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Romance DharmPatni

Love4yummy

Love is goal and sex is the key
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एक सप्ताह बाद सर के माता पिता चले गये। अब वापिस मेने क्लासेज जाना सुरु किया। इस वाकिये ने मेरे मन मे सर के लिए इज्जत और बड़ा दी। अब हमारी दोस्ती और गहरी हो गयी। अब सर थोड़ी मजाक मस्ती भी करने लगे। मुझे भी अच्छा लगता क्योंकि रमेश के जाने के बाद से अभी तक मै कभी अच्छे से हसी भी नही थी।
स्कूल मे क्लास 11 मे दो छात्र राज और हरी थोड़े गरीब परिवार से आते है। वो पढ़ाई मे पूरा ध्यान लगाते है पर मैथ्स मे फिर भी थोड़ा कमज़ोर है। मेने उन्हे कई बार टूशन क्लास आने को कहा पर पैसे के कारण वो आ नही पाए। तो मेने तय किया की स्कूल के बाद 3 से 4 रोज़ घंटा उन्हे पढ़ाउंगी। इसिलिय मेने उन्हे घर आने को कह दिया। वो भी खुश हो गये। अब रोज़ वो घर आते और मै उन्हे पढ़ाने लगी। दोनो पूरा मन लगाकर पढ़ते। अब एग्जाम हुए और दोनो ने बहुत अच्छे नंबर प्राप्त किये। वो दोनो रिजल्ट के बाद घर आये मुझे मिठाई खिलाई और आशीर्वाद लिया। पर मेने उन्हे समझाया अबकी बार 12 बोर्ड है तुम लोगो को अभी से हो मेहनत करनी पड़ेगी वो भी पहले से दुगुनी। वो दोनो भी तैयार थे। अब 12 क्लास के लिए भी मै उन्हे टूशन देने लगी। यहां दूसरी और सर ने थोड़े दिन मे हमारे झगड़े और अलग होने के बारे मे अपने माता पिता को बताया और अब वो शादी के लिए भी तैयार हो गये। उनकी शादी उनके गांव के पास की हि एक लड़की से हुई। शादी के कारण क्लासेज 15 दिन मेने हि अकेले संभाली। फिर सर वापिस आ गये। थोड़े दिन बड़ उनकी पत्नी भी आ गयी। सर के जन्मदिन पर उन्हे विश करने के लिए मै थोड़ा क्लासेज के टाइम से पहले उनके घर पहुंच गई। मेने स्कूटी खड़ी की और गेट पर पहुंची। मै घंटी बजाने वाली थी की मुझे उनकी वाइफ की चीख सुनाई दी। मुझे समझते देर ना लगी की अंदर क्या चल रहा है। मै वापिस जाने को हुई पर मन हुआ की एक बार देखु क्या हो रहा है अंदर। अब करीब 10 साल गुज़र चुके थे जब अंतिम बार रमेश ने मुझे तबियत से चोदा था। इन 10 सालों मे मै चुदाई तो बिल्कुल भूल हि चुकी थी। मन के हाथो विवश होकर मै सर के घर के बगल की गली मै गयी जहा की खिड़की से सर के बैडरूम मे खुलती है। देखा तो खिड़की बंद थी। यहां तो सर की वाइफ की बेतहाशा चीखे आ रही थी। वो आहे भर रही थी, चीख रही थी। मेरे अंदर भी बुझी हुई आग फिर जलने लगी। मेने खिड़की को थोड़ा धक्का दिया तो खिड़की अंदर से लोक नही थी खुल गई। मेने हलकी सी खिड़की खोली तो देखा सर की वाइफ बेड पर लेटी हुई थी। सर ने उनके दोनो पाँव अपने कंधो पर उठा रखे थे और सर का लंड उनकी वाइफ की चूत मे पिस्टन को तरह अंदर बाहर हो रहा था। सर के धक्को की स्पीड बहुत तेज़ थी। सर का लंड देख मेरी आँखे फटी की फटी रह गयी। कम से कम 9 इंच का 4 इंच मोटा काला लंड। मै महसूस कर रही थी बेचारी उनकी पत्नी का क्या हाल हो रहा होगा। उनकी बाते भी मुझे सुनाई दे रही थी।
पत्नी: अब आ जाइये अब सहन नही होता आह्ह्हह्ह्हह्ह्ह्ह्ह् ोूोूोूोूोूोूोूोूोूोूोूोूोूोूोूोू ह्ह्हह्ह्ह्ह्ह् माँ मै मर गयी।
सर: मेरी जान अभी तो मेने तेरी चूत मारनी शुरु की है तुम तो अभी हि थक गयी।
पत्नी: आह्ह्ह्हह्ह माँ जब से स्कूल से आये हो मुझे लगातार चोद रहे हो आअह्ह्ह्हह्ह और कितना चोदोगे अब तो आ जाओ आह्ह्ह्हह माँ मुझे बचा लो मेरी चूत फाड़ दी मआआआ आअह्ह्ह्हह्ह
सर: क्यू शादी से पहले तो कहती थी पूरी रात चुदूँगी आपके लंड से अब क्या हुआ
पत्नी: तब मुझे पता कहा था की तुम्हारे पास गधे जैसा लंड है और तुम जानवर की तरह चोदते हो माँ मेरी शादी किससे करवा दी आपने। आअह्ह्ह्हह्ह मुझे बचा लो माँ । आह्ह्ह्हह्ह आपने सारी रात चोदा मुझे और अब सारे दिन भी तुम्हारा मन भी नही भरता क्या।
सर: नही भरता रानी क्या करू जितना भी चोद लु तुम्हे कम हि लगता है।
पत्नी: फिर इतने साल बिना चुदाई कैसे बिताये आपने या फिर प्रमिला मेम की लेते थे? वो आपके साथ काफी खुली हुई भी है। माल भी काफी सेक्सी है।
सर: नही वो बहुत अच्छी दोस्त है मेरी। बस इतना हि है
पत्नी: अह्ह्ह्हह्ह ओह्ह्ह्हह पर उनका नाम आते हि आपका लंड तो और भी बड़ा हो गया लगता है जैसे मरा जा रहा है मेम की चूत का भोसड़ा बनाने के लिए आह्ह्हह्ह्ह मान लो मै प्रमिला मेम हु और आप मुझे चोद रहे है आअह्ह्ह्हह सर और तेज़ चोदिये ना कितना जबरदस्त लंड है आपका आह्ह्हह्ह्ह मेरी कई सालो की प्यास आज बुझा दीजिये सर
सर: मेम मै तो आपको कब से चोदना चाहता हु पर आपने कभी मौका हि नही दिया वरना आपकी चूत और गांड दोनो फाड़ देता मै लो मेम लो मेरा लंड अपनी प्यारी चूत मे आह्ह्हह्ह्ह
और ये कहते हुए सर अपनी पत्नी की चूत मे झाड़ गये। यहां मेरी हालत खराब थी। सर मुझे चोदना चाहते है। मेने वापिस स्कूटी स्टार्ट की और घर आ गयी।
 
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Love4yummy

Love is goal and sex is the key
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मै घर आकर बस यही सोच रही थी की मै सर को इतना अच्छा इंसान समझती थी और वो मेरे बारे मे कितनी गलत सोच रखते है। मेने तो उनकी कितनी मदद की। फिर भी ऐसी सोच। मुझे सर पर बहुत गुस्सा आया और अब मेरे मन मे उनके प्रति जितना भी सम्मान था वो घृणा मे बदल गया।मेने मन बना लिया की मै उनकी क्लासेज छोड़ दूंगी। फिर सर का कॉल आया की मै अभी तक क्लास आयी नही तो मेने तबियत खराब होने का बहाना बना दिया। अगले दिन स्कूल मे सर ने मुझसे मेरी तबियत के बारे मे पूछा। मुझे उनका चेहरा देखते हि घृणा होने लगी। पर मेने अपने चेहरे पर हलकी से मुस्कान बनाये रखी और कहा सब ठीक है पर सर अब मै आपकी क्लासेज मे पढ़ा नही पाऊँगी क्युकी प्रतीक का ध्यान रखने के लिए कोई नही है। सर ने मुझसे रिक्वेस्ट की तो मेने केवल इस सेशन पढ़ाने की बात मन ली। मै बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ नही करना चाहती थी। 2 महीने और मेने क्लासेज मे पढ़ाया। फिर मेने उनकी क्लासेज मे पढ़ाना छोड़ दिया। अब राज और हरी को हि मै घर पर टूशन देती थी। एक दिन मै राज और हरी की पढ़ा रही थी। तभी घर की घंटी बजी। मेने उठकर दरवाजा खोला तो सामने एक सज्जन थे और उनके साथ उनके बेटा और बेटी थे। उन सज्जन ने पूछा क्या आप हि प्रमिला मेम है। मेने हा बोला और उन्हे अंदर आने को बोला। वो तीनो अंदर आये और फिर मेने उन्हे सोफे पर बैठने को बोला। फिर वो बोले ये मेरा बेटा विजय और बेटी संजना है। इस बर 12वी क्लास मे है। पढ़ाई मे अच्छे है पर थोड़ा मैथ्स का प्रॉब्लम रहता है। हरी के पिता मेरी गाड़ी चलाते है। उनसे पता चला आपने उनके बच्चों को मैथ्स पढ़ाया और वो इतने अच्छे मार्क्स ला पाये तो मै चाहता हु आप इन बच्चों को भी पढ़ा दे। मेने सोचा अच्छी बात है, जहा दो को पढ़ा रही हु वहा चार सही। और टूशन क्लासेज मे पढ़ाने का एक्सपीरियंस भी था मुझे। मेने हाँ कह दिया। उन्हे पानी ऑफर किया। फिर फीस की बात भी हो गयी। वो बच्चों के अगले दिन से आने की बात कहकर चले गये। मै खुश थी। मेने हरी और राज को पढ़ाया और फिर वो घर चले गये। मेने खुशी सेलिब्रेट करने के लिए खीर बनायी। इस समय मै प्रतीक को सुला देती थी ताकि वो टूशन मे डिस्टर्ब ना करे। प्रतीक घर मे बहुत ज्यादा शरारती है। अब मेने प्रतीक को जगाया। फिर हम नमन के घर गये वहा मेने भैया भाभी को आज की खबर सुनाई और खीर भी खिलाई। वो दोनो भी खुश हो गये। मेने उन्हे बताया था सर के क्लासेज वाले पूरे किस्से के बारे मे। अब नमन के पापा और मम्मी दोनो मुझे समझाने लगे की मुझे दूसरी शादी कर लेनी चाहिए। ये दुनिया अच्छी नही है। लोग अकेली औरत देखते हि टूट पड़ते है। तो यदि कोई साथी होगा तो जीवन ज्यादा आसानी से गुज़रेगा। पर मेने दूसरी शादी के लिए साफ इंकार कर दिया। पहला कारण था की मैंने अपना तन मन सब प्रतीक के पापा को सौंप दिया था और अब मै किसी और को अपने पास भी नही आने दे सकती थी। और ये तो सत्य है की यदि कोई मुझसे शादी करेगा तो वो तो मुझे भोगना चाहेगा हि। ये मे सोच भी नही सकती थी। और दूसरा मेरे मन मे डर प्रतीक को लेकर था कि यदि प्रतीक ने नए पिता को या मेरे दूसरे पति ने प्रतीक को मन से नही अपनाया तो क्या होगा। इसीलिए मेने भैया से कहा मुझे दूसरी शादी नही करनी। अब प्रतीक हि मेरा जीवन है। मैं उसके सहारे अपना पूरा जीवन बिता लूंगी।
नमन के पापा बोले प्रमिला अभी वो छोटा बच्चा है तो ठीक है। कल को वो पढ़ने, नौकरी के लिए बाहर जायेगा फिर उसकी शादी भी होगी। तब तो तु अकेली हो जाएगी ना। यदि उसकी पत्नी ने तुझे नही साथ रखा तो तु क्या करेगी। फिर बुढ़ापे मे किसके सहारे जीयेगी। मेने कहा भैया मेने अभी इतना नही सोचा पर मै इस बारे मै कन्फर्म हु की मै दूसरी शादी नही करूंगी। प्रतीक हि मेरा जीवन है। कल चाहे वो मुझे साथ रखे या ना रखे।
प्रतीक और नमन वही खेल रहे थे। तभी प्रतीक मेरे पास आया और मेरी गोद मे बैठ गया। फिर वो बोला मामा मै कभी मम्मी को छोड़ के नही जाऊंगा। हमेशा मम्मी के साथ रहूंगा और कभी शादी भी नही करूंगा जिससे मेरी पत्नी मेरी मम्मी को मुझसे दूर कर हि। नही पायेगी। फिर वो मेरी छाती से चिपक गया। मेरे बेटे का प्यार देखकर मेरी आँखों मे आंसु आ गये। मै कुछ बोल नही पायी बस उसे अपने से चिपकाकर उसके सर पर हाथ फेरने लगी। ये देखकर अब भैया भाभी भी चुप हो गये। थोड़ी देर बाद मै और प्रतीक घर आ गये।
 

