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Adultery Diwali ka Jua - 3 (Incest + Adultery)

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Update 6
वैसे ये उसकी हमेशा की आदत थी...जब भी वो उत्तेजित होती थी...यानी रात के समय या फिर फ़िन्गरिंग करते समय...वो अपने खड़े हुए निप्पल्स की खुजली को मिटाने के लिए उन्हे ज़ोर-2 से उमेठ देती थी...ऐसा करने में उसकी खुजली भी मिट जाती थी और उसे अंदर तक एक राहत भी मिलती थी..
पर आज वो भले ही उत्तेजित नही थी..पर उसके निप्पल्स मे हो रही खुजली ठीक वैसी ही थी जैसी रात के समय हुआ करती थी....और इस टेंशन वाली खुजली को भी उसने अपनी उंगलियों के बीच दबोच कर मिटा दिया...
भले ही ये सब करते हुए उसका खुद पर नियंत्रण नही था..पर उसकी इस हरकत को देखकर सामने बैठे दोनो ठरकियों के लौड़े कबूतर की तरह फड़फड़ाने लगे..

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अभी कुछ देर पहले ही मूँगफली की प्लेट नीचे रखते हुए जिस अदा के साथ रश्मी ने उन दोनो को देखा था और स्माइल किया था...अब उसे फिर से खुले आम अपने निप्पल को मसलते देखकर उन्हे पूरा विश्वास हो गया की वो उन्हे लाइन दे रही है...एक तो पहले से वो बिन ब्रा के और ऊपर से ऐसी रंडियों वाली हरकतें...उन्होने मन ही मन ये सोच लिया की एक बार वो भी अपनी तरफ से ट्राइ करके रहेंगे...शायद उनका अंदाज़ा सही हो और रश्मी जैसा माल उन्हे मिल जाए
मोनू इन सब बातो से अंजान अपने गेम को खेलने मे लगा था...उसका एक मन तो हुआ की वो एक और ब्लाइंड चल दे...पर कही कुछ गड़बड़ हो गयी तो सारे पैसे एक ही बार मे जाएँगे..
ये सोचते हुए उसने अपने पत्ते उठा लिए..
और अपने पत्ते देखकर एक पल के लिए तो उसके माथे पर भी परेशानी का पसीना उभर आया..
उसके पास 3 का पेयर आया था.
अब देखा जाए तो वो जीत ही रहा था रिशू से...लेकिन उसे तो ये बात पता नही थी ना..
पत्ते भले ही मोनू के पास चाल चलने लायक थे..पर वो और चाल चलकर खेल को आगे नही बढ़ाना चाहता था...क्योंकि सामने से रिशू 2 चालें चल ही चुका था...यानी उसके पास भी ढंग के पत्ते आए होंगे...मोनू को चिंता सताने लगी की कहीं वो ये बाजी हार ना जाए...या फिर हारने से पहले वो पेक कर दे तो कम से कम शो करवाने के 2000 और बच जाएँगे...
वो कशमकश मे पड़ गया..
फिर उसने एक निश्चय किया....रश्मी को उसने वो पत्ते दिखाए...और धीरे से पूछा.. : "दीदी...आप बोलो...शो माँग लू या पेक कर दू ...''
अब रश्मी इतनी समझदार तो थी नही जो इस खेल को इतनी अंदर तक समझ पाती...पर उसने जब देखा की उनके पास 3 का पेयर है...और मोनू ने यही सिखाया था की पेयर ज़्यादातर गेम्स जीता कर ही जाते हैं...उसने हाँ में सिर हिलाकर शो माँगने को कहा ...और मोनू ने उसके बाद बिना कुछ सोचे समझे 2000 बीच मे फेंकते हुए शो माँग लिया...
अब ये गेम अगर वो हार जाते तो अभी तक के सारे जीते हुए पैसे एक ही बार मे चले जाने थे...पर ऐसा होना नही था..क्योंकि रिशू ने जैसे ही अपने पत्ते उन्हे दिखाए...मोनू ने बड़े ही जोशीले तरीके से 2 के पेयर 3 का पेयर फेंकते हुए सारे पैसे अपनी तरफ करने शुरू कर दिए..
और इतने सारे पैसे एक बार फिर से अपनी तरफ आते देखकर रश्मी तो झल्ली हो गयी...और उसने खुशी के मारे उछलते हुए अपने भाई को गले से लगा लिया....
उसके दोनो मुम्मे बुरी तरह से बेचारे मोनू के चेहरे से रगड़ खाते हुए पिस गये...
और उसकी ये हरकत देखकर रिशू और राजू मोनू की किस्मत को फटी हुई आँखो से देख रहे थे...
वो बड़े ही जोशीले तरीके से मोनू के चेहरे को दबोच कर चिल्लाती जा रही थी : "हम जीत गये....याहूऊऊऊओ....हम जीत गये....''
मोनू ने बड़ी ही मुश्किल से अपने आप को उसके नर्म मुलायम मुम्मे के हमले से छुड़वाया ...वो ऐसा करना तो नही चाहता था पर अपने दोस्तों को ऐसे मुँह फाड़कर उसे और अपनी बहन को हग करता देखकर वो खुद को छुड़वाने पर मजबूर हो गया.
