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Incest Bete se ummeed,,

Rajesh Lodhi

New Member
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Update: 10


,,,, किशन ने आज तक हस्तमैथुन नहीं किया था।। किसी औरत के नरम नरम हाथो का स्पर्श अपने लिंग पर उसे,,,,, बहुत ही अच्छा लग रहा था,, आज पहली बार किसी ने उसके,,, लिंग को छुआ था,,,

,,, तारावती जैसे ही उसके नग्न लिंग को छूती है।। तो उसे ऐसा प्रतीत होता है कि जैसे उसने किसी पहवान की कलाइ पकड़ लिया हो,,, और वह उसे आगे से पकड़ कर उसके अंत तक पहुँचने की कोशिश करती है,,,, कुछ देर अपना हाथ पीछे ले जाने के बाद भी उसकी माप नहीं कर पाती और उसके मन में,,,,


,,,, हे भगवान लिंग है या खुटा,,,,, और उसके मन में विचार किया की क्यो ना इस मोटे लिंग का भी मजा लिया जाए,,,,,,

,,,,, किशन बेटा तेरा इतना मोटा और इतना लम्बा कैसे है इसकी भी कसरत करता है क्या,,,,,,,, और समय ना गाबाते हुए उसके कान मे कहती है,,,,

,,,,, बेटा इसे बाहर निकाल ले,,,,, हवा लगने दे,,,,,,

,,,, जी काकी,,,,,, और किशन जैसे ही अपने पाजामे का नाड़ा खोल अपना लिंग बाहर निकता है,,,, तारावती के होश उड़ जाते हैं,,, किशन का लिंग ऐसा प्रतीत होता है जैसे जंगल में कोई किंग कोबरा नाग गुस्से में फैंन उठाए खड़ा हो,,,, उसके लिंग की लम्बाई 9 इंच और मोटाई 3.5 थी जिसे देख तारावती दंग रह जाती है,,, उसने अपनी पूरे जीवन काल में इतना मोटा और इतना लम्बा लिंग आज तक नहीं देखा था,,,,

,,,, किशन की माँ रामो देवी यह सब देख तो नहीं पा रही थी क्योकि किशन की पीठ,,, उसके तरफ था,,,, मगर उन दोनों की बातें उसके कानों में साफ सुनाई दे रही थी,,,,और तारावती पर बहुत गुस्सा भी आ रहा था,,,,,

,,,, रामो देवी,,,, यह रंडी तो मेरे बेटे को बिगाड़ रही है,,, कैसी छिनाल है,, बेटे समान लड़के के साथ,, छि छि,,,,,

,,,, रामो देवी से अब बर्दास्त नहीँ हो रहा था और,,,, वह अपनी साड़ी का पल्लू अपने सर से उतार कर,, अपनी कमर में डाल कर साड़ी और पेटिकोट के नाड़े मे घुसा लेती है,,,, और गुस्से में अंदर घुस जाती है,,,


,,,,, तारावती छिनाल,,,,,, ल,, ल,, तो तु मेरे बेटे को ये सीखा रही है,,,,,

,,,, उसकी आबाज सुनकर किशन और तारावती हदबड़ाते हुए एक दूसरे से अलग हो जाते हैं,,,


,,, और इस हड़बड़ा हट मे किशन जैसे ही घूमता हुआ,, अपनी माँ को देखता है,, तो उसका लिंग उसकी माँ के नजरों के सामने आ जाता है,,,,,,


,,, रामो देवी की नज़र जैसे ही किशन के लिंग पर जाती है,,, तो बो अपनी नजरे तारावती की ओर घुमा लेती है,,,,, और गुस्से में तारावती की गर्दन दबोच लेती है,,,, बोल हराम जादी मेरा ही बेटा मिला है तुझे यह सब करने के लिए,,,, बोल रंडी,,,,,,

,,,, किशन जैसे ही देखता है कि उसकी माँ बहुत गुस्से में है,,, तो अपनी नजरे नीचे कर लेता है,,, नीचे देखने के साथ उसे पता चलता है कि उसका पैजामा गिरा हुआ है,,,, और उसका फनफ़नात लिंग डर की बजह से,,,, सिकुड़ गया था,,,, वह अपने पजामे को जल्द ही उपर कर बांध लेता है,,,,

,,,,,, रामो देवी बोल छिनाल बोलती क्यो नही है,,,,,

,,, तारावती,,,, मुझसे क्या पूछती है अपने बेटे को पूछो,,,, ये ही आया था मेरे पास,,,, अपने दोस्त को लेकर,,,,,,


,,,, रामो देवी यह सुनते ही किशन की ओर गुस्से में देखती है,,,, और उसके पास आ जाती है,,,,, और किशन जो की अपनी नजरे झुकाए खड़ा था,,,, रामो देवी उसे कुछ कहती नहीं और उसके गाल पर थप्पड की बारिश कर देती है,,,,


