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"अगर उसे लेट ही आना था तो उसने हमे इतना अर्जेंटली क्यू बुलाया"
"स्वरा रिलैक्स, वो ट्राफिक में फस गया होगा"
"कैसे रिलैक्स करू रोहन, कितने काम है अभी घंटे भर में ऑफिस में इंपोर्टेंट मीटिंग है, अक्षु का कुछ पता नहीं चल रहा, हमारा बॉस ऑफिस से गायब है और क्यों है इसकी ऑफिस वालो को खबर भी नही है और हम भी नही रहे तो नुकसान तगड़ा हो जायेगा"
"स्वरा हम एकांश को दोष नही दे सकते वो किस कंडीशन में है हम जानते है"
"इसीलिए तो सब मैनेज कर रहे है" स्वरा ने कहा
"खैर उसने हमे बुलाया है तो जरूर कुछ न कुछ बहुत ही जरूरी बात होगी लेट्स वेट"
ये लोग बात कर ही रहे थे वही कैफे में इन्ही के टेबल के पास एक लड़की बैठी थी जो बस इन लोगो को ही देखे जा रही थी,
एक पल को उसकी और स्वरा की नजरे भी मिली लेकिन स्वरा ने उसे इग्नोर कर दिया लेकिन उसने अपनी नजरे उनपर बनाए रखी
थोड़े ही समय के बाद एकांश भी वहा पहुंच गया और उनलोगो के सामने वाली कुर्सी पर जाकर बैठा था,
स्वरा टेबल तब सर टिकाए बैठी और एकांश के आने की आवाज सुन वो सीधी बैठ गई वही रोहन भी एकांश को देखने लगा
एकांश कुछ नही बोल रहा था वो बस अपने फोन में लगा हुआ था और किसी को बार बार कॉल लगा रहा था लेकिन सामने वाला जवाब नही दे रहा था
जब कुछ समय तक एकांश कुछ नही बोला तो स्वरा ने पूछा
"एकांश क्या हुआ है ? क्या अर्जेंट बात है? अक्षू के बारे में कुछ पता चला?" स्वरा ने पूछा बदले में एकांश ने बस हा में सर हिलाया
"एकांश प्लीज बताओगे बात क्या है, देखो हमे ऑफिस पहुंचना है तुम नही हो ऐसे में वहा का काम भी बिखरा हुआ है"
"मैं जानता हूं रोहन, बस एक बार अक्षिता मिले सब सही हो जायेगा, अरे यार ये फोन क्यों नही उठा रही??" एकांश ने थोड़ा जोर से कहा
"कौन?" रोहन और स्वरा ने एकसाथ पूछा
"मैं"
सबने ये आवाज सुनी और उसकी ओर देखा जिसने 'मैं' कहा था , ये वही लड़की थी जो उन्हे देख रही थी
"क्या?" स्वरा ने सवालिया नजरो से पूछा
"मैं ही वो हु जिसका आपलोग इंतजार कर रहे थे" उस लड़की ने कहा,
स्वरा और रोहन को कुछ समझ नही आ रहा था क्युकी उन्हें पूरी बात बता ही नही थी एकांश ने तो उनसे बस वहा आने कहा था लेकिन एकांश उसे पहचान गया और उसने उसे बैठने कहा
"तो आप है डिटेक्टिव अमृता?" एकांश ने उस लड़की को देखते हुए या यू कर एक उसका एक्सरे करते हुए कहा
वैसे वो लड़की भी एक पल को एकांश की आंखो में खो गई थी, वो रियल में ज्यादा अच्छा दिखता था
"जी हा" उसने कहा
"रोहन, स्वरा ये वो डिटेक्टिव है जिन्हे हमने अक्षु को ढूंढने हायर किया था और मिस अमृता ये मेरे दोस्त है" एकांश ने फॉर्मल इंट्रोडक्शन कराया स्वरा और रोहन ने भी अमृता से हाथ मिलाया
"अब अहम बात पर आते है, मिस अमृता आपने कहा था आपको अक्षिता के बारे में कोई लीड मिली है, क्या पता चला?" एकांश ने कहा
"क्या?" स्वरा ने कहा
"क्या पता चला?" रोहन ने भी जल्दी पूछ लिया
"बताती हु, एक्चुअली उसे ट्रेस करना बहुत ही मुश्किल है क्युकी उसने अपने आप को बहुत बढ़िया तरीके से छिपाया हुआ है, she is keeping a very low profile, वो ना तो अपना पुराना फोन या न्यूज यूज कर रही है ना ही पुराना कोई भी कार्ड जिससे उस तक पहुंचा जाए" अमृता ने कहा
"ये मुझे पुलिस भी बता चुकी है, आगे?" एकांश ने कहा
"देखिए मैने अमर सर से उसके बारे में और डिटेल्स जानी उसके फैमिली के बारे में पता किया और अमर सर ने भी उन्हें जो जो पता था सब बताया, जो सब भी जो आपलोगों ने पता किया था, एड्रेस और जहा ट्रीटमेंट चल रहा है सब और फिर मैंने खोज शुरू की, मैने उसने पड़ोसियों से पूछा लेकिन जैसी उम्मीद थी उन्हें कुछ नही पता था बस इतना पता चला के अक्षिता के पिता एक रिटायर्ड गवर्मेंट ऑफिशियल है, मैने फिर उनके बारे में भी पता करना चाहा लेकिन वो लोग बहुत ही कम लोगो से कॉन्टैक्ट रखे हुए थे और बस आपस में ही खुश थे किसिसे या किसी बात में ज्यादा इन्वॉल्व नही होते थे और इसीलिए उन्हें ढूंढना ज्यादा मुश्किल काम है, मैने ये भी पता करने की कोशिश की के शायद ही सकता हो उनकी कोई दूसरी प्रॉपर्टी को जहा वो गए हो या किसी दूसरे शहर में कुछ हो लेकिन ऐसा भी कुछ पता नहीं चल पाया तो मिलाजुलाकार बस हॉस्पिटल और उसका घर ही था जहा से कुछ पता चल सकता था, वो घर नही आने वाले थे मुझे पता था इसीलिए मैं हॉस्पिटल पर अपनी नजरे बनाए हुए थे और जब अमर सर ने मुझे बताया के वो हॉस्पिटल में चेकअप के लिए आई थी तब मैं वही पास में ही थी और जब तक मैं वहा पहुंची तब तक या तो वो जा चुकी थी या फिर उसने अपने आप को कवर कर लिया था ताकि कोई उसे ना पहचाने या हो सकता है सब क्लीयर होने तक कही छिप गई हो, खैर मुझे लगता है उसे शक तो है के कोई पीछा कर सकता है इसीलिए वो चेकअप के बाद बगैर दवाइया लिए वहा से चली गई थी, उसने हॉस्पिटल ले मेडिकल से दवाइया नही ली थी जहा से वो हर बार लेती थी" अमृता बोलते बोलते रुकी और उसने उन लोगो को देखा जो उसकी बात ध्यान से सुन रहे थे
"तुम्हे हॉस्पिटल वाली बात कैसे पता?" रोहन ने पूछा
"अमर सर ने बताया था आप लोग डॉक्टर से मिले थे और शायद डॉक्टर ने आपको prescription की कॉपी भी दी थी मैंने उन्हें वाली कॉपी मांगी और उसी से आगे को छानबीन की, सबसे पहले तो मैंने हॉस्पिटल के ही मेडिकल हॉल में। इंक्वायरी की, उन्होंने बताया के अक्षिता नाम को पेशेंट हर महीने उन्हीं के पास से दवाइया लेती है लेकिन इस बार उसने वहा से दवाइया नही ली थी इसीलिए फिर मैने हॉस्पिटल के आसपास के भी सभी मेडिकल्स में पूछा और मेरे कॉन्टैक्ट के थ्रू मुझे ऐसी जगह का पता चला जहा से शहर के कई मेडिकल में दवाइया जाति थी, वहा से मुझे पता चला के एक छोटे से मेडिकल ने अभी रिसेंटली ही यही दवाइया ऑर्डर की थी और जब मैने चेक किया तो पाया के ये वो एक्जैक्ट दवाइया थी जो उस प्रिस्क्रिप्शन में थी" अमृता ने बात खतम की
"तो तुम्हारा मतलब है के वो अक्षिता ही है जिसने ये दवाइया मंगवाई है" स्वरा ने पूछा
"हा, क्युकी कोई भी दूसरा पेशेंट एक्जैक्ट सेम प्रिस्क्रिप्शन ऑर्डर नही कर सकता था"
"सही है" रोहन ने कहा
वहा एकांश इस पूरे वाकए में एकदम ही शांत था, पहले तो वो खुश हुआ के कुछ तो पता चला है लेकिन फिर उसके मन में ये डर भी था के कही से सब गलत ना हो
"वो मेडिकल कहा है?" एकांश ने पूछा
"वो ये छोटा सा मेडिकल है ठाणे में" अमृता ने कहा
"ठीक है तुम दोनो ऑफिस के लिए निकलो मैं वहा उस मेडिकल पर जाकर देखता हु वहा आसपास देखता हु" एकांश ने वहा से उठते हुए रोहन और स्वरा से कहा
"क्या? हम तुमको अकेला नही जाने देंगे" स्वरा ने कहा
"हा हम भी साथ चलेंगे" रोहन ने भी स्वरा की बात में हामी भरी
"अगर तुम लोग साथ चलोगे तो ऑफिस कौन संभालेगा?" एकांश ने कहा
"लेकिन...."
"बस मैं जा रहा हु और कोई बहस नही"
"एक मिनट मिस्टर रघुवंशी, मैं भी आपके साथ चलती हु" अमृता ने भी अपना पर्स उठते हुए कहा
"नही मैं अकेला ही जाऊंगा आप बस मुझे उस मेडिकल का एड्रेस बताए" एकांश ने कहा
"देखिए हो सकता है उसने वही से दवाइया ली हो लेकिन ये जरूरी नहीं के वो वही उसी इलाके में रहती हो, मैं उस एरिया को जानती हू और मेरे पास कुछ लोकेशन है जहा हम उसे ढूंढ सकते है, मेरे साथ रहने से आपको उसे ढूंढने में आसानी होगी" अमृता ने कहा
एकांश ने एक पल सोचा और फिर बोला
"ठीक है"
जिसके बाद एकांश और अमृता निकल गए, अमृता बस इस बात से खुश थी के वो एकांश के साथ थी, उसने उसकी तस्वीर एक बिजनेस मैगजीन में देखी थी तभी से उसे उसपर क्रश था और याहा साथ साथ उसका काम भी हो रहा था
वो लोग एकांश की कार के पास आए, एकांश ने उसे आगे ड्राइवर के बाजू में पैसेंजर सीट पे बैठने कहा और खुद पीछे बैठ गया, एकांश अब जहा भी जाता ड्राइवर साथ होता था जो की अमर ने कहा था क्युकी इस डिप्रेस्ड हालत में वो एकांश की ड्राइविंग पर भरोसा नहीं कर सकते थे
अमृता ने ड्राइवर को एड्रेस बताया और कार चल पड़ी, अमृता ने पीछे देखा तो पाया के एकांश की पढ़ रहा था, एक डायरी..
मुझे इस जगह से प्यार हो गया है
क्या सही जगह है यार, ये ऑफिस यहा का वातावरण, यहा के लोग सबकुछ अच्छा है, यहा तक की बॉस भी फ्रेंडली है
आज मैं दो अमेजिंग लोगो से मिली, रोहन और स्वरा, हमने साथ में ही आज ऑफिस ज्वाइन किया है बढ़िया लोग है, लगता है हम अच्छे दोस्त बन सकते है
मुझे लगता है ये लोग, ये ऑफिस ये माहोल कुछ वक्त के लिए ही सही मुझे मेरे दर्द से निकलने में बहुत मदद करेगा
और इस सब में भी मैं तुम्हे बहुत मिस करती ही अंश
आई लव यू
एकांश ने डायरी बंद की और अपनी आंखों से निकलती आंसू की बूंद साफ की और खिड़की के बाहर देखने लगा, अमृता अपना फोन चलाते हुए बीच बीच में एकांश को देख रही थी, उसने तो खबर भी नही थी के एकांश के मन में क्या चल रहा था
कुछ समय बाद एकांश वापिस डायरी के कुछ पन्ने पढ़ने लगा जिसमे अक्षिता के नए दोस्तो के बारे में लिखा हुआ है जिसे पढ़कर उसे भी हसी आई क्युकी स्वरा और रोहन थे भी वैसे, पक्के दोस्त लेकिन हर पन्ने में एक बार कॉमन थी, अक्षिता का उसे लिखा आई लव यू
पिछले दो दिन से एकांश अमृता के साथ अक्षिता को ढूंढने में लगा हुआ था, वो जरा भी नही चाहता था के अमृता उसके साथ रहे लेकिन उसकी मजबूरी थी, अगर उसे अक्षिता को जल्द से जल्द ढूंढना था तो अमृता को साथ रखना ही था..
