महेन्द्र - रहने दे बहू मोमबत्ती की क्या जरुरत l
माया - नहीं बाबूजी लाती हूँ, माया उठ गई थी महेन्द्र ने भी हाथ हटा लिया था l माया उठकर किचन में आयी उसकी बुर कामरस में पूरी तरह गीली हो गई थी l
भाग 12
माया किचन के पास डाइनिंग हॉल में एक मोमबत्ती जला दी, और बैडरूम की तरफ बढ़ी l उसकी बुर इतनी गीली थी उस वक़्त की जब वो चलती तो उसकी अंदरूनी जाँघ आपस में चिपचिपी हो जाती थी l वो धीरे से दरवाज़ा खोल कमरे में दाखिल हुई, उसने देखा मानस गहरी नींद सो रहा है l माया की बुर पानी पानी हो रही थी तो वो वहीँ खड़ी अपने गाउन से ही बुर का पानी पोछ ली l बेड की साइड एक बॉक्स में माया के undergarments पड़े थे unme से वो एक satin की पतली पैंटी निकाल पहन ली l
उधर महेन्द्र ने जब माया को कमरे में जाते देखा तो उदास हो गया उसे लगा की माया को शायद बुरा लग गया हो उसका बहू को इस तरह छूना l उसे ये भी डर था की माया मानस से कुछ कह ना दे l
उसकी जल्दबाजी ने सारा काम बिगाड़ दिया था शायद, इस बीच पावर भी आ गया था कमरे की light जल उठी, महेन्द्र को लगा जैसे पिक्चर अब ख़तम हो गया हो l वो निराश मन से उठ के अपने कमरे में जाने की सोच ही रहा था की उसे माया का bedroom से बाहर आने का आहाट मिला l वो रुक गया, माया बैडरूम से बाहर आकर धीमी आवाज़ में बोली .. ...
माया - बाबूजी पानी पिएंगे l
महेन्द्र को मानो जान में जान आयी l माया normally behave कर रही थी l वो खुश हो गया... हाँ बहू पियूँगा l
माया 2 ग्लास पानी ला कर सोफे पे महेन्द्र के बगल में बैठ गई l
माया - (पानी की घूँट लेते हुवे... )
बहुत गर्मी है ना बाबूजी, गला सूख गया मेरा l
महेंद्र मन में खुद से कहते हुवे (हाँ बहू तुम्हारा गला तो सूखा है मगर तेरी बुर बहुत गीली है उफ़ क्या महक थी, महेन्द्र के दिमाग में बहू की नशीली बुर की smell समायी थी l
महेन्द्र ने सोचा जब बहू अभी भी कुछ कह नहीं रही तो क्यों ना थोड़ा खुल के बात करूँ l )
महेन्द्र - हाँ बहू... गर्मी तो बहुत है तभी तो देख मैं बनियान पहना हूँ l एक तू है जो इतना बड़ा गाउन पहन रखी है l
माया - मेंरी क्या गलती बाबूजी मैं तो सब निकाल कर सोने वाली थी आपने ही मुझे बुला लिया l
(माया भी बेझिझक खुल के बोल रही थी
सब खोल के सोने वाली बात पे महेन्द्र उत्तेजित सा हो गया l )
महेन्द्र - अच्छा बहू माफ़ कर दे ऐसा है तो.... तू चेंज कर के आ जा l
माया - its ok बाबूजी
महेन्द्र - ना बहू गर्मी बहुत है कुछ हलके कपड़े पहन लो l जरा मैं भी तो देखूं मेरी बहू हलके कपड़ों में कैसी दिखती है l
(महेन्द्र की हिम्मत बढ़ती जा रही थी, माया को भी महेन्द्र की बात का बुरा नहीं लग रहा था बल्कि उनका इस तरह डिमांड करना उसे अच्छा लग रहा था l )
माया - ठीक है बाबूजी आप कहते हैं तो पहन लेती हूँ l आप इंतज़ार करिये मैं अभी आती हूँ l
(माया वापस कमरे में आ गई, आज का दिन खास था,, नींद उसकी आँखों से कोसो दूर थी l वो पहली बार पति के अलावा किसी गैर मर्द की कंपनी enjoy कर रही थी l ससुर के साथ बातें करना उनके पास baithana उसे बहुत अच्छा लग रहा था l ससुर की तारीफ और रात का माहौल भी माया की शरीर में अलग गर्मी पैदा कर रहा था l
धीमी रौशनी में वो शीशे के सामने खड़ी हुई l कुछ सोचकर उसने पहले अपना गाउन उतरा फिर अपनी ब्रा भी खोल दी l माया खुद की नंगी चूचियों को ध्यान से देख रही थी, उसने एक बूब को अपने हाथ में भर लिया और हल्का सा निप्पल पे ऊँगली फेरी लेकिन उसकी गोल चूचियां तो जैसे किसी मर्द के हाथ के स्पर्श के लिए तड़प रही थीं l
आँखे बंद कर वो उस पल को याद करने लगी जब सोफे पे ससुर जी का हाथ उसकी जांघो पे रेंग रहा था l माया उस अनुभव से आनंदित थी, उसकी शरीर की गर्मी बढ़ रही थी वो टांगों के बीच नमी महसूस कर रही थी l