,,,, नालायक बेशर्म,,, ये संस्कार दिए थे हमने तुझे,,, तु पैदा होते हि मर् क्यू नही गया,,,,

,,, रामो देवी रोते हुए किशन को मार रही थी और किशन के दोनो गाल लाल हो चुके थे,,, किशन चुप चाप मार खाए जा रहा था और कुछ भी सब्द उसके पास नहीं थे अपनी माँ को कहने के लिए,,,,,,

,,, चला जा यहाँ से और आज के बाद मुझे अपनी सुरत् मत दिखाना,,,, जा मर जा कहीं जाकर,,,, चला जा,,,,,, दुर् हो जा मेरी नज़रो से..........


,,,,, किशन चुप चाप वहाँ से चला जाता है,,, और रामो देवी एक बार नज़र घुमाकर तारावती की ओर देखती है,,, बाहर जाने लगती है,,, जैसे ही रामो देवी चलती है,,,,


,,,, रामो देवी इसमें तेरे बेटे का कोई दोष नहीं है,, उसकी उम्र ही ऐसी है कि ये सब लाजमी है,,,


,,, तरवती की बात सुन् रामो देवी के कदम रुक जाते है और बह तारावती की और नज़र घुमाती है,,, रामो देवी गुस्से में,,,,,


,,, तु चुप कर रंडि,,,,,


,,, ये बात सुन् तारावती को भी अब गुस्सा आता है और बह गुस्से में,,,


,,,, अरे जा,,, रोक सकती है तो रोक ले अपने बेटे को,,,, लेकिन याद रखना उसके शरीर में अब कामवासना,,, की आग भड़क चुकी है,,,, और जब ये आग लग जाती है ना,,, तो उसे केवल एक औरत हि शांत कर सकती है,,,, अरे देवी देवता भी इसे अपने बश् मे नहीं कर सके,,, फिर तेरा बेटा तो एक इंसान हैं,,,, और उसकी इस कामा अग्नि को केवल एक औरत ही सांत् कर सकती है,,,, एक माँ कभी नहीं,,,



,, बोल तु या तेरे ये उसे दिए गए संस्कार कर सकते हैं उसे संतुष्ट,,,, ये केवल मैं कर सकती हूँ रामो,,,,, और तु यह जानती है,,,,, तूने अपने जबान बेटे पर हाथ उठाकर अच्छा नहीं किया,,, पछताए गी तू,, देखना,,,,



,,,,, रामो देवी,, उसकी बात सुनकर कोई जबाब नहीं देती और गुस्से में अपने दांत पिसते हुए अपने हाथो की मुठ्ठी बाँध लेती है और बाहर चली जाती है,,,,,




,,,, रामो देवी घर पहुँचती है और और सोचती है कि क्या तारावती सही कह रही थी,,, कहीं उसका बेटा उसे छोड़कर ना चला जाए और अभी तक घर नहीं आया उसके बापू तो सायद अपने दोस्त के घर रुक गए होंगे,,,,,, हे भगबान अब मै क्या करू,,,, नही,, नही मुझे अपने बेटे से माफ़ी मांगनी होगी,,,,



,,, दूसरी तरफ वीर सिंह गुस्से में रामु के घर पहुँचता है,,,, और गुस्से में रामु के घर के बाहर खड़ा होकर चिल्लाता है,,, रामु हरामी तुझे मै दो दिन का समय देता हूँ,, अगर तूने अपनी बेटी मुझे नहीं सौपी तो,,, मै तुझे और तेरे घर को जलाकर राख कर दूँगा,,,,,,,, रामु हरामी,,,,, सुन ले,,,,,



,,,, रामु ये सब कुछ सुन रहा था और बह डर की बजह से घर के बाहर नहीं आता है,,,, रामु की बेटी और उसकी पत्नी भी वीर सिंह की धमकी सुनकर डर जाते हैं,,,,


,,,, रजनी रामु की पत्नी दर कर रामु से कहती,,,,

,,, गीता के बापू अब क्या होगा??????,,,, ये वीर सिंह तो हमारी बेटी के पीछे ही पड़ा है,,,,,



,,,,, गीता जो डर की बजह से कुछ नहीं बोल रही थी और बह अपनी माँ की बाहों मे सीमत जाती है,,,,


,,, रामु तुम डरो नहीं रजनी,,, मै सुबह पंचायत में जाकर इसकी सिकायत करूँगा,, इसका कुछ ना कुछ हल तो निकल हि जाएगा,,,


,,, वीर सिंह कुछ देर चिल्लाने के बाद बहा से चला जाता है,,,,


,,, आधी रात हो चुकी थी और रामो देवी की आँखों में नींद का नामो निशान नहींं था उसकी आँखे दरबाजे पर टीकी हुई,, सायद इस आस में की उसका बेटा आएगा,,,


,,,, लेकिन किशन का कहीं कोई पता नहीं था और रामो देवी पूरी रात जागते हुए गुजार देती है,,,,


,,,,,
Jh
 

Rajesh Lodhi

New Member
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Update: 11..


