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Romance DharmPatni

Love4yummy

Love is goal and sex is the key
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हम्म!
जो मुझे लगा था

बढ़िया कहानी की उम्मीद है
बस चमत्कार को कहानी और पात्रों पर हावी मत करना

मैजिक शो सिर्फ कभी कभी अच्छा लगता है, मनोरंजन के लिए
लेकिन कहानी हमेशा दर्शक/पाठक को अपनी सी‌ लगती है
भाई बिल्कुल चिंता मत करो। कहानी पूर्णत आम जीवन जैसी होगी
 
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Love4yummy

Love is goal and sex is the key
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सरला ने पाखंडी की दी हुयी पुड़िया छुपाकर रख दी। अब उसने शाम का खाना बनाया और मंगीलाल का इंतजार करने लगी। मंगीलाल आया दोनो ने खाना खाया और मंगीलाल कमरे मे चला गया। सरला ने दूध मे एक पुड़िया डालकर पी लिया और मंगीलाल के पास आ गयी। मंगीलाल और सरला ने चुदाई की और मंगीलाल ने अपना बीज सरला की कोख मे डाल दिया। अगले दिन सुबह मंगीलाल खेत के लिए निकला तभी जंगल मे रहने वाले बाबा ने सरला के दरवाजे पर खाना मांगने के लिए आवाज़ लगाई। सरला ने बाबा को देखा और उन्हे बैठने को आसन दिया और अच्छे से खाना खिलाया और उनकी सेवा की। बाबा ने खाना खाया और जाते जाते बोले बेटी तुने जो मार्ग अपनाया है वो गलत है। अभी देर नही हुयी है। लौट जा उस रास्ते से वापिस। सरला आकर उस बाबा के चरणो मे बैठ गयी और बोली आप मुझ अभागन पर कृपा करे। मै सब तरफ से परेशान हु बाबा। बाबा ने कहा बेटी मै तेरी परेशानी देख पा रहा हु पर तेरा उस परेशानी से मुक्ति के लिए चुना मार्ग तुझे और ज्यादा परेशानी मे धकेल देगा। सरला बाबा के चरणो मे सिर रखकर रोने लगी। बाबा ने सरला को एक लाल धागा दिया और कहा ये अपने हाथ मे बांध ले सब अच्छा होगा। सरला ने बाबा से धागा लिया और अपने हाथ मे बाँध लिया। बाबा वापिस जंगल मे निकल गये। सरला ने पाखंडी की दी हुयी सारी पुड़िया नाली मे फेंक दी। वो पाखंडी का सच जानती थी पर अपने दुख से मारी सब तरफ से हारकर ना चाहते हुए पाखंडी के पास गयी थी क्योंकि वो अपने पति को नही खोना चाहती थी। पर बाबा के रास्ता दिखाने पर उसने पाखंडी का रास्ता त्याग दिया। उधर पाखंडी रोज़ दिन गिन गिनकर सरला के आने का इंतजार करने लगा। 20 दिन गुज़र गये पर सरला नही आयी। इधर सरला फिर से गर्भवती हो गयी। उस पाखंडी का लंड फिर से प्यासा रह गया। उसने सरला पर फिर से काला जादू करने का प्रयास किया पर बाबा के धागे के कारण वो सफल नही हो पाया। उसे समझ नही आ रहा था। ये सब कैसे हुआ। उसका प्लान कैसे फैल हुआ? काला जादू काम क्यो नही कर रहा है? इधर सरला ने एक बेटे को जन्म दिया। घर मे खुशियाँ आ गयी। सालो की मुराद पूरी हुयी। पर इस खबर से वो पाखंडी गुस्से मे पागल हो गया। अब उसका सरला को चोदने का और उससे अपना बच्चा पैदा करने का ख्वाब टूट चुका था। उसने शैतान की खूब सेवा की उसे प्रसन्न किया और उससे प्रार्थना की कि उसे सरला से अपनी तड़प का बदला लेना है। शैतान ने कहा इसके लिए पहले तुझे सरला के मन मे पाप जगाना होगा। यदि सरला ने अपने पति के अलावा किसी से भी सम्भोग किया तो वो इस जन्म से तब तक मुक्त नही हो पायेगी जब तक की तुझे अपने इसी यौवन से तृप्त करके गर्भवती नही हो जाती। इतना कहकर शैतान गायब हो गया। अब पाखंडी बस सरला के मन मे पाप जगाने का अवसर ढूढ़ने लगा। जीवन आगे चलता गया। सरला का बेटा मनीष अब बड़ा हो गया। मनीष अपने माता पिता का लाडला था। सरला की तो जान बसती थी मनीष में। इसीलिए वो मनीष को हमेशा अपने सीने से लगाकर रखती थी। आज मनीष 14 साल का हो गया फिर भी वो अपनी मा सरला का दूध पिता था। सरला भी मनीष को बड़े चाव से दूध पिलाती थी आखिर बरसों के इंतजार के बाद मनीष पैदा हुआ था। मनीष अब कभी कभी खेती मे अपने पिता की सहायता करने लगा। एक दिन मंगीलाल खेती के लिए बीज लाने शहर गया पर लौटा नही। 