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Adultery Freinds Forever (ek daastaan) - (COMPLETED)

Kitno ko lagta he story


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Lalitpur

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Update 38





Hospital



शीतल वार्ड में डोरी भागी चली जाती है लेकिन एक नर्स ने उसे रोक लिया । शीतल को दीपाली और तराली समझती हे चारा कुछ लेकिन एक नजर जो शीतल को खा जाने वाली नजरो से देख रही थी । शीतल को उस नज़र का एहसास होती है की उसने उसकी बेटे की ये हालत कर दी है । शीतल को एहसास होता है जिशू का दोषी वो है । वो तानिया को माफी की नजर से देखती है लेकिन तानिया उससे मुंह फेर लेती है एक शब्द भी नहीं बोलती । तानिया दुख में थी और वो जिशू का दुर्दासा की जमीदार शीतल को समझ रही थी ।


दीपाली नर्स से कहती हे ।" प्लीज इसे एक बार मिलने दीजिए ।"

नर्स ।" देखिए आप लोगो को पहले से कह दिया है इतने लोगो को हॉस्पिटल एलाऊ नही करती है मिलने को । और आप है की यही डेरा जमाए बैठे हे । बार बार कह रही हूं कमसे कम आप हॉस्पिटल के बाहर जा के रुकिए । कैफेटेरिया में भी आप लोग रूक सकते हे ।"


खेर काफी निवेदन करने के बाद शीतल को जिशू से मिलने दिया जाता है । तपन , विशू , और शेतन एक दूसरे को इशारा करता है वो इस बात समझते हे अब तोता मैना को अकेला छोड़ देना चाहिए और तानिया, तराली,दीपाली को हॉस्पिटल के बाहर ले जाता है ।


शीतल जिशू को बेड पे अध लिया देखती हे जिसके शिर की ऊपरी हिस्से में मोती बेंदेज बंधा गया था । लेकिन जिशू के चेहरे पे ये क्या । शीतल को देखते ही बड़ी सी मुस्कान ।



शीतल की आसू निकल जाती हे और जिशू के बेड पे बैठ जाती है । जिशू को बस निहारने लगती है प्यार से ।

जिशु मुस्कुरा कर ।" आपकी आखों में आसू अच्छे नही लगती ।"

शीतल भावुक हो कर ।" तो फिर आसू आने क्यूं देते हो । क्या बिगाड़ा मेने तुम्हारा जो मुझे इतना छटा रहे हो । क्यूं किया ऐसा खुद को छोट पोहोछा के क्या साबित करना चाहता था । कबीर सिंग बनना चाहता था तू दारा रांग दारा रांग करना चाहता था तू हा । दिखा दी ना अपनी सड़क छाप आशिकी । तुम्हे क्या लगा मुझे खुशी होगी और में मान जाऊंगी हा । मेरे दिल से पूछ क्या महसूस कर रही हूं में । जब तू मिला था अपनी मम्मी की गोद * बसर का मिला था । यूं कर के गोद में लिया था तुझे और शर्मा के बापच अपनी मम्मी के गोद में गया था तू लेकिन मैने भी हार नही मानी और तुझे चॉकलेट डे के माना के अपनी गोद में खिलाया तेरे कमल गालों को दबाया । वो एहसास आज भी याद है मुझे जब तू मेरे गोद में खुशी से मुस्कुराया तब कितनी खुश हुई थी में । और आज ये सिला दिया मेरे प्यार का हा खुद को छोट पोहोचा के मेरे दिल में घाव भर दिया और ऊपर से एक मां की नाराजगी । तेरी मम्मी भी अब मुझसे नाराज़ हो गई हे ।"

जिशु पहले कबीर सिंह वाली बात पे मुस्कुराया और गंभीर हो के दिल की अल्फाज बयां किया ।" गलती हो गई क्या करू आप जैसा समझदार जो नही हूं । सही कहा में बस आपको दुख पोहचाना जानता हूं आपकी होंठो पे हसी लाने का जनता ही नही में । इसलिए तो आप मुझसे नाराज़ है माफ नही कर पा रही हे मुझे ।बोहोत दुख दिया है मैने आपको पर और दुख नही दूंगा में आपको ये मेरा वादा हे आपसे । में कभी आपको अपना चेहरा तक नहीं दिखाऊंगा । "


शीतल थप्पड़ की इशारा करती हुई ।" मारूंगी एक रख के । खुद को बोहोत बड़ा एहसानमंद हीरो समझ रहा है । "


जिशु आसू पोछ के उसका माथा चूम लेती हे । उसकी जुल्फे जिशू के चेहरे पे रोनौक लाने का काम करती है । दोनो की नजरे मिलती है करीब से और धीरे धीरे शीतल उसे देखती हुई सीधी हो जाती है । " बोहोत दर्द हो रहा है ।"

जिशु मुस्कुरा के अपनी दिल पे हाथ रख के बोला ।" पर यहां ज्यादा दर्द हो रहा है । इसका मलहम मुझे नही मिल रहा है ।"

शीतल सरारत से ।" मलहम बताओ में ला के दे देती हूं ।"

जिशु ।" ये तो इस दर्द की इलाज करने वाली ही जानती हे की कौनसा मलहम लगाना है । "

शीतल की मुस्कान बड़ी हो जाती हे और प्यार से उसे देख के उसकी तरफ झुकी चली जाती है और जिशु के होंठो के करीब होंठ रख देती है और चूमने का भाव कर के नीचे सड़क के जिशू के दिल पर चूम लेती है । जहा जिशू की धड़कन बढ़ गई थी की शीतल उसके लबों को पीने वाली है वोही शीतल की सरारत देख के हांसी निकल जाती हे । और शीतल को भी हांसी आ जाती हे अपनी शरारत पर ।


जिशू ।" यही हांसी तो में देखना चाहता था कब से पाता नहीं कहा गायब हो गई थी । "

शीतल ।" बस अब यहीं हसी देखने को मिलेगी । आखिर मेरा दिल जीत ही लिया तूने जिद्दी कही का ।"


