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Romance Ek Duje ke Vaaste..

Sushil@10

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Update 36


"माँ, आप ये खाना कहाँ ले जा रही हैं?" अक्षिता ने अपनी माँ के हाथों में खाने की थाली देख पूछा।

"एकांश के लिए" सरिता जी ने भी आराम से जवाब दिया लेकिन बदले मे अक्षिता बस उन्हे देखती रही

" क्यों?"

"क्युकी वो लड़का अपना बिल्कुल भी ख्याल नहीं रखता यहाँ है और यहा आने के बाद से तो वो और दुबला-पतला हो गया है इसीलिए मैंने उससे कहा है कि अब से मैं उसके खाने का ध्यान रखूँगी" और वो एकांश के लिए खाना ले जाने लगी

" लेकिन......"

"अब ये मत कहना के तुम नाही चाहती के मैं उसे खाना देने जाऊ" सरिता जी ने कहा

"ऐसी बात नहीं है माँ.... बस डर लग रहा है के अब वापस उसमे उलझ ना जाए क्युकी अब हम उससे दूर हुए तो वो सह नहीं पाएगा"

"उलझे या नहीं लेकिन हम इस बार कहीं नहीं जा रहे हैं" सरिता जी ने सख्ती से कहा।

"माँ लेकिन...."

"कोई लेकिन वेकीन नहीं अक्षिता, भागना बंद करो और इसका सामना करो, कल क्या होगा ये सोचने मे तुम पहले काफी समय गाव चुकी हो अब अपनी जिंदगी इस सब मे मत लगाओ बेटा" सरिता जी ने थोड़ा सख्ती से कहा वही अक्षिता बस उन्हे देखती ही रही

"अब तुम्हें ये पसंद हो या ना हो लेकिन हम अब कही नहीं जाएंगे अक्षिता” सरिताजी ने आगे कहा वही अक्षिता की आंखों में आंसू आ गए

"यह सच है अक्षिता तुम्हारे जीवन का सच, तुम दोनों को इससे भागने के बजाय इसका सामना करना होगा, तुमने उससे कितना भी दूर भागने की कोशिश की हो, किस्मत ने फिर से तुम दोनों को एक साथ ला दिया है, इसलिए कल के बारे में सोचना बंद करो और अपने आप को संजोना सीखो, तुमसे बेहतर जिंदगी की कीमत कौन जान सकता है?" सरिता जी ने अक्षिता को प्यार से आराम से समझाते हुए कहा...

"तुमने उससे सच छुपाकर गलती की है अक्षु वो तुम्हारी जिंदगी का हिस्सा है, बल्कि तुम्हारी पूरी जिंदगी का, उसे सच जानने का हक है, बार-बार उसे दूर धकेलकर वही गलती मत दोहराओ" सरिता जी ने अक्षिता के आँसू पोंछते हुए कहा

सरिता जी की बातों ने अक्षिता को सोच मे डाल दिया था

"समझ आया?” सरिता जी ने मुसकुराते हुए पूछा और अक्षिता ने बस हा मे सर हिला दिया

"चलो अच्छा है अब कल क्या होने वाला है ये सोचना छोड़ो और आज मे जियो” जिसपर वापिस अक्षिता ने हा मे गर्दन हिला दी

“अच्छा अब तुम्हारे ये सवाल जवाब हो गए हो तो मैं जाऊ मुझे मेरी होने वाले दामाद को खाना देने जान है” सरिता जी ने मुसकुराते हुए कहा वही अक्षिता बस उन्हे शॉक मे देखती रही

सरिता जी तो वहा से चली गई लेकीन उनकी कही बाते अभी भी अक्षिता के दिमाग मे गूंज रही थी और वो उन्ही बातों के बारे मे सोच रही थी

******

" अक्षिता! "

" हा मा! "

"जाओ और जरा ये कॉफ़ी एकांश को दे आओ"

"क्या? मैं नहीं जा रही तुम ही रखो उसका खयाल" अक्षिता ने कहा

"प्लीज अक्षु, मुझे और भी काम है" सरिता जी ने कहा और अक्षिता ने उनके साथ से कॉफी का कप लिया और मन ही मन बड़बड़ाते हुए एकांश के कमरे की ओर बढ़ गई

अक्षिता ने दरवाज़ा खटखटाया जो की हमेशा की तरह खुला था और अंदर से कोई आवाज नहीं आ रहा था और इसीलिए अक्षिता कमरे के अंदर चली गई और उसने कॉफी टेबल पर रखी और जैसे ही जाने के लिए मुड़ी तो उसने देखा के एकांश उसके सामने खड़ा था जिसे देख वो वही जाम गई थी

