sharaabi
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Chill bro,we are here for only and only entertainment so no moral complain plz.Manas jaise hi BHADWE PATI hote hai Jo PATNI ko Bhadka kar Dusri ke samne OPEN / FRANK karwate hai aur jab inhi Galtiyo ke karan PATNI Dusro se CHUDANE lagti hai to fir Patni ko ILJAM dete hai.
PATI-PATNI me sirf SEX ya SEX EXPERIMENT hi nahi hota, Ek-Dusre ke prati PYAR, SAMMAN, MAN-MARYADA ka khayal bhi hota hai.
भाई क्या मतलब है आपका story अच्छी नहीं लग रही है ?Manas jaise hi BHADWE PATI hote hai Jo PATNI ko Bhadka kar Dusri ke samne OPEN / FRANK karwate hai aur jab inhi Galtiyo ke karan PATNI Dusro se CHUDANE lagti hai to fir Patni ko ILJAM dete hai.
PATI-PATNI me sirf SEX ya SEX EXPERIMENT hi nahi hota, Ek-Dusre ke prati PYAR, SAMMAN, MAN-MARYADA ka khayal bhi hota hai.
मैं आलोचकों का स्वागत करता हूँ, मैंने आपके और स्टोरी पे दिए गए कमैंट्स भी पढ़े l आपको सबसे कम्प्लेन hai, तो मेरे भाई ये fantasy वर्ल्ड है अगर आपको अच्छा नहीं लगता तो आप door ही रहिये इन सब चीज़ों सेManas jaise hi BHADWE PATI hote hai Jo PATNI ko Bhadka kar Dusri ke samne OPEN / FRANK karwate hai aur jab inhi Galtiyo ke karan PATNI Dusro se CHUDANE lagti hai to fir Patni ko ILJAM dete hai.
PATI-PATNI me sirf SEX ya SEX EXPERIMENT hi nahi hota, Ek-Dusre ke prati PYAR, SAMMAN, MAN-MARYADA ka khayal bhi hota hai.
Nahi Bhaiभाई क्या मतलब है आपका story अच्छी नहीं लग रही है ?
Nahi Bhai
Story to bahut aachi hai, par kai bar MANAS ka apni Wife ko galat situation me fasa dene ke bare me kaha tha.
Husband Situation ko sambhalene wala aur Caring ho to thik lagta hai,
Haa, situation ke hisab se Doodwala ya Sasur ka Erotic hona aur fir SEX thik lagta hai,
par Husband hi Wife ko galat situation me fasa kar MAZA le to bekar lagta hai (Haa, agar Husband "Cuckoldry" ho to thik hai.)
महेन्द्र को जहाँ एक तरफ अपने किये पे शर्मिंदगी महसूस हो रही थी वहीँ चेहरे पे एक अलग सा satisfaction का भाव भी था l उसे आज़तक मुट्ठ मारने में उतना मज़ा नहीं आया जितना की आज l थोड़ी देर बाद महेन्द्र को नींद आ गई l
भाग 7
अगले दिन सुबह महेन्द्र काफी देर तक सोता रहा l माया झाड़ू लगा रही थी, और मानस ऑफिस के लिए निकल चूका था l
नींद खुलने पे महेन्द्र सबसे पहले पायजामा की डोरी बांधता है जो खुला ही रह गया था कल रात l रात हुवी वाकिये को ले कर महेन्द्र बहुत शर्मिंदा था उसने सपने में भी नहीं सोचा था की वो कभी अपनी बहु के बारे में इतना गन्दा सोचेगा, खैर महेन्द्र बाहर आया वो मानस को आवाज़ लगाया l
बहु रूम में झाड़ू लगा रही thi, बाबूजी की आवाज़ सुन वो बाहर आयी, बाबूजी उठ गए आप ?
माया इस वक़्त एक ढीले gown में थी ऊपर से नीचे तक dhaki हुई थी l
Good morning बहु, एक अच्छी हंसी देता हुवा वो माया को greet किया l
माया - good morning बाबूजी, मानस ऑफिस निकल गए, आप अच्छी नींद सो रहे थे तो डिस्टर्ब नहीं की l आखिर आप घर से आने के बाद वकील से मिलने चले गए थे din भर ऑफिसेस का चक्कर काटते थक गए होंगे l हैं ना ?
