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।।। अपनी माँ के होठों का एक बार रसपान करने के बाद भी किशन का मन नहीं भरा था और अब वह एक बार फिर से रामो देवी के होठों को पीना चाहता था और उसकी माँ डरती हुई इधर उधर देख रही थी कि कोई इस प्रकार एक माँ बेटे को देख ना ले और अब वह अपने बेटे की जिद्द और जुदाई के डर से मजबूर होकर उसे फिर से अपने होठों को सौप देती है,, किशन जैसे ही अपने होठों को अपनी माँ के होठों के करीब लाता है,, तभी रामो देवी के कानों में किसी के चपलो ही आहत सुनाई देती है।। रामो देवी तुरंत किशन को धक्का देकर पीछे हट जाती है और,,,
रामो देवी: लगता है कोई उठ गया है,,, किशन तुम पशुशाला मे चले जाओ,,,
किशन: माँ बस एक बार और,,,
रामो देवी: तु क्या अपनी माँ को बदनाम करना चाहता है,,,
,,, रामो देवी के इतना कहते ही किशन वहाँ से चला जाता है,, और रामो देवी अपने होठों को अपनी साड़ी के पल्लू से साफ करती है,, और मन,, हाय राम,,, जान निकाल दिया मेरी,, कितने दुख रहे हैं मेरे होंठ,,, और अपने चेहरे पर पल्लू रखj जाने लगती है,, तभी उसके कानों में किसी औरत की आबाज सुनाई देती हैं,।।
,,, रामो,, ओ रामो,, कहाँ है,,,
रामो देवी: जी,, काकी आई मैं इधर ही हूँ,,
काकी:: अरे तु इतनी रात को इधर क्या कर रही है???
रामो देवी: काकी मैं बो,, मै पेशाब करने आई थी,,
काकी: अच्छा,, ठीक है, मुझे भी बहुत जोर की लगी है,, पेशाब घर कहाँ है,,
रामो देवी: आए ना काकी मैं, ले चलती हूँ,, आपको,,
,,, ये कहकर रामो देवी काकी को अपने साथ एक मिट्टी के बने हुए पेशाब घर में ले जाती है,, जिसकी उपर की छत एक छप्पर की थी और दरबाजे की जगह एक कपड़े का पर्दा डाल रखा था,, पेशाब करने के बाद दोनों घर के अंदर जाने लगती है,, तभी उनके कानों में भैस के बोलने की आबाज आती है,,।।
काकी: अरे ये भैस इतनी रात को कियू बोल रही है,,,
रामो देवी: पता नहीं काकी कई दिन से इसने दूध भी नहीं दिया और इसी प्रकार बोलती है,,,
कार: अरे तो इसका इलाज करा रामो,,
रामो देवी: काकी चारा तो सही से खाती है ये भैस मगर बस बोलती है,, फिर भी अगर आप कहती है तो मै बध् जी को दिखा दूँगी,,,,
काकी: अरे रामो तु कितनी भोली है, ये भी नहीं जानती की इसका इलाज वैध जी के पास नहीं है,, इसे तो भैसा चाहिए,, ये गर्मा रही है,,,
,,, काकी की बात सुनकर रामो देवी शर्मा जाती है, और,,, शर्मा कर,,
रामो देवी;धत्त,,, काकी आप भी ना,,,, बहुत मजाक करती है,,,
काकी: अरे मैं माजक नहीं कर रही रामो इसे सच में भैसा चाहिए,,,
रामो देवी: कुछ सोचते हुए,, पर काकी ये सब काम तो किशन के बापू जी करते थे और अब,, कौन,,,
काकी: अरे तो किशन हैं ना बो कर देगा भैसा ही छोड़ना है,,, मै किशन के काका को बोल दूँगी बो किशन को सब समझा देंगे,,, अब चल और सोते हैं,, कल बहुत काम करने है,,