वो अमृता के उसके बारे में उसकी लाइफ के बारे में अक्षिता के बारे में लगातार चलते सवालों से परेशान हो गया था , हालांकि उसने उनमें से कई सवालों का जवाब नही दिया था और उसे चुप कराने के लिए उसका बस गुस्से से घूरना ही काफी था
उन लोगो ने उस मेडिकल पर पूछताछ की थी तो उस मेडिकल वाले ने बताया था के उसने वो दवाइया बस एक स्पेशल ऑर्डर के लिए मंगवाई थी और जब उससे पूछा गया के वो दवाइया लेने कौन आया था तो उसने बताया था के एक लड़की आई थी और वो दवाइया लेकर गई थी,
एकांश ने अपने फोन में उस मेडिकल वाले को अक्षिता की तस्वीर दिखा कर पूछा था के ये ये वही थी जिसने दवाइया मंगवाई थी जिसपर उस मेडिकल वाले ने भी हा कहा था
एकांश ये जानकर अब बहुत ज्यादा खुश था के वो अक्षिता के आसपास ही था, एकांश के चेहरे पर अब एक स्माइल थी वही अमृता बस एकांश को स्माइल करता था अपने को उसने खोया हुआ सा महसूस कर रही थी
एकांश ने उस बंदे से आगे भी पूछताछ की के क्या वो अक्षिता को जानता है या उसका एड्रेस जानता है के वो कहा से आई थी लेकिन अफसोस उसे ज्यादा कुछ नही पता था, us बंदे ने कहा के वो अक्षिता के बारे में कुछ भी नही जानता था जिसे सुन एकांश थोड़ा निराश हो गया था
लेकिन फिर भी उसके चेहरे पर स्माइल थी, उसका मन उससे कह रहा था के अक्षिता कही उसके आसपास ही थी और अब वो इसे जरूर ढूंढ लेगा
और बस तभी से एकांश और अमृता नए जोश के साथ अक्षितांको ढूंढने में लगे हुए थे..
पिछले दो दिन में एक और बात हुई थी, वो ये की अमृता के मन में एकांश के लिए फीलिंग बनने लगी थी, उसे एकांश पर क्रश तो पहले ही था लेकिन अब ये फीलिंग्स बढ़ रही थी, उसके पहले भी बॉयफ्रेंड थे, पुरुष मित्र थे लेकिन उसने कभी किसी के लिए ऐसा महसूस नही किया था जैसा एकांश के लिए करने लगी थी
उसे पहले भी कई लड़कों ने एप्रोच किया था लेकिन उसने किसी को घास तक नही डाली थी लेकिन यह एकांश के लिए उसकी फीलिंग्स ही अलग थी
इन दो दिनों में उसने एकांश को जाना था, ऑब्जर्व किया था, वो उन लड़कों जैसा नही था जिन्हे वो जानती थी, वो समझ गई थी एकांश अलग था, वो ये भी समझ गई थी के एकांश जैसा दिखता है वैसा था नही, वो भले ही ऊपर से रुड बनता लेकिन उसका दिल मोम जैसा था
वो एकांश को देखती थी जब वो एक फोटो को देख मुस्कुराता था, कैसे वो एकदून गौर से उस डायरी को पढ़ता था, कैसे वो उस डायरी और उस तस्वीर को अपने सीने से लगाता था, उसके चेहरे पर आते वो दर्द के भाव, हर पल किसी को तलाशती उसकी आंखे, अमृता सब नोटिस कर रही थी
वो नही जानती थी के अक्षिता कौन थी और ये लोग उसे क्यों ढूंढ रहे थे लेकिन वो इतना तो जान गई थी के अक्षिता एकांश के दिल के बहुत ज्यादा करीब थी
उसने एकांश से उसके बारे में उसकी जिंदगी के बारे में पसंद ना पसंद के बारे में बात करनी चाही लेकिन बदले में उसे बस कुछ छोटे जवाब मिले का थोड़े गुस्से से घूरती एकांश की आंखे जिससे वो चुप हो जाती थी...
--
"एकांश बेटा..."
एकांश चलते चलते रुका लेकिन पलटा नही
"तुम कहा जा रहे हो?" उसकी मां ने उसे पूछा
लेकिन एकांश कुछ नही बोला
"एकांश, talk to me"
वो फिर भी चुप रहा
"एकांश प्लीज, I said I am sorry"
उन्होंने कहा लेकिन एकांश अब भी कुछ नही बोला, उसने अपनी आंखे बंद कर ली
"मैने तुम्हे इसीलिए नही बताया था क्युकी मैने उससे वादा किया था और मैंने तुम्हे तकलीफ में नही देखना चाहती थी बेटा" उन्होंने एकांश का हाथ पकड़ते हुए उससे कहा
एकांश पलटा और अपनी मां को देखा
"तो आपको क्या लगता है मां अभी मैं बहुत मजे में हु, आप नही जानती के इस वक्त मैं कैसा महसूस कर रहा हु कितनी तकलीफ में हु ये सोचते हुए के वो इतने समय मेरी आंखों के सामने थी लेकिन मैं उसे बचाने के लिए कुछ नही कर पाया, ये सोच के मेरा दिल जल रहा हैं के उसने कभी मुझसे प्यार करना बंद ही नही किया और मैं उसके लिए कुछ नही कर पाया, उसे अगर कुछ हो गया तो पता नही मैं क्या कर जाऊंगा" एकांश ने रोते हुए कहा
"बेटा मैं जानती हु वो बहुत अच्छी लड़की है और तुमसे बहुत प्यार करती है लेकिन वही नही चाहती थी के ये बात कभी तुम्हे पता चला और एक मां होने के नाते मैने भी वही किया जो मुझे तुम्हारे लिए सही लगा, प्लीज एकांश मुझे अपने से दूर मत करो, मैं तुम्हारी बेरुखी नही झेल पाऊंगी बेटा" उन्होंने रोते हुए कहा लेकिन एकांश कुछ नही बोला
"एकांश...."
"अगर आप मुझे पहले ही ये सब बता देती तो मैं उसे कभी अपने से दूर नही होने देता, शायद मैं उसे बचाने के लिए कुछ कर सकता या उस मुश्किल वक्त में उसका साथ ही दे सकता था" एकांश ने कहा और वहा से चला गया वही उसकी बार रोते हुए उसे जाता देखने लगी और फिर एकांश रुका और बोला
"मुझे आपसे कोई शिकायत नही है मां, मुझे बस अपने आप से चिढ़ है" और वहा से चला गया
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"मिस्टर रघुवंशी मुझे नही लगता के वो ठाणे में है, शायद उसने हमे गुमराह किया हो, हम सब जगह देख चुके है" अमृता ने पीछे की सीट की ओर देखते हुए एकांश से कहा जो अपने फोन में स्वरा को मैसेज कर रहा था
"उसे पता ही नही है के मैं उसे खोज रहा हु तो गुमराह करने का सवाल ही नहीं है" एकांश ने कहा
"आपको कैसे पता?" अमृता
"बस पता है"
"लेकिन मुझे लगता है के अब हमे...." लेकिन एकांश ने एकदम से उसकी बात काट दी
"I don't want your opinions" एकांश ने एकदम कहा
"मैं तो बस..."
"बस!"
और इसी के साथ अमृता चुप हो गई, वो अब भी ये नही समझ पाई थी के एकांश इतने डेस्परेटली अक्षिता को क्यू ढूंढ रहा था जैसे ये उसके जीने मरने का सवाल हो
वही एकांश इस बात पर फ्रस्ट्रेट हो रहा था के वो अभी तक अक्षिता को नही ढूंढ पाया था ऊपर से उसकी मां के साथ हुई उसकी बातचीत ने उसका गुस्सा और बढ़ा दिया था
वो अपनी मां को हर्ट नही करता चाहता था लेकिन वो उनसे नाराज भी था ऊपर ये डिटेक्टिव कंटिन्यू बोलती रहती थी जिससे अब उसका दिमाग भन्ना रहा था, उसने कुछ पल अपनी आंखे बंद की और दिमाग शांत किया और फिर उस डायरी को देखा
अंश आज मैने तुम्हे देखा..
तुम मेरे सामने मेरे ऑफिस में खड़े थे..
मैं जानती थी के हमारा नया बॉस आ रहा है लेकिन वो तुम होगे ये मैने नही सोचा था, मुझे तो यकीन ही नहीं हो रहा था लग रहा था के मैं सपना देख रही हु ये मेरा वहम है क्युकी आजकल मैं तुम्हे मेरे आसपास ही महसूस कर रही हु लेकिन है सच था, तुम वहा थे
जब तुम अंदर आए मैं शॉक थी, मैं वहा कुछ देर किसी मूर्ति की तरह खड़ी थी जब तक रोहन ने मुझे होश में नहीं लाया, तुम सबसे मिल रहे थे और मैं वहा से निकलने की कोशिश कर रही थी लेकिन तभी बॉस ने मुझे बुला लिया
तुमने ऐसे जताया जैसे तुम मुझे जानते ही नहीं हो और मेरी तरफ देखा भी नहीं, हा थोड़ा दर्द हुआ पर मैं खुश हु के तुमसे मिली
पता है मुझे सबसे ज्यादा तकलीफ किससे हुई? तुम्हारे की बदले हुए एटीट्यूड और रुड बर्ताव से जो की ना सिर्फ मेरे लिए था बल्कि सभी के लिए था, you used to be the sweetest person I know लेकिन शायद तुम बदल चुके हो और इसके लिए कही न कही मैं ही जिम्मेदार हु
आई एम सॉरी अंश, मैने तुम्हारे साथ गलत किया है, मैं तुमसे माफी मांगना चाहती थी, तुम्हे बताना चाहती थी के मैं आज भी तुमसे कितना प्यार करती हु, तुमसे बात करना चाहती थी कितना कुछ बताना है तुम्हे... लेकिन मैं ऐसा नहीं कर सकती... दोबारा तुम्हे दर्द नही दे सकती....
मुझे रोज ये डर सताने लगा है के अपनी बीमारी को तुमसे जैसे छिपाऊंगी, तुम्हारे सामने ये कैसे बताऊंगी के तुम मेरे लिए कोई मायने नहीं रखते, मुझे तो ये सोच सोच कर छोटे पैनिक अटैक आने लगे है के तुम्हे सच पता चला तो क्या होगा
कई महीनो में पहली बार इतनी अच्छी नींद आई है, मैने कभी नहीं सोचा था के तुम्हे दोबारा देख भी पाऊंगी लेकिन लगता है अब सब सही हो सकता है...
आई लव यू अंश
"आई लव यू" एकांश ने धीमे से कहा और बाहर की ओर देखने लगा जब उसने पाया के अमृता उसे ही देख रही है
"कौन है वो?" अमृता ने धीरे से पूछा
"क्या?"
"Who is she to you?" अमृता ने नीचे देखते हुए पूछा
"It's none of your business" एकांश ने थोड़े गुस्से में कहा वही अमृता थोड़ा हर्ट फील करते हुए बाहर की ओर देखने लगी
और तभी एकांश का फोन लगा उसने नाम देखा और फोन उठाया
"क्या है स्वरा" एकांश ने कहा
"वाह, हेलो कहने का क्या बढ़िया तरीका है"
"मुद्दे पे आओ"
"तुम कहा हो?"
"ठाणे पहुंच रहा हु"
"उसके बारे में कुछ पता चला?" स्वरा ने उम्मीद से पूछा
"अभी तक नही"
"एकांश.... You need to forgive your mom, उनकी इस सब में कोई गलती नही है" स्वरा ने कहा
"तुम पागल हो गई हो क्या? तुम ऐसा कैसे कह सकती हो?" एकांश ने चिल्ला कर कहा जिससे अमृता भी थोड़ा चौकी
"एकांश...."
