Final part
ऐसे जो इतने सालों से तड़प रही थी मैं भी लंड के बिन
शायद रिश्तों पर हावी हो गई अंदर की वासना उस दिन
मुझे शर्म आ रही है असलम बेटा बस इतना ही मैं बोली
मेरे कंधों से निकाल फैंक दी जब असलम ने मेरी चोली
एक हाथ से पकड़ के चूची को लगा था असलम खेलने
दूजा हाथ से मेरी गिल्ली फुद्दी में लगा था उंगली पेलने
शायद उस पल मुझ पर हावी हो गई मेरे अंदर की गर्मी
उसकी बाहों में लगी बहक ने और बातों में आ गई नरमी
मुझको तोकर दिया है नंगा और तू खुद के है कपड़े पहने
धोती के ऊपर से ही पकड़ लिया था उसका भी लौड़ा मैंने
चुम बदन का हर कोना असलम अपना हक लगा जगाने
उसकी ये बदमाशी देख मुझे भी मजा लगा था अब आने
बैठ के मेरी टैंगो के बीच में असलम ने कच्छी मेरी हटा दी
मेरी बरसो से तड़पती चूत पे अपनी लंबी जीभ चला दी
अपने होठों में ले लगा चुसने मेरी फुद्दी का फडकता दाना
जवान मर्द का नशा अलग ही होता है मैंने आज ये माना
बिस्तर पर अब तू ले जा असलम और मेरी प्यास बुझा दे
जिस छेद से तू आया था बाहर अब उसमें ये लन घुसा दे
मुझे उठा बाहों में असलम ने बिस्तर पर मेरे मुझे बिठाया
खोलके अपनी धोती को मेरे होठों पर अपना लड लगाया
अम्मी जान एक ख्वाहिश है मेरी अगर बात तू मेरी रख ले
एक बार तू मेरा लन लेके मूंह में स्वाद तो इसका चाख ले
पकड़ असलम का मोटा लौड़ा मैंने सुपाड़े पर जीभ चलाई
अपने मुंह में लेकर उसका काला लौड़ा करने लगी चुसाई
गर्मी सर चढ़ के बोल रही थी और मेरी चूत लगी अब बहने
असलम अब जल्दी से मुझे ठंडा कर लगो मैं उसको कहने
इतने सालो से दबी पड़ी थी तूने फिर वो प्यास जगा दी है
हाय असलम सच्ची तेरे लौड़े ने मेरी चूत में आग लगा दी है
खोल के मेरी मांसलजांघें असलम ने घुटनो से उसको मोड़ा
पहले धक्के में असलम ने मेरी चूत के अंदर करदिया लौड़ा
पहली ही चोट पर असलम के लौड़े की ज़ोर से मैं चिल्लाई
जैसी किसी नयी दुल्हन की सुहागरात हो यह पहली ठुकाई
बंद पड़ चुके थे जो इतने सालों से वो खुल गए सब दरवाजे
लन की चोट पे मुँह से फूट रही थी आह. उफ़ .की आवाजे
सुबह सवेरे जो शुरू हुई थी वो शाम तक चलती रही चुदाई
उस दिन तो घर के हर कोने में असलम ने मेरी करी ठुकाई
कल तक जो खेला मेरी गोद में अब मैं उसकी गोद में खेली
कुछ दिनों में मुझे बना घोड़ी असलम ने गांड भी मेरी ले ली
खुल के चुदाई का खेल खेलते घर में हम दोनो रोज़ाना
एक बार तो मुझको असलम का बच्चा भी पड़ा गिराना
ऐसी गलती फिर ना हो जाए हमसे मैं असलम से बोली
इसिलिये तो अब रोज़ सुबह उठते ही खा लेती हू गोली