Bahot behtareen zaberdast shaandaar updateपिछली रात की दमदार चुदाई के बाद अगली सुबह सैम की जब आँख खुली तो महक उसके पास नहीं थी वो उठके बाथरूम में फ्रेश होने चला जाता है और फिर जब तौलिया लपेटकर किचेन में आता है तो मारे हैरत के उसके अपंखें फटी की फटी रह जाती हैं।
महक शलवार-कमीज में खड़ी नाश्ता बना रही थी। ज़िंदगी में पहली बार उसने शलवार-कमीज पहनी थी और वो भी निदा भाभी का।
पीछे से बिलकुल निदा की तरह लगने वाली महक इस शलवार-कमीज में जन्नत की हर से कम नहीं लग रही थी। शायद वो भी अभी-अभी नहाकर आई थी। उसके खुली हुई जूल्फें उसकी खूबसूरती में चार चाँद लगा रही थीं। सैम अपना तौलिया निकलकर चेयर पे रख देता है और पीछे से महक को दबोच लेता है।
महक- अहह... क्या कर रहे हो, हटो... रात को तो तुमने मुझे मार ही दिया था।
सैम- क्या बात है महक तू तो बहुत खूबसूरत लग रही है.
महक- बस बस मुझे पता है ये तारीफ किसलिये हो रही है पर अभी मुझे बहुत काम है।
सैम- मेरी जान काम के लिए तो पूरे ज़िंदगी पड़ी है। पहले प्यार उसके बाद काम...
महक ने अभी भी सैम को नहीं देखा था की वो किस हाल में खड़ा है। जैसे ही वो मुड़ती है वो शर्मा जाती है। किसी तीर की तरह सैम का लण्ड सीधा महक की गाण्ड का निशाना लिए हुये था।
महक- कपड़े तो पहन लो
सैम- किसलिये जबकी मैं तो तुझे नंगी करने आया हूँ।
महक- हटो सैम।
सैम महक को शेल्फ से खड़ा कर देता है और उसकी दोनों चूचियों को मसलता हुआ उसके होंठों को चूसने लगता है। उसका लण्ड महक की जाँघ में घुसा हुआ था और चूत पे रगड़ खा रहा था।
महक- उनह... नहीं... ना अभी नहीं ना सैम उहनणन् कम करने दो ना हाआ
सैम शलवार का नाड़ा खोलकर उसे नाचे गिरा देता है और पैंटी को थोड़ा साइड में खिसकाकर अपना लण्ड चूत में घुसा देता है अहह... अहह... महक अपनी एक टांग सैम की कमर पे चढ़ाकर खड़ी-खड़ी सैम का लण्ड अंदर ले रही थी। पैंटी पूरी ना उतारने की वजह से सैम का लण्ड पैंटी को घिसता हुआ अंदर बाहर हो रहा था।
सैम को इस चुदाई में और मजा आ रहा था- “महक दिल तो करता है की तुझे रात दिन बस चोदता ही रहूं अहह... क्या चूत है तेरी एकदम मखमल अहहह...”
महक सिसकते हुये अहह... चोदो ना समीर तुम्हारी तो हूँ मैं अहह... ऊडईई अम्मी गगग उनह...
अचानक किसी की जोरदार थप्पड़ सैम की गाण्ड पे पड़ती है सटककक...
सैम चौंकते हुई पीछे देखता है और महक के साथ-साथ उसके भी होश उड़ जाते हैं।
नजमा- “समीर कुत्ते कमीने..” नजमा सैम के पीछे खड़ी थी और उसके आँखों में गुस्सा साफ देखा जा सकता था।
सैम के साथ महक भी बुत बनी खड़ी थी। कमाल की बात तो ये थी की अब भी सैम का लण्ड महक की चूत में था और नजमा की नजर उसी पे थी।
नजमा सामने पड़ा हुआ बेलन उठाके सैम की कमर पे मारती है- “दूर हट बदजात...” और तू बदचलन लड़की ये तूने क्या की तूने अपना कुँवारापन इस कम्बख़्त के हवाले कर दिया। अरे ये तो है ही कमीना। मुझे तुझसे ये उम्मीद नहीं थी
सैम पच की आवाज के साथ अपना लण्ड महक की चूत से बाहर निकल लेता है। उसका पानी नहीं निकला था इसलिये उसका लण्ड अभी भी तना हुआ था और अब नजमा की तरफ इशारा कर रहा था।
तभी वहाँ फिरोजा दाखिल होती है और सामने अपने भान्जे और भान्जी को बिल्कुल नंगा देखकर उसे बड़ा सा झटका लगता है।
वो दोनों तो सत्तारखान को साथ लेके आई थीं यहाँ सिटी के किसी डा: को उन्हें दिखाने गनीमत तो ये थी की सत्तारखान चल फिर नहीं सकते थे। वो बेचारे हवील चेयर पे घर के दरवाजा पे ही बैठे थे।
फिरोज़ा- ये मैं क्या देख रही हूँ बाजी...
नजमा फिरोज़ा की घूरते हुये- “बस कर कमीनी... ये सब तेरा ही किया धरा है, तूने मेरे बच्चे को बिगाड़ दिया है। पहले तू, उसके बाद वो निदा और अब ये कमीनी। इसे तो मैं जान से मार दूंगी...” वो महक की तरफ बढ़ती है पर सही वक़्त पे सैम नजमा का हाथ पकड़ लेता है।
सैम- बस करो अम्मी... अब हम बच्चे नहीं रहे, हम अपना अच्छा-बुरा जानते हैं और अगर आपको हम इतने है बुरे लगते हैं तो ठीक है हम दोनों भाई-बहन हमेशा की लिए ये घर छोड़कर चले जायेंगे...” सैम ने अपना आखिरी हथियार इश्तेमाल कर लिया था। ये वो चीज थी जो नजमा को हिलाकर रख देती थी, सैम से दूर जाने के नाम से ही वो कांप जाती थी।
नजमा आगे बढ़ती है और एक जोरदार थप्पड़ सैम के मुँह पे और एक करारा थप्पड़ महक के मुँह पे रसीद कर देती है- “तू मेरे सबर का और इंतेहान मत ले सैम, तू क्या समझता है की तेरी ये बातें मुझे बहला-फुसला लेंगी। नहीं, कभी नहीं, तू कभी नहीं सुधार सकता, आज मैं जान चुकी हूँ आज के बाद तू मुझसे बात मत करना...”
सैम- पर अम्मी.
नजमा उसे उंगली की इशारे से धमकी देने वाले अंदाज़ में घूरते हुई वहाँ से चली जाती है।
सत्तारख़ान दरवाजे पे थे- “क्या हुआ बेटा सब कीक तो है ना...”
नजमा- ज़ी अब्बू चलिए आपको रूम में ले चलती हूँ।
दोनों अभी भी ऐसे ही खड़े थी पर सैम के साथ-साथ महक के चेहरे पे भी सुकून था।
फिरोज़ा सैम के करीब आती है और अपने हाथ में सैम का लण्ड पकड़ लेती है- "हाय रे जालिम तुझे... एक पल के लिए भी अपनी खाला की याद नहीं आयी... कितना तड़पी हूँ मैं तेरे लिए और तू इस कलमुही को चोद रहा है..” तीनों खाला भानजे जोर-जोर से हँसने लगते हैं।
महक- “तो क्या खाला आप भी.
फिरोज़ा नीचे बैठते हुये- “सबसे पहले मैंने ही तो इसका रस पिया था...” फिरोज़ा कई दिनों की प्यासी थी, उसका हलाक सूखकर बंजर जमीन की तरह हो चुका था।
वो झट से सैम के लण्ड को अपने मुँह में भरके जोर जोर से चूसने लगती है गलपप्प्प... गलपप्प्प... गल्पप्प्प।
सैम- अहह... खाला अम्मी आ जाएंगी छोड़ो नाआ।
फिरोज़ा- आने दे, आज मुझे मत रोक सैम गलपप्प्प... गलपप्प्प...
सैम- “अहह... अहह...” तेज धार के साथ अपना पानी फिरोज़ा के हलाक में उतारने लगता है अहहह...
महक आँखें फाड़े ये सब देख रही थी की कैसे उसकी खाला अपने भानजे के पानी का एक-एक कतरा अपने जुबान से चाट रही है।
सैम जल्दी से वहाँ से भागकर अपने रूम मेँ घुस जाता है और कपड़े पहनने लगता है।
महक जैसे ही मुड़ती है फिरोज़ा उसे पीछे से पकड़के उसकी चूचियां मसलते हुये- क्यूँ रे कैसा लगा...”
महक शरमाते हुये- धत्त... आप भी ना खाला...”
