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Incest Bete se ummeed,,

Rajesh Lodhi

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,, गीता बेटी तेरी माँ कहाँ है.. ये है रामु काका गीता के बापू जी गाँव मे दो बीघा जमीन है. . उसी से अपने घर का गुजरा करते है. गीता.... गाँव की सबसे सुंदर लड़की है. उसका रंग तो गोरा नहीं है. मगर उसके चेहरे कि बनावट भगवान ने एसी की है कि कोई .. देबी भी उसे देख ले;;;तो प्रसंशा किए बीना नही रह सकती.. गीता घर से बहार कम ही जाती हैं.. घर के काम करने मे ही अपना समय लिकाल लेती है ... रजनी, --"जी.. अभी आती हुँ रजनी घर के अंदर से बाहर आती है.. रामु,,, मै अपने मित्र रघुवीर से मिलने जा रहा हूँ . रात्री तक लौट आऊंगा अपना खयाल . रखना. रामु घर से चला जाता है. और रास्ते में . अरे ओ रामु कंहा जा रहा है. इधर आ.. जी मालिक किया बात है.. एक काला सा ब्यक्ति रामु को पुकारता है.. मालिक के बच्चे तुझे बड़े मालिक ने याद किया है. जी अच्छा मै चलता हूँ. रामु उस आदमी के साथ जाने के लिए तय्यार हो जाता है. रास्ते में रामु तेरी घरवाली के किया हाल है. काला आदमी मुस्कुरा कर रामु से पूछता है... रामु -: ठीक है मालिक.. कला आदमी,,( मन में) शाली बड़े गठीले बदन की है एक बार मेरे नीचे आगयी तो निचोड़ के रख दूँगा. एक बड़ी सी हबेली के दारबाजे पर चार आदमी पहरा दे रहे थे. कला आदमी:दरबाजा खोलो.. पहरे दार:जी मालिक पहरे दार दरबाजा खोलते है और रामु के साथ कला आदमी अंदर जाता हैं.. हवेली के अंदर उचे से चबूतरे पर एक आदमी बड़ी सी चारपाई पर बैठे हुए हुक्के मे दम लगा रहा था,,
वीर सिंह:इस हवेली के मालिक और उस गांव के सबसे बड़े जमींदार. इनके पास २००, बीघा जमीन है. और बीस नौकर खेती करने के लिए है. जिनके दम पर ये गाओ बालो पर अपना रुतबा जमाये हुए हैं. इनकी एक पत्नी है जिसका नाम सकुंतला है. सकुंतला एक पति ब्रता नारी है. और वीर सिंह से बहुत डरती है. इसलिए कि वीर सिंह एक गुस्से बाला आदमी है. और रामु की बेटी से दूसरी सादी करना चाहता है. वीर सिंह: आओ रामु बड़े दिनो के बाद दिखाई देते हो. कैसे हो रामु: आप की कृपा से ठीक हु मालिक घर की खेती मे लगा रहता हूँ. वीर सिंह:: गीता की सदी के लिए किया सोचा है. कब उसके हाथ पीले करने वाले हो ?? रामु: गुस्ताकी माफ़ करना मालिक लेकिन मेरी बेटी अभी सादी के लायक नही है.. और मेरी बेटी की सादी मै आपसे नहीं कर सकता . ( रामु डरता हुआ कहता है.. ) वीर सिंह: गुस्से से लाल आँखे दिखाते हुए हराम जादे तेरी इतनी हिम्मत के हमारे साथ ना मे जबाब दे. हम तुझे एक सप्ताह तक का समय देते है यदि तूने गीता की सादी मुझसे नही कराई तो मुझसे बुरा तेरे लिए कोई नहीं होगा. समजे रामु कुछ नहीं बोलता और चुप चाप वहाँ से चला जाता है. हवेली से बहार निकलकर रामु (मन में) .... कुछ भी करके मुझे अपनी बेटी को बचाना होगा इस दरिंदे वीर सिंह से . अभी तो बच्ची है बो और उसकी उमर भी नही है सदी करने की. रामु को समझ नहीं आता कि बो किया करे.. अपनी सोच मे डूबा हुआ रामु चला जा रहा था.. वो ये भी भूल गया था कि उसे अपने मित्र रघुवीर के घर जाना है. उधर वीर सिंह गुस्से से पागल हो गया था. और वो चिल्लाते हुए बोलता है. काली, हरिया,, किशन, धीरे कहाँ है सब मर गए किया वीर सिंह को चिल्लाता देख सकुंतला बहार आती है. किया हुआ जी.. इतने गुस्से में कियू हो आप तुम अंदर जाओ मैने तुमे नही बुलाया है.

वीर सिंह: इस हराम जादे रामु का खयाल रखना यदि ये अपनी बेटी की सादी किसी और के साथ करता है.तो इसके घर को जलकर राख कर देना. और इसके टुकड़े टुकड़े करके उसी जमीन मे गाड़ देना जिसमे खेती करता है..

वीर सिंह को गुस्से में देख सभी नौकर डर गए थे. और सभी एक साथ बोलते है

मालिक आप चिंता न करे..

काली: मालिक आप बेफ़िक रहे यदि रामु ने अपनी बेटी की सादी आप से नहीं की तो उसका अंजाम उसके लिए बहुत बुरा होगा.

हरिया: और यदि आप चाहते है तो हम अभी जाकर उसकी बेटी को उठा लाते है

वीर सिंह: नहीं इस तरह की हरकत करना हमे शोभा नहीं देता हम इस गाँव के सबसे बड़े जमींदार है और इस गाँव के मालिक.यदि हम ऐसा करेंगे तो गाँव के लोग हमारी इज्जत नहीं करेंगे. तुम बस उस पर नजर रखना.

नौकर: ठीक है मालिक.
सभी नौकर आपस में बाते करते हुए चले जाते है.
वीर सिंह घर के अंदर जाता है.

वीर सिंह गुस्से से: सकुंतला मैने तुम से कितनी बार कहा है कि मेरे बात करते हुए और किसी के सामने बहार निलकर न आया करो.

सकुंतला:: जो दारबाजे के पिछे सैर झुकाए खड़ी थी डरती हुई बोलती है जी बो...... मै आप की आबाज सुन कर...

चुप .. हराम जादी आज के बाद ऐसा किया तो मैं तेरी खाल उधेड़ दूँगा.वीर सिंह गुस्से से कहता है


सकुंतला (मन में) यदि इनका गुस्सा सांत नहीं हुआ तो ये कुछ उल्टा सीधा न कर बैठे. मुझे कुछ करना होगा.

,,,लेकिन कैसे करू जानवर के जैसे करते हैं. जान निकाल देते है है मेरी,,,

,,सकुंतला के मन में यह खयाल आते ही उसका बदन कांप जाता है और उसे पसीना आने लगता है,

सकुंतला: अजी आप गुस्सा ना करे मै आप के लिए पानी लाती हुं..

वीर सिंह:रहने दो इसकी कोई जरूरत नहीं है.
वीर सिंह सकुंतला का हाथ पकड़ लेता है. और उसे खीच कर अपनी बाहों में भर लेता है.

,,ये गुस्सा पानी से नही तेरी जवानी से ठंडा होगा,,,

,,सकुंतला का दिल जोरों से धड़कने लगता है. वीर सिंह की बात सुनकर. ,,और फिर वो सैर नीचे किए जी वो.... मै.... मै और उसके कुछ बोलने से पहले ही...

वीर सिंह:- आज तेरा वो हाल करूँगा की कभी भी बहार नही जायेगी किसी पराये मर्द के सामने..

,, वीर सिंह अपना एक हाथ सकुंतला की मोसमि जैसी स्तन पर रखता है और उसे अपने पूरे बाहुबल से दबा देता है,, सकुंतला को ऐसा लगता है कि उसके स्तन वीर सिंह जड़ से उखाड़ कर रख देगा.. और वो जोर से चिल्लाती है,,,

सकुंतला: हाय री री री .... मैय्या. नहीं छोड दोे मुझे मेरा महीना चालू हो गया है

वीर सिंह:कुछ भी हो मेरा गुस्सा तो तुझे शान्त करना ही होगा.

सकुंतला:मैं किया करू जिससे आप का गुस्सा सांत होगा

,,वीर सिंह:सकुंतला के बालों को पकड कर उसकी गर्दन को खिचता है जिससे उसका चेहरा सामने आ जाता है. वीर सिंह उसके चेहरे की ओर देखता है.होंठों पर लाल रंग की लाली लसे होठ जो डर की बजह से काँप रहे थे. माथे पर पसीना निकाल आया था और नाक में नेथनी पहने हुए उसकी साँसे तेजी से चल रही थी.,,
...
वीर सिंह:उसके चेहरे की ओर देखते हुए तुझे मेरा लिंग अपने मुह में लेकर चूसना होगा..

