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Adultery Diwali ka Jua - 3 (Incest + Adultery)

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Update 6

वो फिर से सो गया...करीब 10 बजे के आस पास उसकी नींद खुली, उसका मोबाइल बज रहा था...वो रुची का फोन था.
मोनू (बुदबुदाते हुए) 'इसकी चूत में भी सुबह-2 खुजली शुरू हो जाती है'
फिर फोन उठा कर बड़े ही प्यार से बोला : "हेलो डार्लिंग...कैसी हो..''
रुची : "तुम्हे क्या पड़ी है मेरी फ़िक्र करने की...दो दिन से देख रही हू तुम मुझे इग्नोर कर रहे हो..उस दिन जब रश्मी ने पकड़ लिया था, उसने कुछ बोला क्या...बोलो...''
मोनू : "अरे नही बेबी...वो तो . काफ़ी खुश थी..और तुम्हारी तारीफ भी कर रही थी...बोल रही थी की तुम दोनो में कुछ ग़लतफ़हमियाँ हो गयी है, वरना वो अभी भी तुम्हे बहुत लाइक करती है...और मेरे और तुम्हारे ऐसे रीलेशन से भी दीदी को कोई प्राब्लम नही है..''
रुची (हैरानी से) : "क्या सच में ....तुम झूठ तो नही बोल रहे ना...''
मोनू : "डार्लिंग...मैं भला क्यो झूठ बोलूँगा...सच मे, वो अभी भी तुम्हे अपना दोस्त मानती है...''
रुची : "ग़लती मेरी ही थी पहले भी....और अब भी...इतनी अच्छी सहेली के साथ मैने ऐसा बर्ताव किया...''
मोनू : "चलो, अब परेशान मत हो, अगर तुम दीदी के साथ फिर से दोस्ती करना चाहती हो तो वो मुझपर छोड़ दो...अब ये बताओ, इतनी सुबह कैसे फोन किया...''
रुची (थोड़े नाराज़गी भरे स्वर मे) : "तुम्हे तो कुछ होता नही है...पर मेरी हालत बड़ी खराब है...बड़ा मन कर रहा है तुमसे मिलने का (चुदवाने का)''
उसकी सेक्सी आवाज़ ने तो मोनू के सोए हुए शेर को फिर से जगा दिया ...अभी 10 बज रहे थे...उसको नहाना भी था और नाश्ता भी करना था...माँ को भी नाश्ता करवाना था...इंजेक्शन लगवाना था...
मोनू : "तुम ऐसा करो, 3 बजे आ जाओ...माँ तब तक खाना खाकर सो जाएँगी...फिर बस तू और मैं ...''
रुची : "ओक ....मैं आती हू, 3 बजे...''
फिर मोनू आराम से उठा और नहाया ..अपनी किस्मत पर उसको आज बड़ा ही नाज़ हो रहा था...
रश्मी और रुची की दोस्ती वो इसलिए करवाना चाहता था की उसके मन में कही ना कही एक साथ 2 के मज़े लेने की बात थी....पर उसे क्या मालूम था की उसकी ये इच्छा इतनी जल्दी सच हो जाएगी..
क्योंकि रश्मी के स्कूल में दिवाली का गिफ्ट मिलने के बाद 2 बजे छुट्टी हो गयी...और वो घर की तरफ निकल पड़ी...ये सोचते हुए की एक घंटे मे घर पहुँचकर वो खुलकर मज़े लेगी मोनू के साथ...
रुची मटकती हुई मोनू के घर की तरफ चली जा रही थी...रास्ते मे खड़े हुए मोनू के दोस्त उसकी मदमस्त चाल को देखकर आहें भर रहे थे...रिशू भी उनके बीच ही था..पर वो ये नही जानते थे की वो मोनू के घर ही जा रही है..
मोनू के घर के पास पहुँचकर रुची ने इधर उधर देखा और अंदर घुस गयी...हमेशा की तरह मोनू ने दरवाजा खुला छोड़ कर रखा था...और हमेशा की तरहा रुची फिर से दरवाजा खुला छोड़ कर उपर की तरफ चल दी..
सीढ़ियों के बिल्कुल सामने मोनू की माँ का रूम था, और वो खर्राटे मार कर सो रही थी..वो निश्चिंत हो गयी..और उछलती हुई सी मोनू के रूम में गयी...जहाँ वो मोबाइल पर कुछ चैक कर रहा था..
