• If you are trying to reset your account password then don't forget to check spam folder in your mailbox. Also Mark it as "not spam" or you won't be able to click on the link.

Fantasy HAWELI (purani haweli, suspence, triller, mystry)

gauravrani

Active Member
910
1,312
123
”अच्छा, मैं तो समझा था तू चाँद पर है।“ ”मजाक मत करो प्लीज, गौर से मेरी बात सुनो।“ ”नहीं सुनता कोई जबरदस्ती है।“ ”ओफ-हो! विक्रांत।“ वह झुंझला सी उठी- ”कभी तो सीरियस हो जाया करो।“ उसकी झुंझलाहट में कुछ ऐसा था जिसे मैं नजरअंदाज नहीं कर सका, तत्काल संजीदा हुआ। ‘‘सुन रहे हो या मैं फोन रखूं।‘‘ वो मानों धमकाती हुई बोली। ”अरे-अरे तू तो नाराज हो गई, अच्छा बता क्या बात है, वहां सब खैरियत तो है।“ ”पता नहीं यार! यहां बड़े अजीबो-गरीब वाकयात सामने आ रहे हैं। कुछ समझ में नहीं आ रहा क्या करूं।‘‘ ”तू ठीक तो है।“ ”हाँ तुम सुनाओ क्या कर रहे हो?“ ”झख मार रहा हूँ।“ वह हँस पड़ी। क्या हंसती थी कम्बख्त, दिल के सारे तारों को एक साथ झनझनाकर रख देती थी। ”सोचता हूं जासूसी का धंधा बंद करके, मूँगफली बेचना शुरू कर दूँ।“ ”नॉट ए बैड आइडिया बॉस, लेकिन मूँगफली नहीं गोलगप्पे! सच्ची मुझे बहुत पसंद हैं।“
 
  • Like
Reactions: AK 24

gauravrani

Active Member
910
1,312
123
”क्या, गोलगप्पे?‘‘ ”नहीं गोलगप्पे बेचने वाले मर्द़“ ”ठहर जा कमबख्त, मसखरी करती है।“ ”क्या करूं तुम और कुछ करने ही कहां देते हो, बस मसखरी करके ही काम चला लेती हूं।“ ”और कुछ! और कुछ क्या करना चाहती है?“ ”ओह माई गॉड! यार विक्रांत तुम मतलब की बात हमेशा गोल कर जाते हो।“ ”मतलब की बात!“ ”हाँ मतलब की बात जो इस वक्त मैं कर रही हूं।‘‘ वह बेहद संजीदा लहजे में बोली, ‘‘ये तो तुम जानते हो कि मैं यहाँ क्यों आई थी।“ ”हाँ तेरे किसी पुराने आशिक का फोन आया था जो तुझसे मिलने को तड़प रहा था। उसी की पुकार सुनकर तू बावली-सी, दिल्ली से सीतापुर पहुंच गई। एक जो यहां पहले से इतना बड़ा दावेदार बैठा है उसका तुझे ख्याल तक नहीं आया।“ ”नानसेंस, वह फोन मेरे आशिक का नहीं बल्कि हमारे दूर के रिश्तेदार मानसिंह की लड़की जूही का था।” ”तो पहले बताना था कि वो कोई लड़की है, मैंने खामखाह ही पांच सौ रूपये बर्बाद कर दिये।‘‘ ‘‘किस चीज पर!‘‘
 
