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Incest Avatar....... ( Rebirth of A Destroyer )

Mac01

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आप सभी को बता दू की इस कहानी में मै सप्ताह में कम से कम दो अपडेट दूंगा और अधिकतम की कोई सीमा नहीं रहेगी।

इस कहानी मै सेक्स सीन पर ज्यादा फोकस नहीं किया जाएगा ज्यादा फोकस स्टोरी पर ही किया जाएगा। लेकिन इसका ये मतलब नहीं कि कामुक सीन होगा ही नहीं।

इस कहानी में प्यार, नफरत, सस्पेंस, आदि होंगे।
 
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Mac01

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अपडेट - 00
शीर्षक - कहानी की शुरुआत।
आज पूर्णिमा की रात थी लेकिन अंधेरा इतना था कि लोगों को अपने पास वाले ही नहीं दिखाई दे रहे है……. पूरा सड़क सुनसान था कोई भी लोग नहीं थे इस सड़क पर सिवाय एक के को अपने हाथो से ठेला गाड़ी (जिस पर फास्ट फूड बेचा जाता है) को दौड़ते हुए के जा रहा है………………

"आ…. आ………… ह मा देव ये दर्द मेरी जान ले लेगा प्लीज कुछ करिए….. मा………." ठेला गाड़ी पर एक महिला लेती हुई थी जो की उस व्यक्ति की पत्नी थी और वह गर्भवती थी जिसका समय काल अब पूरा ही हो गया है और यह दर्द उसके प्रसव पीड़ा के कारण ही उठ रहा है………………

"बस सावित्री हिम्मत रखो हम अब पहुंचने ही वाले है" वह व्यक्ति जिसको महिला देव नाम से संबोधित कर रही थी वह अपने पत्नी को हिम्मत बांधते हुए बोला और सड़क पर ठेला गाड़ी को दौड़ते जा रहा था उसे सड़क तो दिखाई नहीं दे रहा था पर उस पता था कि यह सड़क सीधे अस्पताल की ओर ही जाएगा वह व्यक्ति हर चौराहे पर धीरे होकर रास्ता देखता की वह सही रास्ते पर है कि नहीं लेकिन बढ़ते समय के साथ ही महिला के प्रसव पीड़ा में बढ़ोतरी होती ही जा रही थी जिसके कारण वह व्यक्ति और भी तेज दौड़ने लगा लेकिन इसी तेजी में उससे एक गलती हो गई वह एक चौराहे से अस्पताल वाला रास्ता छोड़कर जल्दीबाजी में जंगल वाला रास्ता पकड़ लेता है, अचानक सड़क पर एक गढ्ढा आता है जिसमें गाड़ी के टायर पड़ते है एक तेज झटका लगता है और उस पर लेती महिला हवा में उड़ जाती है और वह व्यक्ति का सर ठेला गाड़ी से लगता है और वह व्यक्ति वही बेहोश हो जाता है………………………………..

स्थान - स्वर्ग लोक राज दरबार।

God king:- ये तो अनर्थ हो गया……

god king के मुख से अचानक ही शब्द निकले जिससे दरबार में सन्नाटा पसर गया और कुछ समय बाद…….
Fire god :- क्या हुआ महाराज….. क्या अनर्थ हो गया।
God king :- वही fire god जो नहीं होना चाहिए था…. आप सभी तो जानते ही होंगे कि आज पूर्णिमा की रात The Destroyer के अंश पृथ्वी पर अवतरित होने वाले है लेकिन अभी तक हुए नहीं है जो एक शुभ संकेत कदापि नहीं है…….. दूसरी उनकी होने वाली माता एक दुर्घटना के चपेट में आ गई है……. और हमारी मजबूरी यह है कि हम उनकी सहायता नहीं कर सकते है अगर उनका धरती पर यह अवतार नहीं हुआ तो आने वाले समय में उसका विनाश कौन करेगा……………

