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Adultery Diwali ka Jua - 3 (Incest + Adultery)

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Update 7


कोई बाहर खड़ा होकर लगातार घंटी बजाए जा रहा था..और मोनू की तो झाँटे सुलग उठी घंटी की आवाज़ सुनकर ''अब कौन आ मरा...अपनी माँ चुदवाने ....'' ये शायद पहली बार था जब ऐसी गाली मोनू ने दी थी...रश्मी के सामने.. उसने रश्मी को इशारा करके खिड़की खोलकर बाहर झाँकने को कहा, जहाँ से देखा जा सकता था की बाहर कौन है..वो तो नंगी थी...फिर भी अपने भाई की बात मान कर उसने धीरे से खिड़की खोली और थोड़ा सा खोल कर बाहर झाँका, बाहर मोनू का दोस्त रिशू था रश्मी : "रिशू है बाहर...ये इस वक़्त क्या करने आ गया...'' इस बीच रुची भी शायद समझ चुकी थी की अब ये खेल यहीं ख़त्म करना पड़ेगा..इसलिए उसने तो अपने कपड़े समेट कर पहनने भी शुरू कर दिए थे.. मोनू झल्लाता हुआ उठा और अपनी टी शर्ट पहन कर उसने पूरी खिड़की खोल दी और बाहर झाँक कर बोला : "बोल रिशू .... क्या काम है ..'' रिशू ने उपर देखा और बोला : "मोनू भाई...जल्दी से दरवाजा खोलो...एक बहुत ज़रूरी बात करनी है...'' मोनू (गुस्से में ) : "यार...शाम को तो मिल ही रहे हैं ना...तभी कर लेंगे...अभी मुझे सोने दे...'' वो किसी भी तरह उसे टरका देना चाहता था...क्योंकि इस वक़्त तो उसके सामने अपनी बहन की कुँवारी चूत घूम रही थी.. रिशू : "नही भाई...शाम को नही...अभी...शाम को लाला भी होगा ना यहाँ ...उसके बारे में ही बात करनी है...'' अब मोनू का भी दिमाग़ ठनका ...ये लाला के लिए क्या बात करना चाहता है...उसको लेकर तो वो खुद कल रात से कितने प्लान बना रहा था...उसके जैसे बंदे से जुआ जीतने में कितना मजा मिलेगा, वो सब स्कीमें बना रहा था वो कल से.. मोनू : "अच्छा रुक जा...मैं अभी आता हू...'' और इतना कहकर उसने खिड़की बंद कर दी...रुची अपने कपड़े पहन चुकी थी और वो रश्मी के सूट की जीप को पीछे से बंद करने मे उसकी हेल्प कर रही थी.. रश्मी (नाराज़गी भरे स्वर मे) : "क्या मोनू....तुम भी ना, उसको भगा नही सकते थे क्या...इतना सही सरूर बन चुका था ...साला एन टाइम पर आ टपका...'' मोनू : "यार दीदी .... गुस्सा तो मुझे भी आ रहा है...पर अब मैं भी क्या करू...कोई ज़रूरी बात करनी है उसे...शाम के जुए के बारे में ...हम तो अब ये काम कभी भी कर लेंगे..'' रश्मी : "ओहो .... तब तो जाकर सुन ही लो .... शायद कोई काम की बात करने आया हो...और रही बात मेरी, तो मैने आज तक इतने साल वेट ही तो किया है...कुछ देर और सही...'' वो अपनी चूत को मसलते हुए बोली.. जुए के बारे मे दोनो भाई-बहन को ऐसे बात करते देखकर रुची चोंक गयी और बोली : "जुआ .... इसका मतलब आजकल यहाँ जुआ चल रहा है....और ये रश्मी इसमे इतना इंटरस्ट क्यो ले रही है...'' मोनू : "ये सिर्फ़ इंटरस्ट ही नही ले रही, बल्कि खेलती भी है...समझी....मैं नीचे चलता हू ,बाकी की कहानी तुम्हे दीदी सुना देगी.....'' और रश्मी वो सब रुची को बताने लगी जिसे सुनकर रुची हैरान होती चली गयी...और उन दोनो को वहीं बाते करता छोड़कर मोनू नीचे आ गया और दरवाजा खोल दिया रिशू अंदर आकर सोफे पर बैठ गया. मोनू : "बोल रिशू , क्या बोलना चाहता है...'' रिशू : "मोनू भाई..