Luckyloda
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Kya ye kahani ka end hai ????
Lagta to nahi ....
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Wow very well good start bro
आरंभ
१)
अचानक से उसकी आँखें खुलीं.
नज़रें सीधे नीचे पैरों की ओर गई.
चौंक पड़ा,
“न... नेहा?!”
नेहा उसके पैरों के तलवों को चूम रही थी!
देव ने सिरहाने के पास रखे एक छोटे से टेबल पर रखे टेबल क्लॉक की ओर नज़र घूमाया.
रात के तीन बज रहे थे!
“न... नेहा... तीन बज रहे हैं.. अभी ... य.. ये क्या कर रही हो..? आओ, सो जाओ.”
कहा तो देव ने बहुत प्यार से, बिल्कुल स्पष्ट..
लेकिन नेहा तो जैसे कुछ सुनी ही नहीं.
वो पहले की ही तरह देव के पैरों को हाथों में उठा कर लगातार चूमती रही.
फ़िर अचानक से अपना जीभ जरा सा निकाल कर देव के बाएँ पैर के अँगूठे पर रख दी और धीरे धीरे बड़े प्यार से अँगूठे के ऊपरी सिरे पर जीभ फिराते हुए उसे अपने मुँह में भर ली.
भीगे जीभ के साथ मुँह के अंदर का गर्म अहसास पाते ही एकदम से एक सनसनाहट सी तरंग उस पैर से होते हुए तैर गई देव के पूरे बदन में.
कुछ पलों के लिए देव की आँखें स्वतः ही बंद हो गई...
एक अलग किस्म का आनंद मिलने लगा उसे.
गर्म अहसास पाते हुए भीगे जीभ का अँगूठे के चारों ओर घूमने से जो एक अलग सुखद अहसास होने लगा देव को; उससे वो कुछ ही क्षण पहले किए अपने प्रश्न और वर्तमान स्थिति को भूल गया.
खुद को दोबारा उसी हाल में निढाल छोड़ने ही वाला था कि तभी उसे कुछ याद आया.
नेहा अमूमन ऐसा करती नहीं है.. ये उसका तरीका नहीं है..
निःसंदेह वो दोनों टाँगों के बीच आती ज़रूर है, लेकिन पूरे टाँगों को कभी इस तरह प्यार नहीं करती.
बहुत हुआ तो दोनों गोरे जाँघों को ५ – १० मिनट चूम ली, पुचकार दी... पर इससे ज्यादा कभी नहीं.
असल में उसका ध्यान तो हमेशा देव के दोनों जाँघों के बीच ............ |
इतनी देर में नेहा उसके अँगूठे को छोड़ कर पैर को चूमते हुए ऊपर उठने लगी थी.
जल्द ही घुटने को भी पार कर गई.
ऊपर की ओर उठने के दौरान देव के उस पैर का थोड़ा सा हिस्सा नेहा के दाएँ स्तन से छू गया.
हल्के छूअन से ही उसका स्तन तनिक दब गया और इसी के साथ ही देव को किसी रेशमी कपड़े को छूने का अहसास हुआ!
जाँघों के अंदरूनी हिस्सों तक सिमट आए बरमूडा को कस के पकड़ कर एक झटके में घुटनों से नीचे कर के देव पर लगभग कूद ही गई नेहा. नेहा के द्वारा किए गए अब तक के सेक्सी क्रियाओं ने देव के लंड को सख्त कर चुका था.
एक क्षण भी गँवाए बगैर नेहा का मुलायम हाथ देव के जाँघों के बीच चला गया और हल्की गुदगुदी करते हुए उसके आंड़ पर घूमने लगा.
बढ़ती उत्तेजना और आंड़ पर होती गुदगुदी से देव कसमसा उठा और हाथ बढ़ा कर नेहा को छूना चाहा; पर नेहा उसका हाथ झटक दी.
देव समझ गया...
नेहा खुद चार्ज लेने के मूड में है!
