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Incest Ek Raja, Ek Ghulam, Char Raniyan

Incestlala

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पिछले भाग में आबिद नजमा को उनकी चुदाई के बता देता है जिसे सुनके उसके होश उड़ जाते हैं और ये बात सैम को बताती है। फिर सैम कुछ सोच के नजमा को लेकर आबिद के रूम की तरफ चल देता है।

अब आगे


आबिद बेड पे उल्टा लेटा हुआ था। जब वो दोनों को इस वक़्त अपने रूम मेँ देखकर हैरान हो जाता है।


सैम आबिद के पास जाके बैठा जाता है- “क्या कहा तूने अम्मी से.


आबिद चुप था और नजमा बेजान सी उसके पास खड़ी थी।


सैम- “अब बोल ना... क्‍या कहा तूने


आबिद- “कहने का क्या है, तुम एक नंबर के हरामी इंसान हो भाई, तुमने अपनी अम्मी के साथ कितना कमीना काम किया है, तुम जानते भी हो। चले जाओ मेरे रूम से।


सैम- “अच्छा, मैं हरामी और तू क्‍या है... बोल क्या है तू साले गाण्डू... नजमा तुझे पता है ये तेरे लाल को कौन सा शौक है.


नजमा सैम को ऐसे देख रही थी मानो जैसे जल्द से जल्द उसे आबिद की राज पता करने हो।

आबिद खामोश हो जाता है


सैम- “बोल दूं.


नजमा- क्‍या बात है सैम बोलो ना


सैम- “आपके लाडले को गाण्ड मरवाने का शौक है। एक दो मर्तबा तो ये मुझसे भी मरवा चुका है। पता नहीं वहाँ मिलिटरी कैंप में कितनों को अपने ऊपर चढ़ा चुका होगा। गाण्डू साला...

बेटा एक बात अच्छी तरह जान ले की मैं और तेरी अम्मी एक दूसरे से बेपनाह मोहब्बत करते हैं और अगर हमारी मोहब्बत के बीच कोई आया ना तो मैं उसे मारूगा नहीं बलके जान से मार दूंगा। फिर वो कोई भी हो समझा ना... कोई भी मेरी नजमा को डराता
है। अब देख साले तेरा क्या हाल करता हूँ.


आबिद खौफजदा सा नजमा और सैम को देख रहा था। उसे बिल्कुल भी अंदाजा नहीं था की सैम उसके साथ क्या करने वाला है...


सैम अपने टी-शर्ट और पैंट निकाल देता है और उसका मुरझाया हुआ लण्ड आबिद के मुँह के सामने आ जाता है। आबिद के माथे पे पसीने के कतरे साफ दिखाई दे रहे थे। वो अभी भी नाइट पैंट में बैठा हुआ था


सैम एक जोरदार करारा थप्पड़ उसकी कमर पे जड़ देता है- “उतार कपड़े साले...”


आबिद पहले मना करता है फिर सैम के गुस्से को देखकर वो अपनी पैंट निकाल देता है।


नजमा जब आबिद के लण्ड को देखती है तो हैरत में पड़ जाती है। एक तरफ सैम का
8” इंच का मजबूत लण्ड और दूसरी तरफ आबिद का 5” इंच का छोटा सा पतला सा।


नजमा का दिल भी जोरों से धड़क रहा था। वो भी जानना चाहती थी की सैम क्या करेगा... वो कुछ बोल नहीं सकती थी, उसे सैम ने मना जो किया हुआ था।


सैम आबिद को उल्टा कर देता है और उसकी कमर को दोनो हाथों से चौड़ा करके नजमा को तेल उसकी गाण्ड की सुराख पे डालने को कहता है। नजमा वही करते जाती है जो सैम उसे कहता है।


तेल डालने के बाद आबिद की गाण्ड का सुराख एकदम चिकना हो चुका था। सैम अपने लण्ड पे थोड़ा सा थूक लगाके उसे आबिद की गाण्ड पे घिसता है। और फिर नजमा की आँखों में आँखें डालकर अपना मूसल धीरे-धीरे आबिद के सुराख में घुसने लगता है।



आबिद जोर-जोर से चिल्लाने लगता है। उसे बहुत शरम भी आ रही थी की वो अपनी अम्मी के सामने ऐसा कर रहा है। पर गाण्ड कहीं ना कहीं बहुत खुश थी की उसे अब नजमा का डर नहीं होगा।


जैसे-जैसे सैम का लण्ड आबिद की गाण्ड में घुस रहा था वैसे वैसे नजमा अपनी चूत को सहला रही थी। उसकी चूत बुरी तरह गीली हो चुकी थी पर वो जानती थी की सैम ये सब आने वाले वक़्त को आसान बनाने के लिए कर रहा है।


सैम के धक्के लगातार आबिद की गाण्ड में पड़ रहे थे और आबिद हर धक्के के साथ अपनी गाण्ड को और थोड़ा ऊपर उछाल देता था।


आबिद- 'सैम भाई ऐसे नहीं ना। मैंने तो सिर्फ़ अम्मी से पूछा था। ऐसे मत करो ना आप जो कहोगी वो मैं करूँगा अम्मी... भाई को कुछ बोलो ना...”


सैम पूरा का पूरा लण्ड आबिद की गाण्ड के सुराख में घुसाकर- “बोल निदा से शादी करेगा बोल्ल्ल


आबिद- “हनंन... करूँगा... पर एक शर्त पे की आप कभी-कभी मेरी लोगे.


