पौराणिक कथाओं के अनुसार मनुष्य की आत्मा मृत्यु के उपरांत उसके शरीर को त्याग देती है और फिर किसी दूसरे योनी में प्रवेश करती है । लाखों , करोड़ों योनी भटकने के बाद पुनः मानव योनी में प्रवेश करने का मौका मिलता है ।
सजीव पदार्थों में पेड़ पौधों को छोड़ दिया जाए तो ऐसा एक भी योनी शायद नहीं होगा जहां प्यार की भावना नहीं होती है ।
जीव जंतुओं में भी प्रेम की भावना पैदा होती है । अगर परियों की बात करें तो उनकी भी जितनी कहानियां पढ़ा है हमने उससे यही लगता है वो भी प्यार की भाषा समझती है ।
यहां तक कि राक्षसों में भी प्रेम की भावना पढ़ा है हमने ।
फिर मेघा ने ऐसा क्यों कहा कि वो पहली बार प्रेम के सम्बन्ध में सुन रही है ?
क्या वो इन सभी सजीव पदार्थों से भी अलग है ? उसे प्रेम की भाषा अजीब सा क्यों लगती है ?
आखिर वो है कौन ?
अगर वो किसी की अतृप्त आत्मा है तब भी तो उसने ये अढ़ाई अक्षर के शब्द तो जरूर सुने होंगे और इसके प्रभाव को भी महसूस किया होगा ।
लव स्टोरी ..... डार्क लव......से सस्पेंस लव की तरफ घूमा दिया मुझे मेघा की बातों ने ।
यह अपडेट भी बहुत खुबसूरत था शुभम भाई । अंतिम पैराग्राफ में शानदार गजल के साथ ।
आउटस्टैंडिंग एंड अमेजिंग ।