Wind god :- महाराज हमें कुछ समझ नहीं आया आप किसका विनाश करने की बात कर रहे है जिसके लिए The Destroyer को धरती पर अवतार लेना पड़ रहा है……….
God king :- wind god की बाते सुनने के बाद king सबके ओर देखते है सभी के चेहरे पर उन्हें कुछ ना समझने का भाव नजर आता है और यह देखकर वे आश्चर्य और सोच में पड़ गए की उस ये सभी कैसे भूल सकते है जिसके डर से इन्हे क्या से क्या हो जाता था।
King को सोच में पड़े देखकर गुरुदेव ने कहा।
गुरुदेव :- महाराज आप ऐसे आश्चर्य चकित ना हो शायद आप भूल रहे है कि उस घटना को सबके स्मृति (याद) से भुला दिया गया है, जिससे सारे gods निर्भीक होकर अपने अपने कार्य को सुचारू रूप से करते रहे। और अब समय आ गया है कि इन सभी की स्मृतियां लौटने की यही आदेश उस समय king of king ने दिया था क्या आप ये भूल गए थे।

गुरुदेव की बातो को सुनकर god king ने कहा ……
"भला ये कैसे भूल सकता हूं गुरुदेव, उनके आदेश का अक्षरसह पालन होगा और अब लगता है कि वह घड़ी आ गई है ।"

"हे प्रभु आपके आदेशानुसार मै अपने कर्तव्य का निर्वहन करने जा रहा हूं यदी हमसे कोई त्रुटि हो जाती है तो हमें क्षमा करे…….." गुरुदेव से बात करने के बाद king god ने अपने हाथ जोड़े बोल और उनके हाथ से एक पीली रोशनी निकली और सभी gods में समा गई और उनकी आंखे बंद हो गई और जब उन्होंने अपनी आंखे सभी ने खोले तो उन आंखों में एक डर नजर आया और उन सभी के शरीर पसीने से भीग गए………..

आखिर ये है कौन जिसको याद करने मात्र से ही सभी के पसीने छूट गए……….. आखिर किसकी बात कर रहे है कि ये जानने के लिए पढ़ते रहिए इस कहानी को………………

Introduction to the Gods:-

King of king (KK):- इन्हे भाग्य विधाता भी कहा जाता है यही सबके भाग्य में क्या है लिखते है इन्होंने ही सृष्टि के निर्माण किया है। यही हम मनुष्यो को बनाने वाले । इस संसार को बनाने वाले इनका कोई आकर नहीं, कोई रूप नहीं है ये निराकार है और इन्हीं के अभिन्न अंग है इनकी पत्नी जिसको हम प्रकृति (नियति, कुदरत इत्यादि) कहा जाता है। इनके तीन साकार रूप है जिसको पूरा संसार पूजता है।
King of god (kg) :- सभी देवताओं के राजा और स्वर्ग के सिंहासन पर विराजमान।
King of death (kd):- ये है मौत के देवता लेकिन इन्हें धर्म के रक्षक भी कहा जाता है क्योंकि धर्म की रक्षा में एक महत्वपूर्ण योगदान है और इनका न्याय सबके लिए एक समान रहता है वह चाहे king of God हो या फिर कोई साधारण मनुष्य।
King of fire (kf) :- ये आग के देवता है, लेकिन ये अतायधिक सौम्य, उदार, और न्याय प्रिय देवता है इनकी आग धर्म रक्षा के प्रतीक मानी जाती है। और इनके ही द्वारा मनुष्यो द्वारा किए गए पूजा सारे देवताओं को मिलता है।
King of wind (kw ):- ये है हवा के देवता जिनसे हमें प्राणवायु मिलता है।

King of time :- ये समय लोक के राजा है जो सात घोड़ों के रथ पर बना लोक है और यह लोक हमेशा गतिशील ही रहता है जिससे इस संसार का समय भी चलता रहता है इनके रुकने से सब कुछ रुक जाता है।

Gurudev of gods (GG) :- देवताओं के गुरु।

The destroyer इनके बारे में आगे पता चलेगा। क्योंकि ये कोई भगवान नहीं ये एक इंसान है (कहानी आगे पता चलेगा) जिसने धर्म रक्षा के लिए अपनी जान गंवा दिया और देवत्व को प्राप्त कर लिया इनका स्थान देवताओं में सर्वोच्च है।