सकुंतला:मैं ये नहीं कर सकती मुझसे नहीं होगा..

,,सकुंतला को सोचकर भी उल्टी होने का मन होता है कियो की ना तो उसने कभी ऐसा सुना था और ना ही ऐसा किया था,,,

वीर सिंह:- शाली अगर ऐसा नहीं कर सकती तो आज तेरी पीछे से लूँगा मै चल उल्टी हो जा जरा.
;, वीर सिंह उसे उल्टा कर देता है और उसकी साड़ी पेटीकोट सहित उपर उठा देता है;;

;;सकुंतला का दिल जोरों से धड़क रहा था वह जानती थी कि वीर सिंह बहुत गुस्से वाला है. लेकिन मुह में लेने की वजह पीछे से करबाना बेहतर समझती है.


,, वीर सिंह जल्दी से अपनी लूंगी खोलता है और एक हाथ से अपना छ:इंच का लिंग पकता है और उसे सकुंतला की गुदा के छेद पर जैसे ही लगता है,, सकुंतला उछल पड़ती है,,

सकुंतला:ऊ ई ई ई.. माँ. आ...... और अपना एक हाथ पीछे ले जाती है.

,, जैसे ही उसके हाथ से वीर सिंह का लिंग छूता है. वह दर से आगे बढ़ जाती है,, सकुंतला ये सोच कर काँप जाती है कि यह उसकी गुदा मे कैसे जायेगा,,

सकुंतला: अजी.... मुझे माफ़ कर दीजिये मुझसे नहीं होगा यह बर्दास्त

वीर सिंह: गुस्से से शाली ज्यादा नखरे करेगी तो तेरी अभी चटनी बना दूँगा सीधी तराह से देदे.. नहीं तो मार खाएगी..

सकुंतला: वीर सिंह को गुस्से मे देख मगर ये इतना बड़ा और मोटा है मेरे पीछे कैसे जायेगा जी...,,
वीर सिंह: सब कुछ होगा तू उल्टी होजा.

,, सकुंतला मन मे,,, हे भगवान बचा लेना मुझे,,

और वह चारपाई के सहारे उल्टी हो कर झूक जाती है.

सकुंतला: अजी.. आराम से करना जी..

वीर सिंह:जादा नौटंकी ना कर....
,, और वीर सिंह अपना लिंग फ़िर से उसकी गुदा पे लगता है. और एक जोर से धक्का मरता है.मगर लिंग गुदा से रेंगता हुआ कमर की ओर चला जाता है.

,,सकुंतला इस तरह के धक्के से काँप जाती है.

वीर सिंह ( मन में कुछ सोचता है और फिर एक सरसो के तेल की हांडी से थोड़ा तेल लेकर अपने लिंग पर लगता है. और थोड़ा सा तेल सकुंतला की गुदा पर लगता है.

,, सकुंतला का दिल आने वाले पलों को सोचकर जोर शोर से धड़क रहा था उसने कभी ऐसा सोचा भी नहीं था कि ये सब भी होता है.. मगर वह दर और पत्नी धर्म के लिए मजबूर थी,,

,, वीर सिंह इस बार गुदा पर जैसे लिंग का अगला हिस्सा लगता है सकुंतला अपना बदन कस लेती है और अपनी आँखों को बंद कर लेती है.
,, गुदा पर लिंग लगाने के बाद वीर सिंह एक जोर से धक्का लगा ता है और इस बार लिंग के आगे का हिस्सा गुदा के छेद को फैला ता हुआ अंदर घूस जाता है.

सकुंतला: नहीं जी..... जी. जी निकाल लो इसे मै मर जाउंगी .....

,, वीर सिंह सकुंतला को जकड़ लेता है,,

सकुंतला: मै मुह में लेकर चूस दूँगी जी निकाल लो ना जी उसे.

,, तभी बहार से किसी की आबाज आती है. मालिक... मालिक कहाँ है आप एक जरूरी सूचना लाया हूँ,,

,,यह आबाज सुनकर वीर सिंह का दिमाग़ खराब हो जाता है और वह पीछे हटता है और उसका लिंग गुदा से वाहर लिकल जाता है. सकुंतला एक राहत की सांस लेती है और खाट पे गीर जाती है.

वीर सिंह गुस्से मे वाहर आता है. सामने काली खड़ा दीखता है. काली उसका सबसे वफादार नौकर था उसे वह अपने छोटे भाई की तरह मानता था. काली को देख वीर सिंह

वीर सिंह: क्या हुआ काली क्या खबर है.
Bhut achchhi surubat
 

Rajesh Lodhi

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Dhansu update
Update:2 काली: मालिक मैने रामु को किशनपुर मे जाते हुए देखा है.


वीर सिंह: किशनपुर मगर क्यों? वहाँ किसको मिलने जा सकता है वो.. और फिर क्या काम है उसे किशनपुर मे????


काली: ये तो मैं नहीं जनता लेकिन मैने सुना था कि किशनपुर मे रामु का कोई मित्र है. जिसके पास वो अक्सर जाता रहता है.


वीर सिंह: तुम लोग उसपर नजर् रखना..

काली:आप चिंता न करें मालिक मैने उसके पीछे हरिया को लगा दिया है.


वीर सिंह: अच्छी बात है तुम भी जाओ काली और देखो की वह किसको मिलता है और कँहा जाता है.


,,,,काली वीर सिंह की बात सुनकर वहाँ से चला जाता है,,

,, वीर सिंह घर के अंदर जाता है और वह देखता है की उसकी पत्नी सकुंतला चारपाई लेटी हुई है और वह बहुत गहरी नींद में सो रही थी. वीर सिंह अपनी पत्नी की ओर गुस्से से देखता है और फिर अपने मन में कुछ सोचता है और वाहर चला जाता है,,


,,उधर रामु को जैसे ही याद आता है कि उसे अपने मित्र रघुवीर से मिलने के लिए जाना है. वह अपने कदम किशनपुर की ओर बड़ा देता है. और मन में विचार करता है कि उसे पता भी नहीं चला की कब उसकी बेटी जवान हुई.. कैसे होगा सब कैसे अपनी बच्ची को उस दरिंदे की नजरों से बचाऊँगा किसके साथ उसकी सदी करूँगा.. क्या अपने मित्र को इसके बारे में बताना चाहिए,,,

,,,, इन्ही विचारों मे खोया हुआ रामु किशनपुर की ओर चला जा रहा था कि उसे अपने पीछे किसी के आने की आहट हुई उसने पीछे मुड़कर देखा तो उसे एक बहुत ही बुजुर्ग व्यक्ति उसके पीछे आता नजर आता है. जिसने सफेद रंग की लूंगी और भगवा रंग का कुर्ता पहन रखा था.. उस व्यक्ति को देखते ही .


रामु:प्रणाम पंडित जी..

व्यक्ति: सदा सुखी रहो.

,, ये है पंडित जी उम्र 90 वर्ष आस पास के पांच गाँव की पंचायत के वहुत ही माने हुए पंडित है. इनके द्वारा कहे शब्द या फिर कोई भी दिया गया आशीर्बाद कभी निष्फल नहीं होता है. यदि ये किसी के हाथ की रेखा देख ले तो उसका भविष्य बता सकते है. इनके द्वारा की गई ही सभी गांव की सदियाँ होती आई है और सभी गाँव के लोग इनकी बहुत इज़्ज़त करते हैं.

पंडित जी: रामु बता कहाँ जा रहे हो ? कब से तुम्हे पुकार रहा था मै लेकिन तुम सुन नहीं रहे हो.
क्या हुआ कुछ चिंता में हो क्या बात है बता??

रामु: कुछ नहीं पंडित जी वो मै किशनपुर अपने मित्र से मिलने के लिए जा रहा था.

पंडित जी: अच्छा ... अच्छा ठीक है बेटा मुझे तुम्हारी कुछ मदद चाहिए.

रामु: हाथ जोड़कर विनम्र ता से जी कहिये मै किस तरह से आप की मदद कर सकता हूँ.

पंडित जी:बेटा पास मे जो पीपल का पेड़ है. उसके पास मेरा कुछ समान रखा हुआ है. उसे उठाकर मेरी कुटिया मे रख दो जरा.

रामु:जी पंडित जी अभी रख देता हूँ.

,, रामु पीपल के पेड़ के पास जाता हैं और वहाँ पर रखी हुई कपड़े की गट्ठे को उठा कर कुटिया मे रख देता है. और पंडित जी को प्रणाम कर जाने लगता है.

पंडित जी:बेटा रामु मुझसे कुछ छुपा रहे हो क्या हुआ क्या बात है. बताओ मुझे

,, पंडित जी की बात सुकर रामु की आँखों में आंसू आ जाते है. और वह हाथ जोड़कर पंडित जी से कहता है.

