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Bhai har do din me ek update aayega or story bhi complete hogi
Sahi h pichle Janam me bhi bahot bada chodu tha or is Janam ke liye bhi baba se usse bada chodu banne ka vardan maang liaअध्याय 1
एक जंगल में एक तालाब के किनारे पर में बैठ कर ध्यान लगा रहा था मेरे अंदर से एक तिलस्मी धुआं सा निकल रहा था फिर वो धुआं मेरे अंदर समाने लगा धुएं के साथ साथ वहां पर उपस्थिति जो प्राकृतिक ऊर्जा भी मेरे अंदर समाने लगी़
कुछ समय बाद में अपनी आँखें खोल लेता हूं और हवा को नियंत्रण लाने की कोशिश करता हूं हवा को नियंत्रित होता देख में बहुत खुश हो जाता हु
फिर में अपना सामान समेट कर घर के लिए चल देता हूं
अरे मैंने अपना परिचय तो कराया ही नहीं मेरा नाम है देवा । मे आज 18 साल का हो गया हु जी आप लोग ठीक समझे आज मेरा जन्मदिन है
में एक छोटे से गाँव कोटवा में रहता हूँ में अपने बाबा(पिता ) के साथ रहता हूँ मेरे पिता का नाम प्रताप है वो एक लोहार है पर वो हमेशा शराब के नशे में ही रहते है मेरी मां मुझे जन्म देते ही भगवान के पास चली गई ऐसा मेरे बाबा कहते है
में आज इसलिए खुश नहीं हु कि आज मेरा जन्मदिन है बल्कि इस लिए खुश हु कि मेरी आज सारी शक्तियां जागृत हों गई है क्योंकि में बहुत सालो से प्रयास कर रहा था जो आज सफ़ल हुआ है
अब आप लोग सोच रहे होंगे कि मेरे पास शक्ति कहा से आई तो चलो ये भी बता देता हूं ये मेरा पुनर्जन्म है आज से 600 साल पहले में बहुत बहुत ही सुन्दर और शक्तिशाली योद्धा था जिसे कोई भी नहीं हरा पाता था मुझे सभी युद्ध कला और हर शास्त्रों का पूर्ण ज्ञान था
मुझे काली शक्ति का भी ज्ञान था
मुझमें बस एक कमी थी वो ये की औरत के बिना मेरी रात नहीं गुजरती थी मुझे हर रात के लिए नई औरत चाहिए होती थी
एक दिन में जंगल में शिकार के लिए गया हुआ था तो में जंगल में घूमते घूमते मुझे बहुत ज्यादा समय हो चुका था
इसी कारण में विश्राम करने के लिए एक स्थान तालाश कर रहा था तो मुझे एक छोटी झोपड़ी दिखाई दी तो में वहां पर पहुंच आवाज़ लगाई तों अंदर से एक साधु बाहर निकल कर आते है और उन्हें में अपना परिचय देकर उनसे आज रात विश्राम के लिए स्थान मांगता हूं तो वो मुझे अपनी झोपड़ी में विश्राम करने के लिये कहते है और खुद बाहर ही एक पद के नीचे बैठ कर ध्यान लगाने लगते है ऐसे ही थोड़ा बहुत अंधेरा हो जाता हैं तो में भी अंदर झोपड़ी में दो जाता हु
कुछ समय बाद ही मुझे ऐसे लगता है कि कोई स्त्री मुझे चूम रही है में भी ये सोचने लगता हु कि सपना देख रहा हूं और उस स्त्री को अपने नीचे खींच कर लेता हूं और फिर शुरू होती है काम क्रीड़ा उस रात में उस स्त्री के साथ चार बार शारीरिक संबंध बनाता हु
जब सुबह साधु झोपड़ी में अंदर आता है तो तो वो अंदर अपनी पत्नी को मेरे साथ नग्न अवस्था मे देख कर रहा बहुत क्रोधित हो जाता है
साधु - ये क्या हो रहा है
साधु की आवाज सुनकर मेरी ओर उस महिला की नींद खुल जाती हैं वो औरत मुझे देख कर अपना शरीर को ढकने लगीं
साधु - अरे नीच मैं ने तुझे रात गुजरने के लिए स्थान दिया और तु मेरी ही बीवी के साथ रंगरलियां मना रहा है और कुल्टा तू अपने पति को छोड़ कर इसके साथ रात गुजार रही हैं
साधु की bivi- स्वामी मुझ से भुल हो गई रात में जब अपने मायके से लौटी तो अंधेरा काफी हो चुका था
में पहचान न सकी मुझे क्षमा कर दे
साधु - क्षमा नहीं तुझे तो मृत्यु मिलेगी
फिर साधु ने कुछ मंत्र पड़ कर पानी की बूंदे अपनी की बीवी पर डाली ओर उसकी बीवी जल कर भस्म हो गई
ये देखकर मेरी तो फट कर चार हो गई ओर साधु के पैर पकड़ लिए
में - बाबा इसमें मेरी कोई गलती नहीं है आप चाहे तो अपनी दिव्यदर्शिनी आंखो से देख सकते है
फिर साधु अपनी आँखें बंद कर जो कुछ हुआ देखा
साधु - मैंने सब कुछ देख लिया है तुमने जो भी किया वो अपने होश में होते हुए नहीं किया है इसी लिए हम तुम्हे दो रास्ते देंगे
में - कौन से दो रास्ते बाबा
साधु - पहला रास्ता की तुम अपनी सारी शक्तियां ओर जाएं को भुल जाना होगा और तुम किसी दुर्बल इंसान की भांति जीना हो गा
में - बाबा दूसरा
साधु - दूसरा कि तुम्हे अपने प्राण त्यागने होगे
मैंने बहुत देर सोचने के बाद
में - बाबा में दूसरा रास्ता ही चुनता हूं