रुची लगभग भागती हुई सी मोनू के पास पहुँची और धम्म से उसके उपर जा गिरी और उसको बेतहाशा चूमने लगी
"ओह्ह्ह्ह्ह्ह ..... मोनू ....... कितना सताते हो तुम मुझे ........... मुआआआआअह ...... उम्म्म्ममम ..... मेरा बुरा हाल कर रखा है तुमने ...... मुचचचचचचचचचचचचचचचचचचचचचचचचचचचह ''
मोनू भी उसके मुम्मो को पकड़ कर उसकी घुंडीयां उमेठता हुआ बोला : "साली ...... तुझे तो आजकल रोज का चस्का लग चुका है...''
रुची दाँत कटकटाते हुए बोली : "अब क्या करू जालिम, ये जवानी है ही ऐसी चीज़.... जब से तूने इसको चखा है, ये रोज तड़पती है....पता नही क्या नशा है इस चुदाई में ...साला हर टाइम मन करता है की बस तेरे लंड से चुदती रहु...चुदती रहु ...''
मोनू भी मज़े लेने लगा और बोला : "इतनी ही आग लगी है तेरी जवानी में तो घर वालो को बोल की कहीं शादी करवा दे ..... फिर दिन रात चुदाई करवाईयो अपने पति से ...''
रुची (उसके लंड को पकड़कर उमेठते हुए) : "शादी तो मैं तेरे साथ ही करूँगी और वो जब होगी, तब होगी...अभी के लिए तो मेरा उधार चल रहा है इसके साथ .....चल अब देर ना कर, बड़ी ज़ोर से लगी है चुदाई की प्यास...''
और रुची ने हुंकारते हुए मोनू के पायजामे को नीचे खींच दिया और उसके हिनहिनाते हुए लंड को अपने मुँह मे लेकर ज़ोर-2 से सक्क करने लगी..
मोनू भी उसके लंड चूसने की कला का दीवाना था....वो अपनी जीभ और होंठ के साथ-2 हल्के दाँत भी इस्तेमाल करती थी...इसलिए मोनू को चुस्वाते हुए ज़ोर-2 से झटके भी महसूस होते थे जब उसके दाँत नर्म खाल से छूते थे..
मोनू ने उसके सिर पर हाथ फेरते हुए उसकी टी शर्ट को सिर से खींच कर निकाल दिया...और फिर पीठ पर हाथ फेरते हुए एक ही हाथ से उसकी ब्रा भी खोल दी...उसकी ब्रा ढलक कर नीचे गिर गयी...और उसने नीचे हाथ लगा कर उसके मुम्मों का वजन नापा..
मोनू : "काफ़ी भारी हो गये हैं ये अब तो...मजेदार...भी ''
रुची : "सब तेरा ही कमाल है ...तूने ही इन्हे चूस चूस्कर और दबाकर इतना बड़ा कर दिया है..''
मोनू ने उसके मुम्मे ज़ोर से मसल दिए और बोला : "मज़ा भी तो इसमे ही आता है मेरी जान...जब तक तेरे थनों को चूस्कर इनका दूध नही पी लेता, मेरी भी प्यास नही बुझती...''
और उसने उसकी बगल से पकड़ कर रुची को उपर खींच लिया और उसके मुम्मो पर अपने तीखे दाँत लगा कर उन्हे चूसने लगा..
रुची दर्द भरे मज़े से तड़प उठी...''अहह ...... येसस्सस्स मोनू ............. ऐसे ही .......बड़ा सताते है रे ये रात भर..... इनमे मीठा-2 दर्द सा होता है...... चूस कर सारा दर्द निकाल दे आज मेरा....... उम्म्म्मममममममममम....''
मोनू के रुची को अपनी गोद मे बिठाया और अपने दाँत ज़ोर-2 से उसके मुम्मो पर मारने लगा...और नीचे से उसने उसकी स्कर्ट भी खोल कर निकाल फेंकी , और जल्द ही उसके खड़े हुए लंड ने उसकी चूत का रास्ता भी ढूँढ ही लिया और रुची ने थोड़ा उचक कर उसे अंदर लिया और उसपर बैठती चली गयी...
मुम्मे पर मोनू के दाँत और चूत पर उसके लंड ने कहर बरपा दिया था एक साथ...दोनो तरफ से एकसाथ हमला होने लगा उसपर...और वो दर्द और मज़े के मिले जुले मिश्रण से तड़प-2 कर उछलती रही उसकी गोद में ..
''आआआहहह मोनू ...................... सस्स्स्सस्स ....ऐसे ही चोदो मुझे .................. ओफफफफफफफफफफ्फ़ ......और अंदर तक ....... अहह ....बुझा दो आज मेरी सारी प्यास .................. चोदो मुझे मोनू .....ज़ोर से चोदो ...''
वो झड़ने के बहुत करीब थी ....
