Update: 18
।। किशन ने रामो देवी को बचा तो लिया था मगर वह अपनी माँ से गुस्सा था, और उससे कोई भी बात करना नहीं चाहता था,, इसलिए अपनी माँ को बिना देखे और कुछ ना कहकर वह वहाँ से जाने लगता है,, रामो देवी देखती है कि उसका बेटा उससे अभी भी नाराज है, और वह फिर से उसे छोड़कर जा रहा है। नही अब मैं उसे नहीं जाने दूँगी,,, और अपने कपड़ो को बिना सही किए ही भीगा बदन लेकर भागती हुई किशन को पीछे से अपनी बाहों मे भर लेती है, वह ये भी भूल गई थी कि उसके शरीर पर तन ढकने के लिए बहुत कम ही कपड़े बचे हुए है,,
।। रामो देवी लंबी साँसे लेते हुए कहती है,,
रामो देवी: नही मेरे लाल अब मुझे छोड़कर ना जा इतने दिन तेरे बिना एक जिन्दा लाश की तरह जी रही थी मै,,,
।। किशन देखता है कि उसकी माँ की साँसों की गति बहुत तेज हो रही है जिसकी वजह से उसके स्तन किशन की कमर में रगड रहे हैं,, जिसकी रगड और गर्मी से किशन को एक अजीब सा आनंद मिलता है,,
किशन: नही माँ मैं तुम्हारे साथ नहीं रह सकता,,
रामो देवी:: मुझे माफ कर दे किशन मैंने तुझ पर हाथ उठाया,, मगर इस की इतनी बड़ी सजा ना दे,,, अब मै तुझे कभी नहीं मारूंगी और जल्द तेरी शादी गीता से कर दूँगी फिर तुझे उस रंडी तारावती के पास,,,
।। इतना बोल कर रामो देवी चुप हो जाती है और किशन को छोड़कर सर जुकाकर खड़ी हो जाती है,, किशन देखता है कि उसकी माँ सर जुकाकर खड़ी है,, वह उसकी तरफ घूम जाता है और अपनी माँ को उपर से नीचे तक निहारता हैं भीगे हुए बदन में सर से।।।।गिरता हुआ पानी और चेहरे पर मासुमियत और नाक में किशन की पहनाई हुई नैथनी रामो देवी इस समय स्वर्ग की रम्भा के समान लग रही थी जीसे देख कर किसी शाधना मे बैठे मुनि की भी सिद्धि भंग हो सकती थी,, फिर किशन तो एक जवान लड़का था,, किशन अपनी माँ के पास जाकर,,, धीरे से,,
किशन: मै तुझे छोड़कर कहीं नहीं जाऊंगा बस एक बार मेरी इच्छा पूरी कर दे,,,
रामो देवी: शर्मा कर,, क्या,,, है बोल,,
किशन: मुझे तेरा चेहरा मन भर के देखना है,,
,,, किशन की बात सुनकर रामो देवी अपने मन में ऐसा क्या है मेरे चेहरे मे,,, और शर्मा कर कहती है,,,
रामो देवी:: ठीक है,, घर चल कर देख लेना,,,
किशन:: अपनी माँ के ओर पास आ जाता है,, और।। नही मुझे अभी देखना है,,,
रामो देवी: अभी,,, और उसके कुछ कहने से पहले ही किशन उसके झुके हुए सर को उठता है,,, रामो देवी अपनी आँखो को बंद कर लंबी लंबी साँसे लेती है,,,।।
किशन: माँ तुम बहुत सुंदर हो,,,,
रामो देवी:: सी सी,,,,, बस,,
,, नही
किशन: अपनी आँखे खोलो ना,,
रामो': नही मुझे शर्म,,,,,
किशन: बस एक बार मेरे लिए,,, और रामो देवी अपनी आँखे धीरे धीरे खोल देती है,,, आँखे खुलते ही किशन की आँखों से मिलती है।। और दोनो एक दूसरे की आँखों में खो जाते हैं,,,
