पिछले भाग में आबिद नजमा को उनकी चुदाई के बता देता है जिसे सुनके उसके होश उड़ जाते हैं और ये बात सैम को बताती है। फिर सैम कुछ सोच के नजमा को लेकर आबिद के रूम की तरफ चल देता है।
अब आगे
आबिद बेड पे उल्टा लेटा हुआ था। जब वो दोनों को इस वक़्त अपने रूम मेँ देखकर हैरान हो जाता है।
सैम आबिद के पास जाके बैठा जाता है- “क्या कहा तूने अम्मी से.
आबिद चुप था और नजमा बेजान सी उसके पास खड़ी थी।
सैम- “अब बोल ना... क्या कहा तूने
आबिद- “कहने का क्या है, तुम एक नंबर के हरामी इंसान हो भाई, तुमने अपनी अम्मी के साथ कितना कमीना काम किया है, तुम जानते भी हो। चले जाओ मेरे रूम से।
सैम- “अच्छा, मैं हरामी और तू क्या है... बोल क्या है तू साले गाण्डू... नजमा तुझे पता है ये तेरे लाल को कौन सा शौक है.
नजमा सैम को ऐसे देख रही थी मानो जैसे जल्द से जल्द उसे आबिद की राज पता करने हो।
आबिद खामोश हो जाता है
सैम- “बोल दूं.
नजमा- क्या बात है सैम बोलो ना
सैम- “आपके लाडले को गाण्ड मरवाने का शौक है। एक दो मर्तबा तो ये मुझसे भी मरवा चुका है। पता नहीं वहाँ मिलिटरी कैंप में कितनों को अपने ऊपर चढ़ा चुका होगा। गाण्डू साला...
बेटा एक बात अच्छी तरह जान ले की मैं और तेरी अम्मी एक दूसरे से बेपनाह मोहब्बत करते हैं और अगर हमारी मोहब्बत के बीच कोई आया ना तो मैं उसे मारूगा नहीं बलके जान से मार दूंगा। फिर वो कोई भी हो समझा ना... कोई भी मेरी नजमा को डराता
है। अब देख साले तेरा क्या हाल करता हूँ.
आबिद खौफजदा सा नजमा और सैम को देख रहा था। उसे बिल्कुल भी अंदाजा नहीं था की सैम उसके साथ क्या करने वाला है...
सैम अपने टी-शर्ट और पैंट निकाल देता है और उसका मुरझाया हुआ लण्ड आबिद के मुँह के सामने आ जाता है। आबिद के माथे पे पसीने के कतरे साफ दिखाई दे रहे थे। वो अभी भी नाइट पैंट में बैठा हुआ था
सैम एक जोरदार करारा थप्पड़ उसकी कमर पे जड़ देता है- “उतार कपड़े साले...”
आबिद पहले मना करता है फिर सैम के गुस्से को देखकर वो अपनी पैंट निकाल देता है।
नजमा जब आबिद के लण्ड को देखती है तो हैरत में पड़ जाती है। एक तरफ सैम का 8” इंच का मजबूत लण्ड और दूसरी तरफ आबिद का 5” इंच का छोटा सा पतला सा।
नजमा का दिल भी जोरों से धड़क रहा था। वो भी जानना चाहती थी की सैम क्या करेगा... वो कुछ बोल नहीं सकती थी, उसे सैम ने मना जो किया हुआ था।
सैम आबिद को उल्टा कर देता है और उसकी कमर को दोनो हाथों से चौड़ा करके नजमा को तेल उसकी गाण्ड की सुराख पे डालने को कहता है। नजमा वही करते जाती है जो सैम उसे कहता है।
तेल डालने के बाद आबिद की गाण्ड का सुराख एकदम चिकना हो चुका था। सैम अपने लण्ड पे थोड़ा सा थूक लगाके उसे आबिद की गाण्ड पे घिसता है। और फिर नजमा की आँखों में आँखें डालकर अपना मूसल धीरे-धीरे आबिद के सुराख में घुसने लगता है।
आबिद जोर-जोर से चिल्लाने लगता है। उसे बहुत शरम भी आ रही थी की वो अपनी अम्मी के सामने ऐसा कर रहा है। पर गाण्ड कहीं ना कहीं बहुत खुश थी की उसे अब नजमा का डर नहीं होगा।
जैसे-जैसे सैम का लण्ड आबिद की गाण्ड में घुस रहा था वैसे वैसे नजमा अपनी चूत को सहला रही थी। उसकी चूत बुरी तरह गीली हो चुकी थी पर वो जानती थी की सैम ये सब आने वाले वक़्त को आसान बनाने के लिए कर रहा है।
सैम के धक्के लगातार आबिद की गाण्ड में पड़ रहे थे और आबिद हर धक्के के साथ अपनी गाण्ड को और थोड़ा ऊपर उछाल देता था।
आबिद- 'सैम भाई ऐसे नहीं ना। मैंने तो सिर्फ़ अम्मी से पूछा था। ऐसे मत करो ना आप जो कहोगी वो मैं करूँगा अम्मी... भाई को कुछ बोलो ना...”