मोनू के लंड पर वो ज़ोर-2 से धपा धप्प कर रही थी...और ये मोनू के लिए बहुत था, उसके लंड से रस भरी पिचकारियाँ निकल कर उसकी चूत के अंदर जाने लगी...
मोनू : "ओह .... मेरी जान.................मैं तो गया .....''
रुची चिल्लाई : "ओह नहियीईईईईईई .... अभी नही ....................मेरा अभी नही हुआ ....''
पर तब तक मोनू निढाल सा होकर पीछे की तरफ गिर गया...और गहरी-2 साँसे लेने लगा....उसका लंड छोटा हुआ और फिसलकर रुची की गीली चूत से बाहर आ गया...
रुची : "ये क्या किया तुमने मोनू .....एक तो वैसे ही मुझे इतने दीनो तक तड़पाया और अब मुझे पूरा सेटिस्फ़ाई भी नही किया.....ऐसा थोड़े ही करता है कोई....''
पर मोनू कुछ ना बोला...रुची भी उसके उपर से उतरकर उसकी बगल में बैठ गयी.
रुची : "पर मैं हार नही मानूँगी....मैं अभी इसको दोबारा तैयार करती हूँ ...''
इतना कहकर वो उसके लंड पर फिर से टूट पड़ी.....मोनू के लंड पर लगा रस उसने चूस्कर सॉफ कर दिया...और अपने गर्म मुँह से चूस्कर उसके लंड को फिर से खड़ा करने मे लग गयी..
और 2 मिनट मे ही उसके चूसने की कला ने फिर से कमाल कर दिया..
मोनू का लंड पहले से भी ज़्यादा खूंखार सा होकर लहराने लगा.
और फिर रुची ने और देर नही की और उछलकर उसके घोड़े पर बैठ गयी...और तेजी से घुड़सवारी करने लगी..
वो तो पहले से ही झड़ने के करीब थी...इसलिए ज़्यादा टाइम नही लगा उसको फिर से उसी पॉइंट पर पहुँचने के लिए....और वो ज़ोर-2 से चिल्लाती हुई उसके लंड के उपर झड़ने लगी..
''अहह........ एसस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्सस्स ...... अब आया असली मज़ा ................. उम्म्म्ममममममममममममममममम ....... यही तो चाहिए था मुझे .................. असली मज़ा ............. म्*म्म्ममममममम''
और वो बेहोश सी होकर उसकी छाती पर गिर गयी....और फिर फिसलकर उसकी बगल में भी ...
अब गुस्सा करने की बारी मोनू की थी : "ओह ...रूको तो सही .....थोड़ी देर और ....मेरा भी बस होने वाला है ......रूको ....''
पर तब तक रुची अपनी मदहोशी मे खोकर उसके लंड का साथ छोड़ चुकी थी .....जो थोड़ी देर पहले मोनू ने किया था वही अब रुची ने भी कर दिया था..
एक मर्द को सेक्स के लिए दोबारा तैयार करना काफ़ी आसान होता है...पर एक औरत पूरी तरह से संतुष्ट होने के बाद मुश्किल से ही तैयार होती है लगातार अगली चुदाई के लिए...और यही इस वक़्त रुची के साथ भी था...
वो बोली : "अभी नही .....अब नही हो पाएगा....मुझे इचिंग सी हो रही है अंदर .....अब कल करेंगे...''
और इतना कहकर वो अटेच बाथरूम मे घुस गयी...अपनी चूत को गर्म पानी से साफ़ करने के लिए..
मोनू बेचारा अपने खड़े लंड को मसलकर रह गया....एक बार तो उसके मन मे आया की खुद ही मूठ मारकर थोड़ा रिलिव हो जाए...पर फिर कुछ सोचकर वो रुक गया और अपने लंड वाले हिस्से को चादर से ढक कर आँखे बंद कर ली...
और यही वो वक़्त था जब नीचे रश्मी ने घर मे प्रवेश किया...बाहर का दरवाजा खुला हुआ था...वो समझ गयी की बेपरवाह मोनू ने उसे ऐसे ही छोड़ दिया होगा...वो दरवाजा बंद करके उपर की तरफ चल दी..
पहले उसने अपनी माँ के कमरे में देखा, वो खाना खाकर और इंजेक्शन लगवाकर गहरी नींद में सो रही थी..और फिर वो मोनू के कमरे की तरफ चल दी...और दरवाजा धकेलकर अंदर दाखिल हो गयी..
अंदर जाकर उसने देखा की मोनू तो सुबह की तरह अभी तक ऐसे ही नंगा लेटा हुआ है...अपने उपर आधी चादर तान कर , और आँखे बंद करके...
