• If you are trying to reset your account password then don't forget to check spam folder in your mailbox. Also Mark it as "not spam" or you won't be able to click on the link.

Romance Ek Duje ke Vaaste..

dhparikh

Well-Known Member
9,765
11,343
173
Update 30



पिछले दो दिन से एकांश अमृता के साथ अक्षिता को ढूंढने में लगा हुआ था, वो जरा भी नही चाहता था के अमृता उसके साथ रहे लेकिन उसकी मजबूरी थी, अगर उसे अक्षिता को जल्द से जल्द ढूंढना था तो अमृता को साथ रखना ही था..

वो अमृता के उसके बारे में उसकी लाइफ के बारे में अक्षिता के बारे में लगातार चलते सवालों से परेशान हो गया था , हालांकि उसने उनमें से कई सवालों का जवाब नही दिया था और उसे चुप कराने के लिए उसका बस गुस्से से घूरना ही काफी था

उन लोगो ने उस मेडिकल पर पूछताछ की थी तो उस मेडिकल वाले ने बताया था के उसने वो दवाइया बस एक स्पेशल ऑर्डर के लिए मंगवाई थी और जब उससे पूछा गया के वो दवाइया लेने कौन आया था तो उसने बताया था के एक लड़की आई थी और वो दवाइया लेकर गई थी,

एकांश ने अपने फोन में उस मेडिकल वाले को अक्षिता की तस्वीर दिखा कर पूछा था के ये ये वही थी जिसने दवाइया मंगवाई थी जिसपर उस मेडिकल वाले ने भी हा कहा था

एकांश ये जानकर अब बहुत ज्यादा खुश था के वो अक्षिता के आसपास ही था, एकांश के चेहरे पर अब एक स्माइल थी वही अमृता बस एकांश को स्माइल करता था अपने को उसने खोया हुआ सा महसूस कर रही थी

एकांश ने उस बंदे से आगे भी पूछताछ की के क्या वो अक्षिता को जानता है या उसका एड्रेस जानता है के वो कहा से आई थी लेकिन अफसोस उसे ज्यादा कुछ नही पता था, us बंदे ने कहा के वो अक्षिता के बारे में कुछ भी नही जानता था जिसे सुन एकांश थोड़ा निराश हो गया था

लेकिन फिर भी उसके चेहरे पर स्माइल थी, उसका मन उससे कह रहा था के अक्षिता कही उसके आसपास ही थी और अब वो इसे जरूर ढूंढ लेगा

और बस तभी से एकांश और अमृता नए जोश के साथ अक्षितांको ढूंढने में लगे हुए थे..

पिछले दो दिन में एक और बात हुई थी, वो ये की अमृता के मन में एकांश के लिए फीलिंग बनने लगी थी, उसे एकांश पर क्रश तो पहले ही था लेकिन अब ये फीलिंग्स बढ़ रही थी, उसके पहले भी बॉयफ्रेंड थे, पुरुष मित्र थे लेकिन उसने कभी किसी के लिए ऐसा महसूस नही किया था जैसा एकांश के लिए करने लगी थी

उसे पहले भी कई लड़कों ने एप्रोच किया था लेकिन उसने किसी को घास तक नही डाली थी लेकिन यह एकांश के लिए उसकी फीलिंग्स ही अलग थी

इन दो दिनों में उसने एकांश को जाना था, ऑब्जर्व किया था, वो उन लड़कों जैसा नही था जिन्हे वो जानती थी, वो समझ गई थी एकांश अलग था, वो ये भी समझ गई थी के एकांश जैसा दिखता है वैसा था नही, वो भले ही ऊपर से रुड बनता लेकिन उसका दिल मोम जैसा था

वो एकांश को देखती थी जब वो एक फोटो को देख मुस्कुराता था, कैसे वो एकदून गौर से उस डायरी को पढ़ता था, कैसे वो उस डायरी और उस तस्वीर को अपने सीने से लगाता था, उसके चेहरे पर आते वो दर्द के भाव, हर पल किसी को तलाशती उसकी आंखे, अमृता सब नोटिस कर रही थी

वो नही जानती थी के अक्षिता कौन थी और ये लोग उसे क्यों ढूंढ रहे थे लेकिन वो इतना तो जान गई थी के अक्षिता एकांश के दिल के बहुत ज्यादा करीब थी

उसने एकांश से उसके बारे में उसकी जिंदगी के बारे में पसंद ना पसंद के बारे में बात करनी चाही लेकिन बदले में उसे बस कुछ छोटे जवाब मिले का थोड़े गुस्से से घूरती एकांश की आंखे जिससे वो चुप हो जाती थी...

