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तपन अपने लंड पर कॉन्डम चढ़ा लेता हे और आधी सीसी लुब्रिकेंट मल के तानिया की ऊपर चढ़ जाता है । दोनो की आखों से आंख मिलती है और दोनो ही सहमति जताता है ।
तानिया अपनी शिर के नीचे दो तकिए रख देती है ताकि उसकी हाथ नीचे पोहोच जाए । अपने नए पति का लन्ड पकड़ कर अपनी गान्ड की छेद पर लगा के जिशु को आखों से जवाब देती है जिशु की अपने सुपाड़े से तानिया की गांड के छल्ले का एहसास होता है और वो दबाव देता है लेकिन लंड पिछल जाता है ।
तानिया फिर से निशाना साध देती है और ध्यान रखती है की इस बार ना पिछले । जिशू उसकी आखों में देख के फिर दबाव देता है इस बार उसका लन्ड गांड की छेद भेद करते हुए एक चौथाई हिस्सा घुस जाता है तो तानिया तुरंत ही बची हुई लंड के हिस्से को कस के मुट्ठी मार के आन्ह्ह्ह कर के जोर से चीख पड़ती है ।
कमरे की दीवार लकड़ी को जिससे काफी दरारे थी तानिया की चिंख दूसरे कमरे तक सुनाई देती है ।
Room no 2
जिशु और शीतल को तानिया की चीख सुन के अपने कार्य पर रोध लगा देते है । जिशु बरबर करता हे ,,साला कमीना ,,
शीतल मुस्कुराने लगती है । जिशू भी मुस्कुराता है उसे देख कर और उसकी टांगो के जगह बना लेता है (हरामी साला रूक तुझे बताता हू ) और शीतल की चूत पर कड़ारा धक्का मारता है ।
शीतल दर्द से बिलबिला उठती है उसकी चीख दूसरे कमरे में जाती है ,, उईईईह्ह्ह मर गई ,,
Room no 1
तपन अभी भी कशिश में लगा था लेकिन अपनी मम्मी की चींख सुन के रूक जाता है ।तानिया की हसी निकल जाती है ।
तानिया मुस्कुरा कर ,, क्या हुआ अब पता चला किसी की मम्मी के साथ ,,,
तपन मुस्कुराता हे ,, थोड़ा सेहन करना प्लीज,,
तानिया ,, नही जोर से मत करना ,,
तपन तानिया को बाहों में भर के धक्के लगाने शुरू करते हे । तानिया हर धक्के के साथ घुट घूट के आन्न्ह्ह्ह आन्ह्ह्ह्ह अन्ह्ह्ह कर के गला फाड़ रही थी । उसकी भींची आंखे चेहरे की भाव बता रही थी की उसे तकलीफ हो रही है । लेकिन झेल रही थी जो एक औरत में वो सेहन शक्ति की ताकत छुपी रहती हे । तपन का लंड के आधे हिस्से उसकी टाईट गांड में कस के फैला कर घुसता था और बाहर निकलता था । सुकर था की उसकी गांड टाईट होने की वजह से लंड तेजी से घुस नहीं पा रहे थे ।
Room no 2
जिशु शीतल की आखों में देख के उसकी होंठ चूसने लगता है और एक मध्यम रफ्तार में शीतल को चोदने लगता हे । जिशू का लंड उसकी गीली चूत के पूरी गेहराई माप ले रहा था । शुरू के कुछ पल शीतल बोहोत चिंखी लेकिन बाद में उसे निरंतर आनन्द आने लगी और जिशु को कस के गले लगा के पूरी साथ देते हुए आह्ह्ह्ह उह्ह्ह कर ले कामसुख का आनंद उठाने लगी । जिशु बीच बीच में उसकी गाल चूमता कंधे चूमता बदन को मसलता । शीतल शर्म आ रही उसका बेटा उसके पास ही था दूसरे कमरे जिसकी हरकत सुनाई दे रहा था । लेकिन उस निजी असीलता पर उसे एक अलग ही जोश महसूस हो रही थी । और जिशू के आखों में आंख डाले जता रही थी की उसे कितनी कामसुख मिल रही है जिशु से ।
Room no 1
तपन थोड़ी देर के लिए विराम लेता है । तानिया भी राहत लेती है । गांड चुदाई में चूत चुदाई का मजा तो नहीं हे लेकिन किसी किसी को एक चचका लग जाती है जो कभी कभी किसी को वो चचका चूत चुदाई की मेज से ज्यादा आनंदायक होती है । पर तानिया को गांड मरवाने का कोई चचका नही थी । लेकिन आज पहली बार उसे अलग ही महसूस हुई । तपन की बाहों में कसती हुई खुद को आगोश में पा कर और तपन के लंड से बेहाल हो कर जिस्मानी रूप से मर्द का एहसास पा कर खुश थी । हर औरत चाहती है उसका पार्टनर जिस्मानी रूप से बेहतर हो ताकि उसको संतुषी दे सके । तपन ने उसकी रक्षा कर के पहले जी जता दिया था कि वो उससे कितना प्यार करता है खयाल रखता है । तानिया तपन से पूरी तरह से कायल हो चुकी थी ।
तानिया लंबी लंबी सांस ले के ,, फाड़ दी मेरी तूने ,,
तपन ,, ज्यादा दर्द हुआ क्या ,,
तानिया मुस्कुरा कर ,, नही बरदस्त कर सकती हू । तुम्हे कैसा लगा मजा आया ,,
तपन,, हा मजा तो आयेगा ही लेकिन थोड़ा अलग लगा । वो जो तुम्हारी छेद का मुंह हे ना वो एक दम रबर की तरह खींच के रखती है लेकिन अंदर नर्म नर्म अच्छा लगता है ।,
तानिया मुस्कुराती है ,, अच्छा भूल मत तुम्हारी भी वैसा ही है ,,
तपन हस पड़ता है ,, कितनी गंदी हो ,,
तानिया ,, चलो रूक क्यू गए ,,
तपन ,, थोरी गंदी बाते करो ना उनको सुना दो ताकि जले ,,,
तानिया मुस्कुराती हे । तपन फिर धक्के मारने लगता हे तानिया को भी मजा लेने की मन करता है और वो चिल्लाने लग जाती है ,, ,, ओह जानू आन्ह्ह्ह जानू उह्ह्ह्ह नहीं । प्लीज धीरे अन्ह्ह्ह मर गई । उन्ह्ह्ह्ह जानू अप्प्स आआह्ह्ह नही फट जायेगी । प्लीज जानू प्लीज ।,,,
Room no 2
जिशु कान खड़े कर के ,,, साला हरामी कर क्या रहा है ,,
शीतल उसे प्यार करती हे उसके गाल चूम के बोलती है ,,, शिंता मत करो तुम्हारी मम्मी को मजा आ रही है ,,,
जिशू,,, आपको कैसे पाता ,,
शीतल मुस्कुरा के ,, बस पता हे हर चीज बताए नही जाते है । कुछ चीजें समझा जाता है ,,
जिशु मुस्कुराता है और शीतल की लबों पीने लगता है । जिशु उसकी जीव डाल के सलाइवा पीने लगता है । शीतल मुग्ध हो जाती है कभी उसके पति ने ऐसे क्रीड़ा करते हुए जोशीला चुम्बन बिना टूटे कभी नही किया ।
जिशु अपनी मम्मी की कामुक आवाज़ें सुन के जोश में ताबड़ तोड़ धाक्के मारने लग जाते हे ।शीतल आनन्द में खुले मन से चुदवाने लगती है ।
एक नई बात थी की दोनो दोस्त को एक नया एहसास मिला एक नई अनुभव अपनी अपनी मम्मी की कामुक आवाज़ें सुन के जोश में एक दूसरे की मम्मी को चोदा मन में एक सुखद कामुक एहसास जो मिला था वो अनोखा था जो कभी सायेद एक दूसरे से बयान नहीं करेंगे ।
इस बार भी फिर एक बाप को मामू बनाना था । और इस बार भी चार बाप आसानी से मामू बन गए । चारो ने ऐसा मामू बनाए अपनी उम्र की तजुर्बे से मात खा गए । अपने अपने कमीने बेटों चाल में फांस गए थे ।
लेकिन इस बार चार बाप के साथ दो और औरतों को भी बेवकूफ बनवाना था और वो दो थी दीपाली और तराली । जिनको फसाने में तानिया और शीतल की दिमाग लगी ।
तराली और दीपाली की एक कमजोरी थी और वो थी और वो थी दोनो की मासिक धर्म यानी की माहवारी । इस जानकारी को औरते एक दूसरे के बारे में साझा करना एक प्रथा थी । जो हर महीने 25 या 26 तारीख को शुरू होती थी दोनो को ही एक साथ ।
और इन लोगो ने घर पे ये बोला की शहर के बाहर एक मंदिर में बोहोत बड़ी हुम योग्य पूजा होने वाली हे और उस पूजा में भाग लेने वाले भक्तों की दुयाय पूरी होती है । ऐसे में पवित्र पूजा में तराली और दीपाली अपनी मासिक अवस्था में कैसे जा सकती है सदियों की प्रथा के अनुसार दोनो ने जाने से माना कर दिया । और ये लोग वोही चाहते थे ।
नवंबर महीने के 26 तारीख छे छे निकल पड़े मकसद को अंजाम देने । एक पहाड़ी इलाके के छोटे से गांव में सारा कुछ प्रबंध किया था विशू और चेतन ने । और एक जुबान के पक्के पंडित को मोटी हरी पत्ती खिला के शादी का रसम पूरा करते है ।
Water over house
समय शाम के 7 बजे ।
गांव के जंगल में एक मुचवारे की लकड़ी के घर को किराए पे ले के साफ सफाई करवा के शुगहरात के लिए सजा दिया था । झोपड़ी में सिर्फ दो रूम थे जहा दिवारे भी लड़की के फर्श और चट्ट भी लड़की के बना हुआ था ।
