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Incest Garam Bahu

Harshit

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महेन्द्र झुक कर एक बार फिर बहू के होंठ से अपना होंठ मिला दिया, बहू के गर्दन को चूमते हुवे वो क्लीवेज पे kiss करने लगा साथ ही इस बार हिम्मत करके महेन्द्र ने बहू की नर्म चूची भी दबा दी थी l

भाग 14

माया के पुरा शरीर वासना की आग में तप रहा था, समय के साथ उसकी प्यास बढ़ती जा रही थी l इधर महेन्द्र भी बहू की चूचियों पे जी भर के हाथ फेरता रहा, जैसे पता नहीं कब ये पल दुबारा आये l

उसके बाद महेंद्र ने बहू के दोनों हाथ ऊपर कर दिए, बहू की दोनों चूचियां की गोलियां और उभर आयी l वो बहू के ऊपर आते हुवे उसकी खुली armpit पे मुंह लगा के चाटने लगा, हलके नमी ली हुई बहू की underarms की गन्ध महेन्द्र पे अलग ही जादू कर रही थी l वो underarms चाटने के साथ साथ बहू के उभरे बूब्स को भी दबा रहा था l

महेन्द्र ने कभी सपने में भी ये नहीं सोचा था की वो एकदिन अपनी बहू की चूचियों को हाथ लगा पायेगा l

माया - आआआअह्ह्ह्ह बाबूजी l

माया और इंतज़ार नहीं कर पाई, उसने एक बूब के ऊपर से spaghetti हटा दी l माया की एक चूची नंगी हो गई, महेन्द्र आँखे फाड़ बहू का नंगापन देखता रहा l sabkuch किसी सपने से कम नहीं था, महेन्द्र सबसे पहले बहू के नंगे बूब को छुवा, ऐसा लग रहा था जैसे उसने गरम gel से भरी कोई पोटली हाथ में ले ली हो l वो अनायास ही बहू पे jhukta चला गया और मुहँ खोल के बहू की डार्क ब्राउन निप्पल को मुहँ में भर लिया l निप्पल चूसते हुवे वो दूसरी बूब के ऊपर से भी spaghetti हटा दिया l नंगे बूब को छूने का मज़ा ही अलग था l

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महेन्द्र - (माया के कान में )... बहू जी करता है तुम्हारी चूची खा जाऊं l
माया और महेन्द्र के बीच शर्म का parda हट गया था, तो महेन्द्र उत्तेजना में गंदे शब्द use कर रहा था l
माया भी पूरा साथ देती ससुर का बाल पकड़े अपने बूब पे दबाती l
माया - आह बाबूजी खा जाइये ना मेरी दोनों........ चूची...... l
(माया महेन्द्र की वासना को भड़काने के लिए बेझिझक चूची शब्द का estemaal की )
माया कहर ढा रही थी, एक जवान औरत के मुहँ से उसने कभी इस तरह के गंदे शब्द नहीं सुने थे l और आज खुद की बहू के मुहँ से चूची शब्द सुन कर वो आनंदित हो उठा l
वो पागलों की तरह बड़ा सा मुहँ खोल माया की पूरी चूची मुहँ में भर लेता l कभी बच्चे की तरह निप्पल chusta l माया की चूची लार से भीगी चमक रही थी l
माया की बुर lagataar पानी छोड़ रही थी, वो पूरी तरह से कामोत्तेजित हो गई थी l उसने सोफे पे लेट हुवे पहले बैडरूम की तरफ देखा, वजह साफ़ थी उसने ससुर जी से चुदवाने का मन बना लिया था l