एकांश कमर पर सिर्फ तौलिया लपेटे खड़ा था और अक्षिता ने एकांश को आजतक इस पोजीशन मे तो नहीं देखा था इसीलिए अब क्या बोले या करे उसके समझ नहीं आ रहा था वही एकांश से नजर भी नहीं हट रही थी वही एकांश भी पहले तो उसे अपने कमरे मे देख चौका था लेकिन लेकिन कुछ बोला नहीं

दोनों एक दूसरे को घूरते हुए खड़े थे अक्षिता नजरे हटाना चाहती थी लेकिन उससे वो हो नहीं आ रहा था और आगे फिर कभी मौका मिले ना मिले इसीलिए अक्षिता ने अब अपनी फीलिंगस को ना छुपने का मन बना लिया था

दोनों के बीच सेक्शुअल टेंशन साफ था और न केवल अब से बल्कि जिन दिन ऑफिस मे वो दोबारा मिले थे तब से जिसे अक्षिता ने तब नजरंदाज कर दिया था क्युकी वो खुद एकांश से दूर जाना चाहती थी वही एकांश ने अपनी फीलिंग के ऊपर नफरत की चादर ओढ़ रखी थी, उसके रीलैशनशिप के दौरान भी हालत कुछ ऐसे ही थे दोनों एकदूसरे के साथ होकर एकदूसरे का स्पर्श पाकर खुश थे

बेशक उन्होंने किस करने के अलावा कुछ नहीं किया था लेकिन ये तनाव हमेशा बना रहा जैसे वे सिर्फ़ किस करने से ज़्यादा बहुत कुछ चाहते थे लेकिन अक्षिता अपनी सीमाएँ जानती थी और एकांश ने कभी अपनी सीमाएँ नहीं लांघीं...

इसलिए सालों का जो सेक्शुअल टेंशन दबा हुआ था उसी का ये असर हुआ के एकांश धीरे-धीरे उसकी ओर बढ़ने लगा और वो वहीं खड़ी उसे देखती रही

"तुम यहा क्या कर रही हो?" एकांश ने अक्षिता सामने खड़े होकर धीरे से पूछा

"मैं... बस...." अक्षिता के मुह से शब्द नहीं निकल रही थे साथ ही एकांश के इतने करीब होने से उसे कुछ होने लगा था

"तुम क्या?" एकांश उसके इतने करीब था के अक्षिता उसके साँसे अपने चेहरे पर महसूस कर सकती थी

"क... कॉफी...." वह पीछे हटते हुए फुसफुसायी

अक्षिता को पीछे सरकता देख एकांश ने अपनी हाथों से उसकी कमर पकड़े उसे अपने पास खिचा, दोनों के शरीर एकदूसरे से लगभग चिपक गए थे, सारी दूरिया समाप्त होने लगी थी एकांश ने हल्के से अक्षिता के माथे, उसके गालों को चूमा... उसके चेहरे पर हर जगह चूमा सिवाय उसके होंठों के, अक्षिता की आंखे बंद थी वो बस इस पल को जीना चाहती थी आज वो एकांश को नहीं रोकने वाली थी एकांश अक्षिता के होंठों पर किस करने झुका, उनके होंठ मिलने की वाले थे के तभी एकांश का फोन जोर से ब्याज उठा और उनके इस रोमांटिक मोमेंट मे खलल पड गया, अक्षिता एकदम से एकांश से दूर हटी वही एकांश मन ही मन गाली देते हुए फोन की ओर लपका

फोन स्वरा का था जिसे एकांश नेकाट दिया और अक्षिता की तरफ़ देखा जो नीचे की ओर देख रही दोनों की एकदूसरे से नजरे नहीं मिला रहे थे एकांश कुछ कहने ही वाला था के तभी उसका फोन फिर से बजा और इसबार उसके कॉल उठाया

"अब क्या मुसीबत आ गई स्वरा?" एकांश फोन उठाते ही चिल्लाया वही अक्षिता ने जब स्वरा का नाम सुना तो उत्सुकता से एकांश को देखने लाही

"आह... ये बंद हमेशा इतने सड़े हुए मूड मे क्यों रहता है?" स्वरा ने कहा

"बकवास बंद करो और फोन क्यू किया बताओ" एकांश ने चिढ़कर कहा

"चिढ़ो मत मैंने तुम्हें मीटिंग के लिए याद दिलाने के लिए फोन किया था जो आधे घंटे में है बस" स्वरा ने कहा और तब जाकर एकांश ने घड़ी की ओर देखा

"ओह शिट!"