रामु: पंडित जी आप तो जानते ही है.. कि मेरी एक ही बेटी है. ना जाने मने पिछले जन्म मे कौन से पाप किये होंगे की भगवान मुझे एक संतान का सुख ना दे सके.. लाख मंन्तो के बाद भी हमारे कोई लड़का नहीं जन्मा.
,, अव हमारी जिन्दगी का तो पता नही किस हाल में गुजरेगी मगर मै अपनी गीता का जीवन खराब करना नहीं चाहता. वह वीर सिंह कमीना मेरी बेटी से सदी करना चाहता है. अब आप ही बताये मै क्या करूँ पंडित जी. मै बहुत चिंता मे हूँ.

,, रामु की बात सुनकर पंडित जी को बड़ा आश्चर्य होता है. और पंडित जी सोच रहे थे की वीर सिंह बहुत की नीच इंसान है उसने शकुंतला की साथ दुर्विव्हार् किया था. जिसके कारण उसके पिता जी को उसकी सदी शकुंतला से करनी पड़ी थी. उसके पिता जी तो वहुत ही सज्जन पुरुष थे और उस समय इस गाँव के सरपंच भी थे,ये सब बाते याद करते हुए पंडित जी गीता के बारे में सोचने लगते है. कितनी मासूम और प्यारी बच्ची है. वो उसका तो जीवन ही नष्ट हो जायेगा यदि एसा हुआ तो...


पंडित जी:रामु के पास आते हुए बेटा तुम चिंता मत करो मै गीता के योगय्य वर तलाश कर तुमे बहुत जल्द बताता हूँ. तुम गीता की कुंडली मुझे लाकर देना तभी मै उसके लिए वर तलाश कर पाऊंगा..

,,,रामु को जैसे कोई सहारे की जरूरत थी. और अब वह उमीद उसे पंडित जी मे नजर आ रही थी,,,


रामु:हाथ जोड़कर विनम्र ता से जी बहुत अच्छा पड़ित जी मै अपनी बेटी की कुंडली शाम को ले आऊंगा. अब मै चलता हूँ अनुमति दीजिये..


पंडित जी:सदा सुखी रहो..

,, और रामु वहाँ से चला जाता है. रामु जैसे ही कुटिया से वाहर निकलता है. काली और हरिया उसके पीछा करते हैं और आपस मे बाते करते हैं,,


काली:हरिया तूने देखा ये रामु पंडित से इतनी देर से क्या बात कर रहा था.

हरिया:हाँ कुछ तो है सुना तो मैने भी नहीं क्या बात हुई हो ना हो अपनी बेटी की सदी के लिए बात कर रहा होगा मालिक के लिए.

काली:अबे शाले तु नहीं जनता ये अपनी बेटी की सदी मालिक से नहीं करना चाहता चल देखते हैं की ये किसको मिलता है.

,, और ये बाते करते हुए काली और हरिया रामु के पीछे लग जाते है,,,

,, रामु किशनपुकिशनr मे पहुँचता है और अपने मित्र रघुवीर के घर की ओर अग्रसर होता है जैसे रामु रघुवीर के घर के पास आता है वह देखता है की उसका बेटा किशन अपने पशुओ को नहला रहा है रामु को देखकर किशन रामु के पास आता है है उसके पर छूकर रामु को नमस्कार करता है,,

,,किशन एक लम्बा चौड़े सीने वाला और बलिस्ट लड़का है उसे कुस्ती और दंगल मे भाग लेने की हर बक्त इच्छा रहती है रघुवीर का एक ही वारिस जिसे कुस्ती के दंगल में आज तक कोई पछाड़ नहीं पाया और हर एक पहलवाँन उसका मुकाबला करना भी नहीं चाहता था. किशन के घर मे चार पशु थे जिनमे दो बैल एक गाय और एक भैंस एक गया का सारा दूध किशन के लिए होता था और भैंस का दूध किशन की माँ और बापू जी के लिए,,,

किशन:नमस्कार रामु काका आईये बैठिए..

,, किशन रामु के लिए एक चारपाई बिछा देता है,, और किशन की आवाज सुनकर रघुवीर जो की घर पीछे कुछ ओसारा बांधने का काम कर रहे थे रामु के पास आता है..,,,,,

रघुवीर:रामु के गले से लगते हुए कैसा है मित्र बड़े दिनों के बाद हमारी याद आ गई

रामु:सब कुशल मंगल है मित्र बस एक ही चिंता है.

रघुवीर:चिंता कैसी चिंता और क्या चिंता का कारण बताओ क्या बात है मै प्राण देकर भी तुम्हारी चिंता दूर करने के लिए तय्यार हूँ.

रामु:मित्र मुझे तुम पर अपने आप से भी जादा विश्बास् है की तुम मेरी हर तरह से मदत करोगे. लेकिन मेरी चिंता का कारण वीर सिंह है वह मेरी बेटी से जबरजस्ती सदी करना चाहता है..

,, रामु की बात सुनकर रघुवीर हँसने लगता है और रघुवीर की पत्नी रामो अंदर से वाहर आते हुए कहती है.

रामो देवी:भाई साहब आप चिंता न करें हम गीता बेटी की सदी किशन से करवा ना चाहते थे और आप ने पहले ही उसकी चिंता जता दी अगर आप को कोई एतराज नहीं है तो हम गीता बेटी को अपने घर की बहु बनाना चाहते हैं

रघुवीर:और रही वीर सिंह की बात तो वह रामनगर का जमींदार है किशन पुर का नहीं उसे हम देख लेंगे पंचायत में पाँच गाँव की पंचायत के लोगों के सामने वह कुछ नहीं कर सकता.


,, रामु के अंदर तो जैसे शरीर में जान फिर से आ गई थी रघुवीर की बात सुनकर और वह खुश होकर अपने मित्र की और देखता है और फिर उससे कहता है,,

रामु: मित्र तुमने तो मुझे जैसे एक नया जीवन दे दिया है ये बात बोलकर मै आज ही किशन बेटा और गीता बेटी की कुंडली पंडित जी को दिखाकर विवाह का मोहरत निकलबाता हूँ.

,, रामु बहुत खुश था अपने मित्र से मिलकर परंतु वह ये नहीं जनता था की कुंडली में ही सारे दोष है जिसकी वजह से सब कुछ बदल जायेगा..
 

Rajesh Lodhi

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I'd change kiya hai

update:: 3 ,,,,रामु अपने मित्र रघुवीर को गले लगा लेता है. और अब उसकी खुशी का कोई ठिकाना नहीं था. इतनी बड़ी खुशी पाकर वह अपने आप को वहुत सुखी महसूस कर रहा था,,,

रामु:अच्छा मित्र अब मै चलता हूँ और रजनी को इस खुशी के बारे में बताना चाहता हूँ. बहुत खुशी होगी उसे यह जानकर.

,,, रामु के बिदा लेने के साथ ही किशन रामु के पैर छूकर उसे प्रणाम करता है. और रामु वहाँ से अपने घर की ओर अग्रसर होता है.


,, काली और हरिया जो रामु का पीछा करते हुए रघुवीर के घर तक आ गये थे. उसके घर से वाहर जाते ही उसके फिर से पीछे लग जाते है,,

,, रामु बहुत खुश था अपने मित्र के साथ रिस्ता जोड़कर और खुशी की ही बात थी जबान बेटी बाप के कंधो पैर सबसे बड़ा कर्ज़ होती है दोलत का कर्ज़ तो इंसान जिन्दगी भर चुकाता है लेकिन बेटी का यह कर्ज़ इंसान को एक ही बार चुकाना पड़ता है. सादी करने के बाद भी उसे जब तक सुकून नहीं मिलता जब तक वह अपनी बेटी को उस इंसान के साथ सुखी न देख ले जिसको उसने अपनी बेटी का जीवन साथी बनाया है.

,, काली और हरिया ने जब देखा की रामु अपने घर की ओर जारहा है तो वह अपने मालिक वीर सिंह को इसकी सूचना देने के लिए हवेली की ओर चल देते है,,

,,उधर रजनी घर के वाहर खड़ी रामु की राह देख रही थी रामु को घर से निकले हुए शाम हो चुकी थी की अचनाक छोटी सी एक गली में उसकी नज़र पड़ती है. वहाँ पैर एक कुत्ता एक छोटी सी कुत्तिया के उपर चढ़ रहा था और वह कुत्तिया बार बार टियाउ टियाउ करती आगे बढ़ रही थी. यह सब देख कर रजनी के मन से एक ही आवाज़ आती है...

(रजनी मन में),,,,,,छी इतनी छोटी सी कुत्तिया इतने बड़े कुत्ते को कैसे संभाल सकती है और यह कुत्ता भी कितना कमीना है उसे छोड़ ही नहीं रहा है.