,,,, सुबह की पहली किरण के साथ चिड़ियों के चहकने की आबाज होती है,,,, और अभी गाँव के लोग अपने अपने खेतों की ओर चल देते हैं,,,,,,


,,,,, एक घने जंगलों में दूर ना जाने क्यू बादलों मे चीलो और कोबो का एक झुंड बहुत तेज आबाज के साथ,,, मंडरा रहा था,,, और कुछ कुत्तो के भोकने की भी आबाज आ रही थी,,,,, जंगल में काम करने वाले किशानो की नज़र जब उन पर जाती है तो,,,,

,,,, एक किशान अरे ये चील्,, और कोए क्या है बहा,,,, सभी खेतों में काम कर रहे किशान उस ओर चल देते हैं,,, जैसे ही वहाँ पहुँचते हैं,, तो देखते हैं की तीन लोगो की लाश एक गहरे गधे मे पड़ी हुई है,,,


,,,, एक व्यक्ति उनमें,,, अरे ये तो अपने रघुवीर काका है,,,,


,,, हाँ भाई लग तो ऐसे ही रहे हैं,,,,, चलो निकालते है उन्हे,,,, सभी किशान एक दूसरे की मदत से उन तीनो की लाश को निकाल लेते हैं और,,,, काली और हरियां की लाश को देखकर पहचान करते हैं,,,,,


,,,,,, उन सभी किशानो मे से एक लड़का बहुत तेज गति से भागता हुआ गाँव की ओर जाता है,,,,

,,,, और इधर रामो देवी जो की नींद की झपकी लेते हुए दरबाजे से उठ कर घर के अंदर जाती है और घर में झाड़ू लगती है,,,,


,,,,, की एक लड़का बहुत तेज गति से भागता हुआ घर के अंदर आता है,,,,, उसकी साँसे दोगुना गति से चल रही थी,,,,,


,,,,, लड़का,,,, काकी,,, काकी,,,,, बो रघुवीर काका को,,,,,,

,,,, काका को क्या,,,, बेटा,,,,, बोल ना क्या हुआ तेरे काका को,,,,,,


,,,,,, काकी बो रघुवीर काका की किसी ने हत्त्या कर दी है,,,, और उनकी लाश पुराने बर्गद् के पेड़ के पास एक खाई मे पड़ी है,,,,,,


,,,,, रामो देवी यह सुनते ही दंग रह जाती है और उसके हाथो से झाड़ू नीचे गिर जाती है,,,, और वह अपना सर पकड़ते हुए नीचे गिर जाती है,,,,,,

,,, हे भगवान तूने ये क्या किया,,,, मै तो बर्बाद हो गई,,,, भगवान,,,, रामो देवी अपना सर पकड़ते हुए रोने लगती है,,,,,,


,,,, तभी ये खबर आस पास के सभी गाँव में हवा की तरह फैल जाती है,,,


,,,, कुछ देर बाद सभी गाँव वाले रघुवीर,, और काली हारिया की लाश को उठाकर गाँव में ले आते हैं,,,, खूंन मे लाल हो चुकी रघुवीर की लाश को उठाकर उसके घर लाया जाता है,,,, और सभी गाँव के लोग आस पास के सभी पंचायत को बुलाने का निर्णय लेते हैं,,,,,


,,,, रघुवीर की लाश को उसके घर लाया जाता है,, रामो देवी अभी भी सर पकड़ते हुए रो रही थी और जैसे ही रघुवीर की लाश उसके सामने आती है,,,, रामो देवी उसे देखते ही बेहोश होकर नीचे गिर जाती है,,,,



,,,,, सभी गाँव बालो ने शाम को पंचायत बुलाने का निर्णय लिया था,,, और उसके पहले सभी गाँव वाले रघुवीर के शरीर का अन्तिम संस्कार करने की तय्यारी में लग जाते हैं,,,


,,,,,, रामो देवी को उठाकर एक चारपाई पर लेटाया जाता है,,,, वह अभी भी बेहोश थी,,,, और उधर किसी,,, से खबर मिलते ही किशन भागता हुआ अपने घर आता है,,,,,,,,


,,,,, किशन अपने बापू की लाश देखकर उसके सीने पर गिर जाता है और रोते हुए,,,,, बापू तेरी कसम खा कर कहता हूँ जिसने भी तुम्हारा ये हाल किया है मै उसे जिंदा नहीं छोडूंगा,,,,, और तेज तेज रोने लगता है,,,,


