टिस करते थे जिसमे 8 सदस्य थे, 3 लड़की और 5 लड़के, जिसमे ये दोनो भी थे।


ओजल रोज के तरह ही इधर-उधर भटकती हुई ग्राउंड में पहुंच गयी, जहां हाई स्कूल की टीम अमेरिकन फुटबॉल खेल रही थी। वही खेल जिसमे 11-11 खिलाड़ी 2 ओर होते है। दोनो ओर से कोन शेप बॉल को विरोधी पाले के अंत तक ले जाकर अपना अंक बटोरते है। दूर से देखने पर सांढ की फाइट जैसी यह खेल लगती है। क्योंकि प्रोटेक्शन के लिहाज से इतने अजीब तरह के कपड़े खिलाड़ियों ने पहन रखे होते है की देखने में सांढ जैसे ही प्रतीत होते है।


बहरहाल 11 खिलाड़ी ग्राउंड में थे, कुछ खिलाड़ी बेंच पर बैठे हुए और कोच स्टूडेंट्स का ट्रायल लें रहे थे। हालांकि 11 की टीम फिक्स थी जो एक साइड में बैठकर विदेशी गुटका यानी कि चुइंगम चबा रही थी और ट्रायल दे रहे नए खिलाड़ियों का मनोबल "बू, बू, बू" करके गिरा रहे थे।..


दर्शक की सीढ़ी पर ओजल का एक क्लासमेट बैठा हुआ था, अक्सर तन्हा ही बैठा रहता और अकेले ही ज्यादातर एन्जॉय करता। ओजल उसके पास बैठती… "हाई जेरी".. "हेल्लो ओजल"..


ओजल:- फिर से अकेले बैठे हो जेरी?


मारकस:- अकेला ज्यादा अच्छा लगता है ओजल। तुम भी यहां ट्रायल देने आयी हो क्या?


ओजल:- ना ना, तुम्हे देखने आयी हूं, इतने क्यूट जो लगते हो।


मारकस:- जी शुक्रिया… वैसे बहुत है स्कूल में, और तुम्हारे लिये तो कई लड़के है, फिर मुझ बोरिंग पर दिल कैसे आ गया?


ओजल:- दिल नहीं आया है, तुम अच्छे लगते हो इसलिए बात करने चली आयी। अगर डिस्ट्रूब कर रही हूं तो बता दो..


"हेय इडियट्स, बॉल पास करो।"… फुटबॉल की एक चयनित खिलाड़ी अपने ट्रायल के दौरान बॉल लेने पहुंची, और दोनो के पाऊं के नीचे जो बॉल आकर गिरी थी, उसे बड़े प्यार से मांगी।


ओजल, उसे घूरती… "इसकी तो इडियट्स किसे बोली"..


जेरी, उसका कंधा पकड़ कर रोकते…. "ये लोग स्कूल के हीरो है इसलिए थोड़ी अकड़ है, जाने दो।"..


ओजल:- हम्मम ! लाओ बॉल मुझे दो.. मै देकर आती हूं।


ओजल बॉल लेकर उसके पास पहुंची और अपना हाथ बढ़ा दी। वो लड़की ओजल को देखकर "यू फुल" बड़बड़ाई और पूरे अटिड्यूट से, नजर से नजर मिलाकर उसके हाथ से बॉल ले ली। जैसे ही वो जाने लगी… "हेय यूं मोरोन, बॉल तो लेती जा।".... ओजल ने भी उसी एटिट्यूड से उस लड़की को पुकारा...


उस लड़की ने अपने हाथ में देखा, बॉल नहीं था। वो गुस्से में पलट कर आयी अपने नाक, आंख शिकोरे उसके हाथ से बॉल ली और झटक कर जाने लगी।… "हेय डफर, बॉल तो लेती जा।".. ओजल ने उसे फिर पीछे से टोका।


कम से कम 10 बार ऐसा हुआ होगा। वो लड़की बॉल लेकर जैसे ही मुड़ती और चार कदम आगे जाती बॉल हाथ से गायब। लगभग पूरा ग्राउंड ही उन्हें देख रहा था। अंत में वो लड़की मुस्कुराई… "तुम जिस लड़के से बात कर रही थी, उसे मैंने परपोज किया था। लेकिन उसने मुझे रिजेक्ट कर दिया। सो मै थोड़ा सा रूड हो गयी। आई एम सॉरी, अब बॉल दे दो।"


ओजल:- ये सही टोन है। वैसे भी कहो तो मै बात करूं तुम्हारे लिये। वो मेरा बॉयफ्रेंड नहीं है। हम जब खाली बैठते है तो यूं ही इधर–उधर की बातें करते है।


लड़की:- ओह थैंक्स डियर, बाय द वे मै नतालिया,


ओजल:- मै ओजल हूं, और उसे तो सॉरी कहती जाओ..