Love4yummy

Love is goal and sex is the key
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अब कहानी वापिस मेरी जुबानी.....
ऐसे हि दिन गुज़रने लगे। मम्मी ने सर की क्लासेज छोड़ दी थी। अब मम्मी घर पर हि टूशन पढ़ाने लगी। मै और नमन भी मम्मी से टूशन पढ़ते। समय गुज़रा अब हम 12वी क्लास मे आ गये। स्कूल मे नमन ने एक गर्लफ्रेंड बना ली। मै लड़कियों के मामले मे बहुत ज्यादा शर्मीला होने के कारण लड़कियों से बात भी नही कर पाता था इसीलिए मेरी कोई गर्लफ्रेंड नही बन पायी। पर मेरे अंदर सेक्स की आग नमन से भी कही ज्यादा थी। अब मैने नेट पर सेक्स वीडियोस और सेक्स स्टोरीज पढ़ना सुरु कर दिया। धीरे धीरे मुझे इनमे बहुत मजा आने लगा और कहानियाँ पढ़ने से मेरा इंटरेस्ट लड़कियों की बजाय बड़ी उम्र की औरतों मे बढ़ने लगा। मम्मी से मेरा बहुत ज्यादा लगाव था और मै उन्हे बहुत ज्यादा प्यार करता था तो उनके बारे मे मै ऐसा कुछ सोच नही सकता था। तो अब मेरा पूरा ध्यान सरोज मामी की और हो गया। सरोज मामी का रंग साँवला है और थोड़ी मोटी है। बूब्स 38 के और गांड कम से कम 44 की होगी। मामी के बूब्स इतने बड़े है की उनके ब्लाउज मे से उनके आधे बूब्स तो बाहर हि निकले रहते है। मामी हमेशा साड़ी हि पहनती है। अब मै जब भी नमन के घर जाता तो मामी को गौर से देखता। और ऐसे हि धीरे धीरे मे मामी को चोदने के लिए पागल होने लगा। अब मामी मुझे कामदेवी लगने लगी। अब मै मामी के साथ कोई नई स्टोरी सोचता और स्टोरी मे उन्हे चोदता। अब लगभग हर रोज़ मै मामी के नाम की मुठ मारने लगा। हम कॉलेज मे आ गये। कॉलेज मे नमन की एक और गर्लफ्रेंड बन गयी। अब नमन एक साथ दो लड़कियों को घुमाने लगा। मै अपने जोन मे मशगूल था मुझे लड़कियों से कोई मतलब नही था। बस मेरे दिल की रानी तो मेरी मामी बन चुकी थी। एक दिन हम सभी शादी मे गये। आज मामी ने पिंक कलर की साड़ी पहनी। मामी आज बला की खूबसूरत लग रही थी। 38 के चुचे उनके ब्लाउज मे समा नही रहे थे। लग रहा था किसी भी पल ब्लाउज फाड़कर बाहर आ जाएंगे। इतना भारी क्लीवेज दिख रहा था की मेरा लंड तो तन के सलामी देने लगा। इतना गदराया पेट और बीचो बिच गहरी चौड़ी नाभि मानो मेरा पूरा लंड तो नाभि मे हि समा जायेगा। मेरी हालत खराब हो गयी। अब मुझे मुठी मारनी थी। मै गार्डन से बाहर आया और गार्डन के पीछे की तरफ चला गया। वहा काफी अंधेरा था तो मेने पेंट की चैन खोली और चड्डी मे से लंड बाहर निकाल कर हिलाने लगा। मै आँखे बंद करके मामी को सोच कर मुठी मारने लगा। मेरा ध्यान टूटा जब किसी ने मेरा लंड पकड़ लिया। मेने आँख खोली तो सामने एक औरत थी। अंधेरे मे साफ नही दिख रहा था, पर उसने मेरा लंड पकड़ा हुआ था। मेने झट से अपना लंड उसके हाथ से छुड़ाने की कोशिश की पर उस औरत की पकड़ मेरे लंड पर बहुत मजबूत थी। मै डर गया। डर के कारण मेरा लंड भी सिकुड़ गया। उस औरत ने मेरे लंड को पकड़े हुए हि आगे चलना शुरु किया और मुझे अपने साथ चलने को कहा। मेने मना किया तो उस औरत ने मेरे आंड पकड़ लिए और हलके से दबा दिये। मुझे बहुत दर्द हुआ। तो मै उसके साथ चलने को तैयार हो गया। अब मेरी गांड फट के मेरे हाथ मे आ चुकी थी। पता नही आज मेरे साथ क्या होने वाला है। गार्डन के पीछे खाली मैदान था, जिसमे काफी पेड़ लगे हुए थे। हम लगभग वहा से 1 किमी दूर आ गये। यहां एक झोपडी बनी हुयी थी। जिसमें लाइट जल रही थी। वो औरत मुझे उस झोपडी मे ले गयी। मै अंदर गया तो लाइट मे मुझे दिखा ये औरत लगभग 60-65 साल की बुढ़िया थी। बुढ़िया ने झोपडी मे घुसते हि मुझे नंगा होने को कहा। मै घबरा गया। मेने ना करना चाहा तो उसने फिर से मेरे आंड पकड़ लिए। ये बुढ़िया बहुत मँझी हुयी खिलाडी थी मै आंड बचाने की सोचता उससे पहले हि उसने मेरे आंड पकड़ लिए। मेने कोई रास्ता ना देखकर अपने सारे कपड़े उतार दिये। उस औरत ने मुझे निचे जमीन पर लेटने को कहा। मै लेट गया क्योकि मेरे पास कोई और रास्ता नही था। फिर वो औरत एक कटोरी लेकर आयी और उसमे अपनी एक हाथ की उंगुलिया डुबायी। शायद कटोरी मे तेल होगा। फिर उसने मेरे लंड और आंड पर तेल लगा कर मालिश सुरु कर दी। पहले तो मुझे डर लग रहा था पर फिर धीरे धीरे मजा आने लगा। आज पहली बार एक औरत मेरे लंड की मालिश कर रही थी। मेरा लंड अभी 5इन्च लम्बा और 1.5इन्च मोटा है। उसने मेरे लंड की मालिश करते हुए मुझसे कहा की जब भी तुम्हे लगे बस तुम्हारा पानी आने वाला है तो मुझे बता देना। मेने हाँ कहा । वो औरत लगातार मेरे लंड और आंड को मालिश करने लगी। 5 मिनट मे हि मेरा पानी निकलने को तैयार था। तो मेने उस औरत को बता दिया। उस औरत ने झट से मेरे लंड कु आंड के निचे जड़ से पकड़ा और निचे दबाने लगी और 2-3 बर दबाते हि मेरा पानी गायब हो गया। उस औरत ने फिर से मेरे लंड की मालिश शुरु कर दी। इसे हि वो लगभग आधे घंटे तक मेरे लंड की मालिश करती रही, पर मेरा पानी निकलने नही दिया। फिर उसने मुझे कपड़े पहनने को कहा। मेने कपड़े पहन लिए। फिर वो मुझे साथ लेकर वापिस गार्डन की और चल दी। रास्ते मे उसने मुझसे कहा आज से तुम मुठी बिल्कुल नही मारोगे। अपना पानी बिल्कुल नही बहाओगे। रोज़ शाम को 7 बजे मेरी झोपडी मे आ जाना मै तुम्हारी मालिश कर दूंगी। हम गार्डन के पास आ गये थे। मेने उस औरत से हाँ कहा और मै अंदर गार्डन मे आ गया। मै यही सोच रहा था की अभी मेरे साथ क्या हुआ। एक अनजान औरत आयी मुझे अपने झोपड़े मे ले कर गयी और मेरी मालिश की आखिर क्यों । पर मेरे पास कोई जवाब नही था। तभी मुझे मम्मी की आवाज़ सुनाई दी जो मुझे हि बुला रही थी। हमने खाना खाया और हम सब घर आ गये। मै अपने रूम मे पलंग पर लेट गया। अब मेरे दिमाग़ मे बस यही चल रहा था की कल उस औरत के पास जाऊ या ना जाऊ। कुछ समझ नही आ रहा था। एक तरफ तो डर से गांड फ़टे जा रही थी वही दूसरी तरफ मन कर रहा था की आज मालिश कर रही है कल हो सकता है की चूत मारने को मिल जाये। आखिर लंड जीत गया और मेने वहा जाने का फैसला ले लिया। अब मै सो गया। सुबह मम्मी की आवाज़ से नींद खुली देखा तो 8 बज गये थे। मै उठा नहाया और कपड़े पहनकर हॉल मे आकर नाश्ता किया और कॉलेज के लिए निकल गया। मम्मी भी स्कूल के लिए निकल गयी।
 
