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Incest Bete se ummeed,,

Developmentnnn

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।। Update: 21

।।किशन अपनी माँ को देखकर समझ जाता है कि उसकी माँ इस प्रकार की बात सुनकर शर्मा रही है।फिर रामो देवी से कहता है।।

किशन: ठीक है माँ मैं जा रहा हूँ पशुशाला मे सोने के लिए,।

।। किशन रामो देवी से यह बोलकर चला जाता है,।।
रामो देवी भी सोने के लिए चारपाई पर लेट जाती है, तभी रामो देवी के मन में न जाने क्या विचार आता है और वह तुरंत चारपाई से उठकर,, पशुशाला की ओर चल देती है और वहाँ पहुँचकर किशन को आबाज देती है।। अपनी माँ की आबाज सुनकर किशन पशुशाला से बाहर आता है,,।।

किशन: क्या हुआ माँ इतनी घबरा क्यों रही है??

रामो देवी: बो... मै तुझे कुछ बताने आई थी,,,

किशन: हाँ तो बोल ना क्या हुआ,,???

।। रामो देवी सर को झुकाकर कहती है।।

।। किशन,,, बेटा,, बो,, मै कह रही थी कि तु इस भैस को अपने भैसे से मत करना,,,

।।। रामो देवी शर्माते हूए लाज और शर्म मे लीन होकर अपने बेटे को कहती है।। किशन अपनी माँ की बात सुनकर उसके करीब आता है और उसे करीब आत देख रामो देवी सोचती है की कहीं किशन फिर से कोई हरकत तो नहीं करेगा,, ये सब सोचकर उसके दिल की धड़कन बड़ जाती है,, तभी किशन उसके करीब आकर उसके कान में कहता है,,।।

किशन: क्यो माँ अपने भैसे से क्यूँ नहीं,,,

।। रामो देवी किशन की बात सुनकर सोचती है की, अब किशन को क्या समझाए कि बो भैस उस भैसे की मां हैं और माँ बेटे मे यह काम नहीं हो सकता,,।।

रामो देवी: किशन बो भैस,,, उसकी माँ है,,,

।। रामो देवी की बात सुनकर किशन फिर से उसके कान में धीरे से कहता है।।।

किशन: तो क्या हुआ माँ क्या एक बेटा अपनी माँ को हरि नहीं कर शकता,, क्या बो अपनी परेसान माँ को देखता रहेगा,,।।

।। रामो देवी के पास किशन की बात का कोई उत्तर नहीं था,, बह सोच रही थी कि किशन को क्या जबाब दे परन्तु कोई उत्तर न पाकर बह किशन को,,,।।

रामो देवी: धत्त,,, बेशर्म,,,।

।। इतना कहने के बाद रामो देवी शर्मा कर भागती हुई घर के अंदर चली जाती है और सीधा चारपाई पर पेट के बल् लेट् जाती है,।।किशन भी पशुशाला मे जाता है और एक बार अपनी भैस और भैसे की ओर देखता है जो की इस समय सोये हूए थे, और कुछ सोचते हुए चारपाई पर लेट जाता है।।।

।। रामो देवी और किशन को सुबह तक के लिए सोने देते हैं,, और अब वीर सिंह के हाल भी जान लेते हैं कयोकि वीर सिंह भी इस कहानी का एक अहम हिस्सा है,।। तो चलते हैं दोस्तो वीर सिंह के पास,,,,।।।

।। वीर सिंह जिसे एक वर्ष के लिए गाँव की सभी पंचायत और सीमा से निकाल दिया गया था,, किसी घने जंगलों में एक कुतिया बनाकर अपने दिन काट रहा था, अपनी पत्नी सकुंतला को बह उसकी माँ के पास छोड़ कर आया था और उसकी 200, बीघा जमीन पर अब उसके नौकरों का राज चलता था,, वीर सिंह को गाँव से आए हुए आज 14, दिन बीत चुके थे और अपना पेट भरने के लिए बह कुछ समान गाँव से लाया था,, जिसके अभी तक का गुजारा कर रहा था,,।।

।। रात का समय था और वीर सिंह सरसों का साग बनाकर धान की रोटी अपनी कुटिया मे बैठकर खाने के लिए तय्यार था,, जैसे ही बह निबाला तोड़ कर अपने मुह के पास ले जाता है, तभी, उसके कानों में,,।।

