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Incest Ek Raja, Ek Ghulam, Char Raniyan

Junglee

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सैम कार ड्राइव करता हुआ सीधा स्टेशन पे पहुँच जाता है। उसके पास निदा की अम्मी जेबुन्निशा का नंबर था। वो नो ट्राई करता है तभी पीछे से कोई उसके कंधे पे हाथ मारता है। सैम पीछे पलटकर देखता है तो सामने जेबा मुश्कुराती हुई खड़ी मिलती है।


सैम दुआ सलाम के बाद जेबा का बैग लेके चलने लगता है।




जेबा- निदा के अम्मी

एक 40 साल के करीब की खूबसूरत कसीली औरत, हमेशा खुश रहने वाली, मुश्कुराने वाली, दिलकश औरत, जेबा के शौहर की 7 साल पहले मौत हो गई थी। उसने अपने दोनों बच्चों निदा और बेटे हाशिम को बड़े प्यार और लाड़ से पाला। बेटी निदा की शादी के बाद घर काफी खाली-खाली लगता था जेबा को, और सबसे ज्यादा खालीपन उसे उसके बिस्तर पे लगता था।

खाली दिमाग शैतान का घर होता है। और जेबा के शैतानी दिमाग ने एक दिन ऐसा खेल खेला की वो अपने सगे बेटे हाशिम के नीचे आ गई। जेबा पिछले 7 सालों से अपने गठीले जिश्म को हाशिम की नीचे फैलाके रात भर गाण्ड उछाल-उछालकर चुदती आई है।
पर पिछले 3 महीने से उसकी चुदाई के सिलसिले पे जैसे कर्फ्यू सा लग गया है। उसकी बहू सना जबसे घर में आई है बेटे हाशिम ने अम्मी जेबा की चूत की तरफ देखना छोड़ दिया। भला जवान चूत के सामने बूढ़ी चूत का क्‍या मजा।


सैम- “खाला जान... आपको रास्ते में कोई तकलीफ तो नहीं हुई ना...”


जेबा- “नहीं बेटा... आराम से पहुँच गयी, घर पे सब कैसे हैं.


सैम- “सब ठीक है खाला, आपको बहुत याद करते हैं खास तौर पे भाभी...” पर दिल में तो सैम जेबा को गालियां दे रहा था की हरामजादी आ गयी मेरे लण्ड की दुश्मन।


जेबा सैम को देखते हुये- “थोड़ा थका हुआ लग रहा है सैम, कहीं से मेहनत करके आया है क्‍या...”


सैम हड़बड़ाता हुआ- “नहीं तो खाला, मैं एकदम ठीक हूँ



जेबा- हम्म... लग तो नहीं रहा ऐसा। लग रहा है जैसे किसी ने तेरी ताकत खींच ली हो...” और वो हँसने लगती है।


सैम जो कुछ देर पहले जेबा पे गुस्सा हो रहा था, उसे अब उसकी बातों से लगने लगा था की रांड़ जल्द ही पैर खोल देगी। दोनों कार में बैठ जाते हैं।



सैम कार ड्राइव करते हुये- “खाला मुझ जैसे गरीब की ताकत भला कौन खींच सकता है, हमारी किसे परवाह है.


जेबा- “बेटा तू ठीक से खाया कर ना घर में। बाहर का खाने से तबीयत खराब हो जायेगी…


सैम- “नहीं खाला, घर पे मजा ही नहीं आता...”


जेबा सैम की जाँघ पे हाथ फेरते हुये- “मैं आ गयी हूँ ना तुझे ऐसा मजा आयेगा घर पे की बाहर का खाना भूल जायेगा। खाने के साथ पिलाऊँगी भी अपने हाथों से, पिएगा ना बेटा...”


सैम- “नेकी और पूछ-पूछ खाला...”


ऐसी ही बातों में दोनों घर पहुँच जाते हैं जब जेबा कार से बाहर उतरती है तब सैम जानबूझकर जेबा की मोटी-मोटी कमर पे दबाकर हाथ फेर देता है और धीरे से कहता है-
“गरम है.