सैम पूरा का पूरा लण्ड आबिद की गाण्ड के सुराख में घुसाकर- “बोल निदा से शादी करेगा बोल्ल्ल
आबिद- “हनंन... करूँगा... पर एक शर्त पे की आप कभी-कभी मेरी लोगे.
सैम हँसने लगता है और साथ में नजमा भी।
सैम - “देखा नजमा, कितना बड़ा गाण्डू है ये साला । ठीक है बेटा लूँगा पर कभी-कभी और हाँ अगर ये बात किसी बाहर वाले को पता चली तो तुझे गाण्ड से लेके मुँह तक चीर दूँगा समझा ना...”
आबिद- “हाँ भाई जैसा आप कहो...”
सैम दनादन अपने धक्के आबिद की गाण्ड मैं जमा रहा था। उसे आबिद की गाण्ड मारना बिल्कुल पसंद नहीं थाहपर मजबूरी थी। कुछ देर बाद जब आबिद निठाल हो जाता है तो सैम अपना लण्ड उसकी गाण्ड से निकल देता है।
आबिद- “भाई एक बार मेरे सामने अम्मी की लो ना...”
सैम नजमा को देखता है- “क्या कहती हो.
नजमा शर्मा से जाती है- “नहीं... अभी नहीं...”
सैम- “अरे जानेमन... अब आ भी जा इस गाण्डू को भी देखना है की मैं तुझे कैसे चोदता हूँ.
नजमा का अंग अंग इस चुदाई को चाहता था। हर औरत चाहती है की जब वो चुदे तो कोई उसे देख रहा हो।
नजमा धीरे-धीरे सैम के करीब आती है और अपनी नाइटी निकालकर फेंक देती है। सैम झटके से उसे बेड पे उल्टा लेटा देता है और पीछे से नजमा की चूत में लण्ड घुसा देता है।
आबिद आँखें फाड़े ये सब देख रहा था। उसके लण्ड में भी जान आने लगी थी।
सैम बड़ी ताकत के साथ अपने धक्के मार रहा था और नजमा उतने है जोर से चीख रही थी।
नजमा आबिद की आँखों में देखने लगती है- “आबिद... इधर आ बेटा, देख ना तेरा भाई कैसे मुझे चोद रहा है तू नहीं करेगा...” नजमा की ये बात सुनके सैम और आबिद दोनों चाँक जाते हैं।
आबिद आगे बढ़ता है और अपना लण्ड नजमा के मुँह के पास ले जाता है।
नजमा- “मुँह में तो सिर्फ सैम का लूँगी। तू चूत में डाल दे रे.
सैम नजमा को अपने ऊपर ले लेता है और तेल उसकी गाण्ड पे लगाके नीचे से अपना लण्ड नजमा की गाण्ड में घुसाने लगता है। चूत अब बिल्कुल खाली थी।
सैम- “अब देख क्या रहा है डाल दे चूत में। तेरे अम्मी को आज हम दोनों का चाहिये...”