नोट :- यहां gods का परिचय देने का कारण ये है कि रीडर्स समझ जाए कि कौन god क्या करते है। क्योंकि असली god का नाम तो ले नहीं सकते है लेकिन फिर भी किसी को आपत्ति हो तो मुझे कॉमेंट करके बताएं।

स्थान :- पृथ्वी पर एक अस्पताल में।

एक व्यक्ति फोन पर बात कर रहा था उसके शरीर पसीने से भीगा हुआ था उसके अंदर इतना डर था कि उसके हाथ इतना हील रहे थे कि ऐसा लग लग रहा था कि उसके हाथ में रखे फोन कभी भी गिर जाएगा। उसने अपने कान पर फोन लगाए हुए थे फोन कि रिंग जा रही थी……………..

……… "हेल्लो बिरजू! क्या हुआ इतनी रात को फोन किया सब ठीक तो है।" दूसरी तरफ से फोन उठाया जाता है और उधर से एक रौबदार आवाज सुनाई देता है जिसको सुनने के बाद वह व्यक्ति जिसका नाम बिरजू था उसने अपने थूक निगलते हुए कहता है।

बिरजू :- ब ..ब ..बड़े मा… मालिक …

……." हा मै ही बोल रहा हूं बिरजू बोलो इतनी रात को फोन करने का कारण मेरा बेटा और बहू स्वास्थ्य तो है ना और……" अभी उधर की बाते पूरी हुई नहीं थी कि बात काटते हुए बिरजू बोलता है……

बिरजू :- अनर्थ हो गया बड़े मालिक…………. हूं हूं हूं…….. (रोने लगा) और यह सुनते ही उधर शान्ति फेल जाती है और दरवाजा खुलने का आवाज आती है……..कुछ देर बाद…..

………" बिरजू क्या अनर्थ हो गया है…. कहीं अर्जुन सिंह"….. बात अधूरा छोड़ देते है

बिरजू:- नहीं मालिक दरअसल……….. पूरी घटना बताता है (यह बता दू की यहा बिरजू देव और सावित्री की बाते कर रहा है अपने मालिक से और ऊपर बड़े मालिक के कथन से आप सभी समझ ही गए होंगे कि ये दोनों उनके बेटा और बहू है)
……बिरजू की बाते सुनने के बाद " क्या ये सब हो गया और तू मुझे अब बता रहा है….. और तू था कहा मैंने तुझसे बोला था कि कोई भी परेशानी हो तो तुरंत देव की मदद करने उसके सामने आ जाना लेकिन तू (गुस्से में गहरी सांसे लेते है) तू…….. कर क्या रहा था"………. उधर से लगभग गुस्से में चिल्लाने की आवाज आती जिसे सुनने के बाद तो बिरजू के पैंट पिल्ला होने से बचा और वह पेशाब भी कर दिया।…………

………"अरे बोलता क्यों नहीं है तू, ये बता कि तू किस अस्पताल में लेकर गया है उन्हें……" उधर से आवाज आती।

बिरजू - जी….. जी…. मै*** **** हॉस्पिटल pvt. Ltd. दिल्ली।

फोन काट जाता है………………..

फोन करने के बाद बिरजू डॉक्टर के पास जाता है जो अभी अभी सावित्री देवी के कमरे से बाहर निकाला था।

बिरजू - डॉ साहब अब कैसी है तबीयत…….

डाॅ० - देखिए अब वे दोनों खतरे से बाहर है और हमने उन्हें नींद की सुई लगाई है तो अभी वे आराम कर रहे है…..लेकिन

लेकिन सुनते ही बिरजू के जान ही हलक में आ जाता है…..
बिरजू - ल…. ल…. लेकिन क्या डॉ……

डॉ० - देखिए घबराइए मत…… बात दरअसल यह है कि महिला को धक्के लगाने से गिरने के कारण महिला को एक हार्ट अटैक था जिसका प्रभाव बच्चे पर भी पड़ा है और बच्चा गर्भ में ही बेहोश हो गया है या फिर कोमा में भी जा सकता है….. पर बच्चा ठीक है……. (यह मैंने ये सभी बाते अपने काल्पनिकता से लिखा है ऐसा होता है कि नहीं मुझे नहीं पता)
डॉ इतना कहने के बाद चला जाता है और बीजू वहीं पर बैठ जाता है और god को धन्यवाद देता है की सभी लोग सुरक्षित है खास तौर पर बच्चा।…………………