,, कुत्ता कुत्तिया को इस तरह चीखता देख उसके उपर से उतर जाता है.

,, रजनी अपने मन में एक राहत की सांस लेती है और फिर हे भगवान शुक्र है बेचारी बच गई,,
,, अचानक से कुत्ते को क्या सुझता है की वह कुत्तिया के पीछे जाकर उसकी पुंछ के नीचे सुघने लगता है.

,, ये सब देख कर रजनी का दिमाग चकरा जाता है. वह ये सब देखना तो नहीं चाहती थी मगर उसका मन था कि उसे यह सब देखने के लिए विवश कर रहा था,,

,, (रजनी मन में ) यह इसके पीछे क्या कर रहा है??

,, रजनी इधर उधर नजर घुमाकर देखती है कि कोई उसको देख तो नहीं रहा है. और किसी को भी वहाँ न पाकर वह फिर से कुत्ते की ओर देखने लगती है,,

,, कुत्ता उस छोटी सी कुत्तिया की योनी को सुघनता हुआ चाटने लगता है. और वह कुत्तिया भी अव वहाँ से हिल नहीं रही थी,,

,, अचानक रजनी की नजर कुत्ते के लिंग पर जाती है जो की बित्ते भर का गाजर के समान लाल सुर्ख वाहर को निकला हुआ था और कुत्ते के चाटने की वजह से हिल रहा था,,

,, रजनी को यह देख कर पसीना आने लगता है और उसे अपनी योनी मे चीटिया सी रेंगती महसूस होती हैं,,

,अब रजनी का मन वहाँ से जाने का विलकुल नहीं था और वह बड़े ध्यान से उन्हें देख रही थी,,,

,,रजनी मन में कितना गंदा है यह कुत्ता उसे चाट क्यों रहा है ये,, छी.. छी,,
,, कुत्तिया की योनी चाटने के बाद कुत्ता फिर से हाँफते हुए उस छोटी सी कुत्तिया के उपर चढ़ जाता है और इस बार कुत्तिया ज्यादा हिलती नहीं और कुत्ते का लिंग कुत्तिया की योनी के कुवारे पन को चिरता हुआ अंदर घुस जाता है.

,, कुत्तिया जोर से चिलाती है टीआउ .... टीओ टीआउ टीआउ...,,

, यह सब देख रजनी के मुह अचानक निकल जाता है.

,, रजनी हाय री.. मैय्या री.. मर जायेगी वो छोड़ दे उसे निर्दयी. छोड़ दे...,

कुत्ता लगातार झटके लगा रहा था और हर झटके के साथ कुत्तिया के मुह से चिल्लाने की आवाज आ रही थी लेकिन वह भागने की कोशीश नहीं कर रही थी..
,, रजनी को भी यह ना जाने कयों अब अच्छा लगता है. और उसकी योनी मे बहुत तेज़ खुजली सुरु हो जाती है, रामु रजनी से अव महीने में एक दो बार ही संम्भोग किया करता था. क्योकि घर में जवान बेटी के रहते उसे यह सब अच्छा नहीं लगता था.,,

,, रजनी कुत्ते की ओर देखती है अब कुत्तिया ने चिल्लाना बंद कर दिया था क्योकि कुत्ते के लिंग को उसकी योनी बुरी तरह से जकड़ चुकि थी और फिर कुत्तिया कुत्ते को खिचती हुई किसी झोपड़ी के अंदर ले जाती है.

,, रजनी से अपनी योनी की खुजली बर्दास्त नहीँ होती और वह अपने एक हाथ से धोती के उपर से ही खुजाना सुरु करती है और उसके मुह से एक मीठी सी आह निकलती है,,,
,, रजनी,, उम्म हू हूं हूं हूं.. माँ री....,,

रामु:रजनी ओ रजनी...
,,
,, रामु की आबाज सुन रजनी को होस आता है...,,

रजनी::जी हाँ जी आ गये आप मै कब से आप की रहा देख रही हूँ इतनी देर कहाँ लगा दी आप ने???

रामु:मुस्कराते हुए अरे बताता हूँ भगय्यावांन पहले ये बताओ की तुम्हे इतना पसीना क्यु आ रहा है??

रजनी:मुस्कराते हुए कुछ नहीं जी वो पानी भरने के लिए कुए पर गई थी ना तो उसकी वजह से आ रहा होगा.

रामु:अच्छा चलो घर के अंदर चलो फिर बताता हूँ इस खुशी की वजह और मुझे पंडित जी के पास भी जान है.

रजनी: क्या अभी जाना है सुबह चले जाना जी..

रामु: नहीं मुझे अभी जाना होगा गीता बेटी की कुंडली दिखाकर उसकी सादी पक्की करनी है.

रजनी:सादी किसके साथ करनी है गीता बेटी की सादी??

रामु:अरे अपने मित्र रघुवीर के बेटे किशन से रिस्ता पक्का किया है मैने अपनी गीता का बहुत सुखी रहेगी अपनी बिटिया वहाँ.

रजनी::खुशी के साथ बड़ी अच्छी बात है जी मै आप के लिए एक लोटा छाछ लाती हू और अभी अंधेरा होने बाला है. आप सुबह कुंडली दिखा लेना.. रात के समय उस जंगल मे जाना उचित नहीं है.

,, रजनी की बात रामु को सही लगती हैं और वह सुबह जाने का मन बना लेता है,,

,,रजनी:रामु के लिए छाछ लाती है और उसके हाथ में छाछ देते हुए एजी आज मेरा दिल बहुत बेचैन सा हो रहा है न जाने क्यों और तबियत भी कुछ ठीक सी नहीं लग रही आज आप मेरे साथ सो जाना जी वाहर उसारे मे.

रामु:रजनी गीता अब जबान हो गई है उसके सामने यह सब अच्छा नहीं लगता और गीता तो सोती है तुम्हारे पास मगर गीता बेटी है कहाँ दिखाई नहीं देती

रजनी:उदास मन से पशुओ को चारा डालने गई है आती होगी,

रामु:रजनी उदास ना हो ओर फिर पशुओ के साथ कोन रहेगा

रजनी:ठीक है जी आप जहां सोना चाहते हो वही सो जाना मै कुछ नहीं कहूगी
,, रजनी ने यह सब गुस्से मे बोल तो दिया था मगर जब से उसने उस कुत्ते और कुत्तिया को संम्भोग क्रिया करते हुए देखा था तब से उसकी योनी मे हो रही खुजली और उसके पानी के रिसाब से वह बहुत वियाकूल थी क्योकि आज से पहले उसने कभी एसा करते हुए किसी जानवर या पशु को नहीं देखा था यह घटना उसके साथ पहली बार घाटी थी,,,

,, रजनी घर के अंदर चली जाती है और गीता अपने बापू को देख खुशी से बापू से,,

गीता:मासूमियत से बापू आ गये आप माँ आप को कब से देख रही थी.

,,, गीता,,रजनी और रामु रात का भोजन करते हैं और फिर रामु पशुओ के साथ सोने के लिए चला जाता हैं ,,,,पशु पालने के लिए एक मिट्टी की शाल बनी हुई थी जिसमे रामु एक चारपाई पे सोता था.

,, रजनी कामा अग्नि में जल रही थी जिसके कारण वह भोजन भी पेट भर नहीं कर् पाई थी उसकी योनी मे हो रही बेचैनी और मिठी मिठी खुजली उसे बहुत परेसान कर रही थी जिसकी वजह से उसकी आँखों से नींद कोसों दूर थी. रजनी को अब गीता के सोने का इंतजार था आज किसी भी तरह संम्भोग करना चाहती थी.

,, रजनी (मन में) :आज क्यों इतनी खुजली हो रही हैं इसमें पहले तो कभी ऐसा नहीं होता था. आज क्यों इतना परेसान कर रही हैं ये.,, हाय रे मैय्या मै क्या करू इसका,,

,, रजनी योनी मे हो रही बेचैनी से रुवासी हो जाती हैं,, और वह कुछ सोचते हुए धोती के ऊपर से ही अपनी योनी को खूजाती है,,

,, और उसके मुह से एक धीमी आबाज मे सिसकारी निकलती हैं,,

रजनी: सी सी सी... हाई राम हाय माँ जी जी....
Mza a gya
 

Rajesh Lodhi

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Doston mein aap sab ko batana chahta hu ki Maine name change kiya hai devlopmet se krishkumar


Update:4 और उधर काली और हरिया हवेली में पहुँचते हैं. वीर सिंह हवेली में इधर उधर टहल रहा था किसी गहरी सोच मे डूबा हुआ.

काली: मालिक मालिक ये शाला रामु किशन पुर मे रघुवीर के घर जाता हैं उसे मिलने.

