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Incest Gharelu samaroh chudai

इसमे फैंटेसी एड करू

  • 1haa

    Votes: 35 54.7%
  • Nhi

    Votes: 29 45.3%

  • Total voters
    64

L.k.nee cha

Qut killer
97
170
33
Meenasingh ji Mai bus apase itna kahana chahata hu ki yaha har tarah ke readrs hai kisi ko kaisi kisi ko kaisi pasand hai
Mai to bus yahi kahuga ki likane pahale Jo apane story Sochi this wahi likhiy
 
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Reactions: Raj_Singh

Meenasingh

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अपडेट 11


आज सुबह जब मैं उठा तो देखा कि दीदी किसी मासूम बच्ची की तरह मुझसे चिपक कर सोई हुई है ।अगर मैं थोड़ा सा हिलता तो उनकी नीद खुल जाती इसलिए मैं ऐसे ही लेटे रहा करीब आधे घंटे बाद दीदी की नींद खुली तो मुझे इस तरह खुद को देखते हुए पाकर वह शर्मा गयी और फिर अपने आप को संभालते हुए बोली


किरण दीदी : ऐसे क्या देख रहे हो भाई
और अगर तुम उठ गए तो मुझे उठाया क्यों नही ।


मैं : बस अभी कुछ ही देर पहले ही उठा हु और आप आराम से सो रही थी इसलिये नही उठाया ।वैसे दीदी आप बहुत खूबसूरत है।


मेरी बात सुनकर दीदी मेरे को देखते हुए बोली
किरण दीदी : क्या बात है आज सुबह सुबह मेरी तारीफ की जा रही है और वैसे क्या आज से पहले मैं खूबसूरत नही थी।


मैं उनकी बात सुनकर घबरा गया और बोला
मैं : नही दीदी ऐसी बात नही है ।आप गलत समझ रही है मैं तो बस ऐसे ही बोल दिया अगर आपको मेरी बात का बुरा लगा तो प्लीज आप मुझे माफ़ कर दीजिए।


किरण दीदी : तू ऐसा क्यों बोल रहा है मैं तेरी बातो का कभी बुरा नही मान सकती हूं । मुझे तो तेरी तारीफ करना बहुत अच्छा लगा । अच्छा यह सब छोड़ जल्दी से फ्रेश हो जा। माँ बोल रही थी कि आज बहुत काम है और मैं नही चाहती हु कि किसी भी वजह से माँ तुमको कुछ भी कहे।


इतना बोल कर दीदी ने मेरे होंठो पर एक हल्का सा किस कर दिया तो मैं उन्हें हैरानी से देखने लगा तो इस पर वह बोली


किरण दीदी : " इसमे इतना हैरान होने वाली कोई बात नही है तू जानता है कि मेरे दिल मे तेरे लिए क्या फिलिंग है तो इसमें यह कोई बड़ी बात नही है समझा अब मैं तेरी हु और तू मेरे साथ कुछ भी कर सकता है । दुनिया के लिए भले ही मैं तेरी बहन हु पर मैंने बहुत पहले ही इस रिश्ते को दिल से खत्म कर दिया था ।बस एक पर्दा था जो कि कल रात को वह भी खत्म हो गया इसलिए अब मेरे लिए तू ही सब कुछ है।"


दीदी की बात सुनकर मैं बस उन्हें देखते ही रह गया अभी मैं कुछ और बोलता इससे पहले ही किसी ने दरवाजे पर दस्तक दी ।वह कोई और नही बल्कि चाची थी और वह दरवाजे से ही बोली


चाची : " बेटा तुझे तेरी माँ बुला रही है जल्दी से तैयार हो कर आ जा तुझे स्टेशन जाना है तेरे मामा के यंहा से लोग आ रहे है उन्हें लेने के लिए एक घण्टे बाद गाड़ी आ जाएगी।"


उनकी बात सुनकर किरण दीदी अपने कपड़े ठीक करते हुए बोली


किरण दीदी : "यह क्या बात हुई चाची जी आप तो ऐसे अंदर नही आ रही हो जैसे कि अंदर पति पत्नी सोए हो । अरे हम भाई बहन है बिना किसी संकोच के अंदर आ सकती हो आप ।"


किरण दीदी की आवाज सुनकर चाची अंदर आती हुई बोलती है कि


चाची : " तुम अभी तक यही पर सोई हुई हो मुझे लगा कि यह अकेला सोया हुआ है इसलिए मैं अंदर नही आ रही थी । क्या बात है तू कभी इतनी देर तक तो सोती नही हो फिर आज कैसे लेट हो गयी तुम।"


किरण दीदी : " वह क्या है ना चाची जी कि रात में मैं काफी देर से सोई इस वजह से आज सुबह नीद नही खुली और वैसे भी यंहा पर जग कर सुबह करना ही क्या मेरे को इसलिए मैंने सोचा कि कम से कम नीद ही पूरी कर ली जाए।"


किरण दीदी की बात सुनकर चाची घबरा कर पूछती है


चाची :" क्या बात है बेटी तुम रात में देर से क्यों सोई कोई दिक्कत थी मुझे जगा लिया होता ।"


किरण दीदी : "नही चाची जी ऐसी कोई बात नही है । बहुत दिनों के बात इससे भेंट हुई तो रात में काफी देर तक बाते होती रही इसलिए नही सो पाए।"


दीदी की बात सुनकर उनका ध्यान मेरी तरफ हुआ तो मुझे अभी भी बैठा हुए देख कर चाची मेरे सर पर हल्का सा मारती हुई बोली