विशू,, ओक तो आज से तुम दोनो की नई जिंदगी के लिए मुबारक हो । सब काम निपटा दिया हे तुम दोनो की दुल्हनिया अंदर दोनो एक एक कमरे में इंतजार कर रही है । अब हम दोनो विदा लेते हे ,,
जिशु,, तुम लोग कहा जा रहे हो ,,
चेतन,, मित्र क्या हैं की हमें ऐसी वैसी फिल्म देखने का कोई शोक नहीं हे ।
चेतन के मजाक में तीनों बस हास पड़ते हे ।
विशु,, ओके हम पास ही के लॉज में रहेंगे । कुछ भी जरूरत हो तो बता देना ,,
विशू और चेतन गाड़ी ले के निकल जाते हे ।
पहाड़ी की जंगल में सुहागरात एक रोमाचिक महसूस करवाने वाला खुशनुमा एक रंगीन रात होने वाली थी ।
जिशु,, ठंड बोहोत है यहां तो । चारो तरह जंगल ही जंगल कोई जंगली जानवर ना आ जाए ,,
तपन,, आ भी जाय तो घर पर चढ़ नहीं पाएंगे बोहोत ऊंची बेस है । ,,
दोनो के दिल में एक नया एहसास था एक शर्म थी जो बयान करने पर कटरा रहे थे । दोनो बिन कहे ही घर की तरफ बढ़ चले । और दरवाजे पे रुक के एक दूसरे को शुभकामनाए दे के अंदर घुसते है दोनो ही शेरवानी से अपने अपने जैकेट उतार के टांग देता है ।
Room no 1
तानिया फूलो से सजी छोटे से कमरे में चोटी सी फूलो से सांझा खटिया में सॉल ओढ़ के बैठी थी । जैसे ही तपन की तरफ देखा उसने आंख मार दी तपन की मुस्कान निकल गया । तपन गंभीर कदमों के साथ उसके पास बैठ गया । दोनो ही एक दुसरे की आंखो में खो गए । शुरुवात आखों से करने की ठान ली हो ।
Room no 2
शीतल के लिए सब कुछ नया जैसा था । जिशु के साथ शर्म की बांध अभी तक टूटी नहीं थी उसकी अब तक मर्तबे में जिशू के साथ कोई खास जिस्मानी हुई नही थी और आज की सुहागरात पर वो बुरी तरह शर्म से पानी पानी होने वाली थी ।
जिशू उसके पास जा के प्यार से बैठ जाता है और सबसे पहले नजाकत से घुंगत उठा देता हे । शीतल एक नजर ऊपर कर के जिशू को शर्मीली मुस्कान दे के नजरे नीची कर लेती है
।
Room no 1
तपन ,, वाओ बेबी आज तो कहर डालने वाली हो मेरे ऊपर तुम ,,
तानिया,, पहले मुंह दिखाई ,,
तपन हस के जैप से एक चमकती हुई नाग मनी निकल के दिया । तानिया खुशी से झूम उठी ।
तपन,, नही ज्यादा महंगा नहीं है यहां सस्ता ही मिला,,
तानिया नखरा दिखाती हुई ,, तो तुम सस्ते चीज दे के मेरो कीमती चीज लूटना चाहते हो ,,
तपन उसे बाहों में भर लेता है और मर्दानगी अंदाज में उसकी गेहने उतरने लगता है ,, सात बच्चन के साथ तुम्हे जेवरात से तोल भी दूंगा एक दिन बस कुछ समय दो अपने पेड़ो पे खड़े होने का ,,
तानिया उसे गले से लगा के बोली ,, इसकी मोह नही मुझे । बस बाकी की जिंदगी तुम्हारे बाहों में गुजर चकु मेरी ख्वाइश है ,,
तपन ,, मेरी पहनाई हुई मंगलसूत्र और मेरी भरी हुई मांग की सिन्दूर में बोहोत खूबसूरत लग रही हो पहले से ज्यादा निखार और मेहेक रही हो । आज बर्दास्त कर लेना में आज लावा बनने वाला हूं ।,,
तानिया बस मुस्कुराती है वो समझ गई थी आज की सुहागरात कुछ खास होने वाला है ।और दोनो में नई जिंदगी की ख्वाइसो पर चर्चित करने लग जाते है
Room no 2
जिशु उपहार के तोर पर एक कमर बेंड भेत करता है । शीतल शर्माती हुई गिफ्ट को साइड पर रख कर ,, शुक्रिया आपका ,, और केसर वाला दूध आगे कर देती है ।
जिशू दूध ले के एक सांस में पूरा ग्लास पी जाता है । शीतल मुंह दबा के मुस्कुराने लगती है ।
जिशू ग्लास टेबल पर रख कर ,, वो सुबह से उपवास में था ना तो । और बोहोत स्वादिश था ,,
शीतल फिक्र जाता कर ,, रुको में खाना लाती हूं बाहर कुछ खाना रखा है,,
जिशू बिस्तर पर लेट जाता हे और शीतल को छाती पर गिरा लेता है । शीतल की चूड़ियां खनखन गूंज उठती हे और जिस्म पर एक रोमांचित एहसास रोम रोम में महसूस होती है लेकिन उसकी शर्म और भी बढ़ जाती हे ।
जिशू,, पंडित जी ने कहा है जब सुहागरात की रसम पूरा हो जाए तो पहले अपनी पत्नी को खिलाना फिर खुद खा लेंना,,
शीतल शर्मा के बोलती है ,, आप ने गलत सुना हे । ये बात मेरे लिए थी पत्नी पहले पति को खिलाती है फिर खुद ,,
जिशू,, मगर मेरी दुनिया में पहले आप । और ये क्या आप मुझे आप क्यू बोल रही हे । ,,
शीतल,, क्यू की रिश्ते मे तो आप बड़े हे ,,
जिशू,, नहीं में चाहता हूं हम दोनों जब भी बात करे एक समान हो कर बात करे इसलिए नो आप ठीक है ,,
शीतल उसकी छाती पे मुंह छुपा लेती हे ,,ठीक है तुम भी नो आप,,
वेसे तो जिन्होनें मना ली है वो इसका उत्तर अधिक अच्छे से दे पायंगे, फिर भी यदि इसका शाब्दिक अर्थ भी करे तो
सुहाग+रात
सुहाग का एक अर्थ सौभाग्य भी होता है। तो नव दंपति को उनके सौभाग्य से यह रात प्राप्त होती है। तो यह उनके लिए सौभाग्य की रात भी है।
दूसरा इसे पत्नी के दृष्टिकोण से देंखे तो क्योकि कन्या पहली बार सुहागन बनती है इसलिए उसकी पहली रात उसके पति यानी उसके सुहाग के साथ होती है। तो उसके सुहाग के साथ उसकी पहली रात होती है।
ओर भी अनेक कारण हो सकते है, जिस कारण हमारे पूर्वजों ने इसे सुहागरात नाम दिया।
सुहागरात एक दूसरे को समझने की रात होती हैं, एक दूसरे को मन से अपनाने की रात होती हैं, एक दूसरे को ये एहसास करवाने की रात होती हैं की अब आप में और उन में कोई फर्क नहीं हैं। लेकिन दोनों जोड़े की रिश्ते कुछ अलग प्रकार के थे ।
Room no 1
तपन तानिया की जिस्म से हर एक गहने के साथ हर एक वस्त्र उतार देता हे । माना जाता है सर्दी में शादी करने का मजा ही कुछ अलग होती है योन संबंध में लुफ्त ज्यादा होता हे ।
लेकिन ठंड की वजह से तपन और तानिया कंबल के अंदर थी जो दोनो निबस्त्र । तपन तानिया की जिस्म पर हर एक अंग को चूमना चाहता था लेकिन कंबल के अंदर मुस्किल होता है रोसनी पर तानिया की गोरी चिकनी त्वचा दिखाई जो नहीं पड़ती थी ।
तपन फिर भी तानिया की टांगो के बीच जीव से कामुक खेल की शुरुवात करता हे कंबल के अंदर ही । तानिया की हाथो पे रची महंगी उसकी चेहरे की चमकती हुई मेकअप की वज़ह से कुंवारी दुल्हन लग रही थी । खटिए पे काम सुख से सिसिया रही थी ।
Room 2
जिशु हर एक अंग चूमते हुए शीतल को नंगी कर देती है । शीतल कसमसाती हुई शर्म से अपने आपको कंबल में छुपाने की नाकाम कशिश करती हे । जिशु भी कंबल के अंदर नंगा था ।
जिशु शीतल की शर्माती हुई चेहरे को प्यार कर के बोला ,,, क्या तुम तैयार हो । अगर तुम्हे वक्त चाहिए तो हम जब तक चाहे रूक सकते हे ।
शीतल आज प्यार की प्यासी थी वो जिशू के आगोश में समा के बिन लफ्जों से ही बयां कर देती है दिल की बात ।
Room no 1
तपन और तानिया के बीच की रिश्ते में अब तक एक गेहरी रिश्ते बन चुका था । जो एक दूसरे से जिस्मानी होने एक शर्म मिट के एक समझ बनती है को एक दूसरे की भाव से ही समझ जाते थे की एक दूसरे को क्या चाहिए वो बंधन पहले ही बंध चुकी थी ।
कम्बल से बाहर सिर्फ दोनो के ही गर्दन निकले हुए थे । दोनो अब बस मिलन की आनंद उठाना चाहते थे ।
तपन तानिया की आखों में देखते हुए ,, बेबी आज हमारा सुहागरात हे कुछ नया होना चाहिए ना ,,
तानिया उसकी नाक में नाक रगड़ती हुई,, जानू नया करने को बचा ही क्या है अब अब तक हमने 156 बार कर चुके हे और तुमने हर पोजीशन में किया हे । कम्बल के अंदर और क्या नया करोगे । में खुश इस बात से की तुम रीति रिवाज से मेरे पति बन गए हो चाहे जो भी हो पति तो बन गए मेरे ,,