सैम हँसने लगता है और साथ में नजमा भी।


सैम - “देखा नजमा, कितना बड़ा गाण्डू है ये साला । ठीक है बेटा लूँगा पर कभी-कभी और हाँ अगर ये बात किसी बाहर वाले को पता चली तो तुझे गाण्ड से लेके मुँह तक चीर दूँगा समझा ना...”


आबिद- “हाँ भाई जैसा आप कहो...”


सैम दनादन अपने धक्के आबिद की गाण्ड मैं जमा रहा था। उसे आबिद की गाण्ड मारना बिल्कुल पसंद नहीं थाहपर मजबूरी थी। कुछ देर बाद जब आबिद निठाल हो जाता है तो सैम अपना लण्ड उसकी गाण्ड से निकल देता है।


आबिद- “भाई एक बार मेरे सामने अम्मी की लो ना...”


सैम नजमा को देखता है- “क्या कहती हो.


नजमा शर्मा से जाती है- “नहीं... अभी नहीं...”


सैम- “अरे जानेमन... अब आ भी जा इस गाण्डू को भी देखना है की मैं तुझे कैसे चोदता हूँ.


नजमा का अंग अंग इस चुदाई को चाहता था। हर औरत चाहती है की जब वो चुदे तो कोई उसे देख रहा हो।


नजमा धीरे-धीरे सैम के करीब आती है और अपनी नाइटी निकालकर फेंक देती है। सैम झटके से उसे बेड पे उल्टा लेटा देता है और पीछे से नजमा की चूत में लण्ड घुसा देता है।

आबिद आँखें फाड़े ये सब देख रहा था। उसके लण्ड में भी जान आने लगी थी।


सैम बड़ी ताकत के साथ अपने धक्के मार रहा था और नजमा उतने है जोर से चीख रही थी।


नजमा आबिद की आँखों में देखने लगती है- “आबिद... इधर आ बेटा, देख ना तेरा भाई कैसे मुझे चोद रहा है तू नहीं करेगा...” नजमा की ये बात सुनके सैम और आबिद दोनों चाँक जाते हैं।


आबिद आगे बढ़ता है और अपना लण्ड नजमा के मुँह के पास ले जाता है।


नजमा- “मुँह में तो सिर्फ सैम का लूँगी। तू चूत में डाल दे रे.


सैम नजमा को अपने ऊपर ले लेता है और तेल उसकी गाण्ड पे लगाके नीचे से अपना लण्ड नजमा की गाण्ड में घुसाने लगता है। चूत अब बिल्कुल खाली थी।


सैम- “अब देख क्‍या रहा है डाल दे चूत में। तेरे अम्मी को आज हम दोनों का चाहिये...”


आबिद अपना लण्ड नजमा की चूत के पास लेकर अंदर घुसाने लगता है। पर वो इस काम में माहिर नहीं था।

नजमा उसके लण्ड को हाथ में पकड़के चूत की मुहाने पे लगा देती है और आबिद को कमर हिलाने को कहती है।

दोनों बेटे नजमा को आगे-पीछे से चोदने लगते हैं


नजमा पहली मर्तबा एक साथ दोनों सुराखों में लण्ड ले रही थी। आज उसके दिल की मुराद पूरी हो गयी थी ऊईईए माँ... काश मेरे और दो बच्चे होते तो दिन रात उनके लण्ड के नीचे पड़ी रहती।


सैम- “क्यूँ... मेरा लण्ड तुझे कम पड़ता है क्या...” वो ये कहते हुये गाण्ड में धककों की रफ़्तार बढ़ा देता है।


नजमा- उनह... नहीं ना सैम वो बात नहीं है इतने जोर से... तू क्यूँ रुक गया हरामी चोदता क्यूँ नहीं... दोनों लण्ड के बीच में नजमा पिसी जा रही थी।


एक तरफ से आबिद धक्का मारता तो दूसरी तरफ से सैम गाण्ड फाड़ देता। पर सबसे ज्यादा मजा नजमा को आ रहा था। वो सिसकारियां भरते जा रही थी और पसीने में तरबतर उसका जिस्म दोनों बच्चों से चिपकता जा रहा था।


सैम को ये बात अच्छी नहीं लग रही थी की नजमा आबिद से चुदा रही है। पर वो कर भी क्‍या सकता था जब वो घर की हर औरत को चोद चुका था तो नजमा क्यूँ ना अपने बेटे को ले ले।


कुछ देर बाद आबिद अपना लण्ड बाहर निकाल लेता है। शायद उसके लण्ड ने जवाब दे दिया था। वो उसे साफ करने बाथरूम में घुस जाता है।

सैम भी अपना लण्ड नजमा की गाण्ड से निकल लेता है और उसे हाल में छोड़कर अपने रूम में चला जाता है।

नजमा सैम को जाता देखते रह जाती है। उसे सैम से इस तरह की बिल्कुल उम्मीद नहीं थी। पर वो ये भूल गयी थी की आखिर सैम भी तो एक मर्द है और मर्द दर्द भले ही बर्दाश्त कर ले पर ये कभी नहीं देख सकता की उसकी प्रापर्टी पे कोई दूसरा मुँह मारे।


नजमा सैम के दरवाजा के पास जाके उसे आवाज देती है। पर अंदर से कोई जवाब नहीं आता तो वो बोझिल दिल की साथ अपने रूम में चली जाती है।


तभी उसके मोबाइल पे फिरोजा का फोन आता है। वो फोन नजमा के साथ-साथ पूरे घर की मेंबर्ज़ को हिलाकर रख देता है।