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Iron Man

Try and fail. But never give up trying
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अब कहानी वापिस मेरी जुबानी.....
ऐसे हि दिन गुज़रने लगे। मम्मी ने सर की क्लासेज छोड़ दी थी। अब मम्मी घर पर हि टूशन पढ़ाने लगी। मै और नमन भी मम्मी से टूशन पढ़ते। समय गुज़रा अब हम 12वी क्लास मे आ गये। स्कूल मे नमन ने एक गर्लफ्रेंड बना ली। मै लड़कियों के मामले मे बहुत ज्यादा शर्मीला होने के कारण लड़कियों से बात भी नही कर पाता था इसीलिए मेरी कोई गर्लफ्रेंड नही बन पायी। पर मेरे अंदर सेक्स की आग नमन से भी कही ज्यादा थी। अब मैने नेट पर सेक्स वीडियोस और सेक्स स्टोरीज पढ़ना सुरु कर दिया। धीरे धीरे मुझे इनमे बहुत मजा आने लगा और कहानियाँ पढ़ने से मेरा इंटरेस्ट लड़कियों की बजाय बड़ी उम्र की औरतों मे बढ़ने लगा। मम्मी से मेरा बहुत ज्यादा लगाव था और मै उन्हे बहुत ज्यादा प्यार करता था तो उनके बारे मे मै ऐसा कुछ सोच नही सकता था। तो अब मेरा पूरा ध्यान सरोज मामी की और हो गया। सरोज मामी का रंग साँवला है और थोड़ी मोटी है। बूब्स 38 के और गांड कम से कम 44 की होगी। मामी के बूब्स इतने बड़े है की उनके ब्लाउज मे से उनके आधे बूब्स तो बाहर हि निकले रहते है। मामी हमेशा साड़ी हि पहनती है। अब मै जब भी नमन के घर जाता तो मामी को गौर से देखता। और ऐसे हि धीरे धीरे मे मामी को चोदने के लिए पागल होने लगा। अब मामी मुझे कामदेवी लगने लगी। अब मै मामी के साथ कोई नई स्टोरी सोचता और स्टोरी मे उन्हे चोदता। अब लगभग हर रोज़ मै मामी के नाम की मुठ मारने लगा। हम कॉलेज मे आ गये। कॉलेज मे नमन की एक और गर्लफ्रेंड बन गयी। अब नमन एक साथ दो लड़कियों को घुमाने लगा। मै अपने जोन मे मशगूल था मुझे लड़कियों से कोई मतलब नही था। बस मेरे दिल की रानी तो मेरी मामी बन चुकी थी। एक दिन हम सभी शादी मे गये। आज मामी ने पिंक कलर की साड़ी पहनी। मामी आज बला की खूबसूरत लग रही थी। 38 के चुचे उनके ब्लाउज मे समा नही रहे थे। लग रहा था किसी भी पल ब्लाउज फाड़कर बाहर आ जाएंगे। इतना भारी क्लीवेज दिख रहा था की मेरा लंड तो तन के सलामी देने लगा। इतना गदराया पेट और बीचो बिच गहरी चौड़ी नाभि मानो मेरा पूरा लंड तो नाभि मे हि समा जायेगा। मेरी हालत खराब हो गयी। अब मुझे मुठी मारनी थी। मै गार्डन से बाहर आया और गार्डन के पीछे की तरफ चला गया। वहा काफी अंधेरा था तो मेने पेंट की चैन खोली और चड्डी मे से लंड बाहर निकाल कर हिलाने लगा। मै आँखे बंद करके मामी को सोच कर मुठी मारने लगा। मेरा ध्यान टूटा जब किसी ने मेरा लंड पकड़ लिया। मेने आँख खोली तो सामने एक औरत थी। अंधेरे मे साफ नही दिख रहा था, पर उसने मेरा लंड पकड़ा हुआ था। मेने झट से अपना लंड उसके हाथ से छुड़ाने की कोशिश की पर उस औरत की पकड़ मेरे लंड पर बहुत मजबूत थी। मै डर गया। डर के कारण मेरा लंड भी सिकुड़ गया। उस औरत ने मेरे लंड को पकड़े हुए हि आगे चलना शुरु किया और मुझे अपने साथ चलने को कहा। मेने मना किया तो उस औरत ने मेरे आंड पकड़ लिए और हलके से दबा दिये। मुझे बहुत दर्द हुआ। तो मै उसके साथ चलने को तैयार हो गया। अब मेरी गांड फट के मेरे हाथ मे आ चुकी थी। पता नही आज मेरे साथ क्या होने वाला है। गार्डन के पीछे खाली मैदान था, जिसमे काफी पेड़ लगे हुए थे। हम लगभग वहा से 1 किमी दूर आ गये। यहां एक झोपडी बनी हुयी थी। जिसमें लाइट जल रही थी। वो औरत मुझे उस झोपडी मे ले गयी। मै अंदर गया तो लाइट मे मुझे दिखा ये औरत लगभग 60-65 साल की बुढ़िया थी। झोपडी के अंदर एक औरत और थी जो लगभग 34-35 साल की थी। बुढ़िया ने झोपडी मे घुसते हि मुझे नंगा होने को कहा। मै घबरा गया। मेने ना करना चाहा तो उसने फिर से मेरे आंड पकड़ लिए। ये बुढ़िया बहुत मँझी हुयी खिलाडी थी मै आंड बचाने की सोचता उससे पहले हि उसने मेरे आंड पकड़ लिए। मेने कोई रास्ता ना देखकर अपने सारे कपड़े उतार दिये। उस औरत ने मुझे निचे जमीन पर लेटने को कहा। मै लेट गया क्योकि मेरे पास कोई और रास्ता नही था। फिर वो औरत एक कटोरी लेकर आयी और उसमे अपनी एक हाथ की उंगुलिया डुबायी। शायद कटोरी मे तेल होगा। फिर उसने मेरे लंड और आंड पर तेल लगा कर मालिश सुरु कर दी। पहले तो मुझे डर लग रहा था पर फिर धीरे धीरे मजा आने लगा। आज पहली बार एक औरत मेरे लंड की मालिश कर रही थी। मेरा लंड अभी 5इन्च लम्बा और 1.5इन्च मोटा है। उसने मेरे लंड की मालिश करते हुए मुझसे कहा की जब भी तुम्हे लगे बस तुम्हारा पानी आने वाला है तो मुझे बता देना। मेने हाँ कहा । वो औरत लगातार मेरे लंड और आंड को मालिश करने लगी। 5 मिनट मे हि मेरा पानी निकलने को तैयार था। तो मेने उस औरत को बता दिया। उस औरत ने झट से मेरे लंड कु आंड के निचे जड़ से पकड़ा और निचे दबाने लगी और 2-3 बर दबाते हि मेरा पानी गायब हो गया। उस औरत ने फिर से मेरे लंड की मालिश शुरु कर दी। इसे हि वो लगभग आधे घंटे तक मेरे लंड की मालिश करती रही, पर मेरा पानी निकलने नही दिया। फिर उसने मुझे कपड़े पहनने को कहा। मेने कपड़े पहन लिए। फिर वो मुझे साथ लेकर वापिस गार्डन की और चल दी। रास्ते मे उसने मुझसे कहा आज से तुम मुठी बिल्कुल नही मारोगे। अपना पानी बिल्कुल नही बहाओगे। रोज़ शाम को 7 बजे मेरी झोपडी मे आ जाना मै तुम्हारी मालिश कर दूंगी। हम गार्डन के पास आ गये थे। मेने उस औरत से हाँ कहा और मै अंदर गार्डन मे आ गया। मै यही सोच रहा था की अभी मेरे साथ क्या हुआ। एक अनजान औरत आयी मुझे अपने झोपड़े मे ले कर गयी और मेरी मालिश की आखिर क्यों । पर मेरे पास कोई जवाब नही था। तभी मुझे मम्मी की आवाज़ सुनाई दी जो मुझे हि बुला रही थी। हमने खाना खाया और हम सब घर आ गये। मै अपने रूम मे पलंग पर लेट गया। अब मेरे दिमाग़ मे बस यही चल रहा था की कल उस औरत के पास जाऊ या ना जाऊ। कुछ समझ नही आ रहा था। एक तरफ तो डर से गांड फ़टे जा रही थी वही दूसरी तरफ मन कर रहा था की आज मालिश कर रही है कल हो सकता है की चूत मारने को मिल जाये। आखिर लंड जीत गया और मेने वहा जाने का फैसला ले लिया। अब मै सो गया। सुबह मम्मी की आवाज़ से नींद खुली देखा तो 8 बज गये थे। मै उठा नहाया और कपड़े पहनकर हॉल मे आकर नाश्ता किया और कॉलेज के लिए निकल गया। मम्मी भी स्कूल के लिए निकल गयी।
Shaandar Mast Update 🔥 🔥
 

