Update 6
वो फिर से सो गया...करीब 10 बजे के आस पास उसकी नींद खुली, उसका मोबाइल बज रहा था...वो रुची का फोन था.
मोनू (बुदबुदाते हुए) 'इसकी चूत में भी सुबह-2 खुजली शुरू हो जाती है'
फिर फोन उठा कर बड़े ही प्यार से बोला : "हेलो डार्लिंग...कैसी हो..''
रुची : "तुम्हे क्या पड़ी है मेरी फ़िक्र करने की...दो दिन से देख रही हू तुम मुझे इग्नोर कर रहे हो..उस दिन जब रश्मी ने पकड़ लिया था, उसने कुछ बोला क्या...बोलो...''
मोनू : "अरे नही बेबी...वो तो . काफ़ी खुश थी..और तुम्हारी तारीफ भी कर रही थी...बोल रही थी की तुम दोनो में कुछ ग़लतफ़हमियाँ हो गयी है, वरना वो अभी भी तुम्हे बहुत लाइक करती है...और मेरे और तुम्हारे ऐसे रीलेशन से भी दीदी को कोई प्राब्लम नही है..''
रुची (हैरानी से) : "क्या सच में ....तुम झूठ तो नही बोल रहे ना...''
मोनू : "डार्लिंग...मैं भला क्यो झूठ बोलूँगा...सच मे, वो अभी भी तुम्हे अपना दोस्त मानती है...''
रुची : "ग़लती मेरी ही थी पहले भी....और अब भी...इतनी अच्छी सहेली के साथ मैने ऐसा बर्ताव किया...''
मोनू : "चलो, अब परेशान मत हो, अगर तुम दीदी के साथ फिर से दोस्ती करना चाहती हो तो वो मुझपर छोड़ दो...अब ये बताओ, इतनी सुबह कैसे फोन किया...''
रुची (थोड़े नाराज़गी भरे स्वर मे) : "तुम्हे तो कुछ होता नही है...पर मेरी हालत बड़ी खराब है...बड़ा मन कर रहा है तुमसे मिलने का (चुदवाने का)''
उसकी सेक्सी आवाज़ ने तो मोनू के सोए हुए शेर को फिर से जगा दिया ...अभी 10 बज रहे थे...उसको नहाना भी था और नाश्ता भी करना था...माँ को भी नाश्ता करवाना था...इंजेक्शन लगवाना था...
मोनू : "तुम ऐसा करो, 3 बजे आ जाओ...माँ तब तक खाना खाकर सो जाएँगी...फिर बस तू और मैं ...''
रुची : "ओक ....मैं आती हू, 3 बजे...''
फिर मोनू आराम से उठा और नहाया ..अपनी किस्मत पर उसको आज बड़ा ही नाज़ हो रहा था...
रश्मी और रुची की दोस्ती वो इसलिए करवाना चाहता था की उसके मन में कही ना कही एक साथ 2 के मज़े लेने की बात थी....पर उसे क्या मालूम था की उसकी ये इच्छा इतनी जल्दी सच हो जाएगी..
क्योंकि रश्मी के स्कूल में दिवाली का गिफ्ट मिलने के बाद 2 बजे छुट्टी हो गयी...और वो घर की तरफ निकल पड़ी...ये सोचते हुए की एक घंटे मे घर पहुँचकर वो खुलकर मज़े लेगी मोनू के साथ...
रुची मटकती हुई मोनू के घर की तरफ चली जा रही थी...रास्ते मे खड़े हुए मोनू के दोस्त उसकी मदमस्त चाल को देखकर आहें भर रहे थे...रिशू भी उनके बीच ही था..पर वो ये नही जानते थे की वो मोनू के घर ही जा रही है..
मोनू के घर के पास पहुँचकर रुची ने इधर उधर देखा और अंदर घुस गयी...हमेशा की तरह मोनू ने दरवाजा खुला छोड़ कर रखा था...और हमेशा की तरहा रुची फिर से दरवाजा खुला छोड़ कर उपर की तरफ चल दी..
