माया - हाँ बाबूजी सब साफ़ हो गया.... क्यों मानस सब साफ़ हो गया ना... (आँख मारते हुवे )
मानस तो शॉक में कुछ भी बोल नहीं पा रहा था l
भाग 9
डिनर के बाद मानस और माया दोनों ही खुश थे वो अपने कमरे में बैठे बातें कर रहे थे l कुछ देर बातें करने के बाद मानस शॉर्ट्स पहन के बेड पे वापस आता है, माया भी बाल खोल कर बिस्तर पे आ गई l कमरे में हल्की रोशिनी छाई थी l
मानस माया को बाँहों में ले कर बेड पे लिटा देता है, होठों को चूमते हुवे उसके हाथ माया के बूब्स पे फिसल रहे थे l गाउन के अंदर ब्रा में माया के बूब काफी उभरे नज़र आ रहे थे l
मानस - आज तो तुमने कमाल कर दिया l
माया - kyon? तुम्हे अपना माल मेरे मुंह में गिराने दी इसलिए बोल रहे हो ?
मानस - हाँ इतना मज़ा पहले कभी नहीं आया माया, वैसे मेरे वीर्य का स्वाद कैसा लगा तुम्हे ?
माया - अच्छा था गरम नमकीन सा गाढ़ा पानी (माया खिलखिलाई )
मानस माया के ऊपर चढ़ उसे रोंदने लगा, माया उसे धकेलती लेकिन मानस तो उसे अच्छे से दबोच लिया था l माया के गाउन के सारे बटन खोल दिए, गाउन ढीला होने के कारण मानस को अंदर हाथ डालने mein कोई परेशानी नहीं हुई वो बड़ी asani से ब्रा उठा दियाl ब्रा उठाते ही माया के गोरे बूब बाहर को आ गए l
मानस नंगे बूब को अपनी आँखों के सामने पा कर खुद को रोक नहीं पाया और नीचे झुक कर उसने माया के नंगे बूब को मुँह में भर लिया l वो दूसरे बूब को हाथों से मसलते हुवे मुहँ से जीभ निकाल माया के निप्पल पे घूमाने लगा l माया अब गरम होने लगी थी, उसकी सिसकारी निकलने लगी l
वो वासना की मस्त में मानस को अपने बूब्स पीला रही थी l
मस्ती में वो एक लम्बी सी moan की..
आआआअह्ह्ह्हह..... maaaanaaaas......
मानस माया की moan सुन उसके मुहँ पे हाथ रखा तो माया ने उसका हाँथ हटा दिया और जोर से moan करने लगी ....
aaaaaaaaaaahhhhhhhh ssssssssss aaaaaaahhhhhhhhhh maaaaaanaaaaas aaaaaaaannnnhhhhhhhh
मानस रुकते हुवे, क्या कर रही हो माया... बगल के रूम में पापा हैं l
माया - (मानस को चिढ़ाते हुवे ) तो क्या हो गया.. उस दिन तो वो दूध वाले काका को तुम मेरी आह सुनाना चाहते थे तुम्हे बड़ा मज़ा आ रहा था तो अब क्या हुवा l
माया और जोर से आह भरी l..... Sssss आआह्ह्ह्हह
मानस - तुम पागल हो गई हो l
माया - (हँसते हुवे ) अरे बुद्धू door बंद है और बाबूजी 10 बजे तक सो जाते hain l तुम करो ना.... माया सेक्स के लिए बहुत उतावली थी l
अपने कोमल निप्पल पे मानस के मुँह की गर्मी पाकर माया खुल के बेशर्मी से moan करने लगी l
उधर महेन्द्र अपने कमरे में बेड पे लेटा था, जब उसे चूड़ियों की खनखनाहट और माया की आह सुनाई दी l उसने सोचा माया और मानस कहीं झगड़ा तो नहीं कर रहे l वो कमरे से बाहर आया चूड़ियों और माया की moaning तेज हो गई वो dabey पाओं door के करीब आया तो उसके होश उड़ गए l
माया मानस से आग्रह कर रही थी...