सैम के नाना सत्तारख़ान इस दुनिया को हमेशा-हमेशा की लिए छोड़कर चले गये थे।


नजमा अपने परिवार के साथ फिरोजा के घर पहुँचते हैं। वहाँ का दर्दनाक मंजर देखकर सभी के कलेजे हलक को आने को थे। फिरोजा अपने अब्बू के बेजान जिश्म से लिपटकर जोरों रो रही थी। आँसुओं का सैलाब अब रुकने का नाम नहीं ले रहा था।


नजमा फिरोजा को संभालते-संभालते खुद भी रो पड़ती।


आखिर समीर एक मेच्यूर मर्द की तरह हर किसी को संभालता है और कुछ वक़्त बाद सत्तारख़ान को अपने आखिरी आरामगाह तक पहुँचा दिया जाता है।


तीन दिन बाद नजमा फिरोजा को अपने साथ ले आती है। वो अकेले उस जगह नहीं रह सकती थी। कहते हैं वक़्त हर जख़्मों को भर देता है। यहाँ भी वक़्त ने अपना कमाल दिखाया और धीरे-धीरे वो अपनी धुँधली यादों में छोड़ आए।


सत्तारख़ान को गुजरे दो महीने हो चुके थे। सभी अपने मुताबिक जिंदगी गुजार रहे थे। पर दो लोगों की जिंदगी में पिछले कुछ महीनों से वीरानियां छाई हुई थीं।


समीर अब भी नजमा से खफा था। वो ठीक तरह से नजमा से बात भी नहीं कर रहा था। नजमा ने कई मर्तबा उसे खुद से बात करनी चाही पर सैम उसकी बात का कोई जवाब ना देते हुये वहाँ से निकल जाता।

इस दौरान समीर ने ना निदा को छुआ था और ना महक के करीब गया था। वो दोनों ये समझ रही थी की शायद सैम नाना के गम में डूबा हुआ है।
पर अंदर ही अंदर सैम घुट रहा था और ये घुटन सिर्फ नजमा दूर कर सकती थी।
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Junglee

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करीब दोपहर 2 बजे घर के सभी लोग हाल में बैठे हुये थे। फिरोजा को ये बात पता चल चुकी थी की निदा और महक माँ बनने वाली हैं और उनका तीसरा महीना शुरू है।


फिरोजा बात शुरू करती है- “समीर अब वक़्त आ गया है कि तुम अपनी जिम्मेदारी संभालो। अब्बू को गुजरे दो महीने हो गये हैं पर तुम तो जानते हो की निदा और महक की क्‍या हालत है। हम सब ये चाहते हैं कि तुम और महक शादी कर लो और आबिद की शादी निदा के साथ करवा दी जाए। दुनिया वालों को पता भी नहीं चलेगा और हम सब बदनामी से भी बच जायेंगे...”


सभी की निगाहें सैम की तरफ टिकी हुयी थी। आखिर उसका फैसला ही सबकी किस्मत बदलने वाला था।


वो फिरोजा की तरफ देखता है और कहता है- “मैं शादी की लिए तैयार हूँ पर एक बात मुझे आपसे कहना है। मेरे दोस्त काशिफ के बड़े भाई जिनकी वाइफ का पिछले साल देहांत हो गया था वो आपसे शादी करना चाहते हैं। उन्होंने आपको नानू की बरसी पे देखा था और तब से काशिफ मेरे पीछे पड़ा है। वक़्त और हालत सही नहीं थे इसलिए मैंने आपसे बात नहीं किया। पर अब मैं समझता हूँ की वो वक़्त आ गया है। काशिफ के भाई निहायत ही शरीफ और खुश-मिजाज इंसान हैं। और वो हमारे ही आफिस में पिछले 5 साल से काम कर रहे हैं। अगर आप हाँ कही?” तो हमारे साथ-साथ आपके भी.


फिरोजा - “मेरी ज़िंदगी का फैसला बाजी करेंगी...”


नजमा मुश्कुराते हुये फिरोजा का माथा चूम लेती है और देखते ही देखते फिरोजा की शादी फिक्स हो जाती है।

वक़्त अपनी रफ़्तार से बढ़ रहा था।


फिरोजा शादी की शॉपिंग करने निदा और आबिद को साथ ले जाती है। वो बहुत खुश थी आखिर उसका घर जो बसने वाला था।


फिरोजा के मार्केट चले जाने के बाद नजमा कुछ सोचते हुये सैम के रूम का रुख करती है। वो जानती थी की महक उसके रूम में लेटी हुई है पर आज उसका दिल किसी भी तूफान को बर्दाश्त करने के काबिल था।


समीर अपने बेड पे बैठा हुआ था, तभी नजमा उसके रूम में दाखिल होती है। एक नजर सैम उसकी तरफ देखता है और फिर दूसरे ही पल वो अपना रुख मोड़ लेता है। नजमा उसके पास जाती है और उसके कंधे पे सर रख देती है- “मुझसे नाराज हो.


सैम कोई जवाब नहीं देता



नजमा फिर पूछती है- “मुझसे सचमुच में नाराज हो


सैम उठके खड़ा हो जाता है- “आप जाओ यहाँ से मुझे आपसे कोई बात नहीं करनी...”


नजमा की आँखें नम हो जाती हैं और वो सैम का कंधा पकड़के अपनी तरफ घुमा लेती है- “देखो मेरी आँखों में… अब मैं नजमा से आप हो गयी, इतनी बेरुखी इतनी नफरत... आखिर मेरा गुनाह क्‍या है बताओ मुझे...”