"स्वरा, उन्होंने मुझसे सच छिपाया है, पूरे डेढ़ साल तक, अगर मुझे पहले ही सब कुछ सच सच पता होता तो मैं उसे कभी अपने से दूर नही होने देता" एकांश ने चिल्ला कर कहा वही अमृता सब गौर से सुन रही थी
"जानती हु लेकिन वो और क्या करती? अपने बेटे को उसके प्यार को हर पल मारता देख तड़पने देती?" स्वरा ने भी गुस्से में कहा
"और आज मैं उस वक्त से ज्यादा तकलीफ में हु उसके बारे में सोच कर उसके ठिकाने के बारे में सोच कर, मैं अंदर से हर पल ये सोच कर मर रहा हु के शायद शायद मैं कुछ कर सकता था...." बोलते बोलते एकांश की आवाज कांपने लगी थी
अमृता को ज्यादा कुछ समझ नही आ रहा था लेकिन वो इतना तो जान गई थी के एकांश के लिया अक्षिता जितना उसने सोचा था उससे ज्यादा मायने रखती थी
"एकांश, आई एम सॉरी, देखी मैं सब जानती हू और समझती भी हु बस मैं नही चाहती थी के तुम अपनी मॉम को हर्ट करो... और शायद अक्षु भी यही चाहती" स्वरा ने आराम से कहा
"सॉरी तुम्हारे ऊपर इस तरह चिल्लाने के लिए" एकांश ने कहा वही अमृता ने चौक के उसे देखा क्युकी उसके लिया ये पार्टी किसी को सॉरी बोले ऐसी नही थी
" कोई न अब तो आदत है, पहली बार थोड़ी है" स्वरा ने कहा जिसे सुन एकांश भी मुस्कुरा दिया
"और कुछ?"
"हा.. वो तुम ठाणे ही जा रहे हो तो प्लीज उस डीलर से भी मिल लेना जिसके बारे में मैने कल बताया था" स्वरा ने कहा
"कौन सा वाला?"
"हमारे ठाणे के प्रोजेक्ट का, तुम्हे उससे एस्टीमेशन और टेंडर के बारे में बात करनी होगी ताकि आगे हम काम फाइनलाइज कर सके, अब वहा जा रहे हो तो मिल लो"
"नही नहीं मैने तुमसे कहा था जब तक मैं अक्षिता को ढूंढ नही लेता मैं कुछ नही करने वाला" एकांश ने कहा
"हा लेकिन इनसे प्लीज मिल हो, वो पहले ही कई बार तुम्हारे बारे में पूछ चुके है और मैं बात टाल चुकी हु, प्लीज एक बार मिल लो ताकि मैं बाकी बाते कर सकू" स्वरा मिन्नते करते हुए कहा
"ठीक है"
"और ये तुम्हारी कंपनी है यार कुछ काम तुम्ही को करने पड़ेंगे"
"हा हा ठीक है" और एकांश ने फोन काट दिया
एकांश ने देखा के अमृता उसे ही देख रही थी
"कोई प्राब्लम?" उसने पूछा
"नही" अमृता ने आगे देखते हुएं कहा
"आगे सर्च करने के पहले मुझे ठाणे में ही एक मीटिंग अटेंड करनी है" एकांश ने अमृता से कहा और अपना लैपटॉप खोला
"ओके"
--
कुछ देर बाद वो लोग मीटिंग की जगह पहुंचे और एकांश अंदर गया वही अमृता कार के पास ही उसका इंतजार करने लगी और केस की बाकी डिटेल्स के बारे में सोचने लगी
कुछ देर बार एकांश डील फाइनल करके आया और वो आगे बढ़ गए और एक रेस्टोरेंट पर खाने के लिए रुके, कोई कुछ नही बोल रहा था, अमृता लंच करने चली गई वही एकांश बाहर ही था, उसका खाने का मन नही था वो गाड़ी में बैठ कर अभी हुई मीटिंग के मेल भेज रहा था
तभी एक गाड़ी के टायर घिसने की जोरदार आवाज आई उसने बाहर देखा जहा से आवाज आया था वहा अब भीड़ जम गई थी और हंगामा हो रहा था
चुकी ये सब रोड के दूसरी साइड हुआ था इसीलिए एकांश को कुछ दिख नही रहा था और तब तक ड्राइवर और अमृता भी आ गए थे और ड्राइवर हंगामे की वजह से कार रिवर्स ले रहा था वही एकांश अपने अपने फोन निकाला और वहा की।लोकेशन देखने लगा
एकांश ने फिर देखा के वो हंगामा क्लीयर हुआ है या नही और अब भीड़ छटने लगी थी और एकांश को सब साफ दिख रहा था और तभी एकांश की नजरे रुकी, उसे एक जानी पहचानी फिगर दिखी
"अगर उसे लेट ही आना था तो उसने हमे इतना अर्जेंटली क्यू बुलाया"
"स्वरा रिलैक्स, वो ट्राफिक में फस गया होगा"
"कैसे रिलैक्स करू रोहन, कितने काम है अभी घंटे भर में ऑफिस में इंपोर्टेंट मीटिंग है, अक्षु का कुछ पता नहीं चल रहा, हमारा बॉस ऑफिस से गायब है और क्यों है इसकी ऑफिस वालो को खबर भी नही है और हम भी नही रहे तो नुकसान तगड़ा हो जायेगा"
"स्वरा हम एकांश को दोष नही दे सकते वो किस कंडीशन में है हम जानते है"
"इसीलिए तो सब मैनेज कर रहे है" स्वरा ने कहा
"खैर उसने हमे बुलाया है तो जरूर कुछ न कुछ बहुत ही जरूरी बात होगी लेट्स वेट"
ये लोग बात कर ही रहे थे वही कैफे में इन्ही के टेबल के पास एक लड़की बैठी थी जो बस इन लोगो को ही देखे जा रही थी,
एक पल को उसकी और स्वरा की नजरे भी मिली लेकिन स्वरा ने उसे इग्नोर कर दिया लेकिन उसने अपनी नजरे उनपर बनाए रखी
थोड़े ही समय के बाद एकांश भी वहा पहुंच गया और उनलोगो के सामने वाली कुर्सी पर जाकर बैठा था,
स्वरा टेबल तब सर टिकाए बैठी और एकांश के आने की आवाज सुन वो सीधी बैठ गई वही रोहन भी एकांश को देखने लगा
एकांश कुछ नही बोल रहा था वो बस अपने फोन में लगा हुआ था और किसी को बार बार कॉल लगा रहा था लेकिन सामने वाला जवाब नही दे रहा था
जब कुछ समय तक एकांश कुछ नही बोला तो स्वरा ने पूछा
"एकांश क्या हुआ है ? क्या अर्जेंट बात है? अक्षू के बारे में कुछ पता चला?" स्वरा ने पूछा बदले में एकांश ने बस हा में सर हिलाया
"एकांश प्लीज बताओगे बात क्या है, देखो हमे ऑफिस पहुंचना है तुम नही हो ऐसे में वहा का काम भी बिखरा हुआ है"
"मैं जानता हूं रोहन, बस एक बार अक्षिता मिले सब सही हो जायेगा, अरे यार ये फोन क्यों नही उठा रही??" एकांश ने थोड़ा जोर से कहा
"कौन?" रोहन और स्वरा ने एकसाथ पूछा
"मैं"
सबने ये आवाज सुनी और उसकी ओर देखा जिसने 'मैं' कहा था , ये वही लड़की थी जो उन्हे देख रही थी
"क्या?" स्वरा ने सवालिया नजरो से पूछा
"मैं ही वो हु जिसका आपलोग इंतजार कर रहे थे" उस लड़की ने कहा,
स्वरा और रोहन को कुछ समझ नही आ रहा था क्युकी उन्हें पूरी बात बता ही नही थी एकांश ने तो उनसे बस वहा आने कहा था लेकिन एकांश उसे पहचान गया और उसने उसे बैठने कहा
"तो आप है डिटेक्टिव अमृता?" एकांश ने उस लड़की को देखते हुए या यू कर एक उसका एक्सरे करते हुए कहा
वैसे वो लड़की भी एक पल को एकांश की आंखो में खो गई थी, वो रियल में ज्यादा अच्छा दिखता था
"जी हा" उसने कहा
"रोहन, स्वरा ये वो डिटेक्टिव है जिन्हे हमने अक्षु को ढूंढने हायर किया था और मिस अमृता ये मेरे दोस्त है" एकांश ने फॉर्मल इंट्रोडक्शन कराया स्वरा और रोहन ने भी अमृता से हाथ मिलाया
"अब अहम बात पर आते है, मिस अमृता आपने कहा था आपको अक्षिता के बारे में कोई लीड मिली है, क्या पता चला?" एकांश ने कहा
"क्या?" स्वरा ने कहा
"क्या पता चला?" रोहन ने भी जल्दी पूछ लिया
"बताती हु, एक्चुअली उसे ट्रेस करना बहुत ही मुश्किल है क्युकी उसने अपने आप को बहुत बढ़िया तरीके से छिपाया हुआ है, she is keeping a very low profile, वो ना तो अपना पुराना फोन या न्यूज यूज कर रही है ना ही पुराना कोई भी कार्ड जिससे उस तक पहुंचा जाए" अमृता ने कहा
"ये मुझे पुलिस भी बता चुकी है, आगे?" एकांश ने कहा
"देखिए मैने अमर सर से उसके बारे में और डिटेल्स जानी उसके फैमिली के बारे में पता किया और अमर सर ने भी उन्हें जो जो पता था सब बताया, जो सब भी जो आपलोगों ने पता किया था, एड्रेस और जहा ट्रीटमेंट चल रहा है सब और फिर मैंने खोज शुरू की, मैने उसने पड़ोसियों से पूछा लेकिन जैसी उम्मीद थी उन्हें कुछ नही पता था बस इतना पता चला के अक्षिता के पिता एक रिटायर्ड गवर्मेंट ऑफिशियल है, मैने फिर उनके बारे में भी पता करना चाहा लेकिन वो लोग बहुत ही कम लोगो से कॉन्टैक्ट रखे हुए थे और बस आपस में ही खुश थे किसिसे या किसी बात में ज्यादा इन्वॉल्व नही होते थे और इसीलिए उन्हें ढूंढना ज्यादा मुश्किल काम है, मैने ये भी पता करने की कोशिश की के शायद ही सकता हो उनकी कोई दूसरी प्रॉपर्टी को जहा वो गए हो या किसी दूसरे शहर में कुछ हो लेकिन ऐसा भी कुछ पता नहीं चल पाया तो मिलाजुलाकार बस हॉस्पिटल और उसका घर ही था जहा से कुछ पता चल सकता था, वो घर नही आने वाले थे मुझे पता था इसीलिए मैं हॉस्पिटल पर अपनी नजरे बनाए हुए थे और जब अमर सर ने मुझे बताया के वो हॉस्पिटल में चेकअप के लिए आई थी तब मैं वही पास में ही थी और जब तक मैं वहा पहुंची तब तक या तो वो जा चुकी थी या फिर उसने अपने आप को कवर कर लिया था ताकि कोई उसे ना पहचाने या हो सकता है सब क्लीयर होने तक कही छिप गई हो, खैर मुझे लगता है उसे शक तो है के कोई पीछा कर सकता है इसीलिए वो चेकअप के बाद बगैर दवाइया लिए वहा से चली गई थी, उसने हॉस्पिटल ले मेडिकल से दवाइया नही ली थी जहा से वो हर बार लेती थी" अमृता बोलते बोलते रुकी और उसने उन लोगो को देखा जो उसकी बात ध्यान से सुन रहे थे
"तुम्हे हॉस्पिटल वाली बात कैसे पता?" रोहन ने पूछा
"अमर सर ने बताया था आप लोग डॉक्टर से मिले थे और शायद डॉक्टर ने आपको prescription की कॉपी भी दी थी मैंने उन्हें वाली कॉपी मांगी और उसी से आगे को छानबीन की, सबसे पहले तो मैंने हॉस्पिटल के ही मेडिकल हॉल में। इंक्वायरी की, उन्होंने बताया के अक्षिता नाम को पेशेंट हर महीने उन्हीं के पास से दवाइया लेती है लेकिन इस बार उसने वहा से दवाइया नही ली थी इसीलिए फिर मैने हॉस्पिटल के आसपास के भी सभी मेडिकल्स में पूछा और मेरे कॉन्टैक्ट के थ्रू मुझे ऐसी जगह का पता चला जहा से शहर के कई मेडिकल में दवाइया जाति थी, वहा से मुझे पता चला के एक छोटे से मेडिकल ने अभी रिसेंटली ही यही दवाइया ऑर्डर की थी और जब मैने चेक किया तो पाया के ये वो एक्जैक्ट दवाइया थी जो उस प्रिस्क्रिप्शन में थी" अमृता ने बात खतम की
"तो तुम्हारा मतलब है के वो अक्षिता ही है जिसने ये दवाइया मंगवाई है" स्वरा ने पूछा
"हा, क्युकी कोई भी दूसरा पेशेंट एक्जैक्ट सेम प्रिस्क्रिप्शन ऑर्डर नही कर सकता था"
"सही है" रोहन ने कहा
वहा एकांश इस पूरे वाकए में एकदम ही शांत था, पहले तो वो खुश हुआ के कुछ तो पता चला है लेकिन फिर उसके मन में ये डर भी था के कही से सब गलत ना हो
"वो मेडिकल कहा है?" एकांश ने पूछा
"वो ये छोटा सा मेडिकल है ठाणे में" अमृता ने कहा
"ठीक है तुम दोनो ऑफिस के लिए निकलो मैं वहा उस मेडिकल पर जाकर देखता हु वहा आसपास देखता हु" एकांश ने वहा से उठते हुए रोहन और स्वरा से कहा
"क्या? हम तुमको अकेला नही जाने देंगे" स्वरा ने कहा
"हा हम भी साथ चलेंगे" रोहन ने भी स्वरा की बात में हामी भरी
"अगर तुम लोग साथ चलोगे तो ऑफिस कौन संभालेगा?" एकांश ने कहा
"लेकिन...."