वैसे देखा जाए तो... बेवक्त... रात के इस समय देव का न तो इस सब का मूड है और न ही अपनी नींद ख़राब करना चाहता है लेकिन नेहा के इस रूप... इस सेक्सी अवतार ने देव को उसकी खातिर मान जाने को विवश कर दिया. और तो और, आज नेहा के प्रत्येक छुअन ने तो जैसे प्रतिपल देव को अलग ही दुनिया में पहुँचाने का निर्णय किया हुआ है... शरीर पर मंद मंद रेंगती नेहा की नर्म अंगुलियाँ और बीच बीच में उसके स्तनों के छुअन उत्तेजना और प्रेम का जो संचार किया है देव के मन में; ऐसा आज से पहले कभी हुआ नहीं.
देव की आँखें दोबारा बंद होने लगी.... कि तभी..
अचानक कुछ ऐसा हुआ जिसने देव को उसकी सोच की दुनिया से एक झटके में बाहर कर दिया...
नेहा की नर्म अँगुलियों ने अब सख्त हो चुके देव के लंड को बड़े प्यार से अपनी कोमल गिरफ़्त में ले लिया और धीरे धीरे.... बड़े प्यार से... बेहद अपनेपन का अहसास लिए लंड के मशरूम मुंड से ले कर नीचे जड़ तक घूमने लगे.
कुछ देर के सहलाने से लंड के मशरूम मुंड का मुहाना चिपचिप सा हो गया...
नेहा ने अँगूठे से मुहाने पर थोड़ा से छेड़खानी करते हुए उस चिपचिपे पानी को पूरे मशरूम मुंड पर लगा दी और धीरे धीरे देव पर... उसके सीने पर झुकने लगी.
देव की धडकनें बढ़ने लगीं.. तेज़... बहुत तेज़... क्यों..?... पता नहीं... इससे पहले इस तरह का फोरप्ले तो कई बार हुआ था... पर ऐसी हालत नहीं हुई थी... वरन.. इसके उलट ही हुआ था... चरम उत्तेजना में भर जाया करता था वो. तो फिर आज... आज क्यों उसे इस तरह की फीलिंग आ रही है..? ऐसी ... मनो आज ये उसका फर्स्ट टाइम है... और मारे घबराहट और उत्तेजना के उसकी साँसें ही रुक जाएगी.
सामने आते आते नेहा एक सेकंड रुकी और फिर देव के सीने पर एकदम से झुकी और उसके सीने को चूमने लगी.
सीने पर नेहा के होंठों का स्पर्श पहले भी कई बार पा चुका है देव पर जो बात आज के चुम्बन और होंठों के स्पर्श में है; बिल्कुल वो बात देव को इससे पहले नहीं मिली थी.
देव के कमर के ऊपर बैठ कर नेहा ने एक झटके में अपना टॉप उतार दी और सेकंड भर रुक कर देव के दोनों हाथों को पकड़ अपने सीने पर वक्षों वाले स्थान पर रख दी.
३४ के सख्त गोलाईयाँ और एक अलग मुलायम लिए आज इन स्तनों में भी कुछ भिन्न, कुछ विशेष लगा उसे.
इस बात पर अधिक न सोचते हुए देव उन मुलायम स्तनों पर अपने हाथों का हल्का दबाव बनाते हुए उन परफेक्ट गोलाईयों को महसूस करने लगा.
नेहा सामने की ओर थोड़ा और झुकी; अपना दायाँ हाथ देव के सीने पर रखते हुए खुद को ओर झुकाती हुई देव पर झुकती चली गई.. इतना की अब उसके सिर के लंबे बाल देव के चेहरे से टकराती हुई गुदगुदी करने लगी. दोनों के गर्म साँसें एक दूसरे के चेहरे से टकराकर दोनों को एक दूसरे के निकटतम होने का अहसास कराने लगे.
नेहा ने बड़े प्यार से देव के होंठों पर अपने होंठ रखकर एक छोटा सा किस किया और जल्दी से सीधी हो कर बैठ गई.
नेहा के इस हरकत को देख कर देव धीरे से हँस पड़ा और अपने दोनों हाथों को सिर के पीछे दबा कर नेहा की अगली हरकत का अंदाज़ा लगाने लगा.
नेहा का दायाँ हाथ अब भी देव के सीने पर था. फिर से थोड़ा झुकी वो और अब अपने बाएँ हाथ को पीछे कर के अपने पीठ पर ले गई.
रात के इस समय कमरे में पसरे सन्नाटे में एक हल्की ‘क्लिक’ की आवाज़ हुई...