आबिद अपना लण्ड नजमा की चूत के पास लेकर अंदर घुसाने लगता है। पर वो इस काम में माहिर नहीं था।
नजमा उसके लण्ड को हाथ में पकड़के चूत की मुहाने पे लगा देती है और आबिद को कमर हिलाने को कहती है।
दोनों बेटे नजमा को आगे-पीछे से चोदने लगते हैं
नजमा पहली मर्तबा एक साथ दोनों सुराखों में लण्ड ले रही थी। आज उसके दिल की मुराद पूरी हो गयी थी ऊईईए माँ... काश मेरे और दो बच्चे होते तो दिन रात उनके लण्ड के नीचे पड़ी रहती।
सैम- “क्यूँ... मेरा लण्ड तुझे कम पड़ता है क्या...” वो ये कहते हुये गाण्ड में धककों की रफ़्तार बढ़ा देता है।
नजमा- उनह... नहीं ना सैम वो बात नहीं है इतने जोर से... तू क्यूँ रुक गया हरामी चोदता क्यूँ नहीं... दोनों लण्ड के बीच में नजमा पिसी जा रही थी।
एक तरफ से आबिद धक्का मारता तो दूसरी तरफ से सैम गाण्ड फाड़ देता। पर सबसे ज्यादा मजा नजमा को आ रहा था। वो सिसकारियां भरते जा रही थी और पसीने में तरबतर उसका जिस्म दोनों बच्चों से चिपकता जा रहा था।
सैम को ये बात अच्छी नहीं लग रही थी की नजमा आबिद से चुदा रही है। पर वो कर भी क्या सकता था जब वो घर की हर औरत को चोद चुका था तो नजमा क्यूँ ना अपने बेटे को ले ले।
कुछ देर बाद आबिद अपना लण्ड बाहर निकाल लेता है। शायद उसके लण्ड ने जवाब दे दिया था। वो उसे साफ करने बाथरूम में घुस जाता है।
सैम भी अपना लण्ड नजमा की गाण्ड से निकल लेता है और उसे हाल में छोड़कर अपने रूम में चला जाता है।
नजमा सैम को जाता देखते रह जाती है। उसे सैम से इस तरह की बिल्कुल उम्मीद नहीं थी। पर वो ये भूल गयी थी की आखिर सैम भी तो एक मर्द है और मर्द दर्द भले ही बर्दाश्त कर ले पर ये कभी नहीं देख सकता की उसकी प्रापर्टी पे कोई दूसरा मुँह मारे।
नजमा सैम के दरवाजा के पास जाके उसे आवाज देती है। पर अंदर से कोई जवाब नहीं आता तो वो बोझिल दिल की साथ अपने रूम में चली जाती है।
तभी उसके मोबाइल पे फिरोजा का फोन आता है। वो फोन नजमा के साथ-साथ पूरे घर की मेंबर्ज़ को हिलाकर रख देता है।
सैम के नाना सत्तारख़ान इस दुनिया को हमेशा-हमेशा की लिए छोड़कर चले गये थे।
नजमा अपने परिवार के साथ फिरोजा के घर पहुँचते हैं। वहाँ का दर्दनाक मंजर देखकर सभी के कलेजे हलक को आने को थे। फिरोजा अपने अब्बू के बेजान जिश्म से लिपटकर जोरों रो रही थी। आँसुओं का सैलाब अब रुकने का नाम नहीं ले रहा था।
नजमा फिरोजा को संभालते-संभालते खुद भी रो पड़ती।
आखिर समीर एक मेच्यूर मर्द की तरह हर किसी को संभालता है और कुछ वक़्त बाद सत्तारख़ान को अपने आखिरी आरामगाह तक पहुँचा दिया जाता है।
तीन दिन बाद नजमा फिरोजा को अपने साथ ले आती है। वो अकेले उस जगह नहीं रह सकती थी। कहते हैं वक़्त हर जख़्मों को भर देता है। यहाँ भी वक़्त ने अपना कमाल दिखाया और धीरे-धीरे वो अपनी धुँधली यादों में छोड़ आए।
सत्तारख़ान को गुजरे दो महीने हो चुके थे। सभी अपने मुताबिक जिंदगी गुजार रहे थे। पर दो लोगों की जिंदगी में पिछले कुछ महीनों से वीरानियां छाई हुई थीं।
समीर अब भी नजमा से खफा था। वो ठीक तरह से नजमा से बात भी नहीं कर रहा था। नजमा ने कई मर्तबा उसे खुद से बात करनी चाही पर सैम उसकी बात का कोई जवाब ना देते हुये वहाँ से निकल जाता।
इस दौरान समीर ने ना निदा को छुआ था और ना महक के करीब गया था। वो दोनों ये समझ रही थी की शायद सैम नाना के गम में डूबा हुआ है। पर अंदर ही अंदर सैम घुट रहा था और ये घुटन सिर्फ नजमा दूर कर सकती थी।