2 दिन गुज़र गये तो सरला को भी डर लगने लगा। वो बेटे मनीष के साथ मंगीलाल को ढूढ़ने के लिए शहर की ओर निकल पड़ी। शहर के लिए बस मैन रोड से मिलती थी और मैन रोड गाँव से 5 किमी दूर था। सरला मनीष के साथ मैन रोड की ओर जा रही थी। रास्ते के जंगल मे उन्हे मंगीलाल मरा हुआ पड़ा मिला। सरला तो उसकी लाश देखकर बेहोश हो गयी। गाँव वालों की मदद से मंगीलाल की लाश और सरला को घर लाया गया। सरला को होश आया पर उसका रो रोकर बुरा हाल था। जहा एक ओर पति को खोने का गम वही दूसरी तरफ घर चलाने की चिंता। अब सरला अपने बेटे के साथ मिलकर खेती संभालने लगी। मनीष भी अपनी मा की हर बात मानता था। घर से बाहर वो कभी ज्यादा किसी से घुला मिला हि नही बस हमेशा माँ के पल्लू से हि चिपका रहता था। मनीष को सबसे ज्यादा पसंद था मा के दूदू पीना। अब वो अपनी माँ सरला के साथ हि सोता तो रात मे भी सरला के दूदू पिता रहता और कभी कभी तो माँ का दूदू पीते पीते हि सो जाता तो सारी रात सरला का बोबा उसके मुह मे हि रह जाता। जीवन आगे बढ़ता रहा। मनीष अब गबरू जवान हो गया। अब वो हि खेती संभालने लगा। सरला अब कभी कभी हि खेतो पर जाति थी। एक दिन मनीष खेतो पर काम करके खाना खाके खेतो पर बनी झोपडी के बाहर लेता हुआ था। तभी उसे एक बाबा की आवाज सुनाई दी। बाबा पानी मांग रहा था। मनीष उठा और बाबा को पानी पिला दिया। बाबा बोला बेटा मै बुड्ढा हो गया हु तो चलने मे परेशानी रहती है क्या तु मुझे अपनी कुटिया तक छोड़ देगा? मनीष ने हाँ कहा और बाबा को सहारा देकर उनके साथ चलने लगा। ये वही पाखंडी था। दोनो कुटिया तक पहुचे गये। मनीष बाबा को वहा बैठाकर वापिस खेत पर आ गया। मनीष वापिस आकर झोपड़े के बाहर बिछी खाट पर लेट गया। उसे लेटते हि नींद भी आ गयी। अचानक उसकी नींद किसी के जगाने से खुली। देखा एक औरत सामने थी। उस औरत ने मनीष के होंठ चूसने सुरु कर दिये। मनीष के लिए ये चीज़ पहली बार थी। ना उसने ये कभी सुना ना कभी देखा ना कभी किया था। उसे कुछ समझ नही आ रहा था। मनीष ने उस औरत को दूर हटा दिया और बोला ये तुम क्या कर रही हो। वो औरत कुछ नही बोली उसने मनीष को खाट पर बैठा दिया और उसकी धोती मे हाथ डालकर उसका लंड बाहर निकल लिया। मनीष को अपने लंड पर उस औरत का हाथ अजीब लगा तो वो फट से उठ खड़ा हुआ और बोला ये तुम क्या करे जा रही हो मुझे जाना है। उस औरत ने जल्दी से मनीष का लंड वापिस पकड़ा और उसे तेज़ तेज़ हिलाने लगी। मनीष ने पहले तो अपना लंड छुड़ाने की कोशिश की पर अब उसे एक अलग हि आनंद मिलने लगा जो आज से पहले उसने कभी महसूस नही किया था। वो इस आनंद को पहली बार महसूस कर रहा था। थोड़ी देर मे हवस का खुमार उस पर चढ़ने लगा। अब जब उस औरत को पता चल गया की मनीष को मजा आने लगा है तो उसने उसका लंड छोड़ दिया और झोपड़े के अंदर चली गयी।
 

Love4yummy

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एक झटके में मनीष अचानक आसमान से जमीन पर आ गिरा। उसने झट से आँखे खोली तो वहा कोई नही था। उसे लगा शायद ये उसका सपना था। पर तभी उसे झोपड़े मे से हलकी सी आवाज़ सुनाई दी। वो उठा और झोपड़े मे देखा तो एक औरत कपड़े बदल रही थी। उसकी पीठ मनीष की तरफ थी। मनीष उस औरत के पास गया और जल्दी से उस औरत का हाथ पकड़ा और अपना लंड उसके हाथ मे दे दिया और बोला इसे हिलाओ बहुत मजा आ रहा है। ऐसा मजा मुझे आजतक नही आया। औरत ने झटके से अपना हाथ हटा लिया और बोली तुम पागल हो गये हो क्या ये क्या कर रहे हो। मुझे नही करना कुछ भी। हटो दूर मुझे जाने दो। ये कहकर औरत मुड़कर