"बस मैं जा रहा हु और कोई बहस नही"
"एक मिनट मिस्टर रघुवंशी, मैं भी आपके साथ चलती हु" अमृता ने भी अपना पर्स उठते हुए कहा
"नही मैं अकेला ही जाऊंगा आप बस मुझे उस मेडिकल का एड्रेस बताए" एकांश ने कहा
"देखिए हो सकता है उसने वही से दवाइया ली हो लेकिन ये जरूरी नहीं के वो वही उसी इलाके में रहती हो, मैं उस एरिया को जानती हू और मेरे पास कुछ लोकेशन है जहा हम उसे ढूंढ सकते है, मेरे साथ रहने से आपको उसे ढूंढने में आसानी होगी" अमृता ने कहा
एकांश ने एक पल सोचा और फिर बोला
"ठीक है"
जिसके बाद एकांश और अमृता निकल गए, अमृता बस इस बात से खुश थी के वो एकांश के साथ थी, उसने उसकी तस्वीर एक बिजनेस मैगजीन में देखी थी तभी से उसे उसपर क्रश था और याहा साथ साथ उसका काम भी हो रहा था
वो लोग एकांश की कार के पास आए, एकांश ने उसे आगे ड्राइवर के बाजू में पैसेंजर सीट पे बैठने कहा और खुद पीछे बैठ गया, एकांश अब जहा भी जाता ड्राइवर साथ होता था जो की अमर ने कहा था क्युकी इस डिप्रेस्ड हालत में वो एकांश की ड्राइविंग पर भरोसा नहीं कर सकते थे
अमृता ने ड्राइवर को एड्रेस बताया और कार चल पड़ी, अमृता ने पीछे देखा तो पाया के एकांश की पढ़ रहा था, एक डायरी..
मुझे इस जगह से प्यार हो गया है
क्या सही जगह है यार, ये ऑफिस यहा का वातावरण, यहा के लोग सबकुछ अच्छा है, यहा तक की बॉस भी फ्रेंडली है
आज मैं दो अमेजिंग लोगो से मिली, रोहन और स्वरा, हमने साथ में ही आज ऑफिस ज्वाइन किया है बढ़िया लोग है, लगता है हम अच्छे दोस्त बन सकते है
मुझे लगता है ये लोग, ये ऑफिस ये माहोल कुछ वक्त के लिए ही सही मुझे मेरे दर्द से निकलने में बहुत मदद करेगा
और इस सब में भी मैं तुम्हे बहुत मिस करती ही अंश
आई लव यू
एकांश ने डायरी बंद की और अपनी आंखों से निकलती आंसू की बूंद साफ की और खिड़की के बाहर देखने लगा, अमृता अपना फोन चलाते हुए बीच बीच में एकांश को देख रही थी, उसने तो खबर भी नही थी के एकांश के मन में क्या चल रहा था
कुछ समय बाद एकांश वापिस डायरी के कुछ पन्ने पढ़ने लगा जिसमे अक्षिता के नए दोस्तो के बारे में लिखा हुआ है जिसे पढ़कर उसे भी हसी आई क्युकी स्वरा और रोहन थे भी वैसे, पक्के दोस्त लेकिन हर पन्ने में एक बार कॉमन थी, अक्षिता का उसे लिखा आई लव यू
पिछले दो दिन से एकांश अमृता के साथ अक्षिता को ढूंढने में लगा हुआ था, वो जरा भी नही चाहता था के अमृता उसके साथ रहे लेकिन उसकी मजबूरी थी, अगर उसे अक्षिता को जल्द से जल्द ढूंढना था तो अमृता को साथ रखना ही था..
वो अमृता के उसके बारे में उसकी लाइफ के बारे में अक्षिता के बारे में लगातार चलते सवालों से परेशान हो गया था , हालांकि उसने उनमें से कई सवालों का जवाब नही दिया था और उसे चुप कराने के लिए उसका बस गुस्से से घूरना ही काफी था
उन लोगो ने उस मेडिकल पर पूछताछ की थी तो उस मेडिकल वाले ने बताया था के उसने वो दवाइया बस एक स्पेशल ऑर्डर के लिए मंगवाई थी और जब उससे पूछा गया के वो दवाइया लेने कौन आया था तो उसने बताया था के एक लड़की आई थी और वो दवाइया लेकर गई थी,
एकांश ने अपने फोन में उस मेडिकल वाले को अक्षिता की तस्वीर दिखा कर पूछा था के ये ये वही थी जिसने दवाइया मंगवाई थी जिसपर उस मेडिकल वाले ने भी हा कहा था
एकांश ये जानकर अब बहुत ज्यादा खुश था के वो अक्षिता के आसपास ही था, एकांश के चेहरे पर अब एक स्माइल थी वही अमृता बस एकांश को स्माइल करता था अपने को उसने खोया हुआ सा महसूस कर रही थी
एकांश ने उस बंदे से आगे भी पूछताछ की के क्या वो अक्षिता को जानता है या उसका एड्रेस जानता है के वो कहा से आई थी लेकिन अफसोस उसे ज्यादा कुछ नही पता था, us बंदे ने कहा के वो अक्षिता के बारे में कुछ भी नही जानता था जिसे सुन एकांश थोड़ा निराश हो गया था
लेकिन फिर भी उसके चेहरे पर स्माइल थी, उसका मन उससे कह रहा था के अक्षिता कही उसके आसपास ही थी और अब वो इसे जरूर ढूंढ लेगा
और बस तभी से एकांश और अमृता नए जोश के साथ अक्षितांको ढूंढने में लगे हुए थे..
पिछले दो दिन में एक और बात हुई थी, वो ये की अमृता के मन में एकांश के लिए फीलिंग बनने लगी थी, उसे एकांश पर क्रश तो पहले ही था लेकिन अब ये फीलिंग्स बढ़ रही थी, उसके पहले भी बॉयफ्रेंड थे, पुरुष मित्र थे लेकिन उसने कभी किसी के लिए ऐसा महसूस नही किया था जैसा एकांश के लिए करने लगी थी
उसे पहले भी कई लड़कों ने एप्रोच किया था लेकिन उसने किसी को घास तक नही डाली थी लेकिन यह एकांश के लिए उसकी फीलिंग्स ही अलग थी
इन दो दिनों में उसने एकांश को जाना था, ऑब्जर्व किया था, वो उन लड़कों जैसा नही था जिन्हे वो जानती थी, वो समझ गई थी एकांश अलग था, वो ये भी समझ गई थी के एकांश जैसा दिखता है वैसा था नही, वो भले ही ऊपर से रुड बनता लेकिन उसका दिल मोम जैसा था
वो एकांश को देखती थी जब वो एक फोटो को देख मुस्कुराता था, कैसे वो एकदून गौर से उस डायरी को पढ़ता था, कैसे वो उस डायरी और उस तस्वीर को अपने सीने से लगाता था, उसके चेहरे पर आते वो दर्द के भाव, हर पल किसी को तलाशती उसकी आंखे, अमृता सब नोटिस कर रही थी
वो नही जानती थी के अक्षिता कौन थी और ये लोग उसे क्यों ढूंढ रहे थे लेकिन वो इतना तो जान गई थी के अक्षिता एकांश के दिल के बहुत ज्यादा करीब थी
उसने एकांश से उसके बारे में उसकी जिंदगी के बारे में पसंद ना पसंद के बारे में बात करनी चाही लेकिन बदले में उसे बस कुछ छोटे जवाब मिले का थोड़े गुस्से से घूरती एकांश की आंखे जिससे वो चुप हो जाती थी...
--
"एकांश बेटा..."
एकांश चलते चलते रुका लेकिन पलटा नही
"तुम कहा जा रहे हो?" उसकी मां ने उसे पूछा
लेकिन एकांश कुछ नही बोला
"एकांश, talk to me"
वो फिर भी चुप रहा
"एकांश प्लीज, I said I am sorry"
उन्होंने कहा लेकिन एकांश अब भी कुछ नही बोला, उसने अपनी आंखे बंद कर ली
"मैने तुम्हे इसीलिए नही बताया था क्युकी मैने उससे वादा किया था और मैंने तुम्हे तकलीफ में नही देखना चाहती थी बेटा" उन्होंने एकांश का हाथ पकड़ते हुए उससे कहा
एकांश पलटा और अपनी मां को देखा
"तो आपको क्या लगता है मां अभी मैं बहुत मजे में हु, आप नही जानती के इस वक्त मैं कैसा महसूस कर रहा हु कितनी तकलीफ में हु ये सोचते हुए के वो इतने समय मेरी आंखों के सामने थी लेकिन मैं उसे बचाने के लिए कुछ नही कर पाया, ये सोच के मेरा दिल जल रहा हैं के उसने कभी मुझसे प्यार करना बंद ही नही किया और मैं उसके लिए कुछ नही कर पाया, उसे अगर कुछ हो गया तो पता नही मैं क्या कर जाऊंगा" एकांश ने रोते हुए कहा
"बेटा मैं जानती हु वो बहुत अच्छी लड़की है और तुमसे बहुत प्यार करती है लेकिन वही नही चाहती थी के ये बात कभी तुम्हे पता चला और एक मां होने के नाते मैने भी वही किया जो मुझे तुम्हारे लिए सही लगा, प्लीज एकांश मुझे अपने से दूर मत करो, मैं तुम्हारी बेरुखी नही झेल पाऊंगी बेटा" उन्होंने रोते हुए कहा लेकिन एकांश कुछ नही बोला
"एकांश...."
"अगर आप मुझे पहले ही ये सब बता देती तो मैं उसे कभी अपने से दूर नही होने देता, शायद मैं उसे बचाने के लिए कुछ कर सकता या उस मुश्किल वक्त में उसका साथ ही दे सकता था" एकांश ने कहा और वहा से चला गया वही उसकी बार रोते हुए उसे जाता देखने लगी और फिर एकांश रुका और बोला
"मुझे आपसे कोई शिकायत नही है मां, मुझे बस अपने आप से चिढ़ है" और वहा से चला गया
--
"मिस्टर रघुवंशी मुझे नही लगता के वो ठाणे में है, शायद उसने हमे गुमराह किया हो, हम सब जगह देख चुके है" अमृता ने पीछे की सीट की ओर देखते हुए एकांश से कहा जो अपने फोन में स्वरा को मैसेज कर रहा था
"उसे पता ही नही है के मैं उसे खोज रहा हु तो गुमराह करने का सवाल ही नहीं है" एकांश ने कहा
"आपको कैसे पता?" अमृता
"बस पता है"
"लेकिन मुझे लगता है के अब हमे...." लेकिन एकांश ने एकदम से उसकी बात काट दी
"I don't want your opinions" एकांश ने एकदम कहा
"मैं तो बस..."
"बस!"
और इसी के साथ अमृता चुप हो गई, वो अब भी ये नही समझ पाई थी के एकांश इतने डेस्परेटली अक्षिता को क्यू ढूंढ रहा था जैसे ये उसके जीने मरने का सवाल हो
वही एकांश इस बात पर फ्रस्ट्रेट हो रहा था के वो अभी तक अक्षिता को नही ढूंढ पाया था ऊपर से उसकी मां के साथ हुई उसकी बातचीत ने उसका गुस्सा और बढ़ा दिया था
वो अपनी मां को हर्ट नही करता चाहता था लेकिन वो उनसे नाराज भी था ऊपर ये डिटेक्टिव कंटिन्यू बोलती रहती थी जिससे अब उसका दिमाग भन्ना रहा था, उसने कुछ पल अपनी आंखे बंद की और दिमाग शांत किया और फिर उस डायरी को देखा
अंश आज मैने तुम्हे देखा..
तुम मेरे सामने मेरे ऑफिस में खड़े थे..