जेबा कुछ बोल पाती इससे पहले नज़मा और निदा उसके पास आ जाते हैं


निदा- अपनी अम्मी को देखकर काफी खुश थी। दोनों माँ बेटी आपस में मिलते हैं और फिर नज़मा भी जेबा से मिलके उसे घर की अंदर ले जाते हैं
 
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Junglee

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नज़मा कुछ देर बाद सैम को अपने रूम में बुलाती है। जब सैम रूम में पहुँचता है तब नज़मा सैम के कान मरोड़ती हुये- “कमीने क्या कर रहा था तू जेबा की साथ...”


सैम चौंकता हुआ- “कु..कुछ भी तो नई अम्मी "


नज़मा- “अच्छा, मैंने सब देखी, जो हरकत तूने कार से निकलने की बाद की... अरे कुछ तो शरम कर वो तेरी खाला है अगर तूने ऐसी वैसी हरकत दुबारा की ना जेबा की साथ तो... देख ले सैम...”


सैम- “उफफ्फ़ हो... अम्मी ना खुद कुछ करती हो ना मुझे दूसरों के साथ कुछ करने देती हो। अगर तुम मेरा साथ दो तो मैं अपनी आँखों पे पट्‌टी बँधा रखूं दिन भर पर अफसोस्स...” वो एकदम उदास सा चेहरा बनाके बोल रहा था, जिससे नज़मा को हँसी आ जाती है और वो सैम को ऐसे ही हँसते हुये मारने आगे बढ़ती है।

तभी सैम की मजबूत बाहें नज़मा को घुमा देती हैं और नज़मा की पीठ सैम की छाती से चिपक जाती है। सैम का लौड़ा नज़मा की गुफा के ठीक मुहाने पे अड़ जाता है।


नज़मा- “अहह... छोड़ कम्बख़्त...”


सैम अपने दोनों हाथों से नज़मा को पीछे से कस लेता है- “अम्मी एक बार दो ना...”


नज़मा- “कभी नहीं दूँगी... तू कितनी भी कोशिश कर ले सैम, वो फिरोज़ा थी जो तेरी बातों में आ गयी। मैं तुझे जान से मार दूंगी अगर मेरे अहह... ऊईई...” सैम के दोनों हाथ नज़मा की नरम-नरम चूची पे जम से गये थे और वो उन्हें थामे हुये नहीं थे बलकी मसल रहे थे, जिससे नज़मा के अल्फ़ाज मुँह में ही अटक से गये थे।





नज़मा- “छोड़ कमीने, कोई आ जायेगा, मेहमान घर पे हैं.


सैम- “पहले बोलो, कब दोगी...”


नज़मा- “कभी नहीं...”


सैम- “तो फिर आने दो सबको देखने दो, मैं नहीं छोड़ने वाला…


नज़मा- “उनह...” चूची मसलने से गरम हो गई थी पर उसका दिमाग अभी उसके काबू में था वो सैम को धीरे से बोलती है- “पहले छोड़, फिर बोलती हूँ


सैम- खुश होके नज़मा को छोड़ देता है और जैसे ही नज़मा सैम की तरफ घूमती है सैम का मुश्कुराता हुआ चेहरा लाल हो जाता है


एक करारा थप्पड़ उसे होश मैं लाता है की बेटा अब दुनिया में आ जा- “अब पता चल गया की कब दूगी.


सैम नज़मा को जोर से पकड़ता हुआ- "अम्मी देख लेना मेरी मोहब्बत आपके सर चढ़कर बोलेगी एक दिन और उस दिन आपके हाथ मेरे गालों पे नहीं बलकी होंठ होगें ये मेरा वादा है आपसे। नज़मा उसे घूरती चली जाती है और सैम रूम से बाहर निकल जाता है।"


नज़मा दिल में सोचने लगती है आखिर क्या करूँ मैं इसका कैसे समझाऊँ की मैं इसकी अम्मी हूँ माशुका नहीं… जो ये चाहता है वो कभी नहीं होगा, मैं ऐसा होने नहीं दूँगी और ऐसा सोचते हुए वो अपने कमरे में चली जाती हैं।
 

Junglee

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सैम अपने रूम में होता है और थोड़ी देर बाद कोई दरवाजा खटखटाने लगता है तो सैम दरवाजा खोलता है... सामने निदा खड़ी थी।


निदा- क्‍या सो गये थे क्या कब से खटखटा रही हूँ.


