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Romance Ek Duje ke Vaaste..

Adirshi

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वाह! कहानी के इस भाग ने तो दिल छू लिया। हर भाव, हर संवाद इतना असली और गहराई से भरा हुआ है कि पढ़ते वक्त ऐसा लगा जैसे मैं अक्षिता और एकांश के साथ वहां मौजूद हूं।

एकांश और अक्षिता के बीच के क्षण इतने प्यारे और भावुक थे कि उनकी गहराई को महसूस करना मुश्किल नहीं था। एकांश का अपनी मां के साथ इमोशनल रीकनेक्शन और अक्षिता के लिए उसकी चिंता ने कहानी को और अधिक खूबसूरत और जीवंत बना दिया।

मुझे अक्षिता और एकांश के बीच की मासूमियत और प्यार देखकर दिल से खुशी हुई। जिस तरह से उनकी छोटी-छोटी हरकतें और बातचीत ने कहानी को हल्का-फुल्का और प्यारा बनाया है, वह वाकई प्रशंसनीय है।

लेखक से निवेदन: कृपया इस कहानी का अगला भाग जल्द शेयर करें। इस कहानी की गहराई और खूबसूरत मोड़ हर पाठक को जोड़कर रखते हैं। आपकी लेखनी में जो इमोशंस हैं, वे दिल तक पहुंचते हैं। अगला अपडेट पढ़ने का बेसब्री से इंतजार रहेगा।

आपकी लेखनी को मेरा सलाम! Keep up the amazing work!
Thank you so much for such awesome review :thanx:
 

Adirshi

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intezaar rahega....

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Besabari se intezaar kar rahe hai next update ka Adirshi bhai....

intezaar rahega....

Adirshi bhai aaj update aane ka chance hai?

waiting for the next update....

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waiting for the next update....
Update bas thodi der me :thanx:
 

Adirshi

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आदि भाई ने अक्षिता की बीमारी के बाद की परिस्थिति का बिल्कुल ही जीवंत वर्णन किया है । अक्षिता और एकांश के दिल की हालत , उनके मन मस्तिष्क के अंदर चल रहे अंतर्द्वंद , उनके आंसू पाठक वर्ग को इमोशनल कर ही रहा है ।
लेकिन मै यहां बात करना चाहता हूं इनके अभिभावक के बारे मे , इनके माता पिता के बारे मे ।
क्या आप कल्पना कर सकते हैं कि आप की एकमात्र संतान एक ऐसी गंभीर बीमारी से पीड़ित है जिसमे उसका मरना तय है , वह रोजाना तिल तिल कर मर रहा है ; ऐसे सिचुएशन मे मां-बाप पर क्या बीतती होगी ! उनके दिल पर क्या बीत रहा होगा !
और अगर उनकी औलाद की मृत्यु हो जाए तब की हालात क्या होगी ! मां-बाप आजीवन अपने पुत्र के बचपन की यादों , शैशव काल की यादों , स्कूल कालेज के समय की यादों , संतान के जवानी के कुछ समय की यादों के सहारे , संतान के विरह के तड़प मे अपने जीवन के बाकी दिन गुजार रहे होंगे ।
मृत्यु दुनिया का सबसे कटू सत्य है । सभी लोग की मृत्यु अटल है । लेकिन मृतक के जाने के बाद सबसे अधिक पीड़ा , सबसे अधिक दुख उसके अपनो को होता है । खासकर मां-बाप के लिए उनके संतान के मृत्यु से बढ़कर और कोई दुख नही ।

खुदा न करे , अगर एकांश अपने प्रियतमा के वियोग मे अपनी जान गंवा दे तब एकांश साहब के मां-बाप पर भी वही पहाड़ आ गिरना है जो अक्षिता के मां-बाप पर गिरा था । एकांश भी अपने मां-बाप का एक मात्र औलाद है । ऐसे मे उसके मां-बाप अपना बाकी जीवन किस के आस लिए काटेंगे ! कौन उनके आंसु पोछेगा ! उनके जीवन का मकसद क्या बचेगा !

अक्षिता की मृत्यु पर पांच जिंदगीओं का दांव लगा हुआ है । अक्षिता के माता पिता और एकांश एवं एकांश के माता पिता । एकांश साहब अगर खुद को संभालने मे कामयाब हो गए तब सिर्फ अक्षिता के मां-बाप के लिए अपना जीवन काटना काफी दुश्वार काम होगा ।

मरने वाला व्यक्ति तो चला जाता है लेकिन गमों का अंतहीन सफर उनके परिजन के हवाले किए जाता है ।

खुबसूरत अपडेट आदि भाई ।
आउटस्टैंडिंग एंड अमेजिंग अपडेट ।
Main aapke is review me kahi gayi baat se agree karta hu, maine kahani ka focus hi jyadatar do mukhya kirdaro par rakha hai lekin akshita aur ekansh ke parents ka bhi role isme utna hi ahem hai, yes jitna ekansh akshita ko leke chintit hai usse kayi jyada shayad akshita ke maa papa ko feel ho Raha hoga aur ye beyond imagination hai, ekansh ke isme involve hone se uske bhi parents isme uljhe huye hi hai
Correct kaha hai aapne, akshita ki jindagi ke sath 5 jindagiya Judi hai

Thank you for this awesome and amezing review bhai, it really means a lot :dost:
 
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