।।जय हो,, महा काल की,, कोई है,, 💀,,,, जय महा काल,,,।।

।। वीर सिंह के कानों में जब यह आबाज सुनाई देती है तो। बह बाहर जाकर देखता है। बाहर एक लम्बे कैद का काला सा व्यक्ति जो एक तांत्रिक प्रतीत होता है,।। उसे देखकर वीर सिंह उसे प्रणाम करता है।।।

वीर सिंह: कहिये महाराज मैं आपकी क्या सेवा कर सकता हूं,,

तांत्रिक: जय महा काल,,, हम दो दिन से भूखे है,, क्या तुम हमे खाना खिला सकते हो,,??

वीर सिंह: जी महाराज आइए ना,, अंदर आए,,

।।। वीर सिंह तांत्रिक को कुटिया के अंदर ले जाता है और उसे बड़े आदर से खाना खिलता है,,।। तांत्रिक को वीर सिंह का आदर सत्कार करना बहुत अच्छा लगता हैं और बह उससे खुश होकर,,,।।।

तांत्रिक: जय महा काल,, तूने हमारी इच्छा पूरी की,, है। बोल् तुझे क्या चाहिए,,

।। वीर सिंह: महाराज मेरी तो बस एक ही इच्छा है,, की मुझे गीता मिल जाए बस,।। और वीर सिंह तांत्रिक को गीता के बारे में सब बता देता है।। वीर सिंह की बात सुनकर, तांत्रिक,,, वीर सिंह से कहता है।।।

तांत्रिक: गीता कोई साधारण कन्या नहीं है। मैंने अपनी तांत्रिक शक्ति से सब जान लिया है,, यदि तुमने उसके साथ सम्भोग किया तो तुम्हारी उसी समय मृत्यु हो जाएगी,,

वीर सिंह: महाराज मै गीता को बहुत चाहता हूं,, मुझे गीता से प्रेम हैं,,

तांत्रिक: तूने मुझे इस घने जंगलों में खाना खिलाया है,, इसलिए मै तुझे ऐसा मंत्र बताता हू जिसके निर्णतं जाप करने से, महा काल प्रशन होकर गीता का मिलाप तुझसे करवा सकते हैं परन्तु तुझे उसके लिए कठिन तपस्या करनी होगी,, बाकी का कार्य तुझे स्वम महा काल ही बता देंगे और जब तक महा काल तुम पर महा काल की कृपा नहीं होगी तुम गीता को हासिल करने मे कभी भी कामयाब नहीं हो सकते,,,।।

वीर सिंह: आप की बहुत कृपा है,, बाबा जो आपने मुझे गीता को हासिल करने उपाय बताया,, मै गीता को हासिल करने के लिए कुछ भी कर सकता हूँ,, फिर चाहे मुझे भगवान को ही क्यो ना प्रशन्न करना हो,, आप मुझे बो मंत्र बता दीजिये,,।।

।।वीर सिंह की बात सुनकर तांत्रिक उसे एक मंत्र का जाप करता है। और उसे उस मंत्र की विधी के बारे में बताकर बहां से चला जाता है।।

।।वीर सिंह अपने मन में विचार करता है कि अब मुझे गीता को हासिल करने से कोई नहीं रोक सकता,, एक बार महा काल मुझ पर प्रसन् हो गए तो उस किशन को भी मै देख लूंगा यह सब विचार करते हुए वीर सिंह खाना खाने के बाद अपनी कुटिया मे सो जाता है।।

।। और एक नई सुबह की पहली किरण के साथ चिड़ियों के चहकने की आबाज होती है। किशन की आँखे खुलते ही बह अपने पशुओं की ओर देखता है, उसकी नज़र भैस और भैसे पर जाती है, जो इस समय अपने अपने खूंटो के चक्कर काट रहे थे,, किशन भैस को चक्कर काटता देख, तुरंत अपनी चारपाई से उठता है और, भैस के पास जाकर उसे खोलता है,,।।

