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Fantasy Dark Love (Completed)

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lovely update ..koi shakti thi shayad jo dhruv ko aage badhne nahi de rahi thi aur wo ghum phirke jharne ke paas hi aa raha tha ..
bhulbhulaiya jaisa tha wo sab .aur aakhir me sadak kinare pahuch gaya jabki usko jungle me jana tha .
ghar aakar megha ki yaado me kho gaya jab wo uske liye khana lekar aayi thi aur us khane ko pehle kabhi dekha nahi tha dhruv ne .
pyar ke baare me to sahi kaha dhruv ne par megha ki koi majburi hogi jo wo uske saath nahi reh sakti .
 

Lucky..

“ɪ ᴋɴᴏᴡ ᴡʜᴏ ɪ ᴀᴍ, ᴀɴᴅ ɪ ᴀᴍ ᴅᴀᴍɴ ᴘʀᴏᴜᴅ ᴏꜰ ɪᴛ.”
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Update - 02
__________________




एक बार फिर से उसकी तलाश में मुझे नाकामी मिल गई थी। एक बार फिर से मैं मायूस और निराश हो गया था। एक बार फिर से मेरा दिल तड़प कर रह गया था। मेरी आँखों से आंसू के क़तरे छलक कर मेरे गालों पर आ गिरे। मैंने चेहरा उठा कर आसमान की तरफ देखा और मन ही मन ऊपर वाले से एक बार फिर शिकवा किया और उससे फ़रियाद भी की।

वापसी की राह हमेशा की तरह मुश्किल थी लेकिन ऐसी मुश्किलों को तो मैंने खुद ही शौक़ से चुना था इस लिए चल पड़ा घर की तरफ। मन में हज़ारों तरह के झंझावात लिए मैं जिस तरफ से यहाँ तक आया था उसी तरफ वापस चल पड़ा। न मेरे पागलपन की कोई सीमा थी और ना ही उस शख़्स के सताने की जिसकी मोहब्बत में मैं इस क़दर गिरफ़्तार था कि अपनी हालत को ऐसा बना बैठा था।

ये मोहब्बत भी बड़ी अजीब चीज़ होती है। जब तक किसी से नहीं होती तब तक इंसान न जाने कितने ही तरीके से खुद को खुश कर लेता है लेकिन जब किसी से मोहब्बत हो जाती है और साथ ही इस तरह का आलम हो जाता है तो दुनियां की कोई भी चीज़ उसे खुश नहीं कर सकती, सिवाय इसके कि उसे बस वो मिल जाए जिसे वो टूट टूट कर मोहब्बत कर रहा होता है। मोहब्बत वो बला है जिसके मिलन में तो मज़ा है ही किन्तु उसके हिज़्र में तड़पने का भी अपना एक अलग ही मज़ा है।


हर इक ज़ख़्म दिल का जवां जवां करके।
चला गया वो ज़िन्दगी धुआं धुआं करके।।

एक मुद्दत से कहीं उसका पता ही नहीं,
जाने कहां गया है मुझको परेशां करके।।

मेरे बग़ैर कहीं तो सुकूं से रह रहा होगा,
वो जो यादें दे गया मुझे एहसां करके।।

किसे बताऊं मुसलसल उसकी जुस्तजू में,
थक गया हूं बहुत ज़मीनो-आसमां करके।।

ग़म ये नहीं के मेरे हिस्से में इंतज़ार आया,
ग़म ये है के लौटा नहीं मुझे तन्हां करके।।

ख़ुदा करे के कहीं से ख़बर हो जाए उसे,
के बैठा है कोई बीमारे-दिलो-जां करके।।

घर पहुंचते पहुंचते ऐसी हालत हो गई थी कि न कुछ खाने का होश रहा था और ना ही कुछ पीने का। जिस हालत में था उसी हालत में बिस्तर पर बेहोश सा पसर गया। ऐसा पहली बार नहीं हुआ था बल्कि ऐसा अक्सर ही होता था। मुझे अपनी सेहत का या अपनी किसी बात का ज़रा भी ख़याल नहीं था। मेरे दिल में अगर उसको एक बार देख लेने की हसरत न होती तो मैं हर रोज़ ऊपर वाले से बस यही दुआ मांगता कि ऐसी ज़िन्दगी को विराम लगाने में वो एक पल न लगाए।