वो लड़की नतालिया, जेरी को भी सॉरी कहती हुई चली। ओजल जेरी के पास बैठ गयी और फिर से ग्राउंड पर देखने लगी… "तुम कमाल कि हो ओजल"..


ओजल:- जानती हूं जेरी। अब ये मुझे अपनी टीम का ट्रायल करने कहेंगे, और वो मै करूंगी, लेकिन मै खेलूंगी नहीं।


मारकस:- क्यों?


ओजल:- क्योंकि तुम्हारे साथ बात करना ज्यादा इंट्रेस्टिंग है, खेलने कूदने से।


मारकस:- हाहाहाहा.. तुम भी ना ओजल, इतना बड़ा मौका खो रही हो। फुटबॉल टीम में होना अपने आप में प्राइड की बात है।


ओजल:- क्या तुम्हारी इक्छा है फुटबॉल टीम में जाने की।


मारकस:- इक्छा पता नहीं...


"हेय ओजल, तुम्हे कोच बुला रहे है।"… नताली उनके पास आकर कही। ओजल जवाब देते… "एक मिनट नताली तुम भी रुको।"..


नताली:- जल्दी करो वरना कोच नाराज हो जाएंगे।


ओजल:- जेरी इतना भी क्या सोचना, बताओ ना?


मारकस:- सच कहूं तो हां इक्छा तो है, लेकिन ज्यादा स्किल नहीं है?


ओजल:- नताली को आई लव यू बोलकर यदि तुमने किस्स कर लिया तो मै वो स्किल तुम्हे सीखा दूंगी, जो अभी मै दिखाने वाली हूं, चलो नताली।


नताली बड़ी सी आखें किये… "क्या वो सच में मुझे आई लव यू कहेगा।"..


ओजल:- वो क्या उसका बाप भी कहेगा।


नताली:- उसका बाप नहीं चाहिए, ये बुड्ढे केवल ओरल से ही मस्त रहते है।


ओजल:- हीहीहीही… ट्रायल लेना था ना बॉयफ्रेंड बनाने से पहले, कहीं ये भी ओरल वाला निकला तो। हिहिहिह..


नताली, आंख मारती… "फिर दो बॉयफ्रेंड रखूंगी।"


दोनो हंसते हुये कोच के पास पहुंचे। जैसे ही वो कोच के पास पहुंची… "क्या तुम फुटबॉल का ट्रायल दोगी।"


ओजल:- इन बच्चीयों के साथ मेरा क्या ट्रायल करवाते हो सर, लड़को की टीम बुलाओ और उनके 4 खिलाड़ी और मै अकेली, फिर देखते हैं कौन जीतता है?



कोच:- इतना कॉफिडेंस..


ओजल:- मेरे डिफेंस और आटैक का कोई सामना नहीं कर सकता।


कोच:- ठीक है पहले तुम ये कारनामा यहां के लड़कियों के साथ दिखाओ।


चार लिड़किया एक ओर और उसके विपक्ष में ओजल खड़ी। सिटी बजी और और नियम से गेम आगे बढ़ा। पहली कोशिश, एक लड़की ओजल के सामने थी और 3 लड़की ओजल के गोल पोस्ट पर। प्लान बॉल लेकर सीधा दूर थ्रो और वहां से बिना किसी झंझट के गोल।


सिटी बजी, बॉल हाथ में आया और दूर पास होने से पहले ही बॉल गायब। ओजल अपने विपक्षी के हाथों से बॉल छीनकर बड़े आराम से विपक्षी के गोल पोस्ट में घुसी। क्योंकि वहां कोई डिफेंस ही नहीं था। अलग-अलग तरह के फॉर्मेशन में उन लड़कियों ने खेला। 4 ट्रायल बाद कोच समझ चुका था कि ओजल ने लड़कों की टीम को चैलेंज क्यों देने कही?