अब पता नही वो ऐसे ही लेटा है या सो रहा है.. ये जानने का उसके पास एक ही उपाय था
और सुबह की तरह एक बार फिर से रश्मी के मन मे उसके लंड को चूसने का ख़याल आ गया...सुबह भी उसके रस को पीकर वो पूरा दिन तरो ताज़ा फील करती रही थी...और उसी स्वाद को दोबारा महसूस करने के ख़याल से वो मुस्कुराती हुई सी उसकी तरफ चल दी...और पैरों की तरफ से उसकी चादर को उठाते हुए अंदर घुस गयी...
और उसकी आशा के अनुरूप वो अंदर से नंगा ही था...उसका शेर एक तरफ लटका हुआ सा पड़ा था..उसने उसके लंड को पकड़ा और धीरे-2 चाटने के बाद उसे चूसना शुरू कर दिया...और एक-2 इंच करते हुए उसे पूरा निगल गयी..
मोनू को जैसे ही एहसास हुआ की उसके लंड के साथ फिर से छेड़ छाड़ की जा रही है...वो खुश हो गया...और मन ही मन सोचा की लगता है रुची को मुझपर दया आ ही गयी....अपनी चूत में लेकर नही, पर अपने मुँह मे लेकर वो उसको झड़वाने का इंतज़ाम कर रही है..
और वो आँखे बंद करके उसके गरमा गरम मुँह का मज़ा लेने लगा...
और तभी बाथरूम का दरवाजा खुला...और रुची नंगी ही बाहर निकल कर आई...
मोनू की नज़रें भी आवाज़ सुनकर उस तरफ गयी.
और जैसे ही मोनू ने रुची को वहाँ देखा....और रुची ने किसी और को घोड़ी बनकर , चादर के अंदर घुसकर , मोनू का लंड चूसते हुए देखा...दोनो के चेहरे पर अलग-2 एक्शप्रेशन आ गये..
मोनू सोच रहा था की अगर रुची वहां है तो उसका लंड कौन चूस रहा है..
और रुची सोच रही थी की अभी कुछ देर पहले ही तो वो मोनू को छोड़कर अंदर गयी, इतनी ही देर मे ये कौन आ गया जो उसके प्यार पर ऐसे डाका मार रहा है..क्या मोनू उसको धोखा देने की कोशिश कर रहा है..
और उसने गुस्से मे भरकर मोनू के उपर बिछी चादर को एक ही झटके मे खींच कर दूर फेंक दिया
 
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और चादर निकलते ही जो सीन रुची ने देखा, उसकी तो शायद उसने कल्पना भी नही की थी...मोनू की सग़ी बहन और उसकी पुरानी सहेली रश्मी घोड़ी बन कर अपने खुद के भाई का लंड चूस रही थी..
और अपने उपर से ऐसे चादर निकल जाने के बाद मस्ती मे आँखे बंद करके लंड चूसती हुई रश्मी ने आँखे खोली और सामने डर और आश्चर्य के भाव लिए अपने भाई के चेहरे को देखा, जो कभी उसको और कभी उसके पीछे खड़ी रुची को देखकर ये सोच रहा था की अब क्या होगा..
मोनू को ऐसे हैरान -परेशान देखकर और उसकी आँखो का पीछा करते हुए जैसे ही रश्मी ने अपने पीछे खड़ी रुची को देखा तो उसे सब समझ मे आ गया..
इसका मतलब उसकी एंट्री ग़लत टाइम पर हो गयी...मोनू और रुची के बीच पहले से ही चुदाई का खेल चल रहा था...वो ऐसे ही बीच मे घुस आई..
और सबसे बड़ी बात, रुची ने उसे रंगे हाथों पकड़ भी लिया...वैसे देखा जाए तो रुची भी नंगी-पुँगी खड़ी थी और वो भी चुदाई करते हुए रंगे हाथो पकड़ी गयी थी..पर यहाँ मसला वो नही था..
यहाँ प्राब्लम ये थी की रश्मी पकड़ी गयी थी , अपने भाई के लंड को चूसते हुए..
रुची : "राआशममीई......तुम !!!!!!!!!!!!!......और वो भी अपने भाई के साथ .......''
तब तक रश्मी संभल चुकी थी...और ये भी सोच चुकी थी की उसे कैसे वो सिचुएशन हेंडल करनी है..
मोनू भी समझ चुका था की कोई बड़िया वाला सीन होने वाला है वहाँ पर..
रुची के गुस्से का रश्मी ने बड़े ही प्यार से जवाब दिया..: "हाँ ....मैं ...क्यो....इतनी परेशान क्यो हो रही है तू मुझे ये सब करते देखकर..''