सुबह हमेशा की तरह मेरी आँख अपने टाइम पर ही खुली। हमेशा की तरह बेमन से मैं उठा और नित्य क्रिया से फुर्सत होने के बाद अपने पेट की तपिश को मिटाने के लिए घर के पास ही थोड़ी दूरी पर मौजूद ढाबे की तरफ चल दिया। मेरे घर में यूं तो ज़रूरत का हर सामान था लेकिन मेरे लिए वो किसी काम का नहीं था, बल्कि अगर ये कहा जाए तो ग़लत न होगा कि मुझे घर के किसी सामान से मतलब ही नहीं था। अपने पेट की भूख मिटाने के लिए मैं बाहर ही थोड़ा बहुत खा लेता था। मेरे जीवन की दिनचर्या यही थी कि सुबह अपने काम पर जाना और शाम होने से पहले ही काम से वापस आ कर मेघा की खोज करना। इसके अलावा जैसे मेरे जीवन में ना तो कोई काम था और ना ही मेरी कोई ख़्वाहिशें थी।

मेघा के प्रति मेरे दिल में इस क़दर चाहत घर ग‌ई थी कि मैं हर पल बस उसी के बारे में सोचता रहता था। अगर मैं ये कहूं तो ग़लत न होगा कि मैं मेघा की मोहब्बत में एक तरह से पागल हो चुका था। उसकी चाहत का नशा हर पल मेरे दिलो दिमाग़ में चढ़ा रहता था। काम करते वक़्त भी मैं मेघा के ही ख़यालों में खोया रहता था। शायद यही वजह थी कि मुझे जानने पहचानने वाले लोग अक्सर मुझे देख कर उल्टी सीधी बातें करते रहते थे।

"क्या अब भी तुम्हें लगता है कि मैं तुम्हारे लायक हूं ध्रुव?" मेरे ज़हन में मेघा के द्वारा कहे गए शब्द गूँज उठते थे____"क्या मेरा सच जानने के बाद भी तुम मुझसे प्यार करोगे?"

"मेरा प्यार तुम्हारे किसी सच को जान लेने से ख़त्म नहीं हो सकता मेघा।" मैंने उसकी गहरी आँखों में अपलक देखते हुए कहा था_____"बल्कि सच तो ये है कि तुम चाहे जिस भी रूप में मेरे सामने आओ तुम्हारे प्रति मेरी चाहत में कोई फ़र्क नहीं आएगा।"

"ओह! ध्रुव।" मेघा के चेहरे पर दर्द और बेबसी के मिले जुले भाव उभर आए थे। मेरे दाएं गाल को सहलाते हुए कहा था उसने____"ये कैसा पागलपन है? तुम मेरी हक़ीक़त जान लेने के बाद भी मेरे प्रति भला ऐसे जज़्बात कैसे रख सकते हो?"

"सच्ची मोहब्बत में पैदा हुए दिल के जज़्बात किसी सच या झूठ को जान कर अपना रंग नहीं बदलते।" मैंने उसका वो हाथ थाम कर कहा था जिस हाथ से उसने मेरा दायां गाल सहलाया था____"ख़ैर, अब तो तुम्हें भी पता चल गया है ना कि मुझे तुम्हारी हक़ीक़त से भी कोई फ़र्क नहीं पड़ता इस लिए क्या अब भी तुम मुझे छोड़ कर चली जाओगी ?"

"तुमसे मिलने से पहले।" वो मेरे चेहरे की तरफ देखते हुए कह रही थी____"मैं कभी इस तरह किसी धर्म संकट में नहीं फंसी थी और ना ही इस तरह बेबस और लाचार हुई थी। तुमसे मिलने से पहले मैं सोच भी नहीं सकती थी कि मोहब्बत क्या होती है और मोहब्बत की दीवानगी क्या होती है। मैंने ख़्वाब में भी ये नहीं सोचा था कि कोई इंसान मुझसे इस क़दर टूट कर मोहब्बत करेगा। ये विधाता की कैसी लीला है ध्रुव?"

"मैं किसी की लीला को नहीं जानता मेघा।" मैंने होठों पर फीकी सी मुस्कान सजा कर कहा था____"मैं तो बस इतना जानता हूं कि मैं तुमसे बेहद प्रेम करता हूं और इस बात का भी मुझे बड़ी शिद्दत से एहसास हो चुका है कि मैं तुम्हारे बिना ना तो कभी खुश रह पाऊंगा और ना ही चैन से जी पाऊंगा। अब ये तुम पर है कि तुम मुझे किस हाल में रखती हो?"

