रात का खाना सभी खा चुके थी निदा और जेबा दोनों रूम में बैठी बातें कर रही थी। इधर आबिद कल जाने की तैयारी कर रहा था, महक उसकी मदद कर रही थी। महक को आबिद से एक खास लगाव था, महक को उसके चेहरे पे बहुत प्यार आता था।
सैम तो महक का बचपन से जानी दुश्मन था, उनके बीच कभी भाई बहन का रिश्ता था ही नहीं। पर आज ना जाने महक थोड़ी गुमसुम सी थी पता नहीं उसे क्या हो गया था।
आबिद उससे पूछ लेता है।
पर वो एक बहाना बनाकर उसकी बात झटक देती है।
नजमा- अपने रूम मेँ बेड पे बैठी कुछ आफिस की फाइल्स देख रही थी तभी सैम वहाँ आ जाता है।
सैम- अम्मी में कुछ हेल्प करूँ...
नजमा- नो...
सैम- अम्मी मैं कुछ करूँ...
नजमा उसे घूरते हुये- कब सुधरेगा तू सैम जब से तू आया है देख रही हूँ तेरा बिहेवियर ऐसा ही है। बेटा मैं तेरी अम्मी हूँ क्यूँ कर रहा है तू ऐसा मेरा साथ।
सैम- क्योंकि आई लव यू... सिंपल...
नजमा- कुछ नहीं बोलती और अपनी फाइल्स में देखने लगती है।
सैम- अम्मी आपकी गर्दन पे कुछ है.
नजमा गर्दन पे हाथ फेरती हुई- कहाँ... क्या है.
सैम- एक मिनट रूको और सैम नजमा के पीछे जाके उसके बाल गर्दन पे से हटा देता है और जल्दी से अपने होंठों उसकी गर्दन पे रखकर किस कर देता है मूहह...
नजमा सैम की चाल समझ जाती है- “दूर हट बेशरम...”
सैम मुश्कुराता हुआ- सच कहूँ अम्मी आप बहुत खूबसूरत हो। आप जैसी लेडी मैंने अपनी लाइफ में नहीं देखा, यूके में भी मैंने आप जैसी हसीन-जहीन लेडी नहीं दिखी मुझे। यू आर आ मास्टर पीस अम्मी।
नजमा भी एक औरत थी। भला कौन सी औरत को अपनी तारीफ अच्छी नहीं लगती और सैम ने तो मुँह भरके तारीफ कर दी थी, जिससे नजमा के गाल पे लाल रंग आ जाता है- “चल हट बेशरम... अपनी अम्मी को कुछ भी कहता है।
सैम- उफफफ्फ़हो अम्मी... सच में ये देखो आपकी नाक कितनी प्यारी है, आपकी गर्दन एकदम सुराही की तरह,आपके कान सो स्वीट, आपके होंठ (जो सैम की तारीफ से लरजने लगे थे उनमें कप कंपकंपाहट सी पैदा होने लगी थी) लाल गुलाबी होंठ अपनी तारीफ सुनना चाहते थे पर सैम ने उनकी तारीफ लफ़्ज़ों से ना कहते हुई अपने होंठों से कहना बेहतर समझा।
नजमा इससे पहले कुछ कर पाती, सैम उसके होंठो को चूम चुका था।
नजमा गुस्से से तिलमिला जाती है और सैम को घूंसा मारना चाहती है पर सैम अपने मजबूत हाथ से नजमा के दोनों हाथों की कलायी पकड़के पीछे मोड़ देता है। सैम अपने हाथ से आगे बढ़ना चाहता था, वो नजमा की कलायी छोड़कर उसकी कमर में हाथ डालना चाहता है।
तो नजमा ने एक जोरदार कारारा थप्पड़ मारा जिससे सैम की सुनने की शक्ति कुछ देर की लिए जैसे खतम कर देता है। नजमा चिल्ला भी नहीं सकती थी, घर में मेहमान आई हुई थी और वो क्या करती एक ही तो हथियार था उसके पास थप्पड़। पर अब इस थप्पड़ का भी सैम पे कुछ ज्यादा असर नहीं होता था।
सैम अपने गाल को मलता हुआ नजमा के रूम से बाहर निकलने ही वाला था की नजमा उसका हाथ पकड़के फिर से अपने तरफ मोड़ देती है और रूम का दरवाजा बंद कर देती है। नजमा पलटकर सैम के करीब जाती है।
सैम का गाल लाल हो चुका था और चेहरे पे एक खामोशी थी। शायद उसे नजमा का ये थप्पड़ चेहरे पे नहीं बल्कि दिल पे कहीं लगा था।
नजमा धीमी आवाज में- “क्यूँ कर रहा है तू बेटा ऐसा मेरे साथ, अरे मैं तेरी अम्मी हूँ सैम, तुझे मैंने पैदा किया है और तू इस बूढ़ी औरत को इस उमर में इस तरह परेशान कर रहा है। शरम नहीं आती तुझे ऐसा करते हुये | अगर तू कहे तो बेटा मैं तेरे लिए कहीं रिश्ते की बात करूँ...
सैम- अम्मी, खबरदार जो अपने खुद को बूढ़ी औरत कहा तो... और एक और बात मैंने अपने लिए एक खूबसूरत लड़की देख लिया हूँ और वो मैं आपको बता भी चुका हूँ। सैम ने जानबूझकर औरत की बजाये लड़की लफ्ज़ इश्तेमाल किया ताकी नजमा पे गहरा असर पड़े उसकी बात का।
नजमा फिर से भनना जाती है और अपनी उंगली उसके चेहरे के सामने करते हुये- “देख सैम अब बहुत हुआ, अगर तू मेरी बात नहीं सुनेगा तो मैं तुझे अपने मामा की यहाँ भिजवा दूँगी। मैं तुझे सही रास्ते पे लाना चाहती हूँ और एक तू है की वही गंदा बेहूदा रास्ते पे चला जा रहा है। मगर वो और कुछ बोलना चाहती थी पर सैम की एक हरकत उसके तन-बदन में चिनगारियां पैदा कर देती है
सैम अपने मुँह में नजमा की वो उंगली ले लेता है जिससे वो सैम को दिखाकर धमका रही थी। उसके उंगली चूसने का अंदाज़ ऐसा था जैसे कोई औरत लण्ड मुँह में लेके चूसती है।
नजमा अपने उंगली उसके मुँह में से खींचते हुये- “कमीने इंसान, निकल जा मेरी नजरों के सामने से तुझे डाक्टर की जरूरत है.
सैम- “मुझे आपकी जरूरत है अम्मी...” और ये कहता हुआ सैम नजमा के रूम से बाहर निकल जाता है।
नजमा कुछ हैरान, कुछ परेशान सी उसे जाता देखती रह जाती है। जब भी वो सैम को कुछ समझना चाहती, सैम कुछ ऐसी हरकत कर देता जिससे नजमा कांप जाती।