सैम उसे अंदर लेता हुआ-
बोलो...


निदा- सुन मैं ये कह रही थी की जब तक अम्मी यहाँ हैं तुम मेरे रूम में नहीं आना वरना...


सैम निदा को बाहों में कसते हुये मेरी जान मेरे मुँह को खून लग गया है अब मुझे रोज चाहिये तू कुछ भी कर कैसे भी कर मुझे चाहिये मतलब चाहिये। और सैम निदा की कमर में हाथ डाल्के उसे अपने से चिपकाके उसके होंठ चूसने लगता है गल्पप्प्प..गललपप्प्प..


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निदा भी गरम थी वो भी सैम का साथ देने लगती है। सैम मौके का फायदा उठाते हुये निदा की सलवार का नाड़ा खोल देता है और शलवार नीचे गिर जाती है


निदा- “उनह... अभी नहीं ना... कोई भी आ सकता है ऊईई...” निदा की चूत की गर्मी उसके हाथों को हरकत नहीं दे पा रही थी वो बोल कुछ रही थी और कर कुछ और रही थी।


सैम अपना लण्ड खड़ा बाहर निकल लेता है और निदा को घुमाकर दीवार से खड़ा कर देता है अहह... बस थोड़ी देर...


निदा- उनह... कोई आ गया तो प्लीज़्ज़...


सैम- थोड़ी गाण्ड पीछे कर...


निदा अपने कमर पीछे की तरफ करती है।


सैम अपना मूसल लण्ड निदा की चूत में डालने ही वाला था की बाहर से जेबा की आवाज आती है- “अरे निदा बेटा... जरा यहाँ आना तो.

निदा घबराते हुये शलवार पहन लेती है और बाहर भागने लगती है।


तभी सैम उसका हाथ पकड़ लेता है- “सुन रात में दरवाजा खुला रखना वरना याद रखना वो हाल करूँगा की...”


निदा- हम्म्म्मम... कहती हुई वहाँ से भाग जाती है।
 

Junglee

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निदा के जाने बाद सैम अपने रूम से बाहर निकलता है। वो महक के रूम के सामने से गुजर रहा था तभी उसे महक की आवाज सुनाई दी, वो शायद अपने फ्रेन्ड से बात कर रही थी।


महक फोन पे- “अरे यार तू 6 से 9 की टिकेट बुक करना, अम्मी जाने नहीं देंगी रात में और अब तो वो कद्‌दू भी आ गया है। उसके होते हुई कैसे आ सकती हूँ. वो अपने फ्रेन्ड से रात में पिक्चर देखने की प्लानिंग बना रही थी।


सैम महक के रूम में चला जाता है और महक के सामने खड़ा हो जाता है।



महक- मैं तुझे बाद में काल करती हूँ बाय... क्या है तू इस वक़्त यहाँ


सैम- किससे बात कर रही थी


महक इतराते हुये- तुझसे मतलब जा अपना काम कर कद्‌दू कहीं के...


सैम को लगा की ये तो साला अपनी इज्जत का फालूदा बना रही है। पहले खुद कहती थी और अब अपने फ्रेन्डस के सामने भी मुझे कद्दू कह रही है- “देख मोटी, थोड़ी शराफत सीख ले कल को तुझे अपने घर जाना है समझी...



महक सैम को घूरकर देखने लगती है- क्‍या कहा तूने... अपने घर... तो ये या मेरा घर नहीं है


सैम- हाहाहा अरे जा मोटल्ली ये तेरा नहीं मेरा और आबिद का घर है। तू तो किसी कबाड़ी के यहाँ जायेगी झाड़ू मारने हाह...