तो आखिर य बड़े मालिक है कौन…….. क्या बच्चा डॉ के कहे अनुसार होगा की कोई और बात होगी………. ये जानने के लिए पढ़ते रहिए इस कहानी को…………….. आज के लिए बस इतना ही मिलते है अब अगले अपडेट पर धन्यवाद………


दोस्तो मेरी जीवन की यह पहली स्टोरी है तो कोई गलती हो तो कृपया उसे अनदेखा करे और हा केवल पढ़कर मत जाइएगा अपना सुझाव भी देना कि यह अपडेट आपको कैसा लगा अगर कोई सुझाव हो तो उसका स्वागत है।…………..
अपडेट - 01
शीर्षक - कहानी की शुरुआत (भाग -2)

अब आगे :-

स्थान - अस्पताल।
बिरजू डॉ के बातो को सुनने के बाद से कुछ राहत महसूस हो रही थी लेकिन साथ में एक डर भी छिपा हुआ था उसके अंदर की अगर बच्चे को कुछ हो गया तो………………..
"नहीं……. नहीं ऐसा नहीं हो सकता है।" बिरजू अपनी सोच से हड़बड़ा गया
इसी तरह 12 घंटे हो गए लेकिन अभी तक देव और सावित्री को होश नहीं आया था और तो और उन दोनों की शारीरिक हालत एक दम सामान्य थी जिसकी जांच करने के बाद डॉ भी हैरान थे कि ऐसा कैसे हो सकता है क्योंकि मरीज को अभी तक होश नहीं आया था और उसके साथ ही उसका कारण भी कुछ नहीं था सब कुछ सामान्य था।

अभी सभी हैरान परेशान ही थे कि अस्पताल के बाहर सात गाडियां आकर रूकी जो सस्ती तो कतई नहीं थी सभी गाड़ियों कि कीमत 3 करोड़ के ऊपर की थी।
सबसे महंगी कार का दरवाजा खुला और उसमे से एक लगभग 50 वर्ष के एक व्यक्ति बाहर निकले और साथ ही एक लगभग 25-30 वर्ष के एक व्यक्ति, इसी तरह से एक और कार का दरवाजा खुला और उसमे से पहले एक 20 वर्ष का लड़का और एक लड़की निकले उसी के साथ एक 48 वर्षीय महिला भी निकली बाकी गाड़ियों में बॉडीगार्ड थे जो पहले ही निकाल कार अपना स्थान ग्रहण कर लिए थे।
सभी लोग हॉस्पिटल के अंदर चल देते है।
बिरजू वही बेंच पर बैठा था उसके पास ही दो हट्टे कट्टे आदमी भी थे।
जब बिरजू अभी अभी हॉस्पिटल के अंदर आए व्यक्ति को देखता है तो जल्दी से दौड़ लगा देता है और उस 50 वर्षीय व्यक्ति के आगे घुटनों पर बैठ जाता है……. "बड़े मालिक" बिरजू के मुंह से बस यही निकलता है तब उसके बड़े मालिक ने हाथ के इशारे से चुप करवाते हुए कहा………

"किस कमरे में है बिरजू……"

"सब ठीक तो है, बिरजू भैया।" 48 वर्षीय महिला ने पूछा

"हा बिरजू काका मेरा भाई और बहू कैसे है।" 25-30 वर्षीय व्यक्ति ने उत्सुकता से पूछा

"हा बिरजू काका भैया और भाभी ठीक तो है, और भाभी प्रेगनेंट थी तो कुछ गड़बड़ी तो नहीं है।" 20 वर्षीय लड़का और लड़की ने एक साथ पूछा।

"ऐ लड़की मै पूछ रहा था तो तू क्यों मेरे ही बात को दोहरा रही है" 20 वर्ष के लड़के ने चिढ़ते हुए उस लड़की से कहा जिससे यह साफ लग रहा था कि उनमें बिल्कुल भी बनती नहीं थी।

