- 910
- 1,312
- 123
वह हिचकाई। ”कमॉन यार! अब कह भी डालो।“ शीला ने उसकी हौसला-अफजाई की। ”प्रकाश“ - वो बोली - ”पार्टी के दौरान वो हर वक्त डैडी के साथ ही रहा था, और अब मुझे याद आ रहा है, कि जब हमें पार्टी में डैडी की गैर-मौजूदगी का अहसास हुआ तब शायद प्रकाश भी वहाँ नहीं था। बाद में वो सीढ़ियाँ उतरकर नीचे हॉल में पहुँचा था। पूछने पर उसने बताया कि अंकल की तलाश में उनके कमरे तक गया था।‘‘ ”तुम वही कहने की कोशिश कर रही हो ना, जो मैं समझ रहा हूं?“ ”बिल्कुल नहीं, मैंने सिर्फ तुम्हारे सवाल का जवाब दिया है। बेमतलब की अटकले मत लगाओ, और फिर डैडी की जान लेकर उसे क्या हासिल होना था?“ ”क्या पता कुछ हुआ हो?“ ”नहीं हुआ, मुझसे बेहतर भला यह बात कौन जानता है।“ ”जाने दो ये बताओ कि राकेश कौन है?“ ”प्रकाश का फ्रैंड, तुम उसे कैसे जानते हो।“ ”बस नाम से, अभी थोड़ी देर पहले नीचे दीवानखाने में मुलाकात हुई थी।“