दसवाँ भाग
बहुत ही बेहतरीन कहानी महोदय।।
कहानी के पहले भाग से ही ये तो पता चल ही गया था कि मेघा कोई मामूली शख्सियत नहीं है, जब वो ध्रुव से बार बार कह रही थी कि इंसानों के लिए उसने पहली बार ऐसा किया है। मेघा तो बिल्कुल सच बोल रही थी। वो तो राजकुमारी निकली। पिशाचिनियों को राजकुमारी। जिनका काम ही होता है इंसानों का पीकर चिरकाल तक जीवित रहना।। यहां से बहुत बड़ा रहस्योद्घाटन हो गया। मेघा एक पिशाचिनी है जो लोगों का खून पीती है, लेकिन ध्रुव के प्रेमपाश में फंसकर उसने न सिर्फ ध्रुव को जीवित छोड़ दिया बल्कि अपने भाइयों से भी ध्रुव को दो वर्षों तक बचाये रखा। अगर ध्रुव की जिद न होती मेघा को खोजने की तो शायद सारी जिंदगी बचा कर रखती वो ध्रुव को अपने भाइयों से।।
तो मेघा के बाप को दोबारा जीवन तभी मिल सकता है जब मेघा किसी इंसान से प्रेम करे और उसका खोएं मेघा के खून के साथ उसके बाप को आहुति में दिया जाए।। मेघा की असलियत जानते हुए भी ध्रुव ने न सिर्फ मेघा को खोजने की कोशिश की बल्कि अपने प्राणों का बलिदान भी उसके बाप को जीवित करने के लिए देना स्वीकार कर लिया, जो ये दर्शाता है कि वो किस हद तक मेघा से सच्चा प्यार करता है।। प्रेम की कोई परिभाषा तो होती नहीं है, लेकिन ध्रुव ने मेघा के प्यार में प्रेम की एक नई परिभाषा भी लिख दी। रुद्र और वीर मुंह खोले ध्रुव को देखे जा रहे हैं जैसे उन्हें भरोषा ही नहीं हो पा रहा था कि कोई इंसान इतना सीधा और उसकी बहन से इतना प्रेम करने वाला कैसे हो सकता है।।
बहुत ही बेहतरीन कहानी महोदय।।
कहानी के पहले भाग से ही ये तो पता चल ही गया था कि मेघा कोई मामूली शख्सियत नहीं है, जब वो ध्रुव से बार बार कह रही थी कि इंसानों के लिए उसने पहली बार ऐसा किया है। मेघा तो बिल्कुल सच बोल रही थी। वो तो राजकुमारी निकली। पिशाचिनियों को राजकुमारी। जिनका काम ही होता है इंसानों का पीकर चिरकाल तक जीवित रहना।। यहां से बहुत बड़ा रहस्योद्घाटन हो गया। मेघा एक पिशाचिनी है जो लोगों का खून पीती है, लेकिन ध्रुव के प्रेमपाश में फंसकर उसने न सिर्फ ध्रुव को जीवित छोड़ दिया बल्कि अपने भाइयों से भी ध्रुव को दो वर्षों तक बचाये रखा। अगर ध्रुव की जिद न होती मेघा को खोजने की तो शायद सारी जिंदगी बचा कर रखती वो ध्रुव को अपने भाइयों से।।
तो मेघा के बाप को दोबारा जीवन तभी मिल सकता है जब मेघा किसी इंसान से प्रेम करे और उसका खोएं मेघा के खून के साथ उसके बाप को आहुति में दिया जाए।। मेघा की असलियत जानते हुए भी ध्रुव ने न सिर्फ मेघा को खोजने की कोशिश की बल्कि अपने प्राणों का बलिदान भी उसके बाप को जीवित करने के लिए देना स्वीकार कर लिया, जो ये दर्शाता है कि वो किस हद तक मेघा से सच्चा प्यार करता है।। प्रेम की कोई परिभाषा तो होती नहीं है, लेकिन ध्रुव ने मेघा के प्यार में प्रेम की एक नई परिभाषा भी लिख दी। रुद्र और वीर मुंह खोले ध्रुव को देखे जा रहे हैं जैसे उन्हें भरोषा ही नहीं हो पा रहा था कि कोई इंसान इतना सीधा और उसकी बहन से इतना प्रेम करने वाला कैसे हो सकता है।।