अब मोनू लगभग 20-25 हज़ार जीत चुका था...
रश्मी ने सारे नोटो को सलीके से एक के उपर एक रखकर गड्डी बनानी शुरू कर दी...और एक मोटी सी गड्डी बनाकर उसे अपने कुल्हों के नीचे दबा कर बैठ गयी..
उफफफ्फ़....काश...हम नोट होते...बस यही सोचते रह गये रिशू और राजू.
आज काफ़ी पैसे हार चुके थे वो दोनो...और उन दोनो की जेबें लगभग खाली हो चुकी थी.
रिशू : "मोनू भाई....आज के लिए यहीं ख़त्म करते हैं....अगर गेम लंबी चली गयी तो ज़्यादा चाल चलने के पैसे नही है आज....कल आएँगे हम...वैसे भी कल छोटी दीवाली है...और परसो दीवाली....अब तो उसके हिसाब से ही आएँगे...बस इन दो दिनों का ही खेल रह गया है अब तो...उसके बाद तो फिर से अपने धंधे पानी की तरफ देखना पड़ेगा...''
राजू : "हाँ भाई....आज के लिए तो मैं भी चलूँगा...आज काफ़ी माल हार गया...पर कोई गम नही इसका...इसी बहाने रश्मी तो खुश हुई ना...''
वो जैसे रश्मी को मक्खन लगाने के लिए ये सब कह रहा था.
रश्मी भी उसकी बात सुनकर मुस्कुरा उठी...वैसे भी राजू उसको शुरू से ही आकर्षक लगता था...उसकी डील डोल सबसे अलग थी...और शायद ये सोचकर की उसका लंड भी ऐसा होगा...वो अंदर से सिहर उठी.
जाते-2 रिशू एकदम से पलटा और बोला : "मोनू...अगर तू कहे तो कल हम लाला को भी लेते आए....उसका फोन आया था आज सुबह और बोल रहा था खेलने के लिए...मैने तो बोल दिया की आजकल हम मोनू के घर बैठते है...पर वो अगर कहेगा तभी आने के लिए कहूँगा ..''
मोनू कुछ देर के लिए सोच मे पड़ गया..
लाला उनका पुराना साथी था...और एक नंबर का हरामी भी...लड़कियों को चोदने और उनके बारे मे बात करना, बस यही काम था उसका...एक-दो बार मोनू ने उसके मुँह से रश्मी के बारे में सुन लिया था, कहासुनी भी हुई थी दोनों में, तबसे वो उसके साथ दूरी बनाकर रखता था...और ये बात सभी को मालूम थी..
पर जुआ खेलने मे वो एक नंबर का अनाड़ी था..चाल कब और कैसे चलनी है, इसका उसे अंदाज़ा नही था...उसे बस उपर के खेल की जानकारी थी..जैसी जानकारी रश्मी को थी..ठीक वैसी ही...
पर वो खुलकर पैसे लगाता था अपनी हर गेम में ...और आज जिस तरह से मोनू के हाथ जुआ जीतने का मंत्र हाथ लगा था, उसके बाद तो ऐसे ही जुआरियों के साथ जुआ खेलने का मज़ा आता है
उसने हां दी...
उनके जाने के बाद रश्मी ने पूछा : "ये लाला कौन है...?''
मोनू : "वो कल ही देख लेना...इनकी तरह ही एक दोस्त है वो भी...पर ज़्यादा खेलना नही आता उसको..''
रश्मी : "पर आज मज़ा बहुत आया मोनू...इतने पैसे जीत गये हम....ये देखो...''
उसने अपनी गांड के नीचे से नोटो की गड्डी निकाल कर दिखाई...जो अच्छी तरह से दबने के बाद सीधे हो चुके थे..मोनू भी उन नोटो की गर्मी से ये अंदाज़ा लगाने की कोशिश कर रहा था की ये असल मे कौनसी गर्मी है...उसकी बहन की गांड की या हरे-2 नोटों की..
सारे पैसे मोनू ने रश्मी को रखने के लिए दे दिए...वो पलटकर जैसे ही उपर अपने कमरे मे जाने लगी , मोनू एकदम से बोला : "मूँगफली...''
और वो शब्द सुनकर रश्मी को एकदम से वो बात याद आ गयी जो किचन मे उसने मोनू से बोली थी...की रात को वो अपनी मूँगफली खिलाएगी उसको..और वो याद करते ही उसकी दोनो मूंगफलियां यानि निप्पल्स टाइट हो गयी...वो गहरी साँसे लेने लगी...और उसका दिल ज़ोर-2 से धड़कने लगा..
अगर इस वक़्त मोनू उसको पीछे से पकड़कर उसकी दोनो चुचियाँ ज़ोर से दबा देता तो वो वहीं के वहीं पिघल जाती...लिपट जाती उसके साथ...नोच फेंकती अपने और उसके कपड़े...और खिला देती अपने भाई को अपनी मूँगफलियाँ..
उसने हकलाते हुए कहा : "क....क्या कहा.....तुमने....''
मोनू : "ये मूँगफलियाँ तो अंदर रख दो दीदी...बाहर पड़ी हुई सील जाएँगी....इनका करारापन चला जाएगा...''
उसने प्लेट मे रखी मूँगफलियों की तरफ इशारा किया.