अगले ही क्षण नेहा की ब्रा ढीली हो गई.....
आज नेहा के इस बदले अंदाज़ से देव को जितनी हैरानी हो रही है उससे भी कहीं अधिक उसे ख़ुशी और उत्तेजना हो रही है... वो भी बिल्कुल अलग स्तर का.
तभी देव को कुछ अलग सा अनुभव हुआ और अनायास ही अपने दाएँ ओर सिर घूमा कर देखा......
देखते ही वो चौंक उठा.. बुरी तरह से चौंक पड़ा.
अपने बगल में जो देख रहा था अब वो; उसे देखकर उसे अपनी आँखों पर विश्वास ही नहीं हुआ..
नेहा तो बगल में लेटी हुई है.!!!
तो फिर.....ये कौन है जो उसके कमर पर बैठी हुई है??!!
फौरन ही सिर घूमा कर अपने ऊपर बैठी लड़की को देखा उसने.
और अचानक से... न जाने कैसे... उस अँधेरे में पता नहीं दूर कहाँ से एक हल्की फीकी रौशनी चमकी और इसी के साथ देव को उसका चेहरा दिख गया.!
डर और आतंक के जैसे हज़ारों तरंगें दौड़ गईं देव के पूरे शरीर में... आँखें भी अत्यधिक डर और अविश्वास से चौड़ी हो गई...
.
.
और अगले ही क्षण,
तेज़ आवाज़ में बस एक ही शब्द गूँजा उस कमरे में...... “त... त.... तुम!!!”
नदी क़ा रहस्य से भी खतरनाक कहानी है भाई।४)
“देव... देव...!!”
“हाँ... क्या हुआ??”
शावर बंद करते हुए देव ने ज़ोर से पूछा...
“उफ़.. कब से चिल्ला रही हूँ.. अब जा कर सुने.”
“अरे तो जल्दी बोलो न.. पता ही है तुम्हें की अभी नहा रहा हूँ.”
“मैं कह रही थी कि मैं अभी जा रही हूँ. आज कुछ को स्पेशल क्लास देना है... थोड़ा हट के टिप्स... आने में भी लेट होगा. तुम अगर जल्दी आ जाते हो तो मेरा वेट मत करना.. खा कर सो जाना.. ओके?”
“ठीक है.. पर लेट क्यों होगा तुम्हें?”
दोबारा शावर ऑन करते हुए पूछा देव.
“आज कंटेसटेंट्स को कुछ टिप्स अलग से देने हैं.. उनकी थोड़ी और ग्रूमिंग करनी है... आने वाले कुछेक महीनों में डिमांड होने वाली है... इसलिए.”
“ओके.. कोशिश करना जल्दी आने की. साथ में खा लेंगे.”
“ओके.. आई विल ट्राई. बाय... लव यू.”
“बाय.”
पाँच मिनट बाद ही मेन डोर के खुलने और बंद होने का आवाज़ हुआ. नेहा चली गई. देव शावर से गिरते ठंडे पानी की ओर चेहरा कर दिया. छोटी छोटी अनवरत चेहरे पर गिरती पानी की बूँदों ने ठंडक और आराम का एक अद्भुत आनंद दे रहे थे उसे. देव का मन तो कर रहा था कि बस नहाता ही रहे... नहाता ही रहे..
आज वैसे भी कोई जल्दी नहीं है उसे. कॉलेज से एक दिन का ऑफ लिया है उसने. कॉलेज भले ही उसका खुद का है पर अभी तक... पाँच साल के समय में कभी भी अकारण छुट्टी नहीं लिया.
आज भी छुट्टी उसने अकारण नहीं लिया... वाकई कुछ दिन से काम का बोझ कुछ अतिरिक्त ही बढ़ गया है उस पर. कॉलेज में कुछेक डिपार्टमेंट और बढ़ाना चाहता है.. एक अच्छी ज़मीन भी देख रखा है उसने कॉलेज से थोड़ी ही दूरी पर. वहाँ एक स्कूल खोलने की योजना है. इन सबके अलावा और भी कई तरह के योजनाएँ चल रही हैं और उनके समुचित रूप से क्रियान्वन पर काम भी.