फिरोज़ा उसकी चूत मैं उंगली डालके बाहर निकालते हुये उसे सूंघती है और फिर अपने मुँह में डालके चूसते हुये- “हम्म्म्मम... टेस्टी... रात काफी मस्ती की तुम दोनों ने
महक इस हरकत से सिहर गयी थी, उससे खड़ा रहना मुश्किल हो रहा था। वो तेज कदमों से अपने रूम में घुस जाती है।
फिरोज़ा के चेहरे पे खुशी साफ देखी जा सकती थी। फिरोज़ा के चेहरे पे मुश्कान आ जाती है।
नजमा सत्तारख़ान के पास बैठी बातें कर रही थी तभी वहाँ सैम कपड़े पहनके आता है।
सैम- “नानाजान कैसी तबीयत है आपकी...”
सत्तारख़ान- बिल्कुल ठीक हूँ बेटा, ये तुम्हारी अम्मी ना जबरदस्ती मुझे यहाँ ले आई वरना मैं तो वहीं ठीक था। तुम सुनाओ कैसे हो.
सैम नजमा की तरफ देखते हुये- “बस नानू... शुरू है दिन रात काम...”
नजमा सैम को घूरने लगती है।
सत्तारख़ान- अरे बेटा समीर... तुम्हारी अम्मी हर वक़्त तुम्हारे साथ है, तुम फिकर ना करो। नजमा तुम्हें कभी अकेला नहीं होने देगी। क्यूँ नजमा मैं ठीक कह रहा हुन्न ना।
नजमा- अब्बू.. आप आराम कीजिये, खाना खाने के बाद डा: के पास चलना है। और नजमा उन्हें लेटाकर अपने रूम में चली जाती है। जाते-जाते उसे फिरोज़ा और महक कुछ हँसते हुये बातें करते नजर आती हैं वो महक को खा जाने वाले नजरों से देखते हुये अपने रूम में पहुँच जाती है।
कुछ देर नानू से बात करने की बाद सैम भी नजमा के रूम में चला जाता है। नजमा अपने बेड पे लेटी हुई थी और ऊपर घूमते फैन को देख रही थी।
सैम बेड पे जाके एक कोने में बैठ जाता है- “अम्मी मुझसे बात क्यूँ नहीं कर रही हो आप...”
नजमा कोई जवाब नहीं देती।
सैम- अम्मी प्लीज़ ऐसे मत करो ना देखो चाहिये तो मुझे जान से मार दो पर ऐसे बात तो मत बंद करो।
नजमा- सैम इस वक़्त मैं बहुत गुस्से में हूँ, तू यहाँ से चला जा।
सैम- नहीं जाऊँगा... जब तक आप मुझसे अच्छे से बात नहीं करोगी, मैं कहीं नहीं जाऊँगा।
नजमा बेड से उठके खड़ी हो जाती है- “तू यहाँ से जाता है या मैं बाहर जाऊँ.
सैम- मौके की नजाकत को समझते हुये वहाँ से चले जाने में ही भलाई समझता है। वो अपने रूम में आके बेड पे लेट जाता है और आने वाले वक़्त के बारे में सोचने लगता है।
दोपहर का खाना खाने की बाद।
नजमा- “अब्बू चलीए हम डा: के पास से हो आते हैं। फिरोज़ा तुम घर पे रहना...”
फिरोज़ा- “ठीक है बाजी पर आप अकेले कैसे अब्बू को ले जाएंगी... आप सैम को साथ ले जाओ ना...”
नजमा- नहीं कोई जरूरत नहीं है।
सत्तारख़ान- बेटा फिरोज़ा बिल्कुल ठीक कह रही है, चलो सैम बेटा।
नजमा फिर चुप हो जाती है और तीनों हास्पिटल की तरफ निकल जाते हैं।
Bahot behtareen zaberdast shaandaar lajawab updateसैम और नजमा जब सत्तारख़ान को हास्पिटल लेके पहुँचे तब तक सत्तारख़ान की हालत बेहतर थी पर अचानक नजाने क्या हुआ की उन्हें राइट हैंड साइड मेँ दर्द होने लगा जब डा ने उन्हें चेक किया तो पता चला की उन्हें हार्ट अटक आया है। इस बात से नजमा के साथ-साथ सैम भी बुरी तरह डर गया था।
डाॅ ने उन्हें कुछ दिन आईःसी-यू. में रखने की सलाह दी और नजमा के कहने पे उन्हें हास्पिटलाइज़्ड कर दिया गया। दोनों माँ बेटे हास्पिटल की बेंच पे चुपचाप बैठे थे। दोनों सत्तारख़ान की तबीयत को लेके काफी परेशान थे।
सैम चुप्पी तोड़ता है- “अम्मी, शायद नानू को कुछ दिन यहीं रहना पड़ सकता है। ऐसा करते हैं की मेँ यहाँ नानू के पास रुक जाता हूँ। आप घर जाके फ्रेश हो जाओ और आपको आफिस भी तो जाना है.
नजमा- “पर यहाँ तुम अकेले कैसे देख पाओगे...”
सैम- “चिंता नहीं अम्मी, आप फिकर ना करो। मैं मैनेज़ कर लूंगा...”
सत्तारख़ान से मिलने के बाद नजमा घर चली जाती है। महक और फिरोजा भी फ्रेश हो चुकी थी और हाल में बैठी बातें कर रहे थीं। जब नजमा ने उन्हें सत्तारख़ान के बारे में बताया तो वो दोनों भी परेशान सी हो गयीं।
फिरोजा- “बाजी, वहाँ अब्बू की पास कौन है.
नजमा- “सैम वहीं रुकेगा। मैं आफिस जा रही हूँ मुझे कुछ काम निपटाने हैं, वहाँ से हास्पिटल चली जाऊऊँगी...”
नजमा के चेहरे पे परेशानी साफ देखी जा सकती थी।
वो दिन भी गुजर गया और सत्तारख़ान की तबीयत में थोड़ा सा सुधार आया था पर डा. ने उन्हें 7 दिन यहीं रखने का फैसला किया था ताके उनकी ठीक से जाँच हो सके। रात भर सैम सत्तारख़ान के पास रुकता और सुबह बस फ्रेश होने घर आ जाता। नाश्ता करके वो वापस हास्पिटल चला जाता। दिन रात ऐसे ही सत्तारख़ान की देख-भाल मेँ गुजर रहे थे।
आज सत्तारख़ान को हास्पिटल में आए हुई पूरे 8 दिन हो चुके थे और इन 8 दिनों में सैम ने उनकी दिल-ओ-जान से खिदमत किया था | वो ना रात को सो पाया था और ना दिन में। क्योंकि सत्तारखान को कभी भी किसी भी चीज की जरूरत पड़ जाती थी।
फिरोज़ा और महक के साथ नजमा का दिल भी ये देखकर बाग-बाग हो गया था की सैम ने एक नवासे होने का फर्ज़ बहुत अच्छे से निभाया है। जिस दिन सत्तारख़ान को डिस्चार्ज मिलने वाला था उस दिन महक और फिरोज़ा भी हास्पिटल में मौजूद थीं।
सैम ने सत्तारखखान को महक और फिरोज़ा के साथ एक कार में घर की तरफ रवाना कर दिया और वो नजमा के साथ पेमेंट करके जैसे ही अपनी कार में जाके बैठा उसे ऐसा लगा जैसे किसी ने उसकी जाँघ की कोई नस पूरी ताकत से दबा दी हो। वो दर्द से चीख उठा। पास में बैठी हुई नजमा भी उसकी चीख से सहम गयी।
नजमा- क्या हुआ बेटा तू ठीक तो है ना।
सैम- अहह... अम्मी मेरी जाँघ में बहुत दर्द हो रहा है अहह... प्लीज़ कुछ कीजिये अहह...
नजमा ने फौरन कुछ वर्कर्स को आवाज दी और सैम को एक गायनिक डा की पास ले जाया गया। वो दर्द से चीख रहा था। वो एक लेडी डा थी उसने सैम को लेट जाने की लिए कहा और उसकी पैंट नीचे खींच कर इधर उधर देखने लगी
सैम- अहह... प्लीज़ डा कुछ कीजिये अहह...
नजमा ये सब देख रही थी, उसे अजीब सी घबराहट हो रही थी की पता नहीं सैम को क्या हो गया है.
डा ने एक जेल्ली लेके सैम के लड पे लगाया और लण्ड को सहलाने लगी
नजमा- “ये आप क्या कर रहे है डा...”
