• If you are trying to reset your account password then don't forget to check spam folder in your mailbox. Also Mark it as "not spam" or you won't be able to click on the link.

Romance DharmPatni

Love4yummy

Love is goal and sex is the key
273
540
94
प्रतीक का परिवार:-
पिताजी - रमेश लाल
माताजी - प्रमिला देवी
प्रतीक अपने माता पिता का एकलौता बच्चा है।
प्रतीक के पड़ोस मे हि उसका दोस्त रहता है। दोनो ने स्कूल कॉलेज साथ मे की और पक्के दोस्त है।
प्रतीक का दोस्त - नमन
नमन की पत्नी - सुमन

रमेश के माता पिता गांव में रहते थे। वही रमेश का जन्म हुआ और उनकी पढ़ाई पूरी हुई। रमेश पढ़ने में तेज़ थे इसलिए उनकी नोकरी लग गई और वो शहर में रहने लगे। रमेश के पिता ने अपने दोस्त की बेटी प्रमिला से रमेश की शादी तय कर दी। प्रमिला की छोटी बहन का नाम गीता है। प्रमिला इस समय 19 साल की थी और रमेश 26 साल के। दोनो की शादी हो गई और दुल्हन विदा होकर ससुराल आयी। सारे रश्मो-रिवाज़ निभाए गए और अब नयी दुल्हन को कमरे में दूध का गिलास देकर भेजा गया।

(अब कहानी मेरी यानी प्रतीक की जुबानी)
अंदर पापा बेसबरी से मम्मी का इंतज़ार कर रहे थे। मम्मी आकर बिस्तर पर बैठ गई। लाल जोड़ा पढ़ना हुआ था और घूंघट से चेहरा पूरा ढका हुआ था। पापा ने दूध का गिलास लिया और एकबार में पूरा गटक लिया। पापा को मम्मी का घूंघट उठाने में संकोच हो रहा था पर उनका लंड पूरा फनफना कर खड़ा था वो उन्हे आगे बढ़ाने के लिए उत्साहित कर रहा था। आख़िर लंड जीत गया और पापा ने मम्मी का घूंघट हटा दिया। मम्मी को देखकर पापा की सांसें अटक गई।
 
Last edited:

kingkhankar

Multiverse is real!
6,268
14,050
188
All the best for this new story!
Make this one memorable story in romance section.
 

Love4yummy

Love is goal and sex is the key
273
540
94
गोल दूध जेसा गोरा चेहरा और लाल रंग के ब्लाउज में कैद दो स्तन। पापा ने पहली बार किसी औरत के स्तनों को इस तरह देखा था इसलिए वो पागल होने लगे। उनका लंड तन कर फटने लगा। उन्होंने हाथ आगे बढ़ाकर मम्मी का ब्लाउज खोल दिया। मम्मी सहम उठी। पर उन्हे उनकी माँ ने बताया था की पति को हर सुख प्रदान करना पत्नी का प्रथम कर्तव्य है। इसीलिए उन्होंने अपने पति का साथ दिया। मम्मी के स्तन 34 की माप के अनछुए कड़क थे जिन पर लाल गुलाबी निप्पल उनकी मादकता और बड़ा रहे थे। पापा ने हाथ बढ़ाकर मम्मी के बूब्स दबाना शुरु किया। मम्मी भी अपने पति के हाथों का अहसास अपने नंगे बूब्स पर पाकर सिहर उठी। मम्मी शर्मा भी रही थी और उनके अंदर सिहरन भी उठ रही थी। अब पापा आगे बड़े और मम्मी के बूब्स चूसने लगे। अब मम्मी के शरीर मे भी आग बढ़ने लगी। पापा ने खड़े होकर अपने सारे कपड़े उतार दिये। मम्मी ने पापा की तरफ देखा तो उनकी आँखों के सामने पापा का काला 8 इंच लम्बा और 3 इंच मोटा लंड था। जिसे देखकर मम्मी की आँखों मे डर की रेखाएँ आ गयी। पर उन्हे अपने पति को पूर्ण शारीरिक सुख देना था तो वो खुद को तैयार करने लगी। अब पापा ने मम्मी का लहंगा भी उतार दिया। अब मम्मी अपने दुपट्टे मे अपने पति के सामने पूरी नंगी बैठी थी। अब पापा फिर से मम्मी के बूब चूसने लगे और दूसरे बूब को हाथ से दबाने लगे। उन्होंने मम्मी के हाथ मे अपना लंड दे दिया। मम्मी को लगा जैसे उसके हाथ मे लोहे का गरम डंडा आ गया हो। उन्होंने उसे बस पकड़े रखा। पापा ने अपने दूसरे हाथ से अपनी नंगी पत्नी की योनि को सहलाना शुरु कर दिया। मम्मी के तन बदन मे आग सी जल उठी। उनका हाथ अपने आप पति के लंड को सहलाने लगा। पापा ने अपनी एक अंगुली मम्मी की चूत मे घुसा दी। अंगुली बहुत कसकर अंदर घुसी। मम्मी की योनि पूरी कसी हुयी थी। मम्मी को बहुत मजा आया। उन्होंने पापा के लंड पर अपनी पकड़ बड़ा दी और उसे हिलाने लगी। पापा मम्मी के बूब्स से खेलते हुए अपनी दूसरी अंगुली भी मम्मी की चूत मे घुसाने लगे। बहुत मुश्किल से अंगुली अंदर जा पा रही थी। मम्मी के चेहरे पर दर्द साफ नज़र आ रहा था। मम्मी के अंदर डर की लहर दौड़ गयी की जब दो अंगुलियों मे दर्द हो रहा है तो वो अपने पति का लंड कैसे ले पायेगी।
 