ये लाला साला बड़ा चालू हो गया है आजकल...'' मोनू : "कैसे ....'' रिशू : "भाई...आप तो जानते ही हो, उसके पास पैसे की कमी तो है नही...पर साले को खेलना भी नही आता, ये भी वो जान ही चुका है...इसलिए आजकल जब भी वो खेलता है तो अपने साथ गुड्डू को रखता है...और गुड्डू के बारे मे तो आप जानते ही हो भाई, वो साला एक नंबर का जुवारी है...बड़े-2 केसिनो में जाकर जुआ खेलता है और हमेशा जीत कर ही आता है...और इसलिए उसको कोई भी अपने अड्डे पर या केसिनो में आकर खेलने नही देता..क्योंकि कोई भी उसके साथ खेलना नही चाहता..'' गुड्डू के साथ भी मोनू कई बार खेल चुका था...उसकी किस्मत कह लो या हाथ की सफाई, वो कभी भी हारकर गेम से नही उठता था..और अब लाला के साथ गुड्डू का रहना सच में मुसीबत वाली बात थी.. मोनू : "पर ऐसे कोई अपने साथ किसी को लाकर खेल नही खेल सकता...'' रिशू : "भाई, मैने भी यही बोला था लाला को, की अगर आना है तो अकेले आना, किसी को साथ मे लेकर जुआ खेलने का कोई रूल नही है अपनी गेंग मे..पर भाई, रश्मी और आप भी तो ऐसे हो, इसलिए मैंने ज्यादा जोर नहीं दिया '' मोनू : "फिर, क्या बोला वो हरामी...'' रिशू : "बोलना क्या था भाई...सॉफ मना कर दिया...बोला, मेरे को चूतिया बना कर आजतक जीतने लोगो ने मेरा पैसा जीतना था वो जीत लिया...अब मेरे साथ खेलना है तो गुड्डू मेरे साथ रहेगा...जमता है तो बोलो...वरना रहने दो..'' मोनू : "वो साला इतना अकलमंद लगता तो नही है....इसमे ज़रूर गुड्डू का कुछ किया धरा होगा...वरना उसे क्या पड़ी थी की अपने साथ गुड्डू को लेकर घूमता...'' रिशू : "भाई, आप समझे नही...लाला ने गुड्डू के साथ 50-50 की पार्टनरशिप कर रखी है...जो भी जीत का माल होगा, उसमे से दोनो मिलकर शेयर करेंगे...अब गुड्डू को जितना भी मिल रहा है, उसके लिए बहुत है...वैसे भी उसके साथ कोई जुआ नही खेलता..और दूसरी तरफ लाला के लिए भी फायदे का सौदा है...सुना है जब से उसने गुड्डू को साथ मे लिया है, वो हारा नही है अब तक...हमेशा जीतकर ही निकला है...अब पैसे जाने से अच्छा तो आने लगे है उसके पास...उसे भी ये पार्टनरशिप सही लग रही है...'' मोनू गहरी सोच मे डूब गया.. मोनू : "तो तू क्या चाहता है अब...'' रिशू (धीरे से) : "देखो भाई....मै यहाँ सिर्फ़ एक बात बोलने आया हू...अगर आप कहो तो लाला को हाँ बोल दू ..अगर ऐसा हो जाता है तो वो गुड्डू के साथ आएगा और वो दोनो मिलकर बैठेंगे..ऐसे मे अगर हम दोनो भी मिलकर खेले...मतलब दूसरो के लिए हम अलग ही होंगे...पर आपस मे हमारी भी पार्टनरशिप होगी...तो हम दोनो मिलकर उसे और राजू को भी आसानी से हरा सकते हैं...'' मोनू ने सोचा, ये साला मेरे साथ पार्टनरशिप की बातें कर रहा है..ये इतना भी नही जानता की उसके साथ रश्मी है, और उसकी किस्मत में तो हारना लिखा भी नही है.. पर अच्छी से अच्छी किस्मत भी साथ नही देती अगर गुड्डू हाथ की सफाई दिखाकर जुआ खेलने पर आ गया..ऐसे मे पार्टनरशिप करके कम से कम नुकसान झेलना पड़ेगा.. काफ़ी देर तक सोचने के बाद मोनू बोला : "मुझे लगता है तू सही कह रहा है...हमे भी पार्टनरशिप कर लेनी चाहिए...'' इतना कहकर उसने रिशू से हाथ मिलाया और कुछ और बाते करके रिशू चला गया..