रश्मी : "ओह्ह्ह .......मैं समझी......उम्म्म्मम..... ओक ...रख देती हू....''
और इतना कहकर उसने जल्दी से वो प्लेट उठाई और भागकर किचन मे चली गयी...फिर वो बाहर निकल कर जैसे ही अपने कमरे मे जाने लगी...पीछे से मोनू ने धीरे से कहा : "और दीदी....उन मूँगफलियों का क्या...जो मुझे खिलाने वाली थी आज आप ....''
एक बार फिर से सुलग उठी रश्मी, अपने भाई की ये बात सुनकर...
उसने धीरे से पीछे देखा और बोली : "फ़िक्र मत करो...उनका करारापन नही जाएगा....''
मोनू : "जब तक चेक ना कर लू...मुझे विश्वास नही होगा...''
रश्मी : "बदमाश.....तो तू नही मानेगा....''
रश्मी तो खुद यही चाह रही थी की आज वो ना ही माने...
मोनू ने ना मे सिर हिला दिया...ऐसा मौका भला वो क्यो छोड़ता ...
रश्मी : "अभी माँ को चेक करके आती हूँ ...सोना मत....ह्म्म्म्म...''
और वो अपनी बड़ी सी गांड मटकाती हुई उपर चली गयी....और मोनू खुशी-2 अपने कमरे की तरफ...
अपने कमरे मे जाते ही मोनू ने अपने सारे कपड़े उतार फेंके..और अगल-बगल डियो लगा लिया...और फिर सिर्फ़ एक निक्कर और टी शर्ट पहन कर अपने बेड पर लेट गया..वो और उसका लंड बड़ी ही बेसब्री से रश्मी का इंतजार करने लगे...रात के 12 बजने वाले थे...उसकी आँखो मे नींद भरी हुई थी..पर वो सोना नही चाहता था...बस अपनी आँखो को बंद करके वो रश्मी के आने के बाद क्या-2 करेगा यही सोचने लगा...और ये सोचते -2 कब उसकी आँख लग गयी, उसे भी पता नही चला.
''मोनू.....मोनू....सो गये क्या....''
दूर से आती आवाज़ सुनकर मोनू की नींद खुल गयी....वो तो सपनों की दुनिया मे था...ठंडी बर्फ मे...पूरा नंगा...और रश्मी के पीछे भाग रहा था...उसके बचे खुचे कपड़े उतारने के लिए...और वो भागे जा रही थी...भागे जा रही थी...
''मोनू....उठो.....मैं आ गयी...''
रश्मी की आवाज़ सुनते ही वो एकदम से अपने सपने की दुनिया से बाहर निकला...वो उसकी बगल मे ही बैठी थी...और उसका हाथ मोनू के माथे पर आए पसीने को पोंछ रहा था.
रश्मी : "क्या हुआ....कोई सपना देख रहे थे क्या......बोलो ...''
मोनू ने हाँ में सिर हिलाया.
रश्मी : "बताओ....क्या देख रहे थे...''
वो शायद जानती थी की वो उसके बारे मे ही सोच रहा था सपने मे...पर फिर भी उसके मुँह से सुनना चाहती थी.
मोनू : "वो मैने बता दिया तो आप शरमा जाएँगी...बहुत कुछ हो रहा था सपने में तो...''
और मोनू की ये बात सुनकर वो सच मे शरमा गयी..
मोनू की नज़रें उसके चेरहरे से होती हुई नीचे तक आई....उसकी क्लिवेज उफन कर बाहर आ रही थी...इतना गहरा गला तो उसने आज तक नही देखा था अपनी बहन का...ऐसा लग रहा था जैसे उसने जान बूझकर अपने मुम्मे बाहर की तरफ निकाले हैं, ताकि मोनू उन्हे देख सके.
रश्मी ने उसकी नज़रों का पीछा किया और बोली : "एक नंबर के बदमाश हो तुम....मैने तो पहले सोचा भी नही था की तुम ऐसे होगे...पर पिछले 2-3 दिनों से जो भी तुम्हारे बारे मे पता चल रहा है,उसके हिसाब से तो तुम बड़ी पहुँची हुई चीज़ हो...''
मोनू ने अपना हाथ आगे करते हुए रश्मी की कमर को लपेटा और उसे अपनी तरफ करते हुए खींच लिया...वो आगे की तरफ होती हुई उसकी छाती पर गिर गयी...और अब रश्मी का चेहरा सिर्फ़ 2-3 इंच की दूरी पर ही था...दोनों की साँसे टकरा रही थी आपस मे..रश्मी के दोनो मुम्मे उसके उपर गिरकर पिचक चुके थे...और रश्मी की पीठ पीछे मोनू का लंड अपना पूरा रूप ले चुका था.
मोनू के हाथ धीरे-2 रश्मी की टी शर्ट के अंदर घुसने लगे..उसकी कमर के कटाव से होकर जैसे ही मोनू का हाथ अंदर दाखिल हुआ...रश्मी एकदम से बोली : "ये....क्या कर रहे हो मोनू....मुझे शर्म आ रही है...''
उसकी आँखो मे गुलाबी लकीरें उतर आई...हल्का पानी भी आने लगा...
मोनू : "दीदी...आपने ही तो कहा था की मूंगफलियां खिलाएँगी...अब हमने इतनी गेम्स जीती हैं...उनके बदले सिर्फ़ यही एक चीज़ तो माँग रहा हू...''
 