वो पैंटी में हाथ अंदर डाल अपनी दो उँगलियों को को बुर के मुहाने पे रगड़ रही थी, जैसे वो महसूस करना चाहती हो की जब ससुर जी ने उसकी नंगी बुर पे हाथ रखा होगा तो उन्हें कैसा लगा होगा l फिर माया अपना हाथ निकाली उसे याद आया कि वो किस काम के लिए कमरे में आयी है l
ससुर जी ने उसे हलके कपड़े पहनने को बोला था तो वो कपबोर्ड़ से एक बहुत झीना और बरीक कपड़े का sphegetti उठा ली l वो sphegetti पहन अपने आप को शीशे में देखी तो पाया की वो झीना सा कपडा उसके बूब को कहीं से कवर नहीं कर रहा था बल्कि उसके नंगेपन को और दिखा रहा था l फिर भी माया ने वही पहनना चाहा हाँ उसके ऊपर एक satin nighty robe जैसी जरूर डाल ली जो सामने से पूरी खुली थी l robe को सिर्फ बीच में बांधा जा सकता था l माया की ये nighty उसके बदन को dhakne के bajaaye और नुमाईश कर रही थी l
माया इस वक़्त किसी बी grade की हॉट एवं chubby एक्ट्रेस के सामान दिख रही थी l
जब वो महेन्द्र के सामने आयी तो महेन्द्र अपनी बहू के भरे बदन को ऊपर से नीचे तक देखता रह गया, satin robe के अंदर sphagetti mein बहू की क्लीवेज और भारी चूची की गोलायी साफ़ नज़र आ रही थी l महेन्द्र का लंड अकड़ गया वो लंड को पायजामा के ऊपर से मसल दिया l माया ने महेन्द्र की ये हरकत देख ली थी फिर भी वो ignore कर दी l
महेन्द्र - तुम बहुत खूबसूरत हो बहू l
महेन्द्र बहू के कमर में दोनों हाथ डालते उसे खींच कर बिठा लिया l माया का दिल जोर जोर से dhadak रहा था और लम्बी साँसों से साथ उसकी चूचियां ऊपर नीचे हो रही थी l
कम्फर्टेबले हो के बैठो बहू, माया ने दोनों टाँगे ऊपर की तो robe घुटने से हट गई l
महेंद्र ने तुरंत माया के घुटनो पे हाथ रख दिया l और साथ ही robe को उसकी जांघो से भी हटा दिया l
माया पहले की तरह तकिया लिए सोफे पे लेट सी गई, फर्क इतना था की इस बार गाउन से बदन ढका नहीं था बल्कि robe हटने से वो two piece कपड़े में अधनंगी सी हो गई थी l माया का खुला बदन महेन्द्र के सामने था उसकी गहरी नाभि देख महेन्द्र खुद को रोक ना सका और वो हाथ सीधा बहू की नाभि पे रख दिया l
महेन्द्र - बहू.... तुम्हारी नाभि बहुत खूबसूरत है l
माया अपनी तारीफ सुन मचल गई l ऐसा क्या ख़ास है बाबूजी इसमें?
महेन्द्र - बहू तुम्हारी नाभि बहुत गहरी है, ऐसी नाभि तो किसी actress की भी नहीं (महेन्द्र माया की नंगी कमर और पेट को दबोच रहा था )
फिर महेन्द्र ने अपनी एक ऊँगली माया की नाभि में डाल दी l वो नाभि सहलाते बहू की साइड लेटने लगा l
माया भी सोफे पे हल्का सा जगह बनाते खिसक गई l
ससुर बहू दोनों एक ही सोफे पे आपस में सटे लेट गए थे l महेन्द्र का हाथ अभी भी माया की नाभि पे था l
महेन्द्र - पता है बहू, मुझे हमेशा से दरकरार थी की मेरी बहू खूबसूरत हो, पढ़ी लिखी हो, सभी काम में निपुण हो, सबकी सेवा करे, मेरा अकेलापन दूर करे l आज तुम्हारे साथ बात करके ऐसा लगा जैसे भगवान् ने मेरी सुन ली जो तुम जैसी संस्कारी बहू मिली मुझे l
माया - ओह बाबूजी थैंक यू सो मच ( कहते हुवे वो करवट हो महेन्द्र से लिपट गई, और साथ ही उनके गाल पे एक हल्का सा चुम्बन दे दी )
महेन्द्र भी कहाँ पीछे हटने वाला था वो भी बहू को कस के बाँहों में भर लिया फिर बहू के गालों के साथ साथ उसके chin और गर्दन के भाग पे भी किस किया l माया हल्का सा खिलखिलाई तो महेन्द्र कंधे से spaghetti की पट्टी नीचे कर उसके नंगे कंधे को चूमने लगा l
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महेन्द्र - आह बहू तेरी बॉडी की स्मेल कितनी अच्छी है l
माया - सच बाबूजी ?