--

"एकांश बेटा..."

एकांश चलते चलते रुका लेकिन पलटा नही

"तुम कहा जा रहे हो?" उसकी मां ने उसे पूछा

लेकिन एकांश कुछ नही बोला

"एकांश, talk to me"

वो फिर भी चुप रहा

"एकांश प्लीज, I said I am sorry"

उन्होंने कहा लेकिन एकांश अब भी कुछ नही बोला, उसने अपनी आंखे बंद कर ली

"मैने तुम्हे इसीलिए नही बताया था क्युकी मैने उससे वादा किया था और मैंने तुम्हे तकलीफ में नही देखना चाहती थी बेटा" उन्होंने एकांश का हाथ पकड़ते हुए उससे कहा

एकांश पलटा और अपनी मां को देखा

"तो आपको क्या लगता है मां अभी मैं बहुत मजे में हु, आप नही जानती के इस वक्त मैं कैसा महसूस कर रहा हु कितनी तकलीफ में हु ये सोचते हुए के वो इतने समय मेरी आंखों के सामने थी लेकिन मैं उसे बचाने के लिए कुछ नही कर पाया, ये सोच के मेरा दिल जल रहा हैं के उसने कभी मुझसे प्यार करना बंद ही नही किया और मैं उसके लिए कुछ नही कर पाया, उसे अगर कुछ हो गया तो पता नही मैं क्या कर जाऊंगा" एकांश ने रोते हुए कहा

"बेटा मैं जानती हु वो बहुत अच्छी लड़की है और तुमसे बहुत प्यार करती है लेकिन वही नही चाहती थी के ये बात कभी तुम्हे पता चला और एक मां होने के नाते मैने भी वही किया जो मुझे तुम्हारे लिए सही लगा, प्लीज एकांश मुझे अपने से दूर मत करो, मैं तुम्हारी बेरुखी नही झेल पाऊंगी बेटा" उन्होंने रोते हुए कहा लेकिन एकांश कुछ नही बोला

"एकांश...."

"अगर आप मुझे पहले ही ये सब बता देती तो मैं उसे कभी अपने से दूर नही होने देता, शायद मैं उसे बचाने के लिए कुछ कर सकता या उस मुश्किल वक्त में उसका साथ ही दे सकता था" एकांश ने कहा और वहा से चला गया वही उसकी बार रोते हुए उसे जाता देखने लगी और फिर एकांश रुका और बोला

"मुझे आपसे कोई शिकायत नही है मां, मुझे बस अपने आप से चिढ़ है" और वहा से चला गया

--

"मिस्टर रघुवंशी मुझे नही लगता के वो ठाणे में है, शायद उसने हमे गुमराह किया हो, हम सब जगह देख चुके है" अमृता ने पीछे की सीट की ओर देखते हुए एकांश से कहा जो अपने फोन में स्वरा को मैसेज कर रहा था

"उसे पता ही नही है के मैं उसे खोज रहा हु तो गुमराह करने का सवाल ही नहीं है" एकांश ने कहा

"आपको कैसे पता?" अमृता

"बस पता है"

"लेकिन मुझे लगता है के अब हमे...." लेकिन एकांश ने एकदम से उसकी बात काट दी

"I don't want your opinions" एकांश ने एकदम कहा

"मैं तो बस..."

"बस!"

और इसी के साथ अमृता चुप हो गई, वो अब भी ये नही समझ पाई थी के एकांश इतने डेस्परेटली अक्षिता को क्यू ढूंढ रहा था जैसे ये उसके जीने मरने का सवाल हो

वही एकांश इस बात पर फ्रस्ट्रेट हो रहा था के वो अभी तक अक्षिता को नही ढूंढ पाया था ऊपर से उसकी मां के साथ हुई उसकी बातचीत ने उसका गुस्सा और बढ़ा दिया था

वो अपनी मां को हर्ट नही करता चाहता था लेकिन वो उनसे नाराज भी था ऊपर ये डिटेक्टिव कंटिन्यू बोलती रहती थी जिससे अब उसका दिमाग भन्ना रहा था, उसने कुछ पल अपनी आंखे बंद की और दिमाग शांत किया और फिर उस डायरी को देखा



अंश आज मैने तुम्हे देखा..