माया मर्दों की कमजोरी से अच्छी तरह वाकिब थी, वो अपना एक हाथ नीचे ले गई और ससुर जी का पायजामा में खड़ा लंड सहला दी l
माया - ( दूसरे हाथ से ससुर जी का फेस अपनी चूची से उठाकर ) बाबूजी.... लंड बाहर निकालो ना..... l
महेन्द्र बहू की नंगी जिस्म का मज़ा तो ले ही रहा था, साथ साथ बहू का खुलापन उसकी वासना को दुगुना कर देता l वो तुरंत सोफे से उतरकर पायजामा खोला और फड़फड़ाता लंड बहू के सामने था l बहू से कुछ उम्मीद कर वो अपना लंड हाथ में लेकर दिखाया, माया कोई नासमझ नहीं थी वो बाबूजी की आँख में देखते हुवे लंड पकड़ ली और उसका स्किन खोल दी l महेन्द्र को तो लगा वो बहू के हाथ में ही स्खलित हो जायेगा, उसकी आंख बंद थी बहू महेन्द्र के लंड का स्किन ऊपर नीचे कर रही थी l

तभी उसे लंड पे कुछ गर्म सा अहसास हुवा, उसने आँख खोल के देखा तो लंड का टोपी माया के मुहँ में था l वो मस्ती में दबाव बना के बाकी का लंड भी बहू के मुँह में पेल दिया l माया चप - चप की आवाज़ के साथ लंड चूसने लगी, ससुर जी के लंड का स्वाद मानस के लंड से बहुत अलग था l महेन्द्र का लंड ज्यादा फुला हुवा था, लंड की टेढ़ी मेढ़ी नस माया को और मज़ा दे रही थी l ससुर जी का तगड़ा लंड चूस के तो वो मानस का लंड भूल गई l
जल्द से जल्द वो इस तगड़े लंड को अपने बुर में भींचना चाहती थी l
लंड चूसते चूसते वो सोफे से उतर फर्श पे आ गई थी l

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महेन्द्र - बहू.... मुझे भी तो अपने बुर का स्वाद दिलाओ l ये कहते हुवे महेन्द्र बहू को उठाया और उसे घुमा कर सोफे पे झुका दिया l अगले ही पल उसकी गांड नंगी हो गई, महेंद्र एक झटके में पैंटी नीचे कर दिया था l पैंटी उतरने के बाद बहू की नंगी गांड और बड़ी लग रही थी l नीचे बैठकर वो अपना मुहँ बहू की बड़ी सी गांड में डाल दिया, माया कसमसा के रह गई l महेन्द्र की जीभ उसकी गांड की chhed पे हरकत करने लगी थी l माया के लिए ये बहुत अलग अनुभव था, मानस oral तो करता था लेकिन उसने कभी माया की गांड में मुहँ नहीं लगाया l आज महेन्द्र उसे काफी अलग मज़ा दे रहा था l धीरे धीरे मह्रन्द्र की जीभ माया के बुर तक आ रही थी l बहू के बुर का गन्दा पानी ससुर बड़े मज़े से चाट रहा था l कुछ देर बाद महेन्द्र माया का कमर पकड़ खड़ा हुवा, माया अभी भी झुकी थी, अब वो लंड बिलकुल गांड के बीच सटा दिया l कमर पहले नीचे किया और फिर ऊपर तो जैसे बहू के बुर ने लंड को चुम्बक की तरह अपने अंदर खींच लिया हो l चिपचिपे पानी से सराबोर बहू की बुर में महेन्द्र का लंड बड़ी आसानी से फिसल रहा रहा था l महेन्द्र बहू की लटक रही दोनों चूची को पकड़े पुरे जोश में कस कस के बहू को पेल रहा था l
सोफे पे झुक के माया आज पहली बार पेलवा रही थी, उसे बहुत मज़ा आ रहा था l कुछ देर की चुदाई के बाद महेन्द्र तेज़ से हांफने लगा, उसका क्लाइमेक्स नज़दीक था l बहू की गांड को जोर से पकड़ते हुवे वो पूरा वीर्य बहू की बुर में उड़ेल दिया l महेंद्र 10-15 बार और चोद के जब लंड बाहर निकला तो माया के बुर से सफ़ेद पानी की चासनी जमीन तक चू गई l वो बहू की गांड के पीछे से हाथ डाल बहू की बुर के पानी को हाथ में लिया और अपने लंड के ऊपर लगाया l

महेन्द्र - चाट बहू, ये भी तो चाट
माया एक अच्छी बहू की तरह नीचे बैठ के महेन्द्र का लंड जीभ से साफ़ की l