तपन उसकी कान फुसफुसाता है ,, एक जगह हे जो तूने मुझे अब तक छूने भी नहीं दी ,,
तानिया समझ जाती है उसकी होंठो पे मुस्कान आ जाती है ,, नहीं बाबा वाहा नेही ,,
तपन,, क्यूं आज ट्राय कर लो । और तुमने तो बताया था की वाहा पहले भी किया है,,
तानिया ,, उम्म्म तुम क्या चाहते हो सुबह अपने बेटे और तुम्हारे दोस्तो के सामने लंगड़ाती फिरू । क्या सोचेंगे मेरे बारे में मुझे शर्म नही आयेगी क्या ,,
तपन मजाक करते हुए ,, सुना है गाओ में अगर सुहागरात के दूसरे दिन लंगड़ा के ना चले तब दूल्हे कि बड़ी खिंचाई होती है । और में वो खिंचाई अपने दोस्तो से नही सुनना चाहता ,,
तानिया जूठी गुस्से से ,, तो अपने दोस्तों के आगे मर्दानगी दिखाने के लिए मेरे साथ ऐसा करोगे ,, फिर मजाक करते हुए ,, में भी जिशु बोल दूंगा फिर शीतल की हालत खराब करने के लिए,,
तपन हस पड़ता है ,, धेत्त । में तो मजाक कर रहा था । वैसे ऐसा हुआ तो में भी तुम्हे नहीं छोडूंगा खा जाऊंगा तुझे ।
तानिया उसकी गाल सेहलाके ,, मन कर रहा है क्या ,,
तपन शीर हिला कर ,, हम्म लेकिन तुम ना करो तो नही करूंगा ,,
तानिया ,, तुम्हे कैसे माना कर सकती हूं में । आज तो कतई नही । कुछ तेल जैसा कुछ चीज है ,,
तपन ,, हा विशु ने एक लुब्रिकेंट और चेतन ने कंडोम दिया था हम दोनो को ,,
तानिया मुस्कुराती है ,, बदमाश कहिका ये सब भी दिया है । अच्छा कंडोम से करना सही होगा आसानी होगी । तुम्हे बुरा तो नहीं लगा ,,
तपन ,, नहीं इसमें क्या बुरा लगेगा मेने भी अब तक कंडोम से ट्राई नहीं किया आज कर लेटे हे । ,,
तपन अपनी शेरवानी की जैप से लुब्रिकेंट की सीसी और कंडोम निकाल लेता हे ,,
Room no 2
जिशु शीतल को कंबल के अंदर निबस्त्र कर के हर एक अंग चूमने लगा था । शीतल आंखे बंद कर के बस जिशु को अपनी जिस्म को हर एक चुम्बन के साथ सोप दे रही थी । सुखद आनंद की आहे मुंह में दबा रही थी क्यू की उसे शर्म आ रही थी ।
जिशु उसकी चूत की भगनासा को जीव से भोग रहा था । जिशु मन में (क्या आंटी को भी मेरा चुसवा दूं । अरे नही वो शर्म के मारे मर जायेगी लेकिन उस दिन तो चूसा था । नहीं उस दिन नशे में थी आज की बात अलग है एक होश में और ऊपर से पति भी बन गया हू आज नही कर पाएगी )
जिशु उसकी चूत काफी देर तक चूसता है जिससे शीतल पानी छोड़ रही थी और आनंद में नई जगत की लुप्त हो जा रही थी । जिशु उसकी मोटी जांघो को चूमता हुए उसकी नाभी से खेलने के साथ उसकी मखमल पेट भी मसलते हुऐ चूम के शीतल को पूरी तरह से कामुत्तेजोक कर देता है । शीतल अपनी जिंदगी की अध्याय में पहली बार एक नई काम सुख की आनंद को महसूस कर रही थी एक गैर जो अब पति बन कर उसकी रोम रोम से जुड़ चुकी है ।
जिशु उसकी बड़ी आकर की चुचियों को मसल मसल के पीने लगती है । शीतल धीरे धीरे शर्म का परदा गिरा देती है और नशीली सुखमय कामुक नजरो से जिशु को देख रही थी लेकिन इस बार अपनी आह को खुल के निकलती है ।
तपन अपने लंड पर कॉन्डम चढ़ा लेता हे और आधी सीसी लुब्रिकेंट मल के तानिया की ऊपर चढ़ जाता है । दोनो की आखों से आंख मिलती है और दोनो ही सहमति जताता है ।
तानिया अपनी शिर के नीचे दो तकिए रख देती है ताकि उसकी हाथ नीचे पोहोच जाए । अपने नए पति का लन्ड पकड़ कर अपनी गान्ड की छेद पर लगा के जिशु को आखों से जवाब देती है जिशु की अपने सुपाड़े से तानिया की गांड के छल्ले का एहसास होता है और वो दबाव देता है लेकिन लंड पिछल जाता है ।
तानिया फिर से निशाना साध देती है और ध्यान रखती है की इस बार ना पिछले । जिशू उसकी आखों में देख के फिर दबाव देता है इस बार उसका लन्ड गांड की छेद भेद करते हुए एक चौथाई हिस्सा घुस जाता है तो तानिया तुरंत ही बची हुई लंड के हिस्से को कस के मुट्ठी मार के आन्ह्ह्ह कर के जोर से चीख पड़ती है ।
कमरे की दीवार लकड़ी को जिससे काफी दरारे थी तानिया की चिंख दूसरे कमरे तक सुनाई देती है ।
Room no 2
जिशु और शीतल को तानिया की चीख सुन के अपने कार्य पर रोध लगा देते है । जिशु बरबर करता हे ,,साला कमीना ,,
शीतल मुस्कुराने लगती है । जिशू भी मुस्कुराता है उसे देख कर और उसकी टांगो के जगह बना लेता है (हरामी साला रूक तुझे बताता हू ) और शीतल की चूत पर कड़ारा धक्का मारता है ।
शीतल दर्द से बिलबिला उठती है उसकी चीख दूसरे कमरे में जाती है ,, उईईईह्ह्ह मर गई ,,
Room no 1
तपन अभी भी कशिश में लगा था लेकिन अपनी मम्मी की चींख सुन के रूक जाता है ।तानिया की हसी निकल जाती है ।
तानिया मुस्कुरा कर ,, क्या हुआ अब पता चला किसी की मम्मी के साथ ,,,
तपन मुस्कुराता हे ,, थोड़ा सेहन करना प्लीज,,
तानिया ,, नही जोर से मत करना ,,
तपन तानिया को बाहों में भर के धक्के लगाने शुरू करते हे । तानिया हर धक्के के साथ घुट घूट के आन्न्ह्ह्ह आन्ह्ह्ह्ह अन्ह्ह्ह कर के गला फाड़ रही थी । उसकी भींची आंखे चेहरे की भाव बता रही थी की उसे तकलीफ हो रही है । लेकिन झेल रही थी जो एक औरत में वो सेहन शक्ति की ताकत छुपी रहती हे । तपन का लंड के आधे हिस्से उसकी टाईट गांड में कस के फैला कर घुसता था और बाहर निकलता था । सुकर था की उसकी गांड टाईट होने की वजह से लंड तेजी से घुस नहीं पा रहे थे ।
Room no 2
जिशु शीतल की आखों में देख के उसकी होंठ चूसने लगता है और एक मध्यम रफ्तार में शीतल को चोदने लगता हे । जिशू का लंड उसकी गीली चूत के पूरी गेहराई माप ले रहा था । शुरू के कुछ पल शीतल बोहोत चिंखी लेकिन बाद में उसे निरंतर आनन्द आने लगी और जिशु को कस के गले लगा के पूरी साथ देते हुए आह्ह्ह्ह उह्ह्ह कर ले कामसुख का आनंद उठाने लगी । जिशु बीच बीच में उसकी गाल चूमता कंधे चूमता बदन को मसलता । शीतल शर्म आ रही उसका बेटा उसके पास ही था दूसरे कमरे जिसकी हरकत सुनाई दे रहा था । लेकिन उस निजी असीलता पर उसे एक अलग ही जोश महसूस हो रही थी । और जिशू के आखों में आंख डाले जता रही थी की उसे कितनी कामसुख मिल रही है जिशु से ।
Room no 1
तपन थोड़ी देर के लिए विराम लेता है । तानिया भी राहत लेती है । गांड चुदाई में चूत चुदाई का मजा तो नहीं हे लेकिन किसी किसी को एक चचका लग जाती है जो कभी कभी किसी को वो चचका चूत चुदाई की मेज से ज्यादा आनंदायक होती है । पर तानिया को गांड मरवाने का कोई चचका नही थी । लेकिन आज पहली बार उसे अलग ही महसूस हुई । तपन की बाहों में कसती हुई खुद को आगोश में पा कर और तपन के लंड से बेहाल हो कर जिस्मानी रूप से मर्द का एहसास पा कर खुश थी । हर औरत चाहती है उसका पार्टनर जिस्मानी रूप से बेहतर हो ताकि उसको संतुषी दे सके । तपन ने उसकी रक्षा कर के पहले जी जता दिया था कि वो उससे कितना प्यार करता है खयाल रखता है । तानिया तपन से पूरी तरह से कायल हो चुकी थी ।
तानिया लंबी लंबी सांस ले के ,, फाड़ दी मेरी तूने ,,
तपन ,, ज्यादा दर्द हुआ क्या ,,
तानिया मुस्कुरा कर ,, नही बरदस्त कर सकती हू । तुम्हे कैसा लगा मजा आया ,,
तपन,, हा मजा तो आयेगा ही लेकिन थोड़ा अलग लगा । वो जो तुम्हारी छेद का मुंह हे ना वो एक दम रबर की तरह खींच के रखती है लेकिन अंदर नर्म नर्म अच्छा लगता है ।,
तानिया मुस्कुराती है ,, अच्छा भूल मत तुम्हारी भी वैसा ही है ,,
तपन हस पड़ता है ,, कितनी गंदी हो ,,
तानिया ,, चलो रूक क्यू गए ,,