माया - आह ससस मानस... एक ही को चुसते rahoge क्या ?? मेरी दूसरी बूब को भी तो पियो l
अपने कानो में बहू के उत्तेजक शब्द सुनते ही महेन्द्र के पाओं जम से गए l पायजामा के अंदर उसका लंड मुँह उठाने लगा l
अब चूड़ियों की आवाज़ एक रीदम में आ रही थी, महेन्द्र दोनों की पोजीशन imagine करने लगा मानस के मुँह से बस उमम की आवाज़ अा रही, इसका मतलब बहू की चूची उसके मुँह में है, और लगातार आ रही चूड़ियों की आवाज़ मतलब बहू मानस का लंड पकड़ हिला रही है l
महेन्द्र वासना से भर उठा उसे अपनी बहू का नंगा शरीर देखने की लालसा बढ़ चली थी, मगर कैसे... वो इधर उधर कोई छेद ढूंढ़ता रहा लेकिन कोई फ़ायदा नहीं एक key होल था भी तो उससे बेड की सिर्फ साइड देखा जा सकता था l समय बीतता जा रहा था उसे डर था की कहीं दोनों बाहर ना आ जाएं l तभी उसे door के ऊपर एक gap दिखा, वो बेचैनी से आस पास नज़रें दौड़ाया तो उसे एक चेयर दिखाई दी l
बड़ी सावधानी से वो chair उसने door ke पास लगाया l महेन्द्र को डर तो बहुत था कहीं बेटे बहू ने उसे ऐसा करते देख लिया तो वो जीवन भर उनसे आँख नहीं mila पायेगाl इन सब के बावजूद महेन्द्र की वासना उसके डर पे हावी थी l
वो चुपके से चेयर के ऊपर चढ़ा और अंदर धीमी रोशनी में जो उसने देखा, उसने शायद अपने जीवन में कभी नहीं देखा था l
बहू सर से पाऊँ तक पूरी नंगी थी वो doggy स्टाइल में बेड पे झुकी थी और मानस उसे पीछे से कमर पकड़ चोद रहा था l बहू की नंगी गांड में मानस का लंड लगातार अंदर बाहर हो रहा था l बहू को नंगा देखते हुवे महेन्द्र ने चेयर पे खड़े खड़े झटपट पायजामा नीचे कर दिया और लंड बाहर निकाल मुट्ठ मारते हुवे वो हवा में कमर हिलाने लगा जैसे की वो भी बहू को चोद रहा हो l
अन्दर मानस कभी माया को chodata kabhi उसकी चूत चाटता तो कभी अपना लंड उसके मुँह में डालता l माया भी आज भरपूर साथ दे रही थी l महेंद्र सब देख रहा था उसे तो मानो अपनी आँख पे यकीन नहीं था सबकुछ सपना जैसा लग रहा था l माया किसी रंडी की तरह सेक्स का मज़ा ले रही थी, मध्यम रौशनी में भी माया का gora बदन चमक रहा था l महेन्द्र हल्की रोशिनी में साफ़ साफ़ तो नहीं देख paya लेकिन बहू के शरीर का कटाव, उसकी चौड़ी गांड, मोटी दोनों जांघ और गदराया बदन उसके लंड में बेतहाशा हलचल मचा रही थी l
माया कस कस के चुदवाती रही, गांड पे मानस का लंड फट फट ki आवाज़ के साथ टकरा रहा रहा था l
थोड़ी देर चुदाई के बाद बाद मानस अपने लंड का माल माया के face पे छोड़ देता है l माया मुट्ठ से नहा ली थी, उसकी फेस पे मानस वीर्य की लम्बी लम्बी धार छोड़ रहा था... माया चेहरे पे लगे मुट्ठ को उँगलियों से पोछ चाट रही thi.
महेन्द्र को पता नहीं था की उसकी संस्कारी बहू इतनी ज्यादा चुदक्कड़ है जो मुट्ठ को भी चाट के मज़ा लेती है l ये सब देख अब उसका भी पानी निकलने वाला ही था...वो माया का नंगा बदन देखते हुवे मुट्ठ मार रहा था, जैसे ही उसका क्लाइमेक्स आया उसने लंड को पायजामा के अंदर डाल दिया l लंड का ढेर सारा पानी पायजामा के अंदर ही बह गया l उसके बाद
Chair साइड में रख वो भीगे पायजामा में ही दबे अपने कमरे में आ गया l
बिस्तर पे लेटे हुवे महेन्द्र की आँखों के सामने बस उसकी बहू का नंगा शरीर था l उसकी चुदासी हरकत बार बार महेन्द्र के आँखों के सामने घूम रही थी l वो दुबारा गीले पायजामा में हाथ डाल लंड को सहलाने लगा l महेन्द सोचने लगा आज कल की लड़कियाँ कितना खुल गई हैं सेक्स का पूरा मज़ा लेती हैं l और बहू तो उफ़.... कितना चुदवा रही थी क्या वो और भी मर्दों से chudi होगी ? महेन्द्र के मन में हज़ारों सवाल थे l
बहू की चौड़ी गांड पे मानस का लंड कैसे थप थप कर रहा था... ओह........बहू मेरा भी लंड ले ले अपनी प्यासी बुर में l बोलते huwe... आआअह्ह्ह्हह.... बहू...... ये दूसरी बार था जब महेन्द्र के लंड ने पिचकारी छोड़ दी l
2 बार झड़ने के बाद भी महेन्द्र का लंड खड़ा था, होता भी क्यों नहीं उसने जो देखा था वो वाकई मज़ा से भरा था l
महेन्द एक पल के लिए भी माया को बहू की तरह नहीं सोचता बल्कि उसे एक गरम बदन की मालकिन की तरह देखता l उसे तो बस बहू की बुर चोदना था l करीब 1 घंटा बीत चूका था लंड का तनाव ख़त्म ही नहीं हो रहा था की तभी माया के बैडरूम का door खुला और चूड़ियों की आवाज़ आयी l
ये बहू इस वक़्त... उफ़ उसने पास पड़े चादर को अपने ऊपर खींच लियाl
माया महेन्द्र के कमरे की तरफ ही आ रही थी l
माया - धीमी आवाज़ में... बाबूजी... बाबूजी...