तुम मेरे सामने मेरे ऑफिस में खड़े थे..

मैं जानती थी के हमारा नया बॉस आ रहा है लेकिन वो तुम होगे ये मैने नही सोचा था, मुझे तो यकीन ही नहीं हो रहा था लग रहा था के मैं सपना देख रही हु ये मेरा वहम है क्युकी आजकल मैं तुम्हे मेरे आसपास ही महसूस कर रही हु लेकिन है सच था, तुम वहा थे

जब तुम अंदर आए मैं शॉक थी, मैं वहा कुछ देर किसी मूर्ति की तरह खड़ी थी जब तक रोहन ने मुझे होश में नहीं लाया, तुम सबसे मिल रहे थे और मैं वहा से निकलने की कोशिश कर रही थी लेकिन तभी बॉस ने मुझे बुला लिया

तुमने ऐसे जताया जैसे तुम मुझे जानते ही नहीं हो और मेरी तरफ देखा भी नहीं, हा थोड़ा दर्द हुआ पर मैं खुश हु के तुमसे मिली

पता है मुझे सबसे ज्यादा तकलीफ किससे हुई? तुम्हारे की बदले हुए एटीट्यूड और रुड बर्ताव से जो की ना सिर्फ मेरे लिए था बल्कि सभी के लिए था, you used to be the sweetest person I know लेकिन शायद तुम बदल चुके हो और इसके लिए कही न कही मैं ही जिम्मेदार हु

आई एम सॉरी अंश, मैने तुम्हारे साथ गलत किया है, मैं तुमसे माफी मांगना चाहती थी, तुम्हे बताना चाहती थी के मैं आज भी तुमसे कितना प्यार करती हु, तुमसे बात करना चाहती थी कितना कुछ बताना है तुम्हे... लेकिन मैं ऐसा नहीं कर सकती... दोबारा तुम्हे दर्द नही दे सकती....

मुझे रोज ये डर सताने लगा है के अपनी बीमारी को तुमसे जैसे छिपाऊंगी, तुम्हारे सामने ये कैसे बताऊंगी के तुम मेरे लिए कोई मायने नहीं रखते, मुझे तो ये सोच सोच कर छोटे पैनिक अटैक आने लगे है के तुम्हे सच पता चला तो क्या होगा

कई महीनो में पहली बार इतनी अच्छी नींद आई है, मैने कभी नहीं सोचा था के तुम्हे दोबारा देख भी पाऊंगी लेकिन लगता है अब सब सही हो सकता है...

आई लव यू अंश




"आई लव यू" एकांश ने धीमे से कहा और बाहर की ओर देखने लगा जब उसने पाया के अमृता उसे ही देख रही है

"कौन है वो?" अमृता ने धीरे से पूछा

"क्या?"

"Who is she to you?" अमृता ने नीचे देखते हुए पूछा

"It's none of your business" एकांश ने थोड़े गुस्से में कहा वही अमृता थोड़ा हर्ट फील करते हुए बाहर की ओर देखने लगी

और तभी एकांश का फोन लगा उसने नाम देखा और फोन उठाया

"क्या है स्वरा" एकांश ने कहा

"वाह, हेलो कहने का क्या बढ़िया तरीका है"

"मुद्दे पे आओ"

"तुम कहा हो?"

"ठाणे पहुंच रहा हु"

"उसके बारे में कुछ पता चला?" स्वरा ने उम्मीद से पूछा

"अभी तक नही"

"एकांश.... You need to forgive your mom, उनकी इस सब में कोई गलती नही है" स्वरा ने कहा

"तुम पागल हो गई हो क्या? तुम ऐसा कैसे कह सकती हो?" एकांश ने चिल्ला कर कहा जिससे अमृता भी थोड़ा चौकी

"एकांश...."

"स्वरा, उन्होंने मुझसे सच छिपाया है, पूरे डेढ़ साल तक, अगर मुझे पहले ही सब कुछ सच सच पता होता तो मैं उसे कभी अपने से दूर नही होने देता" एकांश ने चिल्ला कर कहा वही अमृता सब गौर से सुन रही थी

"जानती हु लेकिन वो और क्या करती? अपने बेटे को उसके प्यार को हर पल मारता देख तड़पने देती?" स्वरा ने भी गुस्से में कहा

"और आज मैं उस वक्त से ज्यादा तकलीफ में हु उसके बारे में सोच कर उसके ठिकाने के बारे में सोच कर, मैं अंदर से हर पल ये सोच कर मर रहा हु के शायद शायद मैं कुछ कर सकता था...." बोलते बोलते एकांश की आवाज कांपने लगी थी