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रश्मी ने सिसक कर उसकी आँखों मे देखा...जैसे कहना चाहती हो की 'यही से तो शुरुवात होगी बाकी के खेल की...इसके बाद तो रुक नही पाऊँगी ..'
पर वो कुछ बोल ना सकी...
और मोनू के हाथ धीरे-2 सरकते हुए अंदर जाने लगे...और जैसे ही उसकी बीच वाली उंगली ने रश्मी के स्तन का निचला भाग छुआ, दोनो के शरीर सिहर उठे...रश्मी ने अपने होंठ अपने दांतो तले दबा लिए..ताकि उसकी सिसकी ना निकल जाए...और मोनू के मुँह से जो साँसे निकल रही थी उससे रश्मी के बाल पीछे की तरफ उड़ते चले जा रहे थे..
मोनू ने अपनी उंगलियों को रश्मी के पर्वतों के उपर चढ़ाना शुरू कर दिया...टी शर्ट काफ़ी ढीली थी..इसलिए उसके हाथ आराम से उसके मुममे की चिकनी दीवारों से होते हुए मैन पॉइंट तक पहुँच गये...और मोनू ने धड़कते दिल से अपने अंगूठे और बीच वाली उंगली के बीच उसकी मूँगफली को लेकर ज़ोर से दबा दिया..
''अहह ....... मोनू ................... धीरेएsssssssssssssssssss ...............''
उसके बाद तो मोनू से सब्र ही नही हुआ...उसने रश्मी के मुम्मे को अपनी पूरी हथेली मे भरा और ज़ोर-2 से दबाने लगा...ऐसा नर्म एहसास तो उसने आज तक नही लिया था...और उसके निप्पल्स यानी मूँगफलियाँ तो सच मे बड़ी ही करारी थी...उन्हे वो जितना ज़ोर से दबाता