 
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और जब रिशू बाहर जा रहा था तो उपर से रुची और रश्मी नीचे उतर रही थी...उन दोनो को एक साथ देखकर उसके लंड में खुजली सी होने लगी..वो वहीं रुक गया और उपर से नीचे आ रही रश्मी और रुची के उछलते हुए मुम्मे देखकर ठंडी आहें भरने लगा.
रिशू : "अरे वाह रश्मी ...लगता है पुरानी सहेलियो में फिर से दोस्ती हो गयी है...अच्छी जोड़ी लग रही है तुम दोनो की...''
उसकी ठरकी नज़रों को रुची अच्छी तरह से पहचानती थी..क्योंकि वो बात तो रश्मी से कर रहा था पर उसकी नज़रें उसकी छातियों पर थी...और उसके उभरे हुए निप्पल्स देख कर वो उत्तेजित हो रहा था...शायद रश्मी जल्दबाज़ी मे बिना ब्रा के नीचे आ गयी थी..
अब रुची को क्या पता था की बिना ब्रा के तो वो पिछले 2 दीनो से घूम रही है रिशू और राजू के सामने..
रश्मी : "अब नज़र मत लगाओ हमारी दोस्ती को तुम....''
और इतना कहती हुई वो उसकी बगल से निकल कर अंदर की तरफ चल दी.
और जब रुची रिशू के पास से निकलने लगी तो रिशू फुसफुसाकर बोला : "भर गयी हो पहले से ज़्यादा...''
ऐसी फब्तियाँ तो वो कई बार कस चुका था उसके उपर, जब भी वो गली से निकलती थी...पर वो तब भी उसको कुछ नही बोल पाती थी और ना ही अब बोल पाई..
इसका ये मतलब नही था की वो डरती थी..बल्कि अंदर ही अंदर उसको ये सब अच्छा लगता था..अब हर लड़की तो खुलकर नही बोल पाती ना की उसे भी ये छेड़छाड़ पसंद है...बस मुँह फिरा कर आगे निकल जाती...और अपने पीछे घूमने वाले छिछोरे लड़को में एक और नाम शामिल कर लेती..
रिशू के जाने के कुछ देर बाद रुची भी चली गयी...वैसे भी उसको काफ़ी देर हो चुकी थी.
अब फिर से एक बार दोनो भाई बहन अकेले थे..जैसे ही रश्मी ने दरवाजा बंद किया , मोनू ने पीछे से आकर उसको एक बार फिर से जकड़ लिया..और अपने हाथ आगे लेजाकर उसके मुम्मो पर टीका दिए और उसकी उभरी हुई गांड पर अपना लंड रगड़ने लगा.
रश्मी : "ओहो .....छोड़ो ना मोनू....तुम तो हर समय तैयार रहते हो...अभी थोड़ी देर पहले अपनी जी एफ की मारी है...अब मेरे पीछे लगकर खड़े हो गये हो...''
मोनू : "तुम्हारी कसम दीदी...उसकी जब भी मारता था तो मेरी आँखो के सामने उस वक़्त भी सिर्फ़ और सिर्फ़ तुम्हारी तस्वीर रहती थी...अब मुझसे सब्र नही होगा ...''
मोनू ने उसके बिना ब्रा के बूब्स को अपनी मुट्ठी मे जकड़ते हुए कहा.
रश्मी : "ओके .... ओके ..... मुझे सीधा तो होने दो ना पहले...''
बड़ी मुश्किल से मोनू ने उसके जिस्म को अपनी गिरफ़्त से आज़ाद किया..मन तो नही कर रहा था उसकी मखमली गांड को छोड़ने का..
और जैसे ही रश्मी उसकी गिरफ़्त से छूटी वो भागकर उपर की सीडिया चड़ती चली गयी और जीभ निकाल कर उसने मोनू को चिढ़ाया और बोली : "कुछ काम रात के लिए भी छोड़ दो...''