,,,,, कुछ देर में रामो देवी होश में आती है और अपने बेटे किशन पर उसकी नजर जाति है,,, किशन को देखकर रामो देवी को थोड़ा सा सुकूंन मिलता है और अब उसकी नजरे केवल किशन पर ही टीकी हुई थी,,,,




,,,,, किशन अपने माँ से बहुत नाराज् था और उसे अपनी माँ के द्वारा किया गया अपमान बहुत खल् रहा था जिसकी वजह से उसने अपनी माँ के प्रति अपने मन में नफ़रत भर ली थी,,,,, वह रामो देवी को देखना भी नहीं चाहता था,,,,,,


,,,,, किशन की आखों से आंसू रुकने का नाम नहीं ले रहे थे अपने मरे हुए बापू की सूरत देखकर उसे बचपन से लेकर जबानी तक के सारे दिन याद आ रहे थे,,,,, कैसे उसके बापू ने उसे बचपन से लेकर आज तक पाला है और खुद भूखा रहकर उसे बादम् मेवे खिलाकर एक पहलवान बनाया है,,,, और आज उसके इतना शक्तिशालि होने के बाद भी उसके बापू की सूरत खून में रंगी हुई उसके नज़रो के सामने पड़ी है और वह कुछ नहीं कर सका अपने बापू के लिए।।

,,,,, किशन धिक्कार है मेरी जिंदगी पर धिक्कार है,, मेरे पहलवान होने पर जो मैं अपने बापू के लिए कुछ नहीं कर सका,,,, मगर तेरे इस खून की कसम बापू तेरी इस हत्तिया का बदला मै उस पापी के खून से लूँगा जिसने तेरा ये हाल किया है,,,,,,

,,,, रघुवीर की अर्थी तयार हो गया था और अब सभी गाँव बाले गंगा मैय्या की जय जय कार करते हुए अर्थी उठाते हैं,,, तभी रामु रोता हुआ वहाँ आता है और,, किशन को गले लगाकर रोते हुए कहता है कि रघुवीर का हत्यारे वीर सिंह है,,,, और रामु सभी गाँव बालों को गीता के प्रति वीर सिंह के नीच विचारों के बारे में बता देता है,,, सभी गाँव बालों को अब ये यकीन हो गया था कि रघुवीर की हत्तिया वीर सिंह ने ही की है,,,,


,,,, रामु की बात सुनकर किशन को बहुत गुस्सा आता है और वह अपने आप पर काबू नहीं कर पता किशन गुस्से में घर के अंदर जाता है और एक बड़ी सी कुलाहदी लेकर बाहर आता है,,,,



,,,,,,, मै उस जिंदा नहीं छोडूंगा,,,,,,, और चिल्लाते हुए बाहर जाने ही बाला था कि रामो देवी भागती हुई आती है और किशन का हाथ पकड़ लेती है,,,,,,

,,,,,, नही बेटा रुक जा,,,,, मै तुझे नहीं जाने दूँगी,,,,,, अगर तुझे कुछ हुआ तो मै किसके सहारे जिउँगी मेरे लाल,,,,

,,,, हट जाओ माँ,,,, मेरे रास्ते से और आप को मेरे जीने या मरने से क्या फर्क पड़ता है,,,,,,


,,,, नही मेरे लाल ऐसा नहीं बोलते,,, विधवा तो मै हो ही चुकी हूँ,,, अब मुझे बेसहारा न बना,,,,,


,,, किशन,,,, अपनी माँ के हाथ को अपने कंधे से हटा देता है और अपनी गर्दन दूसरी ओर घूमा लेता है,,, अपने बेटे की अपने प्रति इतनी नफरत देख रामो देवी का दिल टूट गया था और बस असूं बहाये जा रही थी,,,,

,,, पास हि मे खड़ा रामु उन दोनों की बातें सून रहा था रामो देवी को रोता हुआ देख रामु,,, किशन बेटा यह समय होश गवाने का नहीं है,,, तुम्हे अपने बापू का अन्तिम संस्कार करना है और इस समय यही तुम्हारा करत्व है,,,

,,,,, रामु की बातें सुनकर किशन अपने बापू की लाश को देखने लगता है और फिर अपनी माँ को गुस्से से देखते हुए हाथ में पकड़ी कुल्हाड़ी को फेक देता है,,,

,,,, और रामु की ओर देखते हुए,,, मगर रामु काका मैं वीर सिंह को छोडूंगा नहीं,,,,, और अपने बापू की अर्थी को कंधा देते हुए चलने लगता है,,, सभी लोग गंगा मैय्या की जय जय कार करते हुए रघुवीर के शव को ले जाते हैं,,,,

,,,, रामो देवी चुप चाप खड़ी आँखों में आँसू लिए बस किशन को ही देख रही थी और कुछ देर बाद किशन उसकी नज़रो से ओझल हो जाता है,,,,,,


,,, सभी गाँव वाले रघुवीर के शव को लेकर गंगा घाट पर आ जाते हैं और उसके दह्ह् संस्कार की तय्यारी करते हैं,,,,,,,

,,, दूसरी तरफ गाँव की सभी औरते रघुवीर के घर पर,,,, रामो देवी के सभी सिंगार उतारने लगती है,,,,
Sun liya aakhir
 

Rajesh Lodhi

New Member
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Update:,, 12..