Love4yummy

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मै कॉलेज से 3 बजे तक वापिस आ जाता हु, मम्मी 4 बजे तक घर आती। 6 से 8 तक मम्मी बच्चों को टूशन पढ़ाती। मै शाम को 6:30 पर मम्मी से बाहर घूमने की बोलकर अपनी बाइक लेकर निकल गया। 7 बजे तक मै गार्डन के पास पहुंच गया। मैने वहा गार्डन के पीछे की तरफ बाइक लगायी और झोपडी की तरफ चल पड़ा। जैसे हि वहा पहुंचा। तो देखा वो बुढ़िया मेरा हि इंतजार कर रही थी। मुझे देख उसके चेहरे पर भी मुस्कान आ गयी। वो मुझे अंदर ले गयी और कपड़े उतारने को कहा। मेने कपड़े उतारे और उसने फिर से तेल से मेरे लंड और आंड की मालिश शुरु कर दी। उसने मुझसे पूछा तुमने मुठ तो नही मारी ना? तो मेने ना मे सिर हिला दिया। मै आँख बंद करके अपने लंड की मालिश का आंनद लेने लगा। 30-35 मिनट मालिश की पर झड़ने नही दिया। फिर मै कपड़े पहनकर वापिस आ गया। आज भी उसने मुझे मुठ मारने से मना किया। अब ये सिलसिला रोज़ चलने लगा। मेरा रोज़ घर आकर मुठ मारने का मन तो करता पर थोड़ा तो उस बुढ़िया का डर और थोड़ा इस बात का डर की यदि उसे पता चल गया की मेने मुठ मारी है तो कही वो मालिश करना ना बंद कर दे। मुझे बस यही एक सुख मिल रहा था और मै इसे किसी भी कीमत पर खोना नही चाहता था। ऐसे हि 6 महीने गुज़र गये। हमारी कॉलेज के पहले ईयर की एग्जाम हो गयी। मेरा अब किसी चीज़ से लगाव नही था केवल मम्मी और शाम की मालिश हि मेरा रूटीन बन गया। इस दौरान मेरा मामी की तरफ भी ध्यान नही रहा। आज मालिश के दौरान उस औरत ने कहा आज रात तुम्हे यही रुकना होगा। मेने कहा पर मै ऐसा नही कर सकता। मेरी माँ मुझे ये परमिशन नही देगी। उसने मेरी तरफ देखा और एक कुटिल मुस्कान के साथ मेरे लंड को जोरो से मालिश करने लगी। मै तो मस्ती मे आ गया। थोड़ी देर बाद उसने अचानक अपना हाथ रोक दिया। मेने आँखे खोल के उसकी और देखा तो वो औरत बाहर निकल गयी। अब तक लगभग एक घंटा हो चुका था। मेने सोचा मम्मी जरूर फ़िक्र कर रही होगी, तो एक बार उनको कॉल करके बता दु की मै थोड़ी देर मे आ जाऊंगा। मै उठा और अपने कपड़े लेने लगा तो देखा मेरे सारे कपड़े गायब थे। मेने इधर उधर सब जगह देखा पर कपड़े गायब थे। मै जल्दी से झोपड़े के गेट की और गया। गेट खोलने लगा तो वो खुल नही रहा था। मेने बहुत जोर लगाया पर गेट नही खुला तो मेने सोचा झोपड़े का गेट है एक लात मारते हि टूट जायेगा। ये सोचकर मेने गेट पर लात मारी पर गेट जरा सा हिला भी नही उल्टा मेरे पैर मे हि दर्द हो गया। ऐसा लग रहा था जैसे वो लकड़ी का नही लोहे का गेट है। मै पसीने से तर बतर हो गया। अब मेरी फटने लगी की ये हो क्या रहा है। ये बुढ़िया है कौन? मुझे हि क्यों यहां लाई? मेरी मालिश क्यों करी? ये झोपड़ा है या क्या है? बुढ़िया कहा गयी? मेरे कपड़े कहाँ गये? मुझे कुछ समझ नही आ रहा था तभी कोई मेरे पीछे से मुझ से चिपक गया। मै अचानक घबरा गया पर अगले हि पल मै जन्नत मे था। मेरी पीठ पर उस औरत के मोटे बूब्स दब रहे थे। उसके कड़क तने निप्पल मेरी पीठ मे तीर की तरह चुभ रहे थे। वो अपने एक हाथ से मेरे निप्पल्स से खेल रही थी और दूसरे हाथ से मेरे लंड को हलके हलके हिला रही थी। मै औरत का ऐसा एहसास पाकर सब भूल गया और काम वासना मे खो गया। उस औरत ने मेरे पीठ पर चूमना शुरु किया। मेरी आह निकल गयी। फिर वो चूमते चूमते मेरी गर्दन की और बढ़ने लगी। मेरी गर्दन पर चूमने लगी अपनी जीभ फिराने लगी। वो चूमने के साथ साथ हलका हलका अपने दांतो से काट भी रही थी। मै जन्नत की फ़िज़ाओं मे पहुंच गया। फिर उस औरत ने मेरे कान के निचले भाग को अपने दांतो मे पकड़ा और खिंचा। मेरी जोर की आह निकल गयी। फिर मेरे कानो मे इतनी प्यारी आवाज़ आयी मानो कोई कानो मे मिश्री घोल रहा हो। उस प्यारी आवाज़ ने कहा क्या आप मेरे साथ आज रात सम्भोग करना चाहते हो? मुझे मुह मांगी मुराद मिल गयी थी। मै तो मरे जा रहा था। मेने झट से खा हाँ । तो उस औरत ने मुझे छोड़ दिया और अंदर की और जाने लगी। मै एकदम जन्नत से जमीन पर आ गिरा। मेने पलटकर उस औरत की और देखा और मेरी सांसे अटक गयी लंड फटने लगा। सामने उस औरत की गांड थी। अरे बाप रे इतनी कसी हुयी गांड। इतनी विशाल और कैसे उसके चलने पर इधर उधर मटक रही थी। उसकी गांड की मटक देखकर खड़े खड़े हि मेरे लंड ने अपने पानी की बौछार कर दी। पर लंड की अकड़ बिल्कुल कम नही हुयी। वो औरत अंदर चलि गयी थी तो मै उसकी तरफ भगा। अंदर वो औरत आईने मे खुद को निहार रही थी। मै अंदर गया और जाकर उसको पीछे से जकड लिया। उस औरत को कोई फर्क नही पड़ा। पर मै तो फिर से जन्नत मे पहुंच गया। मेरा लंड उसकी गांड की दरार मे समा चुका था। मेरे हाथ उसके पेट पर फिर रहे थे और जीभ उसके रसीले शरीर का रस चाट रही थी। उस औरत ने मुझसे कहा सब कुछ आपका हि है पर तुम पर कोई जबरदस्ती नही है। तुम्हारा मन हो तो हि मेरे साथ सम्भोग करो वरना तुम जा सकते हो। मै उसमे खो चुका था मेने कुछ सुना कुछ नही बस मेने कह दिया नही कोई जबरदस्ती नही है मै अपनी मर्ज़ी से तुमसे सम्भोग करना चाहता हु। मै तो मरा जा रहा हु तुमसे सम्भोग करने के लिए। तुम कैसी बाते कर रही हो। वो औरत फिर मेरी तरफ पलटी और मेरे चेहरे को अपने हाथों मे थामकर अपने चेहरे के पास लाई। अब हमारे होंठ लगभग टच हो रहे थे। दोनो की गर्म साँसे एक दूसरे के चेहरे पर महसूस हो रही थी। उसने फिर कहा तुम सच मे मुझ से सम्भोग करना चाहते हो? मै उसके होंठ चूमने आगे बड़ा तो उसने मुझे रोका और कहा पहले मेरी बात का जवाब दो। मेने कहा हाँ मै सच मे तुमसे सम्भोग करना चाहता हु, पर तुम बार बार क्यों पूछ रही हो। अब प्लीज करने दो ना मै मरे जा रहा हु तुम्हे चोदने के लिए। उस औरत ने कहा मै भी तड़प रही हु तुमसे चुदने के लिए पर तुम वादा करो मुझे अपने बच्चे की माँ बनाओगे। मैने कहा जरूर