देव हमेशा से ही बहुत महत्वाकांक्षी रहा है और अपनी दूरदर्शिता को अपना सबसे बड़ा हथियार मानता है... और निःसंदेह ऐसा है भी... नहीं तो कौन भला इतने युवावस्था और इतने कम समय में इतना कुछ पा लेता है?
चेहरे पर गिरते पानी की तेज़ बूँदों में से कुछेक बूँद देव के सीने पर भी गिरे.. और इसी के साथ एक हल्की टीस सी हुई.. पहले तो देव ने ध्यान नहीं दिया पर जब तीन – चार बार उसी एक जगह एक हल्की पीड़ा होने लगी पानी गिरते ही तब देव ने चेहरे – आँखों पर से पानी हटाते, पोंछते हुए अपने सीने पर एक नज़र डाला.
देखते ही चौंका..
सीने से ले कर पेट तक खरोंच के तीन निशान हैं...
साइड के दोनों थोड़े हल्के से... लेकिन बीच वाला कुछ ज़्यादा ही गहरा है.
‘ये कब और कैसे हुआ?’ मन ही मन प्रश्न किया देव ने.
पिछले तीन रात तो वो और नेहा सिर्फ़ खाए पिए, एक दूसरे के काम के बारे में थोड़ा डिस्कस हुआ और फिर सो गए! तो फ़िर.... ये खरोंच...??
खरोंचों को देखते हुए देव ने उन पर हल्के से हाथ रखा... और ऐसा करते ही एक तेज़ जलन हुई और देव मारे दर्द के ‘आह’ भरने लगा. ऐसी भीषण जलन आज से पहले देव को किसी ओर खरोंच से नहीं हुई थी.
जल्दी ही नहाना खत्म कर देव कुछ देर टीवी देखते हुए थोड़ा बहुत खाना खाया और फिर सो गया.
कुछ समय ही बीता होगा कि उसे ये अहसास होने लगा कि कोई उसके बिस्तर पर उसके ठीक बगल में बैठी है! देव आँखें खोलना चाहा पर तभी किसी ने उसके आँखों पर अपना नर्म हाथ रख दिया; और फिर एक अजीब सी सुस्ती छाती चली गई उसपर. अब न आँखें खुलें और न ख़ुद उठ सके.
बहुत चाह कर किसी तरह होंठ खोल पाया,
“क.. कौ... कौन नेहा??”
कोई जवाब नहीं...
दो तीन बार पूछा देव ने... लेकिन कोई जवाब नहीं मिला...
बहुत मुश्किल से आँखों को ज़रा सा ही खोल पाया... पर सब कुछ धुंधला दिखा.. बस इतना ही बढ़िया से समझ पाया की उसके दाहिने तरफ़ बिस्तर पर दोनों टाँगे उठा पीठ टिका कर एक लड़की बैठी हुई है. ड्रेस भी ठीक से दिखा तो नहीं पर रंग शायद काला पीला का मिश्रण लिए है.
“कौन... नेहा??”
फ़िर कोई जवाब नहीं.
“अ... अह... कुछ क... कहो..”
लड़की ने फ़िर कोई जवाब नहीं दिया लेकिन इस बार उसके बदन में थोड़ी हरकत हुई.. देव ने अपनी अधखुली आँखों से धुंधला सा देख पाया की लड़की के बदन में जो हरकत हुई वो यह कि उसने थोड़ा आगे झुक कर पेट के बल लेटे देव के दाएँ हाथ को थाम ली. ऐसा होते ही देव के अंदर मानो ये अहसास भर गया कि लड़की उससे कह रही है की वो चिंता न करे, घबराए नहीं... सब ठीक है.
“न... ने...”
“कैसा लग रहा है अभी?”
एक सुमधुर कंठस्वर ने देव के बात को पूरा ही नहीं होने दिया.
देव को ये स्वर इतना अच्छा लगा कि कुछ क्षणों के लिए वो भूल गया की उसे कुछ कहना है..
जब कुछ पल और निकल गए और देव कुछ न बोला तब फ़िर से वो शहद सी स्वर गूँजी,
“बहुत समय हो गया एक अच्छी गहरी नींद लिए.. है न?”
“अम्म.. ह.. हाँ..”
“एक अच्छी नींद भी सेहत के लिए बहुत लाभकारी है. सेहत का भी तो ध्यान रखना है; नहीं तो कैसे चलेगा?”