।। किशन मन में,, चल आज तेरी बेचैनी दूर कर देता हूँ,, बहुत बोलती है तु,,। और भैस को खोलकर पशुशाला से बाहर लाता है, बाहर एक नीम के पेड से उसे बांध देता है,, उधर किशन की माँ रमो देवी उठकर घर मे झाडू लगा रही थी, लेकिन किशन बाहर क्या करने बाला है बह इस बात से अन्जान थी,, रमो देवी अभी घर के अंदर ही झाडू लगा रही थी,, किशन भैस को बाँधने के बाद पशुशाला मे जाता है और अपने भैसे को खोलकर बाहर लाता है,, जिस तरह किशन एक बलिस्ट लड़का था उसी प्रकार भैसां भी एक दनाब सा प्रतित हो रहा था,, आज पहली बार उस भैसे को यह मौका दिया गया था, बो भी उसी की मां के साथ,, किंतु बह किशन की तरह इंशान नहीं था जिसे रिश्ते नातो की समझ हो,, रामो देवी से बाहर निकती है।। और बह भैस को नीम के पेड से बंधा देख दरवाजे पर ही रुक जाती है,, कहीं न कहीं उसके मन में भी यह देखने की इच्छा थी कि एक बेटा अपनी ही माँ के साथ जब सम्भोग करेगा तो उसकी माँ को कैसा प्रतित होगा यह सब सोचकर,, वह दरबाजे के पीछे छुप जाती है,,।

।। किशन भैसे को बाहर लाता है और उसे भैस के साथ खुला छोड़ देता है,, भैसां तुरंत भैस के पीछे जाकर उसकी योनि को चाटने लगता है,, लेकिन भैस को न जाने क्या होता है, वह भैसे को देख कर दूसरी तरफ घूम जाती है,, इन सब कार्य को रामो देवी छुपकर देख रही थी,, और किशन भी भैस के साथ खड़ा ये सब बड़े ही गौर से देख रहा था,,।।

।। एक बार फिर भैसां अपनी माँ के पीछे जाकर उसकी योनि को चाटने लगता है और इससे पहले की भैस हिलती बह उसके ऊपर चड् जाता है, उसके ऊपर चढ़ते ही उसका लम्बा और मोटी गाजर के आकार का लिंग् उसकी माँ की योनि में समा जाता है,, क्योकि भैसे का बजन् अपनी माँ के आकार से दोगुना था इसलिए वह उसका यह अचानक से हुआ जोरदार धक्का झेल नहीं पाती,, जिसके कारण वह नीचे गिर जाती है और उसकी योनि से पेशाब निकल जाती है,,।। भैसे का लिंग जैसे ही उसकी माँ की योनि से बाहर आता है,, तो रामो देवी की नज़र उस पर जाती है और उसके लिंग को देखकर रामो देवी अपने मन में,,।।

।। हैय्,, राम,, कैसे झेल गई इतना लम्बा,, बेचारी का पेशाब निकल गया,,।।

।। किशन को यह सब कुछ बडा अच्छा लगता हैं और वह फिर से भैस को खडा कर देता है,, भैस के खड़ा होते ही,,,, भैसा तुरंत उसके ऊपर फिर से चढ़ जाता है,, इस बार भैस के मुह्न से एक जोर की चीख निकलती है,,, और वह पेशाब करते हुए फिर से बैठ जाती है,, और इधर रामो देवी भैस को चीखता देख,,।।

।। किशन मेरे लाल,, बस कर हटा दे उसे जान निकल जाएगी उसकी, बहुत बड़ा हैं उसका,,।।

।। किशन इस बात से अंजान था की उसकी माँ भी यह सब कुछ देख रही है,, और वह एक बार फिर से भैस को खड़ा करता है,, इस बार भैस के खड़ा होते ही भैसा फिर से उसके ऊपर चड् जाता है, और भैस फिर से
चीखती हुई नीचे गिर जाती हैं। और यह देख रामो देवी अपने मन में।।

।। हाय,, माँ,, किशन, मर् जाएगी,, बो,, छोड़ दे अब उसे,,।। तभी रामो देवी के हाथ से दीवार पर रखी लालटन गिर जाती है, और आबाज सुनकर किशन की नजर उस तरफ जाती है,, किशन देखता है कि उसकी माँ यह सब छुपकर देख रही थी।।