किशन: अपनी ऊँगली से रामो देवी के होंठों को सहलाते हूए कहता है,,, मुझे इन रसीले होठों का रस पीना है,,, मां
,, किशन की बात सुनकर रामो देवी अपने बेटे को एक जटके से गले लगा लेती है और लंबी साँसे लेने लगती है,,, किशन की बात का कोई जबाब नहीं देती किशन फिर से उसके कान मे धीरे से कहता है।।।
किशन: बोलो मां पिलाओगी ना चूसने दोगी ना मुझे अपने रसीले होठों को,,
रामो देवी:: हाँ,,,, जी,, जी,,, पी लेना घर चलके,,,,
,,, अपनी माँ के मूह से अपने लिए जी सब्द सुनकर किशन को बहुत अच्छा लगता है,, और वह अपनी माँ के चेहरे को अपने हाथो में लेकर उसकी आँखो में देखते हुए कहता है,,
किशन: एक बार फिर से कहो,,
रामो देवी: क्या,,
किशन:: वही जो अभी तुमने कहा था,, जी,,
,, किशन की बात सुनकर रामो देवी शर्मा जाती है और अपना सर झुकाना चाहती है मगर किशन ने उसके चेहरे को अपने हाथो में पकड़ लिया था जिसकी वजह से वह अपनी गर्दन झुका नहीं पाती,, और नजरे झुका लेती है,, किशन की आँखो में देखते हुए अपने बेटे को जी कहना उसके लिए मुस्किल था,,
रामो देवी: नज़र झुका कर,, नही,, मुझसे,,
किशन: तुझे मेरी कसम हैं,,,,
,, किशन के कसम देने के बाद रामो देवी सर जुकाकर अपने लरजते होठों से काँपती हुई आबाज मे कहती है,,
रामो देवी:: ए,, ए,, जी,, जी,,, जी अब बस भी,, करो,, और घर चलो मुझे ठंड लग रही है,,,
किशन: फिर से अपनी माँ के कान के पास आकर धीरे से कहता है,,,,
किशन:: घर जाकर अपने होठों का रश् पिलाओगी ना,,,
,,, किशन की बात सुनकर रामो देवी फिर से शर्मा जाती है और चुप रहती है,,,
किशन: बोल ना पीलायेगी ना,,
रामो देवी: हा,,,
,,,, फिर दोनों उन तीनो आदमी को बेहोश जंगल में छोड़कर अपनी बग्गी लेकर घर आ जाते हैं,, जैसे ही किशन घर पहुचाता हैं वह देखता है कि उसके घर काफी लोगो की भीड़ है जिनमें कुछ औरते भी थी ये सब किशन के रिस्तेदार थे जो रघुवीर की तेहरबी मे आये थे और सभी रामो देवी और किशन का ही इंतजार कर रहे थे,, उन लोगों मे कुछ गाँव वाले भी थे जो किशन को घर आता देख बड़े खुश होते हैं,, और सभी किशन से अलग अलग सबाल पूछते हैं,, सभी किशन के चारो तरफ खड़े थे,,
,,, रामो देवी घर के अंदर जाकर सबके लिए खाने का प्रबंध करती है और सबसे किशन के मिलने के बारे में बताती है,, किशन तो बस अपनी माँ को ही देख रहा था और उसका ड्डेयाना केवल रामो देवी के रसीले होठों पर था,,की कब रामो देवी उसे अपने होठों का रसपान कराएगी और वह उसके होठों से सारा रस निचोड़ निचोड़, कर पी लेगा,, किशन इसी तलाश में था कि उसकी माँ उसे बस एक बार अकेली मिल जाए मगर घर में आए सभी मेहमानों की मोजुदगी मे ये मुमकिन नहीं था,,,।।। सभी लोग रघुवीर की तेहरबी की तय्यारी। मे लगे हूए थे। और किशन को जब कोई मौका नहीं मिलता अपनी माँ को अकेले मिलने का तो,,, वह निराश होकर अपने दंगल की पचायत मे चला जाता है,,।।