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वो और भी ज़्यादा उभरकर बाहर निकल आती...और निप्पल के चारों तरफ के घेरे मे छोटे-2 दाने जो थे..उन्हे भी मोनू अपनी उंगलियों से रगड़ रहा था..
मोनू ने रश्मी को पीछे की तरफ करते हुए फिर से सीधा बिठा दिया...और अब उसकी निकली हुई छातियों को वो टी शर्ट के उपर से ही दबाने लगा...
दोनो हाथों से दोनो बॉल्स को मसल रहा था वो...रश्मी तो पागल सी हुई जा रही थी...किसी मर्द का पहला स्पर्श जो था उसके जिस्म पर इस तरह से...उसने जो भी आज तक सोचा हुआ था, वो सब महसूस कर रही थी अपने शरीर पर...
मोनू ने अपनी उंगलियाँ सीधा लेजाकर उसके निप्पल्स पर रख दी...
रश्मी ने एक गहरी साँस ली...और उसकी दोनो छातियाँ थोड़ी और बाहर निकल आई.
मोनू ने आदेश सा दिया : "उतारो अपनी टी शर्ट..''
रश्मी का सीना उपर नीचे होने लगा ये सुनकर...पर ना जाने क्या जादू था मोनू की आवाज़ में ...उसके दोनो हाथों ने टी शर्ट के निचले हिस्से को पकड़ा और धीरे-2 उपर सरकाना शुरू कर दिया..
ज़ीरो वॉट का हल्का बल्ब जल रहा था ठीक मोनू के सिर के पीछे...और हल्की मिल्की रोशनी रश्मी के शरीर पर पड़ रही थी...जो धीरे-2 नंगा हो रहा था.
उसका सपाट पेट जैसे ही ख़त्म हुआ, उसके उभारों ने उजागर होना शुरू कर दिया...और धीरे-2 करते हुए एक के बाद एक दोनो पक्क की आवाज़ करते हुए उछलकर बाहर निकल आए...और रश्मी ने उस टी शर्ट को सिर से घुमा कर बाहर निकाल दिया.और अब वो बैठी थी अपने छोटे भाई मोनू के सामने टॉपलेस होकर...अपनी गोल-मटोल छातियाँ लेकर...मोनू ने अपने हाथ ऊपर किये और उन्हें दबाने लगा
मोनू उसकी सुंदरता को बड़ी देर तक निहारता रहा ...और फिर उसने एक और आदेश दिया अपनी बड़ी बहन को..
''खिलाओ...मुझे अब ये मूँगफलियाँ...''
उसका इशारा लाल रंग के निप्पल्स तरफ था, जो भुनी हुई मूंगफली जैसा लग रहा था
रश्मी धीरे से आगे खिसकी...अपनी एक ब्रेस्ट को अपने हाथों मे पकड़ा और मोनू के चेहरे के उपर झुक कर अपने निप्पल से उसके होंठों पर दस्तक दी...
पर वो अपना मुँह बंद किए लेटा रहा...
रश्मी ने अपने पैने निप्पल से उसके होंठों को रगड़ना शुरू कर दिया...पर वो तो जैसे भाव खा रहा था...मज़ा भी उसको लेना था और भाव भी खुद ही खाने लगा..
पर इतना कुछ होने के बाद अब रश्मी पूरी तरह से गर्म हो चुकी थी...अब कोई फ़र्क नही पड़ता था की वो पहल करे या मोनू...बस दोनो किसी भी तरह से पूरा मज़ा लेना चाहते थे...
मोनू ने जब अपना मुँह नही खोला तो रश्मी ने दूसरी ब्रेस्ट को पकड़ा और उसके निप्पल से मोनू के होंठों को रगड़ा...और इस बार उसने थोड़ा ज़ोर लगाया तो उसका खड़ा हुआ निप्पल उसके होंठों की दीवार भेदता हुआ अंदर दाखिल हो गया...पर उसने अपने दाँत आपस मे भींच रखे थे
रश्मी ने सिसक कर कहा : "खोलो अब....वरना ये मूँगफलियाँ सील जाएँगी...इनका करारापन चला जाएगा...''
मोनू अपनी बहन की बात एक ही बार मे मान गया...और जैसे ही उसने अपना मुँह खोला, रश्मी ने पूरा भार उसके उपर डालते हुए अपना पूरा का पूरा मुम्मा उसके मुँह में ठूस दिया....मूँगफली के साथ-2 प्लेट भी अंदर घुसेड दी...मोनू का मुँह काफ़ी बड़ा था...उसने बड़ी ही कुशलता से उसके पूरे मुम्मे को अपने मुँह मे एडजस्ट किया और उसे ज़ोर-2 से चूसना शुरू कर दिया..जैसे कोई दूध पीता है

