*तियापा जारी है एकांश और अक्षिता - दोनों का।
सबसे पहली बात यह है कि कोई महामूर्ख ही होगा, जो ये न समझ सके, कि उसका पुराना आशिक़ उसके ही घर में - पड़ोस के कमरे में किराएदार बन कर क्यों रह रहा है। लेकिन अक्षिता देवी बुद्धिमत्ता का घोल बना कर नाली में बहा चुकी लगती हैं। उनको यह बात समझ में नहीं आई! धन्य हैं वो! और जब एकांश के स्वांग की पोल खुल ही गई है, तो साफ शब्दों में अपने दिल की बातें कहने में उसका अधो-भाग क्यों चिरा जा रहा है? कम से कम यह बात इस नाचीज़ की समझ के बहुत बाहर है।
अधिकतर रिश्ते (शायद 95 प्रतिशत) इसी बात पर टूट जाते हैं क्योंकि हिस्सेदार पार्टियाँ आपस में बैठ कर, शांति से दो बातें नहीं कर पाते। बिना किसी वार्तालाप के हम अपनी ग़लतफ़हमियाँ कैसे दूर कर सकते हैं? अक्षिता का बेहोशी वाला एपिसोड एकांश की ही देन है - इतना तो उसकी अम्मा ने भी बता दिया। फिर भी *तियापा जारी है! यह गति चलती रही, तो अक्षिता ऊपर जाने वाली एक्सप्रेस ट्रेन पकड़ लेगी, जल्दी ही।
और वाह भाई वाह! जब अक्षिता एकांश का पिण्ड छोड़ने की नौटंकी बघारती फिरती है, तो छोड़ क्यों नहीं देती? एक कहावत याद आ गई -- “न हगे, न राह छोड़े”! सोचिए -- आप कहीं जाने को निकले हैं, और एक व्यक्ति आपके सामने सड़क पर शौच करने बैठ जाए। लेकिन वो न तो शौच ही करे, और न ही आपके रास्ते से हटे! अक्षिता पर यह कहावत पूरी तरह से फ़िट बैठती है।
अरे मोहतरमा, अगर एकांश के किसी अन्य लड़की में इंटरेस्ट होने पर आपके अधो-भाग में जुन्ना काट रहा है, तो फिर उससे कटे रहने की ये नौटंकी करने की क्या ज़रुरत है? इतनी बचकाना हरकतें शायद बच्चे भी नहीं करते।
आप ग़लत मत समझिए -- आप अच्छा लिखते हैं। लेकिन अब, इतने दिनों बाद, वही नौटंकी पढ़ कर मन ऊब गया। या तो इनको मिलवाओ, या फिर दोनों में से एक को ऊपर कटा ही दो! शायद अगले एक दो अपडेट्स में इन दोनों में से किसी एक को अकल आ जाए!