,, रामो देवी किशन को जाते देख लेती है और उससे पूछती है कि कहाँ जा रहा है,, किशन अपनी माँ को बताता है कि वह दंगल में जा रहा है जो उसका रोज का काम था,, किशन चला जाता है और रामो देवी अपने मन में,,, आज अगर मेरा बेटा नहीं मिलता तो मेरी जिंदगी नर्क बन जाती और मेरे पास आत्म हत्तिया करने के अलग और कुछ नहीं होता,, मगर जो किशन मेरी साथ करता है क्या बो सही है, या वो इस प्रकार की बातों से अंजान हैं,, एक माँ बेटे के बीच ये सब पाप माना जाता है और उन लोगों को तो समाज में भी जगह नहीं मिलता जो ये रिश्ता कायम करते हैं,, मगर किशन को कैसे समझाऊँ कहीं फिर से गुस्सा होकर चला गया तो,, नही, नही,, होठों को ही,,, बोला है,, उसने,, और खुद से शर्मा जाती है,,, तभी उसे कोई औरत आबाज देकर अंदर बुलाती है।। और रामो देवी फिर से घर के काम मे लग जाती है,,,
।।,, किशन को जाए शाम हो चुकी थी और रामो देवी सभी काम करने के बाद घर आये सभी लोगो का बिस्तर घर के पास बनी जोपडी मे लगा देती है और अभी मेहमान आराम करने जोपदी मे चले जाते हैं,, कुछ औरते रामो देवी के साथ ही रूकती है,, रामो देवी पशुओं के लिए चारा लेकर पशुशाला मे चली जाती है जहाँ केवल किशन सोता था,, तभी किशन घर आता है और अपनी माँ को देखता है रामो देवी उसे कहीं नजर नहीं आती है, तो वह एक औरत से
किशन: काकी माँ कहाँ है,,
औरत:: बेटा तेरी माँ पशुओं को चारा डालने गई है,,
,,, औरत की बात सुनकर किशन पशुशाला मे चला जाता है और अपनी माँ को चारा डालते हूए देख उसके पास जाकर खडा हो जाता है,, चारा डालने के बाद रामो देवी जैसे ही पीछे मुड़ती हैं, तो उसे किशन नज़र आता है जो की उसे ही निहार रहा था,, किशन को इस प्रकार देखते हुए रामो देवी शर्मा जाती है, और अपनी गर्दन झुकाए सर पे रखे साड़ी के पल्लू को अपने दांतों मे दबाकर जाने लगती है उसे मालूम था कि किशन उससे क्या चाहता है,, जैसे ही रामो देवी चलती है। किशन उसका हाथ पकड़ लेता है,, हाथ पकड़ ते ही रामो देवी के दिल की धड़कन बड़ जाती है और वह सोचती है कि किशन कहीं कोई गलत हरकत ना कर दे,,,
किशन: अपनी शर्मीली माँ का हाथ पकड़ कर कहता है,,, कितना और पियासा रहना होगा,,, माँ
,,, रामो देवी किशन की बात सुनकर खुद की साँसों को संभालते हूए कहती है,,
रामो देवी: प्यासा क्यू हैं मेरे लाल मैं अभी तेरे लिए पानी लेकर आती हूँ,,,
,,, रामो देवी की बात सुनकर किशन उसे एक झटके से खीचकर अपनी बाहों में भर लेता है और उसके चेहरे से पल्लू हटाकर उसकी आँखो में देखता है और फिर,,
किशन: ये प्यास पानी की नहीं हैं माँ जो पानी से बुझ जाए,, ये प्यास तो तेरे रसीले होठों का रस पीकर ही बुझेगी,, और अपनी माँ के होठों पर उंगली से सहलाता है,,,