Last edited:
  • Like
Reactions: kamdev99008

Love4yummy

Love is goal and sex is the key
273
540
94
पापा ने अब पास की बारी से तेल का डिब्बा लेकर मम्मी को दिया और लंड की मालिश करने को कहा। मम्मी ने अपने हाथ मे तेल लिया और लंड की मालिश करने लगी। मालिश करते हुए उन्हे लगा जैसे की लंड और भी बड़ा होता जा रहा है। उनका डर बढ़ता जा रहा था पर वो पति की बात टाल भी नही सकती थी तो उन्होंने मालिश करना जारी रखा। थोड़ी देर बाद पापा ने मम्मी को पलंग पर लिटा दिया और उनके पाँव ऊंचे उठा दिये। अब मम्मी की कुंवारी चूत पापा की आँखों के सामने थी। पापा ने अपने मोटे लम्बे लंड का टोपा मम्मी की चूत के मुह पर लगाया और पूरी ताकत से धक्का मारा। पर मम्मी की चूत इतनी टाइट थी की बस टोपा हि घुस पाया। पर मम्मी की चीख निकल गयी जिसे मम्मी ने अपने मुह मे हि दबा लिया क्योकि वो जानती थी बाहर सारे घरवाले और रिश्तेदार सोये हुए है। उनकी आँखों मे आंसु बहने लगे। उन्होंने अपने हाथों से चद्दर पकड़ ली और अपना दर्द संभालने लगी। अभी वो कुछ हि सूकून ले पायी थी की पापा ने पहले से ज्यादा ताकत के साथ एक धक्का मार दिया। अबकी बार धक्का इतनी तेज़ था की मम्मी की चूत फाड़ता हुआ पापा का आधा लंड अंदर घुस चुका था। मम्मी के दर्द की सीमा नही थी। वो पापा के नीचे दर्द के मारे तड़प रही थी। उनकी आँखों से आंसु बाह रहे थे। वो चाहती थी की वो बहुत जोर से चीखे और अपने पति को खुद से दूर धक्का देकर हटा दे। पर ना वो चीख सकती थी ना अपने पति को शारीरिक सुख से वंचित कर सकती थी। तो उन्होंने उस दर्द को अपना लिया। इतनी देर मे हि एक धक्का और लगा और इसके साथ अब पापा का पूरा लंड मम्मी की चूत मे समा चुका था। अब मम्मी लगभग दर्द के कारण अपनी सुधबुध खो बैठी थी। पापा ने जब मम्मी की हालत देखी तो वो थोड़ा रुके और मम्मी को चूमने लगे, उनके बूब्स चूसने लगे। इस थोड़े देर मे मम्मी भी थोड़ी ठीक हुयी। उन्हे पापा पर प्यार भी आने लगा क्योंकि वो उसके दर्द को समझ रहा थे और उसे कम करने मे उसका साथ दे रहा थे। अब मम्मी भी पापा को चूम रही थी। उनका साथ दे रही थी। जब पापा को लगा अब मम्मी भी साथ दे रही है तो उन्होंने हलके हलके अपना लंड हिलाना सुरू किया। मम्मी को दर्द तो अभी भी हो रहा था पर अब उन पर अपने पति के लिए प्यार और अंदर की कामवासना हावी हो रहे थे। अब धीरे धीरे पापा ने अपने धक्कों की गति बड़ा दी। अब मम्मी भी अपनी गांड उठा उठाकर उनका पूरा साथ दे रही थी। धीरे धीरे पापा के धक्कों की गति और बढ़ने लगी। कभी वो मम्मी के बूब्स चूसते कभी उनके निप्पल पर काटते और कभी उन्हे खींचते। मम्मी भी पूरी मदहोश होकर पापा का मोटा लम्बा लंड अपनी चूत मे घपाघप ले रही थी। दोनो पतिपत्नि सब कुछ भूलकर बस रतिक्रीड़ा का आनंद ले रहे थे।
मम्मी अब पापा को और तेज़ धक्के लगाने को कह रही थी। पापा भी लगातार धक्के लगाते और बीच बीच मे एक दो जबरदस्त धक्के मारकर मम्मी को अपनी मर्दानगी का अहसास दिला देते। मम्मी भी उन धक्को पर पापा को और ज्यादा कसकर जकड लेती। मम्मी को पापा के जबर्दस्त धक्को की मार सीधे अपनी गर्भाशय पर लगती मानो आज हि अपना बीज वहा डाल देंगे। मम्मी इस अहसास से पागल हो उठती और पापा का गांड उठा उठाकर साथ देने लगती। 