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Thank you for the review bhaiNice update....
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Nice update....Update 35
"मेरा रास्ता छोड़ो"
"नहीं!"
"मैंने कहा हटो!"
"नही!"
"क्या चाहती हो?"
"ये जानना के तुम यहा क्या कर रहे हो?"
"इससे तुम्हारा कोई लेना देना नहीं है"
"न न न मेरा इससे पूरा लेना देना है तो चुप चाप मेरे सवाल का जवाब दो"
एकांश अपने ऑफिस जाने की कोशिश कर रहा था जबकि अक्षिता उसके रास्ते में खड़ी थी और तब तक हटने के मूड में नहीं थी जब तक एकांश उसके सवालों के जवाब नहीं दे देता, वह सीढ़ियों पर अड़ी हुई उसका रास्ता रोके खड़ी थी
"हटो यार" एकांश उसे अपने रास्ते से बाजू हटने की कोशिश करते हुए कहा लेकिन उसका अक्षिता पर कोई असर नही हुआ
"नहीं" अक्षिता ने कहा
"अक्षिता देखो अगर तुम अभी नहीं हिली, तो मैं कुछ ऐसा करूँगा जो तुम्हें पसंद नहीं आएगा"
"हुह, तुम मेरे घर में हो तो मुझे धमकाओ मत" अक्षिता ने भी उसी टोन में जवाब दिया
और फिर एकांश ने वो किया जो अक्षिता ने सोचा भी नही था, एकांश ने अक्षिता को किसी बोरी की तरह अपने कंधे पर उठा लिया, अब अक्षिता का वजन वैसे ही पहले से थोड़ा कम हो चुका था इसीलिए उसे खास तकलीफ भी नही हुई और वो वैसे ही सीढ़िया उतरने लगा वही अक्षिता उसकी पीठ पर मारते हुए एकांश पर चिल्लाने लगी
"मुझे नीचे उतारो!" अक्षिता ने चिल्लाकर कहा एकांश की पीठ पर मुक्के मारते हुए कहा
"जब तक मैं सीढ़ियों से नीचे नहीं उतर जाता, तब तक नहीं" एकांश ने उतनी ही शांति से जवाब दिया
"मुझे अभी के अभी नीचे उतारो!"
इसका एकांश कोई जवाब नहीं दिया, बल्कि मुस्कुराया और नीचे उतरने लगा वही अक्षिता उसके हाथ से छूटने के लिए छटपटाने लगी
"हिलना बंद करो वरना यही पटक दूंगा" एकांश ने वापिस धमकाया और इस बार इसका अक्षिता पर असर भी हुआ और उसने हिलना बंद कर दिया..
और जैसे ही अक्षिता ने अपने हाथ पाव चलाना छोड़े एकांश पे चेहरे पर एक हल्की सी स्माइल आ गई, दोनो एकदूसरे का चेहरा नही देख पा रहे थे लेकिन अक्षिता एकांश के हावभाव समझ गई और आखिरकार जब वे गेट के पास पहुंचे तो उसने उसे नीचे उतार दिया, अक्षिता का थोड़ा सर घुमा लेकिन उसने अपने आप को संभाला और एकांश को गुस्से से देखने लगी
"ये क्या हरकत थी एकांश" उसने अपना सिर पकड़े हुए कहा
"तुमने मुझे मजबूर किया तुम हट जाती तो मैं ऐसा नही करता" एकांश ने अपने कंधे उचकाते हुए कहा और वहा से जाने के लिए मुड़ा
अक्षिता कुछ देर जाते हुए देखता एकांश के देखती वही खडी रही और फिर होठों पर मुस्कान लिए अपने घर के अंदर चली गई।
"तुम ऐसे मुस्कुरा क्यों रही हो?" अक्षिता जब चेहरे पर स्माइल लिए घर में दाखिल हुई तो उसकी मां ने उसे पूछा
"कुछ.. कुछ नही बस ऐसे ही" अक्षिता ने इधर उधर देखते हुए कहा
"मैंने अभी अभी देखा है तुम दोनो को" सरिताजी बोलते हुए रुकी, उन्होंने अक्षिता को देखा फिर आगे कहा, "और वो अच्छा लड़का है, और मुझे पसंद भी है" सरीताजी ने मुस्कुराते हुए कहा
"माँ! प्लीज़!"