क्या तुम सच मे मेरे बच्चे की माँ बनना चाहती हो। उसने कहा हाँ। तो मेने कहा मै आज हि तुमारे अंदर अपना बीज डाल दूँगा। पर अब मुझे तुम्हारी चुदाई करने दो। अब कोई सवाल नही। उसने अपने होंठ मेरे होठों से जोड़ दिये। मै पागल हो गया। इतने नरम रसीले होंठ। मै बेतहाशा उन्हे चूमने लगा चूसने लगा। अब उसने अपनी जीभ मेरे मुह मे घुसा दी। मै पागलो की तरह उसकी जीभ चूसने लगा। फिर उसने मेरी जीभ अपने मुह मे लेकर चूसना शुरु कर दिया। ऐसे पता नही कितनी देर हम एक दूसरे को चूसते रहे। जब दोनो की हालत ना खड़े होने की बची ना हि साँसे काबू मे रही तो हम पलंग पर लेट गये। मै पलंग पर पीठ के बल लेटा हुआ था और वो मेरे ऊपर थी। उसने फिर से मेरे होठो को चूमना शुरु कर दिया। अब मेरा एक हाथ उसकी नंगी पीठ पर फिर रहा था और दूसरा हाथ मेने उसके बूब्स पर रखा। उफ्फ्फ कितने मुलायम बूब्स मेरे लंड ने झटका मारा। वो उसकी मुलायम जांघो से टकराया । उफ्फ्फ् उतनी हि मुलायम जाँघे। मै उसके बूब को हलके हलके दबाने लगा। उफ्फ्फ्फ़ मै तो पागल हो गया। उसकी भी आह निकल गयी। उसने हाथ बढ़ाकर मेरा लंड पकड़ लिया। वो बोली ये तो ऐसे तप रहा है जैसे लोहे की गरम रोड। कितना बड़ा और मोटा है तुम्हारा लंड। ऐसा कहकर वो मेरी आँखों मे देखते हुए लंड पर अपना हाथ हलके हलके हिलाने लगी। अब मेरा कंट्रोल खुद पर नही रहा। मेने उसे पलंग पर लिटाया और उसकी आँखों मे देखते हुए बोला चोद दु तुम्हे। वो बोली हाँ चोद दो मुझे और डाल दो अपना बीज मेरी कोख मे और बना लो मुझे अपने बच्चे की माँ । ये सुनकर मे और ज्यादा उत्तेजित हो गया। मैने उसके दोनो पैर उठाये और अपने कंधो पर रख लिए। फिर अपने लंड का टोपा उसकी चूत पर सेट किया और पूरा जोर इकट्ठा करके धक्का मारा। पूरा लंड उसकी चूत को चीरता हुआ एक बार मे हि गहराइयों मे उतर गया।उसकी भयानक चीख निकली शायद पूरे शहर ने सुनी होगी उसकी चीख। इतनी भीषण चीख थी उस औरत की। अब मेने उसकी आँखों मे देखा। उनमे आंसु भरे हुए थे। वो दर्द से बेहाल थी। मैंने पूरा लंड चूत के मुह तक बाहर निकाला और एक झटके मे फिर से पेल दिया उसकी चूत मे। फिर से उसकी चीख से शहर गूँज उठा। उसकी आँखों से लगातार आंसु बहने लगे। मै ऐसे हि पूरा लंड बाहर निकालता और फिर एक झटके मे चूत की गहराई मे पेल देता। ऐसे 10-15 धक्को के बड़ अब वो भी मेरा साथ देने लगी। हर धक्के के साथ अपनी गांड मेरी और मारती, जिससे लंड चूत की टक्कर और ज्यादा भीषण होने लगी। अब मेने उसका एक बूब अपने मुह मे लिया और जोर जोर से चूसने लगा। वो ये दोहरी मार नही सह पायी और उसका शरीर ऐठने लगा। उसने मुझे जकड लिया और बोली और तेज़ धक्के लगाओ फाड़ दो मेरी चूत ऐसे हि फाड़ो तुम मेरे सच्चे मर्द हो निचोड़ लो इस चूत का सारा रस। ये सुनकर मेरा जोश सातवे आसमान पर पहुंच गया। मै उस औरत की मखमली चूत को अपने लंड से बेरहमी से चोदने लगा। हर धक्के के साथ उसकी निकली चीख से सारा शहर गूँजता। उसने अपना ढेर सारा पानी छोड़ दिया। अब लंड चूत मे और ज्यादा तेज़ी से जाने लगा। वो चुदवाती रही चीखती रही मै उसे बेतहाशा चोदता रहा। अपनी मर्दानगी की अमिट छाप उस औरत के पूरे जिस्म पर बनाता रहा। ना मेरे धक्के रुक रहे थे ना उसकी चीखे। फिर मै उसके ऊपर से उठा और पलंग पर लेट गया। अब उसे अपने लंड पर बैठने को कहा। वो उठी अपनी टांगे चौड़ी की और लंड का टोपा अपनी चूत के मुह पर लगाकर बैठने लगी। मेने उसकी कमर पकड़ी और निचे से एक करारा शॉट मारा और पूरा लंड उसकी चूत मे सेट हो गया। उसके पैर कंप गये उसकी फिर दर्दनाक भीषण चीख निकल गयी। पर पूरा शहर नींद मे था। उसने अपने दोनो हाथ मेरे सीने पर टिकाये और अपनी गांड ऊपर निचे करने लगी। बिच बिच मे मै निचे से शॉट लगा देता तो उसकी चीख निकल जाती। उसकी आँखों से निकले आंसु और उसका पसीना मिलकर मेरे सीने पर टपक रहा था। इससे मेरी उत्तेजना और बढ़ गयी। अब मेने उसकी कमर को पकड़ा और उसका पेट अपने पेट पर चिपका लिया फिर एक हाथ से उसकी कमर थामी और दूसरा हाथ उसके सर के पीछे ले जाकर उसके चेहरे को अपने चेहरे के पास किया। अब हमारी नाक टच हो रही थी और दोनो के होंठ एक दूसरे के पास कांप रहे थे। अब मेने अपनी कमर तूफ़ान की रफ़्तार से हिलाना शुरु कर दिया। अब मै ताबड़ तोड़ धक्के उसकी चूत मे पेल रहा था। हर धक्के के साथ उसकी चीखे मेरे होठो तक आने लगी। वो मेरी आँखों मे देख रही थी। मै उसके चेहरे के भावों और उसकी चीखों से उसकी हालत देख रहा था। पर उसकी आँखे फिर भी मुझे चोदते रहने को कह रही थी। मै भी कहा रुकने वाला था। कल तक मै चूत के लिए तड़प रहा था और आज मेने चूत की धज्जियाँ उड़ा रखी थी। पता नही हमे चुदाई करते हुए कितना समय हो गया था पर ना वो मुझे रोक रही थी ना मै रुक रहा था। अब तक ना जाने कितनी बार वो झड़ चुकी थी और ना जाने कितनी बार मै उसकी चूत को अपना पानी पिला चुका था। थकावट हमे चूर कर रही थी पर एक दूसरे के जिस्म की आग हमे रुकने नही दे रही थी। मै थोड़ा भी ढीला पड़ता तो वो हलका सा गांड का शॉट लगा देती और मेरी हवस फिर से जग जाती। बेतहाशा चुदाई चलती रही। इतने मे झोपडी का दरवाजा खुला। उस औरत ने मुझे एक जोरदार किस किया और मै अपने चरम पर पहुंच गया। मै झड़ने लगा और मेने अपना सारा गाड़ा वीर्य उस औरत की चूत मे भर दिया। अब उस औरत ने मुझे साइड मे किया और उठकर झोपड़े से बाहर की और चल दी। मै उसे रोकना चाहता था पर मै चाहकर भी उसे नही रोक पाया। मेरे मुह से आवाज़ भी नही निकल रही थी। वो झोपड़े से बाहर चली गयी। मै उठने लगा तो मेरी जांघो मे भयानक दर्द हुआ और मै फिर से बेड पर गिर पड़ा। ये दर्द बहुत असहनीय था। मै दर्द के करण बेहोश होने लगा। मेरी आँखे धीरे धीरे बंद होने लगी। मुझे बस इतना हि दिखा की वो बुढ़िया मेरी ओर आ रही है। ये देखते हुए मै बेहोश हो गया।
 
