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मानस - हाँ हाँ दे दो माया l.... (मानस हँस हँस के पागल हुवे जा रहा था, माया को छेड़ने में वो कोई कसर नहीं छोड़ रहा था )
लेकिन माया के लिए तो वहां खड़ा होना भी दूभर हो गया था, वो भाग के किचन में आ गई l दिल की धड़कन किसी जनरेटर के सामान धक् धक् कर रही थी l
भाग 8
महेन्द्र - अरे क्या हुवा कोई मुझे भी बताएगा l
मानस - कुछ नहीं पापा माया ये curry कल बनायी थी मुझे बहुत पसंद है थोड़ा बचा था तो तड़का लगा दी l और माया आपको बासी curry नहीं देना चाहती l (मानस स्थिति संभालने की कोशिश किया, उधर माया ने भी चालाकी से एक दूसरे कटोरे में अलग curry रख ले आयी l )
(मानस के बगल में बैठी उसकी नज़रें शर्म से अभी भी नीची थी )
महेन्द्र - बस इतनी सी बात बेटा l
क्या बहू तुम भी ना, इतना सोचती हो मेरे लिए l (महेन्द्र वापस टीवी देखते हुई dinner करने laga, स्थिति सम्भल गई थी माया और मानस वापस एक दूसरे को देखते हुवे मुस्कुराये l)
मानस खाते हुवे बाएं हाथ से माया की जांघो पे हाथ फेरता है ऊपर तक तो उसे kahin भी पैंटी की छोर नहीं मिलती, माया बिलकुल नंगी थी अंदर l वो इस अहसास से रोमानचित्त हो जाता है l
मानस - तुम भी khao ना माया l
महेन्द्र - हाँ बहू खाओ l
टेबल के नीचे मानस की उँगलियाँ माया चूत के आस पास हरकत कर रही होती हैं l
वो मुट्ठी बटोरते हुवे माया की गाउन ऊपर खींचने लगता है, कुछ ही देर में माया के घुटने नंगे हो जाते हैं l
माया सुबह हुवे वाकिये को दोहराना नहीं चाहती थी तो वो कोई विरोध नहीं करती बल्कि बड़ी नार्मल होकर अपने ससुर से बातें करती रहती है l
माया - तो पापा मानस के बारे में और बताइये कुछ बचपन के किस्से कितना शैतान थे मानस..
महेन्द्र - बहुत बदमाश था ये,.. स्कूल में एक बार इसने maths teacher की चेयर पे chwingum चिपका दिया था l बाद में इसे बहुत मार भी पड़ी थी l अपनी कॉपी पे मेरा नकली सिग्नेचर कर देता था l
माया - ओह मानस इतने बदमाश थे तुम ?
मानस - वो maths टीचर बहुत खड़ूस थे बच्चों को मारते थे l तो क्या करता l
(मानस ने जवाब dete हुवे टेबल के नीचे गाउन पूरी उठा दी और माया की नंगी खुली बुर को हाथ लगाया )
माया चेहरे का एक्सप्रेशन छिपाते हुवे थूक घोंट पानी पीते हुवे मानस से बोली l
माया - अच्छा और वो बाबूजी का signature वो क्या था l (माया सहमती दिखाते हुवे अपनी नंगी हो चुकी टाँगे फ़ैला दी, जिससे मानस की दो ऊँगली माया की बुर में समां गईं l )
मानस - वो तो मैं पापा के daant से बहुत डरता था l (मानस बहुत ही चालाकी से खाना भी खा रहा था और दूसरे हाथ की दो ऊँगली माया के बुर में पेल रहा था l माया को अब मज़ा आने लगा था, चेयर पे बैठे बैठे वो मचल जा रही थी l)
माया - उम्म्म मानस... तुम्मम तो बड़े बद.... हह..... बदमाश थे l (माया का बुर गीला होने लगा था )
महेन्द्र - बहुत बदमाश था बहू l अब तो शादी के बाद काफी sudhar गया है l
(माया के लिए chair पे बैठना अब मुश्किल हो रहा था, वो बीच बीच में टेबल पे सर झुका कर ससुर जी से छुपाते हुवे गर्म आह भरती l उसे डर था की कहीं वो बाबूजी के सामने ही स्खलित ना हो जाए l तो उसके दिमाग में आईडिया आया वो सोची अब जैसे को taisaa..करना पड़ेगा )
माया - अच्छा बाबूजी आप कैसे थे अपने बचपन में शरारती या शांत l (माया महेन्द्र को question में उलझाए रखी और नीचे से हाथ सीधा मानस के लंड पे रख दी )
महेन्द्र सब से अनजान भोलेपन से उत्तर देता और माया मानस के pant का ज़िप खोल लंड हाथ में ले चुकी थी l
मानस माया में आये इस बदलाव को देख आनंदित था l माया बिलकुल सहज हो कर बात करते हुवे पति के लंड को stroke दे रही थी, अब मचलने की बारी मानस की थीl
दोनों के बीच जैसे कोई competition हो कभी माया मानस का लंड जोर से हिला देती तो कभी मानस कस के ऊँगली माया की गीली बुर में पेल देता l)
लेकिन मानस फिर भी माया पे भारी पड़ रहा था क्योंकि महेन्द्र माया से बातें कर रहा था और माया के लिए मस्ती भरा expression छिपाना बहुत मुश्किल था l आखिरकार वो कुछ सोच खड़ी हो गई...