तपन ,, थोरी गंदी बाते करो ना उनको सुना दो ताकि जले ,,,
तानिया मुस्कुराती हे । तपन फिर धक्के मारने लगता हे तानिया को भी मजा लेने की मन करता है और वो चिल्लाने लग जाती है ,, ,, ओह जानू आन्ह्ह्ह जानू उह्ह्ह्ह नहीं । प्लीज धीरे अन्ह्ह्ह मर गई । उन्ह्ह्ह्ह जानू अप्प्स आआह्ह्ह नही फट जायेगी । प्लीज जानू प्लीज ।,,,
Room no 2
जिशु कान खड़े कर के ,,, साला हरामी कर क्या रहा है ,,
शीतल उसे प्यार करती हे उसके गाल चूम के बोलती है ,,, शिंता मत करो तुम्हारी मम्मी को मजा आ रही है ,,,
जिशू,,, आपको कैसे पाता ,,
शीतल मुस्कुरा के ,, बस पता हे हर चीज बताए नही जाते है । कुछ चीजें समझा जाता है ,,
जिशु मुस्कुराता है और शीतल की लबों पीने लगता है । जिशु उसकी जीव डाल के सलाइवा पीने लगता है । शीतल मुग्ध हो जाती है कभी उसके पति ने ऐसे क्रीड़ा करते हुए जोशीला चुम्बन बिना टूटे कभी नही किया ।
जिशु अपनी मम्मी की कामुक आवाज़ें सुन के जोश में ताबड़ तोड़ धाक्के मारने लग जाते हे ।शीतल आनन्द में खुले मन से चुदवाने लगती है ।
एक नई बात थी की दोनो दोस्त को एक नया एहसास मिला एक नई अनुभव अपनी अपनी मम्मी की कामुक आवाज़ें सुन के जोश में एक दूसरे की मम्मी को चोदा मन में एक सुखद कामुक एहसास जो मिला था वो अनोखा था जो कभी सायेद एक दूसरे से बयान नहीं करेंगे ।
शीतल वार्ड में डोरी भागी चली जाती है लेकिन एक नर्स ने उसे रोक लिया । शीतल को दीपाली और तराली समझती हे चारा कुछ लेकिन एक नजर जो शीतल को खा जाने वाली नजरो से देख रही थी । शीतल को उस नज़र का एहसास होती है की उसने उसकी बेटे की ये हालत कर दी है । शीतल को एहसास होता है जिशू का दोषी वो है । वो तानिया को माफी की नजर से देखती है लेकिन तानिया उससे मुंह फेर लेती है एक शब्द भी नहीं बोलती । तानिया दुख में थी और वो जिशू का दुर्दासा की जमीदार शीतल को समझ रही थी ।
दीपाली नर्स से कहती हे ।" प्लीज इसे एक बार मिलने दीजिए ।"
नर्स ।" देखिए आप लोगो को पहले से कह दिया है इतने लोगो को हॉस्पिटल एलाऊ नही करती है मिलने को । और आप है की यही डेरा जमाए बैठे हे । बार बार कह रही हूं कमसे कम आप हॉस्पिटल के बाहर जा के रुकिए । कैफेटेरिया में भी आप लोग रूक सकते हे ।"
खेर काफी निवेदन करने के बाद शीतल को जिशू से मिलने दिया जाता है । तपन , विशू , और शेतन एक दूसरे को इशारा करता है वो इस बात समझते हे अब तोता मैना को अकेला छोड़ देना चाहिए और तानिया, तराली,दीपाली को हॉस्पिटल के बाहर ले जाता है ।
शीतल जिशू को बेड पे अध लिया देखती हे जिसके शिर की ऊपरी हिस्से में मोती बेंदेज बंधा गया था । लेकिन जिशू के चेहरे पे ये क्या । शीतल को देखते ही बड़ी सी मुस्कान ।
शीतल की आसू निकल जाती हे और जिशू के बेड पे बैठ जाती है । जिशू को बस निहारने लगती है प्यार से ।
जिशु मुस्कुरा कर ।" आपकी आखों में आसू अच्छे नही लगती ।"
शीतल भावुक हो कर ।" तो फिर आसू आने क्यूं देते हो । क्या बिगाड़ा मेने तुम्हारा जो मुझे इतना छटा रहे हो । क्यूं किया ऐसा खुद को छोट पोहोछा के क्या साबित करना चाहता था । कबीर सिंग बनना चाहता था तू दारा रांग दारा रांग करना चाहता था तू हा । दिखा दी ना अपनी सड़क छाप आशिकी । तुम्हे क्या लगा मुझे खुशी होगी और में मान जाऊंगी हा । मेरे दिल से पूछ क्या महसूस कर रही हूं में । जब तू मिला था अपनी मम्मी की गोद * बसर का मिला था । यूं कर के गोद में लिया था तुझे और शर्मा के बापच अपनी मम्मी के गोद में गया था तू लेकिन मैने भी हार नही मानी और तुझे चॉकलेट डे के माना के अपनी गोद में खिलाया तेरे कमल गालों को दबाया । वो एहसास आज भी याद है मुझे जब तू मेरे गोद में खुशी से मुस्कुराया तब कितनी खुश हुई थी में । और आज ये सिला दिया मेरे प्यार का हा खुद को छोट पोहोचा के मेरे दिल में घाव भर दिया और ऊपर से एक मां की नाराजगी । तेरी मम्मी भी अब मुझसे नाराज़ हो गई हे ।"
जिशु पहले कबीर सिंह वाली बात पे मुस्कुराया और गंभीर हो के दिल की अल्फाज बयां किया ।" गलती हो गई क्या करू आप जैसा समझदार जो नही हूं । सही कहा में बस आपको दुख पोहचाना जानता हूं आपकी होंठो पे हसी लाने का जनता ही नही में । इसलिए तो आप मुझसे नाराज़ है माफ नही कर पा रही हे मुझे ।बोहोत दुख दिया है मैने आपको पर और दुख नही दूंगा में आपको ये मेरा वादा हे आपसे । में कभी आपको अपना चेहरा तक नहीं दिखाऊंगा । "
शीतल थप्पड़ की इशारा करती हुई ।" मारूंगी एक रख के । खुद को बोहोत बड़ा एहसानमंद हीरो समझ रहा है । "
जिशु आसू पोछ के उसका माथा चूम लेती हे । उसकी जुल्फे जिशू के चेहरे पे रोनौक लाने का काम करती है । दोनो की नजरे मिलती है करीब से और धीरे धीरे शीतल उसे देखती हुई सीधी हो जाती है । " बोहोत दर्द हो रहा है ।"
जिशु मुस्कुरा के अपनी दिल पे हाथ रख के बोला ।" पर यहां ज्यादा दर्द हो रहा है । इसका मलहम मुझे नही मिल रहा है ।"
शीतल सरारत से ।" मलहम बताओ में ला के दे देती हूं ।"
जिशु ।" ये तो इस दर्द की इलाज करने वाली ही जानती हे की कौनसा मलहम लगाना है । "
शीतल की मुस्कान बड़ी हो जाती हे और प्यार से उसे देख के उसकी तरफ झुकी चली जाती है और जिशु के होंठो के करीब होंठ रख देती है और चूमने का भाव कर के नीचे सड़क के जिशू के दिल पर चूम लेती है । जहा जिशू की धड़कन बढ़ गई थी की शीतल उसके लबों को पीने वाली है वोही शीतल की सरारत देख के हांसी निकल जाती हे । और शीतल को भी हांसी आ जाती हे अपनी शरारत पर ।
जिशू ।" यही हांसी तो में देखना चाहता था कब से पाता नहीं कहा गायब हो गई थी । "
शीतल ।" बस अब यहीं हसी देखने को मिलेगी । आखिर मेरा दिल जीत ही लिया तूने जिद्दी कही का ।"
दोनों बस आखों में आखों डाल के देखते रहते हे होंठो में मुस्कान लिए । जैसे आखों से दिल की हजारों बाते कह रहा हो ।
जिशू प्यार से शीतल की गाल सेहला देता हे जिससे शीतल को उसकी मजबूत हाथों का एहसास से उसकी आंखे बंद हो जाती हे एक पल के लिए ।
शीतल उसका हाथ थाम लेती है और चूम लेती है ।" सॉरी "
जिशु ।" प्लीज मत कहो ऐसा । मुझे शर्मिंदा ना करो । "
शीतल ।" पर आज हद पार कर दी मैंने ।"
जिशू ।" कुछ ना कहो । बस मेरी छीने में शीर रख दो आप मुझे आपको महसूस करना है दिल से लगा कर ।"
शीतल झुक जाती हे और जिशु छोड़ी छाती पे गाल रख के जिशू की दिल की धड़कनों को सुनती रहती है । जिशु उसकी एक पीठ पे रख देता है और दूसरा हाथ रेशमि बालो पे उंगलियां फिराने लगता हे । तभी उसकी नजर शीतल की सुन्न गले पर पड़ता हे ।(आंटी ने मंगलसूत्र नहीं पहनी है आज)
जिशु ।" आंटी आपने मंगलसूत्र नही पहना है आज ।"
शीतल कुछ पल रूक के ।" उस दिन के बाद कभी पहनी नही जो तूने उतारा था ।"
जिशु ।" अगर में आपको नया मंगलसूत्र पहनाऊँ तो पहनोगी ।"
शीतल उसके तरफ देखने लगती है प्यार से ।" क्यूं ।"
जिशू ।" में आपका नया पति जो बन जाऊंगा । पहनाने दोगी मुझे ।"
शीतल मुस्कुराती है ।" मुझे ऐसा अकरू पति नहीं चाहिए ।"
जिशू मुस्कुरा कर ।" आप सीधी कर देना मुझे बेलन से मार मार के ।"
हिहिहिही ।
दोनो एक दूसरे से प्यार भरी बातें करती रहती है ऐसे ही ।