  • Like
Reactions: AK 24

gauravrani

Active Member
910
1,312
123
कल ही थोड़ा सा संखिया खरीद कर लाया था।‘‘ ‘‘किसलिए?‘‘ ‘‘सुसाईड करने के लिए।‘‘ ‘‘हे भगवान!‘‘उसने एक लम्बी आह भरी,‘‘विक्रांत आखिरी बार पूछ रही हूं तुम ध्यान से मेरी बात सुन रहे हो या मैं फोन रख दूं।‘‘ ‘‘जूही को तुम कब से जानती हो।‘‘ मैं मुद्दे पर आता हुआ बोला। ”जानने जैसी तो कोई बात नहीं थी, क्योंकि इससे पहले बस दो-तीन बार अलग-अलग जगहों पर, रिश्तेदारों की शादियों में हाय-हैलो भर हुई थी। बस उसी दौरान थोड़ी जान-पहचान हो गई थी। तुम यकीन नहीं करोगे सप्ताह भर पहले जब उसने कॉल करके बताया कि वो जूही बोल रही है तो मैं उससे पूछ बैठी कि कौन जूही? कहने का तात्पर्य ये है कि मुझे उसका नाम तक याद नहीं था। मगर पिछले दो दिनों मैं उसके बारे में सबकुछ जान चुकी हूं। वो तो जैसे एकदम खुली किताब है! छल-कपट जैसी चीजें तो जैसे उसे छूकर भी नहीं गुजरी हैं। बहुत ही मासूम है वो, एकदम बच्चों की तरह। ग्रेजुएट है मगर दुनियादारी से एकदम कोरी। ऐसे लोगों की जिन्दगी कितनी कठिन हो जाती है, इसका अंदाजा तुम बखूबी लगा सकते हो।‘‘
 
  • Like
Reactions: AK 24

gauravrani

Active Member
910
1,312
123
उसने खास तुझे क्यों बुलाया, जबकि तेरे कहे अनुसार तुम दोनों एक दूसरे को ढंग से जानते भी नहीं थे?“ ‘‘उसने खास मुझे नहीं बुलाया विक्रांत! बल्कि चाचा, मामा, मौसा, फूफा वगैरह-वगैरह को फोन कर करके, हर तरफ से निराश होकर, उसने मुझे फोन किया था और झिझकते हुए पूछा था - क्या मैं कुछ दिनों के लिए उसके साथ उसके घर में रह सकती हूं - उस वक्त उसका लहजा इतना कातर था विक्रांत, कि मैंने उससे वजह पूछे बिना ही हामी भर दी।‘‘ ‘‘बुलाया क्यों था?‘‘ ”क्योंकि वो मुसीबतों के ढेर में नीचे-बहुत नीचे कहीं दबी पड़ी है। हाल ही में हुई पिता की मौत तो जैसे उसके लिए सूनामी बनकर आई और उसकी तमाम खुशियां अपने साथ बहा ले गई। सुबह से शाम तक आंसू बहाना और फिर बिना खाए-पिए अपने कमरे में जाकर बिस्तर के हवाले हो जाना, यही दिनचर्या बन चुकी है उसकी।‘‘ ”यानी कि तू हकीम-लुकमान साबित नहीं हो पाई उसके लिए।“ ‘‘समझ लो नहीं हो पाई।‘‘ ‘‘ओके अब मैं तुझसे फिर पूछ रहा हूं कि असली मुद्दा क्या है, क्या उसे कोई आर्थिक मदद चाहिए।‘‘
 
  • Like
Reactions: AK 24

gauravrani

Active Member
910
1,312
123
जवाब में वह ठठाकर हंस पड़ी। ‘‘मैंने कोई जोक सुनाया तुझे!‘‘ ‘‘कम भी क्या था। तुम्हारी जानकारी के लिए बता दूं, उसके पास इतनी दौलत है कि उसकी सात पुश्तें बिना हाथ-पांव हिलाए ऐश की जिन्दगी गुजार सकती हैं।‘‘ ‘‘जरूर बिल गेट्स की बेटी होगी, अब मैं फिर पूछ रहा हूं कि उसकी प्रॉब्लम्स क्या हैं, कैसी मदद चाहिए उसे?‘‘ ”पता नहीं उसे किस किस्म की मदद चाहिए। वह बुरी तरह डरी हुई है। वो समझती है कि उसकी जान को खतरा है। कोई है, जो उसे मार डालना चाहता है। वह हर वक्त किसी अनजाने-अनदेखे खतरे से खुद को घिरा हुआ महसूस करती है।“ ”घूंट लगाती है?“ ”क्या!....कौन?“ ”तेरी सहेली और कौन?“ ”नहीं वो ड्रिंक नहीं करती?“ ”तू कहती है वो डरी हुई है, हर वक्त खुद को किसी खतरे से घिरा हुआ महसूस करती है। ये बता कोई पड़ा क्यों है यूं उसकी जान के पीछे। मेरा मतलब है उसने कोई वजह बताई हो, किसी का नाम लिया हो, किसी पर शक जाहिर किया हो?“
 