माया - ओह मानस ये तुमने curry कैसे गिरा दी फर्श pe l मैं कुछ टॉवल ला के साफ़ करती हूँ l
मानस को कुछ समझ नहीं आया कौन सी curry यहाँ तो कुछ नहीं गिरा माया क्या बोल रही है l
महेन्द्र - अरे बहू डिनर कर लो पहले साफ़ बाद में कर देना l
माया - कोई बात नहीं बाबूजी मैं वैसे भी खा ली, आप खाइये ना l माया हाथ में एक छोटा टॉवल लिए वापस आ गई l
वो अब टेबल टेबल के नीचे बैठ गई l
महेन्द्र - मानस बेटा कल क्या काम हो jayega ?? मैं सोच रहा था काम जल्दी ख़तम कर घर चला जाऊं l
मानस - हाँ पापा कोशिश करता हूँ...
(मानस अपनी बात भी पूरी नहीं किया था की तभी उसे अपने लंड पे कुछ गर्म soft सा अनुभव हुवा l वो नीचे देखा तो शॉक हो गया l
माया के नर्म होंठ मानस के लंड पे फिसल रहे थे l ओह my गॉड क्या अहसास है, आज माया तो उफ़... ये मुझे blowjob दे रही है वो भी मेरे पापा के मौजूदगी में l)
माया टेबल के नीचे से ही मानस के आँखों में देखते हुवे ब्लोजॉब दे रही थी l
महेंद्र - अरे बहू बस भी कर, बाद में कर लेना साफ़ l
(माया टेबल के नीचे से ही लंड मुँह से बाहर निकाल बोली... बस बाबूजी हो गया... और दुबारा लंड चूसने लगी )
फिर उसने मानस का शर्ट पकड़ नीचे झुकाया और कान में धीरे से बोली.... मानस..... गिरा दो मेरे मुहँ में )
मानस को अपने कानों पे मानो यकीन ही ना हुवा l मस्ती में वो chair पे ढीला सा पड़ गया... सर पीछे कर वो कमर को धीरे धीरे झटका देने लगा l माया किसी पोर्न एक्ट्रेस की तरह लंड चूस रही थी मानस के सब्र का बाँध टूट गया वो झटके खाता माया के मुँह में स्खलित होता गया l नीचे नज़रें झुका के देखा तो माया उसे ही देख रही थी, माया का पूरा मुँह सफ़ेद वीर्य से भर गया था मुँह के किनारे से वीर्य बह रहा था फिर भी वो छप... छप.. चूसती रही l
माया का ये रूप मानस ने कभी नहीं देखा था वो आनंद विभोर था l माया ने ना सिर्फ उसका लंड चूसा था बल्कि उसका सारा वीर्य भी पी गई थी l
माया सेक्सी अंदाज़ से मुँह पोछी और टेबल से बाहर आ गई l
महेन्द्र - हो गया बहू l
माया - हाँ बाबूजी सब साफ़ हो गया.... क्यों मानस सब साफ़ हो गया ना... (आँख मारते हुवे )
मानस तो शॉक में कुछ भी बोल नहीं पा रहा था l
लेकिन माया के लिए तो वहां खड़ा होना भी दूभर हो गया था, वो भाग के किचन में आ गई l दिल की धड़कन किसी जनरेटर के सामान धक् धक् कर रही थी l
भाग 8
महेन्द्र - अरे क्या हुवा कोई मुझे भी बताएगा l
मानस - कुछ नहीं पापा माया ये curry कल बनायी थी मुझे बहुत पसंद है थोड़ा बचा था तो तड़का लगा दी l और माया आपको बासी curry नहीं देना चाहती l (मानस स्थिति संभालने की कोशिश किया, उधर माया ने भी चालाकी से एक दूसरे कटोरे में अलग curry रख ले आयी l )
(मानस के बगल में बैठी उसकी नज़रें शर्म से अभी भी नीची थी )
महेन्द्र - बस इतनी सी बात बेटा l
क्या बहू तुम भी ना, इतना सोचती हो मेरे लिए l (महेन्द्र वापस टीवी देखते हुई dinner करने laga, स्थिति सम्भल गई थी माया और मानस वापस एक दूसरे को देखते हुवे मुस्कुराये l)