"क्या?? वो मेरी बेटी को खुश रखता है, और हर माँ अपनी बेटी के लिए ऐसा दामाद चाहती है जो इतना सुन्दर हो और जिसका दिल भी सोने जैसा हो" सरीता जी ने कहा
अक्षिता अपनी मां की बात सुन हस पड़ी, शायद वो अपनी बेटी की शादी उसके पसंदीदा लड़के एकांश से होने का सपना देख रही थी और है सोचते ही अक्षिता का चेहरा अचानक उतर गया और वह अपनी किस्मत पर उदास होकर मुस्कुराने लगी, वो कभी भी अपनी और अपनी मां की ये इच्छा पूरी नहीं कर सकती थी,
"हंसो मत अक्षु, मैं सीरियस हु" सरिता जी बात करने के साथ साथ घर के काम भी कर रही थी
"मां आप जानती है मेरी किस्मत में ये खुशी नही है" अक्षिता ने धीमी आवाज़ में कहा और अपनी मां को अपनी ओर देखने पर मजबूर कर दिया
"तुम भी खुश रहने की हकदार हो अक्षिता" सरिता जी ने कहा
"वापिस वही बता मत शुरू करो मां आप मेरी जिंदगी का सच जानती है इसीलिए प्लीज मेरी शादी के बारे में सपने मत देखो मैं अपनी कुछ पल को खुशी के लिए किसी की जिंदगी खराब नही करूंगी, खासकर एकांश
की।" अक्षिता ने सख्ती से कहा
" लेकिन....."
"नहीं मां, क्या आप भूल गई कि हम शहर से क्यों भागे थे? हम इसलिए भागे क्योंकि मैं एकांश की ज़िंदगी बर्बाद नहीं करना चाहती और उसे सच्चाई पता नहीं चलनी चाहिए, लेकिन फिर वो अचानक यहा क्या कर रहा है? वो यहा क्यों आया? उसके जैसा अमीर आदमी इतनी छोटी जगह में क्यों रह रहा है? मेरे लिए? क्या उसे सच्चाई पता है? नही ये नही हो सकता" बोलते बोलते अक्षिता घबराने लगी थी उसका आवाज भी ऊंचा हो गया था वही अब सरिताजी को डर लग रहा था के कही अक्षिता को पैनिक अटैक ना आ जाए
"अक्षिता, बच्चे शांत हो जाओ! मैंने उससे पूछा है कि वो यहा क्यों रह रहा है, उसने बस इतना कहा कि वह यहा इसलिए रुका है क्योंकि उसे अपने किसी प्रोजेक्ट के लिए साइट के पास रहना था और यह प्रोजेक्ट कंपनी के लिए बहुत बड़ी बात है इसलिए उसने ये जगह किराए पर ली क्योंकि ये उसके ऑफिस और साइट के बहुत पास है" सरिता जी ने उसे पैनिक अटैक से बचाने के लिए शांति से समझाया
"ओह" अक्षिता ने कहा लेकिन अभी भी उसे इस बारे में थोडा डाउट था, लेकिन फिलहाल उसने इस बता को यही छोड़ देने का फैसला किया
******
ऑफिस में एकांश ने जब रोहन और स्वरा के बताया के उसके अक्षिता के घर रहने का भेद खुल गया है तो ये जान कर स्वरा थोड़ी खुश हुई क्युकी वो एकांश की इस बात से थोड़ी खफा थी के वो छुप रहा था साथ ही उसने अक्षिता से मिलने को जिद पकड ली थी और एकांश को ये कह कर समझाना पडा के अक्षिता अभी उसके वहा रहने को पचा नहीं पाई है ऐसे में इन लोगो को वहा देख वो डेफिनेटली भाग जायेगी जिससे obviously स्वरा खुश नही थी लेकिन एकांश की बात मानने के अलावा उसके पास फिलहाल कुछ नही था उसकी उसकी नजर में एकांश को ये हरकते बिलकुल ही बेवकूफाना थी जो की कुछ हद तक सही भी था,