और देखते ही देखते वो भागकर अपनी माँ के कमरे मे घुस गयी..शायद वो भी तडप-2 कर उसे अपनी चूत देना चाहती थी..क्योंकि तड़पाने के बाद जब चुदाई होती है तो उसका मज़ा ही निराला होता है... ये बात उसको अभी - २ रुची समझा कर गयी थी
मोनू शाम की तैयारी में जुट गया...खाने पीने की चीज़े लेकर आया..आज वैसे भी छोटी दीवाली थी..पूरे मोहल्ले में रोशनी फेली हुई थी...दोनो भाई बहन ने मिलकर घर के बाहर लाइट लगाई और अपने घर को भी सॉफ सुथरा करके चमका दिया..फिर रश्मी खाना बनाने मे जुट गयी.
शाम को ठीक 8 बजे रिशू और राजू आ गये...और कुछ देर के बाद लाला और गुड्डू भी पहुँच गये..
कुछ देर की बातो के बाद खेल शुरू हुआ..
तब तक रश्मी उपर ही थी...माँ को खाना खिला रही थी वो..
पहली बाजी लगी.
सबने बूट के 100 रुपय बीच मे डाल दिए..
और फिर सबने 3-3 ब्लाइंड चली...और फिर सबसे पहले लाला ने 500 बीच मे फेंक कर ब्लाइंड को उपर बढ़ाया ..
तब तक गुड्डू उसकी बगल मे ही बैठा हुआ था...ठीक वैसे ही जैसे खेलते हुए मोनू और रश्मी साथ बैठते है.
राजू ने ब्लाइंड नही चली और अपने पत्ते उठा कर देख लिए..उसने कुछ सोच समझ कर 1000 रूपए की चाल चल दी..चाल आते ही रिशू ने भी अपने पत्ते उठा लिए..पर उसके पत्ते इतने बेकार थे की उसने बुरा सा मुँह बनाते हुए उन्हे नीचे फेंक दिया.
अब बारी थी मोनू की...उसने भी कुछ सोचने के बाद ब्लाइंड के 500 रूपए बीच मे फेंक दिए..
चाल आने के बाद कोई ऐसा नही करता...पर मोनू ने कर दिया...शायद कल के जीते पैसे उसकी जेब मे गर्मी पैदा कर रहे थे.
लाला ने गुड्डू की तरफ देखा, गुड्डू ने भी ब्लाइंड चलने के लिए ही कहा..और लाला ने ब्लाइंड को बढ़ाकर 1000 कर दिया ..
अब एक बार फिर से राजू की बारी थी...उसके पास कोई चारा नही था...उसे तो ब्लाइंड से डबल पैसे फेंकने थे बीच में ...उसने बड़ी मुश्किल से अपनी जेब से 2000 रूपए निकाले और बीच मे फेंक दिए..
हालाँकि उसके पास पेयर आया था, 2 का, पर फिर भी वो डर रहा था की कहीं दोनो में से किसी एक के पास अच्छे पत्ते आ गये तो वो बेकार में मारा जाएगा..
मोनू ने भी अपनी दरियादिली एक बार और दिखाते हुए 1000 की ब्लाइंड चल दी...
अब एक बार फिर से लाला की बारी थी...उसने गुड्डू को देखा और गुड्डू ने लाला के आगे से 2000 रुपय उठा कर एक बार फिर से ब्लाइंड चल दी.
अब तो राजू की फट गयी...सामने से ब्लाइंड पर ब्लाइंड चल रही थी और वो डबल करते हुए चाल पर चाल चल रहा था..ऐसे मे अगर उसके पत्ते पिट गये तो उसका तो डबल नुकसान होगा..उसने मन मारते हुए पेयर होने के बावजूद पैक कर दिया..क्योंकि अगली चाल के लिए वो 4000 रूपए की बलि नही चड़ा सकता था.
अब सिर्फ़ लाला और मोनू बचे थे बीच में .
मोनू भी जानता था की ब्लाइंड खेलकर गुड्डू शायद उनको डराना चाहता है...पर अभी के लिए वो कोई और रिस्क नही लेना चाहता था..क्योंकि उसका लक यानी रश्मी जो नही थी उसके साथ..