मैं जानती थी के हमारा नया बॉस आ रहा है लेकिन वो तुम होगे ये मैने नही सोचा था, मुझे तो यकीन ही नहीं हो रहा था लग रहा था के मैं सपना देख रही हु ये मेरा वहम है क्युकी आजकल मैं तुम्हे मेरे आसपास ही महसूस कर रही हु लेकिन है सच था, तुम वहा थे
जब तुम अंदर आए मैं शॉक थी, मैं वहा कुछ देर किसी मूर्ति की तरह खड़ी थी जब तक रोहन ने मुझे होश में नहीं लाया, तुम सबसे मिल रहे थे और मैं वहा से निकलने की कोशिश कर रही थी लेकिन तभी बॉस ने मुझे बुला लिया
तुमने ऐसे जताया जैसे तुम मुझे जानते ही नहीं हो और मेरी तरफ देखा भी नहीं, हा थोड़ा दर्द हुआ पर मैं खुश हु के तुमसे मिली
पता है मुझे सबसे ज्यादा तकलीफ किससे हुई? तुम्हारे की बदले हुए एटीट्यूड और रुड बर्ताव से जो की ना सिर्फ मेरे लिए था बल्कि सभी के लिए था, you used to be the sweetest person I know लेकिन शायद तुम बदल चुके हो और इसके लिए कही न कही मैं ही जिम्मेदार हु
आई एम सॉरी अंश, मैने तुम्हारे साथ गलत किया है, मैं तुमसे माफी मांगना चाहती थी, तुम्हे बताना चाहती थी के मैं आज भी तुमसे कितना प्यार करती हु, तुमसे बात करना चाहती थी कितना कुछ बताना है तुम्हे... लेकिन मैं ऐसा नहीं कर सकती... दोबारा तुम्हे दर्द नही दे सकती....
मुझे रोज ये डर सताने लगा है के अपनी बीमारी को तुमसे जैसे छिपाऊंगी, तुम्हारे सामने ये कैसे बताऊंगी के तुम मेरे लिए कोई मायने नहीं रखते, मुझे तो ये सोच सोच कर छोटे पैनिक अटैक आने लगे है के तुम्हे सच पता चला तो क्या होगा
कई महीनो में पहली बार इतनी अच्छी नींद आई है, मैने कभी नहीं सोचा था के तुम्हे दोबारा देख भी पाऊंगी लेकिन लगता है अब सब सही हो सकता है...
आई लव यू अंश
"आई लव यू" एकांश ने धीमे से कहा और बाहर की ओर देखने लगा जब उसने पाया के अमृता उसे ही देख रही है
"कौन है वो?" अमृता ने धीरे से पूछा
"क्या?"
"Who is she to you?" अमृता ने नीचे देखते हुए पूछा
"It's none of your business" एकांश ने थोड़े गुस्से में कहा वही अमृता थोड़ा हर्ट फील करते हुए बाहर की ओर देखने लगी
और तभी एकांश का फोन लगा उसने नाम देखा और फोन उठाया
"क्या है स्वरा" एकांश ने कहा
"वाह, हेलो कहने का क्या बढ़िया तरीका है"
"मुद्दे पे आओ"
"तुम कहा हो?"
"ठाणे पहुंच रहा हु"
"उसके बारे में कुछ पता चला?" स्वरा ने उम्मीद से पूछा
"अभी तक नही"
"एकांश.... You need to forgive your mom, उनकी इस सब में कोई गलती नही है" स्वरा ने कहा
"तुम पागल हो गई हो क्या? तुम ऐसा कैसे कह सकती हो?" एकांश ने चिल्ला कर कहा जिससे अमृता भी थोड़ा चौकी
"एकांश...."
"स्वरा, उन्होंने मुझसे सच छिपाया है, पूरे डेढ़ साल तक, अगर मुझे पहले ही सब कुछ सच सच पता होता तो मैं उसे कभी अपने से दूर नही होने देता" एकांश ने चिल्ला कर कहा वही अमृता सब गौर से सुन रही थी
"जानती हु लेकिन वो और क्या करती? अपने बेटे को उसके प्यार को हर पल मारता देख तड़पने देती?" स्वरा ने भी गुस्से में कहा
"और आज मैं उस वक्त से ज्यादा तकलीफ में हु उसके बारे में सोच कर उसके ठिकाने के बारे में सोच कर, मैं अंदर से हर पल ये सोच कर मर रहा हु के शायद शायद मैं कुछ कर सकता था...." बोलते बोलते एकांश की आवाज कांपने लगी थी
अमृता को ज्यादा कुछ समझ नही आ रहा था लेकिन वो इतना तो जान गई थी के एकांश के लिया अक्षिता जितना उसने सोचा था उससे ज्यादा मायने रखती थी
"एकांश, आई एम सॉरी, देखी मैं सब जानती हू और समझती भी हु बस मैं नही चाहती थी के तुम अपनी मॉम को हर्ट करो... और शायद अक्षु भी यही चाहती" स्वरा ने आराम से कहा
"सॉरी तुम्हारे ऊपर इस तरह चिल्लाने के लिए" एकांश ने कहा वही अमृता ने चौक के उसे देखा क्युकी उसके लिया ये पार्टी किसी को सॉरी बोले ऐसी नही थी
" कोई न अब तो आदत है, पहली बार थोड़ी है" स्वरा ने कहा जिसे सुन एकांश भी मुस्कुरा दिया
"और कुछ?"
"हा.. वो तुम ठाणे ही जा रहे हो तो प्लीज उस डीलर से भी मिल लेना जिसके बारे में मैने कल बताया था" स्वरा ने कहा
"कौन सा वाला?"
"हमारे ठाणे के प्रोजेक्ट का, तुम्हे उससे एस्टीमेशन और टेंडर के बारे में बात करनी होगी ताकि आगे हम काम फाइनलाइज कर सके, अब वहा जा रहे हो तो मिल लो"
"नही नहीं मैने तुमसे कहा था जब तक मैं अक्षिता को ढूंढ नही लेता मैं कुछ नही करने वाला" एकांश ने कहा
"हा लेकिन इनसे प्लीज मिल हो, वो पहले ही कई बार तुम्हारे बारे में पूछ चुके है और मैं बात टाल चुकी हु, प्लीज एक बार मिल लो ताकि मैं बाकी बाते कर सकू" स्वरा मिन्नते करते हुए कहा
"ठीक है"
"और ये तुम्हारी कंपनी है यार कुछ काम तुम्ही को करने पड़ेंगे"
"हा हा ठीक है" और एकांश ने फोन काट दिया
एकांश ने देखा के अमृता उसे ही देख रही थी
"कोई प्राब्लम?" उसने पूछा
"नही" अमृता ने आगे देखते हुएं कहा
"आगे सर्च करने के पहले मुझे ठाणे में ही एक मीटिंग अटेंड करनी है" एकांश ने अमृता से कहा और अपना लैपटॉप खोला
"ओके"
--
कुछ देर बाद वो लोग मीटिंग की जगह पहुंचे और एकांश अंदर गया वही अमृता कार के पास ही उसका इंतजार करने लगी और केस की बाकी डिटेल्स के बारे में सोचने लगी
कुछ देर बार एकांश डील फाइनल करके आया और वो आगे बढ़ गए और एक रेस्टोरेंट पर खाने के लिए रुके, कोई कुछ नही बोल रहा था, अमृता लंच करने चली गई वही एकांश बाहर ही था, उसका खाने का मन नही था वो गाड़ी में बैठ कर अभी हुई मीटिंग के मेल भेज रहा था
तभी एक गाड़ी के टायर घिसने की जोरदार आवाज आई उसने बाहर देखा जहा से आवाज आया था वहा अब भीड़ जम गई थी और हंगामा हो रहा था
चुकी ये सब रोड के दूसरी साइड हुआ था इसीलिए एकांश को कुछ दिख नही रहा था और तब तक ड्राइवर और अमृता भी आ गए थे और ड्राइवर हंगामे की वजह से कार रिवर्स ले रहा था वही एकांश अपने अपने फोन निकाला और वहा की।लोकेशन देखने लगा
एकांश ने फिर देखा के वो हंगामा क्लीयर हुआ है या नही और अब भीड़ छटने लगी थी और एकांश को सब साफ दिख रहा था और तभी एकांश की नजरे रुकी, उसे एक जानी पहचानी फिगर दिखी
Do - do update apan bhi thoda bechain tha dono update read karne ke baad last ka paragraph hi tasalli deta hai or iske baad akshita ki diary ke kuch shabd wo acche lage Ekaansh maa se naraz hai thoda sa bas kuch samay baad thik ho jaayega ye
"अगर उसे लेट ही आना था तो उसने हमे इतना अर्जेंटली क्यू बुलाया"
"स्वरा रिलैक्स, वो ट्राफिक में फस गया होगा"
"कैसे रिलैक्स करू रोहन, कितने काम है अभी घंटे भर में ऑफिस में इंपोर्टेंट मीटिंग है, अक्षु का कुछ पता नहीं चल रहा, हमारा बॉस ऑफिस से गायब है और क्यों है इसकी ऑफिस वालो को खबर भी नही है और हम भी नही रहे तो नुकसान तगड़ा हो जायेगा"
"स्वरा हम एकांश को दोष नही दे सकते वो किस कंडीशन में है हम जानते है"
"इसीलिए तो सब मैनेज कर रहे है" स्वरा ने कहा
"खैर उसने हमे बुलाया है तो जरूर कुछ न कुछ बहुत ही जरूरी बात होगी लेट्स वेट"
ये लोग बात कर ही रहे थे वही कैफे में इन्ही के टेबल के पास एक लड़की बैठी थी जो बस इन लोगो को ही देखे जा रही थी,
एक पल को उसकी और स्वरा की नजरे भी मिली लेकिन स्वरा ने उसे इग्नोर कर दिया लेकिन उसने अपनी नजरे उनपर बनाए रखी
थोड़े ही समय के बाद एकांश भी वहा पहुंच गया और उनलोगो के सामने वाली कुर्सी पर जाकर बैठा था,
स्वरा टेबल तब सर टिकाए बैठी और एकांश के आने की आवाज सुन वो सीधी बैठ गई वही रोहन भी एकांश को देखने लगा
एकांश कुछ नही बोल रहा था वो बस अपने फोन में लगा हुआ था और किसी को बार बार कॉल लगा रहा था लेकिन सामने वाला जवाब नही दे रहा था
जब कुछ समय तक एकांश कुछ नही बोला तो स्वरा ने पूछा
"एकांश क्या हुआ है ? क्या अर्जेंट बात है? अक्षू के बारे में कुछ पता चला?" स्वरा ने पूछा बदले में एकांश ने बस हा में सर हिलाया
"एकांश प्लीज बताओगे बात क्या है, देखो हमे ऑफिस पहुंचना है तुम नही हो ऐसे में वहा का काम भी बिखरा हुआ है"
"मैं जानता हूं रोहन, बस एक बार अक्षिता मिले सब सही हो जायेगा, अरे यार ये फोन क्यों नही उठा रही??" एकांश ने थोड़ा जोर से कहा
"कौन?" रोहन और स्वरा ने एकसाथ पूछा
"मैं"
सबने ये आवाज सुनी और उसकी ओर देखा जिसने 'मैं' कहा था , ये वही लड़की थी जो उन्हे देख रही थी
"क्या?" स्वरा ने सवालिया नजरो से पूछा
"मैं ही वो हु जिसका आपलोग इंतजार कर रहे थे" उस लड़की ने कहा,
स्वरा और रोहन को कुछ समझ नही आ रहा था क्युकी उन्हें पूरी बात बता ही नही थी एकांश ने तो उनसे बस वहा आने कहा था लेकिन एकांश उसे पहचान गया और उसने उसे बैठने कहा
"तो आप है डिटेक्टिव अमृता?" एकांश ने उस लड़की को देखते हुए या यू कर एक उसका एक्सरे करते हुए कहा
वैसे वो लड़की भी एक पल को एकांश की आंखो में खो गई थी, वो रियल में ज्यादा अच्छा दिखता था
"जी हा" उसने कहा
"रोहन, स्वरा ये वो डिटेक्टिव है जिन्हे हमने अक्षु को ढूंढने हायर किया था और मिस अमृता ये मेरे दोस्त है" एकांश ने फॉर्मल इंट्रोडक्शन कराया स्वरा और रोहन ने भी अमृता से हाथ मिलाया
"अब अहम बात पर आते है, मिस अमृता आपने कहा था आपको अक्षिता के बारे में कोई लीड मिली है, क्या पता चला?" एकांश ने कहा
"क्या?" स्वरा ने कहा
"क्या पता चला?" रोहन ने भी जल्दी पूछ लिया
