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Incest Bete se ummeed,,

Nevil singh

Well-Known Member
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Update: 18

।। किशन ने रामो देवी को बचा तो लिया था मगर वह अपनी माँ से गुस्सा था, और उससे कोई भी बात करना नहीं चाहता था,, इसलिए अपनी माँ को बिना देखे और कुछ ना कहकर वह वहाँ से जाने लगता है,, रामो देवी देखती है कि उसका बेटा उससे अभी भी नाराज है, और वह फिर से उसे छोड़कर जा रहा है। नही अब मैं उसे नहीं जाने दूँगी,,, और अपने कपड़ो को बिना सही किए ही भीगा बदन लेकर भागती हुई किशन को पीछे से अपनी बाहों मे भर लेती है, वह ये भी भूल गई थी कि उसके शरीर पर तन ढकने के लिए बहुत कम ही कपड़े बचे हुए है,,

।। रामो देवी लंबी साँसे लेते हुए कहती है,,

रामो देवी: नही मेरे लाल अब मुझे छोड़कर ना जा इतने दिन तेरे बिना एक जिन्दा लाश की तरह जी रही थी मै,,,

।। किशन देखता है कि उसकी माँ की साँसों की गति बहुत तेज हो रही है जिसकी वजह से उसके स्तन किशन की कमर में रगड रहे हैं,, जिसकी रगड और गर्मी से किशन को एक अजीब सा आनंद मिलता है,,

किशन: नही माँ मैं तुम्हारे साथ नहीं रह सकता,,

रामो देवी:: मुझे माफ कर दे किशन मैंने तुझ पर हाथ उठाया,, मगर इस की इतनी बड़ी सजा ना दे,,, अब मै तुझे कभी नहीं मारूंगी और जल्द तेरी शादी गीता से कर दूँगी फिर तुझे उस रंडी तारावती के पास,,,

।। इतना बोल कर रामो देवी चुप हो जाती है और किशन को छोड़कर सर जुकाकर खड़ी हो जाती है,, किशन देखता है कि उसकी माँ सर जुकाकर खड़ी है,, वह उसकी तरफ घूम जाता है और अपनी माँ को उपर से नीचे तक निहारता हैं भीगे हुए बदन में सर से।।।।गिरता हुआ पानी और चेहरे पर मासुमियत और नाक में किशन की पहनाई हुई नैथनी रामो देवी इस समय स्वर्ग की रम्भा के समान लग रही थी जीसे देख कर किसी शाधना मे बैठे मुनि की भी सिद्धि भंग हो सकती थी,, फिर किशन तो एक जवान लड़का था,, किशन अपनी माँ के पास जाकर,,, धीरे से,,

किशन: मै तुझे छोड़कर कहीं नहीं जाऊंगा बस एक बार मेरी इच्छा पूरी कर दे,,,

रामो देवी: शर्मा कर,, क्या,,, है बोल,,

किशन: मुझे तेरा चेहरा मन भर के देखना है,,

,,, किशन की बात सुनकर रामो देवी अपने मन में ऐसा क्या है मेरे चेहरे मे,,, और शर्मा कर कहती है,,,

रामो देवी:: ठीक है,, घर चल कर देख लेना,,,

किशन:: अपनी माँ के ओर पास आ जाता है,, और।। नही मुझे अभी देखना है,,,

रामो देवी: अभी,,, और उसके कुछ कहने से पहले ही किशन उसके झुके हुए सर को उठता है,,, रामो देवी अपनी आँखो को बंद कर लंबी लंबी साँसे लेती है,,,।।

किशन: माँ तुम बहुत सुंदर हो,,,,

रामो देवी:: सी सी,,,,, बस,,
,, नही

किशन: अपनी आँखे खोलो ना,,

रामो': नही मुझे शर्म,,,,,
किशन: बस एक बार मेरे लिए,,, और रामो देवी अपनी आँखे धीरे धीरे खोल देती है,,, आँखे खुलते ही किशन की आँखों से मिलती है।। और दोनो एक दूसरे की आँखों में खो जाते हैं,,,

किशन: अपनी ऊँगली से रामो देवी के होंठों को सहलाते हूए कहता है,,, मुझे इन रसीले होठों का रस पीना है,,, मां

,, किशन की बात सुनकर रामो देवी अपने बेटे को एक जटके से गले लगा लेती है और लंबी साँसे लेने लगती है,,, किशन की बात का कोई जबाब नहीं देती किशन फिर से उसके कान मे धीरे से कहता है।।।

किशन: बोलो मां पिलाओगी ना चूसने दोगी ना मुझे अपने रसीले होठों को,,

रामो देवी:: हाँ,,,, जी,, जी,,, पी लेना घर चलके,,,,

,,, अपनी माँ के मूह से अपने लिए जी सब्द सुनकर किशन को बहुत अच्छा लगता है,, और वह अपनी माँ के चेहरे को अपने हाथो में लेकर उसकी आँखो में देखते हुए कहता है,,

किशन: एक बार फिर से कहो,,

रामो देवी: क्या,,

किशन:: वही जो अभी तुमने कहा था,, जी,,

,, किशन की बात सुनकर रामो देवी शर्मा जाती है और अपना सर झुकाना चाहती है मगर किशन ने उसके चेहरे को अपने हाथो में पकड़ लिया था जिसकी वजह से वह अपनी गर्दन झुका नहीं पाती,, और नजरे झुका लेती है,, किशन की आँखो में देखते हुए अपने बेटे को जी कहना उसके लिए मुस्किल था,,

रामो देवी: नज़र झुका कर,, नही,, मुझसे,,

किशन: तुझे मेरी कसम हैं,,,,

,, किशन के कसम देने के बाद रामो देवी सर जुकाकर अपने लरजते होठों से काँपती हुई आबाज मे कहती है,,

रामो देवी:: ए,, ए,, जी,, जी,,, जी अब बस भी,, करो,, और घर चलो मुझे ठंड लग रही है,,,

किशन: फिर से अपनी माँ के कान के पास आकर धीरे से कहता है,,,,

किशन:: घर जाकर अपने होठों का रश् पिलाओगी ना,,,

,,, किशन की बात सुनकर रामो देवी फिर से शर्मा जाती है और चुप रहती है,,,

किशन: बोल ना पीलायेगी ना,,

रामो देवी: हा,,,

,,,, फिर दोनों उन तीनो आदमी को बेहोश जंगल में छोड़कर अपनी बग्गी लेकर घर आ जाते हैं,, जैसे ही किशन घर पहुचाता हैं वह देखता है कि उसके घर काफी लोगो की भीड़ है जिनमें कुछ औरते भी थी ये सब किशन के रिस्तेदार थे जो रघुवीर की तेहरबी मे आये थे और सभी रामो देवी और किशन का ही इंतजार कर रहे थे,, उन लोगों मे कुछ गाँव वाले भी थे जो किशन को घर आता देख बड़े खुश होते हैं,, और सभी किशन से अलग अलग सबाल पूछते हैं,, सभी किशन के चारो तरफ खड़े थे,,

,,, रामो देवी घर के अंदर जाकर सबके लिए खाने का प्रबंध करती है और सबसे किशन के मिलने के बारे में बताती है,, किशन तो बस अपनी माँ को ही देख रहा था और उसका ड्डेयाना केवल रामो देवी के रसीले होठों पर था,,की कब रामो देवी उसे अपने होठों का रसपान कराएगी और वह उसके होठों से सारा रस निचोड़ निचोड़, कर पी लेगा,, किशन इसी तलाश में था कि उसकी माँ उसे बस एक बार अकेली मिल जाए मगर घर में आए सभी मेहमानों की मोजुदगी मे ये मुमकिन नहीं था,,,।।। सभी लोग रघुवीर की तेहरबी की तय्यारी। मे लगे हूए थे। और किशन को जब कोई मौका नहीं मिलता अपनी माँ को अकेले मिलने का तो,,, वह निराश होकर अपने दंगल की पचायत मे चला जाता है,,।।