अमृता को ज्यादा कुछ समझ नही आ रहा था लेकिन वो इतना तो जान गई थी के एकांश के लिया अक्षिता जितना उसने सोचा था उससे ज्यादा मायने रखती थी

"एकांश, आई एम सॉरी, देखी मैं सब जानती हू और समझती भी हु बस मैं नही चाहती थी के तुम अपनी मॉम को हर्ट करो... और शायद अक्षु भी यही चाहती" स्वरा ने आराम से कहा

"सॉरी तुम्हारे ऊपर इस तरह चिल्लाने के लिए" एकांश ने कहा वही अमृता ने चौक के उसे देखा क्युकी उसके लिया ये पार्टी किसी को सॉरी बोले ऐसी नही थी

" कोई न अब तो आदत है, पहली बार थोड़ी है" स्वरा ने कहा जिसे सुन एकांश भी मुस्कुरा दिया

"और कुछ?"

"हा.. वो तुम ठाणे ही जा रहे हो तो प्लीज उस डीलर से भी मिल लेना जिसके बारे में मैने कल बताया था" स्वरा ने कहा

"कौन सा वाला?"

"हमारे ठाणे के प्रोजेक्ट का, तुम्हे उससे एस्टीमेशन और टेंडर के बारे में बात करनी होगी ताकि आगे हम काम फाइनलाइज कर सके, अब वहा जा रहे हो तो मिल लो"

"नही नहीं मैने तुमसे कहा था जब तक मैं अक्षिता को ढूंढ नही लेता मैं कुछ नही करने वाला" एकांश ने कहा

"हा लेकिन इनसे प्लीज मिल हो, वो पहले ही कई बार तुम्हारे बारे में पूछ चुके है और मैं बात टाल चुकी हु, प्लीज एक बार मिल लो ताकि मैं बाकी बाते कर सकू" स्वरा मिन्नते करते हुए कहा

"ठीक है"

"और ये तुम्हारी कंपनी है यार कुछ काम तुम्ही को करने पड़ेंगे"

"हा हा ठीक है" और एकांश ने फोन काट दिया

एकांश ने देखा के अमृता उसे ही देख रही थी

"कोई प्राब्लम?" उसने पूछा

"नही" अमृता ने आगे देखते हुएं कहा

"आगे सर्च करने के पहले मुझे ठाणे में ही एक मीटिंग अटेंड करनी है" एकांश ने अमृता से कहा और अपना लैपटॉप खोला

"ओके"

--

कुछ देर बाद वो लोग मीटिंग की जगह पहुंचे और एकांश अंदर गया वही अमृता कार के पास ही उसका इंतजार करने लगी और केस की बाकी डिटेल्स के बारे में सोचने लगी

कुछ देर बार एकांश डील फाइनल करके आया और वो आगे बढ़ गए और एक रेस्टोरेंट पर खाने के लिए रुके, कोई कुछ नही बोल रहा था, अमृता लंच करने चली गई वही एकांश बाहर ही था, उसका खाने का मन नही था वो गाड़ी में बैठ कर अभी हुई मीटिंग के मेल भेज रहा था

तभी एक गाड़ी के टायर घिसने की जोरदार आवाज आई उसने बाहर देखा जहा से आवाज आया था वहा अब भीड़ जम गई थी और हंगामा हो रहा था

चुकी ये सब रोड के दूसरी साइड हुआ था इसीलिए एकांश को कुछ दिख नही रहा था और तब तक ड्राइवर और अमृता भी आ गए थे और ड्राइवर हंगामे की वजह से कार रिवर्स ले रहा था वही एकांश अपने अपने फोन निकाला और वहा की।लोकेशन देखने लगा

एकांश ने फिर देखा के वो हंगामा क्लीयर हुआ है या नही और अब भीड़ छटने लगी थी और एकांश को सब साफ दिख रहा था और तभी एकांश की नजरे रुकी, उसे एक जानी पहचानी फिगर दिखी

और

समय

रुक

गया.....



क्रमश:
Nice update....
 
260
326
63
Update 30



पिछले दो दिन से एकांश अमृता के साथ अक्षिता को ढूंढने में लगा हुआ था, वो जरा भी नही चाहता था के अमृता उसके साथ रहे लेकिन उसकी मजबूरी थी, अगर उसे अक्षिता को जल्द से जल्द ढूंढना था तो अमृता को साथ रखना ही था..