उसने अपने पत्ते उठा लिए..
उसके पास सबसे बड़ा पत्ता बेगम थी.
वो काफ़ी देर तक सोचता रहा और फिर उसने 4000 बीच मे फेंककर शो माँग लिया..
लाला ने गुड्डू की तरफ देखा..और उसे पत्ते उठाने के लिए कहा..
जब वो पत्ते उठा रहा था तो मोनू और रिशू बड़े गोर से उसे देख रहे थे, की कहीं वो बीच मे अपनी हाथ की सफाई दिखा कर पत्ते ना बदल डाले..पर ऐसा कुछ हुआ नही..क्योंकि पत्तो को अपने सामने खिसकाने के बाद गुड्डू ने एक-2 करते हुए अपने पत्ते सामने फेंकने शुरू कर दिए.
पहला पत्ता था 10 नंबर..
दूसरा था 3 नंबर..
ये दोनो पत्ते देखकर तो मोनू को यकीन सा होने लगा की आज वो बिना रश्मी के भी जीत सकता है...क्योंकि बीच मे लगभग 10 हज़ार रुपय थे..
पर जैसे ही गुड्डू ने आख़िरी पत्ता फेंका, मोनू का चेहरा उतार गया.
वो बादशाह था.
 
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मोनू ने भी बुरा सा मुँह बनाते हुए अपने पत्ते ज़ोर से पटक दिए..सिर्फ़ एक पत्ते से हारा था वो..गुस्सा आना तो लाजमी था.
और मोनू से ज़्यादा गुस्सा तो राजू को आ रहा था अपने उपर...क्योंकि उसके पास पेयर था और उसके बावजूद उसने पैक कर दिया था. अगर उसने पैक नहीं किया होता तो वो ये बाजी जीत चुका होता
पर अब कुछ नही हो सकता था..
अगली गेम की तैयारी होने लगी...
राजू पत्तों को ज़ोर-2 से पीटने लगा , शायद अपना गुस्सा उनपर उतार रहा था वो.
और जैसे ही वो पत्ते बाँटने लगा, पीछे से रश्मी की सुरीली आवाज़ आई
''आज मेरे बिना ही खेल शुरू कर दिया आप लोगो ने..
रिशू और राजू तो कब से उसका इंतजार कर रहे थे...पर लाला ने जब देखा की रश्मी भी वहाँ आकर खड़ी हो गयी है और वो बहुत ही सेक्सी नाइट ड्रेस में ...तो उसकी बाँछे खिल उठी...उसके बारे मे सोचकर वो कितनी मूठ मार चुका था..कितनी लड़कियों को उसके साथ कम्पेयर कर चुका था, पर उस जैसी लड़की उसे पुर मोहल्ले मे नही दिखी थी..
और जब उसे गोर से देखने के बाद लाला को ये एहसास हुआ की उसने ब्रा नही पहनी है तो उसका लंड जींस के अंदर बड़ी ज़ोर से कसमसाने लगा..
उसने सोच लिया की जब सामने से वो खुद चलकर आ रही है तो उसपर एक बार तो चांस लेना बनता ही है..
सभी ने रश्मी का स्वागत किया खड़े होकर..और रश्मी लचकति हुई सी आई और मोनू की बगल मे आकर बैठ गयी.
रिशू ने लाला को समझा दिया की वो भी एक-दो दिनों से उनके साथ खेल रही है...अपने भाई के साथ या उसकी जगह पर..इस बात से भला लाला को क्या प्राब्लम हो सकती थी,क्योंकि वो तो खुद ही गुड्डू के भरोसे खेल रहा था..
पर लाला के दिमाग़ मे एक ही बात चल रही थी की कैसे रश्मी को शीशे मे उतार कर उसके साथ मज़ा लिया जाए..
अभी तो खेल शुरू ही हुआ था...अभी तो पूरी रात पड़ी थी उस काम के लिए..