शाम को एकांश हमेशा को तरह गली के मोड पे अपनी कार से उतरा और ड्राइवर से अगले दिन जल्दी आने कहा और वो आराम से घर की ओर चल पड़ा, उसके दिमाग में कई बातें घूम रही थीं की कैसे कुछ ही दिनों में उसकी जिंदगी एकदम बदल गई थी, ऐसा नहीं था कि उसे इससे कोई परेशानी है, लेकिन वो आने वाले कल को लेकर डर रहा है
अपने ख्यालों से एकांश ने नेगेटिव ख्यालों को किनारे किया, वो घर पहुंच गया था और ऊपर जाते समय उसने शोर या यू कहें कि एक आवाज़ सुनी, उसने इधर-उधर देखा तो उसे एक लड़की दिखी जो शायद अभी भी कॉलेज में पढ़ रही होगी और सामने की बिल्डिंग की छत पर खड़ी होकर उसे देख हाथ हिला रही थी
एकांश ने अपने पीछे की ओर देखा कि कोई है या नहीं, लेकिन वहा कोई नहीं था, उसने फिर से उलझन में उसकी ओर देखा और देखा कि वह मुस्कुराते हुए उसकी ओर ही हाथ हिला रही थी, एकांश समझ नहीं आ रहा था कि क्या करे और इसलिए उसने वही किया जो एक अच्छा पड़ोसी करता है, उसने भी उस लड़की को देख हाथ हिला दिया..
और बस... एकांश का रिस्पॉन्स देख वो लड़की खुशी से उछल पड़ी और उसे एक फ्लाइंग किस दे डाली
और जब उस लड़की की ये हरकत देख एकांश एकदम स्तब्ध हो गया, उसे समझ ही नहीं आराहा था के अभी अभी ये हुआ क्या, उसने थोड़ी झुंझलाहट में अपना सिर हिलाया और अपने कमरे की ओर मुड़ा ,लेकिन आश्चर्य से उसकी पलकें तब झपकी जब उसने अपने सामने क्योंकि अक्षिता को खड़ा देखा जो अपने हाथों को कमर पर रखे और चेहरे पर हल्का गुस्सा लिए उसे देख रही थी
एकांश ने अपने चेहरे पर बगैर कोई भाव लाए नजर भर के अक्षिता को देखा और फिर उसके घूरने को इग्नोर करते हुए उसे हल्का सा धक्का देकर अपने कमरे के अंदर चला गया
"तुम क्या कर रहे थे?" अक्षिता ने एकांश के पीछे कमरे में आते हुए पूछा
"क्या?"
"तुमने उस लड़की की ओर हाथ क्यों हिलाया?" अक्षिता ने अपने दाँत पीसते हुए पूछा
"पहले तो उसने मेरी ओर हाथ हिलाया और फिर मैंने उसकी ओर, क्योंकि मुझे लगा कि कोई अगर मुझे ग्रीट कर रहा है और मैं ना करू तो ठीक नही लगेगा" एकांश ने कहा और अपनी फाइल्स और लैपटॉप टेबल पर रखने लगा
"वो तुम्हें ग्रीट नहीं कर रही थी!" अक्षिता झल्लाकर कहा
"हं?"
"वो तुमपे लाइन मार रही थी"
एकांश ने पहले तो अक्षिता को देखा लेकिन फिर उसके चेहरे पर एक मुस्कुराहट आ गई
"ओह.. अच्छा... ओके... तो.. तुम्हें इससे क्या लेना-देना है?" एकांश ने पूछा लेकिन अक्षिता कुछ पलों तक कुछ नही बोली फिर फिर
"देखो.. वैसे तो मुझे कुछ फर्क नही पड़ता लेकिन तुमने उसे देखकर हाथ हिलाया और अब वो सोच रही होगी कि तुम्हें उसमें दिलचस्पी है" अक्षिता ने कहा
"तो सोचने दो.. maybe I am interested" एकांश ने अपने कंधे उचकाते हुए कहा वही अक्षिता इसे शॉक होकर देखने लगी
"वैसे मेरे आने से पहले तुम यहा क्या कर रही थीं?" एकांश ने पूछा
"एकांश तुम इतने लापरवाह कैसे हो सकते हो? तुमने अपना कमरा क्यों नहीं बंद किया?"