महक सैम के पेट में एक घूँसा जड़ देती है पर उस घूँसे का सैम पे कोई असर नहीं होता एक हट्टे-कट्टे जवान पे भला चींटी की चलने का क्‍या असर... पर सैम अपना पेट पकड़ लेता है जैसे उसे बहुत जोर की लगी। वो दर्द से कराहने की एक्टिंग करने लगता है- “अहह... मर गया अहह...”


महक अपनी छोटी-छोटी मसलें सैम को दिखाती है- “आगे से पंगा लेगा ना तो ये मसलें देख, मसल-मसल के रख दूँगी।


सैम- महक की गर्दन एक हाथ से पकड़ लेता है और दूसरे हाथ से उसकी जीन्स पैंट पर लगी बेल्ट और उसे थोड़ा ऊपर उठा देता है, जिससे महक के पैर ऊपर हवा में उठ जाते हैं- “हलवा है कया जो खा लेगी... मोटी भैंस अब बोल.


महक का गला थोड़ा जोर से दब गया था। वो चिल्लाती है- अहह... छोड़ कमीने मार देगा कया अहहह...



सैम- अब बोल कौन किसको मसलेगा


महक- सैम प्लीज़... नीचे तो उतार बोलती हूँ


जैसे ही सैम महक को नीचे उतारता है महक अपने घुटने से सैम के पैरो के बीच में उसके लण्ड पे मारने की कोशिश करती है। पर उसका वार सैम बचाकर उसे घुमा देता है और पीछे से उसे पकड़ लेता है। ये महक के बचपन की आदत थी जब उसे कोई उसे ज्यादा मजबूत लगने लगता तो वो अपना आखिरी हथियार इश्तेमाल करती थी।


सैम इस बात से अच्छी तरह वाकिफ था। वो महक को पकड़ लेता है और उसके कान में धीरे से कहता है- तुझे कितनी बार बोला मैंने डेलिकेट डेलिकेट आर्मन पे नहीं मारने का और फिर सैम कुछ ऐसा करता है जिससे महक के तन-बदन में झुरझुराहत सी पैदा हो जाती है। सैम अपना पूरा हाथ का पंजा महक़ की जाँघ पे जोर से मारता है जैसे कोई किसी की कमर पे थप्पड़ मारता है ना उसी तरह सैम ने महक की चूत पे थप्पड़ मारा था।

महक के लिए ये एक ऐसी चीज थी जिसने उसे एहसास दिलाया की वो लड़की है। वो सैम की आँखों में देखने लगती है जैसे पूछ रही हो की ये तूने क्या किया जालिम। वो थप्पड़ महक की सोई हुई क्लिटोरिस को गहरी नींद में से जगा देता है।



महक सैम की पकड़ में से निकलकर चुपचाप वहाँ से बाहर निकल जाती है।


सैम- अरे महक मैंने तो मजाक किया था सारी यारईरर।


महक- कोई जवाब नहीं देती और बाथरूम में जाके अपनी पैंटी नीचे करने के बाद अपनी चूत पे हाथ फेरती है।

अहह... एक अजीब सी गुदगुदी, एक नया सा एहसास उसके दिल मेँ कहीं हुआ था ये क्‍या हो रहा है महक़ तुझे वो तेरा सागा जुड़वा भाई है। और वो अपना सर झटक के बाहर निकल जाती है।
 
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Junglee

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रात का खाना सभी खा चुके थी निदा और जेबा दोनों रूम में बैठी बातें कर रही थी। इधर आबिद कल जाने की तैयारी कर रहा था, महक उसकी मदद कर रही थी। महक को आबिद से एक खास लगाव था, महक को उसके चेहरे पे बहुत प्यार आता था।

सैम तो महक का बचपन से जानी दुश्मन था, उनके बीच कभी भाई बहन का रिश्ता था ही नहीं। पर आज ना जाने महक थोड़ी गुमसुम सी थी पता नहीं उसे क्‍या हो गया था।

आबिद उससे पूछ लेता है।

पर वो एक बहाना बनाकर उसकी बात झटक देती है।




नजमा- अपने रूम मेँ बेड पे बैठी कुछ आफिस की फाइल्स देख रही थी तभी सैम वहाँ आ जाता है।


सैम- अम्मी में कुछ हेल्प करूँ...