सैम नजमा को पीछे से पकड़ लेता है और एक हाथ उसकी गर्दन में डालके दूसरे हाथ से उसका टाप फाड़ देता है। उसे इतना गुस्सा आ रहा था की पता नहीं वो नजमा की जान ही ले ले। वो अपने दूसरे हाथ को नजमा की पैंटी में घुसा देता है और चिल्लाने लगता है।



सैम- “मुझसे पूछते हैं तेरा गुनाह क्‍या है... साली मेरी मोहब्बत में तुझे कौन सी कमी दिखाई दी जो तूने उस गान्डू को अपने ऊपर चढ़वाया तेरी ये चूत सिर्फ़ मेरी है समझी। मैं बिल्कुल ये बर्दाश्त नहीं कर सकता की तू किसी और के आस-पास भी दिखाई दे...” वो नजमा के निपल मरोड़ रहा था जिससे नजमा के आँसू निकलने लगे थे, पर वो सब बर्दाश्त कर रहा थी। वो जानती थी की सैम का गुस्सा अपनी जगह जायेज है।

वो उसे बाहर निकालना चाहती थी। सैम उसपे चिल्लाये जा रहा था और आखिरकार सैम बेड पे बैठ जाता है।



नजमा अपने आँसू पोंछती है और सैम के कदमों में नीचे बैठ जाती है- “मैं जानती हूँ वो गलत है। तुम मुझसे मोहब्बत करते हो, तुम ये नहीं देख सकते की मैं किसी और की नीचे रहूं... पर क्या तुम मेरी एक बात का जवाब दे सकते हो...

मैं ये कैसे देख सकती हूँ की तुम मुझसे इतनी मोहब्बत के दावे करने वाले, एक नहीं बल्कि इस खानदान की हर औरत और मर्द के साथ जिस्मानी रिश्ते बना चुके हो। एक तरफ तुम ये कहते हो की तुम मुझसे बेपनाह मोहब्बत करते हो, और दूसरी तरफ तुम मेरी आँखों के सामने मेरी बहन, बेटी और बहू के साथ वो सब करते हो जो कोई प्यार करने वाला अपनी मोहब्बत के सामने नहीं करता।

मैं इससे क्या समझूं... प्यार या हवस... तुम एक मर्द हो और मर्द उस भंवरे की तरह होता है जो कभी इस फूल पे, तो कभी उस फूल पे। पर हम औरतें उस गुलाब की तरह हैं जो ये जानते हैं की एक ना एक दिन या तो हम शाख से तोड़ लिए जायेंगे या फिर किसी के पैरो तले रौंद दिए जायेंगे।


तुम मुझसे मोहब्बत का दावा करते हो ना... तो देखो यहाँ... यहाँ मेरे पेट पे हाथ रखो कुछ महसूस हुआ... इसमें तुम्हारी निशानी अपनी जगह बना चुकी है। आज पूरे दो महीने हो गये हैं मुझे प्रेग्नेंट हुए |

हर एक दिन मैँ ये सोचकर गुजार देती हूँ की आज तुम आओगे, आज मुझे अपने बाहों में लोगे , आज यहाँ चूमोगे, मुझे मुबारक बाद दोगे। मगर नहीं तुम अपने आन, अपने घमंड में इतने चूर हो गये की तुम्हें ना मैं दिखायी दी और ना मेरी मोहब्बत। आज मैं खुद को टूटा हुआ महसूस कर रही हूँ समीर सिर्फ़ तुम्हारी वजह से.


ये कहते-कहते वो रो पड़ती है आँसू एक कतार में उसकी आँखों से बह रहे थे। और समीर किसी ज़िंदा लाश की तरह नजमा को अपने सामने रोता देख रहा था। वो दिल ही दिल में रो पड़ता है।


उसे आज एक औरत की मोहब्बत का, उसके जज्बात का पता चला था। आज तक सैम ने औरत का सिर्फ़ एक रूप देखा था पर हकीकत में उसकी आँखें आज खुली थी वो नजमा को अपनी बाहों में समेट लेता है और उसके आँसुओं को अपने हाथों से साफ करने लगता है।



सैम- “मत रो मेरी जान... मुझे पता ही नहीं था की तुम प्रेगनेंट हो। अरे आज तुमने मुझे वो खुशी दी है जो मैं हमेशा से चाहता था। अपने जिंदगी में मैं इतना खुश कभी नहीं था मुझे माफ कर दो नजमा प्लीज़्ज़्ज़ मुझे माफ कर दो...” वो नजमा के पेट पे हाथ फेरने लगता है जिससे नजमा के आँसू बहना बंद हो जाते हैं और पूरे जिश्म में बिजली सी दौड़ जाती है।


सैम के होंठ नजमा के कानों में सरगोशी करने लगते हैं- “मेरी जान नजमा... मैं इस बच्चे को अपना नाम दूँगा, ये हमारा बच्चा कहलाएगा। हाँ महक के साथ-साथ मैं तुझसे भी शादी करूँगा और उसके बाद तू हमेशा-हमेशा की लिए मेरे कहलाएगी।


नजमा यही तो सैम के मुँह से सुनना चाहती थी। दोनों की सारे दर्द-ओ-गम उन आँसुओं में धुल गये थे। वो एक दूसरे की बाहों में सिमटते चले जाते हैं। होंठों से होंठ ऐसे मिलते हैं की अलग ना हो पायें।


बाहर खड़ी महक ये सब सुन रही थी और एक खुशी की चमक उसके चहरे पे भी दिखाई दे रही थी। जब सैम सामने देखता है तो कुछ पल के लिए नजमा की पकड़ ढीली पड़ जाती है।



नजमा सैम के तरफ देखते हुये कहती है- “जाओ ले आओ मेरी सौतन को भी यहाँ आज अपने होने वाली दोनों बीवियों को प्यार करो।


सैम महक के पीछे जाता है जो उस वक़्त तक हाल में पहुँच चुकी थी। वो उसे पीछे से पकड़ लेता है- “कहाँ जा रही हो मेरी रानी...”