रुची : "मतलब....तू ये भी नही जानती की मैं परेशान क्यो हूँ ...तू मेरे बाय्फ्रेंड के साथ, और उसके भी उपर अपने खुद के भाई के साथ ये सब कर रही है...तुझे शर्म नही आती...''
रश्मी : "पर ये सब तो मैं तेरे कहने पर ही कर रही हू..''
अब हैरान होने की बारी रुची के साथ-2 मोनू की भी थी..
रुची : "मेरे कहने पर ???? क्या मतलब है तेरा..!!!''
रश्मी : "तुझे याद है, तूने ही एक बार कहा था की हम एक दूसरे के पार्टनर्स को आपस मे शेयर करेंगे...फिर चाहे वो बाय्फ्रेंड हो या हसबैंड ''
रुची (दिमाग़ पर ज़ोर डालते हुए) : "हाँ ...याद है...पर वो तो 2 साल पहले की बात है...और वो बात अलग थी...यहाँ तो तू अपने खुद के भाई के साथ ये सब कर रही है..''
रश्मी : "देख...मुझे इस बात से कोई फ़र्क नही पड़ता की तेरा बाय्फ्रेंड कौन है....अगर तेरा बी एफ एक रिक्शा चलाने वाला भी होता तो भी मैं यही करती, मेरा भाई है, तब भी मैं यही कर रही हू...''
रुची का तो दिमाग़ ही चकरा गया उसकी दलील सुनकर...और मोनू मन में अपनी बहन की तारीफ किए बिना नही रह पाया..
रश्मी : "पिछली बार जब मैने तुम दोनो को रंगे हाथ पकड़ा था तो मुझे भी ऐसे ही शॉक लगा था...हमारे बीच भले ही बातचीत बंद है, पर मैं अपने वादे को आज तक नही भूली हू...जैसे की मैं अब तक अपनी दोस्ती को भी नही भूली...तुझे अपनी दोस्ती और वो वादा याद दिलाने के लिए ही मैने ये सब किया है..''
रश्मी ने बड़ी ही चालाकी से रुची का ध्यान अभी के इन्सिडेंट से हटा कर अपनी दोस्ती के इमोशनल पॉइंट की तरफ कर दिया था..
रश्मी : "उस दिन ही मैने सोच लिया था की भले ही तुझे ये बात याद नही है, पर मैं अपनी दोस्ती में किया हुआ वो वादा नही भूलूंगी, जो हमने एक साथ किया था...की हम एक दूसरे के पार्टनर्स को ऐसे ही खुश करेंगे, जैसे खुद के पार्ट्नर को करते हैं...मुझे भी पता है की अपने भाई के साथ ये सब करना ग़लत है, पर मेरे लिए भाई से बढ़कर अपनी दोस्ती में किया हुआ वादा है...जो शायद तू भूल चुकी है...अपनी दोस्ती की तरह..''
इतना बहुत था रुची की आँखों से पश्चाताप के आँसू निकालने के लिए..
रुची रोती हुई उसकी तरफ आई और नंगी ही उसके गले से लिपट कर फूट-2 कर रोने लगी
रुची : "मुझे माफ़ कर दे रश्मी....मैने तुझे कितना ग़लत समझा.... पहले भी मेरी ही ग़लती थी...वरना तुझ जैसी सहेली को खोकर मुझे भी अच्छा नही लगा...मुझे माफ़ कर दे रश्मी..''
रुची के गले लगते हुए रश्मी का चेहरा मोनू की तरफ था...और वो एक कुटिल हँसी हंसकर उसे आँख भी मार रही थी..
अचानक मोनू ने रश्मी को इशारा किया की वो दोनो आपस मे कुछ करे...क्योंकि उसने पिछली बार ही सोच लिया था की दोनो सहेलियों को एक साथ चोदेगा ...और वो शायद जल्द ही होने भी वाला था...पर उससे पहले वो उन दोनो का लेस्बियन सेक्स देखना चाहता था, जो आज तक उसने सिर्फ़ मूवीस मे ही देखा था..
रश्मी ने बुरा सा मुँह बनाया पर मोनू ने रोता हुआ चेहरा बना कर अपने दोनो हाथ उसके आगे जोड़ दिए...और फिर अपने खड़े हुए लंड को उसकी आँखो के सामने लहराकर उसे वो लालच भी दिया, जिसके लिए वो जाने कब से तड़प रही थी...