दोनों बस आखों में आखों डाल के देखते रहते हे होंठो में मुस्कान लिए । जैसे आखों से दिल की हजारों बाते कह रहा हो ।




जिशू प्यार से शीतल की गाल सेहला देता हे जिससे शीतल को उसकी मजबूत हाथों का एहसास से उसकी आंखे बंद हो जाती हे एक पल के लिए ।


शीतल उसका हाथ थाम लेती है और चूम लेती है ।" सॉरी "

जिशु ।" प्लीज मत कहो ऐसा । मुझे शर्मिंदा ना करो । "

शीतल ।" पर आज हद पार कर दी मैंने ।"

जिशू ।" कुछ ना कहो । बस मेरी छीने में शीर रख दो आप मुझे आपको महसूस करना है दिल से लगा कर ।"


शीतल झुक जाती हे और जिशु छोड़ी छाती पे गाल रख के जिशू की दिल की धड़कनों को सुनती रहती है । जिशु उसकी एक पीठ पे रख देता है और दूसरा हाथ रेशमि बालो पे उंगलियां फिराने लगता हे । तभी उसकी नजर शीतल की सुन्न गले पर पड़ता हे ।(आंटी ने मंगलसूत्र नहीं पहनी है आज)


जिशु ।" आंटी आपने मंगलसूत्र नही पहना है आज ।"

शीतल कुछ पल रूक के ।" उस दिन के बाद कभी पहनी नही जो तूने उतारा था ।"

जिशु ।" अगर में आपको नया मंगलसूत्र पहनाऊँ तो पहनोगी ।"

शीतल उसके तरफ देखने लगती है प्यार से ।" क्यूं ।"

जिशू ।" में आपका नया पति जो बन जाऊंगा । पहनाने दोगी मुझे ।"

शीतल मुस्कुराती है ।" मुझे ऐसा अकरू पति नहीं चाहिए ।"

जिशू मुस्कुरा कर ।" आप सीधी कर देना मुझे बेलन से मार मार के ।"

हिहिहिही ।


दोनो एक दूसरे से प्यार भरी बातें करती रहती है ऐसे ही ।
Lovley updated
 

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Hospital



शीतल वार्ड में डोरी भागी चली जाती है लेकिन एक नर्स ने उसे रोक लिया । शीतल को दीपाली और तराली समझती हे चारा कुछ लेकिन एक नजर जो शीतल को खा जाने वाली नजरो से देख रही थी । शीतल को उस नज़र का एहसास होती है की उसने उसकी बेटे की ये हालत कर दी है । शीतल को एहसास होता है जिशू का दोषी वो है । वो तानिया को माफी की नजर से देखती है लेकिन तानिया उससे मुंह फेर लेती है एक शब्द भी नहीं बोलती । तानिया दुख में थी और वो जिशू का दुर्दासा की जमीदार शीतल को समझ रही थी ।


दीपाली नर्स से कहती हे ।" प्लीज इसे एक बार मिलने दीजिए ।"

नर्स ।" देखिए आप लोगो को पहले से कह दिया है इतने लोगो को हॉस्पिटल एलाऊ नही करती है मिलने को । और आप है की यही डेरा जमाए बैठे हे । बार बार कह रही हूं कमसे कम आप हॉस्पिटल के बाहर जा के रुकिए । कैफेटेरिया में भी आप लोग रूक सकते हे ।"


खेर काफी निवेदन करने के बाद शीतल को जिशू से मिलने दिया जाता है । तपन , विशू , और शेतन एक दूसरे को इशारा करता है वो इस बात समझते हे अब तोता मैना को अकेला छोड़ देना चाहिए और तानिया, तराली,दीपाली को हॉस्पिटल के बाहर ले जाता है ।


शीतल जिशू को बेड पे अध लिया देखती हे जिसके शिर की ऊपरी हिस्से में मोती बेंदेज बंधा गया था । लेकिन जिशू के चेहरे पे ये क्या । शीतल को देखते ही बड़ी सी मुस्कान ।



शीतल की आसू निकल जाती हे और जिशू के बेड पे बैठ जाती है । जिशू को बस निहारने लगती है प्यार से ।

जिशु मुस्कुरा कर ।" आपकी आखों में आसू अच्छे नही लगती ।"

शीतल भावुक हो कर ।" तो फिर आसू आने क्यूं देते हो । क्या बिगाड़ा मेने तुम्हारा जो मुझे इतना छटा रहे हो । क्यूं किया ऐसा खुद को छोट पोहोछा के क्या साबित करना चाहता था । कबीर सिंग बनना चाहता था तू दारा रांग दारा रांग करना चाहता था तू हा । दिखा दी ना अपनी सड़क छाप आशिकी । तुम्हे क्या लगा मुझे खुशी होगी और में मान जाऊंगी हा । मेरे दिल से पूछ क्या महसूस कर रही हूं में । जब तू मिला था अपनी मम्मी की गोद * बसर का मिला था । यूं कर के गोद में लिया था तुझे और शर्मा के बापच अपनी मम्मी के गोद में गया था तू लेकिन मैने भी हार नही मानी और तुझे चॉकलेट डे के माना के अपनी गोद में खिलाया तेरे कमल गालों को दबाया । वो एहसास आज भी याद है मुझे जब तू मेरे गोद में खुशी से मुस्कुराया तब कितनी खुश हुई थी में । और आज ये सिला दिया मेरे प्यार का हा खुद को छोट पोहोचा के मेरे दिल में घाव भर दिया और ऊपर से एक मां की नाराजगी । तेरी मम्मी भी अब मुझसे नाराज़ हो गई हे ।"

जिशु पहले कबीर सिंह वाली बात पे मुस्कुराया और गंभीर हो के दिल की अल्फाज बयां किया ।" गलती हो गई क्या करू आप जैसा समझदार जो नही हूं । सही कहा में बस आपको दुख पोहचाना जानता हूं आपकी होंठो पे हसी लाने का जनता ही नही में । इसलिए तो आप मुझसे नाराज़ है माफ नही कर पा रही हे मुझे ।बोहोत दुख दिया है मैने आपको पर और दुख नही दूंगा में आपको ये मेरा वादा हे आपसे । में कभी आपको अपना चेहरा तक नहीं दिखाऊंगा । "