मानस खाते हुवे बाएं हाथ से माया की जांघो पे हाथ फेरता है ऊपर तक तो उसे kahin भी पैंटी की छोर नहीं मिलती, माया बिलकुल नंगी थी अंदर l वो इस अहसास से रोमानचित्त हो जाता है l
मानस - तुम भी khao ना माया l
महेन्द्र - हाँ बहू खाओ l
टेबल के नीचे मानस की उँगलियाँ माया चूत के आस पास हरकत कर रही होती हैं l
वो मुट्ठी बटोरते हुवे माया की गाउन ऊपर खींचने लगता है, कुछ ही देर में माया के घुटने नंगे हो जाते हैं l
माया सुबह हुवे वाकिये को दोहराना नहीं चाहती थी तो वो कोई विरोध नहीं करती बल्कि बड़ी नार्मल होकर अपने ससुर से बातें करती रहती है l
माया - तो पापा मानस के बारे में और बताइये कुछ बचपन के किस्से कितना शैतान थे मानस..
महेन्द्र - बहुत बदमाश था ये,.. स्कूल में एक बार इसने maths teacher की चेयर पे chwingum चिपका दिया था l बाद में इसे बहुत मार भी पड़ी थी l अपनी कॉपी पे मेरा नकली सिग्नेचर कर देता था l
माया - ओह मानस इतने बदमाश थे तुम ?
मानस - वो maths टीचर बहुत खड़ूस थे बच्चों को मारते थे l तो क्या करता l
(मानस ने जवाब dete हुवे टेबल के नीचे गाउन पूरी उठा दी और माया की नंगी खुली बुर को हाथ लगाया )
माया चेहरे का एक्सप्रेशन छिपाते हुवे थूक घोंट पानी पीते हुवे मानस से बोली l
माया - अच्छा और वो बाबूजी का signature वो क्या था l (माया सहमती दिखाते हुवे अपनी नंगी हो चुकी टाँगे फ़ैला दी, जिससे मानस की दो ऊँगली माया की बुर में समां गईं l )
मानस - वो तो मैं पापा के daant से बहुत डरता था l (मानस बहुत ही चालाकी से खाना भी खा रहा था और दूसरे हाथ की दो ऊँगली माया के बुर में पेल रहा था l माया को अब मज़ा आने लगा था, चेयर पे बैठे बैठे वो मचल जा रही थी l)
माया - उम्म्म मानस... तुम्मम तो बड़े बद.... हह..... बदमाश थे l (माया का बुर गीला होने लगा था )
महेन्द्र - बहुत बदमाश था बहू l अब तो शादी के बाद काफी sudhar गया है l
(माया के लिए chair पे बैठना अब मुश्किल हो रहा था, वो बीच बीच में टेबल पे सर झुका कर ससुर जी से छुपाते हुवे गर्म आह भरती l उसे डर था की कहीं वो बाबूजी के सामने ही स्खलित ना हो जाए l तो उसके दिमाग में आईडिया आया वो सोची अब जैसे को taisaa..करना पड़ेगा )
माया - अच्छा बाबूजी आप कैसे थे अपने बचपन में शरारती या शांत l (माया महेन्द्र को question में उलझाए रखी और नीचे से हाथ सीधा मानस के लंड पे रख दी )
महेन्द्र सब से अनजान भोलेपन से उत्तर देता और माया मानस के pant का ज़िप खोल लंड हाथ में ले चुकी थी l
मानस माया में आये इस बदलाव को देख आनंदित था l माया बिलकुल सहज हो कर बात करते हुवे पति के लंड को stroke दे रही थी, अब मचलने की बारी मानस की थीl
दोनों के बीच जैसे कोई competition हो कभी माया मानस का लंड जोर से हिला देती तो कभी मानस कस के ऊँगली माया की गीली बुर में पेल देता l)
लेकिन मानस फिर भी माया पे भारी पड़ रहा था क्योंकि महेन्द्र माया से बातें कर रहा था और माया के लिए मस्ती भरा expression छिपाना बहुत मुश्किल था l आखिरकार वो कुछ सोच खड़ी हो गई...