बाहर जाने लगी तो मनीष ने उस औरत का हाथ पकड़ कर अपनी ओर खींच लिया। उसके हाथ मे अपना लंड वापिस पकड़ा दिया और उसके बाल पकड़ के उसकी आँखों मे देखते हुए बोला हिला इसे, ऐसे कैसे नही हिलाएगी। मनीष की आँखों मे गुस्से और हवस की आग वो औरत आसानी से देख पा रही थी। इस आग को देखकर वो औरत दर गयी। उसने इस बार मनीष का लंड पकड़े रखा और बोली पर ये मै कैसे कर सकती हु। तुम मेरे साथ जबरदस्ती नही कर सकते। मै ऐसा कुछ नही करने वाली। मुझे जाने दो। मुझे घर जाना है। मनीष ने कहा मै तेरी सारी बाते मानूंगा तुझे जाने भी दूंगा पर पहले ये जो तूने मेरे अंदर आग भड़कायी है इसे शांत कर। मुझे ये मजा पूरा चाहिए। ये कहकर मनीष ने अपनी धोती उतार कर निचे पटक दी। अब मनीष पूरा नंगा खड़ा था। लम्बा चौड़ा गठिला शरीर। खेती करने से मजबूत हो गया था। और उस पर उसका वो 8 इंच लम्बा और मोटा गोरा प्यारा सा अनचुआ लंड जिसे अभी तक खुद मनीष ने भी पेशाब करने के सिवा किसी काम मे नही लिया था। उसे देखकर उस औरत के अंदर भी एक उत्तेजना सी जागने लगी। वो जानती थी की मनीष अभी उसे जाने नही देगा। वो जो आगे होने वाला है उसे रोक नही सकती। उसने आगे बढ़कर मनीष के पूरे शरीर को चूमना चाटना सुरु कर दिया साथ मे वो उसका लंड भी हलके हल्के हिला रही थी। अब मनीष भी कामवासना मे डूब चुका था। अब उसे औरत की जीभ का एहसास अपने शरीर पर मजा देने लगा। वो औरत अब मनीष का पूरा शरीर चूमते हुए फिर से उसके सामने खड़ी हो गयी और उसके होठो से अपने होंठ जोड़ दिये और उसे चूमने लगी। अब मनीष भी इसका मजा लेने लगा। औरत मनीष का लंड हल्के हल्के लगातार हिला रही थी। अब मनीष ने भी उस औरत का साथ देना सुरु कर दिया। जब उस औरत को लगा अब मनीष भी उसे चूम रहा है तो उसने अपनी जीभ उसके मुह मे घुसा दी। मनीष अब उसकी जीभ को वैसे हि चूसने लगा जैसे वो अपनी माँ सरला के बोबे चूसता था। मनीष लगातार उस औरत की जीभ चूसे जा रहा था। अब उस औरत ने मनीष की जीभ को अपने दांतो से पकड़ लिया और अपनी जीभ मनीष की जीभ से लड़ाने लगी। मनीष के लिए ये नया पर अद्भुत अहसास था। मनीष इस अहसास मे पागल सा होने लगा। ऐसे हि चुम्माचाटी करते हुए उस औरत ने मनीष के दोनो हाथ पकड़कर अपने बोबो पर रख दिये और मनीष के हाथो को अपने बोबो पर दबाने लगी। मनीष को भी मजा आने लगा। उसने अपने हाथो की पकड़ बोबो पर बड़ा दी और उन्हे तेज़ तेज़ दबाने लगा। औरत को दर्द का अहसास होने लगा। पर उसकी उत्तेजना भी बढ़ने लगी। उससे मनीष को रोका नही आगे बढ़ने दिया। मनीष को बोबे दबाने मे मजा आने लगा। वो और ज्यादा दम लगाकर बोबे दबाने लगा जैसे आज उनका पूरा रस निचोड़ देगा। उस औरत का दर्द बढ़ने लगा तो उसने चुम्बन तोड़कर मनीष से कहा थोड़ा धीरे दबाओ दर्द होता है। अब मनीष औरत के बूब्स दबाते हुए देख भी रहा था। पीले रंग के ब्लाउज मे बंद बड़े बड़े बूब्स। उसका साइज कम से कम 36 होगा। ब्लाउज आधे बूब्स को हि अपने अंदर समेट पा रहा था। अब उस औरत ने मनीष से कहा अब मेरे शरीर को भी चूमो जैसे मेने तुम्हारे शरीर को चूमा था। मनीष ने उस औरत को अपनी और खींचा और बांहों मे भर लिया। अब उस औरत के बोबे मनीष की छाती मे दब रहे थे। मनीष को इस अहसास को पाकर अलग हि मजा आने लगा। वो उसकि गर्दन पर चूमने चाटने लगा। गर्दन पर चूमते हुए मनीष निचे की तरफ बढ़ा और ब्लाउज से बाहर झाँकते बोबो को मुह मे भरकर चूसने लगा। वो अभी तक अपनी माँ का दूध पीता था पर बोबो मे इतना मजा होता है आज उसे पता चल रहा था। वो लगातार उस औरत के बोबे बेतहाशा चूसे जा रहा था। औरत की भी आहे निकलने लगी। अब मनीष आगे बढ़ा और ब्लाउज के ऊपर से हि उसके बोबे चूसने लगा। मनीष जितना उन्हे चूसता उसकी हवस उतनी हि बढ़ती जा रही थी। वो उन्हे बेरहमी से दबा