रश्मी ने भी सोचा की ये भी ट्राइ कर ही लेना चाहिए...हालाँकि दोनो सहेलियों में पहले काफ़ी खुलकर बात होती थी..पर दोनो ने एक दूसरे के अंगो को कभी टच नही किया था और ना ही एक दूसरे को कभी नंगा देखा था...पर आज रश्मी ने रुची को नंगा देख ही लिया था..और अब मोनू के कहने पर उसे भी उसी की तरह नंगा होकर खेल खेलना था अपने भाई को खुश करने के लिए..
रश्मी ने एक गहरी साँस ली और उसके दोनो हाथ सरकते हुए आगे की तरफ आए और उसने रुची के दोनो मुम्मे पकड़ लिए...और अपनी उंगलियों से उसके निप्पल्स पकड़कर होले से सहला दिए
 
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रुची : "अहह ..... क्या कर रही हो रश्मी ...''
रश्मी : "एक नयी दोस्ती की शुरूवात...''
रुची ने उसको सवालिया नज़रों से देखा...और फिर एक नज़र मोनू पर डाली...उसने भी गर्दन हिला कर और पलकें बंद करते हुए अपनी सहमति दे दी..की करने दे, जो रश्मी करना चाहती है..उसके बाद रुची ने कुछ नही कहा और बस देखती रही की आख़िर रश्मी कहाँ तक जाती है..
रश्मी ने रुची के सिर के पीछे हाथ रखा और उसे अपनी तरफ खींच लिया और उसके होंठों को ज़ोर-2 से चूसने लगी..

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ये काम रश्मी हमेशा से करना चाहती थी...जब वो दोनो पक्की सहेलियाँ थी तब वो हमेशा ही रुची की सुंदरता की प्रशंसक रही थी...वो खुद उसे चूमना चाहती थी..उसके नंगे जिस्म से खेलना चाहती थी...पर ऐसा मौका ही नही मिला कभी...सिर्फ़ बातें होती थी दोनो के बीच सेक्स को लेकर...एक दूसरे के बाय्फ्रेंड को शेयर करने के बारे मे..पर जब तक बात आगे बड़ पाती, दोनो मे झगड़ा हो गया और बातचीत बंद हो गयी...ये तो अच्छा हुआ की आज वो ऐसी परिस्थिति मे आकर रुची के नंगे जिस्म से फिर से मज़े ले पा रही है..वरना ऐसा कुछ वो कर पाएगी, उसने सोचा भी नही था...और उपर से मोनू ने भी रश्मी को उकसा दिया था..इसलिए वो अपने भाई की मरजी की आड़ मे अपनी दबी हुई इच्छा को पूरा कर रही थी.
रश्मी तो रुची के नर्म होंठों को ऐसे चूस रही थी,जैसे आज का दिन उसकी जिंदगी का आख़िरी दिन है...उसके होंठ, गाल,आँखे,गर्दन...सभी को बुरी तरह से चूम और चाट रही थी...और फिर वो उसके मदमस्त स्तनों के उपर आकर रुक गयी...अपने दोनो हाथों में लेकर उनका वजन नापा और बोली : "काफ़ी बड़े हो गये है ये पहले से...लगता है भाई काफ़ी मेहनत करता है इनपर...''
यही बात कुछ देर पहले मोनू ने भी कही थी...और अब रश्मी भी कर रही थी...दोनो भाई-बहन के विचार कितने मिलते-जुलते थे...रुची ये सोच ही रही थी की रश्मी ने उसके मुम्मो पर फिर से हमला कर दिया..और उन्हे नींबू की तरह निचोड़कर उभरे हुए निप्पल्स को मुँह मे लेकर ज़ोर-2 से चूसने लगी..

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''अहह ......... धीईईईरए ..........रश्मी ................... तू तो मोनू से भी आगे निकल रही है............... अहह ....इतनी ज़ोर से तो वो भी नही चूसता ...............''
पर रश्मी ने उसकी एक ना सुनी और उसकी गोलाइयों के साथ नोच-खसोट करती रही....
रुची के हाथ उसकी पीठ पर थे...और जैसे ही रश्मी ने एक बार फिर से उसके निप्पल पर दाँत मारा, रुची जोर से चीख पड़ी और उत्तेजना मे भरकर उसके हाथ रश्मी की ब्रा स्ट्रेप पर ज़ोर से कस गये और उसने उन्हे अपनी तरफ खींच डाला...और उसकी ब्रा के पिछले हुक इस बेदर्द हमले को झेल नही पाए और वो टूटते चले गये..
पर रश्मी पर इसका कोई असर नही था...वो अपना काम करती रही..
रुची ने भी आवेश मे आकर उसके सूट की कमीज़ को पकड़कर उपर खींच दिया और गले से घुमा कर निकाल दिया..ब्रा तो पहले से ही टूट चुकी थी...इसलिए वो भी सूट के साथ-2 बाहर आ गयी...और अब रश्मी उपर से नंगी होकर रुची के मुम्मे चूस रही थी..