इस बार भी फिर एक बाप को मामू बनाना था । और इस बार भी चार बाप आसानी से मामू बन गए । चारो ने ऐसा मामू बनाए अपनी उम्र की तजुर्बे से मात खा गए । अपने अपने कमीने बेटों चाल में फांस गए थे ।
लेकिन इस बार चार बाप के साथ दो और औरतों को भी बेवकूफ बनवाना था और वो दो थी दीपाली और तराली । जिनको फसाने में तानिया और शीतल की दिमाग लगी ।
तराली और दीपाली की एक कमजोरी थी और वो थी और वो थी दोनो की मासिक धर्म यानी की माहवारी । इस जानकारी को औरते एक दूसरे के बारे में साझा करना एक प्रथा थी । जो हर महीने 25 या 26 तारीख को शुरू होती थी दोनो को ही एक साथ ।
और इन लोगो ने घर पे ये बोला की शहर के बाहर एक मंदिर में बोहोत बड़ी हुम योग्य पूजा होने वाली हे और उस पूजा में भाग लेने वाले भक्तों की दुयाय पूरी होती है । ऐसे में पवित्र पूजा में तराली और दीपाली अपनी मासिक अवस्था में कैसे जा सकती है सदियों की प्रथा के अनुसार दोनो ने जाने से माना कर दिया । और ये लोग वोही चाहते थे ।
नवंबर महीने के 26 तारीख छे छे निकल पड़े मकसद को अंजाम देने । एक पहाड़ी इलाके के छोटे से गांव में सारा कुछ प्रबंध किया था विशू और चेतन ने । और एक जुबान के पक्के पंडित को मोटी हरी पत्ती खिला के शादी का रसम पूरा करते है ।
Water over house
समय शाम के 7 बजे ।
गांव के जंगल में एक मुचवारे की लकड़ी के घर को किराए पे ले के साफ सफाई करवा के शुगहरात के लिए सजा दिया था । झोपड़ी में सिर्फ दो रूम थे जहा दिवारे भी लड़की के फर्श और चट्ट भी लड़की के बना हुआ था ।
विशू,, ओक तो आज से तुम दोनो की नई जिंदगी के लिए मुबारक हो । सब काम निपटा दिया हे तुम दोनो की दुल्हनिया अंदर दोनो एक एक कमरे में इंतजार कर रही है । अब हम दोनो विदा लेते हे ,,
जिशु,, तुम लोग कहा जा रहे हो ,,
चेतन,, मित्र क्या हैं की हमें ऐसी वैसी फिल्म देखने का कोई शोक नहीं हे ।
चेतन के मजाक में तीनों बस हास पड़ते हे ।
विशु,, ओके हम पास ही के लॉज में रहेंगे । कुछ भी जरूरत हो तो बता देना ,,
विशू और चेतन गाड़ी ले के निकल जाते हे ।
पहाड़ी की जंगल में सुहागरात एक रोमाचिक महसूस करवाने वाला खुशनुमा एक रंगीन रात होने वाली थी ।
जिशु,, ठंड बोहोत है यहां तो । चारो तरह जंगल ही जंगल कोई जंगली जानवर ना आ जाए ,,
तपन,, आ भी जाय तो घर पर चढ़ नहीं पाएंगे बोहोत ऊंची बेस है । ,,
दोनो के दिल में एक नया एहसास था एक शर्म थी जो बयान करने पर कटरा रहे थे । दोनो बिन कहे ही घर की तरफ बढ़ चले । और दरवाजे पे रुक के एक दूसरे को शुभकामनाए दे के अंदर घुसते है दोनो ही शेरवानी से अपने अपने जैकेट उतार के टांग देता है ।
Room no 1
तानिया फूलो से सजी छोटे से कमरे में चोटी सी फूलो से सांझा खटिया में सॉल ओढ़ के बैठी थी । जैसे ही तपन की तरफ देखा उसने आंख मार दी तपन की मुस्कान निकल गया । तपन गंभीर कदमों के साथ उसके पास बैठ गया । दोनो ही एक दुसरे की आंखो में खो गए । शुरुवात आखों से करने की ठान ली हो ।
Room no 2
शीतल के लिए सब कुछ नया जैसा था । जिशु के साथ शर्म की बांध अभी तक टूटी नहीं थी उसकी अब तक मर्तबे में जिशू के साथ कोई खास जिस्मानी हुई नही थी और आज की सुहागरात पर वो बुरी तरह शर्म से पानी पानी होने वाली थी ।
जिशू उसके पास जा के प्यार से बैठ जाता है और सबसे पहले नजाकत से घुंगत उठा देता हे । शीतल एक नजर ऊपर कर के जिशू को शर्मीली मुस्कान दे के नजरे नीची कर लेती है
।
Room no 1
तपन ,, वाओ बेबी आज तो कहर डालने वाली हो मेरे ऊपर तुम ,,
तानिया,, पहले मुंह दिखाई ,,
तपन हस के जैप से एक चमकती हुई नाग मनी निकल के दिया । तानिया खुशी से झूम उठी ।
तपन,, नही ज्यादा महंगा नहीं है यहां सस्ता ही मिला,,
तानिया नखरा दिखाती हुई ,, तो तुम सस्ते चीज दे के मेरो कीमती चीज लूटना चाहते हो ,,
तपन उसे बाहों में भर लेता है और मर्दानगी अंदाज में उसकी गेहने उतरने लगता है ,, सात बच्चन के साथ तुम्हे जेवरात से तोल भी दूंगा एक दिन बस कुछ समय दो अपने पेड़ो पे खड़े होने का ,,
तानिया उसे गले से लगा के बोली ,, इसकी मोह नही मुझे । बस बाकी की जिंदगी तुम्हारे बाहों में गुजर चकु मेरी ख्वाइश है ,,
तपन ,, मेरी पहनाई हुई मंगलसूत्र और मेरी भरी हुई मांग की सिन्दूर में बोहोत खूबसूरत लग रही हो पहले से ज्यादा निखार और मेहेक रही हो । आज बर्दास्त कर लेना में आज लावा बनने वाला हूं ।,,
तानिया बस मुस्कुराती है वो समझ गई थी आज की सुहागरात कुछ खास होने वाला है ।और दोनो में नई जिंदगी की ख्वाइसो पर चर्चित करने लग जाते है
Room no 2
जिशु उपहार के तोर पर एक कमर बेंड भेत करता है । शीतल शर्माती हुई गिफ्ट को साइड पर रख कर ,, शुक्रिया आपका ,, और केसर वाला दूध आगे कर देती है ।
जिशू दूध ले के एक सांस में पूरा ग्लास पी जाता है । शीतल मुंह दबा के मुस्कुराने लगती है ।
जिशू ग्लास टेबल पर रख कर ,, वो सुबह से उपवास में था ना तो । और बोहोत स्वादिश था ,,
शीतल फिक्र जाता कर ,, रुको में खाना लाती हूं बाहर कुछ खाना रखा है,,
जिशू बिस्तर पर लेट जाता हे और शीतल को छाती पर गिरा लेता है । शीतल की चूड़ियां खनखन गूंज उठती हे और जिस्म पर एक रोमांचित एहसास रोम रोम में महसूस होती है लेकिन उसकी शर्म और भी बढ़ जाती हे ।
जिशू,, पंडित जी ने कहा है जब सुहागरात की रसम पूरा हो जाए तो पहले अपनी पत्नी को खिलाना फिर खुद खा लेंना,,
शीतल शर्मा के बोलती है ,, आप ने गलत सुना हे । ये बात मेरे लिए थी पत्नी पहले पति को खिलाती है फिर खुद ,,
जिशू,, मगर मेरी दुनिया में पहले आप । और ये क्या आप मुझे आप क्यू बोल रही हे । ,,
शीतल,, क्यू की रिश्ते मे तो आप बड़े हे ,,
जिशू,, नहीं में चाहता हूं हम दोनों जब भी बात करे एक समान हो कर बात करे इसलिए नो आप ठीक है ,,
शीतल उसकी छाती पे मुंह छुपा लेती हे ,,ठीक है तुम भी नो आप,,
वेसे तो जिन्होनें मना ली है वो इसका उत्तर अधिक अच्छे से दे पायंगे, फिर भी यदि इसका शाब्दिक अर्थ भी करे तो
सुहाग+रात
सुहाग का एक अर्थ सौभाग्य भी होता है। तो नव दंपति को उनके सौभाग्य से यह रात प्राप्त होती है। तो यह उनके लिए सौभाग्य की रात भी है।
दूसरा इसे पत्नी के दृष्टिकोण से देंखे तो क्योकि कन्या पहली बार सुहागन बनती है इसलिए उसकी पहली रात उसके पति यानी उसके सुहाग के साथ होती है। तो उसके सुहाग के साथ उसकी पहली रात होती है।
ओर भी अनेक कारण हो सकते है, जिस कारण हमारे पूर्वजों ने इसे सुहागरात नाम दिया।
सुहागरात एक दूसरे को समझने की रात होती हैं, एक दूसरे को मन से अपनाने की रात होती हैं, एक दूसरे को ये एहसास करवाने की रात होती हैं की अब आप में और उन में कोई फर्क नहीं हैं। लेकिन दोनों जोड़े की रिश्ते कुछ अलग प्रकार के थे ।
Room no 1
तपन तानिया की जिस्म से हर एक गहने के साथ हर एक वस्त्र उतार देता हे । माना जाता है सर्दी में शादी करने का मजा ही कुछ अलग होती है योन संबंध में लुफ्त ज्यादा होता हे ।
लेकिन ठंड की वजह से तपन और तानिया कंबल के अंदर थी जो दोनो निबस्त्र । तपन तानिया की जिस्म पर हर एक अंग को चूमना चाहता था लेकिन कंबल के अंदर मुस्किल होता है रोसनी पर तानिया की गोरी चिकनी त्वचा दिखाई जो नहीं पड़ती थी ।
तपन फिर भी तानिया की टांगो के बीच जीव से कामुक खेल की शुरुवात करता हे कंबल के अंदर ही । तानिया की हाथो पे रची महंगी उसकी चेहरे की चमकती हुई मेकअप की वज़ह से कुंवारी दुल्हन लग रही थी । खटिए पे काम सुख से सिसिया रही थी ।