दबाकर चूसने लगा। अब उस औरत की आहो के साथ चीखे भी निकलने लगी। उसने मनीष को रोकने की कोशिश की पर मनीष अपनी हवस मे पागल हो चुका था। बोबे चूस चुसकर उसने पूरा ब्लाउज गीला कर दिया। अब ब्लाउज उसे अपने और बोबो के बिच दीवार लगने लगा। उसने एक झटके मे वो दीवार गिरा दी। उसका ब्लाउज फाड़कर फेंक दिया। अब वो औरत ऊपर से बिल्कुल नंगी मनीष की बाहों मे थी। मनीष उसके बोबे देखकर पागल हो उठा और उन्हे बेरहमी से निचोड़ने लगा। अब उसने दोनो निप्पल्स को पकड़ा और जोर से खींचकर छोड़ दिया। औरत की भयानक दर्दनाक चीख निकल गयी। उसकी आँखों से आंसु गिरने लगे पर मनीष को बस हवस का भूत सवार था। उसने फिर से उसके निप्पल पकड़े और जोर से मसल दिये। वो औरत चीखने लगी। मनीष को मारने लगी उससे छूटने की कोशिश करने लगी पर मनीष ने उसे छोड़ा नही। अब मनीष ने उसके निप्पल मुह मे लेके चूसना शुरु कर दिया। औरत को अब थोड़ी राहत मिली। मनीष दबाके उस औरत के बोबे चूसने लगा। मनीष पागलो की तरह बहुत देर तक बोबे चूसता रहा। फिर बोबो से निचे बढ़ा निचे औरत का गदराया मोटा पेट मनीष पेट को बेतहाशा चूमने चाटने लगा। वो औरत भी मनीष की जीभ का अहसास पेट पर पाकर तेज़ तेज़ आहे भरने लगी और मनीष के मुह को अपने पेट पर दबाने लगी। पेट पर चूमते चूमते मनीष की नज़र उसकी नाभि पर पड़ी इतनी चौड़ी और गहरी नाभि की लगा पूरा लंड निगल सकती है। मनीष ने नाभि के चारो और गोलाई मे जीभ घुमाई। उस औरत की मस्ती का तो ठिकाना ना रहा। उसकी चूत ने अपना झरना बहाना शुरु कर दिया। वो मनीष के मुह को अपनी नाभि पर दबाते हुए आहे भरने लगी। अब मनीष ने उसकी नाभि मे अपनी जीभ घुसा सी और अंदर घूमाने लगा। औरत के शरीर मे काम की आग अपनी सीमाएं लाँघ चुकी थी। उसकी चूत लगातार बह रही थी जैसे अंदर बाँध के सारे दरवाजे खोल दिये हो। वो इस असहनीय तड़प मे बस मनीष के सिर को पकड़ कर उसे अपनी नाभि मे घुसाने की नाकाम कोशिश करते हुए बिन जल मछली की तरह तड़प रही थी। अब मस्ती मे उसकी चीखे निकलने लगी। वो अब चाहती थी की मनीष बस अपना लंड लेकर उस पर चढ़ाई कर दे और उसे हराकर उसकी चूत मे अपना झंडा गाड़ दे। मनीष अब अपनी जीभ को नाभि मे अंदर बाहर करने लगा। उसे ऐसा करने मे स्वर्ग के सुखों की अनुभूति हो रही थी पर वो अभी असली सुख से अनजान था। अब वो नाभि से निचे चूमता हुआ पेटीकोट की सरहद पर आ पहुचा। वो आगे बढ़ने की सोच रहा था की उस औरत ने जल्दी से नाड़ा खोला और मनीष से कहा उतार कर फेंक दो इसे। मनीष ने औरत की आँखों मे देखा तो उसकी आँखे लाल हो चुकी थी। उनमे तड़प साफ साफ दिख रही थी। आँखे चीख चिखकर कह रही थी चोद दो इस चूत अब देर ना करो। पर आज बलमा अनाड़ी नौशिखिया था। इशारे समझने मे असफल रहा। औरत ने खुद हि आगे कदम बढ़ाया और मनीष को अपने ऊपर खींचने लगी। मनीष अब उस औरत के ऊपर आ गया। औरत ने देर ना करते हुए उसका लंड पकड़ा वो लोहे की रोड की तरह कड़क होकर तप रहा था। औरत ने उसके टोपे को अपनी चूत के मुह पर टिका दिया और मनीष से हलका सा धक्का मारके लंड को चूत मे घुसाने को कहा। मनीष ने हल्का सा धक्का मारा पर लंड चूत मे अंदर जाने के बजाय फिसल कर निचे चला गया। बार बार मनीष कोशिश करता और हर बार लंड चूत मे जाने की बजाय निचे फिसल जाता। इस नौशिखिया बालम के अनाड़ीपन पर औरत को गुस्सा आने लगा। उसने अपने हाथ से लंड पकड़ कर अपनी चूत के मुह पर रखा और मनीष से धक्का लगाने को कहा। मनीष भी बार बार लंड की चूत पर रगड़ से पागल हो रहा था। उसने इस बार पूरी ताकत समेटी और पेल दिया अपना लंड उस औरत की चूत में। औरत की चीख निकल गयी। वो तो उसका हाथ लंड पर था तो लंड आधा हि अंदर गया था वरना मनीष तो पूरा लंड एकबार मे हि उसकी चूत की गहराइयों मे उतर देता। औरत की हालत खराब हो