  • Like
Reactions: AK 24

gauravrani

Active Member
910
1,312
123
”ऐसा कुछ नहीं है, वो किसी का नाम नहीं लेती। मैंने भी बहुत कोशिश की मगर कुछ नहीं पता चला। लेकिन जिस तरह की हालिया वारदातें यहाँ घटित हुई हैं उससे साफ जाहिर हो रहा है कि कोई बड़ा खेल खेला जा रहा है यहां, कोई गहरी साजिश रची जा रही है इस हवेली में।‘‘ ”हवेली!“ ”हां हवेली, लाल हवेली, जूही यहीं रहती है यह उसके पुरखों की हवेली है, उनका खानदान सदियों से यहां रहता चला आ रहा है।“ ‘‘ठीक है आगे बढ़।“ ‘‘वो कहती है कि मरे हुए लोग अचानक उसके आगे आ खड़े होते हैं। हवेली में नर कंकाल घूमते दिखाई देते हैं। बंद कमरे में कोई अंजान सख्स दो बार उसपर गोली चलाकर उसकी जान लेने की कोशिश कर चुका है।“ ”उसको बोल डरावनी कहानियां लिखना शुरू कर दे।“ ”देखो बाकी बातों का मुझे नहीं पता मगर नर कंकालों को घूमते मैंने अपनी आंखों से देखा है।‘‘ ”अब तू शुरू हो गयी?“ ”मुझे मालूम था तुम्हें यकीन नहीं आयेगा, यकीन आने वाली बात भी नहीं है।“ ”फिर भी तू चाहती है कि मैं यकीन कर लूँ।“
 

gauravrani

Active Member
910
1,312
123
”हाँ और ना सिर्फ तुम्हें यकीन दिलाना चाहती हूँ बल्कि साथ में ये भी चाहती हूँ कि तुम फौरन यहाँ आ जाओ।“ ”तौबा! मरवाने का इरादा है क्या?“ ”क्या?“ ”देखो जाने जिगर मैं जासूस हूँ कोई तांत्रिक नहीं, मैं जिन्दा व्यक्तियों से तो मुकाबला कर सकता हूँ, पूछताछ भी कर सकता हूँ मगर किसी भूत-प्रेत या नरकंकाल का इंटरव्यू लेना मेरे बस का रोग नहीं है, फिर उनसे मुकाबला क्या खाक करूँगा।“ ”मगर अभी पल भर पहले तो तुम उनके अस्तित्व को नकार रहे थे।“ ”मैं सिर्फ तेरी हौसला-अफजाई कर रहा था, तब मुझे ये कहाँ मालूम था, कि तू मुझे वहाँ आने को कहने लगेगी, ये तो वही मसल हुई कि नमाज बख्शवाने गये और रोजे गले पड़ गये।“ ”यानी कि डरते हो भूतों से।“ ”सब डरते हैं यार! इसमें नई बात क्या है।“ ”मैं तुम्हारी बात कर रही हूँ।“ ”मैं तो और भी फट्टू हूं इस मामले में।“ ”यानी कि तुम यहाँ नहीं आओगे।“
 
  • Like
Reactions: AK 24

gauravrani

Active Member
910
1,312
123
”हरगिज नहीं अलबत्ता मैं तेरी सहेली की एक मदद जरूर कर सकता हूँ।“ ”वो क्या?“ ”एक हनुमान चालीसा खरीद कर उसे कूरियर कर सकता हूँ।“ ”शटअप।“ ”तूने शायद पढ़ा नहीं है उसमें लिखा है जब महाबीर नाम सुनावै भूत पिशाच निकट नहीं आवै।“ ”आई से शटअप।“ ”मेरी माने तो फौरन से पेश्तर उस भूतिया हवेली से किनारा कर ले।“ ”विक्रांत“ - वो गुर्रा उठी - ”मैं तुम्हारा खून पी जाऊंगी।“ ”हे भगवान! तेरे पर भी असर होने लगा उस भूतिया माहौल का, खून पीने की बात करने लगी है।‘‘ ”विक्रांत प्लीज! जूही सचमुच किसी बड़ी मुसीबत में है।“ - वह अनुरोध भरे स्वर में बोली - ”उसकी हालत पागलों जैसी हो कर रह गई है, अगर यही हाल रहा तो वह सचमुच पागल हो जाएगी। उसका चचेरा भाई तो उसे पागल करार दे भी चुका है। मैंने खुद सुना, वह फोन पर किसी से कह रहा कि - जूही को अब किसी पागलखाने में भर्ती कराना पड़ेगा।“
 