सीढ़ियों के बिल्कुल सामने मोनू की माँ का रूम था, और वो खर्राटे मार कर सो रही थी..वो निश्चिंत हो गयी..और उछलती हुई सी मोनू के रूम में गयी...जहाँ वो मोबाइल पर कुछ चैक कर रहा था..
रुची लगभग भागती हुई सी मोनू के पास पहुँची और धम्म से उसके उपर जा गिरी और उसको बेतहाशा चूमने लगी
"ओह्ह्ह्ह्ह्ह ..... मोनू ....... कितना सताते हो तुम मुझे ........... मुआआआआअह ...... उम्म्म्ममम ..... मेरा बुरा हाल कर रखा है तुमने ...... मुचचचचचचचचचचचचचचचचचचचचचचचचचचचह ''
मोनू भी उसके मुम्मो को पकड़ कर उसकी घुंडीयां उमेठता हुआ बोला : "साली ...... तुझे तो आजकल रोज का चस्का लग चुका है...''
रुची दाँत कटकटाते हुए बोली : "अब क्या करू जालिम, ये जवानी है ही ऐसी चीज़.... जब से तूने इसको चखा है, ये रोज तड़पती है....पता नही क्या नशा है इस चुदाई में ...साला हर टाइम मन करता है की बस तेरे लंड से चुदती रहु...चुदती रहु ...''
मोनू भी मज़े लेने लगा और बोला : "इतनी ही आग लगी है तेरी जवानी में तो घर वालो को बोल की कहीं शादी करवा दे ..... फिर दिन रात चुदाई करवाईयो अपने पति से ...''
रुची (उसके लंड को पकड़कर उमेठते हुए) : "शादी तो मैं तेरे साथ ही करूँगी और वो जब होगी, तब होगी...अभी के लिए तो मेरा उधार चल रहा है इसके साथ .....चल अब देर ना कर, बड़ी ज़ोर से लगी है चुदाई की प्यास...''
और रुची ने हुंकारते हुए मोनू के पायजामे को नीचे खींच दिया और उसके हिनहिनाते हुए लंड को अपने मुँह मे लेकर ज़ोर-2 से सक्क करने लगी..
मोनू भी उसके लंड चूसने की कला का दीवाना था....वो अपनी जीभ और होंठ के साथ-2 हल्के दाँत भी इस्तेमाल करती थी...इसलिए मोनू को चुस्वाते हुए ज़ोर-2 से झटके भी महसूस होते थे जब उसके दाँत नर्म खाल से छूते थे..
मोनू ने उसके सिर पर हाथ फेरते हुए उसकी टी शर्ट को सिर से खींच कर निकाल दिया...और फिर पीठ पर हाथ फेरते हुए एक ही हाथ से उसकी ब्रा भी खोल दी...उसकी ब्रा ढलक कर नीचे गिर गयी...और उसने नीचे हाथ लगा कर उसके मुम्मों का वजन नापा..
मोनू : "काफ़ी भारी हो गये हैं ये अब तो...मजेदार...भी ''
रुची : "सब तेरा ही कमाल है ...तूने ही इन्हे चूस चूस्कर और दबाकर इतना बड़ा कर दिया है..''
मोनू ने उसके मुम्मे ज़ोर से मसल दिए और बोला : "मज़ा भी तो इसमे ही आता है मेरी जान...जब तक तेरे थनों को चूस्कर इनका दूध नही पी लेता, मेरी भी प्यास नही बुझती...''
और उसने उसकी बगल से पकड़ कर रुची को उपर खींच लिया और उसके मुम्मो पर अपने तीखे दाँत लगा कर उन्हे चूसने लगा..
रुची दर्द भरे मज़े से तड़प उठी...''अहह ...... येसस्सस्स मोनू ............. ऐसे ही .......बड़ा सताते है रे ये रात भर..... इनमे मीठा-2 दर्द सा होता है...... चूस कर सारा दर्द निकाल दे आज मेरा....... उम्म्म्मममममममममम....''