वो अमृता के उसके बारे में उसकी लाइफ के बारे में अक्षिता के बारे में लगातार चलते सवालों से परेशान हो गया था , हालांकि उसने उनमें से कई सवालों का जवाब नही दिया था और उसे चुप कराने के लिए उसका बस गुस्से से घूरना ही काफी था

उन लोगो ने उस मेडिकल पर पूछताछ की थी तो उस मेडिकल वाले ने बताया था के उसने वो दवाइया बस एक स्पेशल ऑर्डर के लिए मंगवाई थी और जब उससे पूछा गया के वो दवाइया लेने कौन आया था तो उसने बताया था के एक लड़की आई थी और वो दवाइया लेकर गई थी,

एकांश ने अपने फोन में उस मेडिकल वाले को अक्षिता की तस्वीर दिखा कर पूछा था के ये ये वही थी जिसने दवाइया मंगवाई थी जिसपर उस मेडिकल वाले ने भी हा कहा था

एकांश ये जानकर अब बहुत ज्यादा खुश था के वो अक्षिता के आसपास ही था, एकांश के चेहरे पर अब एक स्माइल थी वही अमृता बस एकांश को स्माइल करता था अपने को उसने खोया हुआ सा महसूस कर रही थी

एकांश ने उस बंदे से आगे भी पूछताछ की के क्या वो अक्षिता को जानता है या उसका एड्रेस जानता है के वो कहा से आई थी लेकिन अफसोस उसे ज्यादा कुछ नही पता था, us बंदे ने कहा के वो अक्षिता के बारे में कुछ भी नही जानता था जिसे सुन एकांश थोड़ा निराश हो गया था

लेकिन फिर भी उसके चेहरे पर स्माइल थी, उसका मन उससे कह रहा था के अक्षिता कही उसके आसपास ही थी और अब वो इसे जरूर ढूंढ लेगा

और बस तभी से एकांश और अमृता नए जोश के साथ अक्षितांको ढूंढने में लगे हुए थे..

पिछले दो दिन में एक और बात हुई थी, वो ये की अमृता के मन में एकांश के लिए फीलिंग बनने लगी थी, उसे एकांश पर क्रश तो पहले ही था लेकिन अब ये फीलिंग्स बढ़ रही थी, उसके पहले भी बॉयफ्रेंड थे, पुरुष मित्र थे लेकिन उसने कभी किसी के लिए ऐसा महसूस नही किया था जैसा एकांश के लिए करने लगी थी

उसे पहले भी कई लड़कों ने एप्रोच किया था लेकिन उसने किसी को घास तक नही डाली थी लेकिन यह एकांश के लिए उसकी फीलिंग्स ही अलग थी

इन दो दिनों में उसने एकांश को जाना था, ऑब्जर्व किया था, वो उन लड़कों जैसा नही था जिन्हे वो जानती थी, वो समझ गई थी एकांश अलग था, वो ये भी समझ गई थी के एकांश जैसा दिखता है वैसा था नही, वो भले ही ऊपर से रुड बनता लेकिन उसका दिल मोम जैसा था

वो एकांश को देखती थी जब वो एक फोटो को देख मुस्कुराता था, कैसे वो एकदून गौर से उस डायरी को पढ़ता था, कैसे वो उस डायरी और उस तस्वीर को अपने सीने से लगाता था, उसके चेहरे पर आते वो दर्द के भाव, हर पल किसी को तलाशती उसकी आंखे, अमृता सब नोटिस कर रही थी

वो नही जानती थी के अक्षिता कौन थी और ये लोग उसे क्यों ढूंढ रहे थे लेकिन वो इतना तो जान गई थी के अक्षिता एकांश के दिल के बहुत ज्यादा करीब थी

उसने एकांश से उसके बारे में उसकी जिंदगी के बारे में पसंद ना पसंद के बारे में बात करनी चाही लेकिन बदले में उसे बस कुछ छोटे जवाब मिले का थोड़े गुस्से से घूरती एकांश की आंखे जिससे वो चुप हो जाती थी...

--

"एकांश बेटा..."