महक- “उनह... क्या कर रहे हो थोड़ा सबर करो ना उनह...”


सैम- “आज नहीं महक चल तुझे तेरी माँ बुला रही है बिना कपड़ों के...” शरम के मारे महक के गाल लाल पड़ जाते हैं।


वो सैम को रोकने की पोजिशन में नहीं थी। जो आग, जो तड़प, जो हवस नजमा की चूत में बरपा थी वही हाल यहाँ भी था।

एक दूसरे को देखते हुये चूमते हुये सैम और महक पूरे नंगे हो जाते हैं और सैम महक को गोद में उठाके अपने रूम में ले जाता है, जहाँ नजमा उन दोनों का इंतेजार कर रही थी।


नजमा पहले से बिना कपड़ों के उनका इंतेजार कर रही थी। सैम को इस तरह बिना कपड़ों के देखकर उसके मुँह में खट्टा-खट्टा पानी आने लगता है और वो महक के साथ सैम के लण्ड पे टूट पड़ती है।



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दोनों नीचे बैठकर उसकी तलवार को तेज करने में लग जाती हैं।

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10 मिनट लगातार लण्ड चुसवाने के बाद सैम खुद को रोक नहीं पाता और महक को बेड पे लेटा देता है और बिना कुछ कहे अपनी तलवार को उसकी म्यान में ठूस देता है।


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एक हल्के सी चीख उसके मुँह से निकलती है और जोश में उसकी आँखें बंद होती चली जाती है।

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जब कुछ देर बाद वो आँखें खोलती हैं तो अपने ऊपर नजमा को झुका हुआ पाते हैं।


नजमा की चूचियां उसके मुँह के पास लटकी हुई थीं और सैम सटा-सट महक की चूत मार रहा था और एक हाथ से नजमा की गाण्ड में दो उंगलियां अंदर-बाहर कर रहा था।


महक इतने जोश में थी की वो नजमा की लटकी हुई चूचियों को अपने मुँह में खींचकर चूसने लगती है गलपप्प्प... गलपप्प्प...


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नजमा के मुँह से हल्की-हल्की सिसकी निकल रही थी और वो सैम के हाथों अपनी गाण्ड दबोचे जाने से पागल हुई जा रही थी उनह...

नीचे महक कभी पूरी तरह सैम के नीचे, तो कभी अपनी अम्मी के पास लेटी हुई अपनी चूत में लगी आग बुझा रही थी। उसका रोम-रोम इसे महसूस कर रहा था और दिल की कसक चूत के रास्ते पानी बनके बाहर बह रही थी।



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5 मिनट की चुदाई की बाद महक ठंडी पड़ जाती है और उठके बाथरूम में घुस जाती है। पर सैम इतने जल्दी जंग का मैदान छोड़के जाने वालों में से नहीं था। आज उसे नजमा ने वो खुशी दी थी जिसका वो हकदार था।


वो नजमा को अपने नीचे मसलने लगता है और उसका लण्ड नजमा की चूत पे घिसने लगता है। दोनों के होंठ एक दूसरे की गिरफ़्त में थे और जुबान जैसे एक दूसरे से लड़ाई कर रही थी।



सैम- “नजमा तू मेरी पहले रानी है, जो मेरे दिल के इतना करीब है जितना कोई नहीं हो सकता...”


नजमा- “हनन... आज से नजमा आपकी हुई। आज से ना आपका नाम लूँगी और ना आपको उँची आवाज में बात करूँगी। बस अपने प्यार में कमी ना होने देना। इस छोटे से दिल को और तकलीफ ना देना, बर्दाश्त नहीं कर सकती हूँ जानू। चाहे जो चाहे वो करो डांटो, मारो कुछ भी करो पर मुझसे नाराज मत रहो, मैं मार जाऊँगी आपके बिना।


सैम जैसे पिघल चुका था। नजमा के जज़्बात उसके दिल में वो मकाम बना चुके थे जो एक बीवी बनाती है, जब वो अपने शौहर को वो सब कुछ दे देती है जिसका वो हकदार होता है।



नजमा सैम को चूमते हुये कहती है- “जानू अब अंदर डाल भी दो क्यूँ तड़पाते हो। ऐसे नहीं आहह... पीछे से दोनों में बारी-बारी...”


सैम अपनी रानी का हुक्म मानते हुये उसे उल्टा कर देता है और उसकी कमर को ताँते हुये गण्प से अपने लण्ड को नजमा की चूत की गहराइयों मैं समा देता है।


ना नजमा चिल्लायी और ना सैम चीखा बल्कि आज वो दोनों एक दूसरे में खो से गये थे। आज ना जल्द से जल्द चुदाई का जोश था और ना किसी चीज की जल्दी, हल्के-हल्के जोरदार गहराई वाले धक्के नजमा की चूत को अंदरूनी सुकून पहुँचा रहे थे।


वो थोड़ी-थोड़ी देर के बाद सैम को चूम लेती, पर ना सैम थक रहा था और ना नजमा। लगातार
25 मिनट चली इस चुदाई मैं नजमा सैम के पूरे तरह नीचे बिछ चुकी थी।



नजमा- “बस थोड़ा पीछे का भी ख्याल करो मालिक, पीछे से मारो ना उन्ह...”