साधु - दूसरा क्यों बताना चाहोगे
में - बाबा में एक कीड़े की भांति जीने से तो अच्छा मौत को स्वीकार कर लू
बाबा - जैसी तुम्हारी इच्छा
में - पर बाबा मुझे आपसे कुछ चाहिए क्या आप मरने वाले व्यक्ति की आखिरी इच्छा पूरी नहीं करेंगे
साधु - बोल अपनी इच्छा
में - बाबा में चाहता हूं कि मेरा पुनर्जन्म हो ओर मुझे मेरी शक्तियों के साथ साथ आपकी भी सारी शक्तियां प्राप्त हों
साधु - ठीक है पर तुम्हे मेरी शक्ती तभी प्राप्त होगी जब तुम्हे कोई दूसरा रास्ता नजर नहीं आएगा
में - बाबा मुझे मंजूर है पर आपने भी एक शर्त रखी है तो में भी कुछ चाहता हूं
साधु - अब ओर क्या चाहिए तुम्हें
में - बाबा मुझे एक सा लन्ड चाहिए जिससे में हर औरत को अपना गुलाम बना सकू
साधु - वैसे तुझे में देना तो नहीं चाहता हूं पर तुझे इसकी जरूरत कुछ ज्यादा ही होगी तथास्तु
फिर वो पानी मेरे ऊपर फेंक दिया और में भी परलोक सिधार गया अब मेरा पुनर्जन्म हुआ है
Achanak aisa kia ho gaya ki deva ke baba ko poori Zameen bechni padi or deva ko waha se Mumbai ke liye bhej diaअध्याय 2
मैं चलते हुए अपने गांव तक पहुंच गया था मेरा घर गाँव की बाहर ही था मैंने 12 वीं तक की पढ़ाई चुका था
जब में अपने घर पर पहुंच गया तो देखा कि बाबा के साथ कुछ लोग भी थे जो आपस में कुछ बात कर रहे थे
में बाबा के पास गया तो उन सभी लोगों ने अपनी बातें बंद कर दी
में - बाबा ये लोग कौन है
बाबा - देवा ये लोग हमारे घर खरीदने के लिए आए है
में - बाबा हम तो अपना घर नहीं बेच रहे थे फिर ये लोग
बाबा - बेटा इन्हें यहां पर एक कारखाना खोलना है इसलिए ये हमारी जमीन खरीदने के लिए आए है
में - फिर बाबा हम कहा रहेंगे
बाबा - मुझे ये लोग यही अपने कारखाने में काम भी दे रहे हैं ओर रहने के लिए एक कमरा भी देंगे
में - बाबा में भी आपके साथ यही पर ही काम करूंगा
बाबा - नहीं देवा तू यहां काम नहीं करेगा मैं ने तेरा दाखिला मुंबई में एक कॉलेज में करवा दिया है तू वही रहकर आगे की पढ़ाई करेगा
में - नहीं बाबा में आपको छोड़ कर कही नहीं जाऊंगा फिर इतना पैसा कहा से आएगा
बाबा - बेटा ये जो जमीन का पैसा मिला है वो मैंने तेरे अकाउंट में डलवा दिया है पूरे 50 लाख रुपए है तू वही हॉस्टल में रह कर आगे पढ़ना और बहुत बड़ा आदमी बनाना तेरी मां की भी यही इच्छा थी
मां की बात सुनकर मैं कुछ नहीं बोला और मैं ने भी हा कर दी
बाबा - बेटा यही तो तेरा जन्मदिन का तोहफा हैं चल जा जल्दी अपना जरूरी सामान रख लें शाम की ट्रेन से तुझे जाना है
में घर के अंदर चला गया और जरूरी सामान रखने लगा
बाहर मुझे एक बात बहुत अजीब लगी जब अपने बाबा से बात कर रहा था तो आदमी मुझे दया वाली नजरों से देख रहे थे
मुझे अभी ही निकलना था क्योंकि हमारे यहां से रेलवे स्टेशन बहुत दूर था तो पहुंचने में शाम होना तय था
में सामान लेकर बाहर आया तो बाबा ने मुझे कालेज का पता दिया और फिर हमारे गांव के सरपंच का बेटा अपनी बाइक लेकर आ गया क्योंकि गांव के सरपंच मेरे पिता के दोस्त भी थे और पूरे गांव में बस सरपंच के पास बाइक थी बाबा के दोस्त होने की वजह से में भी बाइक चलाना सीख गया था
में - बाबा आप मुझे छोड़ने के लिए नहीं चलेंगे
बाबा - नहीं बेटा एक बाइक पर तीन लोग नही जा पाएंगे और तेरा सामान भी तो है
में - ठीक है बाबा ( मैने उनके पैर छुए)
बाबा - (बाबा ने भी मुझे गले लगाया और मेरे कान में कुछ बोले) देवा मेरी एक बात ध्यान रखना बेटा दुनिया ऐसी नहीं है जैसी तुमने देखी इस लिए सावधान रहना और अपनी शक्तियों के बारे में किसी को भनक मत लगने देना
में - बाबा ( आश्चर्य से)
बाबा - शांत मुझे कुछ बताने की जरुरत नही है चल जा और सावधान रहना
फिर में ने कुछ नहीं कहा और सीधे बाइक पर जा कर बैठ गया और वहां में अपना नया सफर शुरू किया
शाम के 6 बजे में स्टेशन पर पहुंच गया और ट्रेन का पता किया तो ट्रेन को अभी आने में एक घंटा और लगेगा
में - (सरपंच के बेटे से) भाई आप अब वापिस लौट जाएं वरना आप को बहुत रात हो जाएंगई
सरपंच का बेटा - ये ले देवा इसमें कुछ पैसे है जो पापा ने मुझे तुझे देने को कहा है
में - इसकी कोई जरूरत नहीं भाई मेरे पास है बाबा ने दिए मुझे
फिर भी वो नही माने ओर जबरदस्ती मुझे दे कर चले गए मैंने पैसे गिने तो पूरे 5000 रुपए थे