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मै कॉलेज से 3 बजे तक वापिस आ जाता हु, मम्मी 4 बजे तक घर आती। 6 से 8 तक मम्मी बच्चों को टूशन पढ़ाती। मै शाम को 6:30 पर मम्मी से बाहर घूमने की बोलकर अपनी बाइक लेकर निकल गया। 7 बजे तक मै गार्डन के पास पहुंच गया। मैने वहा गार्डन के पीछे की तरफ बाइक लगायी और झोपडी की तरफ चल पड़ा। जैसे हि वहा पहुंचा। तो देखा वो बुढ़िया मेरा हि इंतजार कर रही थी। मुझे देख उसके चेहरे पर भी मुस्कान आ गयी। वो मुझे अंदर ले गयी और कपड़े उतारने को कहा। मेने कपड़े उतारे और उसने फिर से तेल से मेरे लंड और आंड की मालिश शुरु कर दी। उसने मुझसे पूछा तुमने मुठ तो नही मारी ना? तो मेने ना मे सिर हिला दिया। मै आँख बंद करके अपने लंड की मालिश का आंनद लेने लगा। 30-35 मिनट मालिश की पर झड़ने नही दिया। फिर मै कपड़े पहनकर वापिस आ गया। आज भी उसने मुझे मुठ मारने से मना किया। अब ये सिलसिला रोज़ चलने लगा। मेरा रोज़ घर आकर मुठ मारने का मन तो करता पर थोड़ा तो उस बुढ़िया का डर और थोड़ा इस बात का डर की यदि उसे पता चल गया की मेने मुठ मारी है तो कही वो मालिश करना ना बंद कर दे। मुझे बस यही एक सुख मिल रहा था और मै इसे किसी भी कीमत पर खोना नही चाहता था। ऐसे हि 6 महीने गुज़र गये। हमारी कॉलेज के पहले ईयर की एग्जाम हो गयी। मेरा अब किसी चीज़ से लगाव नही था केवल मम्मी और शाम की मालिश हि मेरा रूटीन बन गया। इस दौरान मेरा मामी की तरफ भी ध्यान नही रहा। आज मालिश के दौरान उस औरत ने कहा आज रात तुम्हे यही रुकना होगा। मेने कहा पर मै ऐसा नही कर सकता। मेरी माँ मुझे ये परमिशन नही देगी। उसने मेरी तरफ देखा और एक कुटिल मुस्कान के साथ मेरे लंड को जोरो से मालिश करने लगी। मै तो मस्ती मे आ गया। फिर उसने अचानक अपना हाथ रोक दिया। मेने आँखे खोल के उसकी और देखा तो वो दूसरी औरत से बोली बहु मै बाहर जा रही हु तु इसकी मालिश कर दे। और ये कहकर वो औरत निकल गयी। आज लगभग एक घंटा हो चुका था। मेने सोचा मम्मी जरूर फ़िक्र कर रही होगी, तो एक बार उनको कॉल करके बता दु की मै थोड़ी देर मे आ जाऊंगा। मै उठा और अपने कपड़े लेने लगा तो देखा मेरे सारे कपड़े गायब थे। मेरे इधर उधर सब जगह देखा पर कपड़े गायब थे। मै जल्दी से झोपड़े के गेट की और गया। गेट खोलने लगा तो वो खुल नही रहा था। मेने बहुत जोर लगाया पर गेट नही खुला तो मेने सोचा झोपड़े का गेट है एक लात मारते हि टूट जायेगा। ये सोचकर मेने गेट पर लात मारी पर गेट जरा सा हिला भी नही उल्टा मेरे पैर मे हि दर्द हो गया। ऐसा लग रहा था जैसे वो लकड़ी का नही लोहे का गेट है। मै पसीने से तर बतर हो गया। अब मेरी फटने लगी की ये हो क्या रहा है। ये दोनो औरते है कौन? मुझे हि क्यों यहां लाई? मेरी मालिश क्यों करी? ये झोपड़ा है या क्या है? वो बुढ़िया कहा गयी? मेरे कपड़े कहाँ गये? मुझे कुछ समझ नही आ रहा था तभी कोई मेरे पीछे से मुझ से चिपक गया। मै अचानक घबरा गया पर अगले हि पल मै जन्नत मे था। मेरी पीठ पर उस औरत के मोटे बूब्स दब रहे थे। उसके कड़क तने निप्पल मेरी पीठ मे तीर की तरह चुभ रहे थे। वो अपने एक हाथ से मेरे निप्पल्स से खेल रही थी और दूसरे हाथ से मेरे लंड को हलके हलके हिला रही थी। मै औरत का ऐसा एहसास पाकर सब भूल गया और काम वासना मे खो गया। उस औरत ने मेरे पीठ पर चूमना शुरु किया। मेरी आह निकल गयी। फिर वो चूमते चूमते मेरी गर्दन की और बढ़ने लगी। मेरी गर्दन पर चूमने लगी अपनी जीभ फिराने लगी। वो चूमने के साथ साथ हलका हलका अपने दांतो से काट भी रही थी। मै जन्नत की फ़िज़ाओं मे पहुंच गया। फिर उस औरत ने मेरे कान के निचले भाग को अपने दांतो मे पकड़ा और खिंचा। मेरी जोर की आह निकल गयी। फिर मेरे कानो मे इतनी प्यारी आवाज़ आयी मानो कोई कानो मे मिश्री घोल रहा हो। उस प्यारी आवाज़ ने कहा क्या आप मेरे साथ आज रात सम्भोग करना चाहते हो? मुझे मुह मांगी मुराद मिल गयी थी। मै तो मरे जा रहा था। मेने झट से खा हाँ । तो उस औरत ने मुझे छोड़ दिया और अंदर की और जाने लगी। मै एकदम जन्नत से जमीन पर आ गिरा। मेने पलटकर उस औरत की और देखा और मेरी सांसे अटक गयी लंड फटने लगा। सामने उस औरत की गांड थी। अरे बाप रे इतनी कसी हुयी गांड। इतनी विशाल और कैसे उसके चलने पर इधर उधर मटक रही थी। उसकी गांड की मटक देखकर खड़े खड़े हि मेरे लंड ने अपने पानी की बौछार कर दी। पर लंड की अकड़ बिल्कुल कम नही हुयी। वो औरत अंदर चलि गयी थी तो मै उसकी तरफ भगा। अंदर वो औरत आईने मे खुद को निहार रही थी। मै अंदर गया और जाकर उसको पीछे से जकड लिया। उस औरत को कोई फर्क नही पड़ा। पर मै तो फिर से जन्नत मे पहुंच गया। मेरा लंड उसकी गांड की दरार मे समा चुका था। मेरे हाथ उसके पेट पर फिर रहे थे और जीभ उसके रसीले शरीर का रस चाट रही थी। उस औरत ने मुझसे कहा सब कुछ आपका हि है पर तुम पर कोई जबरदस्ती नही है। तुम्हारा मन हो तो हि मेरे साथ सम्भोग करो वरना तुम जा सकते हो। मै उसमे खो चुका था मेने कुछ सुना कुछ नही बस मेने कह दिया नही कोई जबरदस्ती नही है मै अपनी मर्ज़ी से तुमसे सम्भोग करना चाहता हु। मै तो मरा जा रहा हु तुमसे सम्भोग करने के लिए। तुम कैसी बाते कर रही हो। वो औरत फिर मेरी तरफ पलटी और मेरे चेहरे को अपने हाथों मे थामकर अपने चेहरे के पास लाई। अब हमारे होंठ लगभग टच हो रहे थे। दोनो की गर्म साँसे एक दूसरे के चेहरे पर महसूस हो रही थी। उसने फिर कहा तुम सच मे मुझ से सम्भोग करना चाहते हो? मै उसके होंठ चूमने आगे बड़ा तो उसने मुझे रोका और कहा पहले मेरी बात का जवाब दो। मेने कहा हाँ मै सच मे तुमसे सम्भोग करना चाहता हु, पर तुम बार बार क्यों पूछ रही हो। अब प्लीज करने दो ना मै मरे जा रहा हु तुम्हे चोदने के लिए। उस औरत ने कहा मै भी तड़प रही हु तुमसे चुदने के लिए पर तुम वादा करो मुझे अपने बच्चे की माँ बनाओगे। मैने कहा जरूर क्या तुम सच मे मेरे बच्चे की माँ बनना चाहती हो। उसने कहा हाँ। तो मेने कहा मै आज हि तुमारे अंदर अपना बीज डाल दूँगा। पर अब मुझे तुम्हारी चुदाई करने दो। अब कोई सवाल नही। उसने अपने होंठ मेरे होठों से जोड़ दिये। मै पागल हो गया। इतने नरम रसीले होंठ। मै बेतहाशा उन्हे चूमने लगा चूसने लगा। अब उसने अपनी जीभ मेरे मुह मे घुसा दी। मै पागलो की तरह उसकी जीभ चूसने लगा। फिर उसने मेरी जीभ अपने मुह मे लेकर चूसना शुरु कर दिया। ऐसे पता नही कितनी देर हम एक दूसरे को चूसते रहे। जब दोनो की हालत ना खड़े होने की बची ना हि साँसे काबू मे रही तो हम पलंग पर लेट गये। मै पलंग पर पीठ के बल लेटा हुआ था और वो मेरे ऊपर थी। उसने फिर से मेरे होठो को चूमना शुरु कर दिया। अब मेरा एक हाथ उसकी नंगी पीठ पर फिर रहा था और दूसरा हाथ मेने उसके बूब्स पर रखा। उफ्फ्फ कितने मुलायम बूब्स मेरे लंड ने झटका मारा। वो उसकी मुलायम जांघो से टकराया । उफ्फ्फ् उतनी हि मुलायम जाँघे। मै उसके बूब को हलके हलके दबाने लगा। उफ्फ्फ्फ़ मै तो पागल हो गया। उसकी भी आह निकल गयी। उसने हाथ बढ़ाकर मेरा लंड पकड़ लिया। वो बोली ये तो ऐसे तप रहा है जैसे लोहे की गरम रोड। कितना बड़ा और मोटा है तुम्हारा लंड। ऐसा कहकर वो मेरी आँखों मे देखते हुए लंड पर अपना हाथ हलके हलके हिलाने लगी। अब मेरा कंट्रोल खुद पर नही रहा। मेने उसे पलंग पर लिटाया और उसकी आँखों मे देखते हुए बोला चोद दु तुम्हे। वो बोली हाँ चोद दो मुझे और डाल दो अपना बीज मेरी कोख मे और बना लो मुझे अपने बच्चे की माँ । ये सुनकर मे और ज्यादा उत्तेजित हो गया। मैने उसके दोनो पैर उठाये और अपने कंधो पर रख लिए। फिर अपने लंड का टोपा उसकी चूत पर सेट किया और पूरा जोर इकट्ठा करके धक्का मारा। पूरा लंड उसकी चूत को चीरता हुआ एक बार मे हि गहराइयों मे उतर गया।उसकी भयानक चीख निकली शायद पूरे शहर ने सुनी होगी उसकी चीख। इतनी भीषण चीख थी उस औरत की। अब मेने उसकी आँखों मे देखा। उनमे आंसु भरे हुए थे। वो दर्द से बेहाल थी। मैंने पूरा लंड चूत के मुह तक बाहर निकाला और एक झटके मे फिर से पेल दिया उसकी चूत मे। फिर से उसकी चीख से शहर गूँज उठा। उसकी आँखों से लगातार आंसु बहने लगे। मै ऐसे हि पूरा लंड बाहर निकालता और फिर एक झटके मे चूत की गहराई मे पेल देता। ऐसे 10-15 धक्को के बड़ अब वो भी मेरा साथ देने लगी। हर धक्के के साथ अपनी गांड मेरी और मारती, जिससे लंड चूत की टक्कर और ज्यादा भीषण होने लगी। अब मेने उसका एक बूब अपने मुह मे लिया और जोर जोर से चूसने लगा। वो ये दोहरी मार नही सह पायी और उसका शरीर ऐठने लगा। उसने मुझे जकड लिया और बोली और तेज़ धक्के लगाओ फाड़ दो मेरी चूत ऐसे हि फाड़ो तुम मेरे सच्चे मर्द हो निचोड़ लो इस चूत का सारा रस। ये सुनकर मेरा जोश सातवे आसमान पर पहुंच गया। मै उस औरत की मखमली चूत को अपने लंड से बेरहमी से चोदने लगा। हर धक्के के साथ उसकी निकली चीख से सारा शहर गूँजता। उसने अपना ढेर सारा पानी छोड़ दिया। अब लंड चूत मे और ज्यादा तेज़ी से जाने लगा। वो चुदवाती रही चीखती रही मै उसे बेतहाशा चोदता रहा। अपनी मर्दानगी की अमिट छाप उस औरत के पूरे जिस्म पर बनाता रहा। ना मेरे धक्के रुक रहे थे ना उसकी चीखे। फिर मै उसके ऊपर से उठा और पलंग पर लेट गया। अब उसे अपने लंड पर बैठने को कहा। वो उठी अपनी टांगे चौड़ी की और लंड का टोपा अपनी चूत के मुह पर लगाकर बैठने लगी। मेने उसकी कमर पकड़ी और निचे से एक करारा शॉट मारा और पूरा लंड उसकी चूत मे सेट हो गया। उसके पैर कंप गये उसकी फिर दर्दनाक भीषण चीख निकल गयी। पर पूरा शहर नींद मे था। उसने अपने दोनो हाथ मेरे सीने पर टिकाये और अपनी गांड ऊपर निचे करने लगी। बिच बिच मे मै निचे से शॉट लगा देता तो उसकी चीख निकल जाती। उसकी आँखों से निकले आंसु और उसका पसीना मिलकर मेरे सीने पर टपक रहा था। इससे मेरी उत्तेजना और बढ़ गयी। अब मेने उसकी कमर को पकड़ा और उसका पेट अपने पेट पर चिपका लिया फिर एक हाथ से उसकी कमर थामी और दूसरा हाथ उसके सर के पीछे ले जाकर उसके चेहरे को अपने चेहरे के पास किया। अब हमारी नाक टच हो रही थी और दोनो के होंठ एक दूसरे के पास कांप रहे थे। अब मेने अपनी कमर तूफ़ान की रफ़्तार से हिलाना शुरु कर दिया। अब मै ताबड़ तोड़ धक्के उसकी चूत मे पेल रहा था। हर धक्के के साथ उसकी चीखे मेरे होठो तक आने लगी। वो मेरी आँखों मे देख रही थी। मै उसके चेहरे के भावों और उसकी चीखों से उसकी हालत देख रहा था। पर उसकी आँखे फिर भी मुझे चोदते रहने को कह रही थी। मै भी कहा रुकने वाला था। कल तक मै चूत के लिए तड़प रहा था और आज मेने चूत की धज्जियाँ उड़ा रखी थी। पता नही हमे चुदाई करते हुए कितना समय हो गया था पर ना वो मुझे रोक रही थी ना मै रुक रहा था। अब तक ना जाने कितनी बार वो झड़ चुकी थी और ना जाने कितनी बार मै उसकी चूत को अपना पानी पिला चुका था। थकावट हमे चूर कर रही थी पर एक दूसरे के जिस्म की आग हमे रुकने नही दे रही थी। मै थोड़ा भी ढीला पड़ता तो वो हलका सा गांड का शॉट लगा देती और मेरी हवस फिर से जग जाती। बेतहाशा चुदाई चलती रही। इतने मे झोपडी का दरवाजा खुला। वो बुढ़िया अंदर आयी। उसने। हमारे पास आकर दूसरी औरत का हाथ पकड़ा और उसे ले गयी। मै चाहकर भी उसे रोक नही पाया। वो औरत भी मेरी और बेबस नज़रों से देखती रही। फिर वो दोनो झोपड़े से बाहर निकल गये। मै उठने लगा तो मेरी जांघो मे भयानक दर्द हुआ और मै फिर से बेड पर गिर पड़ा। ये दर्द बहुत असहनीय था। मै दर्द के करण बेहोश हो गया।
Interesting
कुछ अलग ही मोड़ हैं कहानी में
रोमांस तो छोड़ो
इन्सेस्ट एडल्टरी दोनों से ज़्यादा हॉरर का माहौल बना दिया इस अपडेट ने
:hehe:
 

