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Incest Avatar....... ( Rebirth of A Destroyer )

Mac01

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आप सभी को बता दू की इस कहानी में मै सप्ताह में कम से कम दो अपडेट दूंगा और अधिकतम की कोई सीमा नहीं रहेगी।

इस कहानी मै सेक्स सीन पर ज्यादा फोकस नहीं किया जाएगा ज्यादा फोकस स्टोरी पर ही किया जाएगा। लेकिन इसका ये मतलब नहीं कि कामुक सीन होगा ही नहीं।

इस कहानी में प्यार, नफरत, सस्पेंस, आदि होंगे।
 
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Mai aapke dil me hi hu L.King bro....kya kare mud hi nahi ban raha hai ki kahani ko aage badhaye.. kyoki readers ki pratikriya se lag raha hai ki kahani sayad achhi nahi ja rahi hai tabhi to keval dekhkar hi chale ja rahe hai......
Khair Update de diya hu padhiye aur apani pratikriya dijiye ......
Bhai apki story ki starting abhi mere hisaab se xfroum pe best hai or readers ko judne mein time lagega 😊😊
 
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Avir

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Naik

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अपडेट - 02 (मेगा अपडेट - 01)
शीर्षक - वह लौट आया
अब आगे :-
अब सुबह के 3-4 बज गए थे…….. हॉस्पिटल में देव को होश आ गया था और सावित्री ने एक मरे हुए बच्चे को जन्म दिया था जिससे देवानंद जी हतास हो गए थे कि वह अपनी पत्नी को क्या जवाब देंगे जब वह पूछेगी की उसका बच्चा कहा है। लेकिन तभी बाहर अचानक ……………………….
अंधेरा और अधिक गहरा होने लगा आकाश में बदल और भी अधिक प्रचंड रूप धारण करने लगा………………..
तभी…… साय……साय……. करके तेज हवा चलने लगी मानो तेज तूफान आने की खबर को पहले ही लोगो के बीच फैला रहा हो धीरे धीरे हवा कि रफ्तार बढ़ने लगे……….
तड़ाक……. तड़…… तड़ाक….. करके बिजलियां कड़कने लगी……. सड़क पर रात को इक्के दुक्के लोग अब अपने घरों से निकलने लगे थे और वे ऐसे मौसम को देखते हुए आस पास बने घरों के छज्जो के नीचे और घरों के आगे बने बरामदे में जाकर छुपने लगे………….
बिजलियों के कड़कड़ाहट के बीच तेज बारिश भी शुरू हो गई………. एक भयंकर तूफान सुरु हो गया था जिसमें कई घरों के बने कच्चे दीवारें ढह गए…तथा कई लोगो की माल जान पर खतरा मंडराने लगे …. तभी एक तेज की बिजली कड़की जिससे चारो ओर क्षण भर के लिए रोशनी फैल गई और उसी में एक आदमी ने चिल्लाते हुए कहा………..
"भाई लोग देखो बरगद के पेड़ पर एक पांच मुंह वाला सांप बैठा हुआ है……."
उस आदमी की बात को सुनकर वहां उपस्थित सभी लोग उसपर हसने लगे और एक दूसरे आदमी ने हस्ते हुए कहा "अरे संटू भैया आज सुबह सुबह चढ़ा रखी है क्या…….. आजकल एक मुंह वाला सांप दिखाई नहीं दे रहा है और आपको पांच मुंह वाला सांप दिखाई दे रहा है…… या फिर तेज हवा के कारण आपकी आंखों में धूल चला गया है जिसके चलते आपको साफ दिखाई नहीं दे…………" आदमी अपनी बात करते करते रुक गया क्योंकि जब वह अपनी बात कह रहा था तभी एक बार फिर बिजली कड़की और वहां उपस्थित लोगो में से कुछ लोगो का ध्यान बरगद के पेड़ पर गया जिसपर बैठा वह पांच मुंह वाला सांप दिखाई दिया जिसको देखने के बाद सबके बोलती ही बंद हो गई…………
एक बार फिर आसमान में एक जोरदार धमाके के साथ बिजलियां कड़की और उस तेज धमाके में सबको उस बरगद के पेड़ पर लिपटा हुए वह दिव्य पांच फनो वाला दिव्य नाग सबको दिखाई दिया………….. बरगद के पेड़ की सबसे ऊंची डाली पर लिपटा हुआ वह सांप साफ साफ लोगो को दिखाई दिया……… और यह भी दिखाई दिया कि बरगद के पेड़ के उची डाली पर लिपटा हुआ वह सांप जख्मी था और उसके पांच फनो से रिसता हुआ खून बरगद के पेड़ पर लिपटा नाग के पास के फल पर गिर रहा था और वह खून फलो में समा रहा था………… लेकिन जख्मी हालत में भी वह अपने पांच फनो को गर्व से फैलाए हुए तकरीबन 20-22 फुट लंबा स्याह काले रंगो (गहरे काले रंग) वाला सांप देखने वालो को दूर से ही अपने दिव्यता का अनुभव करा रहा था……………
अपने सामने का नजारा देख लोग उस बरगद के पेड़ के नीचे इकट्ठे होने लगे। उनमें से कुछ तो उस पांच मुंह वाले नाग को देखकर ही अपने घुटनों के बल बैठकर उसके दिव्यता को प्रणाम करने लगे तो वहीं उपस्थित कुछ नौजवान उस नजारे को अपने फोन के कैमरे में कैद करने के लिए अपना फोन ढूंढने लगे लेकिन इसके पहले कि वो लोग अपने फोन ढूंढ़कर उसमे रिकार्डिंग शुरू करते की……. वह दिव्य नाग एक छोटी सी ज्योति में तब्दील हो गया और अचानक आसमान में तेज….तेज और ऊंची आवाज में बिजलियां कड़कने लगी जिससे वहां उपस्थित लोगो में एक डर ने जगह ले लिया…… कुछ डर के मारे वहीं गिरकर बेहोश हो गए कुछ के पैरो ने जवाब दे दिया और वे सभी वहां धड़ाम की आवाज करते हुए गिर पड़े किसी के पैरो में जान नहीं बचा हुआ रहा कि वे वहां से भाग जाए……….
अचानक उस दिव्य नाग की दिव्य ज्योति गोली से भी तेज स्पीड से एक दिशा कि और उड़ चली और वहां उपस्थित लोगो के सर पर एक शक्ति गोला घूमने लगा और सभी वही पर गिरकर बेहोश हो गए…………………
यहां अस्पताल में उपस्थिति देवानंद जी परेशान थे और उनकी आंखो में एक आशु कि धारा थी वे अपने गोद में लिए मरे हुए बच्चे को निहारे जा रहे थे…….. बच्चे के चेहरे पर एक तेज था उसको देखने पर लोग उसकी तरफ आकर्षित होते जा रहे थे लेकिन दुर्भाग्य की उस बच्चे के अंदर प्राण ज्योति ही नहीं थी……….. बच्चे को लिए देवानंद जी अपनी पत्नी के हाथो को मजबूती से पकड़ हुए थे जैसे वे दिलासा से रहे हो कि सावित्री हौसला रखो यही हमारा नियति है…… और सावित्री जी के चेहरे पर बेहोशी की हालत में अपनी पति के दिल कि आवाज को सुनकर एक संतुष्टि वाले भाव थे…. देवानंद जी अपनी पत्नी का हाथ पकड़े हुए अपने बेजान से पड़े बच्चे को अपनी गोद में लिए हुए थे और उनकी आंखे धीरे धीरे बोझिल होने लगी और वे वही मरीज के बेड पर आना सर टिकाकर एक गहरी नींद में चले गए……………..

स्थान :- एक अनजान जगह पर
चारो तरफ आग ही आग था, जहां भी नजर जा रहा था वहां तक केवल आग ही आग थी……. इसी आग में एक बोतल था जिसमें काले रंग के धुएं जैसा कुछ था……… वह धुआं बोतल में इधर से उधर बोतल के दीवार से टकरा रहा था जैसे वह बोतल को तोड़ना चाहता है…….. बोतल के ठीक ऊपर नीचे की और बढ़ता हुए एक कमल का फूल था जो कि धीरे धीरे बोतल के ठीक ऊपर ही था…….. बोतल में मौजूद धुआं अब शांत हो गया था…….. उस आग की दुनिया में उस बोतल और कमल के आलावा कुछ नहीं था था तो केवल आग…….. तभी वह एक आवाज गूंज गया………..
" बस कुछ दिन और फिर मै आजाद हो जाऊंगा यह कवच मुझे अब ज्यादा दिन कैद में नहीं रख सकता है बस कुछ दिन और फिर दुनिया को में इतना रुला दूंगा कि सभी मेरे पैरो गिरकर माफी मांगेंगे लेकिन माफी किसी को नहीं मिलेगा……… हा….. हा…… हा……हा…… ही ही ही……."

इधर पृथ्वी पर उस दिव्य नाग की ज्योति गोली की स्पीड से एक दिशा में उड़ता जा रहा था और जाते जाते वह एक अस्पताल के ऊपर मंडराने लगा और जाकर एक अस्पताल के रूम में घुस गया।
रूम में एक व्यक्ति मरीज के बेड से अपना सर टिकाए सी रहा था उसके गोद में एक बच्चा और बेड पर एक औरत सो रही थी………..
वह दिव्य नाग की ज्योति उस व्यक्ति के गोद में पड़े बच्चे के माथे पर दोनों आंखों के ठीक बीचो बीच समा गया………..
ज्योति समय ही उस बच्चे के शरीर में धीरे धीरे हरकत होने लगी और अचानक पूरे अस्पताल में……………………..
**केहा……केेहा……**
एक छोटे बच्चे की रोने कि आवाज गूंजने लगा…… बच्चे के रोने से मौसम धीरे धीरे सामान्य होने लगा…… आसमान में बादल छटने लगा, आसमान में सुबह के समय पूरा चांद दिखाई दे रहा था और वह रात बीतने का और सुबह होने का संकेत दे रहा था मौसम ऐसा हो गया कि जैसे कुछ हुआ ही नहीं अब आसमान में सूर्य की लालिमा दिखाने लगी थी …… अस्पताल में बच्चे के रोना सबको अपने पास खीच रहा था, हॉस्पिटल के परिसर में लगे पेड़ हिलाने लगे जैसे कोई किसी रोते हुए बच्चे को झुनझुना बजाकर चुप करता है लेकिन लोगो के नजर में तेज हवा के कारण पेड़ हील रहे है…… बच्चे वाले रूम की खिड़की पर रंगबिरंगे चिड़ियों ने अपना अपना स्थान सुनिश्चित कर लिए थे और बच्चे को चुप कराने के लिए मधुर आवाजे निकाल रही थी…………..
एक नर्स दौड़ती हुई कमरे मै प्रवेश करती है और देखती है कि देवानंद जी के गोद में रखा बच्चा रो रहा है पहले तो उसे विश्वास है नहीं हुआ कि बच्चा जिंदा है लेकिन वह इसे नकार भी नहीं सकती थी…….. जब उसने बच्चे के चेहरे को देखा तो वह वहीं मंत्रमुग्ध हो गई और एक तक बच्चे को देखने लगी……. धीरे धीरे उसके कदम बच्चे के तरफ अपने आप ही बढ़ने लगा।……जब उससे और अधिक रहा नहीं गया तो उसने जल्दी से आगे बढ़कर उस बच्चे को अपने गोद में उठा लिया उसके बाद उसने बच्चे को चुप कराया …….
गोद में लेते ही नर्स आनंद के सागर में डूब गई और उसे होस तब आया जब सावित्री जी की आवाज़ उसके कानों में पड़ी……
"मेरा बच्चा……." ये आवाज सावित्री जी की आंख खुलते के साथ ही उनके मुख से निकला आवाज था।
नर्स बच्चे को सावित्री जी की गोद में दे दिया…….. देवानंद जी भी अपनी नींद से जाग गए थे उन्हें समझ ही नहीं आ रहा था कि उन्हें अचानक इतनी गहरी नींद कैसे आ गई…… लेकिन जब उनकी नजर अपनी पत्नी के गोद में खेल रहे बच्चे पर गया तो उस बच्चे को देखकर वे तो फूल ही नहीं समय साथ ही हैरान भी हुए की ये कैसे हो सकता है लेकिन ये सभी भाई उन्होंने अपने अंदर छिपा लिया। और वे एक तक बच्चे कोही निहारने लगे जिसको उनकी पत्नी अपने स्नेह से नहला रही थी और बच्चा अपनी मा की गोद में हस्ते हुए खेल रहा था।
……………..
…..
अब देवानंद जी अस्पताल से घर आ गए थे और अपनी जिंदगी में मस्त हो गए थे ये अपने परिवार का पेट पालने के लिए फास्ट फूड का ठेला लगाए थे लड़के का नाम ये अमन शास्त्री रखते है…………
लगभग 1.5 साल बीत गया और आज सावित्री जी ने एक प्यारी बची को जन्म दिया है बच्ची का नाम ये वंदना रखते है ……….. धीरे धीरे देवानंद जी और उनके परिवार की जिंदगी आगे बढ़ने लगती है देवानंद जी अपने बेटे और बेटी को पढ़ाने के लिए जी तोड़ मेहनत करते थे और इस काम में उनके अदम से कदम मिलाकर साथ देती थी उनकी पत्नी ……. जब उनका बेटा कॉन्वेंट स्कूल में पढ़ने जाने लगा तो देवानंद जी ने अपनी पत्नी के गहने तक गिरवी रख दिए लेकिन अपने बेटा और बेटी की पढ़ाई में कोई बाधा नहीं आने दिए उन्हे सबसे अच्छे से अच्छे स्कूल में पढ़ाए……….(हा तो भाईलोग कुछ लोग बोलेंगे की जब देवानंद जी को घर से निकाल दिया गया है तो गहने कहा से तो मै बस इतना कहूंगा कि रुको जरा कहानी तो आगे बढ़ने दो)……..
धीरे धीरे अमन कि जिंदगी आगे बढ़ने लगी और उसकी पढ़ाई भी पूरी होने लगी अब उसने इंटर मीडिएट की परीक्षा भी पास कर लिया था और उसने इंडिया टॉप किया जिसके फलस्वरूप उसका एडमिशन एक महाविद्यालय में छात्रवृति पर हो गया और इसी महाविद्यालय के आगे देवानंद जी अपना ठेला लगाते है …. अमन की बहन 11 वीं में थी।…..
अमन नौकरी करना चाहता था ताकि वह अपनी घर की हालत को सुधार सके लेकिन देवानंद जी और उनकी पत्नी ने अपनी कसम देकर अमन को आगे पढ़ने पर मजबूत कर दिया और वे दिन रात एक कर दिए अमन और वंदना ( अमन की बहन जिसका नाम वंदना रखा गया है) को आगे पढ़ाने के लिए…………..
अब अमन कि उम्र 20 वर्ष में 3 महीने काम रह गया है और आज अमन दिल्ली पुलिस में पेपर और दौड़ निकालने के बाद फाइनल मेडिकल के लिए जा रहा है……………………………….