मैं भाई स्टेशन पर घूम रहा था देखते ही देखते आधा घंटा निकल गया तो मैने जा कर टिकट ले ली मुंबई के लिए
जैसे ही में टिकट ले कर बाहर निकला तो कोई मुझसे टकरा गया ओर वो माफी मांग कर जल्दी में ही निकल गया
ना ही उसने मुझे देखा और ना ही मैंने उसे देखा पर में उसे पीछे से देख रहा था तो मुझे कोई लड़की लगी तो मुझे एक पर्स वही गिरा दिखा तो में समझ गया कि यह उस लड़की का ही है तो में ने उसे उठा लिया और लड़की को देने के लिए अंदर गया तो वो लड़की वही टिकट काउंटर के पास अपने सामान में कुछ ढूंढ रही थी और बहुत घबरा रही थीं
तो में समझ गया कि वो अपने पर्स को ढूंढ रही है तो में उसके पास जाने लगा तो पता नहीं उस लड़की ने क्या देखा कि वो वहां से तेज़ी से रेलवे स्टेशन में घुस गई ओर इधर से उधर भागने लगी
तो में भी उस लड़की को पर्स देने के लिए उसका पीछा करने लगा
तभी मेरे पीछे से 10 12 लोग निकल कर आगे गए जो देखने से ही खतरनाक लग रहे थे वो लोग ने जा कर उस लड़की को पकड़ लिया ओर उसे घसीटते हुए बाहर लाने लगे
लड़की - मुझे छोड़ दो जाने दो मैं तुम्हारे पैर पड़ती हु ( जोर जोर से रोने लगी )
एक तो रात का समय ओर स्टेशन पर ज्यादा लोग नहीं थे वैसे भी मुझे कोई नहीं जानता था जो उन लोगों बाद में मेरे बारे में बताएं ये सोच कर में ने अपने चेहरे को एक कपड़े से ढक लिया उनके सामने जाकर खड़ा हो गया
वो सभी अपने सामने एक युवक खड़ा देखकर चौक गए
आदमी 1 - कौन है तू तुझे पता है कि तू जानता भी किन के सामने खड़ा है
में - अरे भाई वो तो मेरी थोड़ी तबीयत खराब है इसलिए चेहरे को ढक रखा है
आदमी 2 - तो हट ना सामने से
में - अरे में तो हट जाऊंगा लेकिन पहले मुझे वो लड़की चाहिए जिसको आप लोगों ने पकड़ रखा है
वो लड़की तो मुझे ही देखे जा रही थी ये कौन मुझे बचाने आ गया मैंने भी लड़की को गौर से देखा तो लड़की की सुन्दरता में ही खो गया उसको देख कर ऐसा लग रहा था कि भगवान ने विश्व की सारी सुन्दरता इसी लड़की को ही दे दिया है
आदमी 2 - तू अपनी मौत को क्यों न्यौता दे रहा है तू जानता नहीं है हम किसके आदमी हैं
में - मुझे जानना भी नहीं मुझे बस ये लड़की दे दो ना please
आदमी 1 - अबे सालो क्यों मेरा दिमाग ख़राब करवा रहे हो मरे साले को और चलो जल्दी
वो सभी लोग मुझे मरने के लिए भागे में भी समय न लगाते हुए उन पर टूट पड़ा और उन्हें मारना मेरे लिए बहुत छोटी सी बात थी 1 मिनट के अंदर सभी लोग जमीन पर धुल चाट रहे थे
में - अरे तुम घबराओ मत ( ये बोलते हुए में पीछे घुमा तो वो लड़की वह नहीं थी तो मैंने लोगों से पूछा तो उन्होंने बताया कि वो लड़की तो ट्रेन में चली गई
मैंने देखा कि ट्रेन निकलने लगी तो में भी भागते हुए एक डिब्बे में चढ़ गया जब एक सीट पर जाकर बैठा तो में ने देखा कि कोई मेरे सामने वाली सीट पर कोई कम्बल ओड कर लेटा हुआ था
में ने उसपर कोई ध्यान नहीं दिया और आगे सफर के बारे में सोचने लगा कि मुंबई में कैसे रहना होगा
तभी ट्रेन को चले हुए अभी 2 घंटे हुए होगे कि वह पर टीटी आ गया ओर टिकट चैक करने लगा वो मेरे पास आया तो मैने उसे अपनी टिकेट दिखा दी फिर वो सामने वाले इंसान से टिकट मांगने लगा तो इंसान नहीं बोला
टीटी - देखिए सीधे तरह से टिकट दिखा दीजिए वरना में आपको पुलिस के हवाले कर दूंगा
में - अरे भाई क्यों परेशान कर रहे हो बेचारे को शायद बेचारे की तबीयत खराब होगी
टीटी - अरे तुम्हें नहीं पता ये मेरा रोज का कम हैं इनके जैसे मुझे रोज मिलते है
अरे भाई या तो चालान भरना पड़ेगा नहीं तो जेल जाने के लिए तैयार हो जाओ
फिर भी वो नही उठा तो
टीटी - अब तो मुझे रेलवे पुलिस को सूचना देनी ही पड़ेगी
इतने वो बोला - नहीं नहीं ऐसा मत कीजिए
उसकी आवाज सुनकर टीटी और में दोनों चौक गए क्योंकि वो एक लड़की की आवाज थी
फिर वो लड़की ने अपना कंबल उठाया तो वो भी लड़की थीं
में - तुम
टीटी - अरे तुम दोनों साथ में हो क्या
में - हा / लड़की- नहीं
टीटी हम दोनों की बात सुनकर हमे देखने लगा
में - सर आप मुझे बताए इन्हें कितने का चालान भरना है में भर दूंगा
टीटी - 1000 रुपए का
तो में ने 1000 रुपए दिए वो हमे चालान देकर चले गये
में - तुम तो बहुत बतमीज निकली
लड़की - देखिए में तो आप जानती भी नहीं आप कौन है और टीटी से बचाने के लिए धन्यवाद