महेंद्र मन में सोचता है बहु इतनी अच्छी है मेरा कितना ख्याल रखती है, और एक मैं जो ऐसी नेक बहु के बारे में गन्दा सोच के.....अपना.. छी... मुझ जैसा पापी कोई नहीं होगा l ये सब सोच रहा था की तभी माया ने चुप्पी तोड़ी l बाबूजी आप फ्रेश हो जाइये मैंने आपकी पसंद की भिंडी बनायी है l
महेन्द्र - ओह थैंक यू बहु, तुम कितनी अच्छी हो l मैं अभी फ्रेश हो लेता हूँ l
(महेन्द्र वापस अपने कमरे में आता है कपड़े लेके वो सीधा बाथरूम चला जाता है l इधर माया नाश्ता निकालते हुवे मानस से फ़ोन पे बात कर रही होती है l )
माया - क्यों ऑफिस में क्यों नहीं मन लग रहा ?
मानस - 2 दिन से भूख लगी है जान l
माया - शरारत करते हुवे.... अच्छा तो भूख मिटा लो l
मानस - कैसे मिटा लूँ ?
माया - वाशरूम जा के l
मानस - क्या माया... tum हो फिर भी वाशरूम जाऊं l कबतक चलेगा ऐसे l
माया - क्या कर सकते हैं, बाबूजी को तुमने ही तो बुलाया l
मानस - हाँ मगर मुझे पता नहीं था इतनी तड़प होगी तुम्हारे पास ना होने सेl
माया - तो अब वेट करो उनके जाने तक l
मानस - माया.... तुम्हारा मन क्या कहता है, (मानस गर्म आहें भरते हुवे पूछा )
माया समझ गई थी की उसके पति बहुत प्यासे हैं तो वो भी मानस को सेक्सी आवाज़ में बोली
माया - तुम्हे टूट के प्यार करने को जी करता है l
मानस - कैसे ??
माया - सारे कपड़े उतार के tumhare सामने पूरी नंगी हो के l
मानस - ओह माया l और क्या करोगी ?
माया - (माहौल को और गरम करते हुवे ) तुम्हारा pant खोलूँगी और बड़े प्यार से लंड bahafमुँह में ले कर चूसूंगी l
मानस - तुम बहुत चालाक हो, फ़ोन पे सेक्सी बातें करती हो और सामने होने पर लंड को मुहँ नहीं लगाती l
माया - अरे नहीं बाबा सच, रात से मैं भी बहुत तड़प रही हूँ l
मानस - सच माया...
लेकिन मैं कैसे विशवास करूँ l
माया - सच... बहुत प्यासी हूँ l
मानस - मैं नहीं मानता प्रूफ दो l
माया - proof ?? वो कैसे ?
मानस - अपनी ऊँगली चूत में डालो और उसकी फोटो भेजो अभी l
माया - तुम्हे sach mein विशवास नहीं ना ruko.... फ़ोन रख देती है और मुस्कुराते हुवे उसे शरारत सूझती है l
वो किचन mein चासनी ढूँढ़ती है, उसमे दो ऊँगली डाल कर गीला करती है और उसकी फोटो मानस को भेज देती है l
मानस जब वो pic देखता है तो उत्तेजित हो जाता है, वो तुरंत माया को फ़ोन करता है l
माया फ़ोन का इंतज़ार ही कर रही थी l
मानस - ओह माया तुम इतनी wet हो l
माया - हाँ my love देखो ना कितनी wet hu subah से ही l (मन ही मन muskuraati हुई )
मानस - ओह माया.. (मानस ऑफिस में अपने केबिन में बैठा लंड बाहर निकाल रगड़ने लगता है, फ़ोन पे उसकी सांस तेज चलने लगती हैं )
माया साँसों की तेज आवाज़ सुन स्थिति को भांपते हुवे पूछती है, क्या कर रहे हो मानस ?
मानस - ओह माया masturbate कर रहा हूँ, u मेड me so crazy
माया - चौंकते हुवे... ओह माय गॉड ऑफिस में ??