Love4yummy

Love is goal and sex is the key
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जब मुझे होश आया तो बहुत ज्यादा कमजोरी फील हो रही थी। मेने हलकी सी आँखे खोली तो देखा मै किसी हॉस्पिटल मे था। एक नर्स मेरे पास की टेबल पर दवाइयां रख रही थी। मैने बोलने की कोशिश की तो मेरे मुह से आवाज़ भी नही निकल पा रही थी। फिर भी मेने अपना पूरा जोर लगाकर माँ बोला। नर्स को हलकी से आवाज़ आयी उसने मेरी और देखा तो भागकर डॉक्टर को बुलाने चाली गयी। डॉक्टर आये मुझे चेक किया और फिर नर्स से बात करने लगे। तभी रूम का गेट खुला सामने से मम्मी अंदर आयी। माँ का चेहरा बिल्कुल मुरझाया हुआ था। गालो पर आंसु की धारियां जमी हुयी थी। आँखों के निचे काले सर्किल थे जैसे की मम्मी बहुत ज्यादा रोई हो। अभी भी उनकी आँखों मे आंसु थे। मुझे कुछ भी समझ नही आ रहा था। मै वहा से यहां कैसे आया? हॉस्पिटल मे कैसे आया? मेरी ये हालत कैसे हुयी? कुछ भी समझ नही आ रहा था। माँ मेरे पास आयी मेने माँ को पुकारा तो मेरे मुह से माँ सुनकर मम्मी मुझसे लिपटकर रोने लगी। डॉक्टर ने उन्हे समझाया की यहां ऐसा ना करे पर जब मम्मी नही मानी तो डॉक्टर ने नर्स से कहा की वो मुझे बाहर ले जाये। मै माँ को रोकना चाहता था। पर मै अपना हाथ उठा भी नही पा रहा था। डॉक्क्टर ने मुझे एक इंजेक्शन दिया और मै गहरी नींद मे चला गया। इधर वो नर्स माँ को बाहर ले आयी जहा मामी ने माँ को संभाला। मै लगभग 15 दिनों तक हॉस्पिटल मे भर्ती रहा। उसके बाद मुझे छुट्टी मिली मै घर आ गया। पर अभी भी मेरी हालत ऐसी थी की मै 10 कदम चलने मे भी थक कर बैठ जाता। इसीलिए जब मम्मी स्कूल पढ़ाने जाती तो सरोज मामी हमारे घर आ जाती ओर मेरा पूरा ध्यान रखती। एक दिन नमन मेरे साथ बैठा हुआ था। तो मेने उससे पूछा यार ये सब कैसे हुआ ? मै हॉस्पिटल कैसे पहुँचा? तो उसने मेरी तरफ आश्चर्य भरी नज़रो से देखा ओर बोला ये तो तुम बताओ तुम इतने दिन कहा गायब हो गये थे और तुम जंगल मे कैसे पहुँचे। मै एकदम भोंचक्का रह गया। इतने दिन से तुम्हारा क्या मतलब है और मै कोनसे जंगल मे पहुंच गया? तो नमन ने बताया की उस शाम जब तु घर से गया उसके बाद तु रात तक घर नही आया तो बुआ हमारे घर आयी और हमे सब बताया। बुआ का तो रो रोकर बुरा हाल था। मेने अपने सब दोस्तों को फोन किया पर तु किसी के पास नही गया था। तब अगली सुबह हमने पुलिस कंप्लेन लिखवाई। और पुलिस को तु 4 दिन बाद तुम्हारे गाँव के पास के जंगल मे पड़ा हुआ मिला। मै नमन बाते सुनकर लगभग अपने होश खो बैठा। मै 4 दिन गायब था। पर मैने तो सिर्फ चुदाई मे लगने वाला समय हि बिताया था। तो क्या मै 4 दिन बेहोश रहा? और मेने तो यही शहर मे झोपड़े मे हि उस औरत को चोदा था तो फिर मै जंगल मे कैसे पहुँचा। मेरे दिमाग़ मे सवालों की झड़ी लग गयी और यहां नमन भी सवाल पूछे जा रहा था। पर मेरे पास किसी के सवालों का कोई जवाब नही था। मेरा सिर फटने लगा तो मै रूम मे आकर सो गया। ऐसे हि दिन गुज़रने लगे। मुझे किसी सवाल का जवाब नही मिल रहा था। मुझे ठीक होने मै 3-4 महीने लग गये। इस दौरान सरोज मामी ने मेरा काफी ध्यान रखा और मै उनके काफी करीब आ गया। अब मै उनसे काफी खुल गया और मौज मस्ती भी करने लगा। पर इस दौरान अभी तक मेरे दिमाग़ मे कोई गलत विचार आया नही। मेरी हालत कुछ करने लायक थी भी नही। जब मै ठीक हो गया तो कॉलेज वापिस जाने लगा। पर मेरे दिमाग़ मे अभी भी वो सवाल चल रहे थे। एक दिन मै शाम को बाइक लेके निकला और पहुचा वही गार्डन के पीछे। वहा से पैदल पहुंचा झोपड़े वाली जगह। वहा देखा तो मै हक्का बक्का रह गया। वहा कोई झोपड़ा नही था। मेने घूमकर आस पास भी देखा पर कुछ नही था। मै वापिस गार्डन की तरफ आया और वहा एक चाई की टपरी पर चाय पिने बैठ गया। चाय पीते पीते मेने चाय की टपरी वाले से पूछा यार ये यहां अंदर एक झोपड़ा था अब कहा गया? उसमें एक बुड्ढी भी रहती थी। तुमने उसे देखा क्या?
टपरी वाला बोला भाई वहा कब झोपड़ा था। मै यहां पिछले 10 साल से टपरी लगा रहा हु। इस 10 साल मे ना तो कभी कोई झोपडी देखी ना उसके बारे मे सुना ना हि किसी बुढ़िया को कभी देखा।
मै सोचने लगा ये कैसे हो सकता है। मै खुद उस झोपडी मे गया हु। मालिश करवाई है, उस औरत इतना मस्त चोदा है और ये कहता है वहा कोई झोपडी थी हि नही। मेरा दिमाग़ खराब हो गया। मै सीधा नमन के पास गया। उसको ले कर उस स्टेशन मे गया जिन पुलिस वालों को मै मिला था। उनसे उस जगह का पता पूधऔर घर आ गये। अगले दिन मै कॉलेज से सीधे वहा की और निकल गया। अब मै उस जगह के पास पहुंच गया। बाइक जहा तक जा सकती ती ले गया फिर मेने पैदल चलना सुरु कर दिया। बाइक से 2-3 किमी आगे आकर मुझे वो जगह मिल गयी। ये जगह पूरी पेड़ो से घिरी हुई थी। आस पास पेड़ो के अलावा कुछ नही था। मै थोड़ी देर वहा रुका और फिर उस पेड़ो के झुण्ड से बाहर निकला तो कुछ दूरी पर मुझे एक आदमी दिखाई दिया। मै उस और गया। वहाँ एक 70 साल के बाबा बैठे थे। मै उनके पास गया। वो आँख बंद किये बैठे थे। मेरे वहा पहुंचते हि बिना आँख खोले बोले आ गया तु उसको बच्चा देकर। मै एकदम हैरान रह गया की ये बाबा किसकी बात कर रहे है। मेने पूछा बाबा बाब आप किस बारे मे बात कर रहे हो। तो बाबा ने आँखे खोली और मुझे अपने पास बुलाया। मै बाबा के पास गया तो उन्होंने मेरे सिर पर हाथ रखा और मुझे आँख बंद करने को कहा। मुझे अपना और बुढ़िया का पूरा सीन वापिस दिखने लगा। अब वो बुढ़िया मुझे झोपड़े मे छोड़कर झोपड़े से बाहर निकली और अचानक वो उस औरत के रूप मे आ गयी जिसे मेने चोदा था। मेरे पसीने छुट गये। ये क्या था। मै एकदम जमीन पर गिर पड़ा। मेने थोड़ा अपने को संभाला और फिर बाबा की तरफ देखकर पूछा बाबा ये सब क्या है। बाबा ने मुझे अपने सामने बैठने को कहा और कहानी सुनाने लगे।
कहानी सुरु होती है आज से 400 साल पहले। जंगल मे एक बाबा तपस्या कर रहे है। बाबा का रोज का काम था पास के गाँव से खाना मांगकर अपना गुज़ारा करना और तपस्या करना। उस गाँव मे एक किसान था मंगीलाल। उसकी पत्नी का नाम था सरला देवी। सरला देवी बहुत खूबसूरत थी। अपने पति से खूब प्यार करती थी। खेती खूब थी। बस उनके बच्चा नही हो रहा था। उसके बच्चा लगता पर 6-7 महीने का गर्भ अचानक हि गायब हो जाता। शादी को लगभग 10 साल गुज़र गये। दोनो पति पत्नी इस बात से बहुत परेशान थे। उन्होंने अच्छे से अच्छे वैद्य को दिखाया पर कोई इलाज नही निकला। उसी गाँव मे एक पाखंडी बाबा भी रहता था जो काला जादू जानता था। उसकी बुरी नज़र सरला देवी के सौंदर्य पर थी। वो सरला देवी को भोगने के लिए मरा जा रहा था। उसी ने अपने काले जादू से सरला के अभी तक बच्चा नहीं होने दिया था। सरला और मंगीलाल सब तरफ से निराश हो चुके थे। मांगीलाल सुबह खेतों मे चला जाता और दिन मे खाना खाने घर आता था। जब कभी खेतों मे ज्यादा काम होता तो सरला खुद मंगीलाल का खाना लेकर खेतों पर आ जाति थी। खेत गाँव से थोड़े दूर थे। बीच रास्ते मे पहाड़ी के निचे उस पाखंडी का झोपड़ा था। वो जब भी सरला वहा से जाति तो उसे देखता। वो सरला के लिए कामपीपासु हो चुका था। अब वो जागते सोते बस सरला को चोदने के सपने देखने लगा। एक दिन जब सरला मंगीलाल के लिए खाना लेकर अपने खेतों की ओर जा रही थी तो वो पाखंडी अपनी झोपडी से बाहर आया और बोला बेटी मै तेरी समस्या देख सकता हु। मै जानता हु तु संतान प्राप्ति के लिए कितनी दुखी है। बेटी अगर तु चाहे तो तुझे संतान अवश्य हो सकती है। मै तुझे वो मार्ग बता सकता हु। सरला ने पाखंडी की बात सुनी पर ध्यान नही दिया और आगे बड़ गयी। सब गाँव वाले उस पाखंडी की सच्चाई जानते थे इसीलिए सरला ने उसकी बातो पर ध्यान नही दिया। सरला ने मंगीलाल को खाना खिलाया और घर आ गयी। आते समय भी उस पाखंडी ने फिर वही बाते दोहराई। अब जब भी सरला उस रास्ते से गुज़रती वो अपनी बात दोहराता। यहां समय के साथ साथ सरला की निराशा भी बढ़ती जा रही थी। गाँव मे लोगों का व्यवहार भी उसके प्रति बदलता जा रहा था। सब औरते उससे दूर दूर रहती। सब अपने बच्चों को उससे दूर रहने के लिए कहती। धीरे धीरे मंगीलाल का भी व्यवहार सरला के लिए बदलने लगा। अब वो सरला पर छोटी छोटी बात पर गुस्सा करने लगा। गाँव की औरते उसे बाँझ का ताना मारने लगी। इन सब बातों से सरला अंदर से टूट सी गयी। एक दिन वो मंगीलाल के लिए खाना लेकर खेतो पर गयी तो रास्ते मे उसने उस पाखंडी की बाते वापिस सुनी। पर बिना ध्यान दिये आगे चली गयी। जब वो खेतो पर पहुंची तो मंगीलाल के साथ उसकी चाची, चाचा बैठे बाते कर रहे थे। सरला के आते हि वो उठकर चले गये। उनके खेत भी पास हि मे थे। सरला ने मंगीलाल को खाना परोसा तो मंगीलाल ने खाना खाने से मना कर दिया और बोला सरला अब बहुत हो गया है अब यदि अगले 6 महीने मे तुम गर्भवती नही हुयी तो मै दूसरी शादी कर लूंगा। इतना कहकर मंगीलाल वहा से चला गया। पर सरला पर तो आसमान हि गिर पड़ा। वो मंगीलाल से इतना प्रेम करती थी। उसके मुह से ये सुनकर सरला बिल्कुल टूट गयी। वो काफी दर तक रोती रही। फिर समान समेटकर घर की ओर चल पड़ी। रास्ते मे फिर पाखंडी ने अपनी बत दोहराई बेटी मै तेरी समस्या देख सकता हु। मै जानता हु तु संतान प्राप्ति के लिए कितनी दुखी है। बेटी अगर तु चाहे तो तुझे संतान अवश्य हो सकती है। मै तुझे वो मार्ग बता सकता हु। सरला आगे बड़ गयी। पाखंडी झोपडी मे चला गया। थोड़ी देर मे झोपडी के दरवाजे पर दस्तक हुयी। पाखंडी ने दरवाजा खोला तो सामने सरला खड़ी थी। पाखंडी की आँखे चमक उठी। आज उसकी मेहनत आख़िरकार सफल हो गयी थी। सरला उसके पैरो मे गिर पड़ी और बोली बाबा मुझे बच्चा चाहिए। आपके पास मार्ग है वो बताइये। पाखंडी ने सरला को उठाया। पाखंडी सरला के शरीर का स्पर्श पाकर हि कम की आग मे जलने लगा। उसका लंड सरला को चोदने के लिए लालायित हो गया। उसने अपने को संभाला और सरला को चट्टान पर बिठाया। अब वो बोला बेटी मै तेरा दर्द जानता हु। मै जानता हु सब तेरे साथ केसा बर्ताव करते है। पर अब तु चिंता मत कर। अब मै तुझे इस दुख से मुक्ति दिला दूँगा। बस तुझे एक उपाय करना होगा। सरला बोली बाबा मै किसी भी उपाय को करने के लिए तैयार हु आप बताइये। पाखंडी ने 15 पुड़िया सरला को दी। उसने हर पुड़िया मे उसने वशीकरण करने की राख डाल रखी थी। उसने सरला से कहा रोज़ सोने से पहले एक ग्लास दूध मे एक पुड़िया डालकर पी जाना। पर बस एक शर्त है इस उपाय की। सरला बोली बाबा क्या शर्त है बताइये मै हर शर्त मानने को तैयार हु। पाखंडी बोला की तुने यदि किसी को भी इस बारे मे बताया अपने पति को भी बताया तो तुझे बच्चा कभी नही होगा। सरला ने कहा बाबा मै किसी को नही बताउंगी। पर बाबा इससे बच्चा तो पक्का हो जायेगा ना वरना मेरे पति दूसरी शादी कर लेंगे। पाखंडी बोला बेटी तु विश्वास रख जल्द हि तु माँ बनेगी। अब जा आज से हि सुरु कर देना। सरला बाबा के पैर छूकर घर की और चल पड़ी। उसके जीवन मे आशा की किरण फिर लौट आयी थी। वही पाखंडी ने अपनी धोती से अपना काला 10 इंच लम्बा और 4 इंच मोटा लंड बाहर निकला और हिलाने लगा। बस अब कुछ दिन और इंतजार कर ले फिर तुझे सरला की चूत और गांड दोनो की सैर कराऊंगा। जमकर चोदना उसे मेरे राजा।
 

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219
हम्म!
जो मुझे लगा था

बढ़िया कहानी की उम्मीद है
बस चमत्कार को कहानी और पात्रों पर हावी मत करना

मैजिक शो सिर्फ कभी कभी अच्छा लगता है, मनोरंजन के लिए
लेकिन कहानी हमेशा दर्शक/पाठक को अपनी सी‌ लगती है
 