"बताती हु, एक्चुअली उसे ट्रेस करना बहुत ही मुश्किल है क्युकी उसने अपने आप को बहुत बढ़िया तरीके से छिपाया हुआ है, she is keeping a very low profile, वो ना तो अपना पुराना फोन या न्यूज यूज कर रही है ना ही पुराना कोई भी कार्ड जिससे उस तक पहुंचा जाए" अमृता ने कहा
"ये मुझे पुलिस भी बता चुकी है, आगे?" एकांश ने कहा
"देखिए मैने अमर सर से उसके बारे में और डिटेल्स जानी उसके फैमिली के बारे में पता किया और अमर सर ने भी उन्हें जो जो पता था सब बताया, जो सब भी जो आपलोगों ने पता किया था, एड्रेस और जहा ट्रीटमेंट चल रहा है सब और फिर मैंने खोज शुरू की, मैने उसने पड़ोसियों से पूछा लेकिन जैसी उम्मीद थी उन्हें कुछ नही पता था बस इतना पता चला के अक्षिता के पिता एक रिटायर्ड गवर्मेंट ऑफिशियल है, मैने फिर उनके बारे में भी पता करना चाहा लेकिन वो लोग बहुत ही कम लोगो से कॉन्टैक्ट रखे हुए थे और बस आपस में ही खुश थे किसिसे या किसी बात में ज्यादा इन्वॉल्व नही होते थे और इसीलिए उन्हें ढूंढना ज्यादा मुश्किल काम है, मैने ये भी पता करने की कोशिश की के शायद ही सकता हो उनकी कोई दूसरी प्रॉपर्टी को जहा वो गए हो या किसी दूसरे शहर में कुछ हो लेकिन ऐसा भी कुछ पता नहीं चल पाया तो मिलाजुलाकार बस हॉस्पिटल और उसका घर ही था जहा से कुछ पता चल सकता था, वो घर नही आने वाले थे मुझे पता था इसीलिए मैं हॉस्पिटल पर अपनी नजरे बनाए हुए थे और जब अमर सर ने मुझे बताया के वो हॉस्पिटल में चेकअप के लिए आई थी तब मैं वही पास में ही थी और जब तक मैं वहा पहुंची तब तक या तो वो जा चुकी थी या फिर उसने अपने आप को कवर कर लिया था ताकि कोई उसे ना पहचाने या हो सकता है सब क्लीयर होने तक कही छिप गई हो, खैर मुझे लगता है उसे शक तो है के कोई पीछा कर सकता है इसीलिए वो चेकअप के बाद बगैर दवाइया लिए वहा से चली गई थी, उसने हॉस्पिटल ले मेडिकल से दवाइया नही ली थी जहा से वो हर बार लेती थी" अमृता बोलते बोलते रुकी और उसने उन लोगो को देखा जो उसकी बात ध्यान से सुन रहे थे
"तुम्हे हॉस्पिटल वाली बात कैसे पता?" रोहन ने पूछा
"अमर सर ने बताया था आप लोग डॉक्टर से मिले थे और शायद डॉक्टर ने आपको prescription की कॉपी भी दी थी मैंने उन्हें वाली कॉपी मांगी और उसी से आगे को छानबीन की, सबसे पहले तो मैंने हॉस्पिटल के ही मेडिकल हॉल में। इंक्वायरी की, उन्होंने बताया के अक्षिता नाम को पेशेंट हर महीने उन्हीं के पास से दवाइया लेती है लेकिन इस बार उसने वहा से दवाइया नही ली थी इसीलिए फिर मैने हॉस्पिटल के आसपास के भी सभी मेडिकल्स में पूछा और मेरे कॉन्टैक्ट के थ्रू मुझे ऐसी जगह का पता चला जहा से शहर के कई मेडिकल में दवाइया जाति थी, वहा से मुझे पता चला के एक छोटे से मेडिकल ने अभी रिसेंटली ही यही दवाइया ऑर्डर की थी और जब मैने चेक किया तो पाया के ये वो एक्जैक्ट दवाइया थी जो उस प्रिस्क्रिप्शन में थी" अमृता ने बात खतम की
"तो तुम्हारा मतलब है के वो अक्षिता ही है जिसने ये दवाइया मंगवाई है" स्वरा ने पूछा
"हा, क्युकी कोई भी दूसरा पेशेंट एक्जैक्ट सेम प्रिस्क्रिप्शन ऑर्डर नही कर सकता था"
"सही है" रोहन ने कहा
वहा एकांश इस पूरे वाकए में एकदम ही शांत था, पहले तो वो खुश हुआ के कुछ तो पता चला है लेकिन फिर उसके मन में ये डर भी था के कही से सब गलत ना हो
"वो मेडिकल कहा है?" एकांश ने पूछा
"वो ये छोटा सा मेडिकल है ठाणे में" अमृता ने कहा
"ठीक है तुम दोनो ऑफिस के लिए निकलो मैं वहा उस मेडिकल पर जाकर देखता हु वहा आसपास देखता हु" एकांश ने वहा से उठते हुए रोहन और स्वरा से कहा
"क्या? हम तुमको अकेला नही जाने देंगे" स्वरा ने कहा
"हा हम भी साथ चलेंगे" रोहन ने भी स्वरा की बात में हामी भरी
"अगर तुम लोग साथ चलोगे तो ऑफिस कौन संभालेगा?" एकांश ने कहा
"लेकिन...."
"बस मैं जा रहा हु और कोई बहस नही"
"एक मिनट मिस्टर रघुवंशी, मैं भी आपके साथ चलती हु" अमृता ने भी अपना पर्स उठते हुए कहा
"नही मैं अकेला ही जाऊंगा आप बस मुझे उस मेडिकल का एड्रेस बताए" एकांश ने कहा
"देखिए हो सकता है उसने वही से दवाइया ली हो लेकिन ये जरूरी नहीं के वो वही उसी इलाके में रहती हो, मैं उस एरिया को जानती हू और मेरे पास कुछ लोकेशन है जहा हम उसे ढूंढ सकते है, मेरे साथ रहने से आपको उसे ढूंढने में आसानी होगी" अमृता ने कहा
एकांश ने एक पल सोचा और फिर बोला
"ठीक है"
जिसके बाद एकांश और अमृता निकल गए, अमृता बस इस बात से खुश थी के वो एकांश के साथ थी, उसने उसकी तस्वीर एक बिजनेस मैगजीन में देखी थी तभी से उसे उसपर क्रश था और याहा साथ साथ उसका काम भी हो रहा था
वो लोग एकांश की कार के पास आए, एकांश ने उसे आगे ड्राइवर के बाजू में पैसेंजर सीट पे बैठने कहा और खुद पीछे बैठ गया, एकांश अब जहा भी जाता ड्राइवर साथ होता था जो की अमर ने कहा था क्युकी इस डिप्रेस्ड हालत में वो एकांश की ड्राइविंग पर भरोसा नहीं कर सकते थे
अमृता ने ड्राइवर को एड्रेस बताया और कार चल पड़ी, अमृता ने पीछे देखा तो पाया के एकांश की पढ़ रहा था, एक डायरी..
मुझे इस जगह से प्यार हो गया है
क्या सही जगह है यार, ये ऑफिस यहा का वातावरण, यहा के लोग सबकुछ अच्छा है, यहा तक की बॉस भी फ्रेंडली है
आज मैं दो अमेजिंग लोगो से मिली, रोहन और स्वरा, हमने साथ में ही आज ऑफिस ज्वाइन किया है बढ़िया लोग है, लगता है हम अच्छे दोस्त बन सकते है
मुझे लगता है ये लोग, ये ऑफिस ये माहोल कुछ वक्त के लिए ही सही मुझे मेरे दर्द से निकलने में बहुत मदद करेगा
और इस सब में भी मैं तुम्हे बहुत मिस करती ही अंश
आई लव यू
एकांश ने डायरी बंद की और अपनी आंखों से निकलती आंसू की बूंद साफ की और खिड़की के बाहर देखने लगा, अमृता अपना फोन चलाते हुए बीच बीच में एकांश को देख रही थी, उसने तो खबर भी नही थी के एकांश के मन में क्या चल रहा था
कुछ समय बाद एकांश वापिस डायरी के कुछ पन्ने पढ़ने लगा जिसमे अक्षिता के नए दोस्तो के बारे में लिखा हुआ है जिसे पढ़कर उसे भी हसी आई क्युकी स्वरा और रोहन थे भी वैसे, पक्के दोस्त लेकिन हर पन्ने में एक बार कॉमन थी, अक्षिता का उसे लिखा आई लव यू
पिछले दो दिन से एकांश अमृता के साथ अक्षिता को ढूंढने में लगा हुआ था, वो जरा भी नही चाहता था के अमृता उसके साथ रहे लेकिन उसकी मजबूरी थी, अगर उसे अक्षिता को जल्द से जल्द ढूंढना था तो अमृता को साथ रखना ही था..
वो अमृता के उसके बारे में उसकी लाइफ के बारे में अक्षिता के बारे में लगातार चलते सवालों से परेशान हो गया था , हालांकि उसने उनमें से कई सवालों का जवाब नही दिया था और उसे चुप कराने के लिए उसका बस गुस्से से घूरना ही काफी था
उन लोगो ने उस मेडिकल पर पूछताछ की थी तो उस मेडिकल वाले ने बताया था के उसने वो दवाइया बस एक स्पेशल ऑर्डर के लिए मंगवाई थी और जब उससे पूछा गया के वो दवाइया लेने कौन आया था तो उसने बताया था के एक लड़की आई थी और वो दवाइया लेकर गई थी,
एकांश ने अपने फोन में उस मेडिकल वाले को अक्षिता की तस्वीर दिखा कर पूछा था के ये ये वही थी जिसने दवाइया मंगवाई थी जिसपर उस मेडिकल वाले ने भी हा कहा था
एकांश ये जानकर अब बहुत ज्यादा खुश था के वो अक्षिता के आसपास ही था, एकांश के चेहरे पर अब एक स्माइल थी वही अमृता बस एकांश को स्माइल करता था अपने को उसने खोया हुआ सा महसूस कर रही थी
एकांश ने उस बंदे से आगे भी पूछताछ की के क्या वो अक्षिता को जानता है या उसका एड्रेस जानता है के वो कहा से आई थी लेकिन अफसोस उसे ज्यादा कुछ नही पता था, us बंदे ने कहा के वो अक्षिता के बारे में कुछ भी नही जानता था जिसे सुन एकांश थोड़ा निराश हो गया था
लेकिन फिर भी उसके चेहरे पर स्माइल थी, उसका मन उससे कह रहा था के अक्षिता कही उसके आसपास ही थी और अब वो इसे जरूर ढूंढ लेगा
और बस तभी से एकांश और अमृता नए जोश के साथ अक्षितांको ढूंढने में लगे हुए थे..
पिछले दो दिन में एक और बात हुई थी, वो ये की अमृता के मन में एकांश के लिए फीलिंग बनने लगी थी, उसे एकांश पर क्रश तो पहले ही था लेकिन अब ये फीलिंग्स बढ़ रही थी, उसके पहले भी बॉयफ्रेंड थे, पुरुष मित्र थे लेकिन उसने कभी किसी के लिए ऐसा महसूस नही किया था जैसा एकांश के लिए करने लगी थी
उसे पहले भी कई लड़कों ने एप्रोच किया था लेकिन उसने किसी को घास तक नही डाली थी लेकिन यह एकांश के लिए उसकी फीलिंग्स ही अलग थी
इन दो दिनों में उसने एकांश को जाना था, ऑब्जर्व किया था, वो उन लड़कों जैसा नही था जिन्हे वो जानती थी, वो समझ गई थी एकांश अलग था, वो ये भी समझ गई थी के एकांश जैसा दिखता है वैसा था नही, वो भले ही ऊपर से रुड बनता लेकिन उसका दिल मोम जैसा था
वो एकांश को देखती थी जब वो एक फोटो को देख मुस्कुराता था, कैसे वो एकदून गौर से उस डायरी को पढ़ता था, कैसे वो उस डायरी और उस तस्वीर को अपने सीने से लगाता था, उसके चेहरे पर आते वो दर्द के भाव, हर पल किसी को तलाशती उसकी आंखे, अमृता सब नोटिस कर रही थी
वो नही जानती थी के अक्षिता कौन थी और ये लोग उसे क्यों ढूंढ रहे थे लेकिन वो इतना तो जान गई थी के अक्षिता एकांश के दिल के बहुत ज्यादा करीब थी
उसने एकांश से उसके बारे में उसकी जिंदगी के बारे में पसंद ना पसंद के बारे में बात करनी चाही लेकिन बदले में उसे बस कुछ छोटे जवाब मिले का थोड़े गुस्से से घूरती एकांश की आंखे जिससे वो चुप हो जाती थी...