गयी। वो दर्द मे तड़पने लगी। वो मनीष को ऐसे हि रुकने को कहने लगी पर मनीष का चुदाई का ये पहला अहसास था इसने उसे स्वर्ग मे पहुचा दिया। वो अब इस सुख को पाने के लिए तड़प उठा और औरत की चूत मे पूरी ताकत से धक्के लगाने लगा। औरत का दर्द से बुरा हाल था वो लगातार मनीष को रोकने की कोशिश करने लगी। उसने लंड पर अपने हाथ की पकड़ बनाये रखी। उसे पता था की उसका हाथ हटते हि मनीष एक हि धक्के मे पूरा लंड सांड की तरह उसकी चूत मे पेल देगा। मनीष का लंड पूरा चूत मे नही जा पा रहा था तो उसकी तड़प बढ़ती जा रही थी और इस तड़प को मिटाने के लिए मनीष ने अपने धक्कों मे पूरी जान लगानी शुरु कर दी। मनीष के धक्कों का वार महसूस कर उस औरत की सारी कामवासना उतर गयी अब वो बस कैसे भी मनीष के निचे से निकलना चाहती थी। उसने खूब कोशिश की पर मनीष के बलिष्ठ शरीर के आगे उसकी एक ना चली। उसका एक हाथ अभी भी मनीष के लंड पर पकड़ बनाये हुए था। पर उसके धक्को के वार से उसके हाथ मे बहुत ज्यादा दर्द होने लगा था। उसकी आँखों से आंसु लगातार बह रहे थे और वो लगातार चीख चीखकर मनीष को रोकने की कोशिश कर रही थी। पर मनीष ना उसके आंसु देख पा रहा था ना उसकी चीखे सुन पा रहा था। उसे बस पूरा लंड उसकी चूत मे डालना था। वो धक्को मे ताकत लगातार बढ़ाता जा रहा था। आखिर औरत ने मनीष के आगे हार मान ली और उसके लंड को आज़ाद कर दिया। अभी तो उसका हाथ लंड से हटा हि था की अगले धक्के के साथ मनीष का लंड उसकी चूत की चीरता हुआ गहराई मे उतर गया। औरत को लगा जैसे मनीष का लंड चूत से होते हुए उसके गर्भाषय मे घुस गया हो। वो तड़प उठी। उसकी चीखे शायद आसमान मे कामदेव ने भी सुनी होगी। पर ये चीखे अब रुकने वाली नही थी। मनीष ने ताबड़तोड़ धक्के लगाना चालू रखा। वो पूरी ताकत से धक्के मारकर चूत की धज्जियाँ उड़ाने लगा। अब धीरे धीरे औरत वापिस काम के समुद्र मे गोते लगाने लगी। अब वो मनीष के हर धक्के को पूरी शिद्दत से चूत मे लेने लगी। आज उसे एक गबरू मर्द मसलकर औरत होने का पूरा अहसास दे रहा था। वो मनीष की मर्दानगी के आगे अपनी चूत तो कब की कुर्बान कर चुकी थी अब अपना सब कुछ उसे सोपने लगी। मनीष के हर धक्के के साथ पूरा लंड बाहर आता और फिर जड़ तक अंदर जाता। दोनो की आहों से समा खिलने लगा। दोनो की सांसे ऐसे चल रही थी मानो दोनो कई घंटो से दौड़ रहे हो। पर दौड़ तो मनीष का लंड लगा रहा था और हर बार चूत की पूरी गहराई नाप कर आता और फिर खो जाता उसी गहराई मे। औरत भी अब पूरी शिद्दत से मनीष के लंड का अपनी चूत मे स्वागत करती और उसे अंदर तक ले जाकर अपने कामरस से नहला देती। अब तक जाने कितनी बार वो मनीष के लंड को नहला चुकी थी पर अभी तक मनीष का लंड था की झड़ने का नाम नही ले रहा था। औरत अपनी गांड उठा उठाकर मनीष का साथ दे रही थी। अब मनीष के धक्को की रफ़्तार और ताकत दोनो भयानक हो चुके थे। औरत हर धक्के पर मनीष का साथ दे रही थी पर अब उसके और उसकी चूत दोनो के लिए मनीष के लंड को बर्दाश्त करना मुश्किल होता जा रहा था। वो मनीष को पागलो की तरह चूम रही थी चाट रही थी। बस वो चाहती थी की अब मनीष आ जाये। उसमे समा जाये। अपने पानी से सरोबार करदे उसकी चूत को। मनीष लगातार धक्को पर धक्के लगाए जा रहा था। उसके शरीर से पसीना बेतहाशा निकल रहा था। उसकी सांसे उखड़ रही थी। हाथ पैर कम्पने लगे थे पर लंड था की झड़ना नही चाह रहा था। औरत ने अपना पूरा जोर लगाकर अपनी चूत को टाइट करने की कोशिश की जिससे मनीष का लंड जल्दी झड़ जाये। मनीष का लंड अब औरत की चूत मे बहुत ज्यादा कसकर जा रहा था। मनीष और तेज़ धक्के लगाने लगा पर फिर भी उसकी रफ़्तार आधी रह गयी पर मजा दोगुना हो गया। इतनी कसी हुयी चूत मे लंड डालने मे जो मेहनत लग रही थी उसने मनीष को जल्द हि चरम पर