मानस - हाँ माया door बंद है केबिन का आअह्ह्ह l
माया - पागल हो तुम, चासनी इतनी अच्छी लगी tumhe? खिलखिलाते हुवे l
मानस - स्पीड कम करते हुवे क्या मतलब है तुम्हारा l
माया जोर से हंस पड़ी.... मानस वो मेरा जूस नहीं... डब्बे से निकला चासनी था जिसे तुम कुछ और समझ रहे l और माया खिलखिलाने लगी l
मानस को माया का ये मजाक बिलकुल रास नहीं आया, गुस्से से उसका face लाल हो गया उसने गुस्से में फ़ोन काट दिया l
माया की हंसी बंद पड़ गई, वो दुबारा फ़ोन की लेकिन मानस ने फ़ोन नहीं उठाया वो कई बार कोशिश की लेकिन हर बार मानस फ़ोन काट देता l आखिरकार मानस ne फ़ोन स्विच ऑफ कर दिया l
माया कसोट के रह गई, उसे ऐसा मजाक नहीं करना चाहिए था l वो खुद पे बहुत शर्मिंदा थी l उसने कई बार sorry लिखा मगर कोई फ़ायदा नहीं मानस तो मोबाइल बंद कर दिया था l
वो उदास सी खड़ी थी जब महेन्द्र वाशरूम से बाहर आया l
महेन्द्र - क्या हुवा बहू ? सब ठीक तो है l
माया झूठी हंसी दिखाती सब ठीक होने का इशारा की, उसका गला भर आया था l
उदास मन से वो नाश्ता दी l महेन्द्र सिंह पेपर पढ़ते हुवे नाश्ता किये l
पुरे दिन माया मानस को फ़ोन लगाती रही लेकिन कोई फ़ायदा नहीं हुवा l देखते देखते शाम हो गई l
काफी देर तक राह देखने के बाद मानस घर आया l माया मानस से लिपट गई और सॉरी बोली l मानस झूटी smile दे बैडरूम में चला गया l बैडरूम से attach वाशरूम में वो फ्रेश हुवा तबतक माया टेबल पे खाना saja दी l dining टेबल पे मानस और महेन्द्र आमने सामने बैठे थे l महेन्द्र के सामने टीवी था तो वो बीच बीच में नज़रें टीवी पे gada देता जबकि मानस के पीछे टीवी थी और वो चुपचाप था l
माया टेबल के पास आती है, टेबल काफी बड़ा था तो वहां बहुत सारे प्लेट्स और हॉट case रखे थे महेन्द्र और मानस के लिए अलग अलग l
महेन्द्र ढक्कन खोल कुछ curry लेता है प्लेट में l मानस भी एक हॉट केस खोलता है curry लेता है मगर दूसरा हॉट केस खोलते ही उसे झटका लगता है l वो तुरंत अपनी हथेली से cover करता है और पापा की तरफ घबराये हुवे देखता hai l मानस के पापा महेंद्र singh तो टीवी में busy the l
माया वहीँ खड़ी मुस्कुरा रही थी l मानस वापस ढक्कन धीरे से खोल देखता है तो उसमे brown कलर की माया की पैंटी थी l और साथ में एक लेटर l मानस सावधानी से लेटर खींचता है l
तभी महेन्द्र सिंह देखते हैं...
महेन्द्र सिंह - अरे बेटा ये क्या तुम खाने के टेबल पे भी ऑफिस का काम लिए बैठे हो l पहले खा लो l
मानस - हाँ पापा its ओके, wo ek client ka कुछ नोटिस था important main padh nahi paya.. To socha dekh लूँ l आप खाइये ना पापा l
महेन्द्र - ओके बेटा l
लेटर.......