सैम अपनी बीवी की हर अच्छी बुरी ख्वाहिश मानने वाला शौहर बनते जा रहा था। वो अपने लण्ड को उसकी चूत से निकालकर धीरे-धीरे गाण्ड के छोटे पर नरम सुराख में घुसाने लगता है, जिससे नजमा पूरी तरह जोश में आ जाती है और सैम को और जोर से... और जोर से... गाण्ड मारने का कहती जाती है।


पसीने में लथफथ दोनों एक दूसरे को चूमते हुये प्यार को मंजिल तक पहुँचा रहे थे। ये सिल्सिला फिरोजा और निदा के घर आने तक यूँ ही चलता रहा।

और आखिर देखते ही देखते शादी का दिन भी आ गया।
 

Incestlala

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करीब दोपहर 2 बजे घर के सभी लोग हाल में बैठे हुये थे। फिरोजा को ये बात पता चल चुकी थी की निदा और महक माँ बनने वाली हैं और उनका तीसरा महीना शुरू है।


फिरोजा बात शुरू करती है- “समीर अब वक़्त आ गया है कि तुम अपनी जिम्मेदारी संभालो। अब्बू को गुजरे दो महीने हो गये हैं पर तुम तो जानते हो की निदा और महक की क्‍या हालत है। हम सब ये चाहते हैं कि तुम और महक शादी कर लो और आबिद की शादी निदा के साथ करवा दी जाए। दुनिया वालों को पता भी नहीं चलेगा और हम सब बदनामी से भी बच जायेंगे...”


सभी की निगाहें सैम की तरफ टिकी हुयी थी। आखिर उसका फैसला ही सबकी किस्मत बदलने वाला था।


वो फिरोजा की तरफ देखता है और कहता है- “मैं शादी की लिए तैयार हूँ पर एक बात मुझे आपसे कहना है। मेरे दोस्त काशिफ के बड़े भाई जिनकी वाइफ का पिछले साल देहांत हो गया था वो आपसे शादी करना चाहते हैं। उन्होंने आपको नानू की बरसी पे देखा था और तब से काशिफ मेरे पीछे पड़ा है। वक़्त और हालत सही नहीं थे इसलिए मैंने आपसे बात नहीं किया। पर अब मैं समझता हूँ की वो वक़्त आ गया है। काशिफ के भाई निहायत ही शरीफ और खुश-मिजाज इंसान हैं। और वो हमारे ही आफिस में पिछले 5 साल से काम कर रहे हैं। अगर आप हाँ कही?” तो हमारे साथ-साथ आपके भी.


फिरोजा - “मेरी ज़िंदगी का फैसला बाजी करेंगी...”


नजमा मुश्कुराते हुये फिरोजा का माथा चूम लेती है और देखते ही देखते फिरोजा की शादी फिक्स हो जाती है।

वक़्त अपनी रफ़्तार से बढ़ रहा था।


फिरोजा शादी की शॉपिंग करने निदा और आबिद को साथ ले जाती है। वो बहुत खुश थी आखिर उसका घर जो बसने वाला था।


फिरोजा के मार्केट चले जाने के बाद नजमा कुछ सोचते हुये सैम के रूम का रुख करती है। वो जानती थी की महक उसके रूम में लेटी हुई है पर आज उसका दिल किसी भी तूफान को बर्दाश्त करने के काबिल था।


समीर अपने बेड पे बैठा हुआ था, तभी नजमा उसके रूम में दाखिल होती है। एक नजर सैम उसकी तरफ देखता है और फिर दूसरे ही पल वो अपना रुख मोड़ लेता है। नजमा उसके पास जाती है और उसके कंधे पे सर रख देती है- “मुझसे नाराज हो.


सैम कोई जवाब नहीं देता



नजमा फिर पूछती है- “मुझसे सचमुच में नाराज हो


सैम उठके खड़ा हो जाता है- “आप जाओ यहाँ से मुझे आपसे कोई बात नहीं करनी...”


नजमा की आँखें नम हो जाती हैं और वो सैम का कंधा पकड़के अपनी तरफ घुमा लेती है- “देखो मेरी आँखों में… अब मैं नजमा से आप हो गयी, इतनी बेरुखी इतनी नफरत... आखिर मेरा गुनाह क्‍या है बताओ मुझे...”


सैम नजमा को पीछे से पकड़ लेता है और एक हाथ उसकी गर्दन में डालके दूसरे हाथ से उसका टाप फाड़ देता है। उसे इतना गुस्सा आ रहा था की पता नहीं वो नजमा की जान ही ले ले। वो अपने दूसरे हाथ को नजमा की पैंटी में घुसा देता है और चिल्लाने लगता है।



सैम- “मुझसे पूछते हैं तेरा गुनाह क्‍या है... साली मेरी मोहब्बत में तुझे कौन सी कमी दिखाई दी जो तूने उस गान्डू को अपने ऊपर चढ़वाया तेरी ये चूत सिर्फ़ मेरी है समझी। मैं बिल्कुल ये बर्दाश्त नहीं कर सकता की तू किसी और के आस-पास भी दिखाई दे...” वो नजमा के निपल मरोड़ रहा था जिससे नजमा के आँसू निकलने लगे थे, पर वो सब बर्दाश्त कर रहा थी। वो जानती थी की सैम का गुस्सा अपनी जगह जायेज है।

वो उसे बाहर निकालना चाहती थी। सैम उसपे चिल्लाये जा रहा था और आखिरकार सैम बेड पे बैठ जाता है।



नजमा अपने आँसू पोंछती है और सैम के कदमों में नीचे बैठ जाती है- “मैं जानती हूँ वो गलत है। तुम मुझसे मोहब्बत करते हो, तुम ये नहीं देख सकते की मैं किसी और की नीचे रहूं... पर क्या तुम मेरी एक बात का जवाब दे सकते हो...