,,,,, रामो देवी को पकड़कर कुछ औरत घर के अंदर ले जाती है,,, और एक बड़ी सी चौकी पर बैठाकर सबसे पहले उसके हाथों में पहनी लाल लाल चूड़ियों को तोड़ दिया जाता है,,,,, रामो देवी बेजान पुतले की तरह खड़ी होती है,,


,,,, और फिर एक औरत रामो देवी की साडी निकलती है,,, यह सब होते हुए पास मे खड़ी रामो की शहेली केलो और उसकी दुश्मन तरावती बड़े ही गौर से देख रही थी,,,, और जैसे ही रामो देवी के सर से सड़ी धीरे धीरे खिसकती हुए उसके वक्षों से नीचे गिरती है,,, केलो और तरावती की आँखों में चमक आ जाती है,,,




,,,, सभी की नज़र रामो देवी के ब्लाउच् मे कैसी हुई उसकी स्तनो पर जाती है जो इस प्रकार उभरे हुए थे जैसे दो नुलीले पहाड़ो की चोटी,,, के बीच में एक गहरी खाई उसके गद्राये बदन को देखकर सभी की आँखो में चमक आ जाती है,,,,


,,,, कैसे लम्बी और गद्राई बदन की हैं लगता है रघुवीर इसे सही से निचोड़ नहीं पाया अब इसकी इस जवानी का क्या होगा,,, (तरावती अपने मन में विचार करती है),,,,,, रामो देवी की सुंदरता देख न जाने क्यू तरावती को ईर्षा हो रही थी,,,


,,,,,,, केलॉ देवी मन में,,,,, ऐसा लगता है जैसे अभी जवानी चढ़ी है इसपे इतनी मोटी और तनी हुई छाती तो मेरी जवानी में भी नहीं थी,,,, क्या रघुवीर ने इसकी,,, छातियों का रस् नही पिया जो इतनी भरी हुई है,,,,,


,,,, फिर एक औरत रामो देवी के बाल खोल देती है पेटीकोट और बिलौच मे खड़ी रामो देवी के सर से पानी गिराते है,,, सर से पानी गिराते ही माँग मे भरा हुआ अपने पति के नाम का सिंदूर बह जाता है,,,


,,,,, और उभरी हुए स्त्नो से गिरता हुआ पानी ऐसा लगता है जैसे किसी पहाड़ी से बहता हुआ झरना,,,,


,,,, रामो देवी के सभी आभूषण धीरे धीरे निकाल लिए जाते हैं और फिर उसे एक सफेद साड़ी पहनाकर घर के बीच में एक जलते हुए चिराग के सामने बैठा दिया जाता है,,,,,,,

,,,, और अब किशन अपने बापू की अस्थियो को गंगा मे विश्र्जीत कर सभी गाँव वालो के साथ घर बापिस लौट आया था,,,,

,,, दोपहर का समय हो चुका था और शाम को एक महापंचायत होने वाली थी,,,,, लेकिन किशन और उसकी माँ रामो देवी ने सुबह से कुछ भी नहीं खाया था,,,


,,, किशन के घर में सभी गाँव की औरते रामो देवी के चारों ओर मौंन धारण किए हूए बैठी थी,,,


,,,, सभी गाँव के लोग रघुवीर के घर बापिस लौट आये थे किशन अपने बापू की यादों में खोया हुआ चुप चाप सभी गाँव वालो के पीछे पीछे चल रहा था,,,

,,,, सभी गाँव वाले और सभी औरते शांति की मुंद्रा मे खड़े होकर कुछ शर्ण का मोंन् धारण करते हैं,, किशन सभी गाँव वालो के पीछे खड़ा हुआ चुप चाप अपने बापू को याद कर आँसू बहा रहा था,,


,,, मौंन धारण पूरा होने के बाद सभी गाँव वाले पंचायत का नीयोता देने के लिए सभी अलग अलग गाँव में चले जाते है,,,,


,,,,, रामू किशन से,,,,,,, किशन अब इस घर की जिम्मेदारी तुम्हारे कंधों पर है बेटा,,,

किशन: जी रामु काका,,,,,


,,,, तभी तरावती,, किशन के कंधे पर हाथ रखकर और रामो देवी की जिम्मेदारी भी तुम्ही को लेनी है बेटा,,,