दोस्तो अमन के पैदा होने के 19 वर्ष तक देवानंद जी के जीवन में कुछ नहीं हुआ सिवाय अपने फास्ट फूड के ठेले पर दुकान लगाने की तो मैंने फास्ट फॉरवर्ड करके लगभग 19-20 साल कहानी को आगे कर दिया है और इसके आगे से यह कहानी अपनी असली रूप में चलेगा लेकिन हा अमन के जीवन में छोटी छोटी चुनौतियां जरूर आती जिसका जिक्र आगे बातो ही बातो में होगा ………….…….

अब मिलते है कहनिंके अगले अपडेट में………

Next update :- 03
Title :- अमन का हुआ ऐक्सिडेंट और देवानंद के परिवार और कुछ मुख्य पत्रो का परिचय।
Mare huwe bachcho ko paanch muh wale Divv naag ki jyoti n zida kia jiska naam
Dev or savitri n Aman rakha bahot badhiya dev or savitri ko ek beti bhi huwi jiska naam vandana
Tow in 20 salo m dev or savitri ki zindagi m koyi khaas badlao nahi aaye dekhte h aage kis ka badalao hota h
Badhiya shaandaar lajawab update bhai
 

L.king

जलना नही मुझसे नही तो मेरी DP देखलो।
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pandey

bhaiiiii
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Nice update bro
 
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Mac01

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अपडेट - 02 (मेगा अपडेट - 01)
शीर्षक - वह लौट आया
अब आगे :-
अब सुबह के 3-4 बज गए थे…….. हॉस्पिटल में देव को होश आ गया था और सावित्री ने एक मरे हुए बच्चे को जन्म दिया था जिससे देवानंद जी हतास हो गए थे कि वह अपनी पत्नी को क्या जवाब देंगे जब वह पूछेगी की उसका बच्चा कहा है। लेकिन तभी बाहर अचानक ……………………….
अंधेरा और अधिक गहरा होने लगा आकाश में बदल और भी अधिक प्रचंड रूप धारण करने लगा………………..
तभी…… साय……साय……. करके तेज हवा चलने लगी मानो तेज तूफान आने की खबर को पहले ही लोगो के बीच फैला रहा हो धीरे धीरे हवा कि रफ्तार बढ़ने लगे……….
तड़ाक……. तड़…… तड़ाक….. करके बिजलियां कड़कने लगी……. सड़क पर रात को इक्के दुक्के लोग अब अपने घरों से निकलने लगे थे और वे ऐसे मौसम को देखते हुए आस पास बने घरों के छज्जो के नीचे और घरों के आगे बने बरामदे में जाकर छुपने लगे………….
बिजलियों के कड़कड़ाहट के बीच तेज बारिश भी शुरू हो गई………. एक भयंकर तूफान सुरु हो गया था जिसमें कई घरों के बने कच्चे दीवारें ढह गए…तथा कई लोगो की माल जान पर खतरा मंडराने लगे …. तभी एक तेज की बिजली कड़की जिससे चारो ओर क्षण भर के लिए रोशनी फैल गई और उसी में एक आदमी ने चिल्लाते हुए कहा………..
"भाई लोग देखो बरगद के पेड़ पर एक पांच मुंह वाला सांप बैठा हुआ है……."
उस आदमी की बात को सुनकर वहां उपस्थित सभी लोग उसपर हसने लगे और एक दूसरे आदमी ने हस्ते हुए कहा "अरे संटू भैया आज सुबह सुबह चढ़ा रखी है क्या…….. आजकल एक मुंह वाला सांप दिखाई नहीं दे रहा है और आपको पांच मुंह वाला सांप दिखाई दे रहा है…… या फिर तेज हवा के कारण आपकी आंखों में धूल चला गया है जिसके चलते आपको साफ दिखाई नहीं दे…………" आदमी अपनी बात करते करते रुक गया क्योंकि जब वह अपनी बात कह रहा था तभी एक बार फिर बिजली कड़की और वहां उपस्थित लोगो में से कुछ लोगो का ध्यान बरगद के पेड़ पर गया जिसपर बैठा वह पांच मुंह वाला सांप दिखाई दिया जिसको देखने के बाद सबके बोलती ही बंद हो गई…………
एक बार फिर आसमान में एक जोरदार धमाके के साथ बिजलियां कड़की और उस तेज धमाके में सबको उस बरगद के पेड़ पर लिपटा हुए वह दिव्य पांच फनो वाला दिव्य नाग सबको दिखाई दिया………….. बरगद के पेड़ की सबसे ऊंची डाली पर लिपटा हुआ वह सांप साफ साफ लोगो को दिखाई दिया……… और यह भी दिखाई दिया कि बरगद के पेड़ के उची डाली पर लिपटा हुआ वह सांप जख्मी था और उसके पांच फनो से रिसता हुआ खून बरगद के पेड़ पर लिपटा नाग के पास के फल पर गिर रहा था और वह खून फलो में समा रहा था………… लेकिन जख्मी हालत में भी वह अपने पांच फनो को गर्व से फैलाए हुए तकरीबन 20-22 फुट लंबा स्याह काले रंगो (गहरे काले रंग) वाला सांप देखने वालो को दूर से ही अपने दिव्यता का अनुभव करा रहा था……………
अपने सामने का नजारा देख लोग उस बरगद के पेड़ के नीचे इकट्ठे होने लगे। उनमें से कुछ तो उस पांच मुंह वाले नाग को देखकर ही अपने घुटनों के बल बैठकर उसके दिव्यता को प्रणाम करने लगे तो वहीं उपस्थित कुछ नौजवान उस नजारे को अपने फोन के कैमरे में कैद करने के लिए अपना फोन ढूंढने लगे लेकिन इसके पहले कि वो लोग अपने फोन ढूंढ़कर उसमे रिकार्डिंग शुरू करते की……. वह दिव्य नाग एक छोटी सी ज्योति में तब्दील हो गया और अचानक आसमान में तेज….तेज और ऊंची आवाज में बिजलियां कड़कने लगी जिससे वहां उपस्थित लोगो में एक डर ने जगह ले लिया…… कुछ डर के मारे वहीं गिरकर बेहोश हो गए कुछ के पैरो ने जवाब दे दिया और वे सभी वहां धड़ाम की आवाज करते हुए गिर पड़े किसी के पैरो में जान नहीं बचा हुआ रहा कि वे वहां से भाग जाए……….
अचानक उस दिव्य नाग की दिव्य ज्योति गोली से भी तेज स्पीड से एक दिशा कि और उड़ चली और वहां उपस्थित लोगो के सर पर एक शक्ति गोला घूमने लगा और सभी वही पर गिरकर बेहोश हो गए…………………
यहां अस्पताल में उपस्थिति देवानंद जी परेशान थे और उनकी आंखो में एक आशु कि धारा थी वे अपने गोद में लिए मरे हुए बच्चे को निहारे जा रहे थे…….. बच्चे के चेहरे पर एक तेज था उसको देखने पर लोग उसकी तरफ आकर्षित होते जा रहे थे लेकिन दुर्भाग्य की उस बच्चे के अंदर प्राण ज्योति ही नहीं थी……….. बच्चे को लिए देवानंद जी अपनी पत्नी के हाथो को मजबूती से पकड़ हुए थे जैसे वे दिलासा से रहे हो कि सावित्री हौसला रखो यही हमारा नियति है…… और सावित्री जी के चेहरे पर बेहोशी की हालत में अपनी पति के दिल कि आवाज को सुनकर एक संतुष्टि वाले भाव थे…. देवानंद जी अपनी पत्नी का हाथ पकड़े हुए अपने बेजान से पड़े बच्चे को अपनी गोद में लिए हुए थे और उनकी आंखे धीरे धीरे बोझिल होने लगी और वे वही मरीज के बेड पर आना सर टिकाकर एक गहरी नींद में चले गए……………..

स्थान :- एक अनजान जगह पर
चारो तरफ आग ही आग था, जहां भी नजर जा रहा था वहां तक केवल आग ही आग थी……. इसी आग में एक बोतल था जिसमें काले रंग के धुएं जैसा कुछ था……… वह धुआं बोतल में इधर से उधर बोतल के दीवार से टकरा रहा था जैसे वह बोतल को तोड़ना चाहता है…….. बोतल के ठीक ऊपर नीचे की और बढ़ता हुए एक कमल का फूल था जो कि धीरे धीरे बोतल के ठीक ऊपर ही था…….. बोतल में मौजूद धुआं अब शांत हो गया था…….. उस आग की दुनिया में उस बोतल और कमल के आलावा कुछ नहीं था था तो केवल आग…….. तभी वह एक आवाज गूंज गया………..
" बस कुछ दिन और फिर मै आजाद हो जाऊंगा यह कवच मुझे अब ज्यादा दिन कैद में नहीं रख सकता है बस कुछ दिन और फिर दुनिया को में इतना रुला दूंगा कि सभी मेरे पैरो गिरकर माफी मांगेंगे लेकिन माफी किसी को नहीं मिलेगा……… हा….. हा…… हा……हा…… ही ही ही……."