में - अच्छा और अभी थोड़ी देर पहले उन गुंडों से तुम्हें बचाया उसका क्या
लड़की - क्या आप वही है
में - हा में वही हु तुमसे ज्यादा अहसान फरामोश कोई नहीं देखी
लड़की - में आपसे माफी चाहती हूं में डर गई थी इसलिए वह से भाग आई थीं
में - कोई बात नहीं ये लीजिए आपका पर्स
लड़की - ये आपके पास कहा से आया
में - ये मुझे तभी मिला जब तुम मुझसे टकराई थी
लड़की - आपका बहुत बहुत धन्यवाद
में - वैसे में पूछ सकता हूं कि वो लोग कौन थे
थोड़ी देर वो लड़की कुछ नहीं बोलती है फिर
लड़की - वो सभी लोग मेरे चाचा जी के लोग थे
में - तुम्हारे चाचा जी के
लड़की - हा वो जब में छोटी थी तब मेरे माता पिता का देहांत हो गया था तब मेरी चाची ने मुझे पाला और अब मेरे चाचा जी मुझे किसी को देना चाहते है इसलिए मेरी चाची ने मुझे सब कुछ सच बता कर भागा दिया फिर में तीन दिनों से इधर से उधर भाग रही हु
में - तुम्हारे चाचा जी तुम्हें किसे देना चाहते है
लड़की - वो तो मेरी चाची को भी नहीं पता बस मेरी चाची ने मुझे कभी न वापस आने के लिए कहा है
में - अच्छा तो तुम्हारा अब कोई नहीं है
लड़की - हा
में - वैसे तुम्हारा नाम क्या है
लड़की - नीलम , आपका
में - देवा
में - अच्छा नीलम तुम पढ़ना जानती हो
नीलम - हा मैने इसी वर्ष 12 वीं पास की है
में - तो क्या तुम्हारे पास सारे कागज है
नीलम - हा है आप क्यों पूछ रहे हो
में - देखो नीलम जैसे तुम्हारा इस दुनिया में तुम्हारी चाची के अलावा कोई नहीं है वैसे ही मेरा भी इस दुनिया में मेरे पिता के अलावा कोई नहीं है
में - में अब मुंबई जा रहा हूं पड़ने के लिये इसलिए मैंने सोचा है कि तुम्हारा भी अपने साथ एडमिशन करवा लूंगा और तुम मेरे साथ ही रह कर पड़ लेना
नीलम - पर आप तो मुझे जानते भी नहीं ओर मेरी चाची कहती दूसरों पर इतनी जल्दी भरोसा नहीं करना चाहिए
में - हा तुम्हारी चाची सही कहती हैं पर में तुम पर भरोसा कर रहा हु क्या तुम मुझ पर भरोसा करती हो
फिर में नीलम की आंखों में देखने लगा
नीलम - हा करती हु भरोसा
में - तो दोस्त ( मैने अपना हाथ आगे बढ़ाया तो नीलम ने भी मुझसे हाथ मिलाया)
जैसी ही मेरा ओर नीलम का हाथ मिला तो एक दम बादल काले गहरे होने गले ओर अचानक बहुत तेज बिजली कड़की
वहीं यहां से बहुत दूर
एक औरत सिंघासन पर बैठी हुई थी और उसके पास एक साधु बैठा हुआ था
तभी बिजली की कड़कना सुना तो साधु घबरा गया और उसे पसीना आने लगा
औरत - क्या हुआ चाकाला
चाकाला - अनर्थ हो गया महारानी
महारानी - ऐसा क्या हो गया
चाकाला - महारानी जो नहीं होना था वही हो गया है जिस लड़की को आपने अपने लिए चुना था वो लड़की ऐसे इंसान के पास पहुंच गई जिसका कोई कुछ नहीं बिगाड़ सकता है महारानी
महारानी - ऐसा कैसे हो सकता है वो लड़की को तो मेरे ही आदमी के पास है वो वहां से कही पर भी जा सकती हैं
चाकाला - ये मुझे नहीं पता पर ये हो चुका है
महारानी - तो पता लगाओ चाकाला वो खा हैं और किसके पास हैं
चाकाल - नहीं महारानी में पता नहीं कर पा रहा हूं कि वो कौन है और उसके आने में उस लड़की का भी कुछ पता नहीं चल रहा है वो कहा है
महारानी - नहीं नहीं नहीं ( फिर जोर से) ऐसा नहीं हो सकता है
Mast update hai bhai ... Finally nelan aur Deva ki shadi ho gyi ... Ab dekhta hai ki college mai kya kya hoga .... Mazza aayega aana wala episodes maiअध्याय 3
देवा और नीलम मुंबई स्टेशन पर उतरते हैं देवा एक ऑटो वाले से बात करता है फिर दोनो उस ऑटो में बैठ कर कॉलेज पर पहुंच जाते हैं अभी कॉलेज की छुट्टी चल रही थी ।
देवा नीलम के साथ एक ढाबे पर बैठकर खाना खाते हैं
देवा ढाबे के मालिक से बात करता है कि उसे एक घर किराए पर चाहिए
तो ढाबे का मालिक एक ब्रोकर के बारे में बताता है
देवा और नीलम उस के पास पास पहुंच जाते है उस ब्रोकर का नाम लखन था जिसकी उम्र 50 से ज्यादा ही होगी
लखन - देखो बेटा ये है मुंबई यहां पर अकेले लड़के को घर मिल सकता है अकेली लड़की को भी घर सकता है लेकिन एक साथ दो लड़के और लड़की को घर भी मिलता है
देवा - तो अंकल आप ही कुछ उपाय बताएं
लखन - बेटा एक घर है जो की तुम्हारी कॉलेज के पास ही है पर उस घर के मालिक एक बूढ़े पति पत्नी है जो की अकेले ही रहते है पर उनकी एक शर्त है