एकांश कभी अपना कमरा बंद नही करता था क्युकी सरिता जी रोज उसके कमरे में आती थी और उसके आने से पहले ही वो उसका खाना कमरे में रख जाति थी, उन्हें आने जाने में आसानी ही इसीलिए एकांश कमरे को खुला छोड़ जाता था
"मैंने ताला नहीं लगाया क्योंकि मैं जानता हूं कि कुछ नहीं होगा।" एकांश ने आराम से कहा
"और अगर तुम्हारा कुछ सामान खो गया तो?"
"मेरे पास अब खोने को कुछ नहीं बचा है" एकांश ने धीमे से फुसफुसाकर कहा लेकिन अक्षिता ने सुन लिया
अक्षिता कुछ नही बोली वही एकांश बस उसे देखता रहा और फिर आगे बोला
"कुछ नही खोने वाला तुम भी यही हो और तुम्हारे पेरेंट्स भी इसलिए कोई भी अंदर आकर लूट तो नहीं सकता ना और मुझे तुम लोगों पर भरोसा है" एकांश ने कहा और मुड़ गया
और इससे पहले कि वह कुछ कह पाती, एकांश ने अपनी शर्ट के बटन खोलने शुरू कर दिए, जिससे अक्षिता एकदम चौकी
"तुम क्या कर रहे हो? "
"चेंज कर रहा हु"
"मेरे सामने? "
एकांश कुछ नही बोला उसके अपने शर्ट के बटन खोले और बस पलट गया, उसकी वेल मेंटेंड बॉडी अक्षिता के सामने थी और वो उसे ऐसे देखकर थोड़ा लेकिन अक्षिता की नजरे भी उसपर से नही हट रही थी
"मुझे चेकआउट करके हो गया?" उसने मुस्कुराते हुए पूछा
"मैं तुम्हें नहीं देख रही थी"
"Yeah" एकांश ने कहा और अपनी बेल्ट खोलना शुरू कर दिया
"रुको!" अक्षिता चिल्लाई.
"क्या?" उसने चिढ़कर पूछा
एकांश थका होने की वजह से बस आराम करना चाहता था और अभी अक्षिता को अपने सामने देख उसे गले लगाने के लिए उसका मन मचल रहा था और वो इस समय बस अपने आप को कंट्रोल कर रहा था
"मैं अभी भी तुम्हारे सामने हू, कुछ तो शर्म करो?" अक्षिता ने कहा
"यह मेरा कमरा है"
"पता है!"
"तो जाओ फिर निकलो यहा से" एकांश ने कहा
"और अगर मैं ऐसा न करू तो?"
" तब..... "
यह कहते हुए एकांश ने अपनी शर्ट पूरी तरह से उतारनी शुरू कर दी
"नही नही..." यह कह कर अक्षिता वहा से निकल गई
एकांश ये समझ गया था के अक्षिता को उस लड़की से जरूर जलन हुई थी और इसलिए वो यू उससे लड़ने खड़ी थी और यही सोच एकांश के चेहरे पर मुस्कान आ गई
उधर अक्षिता का दिल तेज़ी से धड़क रहा था उसके दिमाग में बस एकांश छाया हुआ था वही एकांश को देख हाथ हिलाने वाली लड़की का खयाल आते ही उसके चेहरे पर गुस्से के भाव आ गए थे उसने मन ही मन उस लड़की को ढेरो गालियां दी, एक नजर एकांश के कमरे की ओर देखा और फिर अपने घर में चली गई..