,, काली की बात सुनकर वीर जैसे होस मे आता है और काली से.

वीर सिंह:रघुवीर के घर वही जिसका बेटा पहलवान है. क्या बात की उससे रामु ने??

हरिया: मालिक यह तो हम नहीं जानते क्योकि हम अंदर नहीं गये थे नहीं तो रामु को पता चल जाता की हम उसका पीछा कर रहे थे..

काली: हो न हो मालिक उसने अपनी बेटी के रिश्ते की बात की होगी रघुवीर के बेटे के साथ क्योकि जब वह वाहर निकल रहा था तो बहुत खुश था हराम जादा


,, यह बात सुनकर वीर सिंह गुस्से से पागल हो जाता हैं और वह गुस्से में,,

वीर सिंह: कल की रात रामु की अंतिम रात होगी उसे और उसके साथ उसके घर को भी जलाकर राख कर देना लेकिन यह काम बहुत ही होस्यारी से करना है तुम्हे.

काली: आप चिंता न करे मालिक यह सब मुझपे छोड़ दीजिये.

वीर सिंह : लेकिन यह याद रखना की गीता मेरी जान है उसे कुछ नहीं होना चाहिए

,, वीर सिंह का आदेश पाकर काली और हरिया वहाँ से चले जाते है और रामु के घर कल की रात कैसे हमला करना है यह योजना बनाते है,,,

,, उधर गीता अब सो चुकी थी और रजनी की आँखों में नींद का कोई नाम नहीं था जैसे ही रजनी गीता की ओर देखती की उसकी बेटी अब गहरी नींद में सो रही हैं वह बहुत धीरे से चारपाई से उठती हैं और अपने सिंगार दान के पास जाती हैं

रजनी (मन में) .. थोड़ा सा सिंगार कर लेती हूँ ताकि गीता के बापू का मन पिघल जाये और वे मुझे निराश न करे,,

,,,यह सब सोचते हुए गीता सिंगार दानी से एक लाल रंग की होंठों की लाली निकल कर अपने होंठों को रंग लेती है मांग पर सिंदूर और अपनी नाक से नाक की लोंग निकालकर नाक की नाथनी पहनती है और एक छोटे से दरपंन् मे अपने आप को देखती है अपने आप को देखते ही उसे बड़ी शर्म महसूस होती हैं और वह शर्मा कर आयना नीचे रख देती है

,, इस सयम रजनी उस स्त्री के के समान थी जो अपनी कमा अग्नि को सांत करने के लिए कुछ भी कर सकती थी परंतु यह उस समय की नारी थी जब कोई भी नारी किसी दूसरे पुरुष के साथ बात करना तो दूर उसके सामने भी नहीं आती थी और आज रजनी ने पहली बार आधी रात को उठकर यह सब किया था अपने पति से सम्भोग करने के लिए,,,

,,, रजनी यह सब करने के बाद चुप चाप घर के अंदर से वाहर आती है और हाथ मे एक जलता हुआ चिराग लेकर पशु शाला की ओर बढ़ जाती है चिराग की रोशनी में उसका चेहरा उसी प्रकार दमक रहा था जिस प्रकार किसी अंधेरी गुफा में नाग की मणि चम चमा ती है धीरे धीरे धीरे से चलते हुए रजनी पशु शाला मे पहुँचती हैं. जहाँ पर रामु एक छोटी सी चारपाई पर सो रहा था और उसके थोड़ी दूरी पर दो बैल और एक भैंस बंधी हुई थी. रामु के निकट पहुँचते ही रजनी के दिल की धड़कन बढ़ने लगती है और वह उसकी चारपाई के पास चिराग लेकर बैठ जाती है.,,,,

,, रजनी रामु का कंधा पकड़कर धीरे से हिलाती है शर्मो हया के मारे रजनी का बुरा हाल था क्योकि पहली बार वह खुद रामु के पास आई थी क्योकि उसके शरीर में जल रही कमा अग्नि ने उसे बिवश् किया था.,,,

रजनी,: शरमाते हुए गीता के बापू एजी गीता के बापू सुनिये ना

,, रामु कसमसाते हुए अपनी आँखे खोलता है और,,

रामु:रजनी को देखे बिना ही,, क्या हुआ रजनी क्या बात है इतनी रात में यहाँ पर क्या कर रही हो तुम और जैसे रजनी पर उसकी नजर जाती है वह अच्छा तो यह बात है

,, वह रजनी के हाथ से चिराग लेकर एक ताख मे रख देता है और रजनी की ओर देखता है जिसके स्तन लम्बी सांस लेने की वजह से उपर नीचे हो रहे थे जिसने एक सुति बिलौच और केवल पेटीकोट पहना हुआ था और उससे कहता है,,

रामु:आओ उपर आओ रजनी.

,, और उसका हाथ पकड़कर चारपाई पर बैठा लेता है रजनी जैसे राहत की सांस लेती हैं कि अब उसे सन्ति मिल जाएगी और धीरे से चारपाई पर लेट जाती है. रामु उसके उपर झुकता हुआ उसके चेहरे के पास अपना चेहरे को लाता हैं और उसकी आँखों मे देखते हुए

रामु; क्या बात है रजनी आज इतनी बेचैन क्यों हो रही हो तुम की इतनी रात को खुद मेरे पास आ गई

,,, और उसके उभरे हुए स्तन को धीरे से दबाता है,,, रजनी के चेहरे पर दर्द के भाव आ जाते है और वह सिसकारी भरते हुए कहती है.,,,


रजनी:: सी.. सी. सी.... ऐ जी. जी.... आज मैने एक कुत्ते और कुत्तिया को यह सब करते देखा था तब से से बहुत बेचैनी हो रही हैं.

रामु: मुस्कराते हुए अच्छा तो अब तुम ये सब देखती हो और अपनी धोती खोल देता है

,, रजनी एक हाथ नीचे लेकर रामु का लिंग पकड़ लेती है और अपने निचले होंठ को दांतों से काटते हुए कहती हैं,,

रजनी: गीता के बापू वो कुत्ता उस कुत्तिया की योनी को सूंघ और चाट रहा था क्या एसा भी होता है जी...

,, रामु अब अपने कच्छा के नाड़े को खोलता है और अपना लिंग वाहर निकाल लेता है. रजनी का हाथ जैसे ही रामु के नंगे लिंग को छुता है उसके शरीर मे बिजली सी दौड़ जाती हैं और वह उसके लिंग को अपनी मुठी मे जोर से जकड़ लेती है. जिससे रामु की सिसकी निकल जाती है और वह रजनी से कहता है.,,

रामु: हाँ रजनी एसा करते है केवल जानवर ही नहीं इंसान भी एसा करते हैं मैने अपने मित्र की एक किताब में पढ़ा था जो कामशुत्र की किताब थी और एसा करने से स्त्री को बहुत चर्रंम सुख की प्राप्ति होती है

रजनी: छी.. वहाँ से तो पेशाब भी निकलता है जी गन्दा नहीं लगता क्या.

रामु: जब इंसान वासना की आग मे जलता है तो उसे कुछ भी गन्दा नहीं लगता रजनी सब कुछ अच्छा लगता है तुम करना चाहते हो क्या एसा.

,, और रामु रजनी के पेटीकोट को नीचे से पकड़कर उपर को सरकता है जिसे देख रजनी अपनी दोनों टांगों को आपस मे भीच लेती है और अपने मुह पर हाथ रखकर कहती है.,,

रजनी::छी.. नहीं जी मुझे नहीं करना एसा मुझे तो सोचकर भी घिन आती है.

रामु: रजनी एक बार करके तो देखो तुम्हे बहुत आनंद मिलेगा जिसका तुमने कभी अहसास भी नहीं किया होगा मेरा मित्र कहता है उसकी पत्नी यह करके बहुत खुश हो जाती हैं.

,, यह सब बाते सुनने के बाद रजनी के मन में भी एसा करने की जिगियासा उत्पन्न होती है मगर वह ठहरी एक साधारण नारी सर्मो हया के कारण यह सब कह नहीं पाती.