।। दोस्तो आज के लिए इतना ही, कोसिस करता हूँ कल update dene ki,,,

।।।।
 
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hellboy

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।।किशन अपनी माँ को देखकर समझ जाता है कि उसकी माँ इस प्रकार की बात सुनकर शर्मा रही है।फिर रामो देवी से कहता है।।

किशन: ठीक है माँ मैं जा रहा हूँ पशुशाला मे सोने के लिए,।

।। किशन रामो देवी से यह बोलकर चला जाता है,।।
रामो देवी भी सोने के लिए चारपाई पर लेट जाती है, तभी रामो देवी के मन में न जाने क्या विचार आता है और वह तुरंत चारपाई से उठकर,, पशुशाला की ओर चल देती है और वहाँ पहुँचकर किशन को आबाज देती है।। अपनी माँ की आबाज सुनकर किशन पशुशाला से बाहर आता है,,।।

किशन: क्या हुआ माँ इतनी घबरा क्यों रही है??

रामो देवी: बो... मै तुझे कुछ बताने आई थी,,,

किशन: हाँ तो बोल ना क्या हुआ,,???

।। रामो देवी सर को झुकाकर कहती है।।

।। किशन,,, बेटा,, बो,, मै कह रही थी कि तु इस भैस को अपने भैसे से मत करना,,,

।।। रामो देवी शर्माते हूए लाज और शर्म मे लीन होकर अपने बेटे को कहती है।। किशन अपनी माँ की बात सुनकर उसके करीब आता है और उसे करीब आत देख रामो देवी सोचती है की कहीं किशन फिर से कोई हरकत तो नहीं करेगा,, ये सब सोचकर उसके दिल की धड़कन बड़ जाती है,, तभी किशन उसके करीब आकर उसके कान में कहता है,,।।

किशन: क्यो माँ अपने भैसे से क्यूँ नहीं,,,

।। रामो देवी किशन की बात सुनकर सोचती है की, अब किशन को क्या समझाए कि बो भैस उस भैसे की मां हैं और माँ बेटे मे यह काम नहीं हो सकता,,।।

रामो देवी: किशन बो भैस,,, उसकी माँ है,,,

।। रामो देवी की बात सुनकर किशन फिर से उसके कान में धीरे से कहता है।।।

किशन: तो क्या हुआ माँ क्या एक बेटा अपनी माँ को हरि नहीं कर शकता,, क्या बो अपनी परेसान माँ को देखता रहेगा,,।।

।। रामो देवी के पास किशन की बात का कोई उत्तर नहीं था,, बह सोच रही थी कि किशन को क्या जबाब दे परन्तु कोई उत्तर न पाकर बह किशन को,,,।।

रामो देवी: धत्त,,, बेशर्म,,,।

।। इतना कहने के बाद रामो देवी शर्मा कर भागती हुई घर के अंदर चली जाती है और सीधा चारपाई पर पेट के बल् लेट् जाती है,।।किशन भी पशुशाला मे जाता है और एक बार अपनी भैस और भैसे की ओर देखता है जो की इस समय सोये हूए थे, और कुछ सोचते हुए चारपाई पर लेट जाता है।।।

।। रामो देवी और किशन को सुबह तक के लिए सोने देते हैं,, और अब वीर सिंह के हाल भी जान लेते हैं कयोकि वीर सिंह भी इस कहानी का एक अहम हिस्सा है,।। तो चलते हैं दोस्तो वीर सिंह के पास,,,,।।।

।। वीर सिंह जिसे एक वर्ष के लिए गाँव की सभी पंचायत और सीमा से निकाल दिया गया था,, किसी घने जंगलों में एक कुतिया बनाकर अपने दिन काट रहा था, अपनी पत्नी सकुंतला को बह उसकी माँ के पास छोड़ कर आया था और उसकी 200, बीघा जमीन पर अब उसके नौकरों का राज चलता था,, वीर सिंह को गाँव से आए हुए आज 14, दिन बीत चुके थे और अपना पेट भरने के लिए बह कुछ समान गाँव से लाया था,, जिसके अभी तक का गुजारा कर रहा था,,।।

।। रात का समय था और वीर सिंह सरसों का साग बनाकर धान की रोटी अपनी कुटिया मे बैठकर खाने के लिए तय्यार था,, जैसे ही बह निबाला तोड़ कर अपने मुह के पास ले जाता है, तभी, उसके कानों में,,।।