नजमा- नो...


सैम- अम्मी मैं कुछ करूँ...


नजमा उसे घूरते हुये- कब सुधरेगा तू सैम जब से तू आया है देख रही हूँ तेरा बिहेवियर ऐसा ही है। बेटा मैं तेरी अम्मी हूँ क्यूँ कर रहा है तू ऐसा मेरा साथ।



सैम- क्योंकि आई लव यू... सिंपल...


नजमा- कुछ नहीं बोलती और अपनी फाइल्स में देखने लगती है।


सैम- अम्मी आपकी गर्दन पे कुछ है.


नजमा गर्दन पे हाथ फेरती हुई- कहाँ... क्या है.



सैम- एक मिनट रूको और सैम नजमा के पीछे जाके उसके बाल गर्दन पे से हटा देता है और जल्दी से अपने होंठों उसकी गर्दन पे रखकर किस कर देता है मूहह...


नजमा सैम की चाल समझ जाती है- “दूर हट बेशरम...”



सैम मुश्कुराता हुआ- सच कहूँ अम्मी आप बहुत खूबसूरत हो। आप जैसी लेडी मैंने अपनी लाइफ में नहीं देखा, यूके में भी मैंने आप जैसी हसीन-जहीन लेडी नहीं दिखी मुझे। यू आर आ मास्टर पीस अम्मी।

नजमा भी एक औरत थी। भला कौन सी औरत को अपनी तारीफ अच्छी नहीं लगती और सैम ने तो मुँह भरके तारीफ कर दी थी, जिससे नजमा के गाल पे लाल रंग आ जाता है- “चल हट बेशरम... अपनी अम्मी को कुछ भी कहता है।



सैम- उफफफ्फ़हो अम्मी... सच में ये देखो आपकी नाक कितनी प्यारी है, आपकी गर्दन एकदम सुराही की तरह,आपके कान सो स्वीट, आपके होंठ (जो सैम की तारीफ से लरजने लगे थे उनमें कप कंपकंपाहट सी पैदा होने लगी थी) लाल गुलाबी होंठ अपनी तारीफ सुनना चाहते थे पर सैम ने उनकी तारीफ लफ़्ज़ों से ना कहते हुई अपने होंठों से कहना बेहतर समझा।

नजमा इससे पहले कुछ कर पाती, सैम उसके होंठो को चूम चुका था।


नजमा गुस्से से तिलमिला जाती है और सैम को घूंसा मारना चाहती है पर सैम अपने मजबूत हाथ से नजमा के दोनों हाथों की कलायी पकड़के पीछे मोड़ देता है। सैम अपने हाथ से आगे बढ़ना चाहता था, वो नजमा की कलायी छोड़कर उसकी कमर में हाथ डालना चाहता है।

तो नजमा ने एक जोरदार कारारा थप्पड़ मारा जिससे सैम की सुनने की शक्ति कुछ देर की लिए जैसे खतम कर देता है। नजमा चिल्ला भी नहीं सकती थी, घर में मेहमान आई हुई थी और वो क्‍या करती एक ही तो हथियार था उसके पास थप्पड़। पर अब इस थप्पड़ का भी सैम पे कुछ ज्यादा असर नहीं होता था।

सैम अपने गाल को मलता हुआ नजमा के रूम से बाहर निकलने ही वाला था की नजमा उसका हाथ पकड़के फिर से अपने तरफ मोड़ देती है और रूम का दरवाजा बंद कर देती है। नजमा पलटकर सैम के करीब जाती है।

सैम का गाल लाल हो चुका था और चेहरे पे एक खामोशी थी। शायद उसे नजमा का ये थप्पड़ चेहरे पे नहीं बल्कि दिल पे कहीं लगा था।



नजमा धीमी आवाज में- “क्यूँ कर रहा है तू बेटा ऐसा मेरे साथ, अरे मैं तेरी अम्मी हूँ सैम, तुझे मैंने पैदा किया है और तू इस बूढ़ी औरत को इस उमर में इस तरह परेशान कर रहा है। शरम नहीं आती तुझे ऐसा करते हुये | अगर तू कहे तो बेटा मैं तेरे लिए कहीं रिश्ते की बात करूँ...