रजनी:नहीं जी मुझे बहुत शर्म आएगी

रामु: कुछ नहीं होगा तुम अपने पर खोलो

,, रामु का भी मन था यह सब करने का क्योकि उसने केवल सुना था किया कभी नहीं था वो इसलिए कि कहीं उसकी पत्नी उसके बारे मे कुछ गलत ना समझ ले और रामु रजनी के दोनों पैरो को पकड़कर खोलने लगता है,,

,, रजनी अपनी नाक से लम्बी सांसे लेती है जिसकी वजह से उसके नाक के दोनों सुर फुल पिचक रहे थे और नाक में पहनी हुई नाथनी बार बार हिल और दमक रही थी

रजनी:ऐ जी रहने दीजिये वहाँ मुझे अच्छा नहीं लगेगा जी और आप को कुछ हों ना जाये गन्दी जगह है वो

रामु: कुछ नहीं होगा तुम पर ढीले छोड़ो रजनी

, ,, और इस बार रजनी के पैर खुल जाते है. मगर वह शर्म की वजह से अपनी गर्दन दुसरी ओर घुमा लेती है और रामु को चिराग की रोशनी में जो की रामु के पीछे रखा हुआ था रजनी की योनि दिखाई देती है कामो उतेजं ना की वजह से रजनी की योनि फुलकर दोगुनी हो चुकी थी जिसे देखकर रामु का जोश और बड़ जाता हैं और वह अपनी सर को धीरे धीरे रजनी की टांगों के बीच में लता है.

, रजनी दिल जोरों से धड़क रहा था यह सोचकर कि उसे कैसा लगेगा जब उसका पति उसकी योनी मे अपना मुह लगायेगा इस अहसास से उसकी सांसे और भी तेजी से चल रही थी. और जैसे ही रामु उसकी योनि को सुंगता हुआ अपनी जीभ योनि में लगाता है. रजनी का शरीर कांप जाता है और वह.. तेजी से उछल पड़ती है और उसके मुह से,,,

रजनी: ई ई ई ए जी जी.......रहने दीजिये आप मुझसे नहीं होगा जी.. ये सब.. आप मेरे उपर आ जाओ जी....

,,, मगर रामु ने जैसे मन बना लिया था कि वह आज रजनी की योनि का काम रस पीके ही रहेगा और फिर से रजनी की दोनों जांघों को जड़ से पकड़ता है और फिर से अपनी जीभ रजनी की योनि मे लगाता है रामु इस प्रकार रजनी की टांगों को जकड़े हुए था की रजनी हिल नहीं पाती और अपने वेबस समझ कर अपना शरीर ढीला छोड़ देती है और जैसे ही योनि को चाटना सुरु करता है उसे अपने मुह में तिखा और नमका सा पानी जाता महसूस होता है. जिससे उसकी उत्तेजना और बढ़ जाती हैं.,,

रजनी: गीता के बापू मुझे बहुत अच्छा लग रहा है जी.. चाट लीजिए इसे मुझे नहीं पता था की इसे चाटने से इतना सुकून मिलता है जी...

,,, कुछ देर योनि को चाटने के बाद रामु जैसे ही योनि के अंदर अपनी जीभ डालता है,, तो रजनी अपने शरीर पर एक कमान की तरह कर लेती है और रामु के सैर को अपनी योनि पैर दबाते हुए,,,

रजनी: आई.. हाए.. ए जी.. गीता के बापू कहीं मै मर न जाऊ जी... छोड़ दीजिये अब मेरे उपर अजाइये ना जी.....

,,, रामु को रजनी की योनि में जीभ डालकर अहसास होता है कि उसकी योनि कितनी दहक रही हैं . वह मन में सोचता है कि कहीं उसकी योनि की गर्मी से उसका मुह पिघल न जाए और वह अपना मुह योनि से हटाकर रजनी की ओर देखता है. रजनी जिसका चेहरा उत्तेजना की वजह से लाल हो चुका था. अपना मुह दोनों हाथ से छुपा लेती है. रामु धीरे से रजनी के चेहरे से उसके हाथ हटाता है और उसकी आँखों में देखते हुए कहता है.


रामु: कैसा लगा तुम्हे मजा आया कि नहीं.

, , , रजनी अपनी दोनों टांगों को रामु की कमर में लपेट देती है और उसके लिंग को अपने हाथ से पकड़ते हुए कहती है,,

रजनी;: बहुत अच्छा लगा जी.. और आपको

रामु:मुझे भी अच्छा लगा
,, रजनी रामु की आँखों में देखते हुए उसका लिंग पकड़कर अपनी योनि की ओर खिचती है. जिसे देख रामु समझ जाता है की रजनी अब क्या चाहती है. और वह रजनी की दहकती हुई योनि पे अपना लिंग लगता है. और एक जोर से धक्का लगाता है जिससे उसका आधे से ज्यादा लिंग रजनी की पानी छोड़ती हुई योनि मे घुस जाता है..


रजनी: हाई री मैय्या.. मर गई मै.. धीरे से जी....

,, रामु रजनी के चेहरे की ओर देखता है. और फिर एक तेज धक्का लगा देता है इस बार रजनी जोर से चिल्लाती है,,

रजनी:: धीरे जी...... मर गई माँ री..... जान निकाल दोगे क्या जी....

, रजनी दर्द की वजह से अपने दांतों को भीच लेती है और अपने शरीर से रामु को जकड़ लेती है ताकि रामु और धक्का न लगा सके रामु रजनी की ओर देखता है रजनी अपनी आँखों को बंद किये हुए थी,,, रामु रजनी के कान के पास आकर धीरे से उसके कान में कहता है ,,रामु: ढीला छोड़ो रजनी अब दर्द नहीं होगा

रजनी::धीरे धीरे करना जी... तेजी से दर्द होता है.

,, रजनी अपने शरीर को ढीला छोड़ देती है और रामु धीरे धीरे धक्के लगाने लगता है. कुछ देर धक्के लगाने के बाद रामु रजनी से कहता है,,

रामु: क्या बात है रजनी आज तुम्हारी योनि से बड़ी आग निकल रही है

, , यह बात सुनकर रजनी शर्मा जाती हैं और वह धत्त.. आप भी ना कुछ देर के बाद रजनी को भी मजा आने लगता है और वह चरम सुख की सीमा पर आते हुए कहती है,,,

रजनी::हाँ जी.. आज बहुत परेसान कर रही थी ये मुझे बहुत खुजली हो रही थी इसमें ऐ जी जी.... अब कीजिए तेज़ तेज मिटा दीजिये जी इसकी खुजली जी...

,, रामु भी अब स्खलित होने बला था और वह रजनी की बात सुनकर तेजी से धक्के लगाने लगता है,,, रजनी:ऐ जी जी ऐ जी.... मै गई जी.. हाय रे मर गई माँ मेरी..

,,, रजनी की योनि अपना गर्म पानी छोड़ देती है और रजनी बेजान सी अपने हाथ पर ढीले छोड़ देती है,,,

रामु: तेज तेज धक्के लगाते हुए हाँफने लगता है और उसकी सांसे फुल जाती है. रजनी..... ओ रजनी.. मै गया.... रजनी

, रामु रजनी के उपर गिर जाता है और दोनों को कब नींद आती है पता ही चलता और सुबह चिडियो के चेहकने से रजनी की आँख खुलती है,,


,, रजनी जल्दी से उठती है कि कहीं गीता उसके पहले न उठ जाए और फिर रामु को उठती है. रामु को उठाने के बाद रजनी घर के अंदर चली जाती है.,,

, और इस प्रकार रात बीत जाती है और एक नई सुबह होती है आज रामु को अपनी बेटी की कुंडली लेकर पंडित जी के पास जाना है. और वह पशुओ को चारा डालने के बाद नहाने चला जाता है और उसके बाद तय्यार होकर रजनी को आबाज लगता है.

रामु:रजनी ओ रजनी कहाँ हो मैं पंडित जी के पास जा रहा हूँ

रजनी:: जी आई रुको मै आती हूँ ये लो ये छाछ पी लो और ये गुड़ खा लो.

,, रजनी के पीछे गीता भी बाहर आती है.
J
 

Rajesh Lodhi

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गीता:बापू कहाँ जा रहे हो गीता ने बड़ी मासूमियत से रामु से पूछा

रामु: बेटा मै पंडित जी के पास जा रहा हूँ और उसके बाद अपने मित्र के घर जाउंगा शाम तक लोट आऊंगा

,, रजनी रामु को गीता की कुंडली निकाल कर दे देती है जो किसी पहुँचे हुए पंडित जी ने बनाई थी और अब वह इस दुनिया में नहीं है. रामु वह कुंडली लेकर पंडित जी की कुटिया की ओर अग्रसर होता है.

,, रामु बहुत खुश था की वह अपनी बेटी की सादी किशन के साथ करने वाला था जो की एक पहलवान होने के साथ एक नेक और होनहार इंसान था और आज की तारीख में उसके जैसा कोई नहीं था यह सब विचार करते करते रामु पंडित जी के पास पहुँच जाता है.

,, पंडित जी जैसे ही रामु को देखते है. वह उसके पास आते हैं और रामु

रामु: प्रणाम पंडित जी मै अपनी बेटी की कुंडली लेकर आया हूँ उसकी सादी का अच्छा सा मूहरत निकाल कर मुझे बताओ अपनी बड़ी कृपा होगी

,, पंडित जी देखते है की रामु बड़ा खुश लग रहा है और वह.