इधर पृथ्वी पर उस दिव्य नाग की ज्योति गोली की स्पीड से एक दिशा में उड़ता जा रहा था और जाते जाते वह एक अस्पताल के ऊपर मंडराने लगा और जाकर एक अस्पताल के रूम में घुस गया।
रूम में एक व्यक्ति मरीज के बेड से अपना सर टिकाए सी रहा था उसके गोद में एक बच्चा और बेड पर एक औरत सो रही थी………..
वह दिव्य नाग की ज्योति उस व्यक्ति के गोद में पड़े बच्चे के माथे पर दोनों आंखों के ठीक बीचो बीच समा गया………..
ज्योति समय ही उस बच्चे के शरीर में धीरे धीरे हरकत होने लगी और अचानक पूरे अस्पताल में……………………..
**केहा……केेहा……**
एक छोटे बच्चे की रोने कि आवाज गूंजने लगा…… बच्चे के रोने से मौसम धीरे धीरे सामान्य होने लगा…… आसमान में बादल छटने लगा, आसमान में सुबह के समय पूरा चांद दिखाई दे रहा था और वह रात बीतने का और सुबह होने का संकेत दे रहा था मौसम ऐसा हो गया कि जैसे कुछ हुआ ही नहीं अब आसमान में सूर्य की लालिमा दिखाने लगी थी …… अस्पताल में बच्चे के रोना सबको अपने पास खीच रहा था, हॉस्पिटल के परिसर में लगे पेड़ हिलाने लगे जैसे कोई किसी रोते हुए बच्चे को झुनझुना बजाकर चुप करता है लेकिन लोगो के नजर में तेज हवा के कारण पेड़ हील रहे है…… बच्चे वाले रूम की खिड़की पर रंगबिरंगे चिड़ियों ने अपना अपना स्थान सुनिश्चित कर लिए थे और बच्चे को चुप कराने के लिए मधुर आवाजे निकाल रही थी…………..
एक नर्स दौड़ती हुई कमरे मै प्रवेश करती है और देखती है कि देवानंद जी के गोद में रखा बच्चा रो रहा है पहले तो उसे विश्वास है नहीं हुआ कि बच्चा जिंदा है लेकिन वह इसे नकार भी नहीं सकती थी…….. जब उसने बच्चे के चेहरे को देखा तो वह वहीं मंत्रमुग्ध हो गई और एक तक बच्चे को देखने लगी……. धीरे धीरे उसके कदम बच्चे के तरफ अपने आप ही बढ़ने लगा।……जब उससे और अधिक रहा नहीं गया तो उसने जल्दी से आगे बढ़कर उस बच्चे को अपने गोद में उठा लिया उसके बाद उसने बच्चे को चुप कराया …….
गोद में लेते ही नर्स आनंद के सागर में डूब गई और उसे होस तब आया जब सावित्री जी की आवाज़ उसके कानों में पड़ी……
"मेरा बच्चा……." ये आवाज सावित्री जी की आंख खुलते के साथ ही उनके मुख से निकला आवाज था।
नर्स बच्चे को सावित्री जी की गोद में दे दिया…….. देवानंद जी भी अपनी नींद से जाग गए थे उन्हें समझ ही नहीं आ रहा था कि उन्हें अचानक इतनी गहरी नींद कैसे आ गई…… लेकिन जब उनकी नजर अपनी पत्नी के गोद में खेल रहे बच्चे पर गया तो उस बच्चे को देखकर वे तो फूल ही नहीं समय साथ ही हैरान भी हुए की ये कैसे हो सकता है लेकिन ये सभी भाई उन्होंने अपने अंदर छिपा लिया। और वे एक तक बच्चे कोही निहारने लगे जिसको उनकी पत्नी अपने स्नेह से नहला रही थी और बच्चा अपनी मा की गोद में हस्ते हुए खेल रहा था।
……………..
…..
अब देवानंद जी अस्पताल से घर आ गए थे और अपनी जिंदगी में मस्त हो गए थे ये अपने परिवार का पेट पालने के लिए फास्ट फूड का ठेला लगाए थे लड़के का नाम ये अमन शास्त्री रखते है…………
लगभग 1.5 साल बीत गया और आज सावित्री जी ने एक प्यारी बची को जन्म दिया है बच्ची का नाम ये वंदना रखते है ……….. धीरे धीरे देवानंद जी और उनके परिवार की जिंदगी आगे बढ़ने लगती है देवानंद जी अपने बेटे और बेटी को पढ़ाने के लिए जी तोड़ मेहनत करते थे और इस काम में उनके अदम से कदम मिलाकर साथ देती थी उनकी पत्नी ……. जब उनका बेटा कॉन्वेंट स्कूल में पढ़ने जाने लगा तो देवानंद जी ने अपनी पत्नी के गहने तक गिरवी रख दिए लेकिन अपने बेटा और बेटी की पढ़ाई में कोई बाधा नहीं आने दिए उन्हे सबसे अच्छे से अच्छे स्कूल में पढ़ाए……….(हा तो भाईलोग कुछ लोग बोलेंगे की जब देवानंद जी को घर से निकाल दिया गया है तो गहने कहा से तो मै बस इतना कहूंगा कि रुको जरा कहानी तो आगे बढ़ने दो)……..
धीरे धीरे अमन कि जिंदगी आगे बढ़ने लगी और उसकी पढ़ाई भी पूरी होने लगी अब उसने इंटर मीडिएट की परीक्षा भी पास कर लिया था और उसने इंडिया टॉप किया जिसके फलस्वरूप उसका एडमिशन एक महाविद्यालय में छात्रवृति पर हो गया और इसी महाविद्यालय के आगे देवानंद जी अपना ठेला लगाते है …. अमन की बहन 11 वीं में थी।…..
अमन नौकरी करना चाहता था ताकि वह अपनी घर की हालत को सुधार सके लेकिन देवानंद जी और उनकी पत्नी ने अपनी कसम देकर अमन को आगे पढ़ने पर मजबूत कर दिया और वे दिन रात एक कर दिए अमन और वंदना ( अमन की बहन जिसका नाम वंदना रखा गया है) को आगे पढ़ाने के लिए…………..
अब अमन कि उम्र 20 वर्ष में 3 महीने काम रह गया है और आज अमन दिल्ली पुलिस में पेपर और दौड़ निकालने के बाद फाइनल मेडिकल के लिए जा रहा है……………………………….

दोस्तो अमन के पैदा होने के 19 वर्ष तक देवानंद जी के जीवन में कुछ नहीं हुआ सिवाय अपने फास्ट फूड के ठेले पर दुकान लगाने की तो मैंने फास्ट फॉरवर्ड करके लगभग 19-20 साल कहानी को आगे कर दिया है और इसके आगे से यह कहानी अपनी असली रूप में चलेगा लेकिन हा अमन के जीवन में छोटी छोटी चुनौतियां जरूर आती जिसका जिक्र आगे बातो ही बातो में होगा ………….…….

अब मिलते है कहनिंके अगले अपडेट में………

Next update :- 03
Title :- अमन का हुआ ऐक्सिडेंट और देवानंद के परिवार और कुछ मुख्य पत्रो का परिचय।
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भाग - 01
अपडेट - 03

शीर्षक - अमन का हुआ ऐक्सिडेंट और देवानंद के परिवार और कुछ मुख्य पत्रो का परिचय।
अब आगे :-

दिल्ली जैसे व्यस्त शहर के एक सुनसान सड़क पर स्ट्रीट लाइट के नीचे रखे बेंच पर एक लड़का लेटा हुआ था और अपने आंखों पर हाथ रखे नीचे ट्रेवल बैग का तकिया बनाया हुआ, अपनी आंखे बंद किए आज जो हुआ और आगे जो होगा उसके बारे में सोच रहा था, आइए जानते है आज इस लड़के के साथ हुआ क्या है और ये है कौन है :-
वास्तव में यह लड़का है अमन शास्त्री जो एक निम्न वर्गीय परिवार से आता है (हालिया अमन के घर की स्थिति के अनुसार) , अमन शास्त्री आज दिल्ली में दिल्ली पुलिस भर्ती में मेडिकल के लिए आया है, और उसे बिना कारण के ही रिजेक्ट कर दिया गया न कोई कारण बताया गया और नही री मेडिकल के लिए बुलाया गया था असल बात ये थी कि अमन के बाद केवल एक ही लड़का बचा हुआ था और कंडीडेट एक ही चाहिए और इस दूसरे लड़के ने पहले से ही बड़े अधिकारियों की जेब गरम कर दिया था और अमन तो यहां आने के लिए ही दूसरे के द्वारा उधार लिए गए पैसे का उपयोग किया था।
अमन यही सोच रहा था की वह किस मुंह से अपने घर जाए कैसे अपने पापा को बताए की उसे रिजेक्ट कर दिया गया है।
अमन के पिताजी दिल्ली के ***** महाविद्यालय के सामने ही फास्ट फूड के ठेला लगाते थे जिससे उनके घर परिवार के लिए खर्च निकल जाता है। अमन पढ़ने में काफी तेज था उसके 12थ में 96% आया था जिसके चलते *****महाविद्यालय में छात्रवृति पर एडमिशन हो गया था अपने घर की स्थिति को देखते हुए अमन ने दिल्ली पुलिस के वकैंसी आने पर फॉर्म अप्लाई किया और उसने पेपर क्वालीफाई करके दौड़ भी निकाल लिया लेकिन आज मेडिकल में उसे डिसक्वालीफाई कर दिया गया, बिना कारण बताए। यह सोचते हुए अमन के बंद आंखों से आशु निकल रहे थे। अमन एक ऐसा लड़का था जो की अपनी हालातो से लड़ता था न की भागता था लेकिन यह अब एक ऐसी परिस्थिति बन गई थी की अमन अपने आप को खत्म करना चाहता था लेकिन उसके परिवार के लोगो में इसकी जान से प्यारी छोटी बहन, माता - पिता जो की अमन की खुशी के लिए खुद को भी बेचने से पीछे नहीं हटते इन्हे कैसे छोड़ कर चला जाता। वह यह यही सोच रहा था की वह क्या करे……………………………………
फिर अमन अपनी सोचो पर विराम देते हुए उठ जाता है और रोड पर अपने कंधो पे बैग लिए आगे की ओर बढ़ने लगता है, तभी अमन के पीछे एक अनबैलेंसड कार चली आ रही थी और कार की गति इतनी तेज थी की अमन को कुछ सोचने या फिर अपनी रक्षा करने का समय ही नहीं मिला और कार एक जोर का टक्कर अमन को मारती है जिससे अमन कार के साथ साथ सड़क के पास के स्ट्रीट लाइट में टकराता है टकराने के साथ साथ ही कार के फ्रंट शीशे को तोड़ते हुए एक आदमी जिसके हाथ में एक नीला बॉक्स जो सीसे का बना हुआ था वह आकर अमन के मुंह पर लगता है जिससे नीले बॉक्स अमन के चेहरे पर टूट जाता है और कमाल की बात ये थी की इस बॉक्स के टूटने से कोई भी सीसे के कण नीचे नही गिरता है । अमन को चोट लगने से अमन बेहोश क्या क्रिटिकल पोजिशन में चला जाता है और वह आदमी का सर स्ट्रीट लाइट के पोल से जाकर टकराता है जिससे उसकी मौत जगह पर ही हो जाता है।……………….

10 मिनट बाद…..

देवानंद जी पूरे परिवार के साथ रात के खाने के लिए बैठे थे….

"पापा भैया ने अभी तक एक फोन भी नहीं किया.. सुबह से गए अभी तक उनका कोई खबर नहीं आया…." वंदना ने थोड़े गुस्से में अपने भाई की शिकायत करते हुए अपने पापा से बोली।

" तुझे सच में उसकी चिंता हो रही है हा….. कहीं आज सूरज पश्चिम से तो नहीं निकला है…. देव क्या आज सच में सूरज पश्चिम से तो नहीं निकला था क्योंकि महारानी साहिबा आज दिन भर से अपने भाई को पूछ रही है.." अमन की मा ने वंदना की बातो को सुनकर उसे ताना मारते हुए कहा….