"नहीं ध्रुव, ऐसा मत कहो।" उसने बेबस भाव से कहा था____"मैं सच में इस लायक नहीं हूं कि मेरी वजह से तुम अपनी ऐसी हालत बना लो। सच तो ये है कि तुम मेरे साथ भी कभी खुश नहीं रह पाओगे, बल्कि मुझसे जुड़ने के बाद तो तुम्हारी ज़िन्दगी ही ख़तरे में पड़ जाएगी। मैं ये कैसे चाह सकती हूं कि जो इंसान मुझसे इतना प्रेम करता है वो मेरी वजह से मौत के मुँह में चला जाए?"

"मुझे अपनी मौत का ज़रा भी डर नहीं है मेघा।" मैंने उठते हुए कहा था____"और अगर यही सच है कि तुमसे जुड़ने के बाद मुझे मौत ही आ जानी है तो मेरी बस यही आरज़ू है कि मेरा दम तुम्हारी बांहों में ही निकले। आह! कितना हसीन होगा ना वो मंज़र, जब मेरी जान मेरी जान की बांहों में जाएगी।"

मैं बेड पर उठ कर बैठ गया था और बेड की पिछली पुश्त से अपनी पीठ को टिका लिया था। मेरी बात सुन कर मेघा मुझे अपलक देखती रह गई थी। उसके चेहरे पर बेबसी और बेचैनी के भाव उजागर हो रहे थे। चाँद की तरह चमकता हुआ चेहरा ग्रहण सा लगाए हुए नज़र आने लगा था।

अपने चारो तरफ से आने लगी अजीब तरह की आवाज़ों को सुन कर मैं एकदम से चौंका। गर्दन घुमा कर इधर उधर देखा तो ढाबे में मेरे दाएं बाएं और पीछे मौजूद लोग मुझे देखते हुए एक दूसरे से जाने क्या क्या कहते दिख रहे थे। मैंने फ़ौरन ही खुद को सम्हाला और ढाबे वाले से दो सौ ग्राम भुजिया के साथ चटनी ले कर अपने घर की तरफ चल पड़ा। अक्सर ऐसा ही होता था कि मैं मेघा के ख़यालों में खो जाता था और मेरा ध्यान ऐसी ही आवाज़ों के द्वारा टूट जाता था।

सुबह का नास्ता कर के मैं अपने काम पर पहुंचा ही था कि मोटर गैराज के मालिक ने आवाज़ दे कर मुझे अपने केबिन में बुलाया। मैं समझ गया कि हमेशा की तरह आज सुबह सुबह फिर से वो मुझे चार बातें सुनाएगा। मैंने एक बार गैराज में मौजूद बाकी लोगों की तरफ देखा और फिर चुप चाप मालिक के केबिन की तरफ बढ़ गया।

"क्या तुमने क़सम खा रखी है कि तुम किसी और की नहीं सुनोगे बल्कि हमेशा वही करोगे जो तुम्हारी मर्ज़ी होगी?" मैं केबिन में दाखिल हुआ ही था कि मोटर गैराज का मालिक मुझे देख कर तेज़ आवाज़ में चिल्ला उठा____"ख़यालों की दुनियां से निकल कर हक़ीक़त की दुनियां में आ जाओ। मेरी नरमी का नाजायज़ फायदा मत उठाओ। मैं पिछले दो साल से तुम्हें सिर्फ इस लिए बरदास्त कर रहा हूं क्योंकि तुम एक अनोखे कारीगर हो। मैं हमेशा ये सोच कर हैरान हो जाता हूं कि तुम्हारे जैसे पागल इंसान के अंदर ऐसा गज़ब का हुनर कैसे हो सकता है?"