My dear husband,
मैं आज सुबह किये गए मजाक के लिए बहुत शर्मिंदा हूँ l मैं आज सारा दिन परेशान रही और dukhi भी l गलती मेरी थी, मुझे maaf कर दो l मैंने बड़ी मेहनत से ये dish ख़ास तुम्हारे लिए बनाई है l उम्मीद है तुम्हे पसंद आएगी l ये पैंटी मैं कल से पहनी थी और अभी 5 min पहले उतारी हूँ l yakeen ना हो तो सूंघ के देख लो l उसमे मेरी चूत की तीव्र महक समायी होगी l हाँ और एक बात पैंटी तुम्हारे सामने है और मैं भी तो तुम समझ ही गए होगे की मैं इस वक़्त गाउन के अंदर बिना पैंटी के तुम्हारे सामने खड़ी हूँ l मुझे subah की हरकत के लिए प्लीज माफ़ कर दो l अगर तुमने मेरी पैंटी सूंघी तो मैं समझूंगी तुमने मुझे माफ़ किया, और अगर नहीं तो पैंटी नीचे फेंक देना l मुझे तुम्हारा माफ़ ना करना भी मंजूर होगा l
तुम्हारी माया
इतनी pyaari letter पढ़ के मानस का गुस्सा ही शांत हो गया l wo माया से नज़रें मिलाये उसका हाथ pakad अपने पास बैठा लिया l उसने टेबल पे पड़े fruits की टोकरी हॉट केस के सामने रख दी l और झुक के ढक्कन खोलते हुवे माया की पैंटी smell किया l वाकई smell बहुत strong थी l माया ख़ुशी से झूम उठी l
तभी महेन्द्र ने उसे ऐसा करते देख लिया l
महेन्द्र - क्या हुवा बेटा कुछ बात है...? क्या smell कर रहे हो l
मानस - कुछ नहीं पापा बहुत भूख लगी है और ये तो माया ने स्पेशल curry बनाया है ख़ास मेरे लिए तो उसकी smell में ही इतना मज़ा है की भूख बढ़ जा रही है l क्यों maya.. मानस माया को छेड़ते हुवे कहा था l
मानस ने माया के जांघो पे गाउन के ऊपर से हाथ फेरा, दोनों एक दूसरे को देख smile दिए l अब सब ठीक हो गया था माया बहुत खुश थी, तभी ऐसा हुवा जिसने माया को शर्म से पानी पानी कर दिया l
महेन्द्र सिंह स्थिति से अनजान बड़े भोलेपन से बोले l
हाँ बहू तू तो बड़े स्वादिष्ट खाने बनाती है जादू है तेरे हाथों में l अरे बहू जरा मुझे भी तो वो curry दिखा तो... अगर मानस बेटा के लिए ही स्पेशल है तो कोई बात नहीं लेकिन इधर ला कम से कम मुझे भी तो अपनी curry ki महक लेने दे बहू l
महेन्द्र सिंह का इतना कहना था माया को जैसे 440 volt का झटका लगा हो l वो चौंक के खड़ी हो गई, जैसे कुछ काट दिया हो l
बाबूजी ईईईई....... (मुंह पे हाथ रखे वो चीख पड़ी और शर्मशार हो गई )
महेन्द्र - ऐसा क्या कह दिया मैंने बहू l
माया - क क क... कुछ नहीं.... आ ... (माया को कुछ नहीं समझ आ रहा था वो क्या बोले... )
उधर मानस की हंसी नहीं रुक रही थी l
मानस - हाँ हाँ दे दो माया l.... (मानस हँस हँस के पागल हुवे जा रहा था, माया को छेड़ने में वो कोई कसर नहीं छोड़ रहा था )
लेकिन माया के लिए तो वहां खड़ा होना भी दूभर हो गया था, वो भाग के किचन में आ गई l दिल की धड़कन किसी जनरेटर के सामान धक् धक् कर रही थी l
महेन्द्र को जहाँ एक तरफ अपने किये पे शर्मिंदगी महसूस हो रही थी वहीँ चेहरे पे एक अलग सा satisfaction का भाव भी था l उसे आज़तक मुट्ठ मारने में उतना मज़ा नहीं आया जितना की आज l थोड़ी देर बाद महेन्द्र को नींद आ गई l
भाग 7
अगले दिन सुबह महेन्द्र काफी देर तक सोता रहा l माया झाड़ू लगा रही थी, और मानस ऑफिस के लिए निकल चूका था l
नींद खुलने पे महेन्द्र सबसे पहले पायजामा की डोरी बांधता है जो खुला ही रह गया था कल रात l रात हुवी वाकिये को ले कर महेन्द्र बहुत शर्मिंदा था उसने सपने में भी नहीं सोचा था की वो कभी अपनी बहु के बारे में इतना गन्दा सोचेगा, खैर महेन्द्र बाहर आया वो मानस को आवाज़ लगाया l
बहु रूम में झाड़ू लगा रही thi, बाबूजी की आवाज़ सुन वो बाहर आयी, बाबूजी उठ गए आप ?