--
"एकांश बेटा..."
एकांश चलते चलते रुका लेकिन पलटा नही
"तुम कहा जा रहे हो?" उसकी मां ने उसे पूछा
लेकिन एकांश कुछ नही बोला
"एकांश, talk to me"
वो फिर भी चुप रहा
"एकांश प्लीज, I said I am sorry"
उन्होंने कहा लेकिन एकांश अब भी कुछ नही बोला, उसने अपनी आंखे बंद कर ली
"मैने तुम्हे इसीलिए नही बताया था क्युकी मैने उससे वादा किया था और मैंने तुम्हे तकलीफ में नही देखना चाहती थी बेटा" उन्होंने एकांश का हाथ पकड़ते हुए उससे कहा
एकांश पलटा और अपनी मां को देखा
"तो आपको क्या लगता है मां अभी मैं बहुत मजे में हु, आप नही जानती के इस वक्त मैं कैसा महसूस कर रहा हु कितनी तकलीफ में हु ये सोचते हुए के वो इतने समय मेरी आंखों के सामने थी लेकिन मैं उसे बचाने के लिए कुछ नही कर पाया, ये सोच के मेरा दिल जल रहा हैं के उसने कभी मुझसे प्यार करना बंद ही नही किया और मैं उसके लिए कुछ नही कर पाया, उसे अगर कुछ हो गया तो पता नही मैं क्या कर जाऊंगा" एकांश ने रोते हुए कहा
"बेटा मैं जानती हु वो बहुत अच्छी लड़की है और तुमसे बहुत प्यार करती है लेकिन वही नही चाहती थी के ये बात कभी तुम्हे पता चला और एक मां होने के नाते मैने भी वही किया जो मुझे तुम्हारे लिए सही लगा, प्लीज एकांश मुझे अपने से दूर मत करो, मैं तुम्हारी बेरुखी नही झेल पाऊंगी बेटा" उन्होंने रोते हुए कहा लेकिन एकांश कुछ नही बोला
"एकांश...."
"अगर आप मुझे पहले ही ये सब बता देती तो मैं उसे कभी अपने से दूर नही होने देता, शायद मैं उसे बचाने के लिए कुछ कर सकता या उस मुश्किल वक्त में उसका साथ ही दे सकता था" एकांश ने कहा और वहा से चला गया वही उसकी बार रोते हुए उसे जाता देखने लगी और फिर एकांश रुका और बोला
"मुझे आपसे कोई शिकायत नही है मां, मुझे बस अपने आप से चिढ़ है" और वहा से चला गया
--
"मिस्टर रघुवंशी मुझे नही लगता के वो ठाणे में है, शायद उसने हमे गुमराह किया हो, हम सब जगह देख चुके है" अमृता ने पीछे की सीट की ओर देखते हुए एकांश से कहा जो अपने फोन में स्वरा को मैसेज कर रहा था
"उसे पता ही नही है के मैं उसे खोज रहा हु तो गुमराह करने का सवाल ही नहीं है" एकांश ने कहा
"आपको कैसे पता?" अमृता
"बस पता है"
"लेकिन मुझे लगता है के अब हमे...." लेकिन एकांश ने एकदम से उसकी बात काट दी
"I don't want your opinions" एकांश ने एकदम कहा
"मैं तो बस..."
"बस!"
और इसी के साथ अमृता चुप हो गई, वो अब भी ये नही समझ पाई थी के एकांश इतने डेस्परेटली अक्षिता को क्यू ढूंढ रहा था जैसे ये उसके जीने मरने का सवाल हो
वही एकांश इस बात पर फ्रस्ट्रेट हो रहा था के वो अभी तक अक्षिता को नही ढूंढ पाया था ऊपर से उसकी मां के साथ हुई उसकी बातचीत ने उसका गुस्सा और बढ़ा दिया था
वो अपनी मां को हर्ट नही करता चाहता था लेकिन वो उनसे नाराज भी था ऊपर ये डिटेक्टिव कंटिन्यू बोलती रहती थी जिससे अब उसका दिमाग भन्ना रहा था, उसने कुछ पल अपनी आंखे बंद की और दिमाग शांत किया और फिर उस डायरी को देखा
अंश आज मैने तुम्हे देखा..
तुम मेरे सामने मेरे ऑफिस में खड़े थे..
मैं जानती थी के हमारा नया बॉस आ रहा है लेकिन वो तुम होगे ये मैने नही सोचा था, मुझे तो यकीन ही नहीं हो रहा था लग रहा था के मैं सपना देख रही हु ये मेरा वहम है क्युकी आजकल मैं तुम्हे मेरे आसपास ही महसूस कर रही हु लेकिन है सच था, तुम वहा थे
जब तुम अंदर आए मैं शॉक थी, मैं वहा कुछ देर किसी मूर्ति की तरह खड़ी थी जब तक रोहन ने मुझे होश में नहीं लाया, तुम सबसे मिल रहे थे और मैं वहा से निकलने की कोशिश कर रही थी लेकिन तभी बॉस ने मुझे बुला लिया
तुमने ऐसे जताया जैसे तुम मुझे जानते ही नहीं हो और मेरी तरफ देखा भी नहीं, हा थोड़ा दर्द हुआ पर मैं खुश हु के तुमसे मिली
पता है मुझे सबसे ज्यादा तकलीफ किससे हुई? तुम्हारे की बदले हुए एटीट्यूड और रुड बर्ताव से जो की ना सिर्फ मेरे लिए था बल्कि सभी के लिए था, you used to be the sweetest person I know लेकिन शायद तुम बदल चुके हो और इसके लिए कही न कही मैं ही जिम्मेदार हु
आई एम सॉरी अंश, मैने तुम्हारे साथ गलत किया है, मैं तुमसे माफी मांगना चाहती थी, तुम्हे बताना चाहती थी के मैं आज भी तुमसे कितना प्यार करती हु, तुमसे बात करना चाहती थी कितना कुछ बताना है तुम्हे... लेकिन मैं ऐसा नहीं कर सकती... दोबारा तुम्हे दर्द नही दे सकती....
मुझे रोज ये डर सताने लगा है के अपनी बीमारी को तुमसे जैसे छिपाऊंगी, तुम्हारे सामने ये कैसे बताऊंगी के तुम मेरे लिए कोई मायने नहीं रखते, मुझे तो ये सोच सोच कर छोटे पैनिक अटैक आने लगे है के तुम्हे सच पता चला तो क्या होगा
कई महीनो में पहली बार इतनी अच्छी नींद आई है, मैने कभी नहीं सोचा था के तुम्हे दोबारा देख भी पाऊंगी लेकिन लगता है अब सब सही हो सकता है...
आई लव यू अंश
"आई लव यू" एकांश ने धीमे से कहा और बाहर की ओर देखने लगा जब उसने पाया के अमृता उसे ही देख रही है
"कौन है वो?" अमृता ने धीरे से पूछा
"क्या?"
"Who is she to you?" अमृता ने नीचे देखते हुए पूछा
"It's none of your business" एकांश ने थोड़े गुस्से में कहा वही अमृता थोड़ा हर्ट फील करते हुए बाहर की ओर देखने लगी
और तभी एकांश का फोन लगा उसने नाम देखा और फोन उठाया
"क्या है स्वरा" एकांश ने कहा
"वाह, हेलो कहने का क्या बढ़िया तरीका है"
"मुद्दे पे आओ"
"तुम कहा हो?"
"ठाणे पहुंच रहा हु"
"उसके बारे में कुछ पता चला?" स्वरा ने उम्मीद से पूछा
"अभी तक नही"
"एकांश.... You need to forgive your mom, उनकी इस सब में कोई गलती नही है" स्वरा ने कहा
"तुम पागल हो गई हो क्या? तुम ऐसा कैसे कह सकती हो?" एकांश ने चिल्ला कर कहा जिससे अमृता भी थोड़ा चौकी
"एकांश...."
"स्वरा, उन्होंने मुझसे सच छिपाया है, पूरे डेढ़ साल तक, अगर मुझे पहले ही सब कुछ सच सच पता होता तो मैं उसे कभी अपने से दूर नही होने देता" एकांश ने चिल्ला कर कहा वही अमृता सब गौर से सुन रही थी
"जानती हु लेकिन वो और क्या करती? अपने बेटे को उसके प्यार को हर पल मारता देख तड़पने देती?" स्वरा ने भी गुस्से में कहा
"और आज मैं उस वक्त से ज्यादा तकलीफ में हु उसके बारे में सोच कर उसके ठिकाने के बारे में सोच कर, मैं अंदर से हर पल ये सोच कर मर रहा हु के शायद शायद मैं कुछ कर सकता था...." बोलते बोलते एकांश की आवाज कांपने लगी थी
अमृता को ज्यादा कुछ समझ नही आ रहा था लेकिन वो इतना तो जान गई थी के एकांश के लिया अक्षिता जितना उसने सोचा था उससे ज्यादा मायने रखती थी
"एकांश, आई एम सॉरी, देखी मैं सब जानती हू और समझती भी हु बस मैं नही चाहती थी के तुम अपनी मॉम को हर्ट करो... और शायद अक्षु भी यही चाहती" स्वरा ने आराम से कहा
"सॉरी तुम्हारे ऊपर इस तरह चिल्लाने के लिए" एकांश ने कहा वही अमृता ने चौक के उसे देखा क्युकी उसके लिया ये पार्टी किसी को सॉरी बोले ऐसी नही थी
" कोई न अब तो आदत है, पहली बार थोड़ी है" स्वरा ने कहा जिसे सुन एकांश भी मुस्कुरा दिया
"और कुछ?"
"हा.. वो तुम ठाणे ही जा रहे हो तो प्लीज उस डीलर से भी मिल लेना जिसके बारे में मैने कल बताया था" स्वरा ने कहा
"कौन सा वाला?"