मोटर गैराज का मालिक चालीश साल का गंजा ब्यक्ति था जिसका नाम गजराज शेठ था। पिछले पांच सालों से मैं उसके यहाँ मोटर मकैनिक के तौर पर काम करता आ रहा था। दो साल पहले आज के जैसे हालात नहीं थे किन्तु जब से मेरे जीवन में मेघा का दखल हुआ था तब से मेरा बर्ताव पूरी तरह बदल गया था। गजराज शेठ यूं तो बहुत अच्छा इंसान था लेकिन किसी भी तरह का नुक्सान उसे बरदास्त नहीं था।

पिछले दो साल से वो मुझे ऐसे ही बातें सुनाता आ रहा था और मैं तब तक ख़ामोशी से उसकी बातें सुनता रहता था जब तक कि वो मुझे खुद ही चले जाने को नहीं कह देता था। उसे भी हर किसी की तरह इस बात का पता था कि मेरे पागलपन या मेरे ऐसे बर्ताव की वजह क्या है। शुरुआत में उसने मुझसे कई बार इस सिलसिले में बात की थी और अपनी तरफ से हर कोशिश की थी कि मैं पहले जैसा बन जाऊं लेकिन जब मुझ पर कुछ असर ही नहीं हुआ तो उसने मुझे समझाना ही छोड़ दिया था।

मोटर गैराज में मेरे साथ काम करने वाले लोग अक्सर उससे मेरी शिकायतें करते थे और मुझे हटाने की कोशिश में लगे रहते थे लेकिन मैं अब भी गजराज शेठ के गैराज में टिका हुआ था। इसकी वजह यही थी कि मुझ में बाकी लोगों से कहीं ज़्यादा बेहतर हुनर था और मेरा किया हुआ काम ऐसा होता था जिसे देख कर खुद गजराज शेठ दांतों तले उंगली दबा लेता था। दूसरी वजह ये भी थी कि पिछले दो साल से मैंने गजराज शेठ से अपने काम का कोई पैसा नहीं माँगा था बल्कि अपना गुज़ारा मैं कस्टमर के द्वारा मिले हुए टिप्स से ही चलाता आ रहा था। ऐसा नहीं था कि मेरे न मांगने पर गजराज शेठ ने मुझे मेरे काम का पैसा देना नहीं चाहा था बल्कि वो तो हर महीने मेरी पगार मुझे पकड़ाता था लेकिन मैं ही लेने से इंकार कर देता था।

"देखो ध्रुव।" गजराज शेठ की आवाज़ से मेरा ध्यान टूटा____"मैंने हमेशा यही चाहा है कि तुम भी आम इंसानों की तरह सामान्य जीवन जियो। इस तरह किसी के पागलपन में अपना कीमती जीवन बर्बाद मत करो। ऊपर वाले ने तुम्हें अच्छी शक्लो सूरत दी है और ऐसा क़ाबिले तारीफ़ हुनर भी दिया है जिसके बल पर तुम बेहतर से बेहतर जीवन गुज़ार सकते हो। मुझे हर रोज़ तुम पर यूं गुस्सा करना और चिल्लाना अच्छा नहीं लगता। मैं दिल से चाहता हूं कि तुम ठीक हो जाओ, इस लिए मैंने तुम्हारे लिए एक मनोचिकित्सक डॉक्टर से बात की है। उसने बताया कि उसके द्वारा दी जाने वाली बेहतर थैरेपी से तुम पहले जैसे बन जाओगे।"

गजराज शेठ इतना कह कर चुप हो गया और मेरी तरफ बड़े ध्यान से देखने लगा। शायद वो मुझे देखते हुए ये समझने की कोशिश कर रहा था कि मुझ पर उसकी बातों का कोई असर हुआ है या नहीं? जब काफी देर बाद भी मैंने उसकी बातों पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी तो उसने हताश भाव से गहरी सांस ली।

"आख़िर तुम किस तरह के इंसान हो ध्रुव?" फिर उसने झल्लाते हुए कहा____"तुम किसी की बातों को नज़रअंदाज़ क्यों कर देते हो? क्या तुम्हें ज़रा भी अपने जीवन से मोह नहीं है? आख़िर कब तक चलेगा ये सब? आज तुम्हें मेरी बातें सुननी भी पड़ेंगी और माननी भी पड़ेंगी। कल तुम मेरे साथ उस डॉक्टर के पास चलोगे, समझ ग‌ए न तुम?"