"ओय.. मैंने पहले कहने के लिए अपना मुख खोल था.. समझा" लड़की ने थोड़े गुस्से में कहा

"शांत हो जाओ जब देखो तब लड़ते ही रहते हो…. हा बिरजू भैया आपने जवाब नहीं दिया" महिला ने पूछा और ये सुनकर वह बड़े मालिक जोर जोर से हंसने लगे…..
"हा…. हा….. हा….. अरे भाग्यवान उसे बोलने का मौका तो दो देखो कैसे हमें ही देख रहा है और इसके चेहरे को देखने से तो लग रहा है कि सब ठीक ठाक है।

"एक दम सही बोल रहे है शास्त्री काका.. देवानंद और सावित्री की हालत बिल्कुल ठीक है" ये आवाज डॉ० कि थी जो इतना शोर सुनकर आया था
और अभी ये सभी अपने में ही लगे हुए थे कि डॉ० की आवाज उनके कानों में पड़ी जिसको सुनने के बाद सभी अपनी नजर उठाकर देखते है और जब देखते है तो उनके चेहरे पर एक मुस्कान तैर जाती है।


(यह बता दू की ये परिवार उत्तर प्रदेश के एक जाना माना परिवार शास्त्री परिवार था जिसका दबदबा पूरे भारत देश में था शास्त्री जी उत्तर प्रदेश के भूत पूर्व मुख्यमंत्री भी रह चुके है लेकिन अब ये उस पद पर नहीं है क्योंकि इन्होंने अब अपने परिवार के साथ समय बिताने के लिए राजनीति से संन्यास ले लिए है और यह बता दू की शास्त्री जी राजनीति और परिवार को हमेशा अलग रखते थे जिसके चलते कुछ लोगो को छोड़कर कोई नहीं जानता कि ये वही शास्त्री परिवार है जो 25वर्षों तक उत्तर प्रदेश का CM रहे। अपने कार्य काल में ये 5 बार लगातार चुनाव जीते थे लेकिन उस समय ये अपने परिवार को उतना महत्व नहीं देते थे लेकिन पिछले पांच साल पहले हुए एक घटना ने सब कुछ बदल कर रख दिया। शास्त्री जी अपने वचन के पक्के थे तथा वह घटना इनके और इनके पिताजी के वचन के कारण ही घटा और इन्हे अपने पार्टी से इस्तीफा देना पड़ा।
अब बात करते है कि अभी इनका परिचय नहीं दिया जाएगा क्योंकि इस अपडेट के बाद इनका जिक्र नहीं होगा क्योंकि इनकी इंट्री बाद में होगी। तो मै शास्त्री जी को
शास्त्री जी, इनकी पत्नी को देव.मा। 25-30 वर्ष के आदमी को देव.भ। 20 वर्ष के लड़के को देव.छोटा लड़की को देव.ब लिखूंगा।)

देव.ब डॉ० को देख कर चहकते हुए भागी और उसके गले लग गई और खुश होते हुए बोली…." अरे कैलाश भैया आप………"
(डॉ० का नाम कैलाश था जो एक जाना माना डॉ० था। डॉ० शास्त्री की के प्रेम मित्र के बड़े लड़के थे और ये इंडिया है नहीं वर्ल्ड के टॉप डॉ० में आते थे।)
अब डॉ० को उनके नाम से ही संबोधित करूंगा…………

कैलाश भी अपने सबसे छोटी प्यारी बहन को देखकर बहुत खुश हुए और उसे गले लगाते हुए बोले ….
"अरे मेरी प्यारी बहन तू… तू तो कितनी बड़ी हो गई है पर क्या अभी भी तेरी नाक बहती है।"
कैलाश जी की अंतिम शब्द सुनकर तो देव.ब उनसे दूर हो जाती है और गुस्से में उन्हें देखती है तो उसे देखकर शास्त्री जी कहते है……
" चल बेटा ऐसे मत देख उसे वह तुझसे बस मजाक कर रहा था और तू तो जानती ही है कि वह तुझसे कितना प्यार करता है……(फिर कैलाश की ओर देखते हुए) कैलाश बेटा अब कैसी तबीयत है दोनों की और बहू ठीक तो है।"