शीतल थप्पड़ की इशारा करती हुई ।" मारूंगी एक रख के । खुद को बोहोत बड़ा एहसानमंद हीरो समझ रहा है । "


जिशु आसू पोछ के उसका माथा चूम लेती हे । उसकी जुल्फे जिशू के चेहरे पे रोनौक लाने का काम करती है । दोनो की नजरे मिलती है करीब से और धीरे धीरे शीतल उसे देखती हुई सीधी हो जाती है । " बोहोत दर्द हो रहा है ।"

जिशु मुस्कुरा के अपनी दिल पे हाथ रख के बोला ।" पर यहां ज्यादा दर्द हो रहा है । इसका मलहम मुझे नही मिल रहा है ।"

शीतल सरारत से ।" मलहम बताओ में ला के दे देती हूं ।"

जिशु ।" ये तो इस दर्द की इलाज करने वाली ही जानती हे की कौनसा मलहम लगाना है । "

शीतल की मुस्कान बड़ी हो जाती हे और प्यार से उसे देख के उसकी तरफ झुकी चली जाती है और जिशु के होंठो के करीब होंठ रख देती है और चूमने का भाव कर के नीचे सड़क के जिशू के दिल पर चूम लेती है । जहा जिशू की धड़कन बढ़ गई थी की शीतल उसके लबों को पीने वाली है वोही शीतल की सरारत देख के हांसी निकल जाती हे । और शीतल को भी हांसी आ जाती हे अपनी शरारत पर ।


जिशू ।" यही हांसी तो में देखना चाहता था कब से पाता नहीं कहा गायब हो गई थी । "

शीतल ।" बस अब यहीं हसी देखने को मिलेगी । आखिर मेरा दिल जीत ही लिया तूने जिद्दी कही का ।"


दोनों बस आखों में आखों डाल के देखते रहते हे होंठो में मुस्कान लिए । जैसे आखों से दिल की हजारों बाते कह रहा हो ।




जिशू प्यार से शीतल की गाल सेहला देता हे जिससे शीतल को उसकी मजबूत हाथों का एहसास से उसकी आंखे बंद हो जाती हे एक पल के लिए ।


शीतल उसका हाथ थाम लेती है और चूम लेती है ।" सॉरी "

जिशु ।" प्लीज मत कहो ऐसा । मुझे शर्मिंदा ना करो । "

शीतल ।" पर आज हद पार कर दी मैंने ।"

जिशू ।" कुछ ना कहो । बस मेरी छीने में शीर रख दो आप मुझे आपको महसूस करना है दिल से लगा कर ।"


शीतल झुक जाती हे और जिशु छोड़ी छाती पे गाल रख के जिशू की दिल की धड़कनों को सुनती रहती है । जिशु उसकी एक पीठ पे रख देता है और दूसरा हाथ रेशमि बालो पे उंगलियां फिराने लगता हे । तभी उसकी नजर शीतल की सुन्न गले पर पड़ता हे ।(आंटी ने मंगलसूत्र नहीं पहनी है आज)


जिशु ।" आंटी आपने मंगलसूत्र नही पहना है आज ।"

शीतल कुछ पल रूक के ।" उस दिन के बाद कभी पहनी नही जो तूने उतारा था ।"

जिशु ।" अगर में आपको नया मंगलसूत्र पहनाऊँ तो पहनोगी ।"

शीतल उसके तरफ देखने लगती है प्यार से ।" क्यूं ।"

जिशू ।" में आपका नया पति जो बन जाऊंगा । पहनाने दोगी मुझे ।"

शीतल मुस्कुराती है ।" मुझे ऐसा अकरू पति नहीं चाहिए ।"

जिशू मुस्कुरा कर ।" आप सीधी कर देना मुझे बेलन से मार मार के ।"

हिहिहिही ।


दोनो एक दूसरे से प्यार भरी बातें करती रहती है ऐसे ही ।
Milan lajwab tha bro
 

Ocean

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Hospital



शीतल वार्ड में डोरी भागी चली जाती है लेकिन एक नर्स ने उसे रोक लिया । शीतल को दीपाली और तराली समझती हे चारा कुछ लेकिन एक नजर जो शीतल को खा जाने वाली नजरो से देख रही थी । शीतल को उस नज़र का एहसास होती है की उसने उसकी बेटे की ये हालत कर दी है । शीतल को एहसास होता है जिशू का दोषी वो है । वो तानिया को माफी की नजर से देखती है लेकिन तानिया उससे मुंह फेर लेती है एक शब्द भी नहीं बोलती । तानिया दुख में थी और वो जिशू का दुर्दासा की जमीदार शीतल को समझ रही थी ।


दीपाली नर्स से कहती हे ।" प्लीज इसे एक बार मिलने दीजिए ।"

नर्स ।" देखिए आप लोगो को पहले से कह दिया है इतने लोगो को हॉस्पिटल एलाऊ नही करती है मिलने को । और आप है की यही डेरा जमाए बैठे हे । बार बार कह रही हूं कमसे कम आप हॉस्पिटल के बाहर जा के रुकिए । कैफेटेरिया में भी आप लोग रूक सकते हे ।"


खेर काफी निवेदन करने के बाद शीतल को जिशू से मिलने दिया जाता है । तपन , विशू , और शेतन एक दूसरे को इशारा करता है वो इस बात समझते हे अब तोता मैना को अकेला छोड़ देना चाहिए और तानिया, तराली,दीपाली को हॉस्पिटल के बाहर ले जाता है ।


शीतल जिशू को बेड पे अध लिया देखती हे जिसके शिर की ऊपरी हिस्से में मोती बेंदेज बंधा गया था । लेकिन जिशू के चेहरे पे ये क्या । शीतल को देखते ही बड़ी सी मुस्कान ।