अब तो लाला किसी भी तरह रश्मी को इंप्रेस करना चाहता था...उसने गुड्डू के कान में बोल दिया की अब वो बिना उसकी हेल्प के खेलेगा...क्योंकि ये बात वो भी जानता था की जब गुड्डू उसकी हेल्प नही करता तो वो हारता ही है...और रश्मी के हाथो हारकर वो उसे खुश करना चाहता था और इंप्रेस भी..
गुड्डू समझ गया की लाला बावला हो गया है लोंडिया देखकर...पर वो कर भी क्या सकता था...उसके पैसे तो थे नही जो वो चिंता करता..वो आराम से पीछे होकर बैठ गया और खेल देखने लगा.
अगली गेम शुरू हुई.
सबने बूट के 100-100 रुपए बीच मे डाल दिए..सबसे पहली ब्लाइंड चलने की बारी लाला की ही आई, उसने ब्लाइंड के लिए सीधा 500 रुपय बीच मे फेंक दिए..
राजू की तो पहले से ही फटी पड़ी थी..उसने अपने पत्ते उठा लिए, उसके पास 2,3,5 आया था...यानी सबसे छोटे और बेकार पत्ते..उसने अपना माथा पीट लिया और पत्ते नीचे फेंक दिए..
अब रिशू की बारी थी, उसने भी ब्लाइंड के 500 नीचे फेंक दिए..
रश्मी तो जैसे जानती ही थी की वो ही जीतेगी, उसने ब्लाइंड को डबल करते हुए 1000 रुपए बीच में फेंक दिए..इतनी दरियादिली तो गुड्डू ने भी किसी में नही देखी थी..लाला भी रैरान सा होकर रह गया, वो समझ रहे थे की वो अपनी नादानी मे ऐसे 1000 की ब्लाइंड खेल गयी...पर लाला भी पीछे रहने वालो से नही था...उसे तो रश्मी को वैसे भी इंप्रेस करना था..इसलिए उसने भी ब्लाइंड को .डबल करते हुए 2000 बीच में फेंक दिए..
और इन दोनो के बीच बेचारा रिशू फँस कर रह गया...2000 की ब्लाइंड चलने का उसे शोंक कोई नही था..उसने झट से पत्ते उठा लिए..और उन्हे देखते ही उसके दिल की धड़कन तेज हो गयी..उसके पास सीक़वेंस आया था..8,9,10.
उसने अपनी खुशी को चेहरे पर नही आने दिया, और कुछ सोचने के बाद 4000 की चाल चल दी.
रिशू जैसे बंदे की तरफ से चाल आती देखकर मोनू समझ गया की उसके पास ज़रूर बढ़िया पत्ते ही आए होंगे..उसने रश्मी को पत्ते उठाने के लिए कहा..पहले तो रश्मी ने मना कर दिया, क्योंकि वो कल से एक भी गेम नही हारी थी..और उसे विश्वास था की ये गेम भी वही जीतेगी..पर मोनू के ज़िद करने के बाद उसने पत्ते उठा लिए.
लाला की नज़रें गेम से ज़्यादा रश्मी का शरीर नापने मे लगी थी...वो उसके हर अंग को अपनी आँखों से चोद रहा था...अपने होंठों पर जीभ फिराता हुआ लाला भूखी नज़रों से रश्मी को घूरे जा रहा था..वो सोचने लगा की काश इस वक़्त रश्मी बिना कपड़ों के उसके सामने बैठी होती , वो तो अपनी सारी दौलत लुटा देता उसके उपर..
वैसे भी बिना ब्रा के वो लगभग नंगी हालत मे ही थी...क्योंकि काफ़ी गोर से देखने पर उसके उभारों के उपर हल्के-2 भूरे रंग के निप्पल सॉफ दिखाई दे रहे थे...पर शायद इस बात का रश्मी और मोनू को एहसास नही था, क्योंकि पास से देखने मे कुछ नही दिख रहा था, दूर बैठे लाला को वो साफ़ दिख रहा था, शायद कपड़े के रंग की वजह से ऐसा था. वैसे एक बात और भी है, ऐसे ठरकी लोगों को अंदर तक का सामान दिख ही जाता है, लड़कियां कितना भी छुपाना चाहे, ठरकी लड़के उनके कपड़े भेदकर सब पता लगा लेते हैं, और यहाँ तो रश्मी खुल्लम खुला सब दिखती हुई सी बैठी थी , वो भला कैसे बच पाती लाला की चुदासी भरी नजरों से
और इधर मोनू और रश्मी भी अपनी खुशी कंट्रोल नही कर पा रहे थे...उनके पास पत्ते आए ही ऐसे थे..मोनू तो पुराना खिलाड़ी था, इसलिए उसने खुशी के भाव चेहरे पर नही आने दिए, पर रश्मी के चेहरे की चमक बता रही थी की इस बार भी उसका जलवा चलने वाला है..