कैलाश -" हा शास्त्री काका तीनों ठीक है लेकिन बात ये है कि……फिर सारी बाते बता देते है जिसे सुनने के बाद शास्त्री जी भी हैरान हो जाते है।

"क्या अभी तक उन्हें होश नहीं आया है लेकिन उन्हें कोई खतरा नहीं है और तो और वे दोनों कोमा में भी नहीं है तो बच्चा उसका क्या हुआ और वह ठीक तो है।" शास्त्री जी आश्चर्य में कहते है।
डॉ० कैलाश उन्हें समझाते है कि घबराने की कोई बात नहीं है बस उन्हें होश आए जाय तो स्थिति और भी ज्यादा समझ में आने लगेगी।
शास्त्री जी और परिवार के लोगो ने देव और सावित्री को देखते है और बाहर आ जाते है………..

शास्त्री जी :- कैलाश बेटा अब हम चलते…….
शास्त्री जी की ये बाते सुनकर वह उपस्थित सभी चौक और हैरान हो जाते है।

देव.मा :- ये आप क्या कह रहे है यह हमारा बेटा और बहू अस्पताल में है और आप……. ये कैसी बाते कर रहे और आप देव को अब माफ कर दीजिए मै अपने बच्चे को ऐसे नहीं देख सकती हूं।

देव.भ :- हा पापा अब आप देव को माफ कर दीजिए देखिए उसने आपके फैसले का मान रखा और आपके एक बार कहने पर वह घर छोड़ दिया और आप जानते है कि वह अभी किस हालत में रहते है।

शास्त्री जी अपने पत्नी और बेटे की बाते सुनकर गुस्से मै आ जाते है। और कहते है :-
" ख़ामोश मै कुछ नहीं सुनना चाहता समझे तुम सब…… मेरे वचन का मान देव ने ना रखा ना सही लेकिन पिताजी की वचन को तोड दिया और उनकी पगड़ी लांघकर चला आया। ये मुझे कतई मंजूर नहीं और पिताजी द्वारा निर्धारित सजा को भुगतने के बाद ही देवानंद को शास्त्री परिवार में सामिल किया जाएगा और हम यहां आए थे देव को नहीं मालूम चलना चाहिए।।
सभी शास्त्री जी कि बातो को सुनकर शांत हो जाते है क्योंकि वे ये जानते थे कि वे अपने पिताजी के बातो को कभी भी ना मानने की गुस्ताखी भी नहीं कर सकते है (सच तो ये था कि शास्त्री जी अपनी सभी औलादों से बहुत प्रेम करते थे और देवानंद का ऐक्सिडेंट का सुनकर वे तुरंत दौड़े चले आए लेकिन ये अपने वसूलो के भी पक्के थे)। सभी अस्पताल से बाहर आ जाते है। बाहर आकर शास्त्री जी कार में बैठने से पहले बिरजू से कहते है…..

शास्त्री जी :- बिरजू अब तू गाव लौट चल और कुछ दिन परिवार के साथ बिताकर यहां आ जाना और यहां आने के बाद ध्यान रहे कि देव को इस बात का तनिक भी भनक नहीं होनी चाहिए कि तू देव कि देखभाल यहां कर रहा है । और हा जब तक देव कि जिंदगी मौत का सवाल ना हो तब तक उसकी सहायता काद्दापी मत करना। और अगर तूने मेरे आज्ञा की उल्लंघन किया तो तुझे पता है कि तुझे सजा के तौर पर क्या मिलेगा तो ध्यान रखना।"

बिरजू :- (शास्त्री जी की बात सुनकर) जी मालिक…. शिकायत का मौका आपको नहीं मिलेगा।

शास्त्री जी :- यही तेरे लिए बेहतर रहेगा।……

सभी डॉ० कैलाश से विदा लेकर सभी वहां से प्रस्थान कर जाते है।

तभी…………..

