तेल की परवाह किये बगैर महेन्द्र बहू की गांड चोदने laga, तेल इतना ज्यादा था की बार बार लंड फिसल जाता दोनों का बदन तेल में फिसल रहे थे l आखिरकार महेन्द्र का वीर्य बहू की गांड पे निकल गया l
सुबह के चार बज गए थे चुदाई करते करते l पूरा कमरा ससुर बहू की जबर्दश्त चुदाई का सबूत दे रहा था l
भाग 15
महेन्द्र और माया दोनों ही पुरे नंगे सोफे पे लेटे थे l तेल और पसीना मिला हुवा उनका शरीर आपस में चिपका था l
महेन्द्र पीछे से हाथ डाल माया की दोनों चूची दबाते हुवे... .
महेन्द्र - बहू आज तुझे चोद के बहुत मज़ा आया l ऐसी गांड मैंने सालों बाद चोदी है l
माया - मुझे भी आपसे चुदवा के बहुत मज़ा आया बाबूजी... आपका लंड इस उम्र में भी किसी जवान लड़की को थका दे l
माया - अच्छा बाबूजी अब आप सो जाइये, मानस उठ गए तो प्रॉब्लम हो जाएगी l
महेन्द्र - हाँ बहू l
महेन्द्र और माया अपने अपने कमरे में आकर सो गए l
सुबह मानस की नींद खुली वो उठ कर फ्रेश हुवा, न्यूज़ पेपर लिए वो लिविंग हॉल में सोफे पे बैठा तो फर्श पे तेल और वीर्य से उसके पैर चिपचिपा गए l उसने माया को आवाज़ दी, माया... माया...
माया ऊंघते हुवे हॉल में आयी तो उसे रात की मस्ती याद आयी, वो भूल गई थी की मानस के उठने से पहले उसे कमरा साफ़ करना था l
मानस - माया ये क्या hai...?
माया बहाने सोचने लगी.. .
मानस - क्या हुवा कहाँ खो गई तुम,
माया - वो कल रात में बाबूजी के घुटने में दर्द था तो मैंने उन्हें oil दिया था लगता है बाबूजी के हाथ से गिर गया l
मानस - लेकिन तुमने मुझे बताया क्यों नहीं ? और पापा को तेल देने से अच्छा तुम लगा देती l कितनी problem हुई होगी उन्हें, मैं पूछता हूँ l l
मानस सीधा पापा के कमरे में आता है, माया भी पीछे पीछे आती है l
कमरे में महेन्द्र बेड पे बैठा था थोड़ी देर पहले ही उसकी नींद खुली थी l
मानस - पापा आप ठीक तो हैं l
महेन्द्र - क्या हुवा बेटा, मैं समझा नहीं l
मानस - पापा,,, माया ने बताया की आपको पैर में दर्द था कल रात
(माया ने आँखों ही आँखों में इशारा किया )
महेन्द्र - हां हां बेटा वो.. थोड़ा सा l अभी ठीक है l कल रात बहू ने मालिश की थी l
मानस - मालिश ? आप झूठ क्यों बोल रहे हैं माया ने तो सिर्फ तेल दिया था आपको l
माया ने आँख दिखाई to..महेन्द्र अपनी बात करेक्ट की...