,, रामो देवी किशन को जाते देख लेती है और उससे पूछती है कि कहाँ जा रहा है,, किशन अपनी माँ को बताता है कि वह दंगल में जा रहा है जो उसका रोज का काम था,, किशन चला जाता है और रामो देवी अपने मन में,,, आज अगर मेरा बेटा नहीं मिलता तो मेरी जिंदगी नर्क बन जाती और मेरे पास आत्म हत्तिया करने के अलग और कुछ नहीं होता,, मगर जो किशन मेरी साथ करता है क्या बो सही है, या वो इस प्रकार की बातों से अंजान हैं,, एक माँ बेटे के बीच ये सब पाप माना जाता है और उन लोगों को तो समाज में भी जगह नहीं मिलता जो ये रिश्ता कायम करते हैं,, मगर किशन को कैसे समझाऊँ कहीं फिर से गुस्सा होकर चला गया तो,, नही, नही,, होठों को ही,,, बोला है,, उसने,, और खुद से शर्मा जाती है,,, तभी उसे कोई औरत आबाज देकर अंदर बुलाती है।। और रामो देवी फिर से घर के काम मे लग जाती है,,,

।।,, किशन को जाए शाम हो चुकी थी और रामो देवी सभी काम करने के बाद घर आये सभी लोगो का बिस्तर घर के पास बनी जोपडी मे लगा देती है और अभी मेहमान आराम करने जोपदी मे चले जाते हैं,, कुछ औरते रामो देवी के साथ ही रूकती है,, रामो देवी पशुओं के लिए चारा लेकर पशुशाला मे चली जाती है जहाँ केवल किशन सोता था,, तभी किशन घर आता है और अपनी माँ को देखता है रामो देवी उसे कहीं नजर नहीं आती है, तो वह एक औरत से

किशन: काकी माँ कहाँ है,,

औरत:: बेटा तेरी माँ पशुओं को चारा डालने गई है,,

,,, औरत की बात सुनकर किशन पशुशाला मे चला जाता है और अपनी माँ को चारा डालते हूए देख उसके पास जाकर खडा हो जाता है,, चारा डालने के बाद रामो देवी जैसे ही पीछे मुड़ती हैं, तो उसे किशन नज़र आता है जो की उसे ही निहार रहा था,, किशन को इस प्रकार देखते हुए रामो देवी शर्मा जाती है, और अपनी गर्दन झुकाए सर पे रखे साड़ी के पल्लू को अपने दांतों मे दबाकर जाने लगती है उसे मालूम था कि किशन उससे क्या चाहता है,, जैसे ही रामो देवी चलती है। किशन उसका हाथ पकड़ लेता है,, हाथ पकड़ ते ही रामो देवी के दिल की धड़कन बड़ जाती है और वह सोचती है कि किशन कहीं कोई गलत हरकत ना कर दे,,,

किशन: अपनी शर्मीली माँ का हाथ पकड़ कर कहता है,,, कितना और पियासा रहना होगा,,, माँ

,,, रामो देवी किशन की बात सुनकर खुद की साँसों को संभालते हूए कहती है,,

रामो देवी: प्यासा क्यू हैं मेरे लाल मैं अभी तेरे लिए पानी लेकर आती हूँ,,,

,,, रामो देवी की बात सुनकर किशन उसे एक झटके से खीचकर अपनी बाहों में भर लेता है और उसके चेहरे से पल्लू हटाकर उसकी आँखो में देखता है और फिर,,

किशन: ये प्यास पानी की नहीं हैं माँ जो पानी से बुझ जाए,, ये प्यास तो तेरे रसीले होठों का रस पीकर ही बुझेगी,, और अपनी माँ के होठों पर उंगली से सहलाता है,,,

,,, रामो देवी को किशन की बात सुनकर बड़ी शर्म अति हैं और वह शर्म से पानी पानी हो जाती,,,, क्योंकि इस प्रकार की बात तो रघुवीर भी उससे कभी नहीं करता था लेकिन आज उसका बेटा जो की उसका खून है जिसे उसने नॉ महीने अपनी कौक मे रखा है,, आज वह बड़ा होकर उसके होठों का रस पीना चाहता है उसके होठों का रस पान करने के लिए अपनी ही माँ से अनुमति ले रहा है।।

रामो देवी:, किशन तु ना कुछ भी,,,,,,

किशन,,, मुझे इन होठों का रस पीना हैं माँ बोल पिलायेगी ना,,,,,

रामो देवी,, किशन छोड़ मुझे कोई देख लेगा,,,, बेटा,,,,

किशन: पहले मुझे अपने होठों को,,,,

,,,, रामो देवी देखती है की किशन नहीं मानेगा,, तो वह लरजती हुई आबाज मे कहती है,,,

रामो: ठीक है,, जल्दी कर से कर ले,,,, कोई देख ना ले,,, राम जी,,,,

किशन: माँ मुझे तेरे रसीले होठों को जी भर के पीना हैं,,, जल्दी कुछ नहीं,,,,,,

,,,, रामो देवी को डर था कि कोई इस प्रकार उसे देख ना ले नहीं तो उसकी बहुत बदनामी होगी,,, इसलिए वह दरती हुई कहती है।।

रामो देवी: किशन जिद्द ना कर,,, मेरे लाल,,,

किशन: नही माँ तुझे मेरी कसम है,,, बोल पिलायेगी ना सारा रस इन होठों का,,,

,,, रामो देवी देखती है कि किशन फिर से गुस्सा ना हो जाए और उसे छोड़कर,,, नही,, नही,,, और वह तुरंत किशन से कहती है,,, जो की उसकी आँखो में देख रहा था कि उसकी माँ कब जबाब देगी,,,,

रामो देवी:: हाँ पिलाऊँगी जी,,,, सारा रस पी लेना,,,,

किशन: कब,,, माँ

रामो देवी: रात को सबके सोने के बाद अभी मुझे जाने दो सब देख रहे होंगे बहुत देर हो गई है,,,, तभी कोई रामो देवी को आबाज देता है,,,

,,, रामो,, ओ रामो,, अरे कहाँ है,, तु,,

,,, आबाज सुनकर रामो देवी किशन से अलग हो जाती है और किशन अपनी माँ का हाथ फिर से पकड़ कर कहता है,,,

किशन: रात को पक्का आओगी ना माँ,,,,

रामो देवी: हाँ अब छोड़ मुझे जाने दे,,, और किशन से हाथ छुड़ाकर चली जाती है।।

,,, रामो देवी के बाहर आते ही वह औरत अरे कहाँ रह गई थी मेहमानों को खाना खिला दो और किशन कहाँ है उसे भी बोल दे,, की सब को खाना खिला दे,,,, और फिर सब आराम करे,,,,

,,,, औरत की बात सुनकर रामो देवी किशन को आबाज लगाती है और किशन को साथ लेकर सभी मेहमानों को खाना खिलाती हैं।। सभी खाना खाकर अपने अपने बिस्तर पर चले जाते हैं,,, और रामो देवी कुछ औरतो के साथ घर के अंदर सोने चली जाती है,, किशन अकेला पशुशाला मे सोने चला जाता है,,, और सबके सोने का इंतेजार करता है कि सबके सोने के बाद उसकी माँ उसके पास आएगी,,,।।।।

,,, रामो देवी नीचे बिस्तर पर लेटती है और उसके पास तीन और औरते लेती हुई थी,,, जो रामो देवी से लगातार बातें किए जा रही थी,, क्योकि जब चार औरते मिलती है तो वह नींद काम काज खाना पीना सब भूल जाती है,, उन्हे तो बस बातें ही याद आती है,,,,,, काफी रात हो चुकी थी,,, लेकिन किशन की आँखों में नींद का कोई नाम नहीं था और रामो देवी इस लिए जाग रही थी कि अगर वह किशन के पास नहीं गई तो उसका बेटा उससे नाराज हो जाएगा जो बह नहीं चाहती थी,,, इसलिए वह सब के सोने की प्रतिक्षा कर रही थी,,।।।।