" मां वो मेरे भैया है तो उनकी फिकर तो होगी ही…" वंदना ने अपनी मां कि बात को सुनकर कहा

" हा… हा पता है मुझे.. बड़ी आई भैया वाली….. तब तुझे भैया नजर नहीं आता जब तू उस परेशान करती है" मां ने वंदना की बात को सुनकर कहा

" हा तो करूंगी ही … वह तो मेरा जन्मसिद्ध अधिकार है और भैया भी तो मुझे परेशान करते है… तब तो आप उन्हें कुछ नहीं कहती…." वंदना ने भी अपनी मां की बात को सुनकर उनकी जवाब दिया

" सावित्री तुम क्यों इन भाई बहन के बीच में आ रही हो…… अब ये नहीं लड़ेंगे तो कौन लड़ेगा और तुम मेरी लाडली को अब कुछ मत कहना.." बहस खत्म करने के उद्देश्य से देवानंद जी ने कहा क्योंकि वे जानते थे कि जब तक वे कुछ बोलेंगे नहीं तब तक दोनों में से कोई चुप नहीं होगा। वंदना ने जब आनी पापा की बात सुनी तो खुश होते हुए अपने मां की ओर देखा और जीभ निकाल कर उन्हे चिढ़ाने लगी

" हा हा और बीगाड़ो आप इन दोनों को मेरी तो कोई बात ही नहीं सुनता…." सावित्री जी ने कहा और वे वहां से खाने की थाली लाने रसोई घर में चली गई।
दरअसल बात ये है कि अमन और वंदना में कुत्ते बिल्ली की लड़ाई चलती है जिसमें सावित्री जी का पीसना कन्फर्म है लेकिन आज वंदना कुछ बेचैन थी क्योंकि अमन आज उसे मिले बिना ही चला गया था जो की आज तक कभी नहीं हुआ था। वंदना और अमन में कितना भी लड़ाइयां हो जाय लेकिन एक दूसरे के देखे बिना उनका सुबह नहीं होता…

अपनी मां कि बात को सुनकर वंदना कुछ बोलने ही वाली थी कि फोन रिंग होने लगता है ……

"आ गई भाई की फोन" फोन बजते ही वंदना खाने पर से उठने लगी की…..

"चुपचाप बैठ मै देखती हूं….. (अपने बड़बड़ाते हूं) इतना प्यार है इन दोनों में लेकिन ऐसे झगड़ा करते है जैसे कि कितने जन्म के दुश्मन हो" अमन की माता जी ने कहा जो खाने की थाली लेकर आ रही थी और देवानंद जी और वंदना को उनकी खाने किं थाली देकर टेबल पर से फोन को उठाया तो देखा ये अमन के ही फोन था तो फोन उठाते हुए………..

अमन की मा :- हेल्लो! बेटा……

अमन :- हेल्लो मा!

अमन की मा :- हा बेटा कैसा है तू और तूने सुबह कुछ क्या की नहीं और क्या हुआ तेरा क्या तू पुलिस बन गया। (ये बात खुश और चिंता जताते हुए सावित्री जी ने कहा)

अमन :- मां….शांत मां…. कितना सवाल एक साथ पूछोगी एक एक करके पूछिए।

अमन की मां कुछ बोलने वाली थी कि उनके हाथ से किसी ने फोन ले लिया और ये कोई नहीं वंदना थी……..

वंदना :- हां तो बताना चालू करिए……..

अमन :- हेल्लो……

वंदना :- हां बोल तो रही हूं…….

अमन :- हेल्लो मां….. हेल्लो….

वंदना :- भैया आइए घर आपके कान में तेल डालती हूं तब आपको सुनाई देने लगेगा…… (थोड़ा गुस्से मै वंदना ने कहा)
वंदना की गुस्से मै होने से अमन अपनी हसी को रोकते हुए इधर मां और पापा भी अपनी हसी को रोक हुए थे नहीं तो वंदना क्या करती ये सभी जानते थे ….

अमन :- हेल्लो…..

वंदना :- भैया ये ज्यादा हो रहा है….

अमन :- हेल्लो…..

वंदना :- मै फोन तोड़ दूंगी….

अमन :- हेल्लो….

अब वंदना गुस्से में आ गई थी और अमन के सभी घरवाले जानते थे कि जब वंदना को गुस्सा आता है तो क्या होता है तो अमन के पिताजी अब खाने से उठे और वंदना को गुस्से मै आते देख वे तुरंत उसके पास आकर फोन देने का इशारा किए और वंदना जो बोलने वाली थी उसे नहीं बोला और अपने पापा का आदेश सुनकर उन्हे फोन उन्हे दे दिया।

देवानंद :- हा बेटा बोल……

अमन :- (अपने पापा की आवाज सुनकर उनसे कहता है) पापा कुछ नहीं हुआ…. अमन थोड़ा मायूस होते हुए बोला…

देवानंद जी :- हा तो……

अमन :- पापा मुझे डिसक्वालिफाई कर दिया गया है……

देवानंद जी :- (शान्ति से) हा तो बेटा घर आजा…अभी तो तेरे खेलने के दिन है मै तो तुझे पहले ही कहा था अभी समय है तू ने ही जिद्द की थी और यह तेरा पहला चांस है ना कि अंतिम। .. तो तुम अगली बार फिर से कोशिश करना मै जनता हूं कि मेरा बेटा अगली बार जरूर पुलिस बन जाएगा।

अमन :- पापा मै अभी 5 दिन घर नहीं आ सकता..

देवानंद जी :- और वह किस खुशी में बेटा जी …..

अमन :- वो पापा आप तो जानते ही है कि विपिन सर ने मेरी कितनी हेल्प की थी स्कूल में……

देवानंद जी :- हा बेटा….. लेकिन मेरे समझ में नहीं आ रहा है कि तू कहना क्या चाहता है… विपिन सर का तो ट्रांसफर हो गया है उनके ही गांव में…….
अमन :- हा पापा उन्हीं की शादी है और उन्होंने मुझे बुलाया है तो मै इधर से ही जाना चाहता ही क्योंकि कल ही उनकी शादी की रस्में शुरू होने वाली है और उन्होने मुझे कल ही बुलाया है।….

देवानंद जी :- ठीक है बेटा कोई बात नहीं….. उन्होंने हम पर बहुत अहसान किए है तेरी पढ़ाई में हेल्प करके और वे अपनी खुशी में तुझे सामिल करना चाहते है तो तुम जाओ …… मै इधर संभाल लूंगा…..

अमन :- थैंक्यू पापा……

देवानंद जी :- चल मजे कर…..

फोन कट जाता है…..
देवानंद जी अमन कि बात को घर में सभी को बताते है जिसे सुनने के बाद तो वंदना गुस्से मै अपने कमरे में चली जाती है और जोर से दरवाजा बंद कर देती है…… जिसे देखकर दोनों पति पत्नी के होठं पर मुस्कान तैर जाती है।

".... ये लड़की भी ना…. जब वह इसके पास रहता है तो उसे परेशान करती रहती है और जब वह नहीं रहता है तो पूरा घर अपने सर पर उठा लेती है जैसे भैया से कितना प्यार करती है….. " अमन की मां वंदना के रवैए को देखते हुए अपने आप से बोली जिसे देवानंद जी ने सुन लिया और हस्ते हुए सोने के लिए चले गए और अमन कि मा भी सब काम निपटा कर सोने चली गई……..


इधर अमन की ऐक्सिडेंट वाले स्थल पर…….. कुछ समय बाद इस सड़क पर पुलिस और एंबुलेंस के सायरन का आवाज गूंजने लगता है……………………..

वही कुछ दूरी पर दो कारें खड़ी थी जिनमें काले कोट पहने हुए 8-10 लोग बैठे हुए थे…. उनमें से एक किसी को फोन करता है…..

आदमी - बॉस हमारा मिशन फेल हो
गया….. उसकी कार का ऐक्सिडेंट हो गया है और वह मर गया है … हम उसके पास जाने ही वाले थे कि पुलिस आ गई…..

…….. वह बॉक्स

आदमी - वह तो किसी के हाथ में दिखाई नहीं दे रहा है और नाही कार से ऐसा कुछ निकला है।

……… कितनी देर में पहुंचे तुम लोग वहां..

आदमी - (थोड़ा डरते हुए) जी… जी… बॉस लगभग 20-30 मिनट बाद…
फोन कट जाता है कार में बैठा वह आदमी पसीने से भीग गया था…………

क्या अमन की मौत हो गई है , अगर अमन की मौत हो गई तो अमन के परिवार वालों के यहां फोन किसने किया । आखिर वह नीला बॉक्स था क्या। नीला बॉक्स क्या कोई कैमिकल था या फिर कुछ और ।यह सब जानने के लिए पढ़ते रहिए कहानी Avatar………. (Rebarth Of A Destroyer) । कहानी आगे बढ़ाने से पहले इस कहानी के कुछ किरदारों से अवगत हो जाते है ………………………

अमन का परिवार:-

1.देवानंद शास्त्री :- अमन के पिताजी । उम्र 43 वर्ष । ये एक मेहनती इंसान है परिवार के सुख के लिए कुछ भी करने को सदैव तैयार रहते है। इनकी हाइट लगभग 6 फिर के करीब है, लेकिन वक्त के मार ने इनकी दसा बिगाड़ दिया है। (🧘,🤜🤛, 🧐, 😈, 💓, 🤴)

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2.सावित्री देवी :- अमन के माताजी । उम्र 40 वर्ष । ये एक घरेलू महिला है । अपने पति द्वारा लगाए गए फास्ट फूड के ठेले के लिए मसाला आदि तैयार करती है और उनकी सहायता के लिए भी उनके साथ रहती है इनका खान पान अगर सही रहे तो इनके आगे स्वर्ग की अप्सरा भी पानी भरने लगे लेकिन हालात और गरीबी ने इनसे इनकी सुंदरता छीन लिया है गाल धस गए है आंखों के नीचे काला धब्बा बन गया है। ये अपने बच्चो से बहुत प्यार करती है। (💞)(💫)
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3.अमन शास्त्री :- ये खुद मैं हूं। मेरी उम्र 20 होने में अभी 3 महीने कम है। मैंने जबसे अपनी होस संभाला है, मैं अपने परिवार को गरीबी में ही देखा है। मैं पूरी कोशिश करता हु की अपने परिवार की हालत को सुधारने में पापा की सहायता करु लेकिन पापा मुझे पढ़ाना चाहते है और मां-पापा ने अपनी कसम दी है अगर मैने पढ़ाई छोड़ी तो जब तक वे न चाहे। खर्च वे कही से भी ला के देंगे मुझे बस पढ़के एक बड़ा अफसर बनाना है मां पापा की यही इच्छा है। मैं भी उनकी कसम को तोड़ नही सकता हूं। मेरी ही पढ़ाई के पीछे उन्होंने अपनी थोड़ी सी भी सुख का भी त्याग कर दिया है, और इंटर तक उन्होंने मुझे एक प्राइवेट school में पढ़ाया । मैंने कई सपने सजा लिए थे कि जब पुलिस बन जाऊंगा तो ये करूंगा वो करूंगा लेकिन कभी किसी के सपने इतनी आसानी से पूरे हुए है जल्दी और खास तौर पर गरीब लोगो का। (🧘,🤜🤛, 💞, 🌋, 💯, 🔥, 💀, 🌦️, ⚡,🐍, unlimited , etc…..)
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4.वंदना शास्त्री :- मेरी छोटी बहन जिसके कारण परिवार के लोगो के चेहरे पर थोड़ी बहुत मुस्कान दिखाई देता है। इसकी उम्र 18 वर्ष है। मुझसे हरदम लड़ाई करती रहती है लेकिन प्यार भी उतना ही करती है जब तक सुबह मुझे देख ना ले तब तक इसकी सुबह ही नहीं होती है, यह मेरे ही कमरे में ही सोती है वह भी जबरजस्ती। (2 - ?)(?) (😍,🥰,💞)

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ये हुई मेरे परिवार का परिचय अब आइए कुछ और मुख्य पत्रों के बारे में जान लेते है :-

