Update: 10
,,,, किशन ने आज तक हस्तमैथुन नहीं किया था।। किसी औरत के नरम नरम हाथो का स्पर्श अपने लिंग पर उसे,,,,, बहुत ही अच्छा लग रहा था,, आज पहली बार किसी ने उसके,,, लिंग को छुआ था,,,
,,, तारावती जैसे ही उसके नग्न लिंग को छूती है।। तो उसे ऐसा प्रतीत होता है कि जैसे उसने किसी पहवान की कलाइ पकड़ लिया हो,,, और वह उसे आगे से पकड़ कर उसके अंत तक पहुँचने की कोशिश करती है,,,, कुछ देर अपना हाथ पीछे ले जाने के बाद भी उसकी माप नहीं कर पाती और उसके मन में,,,,
,,,, हे भगवान लिंग है या खुटा,,,,, और उसके मन में विचार किया की क्यो ना इस मोटे लिंग का भी मजा लिया जाए,,,,,,
,,,,, किशन बेटा तेरा इतना मोटा और इतना लम्बा कैसे है इसकी भी कसरत करता है क्या,,,,,,,, और समय ना गाबाते हुए उसके कान मे कहती है,,,,
,,,,, बेटा इसे बाहर निकाल ले,,,,, हवा लगने दे,,,,,,
,,,, जी काकी,,,,,, और किशन जैसे ही अपने पाजामे का नाड़ा खोल अपना लिंग बाहर निकता है,,,, तारावती के होश उड़ जाते हैं,,, किशन का लिंग ऐसा प्रतीत होता है जैसे जंगल में कोई किंग कोबरा नाग गुस्से में फैंन उठाए खड़ा हो,,,, उसके लिंग की लम्बाई 9 इंच और मोटाई 3.5 थी जिसे देख तारावती दंग रह जाती है,,, उसने अपनी पूरे जीवन काल में इतना मोटा और इतना लम्बा लिंग आज तक नहीं देखा था,,,,
,,,, किशन की माँ रामो देवी यह सब देख तो नहीं पा रही थी क्योकि किशन की पीठ,,, उसके तरफ था,,,, मगर उन दोनों की बातें उसके कानों में साफ सुनाई दे रही थी,,,,और तारावती पर बहुत गुस्सा भी आ रहा था,,,,,
,,,, रामो देवी,,,, यह रंडी तो मेरे बेटे को बिगाड़ रही है,,, कैसी छिनाल है,, बेटे समान लड़के के साथ,, छि छि,,,,,
,,,, रामो देवी से अब बर्दास्त नहीँ हो रहा था और,,,, वह अपनी साड़ी का पल्लू अपने सर से उतार कर,, अपनी कमर में डाल कर साड़ी और पेटिकोट के नाड़े मे घुसा लेती है,,,, और गुस्से में अंदर घुस जाती है,,,
,,,,, तारावती छिनाल,,,,,, ल,, ल,, तो तु मेरे बेटे को ये सीखा रही है,,,,,
,,,, उसकी आबाज सुनकर किशन और तारावती हदबड़ाते हुए एक दूसरे से अलग हो जाते हैं,,,
,,, और इस हड़बड़ा हट मे किशन जैसे ही घूमता हुआ,, अपनी माँ को देखता है,, तो उसका लिंग उसकी माँ के नजरों के सामने आ जाता है,,,,,,
,,, रामो देवी की नज़र जैसे ही किशन के लिंग पर जाती है,,, तो बो अपनी नजरे तारावती की ओर घुमा लेती है,,,,, और गुस्से में तारावती की गर्दन दबोच लेती है,,,, बोल हराम जादी मेरा ही बेटा मिला है तुझे यह सब करने के लिए,,,, बोल रंडी,,,,,,
,,,, किशन जैसे ही देखता है कि उसकी माँ बहुत गुस्से में है,,, तो अपनी नजरे नीचे कर लेता है,,, नीचे देखने के साथ उसे पता चलता है कि उसका पैजामा गिरा हुआ है,,,, और उसका फनफ़नात लिंग डर की बजह से,,,, सिकुड़ गया था,,,, वह अपने पजामे को जल्द ही उपर कर बांध लेता है,,,,
,,,,,, रामो देवी बोल छिनाल बोलती क्यो नही है,,,,,
,,, तारावती,,,, मुझसे क्या पूछती है अपने बेटे को पूछो,,,, ये ही आया था मेरे पास,,,, अपने दोस्त को लेकर,,,,,,
,,,, रामो देवी यह सुनते ही किशन की ओर गुस्से में देखती है,,,, और उसके पास आ जाती है,,,,, और किशन जो की अपनी नजरे झुकाए खड़ा था,,,, रामो देवी उसे कुछ कहती नहीं और उसके गाल पर थप्पड की बारिश कर देती है,,,,
,,,, नालायक बेशर्म,,, ये संस्कार दिए थे हमने तुझे,,, तु पैदा होते हि मर् क्यू नही गया,,,,
,,, रामो देवी रोते हुए किशन को मार रही थी और किशन के दोनो गाल लाल हो चुके थे,,, किशन चुप चाप मार खाए जा रहा था और कुछ भी सब्द उसके पास नहीं थे अपनी माँ को कहने के लिए,,,,,,
,,, चला जा यहाँ से और आज के बाद मुझे अपनी सुरत् मत दिखाना,,,, जा मर जा कहीं जाकर,,,, चला जा,,,,,, दुर् हो जा मेरी नज़रो से..........