,,,, अपनी माँ का नाम सुनते ही किशन गुस्से में अपनी माँ को देखता है मगर सभी गाँव की औरतो के बीच में बैठी उसकी माँ उसे दिखाई नहीं देती है,,,, और बह तरावती को कोई जबाब न देकर गुस्से में अपने हाथ की मुठ्ठी बाँध लेता है,,,,

,,, किशन को पंचायत में आने के लिए कहकर सभी गाँव वाले अपने अपने घर बापिस लौट आये थे और केलो देवी किशन और रामो देवी के लिए खाना बनाने मे लग जाती है,,,,,

,,, गाँव बालों के जाते ही किशन की नज़र अपनी माँ पर जाती है,,, अपनी माँ को देखते ही किशन को जैसे दिल में धक्का सा लगता है,,,


,,, एक जालिदार सफेद साड़ी में लिपटी उसके माँ के माथे पर ना ही बिंदी थी ना मांग मे सिंदूर होठों की लाली तो कब की उड़ चुकी थी कानों में बस छोटी सी बाली थी नाक में पहनी हुई लोग भी नहीं थी,,,,,


,,,, अपनी माँ को इस रूप में देखकर किशन का दिल दहल् जाता है और वह अपना सारा गुस्सा एक पल् मे भूल जाता है,,,, अरे किसकी माँ अपने बेटे को नहीं मारती अगर उसका बेटा कोई नीच हरकर करे तो,,, गलती मेरी ही थी और मैं ही उल्टा माँ से नाराज होकर चला गया,,,,, कितनी सुन्दर लगती थी मेरी माँ और आज इस रूप में,,,, वीर सिंह कुत्ते मैंने भी तेरे शरीर के टुकडे टुकड़े करके चील कोवौं को नहीं खिलाया तो मै भी रघुवीर की औलाद नहीं मेरी माँ की इस हालत का जिम्मेदार तु ही है हरामी,,,,

,,, रामो देवी किसी सदमे में चुप चाप बुद्ध बनी बैठी हुई थी,,,, किशन अपनी माँ के पास आकर बैठ जाता है,,,


,,, किशन,,, माँ,,, माँ,,, ओ माँ,,,


,,, रामो देवी,,, के तो जैसे कानों में आबाज ही नहीं जाती और वह किशन की बात का कोई जबाब नहीं देती,,,,

,,,, किशन इस बार अपनी माँ के कंधे पर हाथ रखकर उसे हिलता है,,,,

,,, किशन,,, माँ...... ओ माँ...... उठो माँ अंदर चलो,,,,,


,,, किशन के इस प्रकार काँधे हिलाने से रामो देवी जैसे किसी सपन से जागती है,,,, और एक नज़र अपने बेटे पर डालती है,, किशन भी अपनी माँ की आँखों में ही देख रहा था,,,, माँ के होश में आते ही,,,


,,,, किशन,,, मुझे माफ कर दे माँ मैने तुम्हे गलत समझा और तुम पर गुस्सा भी किया मुझे माफ कर दे,,,, और अपनी माँ के सामने घुटनों के बल् हाथ जोड़कर रोने लगता है,,,,

,,, अपने बेटे को इस प्रकार हाथ जोड़कर रोता देख रामो देवी का दिल कांप जाता है,,,, और वह रोते हुए किशन को गले लगा लेती है,,,,

,,,,, नही मेरे बच्चे तु मुझसे माफ़ी ना मांग मैने तुझे मारा माफ़ी तो मुझे मांगनी चाहिए,,,, तुझे दर्द दिया मैने,,,


,,,,, किशन नहीं माँ गलती मेरी थी,,, और मुझे उसकी सजा मिल गया,,,,

,,,,,, किशन की बात सुनकर रामो देवी उसकी बाहों में और सिमत जाती है,,,, जैसे कोई बच्चा दूध पीने के लिए अपनी माँ की गोद में सिमत् जाता है,,,,,,

,,,, रामो देवी के इस प्रकार चिपकने से किशन को अपनी छाती पर कुछ चुभता हुआ मेहसूस होता है,,, जो की दो गेंद् की तरह हो और उन गेंदों मे डो गोली चिपका दी गई हो,,,,


,,,,, किशन को जैसे ही महसूस किया की यह क्या है,,, उसने अपनी नजरे निची कर देखना चाहा किशन ने देखा की उसकी माँ के दोनों ठोस वक्ष उसकी छाती मे धसे हूए है,, और जिसकी वह चुभन मेहसूस कर रहा था बो बड़े मोती जैसे उनके तूंने थे,,,, उन दोनों के बीच में गहरी घाटी,,,,,

,,,, यह देख किशन के उपर ना चाहते हुए भी काम वासना ने अपना प्रहार महाप्रलय के रूप में किशन पर किया और उसका नतीजा यह हुआ की किशन का लिंग उसके पाजामे मे अकड़ने लगा,,,,