शीतल की आसू निकल जाती हे और जिशू के बेड पे बैठ जाती है । जिशू को बस निहारने लगती है प्यार से ।

जिशु मुस्कुरा कर ।" आपकी आखों में आसू अच्छे नही लगती ।"

शीतल भावुक हो कर ।" तो फिर आसू आने क्यूं देते हो । क्या बिगाड़ा मेने तुम्हारा जो मुझे इतना छटा रहे हो । क्यूं किया ऐसा खुद को छोट पोहोछा के क्या साबित करना चाहता था । कबीर सिंग बनना चाहता था तू दारा रांग दारा रांग करना चाहता था तू हा । दिखा दी ना अपनी सड़क छाप आशिकी । तुम्हे क्या लगा मुझे खुशी होगी और में मान जाऊंगी हा । मेरे दिल से पूछ क्या महसूस कर रही हूं में । जब तू मिला था अपनी मम्मी की गोद * बसर का मिला था । यूं कर के गोद में लिया था तुझे और शर्मा के बापच अपनी मम्मी के गोद में गया था तू लेकिन मैने भी हार नही मानी और तुझे चॉकलेट डे के माना के अपनी गोद में खिलाया तेरे कमल गालों को दबाया । वो एहसास आज भी याद है मुझे जब तू मेरे गोद में खुशी से मुस्कुराया तब कितनी खुश हुई थी में । और आज ये सिला दिया मेरे प्यार का हा खुद को छोट पोहोचा के मेरे दिल में घाव भर दिया और ऊपर से एक मां की नाराजगी । तेरी मम्मी भी अब मुझसे नाराज़ हो गई हे ।"

जिशु पहले कबीर सिंह वाली बात पे मुस्कुराया और गंभीर हो के दिल की अल्फाज बयां किया ।" गलती हो गई क्या करू आप जैसा समझदार जो नही हूं । सही कहा में बस आपको दुख पोहचाना जानता हूं आपकी होंठो पे हसी लाने का जनता ही नही में । इसलिए तो आप मुझसे नाराज़ है माफ नही कर पा रही हे मुझे ।बोहोत दुख दिया है मैने आपको पर और दुख नही दूंगा में आपको ये मेरा वादा हे आपसे । में कभी आपको अपना चेहरा तक नहीं दिखाऊंगा । "


शीतल थप्पड़ की इशारा करती हुई ।" मारूंगी एक रख के । खुद को बोहोत बड़ा एहसानमंद हीरो समझ रहा है । "


जिशु आसू पोछ के उसका माथा चूम लेती हे । उसकी जुल्फे जिशू के चेहरे पे रोनौक लाने का काम करती है । दोनो की नजरे मिलती है करीब से और धीरे धीरे शीतल उसे देखती हुई सीधी हो जाती है । " बोहोत दर्द हो रहा है ।"

जिशु मुस्कुरा के अपनी दिल पे हाथ रख के बोला ।" पर यहां ज्यादा दर्द हो रहा है । इसका मलहम मुझे नही मिल रहा है ।"

शीतल सरारत से ।" मलहम बताओ में ला के दे देती हूं ।"

जिशु ।" ये तो इस दर्द की इलाज करने वाली ही जानती हे की कौनसा मलहम लगाना है । "

शीतल की मुस्कान बड़ी हो जाती हे और प्यार से उसे देख के उसकी तरफ झुकी चली जाती है और जिशु के होंठो के करीब होंठ रख देती है और चूमने का भाव कर के नीचे सड़क के जिशू के दिल पर चूम लेती है । जहा जिशू की धड़कन बढ़ गई थी की शीतल उसके लबों को पीने वाली है वोही शीतल की सरारत देख के हांसी निकल जाती हे । और शीतल को भी हांसी आ जाती हे अपनी शरारत पर ।


जिशू ।" यही हांसी तो में देखना चाहता था कब से पाता नहीं कहा गायब हो गई थी । "

शीतल ।" बस अब यहीं हसी देखने को मिलेगी । आखिर मेरा दिल जीत ही लिया तूने जिद्दी कही का ।"


दोनों बस आखों में आखों डाल के देखते रहते हे होंठो में मुस्कान लिए । जैसे आखों से दिल की हजारों बाते कह रहा हो ।




जिशू प्यार से शीतल की गाल सेहला देता हे जिससे शीतल को उसकी मजबूत हाथों का एहसास से उसकी आंखे बंद हो जाती हे एक पल के लिए ।


शीतल उसका हाथ थाम लेती है और चूम लेती है ।" सॉरी "

जिशु ।" प्लीज मत कहो ऐसा । मुझे शर्मिंदा ना करो । "

शीतल ।" पर आज हद पार कर दी मैंने ।"

जिशू ।" कुछ ना कहो । बस मेरी छीने में शीर रख दो आप मुझे आपको महसूस करना है दिल से लगा कर ।"


शीतल झुक जाती हे और जिशु छोड़ी छाती पे गाल रख के जिशू की दिल की धड़कनों को सुनती रहती है । जिशु उसकी एक पीठ पे रख देता है और दूसरा हाथ रेशमि बालो पे उंगलियां फिराने लगता हे । तभी उसकी नजर शीतल की सुन्न गले पर पड़ता हे ।(आंटी ने मंगलसूत्र नहीं पहनी है आज)


जिशु ।" आंटी आपने मंगलसूत्र नही पहना है आज ।"

शीतल कुछ पल रूक के ।" उस दिन के बाद कभी पहनी नही जो तूने उतारा था ।"

जिशु ।" अगर में आपको नया मंगलसूत्र पहनाऊँ तो पहनोगी ।"

शीतल उसके तरफ देखने लगती है प्यार से ।" क्यूं ।"

जिशू ।" में आपका नया पति जो बन जाऊंगा । पहनाने दोगी मुझे ।"

शीतल मुस्कुराती है ।" मुझे ऐसा अकरू पति नहीं चाहिए ।"

जिशू मुस्कुरा कर ।" आप सीधी कर देना मुझे बेलन से मार मार के ।"