चाची : " तू अभी तक यही पर बैठा हुआ है जल्दी कर नही तो कही ऐसा ना हो कि दीदी यंहा पर आकर तेरी खबर लेने लगे पता नही तूने क्या किया है जो इस समय वह तेरे ऊपर वैसे ही खफा है।"


मैं चाची की बात सुनकर तुरन्त ही उठ कर बाथरूम की तरफ भागा और जल्दी से तैयार हो कर नीचे आया तो देखा कि वंहा पर सभी लोग नाश्ता कर रहे थे तो मैं भी जल्दी जल्दी नाश्ता करने लगा तो इस पर पापा बोले


पापा : "राज यह क्या कर रहा है तू कम से कम आराम से नाश्ता तो कर ले ।ऐसे खा रहा है जैसे कि कोई ट्रैन छूट रहा है।"


उनकी बात सुनकर माँ तंज कसते हुए बोलती है कि


माँ : " अब क्या करेगा जब समय से कोई काम तो करता नही है तो जल्दी में तो ऐसा ही करेगा ना ।"


किरण दीदी को माँ की बातों का बुरा लगता है पर वह चाह कर भी कुछ नही बोल पाई लेकिन पूजा दीदी कंहा शांत रहने वाली थी वह माँ को बोली


पूजा दीदी : " क्या बात है माँ देख रही हु आज कल आप राज की कुछ ज्यादा ही खिंचाई कर रही हो । कुछ किया है क्या इसने ।"


अब कुछ दिन पहले जो शिकायत माँ के पास आई थी उसके बारे में चाची माँ और पापा तो भली भांति जानते थे पर घर मे बहनो में दीदी के अलावा और किसी को इस बारे में कुछ भी पता नही था तो चाची ने पूजा दी घूर कर देखा जिससे वह शांति से नाश्ता करके कॉलेज के लिए निकल गयी ।मैं भी स्टेशन जाकर मामी और उनके साथ आये उनके छोटे बच्चे और मामा को लेकर घर आ गया। आज का पूरा दिन इसी तरह भाग दौड़ में निकल गया । ऐसे ही शादी की तैयारी में पूरा हफ्ता निकल गयापूजा दीदी की मस्ती और किरण दीदी के साथ छेड़छाड़ के साथ कुछ ऐसा नही हुआ जो बताया जा सके। अच्छे तरीके से भैया की शादी बीत गया । बस इस सब मे एक बात यह
कि मैं नीलम से बात करने या उसके साथ घुलने मिलने की जितनी भी कोशिश किया वह सब बेकार हो गया । जब मैं उसके सामने नही होता तो वह इधर उधर मुझे खोजती लेकिन जैसे ही मैं उसके सामने जाता वह ऐसा विहेब करती की जैसे मैं उसके लिए अनजान हु ।
(शादी के सीन का कहानी में कोई ज्यादा मतलब नही था इसलिए मैं इसे शार्ट में निपटा दी या यूं कह ले कि कुछ लिखी ही नही )
शादी होने के बाद नीलम को मोहिनी ने बात करने के लिए अपने पास बुलाया जब नीलम उसके पास आई तो मोहिनी उसे अपने पास बिठाते हुए बोली

मोहिनी : "इधर आओ नीलम मैं तुमसे कुछ बात करना चाहती हूं ।"

नीलम :" अगर तुम राज के बारे में बात करना चाहती हो तो मुझे इस बारे में कोई बात नही करनी है।"

मोहिनी :" आखिर ऐसा तुम क्यों कर रही हो यह जानते हुए भी की वह भी तुम्हे पसन्द करता है ।मैंने देखा है कि जब तुम उसको अनदेखा करती हो वह कितना तड़प उठता है और उसकी यह तड़प मैंने तुम्हारी आँखों मे महसूस किया फिर क्यों खुद को और उसको धोखा दे रही हो।"

नीलम :" तुम जानती हो कि मैंने खुद का सौदा कर दिया है और अब इस पर मेरा कोई अधिकार नही है और तुम सोचो कल जब उसे यह पता चलेगा कि उसकी प्रेमिका उसके ही बाप के साथ रात गुजार चुकी है तो उसको जो तकलीफ होगी उससे यह बहुत कम है । तो जब मैं जानती हूं कि उसके साथ होने से भी उसे तकलीफ मिलने वाली है तो मैं उसे यह तकलीफ़ क्यों दु।"

मोहिनी :" जब तू उससे प्यार करती है तो तू पापा जी मना क्यों नही कर देती ।"

नीलम : " सच मे तुझे लगता है कि मैं मना कर दूंगी तो वह मान जाएंगे तो सुन जो बात मैं तुझे नही बोलना चाहती थी लेकिन सिर्फ तेरी बजह से बोल रही हु मेरी बात का बुरा मत मानना मैं तेरी तरह नही हु कि जो मुझे प्यार करे मैं उसे ही धोखा दे दु।

मोहिनी (गुस्से में चीखते हुए,):" तू कहना क्या चाहती है ?
नीलम :" गुस्सा करने से सच नही बदल जायेगा जिस जगह पर आज मैं हु कभी तुम भी उसी जगह पर खड़ी थी और सायद आगे भी तुम रहो पर मैं ऐसा नही कर सकती हूं ।

मोहिनी उसके बोलने का मतलब जान चुकी थी फिर भी अपनी बचाव करती हुई बोली

मोहिनी : तू जो सोच रही है ऐसा कुछ नही है तुझे गलतफहमी हुई है।

नीलम : मुझे कोई गलत फहमी नही हुई है क्यूंकि सब कुछ मैंने खुद इन आँखों से देखा है ।मुझे तुमसे कोई शिकायत नही है सबकी अपनी जिंदगी है सब अपनी मर्जी से जी सकते है ।

 
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