।।। और इधर पशुशाला मे किशन को उसके मन मे चल रहे उतेजक प्रभाब ने उसकी नींद उड़ा रखी थी।। वह जानना चाहता था कि उसकी माँ और तारावती के होठों मे किसके होठ ज्यादा मीठे है,, ये सोच कर किशन की बेचैनी और बड़ जाती है और वह और इंतेजार नहीं कर पाता किशन पशुशाला से निकलने लगता है,,, और इधर रामो देवी के पास सभी औरते सो चुकी थी और रामो देवी भी चुपके से सर पर पल्ला रखे किशन के पास आ रही थी,,,, दोनो जैसे ही पशुशाला और घर के बीच में आते हैं,, तभी दोनों की नजरे मिलती है और दोनों एक दूसरे को देखते रहते हैं
रामो देवी चुप खड़ी किशन को ही देख रही थी,, मगर कुछ कहने की हिम्मत उसमे नहीं थी कुछ देर बाद किशन धीरे धीरे कदमो से अपनी माँ के पास जाता है जिसे देख रामो देवी की दिल की धड़कन और तेज हो जाती है,,

।। किशन रामो देवी के पास आकर उसकी आँखो में देखते हुए कहता है,,

किशन: इतना ना तड़पा की मेरी जान ही निकल जाए,,,

,,,, किशन की बात सुनकर रामो देवी,,,

रामो देवी: कांपते होठों से,,,, बो सब जाग रहे थे इसलिए मैं,,,,

,,, किशन उसके होठों पर उंगली रखकर उसे पीछे बनी दीवार से लगा देता है और,,,, उसकी आँखो में देखते हुए कहता है,,,

किशन:: उसके होठों को देखते हुए,, सी,,, अब तो इनका रस पीला दे,,,,

रामो देवी:: अंदर चलो ना कोई देख ना ले,,,
किशन:: नही तु हाँ या ना बोल,,,

,, रामो देवी देखती है कि किशन को गुस्सा आ रहा है,, वह,,

रामो देवी:: ठीक है,, जल्दी करना,,,, किशन

किशन:: उसके होठों के पास अपने होठों को लाता है और रामो देवी की अॉंखो मे देखकर,,,
,,, किशन नहीं माँ जी,,, बोल्,, अभी,,,

रामो देवी:: ए,,,, जी,,, ठीक है,,,
ओर किशन रामो देवी के दोनों होठों को एक साथ अपने होठों मे समा लेता है,,,,,,,

।।। रामो देवी तो शर्म और लाज से धरती मे गदी जा रही थी,, मगर किशन को बहुत अच्छा लग रहा था वह रामो देवी के होठों को किसी दशरी आम की तरह चूस रहा था,, होठों की मिठास मे वह ये भी भूल गया था कि जिसके होठों का वह रसपान कर रहा है वह उसकी माँ हैं,।।।। काफी देर हो चुकी थी रामो देवी को सांस लेने मे दिक्कत हो रही थी,, जब रामो देवी को लगता है कि किशन अपनी मर्जी से नहीं छोड़ेगा तो वह किशन को पीछे कर देती है और अपने लाल हो चुके होठों से,, कांपते हूए कहती है,,

रामो देवी: ए जी,,, जी बस चूस लिए अब तो जाऊ,,, मै

किशन;नही अभी तो बहुत रस है इनमे एक बार और,,,

रामो देवी: नही मेरे होठों मे दर्द,,,, हो रहा है,,

तुझे मेरी कसम है,

ए जी,,, आप जिद्द,,,, ठीक है,,,, मगर आराम से,,,

किशन,,,,,,,,

,,आज के लिए इतना ही दोस्तों,,,,

।।। Happy रक्षाबंधन।।।।। And injoy my story,,,,, bete se ummeed,,,,,
Hasheen update dost
 

Nevil singh

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Update: 19

।।। अपनी माँ के होठों का एक बार रसपान करने के बाद भी किशन का मन नहीं भरा था और अब वह एक बार फिर से रामो देवी के होठों को पीना चाहता था और उसकी माँ डरती हुई इधर उधर देख रही थी कि कोई इस प्रकार एक माँ बेटे को देख ना ले और अब वह अपने बेटे की जिद्द और जुदाई के डर से मजबूर होकर उसे फिर से अपने होठों को सौप देती है,, किशन जैसे ही अपने होठों को अपनी माँ के होठों के करीब लाता है,, तभी रामो देवी के कानों में किसी के चपलो ही आहत सुनाई देती है।। रामो देवी तुरंत किशन को धक्का देकर पीछे हट जाती है और,,,

रामो देवी: लगता है कोई उठ गया है,,, किशन तुम पशुशाला मे चले जाओ,,,

किशन: माँ बस एक बार और,,,

रामो देवी: तु क्या अपनी माँ को बदनाम करना चाहता है,,,

,,, रामो देवी के इतना कहते ही किशन वहाँ से चला जाता है,, और रामो देवी अपने होठों को अपनी साड़ी के पल्लू से साफ करती है,, और मन,, हाय राम,,, जान निकाल दिया मेरी,, कितने दुख रहे हैं मेरे होंठ,,, और अपने चेहरे पर पल्लू रखj जाने लगती है,, तभी उसके कानों में किसी औरत की आबाज सुनाई देती हैं,।।

,,, रामो,, ओ रामो,, कहाँ है,,,

रामो देवी: जी,, काकी आई मैं इधर ही हूँ,,

काकी:: अरे तु इतनी रात को इधर क्या कर रही है???

रामो देवी: काकी मैं बो,, मै पेशाब करने आई थी,,

काकी: अच्छा,, ठीक है, मुझे भी बहुत जोर की लगी है,, पेशाब घर कहाँ है,,

रामो देवी: आए ना काकी मैं, ले चलती हूँ,, आपको,,

,,, ये कहकर रामो देवी काकी को अपने साथ एक मिट्टी के बने हुए पेशाब घर में ले जाती है,, जिसकी उपर की छत एक छप्पर की थी और दरबाजे की जगह एक कपड़े का पर्दा डाल रखा था,, पेशाब करने के बाद दोनों घर के अंदर जाने लगती है,, तभी उनके कानों में भैस के बोलने की आबाज आती है,,।।

काकी: अरे ये भैस इतनी रात को कियू बोल रही है,,,

रामो देवी: पता नहीं काकी कई दिन से इसने दूध भी नहीं दिया और इसी प्रकार बोलती है,,,

कार: अरे तो इसका इलाज करा रामो,,

रामो देवी: काकी चारा तो सही से खाती है ये भैस मगर बस बोलती है,, फिर भी अगर आप कहती है तो मै बध् जी को दिखा दूँगी,,,,

काकी: अरे रामो तु कितनी भोली है, ये भी नहीं जानती की इसका इलाज वैध जी के पास नहीं है,, इसे तो भैसा चाहिए,, ये गर्मा रही है,,,

,,, काकी की बात सुनकर रामो देवी शर्मा जाती है, और,,, शर्मा कर,,

रामो देवी;धत्त,,, काकी आप भी ना,,,, बहुत मजाक करती है,,,

काकी: अरे मैं माजक नहीं कर रही रामो इसे सच में भैसा चाहिए,,,

रामो देवी: कुछ सोचते हुए,, पर काकी ये सब काम तो किशन के बापू जी करते थे और अब,, कौन,,,

काकी: अरे तो किशन हैं ना बो कर देगा भैसा ही छोड़ना है,,, मै किशन के काका को बोल दूँगी बो किशन को सब समझा देंगे,,, अब चल और सोते हैं,, कल बहुत काम करने है,,