हिहिहिही ।


दोनो एक दूसरे से प्यार भरी बातें करती रहती है ऐसे ही ।
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शीतल वार्ड में डोरी भागी चली जाती है लेकिन एक नर्स ने उसे रोक लिया । शीतल को दीपाली और तराली समझती हे चारा कुछ लेकिन एक नजर जो शीतल को खा जाने वाली नजरो से देख रही थी । शीतल को उस नज़र का एहसास होती है की उसने उसकी बेटे की ये हालत कर दी है । शीतल को एहसास होता है जिशू का दोषी वो है । वो तानिया को माफी की नजर से देखती है लेकिन तानिया उससे मुंह फेर लेती है एक शब्द भी नहीं बोलती । तानिया दुख में थी और वो जिशू का दुर्दासा की जमीदार शीतल को समझ रही थी ।


दीपाली नर्स से कहती हे ।" प्लीज इसे एक बार मिलने दीजिए ।"

नर्स ।" देखिए आप लोगो को पहले से कह दिया है इतने लोगो को हॉस्पिटल एलाऊ नही करती है मिलने को । और आप है की यही डेरा जमाए बैठे हे । बार बार कह रही हूं कमसे कम आप हॉस्पिटल के बाहर जा के रुकिए । कैफेटेरिया में भी आप लोग रूक सकते हे ।"


खेर काफी निवेदन करने के बाद शीतल को जिशू से मिलने दिया जाता है । तपन , विशू , और शेतन एक दूसरे को इशारा करता है वो इस बात समझते हे अब तोता मैना को अकेला छोड़ देना चाहिए और तानिया, तराली,दीपाली को हॉस्पिटल के बाहर ले जाता है ।


शीतल जिशू को बेड पे अध लिया देखती हे जिसके शिर की ऊपरी हिस्से में मोती बेंदेज बंधा गया था । लेकिन जिशू के चेहरे पे ये क्या । शीतल को देखते ही बड़ी सी मुस्कान ।



शीतल की आसू निकल जाती हे और जिशू के बेड पे बैठ जाती है । जिशू को बस निहारने लगती है प्यार से ।

जिशु मुस्कुरा कर ।" आपकी आखों में आसू अच्छे नही लगती ।"

शीतल भावुक हो कर ।" तो फिर आसू आने क्यूं देते हो । क्या बिगाड़ा मेने तुम्हारा जो मुझे इतना छटा रहे हो । क्यूं किया ऐसा खुद को छोट पोहोछा के क्या साबित करना चाहता था । कबीर सिंग बनना चाहता था तू दारा रांग दारा रांग करना चाहता था तू हा । दिखा दी ना अपनी सड़क छाप आशिकी । तुम्हे क्या लगा मुझे खुशी होगी और में मान जाऊंगी हा । मेरे दिल से पूछ क्या महसूस कर रही हूं में । जब तू मिला था अपनी मम्मी की गोद * बसर का मिला था । यूं कर के गोद में लिया था तुझे और शर्मा के बापच अपनी मम्मी के गोद में गया था तू लेकिन मैने भी हार नही मानी और तुझे चॉकलेट डे के माना के अपनी गोद में खिलाया तेरे कमल गालों को दबाया । वो एहसास आज भी याद है मुझे जब तू मेरे गोद में खुशी से मुस्कुराया तब कितनी खुश हुई थी में । और आज ये सिला दिया मेरे प्यार का हा खुद को छोट पोहोचा के मेरे दिल में घाव भर दिया और ऊपर से एक मां की नाराजगी । तेरी मम्मी भी अब मुझसे नाराज़ हो गई हे ।"

जिशु पहले कबीर सिंह वाली बात पे मुस्कुराया और गंभीर हो के दिल की अल्फाज बयां किया ।" गलती हो गई क्या करू आप जैसा समझदार जो नही हूं । सही कहा में बस आपको दुख पोहचाना जानता हूं आपकी होंठो पे हसी लाने का जनता ही नही में । इसलिए तो आप मुझसे नाराज़ है माफ नही कर पा रही हे मुझे ।बोहोत दुख दिया है मैने आपको पर और दुख नही दूंगा में आपको ये मेरा वादा हे आपसे । में कभी आपको अपना चेहरा तक नहीं दिखाऊंगा । "


शीतल थप्पड़ की इशारा करती हुई ।" मारूंगी एक रख के । खुद को बोहोत बड़ा एहसानमंद हीरो समझ रहा है । "


जिशु आसू पोछ के उसका माथा चूम लेती हे । उसकी जुल्फे जिशू के चेहरे पे रोनौक लाने का काम करती है । दोनो की नजरे मिलती है करीब से और धीरे धीरे शीतल उसे देखती हुई सीधी हो जाती है । " बोहोत दर्द हो रहा है ।"

जिशु मुस्कुरा के अपनी दिल पे हाथ रख के बोला ।" पर यहां ज्यादा दर्द हो रहा है । इसका मलहम मुझे नही मिल रहा है ।"

शीतल सरारत से ।" मलहम बताओ में ला के दे देती हूं ।"

जिशु ।" ये तो इस दर्द की इलाज करने वाली ही जानती हे की कौनसा मलहम लगाना है । "

शीतल की मुस्कान बड़ी हो जाती हे और प्यार से उसे देख के उसकी तरफ झुकी चली जाती है और जिशु के होंठो के करीब होंठ रख देती है और चूमने का भाव कर के नीचे सड़क के जिशू के दिल पर चूम लेती है । जहा जिशू की धड़कन बढ़ गई थी की शीतल उसके लबों को पीने वाली है वोही शीतल की सरारत देख के हांसी निकल जाती हे । और शीतल को भी हांसी आ जाती हे अपनी शरारत पर ।


जिशू ।" यही हांसी तो में देखना चाहता था कब से पाता नहीं कहा गायब हो गई थी । "

शीतल ।" बस अब यहीं हसी देखने को मिलेगी । आखिर मेरा दिल जीत ही लिया तूने जिद्दी कही का ।"


