पापा ने रात मे एक बार और मम्मी को जमकर चोदा।सुबह मम्मी एक महीने के लिए अपने घर चली गयी। पापा भी अपनी नौकरी पर शहर चले गये। पापा रोज़ मम्मी के वापिस आने के दिन गिनने लगे। एक महीना गुज़रा मम्मी वापिस आ गयी। अब मम्मी भी पापा के साथ शहर आ गयी। यहां पापा को सरकारी घर मिला हुआ था। यहां पापा मम्मी खूब चुदाई करते। अब दोनो एक दिन भी बिना चुदाई नही रह पाते। मम्मी भी अब आसानी से पापा का लंड ले लेती थी। छुट्टी के दिन तो पापा मम्मी की सारे दिन भर चुदाई करते। ऐसे हि दो साल बीत गये। अब मम्मी का बदन पापा से चुद चुदकर गदरा चुका था। उनकी 36 की चूचियाँ और 42 की गांड देखकर बुड्ढा भी पानी झाड़ दे। मम्मी हमेशा साड़ी हि पहनती थी। शहर मे बस उन्होंने पेटीकोट नाभि से नीचे बांधना सुरु कर दिया था और ब्लाउज का गला डीप हो गया था। पापा के साथ वो उनके दोस्तों की और ऑफिस पार्टियों मे जाति थी तो पापा के दोस्त और साथ काम करने वाले उन्हे खूब ताड़ते थे। मम्मी भी ये नोटिस करती थी पर वो ध्यान नही देती थी। शादी के 3साल बाद मेरा जन्म हुआ। मै घर मे सबका लाडला था और मम्मी की तो मै जान था। जब मै 2 साल का हुआ तब पापा को बुखार हुआ पर उन्होंने उस पर ध्यान नही दिया। जिससे बुखार बिगड़ गया और पापा को कुछ दिन हॉस्पिटल मे भी रहना पड़ा पर उन्हे बचाया नही जा सका। मम्मी की पूरी दुनिया हि उजड़ गयी। हम गाँव दादा दादी के पास आकर रहने लगे। मम्मी को इस सदमे से उबरने मे एक साल लग गया। जब मै 5 साल का हुआ तो मम्मी ने दादा दादी से बात की और मुझे लेकर शहर आ गयी। यहां पापा के एक दोस्त ने हमारी मदद की। शहर से थोड़ा दूर सोसाइटी मे अपने घर के पास हि घर दिलवाया और हम वहा रहने लगे। मम्मी एक प्राइवेट स्कूल मे पढ़ाने लगी। पापा ने मम्मी को पोस्ट ग्रेजुएशन करवा दी थी, जो अब हमारे काम आयी। पापा के दोस्त मम्मी को छोटी बहन मानते है। उनका बेटा नमन मेरा एकलौता दोस्त है। मै हमेशा से मम्मी के करीब रहा। घर मे रहना पढ़ना और शाम को नमन के साथ खेलना बस इतना हि रोज़ का रूटीन था मेरा। मै रिज़र्व नेचर का, लड़कियों के मामले मे शर्मीला और अपने आप मे मस्त रहने वाला इंसान हुँ। मेरे लिए अपना परिवार सबसे जरूरी है, बाकी सब बाद मे। मेरा केवल एक दोस्त है नमन। वही दूसरी और नमन लोगो से घुलने मिलने वाला, लड़कियों के मामले रंगीनमिजाज स्वभाव का है। मै और नमन साथ मे हि पढ़ते थे।