15-20 मिनट की जबरदश्त चुदाई से मम्मी की चूत पानी से लबालब भर गयी। उन्होंने पापा और कसकर जकड लिया। पापा भी और तेज धक्के लगाने लगे। साथ मे मम्मी के बूब्स भी बुरी तरह निचोड़कर चूसने लगे। मम्मी इस दोहरी मार सह नही पायी और उन्होंने अपनी चूत की कसावट पापा के लंड पर बड़ा दी। अब पापा कस लंड बहुत टाइट अंदर जा रहा था। इस कारण वो भी झड़ने के करीब आ गये। पर इस अहसास मे वो चूत मे और ज्यादा तेज़ धक्के मरने लगे। मम्मी और पापा दोनो हांफ रहे थे एक दूसरे को चूम रहे थे चाट रहे थे। पापा पूरी ताकत से मम्मी को चोद रहे थे और मम्मी भी गांड उठा उठाकर चुदवा रही थी। दोनो सर्दी के मौसम मे भी पसीने से भीग चुके थे। पर ना पापा का लंड रुक रहा था ना मम्मी की चूत हार मान रही थी। मम्मी की आहों और लंड चूत मे पूरा घुसने की थप थप की आवाज़ से पूरा कमरा गूँज रहा था। जितनी तेज़ पापा धक्का लगाते मम्मी उतनी हि अपनी चूत टाइट कर लेती। घमासान चुदाई चल रही थी। पापा आँखे बंद करके बस मम्मी की चूत मे लपालप लंड पेले जा रहे थे। मम्मी पापा को देखकर मन हि मन खुश हो रही थी की ऐसा पति मिला है की पहली चुदाई मे हि दिन मे तारे दिखा दिये। अब पापा भी अपने चरम पर आ चुके थे और मम्मी भी पानी छोड़ने को तैयार थी। पापा के अगले धक्के के साथ मम्मी उनसे लिपट गयी। अपने नाखुन उनकी पीठ पर गड़ा दिये और बेतहासा झड़ने लगी। पापा लगातार उनकी बहती चूत में अपना लंड पेले जा रहे थे। मम्मी झाड़ चुकी थी। अब पापा भी आने वाले थे। उन्होंने जल्दी से अपना लंड मम्मी की चूत से निकाला और मम्मी के पेट पर अपना वीर्य निकलने लगे। पापा काफी देर तक झड़ते रहे। मम्मी का पूरा पेट भीग गया। उनकी नाभि पूरी भर गयी फिर भी वीर्य चद्दर पर गिरने लगा। पूरा झड़कर पापा मम्मी के बगल मे लेट गये। मम्मी उनके बालों मे हाथ सहलाने लगी। उन्हे अपनी पति पर प्यार भी आ रहा था और उनकी मर्दानगी पर गर्व भी हो रहा था। पापा को लेटते हि नींद आ गयी। आखिर उन्होंने अपनी बीवी को जमकर चोदा जो था, थकान तो होनी हि थी।
पापा के सोने के बाद मम्मी ने अपनी हालत देखी तो पूरे पेट पर वीर्य गिरा हुआ था और नाभि भी वीर्य से भरी हुयी थी। उनके चेहरे पर शर्म के मुस्कान आ गयी और उन्होंने पापा की तरफ देखा, जो नींद की आगोश मे जा चुके थे। मम्मी ने कपड़े से अपने को साफ करने का सोचा। कपड़ा लेने के लिए वो उठने लगी तो उनकी चूत मे इतना भयंकर दर्द उठा की वो वापिस गिर पड़ी। वो दर्द से तड़प उठी। सहारा लेकर मम्मी थोड़ा उठी और दीवार के सहारे बैठकर अपनी चूत देखने लगी तो उनकी आँखे फटी रह गयी। पूरा चद्दर खून से भीगा हुआ था और उनकी चूत सुजकर मोती हो गयी थी। वो हैरान थी की इतनी देर मे पापा ने उनकी चूत का क्या हाल कर दिया था। उन्होंने अपनी चूत को ढंग से देखने के लिए हाथ लगाया तो जरा सी छुवन से भी बहुत दर्द होने लगा। उन्होंने गर्दन घुमाकर पापा की तरफ देखा की देखो मेरी चूत का इतना बुरा हाल करके कितने मजे से सो रहे है। फिर से मम्मी के चेहरे पर शर्म के साथ हसी आ गयी। वो सोचने लगी अब तो रोज़ यही हाल होगा। ये रोज़ मेरी ऐसे हि चूत चोदेन्गे। ये सोचते हि उन्हे शर्म आ गयी और उन्होंने अपना मुह हाथों से ढक लिया। फिर वो सहारा लेकर धीरे से उठी और एक कपड़ा लेकर पूरा वीर्य साफ किया। फिर नंगी हि पापा से लिपटकर सो गयी।
 