।। ये सब बातें करते हुए दोनो चली जाती है और घर के अंदर जाकर अपने बिस्तर पर सो जाती है,, किशन भी कुछ देर अपनी माँ के बारे में सोचता है और कब उसे नींद आती है पता ही नहीं चलता,,।।।

।।।,, सुबह की पहली किरण के साथ चिड़ियों के चहकने की अबज होती है,, और किशन के घर पर आये सभी मेहमानों की आँखे खुलती है,, सभी उठकर मिट्टी के बर्तन में पानी लेते हैं और जंगल की ओर चले जाते हैं,, अपने आप को हल्का करने के लिए,,,।। सभी मेहमानों के, आने के बाद,, एक व्यक्ति गाँव में रघुवीर की तेहरबी का न्यौता देने चला जाता है और बाकी सब काम मे लग जाते हैं,।।

।। इधर रामु भी अपने घर पर रजनी और गीता को बोलकर रघुवीर की तेहरबी मे सामिल होने आता है,,
रामू को देख किशन उसके पर छूकर प्रणाम करता है,,
सभी गांव वाले किशन के घर पर आ जाते हैं और रघुवीर की तेहरबी मे सामिल होते हैं,, कुछ लोग एक भट्टी खोदते है और उस पर उड़द का दोंगा रख कर उड़द बनाते हैं और एक तरफ कुछ लोग कड़ी बना रहे थे, दूसरी तरफ चावल का कडाह रखा हुआ था जिसमे चावल बन रहे थे और कुछ औरते रोटी बना रही थी,,
ये सब काम मे दोपहर हो जाती है और अब सभी गांव वालो को खाने का न्यौता भेजा जाता है,,।।

।। सभी गाँव के लोग खाना खाने के लिए आते हैं, और अब सभी मेहमानों को को भी खाना खिलाया जाता है उसके बाद गाँव की सभी औरतो को भी खाना खिलाया जाता है।। खाने का काम खतम होने के बाद गाँव के सभी लोग और सभी मेहमानों को कुछ समय का मोन् धारण करने के लिए कहा जाता है,, किशन के सर के बाल काट दिए जाते हैं और उसके सर पर एक पगड़ी बंधी हुई थी, मौंन धारण करते समय किशन को सब लोगो के बीच में खड़ा किया जाता है।।,

।। दूसरी तरफ सभी औरते भी रघुवीर की आत्मा की सांति के लिए कुछ समय का मोंन् धारण करती है,, और उन साभि के बीच में एक सफेद साड़ी पहने राम देवी चुप चाप खड़ी हुई थी,, जो की एक बिधवा के रूप मे भी सिंगार की हुई सभी औरतों के रंग रूप को मात दे रही थी,, और इसी के साथ मौंन धारण का समय खत्म खत्म होता है और सभी मेहमान और गाँव के लोग बैठ जाते हैं,,

।। तभी एक बुजुर्ग व्यक्ति सब के बीच से खड़ा होकर किशन से कहता है कि,, किशन बेटा ये जो पगड़ी तुम्हारे सर पर बंधी है इसका मतलब है कि अब तुम ही इस घर के मुखिया हो और इस घर की ओर तुम्हारी माँ की देख रेख् और पालन पोसन की जिम्मेदारी तुम्हारी है,, हम सब उम्मीद करते हैं कि तुम ये सब निभा पाओगे,,,।।

।। बुजुर्ग व्यक्ति की बात सुनकर किशन अपनी माँ की ओर देखता है जो की सर पर पल्लू रखे अपनी सुंदर झील सी आँखो से किशन को ही देख रही थी,, जैसे ही किशन अपनी माँ की ओर देखता है दोनो की नजरे मिल जाति है और किशन को रात् हुई होठों की रसपान की घटना याद आती है,, जिसे याद करते हुए किशन कहता है,,

किशन: मै अपने स्वर्ग वासी बाप और उस परमेश्वर को साक्षी मानकर प्रण करता हूँ कि मैं अपनी माँ को किसी भी प्रकार का कष्ट नहीं होने दूंगा और उसकी हर खुशी का मै अच्छे से ध्यान रखूँगा,, अपनी माँ का हर खुशी और गम में साथ दूँगा,,,

।। किशन की बात सुनकर रामो देवी लाज और शर्म से अपनी नजरे झुका लेती है और अपने मन में,, कितना भोला है मेरा बेटा, ये सब प्रण तो इसे अपनी पत्नी के लिए करना चाहिए,, ना की मां के लिए, अरे मेरा क्या है अब बस एक बार तेरी शादी देख लूँ और गीता बेटी के हाथ की दो समय की रोटी मिल जाए और मुझे क्या चाहिए,,,।।

।। इसी प्रकार रघुवीर की तेहरबी का सभी कार्य पूरा होता है और सभी गांव वाले किशन से आशीर्वाद देकर चले जाते हैं,, रामू किशन को शादी की तय्यारी के बारे में बताता है,, जो शादी गांव के ही एक मंदिर में पांच गांव के पांचो की निगरानी में होनी थी,, दो दिन बाद शादी के लिए रामो देवी और किशन को समझाने के बाद रामु भी वहाँ से चला जाता है,,

।। रामो देवी बहुत खुश थी कि उसके बेटे की शादी अब जल्द ही होगी,,, और वह मन में विचार करती है।।

रामो देवी मन में) जल्द ही किशन की शादी होगी तो फिर मेरा बेटा उस रंडी तारावती के पास जाना छोड़ देगा और मेरे साथ भी कोई गंदी मानसिकता नहीं करेगा,,,।।

।। सभी मेहमान जा रहे थे तभी एक व्यक्ति किशन को अकेले में ले जाता है और किशन से,,

व्यक्ति;: बेटा किशन मैंने सुना है की तुम्हारी भैस दूध नही दे रही कुछ दिनों से और बहुत बोल रही है,, तुम्हारी काकी ने मुझे बताया है,,,

किशन: जी काका बो दूध नही देती माँ ने बताया था एक दिन,, और लात मारती है,,

व्यक्ति: अरे तो बेटा उसे हरि होना है उसे भैसा चाहिए,,

किशन: हरि होना है,, भैसे से,, मगर काका मैंने तो ये सब कभी नहीं देखा बापू ही करते थे,,,

व्यक्ति:: किशन बेटा तुम्हारे पास एक भैसा हैं ना,,

किशन: जी काका बो उसी का है,, और अब तो बग्गी मे भी चलता है,,,

व्यक्ति: मै तुम्हे बताता हू कि तुम्हे क्या करना है,,

किशन: जी काका बताए कि मुझे क्या करना है,,,

व्यक्ति: तुम्हे भैस को मजबूती से बांधना है और उस भैसे को उसके पास छोड़ देना, है, बस बाकी सब कुछ वह अपने आप कर लेगा,,।। समझे,,

किशन:: जी काका समझ गया,, बहुत बहुत, शुक्रिया आप का,,

व्यक्ति: अच्छा तो बेटा अब हमे भी चलना चाहिए रात होने से पहले घर पहुँचना है,,।

।। सभी मेहमान रघुवीर की तेहरबी का कार्य पूरा करने के बाद अपने अपने घर चले जाते हैं और किशन अपनी माँ के साथ अकेला रह जाता है,,।।। किशन के दिमाग में काका की बताई बात घूम रही थी,, और वह सोच रहा था कि भैसा भैस को कैसे हरि करता है,।
ये तो मैंने कभी देखा ही नहीं जब बापू भैस को हरि कराते थे तो मुझे दंगल में भेज देते थे मै कभी देख हि नही सका,,,,