"yeah… it happens" स्वरा ने कहा



"शट अप... मुझे लेट हो रहा मैं तुमसे बाद में बात करूंगा" और ये कहते हुए एकांश ने फोन काट दिया और स्वरा जो अक्षिता के बारे में पूछने ही वाली थी उसकी बात अधूरी रह गई

एकांश ने झट से अपना सूट निकाला और पहनने लगा

"अरे! मैं अभी भी यहीं हूँ!" एकांश अपना तौलिया निकालने ही वाला था के अक्षिता बोल पड़ी

"जानता हु और मुझे पता है कि तुम इस सीन का मजा का ले रही हो" एकांश ने अक्षिता को देख आँख मारते हुए कहा

"शट अप!" अक्षिता ने बुदबुदाते हुए कहा और दरवाजे की ओर जाने लगी और जाते जाते अचानक रुकी और पलट कर एकांश को देखा और पूछा

"वे लोग कैसे है?”

"कौन?"

" रोहन और स्वरा"

"ठीक हैं" एकांश ने अपनी फाइल और लपटॉप बैग मे रखते हुए कहा

"ओके" और अक्षिता वहा से जाने लगी के तभी एकांश ने उसे रोका

"अरे! हमने जो शुरू किया था, उसे पूरा कौन करेगा?" एकांश ने कहा जिसपर अक्षिता शरमा गई और वप उसे देख मुस्कुराया।

"जाओ काम करो जाकर” अक्षिता ने कहा और वहा से चली गई

******

शाम के वक्त जब एकांश ऑफिस से आया तब उसी वक्त अक्षिता ने भी बाहर वाक पर जाने का मन बनाया था और एक बार फिर दोनों दरवाले पर एकदूसरे के आमने सामने खड़े थे और कोई भी दूसरे को अंदर जाने का रास्ता नहीं दे रहा था नतिजन दोनों की दरवाजे पर खड़े बच्चों की तरह लड़ने लगी जिसे बाहर से आते अक्षिता के पिताजी को रोकना पड़ा, और जब वो घर के अंदर चले गए तब अक्षिता को एकांश अपनी की इस बेवकूफी पर हसने लगे,

हालत सुधर रहे थे अक्षिता की तबीयत भी अब कुछ ठीक थी लेकिन सबकी के मन मे एक डर था, कभी भी कुछ भी हो सकता था, एकांश डॉक्टर अवस्थी से बराबर टच मे था उन्हे अक्षिता के बारे मे हर खबर देते रहता था और उनके हाथ मे जितना था वो सब कर रहे थे, अक्षिता की रेपोर्ट्स भी दुनिया के बड़े बड़े डॉक्टरस को बताई जा रही थी, अक्षिता के बचने का 1% भी चांस क्यू न हो एकांश को चांस लेने तरह था लेकिन कई डॉक्टरस ने वही कहा जो डॉक्टर अवस्थी ने बताया था, इसीलिए जितना भी समय बचा था एकांश ने अब वो सब अक्षिता के साथ बिताने का फैसला किया था, उसका तो ऑफिस मे भी मन नहीं लगता था जिसके चलते रोहन और स्वरा पर काम का बोझ बढ़ रहा था लेकिन वो भी एकांश की हालत जानते थे, अक्षिता ने भी अपनी मा की बात सुन आगे हो होन होगा हो जाएगा सोच आज मे जीने का फैसला किया था और एकांश के साथ अब जीतने भी पल जिने मिले वो उन सब को जीना चाहती थी

दोनों इस वक्त घर के दरवाजे पर खड़े हास रही थे वही अक्षिता के माता-पिता उन दोनों के हंसते हुए चेहरों को देखकर मुस्कुरा रहे थे उन्होंने अपनी बेटी को कई महीनों बाद आज इस तरह खुल कर हंसते हुए देखा था, उन्हें नहीं पता कि भविष्य में क्या होगा, लेकिन उन्होंने भगवान से प्रार्थना की कि वे उन दोनों को खुश रखे....




क्रमश:
Lovely update and nice story
 

आसिफा

Family Love 😘😘
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Updates tomorrow :cheers:
🌟 Aapke kahani ka agla update padne ke liye bahut utsuk hoon aur besabri se intezaar kar rahi hoon! 😊 Kripya jald se jald agla update share kar dijiye, aapke likhne ka andaz bahut pasand hai! ✨📖🙏
 
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