माया - बाबूजी... आपका लंड बहुत स्वादिष्ट है l
महेंद्र - बहू, लगता है तेरी प्यास नहीं बुझी l
महेन्द्र बहू की गांड पे thappad मारा.... और उसे सोफे पे गिरा दिया l
माया खिलखिलाने लगी और झुक के अपनी position ले li, महेन्द्र इस बार लंड बहू की गांड में डाला l माया कराह उठी वो बाबूजी को पीछे धक्का दीl
माया - आह नहीं बाबूजी ये बहुत बड़ा है l
महेन्द्र - प्लीज बहू, चोदने दो l आज मत रोक मुझे l
माया - ओके बाबूजी आप रुको मैं तेल लेकर आती हूँ l
माया जल्दी से उठ के नंगे ही बैडरूम में आयी l

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मानस गहरी नींद सो रहा था l वो टेबल से एक तेल की शीशी उठाई और वापस भाग आयी l

ये लीजिये बाबूजी, महेन्द्र लंड पे तेल लगाया l काला नाग सा लंड चमचमा उठा l
बहू दुबारा झुक गई, महेन्द्र शीशी को उल्टा कर बहू की गांड पे तेल गिराया तो पूरा ढक्कन खुल गया सारा तेल बहू की गांड से होता हुवा सोफे और जमीन पे फ़ैल गया l

महेन्द्र - ओह बहू वो गलती से l
माया - आप चिंता मत करिये बाबूजी मैं साफ़ कर दूँगी आप chodiye मुझे l

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तेल की परवाह किये बगैर महेन्द्र बहू की गांड चोदने laga, तेल इतना ज्यादा था की बार बार लंड फिसल जाता दोनों का बदन तेल में फिसल रहे थे l आखिरकार महेन्द्र का वीर्य बहू की गांड पे निकल गया l
सुबह के चार बज गए थे चुदाई करते करते l पूरा कमरा ससुर बहू की जबर्दश्त चुदाई का सबूत दे रहा था l
Gajab bhai mja aa gya aise hi jaldi jaldi update dena
 

Pra_6789

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तेल की परवाह किये बगैर महेन्द्र बहू की गांड चोदने laga, तेल इतना ज्यादा था की बार बार लंड फिसल जाता दोनों का बदन तेल में फिसल रहे थे l आखिरकार महेन्द्र का वीर्य बहू की गांड पे निकल गया l
सुबह के चार बज गए थे चुदाई करते करते l पूरा कमरा ससुर बहू की जबर्दश्त चुदाई का सबूत दे रहा था l

भाग 15

महेन्द्र और माया दोनों ही पुरे नंगे सोफे पे लेटे थे l तेल और पसीना मिला हुवा उनका शरीर आपस में चिपका था l
महेन्द्र पीछे से हाथ डाल माया की दोनों चूची दबाते हुवे... .
महेन्द्र - बहू आज तुझे चोद के बहुत मज़ा आया l ऐसी गांड मैंने सालों बाद चोदी है l
माया - मुझे भी आपसे चुदवा के बहुत मज़ा आया बाबूजी... आपका लंड इस उम्र में भी किसी जवान लड़की को थका दे l

माया - अच्छा बाबूजी अब आप सो जाइये, मानस उठ गए तो प्रॉब्लम हो जाएगी l
महेन्द्र - हाँ बहू l
महेन्द्र और माया अपने अपने कमरे में आकर सो गए l
सुबह मानस की नींद खुली वो उठ कर फ्रेश हुवा, न्यूज़ पेपर लिए वो लिविंग हॉल में सोफे पे बैठा तो फर्श पे तेल और वीर्य से उसके पैर चिपचिपा गए l उसने माया को आवाज़ दी, माया... माया...
माया ऊंघते हुवे हॉल में आयी तो उसे रात की मस्ती याद आयी, वो भूल गई थी की मानस के उठने से पहले उसे कमरा साफ़ करना था l
मानस - माया ये क्या hai...?