डाॅ कुछ नहीं कहती और अपना काम चालू रखती है। एक पिचकारी सी निकलती है और डाॅ के पूरे ग्लबव्स उस पानी की धार से गीले हो जाते हैं।
जिससे सैम को थोड़ी राहत मिलती है।
डाॅ सैम को बाहर बैठने के लिए कहती है और नजमा से बात करने लगती है।
नजमा- “क्या हुआ डा... सैम ठीक तो है ना, उसे कुछ प्राब्लम तो नहीं हुई है ना...”
डाॅ- “घबराने की कोई बात नहीं है। पहले आप ये बताइए की समीर की शादी हो गयी है क्या...”
नजमा- जी नहीं...
डा- तो जल्द से जल्द उसके शादी कर दीजिये, कयोंकी उसके स्पर्म काफी आक्टिव हैं। शायद उसने काफी दिनों से मूठ नहीं मारी है जिसकी वजह से उसका सीमेन गाढ़ा हो गया है और वो पेशाब की नली में आके अटकने लगा है। अगर सैम के शादी हो चुकी होती तो इंटरकोर्स (चुदाई) की वजह से ये प्राब्लम नहीं आती।
नजमा समझ जाती है की ये क्यूँ हुआ 8 दिनों से सैम हास्पिटल में था और उसके आगे उसका दिमाग हर चीज समझ चुका था। नजमा पूछी- “डाॅ. जब तक सैम की शादी नहीं हो जाती तब तक क्या प्रिकाशन लेनी होगी...”
डाॅ.- “जब भी उसे ऐसा दर्द हो तो उसके सीमेन को बाहर निकालना बहुत जरूरी है वरना कुछ भी हो सकता है। अपने अभी देखी होंगी की जिस तरह मैंने सैम के सीमेन को बाहर निकाला उसी तरह शायद आपको भी उस कंडीशन में करना पड़ सकता है।
नजमा चुपचाप वहाँ से सैम को लेके घर पहुँच जाती है। नजमा डाॅ. की कहे हुई बातें फिरोज और महक को बताती है क्योंकी वो ये सब करना नहीं चाहती थी। वो चाहती थी की अगर सैम को दुबारा ये तकलीफ हो तो फिरोजा और महक कुछ करें।
Bahot behtareen shaandaar zaberdast lajawab updateरात 12 फिरोज़ा और महक अपने रूम में जा चुके थे। सैम नजमा के रूम में लेटा हुआ था पर उसे नींद नहीं आ रही थी। हालांकी उसका पानी आज दो मर्तबा निकल चुका था पर एक नयी खुशी का आलम उसपे सवार था।
उसे ऐसा लगने लगा था की शायद उसके इस दर्द की वजह से नजमा उसके करीब आ जाए। वो दिल में सोचने लगा की क्यूँ ना आज की रात अम्मी को सिड्यूस किया जाए और अगर किश्मत माहेरबन रही तो... वो यही सब बातों में गुम था की तभी नजमा रूम में बड़बड़ाते हुई दाखिल होती है।
नजमा- “बेशरम बेहया कमीनी कहीं की...”
सैम बेड पे उठके बैठ जाता है- “क्या हुआ अम्मी.
नजमा दरवाजा बंद कर देती है और सैम के पास आके बैठ जाती है- “देख सैम तू अभी बच्चा है और तेरी खाला और बहन तुझे जिस तरह से गुमराही के रास्ते पे ले जा रही हैं तू संभाल जा बेटा...
सैम- “अम्मी वो तो मेरा दर्द कम कर रही थी ना...” वो बड़े मासूमियत से बोला।
नजमा- “क्यों तेरी अम्मी मर गयी है क्या जो तू.
सैम मुश्कुराता हुआ- “अम्मी मैंने तो आपसे उम्मीद लगा रखा था इस मामले में पर आप है ना कोई हेल्प नहीं करती मेरी।
नजमा- “चल अब सो जा बहुत रात हो चुकी है...” और दोनों बेड पे एक दूसरे की तरफ मुँह करके लेट जाते हैं। नजमा बड़े गौर से सैम का चेहरा देख रही थी।
सैम- क्या हुआ अम्मी क्या देख रही हो।
नजमा- “देख रही हूँ की मेरा सोना बच्चा कितना बड़ा हो गया है...” उसका इशारा सैम के मोटे मूसल लण्ड पे था। जिससे सैम समझकर थोड़ा शर्मा सा जाता है और अपनी अम्मी की छाती से चिपक जाता है।
सैम- एक बात पूछूँ अम्मी.
नजमा- हाँ पूछ ना...
सैम- आपको वो सब देखकर जलन हो रही थी...
नजमा- मुझे क्यूँ जलन होने लगी, तू भी ना...
सैम नजमा का हाथ पकड़के अपने सर पे रख देता है- “तो खाओ मेरी सर की कसम...”
नजमा उसे गौर से देखती है और फिर धीमी आवाज में कहती है- “हाँ हो रही थी मुझे जलन बस अब खुश...”
सैम- क्यूँ अम्मी।
नजमा- तू जानता है सैम
सैम- नहीं... मैं नहीं जानता मुझे आपके मुँह से सुनना है।
नजमा- “मुझे नहीं पता, अब चुप हो जा और खबरदार जो दर्द होने पे फिरोज़ा या महक को आवाज दिया तो
सैम- तो फिर किसे आवाज दूं मैं.
नजमा- वो हम बाद में देखेंगे अभी तू सो जा बेटा
सैम- आगे कुछ नहीं बोलता और दोनों आँख बंद कर लेते है पर नींद उनकी आँखों से कोसों दूर थी। कुछ देर बाद- “अम्मी मुझे भूख लगी है.
नजमा- जा जाके दूध पीले।
सैम- मुझे ताजा दूध चाहिये।
नजमा- क्या मतलब...
सैम नजमा की नाइटी गले से निकाल देता है और ब्रा ऊपर सरका देता है। ये सब वो इतने स्पीड से करता है की नजमा उसे रोक ही नहीं पाती। बिना देरी किए वो नजमा की एक चूची अपने मुँह में लेके चूसने लगता है गलपसण्प्प... गलपण्प्प।
पहले पहले नजमा थोड़ा विरोध करती है पर कहीं ना कहीं उसका दिल भी यही चाह रहा था की सैम उसके साथ भी वो सब करे जो वो हमेशा से करना चाहता था। अब नजमा भी मुश्कुराते हुये अपनी चूचियां सैम के मुँह में घुसाने लगती है
नजमा सिसकारियां भरने लगती है- “अहह... सैम बेटा उन्ह... आराम से, काटो मत ना...”
सैम पूरा चूचियां मुँह में लेके चूसता जा रहा था हालांकि उसमें दूध नहीं था पर दोनों को ऐसे एहसास हो रहा था जैसे नजमा सच में सैम को दूध पिला रही हो और सैम भी बड़े प्यार से चूचियां मसल-मसलकर चूचियां को चूसता चला जा रहा था। अचानक सैम के दिमाग की घंटी बजती है और वो खड़ा हो जाता है।
नजमा जो अपने होश खोने लगी थी अचानक से जाग जाती है और नशीली आँखों से सैम को देखने लगती है- “क्या हुआ बेटा...”
सैम- “अम्मी मुझे दर्द हो रहा है.
नजमा भी जानती थी की ये सिर्फ़ सैम का बहाना है पर आज नजाने क्यूँ उसे सैम के इस बहाने पे भी बे-पनाह प्यार आ रहा था।
वो उठके बैठ जाती है और सैम की पैंट नीचे उतारके फेक देती है पर वो अब भी ब्रा और पैंटी में थी और सैम के लण्ड को अंडरवेर के ऊपर से ही मसल रही थी।
नजमा- “बेटा अब दर्द कम हुआ क्या...”
सैम- “अहह... नहीं अम्मी, पहले आप अपने कपड़े उतारों शायद आपको देखकर मेरा पानी निकल जाए और दर्द कम हो जाये...”