मैं ये कैसे देख सकती हूँ की तुम मुझसे इतनी मोहब्बत के दावे करने वाले, एक नहीं बल्कि इस खानदान की हर औरत और मर्द के साथ जिस्मानी रिश्ते बना चुके हो। एक तरफ तुम ये कहते हो की तुम मुझसे बेपनाह मोहब्बत करते हो, और दूसरी तरफ तुम मेरी आँखों के सामने मेरी बहन, बेटी और बहू के साथ वो सब करते हो जो कोई प्यार करने वाला अपनी मोहब्बत के सामने नहीं करता।

मैं इससे क्या समझूं... प्यार या हवस... तुम एक मर्द हो और मर्द उस भंवरे की तरह होता है जो कभी इस फूल पे, तो कभी उस फूल पे। पर हम औरतें उस गुलाब की तरह हैं जो ये जानते हैं की एक ना एक दिन या तो हम शाख से तोड़ लिए जायेंगे या फिर किसी के पैरो तले रौंद दिए जायेंगे।


तुम मुझसे मोहब्बत का दावा करते हो ना... तो देखो यहाँ... यहाँ मेरे पेट पे हाथ रखो कुछ महसूस हुआ... इसमें तुम्हारी निशानी अपनी जगह बना चुकी है। आज पूरे दो महीने हो गये हैं मुझे प्रेग्नेंट हुए |

हर एक दिन मैँ ये सोचकर गुजार देती हूँ की आज तुम आओगे, आज मुझे अपने बाहों में लोगे , आज यहाँ चूमोगे, मुझे मुबारक बाद दोगे। मगर नहीं तुम अपने आन, अपने घमंड में इतने चूर हो गये की तुम्हें ना मैं दिखायी दी और ना मेरी मोहब्बत। आज मैं खुद को टूटा हुआ महसूस कर रही हूँ समीर सिर्फ़ तुम्हारी वजह से.


ये कहते-कहते वो रो पड़ती है आँसू एक कतार में उसकी आँखों से बह रहे थे। और समीर किसी ज़िंदा लाश की तरह नजमा को अपने सामने रोता देख रहा था। वो दिल ही दिल में रो पड़ता है।


उसे आज एक औरत की मोहब्बत का, उसके जज्बात का पता चला था। आज तक सैम ने औरत का सिर्फ़ एक रूप देखा था पर हकीकत में उसकी आँखें आज खुली थी वो नजमा को अपनी बाहों में समेट लेता है और उसके आँसुओं को अपने हाथों से साफ करने लगता है।



सैम- “मत रो मेरी जान... मुझे पता ही नहीं था की तुम प्रेगनेंट हो। अरे आज तुमने मुझे वो खुशी दी है जो मैं हमेशा से चाहता था। अपने जिंदगी में मैं इतना खुश कभी नहीं था मुझे माफ कर दो नजमा प्लीज़्ज़्ज़ मुझे माफ कर दो...” वो नजमा के पेट पे हाथ फेरने लगता है जिससे नजमा के आँसू बहना बंद हो जाते हैं और पूरे जिश्म में बिजली सी दौड़ जाती है।


सैम के होंठ नजमा के कानों में सरगोशी करने लगते हैं- “मेरी जान नजमा... मैं इस बच्चे को अपना नाम दूँगा, ये हमारा बच्चा कहलाएगा। हाँ महक के साथ-साथ मैं तुझसे भी शादी करूँगा और उसके बाद तू हमेशा-हमेशा की लिए मेरे कहलाएगी।


नजमा यही तो सैम के मुँह से सुनना चाहती थी। दोनों की सारे दर्द-ओ-गम उन आँसुओं में धुल गये थे। वो एक दूसरे की बाहों में सिमटते चले जाते हैं। होंठों से होंठ ऐसे मिलते हैं की अलग ना हो पायें।


बाहर खड़ी महक ये सब सुन रही थी और एक खुशी की चमक उसके चहरे पे भी दिखाई दे रही थी। जब सैम सामने देखता है तो कुछ पल के लिए नजमा की पकड़ ढीली पड़ जाती है।



नजमा सैम के तरफ देखते हुये कहती है- “जाओ ले आओ मेरी सौतन को भी यहाँ आज अपने होने वाली दोनों बीवियों को प्यार करो।


सैम महक के पीछे जाता है जो उस वक़्त तक हाल में पहुँच चुकी थी। वो उसे पीछे से पकड़ लेता है- “कहाँ जा रही हो मेरी रानी...”



महक- “उनह... क्या कर रहे हो थोड़ा सबर करो ना उनह...”