माया बहाने सोचने लगी.. .

मानस - क्या हुवा कहाँ खो गई तुम,
माया - वो कल रात में बाबूजी के घुटने में दर्द था तो मैंने उन्हें oil दिया था लगता है बाबूजी के हाथ से गिर गया l
मानस - लेकिन तुमने मुझे बताया क्यों नहीं ? और पापा को तेल देने से अच्छा तुम लगा देती l कितनी problem हुई होगी उन्हें, मैं पूछता हूँ l l
मानस सीधा पापा के कमरे में आता है, माया भी पीछे पीछे आती है l
कमरे में महेन्द्र बेड पे बैठा था थोड़ी देर पहले ही उसकी नींद खुली थी l
मानस - पापा आप ठीक तो हैं l
महेन्द्र - क्या हुवा बेटा, मैं समझा नहीं l
मानस - पापा,,, माया ने बताया की आपको पैर में दर्द था कल रात
(माया ने आँखों ही आँखों में इशारा किया )
महेन्द्र - हां हां बेटा वो.. थोड़ा सा l अभी ठीक है l कल रात बहू ने मालिश की थी l
मानस - मालिश ? आप झूठ क्यों बोल रहे हैं माया ने तो सिर्फ तेल दिया था आपको l
माया ने आँख दिखाई to..महेन्द्र अपनी बात करेक्ट की...
बेटा मेरा मतलब तेल दिया था, मैं लगा लिया और अभी ठीक भी है l

मानस - मैं कुछ नहीं जानता, माया बाबूजी के पैर की मालिश करो l आज ब्रेकफास्ट मैं बाहर ऑफिस के पास कर लूँगा l (मानस माया को आदेश दिया )
महेन्द्र - अरे बेटा रहने दे l
मानस - नहीं बाबूजी
माया खड़ी क्यों हो जाओ तेल लाओ l माया एक आज्ञाकारी पत्नी की तरह कमरे में गई और तेल ले के आयी l
महेंद्र ने धोती पहनी थी l
मानस - माया तुम अच्छे से मालिश करो, मैं ऑफिस के लिए तैयार होता हूँ
मानस के जाने के बाद माया फर्श पे बैठ गई, माया और महेन्द्र एक दूसरे को देख मुस्कुरा रहे थे l

महेंद्र ने धोती के अंदर से अपना लंड बाहर किया, लो बहू करो मालिश l माया की हंसी छूट गई l वो धीमी आवाज़ में बोली, हाथ से करू या मुँह से l
महेन्द्र का लंड खड़ा हो gaya, वो तुरंत माया का सर पकड़ अपने लंड को माया के मुहँ के पास रखा.... चुसो बहू l

माया किसी संस्कारी बहू की तरह ससुर जी की बात मान उनका लंड चूसने लगी l महेन्द्र गाउन के ऊपर से माया के बूब भी दबा रहा था l

आआह बहू..... कितना अच्छा चूसती हो l.....थोड़ी चुसाई के बाद महेन्द्र का वीर्य आने को था l
आआअह्ह्ह्हह्हह आआआह्ह्ह्ह की आवाज़ के साथ महेन्द्र बहू के मुहँ में स्खलित हो गया l

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माया - ओह बाबूजी आप तो जल्दी निकाल दिए... मुझे प्यार भी नहीं किया l
(माया मुहँ से वीर्य पोछते हुवे बोली )

महेन्द्र - sorry bahu... मेरा लंड तेरे मुहँ की गर्मी बर्दाश्त नहीं कर पाया l
एक बार मानस को ऑफिस जाने दे फिर तुझे मैं पूरे घर में जी भर के चोदता हूँ l
माया की ख़ुशी का ठिकाना नहीं रहा l