Room 2
जिशु हर एक अंग चूमते हुए शीतल को नंगी कर देती है । शीतल कसमसाती हुई शर्म से अपने आपको कंबल में छुपाने की नाकाम कशिश करती हे । जिशु भी कंबल के अंदर नंगा था ।
जिशु शीतल की शर्माती हुई चेहरे को प्यार कर के बोला ,,, क्या तुम तैयार हो । अगर तुम्हे वक्त चाहिए तो हम जब तक चाहे रूक सकते हे ।
शीतल आज प्यार की प्यासी थी वो जिशू के आगोश में समा के बिन लफ्जों से ही बयां कर देती है दिल की बात ।
Room no 1
तपन और तानिया के बीच की रिश्ते में अब तक एक गेहरी रिश्ते बन चुका था । जो एक दूसरे से जिस्मानी होने एक शर्म मिट के एक समझ बनती है को एक दूसरे की भाव से ही समझ जाते थे की एक दूसरे को क्या चाहिए वो बंधन पहले ही बंध चुकी थी ।
कम्बल से बाहर सिर्फ दोनो के ही गर्दन निकले हुए थे । दोनो अब बस मिलन की आनंद उठाना चाहते थे ।
तपन तानिया की आखों में देखते हुए ,, बेबी आज हमारा सुहागरात हे कुछ नया होना चाहिए ना ,,
तानिया उसकी नाक में नाक रगड़ती हुई,, जानू नया करने को बचा ही क्या है अब अब तक हमने 156 बार कर चुके हे और तुमने हर पोजीशन में किया हे । कम्बल के अंदर और क्या नया करोगे । में खुश इस बात से की तुम रीति रिवाज से मेरे पति बन गए हो चाहे जो भी हो पति तो बन गए मेरे ,,
तपन उसकी कान फुसफुसाता है ,, एक जगह हे जो तूने मुझे अब तक छूने भी नहीं दी ,,
तानिया समझ जाती है उसकी होंठो पे मुस्कान आ जाती है ,, नहीं बाबा वाहा नेही ,,
तपन,, क्यूं आज ट्राय कर लो । और तुमने तो बताया था की वाहा पहले भी किया है,,
तानिया ,, उम्म्म तुम क्या चाहते हो सुबह अपने बेटे और तुम्हारे दोस्तो के सामने लंगड़ाती फिरू । क्या सोचेंगे मेरे बारे में मुझे शर्म नही आयेगी क्या ,,
तपन मजाक करते हुए ,, सुना है गाओ में अगर सुहागरात के दूसरे दिन लंगड़ा के ना चले तब दूल्हे कि बड़ी खिंचाई होती है । और में वो खिंचाई अपने दोस्तो से नही सुनना चाहता ,,
तानिया जूठी गुस्से से ,, तो अपने दोस्तों के आगे मर्दानगी दिखाने के लिए मेरे साथ ऐसा करोगे ,, फिर मजाक करते हुए ,, में भी जिशु बोल दूंगा फिर शीतल की हालत खराब करने के लिए,,
तपन हस पड़ता है ,, धेत्त । में तो मजाक कर रहा था । वैसे ऐसा हुआ तो में भी तुम्हे नहीं छोडूंगा खा जाऊंगा तुझे ।
तानिया उसकी गाल सेहलाके ,, मन कर रहा है क्या ,,
तपन शीर हिला कर ,, हम्म लेकिन तुम ना करो तो नही करूंगा ,,
तानिया ,, तुम्हे कैसे माना कर सकती हूं में । आज तो कतई नही । कुछ तेल जैसा कुछ चीज है ,,
तपन ,, हा विशु ने एक लुब्रिकेंट और चेतन ने कंडोम दिया था हम दोनो को ,,
तानिया मुस्कुराती है ,, बदमाश कहिका ये सब भी दिया है । अच्छा कंडोम से करना सही होगा आसानी होगी । तुम्हे बुरा तो नहीं लगा ,,
तपन ,, नहीं इसमें क्या बुरा लगेगा मेने भी अब तक कंडोम से ट्राई नहीं किया आज कर लेटे हे । ,,
तपन अपनी शेरवानी की जैप से लुब्रिकेंट की सीसी और कंडोम निकाल लेता हे ,,
Room no 2
जिशु शीतल को कंबल के अंदर निबस्त्र कर के हर एक अंग चूमने लगा था । शीतल आंखे बंद कर के बस जिशु को अपनी जिस्म को हर एक चुम्बन के साथ सोप दे रही थी । सुखद आनंद की आहे मुंह में दबा रही थी क्यू की उसे शर्म आ रही थी ।
जिशु उसकी चूत की भगनासा को जीव से भोग रहा था । जिशु मन में (क्या आंटी को भी मेरा चुसवा दूं । अरे नही वो शर्म के मारे मर जायेगी लेकिन उस दिन तो चूसा था । नहीं उस दिन नशे में थी आज की बात अलग है एक होश में और ऊपर से पति भी बन गया हू आज नही कर पाएगी )
जिशु उसकी चूत काफी देर तक चूसता है जिससे शीतल पानी छोड़ रही थी और आनंद में नई जगत की लुप्त हो जा रही थी । जिशु उसकी मोटी जांघो को चूमता हुए उसकी नाभी से खेलने के साथ उसकी मखमल पेट भी मसलते हुऐ चूम के शीतल को पूरी तरह से कामुत्तेजोक कर देता है । शीतल अपनी जिंदगी की अध्याय में पहली बार एक नई काम सुख की आनंद को महसूस कर रही थी एक गैर जो अब पति बन कर उसकी रोम रोम से जुड़ चुकी है ।
जिशु उसकी बड़ी आकर की चुचियों को मसल मसल के पीने लगती है । शीतल धीरे धीरे शर्म का परदा गिरा देती है और नशीली सुखमय कामुक नजरो से जिशु को देख रही थी लेकिन इस बार अपनी आह को खुल के निकलती है ।
तपन अपने लंड पर कॉन्डम चढ़ा लेता हे और आधी सीसी लुब्रिकेंट मल के तानिया की ऊपर चढ़ जाता है । दोनो की आखों से आंख मिलती है और दोनो ही सहमति जताता है ।
तानिया अपनी शिर के नीचे दो तकिए रख देती है ताकि उसकी हाथ नीचे पोहोच जाए । अपने नए पति का लन्ड पकड़ कर अपनी गान्ड की छेद पर लगा के जिशु को आखों से जवाब देती है जिशु की अपने सुपाड़े से तानिया की गांड के छल्ले का एहसास होता है और वो दबाव देता है लेकिन लंड पिछल जाता है ।
तानिया फिर से निशाना साध देती है और ध्यान रखती है की इस बार ना पिछले । जिशू उसकी आखों में देख के फिर दबाव देता है इस बार उसका लन्ड गांड की छेद भेद करते हुए एक चौथाई हिस्सा घुस जाता है तो तानिया तुरंत ही बची हुई लंड के हिस्से को कस के मुट्ठी मार के आन्ह्ह्ह कर के जोर से चीख पड़ती है ।
कमरे की दीवार लकड़ी को जिससे काफी दरारे थी तानिया की चिंख दूसरे कमरे तक सुनाई देती है ।
Room no 2
जिशु और शीतल को तानिया की चीख सुन के अपने कार्य पर रोध लगा देते है । जिशु बरबर करता हे ,,साला कमीना ,,
शीतल मुस्कुराने लगती है । जिशू भी मुस्कुराता है उसे देख कर और उसकी टांगो के जगह बना लेता है (हरामी साला रूक तुझे बताता हू ) और शीतल की चूत पर कड़ारा धक्का मारता है ।
शीतल दर्द से बिलबिला उठती है उसकी चीख दूसरे कमरे में जाती है ,, उईईईह्ह्ह मर गई ,,
Room no 1
तपन अभी भी कशिश में लगा था लेकिन अपनी मम्मी की चींख सुन के रूक जाता है ।तानिया की हसी निकल जाती है ।
तानिया मुस्कुरा कर ,, क्या हुआ अब पता चला किसी की मम्मी के साथ ,,,
तपन मुस्कुराता हे ,, थोड़ा सेहन करना प्लीज,,
तानिया ,, नही जोर से मत करना ,,
तपन तानिया को बाहों में भर के धक्के लगाने शुरू करते हे । तानिया हर धक्के के साथ घुट घूट के आन्न्ह्ह्ह आन्ह्ह्ह्ह अन्ह्ह्ह कर के गला फाड़ रही थी । उसकी भींची आंखे चेहरे की भाव बता रही थी की उसे तकलीफ हो रही है । लेकिन झेल रही थी जो एक औरत में वो सेहन शक्ति की ताकत छुपी रहती हे । तपन का लंड के आधे हिस्से उसकी टाईट गांड में कस के फैला कर घुसता था और बाहर निकलता था । सुकर था की उसकी गांड टाईट होने की वजह से लंड तेजी से घुस नहीं पा रहे थे ।
Room no 2
जिशु शीतल की आखों में देख के उसकी होंठ चूसने लगता है और एक मध्यम रफ्तार में शीतल को चोदने लगता हे । जिशू का लंड उसकी गीली चूत के पूरी गेहराई माप ले रहा था । शुरू के कुछ पल शीतल बोहोत चिंखी लेकिन बाद में उसे निरंतर आनन्द आने लगी और जिशु को कस के गले लगा के पूरी साथ देते हुए आह्ह्ह्ह उह्ह्ह कर ले कामसुख का आनंद उठाने लगी । जिशु बीच बीच में उसकी गाल चूमता कंधे चूमता बदन को मसलता । शीतल शर्म आ रही उसका बेटा उसके पास ही था दूसरे कमरे जिसकी हरकत सुनाई दे रहा था । लेकिन उस निजी असीलता पर उसे एक अलग ही जोश महसूस हो रही थी । और जिशू के आखों में आंख डाले जता रही थी की उसे कितनी कामसुख मिल रही है जिशु से ।