"हमारे ठाणे के प्रोजेक्ट का, तुम्हे उससे एस्टीमेशन और टेंडर के बारे में बात करनी होगी ताकि आगे हम काम फाइनलाइज कर सके, अब वहा जा रहे हो तो मिल लो"
"नही नहीं मैने तुमसे कहा था जब तक मैं अक्षिता को ढूंढ नही लेता मैं कुछ नही करने वाला" एकांश ने कहा
"हा लेकिन इनसे प्लीज मिल हो, वो पहले ही कई बार तुम्हारे बारे में पूछ चुके है और मैं बात टाल चुकी हु, प्लीज एक बार मिल लो ताकि मैं बाकी बाते कर सकू" स्वरा मिन्नते करते हुए कहा
"ठीक है"
"और ये तुम्हारी कंपनी है यार कुछ काम तुम्ही को करने पड़ेंगे"
"हा हा ठीक है" और एकांश ने फोन काट दिया
एकांश ने देखा के अमृता उसे ही देख रही थी
"कोई प्राब्लम?" उसने पूछा
"नही" अमृता ने आगे देखते हुएं कहा
"आगे सर्च करने के पहले मुझे ठाणे में ही एक मीटिंग अटेंड करनी है" एकांश ने अमृता से कहा और अपना लैपटॉप खोला
"ओके"
--
कुछ देर बाद वो लोग मीटिंग की जगह पहुंचे और एकांश अंदर गया वही अमृता कार के पास ही उसका इंतजार करने लगी और केस की बाकी डिटेल्स के बारे में सोचने लगी
कुछ देर बार एकांश डील फाइनल करके आया और वो आगे बढ़ गए और एक रेस्टोरेंट पर खाने के लिए रुके, कोई कुछ नही बोल रहा था, अमृता लंच करने चली गई वही एकांश बाहर ही था, उसका खाने का मन नही था वो गाड़ी में बैठ कर अभी हुई मीटिंग के मेल भेज रहा था
तभी एक गाड़ी के टायर घिसने की जोरदार आवाज आई उसने बाहर देखा जहा से आवाज आया था वहा अब भीड़ जम गई थी और हंगामा हो रहा था
चुकी ये सब रोड के दूसरी साइड हुआ था इसीलिए एकांश को कुछ दिख नही रहा था और तब तक ड्राइवर और अमृता भी आ गए थे और ड्राइवर हंगामे की वजह से कार रिवर्स ले रहा था वही एकांश अपने अपने फोन निकाला और वहा की।लोकेशन देखने लगा
एकांश ने फिर देखा के वो हंगामा क्लीयर हुआ है या नही और अब भीड़ छटने लगी थी और एकांश को सब साफ दिख रहा था और तभी एकांश की नजरे रुकी, उसे एक जानी पहचानी फिगर दिखी
"अगर उसे लेट ही आना था तो उसने हमे इतना अर्जेंटली क्यू बुलाया"
"स्वरा रिलैक्स, वो ट्राफिक में फस गया होगा"
"कैसे रिलैक्स करू रोहन, कितने काम है अभी घंटे भर में ऑफिस में इंपोर्टेंट मीटिंग है, अक्षु का कुछ पता नहीं चल रहा, हमारा बॉस ऑफिस से गायब है और क्यों है इसकी ऑफिस वालो को खबर भी नही है और हम भी नही रहे तो नुकसान तगड़ा हो जायेगा"
"स्वरा हम एकांश को दोष नही दे सकते वो किस कंडीशन में है हम जानते है"
"इसीलिए तो सब मैनेज कर रहे है" स्वरा ने कहा
"खैर उसने हमे बुलाया है तो जरूर कुछ न कुछ बहुत ही जरूरी बात होगी लेट्स वेट"
ये लोग बात कर ही रहे थे वही कैफे में इन्ही के टेबल के पास एक लड़की बैठी थी जो बस इन लोगो को ही देखे जा रही थी,
एक पल को उसकी और स्वरा की नजरे भी मिली लेकिन स्वरा ने उसे इग्नोर कर दिया लेकिन उसने अपनी नजरे उनपर बनाए रखी
थोड़े ही समय के बाद एकांश भी वहा पहुंच गया और उनलोगो के सामने वाली कुर्सी पर जाकर बैठा था,
स्वरा टेबल तब सर टिकाए बैठी और एकांश के आने की आवाज सुन वो सीधी बैठ गई वही रोहन भी एकांश को देखने लगा
एकांश कुछ नही बोल रहा था वो बस अपने फोन में लगा हुआ था और किसी को बार बार कॉल लगा रहा था लेकिन सामने वाला जवाब नही दे रहा था
जब कुछ समय तक एकांश कुछ नही बोला तो स्वरा ने पूछा
"एकांश क्या हुआ है ? क्या अर्जेंट बात है? अक्षू के बारे में कुछ पता चला?" स्वरा ने पूछा बदले में एकांश ने बस हा में सर हिलाया
"एकांश प्लीज बताओगे बात क्या है, देखो हमे ऑफिस पहुंचना है तुम नही हो ऐसे में वहा का काम भी बिखरा हुआ है"
"मैं जानता हूं रोहन, बस एक बार अक्षिता मिले सब सही हो जायेगा, अरे यार ये फोन क्यों नही उठा रही??" एकांश ने थोड़ा जोर से कहा
"कौन?" रोहन और स्वरा ने एकसाथ पूछा
"मैं"
सबने ये आवाज सुनी और उसकी ओर देखा जिसने 'मैं' कहा था , ये वही लड़की थी जो उन्हे देख रही थी
"क्या?" स्वरा ने सवालिया नजरो से पूछा
"मैं ही वो हु जिसका आपलोग इंतजार कर रहे थे" उस लड़की ने कहा,
स्वरा और रोहन को कुछ समझ नही आ रहा था क्युकी उन्हें पूरी बात बता ही नही थी एकांश ने तो उनसे बस वहा आने कहा था लेकिन एकांश उसे पहचान गया और उसने उसे बैठने कहा
"तो आप है डिटेक्टिव अमृता?" एकांश ने उस लड़की को देखते हुए या यू कर एक उसका एक्सरे करते हुए कहा
वैसे वो लड़की भी एक पल को एकांश की आंखो में खो गई थी, वो रियल में ज्यादा अच्छा दिखता था
"जी हा" उसने कहा
"रोहन, स्वरा ये वो डिटेक्टिव है जिन्हे हमने अक्षु को ढूंढने हायर किया था और मिस अमृता ये मेरे दोस्त है" एकांश ने फॉर्मल इंट्रोडक्शन कराया स्वरा और रोहन ने भी अमृता से हाथ मिलाया
"अब अहम बात पर आते है, मिस अमृता आपने कहा था आपको अक्षिता के बारे में कोई लीड मिली है, क्या पता चला?" एकांश ने कहा
"क्या?" स्वरा ने कहा
"क्या पता चला?" रोहन ने भी जल्दी पूछ लिया
"बताती हु, एक्चुअली उसे ट्रेस करना बहुत ही मुश्किल है क्युकी उसने अपने आप को बहुत बढ़िया तरीके से छिपाया हुआ है, she is keeping a very low profile, वो ना तो अपना पुराना फोन या न्यूज यूज कर रही है ना ही पुराना कोई भी कार्ड जिससे उस तक पहुंचा जाए" अमृता ने कहा
"ये मुझे पुलिस भी बता चुकी है, आगे?" एकांश ने कहा
"देखिए मैने अमर सर से उसके बारे में और डिटेल्स जानी उसके फैमिली के बारे में पता किया और अमर सर ने भी उन्हें जो जो पता था सब बताया, जो सब भी जो आपलोगों ने पता किया था, एड्रेस और जहा ट्रीटमेंट चल रहा है सब और फिर मैंने खोज शुरू की, मैने उसने पड़ोसियों से पूछा लेकिन जैसी उम्मीद थी उन्हें कुछ नही पता था बस इतना पता चला के अक्षिता के पिता एक रिटायर्ड गवर्मेंट ऑफिशियल है, मैने फिर उनके बारे में भी पता करना चाहा लेकिन वो लोग बहुत ही कम लोगो से कॉन्टैक्ट रखे हुए थे और बस आपस में ही खुश थे किसिसे या किसी बात में ज्यादा इन्वॉल्व नही होते थे और इसीलिए उन्हें ढूंढना ज्यादा मुश्किल काम है, मैने ये भी पता करने की कोशिश की के शायद ही सकता हो उनकी कोई दूसरी प्रॉपर्टी को जहा वो गए हो या किसी दूसरे शहर में कुछ हो लेकिन ऐसा भी कुछ पता नहीं चल पाया तो मिलाजुलाकार बस हॉस्पिटल और उसका घर ही था जहा से कुछ पता चल सकता था, वो घर नही आने वाले थे मुझे पता था इसीलिए मैं हॉस्पिटल पर अपनी नजरे बनाए हुए थे और जब अमर सर ने मुझे बताया के वो हॉस्पिटल में चेकअप के लिए आई थी तब मैं वही पास में ही थी और जब तक मैं वहा पहुंची तब तक या तो वो जा चुकी थी या फिर उसने अपने आप को कवर कर लिया था ताकि कोई उसे ना पहचाने या हो सकता है सब क्लीयर होने तक कही छिप गई हो, खैर मुझे लगता है उसे शक तो है के कोई पीछा कर सकता है इसीलिए वो चेकअप के बाद बगैर दवाइया लिए वहा से चली गई थी, उसने हॉस्पिटल ले मेडिकल से दवाइया नही ली थी जहा से वो हर बार लेती थी" अमृता बोलते बोलते रुकी और उसने उन लोगो को देखा जो उसकी बात ध्यान से सुन रहे थे
"तुम्हे हॉस्पिटल वाली बात कैसे पता?" रोहन ने पूछा
"अमर सर ने बताया था आप लोग डॉक्टर से मिले थे और शायद डॉक्टर ने आपको prescription की कॉपी भी दी थी मैंने उन्हें वाली कॉपी मांगी और उसी से आगे को छानबीन की, सबसे पहले तो मैंने हॉस्पिटल के ही मेडिकल हॉल में। इंक्वायरी की, उन्होंने बताया के अक्षिता नाम को पेशेंट हर महीने उन्हीं के पास से दवाइया लेती है लेकिन इस बार उसने वहा से दवाइया नही ली थी इसीलिए फिर मैने हॉस्पिटल के आसपास के भी सभी मेडिकल्स में पूछा और मेरे कॉन्टैक्ट के थ्रू मुझे ऐसी जगह का पता चला जहा से शहर के कई मेडिकल में दवाइया जाति थी, वहा से मुझे पता चला के एक छोटे से मेडिकल ने अभी रिसेंटली ही यही दवाइया ऑर्डर की थी और जब मैने चेक किया तो पाया के ये वो एक्जैक्ट दवाइया थी जो उस प्रिस्क्रिप्शन में थी" अमृता ने बात खतम की
"तो तुम्हारा मतलब है के वो अक्षिता ही है जिसने ये दवाइया मंगवाई है" स्वरा ने पूछा
"हा, क्युकी कोई भी दूसरा पेशेंट एक्जैक्ट सेम प्रिस्क्रिप्शन ऑर्डर नही कर सकता था"
"सही है" रोहन ने कहा
वहा एकांश इस पूरे वाकए में एकदम ही शांत था, पहले तो वो खुश हुआ के कुछ तो पता चला है लेकिन फिर उसके मन में ये डर भी था के कही से सब गलत ना हो
"वो मेडिकल कहा है?" एकांश ने पूछा
"वो ये छोटा सा मेडिकल है ठाणे में" अमृता ने कहा
"ठीक है तुम दोनो ऑफिस के लिए निकलो मैं वहा उस मेडिकल पर जाकर देखता हु वहा आसपास देखता हु" एकांश ने वहा से उठते हुए रोहन और स्वरा से कहा
"क्या? हम तुमको अकेला नही जाने देंगे" स्वरा ने कहा
"हा हम भी साथ चलेंगे" रोहन ने भी स्वरा की बात में हामी भरी
"अगर तुम लोग साथ चलोगे तो ऑफिस कौन संभालेगा?" एकांश ने कहा
"लेकिन...."
"बस मैं जा रहा हु और कोई बहस नही"
"एक मिनट मिस्टर रघुवंशी, मैं भी आपके साथ चलती हु" अमृता ने भी अपना पर्स उठते हुए कहा
"नही मैं अकेला ही जाऊंगा आप बस मुझे उस मेडिकल का एड्रेस बताए" एकांश ने कहा
"देखिए हो सकता है उसने वही से दवाइया ली हो लेकिन ये जरूरी नहीं के वो वही उसी इलाके में रहती हो, मैं उस एरिया को जानती हू और मेरे पास कुछ लोकेशन है जहा हम उसे ढूंढ सकते है, मेरे साथ रहने से आपको उसे ढूंढने में आसानी होगी" अमृता ने कहा
एकांश ने एक पल सोचा और फिर बोला
"ठीक है"
जिसके बाद एकांश और अमृता निकल गए, अमृता बस इस बात से खुश थी के वो एकांश के साथ थी, उसने उसकी तस्वीर एक बिजनेस मैगजीन में देखी थी तभी से उसे उसपर क्रश था और याहा साथ साथ उसका काम भी हो रहा था
वो लोग एकांश की कार के पास आए, एकांश ने उसे आगे ड्राइवर के बाजू में पैसेंजर सीट पे बैठने कहा और खुद पीछे बैठ गया, एकांश अब जहा भी जाता ड्राइवर साथ होता था जो की अमर ने कहा था क्युकी इस डिप्रेस्ड हालत में वो एकांश की ड्राइविंग पर भरोसा नहीं कर सकते थे
अमृता ने ड्राइवर को एड्रेस बताया और कार चल पड़ी, अमृता ने पीछे देखा तो पाया के एकांश की पढ़ रहा था, एक डायरी..
मुझे इस जगह से प्यार हो गया है
क्या सही जगह है यार, ये ऑफिस यहा का वातावरण, यहा के लोग सबकुछ अच्छा है, यहा तक की बॉस भी फ्रेंडली है
आज मैं दो अमेजिंग लोगो से मिली, रोहन और स्वरा, हमने साथ में ही आज ऑफिस ज्वाइन किया है बढ़िया लोग है, लगता है हम अच्छे दोस्त बन सकते है
मुझे लगता है ये लोग, ये ऑफिस ये माहोल कुछ वक्त के लिए ही सही मुझे मेरे दर्द से निकलने में बहुत मदद करेगा
और इस सब में भी मैं तुम्हे बहुत मिस करती ही अंश
आई लव यू
एकांश ने डायरी बंद की और अपनी आंखों से निकलती आंसू की बूंद साफ की और खिड़की के बाहर देखने लगा, अमृता अपना फोन चलाते हुए बीच बीच में एकांश को देख रही थी, उसने तो खबर भी नही थी के एकांश के मन में क्या चल रहा था
कुछ समय बाद एकांश वापिस डायरी के कुछ पन्ने पढ़ने लगा जिसमे अक्षिता के नए दोस्तो के बारे में लिखा हुआ है जिसे पढ़कर उसे भी हसी आई क्युकी स्वरा और रोहन थे भी वैसे, पक्के दोस्त लेकिन हर पन्ने में एक बार कॉमन थी, अक्षिता का उसे लिखा आई लव यू