क्रमश:
Waah .. Aadi bhaiya kya baat hai, bohot khoob Prem kahani ho, or pyar bhari nok-jhok na ho to maja kaisa? Akhsita ko shak to hai, per Ekansh use yakeen me nahi badalne dega, Per aisa kab tak chalega? Ab use bol dena chahiye akshita koUpdate 35
"मेरा रास्ता छोड़ो"
"नहीं!"
"मैंने कहा हटो!"
"नही!"
"क्या चाहती हो?"
"ये जानना के तुम यहा क्या कर रहे हो?"
"इससे तुम्हारा कोई लेना देना नहीं है"
"न न न मेरा इससे पूरा लेना देना है तो चुप चाप मेरे सवाल का जवाब दो"
एकांश अपने ऑफिस जाने की कोशिश कर रहा था जबकि अक्षिता उसके रास्ते में खड़ी थी और तब तक हटने के मूड में नहीं थी जब तक एकांश उसके सवालों के जवाब नहीं दे देता, वह सीढ़ियों पर अड़ी हुई उसका रास्ता रोके खड़ी थी
"हटो यार" एकांश उसे अपने रास्ते से बाजू हटने की कोशिश करते हुए कहा लेकिन उसका अक्षिता पर कोई असर नही हुआ
"नहीं" अक्षिता ने कहा
"अक्षिता देखो अगर तुम अभी नहीं हिली, तो मैं कुछ ऐसा करूँगा जो तुम्हें पसंद नहीं आएगा"
"हुह, तुम मेरे घर में हो तो मुझे धमकाओ मत" अक्षिता ने भी उसी टोन में जवाब दिया
और फिर एकांश ने वो किया जो अक्षिता ने सोचा भी नही था, एकांश ने अक्षिता को किसी बोरी की तरह अपने कंधे पर उठा लिया, अब अक्षिता का वजन वैसे ही पहले से थोड़ा कम हो चुका था इसीलिए उसे खास तकलीफ भी नही हुई और वो वैसे ही सीढ़िया उतरने लगा वही अक्षिता उसकी पीठ पर मारते हुए एकांश पर चिल्लाने लगी
"मुझे नीचे उतारो!" अक्षिता ने चिल्लाकर कहा एकांश की पीठ पर मुक्के मारते हुए कहा
"जब तक मैं सीढ़ियों से नीचे नहीं उतर जाता, तब तक नहीं" एकांश ने उतनी ही शांति से जवाब दिया
"मुझे अभी के अभी नीचे उतारो!"
इसका एकांश कोई जवाब नहीं दिया, बल्कि मुस्कुराया और नीचे उतरने लगा वही अक्षिता उसके हाथ से छूटने के लिए छटपटाने लगी
"हिलना बंद करो वरना यही पटक दूंगा" एकांश ने वापिस धमकाया और इस बार इसका अक्षिता पर असर भी हुआ और उसने हिलना बंद कर दिया..
और जैसे ही अक्षिता ने अपने हाथ पाव चलाना छोड़े एकांश पे चेहरे पर एक हल्की सी स्माइल आ गई, दोनो एकदूसरे का चेहरा नही देख पा रहे थे लेकिन अक्षिता एकांश के हावभाव समझ गई और आखिरकार जब वे गेट के पास पहुंचे तो उसने उसे नीचे उतार दिया, अक्षिता का थोड़ा सर घुमा लेकिन उसने अपने आप को संभाला और एकांश को गुस्से से देखने लगी
"ये क्या हरकत थी एकांश" उसने अपना सिर पकड़े हुए कहा
"तुमने मुझे मजबूर किया तुम हट जाती तो मैं ऐसा नही करता" एकांश ने अपने कंधे उचकाते हुए कहा और वहा से जाने के लिए मुड़ा
अक्षिता कुछ देर जाते हुए देखता एकांश के देखती वही खडी रही और फिर होठों पर मुस्कान लिए अपने घर के अंदर चली गई।
"तुम ऐसे मुस्कुरा क्यों रही हो?" अक्षिता जब चेहरे पर स्माइल लिए घर में दाखिल हुई तो उसकी मां ने उसे पूछा
"कुछ.. कुछ नही बस ऐसे ही" अक्षिता ने इधर उधर देखते हुए कहा
"मैंने अभी अभी देखा है तुम दोनो को" सरिताजी बोलते हुए रुकी, उन्होंने अक्षिता को देखा फिर आगे कहा, "और वो अच्छा लड़का है, और मुझे पसंद भी है" सरीताजी ने मुस्कुराते हुए कहा
"माँ! प्लीज़!"