पंडित जी: खुश रहो बेटा बड़े खुश नजर आ रहे हो कोई लड़का मिल गया है क्या गीता बेटी के लिए

रामु: जी पंडित जी मेरे मित्र रघुवीर के बेटे के साथ गीता बेटी का रिस्ता पक्का किया है और आपने ही कहा था की गीता बेटी की कुंडली मुझे दिखा देना.

पंडित जी: हाँ मैने तुम्हे कल शाम को बुलाया था

रामु: वो कल अपने मित्र के घर से आते हुए मुझे रात जियादा हो गई थी इसलिए आ नहीं पाया माफ़ी चाहता हूँ आपसे

पंडित जी: कोई बात नहीं बेटा आओ अंदर चले कुटिया में बैठकर बात करते है.

,, रामु पंडित जी के साथ कुटिया मे चला जाता हैं और फिर पंडित जी को गीता की कुंडली देता है.

,, पंडित जी कुंडली देखते हैं और कुंडली देखते ही उनको पसीना छूट जाता है वह बहुत घबरा जाते है और कुंडली पकड़े उनके हाथ कांपने लगते है पंडित जी रामु की ओर देखते हुए पर कुछ बोल नहीं रहे थे रामु यह सब देख पंडित जी से कहता है.

रामु: क्या हुआ पंडित जी क्या बात है और आपको पसीना क्यों आरहा है क्या है मेरी बेटी की कुंडली में मुझे बताओ.

पंडित जी: बेटा ये कुंडली किसने बनाई थी

रामु: ये कुंडली एक वहुत ही पहुँचे हुए पंडित जी बनाई थी जो अब इस दुनिया में नहीं रहे परन्तु बात क्या है मुझे बताओ पंडित जी

पंडित जी: बेटा गीता कोई साधारण लड़की नहीं है उसका जन्म पूर्ण मशी की चंद्र गीरहंन की रात को हुआ था और उसके साथ जो भी सादी करेगा बो उसका जीवन भर साथ नहीं दे सकता और ना ही बो उसे वह सुख दे सकेगा जो एक स्त्री को चाहिए उस पुरुष की अकाल मृत्यु हो जायेगी

,, पंडित जी की बात सुनकर रामु के होस उड़ जाते है और वह बड़े उदास मन से पूछता है, ,,

रामु: तो क्या मेरी बेटी जीवन भर कुवारी रहेगी उसकी कभी सादी नहीं होगी पंडित जी

पंडित जी: तुम्हारी बेटी चंद्र गिरहंन की अमावश की रात को जन्मी है i इसीलिए उसके गुप्त अंग पर चंद्रमा का चिन्ह है जिस पुरुष के गुप्त अंग पर वह चिन्ह होगा वही उसको स्त्री सुख दे सकता हैं

रामु : तो क्या इसका कोई उपाये नहीं है..

पंडित जी: उपाये है तुम उस पुरुष को यह कभी नहीं बताना कि तुम्हारी बेटी की कुंडली में दोष है और मै तुम्हे एक दिव्या माला दूँगा जो तुम्हे उस पुरुष को पहनानी है जब तक वह माला उस पुरुष के गले मे रहेगी उसे कुछ नहीं होगा


,, पंडित जी की बात सुनकर रामु की आँखो में आसु आ जाते है और वह विनती करते हुए कहता है.,,,

रामु: ठीक है पंडित जी आप वह माला मुझे दे दीजिये

पंडित जी: उस माला को सिद्ध करने मे मुझे एक घंटा लगेगा तब तक तुम यही बैठो.


,, रामु से यह बोलकर पंडित जी एक पीपल के ped के पास जाते है और एक माला को लेकर सांत अवस्था में बैठ जाते है. रामु भी किसी गहरी सोच मे डूबा हुआ पंडित जी का इंतेजार करने लगता है और सोचता है कि यह माला कैसे किशन को पहनाए गा ओर क्या कहेगा किशन से की ये किस लिए है यही सब सोचते सोचते एक घंटा बीत गया था और पंडित जी माला को सिद्ध करके बापस रामु के पास आते हैं और रामु को वह माला देकर रामु को


पंडित जी: रामु गीता की सादी आज रात ही करनी होगी क्योकि मुझे आने बाला समय कुछ ठीक नहीं लग रहा बेटा



रामु: जी जैसा आप उचित समझे मै रघुवीर से बात कर के आप के पास शाम तक आता हु और अगर रघुवीर ने हाँ की तो मैं गीता बेटी और किशन को भी अपने साथ ले आऊँगा अच्छा पंडित जी मै चलता हूँ


,,, माला लेकर रामु रघुवीर के घर की ओर चल देता है और रघुवीर के घर पहुँचते ही रामु को रघुवीर दिखाई देता है जो अपनी पत्नी से बात कर रहा था रामु को देखते ही रघुवीर रामु के पास आता है और रामु को अपने गले लगा लेता है.


रघुवीर: और सुनाओ रामु कैसे आना हुआ

रामु: मुझे तुमसे कुछ जरूरी बात करनी है और किशन बेटा कंहा है उसके लिए मै ये माला लाया हूँ जो मुझे पंडित जी ने उसकी सुरक्षा के लिए दी है

रघु: सुरक्षा कैसी सुरक्षा???

रामु: मित्र यह माला किशन को बुरी नजर से बचायेगी ओर हमारे किशन को कोई भी पहलवान दंगल में नहीं हरा सकता


,,, रामु यह सब बाते रघुवीर को बता रहा था और तभी किशन वहाँ आता हैं
Platfsrm mst
 

Rajesh Lodhi

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,, किशन रामू के पैर छुकर उसे प्रणाम करता है। और अंदर अपनी माँ के पास जाता है। किशन एक सुंदर और बलिस्ट लड़का था जिसकी लंबाई छ: फुट और 8 इंच थी उसने किसी भी नारी को नज़र भर नही देखा था,,,,, शादी क्या होती है बह इस बात से अंजान था उसे तो यह भी नही पता था की शादी के बाद नारी के साथ क्या किया जाता है। इसी प्रकार उसकी ताकत का अंदाजा लगाया जा सकता है। किशन के अंदर आते ही उसकी माँ रमो देवी उसे दूध देती है।

रामु: रघुवीर हमे किशन और गीता की शादी आज ही करनी होगी क्योकि आने बाला समय ठीक नहीं है पंडित जी ने मुझे बताया है

रघुवीर: रामु तुम जैसा कहोगे वैसा ही होगा मित्र किस समय चलाना है पंडित जी के पास

रामु: पहले मैं गीता बेटी को लेकर पंडित जी के पास जाता हूँ। और तुम किशन की कुंडली लेकर पंडित जी के पास शाम तक आ जाना

रघु: ठीक है मित्र मैं अपनी पत्नी को बता देता हूँ

,,, ये बातें करने के बाद रामू वहाँ से चला जाता है और रघुवीर अंदर जाकर रमो देवी को सादि के लिए बताता है जो किशन ने भी सुन ली थी और रघुवीर वहाँ से चला जाता है। शादी की तय्यारी करने रघुवीर के जाने के बाद किशन कुछ सोच मे डूब जाता है उसे इस प्रकार सोचता देख उसकी माँ उसे पूछती है।

राम ओ देवी: क्या हुआ बेटा क्या सोच रहा है


,,, किशन जैसे नींद से जागते हुए मन में सोचता है की शादी के बाद क्या होता है किसे पूछे क्या करे???

किशन: कुछ नहीं माँ वो मैं सोच रहा था कि मुझे अभी शादी नही करनी है मुझे समय चाहिए

रामाओ देवी: क्यु क्या हुआ बेटा क्या बात है मुझे बता तुझे गीता पसंद नहीं है।

किशन: नही माँ ऐसी बात नहीं है।
माँ: तो फिर क्या हुआ बेटा।


,, किशन कुछ सोचता है और फिर अपनी माँ को देखता है जो की उसकी आँखो में देख रही थी जैसे की उसकी आँखो में पड़ना चाहती थी कि क्या बात है जो किशन शादी के लिए ना बोल रहा है।। और फिर किशन उदास होकर पूछता है।

किशन: माँ मुझे शादी के बारे में कुछ नहीं पता

रमॉ देवी: बेटा शादी हमे करानी है तूमे तो बस दुल्हन को लाना है

,,, किशन कुछ समझ नहीं पता कि कैसे समझा सकता है अपनी माँ को और फिर अपनी सर झुका कर कहता है।,,,,