,,,,, किशन के मन में न जाने क्यू पुस्तक में देखी गई नग्न स्त्रि का चित्र आ गया और वह सोचने लगा की क्या उसकी माँ के भी,,,,


,,, नहीं,,, नहीं, छी.... छी, छी.... ये मैं क्या आखिर उस पुस्तक को मैं क्यों नहीं भूल पा रहा हूँ,,,,,

,,,, रामो देवी को तो जैसे अपने बेटे की बाहों मे बड़ा ही सुकूंन मिल रहा था उसे तो ऐसा लगता है जैसे किशन कई बर्षो के बाद लौटा है,,,,,


,,,,,,
Vasna to aaygi
 

Rajesh Lodhi

New Member
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Update: 13



,,,,,, किशन अपनी माँ को गोद में से पीछे कर,,,, चलो माँ अन्दर जाकर चारपाई पर लेटना,,, मै तब तक तुम्हारे लिए केलो काकी के घर से खाना लाता हूँ,,, और अपनी माँ को गोद से दूर कर खड़ा हो जाता है,,,,


,, रामो देवी मुझे भूख नहीं है बेटा तु खा लेना,,,,

,,,, माँ क्या तुम सिर्फ बापू के लिए ही जी रही थी और


,,,, मै कुछ नहीं तुम्हारे लिए,,,,,

,,, नही मेरे लाल ऐसा नहीं कहते अब तु ही मेरा सहारा है,,, जा तु खाना ले कर आ मैं खा लुंगी थोड़ा,,,,, सा,,,,

,,,,, और इन पशुओं को भी चारा डाल दे सुबह से भूके है,,,,

,,, अपनी माँ की बात सुनकर किशन पशुओं की ओर देखता है,,, और रामो देवी खड़ी हो जाती है,,, रात भर जागने और कुछ न खाने की बजह से उसे खड़े होते ही चक्कर आने लगते हैं,,, उसका शरीर बेजान होकर गिरने ही बाला था, तभी किशन उसे अपनी मजबूत बाजुओ मे थाम लेता है,,,,

,,, रामो देवी एक भरे हुए और बजनी शरीर की औरत थी,,,,, उसके गद्राये हुए शरीर को संभलने की शक्ति हर किसी मे नहीं थी,, मगर जिसने दंगल में 200, किलो के पहलवान को उठाकर पटक दिया हो उसके लिए तो वह एक फूल के समान ही थी,,,,

,,,,, किशन अपनी माँ को अपनी मजबूत बाजुओ मे उठा लेता है,,, जिसकी वजह से उसके दोनों वक्षो से जालीदार सफेद साड़ी उतर जाती है,,, और न चाहते हुए भी किशन की नज़र अपनी माँ के नुकीले और पहाड के समान उठे हुए वक्षों पर चली जाती है,,,



,,,, रामो देवी के खुले हुए काले और घने बाल इस प्रकार लटके हुए थे,, जैसे किसी तार पर किसी ने कोई काली रंग की साड़ी डाल दि हँ और वह धरती पर लगती हुई हवा में हिल् रही हो,,,,,


,,, किशन कुछ देर अपनी माँ के बक्षो को देखता है और उसके मन में गलत विचार आते ही वह अपनी नजरे वहाँ से हटाकर तुरंत अपनी माँ के मासूम से चेहरे की ओर देखने लगता है,, और अपनी माँ के चेहरे पर नज़र टिकाए उसे गोद में लिए घर के अंदर जाने लगता है,,, रामो देवी के मासूम चेहरे को देख किशन,,,, कितनी सुंदर लगती थी मेरी माँ जब उसके शरीर पर सिंगार के सारे आभूषण होते थे,, और आज एक भी नहीं,,,,,,,


,,,,, और किशन अपने दांत को पिसते हुए वीर सिंह जब तक तेरा खून ना पी लू मुझे चन् नही मिलेगा तुझे तो मै बो मोत् दूँगा की तेरी रूह भी कांप उठेगी,,,,,


,,,,,, तभी रामो देवी की आँखे खुलती है और वह आज पहली बार अपने आप को किसी की मजबूत बाजुओ मे मेहसूस करती है,,, क्योकि रघुवीर ने कभी भी उसे गोद में उठाने की हिम्मत नहीं जताई थी,,, और उसे इस प्रकार उठाना रघुवीर के सायद बस मे ही न हो,,,,, रामो देवी देखती है,, की किशन उसे किसी बच्चे की तरह अपनी गोद में लिए चल रहा है,,, उसे अपने बेटे की ताकत पर बड़ा गर्व होता है,,


