अक्षिता की माता - सरिता जी ने अक्षिता से जो कुछ कहा वही तो मैने अपने सिग्नेचर मे लिख रखा है ।
Tomorrow is not promised us so let us take today and make the most of it .
कल की चिंता मे हम अपने आज का दिन क्यों खराब करें ! कल क्या होगा , इसकी फिक्र मे आज पुरे दिन हम मातम क्यों मनाएं ! जरूरत है आज के दिन को एन्जॉय किया जाए , वह कार्य किया जाए जो भविष्य की रूप-रखा निर्धारित कर सके । परिणाम आशानुरूप हो या न हो आप अपने कर्म करते जाएं ।
शायद इस बात को अक्षिता ने गहराई से चिंतन मनन किया । यही कारण था कि इतने दिनों के बाद वह पहली बार खुलकर एकांश से आत्मीयता से मिली ।
लेकिन ऐसे बीमारी के सिचुएशन मे सेक्स की खुमारी भला कहां पैदा होती है ! ऐसे हालात मे भला कौन सेक्सुअली उत्तेजित होता है ! अक्षिता और एकांश दोनो का ही सेक्सुअल हार्मोन एक्टिव होना , मुझे समझ नही आया ।
खैर , देर से ही सही अक्षिता अपने जीवन से प्रेम करने लगी है । इस प्रेम मे बड़ी ताकत होती है । इस प्रेम के सामने स्वयं परमात्मा अपनी हार स्वीकार कर लेते है । जीवन रेखा की लाइन आश्चर्यजनक रूप से बढ़ जाती है ।
खुबसूरत अपडेट आदि भाई ।
आउटस्टैंडिंग एंड अमेजिंग अपडेट ।