Update*60.
समय धीरे-धीरे इसी प्रकार बीत रहा था,, रामो देवी, अपने बेटे को अपना पति मान कर उसके साथ जीवन बिताने का निर्णय कर चुकी थी,, और एक पत्नी के सभी नियमों को अच्छी प्रकार से निभा रही थी,, शादी को अब 2 माह बीत चुके थे।। किशन की मौसी भी अब अपने घर वापस लौट चुकी थी,,
,, किशन अपनी मां के साथ ,, जिंदगी के सभी सुख को अच्छी तरीके से महसूस कर आनंद ले रहा था,,, किशन की मां भी दुनिया की परवाह किए बिना अपने बेटे को अपने पति के रूप में देखकर हर साम उसका, बिस्तर गरम करने के लिए एक नई दुल्हन की तरह तैयार होती है और अपने बेटे को उसकी इच्छा के अनुसार शारीरिक सुखो से प्राप्त कर देती थी,,
,, दोनों एक दूसरे के प्यार में इतना अंधे हो गए थे कि उन्हें दुनिया की कोई परवाह ही नहीं थी,,, अबे है एक दूसरे को मां और बेटे की नजरों से नहीं ,, बल्कि पति और पत्नी की नजरों से देखते थे,,, उनके रिश्ते की अभी गांव वालों को भनक नहीं लगी थी क्योंकि दोनों रात के अंधेरे में अपनी वासना का खेल खेलते थे,,।।
,, किशन के गांव रामनगर में आज एक शादी का माहौल था जिसमें सभी गांव वाले बड़े ही प्यार से आनंद पूर्वक नाच गाना कर रहे थे, किशन भी उस शादी में ,, शामिल था,,, वही उसकी मां हल्का सा सिंगार कर एक पीके रंग, की साड़ी पहनकर शादी में सभी मेहमानों के साथ औरतों में बैठी बातें कर रही थी,,, दोनों अपनी जिंदगी के पलों को बड़ी आनंद और खुशी के साथ इसी प्रकार बिता रहे थे,,, गीता को किशन अब पूरी तरीके से अपने दिमाग से निकाल चुका था,, गीता अब अपने पेट में पल रहे बच्चे की उम्मीद से अपना जीवन व्यतीत कर रही थी,, उसकी इस प्रकार दशा को देख गीता के बापू बहुत दुखी होते हैं और अपनी बेटी की इस दुखी हालत को देखकर खुद को जिम्मेदार मानते,, उन्हें बहुत दुख होता था जब वह अपनी बेटी को इस हालत में देखते हैं,,,
सांवले रंग की गांव में सबसे सुंदर मानी जाने वाली लड़की आज इस हालत में थी कि जिसे देख उसका बाप भी अपनी नजरें नीचे कर लेता था,, गीता को देखकर गांव में सभी लोग अलग-अलग तरह की बातें करते थे जो रामू के कानों में भी पढ़ती थी,, इसी वजह से रामू अब बीमार रहने लगा और धीरे-धीरे उसकी बीमारी एक बड़ी बीमारी में बदल गई,, वह खुद को अपनी बेटी का कसूरवार मानकर,, रहता और अब उसकी हालत इस प्रकार हो गई थी कि वह एक चारपाई पर लेटा रहता था,, गीता और उसकी मां रामू की हालत देखकर बहुत दुखी रहती है परंतु जीवन यापन करने के लिए,,, वह खेतों में मेहनत करते और किशन के दिए गए कुछ पैसों से अपनी जिंदगी को जी रहे थे,,,,
।। इधर शादी के माहौल में किशन और उसकी मां बहुत खुशी खुशी शादी मना रहे थे औरतों का नाच चल रहा था तभी किशन की मां को भी एक औरत में नाचने के लिए कहा,,,
महिला: अरे रामो,, नाचना तू तो बहुत अच्छा नाचती है,,