।। ये सब बातें करते हुए दोनो चली जाती है और घर के अंदर जाकर अपने बिस्तर पर सो जाती है,, किशन भी कुछ देर अपनी माँ के बारे में सोचता है और कब उसे नींद आती है पता ही नहीं चलता,,।।।
।।।,, सुबह की पहली किरण के साथ चिड़ियों के चहकने की अबज होती है,, और किशन के घर पर आये सभी मेहमानों की आँखे खुलती है,, सभी उठकर मिट्टी के बर्तन में पानी लेते हैं और जंगल की ओर चले जाते हैं,, अपने आप को हल्का करने के लिए,,,।। सभी मेहमानों के, आने के बाद,, एक व्यक्ति गाँव में रघुवीर की तेहरबी का न्यौता देने चला जाता है और बाकी सब काम मे लग जाते हैं,।।
।। इधर रामु भी अपने घर पर रजनी और गीता को बोलकर रघुवीर की तेहरबी मे सामिल होने आता है,,
रामू को देख किशन उसके पर छूकर प्रणाम करता है,,
सभी गांव वाले किशन के घर पर आ जाते हैं और रघुवीर की तेहरबी मे सामिल होते हैं,, कुछ लोग एक भट्टी खोदते है और उस पर उड़द का दोंगा रख कर उड़द बनाते हैं और एक तरफ कुछ लोग कड़ी बना रहे थे, दूसरी तरफ चावल का कडाह रखा हुआ था जिसमे चावल बन रहे थे और कुछ औरते रोटी बना रही थी,,
ये सब काम मे दोपहर हो जाती है और अब सभी गांव वालो को खाने का न्यौता भेजा जाता है,,।।
।। सभी गाँव के लोग खाना खाने के लिए आते हैं, और अब सभी मेहमानों को को भी खाना खिलाया जाता है उसके बाद गाँव की सभी औरतो को भी खाना खिलाया जाता है।। खाने का काम खतम होने के बाद गाँव के सभी लोग और सभी मेहमानों को कुछ समय का मोन् धारण करने के लिए कहा जाता है,, किशन के सर के बाल काट दिए जाते हैं और उसके सर पर एक पगड़ी बंधी हुई थी, मौंन धारण करते समय किशन को सब लोगो के बीच में खड़ा किया जाता है।।,
।। दूसरी तरफ सभी औरते भी रघुवीर की आत्मा की सांति के लिए कुछ समय का मोंन् धारण करती है,, और उन साभि के बीच में एक सफेद साड़ी पहने राम देवी चुप चाप खड़ी हुई थी,, जो की एक बिधवा के रूप मे भी सिंगार की हुई सभी औरतों के रंग रूप को मात दे रही थी,, और इसी के साथ मौंन धारण का समय खत्म खत्म होता है और सभी मेहमान और गाँव के लोग बैठ जाते हैं,,
।। तभी एक बुजुर्ग व्यक्ति सब के बीच से खड़ा होकर किशन से कहता है कि,, किशन बेटा ये जो पगड़ी तुम्हारे सर पर बंधी है इसका मतलब है कि अब तुम ही इस घर के मुखिया हो और इस घर की ओर तुम्हारी माँ की देख रेख् और पालन पोसन की जिम्मेदारी तुम्हारी है,, हम सब उम्मीद करते हैं कि तुम ये सब निभा पाओगे,,,।।
।। बुजुर्ग व्यक्ति की बात सुनकर किशन अपनी माँ की ओर देखता है जो की सर पर पल्लू रखे अपनी सुंदर झील सी आँखो से किशन को ही देख रही थी,, जैसे ही किशन अपनी माँ की ओर देखता है दोनो की नजरे मिल जाति है और किशन को रात् हुई होठों की रसपान की घटना याद आती है,, जिसे याद करते हुए किशन कहता है,,