एकांश चलते चलते रुका लेकिन पलटा नही

"तुम कहा जा रहे हो?" उसकी मां ने उसे पूछा

लेकिन एकांश कुछ नही बोला

"एकांश, talk to me"

वो फिर भी चुप रहा

"एकांश प्लीज, I said I am sorry"

उन्होंने कहा लेकिन एकांश अब भी कुछ नही बोला, उसने अपनी आंखे बंद कर ली

"मैने तुम्हे इसीलिए नही बताया था क्युकी मैने उससे वादा किया था और मैंने तुम्हे तकलीफ में नही देखना चाहती थी बेटा" उन्होंने एकांश का हाथ पकड़ते हुए उससे कहा

एकांश पलटा और अपनी मां को देखा

"तो आपको क्या लगता है मां अभी मैं बहुत मजे में हु, आप नही जानती के इस वक्त मैं कैसा महसूस कर रहा हु कितनी तकलीफ में हु ये सोचते हुए के वो इतने समय मेरी आंखों के सामने थी लेकिन मैं उसे बचाने के लिए कुछ नही कर पाया, ये सोच के मेरा दिल जल रहा हैं के उसने कभी मुझसे प्यार करना बंद ही नही किया और मैं उसके लिए कुछ नही कर पाया, उसे अगर कुछ हो गया तो पता नही मैं क्या कर जाऊंगा" एकांश ने रोते हुए कहा

"बेटा मैं जानती हु वो बहुत अच्छी लड़की है और तुमसे बहुत प्यार करती है लेकिन वही नही चाहती थी के ये बात कभी तुम्हे पता चला और एक मां होने के नाते मैने भी वही किया जो मुझे तुम्हारे लिए सही लगा, प्लीज एकांश मुझे अपने से दूर मत करो, मैं तुम्हारी बेरुखी नही झेल पाऊंगी बेटा" उन्होंने रोते हुए कहा लेकिन एकांश कुछ नही बोला

"एकांश...."

"अगर आप मुझे पहले ही ये सब बता देती तो मैं उसे कभी अपने से दूर नही होने देता, शायद मैं उसे बचाने के लिए कुछ कर सकता या उस मुश्किल वक्त में उसका साथ ही दे सकता था" एकांश ने कहा और वहा से चला गया वही उसकी बार रोते हुए उसे जाता देखने लगी और फिर एकांश रुका और बोला

"मुझे आपसे कोई शिकायत नही है मां, मुझे बस अपने आप से चिढ़ है" और वहा से चला गया

--

"मिस्टर रघुवंशी मुझे नही लगता के वो ठाणे में है, शायद उसने हमे गुमराह किया हो, हम सब जगह देख चुके है" अमृता ने पीछे की सीट की ओर देखते हुए एकांश से कहा जो अपने फोन में स्वरा को मैसेज कर रहा था

"उसे पता ही नही है के मैं उसे खोज रहा हु तो गुमराह करने का सवाल ही नहीं है" एकांश ने कहा

"आपको कैसे पता?" अमृता

"बस पता है"

"लेकिन मुझे लगता है के अब हमे...." लेकिन एकांश ने एकदम से उसकी बात काट दी

"I don't want your opinions" एकांश ने एकदम कहा

"मैं तो बस..."

"बस!"

और इसी के साथ अमृता चुप हो गई, वो अब भी ये नही समझ पाई थी के एकांश इतने डेस्परेटली अक्षिता को क्यू ढूंढ रहा था जैसे ये उसके जीने मरने का सवाल हो

वही एकांश इस बात पर फ्रस्ट्रेट हो रहा था के वो अभी तक अक्षिता को नही ढूंढ पाया था ऊपर से उसकी मां के साथ हुई उसकी बातचीत ने उसका गुस्सा और बढ़ा दिया था

वो अपनी मां को हर्ट नही करता चाहता था लेकिन वो उनसे नाराज भी था ऊपर ये डिटेक्टिव कंटिन्यू बोलती रहती थी जिससे अब उसका दिमाग भन्ना रहा था, उसने कुछ पल अपनी आंखे बंद की और दिमाग शांत किया और फिर उस डायरी को देखा



अंश आज मैने तुम्हे देखा..

तुम मेरे सामने मेरे ऑफिस में खड़े थे..