नजमा दिल में- “स्मार्ट बाय... बेटा मैं तेरी माँ हूँ, सब जानती हूँ तेरे दर्द को..” और नजमा सैम की आँखों में देखकर अपनी ब्रा और पैंटी भी निकल देती है। वो सैम के सामने घुटनों की बल बैठी हुई थी और सैम अंडरवेर में खड़ा हुआ था।
सैम- अहह... प्लीज़ अम्मी कुछ करो ना बहुत दर्द हो रहा है।
नजमा काँपते हाथों से सैम के अंडरवेर में एक हाथ डाल देती है। उसे सैम के लण्ड की झलक तो दिख गयी थी पर ललचाई नजमा और भी बहुत कुछ देखना चाहती थी। वो धीरे-धीरे अंडरवेर नीचे उतार देती है अब सैम का लटका हुआ लण्ड नजमा के मुँह की सामने था।
नजमा- “बेटा तू लेट जा मैं कुछ करती हूँ
सैम- अहह... अम्मी जल्दी कुछ करो मैं मर रहा हूँ।
नजमा मुश्कुराते हुई दिल में सोचने लगती है- “हाँ... पता है की तू किस चीज की लिए मर रहा है...” सैम के लण्ड को देखते ही नजमा के मुँह में पानी तो आ रहा था पर दिल पे अभी दिमाग का कब्ज़ा था।
वो पास में पड़ा हुआ तौलिया उठा लेती है और उसे सैम के लण्ड पे लपेटकर सहलाने लगती है।
सैम- अहह... अम्मी ऐसे नहीं होगा, आप रहने दो मेँ खाला को आवाज देता हूँ।
फिरोज़ा का नाम सुनते ही नजमा के तन-बदन में आग लग जाती है और वो गुस्से में तौलिया को फेंक देती है और बिना देर किए सैम के लण्ड को अपने मुँह में भरके चूसने लगती है गलपप्प्प...
सैम मारे खुशी के उछल पड़ता है आखिर नजमा ने उसका लण्ड अपने मुँह में ले ही लिया अहह... वो धीमी आवाज में सिसकने लगता है अहह... अम्मी गगग ऐसे ही... ओह कितना अच्छा लगता है आपके मुँह में अहह… चूस लो गगग अहह... अम्मी
नजमा- गलपप्प्प... गलपप्प्प... ऐसे ना सैम अहह... गलपप्प्प... गलपप्प्प... अहह...
वो बड़े तीजी से लण्ड को चुस रही थी और आज सैम की ज़िंदगी का सबसे खुश-गवार दिन था और इससे जोश में वो ना चाहती हुये भी पानी छोड़ देता है और जैसे ही सैम का पानी लण्ड से बाहर निकलता है नजमा अपना मुँह हटा लेती है और सैम के लण्ड को मुट्ठी में भरके जोर से हिलाने लगती है।
सैम सोच रहा था की शायद नजमा पानी पियेगी पर हाय रे किश्मत... जब सैम आज दिन भर में तीसरी बार झड़के शांत हुआ वो निठाल पड़ा बोझिल आँखों से नजमा को देख रहा था।
नजमा उसके चेहरे पे हाथ फेरकर वाश-बेसिन में अपना मुँह धोने चली जाती है। वो बिल्कुल नंगी थी और वाश- बेसिन पे झुकी हुई अपना चेहरा साफ कर रही थी
सैम बेड पे लेटा हुआ अपनी अम्मी की गाण्ड को देख रहा था और सोच रहा था की कब इसमें मैं अपना लण्ड घूसाऊँगा।
जब नजमा अपना चेहरा साफ करके मुड़ी तो सैम अपना लण्ड हाथ में लेके हल्के-हल्के हिला रहा था। वो सैम के पास आके बैठ जाती है और उसे समझाने लगती है- “देखो सैम बेटा, अगर कल तुम्हें दर्द महसूस हो तो तुम अपनी खाला या बहन की मदद नहीं लोगे, तुम समझ रहे हो ना मैं क्या चाहती हूँ
सैम- ज़ी अम्मी... मैं समझ रहा हूँ। दिल मैं- “चूत तो नहीं दे रही हो बस मेरे जज़्बात से खेल रही हो...” अम्मी कब दोगी...
नजमा- हँसते हुये क्या...
सैम- जाओ मैं आपसे बात नहीं करता और सैम बेड से उठके अपने रूम की तरफ बढ़ जाता है।
नजमा उसे जाने देती है। वो जानती थी की ये वक़्त सही नहीं है क्योंकी आज नजमा की एम-सी- पीरियड का अंतिम दिन था। वो बेड पे लेट जाती है और सुबह होने का इंतेजार करने लगती है क्योंकी नींद तो उसे भी नहीं आने वाली थे। उसके दिमाग में कया चल रहा था ये सिर्फ़ और सिर्फ़ नजमा जानती थी। बस इंतेजार था तो सुबह का।
सुबह का सूरज निकल चुका था पर सैम अभी तक नींद से जगा नहीं था शायद उसे कल रात बहुत गहरी नींद आई थी। नजमा उसके पास बैठी उसका चेहरा देख रही थी, तभी एक जोर की बिजली आसमान में गरजी और सैम की आँख खुल गयी
सैम- “गुड मार्निंग अम्मी...” उसके चेहरे पे गुलाब खिल रहे थे।
नजमा सैम का माथा चूमते हुये- “गुड मार्निंग मेरी जान... तुम्हें पता है रात भर बारिश होती रही और बाहर का नजारा देखने लायक है और तुम हो कि सोते पड़े रहे हो
सैम- अम्मी मेरे लिए तो आपके चेहरे से अच्छा नजारा और कोई हो ही नहीं सकता।
नजमा शर्मा जाती है और बनावटी गुस्सा देखते हुये- “बस-बस रहने दे, तेरी ये चापलूसी की बातें। चल जल्दी तैयार हो जा, तेरे नानू घर जा रहे हैं.
सैम- क्यूँ...
नजमा- “अरे उन्हें घर की याद आ रही है। फिरोज़ा और महक भी साथ जा रही हैं...” ये कहके नजमा का चेहरा लाल हो जाता है।
सैम- खुशी की मारे बेड पे बैठ जाता है इसका मतलब घर में सिर्फ़ हम दोनों ही रहने वाले हैं।
नजमा- जी नहीं सिर्फ आप क्योंकि मैं आफिस जाने वाली हूँ और ये कहके नजमा वहाँ से निकल जाती है।
सैम- आज नहीं अम्मी, आज नहीं।
जब सैम फ्रेश होके बाहर आया तो फिरोज़ा और महक के साथ-साथ सत्तारख़ान की भी जाने की तैयारी हो चुकी थी, सिर्फ़ सत्तारख़ान खुश थे। फिरोज़ा और महक का चेहरा उतरा हुआ था जिसे देख-देख सैम के साथ-साथ नजमा भी मुश्कुरा रही थी।
कुछ देर इधर-उधर की बातें करने की बाद नजमा और सैम तीनों को कार में बैठाकर
रवाना कर देते हैं।
Behtareen zaberdast shaandaar updateपिछले भाग में जब सैम फ्रेश होके बाहर आया तो फिरोज़ा और महक के साथ-साथ सत्तारख़ान की भी जाने की तैयारी हो चुकी थी, कुछ देर इधर-उधर की बातें करने की बाद नजमा और सैम तीनों को कार में बैठाकर रवाना कर देते हैं और नजमा किचेन में बर्तन साफ करने चली जाती है।
अब आगे
सैम अम्मी-अम्मी करते हुये वहाँ आ जाता है और पीछे से नजमा को पकड़ लेता है- “अम्मी आज मौसम बड़ा बेईमान है.
नजमा- वो तो रोज है रहता है।
सैम- अम्मी आपका दिल इस मौसम में कुछ करने को नहीं करता...
नजमा- ज़ी नहीं... अब जाओ मुझे काम करने दो फिर आफिस भी जाना है।
पर सैम के दिमाग में तो कुछ और ही चल रहा था। वो पीछे से नजमा की दोनों चूचियों को नाइटी में से निकालकर मसलने लगता है अहह...
नजमा- ऊउउ छोड़ो ना बेटा काम करने दो।
सैम अपनी जुबान नजमा के गले पे लगाके किस करते हुये- “अम्मी आई लोव यू...” और वो चूचियां मसलते हुई किस्सिंग शुरू रखता है।
नजमा जो कल रात से इसी पल के इंतेजार में थी की कब सैम उसे छेड़ता है वो सैम की इस हरकत से मचलने लगती है- “अहह... नहीं ना बेटा ये गलत है ना...”
सैम- अपनी अम्मी को प्यार करना कोई गलत नहीं है अम्मी। और सैम नजमा को गोद में उठाके बेडरूम में ले जाता है और उसकी नाइटी बदन से अलग कर देता है।
नजमा- अहह... नहीं सैम रुक जा वरना बहुत देर हो जायेगी बेटा अहह... वो खामोशी से अपने सारे कपड़े भी निकाल देता है। दोनों एक दूसरे के सामने बिल्कुल नंगे खड़े थे। नजमा की आँखें सैम के लटकते हुये लण्ड पे टिकी हुई थी और सैम की नजमा की चिकनी चूत पे। दोनों की सांसें फूली हुई थी पर दोनों जल्दी में नहीं थे।
सैम नजमा के पास आके उसे अपनी बाहों में भरके अपने होंठ उसके होंठों के पास लाता है- “अम्मी मैं आपको प्यार करना चाहता हूँ आपकी मर्ज़ी से... क्या आप मुझे अपना जिश्म रोज खुशी से दोगी...”