।। आगे क्या होगा जानने के लिए पढ़ते रहिये।।
,, bete se ummeed,,,

Ghjhghhvhhjn,,,,
Bejode update mitr
 

andyking302

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।। किशन ने रामो देवी को बचा तो लिया था मगर वह अपनी माँ से गुस्सा था, और उससे कोई भी बात करना नहीं चाहता था,, इसलिए अपनी माँ को बिना देखे और कुछ ना कहकर वह वहाँ से जाने लगता है,, रामो देवी देखती है कि उसका बेटा उससे अभी भी नाराज है, और वह फिर से उसे छोड़कर जा रहा है। नही अब मैं उसे नहीं जाने दूँगी,,, और अपने कपड़ो को बिना सही किए ही भीगा बदन लेकर भागती हुई किशन को पीछे से अपनी बाहों मे भर लेती है, वह ये भी भूल गई थी कि उसके शरीर पर तन ढकने के लिए बहुत कम ही कपड़े बचे हुए है,,

।। रामो देवी लंबी साँसे लेते हुए कहती है,,

रामो देवी: नही मेरे लाल अब मुझे छोड़कर ना जा इतने दिन तेरे बिना एक जिन्दा लाश की तरह जी रही थी मै,,,

।। किशन देखता है कि उसकी माँ की साँसों की गति बहुत तेज हो रही है जिसकी वजह से उसके स्तन किशन की कमर में रगड रहे हैं,, जिसकी रगड और गर्मी से किशन को एक अजीब सा आनंद मिलता है,,

किशन: नही माँ मैं तुम्हारे साथ नहीं रह सकता,,

रामो देवी:: मुझे माफ कर दे किशन मैंने तुझ पर हाथ उठाया,, मगर इस की इतनी बड़ी सजा ना दे,,, अब मै तुझे कभी नहीं मारूंगी और जल्द तेरी शादी गीता से कर दूँगी फिर तुझे उस रंडी तारावती के पास,,,

।। इतना बोल कर रामो देवी चुप हो जाती है और किशन को छोड़कर सर जुकाकर खड़ी हो जाती है,, किशन देखता है कि उसकी माँ सर जुकाकर खड़ी है,, वह उसकी तरफ घूम जाता है और अपनी माँ को उपर से नीचे तक निहारता हैं भीगे हुए बदन में सर से।।।।गिरता हुआ पानी और चेहरे पर मासुमियत और नाक में किशन की पहनाई हुई नैथनी रामो देवी इस समय स्वर्ग की रम्भा के समान लग रही थी जीसे देख कर किसी शाधना मे बैठे मुनि की भी सिद्धि भंग हो सकती थी,, फिर किशन तो एक जवान लड़का था,, किशन अपनी माँ के पास जाकर,,, धीरे से,,

किशन: मै तुझे छोड़कर कहीं नहीं जाऊंगा बस एक बार मेरी इच्छा पूरी कर दे,,,

रामो देवी: शर्मा कर,, क्या,,, है बोल,,

किशन: मुझे तेरा चेहरा मन भर के देखना है,,

,,, किशन की बात सुनकर रामो देवी अपने मन में ऐसा क्या है मेरे चेहरे मे,,, और शर्मा कर कहती है,,,

रामो देवी:: ठीक है,, घर चल कर देख लेना,,,

किशन:: अपनी माँ के ओर पास आ जाता है,, और।। नही मुझे अभी देखना है,,,

रामो देवी: अभी,,, और उसके कुछ कहने से पहले ही किशन उसके झुके हुए सर को उठता है,,, रामो देवी अपनी आँखो को बंद कर लंबी लंबी साँसे लेती है,,,।।

किशन: माँ तुम बहुत सुंदर हो,,,,

रामो देवी:: सी सी,,,,, बस,,
,, नही

किशन: अपनी आँखे खोलो ना,,

रामो': नही मुझे शर्म,,,,,
किशन: बस एक बार मेरे लिए,,, और रामो देवी अपनी आँखे धीरे धीरे खोल देती है,,, आँखे खुलते ही किशन की आँखों से मिलती है।। और दोनो एक दूसरे की आँखों में खो जाते हैं,,,

किशन: अपनी ऊँगली से रामो देवी के होंठों को सहलाते हूए कहता है,,, मुझे इन रसीले होठों का रस पीना है,,, मां

,, किशन की बात सुनकर रामो देवी अपने बेटे को एक जटके से गले लगा लेती है और लंबी साँसे लेने लगती है,,, किशन की बात का कोई जबाब नहीं देती किशन फिर से उसके कान मे धीरे से कहता है।।।

किशन: बोलो मां पिलाओगी ना चूसने दोगी ना मुझे अपने रसीले होठों को,,

रामो देवी:: हाँ,,,, जी,, जी,,, पी लेना घर चलके,,,,

,,, अपनी माँ के मूह से अपने लिए जी सब्द सुनकर किशन को बहुत अच्छा लगता है,, और वह अपनी माँ के चेहरे को अपने हाथो में लेकर उसकी आँखो में देखते हुए कहता है,,

किशन: एक बार फिर से कहो,,

रामो देवी: क्या,,

किशन:: वही जो अभी तुमने कहा था,, जी,,

,, किशन की बात सुनकर रामो देवी शर्मा जाती है और अपना सर झुकाना चाहती है मगर किशन ने उसके चेहरे को अपने हाथो में पकड़ लिया था जिसकी वजह से वह अपनी गर्दन झुका नहीं पाती,, और नजरे झुका लेती है,, किशन की आँखो में देखते हुए अपने बेटे को जी कहना उसके लिए मुस्किल था,,

रामो देवी: नज़र झुका कर,, नही,, मुझसे,,

किशन: तुझे मेरी कसम हैं,,,,

,, किशन के कसम देने के बाद रामो देवी सर जुकाकर अपने लरजते होठों से काँपती हुई आबाज मे कहती है,,

रामो देवी:: ए,, ए,, जी,, जी,,, जी अब बस भी,, करो,, और घर चलो मुझे ठंड लग रही है,,,

किशन: फिर से अपनी माँ के कान के पास आकर धीरे से कहता है,,,,

किशन:: घर जाकर अपने होठों का रश् पिलाओगी ना,,,

,,, किशन की बात सुनकर रामो देवी फिर से शर्मा जाती है और चुप रहती है,,,

किशन: बोल ना पीलायेगी ना,,

रामो देवी: हा,,,

,,,, फिर दोनों उन तीनो आदमी को बेहोश जंगल में छोड़कर अपनी बग्गी लेकर घर आ जाते हैं,, जैसे ही किशन घर पहुचाता हैं वह देखता है कि उसके घर काफी लोगो की भीड़ है जिनमें कुछ औरते भी थी ये सब किशन के रिस्तेदार थे जो रघुवीर की तेहरबी मे आये थे और सभी रामो देवी और किशन का ही इंतजार कर रहे थे,, उन लोगों मे कुछ गाँव वाले भी थे जो किशन को घर आता देख बड़े खुश होते हैं,, और सभी किशन से अलग अलग सबाल पूछते हैं,, सभी किशन के चारो तरफ खड़े थे,,

,,, रामो देवी घर के अंदर जाकर सबके लिए खाने का प्रबंध करती है और सबसे किशन के मिलने के बारे में बताती है,, किशन तो बस अपनी माँ को ही देख रहा था और उसका ड्डेयाना केवल रामो देवी के रसीले होठों पर था,,की कब रामो देवी उसे अपने होठों का रसपान कराएगी और वह उसके होठों से सारा रस निचोड़ निचोड़, कर पी लेगा,, किशन इसी तलाश में था कि उसकी माँ उसे बस एक बार अकेली मिल जाए मगर घर में आए सभी मेहमानों की मोजुदगी मे ये मुमकिन नहीं था,,,।।। सभी लोग रघुवीर की तेहरबी की तय्यारी। मे लगे हूए थे। और किशन को जब कोई मौका नहीं मिलता अपनी माँ को अकेले मिलने का तो,,, वह निराश होकर अपने दंगल की पचायत मे चला जाता है,,।।