,,,, और वह किशन की नजरो मे देखती है जो उसे ही देख रहा था,,,,


,,,, और अपने बेटे की नजरो मे देखकर उसे ना जाने,,,, क्यु अजीब सा मेहसूस होता है,,,,

,,, क्या हुआ किशन कहाँ ले जा रहा है मुझे इस प्रकार,,,,,

,,,, किशन उसकी आँखो में देखते हुए,,, बो,,, बो,,, माँ तुझे चक्कर आ गया था जिसकी वजह से तुम गिरने वाली थी इसलिए मैने तुम्हे,,,,


,,,,,,,,,,, अपने बेटे को इस प्रकार अपनी नज़रो मे देखकर रामो देवी,,,, ऐसे क्या देख रहा है तु,,,,


,,,,,, माँ तुम्हारे चेहरे पर अब एक भी आभूषण नहीं है मुझे अच्छा नहीं लग रहा है,,,,,


,,,, रामो देवी को इस प्रकार की बात सुनकर बड़ी सर्म आती है और वह अपनी गर्दन दूसरी ओर घुमा लेती है,,,,,


,,, और शर्मा कर कहती है,,,,, तु उतार मुझे और जाकर पशुओं को पानी पीला दे और चारा भी डाल देना,,,,,


,,, रामो देवी की बात सुनकर किशन अपनी माँ को एक चारपाई पर लेटा देता है और अपनी गर्दन जुकाकर पशुओं को चारा पानी देने चला जाता है,,,,

,,,, तभी रामो देवी की शहेली केलॉ देवी खाना लेकर आती है,,,,, सीधा घर के अंदर आ कर रामो देवी के पास बैठ जाति है,,,



,,,, ले रामो खाना खा ले सुबह से कुछ भी नहीं खाया है तूने,,,,,


,,, नही मुझे भूख नहीं है,, किशन को खिला दो,,,,


,,, अरे भाई उसे भी खिला दूँगी,,, अब देख जो होना था बो तो हो गया,,,, मरना तो सभी को है एक दिन,,, अब ऐसे खाना ना खाने से क्या होगा,,, चल खाना खा ले,,,,,



,,,,,, तभी किशन अंदर आता है,,,, क्या हुआ काकी,,,

,,,,,, देख ना बेटा तेरी माँ खाना नहीं खा रही है,,,


,,,,, काकी तुम ये खाना मुझे दे दो मैं माँ को खिला दूंगा,,,


,,, kelo देवी,,, ठीक है बेटा मैं जाती हूँ अपनी माँ का ख्याल रखना बेटा,,,,

,,, जी काकी,,, मै देख लूँगा,,,, kelo देवी वहाँ से चली जाती है,,,,,

,,,,
Uda liya
 

CHAVDAKARUNA

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Sandaaar story
 

adirin

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Marriage jaldi karao
 

adirin

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रामो: क्या कर रहे हो.. अब तो जाने. दो ना..

किशन: एक बार इन होठों की प्यास . तो बुझा दो....

रामो: बस प्यार से चूम लो.... चूसना नहीं...

"किशन अपने शरीर में आज जो ,, उत्तेजना महसूस कर रहा था उसका एहसास उसने गीता के साथ भी नहीं किया था इस प्रकार का आनंद उसे गीता के साथ संभोग करने के बाद भी नहीं मिला था जो वह अपनी ही मां के साथ महसूस कर रहा था इसलिए वह अपनी मां के बदन को,, पीसते हुए उस पर छाया जा रहा था.. किशन की मां को अपने बेटे के नीचे दबने का एहसास हो रहा था उसकी योनि अंदर ही अंदर कांप रही थी,, उसे अपनी योनि में एक अजीब सी बेचैनी महसूस हो रही थी कि क्या उसकी योनि किशन का लिंग का सामना कर पाएगी क्या वह उसे अपने अंदर समा, लेगी,,
 

adirin

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रामो: क्या कर रहे हो.. अब तो जाने. दो ना..

किशन: एक बार इन होठों की प्यास . तो बुझा दो....

रामो: बस प्यार से चूम लो.... चूसना नहीं...

"किशन अपने शरीर में आज जो ,, उत्तेजना महसूस कर रहा था उसका एहसास उसने गीता के साथ भी नहीं किया था इस प्रकार का आनंद उसे गीता के साथ संभोग करने के बाद भी नहीं मिला था जो वह अपनी ही मां के साथ महसूस कर रहा था इसलिए वह अपनी मां के बदन को,, पीसते हुए उस पर छाया जा रहा था.. किशन की मां को अपने बेटे के नीचे दबने का एहसास हो रहा था उसकी योनि अंदर ही अंदर कांप रही थी,, उसे अपनी योनि में एक अजीब सी बेचैनी महसूस हो रही थी कि क्या उसकी योनि किशन का लिंग का सामना कर पाएगी क्या वह उसे अपने अंदर समा, लेगी,,
 
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