नजमा के होंठ लरज जाते हैं, जुबान हिल नहीं पाती, सैम ने उससे वो सवाल किया था जिसका जवाब उसने रात में जागते हुये ही सोच लिया था।
वो अपनी बाहें सैम के गले मेँ डाल देती है और उसकी आँखों में देखते हुये धीरे से कहती है- “समीर बेटा आज तू अपनी अम्मी को हमेशा-हमेशा के लिए अपनी बना ले, मुझे ऐसे प्यार कर की मैं दुनिया को भूल जाऊँ। मुझे इस घर में हर जगह, हर तरह से प्यार कर मैं तेरी गुलाम बन जाऊँ... अगर तू मेरा बेटा है तो तू आज मेरे दूध का कर्ज अदा कर दे। बना ले अपनी अम्मी को अपना। बोल करेगा ना मुझे प्यार, इस वादे के साथ की ये सिर्फ कुछ वक़्त की मोहब्बत नहीं बल्कि जिंदगी भर का साथ होगा...”
दोनों एक दूसरे की आँखों में देखते हुये मुस्कुराए और सैम ने अपनी अम्मी नजमा को अपनी बाहों में ऐसे समेटा की नजमा पिघलती चली गयी।
दोनों माँ बेटे एक दूसरे को चूम रहे थे, काट रहे थे, नजमा के नाखून सैम की पीठ पे उसे कुरेद रहे थे आज इश्क और जुनून का मिलन हो रहा था, वो जोश वो वाल वाला इतना ज्यादा था की उन्हें दर्द का एहसास भी नहीं हो रहा था।
सैम नजमा को बेड पे लेटा देता है और अपने पैदाइश की जगह को कुछ देर गौर से देखने लगता है। नजमा भी पैर खोलकर सैम को चूत और गाण्ड दिखाने लगती है। फिर धीरे से सैम अपनी जुबान से नजमा की चूत को पहले चूमता है और फिर उसे बड़े प्यार से चाटने लगता है गलपप्प्प...
नजमा अंदर तक कांप जाती है। उसके-रोम रोम में बिजलियां दौड़ रही थी और जिश्म सैम के हर चूमने से मचल उठता था। वो बस सिसक सकती थी और सैम के सर को अपनी चूत पे दबाती जा रही थी उन्हनन्… अहह... मेरा बेटा अहह... समीर आज अपनी अम्मी को उनह... नहीं नाआआ...
समीर ने नजमा के क्लिटोरिस को इतने प्यार से चाटते हुई मुँह में भरके काटता है की नजमा उछल पड़ती है।
नजमा की चूत से पानी रिस रहा था और वो जोश की इंतेहा पार करने की करीब थी। वो इंतेहा जिसके पार होने के बाद दो जिस्म एक हो जाते हैं और दुनिया की आवाज़ें उन्हें सुनाई नहीं देता। एक चीख के साथ नजमा की चूत थोड़ा सा पानी छोड़ देती है।
वो बेड पे बैठ जाती है और सैम के गुलाबी लण्ड को अपने हाथ में पकड़के मसलने लगती है।
सैम- अहह... अम्मी मुँह में लो ना मेरा।
नजमा- हाँ बेटा क्यूँ नहीं...” और नजमा सैम के लण्ड के सुपाड़ा को चूमने की बाद अपने मुँह में समा लेती है गलपणप्प्प गलपप्प्प...
सैम फिर लण्ड बाहर निकलता है और नजमा की जुबान पे रगड़ता है। दोनों एक दूसरे को देख रहे थे। नजमा सैम के आंडे पकड़के इस बार लण्ड अंदर तक लेके चूसने लगती है गल्रपप्प्प... गलपप्प्प...
सैम- अहह... अम्मी आपका मुँह कमाल का है गगग अहह...
नजमा पागल हुई जा रही थी वो कल रात में भी सैम का लण्ड चूस चुकी थी, आज वो जल्द से जल्द उसे अपनी चूत में लेना चाहती थी। वो सैम को बेड पे लेटाकर उसके ऊपर चढ़ जाती है और दोनों पैर उसके इर्द-गिर्द डालके अपनी चूत को उसके लण्ड पे रगड़ने लगती है
अहह... ये पहली मर्तबा लण्ड का एहसास उसकी चूत को और चिकना बना रहा था, और नीचे लेटा हुआ सैम अपनी अम्मी की मस्ती भरी आहें सुन रहा था।
सैम अपने लण्ड पे थूक लगाके उसे खड़ा कर देता है और सीधा नजमा की चूत के दोनों होंठों की बीच में टिका देता है। वो चाहता था की नजमा पहला धक्का मारे।
नजमा भी ये जान चुकी थी। वो मुश्कुराते हुये अपनी कमर को नीचे करने लगती है अहह... समीरररर बेटाअ उनह…
सैम जल्दी से दूसरा, फिर तीसरा और उसका लण्ड सनसनाता हुआ नजमा की चूत में घुस जाता है। वो सीधा बच्चेदानी पे टक्कर मार रहा था जिससे नजमा की कमर ऊपर को उठने लगती है।
नजमा की नजर सामने आईने पे जाती है जहाँ उसे अपना अक्स दिखाई देता है। अपने बेटे समीर के लण्ड पे कूदती नजमा बुरी तरह शर्मा जाती है, पर ये शरम दो पल के लिए थी। वो जोश मैँ अपनी कमर नीचे-ऊपर करने लगती है
नजमा- अहह... बेटा मैं थक गयी हूँ मुझे नीचे लेके चोदो ना।
सैम- अम्मी क्या कहा आपने फिर से कहो ना अहह...
नजमा- समीर बेटा, चोदो ना अपने अम्मी को नीचे लेके उनह... वो जानती थी की सैम क्या सुनना चाहता है। वो नीचे हो जाती है और सैम उसके ऊपर, दोनों अलग नहीं होते बस पोजीशन चेंज करते हैं।
सैम नजमा के दोनों पैर खोलकर सटा-सट अपना लण्ड नजमा की चूत में पेलने लगता है अहह... अम्मी आपकी चूत बहुत टाइट है अहह...
नजमा- हॉ बेटा, तेरे अब्बू के जाने के बाद मैं तो जैसे लण्ड का मजा ही भूल गयी थी। आज तूने मेरी चूत को जगा दिया है आज से इसकी देखभाल तेरे जिमेदारी है मेरे लाल अहह... अपने अम्मी को रोज चोदा कर अहह...”
दोनों एक दूसरे के होंठों को चूमते हुये जोर-शोर से चुदाई का मजा ले रहे थे आज नजमा को जन्नत मिल गई थी और सैम को उस जन्नत में जगह। दोनों इस कदर दुनिया से बेखबर थे की दुनिया से बेखबर अपने नयी दुनिया बसाने में मसरूफ थे।
सैम नजमा को एक करवट लेटा देता है और पीछे से अपना लण्ड अंदर-बाहर करने लगता है।
नजमा- 'उनह... आहिस्ता बेटा... दर्द होता है ना अहह...”
सैम- अम्मी मैं क्या करूँ मेरा लण्ड आपकी चूत का दीवाना हो चुका है वो और अंदर जाना चाहता है अहह...
नजमा सिसक रही थी उन्हूंहंहंहन दर्द हो रहा है रे... दोनों अपने आखिरी मोड़ पे थे, दोनों चिल्लाते हुई एक दूसरे के अंदर पानी छोड़ने लगते हैं अहहह...
सैम- अम्मी आहहह...
नजमा- उन्हंहंहन समीर बेटा अंदर अहह... और अंदर शायद नजमा सैम का पानी अपनी चूत की गहराईयों में लेना चाहती थी, इसलिये वो सैम को और अंदर करने का बोलती जा रही थी और सैम आखिरी झटके मारता हुआ झड़ जाता है, अहह...
कुछ देर बाद नजमा उठके बाथरूम में घुस जाती है। उसके पीछे-पीछे सैम भी चला जाता है।
नजमा- मुझे पेशाब तो करने दो।
सैम- करो ना अम्मी, मैंने कब मना किया है।
नजमा जैसे है पेशाब करने मुड़ती है सैम पीछे से नजमा की कमर को पकड़के अपना लण्ड उसकी गाण्ड के सुराख पे टिका देता है।
नजमा- “नहीं सैम, वहाँ नहीं बेटा मैंने आज तक नहीं लिया ना वहाँ...”
सैम- मुझसे प्यार करते हो ना आप...