ऐसा नहीं था कि मेरे कानों तक गजराज शेठ की बातें पहुंच नहीं रहीं थी बल्कि वो तो वैसे ही पहुंच रहीं थी जैसे किसी नार्मल इंसान के कानों में पहुँचती हैं लेकिन मेरी हालत ऐसी थी कि मैं किसी की बातों पर ज़रा भी ध्यान नहीं देता था। मैं नहीं चाहता था कि किसी की बातों की वजह से एक पल के लिए भी मेरे ज़हन से मेघा का ख़याल टूट जाए।

मुझे ख़ामोश खड़ा देख गजराज शेठ की हालत अपने बाल नोच लेने जैसी हो गई थी। उसके बाद गुस्से में ज़ोर से चिल्लाते हुए उसने "दफ़ा हो जाओ" कहा तो मैं चुप चाप पलट कर बाहर चला आया।

मेघा के प्रति मेरा प्रेम अब सिर्फ प्रेम ही नहीं रह गया था बल्कि वो एक पागलपन में बदल चुका था। मेरे अंदर बस एक ही ख़्वाहिश थी कि एक बार मेघा का खूबसूरत चेहरा देखने को मिल जाए उसके बाद फिर भले ही चाहे मुझे मौत आ जाए। दुनियां का कोई भी इंसान इस बात पर यकीन नहीं कर सकता था कि किसी लड़की के साथ सिर्फ एक हप्ता रहने से मुझे उससे इस हद तक प्यार हो सकता है कि मैं उसके लिए दुनियां जहान से बेख़बर हो कर पागल या सिरफिरा बन जाउंगा। मैंने खुद भी कभी ये सोचने की कोशिश नहीं की थी कि ऐसा कैसे हो सकता है?


✮✮✮
Dhruv ka pyaar to sach me bahot hi jyada hai..... or megha ke khyalo me hi khoya rehta hai har time to log uske bare me ulti sidhi bate karte rehte hai..

megha ka sach kya hai vo kon hai ye megha ne dhruv ko bata diya tha ..or uska sach jan kar bhi dhruv ko koi lena dena nahi tha use to sacha wala pyaar ho gaya tha..is liye usne megha kaisi hai use koi fark nahi tha.. par megha ka raaz kya hai?

vaise dhruv talented banda hai jiski vajah se garaj ka malik use job par se nikak bhi nahi sakta ...to bichara dhruv ko har roj thoda bahot suna deta hai...or apna dhruv ignore karke bas ek hi jagah focos karta hai...megha kaha hogi..

Dhruv ka pagalpan thik hoga ki nahi? Doctor se ilaaj karvayega kya dhruv? Megha milegi ya nahi?..

dekhte hai aage in sare sawale ke javab...

Awesome superb update Bhai
 
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सबसे पहले तो आप को नई कहानी शुरू करने के लिए बधाई शुभम भाई ।

" डार्क लव " कहानी का नाम रखा है आपने इस कहानी का । और यह कहानी फैंटेसी पर आधारित है । ध्रुव एक मोटर गैराज का मैकेनिक है जिसका एक्सिडेंट घने जंगलों में एक झरने के करीब हो जाता है । एक्सिडेंट किसी लड़की को बचाने के चलते हुआ था । कुछ दिनों तक बेहोशी के आलम में रहने के बाद जब उसे होश आया तब उसे पता चला कि उसकी जान उसी लड़की ने बचाई है जिसे बचाने के चक्कर में उसका एक्सिडेंट हुआ था ।
लड़की खुबसूरत थी । उसने उसकी जान ही नहीं बचाई बल्कि जी जतन से सेवा भी की थी । वो लड़की जिसका नाम मेघा था से उसे मोहब्बत हो जाती है ।
पर लड़की उसे समझाने की कोशिश करती है और कहती है कि वो उससे प्यार कर ही नहीं सकती ।
कुछ अपने बारे में भी बताया था लड़की ने पर वो रीडर्स के सामने अभी तक पेश नहीं हुआ है ।

मुझे लगता है मेघा आम इंसान ही नहीं है । शायद वो एक भटकती हुई आत्मा है । और आत्मा किसी से प्यार मोहब्बत के बंधन में बंध कर शादी कर ही नहीं सकती ।
इसीलिए बार बार लड़की उसके प्रेम प्रस्ताव को नकार दे रही है । शायद उसकी भी कोई दर्दनाक दास्तां हो ।