दोनों बस आखों में आखों डाल के देखते रहते हे होंठो में मुस्कान लिए । जैसे आखों से दिल की हजारों बाते कह रहा हो ।




जिशू प्यार से शीतल की गाल सेहला देता हे जिससे शीतल को उसकी मजबूत हाथों का एहसास से उसकी आंखे बंद हो जाती हे एक पल के लिए ।


शीतल उसका हाथ थाम लेती है और चूम लेती है ।" सॉरी "

जिशु ।" प्लीज मत कहो ऐसा । मुझे शर्मिंदा ना करो । "

शीतल ।" पर आज हद पार कर दी मैंने ।"

जिशू ।" कुछ ना कहो । बस मेरी छीने में शीर रख दो आप मुझे आपको महसूस करना है दिल से लगा कर ।"


शीतल झुक जाती हे और जिशु छोड़ी छाती पे गाल रख के जिशू की दिल की धड़कनों को सुनती रहती है । जिशु उसकी एक पीठ पे रख देता है और दूसरा हाथ रेशमि बालो पे उंगलियां फिराने लगता हे । तभी उसकी नजर शीतल की सुन्न गले पर पड़ता हे ।(आंटी ने मंगलसूत्र नहीं पहनी है आज)


जिशु ।" आंटी आपने मंगलसूत्र नही पहना है आज ।"

शीतल कुछ पल रूक के ।" उस दिन के बाद कभी पहनी नही जो तूने उतारा था ।"

जिशु ।" अगर में आपको नया मंगलसूत्र पहनाऊँ तो पहनोगी ।"

शीतल उसके तरफ देखने लगती है प्यार से ।" क्यूं ।"

जिशू ।" में आपका नया पति जो बन जाऊंगा । पहनाने दोगी मुझे ।"

शीतल मुस्कुराती है ।" मुझे ऐसा अकरू पति नहीं चाहिए ।"

जिशू मुस्कुरा कर ।" आप सीधी कर देना मुझे बेलन से मार मार के ।"

हिहिहिही ।


दोनो एक दूसरे से प्यार भरी बातें करती रहती है ऐसे ही ।
Superb updated
 

Universekaka

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Update 38





Hospital



शीतल वार्ड में डोरी भागी चली जाती है लेकिन एक नर्स ने उसे रोक लिया । शीतल को दीपाली और तराली समझती हे चारा कुछ लेकिन एक नजर जो शीतल को खा जाने वाली नजरो से देख रही थी । शीतल को उस नज़र का एहसास होती है की उसने उसकी बेटे की ये हालत कर दी है । शीतल को एहसास होता है जिशू का दोषी वो है । वो तानिया को माफी की नजर से देखती है लेकिन तानिया उससे मुंह फेर लेती है एक शब्द भी नहीं बोलती । तानिया दुख में थी और वो जिशू का दुर्दासा की जमीदार शीतल को समझ रही थी ।


दीपाली नर्स से कहती हे ।" प्लीज इसे एक बार मिलने दीजिए ।"

नर्स ।" देखिए आप लोगो को पहले से कह दिया है इतने लोगो को हॉस्पिटल एलाऊ नही करती है मिलने को । और आप है की यही डेरा जमाए बैठे हे । बार बार कह रही हूं कमसे कम आप हॉस्पिटल के बाहर जा के रुकिए । कैफेटेरिया में भी आप लोग रूक सकते हे ।"


खेर काफी निवेदन करने के बाद शीतल को जिशू से मिलने दिया जाता है । तपन , विशू , और शेतन एक दूसरे को इशारा करता है वो इस बात समझते हे अब तोता मैना को अकेला छोड़ देना चाहिए और तानिया, तराली,दीपाली को हॉस्पिटल के बाहर ले जाता है ।


शीतल जिशू को बेड पे अध लिया देखती हे जिसके शिर की ऊपरी हिस्से में मोती बेंदेज बंधा गया था । लेकिन जिशू के चेहरे पे ये क्या । शीतल को देखते ही बड़ी सी मुस्कान ।



शीतल की आसू निकल जाती हे और जिशू के बेड पे बैठ जाती है । जिशू को बस निहारने लगती है प्यार से ।

जिशु मुस्कुरा कर ।" आपकी आखों में आसू अच्छे नही लगती ।"

शीतल भावुक हो कर ।" तो फिर आसू आने क्यूं देते हो । क्या बिगाड़ा मेने तुम्हारा जो मुझे इतना छटा रहे हो । क्यूं किया ऐसा खुद को छोट पोहोछा के क्या साबित करना चाहता था । कबीर सिंग बनना चाहता था तू दारा रांग दारा रांग करना चाहता था तू हा । दिखा दी ना अपनी सड़क छाप आशिकी । तुम्हे क्या लगा मुझे खुशी होगी और में मान जाऊंगी हा । मेरे दिल से पूछ क्या महसूस कर रही हूं में । जब तू मिला था अपनी मम्मी की गोद * बसर का मिला था । यूं कर के गोद में लिया था तुझे और शर्मा के बापच अपनी मम्मी के गोद में गया था तू लेकिन मैने भी हार नही मानी और तुझे चॉकलेट डे के माना के अपनी गोद में खिलाया तेरे कमल गालों को दबाया । वो एहसास आज भी याद है मुझे जब तू मेरे गोद में खुशी से मुस्कुराया तब कितनी खुश हुई थी में । और आज ये सिला दिया मेरे प्यार का हा खुद को छोट पोहोचा के मेरे दिल में घाव भर दिया और ऊपर से एक मां की नाराजगी । तेरी मम्मी भी अब मुझसे नाराज़ हो गई हे ।"

जिशु पहले कबीर सिंह वाली बात पे मुस्कुराया और गंभीर हो के दिल की अल्फाज बयां किया ।" गलती हो गई क्या करू आप जैसा समझदार जो नही हूं । सही कहा में बस आपको दुख पोहचाना जानता हूं आपकी होंठो पे हसी लाने का जनता ही नही में । इसलिए तो आप मुझसे नाराज़ है माफ नही कर पा रही हे मुझे ।बोहोत दुख दिया है मैने आपको पर और दुख नही दूंगा में आपको ये मेरा वादा हे आपसे । में कभी आपको अपना चेहरा तक नहीं दिखाऊंगा । "