महेन्द्र और माया एक दूसरे को एक लवर की तरह किस किये l महेन्द्र फ्रेश होने गया और bahu किचन में काम करने लगी l
उधर मानस कुछ देर बाद फ़ोन पे बात करते हुवे लिविंग हॉल में बैठा था l
papa.. पापा...
महेन्द्र - क्या हुवा बेटा l
मानस - पापा वो मेरे फ्रेंड ने urgently बुलाया है l
महेन्द्र - बेटा हम दोनों को ?
मानस - हाँ... लगता है काम हो गया l जल्दी चलिए... अगर काम हो गया तो आप आज दोपहर को ही घर जा सकते हैं l
महेन्द्र को तो जैसे शॉक laga... कितना badkismat है वो l वो भगवान से प्रार्थना करने लगा की काम ना हुवा हो l
मानस - क्या हुवा बाबूजी... आप खुश नहीं हो ?
महेंद्र - नहीं beta...मेरा मतलब बहुत अच्छा... आ... आ... अभी चलना होगा ?
(महेन्द्र माया की तरफ देखा... माया भी उनकी बातें सुन रही थी )
मानस - हाँ... आपको क्या हुवा l आप खुश नहीं लग रहे l
महेंद्र कुछ बोल ना पाया.... हाँ बेटा.. वही सोच रहा था, यकीन नहीं होता l बहुत खुश हूँ मैं... थैंक यू बेटा l

महेन्द्र उदास हो कमरे में आया और तैयार होने लगा l चेहरे पे उदास भाव थे जैसे कोई सुन्दर सपना टूट अचानक से टूट गया हो l
इधर माया भी अपनी किस्मत को कोस रही थी l इतना अच्छा मौका था आज खुल के ससुर के साथ सेक्स कर सकती थी l माया को बहुत गुस्सा भी आ रहा था l
माया बहाने से महेन्द्र के कमरे में आयी मगर लिविंग हाल में मानस बैठा था तो कुछ बोल नहीं पाई l
दोनों ने बस एक दूसरे को आँखो ही आँखों में देखा l माया गुस्से में आग बबूला थी, उसे समझ नहीं आ रहा इस situation में वो क्या करे l महेन्द्र bahu को बाँहों में लेना चाहा तो माया गुस्से से कमरे से बाहर आ गई l
मानस ने दुबारा महेन्द्र को जल्दी तैयार होने के लिए pressure डाला l
महेन्द्र और माया कुछ भी बात नहीं कर paaye l
आखिरकार दोनों घर से बाहर आ गए l माया दोनों को bye कर वापस घर का काम करने लगी l
एक घंटे बाद मानस का फ़ोन आया की वो बाबूजी के साथ स्टेशन पे hai,... सारा काम ख़तम हो चूका था l मानस की बात सुनकर माया की बची उम्मीद भी टूट गई, वो अफ़सोस करने लगी की ससुर जी के साथ जो हुवा काश वो 2 दिन पहले हुवा होता तो वो पूरी मस्ती लूट पाती l उसे अधूरापन सा लग रहा था l
वो बैडरूम में लेटी काफी देर तक रात के हुवे हसीं पल को याद करती रही, उसका पुरा जिस्म तड़प रहा था l लेकिन उसे तो अब इस अधूरे पल के साथ ही जीना था l ना जाने कब दुबारा ऐसा मौका मिले और वो ससुर जी के मोटे लंड का लुफ्त उठा पाए l
 

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तेल की परवाह किये बगैर महेन्द्र बहू की गांड चोदने laga, तेल इतना ज्यादा था की बार बार लंड फिसल जाता दोनों का बदन तेल में फिसल रहे थे l आखिरकार महेन्द्र का वीर्य बहू की गांड पे निकल गया l
सुबह के चार बज गए थे चुदाई करते करते l पूरा कमरा ससुर बहू की जबर्दश्त चुदाई का सबूत दे रहा था l

भाग 15

महेन्द्र और माया दोनों ही पुरे नंगे सोफे पे लेटे थे l तेल और पसीना मिला हुवा उनका शरीर आपस में चिपका था l
महेन्द्र पीछे से हाथ डाल माया की दोनों चूची दबाते हुवे... .
महेन्द्र - बहू आज तुझे चोद के बहुत मज़ा आया l ऐसी गांड मैंने सालों बाद चोदी है l
माया - मुझे भी आपसे चुदवा के बहुत मज़ा आया बाबूजी... आपका लंड इस उम्र में भी किसी जवान लड़की को थका दे l