कनक मेहता :- दिल्ली पुलिस में इंस्पेक्टर है। उम्र 27 वर्ष शादी नही हुई है। देखने में रवीना टंडन के जैसे लगती है। (2-01)(03)(🤜🤛,😠,💞,🧚)
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शैलेंद्र देशमुख :- उम्र लगभग 50 वर्ष । अमन जिस महाविद्यालय में पढ़ता है उस महाविद्यालय के ट्रस्टी साथ ही में इस एरिया के mla। दिल्ली के कॉलेज और महाविद्यालय में नशा की चीजों का मुख्य सेलर और भी गलत धंधे है इसकी संबंध अंडरवर्ल्ड से भी है(🖤,😈)

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रिया देशमुख :- शैलेंद्र देशमुख की छोटी बेटी। उम्र 20 वर्ष। अमन की सहपाठी है । इसके अंदर अमन के लिए एक तरफा प्यार है जिसकी जानकारी किसी को भी नही है यह प्यार तब से उमड़ रहा है जबसे अमन ने इसकी इज्जत बचाई थी (आगे पता चलेगा) । सुंदरता में माधुरी दीक्षित। (2-02)(4)(👩‍❤️‍👨,💞,🧜)
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जान्हवी सिंघानिया :- (Age-18)जान्हवी इंडिया के टॉप कंपनियों में से एक कंपनी के मालिक संजय सिंघानिया के इकलौती बेटी है। यह वंदना की दोस्त है केवल स्कूल में क्योंकि बाहर उन्हें उनका स्टेटस अलग कर देता था पर जान्हवी अपनी सहेली वंदना को बहुत ही मानती है इसकी सगाई हो गई है। (1-01)(01)(🦸,💞)
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जय सिंघानिया :- जान्हवी के बड़ा भाई है जो उससे 2 साल बड़ा है। दिखाने मै ठीक लड़कियों के राजकुमार जैसा है। वंदना से प्यार करता है…. वंदना भी इसे पसंद करती है लेकिन प्यार नहीं करती है क्योंकि वह किसी और से प्यार करती है। (कौन कहानी में पता चलेगा). इसका एक बड़ा सीक्रेट है।(💘,💔,🧐,😠,😡,😈)
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किशन भाई:- इसे वसूली भाई के नाम से भी जाना जाता है। (🧟)
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सेठ ध्यानचंद्र:- ये ब्याज पर पैसे देता है इसने ही अमन के पिताजी को ब्याज पर पैसा दीया है। यह शैलेंद्र देशमुख के काले धंधे को नियंत्रण करता है मतलब की यह शैलेंद्र के काले धंधों का मैनेजरी का कार्य करता है।(🧞)
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प्रो० नंदकिशोर चंदानी:- ये पुरातत्व विभाग के उच्च अधिकारी है। इनके ही कार से अमन का एक्सीडेंट हुआ है और गाड़ी वाला शक्स यही है जिनकी अब मौत हो गई है।(🗣️,👣)


अमन ने अपनी स्कूल, कॉलेज टाइम में कोई भी दोस्त नही बनाया था ।

कहानी जैसे जैसे आगे बढ़ती जायेगी वैसे वैसे कहानी में किरदार एक सीमित संख्या तक बढ़ते जाएंगे जिनका परिचय उनका समय आने पर दिया जाएगा। एक और बात बता दूं की कहानी मेरे यानी अमन के साथ ही चलेगी और कहानी में मुख्य केंद्र अमन ही रहेगा। यह कहानी एक वन मैन हीरो स्टोरी है। हा साइड हीरो भी होंगे। जो मुख्य हीरो की सहायता करेंगे।

अमन के परिवार में सभी बिना विचारे कोई भी काम में आगे नही बढ़ते है अगर कोई बात हो तो पहले उसका हल ढूंढते है फालतू में ओवर रियेक्ट नही करते है खास तौर पर अमन के माता पिता। क्योंकि गरीबी सब कुछ सिखा देती है।

कहानी जारी रहेगी.......

अब मिलते है कहानी के अगले अपडेट में.........
 
Last edited:

L.king

जलना नही मुझसे नही तो मेरी DP देखलो।
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Avatar....... ( Rebirth of A Destroyer)
भाग - 01
अपडेट - 03

शीर्षक - अमन का हुआ ऐक्सिडेंट और देवानंद के परिवार और कुछ मुख्य पत्रो का परिचय।
अब आगे :-

दिल्ली जैसे व्यस्त शहर के एक सुनसान सड़क पर स्ट्रीट लाइट के नीचे रखे बेंच पर एक लड़का लेटा हुआ था और अपने आंखों पर हाथ रखे नीचे ट्रेवल बैग का तकिया बनाया हुआ, अपनी आंखे बंद किए आज जो हुआ और आगे जो होगा उसके बारे में सोच रहा था, आइए जानते है आज इस लड़के के साथ हुआ क्या है और ये है कौन है :-
वास्तव में यह लड़का है अमन शास्त्री जो एक निम्न वर्गीय परिवार से आता है (हालिया अमन के घर की स्थिति के अनुसार) , अमन शास्त्री आज दिल्ली में दिल्ली पुलिस भर्ती में मेडिकल के लिए आया है, और उसे बिना कारण के ही रिजेक्ट कर दिया गया न कोई कारण बताया गया और नही री मेडिकल के लिए बुलाया गया था असल बात ये थी कि अमन के बाद केवल एक ही लड़का बचा हुआ था और कंडीडेट एक ही चाहिए और इस दूसरे लड़के ने पहले से ही बड़े अधिकारियों की जेब गरम कर दिया था और अमन तो यहां आने के लिए ही दूसरे के द्वारा उधार लिए गए पैसे का उपयोग किया था।
अमन यही सोच रहा था की वह किस मुंह से अपने घर जाए कैसे अपने पापा को बताए की उसे रिजेक्ट कर दिया गया है।
अमन के पिताजी दिल्ली के ***** महाविद्यालय के सामने ही फास्ट फूड के ठेला लगाते थे जिससे उनके घर परिवार के लिए खर्च निकल जाता है। अमन पढ़ने में काफी तेज था उसके 12थ में 96% आया था जिसके चलते *****महाविद्यालय में छात्रवृति पर एडमिशन हो गया था अपने घर की स्थिति को देखते हुए अमन ने दिल्ली पुलिस के वकैंसी आने पर फॉर्म अप्लाई किया और उसने पेपर क्वालीफाई करके दौड़ भी निकाल लिया लेकिन आज मेडिकल में उसे डिसक्वालीफाई कर दिया गया, बिना कारण बताए। यह सोचते हुए अमन के बंद आंखों से आशु निकल रहे थे। अमन एक ऐसा लड़का था जो की अपनी हालातो से लड़ता था न की भागता था लेकिन यह अब एक ऐसी परिस्थिति बन गई थी की अमन अपने आप को खत्म करना चाहता था लेकिन उसके परिवार के लोगो में इसकी जान से प्यारी छोटी बहन, माता - पिता जो की अमन की खुशी के लिए खुद को भी बेचने से पीछे नहीं हटते इन्हे कैसे छोड़ कर चला जाता। वह यह यही सोच रहा था की वह क्या करे……………………………………
फिर अमन अपनी सोचो पर विराम देते हुए उठ जाता है और रोड पर अपने कंधो पे बैग लिए आगे की ओर बढ़ने लगता है, तभी अमन के पीछे एक अनबैलेंसड कार चली आ रही थी और कार की गति इतनी तेज थी की अमन को कुछ सोचने या फिर अपनी रक्षा करने का समय ही नहीं मिला और कार एक जोर का टक्कर अमन को मारती है जिससे अमन कार के साथ साथ सड़क के पास के स्ट्रीट लाइट में टकराता है टकराने के साथ साथ ही कार के फ्रंट शीशे को तोड़ते हुए एक आदमी जिसके हाथ में एक नीला बॉक्स जो सीसे का बना हुआ था वह आकर अमन के मुंह पर लगता है जिससे नीले बॉक्स अमन के चेहरे पर टूट जाता है और कमाल की बात ये थी की इस बॉक्स के टूटने से कोई भी सीसे के कण नीचे नही गिरता है । अमन को चोट लगने से अमन बेहोश क्या क्रिटिकल पोजिशन में चला जाता है और वह आदमी का सर स्ट्रीट लाइट के पोल से जाकर टकराता है जिससे उसकी मौत जगह पर ही हो जाता है।……………….

10 मिनट बाद…..

देवानंद जी पूरे परिवार के साथ रात के खाने के लिए बैठे थे….

"पापा भैया ने अभी तक एक फोन भी नहीं किया.. सुबह से गए अभी तक उनका कोई खबर नहीं आया…." वंदना ने थोड़े गुस्से में अपने भाई की शिकायत करते हुए अपने पापा से बोली।

" तुझे सच में उसकी चिंता हो रही है हा….. कहीं आज सूरज पश्चिम से तो नहीं निकला है…. देव क्या आज सच में सूरज पश्चिम से तो नहीं निकला था क्योंकि महारानी साहिबा आज दिन भर से अपने भाई को पूछ रही है.." अमन की मा ने वंदना की बातो को सुनकर उसे ताना मारते हुए कहा….

" मां वो मेरे भैया है तो उनकी फिकर तो होगी ही…" वंदना ने अपनी मां कि बात को सुनकर कहा

" हा… हा पता है मुझे.. बड़ी आई भैया वाली….. तब तुझे भैया नजर नहीं आता जब तू उस परेशान करती है" मां ने वंदना की बात को सुनकर कहा

" हा तो करूंगी ही … वह तो मेरा जन्मसिद्ध अधिकार है और भैया भी तो मुझे परेशान करते है… तब तो आप उन्हें कुछ नहीं कहती…." वंदना ने भी अपनी मां की बात को सुनकर उनकी जवाब दिया

" सावित्री तुम क्यों इन भाई बहन के बीच में आ रही हो…… अब ये नहीं लड़ेंगे तो कौन लड़ेगा और तुम मेरी लाडली को अब कुछ मत कहना.." बहस खत्म करने के उद्देश्य से देवानंद जी ने कहा क्योंकि वे जानते थे कि जब तक वे कुछ बोलेंगे नहीं तब तक दोनों में से कोई चुप नहीं होगा। वंदना ने जब आनी पापा की बात सुनी तो खुश होते हुए अपने मां की ओर देखा और जीभ निकाल कर उन्हे चिढ़ाने लगी

" हा हा और बीगाड़ो आप इन दोनों को मेरी तो कोई बात ही नहीं सुनता…." सावित्री जी ने कहा और वे वहां से खाने की थाली लाने रसोई घर में चली गई।
दरअसल बात ये है कि अमन और वंदना में कुत्ते बिल्ली की लड़ाई चलती है जिसमें सावित्री जी का पीसना कन्फर्म है लेकिन आज वंदना कुछ बेचैन थी क्योंकि अमन आज उसे मिले बिना ही चला गया था जो की आज तक कभी नहीं हुआ था। वंदना और अमन में कितना भी लड़ाइयां हो जाय लेकिन एक दूसरे के देखे बिना उनका सुबह नहीं होता…

अपनी मां कि बात को सुनकर वंदना कुछ बोलने ही वाली थी कि फोन रिंग होने लगता है ……

"आ गई भाई की फोन" फोन बजते ही वंदना खाने पर से उठने लगी की…..

"चुपचाप बैठ मै देखती हूं….. (अपने बड़बड़ाते हूं) इतना प्यार है इन दोनों में लेकिन ऐसे झगड़ा करते है जैसे कि कितने जन्म के दुश्मन हो" अमन की माता जी ने कहा जो खाने की थाली लेकर आ रही थी और देवानंद जी और वंदना को उनकी खाने किं थाली देकर टेबल पर से फोन को उठाया तो देखा ये अमन के ही फोन था तो फोन उठाते हुए………..

अमन की मा :- हेल्लो! बेटा……

अमन :- हेल्लो मा!

अमन की मा :- हा बेटा कैसा है तू और तूने सुबह कुछ क्या की नहीं और क्या हुआ तेरा क्या तू पुलिस बन गया। (ये बात खुश और चिंता जताते हुए सावित्री जी ने कहा)

अमन :- मां….शांत मां…. कितना सवाल एक साथ पूछोगी एक एक करके पूछिए।

अमन की मां कुछ बोलने वाली थी कि उनके हाथ से किसी ने फोन ले लिया और ये कोई नहीं वंदना थी……..