मैं जानती थी के हमारा नया बॉस आ रहा है लेकिन वो तुम होगे ये मैने नही सोचा था, मुझे तो यकीन ही नहीं हो रहा था लग रहा था के मैं सपना देख रही हु ये मेरा वहम है क्युकी आजकल मैं तुम्हे मेरे आसपास ही महसूस कर रही हु लेकिन है सच था, तुम वहा थे

जब तुम अंदर आए मैं शॉक थी, मैं वहा कुछ देर किसी मूर्ति की तरह खड़ी थी जब तक रोहन ने मुझे होश में नहीं लाया, तुम सबसे मिल रहे थे और मैं वहा से निकलने की कोशिश कर रही थी लेकिन तभी बॉस ने मुझे बुला लिया

तुमने ऐसे जताया जैसे तुम मुझे जानते ही नहीं हो और मेरी तरफ देखा भी नहीं, हा थोड़ा दर्द हुआ पर मैं खुश हु के तुमसे मिली

पता है मुझे सबसे ज्यादा तकलीफ किससे हुई? तुम्हारे की बदले हुए एटीट्यूड और रुड बर्ताव से जो की ना सिर्फ मेरे लिए था बल्कि सभी के लिए था, you used to be the sweetest person I know लेकिन शायद तुम बदल चुके हो और इसके लिए कही न कही मैं ही जिम्मेदार हु

आई एम सॉरी अंश, मैने तुम्हारे साथ गलत किया है, मैं तुमसे माफी मांगना चाहती थी, तुम्हे बताना चाहती थी के मैं आज भी तुमसे कितना प्यार करती हु, तुमसे बात करना चाहती थी कितना कुछ बताना है तुम्हे... लेकिन मैं ऐसा नहीं कर सकती... दोबारा तुम्हे दर्द नही दे सकती....

मुझे रोज ये डर सताने लगा है के अपनी बीमारी को तुमसे जैसे छिपाऊंगी, तुम्हारे सामने ये कैसे बताऊंगी के तुम मेरे लिए कोई मायने नहीं रखते, मुझे तो ये सोच सोच कर छोटे पैनिक अटैक आने लगे है के तुम्हे सच पता चला तो क्या होगा

कई महीनो में पहली बार इतनी अच्छी नींद आई है, मैने कभी नहीं सोचा था के तुम्हे दोबारा देख भी पाऊंगी लेकिन लगता है अब सब सही हो सकता है...

आई लव यू अंश




"आई लव यू" एकांश ने धीमे से कहा और बाहर की ओर देखने लगा जब उसने पाया के अमृता उसे ही देख रही है

"कौन है वो?" अमृता ने धीरे से पूछा

"क्या?"

"Who is she to you?" अमृता ने नीचे देखते हुए पूछा

"It's none of your business" एकांश ने थोड़े गुस्से में कहा वही अमृता थोड़ा हर्ट फील करते हुए बाहर की ओर देखने लगी

और तभी एकांश का फोन लगा उसने नाम देखा और फोन उठाया

"क्या है स्वरा" एकांश ने कहा

"वाह, हेलो कहने का क्या बढ़िया तरीका है"

"मुद्दे पे आओ"

"तुम कहा हो?"

"ठाणे पहुंच रहा हु"

"उसके बारे में कुछ पता चला?" स्वरा ने उम्मीद से पूछा

"अभी तक नही"

"एकांश.... You need to forgive your mom, उनकी इस सब में कोई गलती नही है" स्वरा ने कहा

"तुम पागल हो गई हो क्या? तुम ऐसा कैसे कह सकती हो?" एकांश ने चिल्ला कर कहा जिससे अमृता भी थोड़ा चौकी

"एकांश...."

"स्वरा, उन्होंने मुझसे सच छिपाया है, पूरे डेढ़ साल तक, अगर मुझे पहले ही सब कुछ सच सच पता होता तो मैं उसे कभी अपने से दूर नही होने देता" एकांश ने चिल्ला कर कहा वही अमृता सब गौर से सुन रही थी

"जानती हु लेकिन वो और क्या करती? अपने बेटे को उसके प्यार को हर पल मारता देख तड़पने देती?" स्वरा ने भी गुस्से में कहा

"और आज मैं उस वक्त से ज्यादा तकलीफ में हु उसके बारे में सोच कर उसके ठिकाने के बारे में सोच कर, मैं अंदर से हर पल ये सोच कर मर रहा हु के शायद शायद मैं कुछ कर सकता था...." बोलते बोलते एकांश की आवाज कांपने लगी थी

अमृता को ज्यादा कुछ समझ नही आ रहा था लेकिन वो इतना तो जान गई थी के एकांश के लिया अक्षिता जितना उसने सोचा था उससे ज्यादा मायने रखती थी

"एकांश, आई एम सॉरी, देखी मैं सब जानती हू और समझती भी हु बस मैं नही चाहती थी के तुम अपनी मॉम को हर्ट करो... और शायद अक्षु भी यही चाहती" स्वरा ने आराम से कहा

"सॉरी तुम्हारे ऊपर इस तरह चिल्लाने के लिए" एकांश ने कहा वही अमृता ने चौक के उसे देखा क्युकी उसके लिया ये पार्टी किसी को सॉरी बोले ऐसी नही थी

" कोई न अब तो आदत है, पहली बार थोड़ी है" स्वरा ने कहा जिसे सुन एकांश भी मुस्कुरा दिया

"और कुछ?"