देवा - क्या शर्त है
लखन - वो अपना घर किसी विवाहित जोड़े को ही देंगे
देवा - तो आप कोई घर ही देख लीजिए
लखन - फिर तो बेटा मेरे पास कोई घर नहीं है
नीलम - अंकल आप कुछ उपाय बताइए ना
लखन - तुम दोनो का रिश्ता क्या है
देवा - अंकल हम दोनो दोस्त हैं ये मेरे ही गांव की लड़की है
लखन - तो फिर मैं तुम्हे एक उपाय बताता हू मानना है तो मानो वरना तुम्हारी मर्ज़ी
नीलम - क्या उपाय है
लखन - बेटा मेरा एक दोस्त वकील है वो तुम दोनो की शादी करा देगा
देवा और नीलम - क्या
लखन - देखो पहले मेरी बात ध्यान से सुनो तुम दोनो अब 18 वर्ष की आयु पार कर चुके हो बेटा मुंबई जैसे शहर में ऐसे रहना बहुत कठिन होगा अगर में ये भी कह दूं कि तुम दोनो भाई बहन हो तो लोग फिर भी तुम दोनो के बारे में बात बनाएंगे इसलिए कह रहा हु तुम दोनो अगर पति पत्नी हुए तो कोई कुछ भी नहीं कहेगा
और मै कोन सा तुम दोनों से असली मे शादी करने को कह रहा हूं जब तक तुम दोनो की पढ़ाई पूरी नही हो जाती है तुम दोनो पति पत्नी बनने का नाटक करते रहना
देवा - अगर नाटक ही करना है तो वकील के पास क्यों जाना वो तो वैसे भी कर सकते हैं
नीलम - हा अंकल ये सही कह रहे है
लखन - अरे वो मकान मालिक शादी का सर्टिफिकेट भी मांगे गा उसके लिए
देवा और नीलम दोनो सोच में पड़ जाते है
देवा - नीलम तुम क्या कहती हो क्या तुम मेरे साथ पत्नी बनकर रह पाओगी
नीलम - अब जब आपके साथ ही रहना है तो कैसे भी रह लूंगी
लखन - अरे बेटा में भी तो यही कह रहा हु रुको में अपने दोस्त को फोन करके पूछता हूं
फिर लखन फोन करने चला जाता है थोडी देर बाद वो आ जाता है
लखन - बेटा वो इस वक्त फ्री है पर वो शादी करने के लिए मंगलसूत्र और वरमाला वगैरा में भी खर्चा होगा इसलिए वो 5000 रूपए मांग रहा है बस
देवा - वो तो हमारे पास पैसे है पर किराया कितना होगा
लखन - 2000 रुपए महीना बस घर एक दम बढ़िया मिल रहा है
देवा - ठीक है तो चलिए
फ़िर वो तीनो वकील के पास जाने के लिए निकल जाते है
नीलम मन ही मन खुश हो रही थी क्योंकि वो देवा प्यार करने लगी थी और आज उसी से उसकी शादी होने वाली थी भले देवा उस शादी को नकली समझे पर नीलम शादी को असली ही मान रही थी
रास्ते में लखन - सुनो बेटा मेने उससे कहा कि तुम दोनो एक दूसरे से प्यार करते हो और अपने घर से भाग कर आए हों
देवा - पर आपने ऐसा क्यों बोला
लखन - अरे अगर ऐसा नहीं बोलता तो वो नकली शादी के बहुत पैसे मांगता
देवा _ ठीक है
फिर तीनो वकील के पास पहुंच जाते है वकील का नाम मदनलाल था जो की अभी 40 की उम्र का होगा
हम दोनों को देख कर वो बोलता है
मदन लाल - अरे लखन भाई कही ये 18 वर्ष से कम आयु के तो नही है
लखन - अरे वकील्ल बाबू ये लीजिए इन दोनो के कागज आप ही देख लो
मदन लाल कागज देखता है और फिर वो हम दोनो की शादी करा देता है हम दोनो साइन कर देते है फिर मदन लाल हमे वरमाला देता है
हम दोनो एक दूसरे को वरमाला पहना देते है
फिर वो मुझे सिंदूर देता है और नीलम की मांग भरने को बोलता है मै थोड़ा झिझक जाता हूं तो नीलम अपनी आंखो झपका देती है तो भी उसकी मांग भर देता हूं
फिर वो मुझे मंगलसूत्र देता है में उसे पहना देता हूं
फिर वो एक कैमरा वाले को बुला कर हमारी फोटो खिंचवाते है
थोड़ी देर बाद वो हमे शादी के कागज देते हैं
फिर वहा हम सीधे उस मकान में पहुंच जाते हैं जहां हम लोगो को रहना था
वह मकान कॉलेज से 6 km दूरी पर था मकान देखनेबमे तो अच्छा लग रहा था वो मकान थोड़ा भीड़भाड़ वाले इलाके से अलग था वो दो मंजिल बना हुआ था
अंकल ने हमे बताया कि नीचे के मंजिल पर मकान मालिक और उनकी पत्नी रहते है
मकान के मालिक का नाम बलवंत सिंह है जो कि आर्मी से रिटायर है उनकी उम्र 62 साल है
और उनकी पत्नी का नाम रोहिणी देवी है वो एक टीचर हैं उनकी उम्र 56 साल है
जब हमने घर कीबजाई तब एक रोहिणी देवी निकल कर बाहर आई
वो हम दोनो को घूर कर देखने लगी
लखन _ नमस्ते भाभी जी भाई साहब है क्या
रोहिणी देवी _ अरे लखन ये किसे लेकर आ गया तू
लखन _ भाभी जी अंदर्वती बुलाए की बाहर ही खड़ा रखेंगी
रोहिणी देवी उन्हें अंदर बुलाती हैं और बलवंत सिंह भी आ जाते है
फिर वो लखन से आने का उद्देश्य पूछते है
लखन _ भाई साहब ये दोनो आपका घर किराए पर चाहते है जैसा आप दोनो ने बोला था ये दोनों पति पत्नी है