माया इस वक़्त एक ढीले gown में थी ऊपर से नीचे तक dhaki हुई थी l
Good morning बहु, एक अच्छी हंसी देता हुवा वो माया को greet किया l
माया - good morning बाबूजी, मानस ऑफिस निकल गए, आप अच्छी नींद सो रहे थे तो डिस्टर्ब नहीं की l आखिर आप घर से आने के बाद वकील से मिलने चले गए थे din भर ऑफिसेस का चक्कर काटते थक गए होंगे l हैं ना ?
महेंद्र मन में सोचता है बहु इतनी अच्छी है मेरा कितना ख्याल रखती है, और एक मैं जो ऐसी नेक बहु के बारे में गन्दा सोच के.....अपना.. छी... मुझ जैसा पापी कोई नहीं होगा l ये सब सोच रहा था की तभी माया ने चुप्पी तोड़ी l बाबूजी आप फ्रेश हो जाइये मैंने आपकी पसंद की भिंडी बनायी है l
महेन्द्र - ओह थैंक यू बहु, तुम कितनी अच्छी हो l मैं अभी फ्रेश हो लेता हूँ l
(महेन्द्र वापस अपने कमरे में आता है कपड़े लेके वो सीधा बाथरूम चला जाता है l इधर माया नाश्ता निकालते हुवे मानस से फ़ोन पे बात कर रही होती है l )
माया - क्यों ऑफिस में क्यों नहीं मन लग रहा ?
मानस - 2 दिन से भूख लगी है जान l
माया - शरारत करते हुवे.... अच्छा तो भूख मिटा लो l
मानस - कैसे मिटा लूँ ?
माया - वाशरूम जा के l
मानस - क्या माया... tum हो फिर भी वाशरूम जाऊं l कबतक चलेगा ऐसे l
माया - क्या कर सकते हैं, बाबूजी को तुमने ही तो बुलाया l
मानस - हाँ मगर मुझे पता नहीं था इतनी तड़प होगी तुम्हारे पास ना होने सेl
माया - तो अब वेट करो उनके जाने तक l
मानस - माया.... तुम्हारा मन क्या कहता है, (मानस गर्म आहें भरते हुवे पूछा )
माया समझ गई थी की उसके पति बहुत प्यासे हैं तो वो भी मानस को सेक्सी आवाज़ में बोली
माया - तुम्हे टूट के प्यार करने को जी करता है l
मानस - कैसे ??
माया - सारे कपड़े उतार के tumhare सामने पूरी नंगी हो के l
मानस - ओह माया l और क्या करोगी ?
माया - (माहौल को और गरम करते हुवे ) तुम्हारा pant खोलूँगी और बड़े प्यार से लंड bahafमुँह में ले कर चूसूंगी l
मानस - तुम बहुत चालाक हो, फ़ोन पे सेक्सी बातें करती हो और सामने होने पर लंड को मुहँ नहीं लगाती l
माया - अरे नहीं बाबा सच, रात से मैं भी बहुत तड़प रही हूँ l
मानस - सच माया...
लेकिन मैं कैसे विशवास करूँ l
माया - सच... बहुत प्यासी हूँ l
मानस - मैं नहीं मानता प्रूफ दो l
माया - proof ?? वो कैसे ?