Last edited:
  • Like
Reactions: kamdev99008

Love4yummy

Love is goal and sex is the key
273
540
94
पापा ने रात मे एक बार और मम्मी को जमकर चोदा।सुबह मम्मी एक महीने के लिए अपने घर चली गयी। पापा भी अपनी नौकरी पर शहर चले गये। पापा रोज़ मम्मी के वापिस आने के दिन गिनने लगे। एक महीना गुज़रा मम्मी वापिस आ गयी। अब मम्मी भी पापा के साथ शहर आ गयी। यहां पापा को सरकारी घर मिला हुआ था। यहां पापा मम्मी खूब चुदाई करते। अब दोनो एक दिन भी बिना चुदाई नही रह पाते। मम्मी भी अब आसानी से पापा का लंड ले लेती थी। छुट्टी के दिन तो पापा मम्मी की सारे दिन भर चुदाई करते। ऐसे हि दो साल बीत गये। अब मम्मी का बदन पापा से चुद चुदकर गदरा चुका था। उनकी 36 की चूचियाँ और 42 की गांड देखकर बुड्ढा भी पानी झाड़ दे। मम्मी हमेशा साड़ी हि पहनती थी। शहर मे बस उन्होंने पेटीकोट नाभि से नीचे बांधना सुरु कर दिया था और ब्लाउज का गला डीप हो गया था। पापा के साथ वो उनके दोस्तों की और ऑफिस पार्टियों मे जाति थी तो पापा के दोस्त और साथ काम करने वाले उन्हे खूब ताड़ते थे। मम्मी भी ये नोटिस करती थी पर वो ध्यान नही देती थी। शादी के 3साल बाद मेरा जन्म हुआ। मै घर मे सबका लाडला था और मम्मी की तो मै जान था। जब मै 2 साल का हुआ तब पापा को बुखार हुआ पर उन्होंने उस पर ध्यान नही दिया। जिससे बुखार बिगड़ गया और पापा को कुछ दिन हॉस्पिटल मे भी रहना पड़ा पर उन्हे बचाया नही जा सका। मम्मी की पूरी दुनिया हि उजड़ गयी। हम गाँव दादा दादी के पास आकर रहने लगे। मम्मी को इस सदमे से उबरने मे एक साल लग गया। जब मै 5 साल का हुआ तो मम्मी ने दादा दादी से बात की और मुझे लेकर शहर आ गयी। यहां पापा के एक दोस्त ने हमारी मदद की। शहर से थोड़ा दूर सोसाइटी मे अपने घर के पास हि घर दिलवाया और हम वहा रहने लगे। मम्मी एक प्राइवेट स्कूल मे पढ़ाने लगी। पापा ने मम्मी को पोस्ट ग्रेजुएशन करवा दी थी, जो अब हमारे काम आयी। पापा के दोस्त मम्मी को छोटी बहन मानते है। उनका बेटा नमन मेरा एकलौता दोस्त है। मै हमेशा से मम्मी के करीब रहा। घर मे रहना पढ़ना और शाम को नमन के साथ खेलना बस इतना हि रोज़ का रूटीन था मेरा। मै रिज़र्व नेचर का, लड़कियों के मामले मे शर्मीला और अपने आप मे मस्त रहने वाला इंसान हुँ। मेरे लिए अपना परिवार सबसे जरूरी है, बाकी सब बाद मे। मेरा केवल एक दोस्त है नमन। वही दूसरी और नमन लोगो से घुलने मिलने वाला, लड़कियों के मामले रंगीनमिजाज स्वभाव का है। मै और नमन साथ मे हि पढ़ते थे।
 