रुची का ध्यान अब मोनू की तरफ गया...वो देखना चाहती थी की अपनी बहन को ऐसे उपर से नंगा देखकर वो भला क्या करता है...रुची के हिसाब से तो आज ये भाई बहन पहली बार ही एक दूसरे को ऐसे नंगा देख रहे थे...उसे क्या पता था की पिछले कुछ दिनों से दोनो के बीच क्या-2 हुआ है और वो दोनो कहाँ तक निकल चुके हैं...भले ही उनके बीच चुदाई नही हुई, पर बाकी के सब काम वो अच्छी तरह से कर चुके थे..
रुची ने देखा की रश्मी को टॉपलेस देखकर मोनू के हाथ अपने लंड पर और तेज़ी से सरकने लगे और वो उन्हे ज़ोर-2 से मसलकर अपने लंड को खुश करने मे जुट गया..
रुची ने सोचा की जब इन दोनो भाई-बहन को कोई प्राब्लम नही है तो वो क्यो पीछे रहे...वैसे भी किसी लड़की ने आज पहली बार उसको इस तरह से उत्तेजित किया था..और अपने प्रेमी के सामने वो किसी से ऐसे मज़े ले, ये बात भी उसे अंदर से उत्तेजित कर रही थी..
उसने रश्मी का नाड़ा खींच कर उसकी सलवार भी निकाल दी...
मोनू की नज़रों के सामने पहली बार एक साथ 2-2 जवान लड़कियाँ नंगी थी...जो उसकी फॅंटेसी रही थी हमेशा से...वो उन दोनो को एक दूसरे से गुत्थम - गुत्था होकर चूमा चाटी करते देखकर बुरी तरह से उत्तेजित हो चुका था..वो चाहता तो अभी के अभी बीच मे कूद कर दोनो से अच्छी तरह के मज़े ले सकता था..पर पहले वो उन दोनो का लेस्बियन सेक्स देखना चाहता था
 
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रश्मी भी अपने दिल की दबी हुई इच्छाओं को पूरा करती जा रही थी...रुची के मुम्मे चूसने के बाद वो धीरे-2 नीचे बैठ गयी और उसकी चूत पर अपने नर्म होंठ रखकर उन्हे चूसने लगी..
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''अहह .... ओह रुची ......................... आई विल डाई ...... मत करो ऐसे .....''
रुची का वो वीक पॉइंट था...उसकी चूत को मोनू जब भी चूसता था तो रुची का बुरा हाल हो जाता था...और यही काम अब उसकी बहन उसके साथ कर रही थी..
रुची दीवार से जा कर सट गयी और आराम से अपनी चूत चटवाने का मज़ा लेने लगी..
उसका सिर इधर-उधर घूम रहा था...मज़ा ही ऐसा मिल रा था उसको की वो तो जैसे आसमान पर उड़ती जा रही थी..
रश्मी ने अपनी एक-2 करते हुए चारों उंगलियाँ उसकी चूत के अंदर उतार दी...और अंदर बाहर करती हुई,जीभ से चाट्ती भी रही .


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..ऐसा सुखद एहसास एक लड़की ही एक लड़की को दे सकती है...
रुची अपने होंठों को दांतो तले दबाकर मज़े ले रही थी..
वो झड़ने के करीब पहुँच गयी...पर रुची ये मज़े दूर तक लेना चाहती थी..
उसने रश्मी को उपर खींच लिया और उसके चूत के रस से भीगे होंठों को मुँह मे लेकर चूसने लगी...साथ ही वो उसके दोनो मुम्मो को भी दबा रही थी...ऐसा सीन देखकर मोनू का बुरा हाल हो रहा था..पर वो दोनो तो जैसे अब मोनू के बारे मे भूल ही चुकी थी...दोनो बस आपस मे मज़े लेकर ही एक दूसरे के अंदर समा चुके थे..
अब रुची की बारी थी....उसने रश्मी को घसीट कर साइड में बनी एक शेल्फ के उपर चड़ा दिया और उसकी टांगे फेला कर अपने होंठ वहाँ लगा दिए...
आज उसका भी ये पहला मौका था किसी की चूत चूसने का..पर वहाँ होंठ लगते ही उसे जब चूत के रस के स्वाद का एहसास हुआ तो उसके बाद वो रुकी ही नही...और अपनी जीभ निकाल कर अंदर तक चूसने लगी...चाटने लगी.