बेटा मेरा मतलब तेल दिया था, मैं लगा लिया और अभी ठीक भी है l
मानस - मैं कुछ नहीं जानता, माया बाबूजी के पैर की मालिश करो l आज ब्रेकफास्ट मैं बाहर ऑफिस के पास कर लूँगा l (मानस माया को आदेश दिया )
महेन्द्र - अरे बेटा रहने दे l
मानस - नहीं बाबूजी
माया खड़ी क्यों हो जाओ तेल लाओ l माया एक आज्ञाकारी पत्नी की तरह कमरे में गई और तेल ले के आयी l
महेंद्र ने धोती पहनी थी l
मानस - माया तुम अच्छे से मालिश करो, मैं ऑफिस के लिए तैयार होता हूँ
मानस के जाने के बाद माया फर्श पे बैठ गई, माया और महेन्द्र एक दूसरे को देख मुस्कुरा रहे थे l
महेंद्र ने धोती के अंदर से अपना लंड बाहर किया, लो बहू करो मालिश l माया की हंसी छूट गई l वो धीमी आवाज़ में बोली, हाथ से करू या मुँह से l
महेन्द्र का लंड खड़ा हो gaya, वो तुरंत माया का सर पकड़ अपने लंड को माया के मुहँ के पास रखा.... चुसो बहू l
माया किसी संस्कारी बहू की तरह ससुर जी की बात मान उनका लंड चूसने लगी l महेन्द्र गाउन के ऊपर से माया के बूब भी दबा रहा था l
आआह बहू..... कितना अच्छा चूसती हो l.....थोड़ी चुसाई के बाद महेन्द्र का वीर्य आने को था l
आआअह्ह्ह्हह्हह आआआह्ह्ह्ह की आवाज़ के साथ महेन्द्र बहू के मुहँ में स्खलित हो गया l
माया - ओह बाबूजी आप तो जल्दी निकाल दिए... मुझे प्यार भी नहीं किया l
(माया मुहँ से वीर्य पोछते हुवे बोली )
महेन्द्र - sorry bahu... मेरा लंड तेरे मुहँ की गर्मी बर्दाश्त नहीं कर पाया l
एक बार मानस को ऑफिस जाने दे फिर तुझे मैं पूरे घर में जी भर के चोदता हूँ l
माया की ख़ुशी का ठिकाना नहीं रहा l
महेन्द्र और माया एक दूसरे को एक लवर की तरह किस किये l महेन्द्र फ्रेश होने गया और bahu किचन में काम करने लगी l
उधर मानस कुछ देर बाद फ़ोन पे बात करते हुवे लिविंग हॉल में बैठा था l
papa.. पापा...
महेन्द्र - क्या हुवा बेटा l
मानस - पापा वो मेरे फ्रेंड ने urgently बुलाया है l
महेन्द्र - बेटा हम दोनों को ?
मानस - हाँ... लगता है काम हो गया l जल्दी चलिए... अगर काम हो गया तो आप आज दोपहर को ही घर जा सकते हैं l
महेन्द्र को तो जैसे शॉक laga... कितना badkismat है वो l वो भगवान से प्रार्थना करने लगा की काम ना हुवा हो l
मानस - क्या हुवा बाबूजी... आप खुश नहीं हो ?
महेंद्र - नहीं beta...मेरा मतलब बहुत अच्छा... आ... आ... अभी चलना होगा ?
(महेन्द्र माया की तरफ देखा... माया भी उनकी बातें सुन रही थी )
मानस - हाँ... आपको क्या हुवा l आप खुश नहीं लग रहे l
महेंद्र कुछ बोल ना पाया.... हाँ बेटा.. वही सोच रहा था, यकीन नहीं होता l बहुत खुश हूँ मैं... थैंक यू बेटा l
महेन्द्र उदास हो कमरे में आया और तैयार होने लगा l चेहरे पे उदास भाव थे जैसे कोई सुन्दर सपना टूट अचानक से टूट गया हो l
इधर माया भी अपनी किस्मत को कोस रही थी l इतना अच्छा मौका था आज खुल के ससुर के साथ सेक्स कर सकती थी l माया को बहुत गुस्सा भी आ रहा था l
माया बहाने से महेन्द्र के कमरे में आयी मगर लिविंग हाल में मानस बैठा था तो कुछ बोल नहीं पाई l
दोनों ने बस एक दूसरे को आँखो ही आँखों में देखा l माया गुस्से में आग बबूला थी, उसे समझ नहीं आ रहा इस situation में वो क्या करे l महेन्द्र bahu को बाँहों में लेना चाहा तो माया गुस्से से कमरे से बाहर आ गई l
मानस ने दुबारा महेन्द्र को जल्दी तैयार होने के लिए pressure डाला l
महेन्द्र और माया कुछ भी बात नहीं कर paaye l
आखिरकार दोनों घर से बाहर आ गए l माया दोनों को bye कर वापस घर का काम करने लगी l
एक घंटे बाद मानस का फ़ोन आया की वो बाबूजी के साथ स्टेशन पे hai,... सारा काम ख़तम हो चूका था l मानस की बात सुनकर माया की बची उम्मीद भी टूट गई, वो अफ़सोस करने लगी की ससुर जी के साथ जो हुवा काश वो 2 दिन पहले हुवा होता तो वो पूरी मस्ती लूट पाती l उसे अधूरापन सा लग रहा था l
वो बैडरूम में लेटी काफी देर तक रात के हुवे हसीं पल को याद करती रही, उसका पुरा जिस्म तड़प रहा था l लेकिन उसे तो अब इस अधूरे पल के साथ ही जीना था l ना जाने कब दुबारा ऐसा मौका मिले और वो ससुर जी के मोटे लंड का लुफ्त उठा पाए l