रामो: अरे नहीं अब इस उमर में और किशन के बापू भी नहीं रहे यह सब अच्छा नहीं लगता,,,,
दूसरी महिला: अब बीती बातों को याद करके,, क्या कोई जिंदगी जीना छोड़ देगा,, मौत तो सभी को आती है कोई किसी के साथ मरता नहीं रामों,, इसलिए यह सब छोड़ और आज खुशी का माहौल है,, इन सब का मन है तो नाच दे,,,
रामो: परंतु,,,
महिला: किंतु परंतु कुछ नहीं कोई नहीं है यहां पर सब औरतें ही है,,,
"सभी औरतों की विनती करने पर,, रामो देवी,, एक अदा के साथ शर्म आती हुई खड़ी होती है और अपनी नजरें इधर उधर घुमा कर देखती है कि कहीं कोई पुरुष उसे देख तो नहीं रहा,,,,
"वह अपने मन की तसल्ली कर लेने के बाद एक देहाती गीत पर ढोलक के साथ नाचना शुरू करती है,,, ढोलक की हार थापर वह अपने भारी नितंब को इस प्रकार मटका रही थी कि पास में बैठे सभी महिलाओं को उसकी इस अदा पे जलन महसूस होती है,, क्योंकि उसके जैसा आज किसी, ने नृत्य नहीं किया इस उम्र में भी, उसके जैसा , योवन,,, किसी के पास नहीं था उधर ढोलक और घुंगरू की छन-छन की आवाज सुनकर किशन उस और चुपके से जाता है और ,,, एक झरोखे से देखता है की उसकी मां अपने भारी वजन के नितंब को लहरा कर नाच रही है,,,
"किशन की नजर उसकी मां के मोटे मोटे झलक रहे नितंब पर जाती है,, इसे देख उसे अपनी मां का वादा याद आता है कि उसने एक बार उसकी पीछे लेने की, बात कही थी,, यह सब बातें सोच कर ही उसके लिंग में तनाव,, महसूस होता है,, वह अपनी मां के पिछले हिस्से को देखते-देखते अपने मन में न जाने कितनी सपने एक साथ देख चुका था,,, यह अपनी मां के नितंब में इस प्रकार खो गया था कि उसकी नजरें वहां से हटने का नाम भी नहीं ले रही थी,,, साड़ी में छुपे नितंब को भी वह मन ही मन महसूस कर रहा था,,
"झरोखे से ,, देखते हुए एक बार एक महिला की नजर किशन पर पढ़ती है,, तो वह, तुरंत बोलती है।।।
महिला: अरे देखो उधर से किशन झांक रहा है,,
"सभी महिलाएं उस ओर देखती है और नाच गाना बंद हो जाता है,, कुछ महिलाएं दौड़ती हुई किशन की ओर जाती है और उसका कान पकड़ कर खींच कर महिलाओं के बीच ले आती है,,, किशन के मां अपने सर पर पल्लू रख शर्म आती हुई चुपचाप किशन को तिरछी नजरों से देख रही थी परंतु किशन की नजर अभी भी अपनी मां की भारी नितंबों पर टिकी हुई थी,,
महिला: क्यों रे शर्म नहीं आती अपनी ही मां का नाच देख रहा है,,
किशन: काकी वह तो मैं इधर से गुजर रहा था मुझे क्या मालूम की मां नाच रही है,,,
महिला: क्यों तुझे अपनी मां की भी पहचान नहीं,,
"किशन अभी भी अपनी मां के पीछे के हिस्से को घूर रहा था जैसे ही किशन की नजरों का पीछा करते हुए उसकी मां देती है तो वह,, शर्मा कर अपना सर झुका लेती है और मन ही मन सोचती है,,
रामो: हे भगवान अपनी नजर हटा ले किशन,,,, सब देख रहे हैं,,,
किशन: आज रात इस मटके जैसी है गांड को,, तोड़ के रहूंगा जान ही ले कर देगी क्या,,,,