वंदना :- हां तो बताना चालू करिए……..

अमन :- हेल्लो……

वंदना :- हां बोल तो रही हूं…….

अमन :- हेल्लो मां….. हेल्लो….

वंदना :- भैया आइए घर आपके कान में तेल डालती हूं तब आपको सुनाई देने लगेगा…… (थोड़ा गुस्से मै वंदना ने कहा)
वंदना की गुस्से मै होने से अमन अपनी हसी को रोकते हुए इधर मां और पापा भी अपनी हसी को रोक हुए थे नहीं तो वंदना क्या करती ये सभी जानते थे ….

अमन :- हेल्लो…..

वंदना :- भैया ये ज्यादा हो रहा है….

अमन :- हेल्लो…..

वंदना :- मै फोन तोड़ दूंगी….

अमन :- हेल्लो….

अब वंदना गुस्से में आ गई थी और अमन के सभी घरवाले जानते थे कि जब वंदना को गुस्सा आता है तो क्या होता है तो अमन के पिताजी अब खाने से उठे और वंदना को गुस्से मै आते देख वे तुरंत उसके पास आकर फोन देने का इशारा किए और वंदना जो बोलने वाली थी उसे नहीं बोला और अपने पापा का आदेश सुनकर उन्हे फोन उन्हे दे दिया।

देवानंद :- हा बेटा बोल……

अमन :- (अपने पापा की आवाज सुनकर उनसे कहता है) पापा कुछ नहीं हुआ…. अमन थोड़ा मायूस होते हुए बोला…

देवानंद जी :- हा तो……

अमन :- पापा मुझे डिसक्वालिफाई कर दिया गया है……

देवानंद जी :- (शान्ति से) हा तो बेटा घर आजा…अभी तो तेरे खेलने के दिन है मै तो तुझे पहले ही कहा था अभी समय है तू ने ही जिद्द की थी और यह तेरा पहला चांस है ना कि अंतिम। .. तो तुम अगली बार फिर से कोशिश करना मै जनता हूं कि मेरा बेटा अगली बार जरूर पुलिस बन जाएगा।

अमन :- पापा मै अभी 5 दिन घर नहीं आ सकता..

देवानंद जी :- और वह किस खुशी में बेटा जी …..

अमन :- वो पापा आप तो जानते ही है कि विपिन सर ने मेरी कितनी हेल्प की थी स्कूल में……

देवानंद जी :- हा बेटा….. लेकिन मेरे समझ में नहीं आ रहा है कि तू कहना क्या चाहता है… विपिन सर का तो ट्रांसफर हो गया है उनके ही गांव में…….
अमन :- हा पापा उन्हीं की शादी है और उन्होंने मुझे बुलाया है तो मै इधर से ही जाना चाहता ही क्योंकि कल ही उनकी शादी की रस्में शुरू होने वाली है और उन्होने मुझे कल ही बुलाया है।….

देवानंद जी :- ठीक है बेटा कोई बात नहीं….. उन्होंने हम पर बहुत अहसान किए है तेरी पढ़ाई में हेल्प करके और वे अपनी खुशी में तुझे सामिल करना चाहते है तो तुम जाओ …… मै इधर संभाल लूंगा…..

अमन :- थैंक्यू पापा……

देवानंद जी :- चल मजे कर…..

फोन कट जाता है…..
देवानंद जी अमन कि बात को घर में सभी को बताते है जिसे सुनने के बाद तो वंदना गुस्से मै अपने कमरे में चली जाती है और जोर से दरवाजा बंद कर देती है…… जिसे देखकर दोनों पति पत्नी के होठं पर मुस्कान तैर जाती है।

".... ये लड़की भी ना…. जब वह इसके पास रहता है तो उसे परेशान करती रहती है और जब वह नहीं रहता है तो पूरा घर अपने सर पर उठा लेती है जैसे भैया से कितना प्यार करती है….. " अमन की मां वंदना के रवैए को देखते हुए अपने आप से बोली जिसे देवानंद जी ने सुन लिया और हस्ते हुए सोने के लिए चले गए और अमन कि मा भी सब काम निपटा कर सोने चली गई……..


इधर अमन की ऐक्सिडेंट वाले स्थल पर…….. कुछ समय बाद इस सड़क पर पुलिस और एंबुलेंस के सायरन का आवाज गूंजने लगता है……………………..

वही कुछ दूरी पर दो कारें खड़ी थी जिनमें काले कोट पहने हुए 8-10 लोग बैठे हुए थे…. उनमें से एक किसी को फोन करता है…..

आदमी - बॉस हमारा मिशन फेल हो

गया….. उसकी कार का ऐक्सिडेंट हो गया है और वह मर गया है … हम उसके पास जाने ही वाले थे कि पुलिस आ गई…..

…….. वह बॉक्स

आदमी - वह तो किसी के हाथ में दिखाई नहीं दे रहा है और नाही कार से ऐसा कुछ निकला है।

……… कितनी देर में पहुंचे तुम लोग वहां..

आदमी - (थोड़ा डरते हुए) जी… जी… बॉस लगभग 20-30 मिनट बाद…
फोन कट जाता है कार में बैठा वह आदमी पसीने से भीग गया था…………

क्या अमन की मौत हो गई है , अगर अमन की मौत हो गई तो अमन के परिवार वालों के यहां फोन किसने किया । आखिर वह नीला बॉक्स था क्या। नीला बॉक्स क्या कोई कैमिकल था या फिर कुछ और ।यह सब जानने के लिए पढ़ते रहिए कहानी Avatar………. (Rebarth Of A Destroyer) । कहानी आगे बढ़ाने से पहले इस कहानी के कुछ किरदारों से अवगत हो जाते है ………………………

अमन का परिवार:-

1.देवानंद शास्त्री :- अमन के पिताजी । उम्र 43 वर्ष । ये एक मेहनती इंसान है परिवार के सुख के लिए कुछ भी करने को सदैव तैयार रहते है। इनकी हाइट लगभग 6 फिर के करीब है, लेकिन वक्त के मार ने इनकी दसा बिगाड़ दिया है। (🧘,🤜🤛, 🧐, 😈, 💓, 🤴)

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2.सावित्री देवी :- अमन के माताजी । उम्र 40 वर्ष । ये एक घरेलू महिला है । अपने पति द्वारा लगाए गए फास्ट फूड के ठेले के लिए मसाला आदि तैयार करती है और उनकी सहायता के लिए भी उनके साथ रहती है इनका खान पान अगर सही रहे तो इनके आगे स्वर्ग की अप्सरा भी पानी भरने लगे लेकिन हालात और गरीबी ने इनसे इनकी सुंदरता छीन लिया है गाल धस गए है आंखों के नीचे काला धब्बा बन गया है। ये अपने बच्चो से बहुत प्यार करती है। (💞)(💫)
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3.अमन शास्त्री :- ये खुद मैं हूं। मेरी उम्र 20 होने में अभी 3 महीने कम है। मैंने जबसे अपनी होस संभाला है, मैं अपने परिवार को गरीबी में ही देखा है। मैं पूरी कोशिश करता हु की अपने परिवार की हालत को सुधारने में पापा की सहायता करु लेकिन पापा मुझे पढ़ाना चाहते है और मां-पापा ने अपनी कसम दी है अगर मैने पढ़ाई छोड़ी तो जब तक वे न चाहे। खर्च वे कही से भी ला के देंगे मुझे बस पढ़के एक बड़ा अफसर बनाना है मां पापा की यही इच्छा है। मैं भी उनकी कसम को तोड़ नही सकता हूं। मेरी ही पढ़ाई के पीछे उन्होंने अपनी थोड़ी सी भी सुख का भी त्याग कर दिया है, और इंटर तक उन्होंने मुझे एक प्राइवेट school में पढ़ाया । मैंने कई सपने सजा लिए थे कि जब पुलिस बन जाऊंगा तो ये करूंगा वो करूंगा लेकिन कभी किसी के सपने इतनी आसानी से पूरे हुए है जल्दी और खास तौर पर गरीब लोगो का। (🧘,🤜🤛, 💞, 🌋, 💯, 🔥, 💀, 🌦️, ⚡,🐍, unlimited , etc…..)
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4.वंदना शास्त्री :- मेरी छोटी बहन जिसके कारण परिवार के लोगो के चेहरे पर थोड़ी बहुत मुस्कान दिखाई देता है। इसकी उम्र 18 वर्ष है। मुझसे हरदम लड़ाई करती रहती है लेकिन प्यार भी उतना ही करती है जब तक सुबह मुझे देख ना ले तब तक इसकी सुबह ही नहीं होती है, यह मेरे ही कमरे में ही सोती है वह भी जबरजस्ती। (2 - ?)(?) (😍,🥰,💞)

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ये हुई मेरे परिवार का परिचय अब आइए कुछ और मुख्य पत्रों के बारे में जान लेते है :-

कनक मेहता :- दिल्ली पुलिस में इंस्पेक्टर है। उम्र 27 वर्ष शादी नही हुई है। देखने में रवीना टंडन के जैसे लगती है। (2-01)(03)(🤜🤛,😠,💞,🧚)
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शैलेंद्र देशमुख :- उम्र लगभग 50 वर्ष । अमन जिस महाविद्यालय में पढ़ता है उस महाविद्यालय के ट्रस्टी साथ ही में इस एरिया के mla। दिल्ली के कॉलेज और महाविद्यालय में नशा की चीजों का मुख्य सेलर और भी गलत धंधे है इसकी संबंध अंडरवर्ल्ड से भी है(🖤,😈)

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रिया देशमुख :- शैलेंद्र देशमुख की छोटी बेटी। उम्र 20 वर्ष। अमन की सहपाठी है । इसके अंदर अमन के लिए एक तरफा प्यार है जिसकी जानकारी किसी को भी नही है यह प्यार तब से उमड़ रहा है जबसे अमन ने इसकी इज्जत बचाई थी (आगे पता चलेगा) । सुंदरता में माधुरी दीक्षित। (2-02)(4)(👩‍❤️‍👨,💞,🧜)
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जान्हवी सिंघानिया :- (Age-18)जान्हवी इंडिया के टॉप कंपनियों में से एक कंपनी के मालिक संजय सिंघानिया के इकलौती बेटी है। यह वंदना की दोस्त है केवल स्कूल में क्योंकि बाहर उन्हें उनका स्टेटस अलग कर देता था पर जान्हवी अपनी सहेली वंदना को बहुत ही मानती है इसकी सगाई हो गई है। (1-01)(01)(🦸,💞)
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जय सिंघानिया :- जान्हवी के बड़ा भाई है जो उससे 2 साल बड़ा है। दिखाने मै ठीक लड़कियों के राजकुमार जैसा है। वंदना से प्यार करता है…. वंदना भी इसे पसंद करती है लेकिन प्यार नहीं करती है क्योंकि वह किसी और से प्यार करती है। (कौन कहानी में पता चलेगा). इसका एक बड़ा सीक्रेट है।(💘,💔,🧐,😠,😡,😈)
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किशन भाई:- इसे वसूली भाई के नाम से भी जाना जाता है। (🧟)
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सेठ ध्यानचंद्र:- ये ब्याज पर पैसे देता है इसने ही अमन के पिताजी को ब्याज पर पैसा दीया है। यह शैलेंद्र देशमुख के काले धंधे को नियंत्रण करता है मतलब की यह शैलेंद्र के काले धंधों का मैनेजरी का कार्य करता है।(🧞)
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प्रो० नंदकिशोर चंदानी:- ये पुरातत्व विभाग के उच्च अधिकारी है। इनके ही कार से अमन का एक्सीडेंट हुआ है और गाड़ी वाला शक्स यही है जिनकी अब मौत हो गई है।(🗣️,👣)


अमन ने अपनी स्कूल, कॉलेज टाइम में कोई भी दोस्त नही बनाया था ।

कहानी जैसे जैसे आगे बढ़ती जायेगी वैसे वैसे कहानी में किरदार एक सीमित संख्या तक बढ़ते जाएंगे जिनका परिचय उनका समय आने पर दिया जाएगा। एक और बात बता दूं की कहानी मेरे यानी अमन के साथ ही चलेगी और कहानी में मुख्य केंद्र अमन ही रहेगा। यह कहानी एक वन मैन हीरो स्टोरी है। हा साइड हीरो भी होंगे। जो मुख्य हीरो की सहायता करेंगे।

अमन के परिवार में सभी बिना विचारे कोई भी काम में आगे नही बढ़ते है अगर कोई बात हो तो पहले उसका हल ढूंढते है फालतू में ओवर रियेक्ट नही करते है खास तौर पर अमन के माता पिता। क्योंकि गरीबी सब कुछ सिखा देती है।

कहानी जारी रहेगी.......