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और अपने भाई के दूध निकालने की इस कला से वो निहाल सी होकर सिसकारियाँ मारने लगी..
''आआययययययययययययययीीईईईईईईईईईई .,........ उम्म्म्ममममममम....... काटो भी इन्हे...... दर्द सा होता है इनमें .......''
रश्मी ने डॉक्टर मोनू को अपनी परेशानी बताई, और वो उसका इलाज करने में जुट गया

मोनू उन्हे अपने दांतो से चुभलाने भी लगा...जीभ से उसे सहलाता और दाँत से काटकर निशान बना देता...एक-2 करके उसने दोनो मुम्मो को बुरी तरह से चूस्कर लाल कर दिया...
जगह -2 उसके दांतो के निशान चमकने लगे...रश्मी ने कुछ देर के लिए उन्हे मोनू के हमले से बचाया और बाहर निकाल लिया...और फिर अपने गीले होंठों के साथ मोनू पर हमला कर दिया..
जैसे ही मोनू ने रश्मी के होंठों को टच किया...उसका मीठापन किसी शरबत की तरह मोनू के गले से नीचे उतरता चला गया...और दोनो भूखे जानवरों की तरह एक दूसरे को ज़ोर-2 से स्मूच करने लगे..

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मोनू तो अक्सर ये सब कर ही लिया करता था...पर आज रश्मी का पहला अवसर था...अपने स्तन और होंठ चुसवाने का....इसलिए वो खुद ही लालायित सी होकर ये काम करवा रही थी और मज़े भी ले रही थी...वो जानती तो थी की इस काम मे मज़ा आता होगा..पर इतना आता है, ये आज उसे अपने मुम्मे और होंठ चुसवाने के बाद ही पता चला...एक अलग ही दुनिया मे पहुँच गयी थी वो...दुनिया की कोई भी फीलिंग इनसे बढ़कर नही हो सकती थी...ऐसा एहसास मिल रहा था उसे आज अपने शरीर से...असली मज़ा तो अब मिला उसको...अपने जवान शरीर का...काश ये सब उसने पहले ही कर लिया होता...
स्मूच करते-2 रश्मी का हाथ मोनू के लंड की तरफ बढ़ने लगा...उसने पहले भी अपने भाई के लंड को उपर-2 से महसूस किया था किचन में .पर अब उसको नंगा करके पकड़ना चाहती थी...उसने मोनू की निक्कर के उपर से ही उसके खड़े हुए लंड को अपने हाथ मे पकड़कर ज़ोर से दबा लिया..
मोनू का मुँह खुल सा गया...और दोनो की किस्स भी टूट गयी..
रश्मी तो अब खूंखार सी हो उठी थी...वो मोनू की आँखो मे देखते-2 नीचे की तरफ खिसकने लगी...और ठीक उसके लंड के उपर जाकर उसने अपना चेहरा रोक लिया.
रश्मी : "बहुत खा ली तुमने मेरी मूँगफलियाँ....अब मेरी बारी है...तुम्हारा केला खाने की...''
और फिर रश्मी ने उसकी निक्कर को दोनो तरफ से पकड़कर नीचे खींच दिया..और मोनू का लंड एक ही झटके में लहराकर उसकी आँखो के सामने नाचने लगा.
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उसने जब मोनू और रुची को दो दिन पहले वो सब करते देखा था, तब तो काफ़ी दूर थी वो..पर अब इतने करीब से वो उसके लंड को देखकर घबरा रही थी..की अगर इसे अपनी चूत में लेना पड़ गया तो कैसे लेगी...कहाँ उसकी चूत का 2 इंच का छेद और कहाँ ये आठ इंच लंबा लौड़ा...
रश्मी को ऐसे घहबराई हुई नज़रों से अपने लंड को निहारते देखकर मोनू समझ गया की वो क्या सोच रही होगी....उसने अपने लंड को पकड़कर उसके होंठों पर लगाया और बोला : "अब ज़्यादा मत सोचो दीदी....लो...चूसो इसको...आइस्क्रीम की तरह...शाबाश..''