नजमा- हाँ... पर बेटा अहह...
सैम को बस यही सुनना था, वो अपने लण्ड का सुपाड़ा नजमा की गाण्ड में घुसा देता है अहह... ये दर्द नजमा से बर्दाश्त नहीं होता और वो चिल्लाने लगती है “अहह... निकाल ले रे बेटा... अपनी अम्मी की गाण्ड फाड़ देगा क्या अहह...”
सैम- “अम्मी आज आपके तीनों सुराख में डालने की कसम खाया था मैंने, बस ये आखिरी है अहह... प्यार से करने दो वरना अहह...” उसके धक्कों की रफ्तार तेज होती जाती है।
नजमा बेहोश सी होने लगती है। ये दर्द सच में उसके लिए ना-काबिले बर्दाश्त था पर कहीं ना कहीं उसे भी इस दर्द का एक नया मजा आ रहा था। सैम नीचे लेट जाता है और नजमा को अपने ऊपर लेके फिर से अपना मूसल लण्ड उसकी गाण्ड मैं घुसा देता है।
नजमा काफी देर से पेशाब रोके हुई थी। वो सिसक-सिसककर मूतने लगती है अहह... वो पेशाब की धार सीधा सैम की जाँघ पे गिरती है और सैम नजमा को और जोर से पेलने लगता है अहह...
सैम- “अम्मी आपकी गाण्ड मारके मुझे वो मजा आ रहा है जो खाला और महक की चूत को मारने के बाद भी नहीं आया...”
नजमा- “न्हंहंहन... नाम ना ले उन दोनों का, मेरे बेटे को मुझसे छीन रही थी वो कमीनी उनह... पर तू सिर्फ मेरा है अहह... तेरे लिए तो मैं हर दर्द सह जाऊँगी रे अहह... जालिम आराम से मार ना उनह...”
सैम का पानी दूसरी मर्तबा नजमा की गाण्ड में निकलने लगता है और नजमा की चूत का पानी सैम की जाँघ पे। दोनों हलकान होके खड़े हो जाते हैं।
नजमा सैम को देखने लगती है और सैम के लण्ड को पकड़के मरोड़ती है- “बड़ा जालिम है तू सैम, देख मेरी चूत और गाण्ड की क्या हालत कर दिया तूने.
सैम- “अभी तो कुछ भी नहीं किया है अम्मीजान, ये सितम तो रोज बरपेगा आप पे
नजमा जैसे ही शावर के नीचे नहाने जाती है, सैम उसका हाथ पकड़कर उसे अपनी तरफ घुमा लेता है- “अम्मी मुझे पेशाब करना है.
नजमा- “कर ना बेटा...”
सैम- “आपके मुँह में करना है.
नजमा को ये बात बुरी लगनी चाहिये थी पर वो मुश्कुराके नीचे बैठ जाती है और अपना मुँह खोलकर कहती है- ले मूत मेरे मुँह में पिल्ला मुझे तेरा पेशाब...”
सैम अपना लण्ड पकड़के दो-तीन बार हिलता है और फिर सीधा पेशाब की धार नजमा के मुँह में छोड़ने लगता है। नजमा भी बड़े प्यार से वो पीती चली जाती है।
सैम का पेशाब नजमा को नहलाने लगता है उसकी धार अब नजमा के चेहरे और बालों को गीला करने लगती है। जिससे नजमा और जोश में आ जाती है।
जब सैम पूरी तरह नजमा को नहला देता है तो नजमा सैम के लण्ड को मुट्टी में लेके चूसने लगती है और बचा हुआ पेशाब भी निचोड़ लेती है। उसकी चूचियां पूरी तरह भीग चुकी थीं।
दोनों शावर शुरू करके उसके नीचे खड़ी हो जाती हैं। ठंडा ठंडा पानी जब जिस्म पे गिरता है तो दोनों के जिस्म की आग बुझने की बजाए और भड़क उठती है और नजमा नीचे से सैम का लण्ड पकड़ के मसलने लगती है।
दोनों एक दूसरे को चूम रहे थे और नजमा के मोटी-मोटी सुडौल चूचियां सैम की छाती से घिस रही थीं। ये मौसम और उसपे ये जोश-ए-जुनून दोनों माँ बेटे को पागल करने की लिए काफी था। वो आज रुकने वाली नहीं थी।
सैम से रहा नहीं जाता और वो फिर से नजमा को वहीं खड़ी-खड़ी चोद डालता है वो चुदाई बहुत लंबी चलती है और तकरीबन 20 मिनट बाद दोनों एक दूसरे को चूमते हुये बाथरूम से बाहर निकलते है।
दोनों एक दूसरे को तौलिये से पोंछने लगते है। दोनों की आँखों में चुदाई का नशा साफ नजर आ रहा था। वो फिर से उस नशे में खो जाना चाहते थे पर तभी आफिस से फोन आता है और नजमा और सैम को आफिस के लिए निकलना पड़ता है।
Bahot behtareen shaandaar updateचुदाई के बाद सैम और नजमा आफिस तो पहुँच तो गये पर ना सैम का किसी कम में दिल लग रहा था और ना नजमा का।
आफिस वर्क जल्दी से निपटाके नजमा सैम को अपने केबिन में बुलाती है। सैम जैसे ही केबिन में इंटर करता है नजमा उसे अपने से चिपका लेती है और उसके चेहरे पे, होंठों पे किस करती चली जाती है।
सैम भी पिछले एक घंटे से खुद को रोके हुये था। वो नजमा को अपनी छाती से इतने कस की दबाता है की नजमा की हल्की सी चीख निकल जाती है।
सैम- “अम्मी जल्दी घर चलो वरना यहीं आपको नंगी करके मैं शुरू हो जाऊँगा...”
नजमा- हाँ सैम अहह... मैं भी वही कह रही थी की चल, ले चल मुझे अपने साथ और नंगी करके कसके चोद रे बेटा अहह... आज से तीन दिन तक हम दोनों आफिस नहीं आयेगे। मैंने सोफिया को सब आफिस का काम समझा दी हूँ बस मुझे जल्द से जल्द ले चल बेटा।
दोनों की आँखें किसी शराबी की तरह लाल हुई जा रही थी। सैम नजमा के हाथ पकड़के उसे केबिन में बने बाथरूम में ले जाता है और उसे झुकाकर उसकी चूचियां पीछे से मसलने लगता है।
नजमा अहह... करते हुये मचलने लगती है। हकीकत में सैम से ज्यादा नजमा चुदाई के मूड में थी। सैम तो पिछले कई दिनों से कितनी चूतें मार चुका था पर नजमा पिछले कई सालों से प्यासी थी। और आज इस ख़ूँखार शेरनी को वो मिल गया था जिसकी उसके साथ-साथ उसकी चूत को भी तलाश थी।
सैम नजमा को नीचे बैठा देता है और अपनी पैंट नीचे करके अपना लण्ड बाहर निकल लेता है। नजमा एक पल की लिए सैम की आँखों में देखती है और फिर दूसरे ही पल सैम का लण्ड नजमा के मुँह में चला जाता है।
सैम अंदाजा लगा चुका था की इस वक्त नजमा को बहुत जोरों की प्यास लगी है क्यूंकी नजमा उस शिद्दत से सैम का लण्ड चूस रही थी की वो ना ठीक से सांस ले पा रही थी और ना हिल पा रही थी, बस हलक के अंदर तक सैम का लण्ड लेती चली जा रही थी।
नज़मा- गलपण्प्प गलपप्प्प... उन्हन्न्... सैम मुझसे बर्दाश नहीं हो रहा बेटा... चल ना घर गलपप्प्प... गलपप्प्प... मुझे ये अपनी चूत में, गाण्ड में हर जगह चाहिये मेरे लाल गल्पप्प्प... गलपप्प्प...
सैम नजमा को खड़ी कर देता है और उसके होंठों पे लगे हुये अपने सीमेन की कुछ बूँदें चाटकर उसके होंठों को साफ कर देता है- “चलो अम्मी हनीमून पे चलें..” और दोनों बिजली की रफ़्तार से आफिस से निकलते हैं और जैसे उड़ते हुई घर पहुँच जाते हैं।
सैम जैसे ही घर में दाखिल होता है नजमा उसकी गोद में उछलकर बैठ जाती है और सैम अपने दोनों हाथों से नजमा की कमर पकड़के उसे चूमता हुआ बेडरूम में ले जाता है। 2 मिनट से भी कम वक़्त में दोनों माँ बेटे बिल्कुल नंगे हो चुके थे, ना शर्म थी और ना हया, बस जुनून था इश्क़ का, हवस का और मोहब्बत का।
सैम का लाल गुलाबी लण्ड देखकर नजमा से रहा नहीं जाता और वो घुटनों के बल बैठके उसके लण्ड को हाथ में पकड़ लेती है। अहह...