Last edited:
  • Like
Reactions: kamdev99008

kamdev99008

FoX - Federation of Xossipians
9,095
36,065
219
कहानी को ऐसे हि चलाया जाये या सेक्स भरा जाये??
बहुत संभावनाओं वाला कथानक है आपका। कहानी वैसी‌ रखो जैसी आप लिखना चाहते हो
बस सेक्स अगर रखना हो तो कहानी की ज़रूरत से ही रखना, बेवजह मत भरना
 

Love4yummy

Love is goal and sex is the key
273
540
94
मम्मी स्कूल मे मैथ्स पढ़ाती है। मम्मी हमेशा ने अब साड़ी के अलावा सूट और वेस्टर्न कपड़े पहनना भी सुरु कर दिया। मम्मी का स्कूल का समय सुबह 8:00 बजे से 2:00 बजे तरह रहता है। मेरा स्कूल ऑटो सुबह 7:15 पर आ जाता है। मम्मी पहले मुझे तैयार करती, मुझे स्कूल भेजती फिर खुद स्कूल निकल जाती। मम्मी स्कूटी से स्कूल जाती है।

कहानी अब मम्मी की जुबानी
मेरे स्कूल के ही एक मैथ्स टीचर राजीव सर टूशन क्लॉस चलाते है। उन्होंने मुझे भी कई बार अपनी टूशन क्लास मे पढ़ाने को कहा पर मै प्रतीक को छोड़कर शाम को क्लास नही जा सकती इसीलिए मेने मना कर दिया। मेने एक बार इस बारे मे सरोज भाभी (नमन की मम्मी) से बात की तो उन्होंने कहा तुम प्रतीक को यहां छोड़ जाया करो मै उसका ध्यान रखूंगी। तो मेने ने राजीव सर की क्लासेज जोइन कर ली। जिससे घर मे एक्स्ट्रा पैसे आएंगे तो अच्छा रहेगा। राजीव सर की क्लासेज का टाइमिंग शाम को 6 से 8 रहता है। राजीव सर लगभग 32 साल के आसपास है। उन्होंने अभी तक शादी नही की। उनके माता पिता गाँव मे रहते है। वो यहां अकेले अपने घर पर रहते है और घर मे हि क्लासेज चलाते है। मुझे जब कभी कोई मैथ्स प्रॉब्लम अटकती है तो राजीव सर से हि सहायता लेती हुँ। दिल के बहुत अच्छे इंसान है। अब मै स्कूल से आकर प्रतीक को खाना खिलाती फिर उसे पढ़ाती और शाम को उसे सरोज भाभी के पास छोड़कर क्लासेज चाली जाती। इस दौरान राजीव सर से अच्छी दोस्ती हो गयी। बातों मे पता चला उनको शादी करने की इच्छा नही है पर उनके माता पिता उनके पीछे पड़े हुए है। एक दिन मुझे राजीव सर स्कूल मे अपसेट दिखे। फिर शाम को क्लासेज मे भी कुछ मूड ऑफ लगा तो मेने पूछ लिया की क्या बात है। उन्होंने बताया की रोज़ उनके माता पिता उन्हे फोन करके शादी के लिए दबाव डालते है और अब तो धमकी भी देने लगे की अगर शादी नही की तो वो लोग अपनी जान दे देंगे। मेने कुछ सोचकर कहा सर आप उनसे कह दीजिये की आपने यहां शादी कर रखी है। वो भी खुश हो जाएंगे और आपका भी काम बन जायेगा। सर ने पूछा यदि वो यहां बहु से मिलने आये तो फिर क्या करूंगा। मेने कहा कह देना अभी मायके गयी है, थोड़े दिनों मे आएगी। राजीव सर ने मुझे थैंक्स बोला और मै घर आ गयी। अगले दिन जब टूशन क्लासेज ख़त्म हुई तो सर ने मुझे रोका और बताया की एक समस्या है और मै ही उनकी मदद कर सकती हुँ । मेने पूछा क्या समस्या है। तो उन्होंने बताया की उनकी माताजी बहु को देखना चाहती