मोनू ने भी 4000 की चाल चल दी..
अब लाला को भी पत्ते उठाने ही पड़े, क्योंकि जिसके लिए वो पैसे लूटा रहा था वो तो खुद ही चाल चल बैठी थी.
उसने अपने पत्ते देखे...और गुड्डू को भी दिखाए...भले ही उसने पहले उसकी हेल्प लेने से मना कर दिया था, पर २-२ चाल आने के बाद उसने गुड्डू की सलाह लेनी ही उचित समझी , पत्ते तो उनके पास अच्छे ही आए थे...कुछ देर सोचने के बाद गुड्डू ने उसे चाल चलने के लिए कहा...शायद ये सोचकर की रश्मी के पास कुछ खास नही होगा..और ना ही रिशू के पास...
यहाँ लाला एक बार फिर से रश्मी को इंप्रेस करने के चक्कर मे चाल को डबल करते हुए 8000 पर ले गया, अब बारी फिर से रिशू की थी...उसके पास पत्ते तो काफ़ी जबरदस्त थे, पर एक प्राब्लम भी थी...वो आज के लिए सिर्फ़ 30 हज़ार रुपय ही लाया था घर से...अगर ऐसी 2-3 चाले और चलनी पड़ी तो वो आगे खेल ही नही पाएगा..पर फिर भी एक चाल और चलनी तो बनती ही थी...ये सोचकर की शायद सामने से कोई पीछे हट जाए और वो दूसरे से शो माँग ले, ऐसे मे जितने भी आ जाएँ, वही बहुत है.
 
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रश्मी की बारी आते ही मोनू ने बिना किसी झिझक के 8 हज़ार निकाल कर नीचे फेंक दिए.
और इस बार लाला ने चाल डबल नही की, पर चाल ज़रूर चल दी 8 हज़ार की..
अब तो रिशू का दिल धड़कने लगा...पत्ते तो उसके पास अच्छे ही थे...और जेब मे सिर्फ़ 16-17 हज़ार के आस पास बचे थे..
उसने मन को कड़ा करते हुए एक निर्णय लिया और 16000 बीच मे फेंकते हुए दोनो से शो माँग ली..
अब उसकी जेब मे कुछ भी नही बचा था...पर अंदर से उसे विश्वास था की वही जीतेगा..
अपने पत्ते रिशू ने नीचे फेंक दिए...और लाला की तरफ देखा...
लाला ने भी अपने पत्ते सामने रख दिए, उसके पास इक्के का कलर आया था...पर सीक्वेंस के आगे वो भी बेकार थे...रिशू खुश हो गया.
अब बारी थी रश्मी की..पर रिशू के पत्तो को देखने के बाद वो थोड़ी कन्फ्यूज़ थी..और वो किसलिए थी, वो भी जल्द ही पता चल गया..क्योंकि उसने जब अपने पत्ते सामने फेंके तो उसके पास भी सीक़वेंस था...और वो भी सेम टू सेम रिशू जैसा 8,9,10.
रश्मी तो ज़्यादा नही जानती थी खेल के बारे मे की ऐसी स्थिति मे क्या होता है..पर उन जुआरियों को वो पता था, और दोनो तरफ के पत्ते देखने के बाद गुड्डू एकदम से बोला : "ये बाजी रश्मी की हुई...उसके पास हुक्म का 10 है..''
और ये सही भी था...सेम पत्तो मे जब बाजी फँस जाती है तो सबसे बड़े पत्ते को देखा जाता है, जिसके पास हुक्म का आ जाए, वही जीत जाता है...
रिशू को तो विश्वास ही नही हो रहा था की उसकी किस्मत इतनी खराब भी हो सकती है, पहली बार ढंग के पत्ते आए और वो भी क्लैश कर गये रश्मी के साथ..और अंत मे वो जीत भी गयी...