सैम- अम्मी, खबरदार जो अपने खुद को बूढ़ी औरत कहा तो... और एक और बात मैंने अपने लिए एक खूबसूरत लड़की देख लिया हूँ और वो मैं आपको बता भी चुका हूँ। सैम ने जानबूझकर औरत की बजाये लड़की लफ्ज़ इश्तेमाल किया ताकी नजमा पे गहरा असर पड़े उसकी बात का।


नजमा फिर से भनना जाती है और अपनी उंगली उसके चेहरे के सामने करते हुये- “देख सैम अब बहुत हुआ, अगर तू मेरी बात नहीं सुनेगा तो मैं तुझे अपने मामा की यहाँ भिजवा दूँगी। मैं तुझे सही रास्ते पे लाना चाहती हूँ और एक तू है की वही गंदा बेहूदा रास्ते पे चला जा रहा है। मगर वो और कुछ बोलना चाहती थी पर सैम की एक हरकत उसके तन-बदन में चिनगारियां पैदा कर देती है

सैम अपने मुँह में नजमा की वो उंगली ले लेता है जिससे वो सैम को दिखाकर धमका रही थी। उसके उंगली चूसने का अंदाज़ ऐसा था जैसे कोई औरत लण्ड मुँह में लेके चूसती है।


नजमा अपने उंगली उसके मुँह में से खींचते हुये- “कमीने इंसान, निकल जा मेरी नजरों के सामने से तुझे डाक्टर की जरूरत है.



सैम- “मुझे आपकी जरूरत है अम्मी...” और ये कहता हुआ सैम नजमा के रूम से बाहर निकल जाता है।

नजमा कुछ हैरान, कुछ परेशान सी उसे जाता देखती रह जाती है।
जब भी वो सैम को कुछ समझना चाहती, सैम कुछ ऐसी हरकत कर देता जिससे नजमा कांप जाती।
 
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रात को सभी अपने-अपने कमरे में सो चुके थे। पर सैम को कहाँ नींद आने वाली थी उसे तो मस्के का चस्का लग गया था, वो मस्का जो निदा की जाँघ पे लगा हुआ था।

सैम सभी के कमरे चेक करके निदा के रूम के पास पहुँचता है और जैसे ही वो रूम में दाखिल होता है उसका दिल जोरों से धड़कने लगता है। एक किंग साइज बेड पे एक कोने में निदा की माँ जेबा सोई हुई थी और दूसरी तरफ निदा।

सैम दरवाजा बंद कर देता है। सैम निदा के पास जाके बेड पे बैठ जाता है और हल्के से निदा के चेहरे पे हाथ फेरता है। निदा शायद अभी-अभी लेटी थी, वो अपने आँखें खोल देती है और अपने पास सैम को देखकर घबरा जाती है।



निदा एकदम धीमी आवाज में- “सैम जाओ अम्मी अभी-अभी सोई हैं.


सैम अपनी गर्दन नहीं में हिलाता है और निदा पे झुकता है, निदा उसे रोकने की कोशिश करती है पर तब तक सैम निदा के ऊपर चढ़ चुका था। सैम अपने दोनों हाथों से निदा की चूचियां मसलने लगता है।



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निदा बहुत ज्यादा घबराई हुई थी, उसे समझ में नहीं आ रहा था की सैम को कैसे रोके। पर सैम की हरकते उसकी जाँघ की बीच में कुछ और ही हलचल मचा रही थी।


निदा ने एक नाइटी पहनी हुई थी जिससे निकालने में सैम को कोई परेशानी नहीं हुई और निदा की भरी हुई चूचियां सैम के सामने आ गयी बस एक ब्रा का परदा था।




सैम निदा के होंठों को चूमने लगता है और अपने दोनों हाथ पीछे ले जाके उसकी ब्रा का हुक खोल देता है।