है। तो यदि मै वीडियो कॉल पर उनसे बात कर लू तो उन्हे विश्वास हो जाएगा। मेने कहा पर सर मै कैसे कर सकती हुँ। तो उन्होंने मेरे हाथ जोड़ लिए की यदि मेने उनकी मदद नही की तो उनके माता पिता अगले महीने उनकी शादी करवा देंगे। मुझे मन तो नही था पर सर की समस्या को समझकर और सर के अच्छे स्वभाव के कारण मेने हां कर दी। सर ने अपनी माताजी को फोन मिलाया और कहा लो बात कर लो अपनी बहु से। मेने उन्हे प्रणाम किया और उनसे बात की। वो मुझसे बात करके खुश हो गयी। फोन कट हुआ तो सर ने मुझे धन्यवाद दिया और मैन अपने घर आ गयी। थोड़े दिन मे मै इस बात को भूल गयी और जीवन चलता रहा। एक दिन जब मै टूशन क्लास मे पहुंची तो देखा घर पर राजीव सर के माता पिता आये हुए थे। मुझे देखते हि उनकी माँ मेरे पास आ गयी। मेने उनके पैर छू लिए। उन्होंने सर को आवाज़ लगायी। सर बाहर आये और मुझे देखते ही दंग रह गये। सर की माँ ने उनसे कहा तु तो कह रहा था बहु मायके से एक महीने मे आएगी, देख ये तो आज हि आ गयी। मै भी एकदम परेशान थी की ये क्या समस्या हो गयी। सर ने अपनी माँ को अंदर भेजा और मुझे कहा आज आप क्यो आई। मेने कहा मुझे नही पता था की आपके माता पिता आये हुए है। उन्होंने कहा मेने तुम्हे मैसेज किया था। मेने मोबाइल मे देखा तो उनका मैसेज था पर मै हि उसे पढ़ नही पायी थी। अब कोई रास्ता नही था। मै घर के अंदर गयी और जाकर उनके लिए चाय बनायीं। उनकी माँ मेरे साथ बाते करने लगी। आज मेरी क्लास भी सर को लेनी पड़ी। 8 बजने वाले थे। मुझे घर जाना था। मेने जल्दी से सबके लिए खाना बना दिया। उनके माता पिता को खाना भी खिला दिया। अब मेने सर से कहा की अब मै घर जाती हु। पर तभी उनकी माँ आ गयी और बोली क्या हुआ बेटा कुछ समस्या है क्या? सर और मै दोनो सोच रहे थे क्या जवाब दे। इतने मे सर ने बोला नही माँ बस हम तो घूम रहे थे। तो माँ ने कहा अब तुम दोनो भी खाना खा लो। मेरे पास कोई रास्ता नही था मै घर के अंदर आयी और सरोज भाभी को फोन किया की मुझे थोड़ा लेट होगा तो आप प्रतीक को खाना खिला देना। अब मेने सर का और अपना खाना डाला और हमने खाना खा लिया। सर के माता पिता रूम मे सोने चले गये। तब मै जल्दी से घर आयी। सरोज भाभी के घर से प्रतीक को लिया और अपने घर आयी। अब मै सोचने लगी की कल क्या होगा। प्रतीक भी सो गया और सोचते सोचते मुझे भी नींद आ गयी। अगले दिन जब स्कूल मे सर मिले तो उन्होंने बताया की उन्होंने अपने माता पिता से कह दिया की भाई की तबियत अचानक खराब होने के कारण मै अचानक रात मे हि अपने घर चली गयी। मुझे सूकून मिला। सर ने मुझसे इस सबके लिए माफी मांगी तो मेने कहा सर इसमे आपकी कोई गलती नही है आइडिया तो मेरा हि था। पर धन्यवाद आपने सब संभाल लिया। उन्होंने मुझे अब क्लासेज आने से भी मना कर दिया जब तक उनके माता पिता यहां है।
 
  • Like
Reactions: kamdev99008
Top