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Iron Man

Try and fail. But never give up trying
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जब मुझे होश आया तो बहुत ज्यादा कमजोरी फील हो रही थी। मेने हलकी सी आँखे खोली तो देखा मै किसी हॉस्पिटल मे था। एक नर्स मेरे पास की टेबल पर दवाइयां रख रही थी। मैने बोलने की कोशिश की तो मेरे मुह से आवाज़ भी नही निकल पा रही थी। फिर भी मेने अपना पूरा जोर लगाकर माँ बोला। नर्स को हलकी से आवाज़ आयी उसने मेरी और देखा तो भागकर डॉक्टर को बुलाने चाली गयी। डॉक्टर आये मुझे चेक किया और फिर नर्स से बात करने लगे। तभी रूम का गेट खुला सामने से मम्मी अंदर आयी। माँ का चेहरा बिल्कुल मुरझाया हुआ था। गालो पर आंसु की धारियां जमी हुयी थी। आँखों के निचे काले सर्किल थे जैसे की मम्मी बहुत ज्यादा रोई हो। अभी भी उनकी आँखों मे आंसु थे। मुझे कुछ भी समझ नही आ रहा था। मै वहा से यहां कैसे आया? हॉस्पिटल मे कैसे आया? मेरी ये हालत कैसे हुयी? कुछ भी समझ नही आ रहा था। माँ मेरे पास आयी मेने माँ को पुकारा तो मेरे मुह से माँ सुनकर मम्मी मुझसे लिपटकर रोने लगी। डॉक्टर ने उन्हे समझाया की यहां ऐसा ना करे पर जब मम्मी नही मानी तो डॉक्टर ने नर्स से कहा की वो मुझे बाहर ले जाये। मै माँ को रोकना चाहता था। पर मै अपना हाथ उठा भी नही पा रहा था। डॉक्क्टर ने मुझे एक इंजेक्शन दिया और मै गहरी नींद मे चला गया। इधर वो नर्स माँ को बाहर ले आयी जहा मामी ने माँ को संभाला। मै लगभग 15 दिनों तक हॉस्पिटल मे भर्ती रहा। उसके बाद मुझे छुट्टी मिली मै घर आ गया। पर अभी भी मेरी हालत ऐसी थी की मै 10 कदम चलने मे भी थक कर बैठ जाता। इसीलिए जब मम्मी स्कूल पढ़ाने जाती तो सरोज मामी हमारे घर आ जाती ओर मेरा पूरा ध्यान रखती। एक दिन नमन मेरे साथ बैठा हुआ था। तो मेने उससे पूछा यार ये सब कैसे हुआ ? मै हॉस्पिटल कैसे पहुँचा? तो उसने मेरी तरफ आश्चर्य भरी नज़रो से देखा ओर बोला ये तो तुम बताओ तुम इतने दिन कहा गायब हो गये थे और तुम जंगल मे कैसे पहुँचे। मै एकदम भोंचक्का रह गया। इतने दिन से तुम्हारा क्या मतलब है और मै कोनसे जंगल मे पहुंच गया? तो नमन ने बताया की उस शाम जब तु घर से गया उसके बाद तु रात तक घर नही आया तो बुआ हमारे घर आयी और हमे सब बताया। बुआ का तो रो रोकर बुरा हाल था। मेने अपने सब दोस्तों को फोन किया पर तु किसी के पास नही गया था। तब अगली सुबह हमने पुलिस कंप्लेन लिखवाई। और पुलिस को तु 4 दिन बाद तुम्हारे गाँव के पास के जंगल मे पड़ा हुआ मिला। मै नमन बाते सुनकर लगभग अपने होश खो बैठा। मै 4 दिन गायब था। पर मैने तो सिर्फ चुदाई मे लगने वाला समय हि बिताया था। तो क्या मै 4 दिन बेहोश रहा? और मेने तो यही शहर मे झोपड़े मे हि उस औरत को चोदा था तो फिर मै जंगल मे कैसे पहुँचा। मेरे दिमाग़ मे सवालों की झड़ी लग गयी और यहां नमन भी सवाल पूछे जा रहा था। पर मेरे पास किसी के सवालों का कोई जवाब नही था। मेरा सिर फटने लगा तो मै रूम मे आकर सो गया। ऐसे हि दिन गुज़रने लगे। मुझे किसी सवाल का जवाब नही मिल रहा था। मुझे ठीक होने मै 3-4 महीने लग गये। इस दौरान सरोज मामी ने मेरा काफी ध्यान रखा और मै उनके काफी करीब आ गया। अब मै उनसे काफी खुल गया और मौज मस्ती भी करने लगा। पर इस दौरान अभी तक मेरे दिमाग़ मे कोई गलत विचार आया नही। मेरी हालत कुछ करने लायक थी भी नही। जब मै ठीक हो गया तो कॉलेज वापिस जाने लगा। पर मेरे दिमाग़ मे अभी भी वो सवाल चल रहे थे। एक दिन मै शाम को बाइक लेके निकला और पहुचा वही गार्डन के पीछे। वहा से पैदल पहुंचा झोपड़े वाली जगह। वहा देखा तो मै हक्का बक्का रह गया। वहा कोई झोपड़ा नही था। मेने घूमकर आस पास भी देखा पर कुछ नही था। मै वापिस गार्डन की तरफ आया और वहा एक चाई की टपरी पर चाय पिने बैठ गया। चाय पीते पीते मेने चाय की टपरी वाले से पूछा यार ये यहां अंदर एक झोपड़ा था अब कहा गया? उसमें एक बुड्ढी भी रहती थी। तुमने उसे देखा क्या?
टपरी वाला बोला भाई वहा कब झोपड़ा था। मै यहां पिछले 10 साल से टपरी लगा रहा हु। इस 10 साल मे ना तो कभी कोई झोपडी देखी ना उसके बारे मे सुना ना हि किसी बुढ़िया को कभी देखा।
मै सोचने लगा ये कैसे हो सकता है। मै खुद उस झोपडी मे गया हु। मालिश करवाई है, उस औरत इतना मस्त चोदा है और ये कहता है वहा कोई झोपडी थी हि नही। मेरा दिमाग़ खराब हो गया। मै सीधा नमन के पास गया। उसको ले कर उस स्टेशन मे गया जिन पुलिस वालों को मै मिला था। उनसे उस जगह का पता पूधऔर घर आ गये। अगले दिन मै कॉलेज से सीधे वहा की और निकल गया। अब मै उस जगह के पास पहुंच गया। बाइक जहा तक जा सकती ती ले गया फिर मेने पैदल चलना सुरु कर दिया। बाइक से 2-3 किमी आगे आकर मुझे वो जगह मिल गयी। ये जगह पूरी पेड़ो से घिरी हुई थी। आस पास पेड़ो के अलावा कुछ नही था। मै थोड़ी देर वहा रुका और फिर उस पेड़ो के झुण्ड से बाहर निकला तो कुछ दूरी पर मुझे एक आदमी दिखाई दिया। मै उस और गया। वहाँ एक 70 साल के बाबा बैठे थे। मै उनके पास गया। वो आँख बंद किये बैठे थे। मेरे वहा पहुंचते हि बिना आँख खोले बोले आ गया तु उसको बच्चा देकर। मै एकदम हैरान रह गया की ये बाबा किसकी बात कर रहे है। मेने पूछा बाबा बाब आप किस बारे मे बात कर रहे हो। तो बाबा ने आँखे खोली और मुझे अपने पास बुलाया। मै बाबा के पास गया तो उन्होंने मेरे सिर पर हाथ रखा और मुझे आँख बंद करने को कहा। मुझे अपना और बुढ़िया का पूरा सीन वापिस दिखने लगा। अब वो बुढ़िया मुझे झोपड़े मे छोड़कर झोपड़े से बाहर निकली और अचानक वो उस औरत के रूप मे आ गयी जिसे मेने चोदा था। मेरे पसीने छुट गये। ये क्या था। मै एकदम जमीन पर गिर पड़ा। मेने थोड़ा अपने को संभाला और फिर बाबा की तरफ देखकर पूछा बाबा ये सब क्या है। बाबा ने मुझे अपने सामने बैठने को कहा और कहानी सुनाने लगे।
कहानी सुरु होती है आज से 400 साल पहले। जंगल मे एक बाबा तपस्या कर रहे है। बाबा का रोज का काम था पास के गाँव से खाना मांगकर अपना गुज़ारा करना और तपस्या करना। उस गाँव मे एक किसान था मंगीलाल। उसकी पत्नी का नाम था सरला देवी। सरला देवी बहुत खूबसूरत थी। अपने पति से खूब प्यार करती थी। खेती खूब थी। बस उनके बच्चा नही हो रहा था। उसके बच्चा लगता पर 6-7 महीने का गर्भ अचानक हि गायब हो जाता। शादी को लगभग 10 साल गुज़र गये। दोनो पति पत्नी इस बात से बहुत परेशान थे। उन्होंने अच्छे से अच्छे वैद्य को दिखाया पर कोई इलाज नही निकला। उसी गाँव मे एक पाखंडी बाबा भी रहता था जो काला जादू जानता था। उसकी बुरी नज़र सरला देवी के सौंदर्य पर थी। वो सरला देवी को भोगने के लिए मरा जा रहा था। उसी ने अपने काले जादू से सरला के अभी तक बच्चा नहीं होने दिया था। सरला और मंगीलाल सब तरफ से निराश हो चुके थे। मांगीलाल सुबह खेतों मे चला जाता और दिन मे खाना खाने घर आता था। जब कभी खेतों मे ज्यादा काम होता तो सरला खुद मंगीलाल का खाना लेकर खेतों पर आ जाति थी। खेत गाँव से थोड़े दूर थे। बीच रास्ते मे पहाड़ी के निचे उस पाखंडी का झोपड़ा था। वो जब भी सरला वहा से जाति तो उसे देखता। वो सरला के लिए कामपीपासु हो चुका था। अब वो जागते सोते बस सरला को चोदने के सपने देखने लगा। एक दिन जब सरला मंगीलाल के लिए खाना लेकर अपने खेतों की ओर जा रही थी तो वो पाखंडी अपनी झोपडी से बाहर आया और बोला बेटी मै तेरी समस्या देख सकता हु। मै जानता हु तु संतान प्राप्ति के लिए कितनी दुखी है। बेटी अगर तु चाहे तो तुझे संतान अवश्य हो सकती है। मै तुझे वो मार्ग बता सकता हु। सरला ने पाखंडी की बात सुनी पर ध्यान नही दिया और आगे बड़ गयी। सब गाँव वाले उस पाखंडी की सच्चाई जानते थे इसीलिए सरला ने उसकी बातो पर ध्यान नही दिया। सरला ने मंगीलाल को खाना खिलाया और घर आ गयी। आते समय भी उस पाखंडी ने फिर वही बाते दोहराई। अब जब भी सरला उस रास्ते से गुज़रती वो अपनी बात दोहराता। यहां समय के साथ साथ सरला की निराशा भी बढ़ती जा रही थी। गाँव मे लोगों का व्यवहार भी उसके प्रति बदलता जा रहा था। सब औरते उससे दूर दूर रहती। सब अपने बच्चों को उससे दूर रहने के लिए कहती। धीरे धीरे मंगीलाल का भी व्यवहार सरला के लिए बदलने लगा। अब वो सरला पर छोटी छोटी बात पर गुस्सा करने लगा। गाँव की औरते उसे बाँझ का ताना मारने लगी। इन सब बातों से सरला अंदर से टूट सी गयी। एक दिन वो मंगीलाल के लिए खाना लेकर खेतो पर गयी तो रास्ते मे उसने उस पाखंडी की बाते वापिस सुनी। पर बिना ध्यान दिये आगे चली गयी। जब वो खेतो पर पहुंची तो मंगीलाल के साथ उसकी चाची, चाचा बैठे बाते कर रहे थे। सरला के आते हि वो उठकर चले गये। उनके खेत भी पास हि मे थे। सरला ने मंगीलाल को खाना परोसा तो मंगीलाल ने खाना खाने से मना कर दिया और बोला सरला अब बहुत हो गया है अब यदि अगले 6 महीने मे तुम गर्भवती नही हुयी तो मै दूसरी शादी कर लूंगा। इतना कहकर मंगीलाल वहा से चला गया। पर सरला पर तो आसमान हि गिर पड़ा। वो मंगीलाल से इतना प्रेम करती थी। उसके मुह से ये सुनकर सरला बिल्कुल टूट गयी। वो काफी दर तक रोती रही। फिर समान समेटकर घर की ओर चल पड़ी। रास्ते मे फिर पाखंडी ने अपनी बत दोहराई बेटी मै तेरी समस्या देख सकता हु। मै जानता हु तु संतान प्राप्ति के लिए कितनी दुखी है। बेटी अगर तु चाहे तो तुझे संतान अवश्य हो सकती है। मै तुझे वो मार्ग बता सकता हु। सरला आगे बड़ गयी। पाखंडी झोपडी मे चला गया। थोड़ी देर मे झोपडी के दरवाजे पर दस्तक हुयी। पाखंडी ने दरवाजा खोला तो सामने सरला खड़ी थी। पाखंडी की आँखे चमक उठी। आज उसकी मेहनत आख़िरकार सफल हो गयी थी। सरला उसके पैरो मे गिर पड़ी और बोली बाबा मुझे बच्चा चाहिए। आपके पास मार्ग है वो बताइये। पाखंडी ने सरला को उठाया। पाखंडी सरला के शरीर का स्पर्श पाकर हि कम की आग मे जलने लगा। उसका लंड सरला को चोदने के लिए लालायित हो गया। उसने अपने को संभाला और सरला को चट्टान पर बिठाया। अब वो बोला बेटी मै तेरा दर्द जानता हु। मै जानता हु सब तेरे साथ केसा बर्ताव करते है। पर अब तु चिंता मत कर। अब मै तुझे इस दुख से मुक्ति दिला दूँगा। बस तुझे एक उपाय करना होगा। सरला बोली बाबा मै किसी भी उपाय को करने के लिए तैयार हु आप बताइये। पाखंडी ने 15 पुड़िया सरला को दी। उसने हर पुड़िया मे उसने वशीकरण करने की राख डाल रखी थी। उसने सरला से कहा रोज़ सोने से पहले एक ग्लास दूध मे एक पुड़िया डालकर पी जाना। पर बस एक शर्त है इस उपाय की। सरला बोली बाबा क्या शर्त है बताइये मै हर शर्त मानने को तैयार हु। पाखंडी बोला की तुने यदि किसी को भी इस बारे मे बताया अपने पति को भी बताया तो तुझे बच्चा कभी नही होगा। सरला ने कहा बाबा मै किसी को नही बताउंगी। पर बाबा इससे बच्चा तो पक्का हो जायेगा ना वरना मेरे पति दूसरी शादी कर लेंगे। पाखंडी बोला बेटी तु विश्वास रख जल्द हि तु माँ बनेगी। अब जा आज से हि सुरु कर देना। सरला बाबा के पैर छूकर घर की और चल पड़ी। उसके जीवन मे आशा की किरण फिर लौट आयी थी। वही पाखंडी ने अपनी धोती से अपना काला 10 इंच लम्बा और 4 इंच मोटा लंड बाहर निकला और हिलाने लगा। बस अब कुछ दिन और इंतजार कर ले फिर तुझे सरला की चूत और गांड दोनो की सैर कराऊंगा। जमकर चोदना उसे मेरे राजा।
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