पहुचा दिया। मनीष को लगा उसके शरीर का पूरा खून उसके लंड मे भरता जा रहा है और वो लंड चीर के उस औरत की चूत मे निकल जायेगा। मनीष ने पूरा लंड बाहर निकाला और अपनी पूरी ताकत से चूत की गहराइयों मे पेल दिया। लंड चूत की धज्जियाँ उडाता हुआ अंदर जाकर अपना अमृत बरसाने लगा। अपनी चूत मे वीर्य का अहसास पाते हि उस औरत की चूत ने भी अपना पानी छोड़ना शुरु कर दिया। मनीष झड़ता हि जा रहा था। उसने उस औरत की कोख मे अपने बीज डाल दिया। मनीष को भारी कमजोरी महसूस हुयी तो वही उसी औरत पर गिर गया और आँख बंद करके अपनी सांसे काबू मे करने लगा। थोड़ी देेर मे उसे नींद आ गयी।
 
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उस औरत को भी आज मनीष ने पूर्ण संतुष्टि का अनुभव कराया था। वो मनीष के बालों मे उंगुलियाँ फिराती हुयी धीरे धीरे नींद के आगोश मे चली गयी। दोनो की नींद खुली जब किसी ने मनीष को आवाज़ दी। मनीष और वो औरत दोनो उस आवाज़ को पहचानते थे। मनीष खड़ा हुआ और कहा रवि भाई तुम खेत मे चलो मै आता हु। रवि ठीक है कहकर खेतोँ की और चला गया।
रवि मनीष के गाँव मे हि रहता है। रवि और उसकी पत्नी रामली दोनो मनीष के खेतोँ पर काम करते है। आज रवि बीज लेने शहर गया था और अभी लौटकर आया था। मनीष की जांघो मे दर्द हो रहा था। आज उसने अपनी पहली चुदाई की थी और वो भी इतनी लम्बी और जबरदस्त। पर उसने अपने कपड़े पहने और झोपडी का दरवाजा खोला जिससे झोपड़े मे रौशनी आने लगी। अब मनीष ने घूमकर देखा तो खाट पर नंगी पड़ी औरत जिसे अभी उसने बेरहमी से चोदा था कोई और नही रामली भाभी थी, रवि भाई की पत्नी। रामली भाभी लगातार मनीष की ओर हि देख रही थी। मनीष ने अपनी नज़र झुका ली। रामली भाभी बोली अब क्यो शर्मा रहे हो। अभी थोड़ी देर जब टांगे चौड़ी करके लगे पड़े थे तब कहा गयी थी ये शर्म। मै इतना चिल्ला चिल्ला कर कह रही थी धीरे करो पर नही पहली बार औरत मिली थी पूरी कसर निकाल ली। देखो क्या किया है तुमने?
मेने नज़र झुकाये रखी तो भाभी ने मेरा हाथ पकड़ा और मुझे अपने पास खाट पर बैठाते हुए बोला चुपचाप देखो इधर क्या हालत की है आपने मेरी मुनिया की। मेने भाभी की चूत की और देखा तो दंग रह गया। चूत के होंठ बुरी तरह फैले हुए थे खून मे सने हुए। खून नीचे बिछी हुयी दरी पर भी लग रहा था। चूत के चारों तरफ और भाभी की जांघो की चमड़ी भी लाल सुर्ख हो गयी थी। उसे देखकर मेरी उत्तेजना फिर जागने लगी और मेरी लार टपक कर भाभी की चूत पर गिरी। भाभी की आह निकल गयी। तभी रवि भी मनीष का इंतजार करके वहा आ गया। उसने किसी औरत की आह सुनी तो बोला मनीष क्या कर रहा है तु अंदर। ये औरत की आहे कैसे आ रही है। मेरी और रामली भाभी दोनो की गांड फट के हाथ मे आ गयी की रवि भाई जब दोनो को इस हालत मे पकड़ लेंगे तो क्या होगा।
 

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हम दोनो एक दूसरे को देखे जा रहे थे। तभी रवि भाई बोले मनीष क्या हुआ? मै अंदर आ रहा हु। रामली भाभी झट से खड़ी होकर अपने कपड़े लेकर झोपड़े मे रखे अनाज के पीछे चुप गयी। मुझे लगा आज पहली बार चूत मिली और लगता है चूत के बदले गांड देनी पड़ जाएगी। मुझे कुछ नही सुझा तो मै वैसे हि नंगा खड़ा अपना लंड हिलाने लगा। रवि भाई जैसे हि अंदर आये मुझे नंगा देखकर चौंक गये और बोले ये तु क्या कर रहा है। मेने भी रवि भाई की आवाज सुनते हि चोंकने की एक्टिंग की और जल्दी से खाट की दरी उठाकर खुद को ढक लिया। इससे मै भी ढक गया और भाभी की चूत का खून भी भाई देख नही पाया। रवि भाई : ये क्या कर रहा था तु मनीष? और वो औरत कहा है जिसकी आह मेने सुनी थी?
मै (डरते हुए) : भाई यहां तो केवल मै हु और कोई नही है। आहे तो मेरी हि निकल रही थी।
रवि भाई : पर तु ये कर क्या रहा है और क्यो?
