आदि भाई ने अक्षिता की बीमारी के बाद की परिस्थिति का बिल्कुल ही जीवंत वर्णन किया है । अक्षिता और एकांश के दिल की हालत , उनके मन मस्तिष्क के अंदर चल रहे अंतर्द्वंद , उनके आंसू पाठक वर्ग को इमोशनल कर ही रहा है ।
लेकिन मै यहां बात करना चाहता हूं इनके अभिभावक के बारे मे , इनके माता पिता के बारे मे ।
क्या आप कल्पना कर सकते हैं कि आप की एकमात्र संतान एक ऐसी गंभीर बीमारी से पीड़ित है जिसमे उसका मरना तय है , वह रोजाना तिल तिल कर मर रहा है ; ऐसे सिचुएशन मे मां-बाप पर क्या बीतती होगी ! उनके दिल पर क्या बीत रहा होगा !
और अगर उनकी औलाद की मृत्यु हो जाए तब की हालात क्या होगी ! मां-बाप आजीवन अपने पुत्र के बचपन की यादों , शैशव काल की यादों , स्कूल कालेज के समय की यादों , संतान के जवानी के कुछ समय की यादों के सहारे , संतान के विरह के तड़प मे अपने जीवन के बाकी दिन गुजार रहे होंगे ।
मृत्यु दुनिया का सबसे कटू सत्य है । सभी लोग की मृत्यु अटल है । लेकिन मृतक के जाने के बाद सबसे अधिक पीड़ा , सबसे अधिक दुख उसके अपनो को होता है । खासकर मां-बाप के लिए उनके संतान के मृत्यु से बढ़कर और कोई दुख नही ।
खुदा न करे , अगर एकांश अपने प्रियतमा के वियोग मे अपनी जान गंवा दे तब एकांश साहब के मां-बाप पर भी वही पहाड़ आ गिरना है जो अक्षिता के मां-बाप पर गिरा था । एकांश भी अपने मां-बाप का एक मात्र औलाद है । ऐसे मे उसके मां-बाप अपना बाकी जीवन किस के आस लिए काटेंगे ! कौन उनके आंसु पोछेगा ! उनके जीवन का मकसद क्या बचेगा !
अक्षिता की मृत्यु पर पांच जिंदगीओं का दांव लगा हुआ है । अक्षिता के माता पिता और एकांश एवं एकांश के माता पिता । एकांश साहब अगर खुद को संभालने मे कामयाब हो गए तब सिर्फ अक्षिता के मां-बाप के लिए अपना जीवन काटना काफी दुश्वार काम होगा ।
मरने वाला व्यक्ति तो चला जाता है लेकिन गमों का अंतहीन सफर उनके परिजन के हवाले किए जाता है ।
खुबसूरत अपडेट आदि भाई ।
आउटस्टैंडिंग एंड अमेजिंग अपडेट ।