गर्ल्स कोच ने बॉयज कोच को संदेश भेजा, लड़को की टीम आते ही हंस रही थी और ओजल सामने खड़ी। पहला मौका उन लोगो ने ओजल को ही दिया। बॉल ओजल के हाथ में और 4 मुस्टंडे सीधा सामने से भिड़ने के इरादे से। ओजल 5 कदम पीछे हटी, उन लोगों ने दौड़ लगाया। सभी टकराने को मरे जा रहे थे और ओजल अपनी जगह खड़ी। लगभग 4 कदम दूर होंगे, तभी ओजल किनारे हट गई। वो इतनी तेज हटी की उन्हें यकीन नहीं हो रहा था कि टक्कर लगी नहीं।


देखने वालों ने दातों तले उंगली दबा ली थी। डिफेंस लाइन सब आगे और ओजल तेज दौड़ लगाती उनके गोल में। फिर उनको मौका मिला। इस बार भी वही रणनीति। तीन लोग आगे डिफेंस लाइन बनाकर चलेंगे और बॉल लिये एक खिलाड़ी उनके पीछे।


वो लोग कंधे से कंधा मिलाये झूक कर दौड़ लगा रहे थे। इस बार इन लोगों ने सोचा कि कहीं ये तेजी से किनारे ना हो जाये, इसलिए रणनिंती के तहत ओजल से 5 कदम पीछे ही सभी अलग होकर थोड़ा-थोड़ा फ़ैल गये और ठीक उसी वक़्त ओजल 2 लोगो के बीच से निकलकर कब पीछे वाले के हाथ से बॉल लेकर विरोधी के पोस्ट पर निकल गयी पता भी नहीं चला।


4 के विरूद्ध 1, लौडो के तो इज्जत पर बात आ गयी। 20 बार कोशिश कर चुके थे। सब थक कर बैठ गये और कोच ने फाइनल विसेल बजा दिया। उसे तो पहला ऑफर बॉयज की टीम से ही आ गया। ओजल सबको हाथ जोड़कर कहने लगी, वो सिर्फ 1 या 2 साल के लिये यहां आयी है और कोशिश कर रहे लोग कई सालों से कोशिश कर रहे है। वो टीम में सामिल नहीं होगी लेकिन जेरी और नताली को कुछ-कुछ स्किल सीखा सकती है।
Shandaar jabarjast lajawab update Bhai ❤️🎉🎉🎉
Bs aaja 1,2 aur update kr do maja aa jaaega😅
 
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Reactions: Tiger 786 and Xabhi

nain11ster

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ये साले सुपरनैचुरल पक्का अस्तक या सुप्रमारिच की गंदी नस्ल का परिणाम है तभी ये सब पत्थरो के बारे में जानते है। क्योंकि ये लोग भी इंसान और गंदी नस्ल के मिक्सड ब्रीड है तो इनके बच्चे भी दोनो तरह के होते है या तो इंसान या फिर सुपरनैचुरल। ठीक वैसे ही जैसे मीनाक्षी सुपरनैचुरल निकली मगर जया नही। और यही बात अब भूमि के बच्चे साथ भी लागू होगी।

यही कारण है कि ये लोग शादियां भी अपने सीक्रेट प्रहरी समूह में करते है ताकि इनका वंश आगे चलता रहे। पलक और आर्य की शादी ये लोग इसीलिए नही होने देते क्योंकि वेरवॉल्फ इनका एक बड़ा खतरा है और अगर कोई बच्चा सुपरनैचुरल और वेरवॉल्फ दोनो का मिक्सड ब्रीड हुआ तो इसके सीक्रेट प्रहरी संस्था का अंत निश्चित है। मगर उन्हें नही पता की उनके दो काल पैदा हो चुके है और ओजल और इवान दोनो ही एक मुख्य भूमिका निभाएंगे उस युद्ध में। शानदार अपडेट nain11ster भाई।
Thankoooo sooo much Amit bhai.... waise itna vikar achha nahi... Waise ek tarah se achha bhi hai... Unka jitna band bajega aapke comment ka josh bhi utna hi aage hoga... Mahol aur taiyari to shuru hai... Natija jald hi dekhne milega
 
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