,, रामो देवी किशन को जाते देख लेती है और उससे पूछती है कि कहाँ जा रहा है,, किशन अपनी माँ को बताता है कि वह दंगल में जा रहा है जो उसका रोज का काम था,, किशन चला जाता है और रामो देवी अपने मन में,,, आज अगर मेरा बेटा नहीं मिलता तो मेरी जिंदगी नर्क बन जाती और मेरे पास आत्म हत्तिया करने के अलग और कुछ नहीं होता,, मगर जो किशन मेरी साथ करता है क्या बो सही है, या वो इस प्रकार की बातों से अंजान हैं,, एक माँ बेटे के बीच ये सब पाप माना जाता है और उन लोगों को तो समाज में भी जगह नहीं मिलता जो ये रिश्ता कायम करते हैं,, मगर किशन को कैसे समझाऊँ कहीं फिर से गुस्सा होकर चला गया तो,, नही, नही,, होठों को ही,,, बोला है,, उसने,, और खुद से शर्मा जाती है,,, तभी उसे कोई औरत आबाज देकर अंदर बुलाती है।। और रामो देवी फिर से घर के काम मे लग जाती है,,,

।।,, किशन को जाए शाम हो चुकी थी और रामो देवी सभी काम करने के बाद घर आये सभी लोगो का बिस्तर घर के पास बनी जोपडी मे लगा देती है और अभी मेहमान आराम करने जोपदी मे चले जाते हैं,, कुछ औरते रामो देवी के साथ ही रूकती है,, रामो देवी पशुओं के लिए चारा लेकर पशुशाला मे चली जाती है जहाँ केवल किशन सोता था,, तभी किशन घर आता है और अपनी माँ को देखता है रामो देवी उसे कहीं नजर नहीं आती है, तो वह एक औरत से

किशन: काकी माँ कहाँ है,,

औरत:: बेटा तेरी माँ पशुओं को चारा डालने गई है,,

,,, औरत की बात सुनकर किशन पशुशाला मे चला जाता है और अपनी माँ को चारा डालते हूए देख उसके पास जाकर खडा हो जाता है,, चारा डालने के बाद रामो देवी जैसे ही पीछे मुड़ती हैं, तो उसे किशन नज़र आता है जो की उसे ही निहार रहा था,, किशन को इस प्रकार देखते हुए रामो देवी शर्मा जाती है, और अपनी गर्दन झुकाए सर पे रखे साड़ी के पल्लू को अपने दांतों मे दबाकर जाने लगती है उसे मालूम था कि किशन उससे क्या चाहता है,, जैसे ही रामो देवी चलती है। किशन उसका हाथ पकड़ लेता है,, हाथ पकड़ ते ही रामो देवी के दिल की धड़कन बड़ जाती है और वह सोचती है कि किशन कहीं कोई गलत हरकत ना कर दे,,,

किशन: अपनी शर्मीली माँ का हाथ पकड़ कर कहता है,,, कितना और पियासा रहना होगा,,, माँ

,,, रामो देवी किशन की बात सुनकर खुद की साँसों को संभालते हूए कहती है,,

रामो देवी: प्यासा क्यू हैं मेरे लाल मैं अभी तेरे लिए पानी लेकर आती हूँ,,,

,,, रामो देवी की बात सुनकर किशन उसे एक झटके से खीचकर अपनी बाहों में भर लेता है और उसके चेहरे से पल्लू हटाकर उसकी आँखो में देखता है और फिर,,

किशन: ये प्यास पानी की नहीं हैं माँ जो पानी से बुझ जाए,, ये प्यास तो तेरे रसीले होठों का रस पीकर ही बुझेगी,, और अपनी माँ के होठों पर उंगली से सहलाता है,,,

,,, रामो देवी को किशन की बात सुनकर बड़ी शर्म अति हैं और वह शर्म से पानी पानी हो जाती,,,, क्योंकि इस प्रकार की बात तो रघुवीर भी उससे कभी नहीं करता था लेकिन आज उसका बेटा जो की उसका खून है जिसे उसने नॉ महीने अपनी कौक मे रखा है,, आज वह बड़ा होकर उसके होठों का रस पीना चाहता है उसके होठों का रस पान करने के लिए अपनी ही माँ से अनुमति ले रहा है।।

रामो देवी:, किशन तु ना कुछ भी,,,,,,

किशन,,, मुझे इन होठों का रस पीना हैं माँ बोल पिलायेगी ना,,,,,

रामो देवी,, किशन छोड़ मुझे कोई देख लेगा,,,, बेटा,,,,

किशन: पहले मुझे अपने होठों को,,,,

,,,, रामो देवी देखती है की किशन नहीं मानेगा,, तो वह लरजती हुई आबाज मे कहती है,,,

रामो: ठीक है,, जल्दी कर से कर ले,,,, कोई देख ना ले,,, राम जी,,,,

किशन: माँ मुझे तेरे रसीले होठों को जी भर के पीना हैं,,, जल्दी कुछ नहीं,,,,,,

,,,, रामो देवी को डर था कि कोई इस प्रकार उसे देख ना ले नहीं तो उसकी बहुत बदनामी होगी,,, इसलिए वह दरती हुई कहती है।।

रामो देवी: किशन जिद्द ना कर,,, मेरे लाल,,,

किशन: नही माँ तुझे मेरी कसम है,,, बोल पिलायेगी ना सारा रस इन होठों का,,,

,,, रामो देवी देखती है कि किशन फिर से गुस्सा ना हो जाए और उसे छोड़कर,,, नही,, नही,,, और वह तुरंत किशन से कहती है,,, जो की उसकी आँखो में देख रहा था कि उसकी माँ कब जबाब देगी,,,,

रामो देवी:: हाँ पिलाऊँगी जी,,,, सारा रस पी लेना,,,,

किशन: कब,,, माँ

रामो देवी: रात को सबके सोने के बाद अभी मुझे जाने दो सब देख रहे होंगे बहुत देर हो गई है,,,, तभी कोई रामो देवी को आबाज देता है,,,

,,, रामो,, ओ रामो,, अरे कहाँ है,, तु,,

,,, आबाज सुनकर रामो देवी किशन से अलग हो जाती है और किशन अपनी माँ का हाथ फिर से पकड़ कर कहता है,,,

किशन: रात को पक्का आओगी ना माँ,,,,

रामो देवी: हाँ अब छोड़ मुझे जाने दे,,, और किशन से हाथ छुड़ाकर चली जाती है।।

,,, रामो देवी के बाहर आते ही वह औरत अरे कहाँ रह गई थी मेहमानों को खाना खिला दो और किशन कहाँ है उसे भी बोल दे,, की सब को खाना खिला दे,,,, और फिर सब आराम करे,,,,

,,,, औरत की बात सुनकर रामो देवी किशन को आबाज लगाती है और किशन को साथ लेकर सभी मेहमानों को खाना खिलाती हैं।। सभी खाना खाकर अपने अपने बिस्तर पर चले जाते हैं,,, और रामो देवी कुछ औरतो के साथ घर के अंदर सोने चली जाती है,, किशन अकेला पशुशाला मे सोने चला जाता है,,, और सबके सोने का इंतेजार करता है कि सबके सोने के बाद उसकी माँ उसके पास आएगी,,,।।।।

,,, रामो देवी नीचे बिस्तर पर लेटती है और उसके पास तीन और औरते लेती हुई थी,,, जो रामो देवी से लगातार बातें किए जा रही थी,, क्योकि जब चार औरते मिलती है तो वह नींद काम काज खाना पीना सब भूल जाती है,, उन्हे तो बस बातें ही याद आती है,,,,,, काफी रात हो चुकी थी,,, लेकिन किशन की आँखों में नींद का कोई नाम नहीं था और रामो देवी इस लिए जाग रही थी कि अगर वह किशन के पास नहीं गई तो उसका बेटा उससे नाराज हो जाएगा जो बह नहीं चाहती थी,,, इसलिए वह सब के सोने की प्रतिक्षा कर रही थी,,।।।।