"हा.. वो तुम ठाणे ही जा रहे हो तो प्लीज उस डीलर से भी मिल लेना जिसके बारे में मैने कल बताया था" स्वरा ने कहा

"कौन सा वाला?"

"हमारे ठाणे के प्रोजेक्ट का, तुम्हे उससे एस्टीमेशन और टेंडर के बारे में बात करनी होगी ताकि आगे हम काम फाइनलाइज कर सके, अब वहा जा रहे हो तो मिल लो"

"नही नहीं मैने तुमसे कहा था जब तक मैं अक्षिता को ढूंढ नही लेता मैं कुछ नही करने वाला" एकांश ने कहा

"हा लेकिन इनसे प्लीज मिल हो, वो पहले ही कई बार तुम्हारे बारे में पूछ चुके है और मैं बात टाल चुकी हु, प्लीज एक बार मिल लो ताकि मैं बाकी बाते कर सकू" स्वरा मिन्नते करते हुए कहा

"ठीक है"

"और ये तुम्हारी कंपनी है यार कुछ काम तुम्ही को करने पड़ेंगे"

"हा हा ठीक है" और एकांश ने फोन काट दिया

एकांश ने देखा के अमृता उसे ही देख रही थी

"कोई प्राब्लम?" उसने पूछा

"नही" अमृता ने आगे देखते हुएं कहा

"आगे सर्च करने के पहले मुझे ठाणे में ही एक मीटिंग अटेंड करनी है" एकांश ने अमृता से कहा और अपना लैपटॉप खोला

"ओके"

--

कुछ देर बाद वो लोग मीटिंग की जगह पहुंचे और एकांश अंदर गया वही अमृता कार के पास ही उसका इंतजार करने लगी और केस की बाकी डिटेल्स के बारे में सोचने लगी

कुछ देर बार एकांश डील फाइनल करके आया और वो आगे बढ़ गए और एक रेस्टोरेंट पर खाने के लिए रुके, कोई कुछ नही बोल रहा था, अमृता लंच करने चली गई वही एकांश बाहर ही था, उसका खाने का मन नही था वो गाड़ी में बैठ कर अभी हुई मीटिंग के मेल भेज रहा था

तभी एक गाड़ी के टायर घिसने की जोरदार आवाज आई उसने बाहर देखा जहा से आवाज आया था वहा अब भीड़ जम गई थी और हंगामा हो रहा था

चुकी ये सब रोड के दूसरी साइड हुआ था इसीलिए एकांश को कुछ दिख नही रहा था और तब तक ड्राइवर और अमृता भी आ गए थे और ड्राइवर हंगामे की वजह से कार रिवर्स ले रहा था वही एकांश अपने अपने फोन निकाला और वहा की।लोकेशन देखने लगा

एकांश ने फिर देखा के वो हंगामा क्लीयर हुआ है या नही और अब भीड़ छटने लगी थी और एकांश को सब साफ दिख रहा था और तभी एकांश की नजरे रुकी, उसे एक जानी पहचानी फिगर दिखी

और

समय

रुक

गया.....



क्रमश:
Aur aaj fir akhshita nahi mili,
Aur bahut dukh ho Raha hai, Akhshita ke na Milne se
 

Adirshi

Royal कारभार 👑
Staff member
Sr. Moderator
38,132
53,699
304
🤨🤨 Shayad ye wahi h or agerr ye wo nahi h to akansh ka pta nahi mene aapko thook Dena h🤨🤨itna late update dete ho avilable hokr bhi update ille....🤨🤨🤨ye koi baat hoti h ...or galti chupane ke liye ek update ke do tukade karke.....laga liya mind....🤨🤨na na na babu asa nahi karte aache bachhe🤨🤨(just kidding yaar...per ha sachi me itna late update p kutai to banti h aapki):bat1::fight3:
Thank you for the review and ek update chhota tha isiliye to do diye :shy:
 
Top