।।जय हो,, महा काल की,, कोई है,, 💀,,,, जय महा काल,,,।।

।। वीर सिंह के कानों में जब यह आबाज सुनाई देती है तो। बह बाहर जाकर देखता है। बाहर एक लम्बे कैद का काला सा व्यक्ति जो एक तांत्रिक प्रतीत होता है,।। उसे देखकर वीर सिंह उसे प्रणाम करता है।।।

वीर सिंह: कहिये महाराज मैं आपकी क्या सेवा कर सकता हूं,,

तांत्रिक: जय महा काल,,, हम दो दिन से भूखे है,, क्या तुम हमे खाना खिला सकते हो,,??

वीर सिंह: जी महाराज आइए ना,, अंदर आए,,

।।। वीर सिंह तांत्रिक को कुटिया के अंदर ले जाता है और उसे बड़े आदर से खाना खिलता है,,।। तांत्रिक को वीर सिंह का आदर सत्कार करना बहुत अच्छा लगता हैं और बह उससे खुश होकर,,,।।।

तांत्रिक: जय महा काल,, तूने हमारी इच्छा पूरी की,, है। बोल् तुझे क्या चाहिए,,

।। वीर सिंह: महाराज मेरी तो बस एक ही इच्छा है,, की मुझे गीता मिल जाए बस,।। और वीर सिंह तांत्रिक को गीता के बारे में सब बता देता है।। वीर सिंह की बात सुनकर, तांत्रिक,,, वीर सिंह से कहता है।।।

तांत्रिक: गीता कोई साधारण कन्या नहीं है। मैंने अपनी तांत्रिक शक्ति से सब जान लिया है,, यदि तुमने उसके साथ सम्भोग किया तो तुम्हारी उसी समय मृत्यु हो जाएगी,,

वीर सिंह: महाराज मै गीता को बहुत चाहता हूं,, मुझे गीता से प्रेम हैं,,

तांत्रिक: तूने मुझे इस घने जंगलों में खाना खिलाया है,, इसलिए मै तुझे ऐसा मंत्र बताता हू जिसके निर्णतं जाप करने से, महा काल प्रशन होकर गीता का मिलाप तुझसे करवा सकते हैं परन्तु तुझे उसके लिए कठिन तपस्या करनी होगी,, बाकी का कार्य तुझे स्वम महा काल ही बता देंगे और जब तक महा काल तुम पर महा काल की कृपा नहीं होगी तुम गीता को हासिल करने मे कभी भी कामयाब नहीं हो सकते,,,।।

वीर सिंह: आप की बहुत कृपा है,, बाबा जो आपने मुझे गीता को हासिल करने उपाय बताया,, मै गीता को हासिल करने के लिए कुछ भी कर सकता हूँ,, फिर चाहे मुझे भगवान को ही क्यो ना प्रशन्न करना हो,, आप मुझे बो मंत्र बता दीजिये,,।।

।।वीर सिंह की बात सुनकर तांत्रिक उसे एक मंत्र का जाप करता है। और उसे उस मंत्र की विधी के बारे में बताकर बहां से चला जाता है।।

।।वीर सिंह अपने मन में विचार करता है कि अब मुझे गीता को हासिल करने से कोई नहीं रोक सकता,, एक बार महा काल मुझ पर प्रसन् हो गए तो उस किशन को भी मै देख लूंगा यह सब विचार करते हुए वीर सिंह खाना खाने के बाद अपनी कुटिया मे सो जाता है।।

।। और एक नई सुबह की पहली किरण के साथ चिड़ियों के चहकने की आबाज होती है। किशन की आँखे खुलते ही बह अपने पशुओं की ओर देखता है, उसकी नज़र भैस और भैसे पर जाती है, जो इस समय अपने अपने खूंटो के चक्कर काट रहे थे,, किशन भैस को चक्कर काटता देख, तुरंत अपनी चारपाई से उठता है और, भैस के पास जाकर उसे खोलता है,,।।