।।। और इधर पशुशाला मे किशन को उसके मन मे चल रहे उतेजक प्रभाब ने उसकी नींद उड़ा रखी थी।। वह जानना चाहता था कि उसकी माँ और तारावती के होठों मे किसके होठ ज्यादा मीठे है,, ये सोच कर किशन की बेचैनी और बड़ जाती है और वह और इंतेजार नहीं कर पाता किशन पशुशाला से निकलने लगता है,,, और इधर रामो देवी के पास सभी औरते सो चुकी थी और रामो देवी भी चुपके से सर पर पल्ला रखे किशन के पास आ रही थी,,,, दोनो जैसे ही पशुशाला और घर के बीच में आते हैं,, तभी दोनों की नजरे मिलती है और दोनों एक दूसरे को देखते रहते हैं
रामो देवी चुप खड़ी किशन को ही देख रही थी,, मगर कुछ कहने की हिम्मत उसमे नहीं थी कुछ देर बाद किशन धीरे धीरे कदमो से अपनी माँ के पास जाता है जिसे देख रामो देवी की दिल की धड़कन और तेज हो जाती है,,

।। किशन रामो देवी के पास आकर उसकी आँखो में देखते हुए कहता है,,

किशन: इतना ना तड़पा की मेरी जान ही निकल जाए,,,

,,,, किशन की बात सुनकर रामो देवी,,,

रामो देवी: कांपते होठों से,,,, बो सब जाग रहे थे इसलिए मैं,,,,

,,, किशन उसके होठों पर उंगली रखकर उसे पीछे बनी दीवार से लगा देता है और,,,, उसकी आँखो में देखते हुए कहता है,,,

किशन:: उसके होठों को देखते हुए,, सी,,, अब तो इनका रस पीला दे,,,,

रामो देवी:: अंदर चलो ना कोई देख ना ले,,,
किशन:: नही तु हाँ या ना बोल,,,

,, रामो देवी देखती है कि किशन को गुस्सा आ रहा है,, वह,,

रामो देवी:: ठीक है,, जल्दी करना,,,, किशन

किशन:: उसके होठों के पास अपने होठों को लाता है और रामो देवी की अॉंखो मे देखकर,,,
,,, किशन नहीं माँ जी,,, बोल्,, अभी,,,

रामो देवी:: ए,,,, जी,,, ठीक है,,,
ओर किशन रामो देवी के दोनों होठों को एक साथ अपने होठों मे समा लेता है,,,,,,,

।।। रामो देवी तो शर्म और लाज से धरती मे गदी जा रही थी,, मगर किशन को बहुत अच्छा लग रहा था वह रामो देवी के होठों को किसी दशरी आम की तरह चूस रहा था,, होठों की मिठास मे वह ये भी भूल गया था कि जिसके होठों का वह रसपान कर रहा है वह उसकी माँ हैं,।।।। काफी देर हो चुकी थी रामो देवी को सांस लेने मे दिक्कत हो रही थी,, जब रामो देवी को लगता है कि किशन अपनी मर्जी से नहीं छोड़ेगा तो वह किशन को पीछे कर देती है और अपने लाल हो चुके होठों से,, कांपते हूए कहती है,,

रामो देवी: ए जी,,, जी बस चूस लिए अब तो जाऊ,,, मै

किशन;नही अभी तो बहुत रस है इनमे एक बार और,,,

रामो देवी: नही मेरे होठों मे दर्द,,,, हो रहा है,,

तुझे मेरी कसम है,

ए जी,,, आप जिद्द,,,, ठीक है,,,, मगर आराम से,,,

किशन,,,,,,,,

,,आज के लिए इतना ही दोस्तों,,,,

।।। Happy रक्षाबंधन।।।।। And injoy my story,,,,, bete se ummeed,,,,,
शानदार bhai
 

andyking302

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Update: 19

।।। अपनी माँ के होठों का एक बार रसपान करने के बाद भी किशन का मन नहीं भरा था और अब वह एक बार फिर से रामो देवी के होठों को पीना चाहता था और उसकी माँ डरती हुई इधर उधर देख रही थी कि कोई इस प्रकार एक माँ बेटे को देख ना ले और अब वह अपने बेटे की जिद्द और जुदाई के डर से मजबूर होकर उसे फिर से अपने होठों को सौप देती है,, किशन जैसे ही अपने होठों को अपनी माँ के होठों के करीब लाता है,, तभी रामो देवी के कानों में किसी के चपलो ही आहत सुनाई देती है।। रामो देवी तुरंत किशन को धक्का देकर पीछे हट जाती है और,,,

रामो देवी: लगता है कोई उठ गया है,,, किशन तुम पशुशाला मे चले जाओ,,,

किशन: माँ बस एक बार और,,,

रामो देवी: तु क्या अपनी माँ को बदनाम करना चाहता है,,,

,,, रामो देवी के इतना कहते ही किशन वहाँ से चला जाता है,, और रामो देवी अपने होठों को अपनी साड़ी के पल्लू से साफ करती है,, और मन,, हाय राम,,, जान निकाल दिया मेरी,, कितने दुख रहे हैं मेरे होंठ,,, और अपने चेहरे पर पल्लू रखj जाने लगती है,, तभी उसके कानों में किसी औरत की आबाज सुनाई देती हैं,।।

,,, रामो,, ओ रामो,, कहाँ है,,,

रामो देवी: जी,, काकी आई मैं इधर ही हूँ,,

काकी:: अरे तु इतनी रात को इधर क्या कर रही है???

रामो देवी: काकी मैं बो,, मै पेशाब करने आई थी,,

काकी: अच्छा,, ठीक है, मुझे भी बहुत जोर की लगी है,, पेशाब घर कहाँ है,,

रामो देवी: आए ना काकी मैं, ले चलती हूँ,, आपको,,

,,, ये कहकर रामो देवी काकी को अपने साथ एक मिट्टी के बने हुए पेशाब घर में ले जाती है,, जिसकी उपर की छत एक छप्पर की थी और दरबाजे की जगह एक कपड़े का पर्दा डाल रखा था,, पेशाब करने के बाद दोनों घर के अंदर जाने लगती है,, तभी उनके कानों में भैस के बोलने की आबाज आती है,,।।

काकी: अरे ये भैस इतनी रात को कियू बोल रही है,,,

रामो देवी: पता नहीं काकी कई दिन से इसने दूध भी नहीं दिया और इसी प्रकार बोलती है,,,

कार: अरे तो इसका इलाज करा रामो,,

रामो देवी: काकी चारा तो सही से खाती है ये भैस मगर बस बोलती है,, फिर भी अगर आप कहती है तो मै बध् जी को दिखा दूँगी,,,,

काकी: अरे रामो तु कितनी भोली है, ये भी नहीं जानती की इसका इलाज वैध जी के पास नहीं है,, इसे तो भैसा चाहिए,, ये गर्मा रही है,,,

,,, काकी की बात सुनकर रामो देवी शर्मा जाती है, और,,, शर्मा कर,,

रामो देवी;धत्त,,, काकी आप भी ना,,,, बहुत मजाक करती है,,,

काकी: अरे मैं माजक नहीं कर रही रामो इसे सच में भैसा चाहिए,,,

रामो देवी: कुछ सोचते हुए,, पर काकी ये सब काम तो किशन के बापू जी करते थे और अब,, कौन,,,

काकी: अरे तो किशन हैं ना बो कर देगा भैसा ही छोड़ना है,,, मै किशन के काका को बोल दूँगी बो किशन को सब समझा देंगे,,, अब चल और सोते हैं,, कल बहुत काम करने है,,

।। ये सब बातें करते हुए दोनो चली जाती है और घर के अंदर जाकर अपने बिस्तर पर सो जाती है,, किशन भी कुछ देर अपनी माँ के बारे में सोचता है और कब उसे नींद आती है पता ही नहीं चलता,,।।।