फिर मैं ओर नीलम उन्हें नमस्ते करते हैं
रोहिणी _ पर ये दोनो तो अभी छोटे लग रहे है
देवा _ आंटी मेरा नाम देवा है और ये मेरी पत्नी नीलम । बात ऐसी है आंटी की हम दोनो एक दूसरे से बहुत प्यार करते थे जब ये बात नीलम के चाचाजी को पता चली तो उन्होने मुझसे कहा की अगर में पड़ लिख कर बड़ा अफसर बन गया तो मेरी और नीलम की शादी करा देगे इसलिए मेने अपनी सारी जमीन और घर बेचकर यहा मुंबई के tps कॉलेज में दाखिला ले लिया और मुंबई आने की तैयारी करने लगा तभी मुझे अपने दोस्त से पता चला कि नीलम के चाचाजी उसकी शादी की एक जमींदार से कर रहे है जो की 55 साल का हैं इसीलिए मै नीलम को रात में ही भागा लाया और शादी कर ली और मै नीलम को लेकर मुंबई आ गया जब अंकल ने बताया कि आप लोग घर किराए पर शादी शुदा जोड़े को ही दोगे हमने यह आकार भी वकील के पास जाकर शादी कर ली
लखन _ ये लीजिए भाई इनके शादी के कागज
फिर बलवंत और रोहिणी कागज चेक कर लेते है
मैं _ अंकल हमारा कॉलेज यह से ही पास पड़ेगा इसलिए हम आपके पास आए हैं
रोहिणी देवी _ तो तुमने tps कॉलेज में दाखिला लिया है तो अपने दाखिले के कागज दिखाना
फिर उन्हें अपने कागज दिखा देता हु
अब में बलवंत को अंकल और रोहिणी को आंटी लिखूंगा
अंकल _ नीलम क्या तुम्हारे माता पिता नही है
नीलम _ अंकल मेरे माता पिता बचपन में ही गुजर गए थे मुझे मेरी चाची ने ही पाला था जब उन्हें मेरी जमींदार से शादी की बात का पता चला तो उन्होंने ही मुझे इनके साथ भागा दिया
अंकल _ और देवा तुम्हारे माता पिता
मै _ वो मेरी मां का देहांत मुझे जन्म देते ही हो गया था और मेरे पिता एक कारखाने में काम करते हैं उन्होने ही हमारी शादी कराई और मुझे मुंबई भेज दिया पड़ने के लिए क्योंकि यह मेरी मां की आखिरी इच्छा थी कि मैं पड़कर बड़ा आदमी बनू
मै _ अंकल क्या आप की tps कॉलेज में कोई जानकारी है
आंटी _ क्यों तुम्हारा तो दाखिला पहले ही है
मै _ वो आंटी मे चाहता हूं कि मेरे साथ नीलम भी कॉलेज में आगे की पढ़ाई करे
आंटी _ बेटा ये तो अच्छी बात है में उसी कॉलेज में पढ़ाती हु और एडमिशन की तारीख निकल चुकी है बस अब डोनेशन वाली सीट ही रह गई है
मै _ तो आंटी डोनेशन सीट भी चलेगी
आंटी _ बेटा वो सीट वो बहुत महंगी है उसमे 2 लाख कॉलेज फीस और 3 लाख डोनेशन देना पड़ेगा कुल मिलाकर पूरी 5 लाख की सीट है
नीलम_ तो मुझे नहीं लेना एडमिशन
मै _ आंटी आप सीट दिलवाइए में 5 लाख रुपए भर दूंगा
नीलम _ ये आप क्या बोल रहे है 5 लाख रूपये बहुत होते है मै अगली साल एडमिशन ले लूंगी
मै _ नही तुम इसी साल मेरे साथ एडमिशन लोगी अब तुम कुछ नही बोलोगी
लखन _ तो भाई में चलता हू अगर आप मेरा कमीशन दे देते तो
ये बोल कर वो हंसने लगता है फिर अंकल उसे 10000 रुपए दे देते हैं
फिर अंकल हमे दूसरी मंजिल पर ले जाते है दूसरी मंजिल पर एक कमरा और किचन और बाथरूम बना हुआ था और छोटा सा हॉल भी था
फिर अंकल को में 2000 हजार रूपए देता हूं और अंकल नीचे चले जाते है
में देखता हूं कि नीलम किसी सोच में गुम थी
मै _ क्या हुआ क्या सोच रही हो
नीलम _ वो वो मुझे खाना बनाना नही आता है
उसने इतनी मासूमियत से कहा कि मुझे हसी आने लगी
नीलम _ आप हस रहे है
मै _ अरे तुम चिंता मत करो मुझे आता है खाना बनाना बचपन से बना रहा हु आगे भी बना ही लूंगा अपनी पत्नी के लिए इतना तो कर ही सकता हु
पत्नी सुनकर नीलम शर्मा जाती है
मै _ वैसे नीलम तुम हमारी शादी के बारे में कॉलेज में बताओगी
नीलम _ मुझे कोई दिक्कत नहीं बताने में
मै _ मेरी राय मानो तो मत बताना क्युकी फिर तुम्हे लड़किया परेशान करेगी और तुम पढ़ाई पर ध्यान नहीं लगा पाओगी
नीलम हा मे सर हिला देती है आज के लिए इतना मिलते हैं अगले अध्याय में
ThankMast update hai bhai ... Finally nelan aur Deva ki shadi ho gyi ... Ab dekhta hai ki college mai kya kya hoga .... Mazza aayega aana wala episodes mai![]()
Nice updateअध्याय 3
देवा और नीलम मुंबई स्टेशन पर उतरते हैं देवा एक ऑटो वाले से बात करता है फिर दोनो उस ऑटो में बैठ कर कॉलेज पर पहुंच जाते हैं अभी कॉलेज की छुट्टी चल रही थी ।
देवा नीलम के साथ एक ढाबे पर बैठकर खाना खाते हैं
देवा ढाबे के मालिक से बात करता है कि उसे एक घर किराए पर चाहिए