मानस - अपनी ऊँगली चूत में डालो और उसकी फोटो भेजो अभी l
माया - तुम्हे sach mein विशवास नहीं ना ruko.... फ़ोन रख देती है और मुस्कुराते हुवे उसे शरारत सूझती है l
वो किचन mein चासनी ढूँढ़ती है, उसमे दो ऊँगली डाल कर गीला करती है और उसकी फोटो मानस को भेज देती है l
मानस जब वो pic देखता है तो उत्तेजित हो जाता है, वो तुरंत माया को फ़ोन करता है l
माया फ़ोन का इंतज़ार ही कर रही थी l
मानस - ओह माया तुम इतनी wet हो l
माया - हाँ my love देखो ना कितनी wet hu subah से ही l (मन ही मन muskuraati हुई )
मानस - ओह माया.. (मानस ऑफिस में अपने केबिन में बैठा लंड बाहर निकाल रगड़ने लगता है, फ़ोन पे उसकी सांस तेज चलने लगती हैं )
माया साँसों की तेज आवाज़ सुन स्थिति को भांपते हुवे पूछती है, क्या कर रहे हो मानस ?
मानस - ओह माया masturbate कर रहा हूँ, u मेड me so crazy
माया - चौंकते हुवे... ओह माय गॉड ऑफिस में ??
मानस - हाँ माया door बंद है केबिन का आअह्ह्ह l
माया - पागल हो तुम, चासनी इतनी अच्छी लगी tumhe? खिलखिलाते हुवे l
मानस - स्पीड कम करते हुवे क्या मतलब है तुम्हारा l
माया जोर से हंस पड़ी.... मानस वो मेरा जूस नहीं... डब्बे से निकला चासनी था जिसे तुम कुछ और समझ रहे l और माया खिलखिलाने लगी l
मानस को माया का ये मजाक बिलकुल रास नहीं आया, गुस्से से उसका face लाल हो गया उसने गुस्से में फ़ोन काट दिया l
माया की हंसी बंद पड़ गई, वो दुबारा फ़ोन की लेकिन मानस ने फ़ोन नहीं उठाया वो कई बार कोशिश की लेकिन हर बार मानस फ़ोन काट देता l आखिरकार मानस ne फ़ोन स्विच ऑफ कर दिया l
माया कसोट के रह गई, उसे ऐसा मजाक नहीं करना चाहिए था l वो खुद पे बहुत शर्मिंदा थी l उसने कई बार sorry लिखा मगर कोई फ़ायदा नहीं मानस तो मोबाइल बंद कर दिया था l
वो उदास सी खड़ी थी जब महेन्द्र वाशरूम से बाहर आया l
महेन्द्र - क्या हुवा बहू ? सब ठीक तो है l
माया झूठी हंसी दिखाती सब ठीक होने का इशारा की, उसका गला भर आया था l
उदास मन से वो नाश्ता दी l महेन्द्र सिंह पेपर पढ़ते हुवे नाश्ता किये l
पुरे दिन माया मानस को फ़ोन लगाती रही लेकिन कोई फ़ायदा नहीं हुवा l देखते देखते शाम हो गई l
काफी देर तक राह देखने के बाद मानस घर आया l माया मानस से लिपट गई और सॉरी बोली l मानस झूटी smile दे बैडरूम में चला गया l बैडरूम से attach वाशरूम में वो फ्रेश हुवा तबतक माया टेबल पे खाना saja दी l dining टेबल पे मानस और महेन्द्र आमने सामने बैठे थे l महेन्द्र के सामने टीवी था तो वो बीच बीच में नज़रें टीवी पे gada देता जबकि मानस के पीछे टीवी थी और वो चुपचाप था l
माया टेबल के पास आती है, टेबल काफी बड़ा था तो वहां बहुत सारे प्लेट्स और हॉट case रखे थे महेन्द्र और मानस के लिए अलग अलग l
महेन्द्र ढक्कन खोल कुछ curry लेता है प्लेट में l मानस भी एक हॉट केस खोलता है curry लेता है मगर दूसरा हॉट केस खोलते ही उसे झटका लगता है l वो तुरंत अपनी हथेली से cover करता है और पापा की तरफ घबराये हुवे देखता hai l मानस के पापा महेंद्र singh तो टीवी में busy the l
माया वहीँ खड़ी मुस्कुरा रही थी l मानस वापस ढक्कन धीरे से खोल देखता है तो उसमे brown कलर की माया की पैंटी थी l और साथ में एक लेटर l मानस सावधानी से लेटर खींचता है l
तभी महेन्द्र सिंह देखते हैं...