किशन: माँ शादी के बाद क्या करना है मुझे नहीं पता

,, ये बात सुनकर रामौ देवी सोचती है की उसका बेटा
इन सभी बातों से अंजान है। रामो देवी जो की एक 40 वर्ष की महिला थी परंतु आज भी जवान थी पेट पर चर्बी थोड़ा ज्यादा थी परंतु सज् धज् के रहना उसकी आदत थी और उसके शरीर का कोई भी अंग अभी लटका हुआ नहीं था क्योकि उसने किशन के बाद और बच्चे पैदा नहीं किये रघुवीर अब बुढा हो चुका था और राम्मो देवी के साथ नहीं सो ता था,,,,

राममो: ठीक है बेटा मैं तेरे बापू जी को समझा दूँगी की किशन की शादी कुछ और दिनों के बाद कर देंगे


,,, किशन खुश होकर जाने लगता है और फिर अपनी माँ को देखकर एक मुस्कान देता है और चला जाता है रमो सोचने लगती है कि उसका बेटा कितना नादान है कितना मासूम है जो कुछ नही जनता उसे कैसे पता चलेगा कि शादी के बाद दुल्हन के साथ क्या करते है,,

,, और अब किशन गाँव में अपने मित्र के पास जाता है जिसकी शादी हो चुकी थी। किशन अपने मित्रो को पहले भी मिलता था परन्तु कोई भी भी उसके सामने शम्भोग क्रिया की बातें नहीं करता था क्योंकी किशन की कैद कठि को देख कर ही सभी को पसीने छूट जाते थे किशन अपने एक मित्र के घर पहुँच कर बाहर से ही आबाज देता है और। उसका मित्र जिसकी शादी को कुछ ही। दिन हूए थे। वाहार आता है।

किशन: तुझसे कुछ पूछना है मुझे

मित्र: बोल क्या बात है।

किशन: हिचकिचाते हूए,,,, यार मेरी शादी होने वाली है और मुझे कुछ नहीं पता की शादी के बाद क्या और कैसे रहते है।

,,, मित्र उसकी चिंता नहीं करीए मैं तुम्हे एक पुस्तक देता हूँ जिसमें तुम्हारे सारे सबालो के जबाब है और किसी को कुछ पूछना भी नहीं पड़ेगा,,,

किशन का मित्र उसे एक पुस्तक देता है और किशन वह पुस्तक लेकर अपने घर की और चल देता है।

,,, उधर रामो देवी अपने पति रघुवीर को किशन की शादी ना करने की बात बता देती है और किशन की बात से सहमत होकर रघुवीर अपने मित्र रामु के पास जाता है उसे बताने के लिए की गीता बेटी की शादी कुछ और दिन के बाद करे रघुवीर घर से निकल कर सीधा पंडित जी के पास जाता है जहाँ रामु के साथ रजनी और गीता भी आने वाले थे।,,,,

,,, किशन को उस पुस्तक को पड़ने की बड़ी जिगियाशा हो रही थी आज वह जानना चाहता था की क्या है जो सभी को शादी करना जरूरी होता है और फिर शादी के बाद स्त्री के साथ किया क्या जाता है यही सब सोचते हुए किशन अपने घर में प्रवेश करता है और अपनी माँ को सामने झाड़ू लगता देख पुस्तक अपनी कमर के पीछे छुपा लेता है। और सीधा घर के पीछे बनी जोपड़ी मे चला जाता है।,,,

,, रामो उसे कमर के पीछे पुस्तक छुपाते देख लेती है और बह मन में,,, क्या छुपा रहा है किशन मुझसे क्या है उसके हाथ मे और फिर झाड़ू लगाने के बाद घर के अंदर चली जाती है,

,,, किशन अपने चारपाई पर बढ़ता है और जैसे ही पुस्तक का पहला पन्ना पलटता है। उसकी आँखो में तारे घूम जाते हैं। वह केवल चित्र में अकिर्ति देखकता है और उसके नीचे लिखी लेखनी को पढ़ना भूल जाता है। और फिर दुसरा पन्ना पलटता है और उसके बाद उसको अपने शरीर में रक्त का संचार तेजी से होता मेहसूश होता है। चित्र में स्त्री की योनि में एक पुरुष अपना लिंग डाल रहा था और उसके नीचे क्रिया के बारे में लिखा हुआ था। दूसरी चित्र में एक पुरुष स्त्री के स्तनो का मर्दन कर रहा था।। किशन ने यह सब पहली बार देखा था और उस चित्र में स्त्री के नग्न अवस्था को देखकर सोच मे पड़ जाता है की स्त्री नग्न होकर कैसी लगती है।

,,, किशन चित्र में खो जाता है और आज पहली बार उसके लिंग मे उसे बहुत पीड़ा होती नज़र आती है। चित्र में बनी हुऐ पुरुष और स्त्री क्या कर रहे है यह सोचकर उसका सर चक्रा जाता है और किशन वह किताब अपने तकिये ke नीचे छुपा कर बाहर चल देता है। और बाहर जाकर घर में बने पेशाब घर मे ना जाकर जंगल में चला जाता है,,,

,, किशन को जाता देख रामो झोपड़ी में जाती है। और कुछ ढूँडने लगती है और उसे तकिये के नीचे रखी पुस्तक मिल जाती है। रामो यह कैसी किताब है और उसे खोलने लगती है। उसमे बने चित्र को देख रामो देवी को बड़ी शर्म मेहसूस होती है और बह उस किताब को बही तकिये के नीचे रख देती है। रामो देवी मुस्कुरा कर चली जाती है,,,

,, तो क्या किशन अब ये सब देखेगा,,,,
G
 

Rajesh Lodhi

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,,, किशन के जाने के बाद रामो देवी को अहसास होता है कि उसका बेटा बहुत नेक् इंसान हैं और कभी भी अपनी माँ को गंदी नज़रो से नहीं देखेगा धीरे धीरे शाम होने हो गया था और अभी गाँव के लोग खेतों से काम करने के बाद घर घर लौट आये थे।

,,, लेकिन किशन को घर से निकले चार घंटे बीत गया था और अभी तक वह घर नहीं लौटा था। रघुवीर भी अभी नहीं आया था । रामो देवी को चिंता होने लगती है कि उसका बेटा अभी तक घर नहीं आया है और ना उसके बपू घर आए हैं,,, और बह चिंता मे डूबी हुई घर के दरबाजे पर इंतेजार कर रही थी।

,,, पंडित जी को मिलने के बाद रघुवीर भी अपने घर लौट रहा था जंगल का रास्ता था और अंधेरे की काली छाया में कुछ दिखाई नहीं दे रहा था जंगल से होते हुए रघुवीर रामू के बारे मे सोच् रहा था। तभी उसे अपने पीछे कुछ आहत होती है और उसे लगता है कि जैसे कोई उसका पीछा कर रहा है। तभी वह पीछे मुड़कर देखता है तो उसे चार लोग दिखाई देते हैं,,,,,,,,,,

,,, सभी ने अपने मुह पर कपढ़ा बंधा हुआ था और उन चारो के हाथ में कुछ धार दार हत्तियार थे रघुवीर उन्हे जैसे ही देखता है वह डर जाता है और उसे वहाँ से भागना ही उचित लगता है रघुवीर के भागते ही एक आदमी कहता है,,,


आदमी: पकड़ो उसे हराम के पिल्लो जिंदा नहीं जाने पाए

,,, तीन लोग रघुवीर के पीछे भागते है और रघुवीर एक अधेड़ उम्र का ब्यक्ति था वह कुछ दूरी पर ही गया था कि उन लोगों ने उसे पकड़ लिया,,,

,, आदमी,,, साले भागके कहाँ जाता है आज तु नहीं बचेगा,,, रघुवीर को इस बात का एहसास होता है की ये लोग उसे जिंदा नहीं छोडेगे पर वह कहते हैं ना,, की मरता क्या नहीं करता रघुवीर हिम्मत कर के एक आदमी के हाथ से तलबार छीन लेता है और सीधा उस आदमी के सीने में घोपा देता है,,, उसको इस प्रकार बार करते हुए दूसरा आदमी उस पर बार करता है,,


,,, तभी रघुवीर नीचे बैठ जाते हैं और उसे भी एक ही तलबार के बार से मौत के घाट उतार देता है।,,,,, रघुवीर अभी सभाँल भी नही पाया था की उसके,, सर पर किसी ने पीछे से बार किया,,,,,
,,, और वह एक ही तलबार के बार से लाहु लुहान होकर धरती पर गिर जाता है और कुछ ही पल् मे तड़प तड़प कर अपने प्राण त्याग देता है। जैसे ही पीछे खडा हुआ आदमी अपने मारे गए,,, आदमी की पहचान करता है,,,


,,, वह जोर से चिल्लाता है,,, काली,,,, इ, इ इ इ इ इ इ इ,,,, और घुटनो के बल् नीचे गिर जाता है,,, मारे गए दो आदमी वीर सिंह के वफादार काली और हरियां थे,,,, रघुवीर की हत्त्या करने वाला वीर सिंह t
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