स्थान :- पृथ्वी पर ही अनजान स्थान पर एक गुफा में….
इस गुफा में कोई भी प्रवेश द्वार नहीं है क्योंकि इस गुफा के द्वार बंद है अगर गुफा में प्रवेश द्वार होता तो गुफा में प्रवेश करने पर गुफा में पहले सात रंगो के जल वाला नदी जो 100 मीटर की दूरी में है गुफा में बहती है उसे पार करना पड़ता है उसके बाद गुफा के अंतिम छोर पर एक बड़ा धुंध का बवंडर था जो कि हरा था।
वहां एक साधु प्रगट होता है।

साधु :- The Destroyer को उनके शिष्य अनमोल का प्रणाम……. (अपने दोनो हाथ को जोड़ते हुए कहा)

The Destroyer :- आयुष्मान भव: पुत्र …………. पुत्र अनमोल तुम इस समय यहां।

अनमोल :- जी गुरुदेव एक बुरी खबर है……

The Destroyer :- बुरी खबर और वो क्या है……

अनमोल :- गुरुदेव आपके इस जीवन में होने वाली माताजी के साथ एक दुर्घटना हो गई है और वह अब शांत अवस्था में चली गई है और साथ में उनके गर्भ में उनका बच्चा भी।

The Destroyer :- हा… हा…… ये बुरी खबर नहीं है अनमोल जानते हो क्यों क्युकी जो नियति से खिलवाड़ करता है उसके साथ नियति ऐसा खिलवाड़ करती है जिसको समझ पाना किसी के वश की बात नहीं है।

अनमोल :- गुरुदेव मै कुछ समझा नहीं……

The Destroyer :- मै तुम्हे बताता हूं कि ये बुरी खबर क्यों नहीं है बात उस समय से सुरु होती है …… जब मुझे धोखे से मार दिया गया और मेरी आत्मा को दो भागों में बांट दिया गया तब मेरे एक भाग को देवताओं ने तो आजाद करा लिया लेकिन मेरे एक भाग को इस गुफा में कैद कर दिया गया लेकिन मेरे शरीर को सभी भूल गए कि वह किस हालत में है युद्ध समाप्त हो गया था तब एक दिन नरभक्षी समुदाय के लोग की भोजन की तलाश में युद्ध क्षेत्र की ओर आए उस समय सभी उपस्थित वहां शरीर जिनका अंत्येष्ठि नहीं किया गया वह शरीर सड़ गल गए थे लेकिन मेरा शरीर एक तपस्वी का शरीर था जिसमें कोई बीमारी नहीं लग सकती थी और मेरा अंत्येष्ठि नहीं होने से मेरा आजाद आत्मा की आधा भाग मेरे शरीर में ही निवास करती थी। जब नरभक्षी समुदाय के एक दंपति की नजर मेरे शरीर पर पड़ी तो वह दौड़े दौड़े मेरे शरीर के पास आए और मेरे शरीर के मांश को खाने के लिए अपने हाथ आगे बढ़ाए ही थे कि उनकी नजर मेरे चेहरे पर पड़ी तब उनकी मुझे संतान रूप में पाने की इच्छा ने जन्म ले लिया तब उन्हें मेरे शरीर को वे दोनों अपने साथ लेकर गए और अपने इष्ट देव की तपस्या करने लगे और उनका इष्ट देव थे महाशैतान जिनकी दोनों तपस्या करने लगे और अंत में उनकी तपस्या पूर्ण हुई जिसके फलस्वरूप महाशैतान वहां प्रकट हुए और उन्हें वरदान मांगने को कहा तब उन्होंने मेरे शरीर के तरफ इशारे करके कहा कि ये मृत व्यक्ति का आगे आने वाले जन्म हमारे पुत्र के रूप में हो।
तब शैतान की नजर मेरे शरीर पर पड़ी तो उसके मन में बुराई फैलाने की एक खतनाक उपाय आया वह जानता था कि में एक the Destroyer हूं अभी तक के समय में सिर्फ 7 Destroyer हुए और सतवा मै हूं बाकी छ: अपना जीवनकाल पूरा करके मोक्ष प्राप्त कर लिए थे तब महशैतान ने मेरे शरीर को अपने कब्जे में लेते हुए उसमे मौजूद मेरी आधी आत्मा को उसमे से निकाल लिया और मेरे पवित्र शरीर के मांस का भक्षण करने को कहा जिससे वे नरभक्षी दंपति ने मेरे शरीर के सारे भागों का भक्षण कर लिए तब महाशैतान ने मेरी आधी आत्मा में अपनी कुछ काली शक्तियां डालकर मुझे उस नरभक्षी महिला के गर्भ में डाल दिया तब मेरा जन्म हुआ एक नरभक्षी समुदाय में और मै तब एक शैतान था और उसी में मैंने बहुत सी गलतियां की कुछ खोया और कुछ पाया लेकिन मुझे वहां एक ऐसी शक्ति मिली जिसका तोड़ इस ब्रह्माण्ड में कहीं नहीं नहीं वह है प्यार जिसके बल पर मुझे मिलने वाले कई अभिशाप टूट गए लेकिन एक अभी शाप कभी भी नहीं मेरा पीछा छोड़ा और वह है मेरा जन्म होने से पहले ही मौत लेकिन ये अभीशाप अभी मेरे लिए वरदान से काम नहीं है। (यह अभिशाप कैसे मिला इसकी जानकारी आगे की कहानी में मिलेगा)। और इस मौत के बाद मिलेगी मेरी पूरी शक्तियां और मेरी आत्मा पूर्ण हो जाएगा । और मै फिर से बन जाऊंगा the Destroyer और इस जन्म में मै पूरा हो जाऊंगा………..