अब मिलते है कहानी के अगले अपडेट में.........
Update padhke maja aa gaya..........
Update me dikhaya gaya hai ki kis trah aman ko disqualified kar diya gaya jisase aman tut gaya hai aur marne ki soch raha hai par ghar ka soch kar apane aa ko nuksan nahi pahuchata hai aur yahi hota wastvik jindagi me agar tumhare pass paisa hai to tum kuchh bhi kar sakte ho aaj kal lagbhag sari naukariyo me ghus liya jata hai aur mangte aise hai jaise ki unake baap ne karja diya hai vaise corruption ko rokana kisi ke bas ki baat nahi hai aur jo ise rokane ki koshish karta hai vah sala khud hi corrupt hota hai aur apani chori chhupane ke liye dikhawa karta hai ........ Aman marna to chahta hai lekin aane pariwar ke karan kuchh nahi karta lekin sayad bhagwan ne usake dil ke dard samjh jate hai jo usaka accident kara dete hai lekin mujhe yah samjh nahi aaya hai ki aman ki shaktiya kam nahi kar rahi hai kya ya fir abhi usaki shaktiya jgrit nahi huyi hai lagta hai nila box kya hai isame koi science ki bhumika hai dekhate hai aage kya hota hai ............
Lagata hai aman aur vandana ki jodi aage bahut manoranjan karne wali hai aur sath hi me koi kand bhi kar de ab to dekhate hai aage kya hota hai............

Waiting for next update..........
 
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Xabhi

"Injoy Everything In Limits"
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Avatar....... ( Rebirth of A Destroyer)
भाग - 01
अपडेट - 03

शीर्षक - अमन का हुआ ऐक्सिडेंट और देवानंद के परिवार और कुछ मुख्य पत्रो का परिचय।
अब आगे :-

दिल्ली जैसे व्यस्त शहर के एक सुनसान सड़क पर स्ट्रीट लाइट के नीचे रखे बेंच पर एक लड़का लेटा हुआ था और अपने आंखों पर हाथ रखे नीचे ट्रेवल बैग का तकिया बनाया हुआ, अपनी आंखे बंद किए आज जो हुआ और आगे जो होगा उसके बारे में सोच रहा था, आइए जानते है आज इस लड़के के साथ हुआ क्या है और ये है कौन है :-
वास्तव में यह लड़का है अमन शास्त्री जो एक निम्न वर्गीय परिवार से आता है (हालिया अमन के घर की स्थिति के अनुसार) , अमन शास्त्री आज दिल्ली में दिल्ली पुलिस भर्ती में मेडिकल के लिए आया है, और उसे बिना कारण के ही रिजेक्ट कर दिया गया न कोई कारण बताया गया और नही री मेडिकल के लिए बुलाया गया था असल बात ये थी कि अमन के बाद केवल एक ही लड़का बचा हुआ था और कंडीडेट एक ही चाहिए और इस दूसरे लड़के ने पहले से ही बड़े अधिकारियों की जेब गरम कर दिया था और अमन तो यहां आने के लिए ही दूसरे के द्वारा उधार लिए गए पैसे का उपयोग किया था।
अमन यही सोच रहा था की वह किस मुंह से अपने घर जाए कैसे अपने पापा को बताए की उसे रिजेक्ट कर दिया गया है।
अमन के पिताजी दिल्ली के ***** महाविद्यालय के सामने ही फास्ट फूड के ठेला लगाते थे जिससे उनके घर परिवार के लिए खर्च निकल जाता है। अमन पढ़ने में काफी तेज था उसके 12थ में 96% आया था जिसके चलते *****महाविद्यालय में छात्रवृति पर एडमिशन हो गया था अपने घर की स्थिति को देखते हुए अमन ने दिल्ली पुलिस के वकैंसी आने पर फॉर्म अप्लाई किया और उसने पेपर क्वालीफाई करके दौड़ भी निकाल लिया लेकिन आज मेडिकल में उसे डिसक्वालीफाई कर दिया गया, बिना कारण बताए। यह सोचते हुए अमन के बंद आंखों से आशु निकल रहे थे। अमन एक ऐसा लड़का था जो की अपनी हालातो से लड़ता था न की भागता था लेकिन यह अब एक ऐसी परिस्थिति बन गई थी की अमन अपने आप को खत्म करना चाहता था लेकिन उसके परिवार के लोगो में इसकी जान से प्यारी छोटी बहन, माता - पिता जो की अमन की खुशी के लिए खुद को भी बेचने से पीछे नहीं हटते इन्हे कैसे छोड़ कर चला जाता। वह यह यही सोच रहा था की वह क्या करे……………………………………
फिर अमन अपनी सोचो पर विराम देते हुए उठ जाता है और रोड पर अपने कंधो पे बैग लिए आगे की ओर बढ़ने लगता है, तभी अमन के पीछे एक अनबैलेंसड कार चली आ रही थी और कार की गति इतनी तेज थी की अमन को कुछ सोचने या फिर अपनी रक्षा करने का समय ही नहीं मिला और कार एक जोर का टक्कर अमन को मारती है जिससे अमन कार के साथ साथ सड़क के पास के स्ट्रीट लाइट में टकराता है टकराने के साथ साथ ही कार के फ्रंट शीशे को तोड़ते हुए एक आदमी जिसके हाथ में एक नीला बॉक्स जो सीसे का बना हुआ था वह आकर अमन के मुंह पर लगता है जिससे नीले बॉक्स अमन के चेहरे पर टूट जाता है और कमाल की बात ये थी की इस बॉक्स के टूटने से कोई भी सीसे के कण नीचे नही गिरता है । अमन को चोट लगने से अमन बेहोश क्या क्रिटिकल पोजिशन में चला जाता है और वह आदमी का सर स्ट्रीट लाइट के पोल से जाकर टकराता है जिससे उसकी मौत जगह पर ही हो जाता है।……………….

10 मिनट बाद…..

देवानंद जी पूरे परिवार के साथ रात के खाने के लिए बैठे थे….

"पापा भैया ने अभी तक एक फोन भी नहीं किया.. सुबह से गए अभी तक उनका कोई खबर नहीं आया…." वंदना ने थोड़े गुस्से में अपने भाई की शिकायत करते हुए अपने पापा से बोली।

" तुझे सच में उसकी चिंता हो रही है हा….. कहीं आज सूरज पश्चिम से तो नहीं निकला है…. देव क्या आज सच में सूरज पश्चिम से तो नहीं निकला था क्योंकि महारानी साहिबा आज दिन भर से अपने भाई को पूछ रही है.." अमन की मा ने वंदना की बातो को सुनकर उसे ताना मारते हुए कहा….

" मां वो मेरे भैया है तो उनकी फिकर तो होगी ही…" वंदना ने अपनी मां कि बात को सुनकर कहा

" हा… हा पता है मुझे.. बड़ी आई भैया वाली….. तब तुझे भैया नजर नहीं आता जब तू उस परेशान करती है" मां ने वंदना की बात को सुनकर कहा

" हा तो करूंगी ही … वह तो मेरा जन्मसिद्ध अधिकार है और भैया भी तो मुझे परेशान करते है… तब तो आप उन्हें कुछ नहीं कहती…." वंदना ने भी अपनी मां की बात को सुनकर उनकी जवाब दिया

" सावित्री तुम क्यों इन भाई बहन के बीच में आ रही हो…… अब ये नहीं लड़ेंगे तो कौन लड़ेगा और तुम मेरी लाडली को अब कुछ मत कहना.." बहस खत्म करने के उद्देश्य से देवानंद जी ने कहा क्योंकि वे जानते थे कि जब तक वे कुछ बोलेंगे नहीं तब तक दोनों में से कोई चुप नहीं होगा। वंदना ने जब आनी पापा की बात सुनी तो खुश होते हुए अपने मां की ओर देखा और जीभ निकाल कर उन्हे चिढ़ाने लगी

" हा हा और बीगाड़ो आप इन दोनों को मेरी तो कोई बात ही नहीं सुनता…." सावित्री जी ने कहा और वे वहां से खाने की थाली लाने रसोई घर में चली गई।
दरअसल बात ये है कि अमन और वंदना में कुत्ते बिल्ली की लड़ाई चलती है जिसमें सावित्री जी का पीसना कन्फर्म है लेकिन आज वंदना कुछ बेचैन थी क्योंकि अमन आज उसे मिले बिना ही चला गया था जो की आज तक कभी नहीं हुआ था। वंदना और अमन में कितना भी लड़ाइयां हो जाय लेकिन एक दूसरे के देखे बिना उनका सुबह नहीं होता…

अपनी मां कि बात को सुनकर वंदना कुछ बोलने ही वाली थी कि फोन रिंग होने लगता है ……

"आ गई भाई की फोन" फोन बजते ही वंदना खाने पर से उठने लगी की…..

"चुपचाप बैठ मै देखती हूं….. (अपने बड़बड़ाते हूं) इतना प्यार है इन दोनों में लेकिन ऐसे झगड़ा करते है जैसे कि कितने जन्म के दुश्मन हो" अमन की माता जी ने कहा जो खाने की थाली लेकर आ रही थी और देवानंद जी और वंदना को उनकी खाने किं थाली देकर टेबल पर से फोन को उठाया तो देखा ये अमन के ही फोन था तो फोन उठाते हुए………..

अमन की मा :- हेल्लो! बेटा……

अमन :- हेल्लो मा!

अमन की मा :- हा बेटा कैसा है तू और तूने सुबह कुछ क्या की नहीं और क्या हुआ तेरा क्या तू पुलिस बन गया। (ये बात खुश और चिंता जताते हुए सावित्री जी ने कहा)

अमन :- मां….शांत मां…. कितना सवाल एक साथ पूछोगी एक एक करके पूछिए।

अमन की मां कुछ बोलने वाली थी कि उनके हाथ से किसी ने फोन ले लिया और ये कोई नहीं वंदना थी……..

वंदना :- हां तो बताना चालू करिए……..

अमन :- हेल्लो……

वंदना :- हां बोल तो रही हूं…….

अमन :- हेल्लो मां….. हेल्लो….

वंदना :- भैया आइए घर आपके कान में तेल डालती हूं तब आपको सुनाई देने लगेगा…… (थोड़ा गुस्से मै वंदना ने कहा)
वंदना की गुस्से मै होने से अमन अपनी हसी को रोकते हुए इधर मां और पापा भी अपनी हसी को रोक हुए थे नहीं तो वंदना क्या करती ये सभी जानते थे ….

अमन :- हेल्लो…..

वंदना :- भैया ये ज्यादा हो रहा है….

अमन :- हेल्लो…..

वंदना :- मै फोन तोड़ दूंगी….

अमन :- हेल्लो….

अब वंदना गुस्से में आ गई थी और अमन के सभी घरवाले जानते थे कि जब वंदना को गुस्सा आता है तो क्या होता है तो अमन के पिताजी अब खाने से उठे और वंदना को गुस्से मै आते देख वे तुरंत उसके पास आकर फोन देने का इशारा किए और वंदना जो बोलने वाली थी उसे नहीं बोला और अपने पापा का आदेश सुनकर उन्हे फोन उन्हे दे दिया।

देवानंद :- हा बेटा बोल……

अमन :- (अपने पापा की आवाज सुनकर उनसे कहता है) पापा कुछ नहीं हुआ…. अमन थोड़ा मायूस होते हुए बोला…

देवानंद जी :- हा तो……

अमन :- पापा मुझे डिसक्वालिफाई कर दिया गया है……

देवानंद जी :- (शान्ति से) हा तो बेटा घर आजा…अभी तो तेरे खेलने के दिन है मै तो तुझे पहले ही कहा था अभी समय है तू ने ही जिद्द की थी और यह तेरा पहला चांस है ना कि अंतिम। .. तो तुम अगली बार फिर से कोशिश करना मै जनता हूं कि मेरा बेटा अगली बार जरूर पुलिस बन जाएगा।

अमन :- पापा मै अभी 5 दिन घर नहीं आ सकता..