"क्या?? वो मेरी बेटी को खुश रखता है, और हर माँ अपनी बेटी के लिए ऐसा दामाद चाहती है जो इतना सुन्दर हो और जिसका दिल भी सोने जैसा हो" सरीता जी ने कहा
अक्षिता अपनी मां की बात सुन हस पड़ी, शायद वो अपनी बेटी की शादी उसके पसंदीदा लड़के एकांश से होने का सपना देख रही थी और है सोचते ही अक्षिता का चेहरा अचानक उतर गया और वह अपनी किस्मत पर उदास होकर मुस्कुराने लगी, वो कभी भी अपनी और अपनी मां की ये इच्छा पूरी नहीं कर सकती थी,
"हंसो मत अक्षु, मैं सीरियस हु" सरिता जी बात करने के साथ साथ घर के काम भी कर रही थी
"मां आप जानती है मेरी किस्मत में ये खुशी नही है" अक्षिता ने धीमी आवाज़ में कहा और अपनी मां को अपनी ओर देखने पर मजबूर कर दिया
"तुम भी खुश रहने की हकदार हो अक्षिता" सरिता जी ने कहा
"वापिस वही बता मत शुरू करो मां आप मेरी जिंदगी का सच जानती है इसीलिए प्लीज मेरी शादी के बारे में सपने मत देखो मैं अपनी कुछ पल को खुशी के लिए किसी की जिंदगी खराब नही करूंगी, खासकर एकांश
की।" अक्षिता ने सख्ती से कहा
" लेकिन....."
"नहीं मां, क्या आप भूल गई कि हम शहर से क्यों भागे थे? हम इसलिए भागे क्योंकि मैं एकांश की ज़िंदगी बर्बाद नहीं करना चाहती और उसे सच्चाई पता नहीं चलनी चाहिए, लेकिन फिर वो अचानक यहा क्या कर रहा है? वो यहा क्यों आया? उसके जैसा अमीर आदमी इतनी छोटी जगह में क्यों रह रहा है? मेरे लिए? क्या उसे सच्चाई पता है? नही ये नही हो सकता" बोलते बोलते अक्षिता घबराने लगी थी उसका आवाज भी ऊंचा हो गया था वही अब सरिताजी को डर लग रहा था के कही अक्षिता को पैनिक अटैक ना आ जाए
"अक्षिता, बच्चे शांत हो जाओ! मैंने उससे पूछा है कि वो यहा क्यों रह रहा है, उसने बस इतना कहा कि वह यहा इसलिए रुका है क्योंकि उसे अपने किसी प्रोजेक्ट के लिए साइट के पास रहना था और यह प्रोजेक्ट कंपनी के लिए बहुत बड़ी बात है इसलिए उसने ये जगह किराए पर ली क्योंकि ये उसके ऑफिस और साइट के बहुत पास है" सरिता जी ने उसे पैनिक अटैक से बचाने के लिए शांति से समझाया
"ओह" अक्षिता ने कहा लेकिन अभी भी उसे इस बारे में थोडा डाउट था, लेकिन फिलहाल उसने इस बता को यही छोड़ देने का फैसला किया