।।।,, सुबह की पहली किरण के साथ चिड़ियों के चहकने की अबज होती है,, और किशन के घर पर आये सभी मेहमानों की आँखे खुलती है,, सभी उठकर मिट्टी के बर्तन में पानी लेते हैं और जंगल की ओर चले जाते हैं,, अपने आप को हल्का करने के लिए,,,।। सभी मेहमानों के, आने के बाद,, एक व्यक्ति गाँव में रघुवीर की तेहरबी का न्यौता देने चला जाता है और बाकी सब काम मे लग जाते हैं,।।

।। इधर रामु भी अपने घर पर रजनी और गीता को बोलकर रघुवीर की तेहरबी मे सामिल होने आता है,,
रामू को देख किशन उसके पर छूकर प्रणाम करता है,,
सभी गांव वाले किशन के घर पर आ जाते हैं और रघुवीर की तेहरबी मे सामिल होते हैं,, कुछ लोग एक भट्टी खोदते है और उस पर उड़द का दोंगा रख कर उड़द बनाते हैं और एक तरफ कुछ लोग कड़ी बना रहे थे, दूसरी तरफ चावल का कडाह रखा हुआ था जिसमे चावल बन रहे थे और कुछ औरते रोटी बना रही थी,,
ये सब काम मे दोपहर हो जाती है और अब सभी गांव वालो को खाने का न्यौता भेजा जाता है,,।।

।। सभी गाँव के लोग खाना खाने के लिए आते हैं, और अब सभी मेहमानों को को भी खाना खिलाया जाता है उसके बाद गाँव की सभी औरतो को भी खाना खिलाया जाता है।। खाने का काम खतम होने के बाद गाँव के सभी लोग और सभी मेहमानों को कुछ समय का मोन् धारण करने के लिए कहा जाता है,, किशन के सर के बाल काट दिए जाते हैं और उसके सर पर एक पगड़ी बंधी हुई थी, मौंन धारण करते समय किशन को सब लोगो के बीच में खड़ा किया जाता है।।,

।। दूसरी तरफ सभी औरते भी रघुवीर की आत्मा की सांति के लिए कुछ समय का मोंन् धारण करती है,, और उन साभि के बीच में एक सफेद साड़ी पहने राम देवी चुप चाप खड़ी हुई थी,, जो की एक बिधवा के रूप मे भी सिंगार की हुई सभी औरतों के रंग रूप को मात दे रही थी,, और इसी के साथ मौंन धारण का समय खत्म खत्म होता है और सभी मेहमान और गाँव के लोग बैठ जाते हैं,,

।। तभी एक बुजुर्ग व्यक्ति सब के बीच से खड़ा होकर किशन से कहता है कि,, किशन बेटा ये जो पगड़ी तुम्हारे सर पर बंधी है इसका मतलब है कि अब तुम ही इस घर के मुखिया हो और इस घर की ओर तुम्हारी माँ की देख रेख् और पालन पोसन की जिम्मेदारी तुम्हारी है,, हम सब उम्मीद करते हैं कि तुम ये सब निभा पाओगे,,,।।

।। बुजुर्ग व्यक्ति की बात सुनकर किशन अपनी माँ की ओर देखता है जो की सर पर पल्लू रखे अपनी सुंदर झील सी आँखो से किशन को ही देख रही थी,, जैसे ही किशन अपनी माँ की ओर देखता है दोनो की नजरे मिल जाति है और किशन को रात् हुई होठों की रसपान की घटना याद आती है,, जिसे याद करते हुए किशन कहता है,,

किशन: मै अपने स्वर्ग वासी बाप और उस परमेश्वर को साक्षी मानकर प्रण करता हूँ कि मैं अपनी माँ को किसी भी प्रकार का कष्ट नहीं होने दूंगा और उसकी हर खुशी का मै अच्छे से ध्यान रखूँगा,, अपनी माँ का हर खुशी और गम में साथ दूँगा,,,

।। किशन की बात सुनकर रामो देवी लाज और शर्म से अपनी नजरे झुका लेती है और अपने मन में,, कितना भोला है मेरा बेटा, ये सब प्रण तो इसे अपनी पत्नी के लिए करना चाहिए,, ना की मां के लिए, अरे मेरा क्या है अब बस एक बार तेरी शादी देख लूँ और गीता बेटी के हाथ की दो समय की रोटी मिल जाए और मुझे क्या चाहिए,,,।।

।। इसी प्रकार रघुवीर की तेहरबी का सभी कार्य पूरा होता है और सभी गांव वाले किशन से आशीर्वाद देकर चले जाते हैं,, रामू किशन को शादी की तय्यारी के बारे में बताता है,, जो शादी गांव के ही एक मंदिर में पांच गांव के पांचो की निगरानी में होनी थी,, दो दिन बाद शादी के लिए रामो देवी और किशन को समझाने के बाद रामु भी वहाँ से चला जाता है,,

।। रामो देवी बहुत खुश थी कि उसके बेटे की शादी अब जल्द ही होगी,,, और वह मन में विचार करती है।।

रामो देवी मन में) जल्द ही किशन की शादी होगी तो फिर मेरा बेटा उस रंडी तारावती के पास जाना छोड़ देगा और मेरे साथ भी कोई गंदी मानसिकता नहीं करेगा,,,।।

।। सभी मेहमान जा रहे थे तभी एक व्यक्ति किशन को अकेले में ले जाता है और किशन से,,

व्यक्ति;: बेटा किशन मैंने सुना है की तुम्हारी भैस दूध नही दे रही कुछ दिनों से और बहुत बोल रही है,, तुम्हारी काकी ने मुझे बताया है,,,

किशन: जी काका बो दूध नही देती माँ ने बताया था एक दिन,, और लात मारती है,,

व्यक्ति: अरे तो बेटा उसे हरि होना है उसे भैसा चाहिए,,

किशन: हरि होना है,, भैसे से,, मगर काका मैंने तो ये सब कभी नहीं देखा बापू ही करते थे,,,

व्यक्ति:: किशन बेटा तुम्हारे पास एक भैसा हैं ना,,

किशन: जी काका बो उसी का है,, और अब तो बग्गी मे भी चलता है,,,

व्यक्ति: मै तुम्हे बताता हू कि तुम्हे क्या करना है,,

किशन: जी काका बताए कि मुझे क्या करना है,,,

व्यक्ति: तुम्हे भैस को मजबूती से बांधना है और उस भैसे को उसके पास छोड़ देना, है, बस बाकी सब कुछ वह अपने आप कर लेगा,,।। समझे,,

किशन:: जी काका समझ गया,, बहुत बहुत, शुक्रिया आप का,,

व्यक्ति: अच्छा तो बेटा अब हमे भी चलना चाहिए रात होने से पहले घर पहुँचना है,,।

।। सभी मेहमान रघुवीर की तेहरबी का कार्य पूरा करने के बाद अपने अपने घर चले जाते हैं और किशन अपनी माँ के साथ अकेला रह जाता है,,।।। किशन के दिमाग में काका की बताई बात घूम रही थी,, और वह सोच रहा था कि भैसा भैस को कैसे हरि करता है,।
ये तो मैंने कभी देखा ही नहीं जब बापू भैस को हरि कराते थे तो मुझे दंगल में भेज देते थे मै कभी देख हि नही सका,,,,

।। आगे क्या होगा जानने के लिए पढ़ते रहिये।।
,, bete se ummeed,,,

Ghjhghhvhhjn,,,,
शानदार bhai
 

Raz-s9

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मैं जानता हूं कि लेखक हमेशा सुंदर और बड़े अपडेट से पाठकों को खुश करने में प्रसन्न होते हैं। लेकिन हम जानते हैं कि आप मेडिकल में काम करते हैं। इतनी बड़ी जिम्मेदारी के बीच, कहानी लिखना बहुत मुश्किल है। एक अच्छी माँ के साथ धीरे-धीरे लिखें, और जब बड़ा अपडेट तैयार हो जाए, तो उसका पोषण करें।इसमें हम, पाठक, कहानी पढ़ने और पढ़ने का आनंद ले सकेंगे। क्षमा करें अगर गलत है।
 
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