,,,,, किशन चुप चाप वहाँ से चला जाता है,,, और रामो देवी एक बार नज़र घुमाकर तारावती की ओर देखती है,,, बाहर जाने लगती है,,, जैसे ही रामो देवी चलती है,,,,
,,,, रामो देवी इसमें तेरे बेटे का कोई दोष नहीं है,, उसकी उम्र ही ऐसी है कि ये सब लाजमी है,,,
,,, तरवती की बात सुन् रामो देवी के कदम रुक जाते है और बह तारावती की और नज़र घुमाती है,,, रामो देवी गुस्से में,,,,,
,,, तु चुप कर रंडि,,,,,
,,, ये बात सुन् तारावती को भी अब गुस्सा आता है और बह गुस्से में,,,
,,,, अरे जा,,, रोक सकती है तो रोक ले अपने बेटे को,,,, लेकिन याद रखना उसके शरीर में अब कामवासना,,, की आग भड़क चुकी है,,,, और जब ये आग लग जाती है ना,,, तो उसे केवल एक औरत हि शांत कर सकती है,,,, अरे देवी देवता भी इसे अपने बश् मे नहीं कर सके,,, फिर तेरा बेटा तो एक इंसान हैं,,,, और उसकी इस कामा अग्नि को केवल एक औरत ही सांत् कर सकती है,,,, एक माँ कभी नहीं,,,
,, बोल तु या तेरे ये उसे दिए गए संस्कार कर सकते हैं उसे संतुष्ट,,,, ये केवल मैं कर सकती हूँ रामो,,,,, और तु यह जानती है,,,,, तूने अपने जबान बेटे पर हाथ उठाकर अच्छा नहीं किया,,, पछताए गी तू,, देखना,,,,
,,,,, रामो देवी,, उसकी बात सुनकर कोई जबाब नहीं देती और गुस्से में अपने दांत पिसते हुए अपने हाथो की मुठ्ठी बाँध लेती है और बाहर चली जाती है,,,,,
,,,, रामो देवी घर पहुँचती है और और सोचती है कि क्या तारावती सही कह रही थी,,, कहीं उसका बेटा उसे छोड़कर ना चला जाए और अभी तक घर नहीं आया उसके बापू तो सायद अपने दोस्त के घर रुक गए होंगे,,,,,, हे भगबान अब मै क्या करू,,,, नही,, नही मुझे अपने बेटे से माफ़ी मांगनी होगी,,,,
,,, दूसरी तरफ वीर सिंह गुस्से में रामु के घर पहुँचता है,,,, और गुस्से में रामु के घर के बाहर खड़ा होकर चिल्लाता है,,, रामु हरामी तुझे मै दो दिन का समय देता हूँ,, अगर तूने अपनी बेटी मुझे नहीं सौपी तो,,, मै तुझे और तेरे घर को जलाकर राख कर दूँगा,,,,,,,, रामु हरामी,,,,, सुन ले,,,,,
,,,, रामु ये सब कुछ सुन रहा था और बह डर की बजह से घर के बाहर नहीं आता है,,,, रामु की बेटी और उसकी पत्नी भी वीर सिंह की धमकी सुनकर डर जाते हैं,,,,
,,,, रजनी रामु की पत्नी दर कर रामु से कहती,,,,
,,, गीता के बापू अब क्या होगा??????,,,, ये वीर सिंह तो हमारी बेटी के पीछे ही पड़ा है,,,,,
,,,,, गीता जो डर की बजह से कुछ नहीं बोल रही थी और बह अपनी माँ की बाहों मे सीमत जाती है,,,,
,,, रामु तुम डरो नहीं रजनी,,, मै सुबह पंचायत में जाकर इसकी सिकायत करूँगा,, इसका कुछ ना कुछ हल तो निकल हि जाएगा,,,
,,, वीर सिंह कुछ देर चिल्लाने के बाद बहा से चला जाता है,,,,
,,, आधी रात हो चुकी थी और रामो देवी की आँखों में नींद का नामो निशान नहींं था उसकी आँखे दरबाजे पर टीकी हुई,, सायद इस आस में की उसका बेटा आएगा,,,
,,,, लेकिन किशन का कहीं कोई पता नहीं था और रामो देवी पूरी रात जागते हुए गुजार देती है,,,,
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