देवानंद जी :- और वह किस खुशी में बेटा जी …..

अमन :- वो पापा आप तो जानते ही है कि विपिन सर ने मेरी कितनी हेल्प की थी स्कूल में……

देवानंद जी :- हा बेटा….. लेकिन मेरे समझ में नहीं आ रहा है कि तू कहना क्या चाहता है… विपिन सर का तो ट्रांसफर हो गया है उनके ही गांव में…….
अमन :- हा पापा उन्हीं की शादी है और उन्होंने मुझे बुलाया है तो मै इधर से ही जाना चाहता ही क्योंकि कल ही उनकी शादी की रस्में शुरू होने वाली है और उन्होने मुझे कल ही बुलाया है।….

देवानंद जी :- ठीक है बेटा कोई बात नहीं….. उन्होंने हम पर बहुत अहसान किए है तेरी पढ़ाई में हेल्प करके और वे अपनी खुशी में तुझे सामिल करना चाहते है तो तुम जाओ …… मै इधर संभाल लूंगा…..

अमन :- थैंक्यू पापा……

देवानंद जी :- चल मजे कर…..

फोन कट जाता है…..
देवानंद जी अमन कि बात को घर में सभी को बताते है जिसे सुनने के बाद तो वंदना गुस्से मै अपने कमरे में चली जाती है और जोर से दरवाजा बंद कर देती है…… जिसे देखकर दोनों पति पत्नी के होठं पर मुस्कान तैर जाती है।

".... ये लड़की भी ना…. जब वह इसके पास रहता है तो उसे परेशान करती रहती है और जब वह नहीं रहता है तो पूरा घर अपने सर पर उठा लेती है जैसे भैया से कितना प्यार करती है….. " अमन की मां वंदना के रवैए को देखते हुए अपने आप से बोली जिसे देवानंद जी ने सुन लिया और हस्ते हुए सोने के लिए चले गए और अमन कि मा भी सब काम निपटा कर सोने चली गई……..


इधर अमन की ऐक्सिडेंट वाले स्थल पर…….. कुछ समय बाद इस सड़क पर पुलिस और एंबुलेंस के सायरन का आवाज गूंजने लगता है……………………..

वही कुछ दूरी पर दो कारें खड़ी थी जिनमें काले कोट पहने हुए 8-10 लोग बैठे हुए थे…. उनमें से एक किसी को फोन करता है…..

आदमी - बॉस हमारा मिशन फेल हो

गया….. उसकी कार का ऐक्सिडेंट हो गया है और वह मर गया है … हम उसके पास जाने ही वाले थे कि पुलिस आ गई…..

…….. वह बॉक्स

आदमी - वह तो किसी के हाथ में दिखाई नहीं दे रहा है और नाही कार से ऐसा कुछ निकला है।

……… कितनी देर में पहुंचे तुम लोग वहां..

आदमी - (थोड़ा डरते हुए) जी… जी… बॉस लगभग 20-30 मिनट बाद…
फोन कट जाता है कार में बैठा वह आदमी पसीने से भीग गया था…………

क्या अमन की मौत हो गई है , अगर अमन की मौत हो गई तो अमन के परिवार वालों के यहां फोन किसने किया । आखिर वह नीला बॉक्स था क्या। नीला बॉक्स क्या कोई कैमिकल था या फिर कुछ और ।यह सब जानने के लिए पढ़ते रहिए कहानी Avatar………. (Rebarth Of A Destroyer) । कहानी आगे बढ़ाने से पहले इस कहानी के कुछ किरदारों से अवगत हो जाते है ………………………

अमन का परिवार:-

1.देवानंद शास्त्री :- अमन के पिताजी । उम्र 43 वर्ष । ये एक मेहनती इंसान है परिवार के सुख के लिए कुछ भी करने को सदैव तैयार रहते है। इनकी हाइट लगभग 6 फिर के करीब है, लेकिन वक्त के मार ने इनकी दसा बिगाड़ दिया है। (🧘,🤜🤛, 🧐, 😈, 💓, 🤴)

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2.सावित्री देवी :- अमन के माताजी । उम्र 40 वर्ष । ये एक घरेलू महिला है । अपने पति द्वारा लगाए गए फास्ट फूड के ठेले के लिए मसाला आदि तैयार करती है और उनकी सहायता के लिए भी उनके साथ रहती है इनका खान पान अगर सही रहे तो इनके आगे स्वर्ग की अप्सरा भी पानी भरने लगे लेकिन हालात और गरीबी ने इनसे इनकी सुंदरता छीन लिया है गाल धस गए है आंखों के नीचे काला धब्बा बन गया है। ये अपने बच्चो से बहुत प्यार करती है। (💞)(💫)
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3.अमन शास्त्री :- ये खुद मैं हूं। मेरी उम्र 20 होने में अभी 3 महीने कम है। मैंने जबसे अपनी होस संभाला है, मैं अपने परिवार को गरीबी में ही देखा है। मैं पूरी कोशिश करता हु की अपने परिवार की हालत को सुधारने में पापा की सहायता करु लेकिन पापा मुझे पढ़ाना चाहते है और मां-पापा ने अपनी कसम दी है अगर मैने पढ़ाई छोड़ी तो जब तक वे न चाहे। खर्च वे कही से भी ला के देंगे मुझे बस पढ़के एक बड़ा अफसर बनाना है मां पापा की यही इच्छा है। मैं भी उनकी कसम को तोड़ नही सकता हूं। मेरी ही पढ़ाई के पीछे उन्होंने अपनी थोड़ी सी भी सुख का भी त्याग कर दिया है, और इंटर तक उन्होंने मुझे एक प्राइवेट school में पढ़ाया । मैंने कई सपने सजा लिए थे कि जब पुलिस बन जाऊंगा तो ये करूंगा वो करूंगा लेकिन कभी किसी के सपने इतनी आसानी से पूरे हुए है जल्दी और खास तौर पर गरीब लोगो का। (🧘,🤜🤛, 💞, 🌋, 💯, 🔥, 💀, 🌦️, ⚡,🐍, unlimited , etc…..)
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4.वंदना शास्त्री :- मेरी छोटी बहन जिसके कारण परिवार के लोगो के चेहरे पर थोड़ी बहुत मुस्कान दिखाई देता है। इसकी उम्र 18 वर्ष है। मुझसे हरदम लड़ाई करती रहती है लेकिन प्यार भी उतना ही करती है जब तक सुबह मुझे देख ना ले तब तक इसकी सुबह ही नहीं होती है, यह मेरे ही कमरे में ही सोती है वह भी जबरजस्ती। (2 - ?)(?) (😍,🥰,💞)

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ये हुई मेरे परिवार का परिचय अब आइए कुछ और मुख्य पत्रों के बारे में जान लेते है :-

कनक मेहता :- दिल्ली पुलिस में इंस्पेक्टर है। उम्र 27 वर्ष शादी नही हुई है। देखने में रवीना टंडन के जैसे लगती है। (2-01)(03)(🤜🤛,😠,💞,🧚)
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शैलेंद्र देशमुख :- उम्र लगभग 50 वर्ष । अमन जिस महाविद्यालय में पढ़ता है उस महाविद्यालय के ट्रस्टी साथ ही में इस एरिया के mla। दिल्ली के कॉलेज और महाविद्यालय में नशा की चीजों का मुख्य सेलर और भी गलत धंधे है इसकी संबंध अंडरवर्ल्ड से भी है(🖤,😈)

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रिया देशमुख :- शैलेंद्र देशमुख की छोटी बेटी। उम्र 20 वर्ष। अमन की सहपाठी है । इसके अंदर अमन के लिए एक तरफा प्यार है जिसकी जानकारी किसी को भी नही है यह प्यार तब से उमड़ रहा है जबसे अमन ने इसकी इज्जत बचाई थी (आगे पता चलेगा) । सुंदरता में माधुरी दीक्षित। (2-02)(4)(👩‍❤️‍👨,💞,🧜)
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जान्हवी सिंघानिया :- (Age-18)जान्हवी इंडिया के टॉप कंपनियों में से एक कंपनी के मालिक संजय सिंघानिया के इकलौती बेटी है। यह वंदना की दोस्त है केवल स्कूल में क्योंकि बाहर उन्हें उनका स्टेटस अलग कर देता था पर जान्हवी अपनी सहेली वंदना को बहुत ही मानती है इसकी सगाई हो गई है। (1-01)(01)(🦸,💞)
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जय सिंघानिया :- जान्हवी के बड़ा भाई है जो उससे 2 साल बड़ा है। दिखाने मै ठीक लड़कियों के राजकुमार जैसा है। वंदना से प्यार करता है…. वंदना भी इसे पसंद करती है लेकिन प्यार नहीं करती है क्योंकि वह किसी और से प्यार करती है। (कौन कहानी में पता चलेगा). इसका एक बड़ा सीक्रेट है।(💘,💔,🧐,😠,😡,😈)
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किशन भाई:- इसे वसूली भाई के नाम से भी जाना जाता है। (🧟)
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सेठ ध्यानचंद्र:- ये ब्याज पर पैसे देता है इसने ही अमन के पिताजी को ब्याज पर पैसा दीया है। यह शैलेंद्र देशमुख के काले धंधे को नियंत्रण करता है मतलब की यह शैलेंद्र के काले धंधों का मैनेजरी का कार्य करता है।(🧞)
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प्रो० नंदकिशोर चंदानी:- ये पुरातत्व विभाग के उच्च अधिकारी है। इनके ही कार से अमन का एक्सीडेंट हुआ है और गाड़ी वाला शक्स यही है जिनकी अब मौत हो गई है।(🗣️,👣)


अमन ने अपनी स्कूल, कॉलेज टाइम में कोई भी दोस्त नही बनाया था ।

कहानी जैसे जैसे आगे बढ़ती जायेगी वैसे वैसे कहानी में किरदार एक सीमित संख्या तक बढ़ते जाएंगे जिनका परिचय उनका समय आने पर दिया जाएगा। एक और बात बता दूं की कहानी मेरे यानी अमन के साथ ही चलेगी और कहानी में मुख्य केंद्र अमन ही रहेगा। यह कहानी एक वन मैन हीरो स्टोरी है। हा साइड हीरो भी होंगे। जो मुख्य हीरो की सहायता करेंगे।

अमन के परिवार में सभी बिना विचारे कोई भी काम में आगे नही बढ़ते है अगर कोई बात हो तो पहले उसका हल ढूंढते है फालतू में ओवर रियेक्ट नही करते है खास तौर पर अमन के माता पिता। क्योंकि गरीबी सब कुछ सिखा देती है।

कहानी जारी रहेगी.......

अब मिलते है कहानी के अगले अपडेट में.........
Patra parichay Jabardast hai bhaya, aman ke jariye aapne bhrastachar ki ek Choti si jhalak dikhai Jaisa ki dilhi police ne kiya, vo nila kanch Jaisa kya tha jo na tutne pr bikhra, Iska mtlb Vo aman ke andar chla gya, vo kya tha iske bare me aman Kaise pta lgayega, researcher to tatkal me hi nikal liya, aman ke mnobhavo ko dikhaya aapne Jo sirf parivar valo ko dekh kr hi ji rha hai, use apni lachari pr Rona bhi aa rha hai, is excident ke chalte aman behosh ho gya hai use kafi Chote aayi hai, Vahi hame aman ki dulari bahan ko dikhaya aapne Jo apne bhai se beinteha pyar karti hai pr jb sath hota hai to sararat karti rahti hai, ek natkhat chulbuli or pyari bahan... MA baap ko bhi dikhaya aapne Jo apne dono baccho ke is natkhatpan or masti majak ko Injoy karte hai... Ye phone kisne kiya tha aman ki avaj me kya vo aman hi tha ya fir aman ka adrisya bodyguard...
Superb update bhai sandar jabarjast lajvab
 
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