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।।, सभी मेहमानों के जाने के बाद किशन काका की बात सुनकर सीधा पशुशाला मे चला जाता है और, अपने पशुओं की ओर देखता है,, इस समय सभी पशु बैठ कर आराम कर रहे थे,, किशन सभी पशुओं को आराम करता देख अपनी चारपाई पर लेट जाता है और किसी गहरी सोच मे डूब जाता है।। काका की बातों का किशन के दिमाग पर इतना गहरा प्रभाव पड़ा था कि वह यह भी भूल गया था कि उसने खाना नहीं खाया है,, जिस दिन से किशन ने वह पुस्तक देखी थी उस दिन से किशन के मन में केवल उसमे देखे गई नग्न स्त्री के शरीर की अकिर्ति ही घूम रही थी,, और वह तारावती की योनि में अपना लिंग प्रवेश करने के बाद जो आनंद मेहसूस कर रहा था उस आनंद की चरम सीमा क्या होती है।। ये जानना चाहता था,,।। इन्ही सोच मे डूबा हुआ था,, किशन की तभी उसके कानों में रामो देवी, की आबाज सुनाई देती है,,,
।। रामो देवी पशुसाला के दरबाजे पर खड़ी होकर किशन को पुकारती हैं, वह अंदर नहीं जाती, क्योकि उसे डर था कि कहीं किशन फिर से उसके साथ, कोई गंदी हरकत ना करे,,।।।
रामो देवी: किशन बेटा,, सो गया क्या?,खाना भी नहीं खाया,,,
।। अपनी माँ की बात सुनकर किशन गहरी सोच से बाहर आता है,, और बह अपनी माँ की ओर देखता है।। जो पशुशाला के दरबाजे पर खड़ी थी,,।।
किशन;: नही माँ मै, जग रहा हूँ,, बस अभी भूख नहीं है,,
रामो देवी: क्यो नहीं है भूख बेटा तेरी तबियत तो ठीक है ना,,
किशन: हाँ मैं ठीक हूँ,, माँ तु खा ले,,
रामो देवी;: जिसका एक ही बेटा हो और बह भूखा रहे तो उसकी माँ खाना कैसे खा सकती है,, अगर तु नहीं खायेगा तो मै भी नहीं,,,
किशन: नही माँ,, अब से तुम्हे मेरी बजह से कोई तकलीफ नहीं होगी चलो दोनों साथ मे खाते हैं,,।
।। और किशन अपनी माँ के साथ घर के अंदर चला जाता है, रामो देवी किशन के लिए घर के बीच में एक चटाई बिछाती है और एक बड़ा सा चिराग रोशन के लिए लाती है और उसे चटाई के बीच में रख देती है, फिर दो थाली में खाना लगाकर लाती है और किशन से समीप बैठ जाती है,, अँधेरा घना था जिसके कारण रामो देवी का चेहरा और उसकी नाक में किशन की पहनाई सोने की नैथनी सिराग की रोशन उसी प्रकार दमक रही थी जिस प्रकार अँधेरी रात में चंद्रमा के पास कोई बड़ा सितारा चम् चमता है,, किशन की नज़र जैसे ही अपनी माँ के चेहरे पर जाती है, वह उसकी सुंदरता मे खो जाता है और अपनी माँ के चेहरे को बड़े ध्यान से देखता है,, ऐसा नहीं था कि किशन ने अपनी माँ को पहले कभी नहीं देखा था, रामो देवी को तो किशन पहले भी देखता था, परन्तु कामसूत्र की पुस्तक देखने के बाद औरतो के लिए किशन का नजरिया अब बदल गया था,, जिसके कारण बह अपनी माँ मे भी एक औरत हि देखता था,,,।।।
।।। रामो देवी किशन को खाना खाने के लिए कहती है,, परन्तु किशन उसकी बात का कोई उत्तर नहीं देता वह तो बस रामो देवी की सुंदरता ही निहार् रहा था,, अपनी बात का कोई उत्तर न पाकर रामो देवी किशन की ओर देखती है, जो की उसे ही निहार् रहा था,, अपनी ओर किशन को इस प्रकार निहारता देख कर रामो देवी को बड़ी शर्म आती है, और वह शर्म से अपना सर झुकाकर किशन से कहती है।।
रामो देवी: एसे किया देख रहा है, खाना नहीं खाना है?।
किशन: माँ तेरी सुंदरता देख कर हि मेरा पेट भर जाता है,, तुम कितनी सुंदर हो माँ,,
रामो देवी;: किशन बेटा मैं तेरी माँ हूँ और माँ से इस तरह की बात नहीं करते,, ये बातें तो तुम्हे गीता के साथ करनी चाहिए,, शादी के बाद,,
किशन: माँ क्या मैं अपनी माँ की सुंदरता की तारीफ भी नहीं कर सकता, क्या ये भी तुझे गलत लगता है, मै जो भी करता हूँ, जो भी कहता हूँ क्या तुझे उससे कोई खुशी नहीं मिलती तु हमेशा मुझे गलत ही क्यो समझती है अगर तुझे मै इतना ही बुरा लगता हूँ तो मै फिर से यहाँ से हमेशा, हमेशा के चला जाता हूँ,, और अबकी बार कभी लौट कर नहीं आऊंगा,,।।