मोनू के रुची को अपनी गोद मे बिठाया और अपने दाँत ज़ोर-2 से उसके मुम्मो पर मारने लगा...और नीचे से उसने उसकी स्कर्ट भी खोल कर निकाल फेंकी , और जल्द ही उसके खड़े हुए लंड ने उसकी चूत का रास्ता भी ढूँढ ही लिया और रुची ने थोड़ा उचक कर उसे अंदर लिया और उसपर बैठती चली गयी...
मुम्मे पर मोनू के दाँत और चूत पर उसके लंड ने कहर बरपा दिया था एक साथ...दोनो तरफ से एकसाथ हमला होने लगा उसपर...और वो दर्द और मज़े के मिले जुले मिश्रण से तड़प-2 कर उछलती रही उसकी गोद में ..
''आआआहहह मोनू ...................... सस्स्स्सस्स ....ऐसे ही चोदो मुझे .................. ओफफफफफफफफफफ्फ़ ......और अंदर तक ....... अहह ....बुझा दो आज मेरी सारी प्यास .................. चोदो मुझे मोनू .....ज़ोर से चोदो ...''
वो झड़ने के बहुत करीब थी ....
मोनू के लंड पर वो ज़ोर-2 से धपा धप्प कर रही थी...और ये मोनू के लिए बहुत था, उसके लंड से रस भरी पिचकारियाँ निकल कर उसकी चूत के अंदर जाने लगी...
मोनू : "ओह .... मेरी जान.................मैं तो गया .....''
रुची चिल्लाई : "ओह नहियीईईईईईई .... अभी नही ....................मेरा अभी नही हुआ ....''
पर तब तक मोनू निढाल सा होकर पीछे की तरफ गिर गया...और गहरी-2 साँसे लेने लगा....उसका लंड छोटा हुआ और फिसलकर रुची की गीली चूत से बाहर आ गया...
रुची : "ये क्या किया तुमने मोनू .....एक तो वैसे ही मुझे इतने दीनो तक तड़पाया और अब मुझे पूरा सेटिस्फ़ाई भी नही किया.....ऐसा थोड़े ही करता है कोई....''
पर मोनू कुछ ना बोला...रुची भी उसके उपर से उतरकर उसकी बगल में बैठ गयी.
रुची : "पर मैं हार नही मानूँगी....मैं अभी इसको दोबारा तैयार करती हूँ ...''
इतना कहकर वो उसके लंड पर फिर से टूट पड़ी.....मोनू के लंड पर लगा रस उसने चूस्कर सॉफ कर दिया...और अपने गर्म मुँह से चूस्कर उसके लंड को फिर से खड़ा करने मे लग गयी..
और 2 मिनट मे ही उसके चूसने की कला ने फिर से कमाल कर दिया..
मोनू का लंड पहले से भी ज़्यादा खूंखार सा होकर लहराने लगा.
और फिर रुची ने और देर नही की और उछलकर उसके घोड़े पर बैठ गयी...और तेजी से घुड़सवारी करने लगी..
वो तो पहले से ही झड़ने के करीब थी...इसलिए ज़्यादा टाइम नही लगा उसको फिर से उसी पॉइंट पर पहुँचने के लिए....और वो ज़ोर-2 से चिल्लाती हुई उसके लंड के उपर झड़ने लगी..
''अहह........ एसस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्सस्स ...... अब आया असली मज़ा ................. उम्म्म्ममममममममममममममममम ....... यही तो चाहिए था मुझे .................. असली मज़ा ............. म्*म्म्ममममममम''
और वो बेहोश सी होकर उसकी छाती पर गिर गयी....और फिर फिसलकर उसकी बगल में भी ...
अब गुस्सा करने की बारी मोनू की थी : "ओह ...रूको तो सही .....थोड़ी देर और ....मेरा भी बस होने वाला है ......रूको ....''
पर तब तक रुची अपनी मदहोशी मे खोकर उसके लंड का साथ छोड़ चुकी थी .....जो थोड़ी देर पहले मोनू ने किया था वही अब रुची ने भी कर दिया था..
एक मर्द को सेक्स के लिए दोबारा तैयार करना काफ़ी आसान होता है...पर एक औरत पूरी तरह से संतुष्ट होने के बाद मुश्किल से ही तैयार होती है लगातार अगली चुदाई के लिए...और यही इस वक़्त रुची के साथ भी था...