  • Like
Reactions: AK 24

gauravrani

Active Member
910
1,312
123
”जमूरे का नाम क्या है?“ ”प्रकाश! पहले मुम्बई में रहता था अपने पेरेंट्स के साथ मगर पिछले कुछ महीनों से यहीं डेरा डाले हुए है। मैंने आज सुबह ही इस बाबत सवाल किया तो कहने लगा कि वो जूही को इस हालत में छोड़कर कैसे जा सकता है।“ ”ठीक है, अब फाइनली बता कि तू मेरे से क्या चाहती है।“ ”प्लीज यहां आ जाओ। जूही के लिए ना सही मगर मेरी खातिर तो आ ही सकते हो।“ ”मैं चाँद पर भी जा सकता हूँ, मगर सिर्फ तेरी खातिर।“ ”थैंक्स यार।“ कहकर उसने सीतापुर पहुंचकर लाल हवेली पहुंचने का रास्ता समझाया। फिर कॉल डिस्कनैक्ट कर दिया। सिगरेट एक्स्ट्रे में मसलने के बाद मैं कुर्सी छोड़कर उठ खड़ा हुआ। एक बैग में अपना कुछ जरूरी सामान पैक करने के पश्चात् मैंने अपनी अड़तीस कैलीवर की लाइसेंसशुदा रिवाल्वर निकालकर पतलून की बेल्ट में खोंसकर ऊपर से कोट का बटन बन्द कर लिया और कुछ एक्सट्रा राऊण्ड अपनी जेब में रखने के पश्चात् अपना फ्लैट छोड़ दिया। अपनी मोटरसाइकिल द्वारा मैं नीलम tawer
 
  • Like
Reactions: AK 24

gauravrani

Active Member
910
1,312
123
के ऑफिस पहुँचा, रिसैप्शनिष्ट ने बिना पूछे ही मुझे बता दिया कि वो ऑफिस में मौजूद थी। अठाइस के पेटे में पहुंची नीलम बेहद खूबसूरत युवती थी। वो क्रिमिनल लॉयर थी, इस पेशे में उसने खूब नाम कमाया था। आज की तारीख में वो वकीलों की फर्म ‘घोषाल एण्ड एसोसिएट‘ की मालिक थी। उससे मेरी मुलाकात लगभग पांच साल पहले एक कत्ल के केस में हुई थी। बाद में घटनाक्रम कुछ यूं तेजी से घटित हुए थे कि उसके बॉस अभिजीत घोषाल का कत्ल हो गया जो कि इस फर्म का असली मालिक था। घोषाल बेऔलाद विदुर था, हैरानी की बात ये थी कि उसने अपनी वसीयत में नीलम को अपना उत्तराधिकारी घोषित कर रखा था, जो कि महज उसके फर्म के दूसरे वकीलों की तरह ही एक वकील थी। बहरहाल उसके कत्ल के बाद उसकी तमाम चल-अचल सम्पत्ति जैसे छप्पर फाड़कर नीलम की गोद में आ गिरी थी। लिहाजा जिस ऑफिस में वह नौकरी भर करती थी आज उसकी इकलौती मालिक थी। और वो सोचती थी कि ये सब मेरी वजह से हुआ था। मैंने भी उसकी ये गलतफहमी दूर करने की कभी कोशिश नहीं की। उसके बॉस की मौत के बाद गाहे-बगाहे हमारी मुलाकातें होती
 
  • Like
Reactions: AK 24
Top