शीतल थप्पड़ की इशारा करती हुई ।" मारूंगी एक रख के । खुद को बोहोत बड़ा एहसानमंद हीरो समझ रहा है । "


जिशु आसू पोछ के उसका माथा चूम लेती हे । उसकी जुल्फे जिशू के चेहरे पे रोनौक लाने का काम करती है । दोनो की नजरे मिलती है करीब से और धीरे धीरे शीतल उसे देखती हुई सीधी हो जाती है । " बोहोत दर्द हो रहा है ।"

जिशु मुस्कुरा के अपनी दिल पे हाथ रख के बोला ।" पर यहां ज्यादा दर्द हो रहा है । इसका मलहम मुझे नही मिल रहा है ।"

शीतल सरारत से ।" मलहम बताओ में ला के दे देती हूं ।"

जिशु ।" ये तो इस दर्द की इलाज करने वाली ही जानती हे की कौनसा मलहम लगाना है । "

शीतल की मुस्कान बड़ी हो जाती हे और प्यार से उसे देख के उसकी तरफ झुकी चली जाती है और जिशु के होंठो के करीब होंठ रख देती है और चूमने का भाव कर के नीचे सड़क के जिशू के दिल पर चूम लेती है । जहा जिशू की धड़कन बढ़ गई थी की शीतल उसके लबों को पीने वाली है वोही शीतल की सरारत देख के हांसी निकल जाती हे । और शीतल को भी हांसी आ जाती हे अपनी शरारत पर ।


जिशू ।" यही हांसी तो में देखना चाहता था कब से पाता नहीं कहा गायब हो गई थी । "

शीतल ।" बस अब यहीं हसी देखने को मिलेगी । आखिर मेरा दिल जीत ही लिया तूने जिद्दी कही का ।"


दोनों बस आखों में आखों डाल के देखते रहते हे होंठो में मुस्कान लिए । जैसे आखों से दिल की हजारों बाते कह रहा हो ।




जिशू प्यार से शीतल की गाल सेहला देता हे जिससे शीतल को उसकी मजबूत हाथों का एहसास से उसकी आंखे बंद हो जाती हे एक पल के लिए ।


शीतल उसका हाथ थाम लेती है और चूम लेती है ।" सॉरी "

जिशु ।" प्लीज मत कहो ऐसा । मुझे शर्मिंदा ना करो । "

शीतल ।" पर आज हद पार कर दी मैंने ।"

जिशू ।" कुछ ना कहो । बस मेरी छीने में शीर रख दो आप मुझे आपको महसूस करना है दिल से लगा कर ।"


शीतल झुक जाती हे और जिशु छोड़ी छाती पे गाल रख के जिशू की दिल की धड़कनों को सुनती रहती है । जिशु उसकी एक पीठ पे रख देता है और दूसरा हाथ रेशमि बालो पे उंगलियां फिराने लगता हे । तभी उसकी नजर शीतल की सुन्न गले पर पड़ता हे ।(आंटी ने मंगलसूत्र नहीं पहनी है आज)


जिशु ।" आंटी आपने मंगलसूत्र नही पहना है आज ।"

शीतल कुछ पल रूक के ।" उस दिन के बाद कभी पहनी नही जो तूने उतारा था ।"

जिशु ।" अगर में आपको नया मंगलसूत्र पहनाऊँ तो पहनोगी ।"

शीतल उसके तरफ देखने लगती है प्यार से ।" क्यूं ।"

जिशू ।" में आपका नया पति जो बन जाऊंगा । पहनाने दोगी मुझे ।"

शीतल मुस्कुराती है ।" मुझे ऐसा अकरू पति नहीं चाहिए ।"

जिशू मुस्कुरा कर ।" आप सीधी कर देना मुझे बेलन से मार मार के ।"

हिहिहिही ।


दोनो एक दूसरे से प्यार भरी बातें करती रहती है ऐसे ही ।
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Urwife

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शीतल वार्ड में डोरी भागी चली जाती है लेकिन एक नर्स ने उसे रोक लिया । शीतल को दीपाली और तराली समझती हे चारा कुछ लेकिन एक नजर जो शीतल को खा जाने वाली नजरो से देख रही थी । शीतल को उस नज़र का एहसास होती है की उसने उसकी बेटे की ये हालत कर दी है । शीतल को एहसास होता है जिशू का दोषी वो है । वो तानिया को माफी की नजर से देखती है लेकिन तानिया उससे मुंह फेर लेती है एक शब्द भी नहीं बोलती । तानिया दुख में थी और वो जिशू का दुर्दासा की जमीदार शीतल को समझ रही थी ।


दीपाली नर्स से कहती हे ।" प्लीज इसे एक बार मिलने दीजिए ।"

नर्स ।" देखिए आप लोगो को पहले से कह दिया है इतने लोगो को हॉस्पिटल एलाऊ नही करती है मिलने को । और आप है की यही डेरा जमाए बैठे हे । बार बार कह रही हूं कमसे कम आप हॉस्पिटल के बाहर जा के रुकिए । कैफेटेरिया में भी आप लोग रूक सकते हे ।"


खेर काफी निवेदन करने के बाद शीतल को जिशू से मिलने दिया जाता है । तपन , विशू , और शेतन एक दूसरे को इशारा करता है वो इस बात समझते हे अब तोता मैना को अकेला छोड़ देना चाहिए और तानिया, तराली,दीपाली को हॉस्पिटल के बाहर ले जाता है ।


शीतल जिशू को बेड पे अध लिया देखती हे जिसके शिर की ऊपरी हिस्से में मोती बेंदेज बंधा गया था । लेकिन जिशू के चेहरे पे ये क्या । शीतल को देखते ही बड़ी सी मुस्कान ।



शीतल की आसू निकल जाती हे और जिशू के बेड पे बैठ जाती है । जिशू को बस निहारने लगती है प्यार से ।