नजमा- “बेटा आज दिन और रात भर ये मेरे सुराखों में रहेगा। खबरदार जो तूने इसे बाहर निकाला तो मुझसे बुरा कोई नहीं...”
बड़े प्यार से ये कहते हुई नजमा सैम के लण्ड को पहले चूमती है, और फिर गल्लपप्प्प गलपप्प्प... 7” इंच लंबा लण्ड ना जाने कहाँ नजमा के मुँह में गायब हो जाता है गलपप्प्प... गलपप्प्प
सैम- “हाहहह... अम्मी प्लीज़ थोड़ा आराम से खींचो ना अहह... दर्द हो रहा है अहह...”
नजमा- होने दे, सुबह तूने मुझपे रहम नहीं किया था गल्पप्प्प... गलपप्प्प... अब मेरे बारी गलपप्प्प..”
वो किसी नयी नवेली दुल्हन की तरह अपने जवान बेटे के लण्ड को निचोड़ रही थी। सैम झड़ने से कुछ देर पहले अपना लण्ड नजमा के मुँह से बाहर खींच लेता है और नजमा को चूमता हुआ बेड पे लेटा देता है।
दोपहर की धूप में नजमा की चिकनी चूत बहुत खूबसूरत लग रही थी। सैम नजमा के पैर थोड़े खोल देता है और अपनी जुबान से नजमा की जाँघ को चूमता है और फिर लिटाकर और दोनों उंगलियों से चूत के होंठों को खोलकर अपनी जुबान अंदर घुसा देता है। गलपप्प्प...
नजमा एक हाथ से सैम के बाल और एक हाथ से बेडशीट पकड़ लेती है- “अहह... जालिम मेरी चूत अहह... उनह… यह तूने क्या सितम ढा दिया रे सैम बेटा हाँ ऊडईई... अम्मीयीई... तेरे अब्बू ने कभी यहाँ नहीं चूमा और तू अपनी अम्मी को ये क्या बना रहा है अहह... मैं तेरी आदी हो गयी हूँ एक चुदाई में राजा बेटा अहह...” नजमा क्या बड़बड़ा रही थी, उसे खुद पता नहीं था की वो क्या कह रही है।
ये एहसास उसके लिए ऐसा था मानो जैसे गुलशन में मौसम का पहला फूल खिलने पे बागबान को होता है, अपनी मेहनत सफल होने का।
आज नजमा को फख्र महसूस हो रहा था की उसने एक ताकतवर मर्द को पैदा किया है, जो उसे हर तरह से खुश रखेगा। नजमा उठके अपने बेटे को देखने लगती है। पर सैम तो चूत चाटने में मगन था।
तभी नजमा सैम का सर पकड़के उसे अपने चूत पे दबाती है और सुरररर की आवाज की साथ सैम के मुँह पे पेशाब करने लगती है अहह...
सैम फिर भी अपना चेहरा नहीं हटाता बल्कि चूत के पानी की साथ-साथ पेशाब भी चाटने लगता है। अम्मी आपका पेशाब मधु से भी ज्यादा मीठा है गल्पप्प्प... गलपप्प्प... वो दो उंगलियां चूत के अंदर डालके बचा हुआ सारा पानी बाहर खींचने लगता है और चाटता चला जाता है गलपप्प्प... गलपप्प्प...
नजमा- “अहह... बेटा आ जा ना अपने अम्मी पे अब बर्दाश्त नहीं हो रहा है सैम उनह...”
सैम एक समझदार बेटा था। वो नजमा का हुकुम मानते हुये उसके दोनों पैरों को फैलाके अपना लण्ड उसकी चूत के ठीक मुँह पे लगा देता है।
नजमा- अहह... डाल ना बेटा अहह...
सैम- एक शर्त पे डालूँगा अम्मी
नजमा- बोल ना मुझे तेरी हर शर्त मंजूर है पहले डाल तो सही अहह...
सैम- वो शर्त ये है की ये मुझे इस चूत से अपना एक बच्चा चाहिये वो भी जल्द से जल्द बोलो दोगी ना मुझे अपनी मोहब्बत की निशानी।
नजमा- हननन्... दूँगी... तुझे जरूर दूँगी, मैं वादा करती हूँ उसके लिए तुझे दिन रात अपनी अम्मी को चोदना होगा अहह... बोल चोदेगा ना...”
सैम- जवाब अल्फ़ाज मैं नहीं लण्ड चूत के अंदर तक घुसाकर देता है।
नजमा- अहह... ऊडईई माँ... इतने जोर से अहह...
सैम- ऐसे चोदना होगा ना अम्मी आपको अहह...
नजमा- हाँ बेटा अहह... ऐसे ही अहह...
पच-पच की आवाज़ें और जोर-जोर से साँसों की तड़प पूरे रूम में गूंजने लगती है। दोनों एक दूसरे के जिश्म को नोच खरोंच रहे थे, कभी नजमा सैम के नीचे होती, तो कभी सैम नजमा के नीचे, पर लण्ड से चूत का मिलाप अलग नहीं हो रहा था।
नजमा सैम पे चढ़कर अपनी कमर नीचे ऊपर करते हुये अपने दोनों चुची सैम के मुँह के सामने लटका देती है- “अहह... चूसते हुये चोद बेटा हाँअ...”
सैम दोनों चूचियां को बारी-बारी चूसता हुआ अपना लण्ड नजमा की चूत की गहराईयों में पहुँचा रहा था अहह...
सैम का गाढ़ा पानी और नजमा का चिपचिपा चूत का पानी इतना ज्यादा था की वो बाहर निकलकर बेड पे गिरने लगता है।
नजमा के कमर तेजी से ऊपर-नीचे होने लगती है और सैम की कमर के झटके उसे अपने हलक में महसूस होते हैं वो घुटी-घुटी आवाज में सैम को धीरे-धीरे चोदने का कहती है पर जब जोश अपने पूरे शबाब पे हो तो कोई दुनियां की ताकत उसे रोक नहीं सकते अहह... उहनणन् धीरे अहह...
सैम- “न्हूंहंहंहन... धीरे तो चोद रहा हून् अम्मी ...” सैम नजमा को नीचे ले लेता है और तेज झटके मारने लगता है,
10 मिनट ऐसे ही ताकत से चोदने की बाद सैम का गाढ़ा पानी नजमा की चूत के मुंहाने तक भर देता है।
उसकी चूत किसी शराबी के जाम की तरह लबरेज हो चुकी थे। वो थके नहीं थे बस अपनी चढ़ी हुई सांस को नार्मल करने लगते हैं।
नजमा ऐसे ही नंगी किचेन में गाण्ड हिलाते हुये चली जाती है और कुछ नाश्ता ले आती है। दोनों बड़े मूश्किल से नाश्ता करते हैं और जैसे ही नाश्ता खतम होता है, सैम नजमा को वहीं झुकाकर उसकी कमर पे थप्पड़ मारता हुआ अपना लण्ड उसकी चूत में पेल देता है।
नजमा हल्के-हल्के सिसकती है।
सैम को ये पोजिशन बहुत पसंद थी। वजह ये थी की नजमा की चूत और गाण्ड दोनों सैम को दिखाई देती थी और वो किसी भी वक़्त किसी भी सुराख में अपना कीला ठोंक सकता था। सैम अपना लण्ड बाहर निकालता है।
नजमा- अहह... क्या हुआ बेटा...
सैम- “कुछ नहीं...” और सैम अपने लण्ड को नजमा की कमर पे मारते हुई मूतने लगता है। उसके पेशाब से नजमा सिहर उठती है और उसकी गाण्ड पूरी तरह सैम के पेशाब से तरबतर हो जाती है और चुत के अंदर डालके नजमा को चोदने लगता है।
नजमा- उनह... धीरे बेटा... तेरा लौड़ा है की हथौड़ा अहह... मेरी चूत चीर के रख दिया है तूने बेटा अहहह...
सैम- अम्मी आपकी चूत है ही ऐसी की लण्ड अंदर तक घुसता चला जाता है अहहह...
नजमा- “सुन सैम, मुझे पीछे से ले ना...”
सैम- अम्मी कहाँ से...
नजमा- अहह... मेरी गाण्ड में रे अहह...
सैम- आपको गाण्ड मरवाना अच्छा लगता है.
नजमा- हाँ सैम, बहुत अच्छा अहह...