निदा चाहती थी की सैम यहाँ वो सब ना करे। क्योंकि उसे डर था की कहीं जेबा जाग गयी तो कयामत आ जायेगी। पर सैम तो शायद यही चाह रहा था की जेबा जाग जाए। उसे पता था की निदा से ज्यादा सेक्सी माल जेबा है।


निदा एकदम खामोश हो जाती है। सैम उसे टापलेस कर देता है और निदा के गुलाबी निपल्‍स को चूमने लगता है।


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निदा मचल सी जाती है। वो भी अब यह भूल चुकी थी की वो कहाँ है। निदा अपने हाथ नीचे बढ़ाकर सैम का पैंट खोल देती है और बिना अंडरवेर की वजह से सैम का नाग झट से फन फैलता हुआ निदा के हाथ में आ जाता है।

निदा के आँखें मारे खुशी और जोश के चमक उठती हैं। वो जल्द से जल्द सैम के लण्ड को अपनी चूत की गहराइयों में लेना चाहती थी ये भूलकर की किसी भी वक़्त जेबा जाग सकती है और उन्हें रंगे हाथों पकड़ सकती है। ये चूत और लण्ड की आग थी, ये ना जगह देखती है और ना रिश्ते।

सैम का बुरा हाल हो रहा था। निदा उसका आंडों के साथ-साथ उसके लण्ड को भी मरोड़ रही थी। ये सारा खेल एकदम चुपके से बिना आवाज किए शुरू था, साइड में जेबा एकदम खामोश पड़ी थी। निदा और सैम की साँसें फूलने लगती हैं।


सैम निदा के पैर चौड़े कर देता है और अपना लण्ड उसकी चूत पे घिसने लगता है।



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निदा सैम की आँखों में देखती है। उस नाइट लैंप की रोशनी में भी सैम आसानी से निदा की आँखों में ये देख सकता था की निदा उससे क्‍या कह रही है और सैम बिना देरी किए अपने लण्ड को निदा की चूत की गहराइयों में पेलता चला जाता है।


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निदा हल्के से- अहह... ऊड़ईई अम्मी गगग उनन्‍नन्‍ह अहह...


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तभी जेबा करवट बदलती है, सैम और निदा की जान हलाक में आके जैसे अटक जाती है। दोनों धड़कते दिल से जेबा की आँखों की तरफ देखते हैं जेबा की आँखें बंद थी, ऐसा लग रहा था जैसे वो गहरी नींद में सोई हुई है।

कुछ सेकेंड बाद सैम की कमर नीचे ऊपर होने लगती है। निदा उसे देखती है और फिर दोनों के होंठ आपस में मिलते चले जाते हैं। और पच-पच की आवाज के साथ सैम अपने लण्ड को निदा की चूत में डालते चला जाता है।


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निदा धीरे से- अहह... सैम अहह... धीरे उनह... अम्मी उठ जायेगी बेड की हलने से अहह... आराम से नाआआ...


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सैम- “कुछ नहीं होगा भाभी अहह... मैं क्या करूँ आपकी चूत है ही ऐसी की आराम से नहीं चोद सकता। रात के उस अंधेरे में दो जिश्म एक जान बने हुये थे। ये एक दिलकश नजरा था- अपनी अम्मी के पास लेटकर एक बेटी अपने देवर से आराम-आराम से चुदा रही थी।


निदा अपने दोनों पैर सैम की कमर से लपेट लेती है और सैम दनादन अपने लण्ड को निदा की चूत में बच्चेदानी से टकराता चला जाता है अहह... निदा उस मुकाम पे पहुँच चुकी थी जहाँ एक औरत से रुकना नामुमकिन हो जाता है। वो सैम को जोर से चोदने की लिए कहती है।



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निदा- “अहह... उनह... अंदर तक हनंणन्‌... ऐसे ही सैम अहह... मैं मार जाऊँगी उन्हूं... ऊठउ...”


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सैम के धक्के बेड को हिला रहे थे पर अब ना वो जेबा को देख रहे थे और ना उन्हें उसकी परवाह थी


निदा- उनह... जोर से अहह... सम्म्म्मम...