Room no 1
तपन थोड़ी देर के लिए विराम लेता है । तानिया भी राहत लेती है । गांड चुदाई में चूत चुदाई का मजा तो नहीं हे लेकिन किसी किसी को एक चचका लग जाती है जो कभी कभी किसी को वो चचका चूत चुदाई की मेज से ज्यादा आनंदायक होती है । पर तानिया को गांड मरवाने का कोई चचका नही थी । लेकिन आज पहली बार उसे अलग ही महसूस हुई । तपन की बाहों में कसती हुई खुद को आगोश में पा कर और तपन के लंड से बेहाल हो कर जिस्मानी रूप से मर्द का एहसास पा कर खुश थी । हर औरत चाहती है उसका पार्टनर जिस्मानी रूप से बेहतर हो ताकि उसको संतुषी दे सके । तपन ने उसकी रक्षा कर के पहले जी जता दिया था कि वो उससे कितना प्यार करता है खयाल रखता है । तानिया तपन से पूरी तरह से कायल हो चुकी थी ।
तानिया लंबी लंबी सांस ले के ,, फाड़ दी मेरी तूने ,,
तपन ,, ज्यादा दर्द हुआ क्या ,,
तानिया मुस्कुरा कर ,, नही बरदस्त कर सकती हू । तुम्हे कैसा लगा मजा आया ,,
तपन,, हा मजा तो आयेगा ही लेकिन थोड़ा अलग लगा । वो जो तुम्हारी छेद का मुंह हे ना वो एक दम रबर की तरह खींच के रखती है लेकिन अंदर नर्म नर्म अच्छा लगता है ।,
तानिया मुस्कुराती है ,, अच्छा भूल मत तुम्हारी भी वैसा ही है ,,
तपन हस पड़ता है ,, कितनी गंदी हो ,,
तानिया ,, चलो रूक क्यू गए ,,
तपन ,, थोरी गंदी बाते करो ना उनको सुना दो ताकि जले ,,,
तानिया मुस्कुराती हे । तपन फिर धक्के मारने लगता हे तानिया को भी मजा लेने की मन करता है और वो चिल्लाने लग जाती है ,, ,, ओह जानू आन्ह्ह्ह जानू उह्ह्ह्ह नहीं । प्लीज धीरे अन्ह्ह्ह मर गई । उन्ह्ह्ह्ह जानू अप्प्स आआह्ह्ह नही फट जायेगी । प्लीज जानू प्लीज ।,,,
Room no 2
जिशु कान खड़े कर के ,,, साला हरामी कर क्या रहा है ,,
शीतल उसे प्यार करती हे उसके गाल चूम के बोलती है ,,, शिंता मत करो तुम्हारी मम्मी को मजा आ रही है ,,,
जिशू,,, आपको कैसे पाता ,,
शीतल मुस्कुरा के ,, बस पता हे हर चीज बताए नही जाते है । कुछ चीजें समझा जाता है ,,
जिशु मुस्कुराता है और शीतल की लबों पीने लगता है । जिशु उसकी जीव डाल के सलाइवा पीने लगता है । शीतल मुग्ध हो जाती है कभी उसके पति ने ऐसे क्रीड़ा करते हुए जोशीला चुम्बन बिना टूटे कभी नही किया ।
जिशु अपनी मम्मी की कामुक आवाज़ें सुन के जोश में ताबड़ तोड़ धाक्के मारने लग जाते हे ।शीतल आनन्द में खुले मन से चुदवाने लगती है ।
एक नई बात थी की दोनो दोस्त को एक नया एहसास मिला एक नई अनुभव अपनी अपनी मम्मी की कामुक आवाज़ें सुन के जोश में एक दूसरे की मम्मी को चोदा मन में एक सुखद कामुक एहसास जो मिला था वो अनोखा था जो कभी सायेद एक दूसरे से बयान नहीं करेंगे ।
इस बार भी फिर एक बाप को मामू बनाना था । और इस बार भी चार बाप आसानी से मामू बन गए । चारो ने ऐसा मामू बनाए अपनी उम्र की तजुर्बे से मात खा गए । अपने अपने कमीने बेटों चाल में फांस गए थे ।
लेकिन इस बार चार बाप के साथ दो और औरतों को भी बेवकूफ बनवाना था और वो दो थी दीपाली और तराली । जिनको फसाने में तानिया और शीतल की दिमाग लगी ।
तराली और दीपाली की एक कमजोरी थी और वो थी और वो थी दोनो की मासिक धर्म यानी की माहवारी । इस जानकारी को औरते एक दूसरे के बारे में साझा करना एक प्रथा थी । जो हर महीने 25 या 26 तारीख को शुरू होती थी दोनो को ही एक साथ ।
और इन लोगो ने घर पे ये बोला की शहर के बाहर एक मंदिर में बोहोत बड़ी हुम योग्य पूजा होने वाली हे और उस पूजा में भाग लेने वाले भक्तों की दुयाय पूरी होती है । ऐसे में पवित्र पूजा में तराली और दीपाली अपनी मासिक अवस्था में कैसे जा सकती है सदियों की प्रथा के अनुसार दोनो ने जाने से माना कर दिया । और ये लोग वोही चाहते थे ।
नवंबर महीने के 26 तारीख छे छे निकल पड़े मकसद को अंजाम देने । एक पहाड़ी इलाके के छोटे से गांव में सारा कुछ प्रबंध किया था विशू और चेतन ने । और एक जुबान के पक्के पंडित को मोटी हरी पत्ती खिला के शादी का रसम पूरा करते है ।
Water over house
समय शाम के 7 बजे ।
गांव के जंगल में एक मुचवारे की लकड़ी के घर को किराए पे ले के साफ सफाई करवा के शुगहरात के लिए सजा दिया था । झोपड़ी में सिर्फ दो रूम थे जहा दिवारे भी लड़की के फर्श और चट्ट भी लड़की के बना हुआ था ।
विशू,, ओक तो आज से तुम दोनो की नई जिंदगी के लिए मुबारक हो । सब काम निपटा दिया हे तुम दोनो की दुल्हनिया अंदर दोनो एक एक कमरे में इंतजार कर रही है । अब हम दोनो विदा लेते हे ,,
जिशु,, तुम लोग कहा जा रहे हो ,,
चेतन,, मित्र क्या हैं की हमें ऐसी वैसी फिल्म देखने का कोई शोक नहीं हे ।
चेतन के मजाक में तीनों बस हास पड़ते हे ।
विशु,, ओके हम पास ही के लॉज में रहेंगे । कुछ भी जरूरत हो तो बता देना ,,
विशू और चेतन गाड़ी ले के निकल जाते हे ।
पहाड़ी की जंगल में सुहागरात एक रोमाचिक महसूस करवाने वाला खुशनुमा एक रंगीन रात होने वाली थी ।
जिशु,, ठंड बोहोत है यहां तो । चारो तरह जंगल ही जंगल कोई जंगली जानवर ना आ जाए ,,
तपन,, आ भी जाय तो घर पर चढ़ नहीं पाएंगे बोहोत ऊंची बेस है । ,,
दोनो के दिल में एक नया एहसास था एक शर्म थी जो बयान करने पर कटरा रहे थे । दोनो बिन कहे ही घर की तरफ बढ़ चले । और दरवाजे पे रुक के एक दूसरे को शुभकामनाए दे के अंदर घुसते है दोनो ही शेरवानी से अपने अपने जैकेट उतार के टांग देता है ।
Room no 1
तानिया फूलो से सजी छोटे से कमरे में चोटी सी फूलो से सांझा खटिया में सॉल ओढ़ के बैठी थी । जैसे ही तपन की तरफ देखा उसने आंख मार दी तपन की मुस्कान निकल गया । तपन गंभीर कदमों के साथ उसके पास बैठ गया । दोनो ही एक दुसरे की आंखो में खो गए । शुरुवात आखों से करने की ठान ली हो ।
Room no 2
शीतल के लिए सब कुछ नया जैसा था । जिशु के साथ शर्म की बांध अभी तक टूटी नहीं थी उसकी अब तक मर्तबे में जिशू के साथ कोई खास जिस्मानी हुई नही थी और आज की सुहागरात पर वो बुरी तरह शर्म से पानी पानी होने वाली थी ।
जिशू उसके पास जा के प्यार से बैठ जाता है और सबसे पहले नजाकत से घुंगत उठा देता हे । शीतल एक नजर ऊपर कर के जिशू को शर्मीली मुस्कान दे के नजरे नीची कर लेती है
।
Room no 1
तपन ,, वाओ बेबी आज तो कहर डालने वाली हो मेरे ऊपर तुम ,,
तानिया,, पहले मुंह दिखाई ,,
तपन हस के जैप से एक चमकती हुई नाग मनी निकल के दिया । तानिया खुशी से झूम उठी ।
तपन,, नही ज्यादा महंगा नहीं है यहां सस्ता ही मिला,,
तानिया नखरा दिखाती हुई ,, तो तुम सस्ते चीज दे के मेरो कीमती चीज लूटना चाहते हो ,,
तपन उसे बाहों में भर लेता है और मर्दानगी अंदाज में उसकी गेहने उतरने लगता है ,, सात बच्चन के साथ तुम्हे जेवरात से तोल भी दूंगा एक दिन बस कुछ समय दो अपने पेड़ो पे खड़े होने का ,,
तानिया उसे गले से लगा के बोली ,, इसकी मोह नही मुझे । बस बाकी की जिंदगी तुम्हारे बाहों में गुजर चकु मेरी ख्वाइश है ,,
तपन ,, मेरी पहनाई हुई मंगलसूत्र और मेरी भरी हुई मांग की सिन्दूर में बोहोत खूबसूरत लग रही हो पहले से ज्यादा निखार और मेहेक रही हो । आज बर्दास्त कर लेना में आज लावा बनने वाला हूं ।,,