सैम नजमा की कमर पकड़के उसे थोड़ा झुकाता है और अपने लण्ड पे थूक लगाके नजमा की गाण्ड में पेलता चला जाता है याहह।
नजमा- उनह... अहह... करते हुयेई सैम के लण्ड को अंदर की तरफ जगह देती है अहह...
सैम की ताकत और नजमा का जोश लण्ड को गाण्ड के अंदर ठोंक देते है और सैम दनादन नजमा की कमर पकड़के मारने लगता है।
नजमा- उहनणन् कितना जालिम है रे तू बेटा अहह... अपने अम्मी की गाण्ड मार रहा है अहह...
सैम- अम्मी की गाण्ड चूत मारना किस्मत वालों को नसीब होता है अहह... मैं तो ये रोज करने वाला हूँ.
नजमा के पैर खुलते चले गये और सैम का लण्ड कभी चूत में तो कभी गाण्ड के सुराख को खोलता चला गया।
वो चुदाई रात के 9 बजे तक चलती रही दोनों निढाल होके एक दूसरे को चूमते हुई सो गये, ना उन्होंने रात का खाना खाए और ना उन्हें भूख लगी थी। सैम का लण्ड अभी भी नजमा की चूत में था। और दोनों एक दूसरे की बाहों में सुकून की नींद में सोये हुये थे।
Nicesam firoja ke room me pura nanga baitha firoja ka intejar kar raha tha uska lund apni moti-moti naso ke saath kisi king cobra ki tarah fan uthaye funkar raha tha use bas firojha ki chikni chut dikh rahi thi jisme woh apne saanp ko ghusana chahata tha
20 min ke baad firoja apne haath me ek tel ki bottle liye room me dhakhil hoti hai aur aate hi room ka darvaja band kar deti hai
Sam uthke uske paas chala jata hai aur uske chuche maslate huye uski nighty ko utarne lagta hai firoja sirf nighty me thi aur woh buri tarah se tadap rahi thi sam ke liye.
woh ek jhatke me apne sar se nighty nikal deti hai ab dono puri tarah nange ek dusre ko chum rahe the sam ka lund firoja ki chut me ragad kha raha tha jisse woh uchal jati aur apni jangh kholke lund ko chut ki diwar pe ragadne lagti hai
Firoja - ahh… sam beta aahh…. ek min ruk… aur woh sam ki bed pe baithake tel ki bottel me se tel nikalke uske lund ki malish karne lagti hai
Sam - ahhh…. khala ye kya ahh…
Firoja - ye jaetoon kya tel hai, isse tera loada aur takatwar banega aur meri raatbhar kutayi karega ahhh…
aaj raat teri khala teri raand banke chudegi beta. mujhpe koi rahem na karna bas mujhe chodte jana raat bhar mere laal har surakh bhar de mera beta tere pane se ahh…
sam ka lund ek heere ki tarah chamak raha tha firoja ne uski ache se maalish ki thi
woh firoja ko apni gaod me bitha leta hai aur uske naajuk hontho ki chusne lagta hai
gluppp…. ahhh... khala mai chodunga aaj rat bhar.
woh firoja ki chut masalta huya uske hontho ka ras piya ja raha tha.
firoja se bardasht nahi hota aur woh sam ko bed pe litake uske aper ho jati hai woh jaldi se ek condom uske lund pe chada deti hai aur apne dono pair uske aaju-baju me dalke apni chut ko sam ke lund pe laga deti hai aur apni gaand ko neeche dabane lagti hai
Firoja - ahh… uhnnn…. ammiiii...bada hai ye tera harami ahh.. mar gayi teri khala ahhh… use drad bhi ho raha tha apr woh sab sahne ko taiyaar thi. unnn… jaalim aahhh… woh pura lund gatak chuki thi aur sam ki chati se chipak jati hai.
woh haaf rahi thi, apni saans sambhal rahi thi
tabhi sam sata-sat apna lund uski chut ke ander-bhahar karne lagta hai aahhh…
meri raand aahh.. tune mera kaam aasan kar diya ahh… ab tu nahi bachegi ha teri chut suja dunga mai aaj ahhh…
woh itne jor se firoja ko apni baaho me pakad ke lund pel raha tha ki firoja ki aankho me aansu aa gaye the aur chut puri tarah se akad gayi thi
Firoja - hunnn…. uuiiii…. ammmiiii…. gggggg.. chod na haram ke jane ahh.. bata na apni takat ahh…
ye chut tere lund ke liye hi bani hai ahhh… mar na unnhh… meri gand me nahi uunnhh.. beta waha nahi unnhhh…. aaram se uuu… ahhh..
sam uski gand me do ungliya dalke uski chut maare ja raha tha. woh puri taakat se lund andar pel raha tha
ahhh.. meri jan… khala aapki chut bahut naajuk hai ahhh.. meri jan chodne de ahh..
woh tabadtod jatko ki barsaat kiye hue firoja ki chut ko jagah-jagah se cheer deta hai aur ek jor ka jatka jo seedha firoja ki bacedani se ja takraya tha waha apna lund rok ke pani chodne lagta hai woh toh usne condom pahena tha warna firoja ki chut aaj hi uske pani se pregnant ho jati hai. woh jharne lagta hai
Firoja bhi apni dhuadhar chudai se pani chodne lagti hai - unn… meri jaan mere bacha, apni khala ko kitna acha chodta hai ahh.. aise hi chod raat bhar meri jaan, kyuki kal teri aami tujhe lene aa rahi hai.
Sam - "kya kal.. par khala woh toh ek hafte baad aane wali thi na."
sam bhi iss khabar se thoda udas ho jata hai aur woh firoja ko side me letake bathroom jane lagta hai
tabhi firoja use aawaz lagati hai - mujhe bhi mutna hai
Sam palatke use dekhta hai, woh sam ko goad me uthane ka ishara kar rahi thi.
sam uske paas jake use apni goad me uthake bathroom me le jata hai. firoja sam ki goad se utartne ko taiyar nahi thi woh wahi uski goad me mutne lagti hai uska paisaab sam ki chati se hota hua neeche lund ko bhigone lagta hai sam uski aisi harkat se uthta hai
woh firoja ki chut ko dekh raha tha jo thodi-thodi der se paisaab nikal rahi thi jab woh ruk jati hai toh sam use neeche bithake firoja ke bal khichta hai jisse firoja ka muh khul jata hai aur sam jaldi se apna lund uske muh me dal mutne lagta hai ahh… pi raand mera pani bhi pi le ahh.. ohh..
woh itne jor se mut raha tha ki firoja ke halak me ek dhar gir rahi thi jo seedha uske pait me ja rahi thi
firoja sam ka namkeen pani pe ke sisak uthti hai aur sam ka paisaab peene lagti hai - gluuppp… gluuppp… unn.. firoja lund ko chus ke phir se khada kar deti hai.
sam uski gardan pakad ke use wahi kutiya bana deta hai aur apne lund ko firoja ki chut me laga ke andar dalne lagta hai
Firoja - ahh.. kya kar raha hai haramjade, gaand hai woh meri ahh… nahi mat dal andar ahhh…
Sam - teri bahen ko chodu haramjadi, maarne de gaand, tu kuttiya hai meri aur ai tera kutta ahh.. aaj tujhe aisa chodunga ki tu mere aane tak lund nahi manegi ahhh… le haramjadi ahh.. woh apne lund ko kisi bhi tarah firoja ki gand me dalna chahta tha aur kaamyab bhi ho jata hai aur apna musal lund firoja ki choti si gand ke surakh me pel deta hai
Firoja behosh hone jaise ho gayi thi use bahut dard ho raha tha gand me se thoda khun bhi nikal gaya tha
wo sam ke tej jathko ki wajah se mutne lagti hai - uuuuhhnn madarchod apni ma ko chodna aise ahh.. mujhe chod de ahh… harami unhhh mar gayi re kutte unnhh..
Sam - use bhi chodunga chinal ahh… pahle teri toh le lu ahh… badi tight gaand hai teri firoja ahhh.. ekdum naram ahhh…
Firoja - unhh.. teri ammi ki bhi aisi gaand hai beta us raand ko bhi jamke chodna mera lauda mujse chin ke le jane aa rahi hai kameene ahhh… jaalim aise bhi koi chodta hai kya… uunnn.. woh nidal ho chuki thi aur dusri martaba pani chod rahe thi
sam bhi apna pani firoja ki gand me direct nikal raha tha - ahhh… ahhh...khala mujhe aise kisi ne chodne nahi diya zindagi me ahh.. woh bhi thak chuka tha magar chodne ka shok toh abhi apne pure josh me tha
us raat sam ne firoja ko 3 bar aur choda subah 6 baje tak unki chudai chali aur phir woh ek dusre ki baaho me nange hi so gaye