रश्मी ने अपनी आँखे बंद कर ली और एक हि झटके में उसके लंड को अपने मुँह मे डाल लिया...और धीरे-2 अपने मुँह को उपर नीचे करने लगी..
मोनू : "
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शाबाश दीदी..........ऐसे ही ......अहहह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह...... उम्म्म्ममममममम ..... कितना मज़ा आ रहा है ..................आहह ........ चूसो इसको ................. उम्म्म्मममममममममम ....ज़ोर से ......................''
थोड़ी ही देर मे रश्मी उसके लंड को ऐसे चूस रही थी जैसे बरसों से यही काम करती आ रही हो वो...
वैसे कुछ लड़कियों में ये गुण शुरू से ही होता है...और ऐसी लड़कियाँ ही अपने पार्टनर को खुश रख पाती है..
मोनू के लॅंड को रश्मी पूरा का पूरा चूस रही थी....कभी उसको बाहर निकाल कर कुल्फी की तरह सिर्फ़ जीभ से चूसती ...और कभी उसकी बॉल्स को भी मुँह मे भरकर निगल जाती...और उसका रस रसगुल्ले की तरह निकालती...उसने तो सोचा भी नही था की लंड चूसने में इतना मज़ा मिलता है...मोनू ने लाख कोशिश की पर वो उसके लंड को छोड़ने का नाम ही नही ले रही थी...आख़िर उसके मुँह ताज़ा-2 खून जो लगा था...
और फिर वही हुआ, जिसका मोनू को डर था...उसके लंड से भरभराकर रस की पिचकारियाँ बाहर निकलने लगी...और गाड़े रस ने रश्मी के मुँह, होंठ और चेहरे को पूरी तरह से अपने रंग में रंगकर भिगो दिया..
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और अपने मुँह में जैसे ही रश्मी को थोड़ा बहुत स्वाद का एहसास हुआ, उसने अजीब सा मुँह बनाया...और फिर अगले ही पल बिल्ली की तरह अपनी जीभ से सारा का सारा रस चाटने लगी...लंड के आस पास गिरा रस ...और फिर मोनू के लंड से अपने चेहरे को रगड़ा और उसपर लगे रस को फिर से लंड चूस्कर निगल गयी..
रश्मी : "वाव .......सब कुछ कितना टेस्टी है यहाँ का.....मैं तो फैन हो गयी रे तेरे इस केले की और इसके जूस की. ...... म्*म्म्मममम ''
अब मोनू अपने बेड से उठ खड़ा हुआ...
और उसने खड़े होकर सबसे पहले तो अपने कपड़े उतार कर नीचे फेंके..और पूरा नंगा हो गया...और फिर उसने बड़े ही प्यार से रश्मी का पायजामा भी नीचे खिसकाया..और उसे भी अपनी तरह नंगा कर दिया..
रश्मी की आँखे बंद थी...आख़िर पहली बार पूरी तरह से नंगी हो रही थी वो किसी के सामने...
रश्मी की चूत बिल्कुल चिकनी थी...शायद वो पहले से ही तैयार होकर आई थी...चिकनी चूत से हल्का पानी निकल कर बाहर रिस रहा था...
मोनू ने नीचे बैठे-2 ही उसकी एक टाँग को अपने कंधे पर रखा और अपना मुँह सीधा उसकी चूत पर लगा दिया.
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रश्मी ने उसके बाल पकड़े और ज़ोर से चीख उठी ....
''अहहsssssssssssssssss...... ओह माय गॉड ....ओह माय गॉड ....ओह माय गॉड''
उसने तो सोचा भी नही था की नर्म चूत पर गर्म होंठ का संगम ऐसा एहसास देगा उसे.....
वो अपने आप को संभाल नही पाई और वो बेड की तरफ झुकती चली गयी और उसपर गिरकर चादर की तरह बिछ गयी...
मोनू ने उसके दोनो पैरों को फेलाया और अपना मुँह अंदर डाल कर ज़ोर-2 से उसकी चूत को चूसने लगा...