अनमोल :- तो गुरुदेव वह भी दोबारा आएगा। आप उसके बारे में तो जानते ही होंगे।

The Destroyer :- मै सब जानता हूं अनमोल …….उसका अंत मेरे ही हाथो होगा यही उसकी नियति है अनमोल क्योंकि उसने जो king of king से उसने यही वरदान मांगा है जिसके अनुसार कोई Destroyer ही उसे मार सकता है और मै ही अब एक लौटा बचा हुआ हूं। लेकिन जब मै नरभक्षी था तब मै पूर्ण destroyer नहीं था जिसके कारण मै उसे मारने में सक्षम नहीं था लेकिन इस जनम में मेरा जन्म पूर्ण The Destroyer के रूप में होगा।……….

इधर हॉस्पिटल में देव को होश आ गया था और सावित्री ने एक मरे हुए बच्चे को जन्म दिया था जिससे देवानंद जी हतास हो गए थे कि वह अपनी पत्नी को क्या जवाब देंगे जब वह पूछेगी की उसका बच्चा कहा है। लेकिन तभी बाहर अचानक ……………………….

बाकी की कहानी अगले अपडेट में………….

Next Update:- 03 (वह लौट आया)

अब यह से अगले अपडेट से कहानी असली रूप से शुरू होगी...........
अगला अपडेट मेगा अपडेट होने वाला है.........
 
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Mac01

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Congratulations for new thread bro
Suruvat to aapne Bahut hi rahasya purn dhang se ki hai...
Dev or savitri ye dono pati patni hai or pregnant bhi yha ek bacche ka janm hone vala hai pr baat yah hai ki ye dono thela gadi se kyo Chal rhe the, inke pita ne Birju ko inke pichhe kyo lgaya hua tha or ye dev savitri itna Saharan jivan kyo vyatit kr rhe hai Jabki phone pr bate sunne se aisa lagta hai ki Bahut pahuchi hui chij hai unka malik... Vahi god ke planet ko dikhaya gya, jaha pr vo Sabhi bhi chintit hai destroyer ke janm lene se pahle... Superb bhai sandar jabarjast update
Aapko apki khani ke liye hardik badhaiya.................

Kahani ki suruaat bahut hi shandar tha dekhte hai aage kya hota hai.........

Waiting for the next update......................
Nayi kahani k liye mubarak baad
Shuruwat tow badhiya tareeke se ki
Dekhte h aage kia

Nice update bro
Congratulations🎉🥳👏
Congratulations for new story
Nice start
Nice update wating for next...
अपडेट पोस्ट कर दिया हूं पढ़िए और अपनी राय दीजिए।
 
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