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ऑफिस में एकांश ने जब रोहन और स्वरा के बताया के उसके अक्षिता के घर रहने का भेद खुल गया है तो ये जान कर स्वरा थोड़ी खुश हुई क्युकी वो एकांश की इस बात से थोड़ी खफा थी के वो छुप रहा था साथ ही उसने अक्षिता से मिलने को जिद पकड ली थी और एकांश को ये कह कर समझाना पडा के अक्षिता अभी उसके वहा रहने को पचा नहीं पाई है ऐसे में इन लोगो को वहा देख वो डेफिनेटली भाग जायेगी जिससे obviously स्वरा खुश नही थी लेकिन एकांश की बात मानने के अलावा उसके पास फिलहाल कुछ नही था उसकी उसकी नजर में एकांश को ये हरकते बिलकुल ही बेवकूफाना थी जो की कुछ हद तक सही भी था,
शाम को एकांश हमेशा को तरह गली के मोड पे अपनी कार से उतरा और ड्राइवर से अगले दिन जल्दी आने कहा और वो आराम से घर की ओर चल पड़ा, उसके दिमाग में कई बातें घूम रही थीं की कैसे कुछ ही दिनों में उसकी जिंदगी एकदम बदल गई थी, ऐसा नहीं था कि उसे इससे कोई परेशानी है, लेकिन वो आने वाले कल को लेकर डर रहा है
अपने ख्यालों से एकांश ने नेगेटिव ख्यालों को किनारे किया, वो घर पहुंच गया था और ऊपर जाते समय उसने शोर या यू कहें कि एक आवाज़ सुनी, उसने इधर-उधर देखा तो उसे एक लड़की दिखी जो शायद अभी भी कॉलेज में पढ़ रही होगी और सामने की बिल्डिंग की छत पर खड़ी होकर उसे देख हाथ हिला रही थी
एकांश ने अपने पीछे की ओर देखा कि कोई है या नहीं, लेकिन वहा कोई नहीं था, उसने फिर से उलझन में उसकी ओर देखा और देखा कि वह मुस्कुराते हुए उसकी ओर ही हाथ हिला रही थी, एकांश समझ नहीं आ रहा था कि क्या करे और इसलिए उसने वही किया जो एक अच्छा पड़ोसी करता है, उसने भी उस लड़की को देख हाथ हिला दिया..
और बस... एकांश का रिस्पॉन्स देख वो लड़की खुशी से उछल पड़ी और उसे एक फ्लाइंग किस दे डाली
और जब उस लड़की की ये हरकत देख एकांश एकदम स्तब्ध हो गया, उसे समझ ही नहीं आराहा था के अभी अभी ये हुआ क्या, उसने थोड़ी झुंझलाहट में अपना सिर हिलाया और अपने कमरे की ओर मुड़ा ,लेकिन आश्चर्य से उसकी पलकें तब झपकी जब उसने अपने सामने क्योंकि अक्षिता को खड़ा देखा जो अपने हाथों को कमर पर रखे और चेहरे पर हल्का गुस्सा लिए उसे देख रही थी
एकांश ने अपने चेहरे पर बगैर कोई भाव लाए नजर भर के अक्षिता को देखा और फिर उसके घूरने को इग्नोर करते हुए उसे हल्का सा धक्का देकर अपने कमरे के अंदर चला गया
"तुम क्या कर रहे थे?" अक्षिता ने एकांश के पीछे कमरे में आते हुए पूछा
"क्या?"
"तुमने उस लड़की की ओर हाथ क्यों हिलाया?" अक्षिता ने अपने दाँत पीसते हुए पूछा
"पहले तो उसने मेरी ओर हाथ हिलाया और फिर मैंने उसकी ओर, क्योंकि मुझे लगा कि कोई अगर मुझे ग्रीट कर रहा है और मैं ना करू तो ठीक नही लगेगा" एकांश ने कहा और अपनी फाइल्स और लैपटॉप टेबल पर रखने लगा
"वो तुम्हें ग्रीट नहीं कर रही थी!" अक्षिता झल्लाकर कहा
"हं?"