जिशु मुस्कुरा कर ।" आपकी आखों में आसू अच्छे नही लगती ।"

शीतल भावुक हो कर ।" तो फिर आसू आने क्यूं देते हो । क्या बिगाड़ा मेने तुम्हारा जो मुझे इतना छटा रहे हो । क्यूं किया ऐसा खुद को छोट पोहोछा के क्या साबित करना चाहता था । कबीर सिंग बनना चाहता था तू दारा रांग दारा रांग करना चाहता था तू हा । दिखा दी ना अपनी सड़क छाप आशिकी । तुम्हे क्या लगा मुझे खुशी होगी और में मान जाऊंगी हा । मेरे दिल से पूछ क्या महसूस कर रही हूं में । जब तू मिला था अपनी मम्मी की गोद * बसर का मिला था । यूं कर के गोद में लिया था तुझे और शर्मा के बापच अपनी मम्मी के गोद में गया था तू लेकिन मैने भी हार नही मानी और तुझे चॉकलेट डे के माना के अपनी गोद में खिलाया तेरे कमल गालों को दबाया । वो एहसास आज भी याद है मुझे जब तू मेरे गोद में खुशी से मुस्कुराया तब कितनी खुश हुई थी में । और आज ये सिला दिया मेरे प्यार का हा खुद को छोट पोहोचा के मेरे दिल में घाव भर दिया और ऊपर से एक मां की नाराजगी । तेरी मम्मी भी अब मुझसे नाराज़ हो गई हे ।"

जिशु पहले कबीर सिंह वाली बात पे मुस्कुराया और गंभीर हो के दिल की अल्फाज बयां किया ।" गलती हो गई क्या करू आप जैसा समझदार जो नही हूं । सही कहा में बस आपको दुख पोहचाना जानता हूं आपकी होंठो पे हसी लाने का जनता ही नही में । इसलिए तो आप मुझसे नाराज़ है माफ नही कर पा रही हे मुझे ।बोहोत दुख दिया है मैने आपको पर और दुख नही दूंगा में आपको ये मेरा वादा हे आपसे । में कभी आपको अपना चेहरा तक नहीं दिखाऊंगा । "


शीतल थप्पड़ की इशारा करती हुई ।" मारूंगी एक रख के । खुद को बोहोत बड़ा एहसानमंद हीरो समझ रहा है । "


जिशु आसू पोछ के उसका माथा चूम लेती हे । उसकी जुल्फे जिशू के चेहरे पे रोनौक लाने का काम करती है । दोनो की नजरे मिलती है करीब से और धीरे धीरे शीतल उसे देखती हुई सीधी हो जाती है । " बोहोत दर्द हो रहा है ।"

जिशु मुस्कुरा के अपनी दिल पे हाथ रख के बोला ।" पर यहां ज्यादा दर्द हो रहा है । इसका मलहम मुझे नही मिल रहा है ।"

शीतल सरारत से ।" मलहम बताओ में ला के दे देती हूं ।"

जिशु ।" ये तो इस दर्द की इलाज करने वाली ही जानती हे की कौनसा मलहम लगाना है । "

शीतल की मुस्कान बड़ी हो जाती हे और प्यार से उसे देख के उसकी तरफ झुकी चली जाती है और जिशु के होंठो के करीब होंठ रख देती है और चूमने का भाव कर के नीचे सड़क के जिशू के दिल पर चूम लेती है । जहा जिशू की धड़कन बढ़ गई थी की शीतल उसके लबों को पीने वाली है वोही शीतल की सरारत देख के हांसी निकल जाती हे । और शीतल को भी हांसी आ जाती हे अपनी शरारत पर ।


जिशू ।" यही हांसी तो में देखना चाहता था कब से पाता नहीं कहा गायब हो गई थी । "

शीतल ।" बस अब यहीं हसी देखने को मिलेगी । आखिर मेरा दिल जीत ही लिया तूने जिद्दी कही का ।"


दोनों बस आखों में आखों डाल के देखते रहते हे होंठो में मुस्कान लिए । जैसे आखों से दिल की हजारों बाते कह रहा हो ।




जिशू प्यार से शीतल की गाल सेहला देता हे जिससे शीतल को उसकी मजबूत हाथों का एहसास से उसकी आंखे बंद हो जाती हे एक पल के लिए ।


शीतल उसका हाथ थाम लेती है और चूम लेती है ।" सॉरी "

जिशु ।" प्लीज मत कहो ऐसा । मुझे शर्मिंदा ना करो । "

शीतल ।" पर आज हद पार कर दी मैंने ।"

जिशू ।" कुछ ना कहो । बस मेरी छीने में शीर रख दो आप मुझे आपको महसूस करना है दिल से लगा कर ।"


शीतल झुक जाती हे और जिशु छोड़ी छाती पे गाल रख के जिशू की दिल की धड़कनों को सुनती रहती है । जिशु उसकी एक पीठ पे रख देता है और दूसरा हाथ रेशमि बालो पे उंगलियां फिराने लगता हे । तभी उसकी नजर शीतल की सुन्न गले पर पड़ता हे ।(आंटी ने मंगलसूत्र नहीं पहनी है आज)


जिशु ।" आंटी आपने मंगलसूत्र नही पहना है आज ।"

शीतल कुछ पल रूक के ।" उस दिन के बाद कभी पहनी नही जो तूने उतारा था ।"

जिशु ।" अगर में आपको नया मंगलसूत्र पहनाऊँ तो पहनोगी ।"

शीतल उसके तरफ देखने लगती है प्यार से ।" क्यूं ।"

जिशू ।" में आपका नया पति जो बन जाऊंगा । पहनाने दोगी मुझे ।"

शीतल मुस्कुराती है ।" मुझे ऐसा अकरू पति नहीं चाहिए ।"

जिशू मुस्कुरा कर ।" आप सीधी कर देना मुझे बेलन से मार मार के ।"

हिहिहिही ।


दोनो एक दूसरे से प्यार भरी बातें करती रहती है ऐसे ही ।
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