माया - अच्छा बाबूजी अब आप सो जाइये, मानस उठ गए तो प्रॉब्लम हो जाएगी l
महेन्द्र - हाँ बहू l
महेन्द्र और माया अपने अपने कमरे में आकर सो गए l
सुबह मानस की नींद खुली वो उठ कर फ्रेश हुवा, न्यूज़ पेपर लिए वो लिविंग हॉल में सोफे पे बैठा तो फर्श पे तेल और वीर्य से उसके पैर चिपचिपा गए l उसने माया को आवाज़ दी, माया... माया...
माया ऊंघते हुवे हॉल में आयी तो उसे रात की मस्ती याद आयी, वो भूल गई थी की मानस के उठने से पहले उसे कमरा साफ़ करना था l
मानस - माया ये क्या hai...?

माया बहाने सोचने लगी.. .

मानस - क्या हुवा कहाँ खो गई तुम,
माया - वो कल रात में बाबूजी के घुटने में दर्द था तो मैंने उन्हें oil दिया था लगता है बाबूजी के हाथ से गिर गया l
मानस - लेकिन तुमने मुझे बताया क्यों नहीं ? और पापा को तेल देने से अच्छा तुम लगा देती l कितनी problem हुई होगी उन्हें, मैं पूछता हूँ l l
मानस सीधा पापा के कमरे में आता है, माया भी पीछे पीछे आती है l
कमरे में महेन्द्र बेड पे बैठा था थोड़ी देर पहले ही उसकी नींद खुली थी l
मानस - पापा आप ठीक तो हैं l
महेन्द्र - क्या हुवा बेटा, मैं समझा नहीं l
मानस - पापा,,, माया ने बताया की आपको पैर में दर्द था कल रात
(माया ने आँखों ही आँखों में इशारा किया )
महेन्द्र - हां हां बेटा वो.. थोड़ा सा l अभी ठीक है l कल रात बहू ने मालिश की थी l
मानस - मालिश ? आप झूठ क्यों बोल रहे हैं माया ने तो सिर्फ तेल दिया था आपको l
माया ने आँख दिखाई to..महेन्द्र अपनी बात करेक्ट की...
बेटा मेरा मतलब तेल दिया था, मैं लगा लिया और अभी ठीक भी है l

मानस - मैं कुछ नहीं जानता, माया बाबूजी के पैर की मालिश करो l आज ब्रेकफास्ट मैं बाहर ऑफिस के पास कर लूँगा l (मानस माया को आदेश दिया )
महेन्द्र - अरे बेटा रहने दे l
मानस - नहीं बाबूजी
माया खड़ी क्यों हो जाओ तेल लाओ l माया एक आज्ञाकारी पत्नी की तरह कमरे में गई और तेल ले के आयी l
महेंद्र ने धोती पहनी थी l
मानस - माया तुम अच्छे से मालिश करो, मैं ऑफिस के लिए तैयार होता हूँ
मानस के जाने के बाद माया फर्श पे बैठ गई, माया और महेन्द्र एक दूसरे को देख मुस्कुरा रहे थे l

महेंद्र ने धोती के अंदर से अपना लंड बाहर किया, लो बहू करो मालिश l माया की हंसी छूट गई l वो धीमी आवाज़ में बोली, हाथ से करू या मुँह से l
महेन्द्र का लंड खड़ा हो gaya, वो तुरंत माया का सर पकड़ अपने लंड को माया के मुहँ के पास रखा.... चुसो बहू l

माया किसी संस्कारी बहू की तरह ससुर जी की बात मान उनका लंड चूसने लगी l महेन्द्र गाउन के ऊपर से माया के बूब भी दबा रहा था l

आआह बहू..... कितना अच्छा चूसती हो l.....थोड़ी चुसाई के बाद महेन्द्र का वीर्य आने को था l
आआअह्ह्ह्हह्हह आआआह्ह्ह्ह की आवाज़ के साथ महेन्द्र बहू के मुहँ में स्खलित हो गया l