महेन्द्र करवट लिए हुवे था l माया जैसे ही कमरे में आयी उसकी नथुनों में जैसे कोई जानी पहचानी महक समां गई,,, वो नाक पे ऊँगली रख कुछ सोच ही रही थी की महेन्द्र बोला... क्या हुवा बहू ?
आ.... बाबूजी अपने अपनी दवाई ली आज ?
महेन्द्र - ओह नहीं बहू l भूल गया l
माया बेड के पास खड़ी हुई, महेन्द्र भी जैसे ही बैठने के लिए चादर हटाया माया को वो अनजानी अजीब सी महक और तेज सुंघाई दी l
माया तुरंत पहचान गई... (अपने मन mein)...उफ़ ये तो वीर्य की स्मेल है, यहाँ kaise.. ??
माया ने चुपके से अपना गाउन सूंघा...उसे लगा शायद मानस का वीर्य की smell उसकी बॉडी से आ रही है l... यहाँ से to.नहीं आ रही मैं तो सब साफ़ कर दी थी.. और ये स्मेल तो बहुत strong है l जैसे ताज़ा निकला हुवा वीर्य l
तो क्या बाबूजी नहीं nahi nahi...
लेकिन क्यों नहीं हो सकता... हो ना हो बाबूजी अपनी पत्नी को मिस कर रहे hain... ओह मैं ये क्या सोच रही हूँ l... माया दुबारा बोली
माया - बाबूजी आप लिविंग हॉल में बैठिये मैं अभी लाती हूं दवाई l
महेन्द्र - ओके बहू,
महेन्द्र बेड से उठकर सीधा लिविंग hall में आ gaya.. माया किसी जासूस की तरह चादर उठा के सूंघी... वही smell, उसका धयान बेड पे गया जहाँ महेन्द्र का ताज़ा वीर्य गिरा था. वो देखते ही समझ गई फिर भी confirm करने के लिए वो झुक के स्मेल कीl गाढ़े मुट्ठ की smell मानस के मुट्ठ से कहीं ज्यादा थी उसे पक्का यकीन हो गया l
माया सोचने लगी लगता है बाबूजी सच mein सासू मां को बहुत मिस कर रहे hain....... बेचारे l मैं और मानस तो सेक्स के बगैर बिलकुल नहीं रह पाते और मानस भी तो जब मैं नहीं होती तो हाथ से ही वीर्य निकालते हैं l
शायद बाबूजी भी बहुत मजबूर हैं और हाथ से ही काम चला रहे हैं l अब समझी क्यों बोल रहे थे dinner के टाइम की घर जाना है l
माया ऐसे खुश हो रही थी जैसे उसने कोई क्राइम केस solve कर लिया हो l
महेन्द्र - लिविंग हॉल से... क्या हुवा बहू l
माया - (माया का ध्यान toota).....आ आ आयी बाबूजी ll
माया jhatpat dava ली और लिविंग हॉल की तरफ बढ़ चली l
महेन्द्र उसे आते हुवे चोदने वाली नज़र से देख रहा था, ख़ास कर कमर से नीचे का हिस्सा जहाँ माया ने जन्नत छुपा रखी थी गाउन के अंदर l
सोफे पे बैठा महेन्द्र लेकिन उसका लंड बिलकुल सीधा था खड़ा हवा में l
माया - ये लीजिये बाबूजी l
महेन्द्र दवा लिया और पूछा क्यों बहू तुम्हे नींद नहीं आ रही... क्या कर रही थी l(महेन्द्र का question में शरारत थी )
माया - कुछ नहीं बाबूजी बातें कर रही थी l
महेन्द्र - आ ना मेरे पास बैठ, मुझसे बातें नहीं करेगी ? आज मुझे भी नींद नहीं आ रही l
माया - जी बाबूजी क्यों नहीं.... l
महेंद्र - मानस क्या कर रहा है l
माया - वो सो गए बाबूजी l