माया - ओह मानस ये तुमने curry कैसे गिरा दी फर्श pe l मैं कुछ टॉवल ला के साफ़ करती हूँ l
मानस को कुछ समझ नहीं आया कौन सी curry यहाँ तो कुछ नहीं गिरा माया क्या बोल रही है l
महेन्द्र - अरे बहू डिनर कर लो पहले साफ़ बाद में कर देना l
माया - कोई बात नहीं बाबूजी मैं वैसे भी खा ली, आप खाइये ना l माया हाथ में एक छोटा टॉवल लिए वापस आ गई l
वो अब टेबल टेबल के नीचे बैठ गई l
महेन्द्र - मानस बेटा कल क्या काम हो jayega ?? मैं सोच रहा था काम जल्दी ख़तम कर घर चला जाऊं l
मानस - हाँ पापा कोशिश करता हूँ...
(मानस अपनी बात भी पूरी नहीं किया था की तभी उसे अपने लंड पे कुछ गर्म soft सा अनुभव हुवा l वो नीचे देखा तो शॉक हो गया l
माया के नर्म होंठ मानस के लंड पे फिसल रहे थे l ओह my गॉड क्या अहसास है, आज माया तो उफ़... ये मुझे blowjob दे रही है वो भी मेरे पापा के मौजूदगी में l)
माया टेबल के नीचे से ही मानस के आँखों में देखते हुवे ब्लोजॉब दे रही थी l
महेंद्र - अरे बहू बस भी कर, बाद में कर लेना साफ़ l
(माया टेबल के नीचे से ही लंड मुँह से बाहर निकाल बोली... बस बाबूजी हो गया... और दुबारा लंड चूसने लगी )
फिर उसने मानस का शर्ट पकड़ नीचे झुकाया और कान में धीरे से बोली.... मानस..... गिरा दो मेरे मुहँ में )
मानस को अपने कानों पे मानो यकीन ही ना हुवा l मस्ती में वो chair पे ढीला सा पड़ गया... सर पीछे कर वो कमर को धीरे धीरे झटका देने लगा l माया किसी पोर्न एक्ट्रेस की तरह लंड चूस रही थी मानस के सब्र का बाँध टूट गया वो झटके खाता माया के मुँह में स्खलित होता गया l नीचे नज़रें झुका के देखा तो माया उसे ही देख रही थी, माया का पूरा मुँह सफ़ेद वीर्य से भर गया था मुँह के किनारे से वीर्य बह रहा था फिर भी वो छप... छप.. चूसती रही l
माया का ये रूप मानस ने कभी नहीं देखा था वो आनंद विभोर था l माया ने ना सिर्फ उसका लंड चूसा था बल्कि उसका सारा वीर्य भी पी गई थी l
माया सेक्सी अंदाज़ से मुँह पोछी और टेबल से बाहर आ गई l
महेन्द्र - हो गया बहू l
माया - हाँ बाबूजी सब साफ़ हो गया.... क्यों मानस सब साफ़ हो गया ना... (आँख मारते हुवे )
मानस तो शॉक में कुछ भी बोल नहीं पा रहा था l
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