"वो तुमपे लाइन मार रही थी"
एकांश ने पहले तो अक्षिता को देखा लेकिन फिर उसके चेहरे पर एक मुस्कुराहट आ गई
"ओह.. अच्छा... ओके... तो.. तुम्हें इससे क्या लेना-देना है?" एकांश ने पूछा लेकिन अक्षिता कुछ पलों तक कुछ नही बोली फिर फिर
"देखो.. वैसे तो मुझे कुछ फर्क नही पड़ता लेकिन तुमने उसे देखकर हाथ हिलाया और अब वो सोच रही होगी कि तुम्हें उसमें दिलचस्पी है" अक्षिता ने कहा
"तो सोचने दो.. maybe I am interested" एकांश ने अपने कंधे उचकाते हुए कहा वही अक्षिता इसे शॉक होकर देखने लगी
"वैसे मेरे आने से पहले तुम यहा क्या कर रही थीं?" एकांश ने पूछा
"एकांश तुम इतने लापरवाह कैसे हो सकते हो? तुमने अपना कमरा क्यों नहीं बंद किया?"
एकांश कभी अपना कमरा बंद नही करता था क्युकी सरिता जी रोज उसके कमरे में आती थी और उसके आने से पहले ही वो उसका खाना कमरे में रख जाति थी, उन्हें आने जाने में आसानी ही इसीलिए एकांश कमरे को खुला छोड़ जाता था
"मैंने ताला नहीं लगाया क्योंकि मैं जानता हूं कि कुछ नहीं होगा।" एकांश ने आराम से कहा
"और अगर तुम्हारा कुछ सामान खो गया तो?"
"मेरे पास अब खोने को कुछ नहीं बचा है" एकांश ने धीमे से फुसफुसाकर कहा लेकिन अक्षिता ने सुन लिया
अक्षिता कुछ नही बोली वही एकांश बस उसे देखता रहा और फिर आगे बोला
"कुछ नही खोने वाला तुम भी यही हो और तुम्हारे पेरेंट्स भी इसलिए कोई भी अंदर आकर लूट तो नहीं सकता ना और मुझे तुम लोगों पर भरोसा है" एकांश ने कहा और मुड़ गया
और इससे पहले कि वह कुछ कह पाती, एकांश ने अपनी शर्ट के बटन खोलने शुरू कर दिए, जिससे अक्षिता एकदम चौकी
"तुम क्या कर रहे हो? "
"चेंज कर रहा हु"
"मेरे सामने? "
एकांश कुछ नही बोला उसके अपने शर्ट के बटन खोले और बस पलट गया, उसकी वेल मेंटेंड बॉडी अक्षिता के सामने थी और वो उसे ऐसे देखकर थोड़ा लेकिन अक्षिता की नजरे भी उसपर से नही हट रही थी
"मुझे चेकआउट करके हो गया?" उसने मुस्कुराते हुए पूछा
"मैं तुम्हें नहीं देख रही थी"
"Yeah" एकांश ने कहा और अपनी बेल्ट खोलना शुरू कर दिया
"रुको!" अक्षिता चिल्लाई.
"क्या?" उसने चिढ़कर पूछा
एकांश थका होने की वजह से बस आराम करना चाहता था और अभी अक्षिता को अपने सामने देख उसे गले लगाने के लिए उसका मन मचल रहा था और वो इस समय बस अपने आप को कंट्रोल कर रहा था
"मैं अभी भी तुम्हारे सामने हू, कुछ तो शर्म करो?" अक्षिता ने कहा
"यह मेरा कमरा है"
"पता है!"
"तो जाओ फिर निकलो यहा से" एकांश ने कहा
"और अगर मैं ऐसा न करू तो?"
" तब..... "
यह कहते हुए एकांश ने अपनी शर्ट पूरी तरह से उतारनी शुरू कर दी
"नही नही..." यह कह कर अक्षिता वहा से निकल गई
एकांश ये समझ गया था के अक्षिता को उस लड़की से जरूर जलन हुई थी और इसलिए वो यू उससे लड़ने खड़ी थी और यही सोच एकांश के चेहरे पर मुस्कान आ गई
उधर अक्षिता का दिल तेज़ी से धड़क रहा था उसके दिमाग में बस एकांश छाया हुआ था वही एकांश को देख हाथ हिलाने वाली लड़की का खयाल आते ही उसके चेहरे पर गुस्से के भाव आ गए थे उसने मन ही मन उस लड़की को ढेरो गालियां दी, एक नजर एकांश के कमरे की ओर देखा और फिर अपने घर में चली गई..
क्रमश:
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