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रश्मी भी एक हाथ से अपने मुम्मे को और दूसरे से रुची के बालों को सहला कर आँखे बंद करके सिसकारियाँ मारने लगी..
''ओह ...रुची ...............माय डार्लिंग .................... उफफफफफफफफफफफफफफफफफफफ्फ़ ...... कहाँ थी इतने दिनों से ................... अहह .....सकक्क मी बेबी .................अंदर तक चूसो मुझे ............अहह ...बहुत मज़ा आ रहा है ....... बहुत अच्छा चूस रही हो तुम ...''
रश्मी के मुँह से अपनी कला की तारीफ सुनकर वो और भी बावली सी होकर अपनी सहेली को मज़ा देने लगी...
और फिर जल्द ही रश्मी की सिसकारियाँ चीखों मे बदलने लगी...क्योंकि वो झड़ने के करीब आ गयी थी...
रश्मी ने आख़िरी वक़्त मे रुची के सिर को पकड़कर उपर खींच लिया और उसके रस से भीगे होंठों को पकड़कर अपने मुँह मे दबोच लिया...
और रुची ने अपनी उंगलियों को अपने होंठों की जगह लगाकर रश्मी की चूत को मसलना जारी रखा..
और रुची के होंठों को चूस्टे हुए, उसकी उंगलियों को अपनी चूत पर महसूस करते हुए रश्मी बुरी तरह से झड़ने लगी..

उसकी चूत में से देसी घी निकलकर रुची की उंगलियों को भिगो गया..
और रश्मी निढाल सी होकर उस स्लेब से नीचे आ गयी...और सोफे पर धम्म से जाकर बैठ गयी...
पर उसे मालूम था की अब उसे रुची को भी ऐसा ही एहसास देकर झाड़ना होगा...उसने साथ बैठी रुची को पकड़कर उसकी चूत में अपनी 2-3 उंगलियाँ पेल दी और बिना किसी वॉर्निंग के अंदर बाहर करने लगी..
रुची भी सोफे पर लेट सी गयी....और उसने रश्मी के गले मे हाथ डालकर उसे अपनी तरफ खींच लिया...मोनू तो दूर बैठा उन्हे ऐसा करते हुए देख रहा था, ऐसा लग रहा था जैसे उन दोनो के बीच रेसलिंग हो रही है...
रश्मी ने रुची को घोड़ी बनाया और उसकी चूत को पीछे से चाटने लगी...साथ ही साथ वो अपनी जीभ से उसकी गांद के छेद को भी कुरेद रही थी...ये काम मोनू ने भी कई बार किया था उसके साथ..पर आज रश्मी के द्वारा ऐसा करना उसे उससे भी ज़्यादा पसंद आ रहा था..
और फिर वही हुआ, जिसके लिए इतनी मेहनत की जा रही थी...रुची एक बार फिर झड़ने लगी...अपनी सहेली के मुँह के अंदर ही उसने अपना सारा जूस निकाल दिया...
''अहह ........ ओह माय गॉड ................. रश्मी .................. यू आर अमेजिंग ............... आई एम लविंग इट ....''
और उसके मुँह के उपर अपनी गद्देदार गांड रगदकर उसने बचा खुचा रस उसके चेहरे पर मल दिया...
दोनो के चेहरे पर एक अजीब सी खुशी थी..
दोनो एक दूसरे को चूमने लगी..और चेहरे और होंठों पर लगे रस का पता भी नही चला की कहाँ चला गया...दोनो के चेहरे ऐसे चमक रहे थे जैसे किसी ब्यूटी पार्लर से होकर आई हो..
और उन दोनो के दमकते चेहरे देखकर मोनू के लंड का खून दुगनी तेज़ी से दौड़ने लगा ..
और दोनो सहेलियो ने भी आँखो -2 में इशारा करके एक दूसरे का ध्यान मोनू के हिनकते लंड की तरफ खींचा...
और फिर दोनो मुस्कुराती हुई सी मोनू की तरफ चल दी..ऐसे ही...नंगियाँ ...
मोनू समझ गया की अब वो पल आ गया है जिसका उसे कब से इंतजार था...यानी रश्मी की चुदाई का.
वो अपने लंड को मसल-2

कर रश्मी की लश्कारे मार रही चूत को देखे जा रहा था..वो फूल कर डबलरोटी जैसी हो गयी थी..और गोर से देखने पर पता चला की वो थिरक भी रही है...जैसे एक अलग से दिल धड़क रहा हो उसकी चूत के अंदर..
वो दोनो जैसे ही मोनू के बेड के पास पहुँची, मैन गेट की घंटी ज़ोर से बजने लगी
टिंग टोंग ......................... टिंग टोंग ................... टिंग टोंग
 
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