करीब 45 हज़ार जीत गयी थी रश्मी एक ही झटके में .
वो तो खुशी से चिल्ला ही उठी...और सारे पैसे अपनी तरफ करते हुए उसके निप्पल्स भी पहले से ज़्यादा उभरकर बाहर आ चुके थे...और ये देखकर लाला बड़ा ही खुश हुआ..जैसे उसके सारे पैसे वसूल हो गये हो..लाला ने ये भी नोट किया की पैसे देखकर रश्मी कितनी खुश है..वो सोचने लगा की क्या पैसे देकर वो उसकी चूत भी ले सकता है..
पहली गेम ही इतनी मोटी हो गयी थी की आने वाली गेम्स मे क्या होगा ये सभी सोचने लगे..
पर रिशू की हालत खराब थी..वो अपने सारे पैसे हार चुका था, उसने मोनू से कुछ पैसे उधार माँगे, क्योंकि उन दोनो मे पहले भी उधार चलता रहता था, और मोनू वैसे भी काफ़ी माल जीत चुका था, इसलिए उसने रिशू को आगे खेलने के लिए 20 हज़ार रुपय उधार दे दिए.
एक बार फिर से गेम शुरू हुई...पर शुरू होने से पहले ही रिशू बोला : "देखो भाइयों, मेरे पास तो ज़्यादा पैसे है नही...इसलिए रिक्वेस्ट है की मोटी गेम मत खेलो...ब्लाइंड भी 500 से ज़्यादा नही और चाल भी 1000 से ज़्यादा नही...''
उसकी बात सुनकर राजू भी बोल पड़ा : "सही कहा रिशू....मेरे पास भी ज़्यादा माल नही है...ऐसे तो हम आधे घंटे में ही खाली होकर बैठ जाएँगे..आज तो पूरी रात का प्रोग्राम है ना..''
मोनू तो मोटा माल जीत चुका था, इसलिए उसने आपत्ति उठाई : "अरे नही, ऐसा कैसे होगा...जिसकी जितनी मर्ज़ी होगी, वो उतना खेलेगा...''
और लाला ने भी उसका साथ दिया..वो बोला : "सही कहा मोनू....ऐसे छोटी गेम में मज़ा ही नही आता...
तभी रश्मी बीच मे बोल पड़ी : "मेरे पास एक प्लान है...जो बड़ी ग़मे खेलना चाहते हैं, वो अलग खेले और जो छोटी खेलना चाहते हैं, वो अलग...''
उसकी बात सभी को जाच गयी...अब बड़ी गेम खेलने वालो में सिर्फ़ रश्मी और लाला ही थे...और उनके निकल जाने के बाद पीछे सिर्फ़ राजू और रिशू ही बचते थे..क्योंकि गुड्डू और मोनू तो सिर्फ़ साथ देने के लिए बैठे थे..
पर मोनू का दिमाग़ बड़ी तेज़ी से चल रहा था...वो अच्छी तरह से जानता था की उसकी बहन को तो कोई हरा ही नही सकता...एक पर्सेंट शायद हो भी सकता है की वो हार जाए अगर लाला के साथ गुड्डू रहा तो...इसलिए लाला और गुड्डू को अलग करना ज़रूरी था...पर ऐसा क्या किया जाए की दोनो अलग हो जाए... और वो ये अच्छी तरह से जानता था की अगर रश्मी और लाला अकेले खेलेंगे तो रश्मी ही जीतेगी..
मोनू अचानक से बोला : "एक काम करते हैं, मैं भी इस छोटे वाले ग्रुप में खेलता हूँ ...और गुड्डू तुम भी आ जाओ यहीं पर, तुम भी अपना हाथ आजमाओ...''
अपने ग्रूप मे शामिल करके वो गुड्डू और लाला की जुगलबंदी को तोड़ना चाहता था..गुड्डू ने इसलिए कुछ नही बोला क्योंकि वो जानता था की जुआ खेलकर वो जीतगा ही...और लाला इसलिए नही बोला की रश्मी के साथ अकेले में खेलने का मौका जो मिल रहा था उसको..
 
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Sargam

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Chut m khujli ho gye
 
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