मै : भाई वो पता हि नही चला इच्छा हुई करने लगा और फिर मजा आने लगा। पर भाई मुझे माफ़ कर दो आज के बाद नही करूंगा, आप मम्मी को मत बताना।
रवि भाई : ठीक है नही बताऊंगा पर तु थोड़ा कंट्रोल कर। लगता है काकी से तेरी शादी के लिए खना पड़ेगा। मै बीज ले आया हु। खेत मे अभी थोड़े डाल देता हु। बाकी कल सुबह तु आ जन्मिलकर डाल देंगे। अभी तु घर जा।
मै : ठीक है भाई पर आप मम्मी को पक्का मत बताना।
ठीक है बोलते हुए रवि भाई खेत मे चले गये। अब जाकर मेरी सांस मे सांस आयी। मैने भाभी को भी आवाज़ दी तो वो भी आगे आ गयी। अभी तक भाभी बिल्कुल नंगी हि थी। 36 के भारी भरकम बोबे, 40 की फेल हुयी गांड, गदराया जिस्म पूरा पसीने मे लथपथ। इतना सेक्सी और कमाल का बदन की लुल्ली एक बार मे हि अकड़ के लंड बन गयी। भाभी ने भी चैन की सांस ली और जैसे हि मेरी तरफ पलटकर देखा उनकी आँखे चौड़ी हो गयी। मेरा लंड तन कर खड़ा था। भाभी बोली अभी तो मरते मरते बचे है और देवरजी आपका लंड तो फिर से तन कर खड़ा हो गया। मेने कहा भाभी आप हो हि इतनी जबरदस्त की मुर्दे का लंड भी खड़ा हो जाये। भाभी एक बार और करने दो ना। भाभी ने गुस्से मे आँखे दिखाते हुए कहा देवरजी क्या कह रहे हो। अभी तो बस गलती से बचे है। वो भी है भी खेत मे और आप फिर से चढ़ने को तैयार हो। मेने कहा भाभी जल्दी हि हो जायेगा। भाई तो अभी खेत मे बीज डालने मे लगे है। उनको टाइम लगेगा। भाभी एक कातिल मुस्कान देती हुयी बोली सही है मेरे पतिदेव आपके खेत मे बीज डाल रहे है और आप उनके खेत मे बीज डालने की बात कर रहे हो, वाह। मै भी एक मुस्कान के साथ भाभी को पीछे से बाहों मे लेकर बोला तो डलवा लो ना भाभी। क्यू सता रही हो। भाभी मेरी तरफ देखकर आगे की तरफ झुक गई जिससे अब वो घोड़ी की पोजीशन मे आ गयी। उनकी फ़टी हुयी चूत मेरे सामने थी जिसे मेने हि थोड़ी देर पहले बुरी तरह चोद कर फाड़ा था। मेने देर ना करते हुए भाभी की चूत पर अपना मोटा लम्बा लंड सेट किया और एक शॉट मे हि पूरा पेल दिया। भाभी की हालत जल बिन मछली जैसी हो गयी बिचारी चिल्ला भी नही सकती थी। बस लंड की मार अपनी चूत मे सहने लगी। मै लगातारह् धक्के पर धक्के मराकर भाभी को चोदने लगा। मेने थोड़ा आगे झुक कर भाभी के मोटे बोबे पकड़े और पीछे से उनकी चूत मे शॉट लगाने लगा। अब भाभी को भी मजा आने लगा। वो भी गांड हिला हिलाकर चुदने लगी। मै भी इस चुदाई को जल्द पूरी करना चाहता था इसीलिए मै ताबड़तोड़ धक्के मरने लगा। भाभी भी मेरा पूरा साथ देने लगी। 10 मिनट लगातार जबरदस्त चुदाई मे हि मै अपने चरम पर पहुंच गया। मै भाभी से बोला लो भाभी मै भी रवि भाई के खेत मे बीज बोने को तैयार हु। और ये कहते हुए मेने पूरा लंड भाभी की चूत से बाहर निकला और एक हि झटके मे जड़ तक पेल दिया और अपना बीज सीधा उनकी कोख मे डालने लगा। मेरे गरम पानी को अपनी चूत मे महसूस करते हि भाभी से भी अपनी दरिया बहा दी। मेने जब तक लास्ट बूँद भाभी की चूत मे ना टपकी तब तक अपना लंड पूरा जड़ तक भाभी की चूत मे गुसाए रखा। जब मै झड़कर थक गया तो खाट पर गिर पड़ा। आज मेरी पहली चुदाई थी और उसमे हि 3 राउंड ले लिए तो मेरी तो हालत भाभी से भी खराब हो गयी। भाभी ने अपने कपड़े पहने और जाते हुए मेरे सोये लंड पर थपकी मारते हुए बोली कल दोगुने जोश के साथ तैयार रहना। मेने आँखे खोलकर भाभी के चेहरे की और देखा तो भाभी एक कातिल मुस्कान देकर चली गयी। मै वही सो गया। जब रवि भाई का काम पूरा हुआ तब आकर उन्होंने मुझे उठाया और हम अपने अपने घर चले गये।
 

PRAVAS DALEI

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Very sexy story. Story को third person view से likho. First person view से मत लिखो. Zyada maja आता है waise लिखने से
 
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kamdev99008

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हम दोनो एक दूसरे को देखे जा रहे थे। तभी रवि भाई बोले मनीष क्या हुआ? मै अंदर आ रहा हु। रामली भाभी झट से खड़ी होकर अपने कपड़े लेकर झोपड़े मे रखे अनाज के पीछे चुप गयी। मुझे लगा आज पहली बार चूत मिली और लगता है चूत के बदले गांड देनी पड़ जाएगी। मुझे कुछ नही सुझा तो मै वैसे हि नंगा खड़ा अपना लंड हिलाने लगा। रवि भाई जैसे हि अंदर आये मुझे नंगा देखकर चौंक गये और बोले ये तु क्या कर रहा है। मेने भी रवि भाई की आवाज सुनते हि चोंकने की एक्टिंग की और जल्दी से खाट की दरी उठाकर खुद को ढक लिया। इससे मै भी ढक गया और भाभी की चूत का खून भी भाई देख नही पाया। रवि भाई : ये क्या कर रहा था तु मनीष? और वो औरत कहा है जिसकी आह मेने सुनी थी?