।। किशन गुस्से में यह सब बोलकर बिना खाना खाए उठ कर जाने लगता है,, रामो देवी किशन को इस प्रकार गुस्से में जाता देख कर डर जाती है वह जानती थी कि किशन यदि इस प्रकार गुस्से में चला गया तो हो सकता है कि अबकी बार कभी लौट कर ही न आये,, और फिर उसके जीवन में जीने का कोई उदेश्य ही नहीं रहेगा किसके लिए जीयेगी ये जिन्दगी,, यह सब सोचकर रामो देवी किशन का हाथ पकड़ लेती है,,,
रामो देवी: नही मेरे लाल मै तेरे बिना नहीं जी सकती,, मुझे माफ कर दे,, अब मै तुझे कुछ नहीं कहूँगी, चल खाना खा ले,,,
।। किशन देखता है कि उसकी माँ की आँखों में आँसू आ रहे हैं और वह डर भी रही है,, किशन अपने कदमो को रोक लेता है और,।।
किशन: ठीक है माँ मगर एक शर्त पर,,
रामो देवी: क्या,, शर्त है,,
किशन: मुझे अपनी सुंदर माँ का चेहरा अपने हाथो में लेकर जी भर के देखना है,,
रामो देवी: ठीक है,, मगर मुझे तुझसे शर्म आती है,, पहले तु खाना खा ले,,
किशन: नही माँ अब इस सुंदर चेहरे की भूख है मुझे पहले मेरी ये भूख मिटा दें,,,
रामो देवी: तु बहुत जिद्दी हो गया है पहले तो कभी नहीं करता था,, इस प्रकार की बातें,,,
किशन: माँ जल्दी करो,, अब और नहीं रहा जाता है,,,
।।। किशन को इस प्रकार बेसबर देख रामो देवी खड़ी होकर किशन के सामने आ जाती है और सर जुकाकर खड़ी हो जाति है,, किशन अपनी माँ को अपने सामने खड़ा देख उसके चेहरे को अपने दोनों हाथो में कैद कर लेता है और धीरे धीरे उसके चेहरे को उठता है,, रामो देवी शर्म और लाज से अपनी आँखो को बंद कर लेती है,,,, किशन देखता है कि उसकी माँ की साँसों की गती तेज हो रही है,,, और फिर,,
किशन: अपनी सुंदर आँखो को तो खोल माँ,,,
रामो देवी: नही मुझे शर्म आती है,,,
किशन: माँ एक बार बस मेरे लिए,,
।। किशन की बात सुनकर रामो देवी अपनी सुंदर आँखो को धीरे धीरे खोलती है, और अपने बेटे की आँखों में देखती है, किशन की आँखों में उसे केवल प्यार ही नज़र आता है जो प्यार केवल गीता के लिए होना चाहिए, बो अपनी माँ के लिए ना जाने क्यू किशन की आँखों में इस प्यार को देखकर रामो देवी भी यह भूल जाती है कि बह किशन की मां है, और उसकी प्यार भरी आँखो में अपनी जगह तलासती है,,।।
।।। किशन अपनी माँ की आँखों में देखते हुए उसकी सुंदता मे खो गया था और, बह उसकी नज़रो से अपनी नज़र मिलकर कहता है,,,।।
किशन: माँ तु कितनी सुंदर है और तेरे ये गुलाब की पंखुड़ी से होंठ जिनमे हमेशा रस टपटा रहता है, कितने मीठे है,, इनका रस पीने का मन करता है,,, बार बार,,,
।। किशन की बात सुनकर रामो देवी अपनी नजरे झुका लेती है,, और उसकी बात का कोई जबाब नहीं देती,,, किशन देखता है कि उसकी माँ होंठो के नाम से शर्मा रही है,, बह फिर से,,
किशन: माँ बोलो ना बस एक बार,,,
रामो देवी: शर्मा कर, नही,,, मुझे दर्द होता है किशन,, तु बहुत तेज,,,,
।। अपनी माँ की बात सुनकर किशन अपने होठों को रामो देवी के होठों के करीब लाता है और,,,
किशन: बस एक बार,, और इन का रस पीने दे,,,,
रामो देवी: नही किशन,,, मै मर जाऊंगी,,, तुम चाहो तो चूम लो,, इन्हे,,,
।। किशन अपनी माँ की बात सुनकर उसके होठों पर प्यार से चूम लेता है और फिर उसे छोड़ कर खाना खाने लगता है और अपनी माँ की ओर देखता है जो की शर्म से सर झुकाए खड़ी थी,, किशन अपनी माँ का हाथ पकड़ कर,, नीचे बैठता है और,,।।
किशन: चलो माँ अब तुम भी खाना खा लो,,,
।। किशन की बात सुनकर रामो देवी भी खाना खाने लगती है और फिर खाना खाने के बाद,, रामो देवी,,,।।
।। किशन बो तेरे काका तुझे अकेले में क्या समझा रहे थे,,,
किशन: कुछ नहीं माँ बो भैस के लिए समझा रहे थे, की उसे हरि करना है,,
।। किशन के मुह से भैस हरि करना की बात सुनकर रामो देवी को बड़ी शर्म आती है और वह शर्मा कर,,
रामो देवी: ठीक है,,, ठीक है,,,
।। दोस्तो आज के लिए इतना ही,, छोटे update के लिए माफ़ी चाहता हूं,, मगर काम करते हुए emergency भी देखनी है,, thanks,,,,