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माया - ओह बाबूजी आप तो जल्दी निकाल दिए... मुझे प्यार भी नहीं किया l
(माया मुहँ से वीर्य पोछते हुवे बोली )

महेन्द्र - sorry bahu... मेरा लंड तेरे मुहँ की गर्मी बर्दाश्त नहीं कर पाया l
एक बार मानस को ऑफिस जाने दे फिर तुझे मैं पूरे घर में जी भर के चोदता हूँ l
माया की ख़ुशी का ठिकाना नहीं रहा l

महेन्द्र और माया एक दूसरे को एक लवर की तरह किस किये l महेन्द्र फ्रेश होने गया और bahu किचन में काम करने लगी l
उधर मानस कुछ देर बाद फ़ोन पे बात करते हुवे लिविंग हॉल में बैठा था l
papa.. पापा...
महेन्द्र - क्या हुवा बेटा l
मानस - पापा वो मेरे फ्रेंड ने urgently बुलाया है l
महेन्द्र - बेटा हम दोनों को ?
मानस - हाँ... लगता है काम हो गया l जल्दी चलिए... अगर काम हो गया तो आप आज दोपहर को ही घर जा सकते हैं l
महेन्द्र को तो जैसे शॉक laga... कितना badkismat है वो l वो भगवान से प्रार्थना करने लगा की काम ना हुवा हो l
मानस - क्या हुवा बाबूजी... आप खुश नहीं हो ?
महेंद्र - नहीं beta...मेरा मतलब बहुत अच्छा... आ... आ... अभी चलना होगा ?
(महेन्द्र माया की तरफ देखा... माया भी उनकी बातें सुन रही थी )
मानस - हाँ... आपको क्या हुवा l आप खुश नहीं लग रहे l
महेंद्र कुछ बोल ना पाया.... हाँ बेटा.. वही सोच रहा था, यकीन नहीं होता l बहुत खुश हूँ मैं... थैंक यू बेटा l

महेन्द्र उदास हो कमरे में आया और तैयार होने लगा l चेहरे पे उदास भाव थे जैसे कोई सुन्दर सपना टूट अचानक से टूट गया हो l
इधर माया भी अपनी किस्मत को कोस रही थी l इतना अच्छा मौका था आज खुल के ससुर के साथ सेक्स कर सकती थी l माया को बहुत गुस्सा भी आ रहा था l
माया बहाने से महेन्द्र के कमरे में आयी मगर लिविंग हाल में मानस बैठा था तो कुछ बोल नहीं पाई l
दोनों ने बस एक दूसरे को आँखो ही आँखों में देखा l माया गुस्से में आग बबूला थी, उसे समझ नहीं आ रहा इस situation में वो क्या करे l महेन्द्र bahu को बाँहों में लेना चाहा तो माया गुस्से से कमरे से बाहर आ गई l
मानस ने दुबारा महेन्द्र को जल्दी तैयार होने के लिए pressure डाला l
महेन्द्र और माया कुछ भी बात नहीं कर paaye l
आखिरकार दोनों घर से बाहर आ गए l माया दोनों को bye कर वापस घर का काम करने लगी l
एक घंटे बाद मानस का फ़ोन आया की वो बाबूजी के साथ स्टेशन पे hai,... सारा काम ख़तम हो चूका था l मानस की बात सुनकर माया की बची उम्मीद भी टूट गई, वो अफ़सोस करने लगी की ससुर जी के साथ जो हुवा काश वो 2 दिन पहले हुवा होता तो वो पूरी मस्ती लूट पाती l उसे अधूरापन सा लग रहा था l
वो बैडरूम में लेटी काफी देर तक रात के हुवे हसीं पल को याद करती रही, उसका पुरा जिस्म तड़प रहा था l लेकिन उसे तो अब इस अधूरे पल के साथ ही जीना था l ना जाने कब दुबारा ऐसा मौका मिले और वो ससुर जी के मोटे लंड का लुफ्त उठा पाए l
Woow mast update pr sasur ko abhi aur rukna chahiye tha bahu ke liye
 
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