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सैम अपनी गर्दन जेबा की तरफ करता है और उसे एक झटका लगता है... जेबा की आँखें खुले हुई थीं।


सैम एक पल के लिए रुका और फिर निदा के जोर से कहने पे एक जोरदार झटका अंदर देते हुये- “अहह... तेरी माँ को चोदूँ निदा अहह...” ये लाफ्ज़ सैम ने जेबा की आँखों में आँखें डालके कहे थे।


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जेबा के चेहरे पे एक हल्की सी मुश्कान आ जाती है।


निदा सैम को चिपकाते हुई झड़ने लगती है। उसे पता ही नहीं था की जेबा सब कुछ देख चुकी है। सैम भी जेबा को देखते हुये जोर-जोर से निदा को चोदने लगता है और फिर अहह... की आवाज के साथ अपना पानी निदा के चूत में उंड़ेल देता है। ।

10 मिनट अपनी साँसों को संभालने की बाद सैम उठके अपने कपड़े पहनके वहाँ से चला
जाता है।

जेबा अपनी आँखें बंद कर चुकी थी। जब सैम वहाँ से गया तो निदा भी अपनी नाइटी पहन लेती है, तभी जेबा ने उसके पेट पे हाथ रखा। निदा अंपनी अम्मी की तरफ देखती है।



जेबा- मजा आया बेटी...


निदा चौंकती हुई अपनी अम्मी की तरफ देखती है। जेबा की आँखों में एक अजीब सी चमक थी और चेहरे पे हल्की सी मुश्कान।



निदा- “अम्मी वो मैं... वो अम्मी... मुझे माफ कर दीजिए अम्मी। वो बुरी तरह घबरा चुकी थी। अचानक दिमाग काम करना बंद कर चुका था। उसे कुछ सूझ ही नहीं रहा था। उसे पता चल चुका था की जेबा सब कुछ देख चुकी है और उसकी चोरी पकड़ी जा चुकी है। वो अपने अम्मी को एक नजर देखती है और फिर सिसक-सिसक कर रोने लगती है।


जेबा बेड पे बैठ जाती है और अपनी बेटी का सर अपनी गोद में रख लेती है- अरे पगली रोती क्यूँ है... मैं तो पहले दिन ही समझ गयी थी की तेरे और सैम के बीच कुछ चल रहा है। पैदा किया हैं मैंने तुझे, तुझसे ज्यादा धूपछांव देखी हूँ।

पर मैं जानती हूँ की मेरी बच्ची किस दौर से गुजर रही है। तूने बहुत कुछ सहा है बेटा, मैं तेरी माँ हूँ और माँ अपने बच्चों को हमेशा खुश देखना चाहती है। चल चुप हो जा और मुझे एक बात बता...


निदा अपना चेहरा उठाके जेबा को देखती है, उसके आँसू थाम चुके थे और आँखों में सवालिया लहजा था।



जेबा- “मैं ये जानना चाहती हूँ की ये सब जो तू कर रही है ये फ्री में है या इसकी फीस भी तुझे मिलेगी...”


निदा- क्‍या मतलब अम्मी


जेबा- अरे बेवकूफ लड़की... सैम से तेरी शादी की बात कर रही हूँ तू इन मर्दों की जात को नहीं जानती, जगह-जगह मुँह मारने की आदत होती है इन कमीनों को। तू मेरी भोली-भाली बच्ची है, वो कुछ दिन तेरी लेगा और फिर नयी कोई मिल जायेगी तो वहाँ चरने चला जायेगा। तू फिर क्या करेगी...


निदा- “अम्मी... सैम ऐसा नहीं है.


जेबा- चुप कर अब जैसा मैं कहती हूँ वैसा करती जा। तभी तुझे सैम मिल पाएगा वरना ज़िंदगी भर हाथ मलती रह जायेगी, और कल सैम को मेरे पास भेज देना मुझे उसे कुछ बात करनी है।


निदा और जेबा उस रात बहुत देर तक बातें करती रहीं। जेबा ने अपने बेटी को वो घुट्टी पिलायी जो उसने अपनी माँ से सीखी थी।
 
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