,,, रामो देवी को किशन की बात सुनकर बड़ी शर्म अति हैं और वह शर्म से पानी पानी हो जाती,,,, क्योंकि इस प्रकार की बात तो रघुवीर भी उससे कभी नहीं करता था लेकिन आज उसका बेटा जो की उसका खून है जिसे उसने नॉ महीने अपनी कौक मे रखा है,, आज वह बड़ा होकर उसके होठों का रस पीना चाहता है उसके होठों का रस पान करने के लिए अपनी ही माँ से अनुमति ले रहा है।।
रामो देवी:, किशन तु ना कुछ भी,,,,,,
किशन,,, मुझे इन होठों का रस पीना हैं माँ बोल पिलायेगी ना,,,,,
रामो देवी,, किशन छोड़ मुझे कोई देख लेगा,,,, बेटा,,,,
किशन: पहले मुझे अपने होठों को,,,,
,,,, रामो देवी देखती है की किशन नहीं मानेगा,, तो वह लरजती हुई आबाज मे कहती है,,,
रामो: ठीक है,, जल्दी कर से कर ले,,,, कोई देख ना ले,,, राम जी,,,,
किशन: माँ मुझे तेरे रसीले होठों को जी भर के पीना हैं,,, जल्दी कुछ नहीं,,,,,,
,,,, रामो देवी को डर था कि कोई इस प्रकार उसे देख ना ले नहीं तो उसकी बहुत बदनामी होगी,,, इसलिए वह दरती हुई कहती है।।
रामो देवी: किशन जिद्द ना कर,,, मेरे लाल,,,
किशन: नही माँ तुझे मेरी कसम है,,, बोल पिलायेगी ना सारा रस इन होठों का,,,
,,, रामो देवी देखती है कि किशन फिर से गुस्सा ना हो जाए और उसे छोड़कर,,, नही,, नही,,, और वह तुरंत किशन से कहती है,,, जो की उसकी आँखो में देख रहा था कि उसकी माँ कब जबाब देगी,,,,
रामो देवी:: हाँ पिलाऊँगी जी,,,, सारा रस पी लेना,,,,
किशन: कब,,, माँ
रामो देवी: रात को सबके सोने के बाद अभी मुझे जाने दो सब देख रहे होंगे बहुत देर हो गई है,,,, तभी कोई रामो देवी को आबाज देता है,,,
,,, रामो,, ओ रामो,, अरे कहाँ है,, तु,,
,,, आबाज सुनकर रामो देवी किशन से अलग हो जाती है और किशन अपनी माँ का हाथ फिर से पकड़ कर कहता है,,,
किशन: रात को पक्का आओगी ना माँ,,,,
रामो देवी: हाँ अब छोड़ मुझे जाने दे,,, और किशन से हाथ छुड़ाकर चली जाती है।।
,,, रामो देवी के बाहर आते ही वह औरत अरे कहाँ रह गई थी मेहमानों को खाना खिला दो और किशन कहाँ है उसे भी बोल दे,, की सब को खाना खिला दे,,,, और फिर सब आराम करे,,,,
,,,, औरत की बात सुनकर रामो देवी किशन को आबाज लगाती है और किशन को साथ लेकर सभी मेहमानों को खाना खिलाती हैं।। सभी खाना खाकर अपने अपने बिस्तर पर चले जाते हैं,,, और रामो देवी कुछ औरतो के साथ घर के अंदर सोने चली जाती है,, किशन अकेला पशुशाला मे सोने चला जाता है,,, और सबके सोने का इंतेजार करता है कि सबके सोने के बाद उसकी माँ उसके पास आएगी,,,।।।।
,,, रामो देवी नीचे बिस्तर पर लेटती है और उसके पास तीन और औरते लेती हुई थी,,, जो रामो देवी से लगातार बातें किए जा रही थी,, क्योकि जब चार औरते मिलती है तो वह नींद काम काज खाना पीना सब भूल जाती है,, उन्हे तो बस बातें ही याद आती है,,,,,, काफी रात हो चुकी थी,,, लेकिन किशन की आँखों में नींद का कोई नाम नहीं था और रामो देवी इस लिए जाग रही थी कि अगर वह किशन के पास नहीं गई तो उसका बेटा उससे नाराज हो जाएगा जो बह नहीं चाहती थी,,, इसलिए वह सब के सोने की प्रतिक्षा कर रही थी,,।।।।