सैम- “आज नहीं महक चल तुझे तेरी माँ बुला रही है बिना कपड़ों के...” शरम के मारे महक के गाल लाल पड़ जाते हैं।


वो सैम को रोकने की पोजिशन में नहीं थी। जो आग, जो तड़प, जो हवस नजमा की चूत में बरपा थी वही हाल यहाँ भी था।

एक दूसरे को देखते हुये चूमते हुये सैम और महक पूरे नंगे हो जाते हैं और सैम महक को गोद में उठाके अपने रूम में ले जाता है, जहाँ नजमा उन दोनों का इंतेजार कर रही थी।


नजमा पहले से बिना कपड़ों के उनका इंतेजार कर रही थी। सैम को इस तरह बिना कपड़ों के देखकर उसके मुँह में खट्टा-खट्टा पानी आने लगता है और वो महक के साथ सैम के लण्ड पे टूट पड़ती है।



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दोनों नीचे बैठकर उसकी तलवार को तेज करने में लग जाती हैं।

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10 मिनट लगातार लण्ड चुसवाने के बाद सैम खुद को रोक नहीं पाता और महक को बेड पे लेटा देता है और बिना कुछ कहे अपनी तलवार को उसकी म्यान में ठूस देता है।


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एक हल्के सी चीख उसके मुँह से निकलती है और जोश में उसकी आँखें बंद होती चली जाती है।

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जब कुछ देर बाद वो आँखें खोलती हैं तो अपने ऊपर नजमा को झुका हुआ पाते हैं।


नजमा की चूचियां उसके मुँह के पास लटकी हुई थीं और सैम सटा-सट महक की चूत मार रहा था और एक हाथ से नजमा की गाण्ड में दो उंगलियां अंदर-बाहर कर रहा था।


महक इतने जोश में थी की वो नजमा की लटकी हुई चूचियों को अपने मुँह में खींचकर चूसने लगती है गलपप्प्प... गलपप्प्प...


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नजमा के मुँह से हल्की-हल्की सिसकी निकल रही थी और वो सैम के हाथों अपनी गाण्ड दबोचे जाने से पागल हुई जा रही थी उनह...

नीचे महक कभी पूरी तरह सैम के नीचे, तो कभी अपनी अम्मी के पास लेटी हुई अपनी चूत में लगी आग बुझा रही थी। उसका रोम-रोम इसे महसूस कर रहा था और दिल की कसक चूत के रास्ते पानी बनके बाहर बह रही थी।



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5 मिनट की चुदाई की बाद महक ठंडी पड़ जाती है और उठके बाथरूम में घुस जाती है। पर सैम इतने जल्दी जंग का मैदान छोड़के जाने वालों में से नहीं था। आज उसे नजमा ने वो खुशी दी थी जिसका वो हकदार था।


वो नजमा को अपने नीचे मसलने लगता है और उसका लण्ड नजमा की चूत पे घिसने लगता है। दोनों के होंठ एक दूसरे की गिरफ़्त में थे और जुबान जैसे एक दूसरे से लड़ाई कर रही थी।



सैम- “नजमा तू मेरी पहले रानी है, जो मेरे दिल के इतना करीब है जितना कोई नहीं हो सकता...”


नजमा- “हनन... आज से नजमा आपकी हुई। आज से ना आपका नाम लूँगी और ना आपको उँची आवाज में बात करूँगी। बस अपने प्यार में कमी ना होने देना। इस छोटे से दिल को और तकलीफ ना देना, बर्दाश्त नहीं कर सकती हूँ जानू। चाहे जो चाहे वो करो डांटो, मारो कुछ भी करो पर मुझसे नाराज मत रहो, मैं मार जाऊँगी आपके बिना।


सैम जैसे पिघल चुका था। नजमा के जज़्बात उसके दिल में वो मकाम बना चुके थे जो एक बीवी बनाती है, जब वो अपने शौहर को वो सब कुछ दे देती है जिसका वो हकदार होता है।



नजमा सैम को चूमते हुये कहती है- “जानू अब अंदर डाल भी दो क्यूँ तड़पाते हो। ऐसे नहीं आहह... पीछे से दोनों में बारी-बारी...”


सैम अपनी रानी का हुक्म मानते हुये उसे उल्टा कर देता है और उसकी कमर को ताँते हुये गण्प से अपने लण्ड को नजमा की चूत की गहराइयों मैं समा देता है।


ना नजमा चिल्लायी और ना सैम चीखा बल्कि आज वो दोनों एक दूसरे में खो से गये थे। आज ना जल्द से जल्द चुदाई का जोश था और ना किसी चीज की जल्दी, हल्के-हल्के जोरदार गहराई वाले धक्के नजमा की चूत को अंदरूनी सुकून पहुँचा रहे थे।


वो थोड़ी-थोड़ी देर के बाद सैम को चूम लेती, पर ना सैम थक रहा था और ना नजमा। लगातार
25 मिनट चली इस चुदाई मैं नजमा सैम के पूरे तरह नीचे बिछ चुकी थी।



नजमा- “बस थोड़ा पीछे का भी ख्याल करो मालिक, पीछे से मारो ना उन्ह...”


सैम अपनी बीवी की हर अच्छी बुरी ख्वाहिश मानने वाला शौहर बनते जा रहा था। वो अपने लण्ड को उसकी चूत से निकालकर धीरे-धीरे गाण्ड के छोटे पर नरम सुराख में घुसाने लगता है, जिससे नजमा पूरी तरह जोश में आ जाती है और सैम को और जोर से... और जोर से... गाण्ड मारने का कहती जाती है।


पसीने में लथफथ दोनों एक दूसरे को चूमते हुये प्यार को मंजिल तक पहुँचा रहे थे। ये सिल्सिला फिरोजा और निदा के घर आने तक यूँ ही चलता रहा।

और आखिर देखते ही देखते शादी का दिन भी आ गया।
Superb update
 
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