किशन: मै अपने स्वर्ग वासी बाप और उस परमेश्वर को साक्षी मानकर प्रण करता हूँ कि मैं अपनी माँ को किसी भी प्रकार का कष्ट नहीं होने दूंगा और उसकी हर खुशी का मै अच्छे से ध्यान रखूँगा,, अपनी माँ का हर खुशी और गम में साथ दूँगा,,,
।। किशन की बात सुनकर रामो देवी लाज और शर्म से अपनी नजरे झुका लेती है और अपने मन में,, कितना भोला है मेरा बेटा, ये सब प्रण तो इसे अपनी पत्नी के लिए करना चाहिए,, ना की मां के लिए, अरे मेरा क्या है अब बस एक बार तेरी शादी देख लूँ और गीता बेटी के हाथ की दो समय की रोटी मिल जाए और मुझे क्या चाहिए,,,।।
।। इसी प्रकार रघुवीर की तेहरबी का सभी कार्य पूरा होता है और सभी गांव वाले किशन से आशीर्वाद देकर चले जाते हैं,, रामू किशन को शादी की तय्यारी के बारे में बताता है,, जो शादी गांव के ही एक मंदिर में पांच गांव के पांचो की निगरानी में होनी थी,, दो दिन बाद शादी के लिए रामो देवी और किशन को समझाने के बाद रामु भी वहाँ से चला जाता है,,
।। रामो देवी बहुत खुश थी कि उसके बेटे की शादी अब जल्द ही होगी,,, और वह मन में विचार करती है।।
रामो देवी मन में) जल्द ही किशन की शादी होगी तो फिर मेरा बेटा उस रंडी तारावती के पास जाना छोड़ देगा और मेरे साथ भी कोई गंदी मानसिकता नहीं करेगा,,,।।
।। सभी मेहमान जा रहे थे तभी एक व्यक्ति किशन को अकेले में ले जाता है और किशन से,,
व्यक्ति;: बेटा किशन मैंने सुना है की तुम्हारी भैस दूध नही दे रही कुछ दिनों से और बहुत बोल रही है,, तुम्हारी काकी ने मुझे बताया है,,,
किशन: जी काका बो दूध नही देती माँ ने बताया था एक दिन,, और लात मारती है,,
व्यक्ति: अरे तो बेटा उसे हरि होना है उसे भैसा चाहिए,,
किशन: हरि होना है,, भैसे से,, मगर काका मैंने तो ये सब कभी नहीं देखा बापू ही करते थे,,,
व्यक्ति:: किशन बेटा तुम्हारे पास एक भैसा हैं ना,,
किशन: जी काका बो उसी का है,, और अब तो बग्गी मे भी चलता है,,,
व्यक्ति: मै तुम्हे बताता हू कि तुम्हे क्या करना है,,
किशन: जी काका बताए कि मुझे क्या करना है,,,
व्यक्ति: तुम्हे भैस को मजबूती से बांधना है और उस भैसे को उसके पास छोड़ देना, है, बस बाकी सब कुछ वह अपने आप कर लेगा,,।। समझे,,
किशन:: जी काका समझ गया,, बहुत बहुत, शुक्रिया आप का,,
व्यक्ति: अच्छा तो बेटा अब हमे भी चलना चाहिए रात होने से पहले घर पहुँचना है,,।
।। सभी मेहमान रघुवीर की तेहरबी का कार्य पूरा करने के बाद अपने अपने घर चले जाते हैं और किशन अपनी माँ के साथ अकेला रह जाता है,,।।। किशन के दिमाग में काका की बताई बात घूम रही थी,, और वह सोच रहा था कि भैसा भैस को कैसे हरि करता है,।
ये तो मैंने कभी देखा ही नहीं जब बापू भैस को हरि कराते थे तो मुझे दंगल में भेज देते थे मै कभी देख हि नही सका,,,,
।। आगे क्या होगा जानने के लिए पढ़ते रहिये।।
,, bete se ummeed,,,
Ghjhghhvhhjn,,,,