।। किशन मन में,, चल आज तेरी बेचैनी दूर कर देता हूँ,, बहुत बोलती है तु,,। और भैस को खोलकर पशुशाला से बाहर लाता है, बाहर एक नीम के पेड से उसे बांध देता है,, उधर किशन की माँ रमो देवी उठकर घर मे झाडू लगा रही थी, लेकिन किशन बाहर क्या करने बाला है बह इस बात से अन्जान थी,, रमो देवी अभी घर के अंदर ही झाडू लगा रही थी,, किशन भैस को बाँधने के बाद पशुशाला मे जाता है और अपने भैसे को खोलकर बाहर लाता है,, जिस तरह किशन एक बलिस्ट लड़का था उसी प्रकार भैसां भी एक दनाब सा प्रतित हो रहा था,, आज पहली बार उस भैसे को यह मौका दिया गया था, बो भी उसी की मां के साथ,, किंतु बह किशन की तरह इंशान नहीं था जिसे रिश्ते नातो की समझ हो,, रामो देवी से बाहर निकती है।। और बह भैस को नीम के पेड से बंधा देख दरवाजे पर ही रुक जाती है,, कहीं न कहीं उसके मन में भी यह देखने की इच्छा थी कि एक बेटा अपनी ही माँ के साथ जब सम्भोग करेगा तो उसकी माँ को कैसा प्रतित होगा यह सब सोचकर,, वह दरबाजे के पीछे छुप जाती है,,।

।। किशन भैसे को बाहर लाता है और उसे भैस के साथ खुला छोड़ देता है,, भैसां तुरंत भैस के पीछे जाकर उसकी योनि को चाटने लगता है,, लेकिन भैस को न जाने क्या होता है, वह भैसे को देख कर दूसरी तरफ घूम जाती है,, इन सब कार्य को रामो देवी छुपकर देख रही थी,, और किशन भी भैस के साथ खड़ा ये सब बड़े ही गौर से देख रहा था,,।।

।। एक बार फिर भैसां अपनी माँ के पीछे जाकर उसकी योनि को चाटने लगता है और इससे पहले की भैस हिलती बह उसके ऊपर चड् जाता है, उसके ऊपर चढ़ते ही उसका लम्बा और मोटी गाजर के आकार का लिंग् उसकी माँ की योनि में समा जाता है,, क्योकि भैसे का बजन् अपनी माँ के आकार से दोगुना था इसलिए वह उसका यह अचानक से हुआ जोरदार धक्का झेल नहीं पाती,, जिसके कारण वह नीचे गिर जाती है और उसकी योनि से पेशाब निकल जाती है,,।। भैसे का लिंग जैसे ही उसकी माँ की योनि से बाहर आता है,, तो रामो देवी की नज़र उस पर जाती है और उसके लिंग को देखकर रामो देवी अपने मन में,,।।

।। हैय्,, राम,, कैसे झेल गई इतना लम्बा,, बेचारी का पेशाब निकल गया,,।।

।। किशन को यह सब कुछ बडा अच्छा लगता हैं और वह फिर से भैस को खडा कर देता है,, भैस के खड़ा होते ही,,,, भैसा तुरंत उसके ऊपर फिर से चढ़ जाता है,, इस बार भैस के मुह्न से एक जोर की चीख निकलती है,,, और वह पेशाब करते हुए फिर से बैठ जाती है,, और इधर रामो देवी भैस को चीखता देख,,।।

।। किशन मेरे लाल,, बस कर हटा दे उसे जान निकल जाएगी उसकी, बहुत बड़ा हैं उसका,,।।

।। किशन इस बात से अंजान था की उसकी माँ भी यह सब कुछ देख रही है,, और वह एक बार फिर से भैस को खड़ा करता है,, इस बार भैस के खड़ा होते ही भैसा फिर से उसके ऊपर चड् जाता है, और भैस फिर से
चीखती हुई नीचे गिर जाती हैं। और यह देख रामो देवी अपने मन में।।

।। हाय,, माँ,, किशन, मर् जाएगी,, बो,, छोड़ दे अब उसे,,।। तभी रामो देवी के हाथ से दीवार पर रखी लालटन गिर जाती है, और आबाज सुनकर किशन की नजर उस तरफ जाती है,, किशन देखता है कि उसकी माँ यह सब छुपकर देख रही थी।।

।। दोस्तो आज के लिए इतना ही, कोसिस करता हूँ कल update dene ki,,,

।।।।
awesome update bro.bhai plz regular update dene ki koshish kriye
 
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