महेन्द्र - हाँ
(महेन्द्र माया की बाहँ ऊपर कर दिया और उसकी खुली armpit पे नाक लगा उसे सूंघा )
माया - बाबूजी.......
महेन्द्र - क्या बहू l
माया - बात करिये ना l
महेन्द्र - एक shart पर
माया - क्या... ?
महेन्द्र - बहू मुझे प्यार करेगी तब l
माया - प्यार तो की ना बाबूजी (कहते हुवे माया ने मह्रन्द्र के गाल पे एक और चुम्बन दे डाला )
महेन्द्र - ऐसे नहीं... होंठ पे
माया सोच में पड़ गई l
महेन्द्र - sorry बहू मैंने तुमसे कुछ ज्यादा ही मांग ........
महेन्द्र इससे पहले की अपनी बात पूरी करता माया ने अपने होंठ महेन्द्र के होंठ से सटा दिए l
महेन्द्र की तो जैसे lottery लग गई वो बहू को कस के बाँहों में bheenchta माया के होंठ खा रहा था l माया भी खुल के साथ दी, दोनों किसी प्यासे couple की तरह kiss कर रहे थे l
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करीब आधे मिनट के kiss के बाद दोनों के होंठ अलग हुवे l
महेन्द्र - थैंक यू बहू...
माया - बाबूजी.. क्या मैं एक अच्छी बहू हूँ ? (माया ने महेन्द्र की आँखों में देख सवाल किया )
महेन्द्र - हाँ बहू.. तुम वाकई में बहुत अच्छी बहू हो l
माया खुश हो गई जैसे उसने कोई exam अच्छे मार्क्स से पास कर लिया हो l
माया - आप भी बहू अच्छे हो l
माया - (माहौल को नार्मल करती हुई ) अच्छा बाबूजी.... तिल के अलावा और क्या बता रहे the...कुछ नंबर कलर उससे भी ब्यक्ति के बारे में पता चलता है... ? वो कैसे होता है बाबूजी l
महेन्द्र - बहू तू इतना interest क्यों ले रही hai.. तुझे भी सीखना है क्या ?
माया - हाँ बाबूजी l
महेन्द्र - अच्छा ठीक है सीखा दूंगा, लेकिन मुझे गुरू दक्छिना में क्या दोगी ?
माया - आप जो मांगेंगे वो दे दूँगी l
महेन्द्र - (माया की मोटी जांघ पे हाथ फेरते हुवे ) सोच लो बहू जो मागूंगा देना होगा l
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माया महेन्द्र की आँखों में देखते हुवे अपना हाथ महेन्द्र के हाथ पे रखी जो उसकी जांघ पे था l उसे अंदरूनी जांघो की ओर ले गई और सेक्सी अदा से महेन्द्र के हथेली अपनी बुर की उभारों पे दबाव बनाते हुवे ऊपर पेट पे रख ली l
माया की ये हरकत महेन्द्र को अंदर तक झकझोर के रख दी l लेकिन ये एक झटका था दूसरा झटका तब लगा जब माया इतने तक नहीं रुकी वो महेन्द्र की एक उंगली अपने मुँह तक ले गई l महेन्द्र से नज़रें मिलाये वो गीले होठों के अंदर ऊँगली भर ली और आह भरते गीली ऊँगली ऐसे अंदर बाहर की जैसे वो ऊँगली नहीं ससुर जी का लंड हो l
माया - आप जो भी मांगेंगे दूँगी बाबूजी, आप बेझिझक मांगिये आपको निराश नहीं करुँगी l (माया की आँखों मैं वासना भरी थी )
एक एक पल महेन्द्र के लिए मुश्किल हो रहा था , बहू की ये हरकत किसी रंडी से कम नहीं थी और इस बार उसका इशारा साफ़ था l
महेन्द्र झुक कर एक बार फिर बहू के होंठ से अपना होंठ मिला दिया, बहू के गर्दन को चूमते हुवे वो क्लीवेज पे kiss करने लगा साथ ही इस बार हिम्मत करके महेन्द्र ने बहू की नर्म चूची भी दबा दी थी l