“म्मम्म..”
देव स्पष्ट उत्तर तो देना चाह रहा था पर न जाने क्यों उस मीठे स्वर को सुनने के बाद उसे अपना स्वर बीच में लाना पसंद नहीं हो रहा है.
अजीब सी कशीश है इस स्वर में.. जो भी कहा जा रहा है सब में एक भिन्न ही प्रकार का केयरिंग वाली फीलिंग है... एक अलग ही अपनापन है...
इस अपनेपन में विभोर हो कर अनायास ही मुस्करा उठा देव...
“तू...तुम्हारी.. अ.. आवाज़ इतनी मी.. मीठी कब से हो ग.. गई..?”
जवाब के बदले एक पतली सी आवाज़ आई.. हँसने की... जैसे की उसे देव को हो रहे कंफ्यूशन से बहुत मज़ा आया.
देव फ़िर कुछ बोलने जा रहा था कि एक नर्म अँगुली उसके होंठों पर आ लगी,
फिर उसके कान से किसी के साँसों के टकराने का आभास हुआ... मानो कोई उसके पास... उस पर बहुत झुक आया हो... और... फ़िर.. बहुत प्यार से कहा,
“टेक अ गुड स्लीप... यू नीड इट.”
तत्क्षणात...
देव को अपने चारों ओर का वातावरण और भी अधिक शांत लगने लगा.. समय तो जैसे और भी धीरे हो गया हो मानो रुकने का ही मन बना लिया हो... एक हल्की हवा सी कुछ टकराई देव के शरीर से...
सोचने के लिए उसके पास अभी बहुत कुछ था पर ऐसा किया नहीं..
उस मीठी आवाज़ में ही इतना खो गया था वह की कब एक गहरी नींद में चला गया इसका भान ही न हुआ.
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जब आँख खुली तो देखा शाम के पाँच बज रहे हैं..
उठा, मुँह धोया, कॉफ़ी बनाया और टीवी खोल कर बैठ गया...
एक घंटा किसी तरह गुजरे होंगे की उसके एक करीबी दोस्त अजय का फ़ोन आया.. हालचाल जानने के बाद बहुत मान मनोव्वल करने के बाद प्लान बना आज की शाम को जाम के नाम किया जाए.
शहर के चार नामी बार में से एक बार, चाँदनी बार देव के घर के थोड़ा पास ही है.. तैयार हो कर वहाँ पहुँचते पहुँचते देव को आठ बज गए. अजय के अलावा भी वहाँ तीन पुराने दोस्त पहले से मौजूद थे..
ढेर सारी बातें हुई, पुराने दिनों को भी याद किया गया.. जम कर एक दूसरे की टांगें खिंची गयीं... इन सबके काफ़ी देर बाद चला जाम छलकाने का दौर...
कोई किसी से कम नहीं साबित होना चाहता था इस मामले में...
बार आने वाली कई नवयौवनाओं को भी जम कर आँखों से सेकना शुरू कर दिया सभी ने... सिवाय देव के.
ऐसा नहीं की जाम के नशे में वो इस काम में अपने दोस्तों का साथ नहीं देना चाहता है.. पर जैसे ही वो किसी लड़की की ओर देखता, उसे सब कुछ अचानक से धुंधला दिखाई देने लगता..
बात बहुत अजीब थी... उसने किसी को बताया नहीं पर अजय से छुपा न सका.. लेकिन नशे में होने के कारण अजय से सवाल जवाब नहीं किया गया..
रात ग्यारह बजे किसी तरह उन लोगों को होश आया कि यार, घर भी जाना है... सो, सब एक साथ उठे और एक दूसरे से विदा ले कर घर की ओर रवाना हो गए..
नेहा तो आज जल्दी आने वाली है नहीं... सो ताला देव को ही खोलना पड़ा...
मेन डोर बंद किया, चाबी फिश बाउल में रखा... बेडरूम में घुसा...
“अरे... नेहा?!... तुम तो जल्दी आ गई?!”
देव खुश होता हुआ बोला..
लेकिन नेहा ने कोई जवाब नहीं दिया.. वो दूसरी ओर मुँह कर के लेटी रही.
‘हम्म.. थक कर सो गई है लगता है...’