।।। और इधर पशुशाला मे किशन को उसके मन मे चल रहे उतेजक प्रभाब ने उसकी नींद उड़ा रखी थी।। वह जानना चाहता था कि उसकी माँ और तारावती के होठों मे किसके होठ ज्यादा मीठे है,, ये सोच कर किशन की बेचैनी और बड़ जाती है और वह और इंतेजार नहीं कर पाता किशन पशुशाला से निकलने लगता है,,, और इधर रामो देवी के पास सभी औरते सो चुकी थी और रामो देवी भी चुपके से सर पर पल्ला रखे किशन के पास आ रही थी,,,, दोनो जैसे ही पशुशाला और घर के बीच में आते हैं,, तभी दोनों की नजरे मिलती है और दोनों एक दूसरे को देखते रहते हैं
रामो देवी चुप खड़ी किशन को ही देख रही थी,, मगर कुछ कहने की हिम्मत उसमे नहीं थी कुछ देर बाद किशन धीरे धीरे कदमो से अपनी माँ के पास जाता है जिसे देख रामो देवी की दिल की धड़कन और तेज हो जाती है,,
।। किशन रामो देवी के पास आकर उसकी आँखो में देखते हुए कहता है,,
किशन: इतना ना तड़पा की मेरी जान ही निकल जाए,,,
,,,, किशन की बात सुनकर रामो देवी,,,
रामो देवी: कांपते होठों से,,,, बो सब जाग रहे थे इसलिए मैं,,,,
,,, किशन उसके होठों पर उंगली रखकर उसे पीछे बनी दीवार से लगा देता है और,,,, उसकी आँखो में देखते हुए कहता है,,,
किशन:: उसके होठों को देखते हुए,, सी,,, अब तो इनका रस पीला दे,,,,
रामो देवी:: अंदर चलो ना कोई देख ना ले,,,
किशन:: नही तु हाँ या ना बोल,,,
,, रामो देवी देखती है कि किशन को गुस्सा आ रहा है,, वह,,
रामो देवी:: ठीक है,, जल्दी करना,,,, किशन
किशन:: उसके होठों के पास अपने होठों को लाता है और रामो देवी की अॉंखो मे देखकर,,,
,,, किशन नहीं माँ जी,,, बोल्,, अभी,,,
रामो देवी:: ए,,,, जी,,, ठीक है,,,
ओर किशन रामो देवी के दोनों होठों को एक साथ अपने होठों मे समा लेता है,,,,,,,
।।। रामो देवी तो शर्म और लाज से धरती मे गदी जा रही थी,, मगर किशन को बहुत अच्छा लग रहा था वह रामो देवी के होठों को किसी दशरी आम की तरह चूस रहा था,, होठों की मिठास मे वह ये भी भूल गया था कि जिसके होठों का वह रसपान कर रहा है वह उसकी माँ हैं,।।।। काफी देर हो चुकी थी रामो देवी को सांस लेने मे दिक्कत हो रही थी,, जब रामो देवी को लगता है कि किशन अपनी मर्जी से नहीं छोड़ेगा तो वह किशन को पीछे कर देती है और अपने लाल हो चुके होठों से,, कांपते हूए कहती है,,
रामो देवी: ए जी,,, जी बस चूस लिए अब तो जाऊ,,, मै
किशन;नही अभी तो बहुत रस है इनमे एक बार और,,,
रामो देवी: नही मेरे होठों मे दर्द,,,, हो रहा है,,
तुझे मेरी कसम है,
ए जी,,, आप जिद्द,,,, ठीक है,,,, मगर आराम से,,,
किशन,,,,,,,,
,,आज के लिए इतना ही दोस्तों,,,,
।।। Happy रक्षाबंधन।।।।। And injoy my story,,,,, bete se ummeed,,,,,