महेन्द्र सिंह - अरे बेटा ये क्या तुम खाने के टेबल पे भी ऑफिस का काम लिए बैठे हो l पहले खा लो l
मानस - हाँ पापा its ओके, wo ek client ka कुछ नोटिस था important main padh nahi paya.. To socha dekh लूँ l आप खाइये ना पापा l
महेन्द्र - ओके बेटा l
लेटर.......
My dear husband,
मैं आज सुबह किये गए मजाक के लिए बहुत शर्मिंदा हूँ l मैं आज सारा दिन परेशान रही और dukhi भी l गलती मेरी थी, मुझे maaf कर दो l मैंने बड़ी मेहनत से ये dish ख़ास तुम्हारे लिए बनाई है l उम्मीद है तुम्हे पसंद आएगी l ये पैंटी मैं कल से पहनी थी और अभी 5 min पहले उतारी हूँ l yakeen ना हो तो सूंघ के देख लो l उसमे मेरी चूत की तीव्र महक समायी होगी l हाँ और एक बात पैंटी तुम्हारे सामने है और मैं भी तो तुम समझ ही गए होगे की मैं इस वक़्त गाउन के अंदर बिना पैंटी के तुम्हारे सामने खड़ी हूँ l मुझे subah की हरकत के लिए प्लीज माफ़ कर दो l अगर तुमने मेरी पैंटी सूंघी तो मैं समझूंगी तुमने मुझे माफ़ किया, और अगर नहीं तो पैंटी नीचे फेंक देना l मुझे तुम्हारा माफ़ ना करना भी मंजूर होगा l
तुम्हारी माया
इतनी pyaari letter पढ़ के मानस का गुस्सा ही शांत हो गया l wo माया से नज़रें मिलाये उसका हाथ pakad अपने पास बैठा लिया l उसने टेबल पे पड़े fruits की टोकरी हॉट केस के सामने रख दी l और झुक के ढक्कन खोलते हुवे माया की पैंटी smell किया l वाकई smell बहुत strong थी l माया ख़ुशी से झूम उठी l
तभी महेन्द्र ने उसे ऐसा करते देख लिया l
महेन्द्र - क्या हुवा बेटा कुछ बात है...? क्या smell कर रहे हो l
मानस - कुछ नहीं पापा बहुत भूख लगी है और ये तो माया ने स्पेशल curry बनाया है ख़ास मेरे लिए तो उसकी smell में ही इतना मज़ा है की भूख बढ़ जा रही है l क्यों maya.. मानस माया को छेड़ते हुवे कहा था l
मानस ने माया के जांघो पे गाउन के ऊपर से हाथ फेरा, दोनों एक दूसरे को देख smile दिए l अब सब ठीक हो गया था माया बहुत खुश थी, तभी ऐसा हुवा जिसने माया को शर्म से पानी पानी कर दिया l
महेन्द्र सिंह स्थिति से अनजान बड़े भोलेपन से बोले l
हाँ बहू तू तो बड़े स्वादिष्ट खाने बनाती है जादू है तेरे हाथों में l अरे बहू जरा मुझे भी तो वो curry दिखा तो... अगर मानस बेटा के लिए ही स्पेशल है तो कोई बात नहीं लेकिन इधर ला कम से कम मुझे भी तो अपनी curry ki महक लेने दे बहू l
महेन्द्र सिंह का इतना कहना था माया को जैसे 440 volt का झटका लगा हो l वो चौंक के खड़ी हो गई, जैसे कुछ काट दिया हो l
बाबूजी ईईईई....... (मुंह पे हाथ रखे वो चीख पड़ी और शर्मशार हो गई )
महेन्द्र - ऐसा क्या कह दिया मैंने बहू l
माया - क क क... कुछ नहीं.... आ ... (माया को कुछ नहीं समझ आ रहा था वो क्या बोले... )
उधर मानस की हंसी नहीं रुक रही थी l
मानस - हाँ हाँ दे दो माया l.... (मानस हँस हँस के पागल हुवे जा रहा था, माया को छेड़ने में वो कोई कसर नहीं छोड़ रहा था )
लेकिन माया के लिए तो वहां खड़ा होना भी दूभर हो गया था, वो भाग के किचन में आ गई l दिल की धड़कन किसी जनरेटर के सामान धक् धक् कर रही थी l