मैं रसीला के बदन को घूरने में इतना डूब गया की उसने मुझे जगाया, हिलाकर बोली- लो पानी पियो।
मैं होश में कहा था। मैंने थोड़ा पानी पिया और ग्लास को साइड में रख दिया। वो मेरे सामने खड़ी थी और मैं पलंग पे बैठा था। मैंने सीधे ही उसके चूतड़ की गोलाईयों को मेरे दोनों हाथों से खींचकर उसको मेरे करीब खींच लिया जिससे उसकी चूत की मादक खुशबू मेरी सांसों में जाने लगी।
उसके चूतड़ क्या गजब के नरम थे, एकदम नर्म। जिसे छूकर कोई भी आदमी अपनी पूरी ज़िंदगी उसे पकड़े हुए ही बिता दे। मैं उसे धीरे-धीरे सहलाने लगा, और चूत को पेटीकोट के ऊपर से ही सूंघने लगा। मेरी इस हरकत से वो भी उत्तेजित हो गई, और मेरे सिर को अपनी चूत पे दबाकर रगड़ने लगी। चूत क्या गजब थी। वहां पे शायद उसने झांटे, साफ करके कोई पर्फ्यूम लगाया था तो वो दोनों की काकटेल खुशबू मेरा लण्ड उठा रही थी।
अब मैंने उसे पलटा और मेरे मुँह को उसके चूतड़ों में डाल दिया। चूतड़ की लाइन इतनी गहरी थी की अगर वो खड़ी रहे तो पूरी उंगली भी लाइन में ना घुसा पाए, इतनी टाइट। मैं तो बस बारी-बारी दोनों गुब्बारों को मेरे मुँह से किस कर रहा था और सूंघ रहा था। मैंने मेरे हाथ को आगे ले जाकर उसकी चूत वाले हिस्से पे रख दिया। मैं चकित था। वहां पे पैंटी पहनी लगती थी, तो फिर पीछे क्यों दिखती नहीं थी?
मैंने हाथ को चूत पे लेकर उसके ढलाव पे फेरने लगा और चूत को महसूस करने लगा। उधर पैंटी एकदम छोटी सी ही लगी। पेटीकोट के ऊपर से उसकी चूत पे हाथ फेरने में मुझे मजा आ रहा था। वो भी मेरी हर एक हरकत को एंजाय कर रही थी। मैंने उसकी मखमल सी चिकनी गाण्ड को सूंघना और मुँह फेरना चालू रखा।
रसीला भी अब मस्ती में आ गई थी, और हल्की हल्की सिसकी ले रही थी।
उसकी चूत को सहलाते हुए दूसरा हाथ मैं उसकी गाण्ड की दरार में घुसाने लगा। वो चिहुंक पड़ी और उसके कूल्हे खुद ही उत्तेजना में आगे बढ़ गये। मैंने महसूस किया की गाण्ड में डोरी जैसा कुछ था। ओह्ह… माई गोड… उसने एक विदेशी टाइप डोरी वाली पैंटी पहनी थी, जो आगे चूत को ढँकती है और पीछे सिर्फ डोरी जैसी होती है, इसलिये वो पैंटी की डोरी उसकी गाण्ड के अंदर घुसी हुई थी। मुझे तो मुझसे ज्यादा नशीब वाली वो पैंटी लगी जो हर वक्त उसकी गाण्ड को सूंघ सकती थी।
वाउ… ये खयाल आते ही मेरा लण्ड पूरा तन गया और मुझे उसकी गाण्ड मारने का विचार आने लगा। लेकिन मुझे पता नहीं था की उसने कभी मरवाई है या नहीं? इसलिये मैंने सीधे ही उसको पूछ लिया- “भाभी आपने कभी गाण्ड मरवाई है?”
रसीला चौंक कर- क्यों रे, इसमें थोड़े ही डालते है। ये गंदा होता है।
मैं- भाभी, गाण्ड को अगर साबुन से धोकर अंदर थोड़ा तेल डालकर मारा जाए तो वो चूत से भी ज्यादा मजा देती है।
रसीला आश्चर्य से- क्या? ऐसा भी करते हैं लोग?
मैं- हाँ भाभी, शहर में तो ये आम बात है। मेरे कई दोस्त अपनी गर्लफ्रेंड की चूत और गाण्ड दोनों ही मारते हैं।
रसीला- ओह्ह… वैसा क्या? मुझे ये सब मालूम नहीं था, क्योंकी इससे पहले मैंने किसी और शहरी से चुदवाया नहीं है।
मैं- भाभी, मुझे तो आपके ये गुब्बारे देखकर अभी पहले आपकी गाण्ड मारने को दिल कर रहा है।
रसीला- नहीं, मुझे गाण्ड नहीं मरवानी। भला इतने छोटे छेद में ये इतना बड़ा कैसे जाएगा? मुझे तो विश्वास ही नहीं हो रहा तुम्हारी बातों पे। वो तो गाण्ड फाड़ ही देगा।
मैं- नहीं भाभी, कुछ नहीं होता। मेरे सभी दोस्त अपनी गर्लफ्रेंड की रोज ही तो मारते हैं। उनकी क्यों नहीं फटी? पहली बार तो सबको ही दर्द होता ही है। जैसे आपको चूत में भी हुआ होगा। हुआ था की नहीं?
रसीला- “वो तो है, लेकिन वो तुम्हें गंदी तो नहीं लगेगी ना… वैसे मैंने अभी ही साबुन से धोई है, झांटें साफ करते वक्त…” उसे बाद में पता चला की वो क्या बोली तो वो शर्मा गई।
मैं- तो फिर ठीक है। मुझे अब सिर्फ तेल ही डालना होगा आपकी गाण्ड में, जिससे चिकनी हो जाए।
वो सुनकर रसीला के मन में गुदगुदी होने लगी और उत्तेजना से उसने मेरा सिर अपनी छाती में दबा दिया। वाह… वो भी क्या एहसास था।
मैंने उससे बोला- “आप तेल लाओ…”