बहुत ही खूबसूरत कहानी है शुभम भाई । शायरी तो आप बढ़िया लिखते ही हैं । और इस बार भी गजब की शायरी पेश की हमारे सामने । आउटस्टैंडिंग ।
कहानी भी बहुत बेहतरीन है । देखते हैं मेरा अनुमान सही निकलता है या गलत ।

आउटस्टैंडिंग एंड अमेजिंग अपडेट शुभम भाई ।
जगमग जगमग अपडेट ।
 

Dev the lover

Well-Known Member
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Hello Dosto :wave:
Ek Short Story Le kar Aapki Adaalat Me Haazir Hua Hu. Iske Pahle Maine Ek Short Story
✧Double Game✧ Likhi Thi Jise Aap Sabne Padha Aur Apni Khubsurat Pratikriyao Se Mujhe Awgat Bhi Karaya Tha. Khair Ab Ek Aur Short Story Aap Sabki Adaalat Me Prastust Karne Ja Raha Hu. Ummeed Hai Aap Sabko Ye Story Pasand Aayegi. Hamesha Ki Tarah Story Ke Sambandh Me Apni Pratikriyao Se Mujhe Rubaru Zarur Karaiyega Aur Agar Kahi Par Koi Truti Dikhe To Us Truti Ko Bhi Mere Samaksh Bejhijhak Ho Kar Byakt Kijiyega.

Dhanyawaad..
:thank_you:





ei78-ICH8411

Dark Love

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Dark Love

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Written By~C
𝓣𝓱𝓮𝓑𝓵𝓪𝓬𝓴𝓑𝓵𝓸𝓸𝓭
CONGO TheBlackBlood Bro for new story
 

kamdev99008

FoX - Federation of Xossipians
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37,573
219
शुभकामना मित्र .... नई कथा आरम्भ करने पर

इस बार कुछ अलग ही लेकर आये हो.... देखते हैं ये भी पढ़कर
 

TheBlackBlood

शरीफ़ आदमी, मासूमियत की मूर्ति
Supreme
79,768
117,217
354
शुभकामना मित्र .... नई कथा आरम्भ करने पर

इस बार कुछ अलग ही लेकर आये हो.... देखते हैं ये भी पढ़कर
Shukriya bade bhaiya ji. Btw abhi tak padh nahi paye kya :poke:
 

TheBlackBlood

शरीफ़ आदमी, मासूमियत की मूर्ति
Supreme
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lovely update ..koi shakti thi shayad jo dhruv ko aage badhne nahi de rahi thi aur wo ghum phirke jharne ke paas hi aa raha tha ..
bhulbhulaiya jaisa tha wo sab .aur aakhir me sadak kinare pahuch gaya jabki usko jungle me jana tha .
ghar aakar megha ki yaado me kho gaya jab wo uske liye khana lekar aayi thi aur us khane ko pehle kabhi dekha nahi tha dhruv ne .
pyar ke baare me to sahi kaha dhruv ne par megha ki koi majburi hogi jo wo uske saath nahi reh sakti .
Sahi kaha megha ki apni ek majboori hai. Baaki reality to aakhir me hi pata chalegi. Khair shukriya bhai :hug:
 

TheBlackBlood

शरीफ़ आदमी, मासूमियत की मूर्ति
Supreme
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Dhruv ka pyaar to sach me bahot hi jyada hai..... or megha ke khyalo me hi khoya rehta hai har time to log uske bare me ulti sidhi bate karte rehte hai..

megha ka sach kya hai vo kon hai ye megha ne dhruv ko bata diya tha ..or uska sach jan kar bhi dhruv ko koi lena dena nahi tha use to sacha wala pyaar ho gaya tha..is liye usne megha kaisi hai use koi fark nahi tha.. par megha ka raaz kya hai?

vaise dhruv talented banda hai jiski vajah se garaj ka malik use job par se nikak bhi nahi sakta ...to bichara dhruv ko har roj thoda bahot suna deta hai...or apna dhruv ignore karke bas ek hi jagah focos karta hai...megha kaha hogi..

Dhruv ka pagalpan thik hoga ki nahi? Doctor se ilaaj karvayega kya dhruv? Megha milegi ya nahi?..

dekhte hai aage in sare sawale ke javab...

Awesome superb update Bhai
Kya lagta hai ju ko sachi Mohabbat ka kya anjaam hoga?? :D

Khair shukriya bhai is khubsurat sameeksha ke liye :hug:
 
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