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रश्मी की तो आँखे चढ़ गयी....ऐसा सुखद एहसास तो उसे फिंगरिंग करने के बाद भी नही मिलता था...
वो पहले से ही उत्तेजित थी...इसलिए ज़्यादा टाइम नही लगा उसे झड़ने मे....और वो हिचकियाँ लेती हुई मोनू के मुँह के अंदर ही झड़ने लगी...

''अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह। ................... उम्म्म्म्म्म्म्म्म्म्म्म्म्म्म क्या मजा है अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह , चूस इसको , यहाँ से , अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह येस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स आई एम कमिंगsssssssssssss ''
और मोनू तो पुराना खिलाड़ी था इस खेल का...उसने एक भी बूँद बाहर नही निकालने दी...अपना मुँह उसकी चूत से तब तक नही हटाया जब तक वो पूरी तरह से शांत नही हो गयी..
उसके बाद मोनू भी उसकी बगल मे आकर लेट गया...और दोनो एक दूसरे के होंठों को चूस्कर अपना-2 रस खुद ही चखने लगे..
2 बज चुके थे ये सब करते-2 ....मोनू का लंड अपनी आख़िरी लड़ाई के लिए तैयार हो चुका था...
उसने धीरे-2 अपने शरीर को रश्मी से रगड़ना शुरू कर दिया....
रश्मी भी समझ गयी की अब वो क्या चाहता है....पर उसके अंदर हिम्मत नही बची थी कुछ भी करने की अभी...और वो डर भी था की इतना बड़ा कैसे अंदर जायेगा
एक तो काफ़ी रात हो चुकी थी...दूसरा उसे सुबह स्कूल भी जाना था...छोटी दीवाली पर स्कूल मे सभी को गिफ्ट लेने के लिए बुलाया गया था...
रश्मी : "मोनू.....आज के लिए इतना ही...बाकी कल करेंगे....स्कूल भी जाना है...''
मोनू ने भी कोई ज़बरदस्ती नही की....रश्मी ने उसको एक किस्स किया और अपने कपड़े पहन कर वो माँ के पास सोने के लिए चली गयी..
और मोनू ऐसे ही नंगा सो गया...अगले दिन होने वाले जुए के बारे मे सोचते हुए और उसके बाद होने वाली चुदाई के बारे मे सोचते हुए...
अगले दिन रश्मी की नींद खुल ही नही रही थी...उसने अलार्म ना लगाया होता तो उसे पता ही नही चलता की सुबह के 7 बज चुके हैं..मन तो नहीं था,पर स्कूल जाना भी ज़रूरी था...वो जल्दी से उठी..नहा धोकर तैयार हो गयी और अपने लिए चाय रख दी.. उसकी माँ अभी तक सो रही थी.. चाय का कप हाथ मे लेकर वो मोनू के कमरे में गयी...और वहाँ का हाल देखकर उसे एहसास हुआ की रात को उन दोनो ने वहाँ क्या धमाल मचाया था..
मोनू के बेड की चादर निकल कर नीचे गिरी हुई थी..उसके कपड़े चारों तरफ बिखरे पड़े थे...पिल्लो भी गिरे पड़े थे इधर उधर...और वो अपने पैर फेला कर गहरी नींद में सो रहा था...वो पूरा नंगा था..और उसके मैन पार्ट के उपर तकिया पड़ा था...शायद वो रात को उसको अपनी टाँगो के बीच दबोच कर ही सोया था..
रश्मी धीरे-2 आगे आई और उसने पिल्लो को उठा कर साइड में कर दिया...और अब मोनू उसकी नज़रों के सामने पूरा नंगा था...भले ही इस वक़्त उसका सिपाही सोया हुआ था पर फिर भी वो बड़ा ही टेम्पटिंग सा लग रहा था..इतना टेम्पटिंग की रश्मी के मुँह में पानी आ गया..उसने घड़ी देखी, अभी दस मिनट थे उसके पास...उसने सोचा की चाय तो रोज पीते हैं, आज फ्रेश जूस पीया जाए..और उसने चाय का कप टेबल पर रख दिया और दरवाजा बंद करके उसके बेड के पास आ गयी..
शेर चाहे सो रहा हो पर होता वो भी ख़तरनाक है..इसलिए रश्मी को उसे हाथ लगाने मे डर भी लग रहा था...पर जैसे ही उसके ठंडे हाथ गर्म लंड को छुए , उसके नर्म एहसास हो महसूस करके रश्मी रोमांच से भर उठी...पिछले 2-3 दिनों से जो भी वो देख और कर रही थी, सबमे उसे मज़ा मिला था...और अब ये सुबह की रोशनी मे नहाया हुआ मोनू का लंड , वो तो सबसे अलग ही था...वो धीरे से उसके उपर झुकी और पहले अपनी गर्म सांसो से और फिर गर्म जीभ से उसे गुड मॉर्निंग कहा.
मोनू को अभी तक मालूम नही था की उसके साथ हो क्या रहा है...वो रात को 4 बजे तक जागता रहा था..रश्मी के बारे मे सोच सोचकर..अब जब तक उसके साथ कुछ ज़ोर ज़बरदस्ती ना हो, तब तक उसकी नींद नही खुलने वाली थी..
कल रात को तो उसका लंड पूरा खड़ा हुआ था, पर इस वक़्त रश्मी के टच से वो नींद से जागने लगा..तभी कहते हैं, लंड का अपना अलग दिमाग़ होता है...उसका मालिक भले ही सो रहा था पर मोनू का लंड अपने आप को मिल रहे स्पेशल ट्रीटमेंट से काफ़ी खुश था.और कुछ ही देर में वो खेत की सरसों की तरह लहराने लगा..
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रश्मी ने अपने लिप्स पर पिंक ग्लॉस लगाया हुआ था...जिसे उसने धीरे-2 मोनू के लंड पर मल दिया...वो तेज़ी से उसके लंड को चूस रही थी..कल रात के जायके को वो भूली नही थी अभी तक...इसलिए उसके जूस निकलने का बेसब्री से वेट कर रही थी...
और उसने जिस तरह से तेज झटके मारकर मोनू के लंड को झटके दिए, उसे नींद से जागने के लिए उतने झटके काफ़ी थे...और वैसे भी , नींद में ही सही, उसे ये एहसास हो रहा था की उसका बस निकलने ही वाला है...और जैसे ही वो घड़ी आई...उसके लंड की टंकी और उसकी आँखे एक साथ खुल गयी
लंड की टंकी से भरभराकर गाड़ा पानी रश्मी के मुँह में जाने लगा.
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.और वो अपनी अधखुली आँखो से अपनी टाँगो के बीच लेटी हुई रश्मी को देखकर हैरान और परेशान हुए जा रहा था..

पर जब तक वो कुछ बोल पाता वो बिल्ली उसकी सारी मलाई चट कर चुकी थी...और फिर बड़े ही सेक्सी तरीके से उसकी आँखो मे देखते हुए उसने अपने होंठों पर जमे रस को चाटते हुए कहा : "गुड मॉर्निंग भाई ...''
और मोनू उसको पकड़कर कुछ और कर पाता , वो खिलखिलाती हुई सी कमरे से बाहर निकल गयी...उसके स्कूल का टाइम हो गया था.
फिर 5 मिनट के बाद वो अपना बेग वगेरह लेकर घर से बाहर निकल गयी..
मोनू अभी तक अपने बेड पर नंगा लेटा हुआ सुबह के इस हसीन एनकाउंटर के बारे मे सोच सोचकर मुस्कुरा रहा था.
 
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Golu_nd

Proud INDIAN 🇮🇳
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Bhai apne ye story puri copy paste ko hai

Bs apne naam change kiya hai

Jha se apne story li hi wo story bhi un complete hai aur ap bhi whai tk copy paste krke chhod doge
 
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