तानिया बस मुस्कुराती है वो समझ गई थी आज की सुहागरात कुछ खास होने वाला है ।और दोनो में नई जिंदगी की ख्वाइसो पर चर्चित करने लग जाते है
Room no 2
जिशु उपहार के तोर पर एक कमर बेंड भेत करता है । शीतल शर्माती हुई गिफ्ट को साइड पर रख कर ,, शुक्रिया आपका ,, और केसर वाला दूध आगे कर देती है ।
जिशू दूध ले के एक सांस में पूरा ग्लास पी जाता है । शीतल मुंह दबा के मुस्कुराने लगती है ।
जिशू ग्लास टेबल पर रख कर ,, वो सुबह से उपवास में था ना तो । और बोहोत स्वादिश था ,,
शीतल फिक्र जाता कर ,, रुको में खाना लाती हूं बाहर कुछ खाना रखा है,,
जिशू बिस्तर पर लेट जाता हे और शीतल को छाती पर गिरा लेता है । शीतल की चूड़ियां खनखन गूंज उठती हे और जिस्म पर एक रोमांचित एहसास रोम रोम में महसूस होती है लेकिन उसकी शर्म और भी बढ़ जाती हे ।
जिशू,, पंडित जी ने कहा है जब सुहागरात की रसम पूरा हो जाए तो पहले अपनी पत्नी को खिलाना फिर खुद खा लेंना,,
शीतल शर्मा के बोलती है ,, आप ने गलत सुना हे । ये बात मेरे लिए थी पत्नी पहले पति को खिलाती है फिर खुद ,,
जिशू,, मगर मेरी दुनिया में पहले आप । और ये क्या आप मुझे आप क्यू बोल रही हे । ,,
शीतल,, क्यू की रिश्ते मे तो आप बड़े हे ,,
जिशू,, नहीं में चाहता हूं हम दोनों जब भी बात करे एक समान हो कर बात करे इसलिए नो आप ठीक है ,,
शीतल उसकी छाती पे मुंह छुपा लेती हे ,,ठीक है तुम भी नो आप,,
वेसे तो जिन्होनें मना ली है वो इसका उत्तर अधिक अच्छे से दे पायंगे, फिर भी यदि इसका शाब्दिक अर्थ भी करे तो
सुहाग+रात
सुहाग का एक अर्थ सौभाग्य भी होता है। तो नव दंपति को उनके सौभाग्य से यह रात प्राप्त होती है। तो यह उनके लिए सौभाग्य की रात भी है।
दूसरा इसे पत्नी के दृष्टिकोण से देंखे तो क्योकि कन्या पहली बार सुहागन बनती है इसलिए उसकी पहली रात उसके पति यानी उसके सुहाग के साथ होती है। तो उसके सुहाग के साथ उसकी पहली रात होती है।
ओर भी अनेक कारण हो सकते है, जिस कारण हमारे पूर्वजों ने इसे सुहागरात नाम दिया।
सुहागरात एक दूसरे को समझने की रात होती हैं, एक दूसरे को मन से अपनाने की रात होती हैं, एक दूसरे को ये एहसास करवाने की रात होती हैं की अब आप में और उन में कोई फर्क नहीं हैं। लेकिन दोनों जोड़े की रिश्ते कुछ अलग प्रकार के थे ।
Room no 1
तपन तानिया की जिस्म से हर एक गहने के साथ हर एक वस्त्र उतार देता हे । माना जाता है सर्दी में शादी करने का मजा ही कुछ अलग होती है योन संबंध में लुफ्त ज्यादा होता हे ।
लेकिन ठंड की वजह से तपन और तानिया कंबल के अंदर थी जो दोनो निबस्त्र । तपन तानिया की जिस्म पर हर एक अंग को चूमना चाहता था लेकिन कंबल के अंदर मुस्किल होता है रोसनी पर तानिया की गोरी चिकनी त्वचा दिखाई जो नहीं पड़ती थी ।
तपन फिर भी तानिया की टांगो के बीच जीव से कामुक खेल की शुरुवात करता हे कंबल के अंदर ही । तानिया की हाथो पे रची महंगी उसकी चेहरे की चमकती हुई मेकअप की वज़ह से कुंवारी दुल्हन लग रही थी । खटिए पे काम सुख से सिसिया रही थी ।
Room 2
जिशु हर एक अंग चूमते हुए शीतल को नंगी कर देती है । शीतल कसमसाती हुई शर्म से अपने आपको कंबल में छुपाने की नाकाम कशिश करती हे । जिशु भी कंबल के अंदर नंगा था ।
जिशु शीतल की शर्माती हुई चेहरे को प्यार कर के बोला ,,, क्या तुम तैयार हो । अगर तुम्हे वक्त चाहिए तो हम जब तक चाहे रूक सकते हे ।
शीतल आज प्यार की प्यासी थी वो जिशू के आगोश में समा के बिन लफ्जों से ही बयां कर देती है दिल की बात ।
Room no 1
तपन और तानिया के बीच की रिश्ते में अब तक एक गेहरी रिश्ते बन चुका था । जो एक दूसरे से जिस्मानी होने एक शर्म मिट के एक समझ बनती है को एक दूसरे की भाव से ही समझ जाते थे की एक दूसरे को क्या चाहिए वो बंधन पहले ही बंध चुकी थी ।
कम्बल से बाहर सिर्फ दोनो के ही गर्दन निकले हुए थे । दोनो अब बस मिलन की आनंद उठाना चाहते थे ।
तपन तानिया की आखों में देखते हुए ,, बेबी आज हमारा सुहागरात हे कुछ नया होना चाहिए ना ,,
तानिया उसकी नाक में नाक रगड़ती हुई,, जानू नया करने को बचा ही क्या है अब अब तक हमने 156 बार कर चुके हे और तुमने हर पोजीशन में किया हे । कम्बल के अंदर और क्या नया करोगे । में खुश इस बात से की तुम रीति रिवाज से मेरे पति बन गए हो चाहे जो भी हो पति तो बन गए मेरे ,,
तपन उसकी कान फुसफुसाता है ,, एक जगह हे जो तूने मुझे अब तक छूने भी नहीं दी ,,
तानिया समझ जाती है उसकी होंठो पे मुस्कान आ जाती है ,, नहीं बाबा वाहा नेही ,,
तपन,, क्यूं आज ट्राय कर लो । और तुमने तो बताया था की वाहा पहले भी किया है,,
तानिया ,, उम्म्म तुम क्या चाहते हो सुबह अपने बेटे और तुम्हारे दोस्तो के सामने लंगड़ाती फिरू । क्या सोचेंगे मेरे बारे में मुझे शर्म नही आयेगी क्या ,,
तपन मजाक करते हुए ,, सुना है गाओ में अगर सुहागरात के दूसरे दिन लंगड़ा के ना चले तब दूल्हे कि बड़ी खिंचाई होती है । और में वो खिंचाई अपने दोस्तो से नही सुनना चाहता ,,
तानिया जूठी गुस्से से ,, तो अपने दोस्तों के आगे मर्दानगी दिखाने के लिए मेरे साथ ऐसा करोगे ,, फिर मजाक करते हुए ,, में भी जिशु बोल दूंगा फिर शीतल की हालत खराब करने के लिए,,
तपन हस पड़ता है ,, धेत्त । में तो मजाक कर रहा था । वैसे ऐसा हुआ तो में भी तुम्हे नहीं छोडूंगा खा जाऊंगा तुझे ।
तानिया उसकी गाल सेहलाके ,, मन कर रहा है क्या ,,
तपन शीर हिला कर ,, हम्म लेकिन तुम ना करो तो नही करूंगा ,,
तानिया ,, तुम्हे कैसे माना कर सकती हूं में । आज तो कतई नही । कुछ तेल जैसा कुछ चीज है ,,
तपन ,, हा विशु ने एक लुब्रिकेंट और चेतन ने कंडोम दिया था हम दोनो को ,,
तानिया मुस्कुराती है ,, बदमाश कहिका ये सब भी दिया है । अच्छा कंडोम से करना सही होगा आसानी होगी । तुम्हे बुरा तो नहीं लगा ,,
तपन ,, नहीं इसमें क्या बुरा लगेगा मेने भी अब तक कंडोम से ट्राई नहीं किया आज कर लेटे हे । ,,
तपन अपनी शेरवानी की जैप से लुब्रिकेंट की सीसी और कंडोम निकाल लेता हे ,,
Room no 2
जिशु शीतल को कंबल के अंदर निबस्त्र कर के हर एक अंग चूमने लगा था । शीतल आंखे बंद कर के बस जिशु को अपनी जिस्म को हर एक चुम्बन के साथ सोप दे रही थी । सुखद आनंद की आहे मुंह में दबा रही थी क्यू की उसे शर्म आ रही थी ।
जिशु उसकी चूत की भगनासा को जीव से भोग रहा था । जिशु मन में (क्या आंटी को भी मेरा चुसवा दूं । अरे नही वो शर्म के मारे मर जायेगी लेकिन उस दिन तो चूसा था । नहीं उस दिन नशे में थी आज की बात अलग है एक होश में और ऊपर से पति भी बन गया हू आज नही कर पाएगी )
जिशु उसकी चूत काफी देर तक चूसता है जिससे शीतल पानी छोड़ रही थी और आनंद में नई जगत की लुप्त हो जा रही थी । जिशु उसकी मोटी जांघो को चूमता हुए उसकी नाभी से खेलने के साथ उसकी मखमल पेट भी मसलते हुऐ चूम के शीतल को पूरी तरह से कामुत्तेजोक कर देता है । शीतल अपनी जिंदगी की अध्याय में पहली बार एक नई काम सुख की आनंद को महसूस कर रही थी एक गैर जो अब पति बन कर उसकी रोम रोम से जुड़ चुकी है ।
जिशु उसकी बड़ी आकर की चुचियों को मसल मसल के पीने लगती है । शीतल धीरे धीरे शर्म का परदा गिरा देती है और नशीली सुखमय कामुक नजरो से जिशु को देख रही थी लेकिन इस बार अपनी आह को खुल के निकलती है ।