सोच कर देव कपड़े बदल कर बाथरूम जा कर फ्रेश हुआ.. आदतन सोने से पहले एक सिगरेट फूँका... माउथ फ्रेशनर लिया... और बिस्तर में आ कर नेहा को पीछे से जकड़ कर किस करता हुआ सो गया...
कुछ ही देर बीते होंगे कि ‘देवssss’ की एक तेज़ आवाज़ से देव की आँखें खुलीं.. देखा, बेड पर नेहा नहीं है... नेहा को कुछ हो न गया हो इस आशंका से घबरा कर देव जल्दी से उठा और लगभग दौड़ते हुए ड्राइंग रूम में पहुँचा... पहुँचते ही अवाक रह गया..
नेहा दरवाज़े पर खड़ी थी...
आँखें आश्चर्य और भय के कारण फ़ैल गई थीं.
एकटक फर्श पर देख रही थी..
देव ने भी उसकी आँखों का अनुसरन करते हुए नीचे देखा.. और देखते ही वो भी बेहद डर और अचम्भित सा हो गया.
फर्श पर खून सने नंगे पैरों के निशान थे जो कि मेन डोर से होकर अंदर बेडरूम तक चले गए थे...
देव डरते डरते पीछे मुड़ कर बेडरूम की ओर देखा... जहाँ वो खड़ा है इस समय वहाँ से बेडरूम और बेड का थोड़ा सा हिस्सा दिखता है... खून सने नंगे पैरों के निशान बेड तक गए हैं... पर बेड पर कोई नहीं है इस वक़्त..
हैरत में भरा देव पलट कर नेहा की ओर देखा... नेहा भी आँखों में आश्चर्य का सागर लिए देव की ओर देखी... और इस बार दोनों एक साथ और भी ज्यादा डरते हुए आश्चर्य के उस सागर में डूबते चले गए....
क्योंकि दोनों ने एक साथ ही एक दूसरे के पीछे एक काला साया देखा जो काफ़ी हद तक किसी लड़की का लग रहा था... लेकिन यहाँ थोड़ा अंतर है.. नेहा ने देखा कि एक लड़की नुमा काला साया देव को पीछे से बाँहों में लिए उसके कंधे पर अपने चेहरे को टिकाए एकटक नेहा की ओर एक कातिल मुस्कान से देख रही है.. चेहरा बिल्कुल भी स्पष्ट नहीं है पर आँखें.... आँखें जैसे दो नीले मणियों के समान एक अद्भुत प्रकाश लिए जगमग कर रहे हैं...
और इधर देव ने देख रहा है कि एक लड़की नुमा काला साया नेहा के पीछे खड़ी हो कर अत्यंत... अत्यंत गुस्से से नेहा को देख रही है.. साये का चेहरा यहाँ भी स्पष्ट नहीं है... पर जो स्पष्ट है वो है उस अत्यंत क्रोध और नफ़रत से धधकती दो लाल आँखें... जिन्हें देख कर ऐसा लग रहा है मानो अभी के अभी नेहा को कच्चा चबा जाएगी...!!
Kya ye kahani ka end hai ????
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दुबारा शुरू करो भाई।नहीं, Luckyloda खत्म नहीं हुआ है.
दरअसल, एक व्यक्ति इस साईट से कहानियों को कॉपी कर के दूसरे प्लेटफ़ॉर्म पर अपने “प्रियांशी जैन” नाम से बेच रहा है. (कहानी और पात्रों के नाम बदल कर.)
कॉपी करने तक तो समझ में आता है लेकिन मूल कहानी का क्रेडिट भी न दे मूल लेखक को, तब वाकई बुरा लगता है. (वैसे, अब से साइबर हेल्प लेने का सोच रहा हूँ...)
मेरे अलावा Chutiyadr के साथ भी यही हुआ है. इनके द्वारा लिखी गई कहानी ‘खूबसूरत डकैत’ का भी अपने नाम से कॉपी – पेस्ट किया है उस हरामी ने.
दिल टूट गया था इसलिए इस कहानी को लिखना छोड़ दिया था. हालाँकि, अभी कुछ दिनों से इसे रीस्टार्ट करने का मन हो रहा है... देखते हैं क्या होता है आगे...
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दुबारा शुरू करो भाई।
आप काफी शानदार लेखक हो।
निवेदन है आपसे।