तो ढाबे का मालिक एक ब्रोकर के बारे में बताता है
देवा और नीलम उस के पास पास पहुंच जाते है उस ब्रोकर का नाम लखन था जिसकी उम्र 50 से ज्यादा ही होगी
लखन - देखो बेटा ये है मुंबई यहां पर अकेले लड़के को घर मिल सकता है अकेली लड़की को भी घर सकता है लेकिन एक साथ दो लड़के और लड़की को घर भी मिलता है
देवा - तो अंकल आप ही कुछ उपाय बताएं
लखन - बेटा एक घर है जो की तुम्हारी कॉलेज के पास ही है पर उस घर के मालिक एक बूढ़े पति पत्नी है जो की अकेले ही रहते है पर उनकी एक शर्त है
देवा - क्या शर्त है
लखन - वो अपना घर किसी विवाहित जोड़े को ही देंगे
देवा - तो आप कोई घर ही देख लीजिए
लखन - फिर तो बेटा मेरे पास कोई घर नहीं है
नीलम - अंकल आप कुछ उपाय बताइए ना
लखन - तुम दोनो का रिश्ता क्या है
देवा - अंकल हम दोनो दोस्त हैं ये मेरे ही गांव की लड़की है
लखन - तो फिर मैं तुम्हे एक उपाय बताता हू मानना है तो मानो वरना तुम्हारी मर्ज़ी
नीलम - क्या उपाय है
लखन - बेटा मेरा एक दोस्त वकील है वो तुम दोनो की शादी करा देगा
देवा और नीलम - क्या
लखन - देखो पहले मेरी बात ध्यान से सुनो तुम दोनो अब 18 वर्ष की आयु पार कर चुके हो बेटा मुंबई जैसे शहर में ऐसे रहना बहुत कठिन होगा अगर में ये भी कह दूं कि तुम दोनो भाई बहन हो तो लोग फिर भी तुम दोनो के बारे में बात बनाएंगे इसलिए कह रहा हु तुम दोनो अगर पति पत्नी हुए तो कोई कुछ भी नहीं कहेगा
और मै कोन सा तुम दोनों से असली मे शादी करने को कह रहा हूं जब तक तुम दोनो की पढ़ाई पूरी नही हो जाती है तुम दोनो पति पत्नी बनने का नाटक करते रहना
देवा - अगर नाटक ही करना है तो वकील के पास क्यों जाना वो तो वैसे भी कर सकते हैं
नीलम - हा अंकल ये सही कह रहे है
लखन - अरे वो मकान मालिक शादी का सर्टिफिकेट भी मांगे गा उसके लिए
देवा और नीलम दोनो सोच में पड़ जाते है
देवा - नीलम तुम क्या कहती हो क्या तुम मेरे साथ पत्नी बनकर रह पाओगी
नीलम - अब जब आपके साथ ही रहना है तो कैसे भी रह लूंगी
लखन - अरे बेटा में भी तो यही कह रहा हु रुको में अपने दोस्त को फोन करके पूछता हूं
फिर लखन फोन करने चला जाता है थोडी देर बाद वो आ जाता है
लखन - बेटा वो इस वक्त फ्री है पर वो शादी करने के लिए मंगलसूत्र और वरमाला वगैरा में भी खर्चा होगा इसलिए वो 5000 रूपए मांग रहा है बस
देवा - वो तो हमारे पास पैसे है पर किराया कितना होगा
लखन - 2000 रुपए महीना बस घर एक दम बढ़िया मिल रहा है
देवा - ठीक है तो चलिए
फ़िर वो तीनो वकील के पास जाने के लिए निकल जाते है
नीलम मन ही मन खुश हो रही थी क्योंकि वो देवा प्यार करने लगी थी और आज उसी से उसकी शादी होने वाली थी भले देवा उस शादी को नकली समझे पर नीलम शादी को असली ही मान रही थी
रास्ते में लखन - सुनो बेटा मेने उससे कहा कि तुम दोनो एक दूसरे से प्यार करते हो और अपने घर से भाग कर आए हों
देवा - पर आपने ऐसा क्यों बोला
लखन - अरे अगर ऐसा नहीं बोलता तो वो नकली शादी के बहुत पैसे मांगता
देवा _ ठीक है
फिर तीनो वकील के पास पहुंच जाते है वकील का नाम मदनलाल था जो की अभी 40 की उम्र का होगा
हम दोनों को देख कर वो बोलता है
मदन लाल - अरे लखन भाई कही ये 18 वर्ष से कम आयु के तो नही है
लखन - अरे वकील्ल बाबू ये लीजिए इन दोनो के कागज आप ही देख लो
मदन लाल कागज देखता है और फिर वो हम दोनो की शादी करा देता है हम दोनो साइन कर देते है फिर मदन लाल हमे वरमाला देता है
हम दोनो एक दूसरे को वरमाला पहना देते है
फिर वो मुझे सिंदूर देता है और नीलम की मांग भरने को बोलता है मै थोड़ा झिझक जाता हूं तो नीलम अपनी आंखो झपका देती है तो भी उसकी मांग भर देता हूं
फिर वो मुझे मंगलसूत्र देता है में उसे पहना देता हूं
फिर वो एक कैमरा वाले को बुला कर हमारी फोटो खिंचवाते है
थोड़ी देर बाद वो हमे शादी के कागज देते हैं
फिर वहा हम सीधे उस मकान में पहुंच जाते हैं जहां हम लोगो को रहना था
वह मकान कॉलेज से 6 km दूरी पर था मकान देखनेबमे तो अच्छा लग रहा था वो मकान थोड़ा भीड़भाड़ वाले इलाके से अलग था वो दो मंजिल बना हुआ था
अंकल ने हमे बताया कि नीचे के मंजिल पर मकान मालिक और उनकी पत्नी रहते है
मकान के मालिक का नाम बलवंत सिंह है जो कि आर्मी से रिटायर है उनकी उम्र 62 साल है