वो बोली : "अभी नही .....अब नही हो पाएगा....मुझे इचिंग सी हो रही है अंदर .....अब कल करेंगे...''
और इतना कहकर वो अटेच बाथरूम मे घुस गयी...अपनी चूत को गर्म पानी से साफ़ करने के लिए..
मोनू बेचारा अपने खड़े लंड को मसलकर रह गया....एक बार तो उसके मन मे आया की खुद ही मूठ मारकर थोड़ा रिलिव हो जाए...पर फिर कुछ सोचकर वो रुक गया और अपने लंड वाले हिस्से को चादर से ढक कर आँखे बंद कर ली...
और यही वो वक़्त था जब नीचे रश्मी ने घर मे प्रवेश किया...बाहर का दरवाजा खुला हुआ था...वो समझ गयी की बेपरवाह मोनू ने उसे ऐसे ही छोड़ दिया होगा...वो दरवाजा बंद करके उपर की तरफ चल दी..
पहले उसने अपनी माँ के कमरे में देखा, वो खाना खाकर और इंजेक्शन लगवाकर गहरी नींद में सो रही थी..और फिर वो मोनू के कमरे की तरफ चल दी...और दरवाजा धकेलकर अंदर दाखिल हो गयी..
अंदर जाकर उसने देखा की मोनू तो सुबह की तरह अभी तक ऐसे ही नंगा लेटा हुआ है...अपने उपर आधी चादर तान कर , और आँखे बंद करके...
अब पता नही वो ऐसे ही लेटा है या सो रहा है.. ये जानने का उसके पास एक ही उपाय था
और सुबह की तरह एक बार फिर से रश्मी के मन मे उसके लंड को चूसने का ख़याल आ गया...सुबह भी उसके रस को पीकर वो पूरा दिन तरो ताज़ा फील करती रही थी...और उसी स्वाद को दोबारा महसूस करने के ख़याल से वो मुस्कुराती हुई सी उसकी तरफ चल दी...और पैरों की तरफ से उसकी चादर को उठाते हुए अंदर घुस गयी...
और उसकी आशा के अनुरूप वो अंदर से नंगा ही था...उसका शेर एक तरफ लटका हुआ सा पड़ा था..उसने उसके लंड को पकड़ा और धीरे-2 चाटने के बाद उसे चूसना शुरू कर दिया...और एक-2 इंच करते हुए उसे पूरा निगल गयी..
मोनू को जैसे ही एहसास हुआ की उसके लंड के साथ फिर से छेड़ छाड़ की जा रही है...वो खुश हो गया...और मन ही मन सोचा की लगता है रुची को मुझपर दया आ ही गयी....अपनी चूत में लेकर नही, पर अपने मुँह मे लेकर वो उसको झड़वाने का इंतज़ाम कर रही है..
और वो आँखे बंद करके उसके गरमा गरम मुँह का मज़ा लेने लगा...
और तभी बाथरूम का दरवाजा खुला...और रुची नंगी ही बाहर निकल कर आई...
मोनू की नज़रें भी आवाज़ सुनकर उस तरफ गयी.
और जैसे ही मोनू ने रुची को वहाँ देखा....और रुची ने किसी और को घोड़ी बनकर , चादर के अंदर घुसकर , मोनू का लंड चूसते हुए देखा...दोनो के चेहरे पर अलग-2 एक्शप्रेशन आ गये..
मोनू सोच रहा था की अगर रुची वहां है तो उसका लंड कौन चूस रहा है..
और रुची सोच रही थी की अभी कुछ देर पहले ही तो वो मोनू को छोड़कर अंदर गयी, इतनी ही देर मे ये कौन आ गया जो उसके प्यार पर ऐसे डाका मार रहा है..क्या मोनू उसको धोखा देने की कोशिश कर रहा है..
और उसने गुस्से मे भरकर मोनू के उपर बिछी चादर को एक ही झटके मे खींच कर दूर फेंक दिया