मै (डरते हुए) : भाई यहां तो केवल मै हु और कोई नही है। आहे तो मेरी हि निकल रही थी।
रवि भाई : पर तु ये कर क्या रहा है और क्यो?
मै : भाई वो पता हि नही चला इच्छा हुई करने लगा और फिर मजा आने लगा। पर भाई मुझे माफ़ कर दो आज के बाद नही करूंगा, आप मम्मी को मत बताना।
रवि भाई : ठीक है नही बताऊंगा पर तु थोड़ा कंट्रोल कर। लगता है काकी से तेरी शादी के लिए खना पड़ेगा। मै बीज ले आया हु। खेत मे अभी थोड़े डाल देता हु। बाकी कल सुबह तु आ जन्मिलकर डाल देंगे। अभी तु घर जा।
मै : ठीक है भाई पर आप मम्मी को पक्का मत बताना।
ठीक है बोलते हुए रवि भाई खेत मे चले गये। अब जाकर मेरी सांस मे सांस आयी। मैने भाभी को भी आवाज़ दी तो वो भी आगे आ गयी। अभी तक भाभी बिल्कुल नंगी हि थी। 36 के भारी भरकम बोबे, 40 की फेल हुयी गांड, गदराया जिस्म पूरा पसीने मे लथपथ। इतना सेक्सी और कमाल का बदन की लुल्ली एक बार मे हि अकड़ के लंड बन गयी। भाभी ने भी चैन की सांस ली और जैसे हि मेरी तरफ पलटकर देखा उनकी आँखे चौड़ी हो गयी। मेरा लंड तन कर खड़ा था। भाभी बोली अभी तो मरते मरते बचे है और देवरजी आपका लंड तो फिर से तन कर खड़ा हो गया। मेने कहा भाभी आप हो हि इतनी जबरदस्त की मुर्दे का लंड भी खड़ा हो जाये। भाभी एक बार और करने दो ना। भाभी ने गुस्से मे आँखे दिखाते हुए कहा देवरजी क्या कह रहे हो। अभी तो बस गलती से बचे है। वो भी है भी खेत मे और आप फिर से चढ़ने को तैयार हो। मेने कहा भाभी जल्दी हि हो जायेगा। भाई तो अभी खेत मे बीज डालने मे लगे है। उनको टाइम लगेगा। भाभी एक कातिल मुस्कान देती हुयी बोली सही है मेरे पतिदेव आपके खेत मे बीज डाल रहे है और आप उनके खेत मे बीज डालने की बात कर रहे हो, वाह। मै भी एक मुस्कान के साथ भाभी को पीछे से बाहों मे लेकर बोला तो डलवा लो ना भाभी। क्यू सता रही हो। भाभी मेरी तरफ देखकर आगे की तरफ झुक गई जिससे अब वो घोड़ी की पोजीशन मे आ गयी। उनकी फ़टी हुयी चूत मेरे सामने थी जिसे मेने हि थोड़ी देर पहले बुरी तरह चोद कर फाड़ा था। मेने देर ना करते हुए भाभी की चूत पर अपना मोटा लम्बा लंड सेट किया और एक शॉट मे हि पूरा पेल दिया। भाभी की हालत जल बिन मछली जैसी हो गयी बिचारी चिल्ला भी नही सकती थी। बस लंड की मार अपनी चूत मे सहने लगी। मै लगातारह् धक्के पर धक्के मराकर भाभी को चोदने लगा। मेने थोड़ा आगे झुक कर भाभी के मोटे बोबे पकड़े और पीछे से उनकी चूत मे शॉट लगाने लगा। अब भाभी को भी मजा आने लगा। वो भी गांड हिला हिलाकर चुदने लगी। मै भी इस चुदाई को जल्द पूरी करना चाहता था इसीलिए मै ताबड़तोड़ धक्के मरने लगा। भाभी भी मेरा पूरा साथ देने लगी। 10 मिनट लगातार जबरदस्त चुदाई मे हि मै अपने चरम पर पहुंच गया। मै भाभी से बोला लो भाभी मै भी रवि भाई के खेत मे बीज बोने को तैयार हु। और ये कहते हुए मेने पूरा लंड भाभी की चूत से बाहर निकला और एक हि झटके मे जड़ तक पेल दिया और अपना बीज सीधा उनकी कोख मे डालने लगा। मेरे गरम पानी को अपनी चूत मे महसूस करते हि भाभी से भी अपनी दरिया बहा दी। मेने जब तक लास्ट बूँद भाभी की चूत मे ना टपकी तब तक अपना लंड पूरा जड़ तक भाभी की चूत मे गुसाए रखा। जब मै झड़कर थक गया तो खाट पर गिर पड़ा। आज मेरी पहली चुदाई थी और उसमे हि 3 राउंड ले लिए तो मेरी तो हालत भाभी से भी खराब हो गयी। भाभी ने अपने कपड़े पहने और जाते हुए मेरे सोये लंड पर थपकी मारते हुए बोली कल दोगुने जोश के साथ तैयार रहना। मेने आँखे खोलकर भाभी के चेहरे की और देखा तो भाभी एक कातिल मुस्कान देकर चली गयी। मै वही सो गया। जब रवि भाई का काम पूरा हुआ तब आकर उन्होंने मुझे उठाया और हम अपने अपने घर चले गये।
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