और उनकी पत्नी का नाम रोहिणी देवी है वो एक टीचर हैं उनकी उम्र 56 साल है
जब हमने घर कीबजाई तब एक रोहिणी देवी निकल कर बाहर आई
वो हम दोनो को घूर कर देखने लगी
लखन _ नमस्ते भाभी जी भाई साहब है क्या
रोहिणी देवी _ अरे लखन ये किसे लेकर आ गया तू
लखन _ भाभी जी अंदर्वती बुलाए की बाहर ही खड़ा रखेंगी
रोहिणी देवी उन्हें अंदर बुलाती हैं और बलवंत सिंह भी आ जाते है
फिर वो लखन से आने का उद्देश्य पूछते है
लखन _ भाई साहब ये दोनो आपका घर किराए पर चाहते है जैसा आप दोनो ने बोला था ये दोनों पति पत्नी है
फिर मैं ओर नीलम उन्हें नमस्ते करते हैं
रोहिणी _ पर ये दोनो तो अभी छोटे लग रहे है
देवा _ आंटी मेरा नाम देवा है और ये मेरी पत्नी नीलम । बात ऐसी है आंटी की हम दोनो एक दूसरे से बहुत प्यार करते थे जब ये बात नीलम के चाचाजी को पता चली तो उन्होने मुझसे कहा की अगर में पड़ लिख कर बड़ा अफसर बन गया तो मेरी और नीलम की शादी करा देगे इसलिए मेने अपनी सारी जमीन और घर बेचकर यहा मुंबई के tps कॉलेज में दाखिला ले लिया और मुंबई आने की तैयारी करने लगा तभी मुझे अपने दोस्त से पता चला कि नीलम के चाचाजी उसकी शादी की एक जमींदार से कर रहे है जो की 55 साल का हैं इसीलिए मै नीलम को रात में ही भागा लाया और शादी कर ली और मै नीलम को लेकर मुंबई आ गया जब अंकल ने बताया कि आप लोग घर किराए पर शादी शुदा जोड़े को ही दोगे हमने यह आकार भी वकील के पास जाकर शादी कर ली
लखन _ ये लीजिए भाई इनके शादी के कागज
फिर बलवंत और रोहिणी कागज चेक कर लेते है
मैं _ अंकल हमारा कॉलेज यह से ही पास पड़ेगा इसलिए हम आपके पास आए हैं
रोहिणी देवी _ तो तुमने tps कॉलेज में दाखिला लिया है तो अपने दाखिले के कागज दिखाना
फिर उन्हें अपने कागज दिखा देता हु
अब में बलवंत को अंकल और रोहिणी को आंटी लिखूंगा
अंकल _ नीलम क्या तुम्हारे माता पिता नही है
नीलम _ अंकल मेरे माता पिता बचपन में ही गुजर गए थे मुझे मेरी चाची ने ही पाला था जब उन्हें मेरी जमींदार से शादी की बात का पता चला तो उन्होंने ही मुझे इनके साथ भागा दिया
अंकल _ और देवा तुम्हारे माता पिता
मै _ वो मेरी मां का देहांत मुझे जन्म देते ही हो गया था और मेरे पिता एक कारखाने में काम करते हैं उन्होने ही हमारी शादी कराई और मुझे मुंबई भेज दिया पड़ने के लिए क्योंकि यह मेरी मां की आखिरी इच्छा थी कि मैं पड़कर बड़ा आदमी बनू
मै _ अंकल क्या आप की tps कॉलेज में कोई जानकारी है
आंटी _ क्यों तुम्हारा तो दाखिला पहले ही है
मै _ वो आंटी मे चाहता हूं कि मेरे साथ नीलम भी कॉलेज में आगे की पढ़ाई करे
आंटी _ बेटा ये तो अच्छी बात है में उसी कॉलेज में पढ़ाती हु और एडमिशन की तारीख निकल चुकी है बस अब डोनेशन वाली सीट ही रह गई है
मै _ तो आंटी डोनेशन सीट भी चलेगी
आंटी _ बेटा वो सीट वो बहुत महंगी है उसमे 2 लाख कॉलेज फीस और 3 लाख डोनेशन देना पड़ेगा कुल मिलाकर पूरी 5 लाख की सीट है
नीलम_ तो मुझे नहीं लेना एडमिशन
मै _ आंटी आप सीट दिलवाइए में 5 लाख रुपए भर दूंगा
नीलम _ ये आप क्या बोल रहे है 5 लाख रूपये बहुत होते है मै अगली साल एडमिशन ले लूंगी
मै _ नही तुम इसी साल मेरे साथ एडमिशन लोगी अब तुम कुछ नही बोलोगी
लखन _ तो भाई में चलता हू अगर आप मेरा कमीशन दे देते तो
ये बोल कर वो हंसने लगता है फिर अंकल उसे 10000 रुपए दे देते हैं
फिर अंकल हमे दूसरी मंजिल पर ले जाते है दूसरी मंजिल पर एक कमरा और किचन और बाथरूम बना हुआ था और छोटा सा हॉल भी था
फिर अंकल को में 2000 हजार रूपए देता हूं और अंकल नीचे चले जाते है
में देखता हूं कि नीलम किसी सोच में गुम थी
मै _ क्या हुआ क्या सोच रही हो
नीलम _ वो वो मुझे खाना बनाना नही आता है
उसने इतनी मासूमियत से कहा कि मुझे हसी आने लगी
नीलम _ आप हस रहे है
मै _ अरे तुम चिंता मत करो मुझे आता है खाना बनाना बचपन से बना रहा हु आगे भी बना ही लूंगा अपनी पत्नी के लिए इतना तो कर ही सकता हु
पत्नी सुनकर नीलम शर्मा जाती है
मै _ वैसे नीलम तुम हमारी शादी के बारे में कॉलेज में बताओगी
नीलम _ मुझे कोई दिक्कत नहीं बताने में
मै _ मेरी राय मानो तो मत बताना क्युकी फिर तुम्हे लड़किया परेशान करेगी और तुम पढ़ाई पर ध्यान नहीं लगा पाओगी
नीलम हा मे सर हिला देती है आज के लिए इतना मिलते हैं अगले अध्याय में